ca/ks gq, gkFkh एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के ककनारे बंधे हाथथयों को देखा तो रुक गया। उसने देखा कक हाथथयों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है। उसे इस बात पर आश्चयय हुआ कक हाथी जैसे थिशालकाय जीि लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं। िे चाहते तो अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर िे ऐसा नहीं कर रहे थे। उसने पास खड़े महाित से पूछा - भला ये हाथी ककस प्रकार इतनी शांथत से खड़े हैं और भागने का प्रयास भी नहीं कर रहे हैं। महाित ने कहा इन हाथथयों को छोटी उम्र से ही इन रथस्सयों से बांधा जाता है। उस समय इनके पास इतनी शथि नहीं होती कक इस बंधन को तोड़ सकें , बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी न तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे -धीरे यकीन होता जाता है कक िे इन रथस्सयों को नहीं तोड़ सकते और बड़े होने पर भी उनका यह यकीन बना रहता है इसथलए िे कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते। उस आदमी को यह बात बड़ी रोचक लगी। उसने इसके बारे में एक संत से चचाय की। संत ने मुस्कराकर कहा - ये जानिर इसथलए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकक िे इस बात में यकीन करते हैं। इन हाथथयों की तरह हममें से कई लोग अपनी ककसी असफलता के कारण मान बैठते हैं कक अब उनसे ये काम हो ही नहीं सकता। िे अपनी बनाई हुई मानथसक जंजीरों में पूरा जीिन गुजार देते हैं। लेककन मनुष्य को कभी प्रयास छोड़ना नहीं चाथहए। *****
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