खिड़की आवाज़
1 फरवरी 2017
अंक #2
क्या स्ट्रीट आर्ट भ्रष्टाचार से लड़ सकती है?11
खिड़की की रसोई से
2
मौसम
1 फरवरी 2017
केप टाउन, साउथ अफ्रीका
12 पन्ने
सांस्कृतिक विविधता का विशेषांक www.khojworkshop.org
अफगान लड़की
जहाजी दादी की गाथा जारी है 4
भारत दर्शन पर
3
डिज़ाइनर टी-शर्ट और हिप-हॉप
सोमालिया से कविता
11
5
कला और खे ल लोगों को जोड़ सकता है, ऐसा खिड़की के उभरते हुए कलाकार का कहना है तस्वीर: सुरेश पांडे
डेमेरारा, गुयाना
काबुल, अफगानिस्तान
से जूझते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं। वे अपनी निजी ज़िन्दगी के बारे में ज़्यादा बात नहीं करते। पर यह ज़रूर कहते हैं कि हालात ने उन्हें ताकत दी है। उनका यह दिलचस्प सफर 2008 में खिड़की में ‘खोज’से जुड़ने के बाद शुरू हुआ। उन्हें एक कलाकार के साथ लाइब्रेरी में काम करने का मौका मिला। इससे पहले वे गुडगाँव के ‘इंफिनिटी टावर’ में काम करते थे। मानो आने वाले भविष्य की सूचना दे रहा हो। बचपन से ही उन्हें कला में रूचि थी। खोज उनके लिए एक नयी दुनिया का
मोगादिशु, सोमालिया
आदिल, खोज दस्तक की विजेता फुटबॉल टीम को मैडल देते हुए
नई दिल्ली, भारत
महावीर सिंह बिष्ट
आ
दिल अपने जीवन के सफ़र का उदाहरण एक लिफ़्ट से देते हैं, जो तीन तलों पर ऊपर नीचे आती जाती रहती है। सबसे ऊपर का तल है जहाँ वे ख़ुद को आने वाले समय में एक कलाकार के
पटना, भारत
रूप में देखते हैं। वे कला और समुदाय के बीच एक पुल बनाना चाहते हैं। वे इस तरह के प्रोजेक्ट्स करना चाहते हैं, जिसमें वे लोगों को साथ लेकर चल सकें। दस ू रा,उनकी वर्त मान स्थिति है। जहाँ वे समुदाय के साथ मिलकर अलगअलग रुचि के लोगों को साथ लाकर
अफगानिस्तान
.06
US$ 38 गुयाना
.01
US$ 38 भारत
.08
US$ 38
सोमालिया
.01
US$ 38
साउथ अफ्रीका
8
.0 US$ 38
मोहम्मद सहाबुद्दीन एक गंभीर व्यक्ति हैं, लेकिन शिबि बोलते ही उनका चेहरा खिल उठता
खिड़की के दस्तकार ने अफ़्रीकी कलाकार के साथ अनू ठ ी भागीदारी शु रू की
है। जिस प्रोजेक्ट के बारे में वे हमें बताएं गे, तभी से उन्हें इस नाम से पुकारा जाता है। पिछले पांच वर्षों से वे खिड़की के निवासी हैं। खिड़की की बहुत से गलियों में से एक में उनकी वर्कशॉप है। वर्कशॉप में हर वक़्त कु छ न कु छ काम हो रहा होता है, मशीनें चलती रहती हैं और बहुत से कारीगर कपडों पर सुन्दर कढ़ाई कर रहे होते हैं। एक अरबी के ग्रेजुएट के लिए रोज़गार के बहुत से साधन न होने और व्यापार के कु छ असफल प्रयासों के बाद उन्होंने 2012 अपने भाई के साथ इस वर्कशॉप में काम करना शुरू किया। उन्होंने अपने लिए एक ऐसा कौशल खोज निकाला जिससे वे पैसे भी कमा सकते थे। शिबि की कला में रूचि और ज़िन्दगी में कु छ बड़ा और सार्थक करने की चाह ने उन्हें खोज में हो रहे कार्यक्रमों की ओर आकर्षित किया। खोज की टीम से उनका परिचय होने के बाद वे रेजीडेंसी में आने वाले कलाकारों से भी मिलते थे। ऐसी ही एक रेजीडेंसी के दौरान उन्हें बड़ा ब्रेक मिला।सितंबर 2016 में, खोज की टीम ने उन्हें लिज़ा ग्रोइबेर से मिलाया। लिज़ा साउथ अफ्रीका के केप टाउन से है। वे एक पेंटर हैं, जिन्हें अलगअलग विधाओं और सामग्रियों में काम करना अच्छा लगता है, वे किसी स्थानीय कढ़ाई के कारीगर को ढू ं ढ रही थीं, जो उनकी पेन्टिंगों को कढ़ाई में उकेर सके।
द्वार था। पहला मौका 2010 में आया जब उन्हें, रेजीडेंसी के कलाकारों से रूबरू होने का मौका मिला। दो कलाकारों से उनकी गहरी दोस्ती भी हो गई। उन्हें बहुत जल्द समझ आ गया कि कला समाज के अलग-अलग वर्गों की दरू ियों को भेदकर नई संभावनाएं पैदा कर सकता है। खोज ने उसकी कल्पना 9
तंग गलियों में कला का ले न -दे न
मालिनी कोचुपिल्लै
सोने के दाम 24 क2ै रे7 टज न/व र ीप्रति 2 0 1 7 ग्राम
एक सार्थक बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं। मौजूदा दौर में वे कलाकारों के साथ मिलकर एक कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करते हैं और उसे सार्वजनिक कला के रूप में प्रस्तुत करते हैं। तीसरा, उनका भूतकाल है, जिसमें वे बहुत ही जिज्ञासु हैं। वे अनगिनत कठिनाइयों
तस्वीर: मालिनी कोचुपिल्लै
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शिबि बड़े गर्व के साथ लिज़ा को अपनी दस्तकारी दिखाते हुए
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