खिड़की आवाज़
पतझड़ संस्करण 2019
अंक #10
कलाकार की अफ्रीकी महाद्वीप की गज़ब की यात्रा
जहाजी की गाथा जारी है...
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अ क्टू ब र से द ि सं ब र 2 0 1 9
फ ो ट ो : क न ा ल ए य र ड ले
आबिजान, ऐवेरी कोस्ट
ए प ि ड ए मे ल ि प ो न ि न ा
ए प ि स मे ल ि फे र ा
स्त ्रो त : यू न ि वे र्सि ट ी ऑ फ़ कें स स
सुहाना और गर्म, बीच-बीच में बारिश और आं धी
दिल्ली, भारत
गर्मी और उमस, दिसंबर तक ठं ड
फ ो ट ो : क्ले ब ो ल्ट
काबुल, अफगानीस्तान
ऑ स् मि य ा फे ड ्स चें क ी सुहाना और गर्म, दिसंबर तक ठं ड और बारिश
लेगोस, नाइजीरिया
फ ो ट ो : क्ले ब ो ल्ट
ए प ि स मे ल ि फे र ा अ द न स ो न ी
सुहाना और गर्म, बीच-बीच में बारिश और आं धी
फ ो ट ो : क्ले ब ो ल्ट
मोगदिशु, सोमालिया
न ो मि य ा क् रो क स ि स् पि ड ि य ा
गर्म, उमस और बीच-बीच में बारिश
यूनडे, कैमरून स्टेन ो प्ले स् ट् रि न ी फ ो ट ो : क्ले ब ो ल्ट
मधुमक्खियों का संसार - शोध और संकलन: कुणाल सिंह
धुप और हल्की बारिश दिसंबर में ठं डा
स्त ्रो त : यू न ि वे र्सि ट ी ऑ फ़ कें स स
पटना, भारत ए प ि स से र ा न ा
ज्यादातर बादल, छिटपुट बारिश और आं धी
दूसरों को जानना
फोटो एस्से: अदृश्य कामगार लोग
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के सहयोग से
कचरे से नए रास्ते
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म कै सै वे ज / फ् लि क र
मौसम की रिपोर्ट
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12 पन्ने
अन पे क्षि त मु ल ा क ातें
श
महावीर सिंह बिष्ट
हर अंत र और विविधता के गु च ्छे की तरह होते हैं, अक्सर गलतफहमी को जन्म दे ते हैं। ऐसे बाँ ट दे ने वाले विचारों से वर्ग, जाति, धर्म, सं स ्कृति, रंग और अन्य खं ड ो में विभाजित हो जाते हैं। हम अपनी उदासीनता या जिज्ञासा की कमी के कारण, इन अंत रों के बारे में बात नहीं करते । पर शहर ही ऐसी जगह हैं, जो अलग-अलग समु द ायों के लोगों का एक द स ू रे से मिलने की सं भ ावनायें पैद ा करते हैं। कभी-कभी ये मु ल ाकातें , हमारे जटिल विचारों और मान्यताओं को ध्वस्त कर, कभी ना भु ल ाने वाली यादें छोड़ जाते हैं। इस तरह के क्षणिक पलों की खोज में , हम ऐसे अनु भ वों और घटनाओं की बात करना चाहते थे जब ‘द स ू रों’ ने हमें हैर ान किया हो, और हमें रूककर सोचने को मज़बू र किया हो। बचपन का ऐसा ही एक अनु भ व मु झे याद है। हम गर्मियों की छुट्टियों में अक्सर उत्तराखं ड के अपने गाँ व जाते थे । गाँ व ‘बीठ’ (ऊँ ची जाति) और ‘डोम’ (अछू त) के दो भागों में बसा है। डोम जाति के लोगों का घर अक्सर गाँ व के बाहर के क्षेत्र में होता था। हम कभीकभी ग्वालों के साथ वहाँ जाते थे । एक दिन वापस आते हु ए हम ओलों के तू फ ़ान में फँ स गए। द रू सिर्फ एक घर
ह
नज़र आ रहा था। वहाँ जाने से हमें हमे श ा मना किया गया था। पर इस तू फ ़ान में , उस घर के दरवाज़े से किसी को पु क ारते और हाथ हिलाते दे ख , जान में जान आई। किसी तरह मैं वहाँ पहुँ च ा, तो एक औरत ने मु झे घर के भीतर लिया, तौलिया दिया, चाय पिलाई और मे र ा ख्याल रखा। मुश ्किल वक़्त में , हमारे समु द ाय के लोगों द्वारा उनके साथ भे द भाव किये जाने के बावजू द , उन्होंने मे री मदद की। उस दिन के बाद, मैं उन्हें ताई कहकर पु क ारने लगा, चाहे मे रे रिश्तेदारों ने कितना भी विरोध क्यों ना किया। हमने अपने कु छ दोस्तों से इस तरह के किस्से बताने को कहा। तैयबा अली, 24 साल जब मैं दिल्ली के रामजस कॉले ज में अंगरे् जी साहित्य पढ़ने आई, तो मैं ने पू रे दे श से दोस्त बनाये । उन लोगों से भी, जिन्हें मैं ने सिर्फ किताबों या तस्वीरों में दे ख ा था। ऐसा ही एक इंस ान था तेंज िन,एक तिब्बती रेफ ्यूजी, जो दिल्ली पढ़ने आया था। हम घर से द रू रहने के अपने अनु भ वों की वजह से दोस्त बन गए थे । उस साल मे र ा जन्मदिन से मे स ्टर के एग्जाम के आसपास पड़ा, तो मनाने का तो सवाल ही नहीं था। मैं वैसे तो जन्मदिन मनाना पसं द नहीं करती, लेकि न हर साल दोस्त और परिवार मे रे लिए के क लाते थे । परीक्षा खत्म
होने पर तेंज िन मे रे पास आया और बोला कि वह मे रे जन्मदिन के उपलक्ष्य में मु झे बाहर ले जाना चाहता है। वह मु झे मजनू का टीला ले गया, पारम्परिक तिब्बती खाना खिलाने के लिए। खाते हु ए , उसने खाने के इतिहास और महत्त्व के बारे में बताया। बाद में उसने मु झे तिब्बतन कॉलोनी दिखाई और तिब्बती अगरबत्ती खरीद कर दी। तबसे मजनू का टीला मे रे लिए आरामदायक और परिचित जगह बन गया। मैं ने और भी तिब्बती दोस्त बनाये , जो बहु त ही उदार और मे ह माननवाज लोग हैं। रतन सिं ह, 55 साल मैं दिल्ली 70 के दशक में बे ह तर ज़िन्दगी की तलाश में आया था। मैं सरोजिनी नगर के एक छोटे से ढाबे में काम करने लगा और गाँ व के एक द स ू रे दोस्त के साथ एक छोटे से कमरे में रहने लगा। मैं तब महीने के मात्र 200 रुपये कमाता था, जिसका 120 रुपैय ा मैं घर भे ज ता । मे र ा बॉस काफी खड़ू स आदमी था। वह बनिया था। कोई भी उसे पसं द नहीं करता था। जब भी हम छु ट्टी ले ते , वह पैस ा काट ले त ा था। एक दिन मैं सु ब ह उठा तो मे र ा बदन बु ख ार से तप रहा था। मैं ने दवाई ली और पैसे कटने के डर से काम पर चला गया। मु झे चक्कर आ रहे थे और कमज़ोरी महसू स हो रही थी। लेकि न
मैं ने किसी को नहीं बताया। मे री हालात बिगड़ने लगी और अगले दिन से काम पर नहीं जा पाया। तीसरे दिन ढाबे का एक दोस्त हालचाल पू छ ने आया। उसने पू छ ा कि पैसे हैं कि नहीं। मे रे पास सिर्फ 15-20 रुपये बचे थे । उसने खाना बनाने में मदद की और चला गया। उस रात मु झे लगा, मैं मर ही जाऊं गा। अगली सु ब ह वह दोस्त फिर आया और मु झे 150 रुपये थमा गया। ढाबे के मालिक ने अस्पताल जाने के लिए दिए थे । मैं थोड़ा हैर ान था। डॉक्टर ने कहा कि ज़रा भी दे री करता तो लाइलाज हो जाता। मु झे डिस्चार्ज तो कर दिया, लेकि न पू री तरह ठीक नहीं हु आ और काम पर लौटा। मालिक अभी भी सख्त लहजे में बैठ ा हु आ था। मैं ने शुक्रि या अदा किया और पैसे लौटाने का वादा किया। उसने मु झे घर जाने को कहा ताकि पू री तरह स्वस्थ हो जाऊं। साथ ही उसने कहा जब पैसे हों, दे दे न ा। फिर ज़िन्दगी आगे बढ़ी और मैं उसे दोबारा नहीं मिल पाया। लेकि न उसकी उदारता ने मे री ज़िन्दगी बचा ली। इस घटना को मैं कभी भू ल नहीं पाया। हम सभी के साथ ऐसे अनु भ व और घटनाएं होती हैं। शायद हमें इस तरह की कहानियाँ ढू ँ ढ नी चाहिए, जिसमें अं त र खोजने की बजाय हम एक द स ू रे का ख्याल रख सकें।
एपिडए मेलिपोनिना आइवरी कोस्ट में पाई जाने वाली एक डंक-रहित मधुमक्खी है। यह आमतौर पर खोखले लकड़ी के लठ्ठों, भूमिगत सुराखों और चट्टानों की दरारों में छत्ते बनाती हैं। इनके छत्ते पुराने कूड़े के डिब्बों और पानी के मीटरों में भी पाए गए हैं। यह केवल अपनी जरूरतों के लिए कम मात्रा में शहद का उत्पादन करते हैं। एपिस मेलिफेरा, जिसे पश्चिमी मधुमक्खी या यूरोपीय मधुमक्खी भी कहा जाता है, दनि ु या भर में पाई जाने वाली मधुमक्खियों की प्रजातियों में सबसे आम है। ये मधुमक्खियां अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप पर पाई जा सकती हैं, और मधुमक्खी पालकों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। वे विश्व स्तर पर कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण परागणकर्ता हैं। ऑस्मिया फेड्सचेंकी मधुमक्खियां
अफगानिस्तान में पाई जाती हैं और बांस के खोखले तनों, पहले से मौजूद सुराखों में अपना घोंसला बनाना पसंद करती हैं।इनके छत्तों के से ल चबाई हुई पत्तियों और मिट्टी से बनी होती हैं। एपिस मेलिफेरा अदनसोनी मधुमक्खियों की एक किस्म है जो ब्राजील की मधुमक्खियों के साथ आक्रामक अफ्रीकी मधुमक्खियों की नस्ल को पैदा करने के लिए एक वैज्ञानिक प्रयोग के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ है। वे अपनी आक्रामकता और झुंड की प्रवृत्ति से अलग हैं,और उन्हें किलर बीज़ भी कहा जाता है सोमालिया की मूल निवासी नोमिया प्रजाति के नोमिया क्रोकसिस्पिडिया मध्यम आकार की मधुमक्खियां हैं, जो जमीन में अपने छत्ते बनाना पसंद करती हैं। इस प्रजाति की अधिकांश मधुमक्खियां एकांत में छत्ते बनाना पसंद करती हैं, लेकिन कुछ
साथ में मिलकर भी छत्ता बनाना पसंद करती हैं, जहाँ मादा एक घोंसला साझा करती हैं, लेकिन इस छत्ते में कोई रानी या श्रमिक मधुमक्खी वर्ग नहीं होता। एपिस से राना को पूर्वी मधुमक्खी या एशियाटिक मधुमक्खी भी कहा जाता है और यह दक्षिण, दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया की मूल निवासी है। से राना मधुमक्खी की कॉलोनियां घुसपैठियों को दरू रखने के लिए, एक छोटे से प्रवेश द्वार वाले सुराखों में कई रोटियां(हनीकोम्ब्स) से मिलकर छत्ते बनाने के लिए जानी जाती हैं। इनको अत्यधिक सामाजिक व्यवहार के लिए भी जाना जाता है। स्टेनोप्लेस्ट्रि नी अपनी छोटी जीभ, और टांगो पर छोटे ब्रुश जैसे रोओं के गुच्छे, जो पराग को इकट्ठा करने और ले जाने के लिए सबसे अनुकूलित हैं,के लिए जानी जाती है। यह पश्चिम अफ्रीकी देशों में पाए जाते हैं।
मधु म क्खियों का सं स ार
म में से अधिकांश के लिए, मधुमक्खियों के साथ हमारी जान-पहचान,इस तथ्य तक सीमित है कि वे शहद बनाते हैं, जिससे हम बहुत प्यार करते हैं- और उनके डंक के नाम से ही काँप जाते हैं! अगर हम किसी मधुमक्खी को हमारे पास आते हुए देखते हैं तो हम बेतहाशा भागते हैं, और हमारे पड़ोस में बने छत्ते को तोड़ने के लिए इंतजार भी नहीं करते । कहीं ऐसा न हो कि वो आप पर हमला न कर दें। लेकिन मधुमक्खी एक अद्त भु प्राणी हैं, जो शहद के अलावा, एक परागणकर्ता होने के अलावा, अपने स्वभाव और विशेषताओं के साथ आकार, रंग और आकार की विस्तृत विविधता में आते हैं। हमारे द्वारा खाए जाने वाले लगभग 80% खाद्य पदार्थों के लिए जिम्मेदार, मधुमक्खियाँ मानवता के लिए प्रकृति का उपहार हैं।
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