khirkee Voice (Issue 11) Hindi

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खिड़की आवाज़

शीत संस्करण 2020

अंक #11

कलाकार की गज़ब यात्रा पे ज़िम्बाब्वे पहुँ चा

12 पन्ने

खोये हुए वक़्त की सैर

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6

नए भविष्य की कल्पना

के सहयोग से

2033 में खिड़की कैसा होगा ?

बी-बॉय-शिफ़ के साथ इं टरव्यू ?

10

12

नागरिक साथ आए

मौसम की रिपोर्ट ज न व र ी से अ प्रै ल 2 0 2 0 आबिजान, ऐवेरी कोस्ट

हाल ही में हौज़ रानी के गाँ ध ी पार्क में अलग-अलग समु द ाय के स्थानीय लोगों ने सी.ए.ए, एन.आर.सी. और एन.पी.आर. के मु द् दों पर जागरूकता फ़ै लाने के लिए एक रै ल ी का आयोजन किया। इन कानू न ों से जु ड़े मु द् दों पर महावीर सिं ह बिष्ट ने सवाल, समस्याएं और राय जाननी चाही।

ह्य प ॉ ल ि म न ा स म ों टे इ र ो न ि स

गर्म,बीच-बीच में धूप और बारिश

व ने स ा क ा र्डु इ

जनवरी में शुष्क और ठं डा, मार्च तक गर्म

काबुल, अफगानीस्तान

प र्न स ि य स ऑ ट ो क्रे ट र ( ख त रे में )

बर्फ और बारिश, मार्च तक गर्म

लेगोस, नाइजीरिया

हे ल ि क न ी ने अ क र ा इ य ा

गर्म,बीच-बीच में धूप और बारिश

मोगदिशु, सोमालिया

प्रे स ि स ल ि म् नो र ि य ा गर्म,बीच-बीच में धूप और मार्च के बाद और गर्म

पटना, भारत

जु न ो न ि य ा अ ल म ा न ा

गर्म,बीच-बीच में धूप और मार्च के बाद और गर्म

शोध और संकलन: कुणाल सिंह

यूनडे, कैमरून

ऑ ट् रॉ ए ड ा स ा फ् रा

गर्म और बीच-बीच में धूप

तस्वीर:मालिनी कोचुपिल्लै

दिल्ली, भारत

भा

रतीय संसद ने हाल ही में, भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में, प्रधान मंत्री नरेंद ्र मोदी के नेतृत्व में, नागरिकता संसोधन बिल (सी.ए.ए.) को पास किया। इसे 10 जनवरी को एक्ट के रूप में पूरे देश में लागू करने का गैज़ेटे भी जारी किया जा चुका है। इस बिल के पेश होने के बाद पूरे देश में बड़े स्तर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए। कुछ जगहों पर हिंसा की खबरें भी आई,ं जिसमें कई लोग जख़्मी भी हुए। अब तक पूरे देश में सी.ए. ए. के खिलाफ प्रदर्शन से जुडी घटनाओं में 31 लोगों की मौत हो चुकी है। न्यूज़ पोर्टल ‘द प्रिंट’ के अनुसार, “ पूरे भारत में सी.ए.ए. के विरोध में मुसलमानों की उल्लेखनीय उपस्थिति एक शक्तिशाली, प्रतीकात्मक, और रणनीतिक दावा पेश करती है जो आक्रामक हिंदतु ्व को चुनौती देता हुआ नज़र आता है । यह भारत में एक नए ‘समावेशी राष्ट्रवाद’ की ओर इशारा करता है।” सरल शब्दों में पहली बार भारतीय मुस्लमान इस तरह अपनी पहचान का दावा करते हुए, सिख, हिन्दू, दलित और अन्य समुदायों के समर्थन से सडकों पर विरोध करने के लिए उतरा है। प्रेस एन्क्लेव रोड के बगल में, मैक्स हॉस्पिटल के सामने, खिड़की एक्सटें शन से जुड़ा हुआ हौज़ रानी का इलाक़ा मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। जब से जामिया और शाहीन बाग में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, यहाँ भी 4-5 छोटी रैलियाँ हो चुकी हैं। 6 जनवरी की खिड़की के जामुनवाला पार्क में विरोध मीटिंग की पब्लिक कॉल आई तो हम हौज़ रानी और खिड़की के लोगों से जानना चाहते थे कि उनके विरोध का कारण क्या है ? यह नया एक्ट उनके मुसलमान होने से किस तरह जुड़ा हुआ है ? इस एक्ट से

इस इलाके के समावेशी ढाँचे पर फर्क पड़ेगा या नहीं? जामुनवाला पार्क पहुँचकर पता चला कि परमिशन ना मिलने के कारण, पब्लिक मीटिंग को हौज़ रानी के गाँधी पार्क में ले जाया गया है । पार्क में प्रवेश करते ही देखा कि 700-800 लोग एक स्टेज के सामने कुर्सियों, ज़मीन पर बैठकर और खड़े होकर वक्ताओं को सुन रहे थे। काफी अच्छा माहौल था। हमने लोगों से पूछना शुरू किया कि इस पब्लिक मीटिंग का उद्देश्य क्या है। वहीँ मौजूद एक युवक आस मोहम्मद, 25, जो हौज़ रानी के निवासी हैं, से हमने पूछा, तो वे बोले,” यहाँ हम सी.ए.ए. और एन.आर.सी. के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। पहले भी हम छोटी-छोटी रैलियाँ निकालते रहे हैं। पर आज हमने बड़े स्तर पर इस तरह की पब्लिक मीटिंग का आयोजन किया।हमारा मकसद लोगों को इस बिल के बारे में जागरूक करना है।” युवाओं में जोश और उत्सुकता देखते ही बनती थी। बहुतों के हाथों में तिरंगे और प्लाकार्ड थे, जिसमें समावेशी शायरी से लेकर अंबेडकर, अब्दुल कलाम आज़ाद और भगत सिंह के पोस्टर देखे जा सकते। जहाँ पिछले की तरफ पुरुष और युवा खड़े थे वहीँ सबसे आगे महिलायें बैठी हुई थीं। वहीँ बैठी लॉ की स्टू डेंट शौर्या से हमने पूछा कि सी.ए.ए. और एन.आर.सी. क्या है और मुस्लिम समुदाय पर इसका क्या असर पड़ेगा, उन्होंने बताया,”सविंधान का प्रिएम्बल (उद्द्येशिका) जब शुरू होता है, उसी में धर्मनिरपेक्षता की बात होती है। लेकिन जब ये सी.ए.ए. और एन.आर.सी. लाये तो इसमें नागरिकता देने की जब बात होती तो सिर्फ मुसलमान को क्यों छोड़ा? यहाँ के मुसलमान ने आज़ादी के समय भारत

को चुना। हम अपने देश से प्यार करते हैं और यहीं रहना चाहते हैं। इसका सबसे ज़्यादा असर निचले वर्ग पर पड़ेगा। जब नागरिकता साबित करने की बात आएगी तो मिडिल क्लास और अपर क्लास के पास तो कागज़ होंगे ही। पर गरीब-अन-पढ़ इसमें पिसेगा। असल मुद्दों पर ध्यान देने की बजाय आप युवाओं पे जुल्म न करें। कानूनी शब्दावली में ये एक्ट संविधान के आर्टिकल 21 का उल्लंघन है, जो जीने की आज़ादी और निजी स्वतंत्रता की बात करता है।” शौर्या ने इस कानून और इसके प्रभावों को बारीकी से बताया। हम जानना चाहते थे कि बाकी युवा क्या सोचते हैं और इस विरोध में युवाओं की क्या भूमिका रहेगी, तो खिड़कीवासी मोहम्मद आतिफ़ खान, 24, ने कहा,” इस विरोध में यूथ की भूमिका सबको जागरूक करना है। आज का युवा घर में बैठकर चुप नहीं रह सकता। अगर इस बिल में ख़ामियाँ हैं तो सबको बताना पड़ेगा।” एक और युवक वासिफ से हमने यही सवाल पूछा तो वे बोले,”हम युवा इसके खिलाफ हैं। कई ऐसे लोग हैं जिनके पास कागज़ हैं ही नहीं। हम शांतिपूर्ण तरीके से इस कानून का विरोध करते रहेंगे।” वासिफ ने हमें बताया कि उनके बहुत से हिन्दू, सिख और अन्य धर्मों के दोस्त हैं जिनका इस विरोध में पूरा समर्थन रहा है। पूरा मैदान नारों से गूँज रहा था और चारों ओर तिरंगे लहरा रहे थे। इसी बीच आगे की कतार में हम डॉ सलमा से मिले, हमने महिलाओं की भागीदारी और भूमिका के बारे में उनसे जानना चाहा। उन्होंने कहा,”ये कानून संविधान के खिलाफ है। ये हमारी यूनिटी के खिलाफ है। ये किसी एक धर्म की लड़ाई नहीं है बल्कि हिंदसु ्तानी होने की लड़ाई है। हम यहीं पैदा हुए हैं,

इसी मुल्क के हैं और यहीं मरेंगे। हम महिलाओं को जैसे ही पता चला, हम तुरत ं इकट्ठा हो गए। ये विरोध कानून वापस लेने तक जारी रहेगा।” फिर वे वापस मीटिंग में वक्ताओं को सुनने के लिए चली गयीं। पास ही खड़े खिड़की निवासी सर्वेश, 45, से हमने पूछा कि उनकी क्या राय है और वे इस विरोध

डॉ सलमा,”यह कानून हमारी एकता के खिलाफ है।”

से किस तरह जुड़े, वे बोले,” मैं न्यूज़ में देखता हूँ कि हमारे देश में क्या हो रहा है। मेरे एक मित्र ने इस मीटिंग के बारे में बताया। सरकार द्वारा इस तरह का कानून सरासर गलत है। ये हम सबकी लड़ाई है, चाहे वो मुसलमान, हिन्दू, सिख, ईसाई ,जैन, दलित या किसी भी धर्म का हो। आप वोट लेकर चुने जाते हो, तब तो कागज़ नहीं 3


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