Khirkee Voice (Issue 5) Hindi

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शीत संस्करण

खिड़की आवाज़ अंक #

12 पन्ने

भारत और अफ्रीका संबंधों का विशेषांक

संस्कृतियों के बीच बालों की डोर

‘हब्शी’ शब्द कहाँ से आया ?

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दिल्ली, भारत

तस्वीर: महावीर सिंह बिष्ट और मालिनी कोचुपिल्लै

डेमेरारा, गुयाना

याHउं डे , कैमरून

ऊपर से घड़ी की सुई की दिशा में: अब्दुल और अरविन्द बातचीत करते हुए; ऐविस और राम देवी खानपान की चर्चा में; शाइस्ता अपने विचारों को प्रकट करती हुई; लोगों की भीड़।

गर्म और सवत्र धूप

नुक्कड़ की छोटी-सी दक ु ान मुश्किल और तीखे सवालों का अड्डा बना। साथ ही दोस्ती और सौहार्द के नए रास्ते खोले।

काबुल, अफगानीस्तान

बारिश और बर्फ के साथ कड़ाके की ठण्ड,मार्च में थोड़ा गर्म लेगोस, नाइजीरिया

गर्म, धूप और हलकी बारिश मोगदिशु, सोमालिया

गर्म, धूप और मार्च में अधिक गर्म पटना, भारत

गर्म, धूप और मार्च में अधिक गर्म

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बातचीत की नई संभावनाएं

ठं डा और शुष्क, मार्च तक गर्म

ज़्यादातर गर्म और नम, आवर्ती आं धीतूफ़ान

जहाजी की गाँव वापसी

‘खिड़की खोल, खुल के बोल’

मौसम की रिपोर्ट ज न व र ी - म ा र्च 2 0 1 8

रेखा चित्र: अनार्या

शिकारगाह का दिलचस्प इतिहास

के सहयोग से

महावीर सिंह बिष्ट

क्टू बर की धुध ं भरी दोपहरी में ‘खोज’ के बगल वाली ‘फ़ोन रिचार्ज की दक ु ान’ में काफी भीड़ थी। लोगों की भीड़ को हटाकर देखें तो नज़ारा देखने लायक था। तीन दिनों तक यहाँ ‘खिड़की टॉक शो’ का आयोजन किया गया। इसके मुख्य किरदार दो अफ़्रीकी मूल के निवासी ‘मोहम्मद अब्दुल’ और ‘ऐविस ता बी द्जे’ और ‘खिड़की की जनता’ है। अब्दुल सोमालिया से हैं। वे पिछले 19 सालों से यहाँ हैं। पहले उन्होंने पुणे से स्नातक किया और अब दिल्ली यूनिवर्सिटी से ‘सोशल वर्क में एम.ए कर रहे हैं।वहीँ द ूसरी तरफ ऐविस, आइवरी कोस्ट के निवासी, वे यहाँ एक छात्र के रूप में आये और कई वर्षों से यहीं रहते और काम करते हैं। दोनों ही वर्तमान में खिड़की निवासी हैं। खिड़की आवाज़ के हर अंक से पहले हम अक्सर आत्म-चिंतन और विचारविमर्श करते हैं कि समुदाय में लोग एक द ूसरे से किस तरह जुड़ते और बातचीत करते हैं। हमारी दिलचस्पी अलग-अलग समुदाय के लोगों की एक द ूसरे के प्रति आम-धारणाओं और गलत -फहमियों को समझने और परखने की भी होती है। हम यह भी जानना चाहते हैं कि अलग-अलग

देशों और समुदायों के बीच ऐतिहासिक और समकालीन ढाँचे में किस तरह की समानताएँ और अंतर हैं। स्वाति जानू की ‘फ़ोन रिचार्ज की दक ु ान’, यहाँ काफी मशहूर है। पहले दिन जब लोगों ने देखा कि हरे परदे की पृष्ठभूमि में कुछ कुर्सियाँ और मेज़ सजी है, जिसमें एक अफ़्रीकी कुछ लोगों के साथ बैठा हुआ है, तो उनकी उत्सुकता का ठिकाना नहीं रहा और धीरे-धीरे भीड़ जुटने लगी। लोग पूछने लगे की क्या हो रहा है ? हमने उन्हें बताया कि ‘हम चाहते हैं कि आप अपने अफ़्रीकी साथियों से बातचीत करें और किसी भी तरह का सवाल पूछें।’ शुरूशुरू में लोग हिचके। धीरे-धीरे कुछ लोगों ने रूचि दिखानी शुरू की। इस तरह दो अलग-अलग समुदायों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। जिसमें खानपान, संस्कृ ति, व्यवहार, वाद-विवाद सरीखे विषयों पर राय रखी गई और सवाल पूछे गए। खिड़की के कई अनूठे लोगों से हम रूबरू हुए, जिनमें से कुछ हम आपके सामने ला रहे हैं। “आप अपने देश के बारे में कुछ बताईये”, अरविन्द ने कहा। इसपर अब्दुल ने कहा,”मेरे देश में लड़ाई चल रही है और हालात काफी ख़राब है।”उन्होंने फिर अरविन्द को बताया कि इसी कारण उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ा। हाल में उन्हें अपने देश जाने का मौका मिला, जिसका अनुभव

शानदार रहा। अरविन्द स्वयं बिहार के दरभंगा जिले से हैं और दिल्ली पढाई करने आये हैं।उन्होंने पूछा “आपके देश की क्या खासियत है?” इसपर ऐविस ने जवाब दिया,”भारत की ही तरह अलग-अलग धर्म और समुदाय के लोग एक साथ रहते हैं।” यह जानकार अरविन्द को बहुत ख़ुशी हुई और उन्होंने दोनों को बिहार आने का न्योता दिया। फिर अरविन्द ने ऐविस से पूछा कि अगर वे उनके देश में घूमना चाहें तो कहाँ जाना चाहिए? ऐविस ने कहा, “ आप वहां की राजधानी यमासूक्रो जाएँ । वहाँ काफी पंजाबी लोग रहते हैं।” “अफ़्रीकी पुरुष राह चलती महिलाओं को इस तरह क्यों देखते हैं?”, शाइस्ता पूछती हैं। इसपर ऐविस कहते हैं कि, “हममें से ज़्यादातर बुरी नज़र से नहीं देखते, हम उनकी खूबसूरती से प्रभावित होकर देखते हैं। हमारा इरादा गलत नहीं होता।”शाइस्ता अफ़ग़ानिस्तान से हैं और उनके कई अफ़्रीकी मूल के दोस्त हैं। शाइस्ता ने पुणे में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया है। व्यवहार और बातचीत से वे काफी बेबाक और साहसी प्रतीत होती हैं। वे कहती हैं, “हमारे देश में आज भी महिलाओं को पूरी आज़ादी नहीं मिलती।” इसपर ऐविस और बाकी लोग सोच में पड़ जाते हैं। इसके बाद दोनों खान-पान और व्यंजनों की चर्चा करने लगे। शाइस्ता ने अपने मित्रों के साथ कॉंगोली मीट, सूप

और चिकन के व्यंजन चखे हैं। ऐविस ध्यान से सुन रहे थे। वे बताती हैं,”कॉलेज में जब भी कोई कार्यक्रम होता था तो अलग-अलग देशों के लोग पारम्परिक पोशाकों में आते और डांस करते। नज़ारा देखने लायक होता।” रंगभेदी घटनाओं को लेकर हमने राय जाननी चाही तो उन्होंने कहा,”रंग को लेकर भेदभाव करना सरासर गलत है।” सबसे दिलचस्प लोगों में से एक थी राम देवी। वे लगभग 60 -65 बुजुर्ग महिला रही होंगी।”आपके खाने में बू क्यों आती है?”, राम देवी ने पूछा। ऐविस ने कहा, “हम तेज़ मसालों का प्रयोग करते हैं इसलिए। हमारे खाने में ज़्यादा माँस और मछली होती है।”स्वीकृति में सिर हिलाते हुए उन्होंने बताया कि उनके कुछ पडोसी अफ़्रीकी रह चुके हैं। फिर रामदेवी ने ऐविस से परिवार के बारे में पूछा। इसपर ऐविस बोले, “मेरी माँ ऐवोरी कोस्ट में रहती हैं और पिता गुज़र चुके हैं।” बाद में उन्होंने कहा कि रामदेवी में उन्हें अपनी माँ नज़र आती हैं, तो वे प्रसन्नता से मुस्कराने लगी। “आप यहाँ 7-8 साल से हैं, तो आपका अफ्रीकियों से कैसा संबध ं रहा है?”, ऐविस ने जामिल से पूछा। जामिल ने कहा,”मेरी ज़्यादा बातचीत कभी नहीं हुई। लेकिन मैं पूछना चाहता हूँ कि जब लोग आपको ‘हब्शी’ बुलाते हैं तो 3


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