शीत संस्करण
खिड़की आवाज़ अंक #8
12 पन्ने
सामान्य नज़रों से ओझल
हौज़ खास का प्रेत
2
3 मौसम की रिपोर्ट
फ र व र ी - अ प्रै ल 2 0 1 9
आबिजान, ऐवेरी कोस्ट
मु र ि ए ल्ले अ हू रे
के सहयोग से
मेहरौली के छुपे खिड़की की मातृसत्ता हुए रत्न की कहानियाँ
5 11
वं श ावली के
रखवाले से
एक मुलाकात
गर्म, बादल से घिरा और बीच-बीच में आँ धी-तूफ़ान
दिल्ली, भारत
च ि त् रा व ि श्व न ा थ
शहर के विस्तार में फै ले हुए हमारे शहरी गाँ व , अनोखे तरीक से जु ड़े हुए हैं , पारम्परिक रिकॉर्ड रखने वालों के अभिले ख ों में । एकता चौहान हमें इन इतिहास का रिकॉर्ड रखने वालों और इस विलु प्त होती परं प रा के बारे में हमें बता रही हैं ।
इ
ठं डा-शुष्क अप्रैल तक गर्म
काबुल, अफगानीस्तान
रा न ी सु रै य् या
बारिश के साथ ठण्ड अप्रैल तक गर्म
किन्शासा, कॉन्गो
अ र्ले टे सौदान - न ो न ॉ ल्ट
तिहास की छात् रा होने पर, मैं ने कई बार अपने गाँ व के इतिहास को जानने की कोशिश की। कोई भी समु द ाय अपने इतिहास, सं स ्थापकों और रीतिरिवाज़ों पर गर्व करता है । लेक िन मु झे यहाँ की इमारतों पर कु छ पठन समाग्री के अलावा कु छ भी नहीं मिला। हमारे क्षेत्र का कहीं भी कोई निशान नहीं था, सिवाय दिल्ली सरकार की सू ची के , जिसमें इसे एक ‘शहरी गाँ व ’ का दर्जा दिया गया है । महीनों तक किताबों और इं ट रने ट पर खोजने के बाद मैं ने अपने पिताजी से पू छ ा,”गाँ व की हिस्ट्री मु झे मिल नहीं रही है , आप लोगों को कै से पता
है ? ” खिड़की गाँ व और आसपास के गाँ व के लोग, अपने वं श ावलीसम्बन्धी रिकॉर्ड , भट्ट की सहायता से बड़ी बारीकी से सं भ ाल कर रखते हैं । भट्ट लोग एक घु म क्कड़ समु द ाय है , जो एक गाँ व से द स ू रे गाँ व , कहानियाँ सु न ाते जाते हैं , और परिवारों के वं श वृ क्षों का रिकॉर्ड रखते हैं । खिड़की गाँ व के वर्तमान भट्ट, नाथू राम राय हैं । वे यहाँ 2010 में आये थे , अपने रिकॉर्ड द रु ु स्त करने के लिए। अपनी पीढ़ी के अन्य लोगों की तरह, मु झे उनके यहाँ आने की बिलकु ल भी जानकारी नहीं थी। अब जब मु झे इनके बारे में पता चल गया है , तो
‘दिल्ली की खिड़की’ नाम का, मौखिक इतिहास का प्रोजेक्ट सिटीजन्स आर्काइव ऑफ़ इं डियाके सहयोग से संभव हो पाया। दायें: नाथूराम भट्ट अपनी पोथी में से पढ़ते हुए। नीचे: चक्रवर्ती लिपि में खिड़की गाँव की पोथी।
मु झे इन्हें खोजना ही था। वे सोनीपत के पास झखोली गाँ व में रहते हैं , तो उन्हें खोजने के लिए मैं निकल पड़ी।
गर्म, बादल से घिरा और बीच-बीच में आँ धी-तूफ़ान
लेगोस, नाइजीरिया
च ि म ा मं ड ा न ् गो ज ़ी अ ड ी च ी
गर्म और आं शिक धुप, छिटपुट बारिश
मोगदिशु, सोमालिया
ड ॉ ह ावा अ ब् दी ढ ि ब लावे
गर्म और आं शिक धुप, अप्रैल तक गर्म
पटना, भारत
प्रेरणादायक महिलायें, रेखाचित्र: अरु बोस
शहरी गाँव विशेषांक
आशा खे म क ा
गर्म और सूखा, अप्रैल तक गर्म
वे एक चटाई पर बै ठे , बीड़ी फँू क रहे थे , जै से ही मैं वहां पहुँ ची, उन्होंने तु रंत पोथी निकाल ली। उनके पास बहु त सी पोथियाँ थी, उसके अधीन सभी गाँ वों के लिए एक एक। उसका घर एक रिकॉर्ड रूम की तरह ही था, बल्कि उसका पू र ा घर इस तरह के दस्तावे जों से भरा हु आ था। लेक िन हर व्यक्ति को सिर्फ अपने ही गाँ व के रिकॉर्ड दे ख ने की इज़ाजत होती है , तो उन्होंने मु झे खिड़की गाँ व की पोथी दिखाई। उस पुस्ति का को कलावा से
बां ध ा हु आ था और उसके कवर को स्वास्तिक के निशान से सजाया गया था, मानो कोई धार्मिक किताब हो। पोथी में , मे री पहली नज़र उसकी ख़ास लिपि पर पड़ी। मु झे लगा ये दे व नागरी होगी, लेक िन वह चरक्र वर्ति लिपि थी, यह इतनी रहस्यमय है कि स्टेट के रिकॉर्ड दस्तावे जों में भी इसका कोई ज़िक्र नहीं है । नाथू बाबा ने यह लिपि अपने पिता से सीखी थी और अब वे इसे अपने छोटे बे टे को सीखा रहे हैं । यह लिपि हिंदी, उर्दू, सं स ्कृत और पं ज ाबी के टु कड़ों से मिलकर बनी है और इसे मु ठीभर भट्ट और पां ड ा ही पढ़ और समझ सकते हैं । मैं एक भी शब्द नहीं समझ 8
नीतियों का राष्ट्री य और अं त र्राष्ट्री य मं च पर प्रत िनिधित्व करती थी। इसके बाद हैं मानव अधिकार कार्यकर्ता और फिजिशियन डॉक्टर हवा अब्दी ढिबलावे , जिनका ग् रा मीण सोमालिया में औरतों के स्वास्थ्य से जु डी से व ाओं को रूप दे ने में अहम योगदान रहा है । नाइजीरिया की चिमामं ड ा न्गोज़ी अडीची एक नारीवादी लेख िका हैं , जिन्हें “व्हाई वे शु ड आल बी फेमिनिस्ट” और “पर्पल
हिबिस्कु स” जै सी कविताओं के लिए 2008 में मै क आर्थर ग् रां ट से सम्मानित किया गया है । कोंगो की टू रिज्म और एनवायरनमें ट की मं त्री अर्ले टे सौदाननोनॉल्ट कोंगोली राजनीती में आने से पहले एक बड़ी पत्रकार और न्यूज़ एं कर थीं। मुर िएल्ले अहू रे आईवरी कोस्ट की बड़ी एथलिट हैं , जो अपने दे श का ओलिंपिक, वर्ल्ड और अफ़्रीकी चैंपि यनशिप जै सी प्रत ियोगिताओं 3
दनिया भर की साहसी औरतें ु
अ
अरु बोस
गर आप एक अलग दनि ु या की कल्पना करेंगे , या एक समां त र वास्तविकता या एक खास विश्व ने त ा के बारे में सोचें गे , तो आपके जहन में क्या चित्र आये ग ा? हम सभी के साथ यह अक्सर होता है कि हमारी कल्पना वास्तविकता और जो हम जानते हैं से आगे नहीं
जाती। इसलिए, गाँ धी, ने ह रू, मडिबा या मार्टिन लू थ र किंग की छवियाँ हमें दिखाई दें गी। अगर मैं आपसे खास औरतों की कहानियाँ साझा करूँ तो, जिन्होंने खुद के लिए एक अलग ज़िन्दगी चु नी, जै सी की हम आज कल्पना कर पा रहे हैं , उसे प्र भ ावित किया- 1920 के दशक में , अफ़ग़ानिस्तान की रानी सोराया पहली औरत थी, जो अफगानी