Indian Comics Fandom (Volume #11)
News, photos and Updates: Diamond Comics, Tinkle, Campfire Graphic Novels, Tamil Comics, Champak, Lot Pot, Jasoos Babloo, Red Streak Publications, Raj Comics, Amar Chitra Katha, Holy Cow Entertainment, Meta Desi Comics, TBS Planet Comics, Yali Dreams Creations, Anik Planet, Kavya Comics, Premeir Artfx Studio, Green Humor, MB Comics Studio. Special: Artist-Author Akshay Dhar Interview, Late Writer Ved Prakash Sharma (Tribute), Artist Gaman Palem, ICF Awards 2016 Champions Corner Contributors: Vipul Dixit, Vyom Dayal, Aakash Kumar, Mohit, Avyact, Youdhveer Singh, Rishabh Kurmi, Sanjay Singh Editor: Mohit Trendster Freelance Talents (March 2017)
*) - Red Streak Publications
Ashes – Adish Origin
Mr. Abhishek Bose (Comic Con India - Delhi, December 2016)
Adhish-Epiphany
*) - Girl with a Red Nose Ring
Horror Graphic Novel, Sivappu Kal Mookuthi / Girl with a Red Nose Ring (MB Comics Studio)
Creator and Writer - Nandhini JS Illustrators - Magesh.R and Sainath.B Assistant Writer - Gerald Rakesh Synopsis: A young man struggles against a deadly supernatural entity who possesses his loving wife when she wears a mysterious red nose ring.
*) - Inspector Rishi
Inspector Rishi is a detective comics (webcomics) series written and illustrated by Nandhini JS. It follows the mystery-solving adventures of Rishi Nandhan, a fictional police inspector from the Criminal Investigation Department, Tamilnadu, India.
The first story in the series, 'The Legend of Vana Yakshi' has been conceptualized by Nandhini JS along with freelance writer Sujatha Natarajan. In this, the skeptic and quickminded Rishi investigates a series of bizarre murders in a small mountain village supposedly by a mythical ‘vana yakshi’ (native name for a blood sucking forest nymph). Read it online at http://inspectorrishi.in/ Available in Tamil and English.
*) – Magazines
*) - Karna: Victory in Death (Campfire Graphic Novels)
ACK Workshop
*) - Holy Cow Entertainment
Superhero Caster
*) – Tamil Comics
Tamil Comics - Moolai Thirudargal (மூளை திருடர்கை் ) starring Johny Nero & Stella
Artist Gaman Palem
Gaman Palem is an Indian comic book illustrator. He has illustrated more than 100 Indian children's comics, working mainly on mythological subjects. Education in Mass Communication took Gaman Palem, Chennai, to procure a doctorate degree in the same subject from the Madurai Kamaraj University, Tamil Nadu. However, Palem’s mind was not glued to academics. A true graphic visualizer and an avid follower of graphic novels from all over the world, Palem decided to set sails into the larger ocean of graphic visualizing and today he is one of the highly acclaimed graphic designers and an artist who uses graphic novel format as a medium to express his ideas. With a deep understanding of Indian mythologies as well as their regional versions and interpretations, Gaman Palem makes use of his knowledge for creating a series of works that blend the mythical characters to contemporary contexts. Gaman's first series of eight picture books, The Golden Mythology Series, won the National Award for Excellence in Printing Children's Books. Gaman Palem worked at Loyola College of Education in Chennai, Tamil Nadu, was a visiting faculty at Raffles College, a creative consultant in many publishing houses and animation studios. He became interested in comics at a very young age of two. Later, it just became a passion. He also works in 3D animation, but is more interested in creating graphic novels and comics. Gaman's artistic style is influenced by Indian iconography,
combining the traditional illustration techniques of watercolour, pen and ink with modern digital techniques. His debut art show was in September at The United Art Fair 2012. An exhibition on Freedom to March with Ojas Gallery 2013, New Delhi, where he interpreted Mahatma Gandhi, Dandi march, in his unique graphic novel format and in Punebiennale 2015 with 'Swachh Bharath' in his own unique graphic narrative manner. Gaman Palem lives and works in Chennai. His works have been published in major graphic magazines, journals and he has exhibited widely in India.
*) – Anik Planet
(January 2017 Issue) Publisher – Comics Our Passion
December 2016 Issue
*) - Nonte Phonte
Nonte Phonte is a Bengali comic-strip (and later comic book) creation of Narayan Debnath which originally was serialized for the children's monthly magazine Kishore Bharati. The stories featuring in the comic strips focusses on the trivial lives of the title characters, Nonte and Phonte, along with a school-senior, Keltuda, and their Hostel Superintendent. The comics have appeared in book form and have been recreated since 2003 in colour. A popular animation series based on the characters has also been filmed.
Batul the Great
*) – Kavya Comics (Freelance Talents)
Kavya Comics (Volume 4)
Kadr (Kavya Comics Series) Illustrator – Deepjoy Subba Colorist – Harendra Saini Writer, Poet – Mohit Sharma (Trendster) Letterer – Youdhveer Singh
Jug Jug Maro #1 – Muawza Illustrator – Abhilash Panda Colourist – Harendra Saini, Jyoti Singh Writer – Mohit Sharma Trendser Letterer – Youdhveer Singh
*) - स्वगीय वे द प्रकाश शमाा जी को श्रद्ाांजलि
मुझे हहिं दी साहहत्य की कुछ बातें कभी समझ नहीिं आईिं। वेद प्रकाश शमाा की खामोश मृत्यु ने बहुत से प्रश्न मन में खड़े हकये। करोड़ोिं लोगोिं द्वारा पढ़े गए लेखक के न तो कोई इिं टरव्यू हकसी पत्र पहत्रका और टी वी में मुझे हदखे न ही हकसी साहहत्यत्यक सिंस्था ने उन्हें कभी सराहा। पु रुस्कार तो दू र। जब व्यावसाहयक हसनेमा के लेखकोिं हनदे शकोिं को पद्मश्री जै से पु रुस्कार हमले तब इतने सस्ते में बेहद मनोरिं जक और मौहलक हलखने वाले लेखक को क्ोिं नहीिं। हहिं दी साहहत्य में मैंने एक अजीब झुकाव दे खा हक जो भी बहुत प्रचहलत हो जो भी हकताब या रचना बहुत हबके उसे कुछ दरहकनार कर दो। हजसमें भी बेचने की प्रवृहि हो , व्यवसाय हो आम पाठकोिं तक पिंहुचने या लोकहप्रय होने की प्रवृहि हो उसे रचना को पढ़े और समझे हबना ही घहटया, बाज़ारू ,लुगदी साहहत्य जै से नाम दे दो। मैंने प्रे मचिंद, जयशिं कर प्रसाद,शरतचिंद्र,हशवानी,अमृताप्रीतम, मन्नू भिं डारी,महादे वी वमाा , अज्ञेय, हनमाल वमाा श्रीलाल शु क्ल , वगैरह को पढ़ा तो वे द प्रकाश शमाा और सु रेंद्र मोहन पाठक को भी। कोई भी रचना, पररवेश, चररत्र ,घटनाओिं के तारतम्य ,समय काल, क्लाइमेक्स की अहनहितता, पात्रोिं की सिं वेदना से हदल को छूती बनती है और यही तो साहहत्य है । हिर वे द प्रकाश के उपन्यासोिं में भी अच्छाई की ही जीत अिंततः होती थी। सरोकार और सन्दे श तो थे ही। मनोरिं जन की प्रमुखता के बावजूद। उनके चररत्र आम जीवन के थे और चररत्र हचत्रण बेहद सु दृढ़ था। उनके वाक् मत्यस्तष्क में वीहडयो से हचत्र उकेर दे ते थे और पात्रोिं से नायक की हर खोज़ पर गवा का अहसास दे ते थे मानो वो नायक हमारा अपना कोई हो। जानबूझ कर त्यक्लष्ट हलखना ही हहिं दी साहहत्य तो नही िं? दू सरा हहिं दी में हहिं दी के प्रोिेसर और हहिं दी के हशक्षकोिं से परे अन्य व्यवसाय से हलखने वाले लोगोिं के हलए बड़ी मोटी दीवारें बना दी गईिं। जबहक अलग अलग पररवेश और व्यवसायोिं से आने लेखकोिं से रचनाओिं में हवहवधता और नए प्रयोग आने की सम्भावना बढ़ ज़ातीिं है । सफ़लता की प्रहिया को इस क्षे त्र में जानबूझ कर बड़े त्यक्लष्ट, और दृढ हनयमोिं के द्वारा धीमा बना हदया गया। हहिं दी साहहत्य से हकसी
प्रकाशक को अच्छी कमाई होना और लेखक के पररवार का गुज़र हो सकना असिं भव है । ऐसे में नयी प्रहतभाओिं को न तो अच्छे प्रकाशक हमलते न ही पाठकोिं को अच्छी हकताबें। नयी पीढी तो वै से भी हहिं दी पढ़ने के नाम से मुिंह बनाती है । भारत के मुख्य लेखकोिं के नाम पू छो तो चे तन भगत, शोभा डे , अमीश हत्रपाठी जै से अिं ग्रेज़ी लेखकोिं के ही नाम लोग दे खेंगे हपछले एक दशक में। मज़े दार बात आत्म मुघ्द, हम हहिं दी वाले इन लोकहप्रय लेखकोिं को भी स्तरहीन कह कर दरहकनार कर जाते हैं । लेहकन नयी हहिं दी हकताबोिं को इस स्तर पर लोकहप्रय बनाने और माकेहटिं ग के कड़वे सच को स्वीकारने हम तैयार नहीिं। हबना पैसोिं के अच्छी हकताबें , अच्छा हडस्ट्र ीब्यू शन असिं भव है । ऐसे में वेद प्रकाश शमाा ने जो हकया वह बेहद प्रशिं सनीय है । बेहद सस्ती ,सु लभ हकताबें ज़गह ज़गह ,स्ट्े शन स्ट्े शन। ऐसी कालजयी रचना का क्ा अथा जो मात्र 10 लोगोिं द्वारा पढी गयी हो। पु रुस्कृत हो। लेहकन आलमारी में धूल िािं कते या लेखक के झोले से फ्री हगफ्ट के रूप में बिंटती हो। सु नील गावस्कर आया तो सबने कहा अब कोई न आएगा.... सहचन आ गया। सहचन था तो हम सब कहते रहे अब कोई न आएगा..... हवराट आ गया। लेहकन हहिं दी साहहत्य में रचनाओिं का लेखकोिं का सू खा क्ोिं नज़र आता है ? जबहक मानव मत्यस्तष्क समय के साथ हर क्षेत्र में पररष्कृत ही होते जाता है । हिर हहिं दी साहहत्य में क्ोिं कोई नया बड़ा नाम नहीिं हदखता। वज़ह प्रहतभा की कमी तो हो ही नहीिं सकती क्ोिंहक प्रकृहत समयकाल में ऐसा असुिं तलन कभी नही िं रखती। वज़ह उस पूरे अज़ीब से त्यक्लष्ट ,बिंद अँधेरे कमरे से हसस्ट्म में है हजसमें न तो पारदहशा ता है न ही कोई सुलभ मिंच। उस बिंद ,सीडन भरे पु राने अँधेरे कमरे का दरवाज़ा ही नया लेखक ढूिंढ नहीिं पाता। कुिंहठत हो लौट जाता है । 90 प्रहतशत हहिं दी भाषी या भाषा को समझने वाले दे श में 10 प्रहतशत अिंग्रेज़ी साहहत्य की अमीरी के और हहिं दी के हाहशये में जाने के मुख्य कारण हैं , त्यक्लष्टता, आत्ममुघ्दता, आत्म केंहद्रत, गुट बाज़ी, बेहद पु राने हनयम और एक दू सरे को आगे न बढ़ने दे ने, आम पाठक को सतही समझने की प्रवृिी का हशकार है हहिं दी साहहत्य की मुख्य धारा। जहाँ रचना को नहीिं रचनाकार को पढ़ा जाने लगा। हफ़र कोई रचना किंप्यूटर पर टाइप हो, मोबाइल पर या कागज़ पर रहे गी तो रचना ही। लेहकन इिं टेरने ट पर हलखने वालोिं को लुगदी साहहत्य की ही तरह सतही साहहत्य कह दरहकनार करने की प्रवृ हि भी हदखती है । वे लोग रचना को नहीिं , माध्यम को और रचनाकार को महत्त्व दे ने लगे। जबहक आज अिंग्रेज़ी हकताबोिं का मुकाबला सही मायनोिं में ऑनलाइन उपत्यस्थहत वाले लेखक ही कुछ हद तक कर पा रहे हैं । करोड़ोिं लोगोिं को मन्त्र मुघ्द करती रचनाएँ लल्रू , वदी वाला गुिंडा बुरी कैसी हो सकती हैं । हजस तरह व्यिं ग्य एक हवद्या है साहहत्य की, जासूसी लेखन को भी वह स्वीकाया ता हमलनी ही चाहहए। हालाँ हक मैं इस बात से सिं तुष्ट हँ हक महान वेद प्रकाश शमाा कॉिी हाउस की गुटबाहज़योिं , पु रुस्कारोिं की जोड़ तोड़, पहत्रकाओिं की लल्रो चप्पो, सेहलहिटी और राजनीहतज्ञोिं के तलवोिं के मोहताज़ कभी नहीिं रहे । बस हलखते रहे और हदलोिं में राज़ करते रहे । उनकी सफ़लता सच्चे मायनोिं में एक लेखक की सफ़लता है । उन्हें हदल से श्रद्ािं जहल। अव्यक्त अग्रवाल ================
कहते हैं हक हररद्वार में रहने वाले गिंगा जी में नहीिं नहाते । वैसे नहाते तो होिंगे पर कहने का मतलब यहाँ कुछ और है ...हक जो बात करने में बहुत आसान हो उसे हम "ये तो कभी भी हो जाएगा" कहकर टाल दे ते हैं । आज प्रख्यात लेखक वे द प्रकाश शमाा जी के हनधन का समाचार हमला। 2015 में Parshuram Sharma जी का साक्षात्कार हलया था, उसके बाद उनसे कभी-कभार हमलना हो जाता था। वैसे परशु राम जी से हमलना एक सिंयोग था, नहीिं तो शायद वह बात भी टालता रहता। एक-दो बार तो यूँ ही टहलते हुए हमल गए। Ved prakash sharma जी से मेरठ में हमलना हकसी ना हकसी कारण से टलता रहा। हदसम्बर 2013 में हदल्री में आयोहजत कॉहमक िेस्ट् इिं हडया इवें ट में उन्हें नमस्ते कर बस उनके हाल-चाल पू छ पाया और एक-दो बार कहीिं जाते हुए उनकी झलक हदखी। मैंने तु लसी कॉहमक्स में उनकी हलखी कुछ कॉहमक्स पढ़ी और कुछ उपन्यास पढ़े । बाद में एक हमत्र ने बताया हक मेरे पास रखे उपन्यास वेद जी की बेस्ट् सेलर कृहतयािं नहीिं हैं । हिर वही टालने की आदत में सोचा कभी बाद में आराम से पढता हँ । अब लगता है जब मैं मेरठ में रहता था तो हकतने हदन ऐसे थे जब मैं उनके पास जा सकता था और उनका साक्षात्कार ले सकता था। जब आप हकसी कलाकार, रचनाकार के साथ तसल्री से बैठते हैं तो उनके अनुभव, मेहनत के असिंख्य क्षणोिं के हनचोड़ के कुछ कणोिं का अमृत वो हनस्वाथा आपसे बाँ ट लेते हैं । एक सबक मेरे और आप सबके हलए हक काम होने से पहले उसे पू रा हकया हुआ ना मान बैठें। वेद जी को नमन व श्रद्ािं जहल! भगवान उनकी आत्मा को शात्यि दे । RIP - मोहहत शमाा
*) - Interview with Akshay Dhar (Meta Desi Comics) - ल ां दी साक्षात्कार
कािी समय से कॉहमक्स जगत में सिीय लेखक-कलाकार-प्रकाशक अक्षय धर का माचा 2016 में साक्षात्कार हलया। जानकार अच्छा लगा हक भारत में कई कलाकार, लेखक इतने कम प्रोत्साहन के बाद भी लगातार बहढ़या काम कर रहें हैं । पे श है अक्षय के इिं टरव्यू के मुख्य अिंश। - मोहहत शमाा ज़हन Q - अपने बारे में कुछ बताएां ? अक्षय - मेरा नाम अक्षय धर है और मैं एक लेखक हँ । लेखन मुझे हकसी भी और चीज़ से ज़्यादा पसिंद है । मैं मेटा दे सी कॉहमक्स प्रकाशन का सिंस्थापक हँ । अपने प्रकाशन के हलए कुछ कॉहमक्स का लेखन और सिंपादन का काम भी करता हँ । अपने काम में हकतना सिल हँ , यह आप लोग बेहतर बता सकते हैं ।
Q - प िे और अब आलटा स्ट व िे खकोां में क्या अां तर म सू स लकया आपने? अक्षय - कॉहमक्स के मामले में ज़्यादा अिं तर नहीिं लगता मुझे, क्ोहक हवदे शो की तु लना में भारत में कभी भी उतना हवस्तृ त और प्रहतस्पधाा त्मक कॉहमक्स कल्चर नहीिं रहा। हाँ हपछले कुछ वषों में हवहभन्न कलाकारोिं, लेखकोिं का काम दे खने को हमल रहा है । हिर भी पहले लेखकोिं की िोल्रोहविं ग अहधक थी, यह त्यस्थहत धीरे -धीरे हचत्रकारोिं, कलाकारोिं के पक्ष में झुक रही है । भारत के साथ-साथ अन्य दे शो के कॉहमक इवेंट्स में लेखकोिं की तुलना में कलाकारोिं अहधक आकषा ण का केंद्र रहते हैं । अब कॉहमक्स की कहाहनयोिं और कला में बेहतर सिं तुलन दे खने को हमल रहा है । Q - आपके पसां दीदा किाकार, िे खक और क्योां? अक्षय - मेरे पसिं दीदा लेखक और कलाकार पािात्य प्रकाशनोिं से हैं क्ोहक वहािं जै से प्रयोग, अनु शासन और अनुभव भारत में कम दे खने को हमलते हैं । लेखकोिं में मैं Mark Waid, Greg Rucka, Jim Zum, Jeff Parker, Grant Morrison, Garth Ennis, Gail Simone and Warren Ellis का काम बड़े चाव से पढता हँ । कलाकारोिं में Geof Darrow and J.H.Williams. हालािं हक, Adam Hughes, Stjepan Sejic and Darick Robertson जै से आहटा स्ट््स का काम मुझे अच्छा लगता है । Q - अपने दे श में कॉलमक्स का क्या भलवष्य दे खते ैं ? अक्षय - भारत में बहुत सम्भावनाएिं है । कला, कहाहनयोिं-हकवदिं हतयोिं-हकस्ोिं के रूप में हमारे पास अथाह धरोहर है । हमारे इहतहास में इन कलाओिं के कई उदाहरण है । इतनी सिं भावनाओिं के होने के बाद भी आम दे शवासी का नजररया कॉहमक्स के प्रहत बड़ा नकारात्मक और हनराश करने वाला है । अगर लोग कॉहमक्स को बच्चोिं की तरह बड़ो के हलए भी माने और उनको साहहत्य में जगह दें । कॉहमक्स को नकारने के बजाये एक कहानी, हशक्षा को बताने का साहहत्यत्यक तरीका मानें , तो भारतीय कॉहमक्स बहुत जल्द बड़े स्तर पर आ जाएिं गी।
Q - इां लडपेंडेंट कॉलमक्स प्रकालशत करना इतना मु श्किि काम क्योां ै ? अक्षय - भारत में इिं हडपें डेंट कॉहमक्स बनाना और प्रकाहशत करना बहुत मुत्यिल हैं , क्ोहक 1. "बचकानी चीज़" कॉहमक्स की जो छहव बनी है दे श के लोगो के हदमाग में वो सबसे बड़ी बाधा है । लोगो को थोड़ा लचीला होना चाहहए।
2. दु भाा ग्यवश, पहले से ही कम कॉहमक पाठकोिं में अहधकतर भारतीय कॉहमक िैंस कुछ हकरदारोिं या 2-3 प्रकाशनोिं के अलावा हकसी नयी कॉहमक को पढ़ना पसिंद नहीिं करते। बैटमैन, नागराज, चाचा चौधरी पहढ़ए पर नए प्रकाशनोिं को भी ज़रूर मौका दीहजये । Q - अब तक का अपना सबसे चु नौतीपू र्ा और सवाश्रेष्ठ काम लकसे मानते ैं और क्योां? क्षय - ग्राउिं ड जीरो ऍिंथोलॉजी के अिं हतम 2 कॉहमक्स के बारे में सोचकर गवा महसू स करता हँ । यह काम दजान भर से अहधक उन लोगो की ऐसी टीम के साथ हकया हजन्हे कॉहमक्स के बारे में कोई अनु भव नहीिं था। मुझे प्रकाशन का अनुभव नहीिं था हिर भी हजस स्तर की ये कॉहमक्स बनी है दे ख कर अच्छा लगता है । साथ ही पाठको को हर कॉहमक्स के साथ हमारे लेखन, कला में सु धार लगेगा। रै टर ोग्रेड के हलए मन में एक सॉफ्टस्पॉट हमेशा रहे गा। हदल्री में आयोहजत, भारत के पहले कॉहमक कॉन में पॉप कल्चर द्वारा प्रकाहशत मेरी यह कॉहमक पाठकोिं द्वारा कािी सराही गयी थी। यह एक बड़ी कहानी है , हजसे मैं आगे जारी करना चाहता हँ , हजसपर हवचार चल रहा है । अभी तक इवें ट्स में लोग हमारे स्ट्ाल पर रूककर इस कॉहमक, कहानी के बारे में पू छते हैं । Q - मेटा दे सी कॉलमक्स के अब तक के सफर के बारे मे बताएां । अक्षय - मेटा दे सी कॉहमक्स की शुरुआत मैंने उन प्रहतभाओिं को मौका दे ने के हलए की थी, हजनसे मैं अपने दे श भर में कॉहमक इवेंट्स के दौरान हमला था। अपनी तरि से कुछ कलाकारोिं, लेखकोिं की मदद के हलए यह कदम उठाया था। धीरे -धीरे इसका इतना हवस्तार हुआ हक अब मेटा दे सी की अच्छीखासी िॉलोइिं ग है । ग्राउिं ड जीरो सीरीज में 3 कॉहमक्स आने के बाद अब हमनें पाठको की मािं ग पर अहभजीत हकनी द्वारा बनाए गए होली हे ल को अलग कॉहमक दी है । जातक माँ गा के रूप में हमारी वेबसाइट पर वे बकॉहमक चल रही है । हजसमे हम हबना शब्ोिं का प्रयोग कर माँ गा स्ट्ाइल में जातक कथाएिं बना रहें हैं । हाल ही में चेररयट कॉहमक्स के साथ हमलकर एक नयी लाइन आईसीबीएम कॉहमक्स की शु रुआत की है , हजसमे पाठको को अलग अिंदाज़ में कुछ कॉहमक्स हमलेंगी। ऐसा करने से प्रकाशन में हमारा खचा भी साझा हुआ है ।
Ground Zero (Vol. 1) Q - कॉलमक कॉन जै से इवें ट्स में क्या सु धार ोने चाल ए? अक्षय - कॉहमक कॉन में दोनोिं तरह की बातें है । एक तरि इतने बड़े इवें ट के रूप में कई इिं हडपें डेंट पत्यिशर, रचनाकारोिं को एक प्ले टिामा हमलता है , वही िं दू सरी और उनपर मकेंडाइज, हगफ्ट आहद किंपहनयोिं को अहधक स्ट्ाल दे कर कॉहमक इवें ट को डाइल्यू ट करने की बात कही जाती है । मेरे मत में अगर प्रकाशनोिं से उन्हें पयाा प्त सेल नहीिं हमल रही तो अपना व्यापार बनाए रखने के हलए और आगे के इवेंट्स करने के हलए उन्हें अन्य किंपहनयोिं की ज़रुरत पड़ती है । यह कम करने के हलए हमे इवेंट्स पर और कॉहमक्स िैंस की ज़रुरत है । जो हमारी कॉहमक्स खरीदें और हमे बताये हक हम क्ा सही कर रहें है , कहाँ हम गलत हैं , हकस हकरदार या रचनाकार में क्ा सम्भावनाएिं है । Q - भलवष्य में कॉलमक्स से जुडी योजनाओां के बारे में जानकारी साझा कीलजये । अक्षय - अभी कुछ प्रोजेक्ट्स शु रुआती चरण में है हजनके बारे में बताना सिं भव नहीिं। वैसे इस साल चेररयट कॉहमक्स के साथ हमलकर 3 कॉहमक्स प्रकाहशत करने की योजना है । हजनमे से एक होली हल का तीसरा अिंक होगा। Q - कई पाठक कम प्रचलित या नए प्रकाशन की कॉलमक्स, नोवे ल्स और लकताबे खरीदने से डरते ै । उनके लिए आपका क्या सां देश ै ? अक्षय - मेरा यही सिंदेश है हक हम लालची नहीिं है , कला-कॉहमक्स और अिंतहीन काल्पहनक जगत के प्रहत अपने जनून के हलए कर रहें है । जै सा लोग कहते हैं हसिा जनू न से पे ट नहीिं भरते इसहलए हमे आपके सहयोग और मागादशा न की आवश्यकता है । यह हबल्कुल ज़रूरी नहीिं हक हजस चीज़ से आप अिंजान होिं वह अच्छी नहीिं होगी। नयी प्रहतभाओिं को मौका दीहजये , कुछ नया मनोरिं जन आज़मा कर दे त्यखये.....हो सकता है आपके सहयोग से कई कलाकारोिं का जीवन सिल हो जाए। बहुत-बहुत धन्यवाद! ==========
*) - Green Humour Webcomic
*) - मे रा कालमक सां ग्र - सां जय लसां
2011 Comic Con India 8 साल हो गए है हहिं दी काहमक्सो से सिंबिंहधत हवहभन्न आनलाईन ग्रुप्स, िारम, कम्यू हनहटस, इत्याहद मे एक सहिय काहमक िैन के तौर पर हवचार-हवमशा , पररचचाा , इत्याहद करते हुए। हहिं दी काहमक्सोिं से जुडे हुए कई सारे पहलओ पर अपने हवचारो का रखा है । हिर चाहे वो राज काहमक्स की काया शैली की समीक्षा हो या आजकल चल रही काहमक्सोिं की कालाबाजारी की हनिं दा। अगस्त 2008 मे जब मैंने राज
काहमक िारम को ज्वाईन हकया था तब मेरा मकसद था काहमक्सोिं से जु डी हुई अपनी यादोिं को ताजा करना। लेहकन उसी साल अक्टू बर मे कुछ ऐसा हुआ हक काहमक्सोिं से जु डी हुई यादोिं को ताजा करने का एक और तरीका हमल गया। ये था पहला “नागराज जन्मोत्स”। और वो तरीका था काहमक्से सिं ग्रह करने का। 2008 नागराज जन्मोत्सव मेरे हलए कई मायनोिं से यादगार और खास रहा। एक खास वजह तो ये ही थी हक मैं पहली बार अपने हप्रय हचत्रकारोिं और लेखकोिं से हमल रहा था। लेहकन एक दू सरी वजह भी थी हजसने मेरे काहमक के जु नून को उस हदन कई गुणा बढा हदया। मैं पहली बार ऐसे काहमक िैन्स से हमला हजनमे मेरी ही तरह काहमक के हलए बेइतिं हा दीवानापन था। यहािं मैं रहव यादव का नाम लेना चाहँ गा जो उस भाग्यवादी हदन मुझे वहािं हमला था। काहमक्सोिं के प्रहत लोगो का प्यार दे खकर मुझ मे और मेरे दोस्त आकाश मे एक नए जोश का सिं चार हुआ और इस काया िम से प्रे ररत और उत्साहहत हो कर हम दोनो ने अपने काहमक सिं ग्रह को बढाने का हनिय हकया। इससे पहले मेरे पास मुत्यिल से 50 या उससे भी कम काहमक्से थी और वो भी हसिा ध्रुव की काहमक्से । इस वक्त मे एक बहुत कम वेतन वाली नौकरी कर रहा था। (हजसे मैंने नवम्बर 2008 मे छोड भी हदया था और उसके बाद 2 साल तक बेरोजगार रहा) और काहमक्से भी हगनी-चु नी लेता था। ध्रुव, नागराज की आिं तकहताा और नागायाण सीररज। हालािं हक उस वक्त और भी अच्छी सीररजे आ रही थी दू सरे हीरोज की लेहकन पैसे की कमी के चलते उन्हे प्राथहमकता दे ने मेरे बस की बात नही थी। तो अब ये तो सोच हलया था हक काहमक्से खरीदनी है लेहकन नई काहमक्सें खरीदना अभी है हसयत से बाहर था। तो ये हनिय हकया हक हिलहाल उन काहमक्सोिं को खरीदा जाए हजनको बचपन मे पढा था और हजनकी वजह से आज हम काहमक्सोिं पर इतनी चचाा करने लायक बने । पु रानी काहमक/हकताबोिं के बारे मे सोचते ही ध्यान आया दररयागिंज की सिं डे बुक माकेट का। मैं साल 2007 मे एक बार इस बुक माकेट मे आया था और तब दे खा था हक काहमक्से भी हमल रही थी। उस वक्त इनकी कीमत भी बहुत साधारण हुआ करती थी। अकसर आधे दाम पर हमल जाती थी। हबना हकसी मोल-भाव के। तो मैंने और आकाश ने ये िैसला हकया हक हम हर रहववार को माकेट जाएिं गे काहमक खरीदने। और इसका श्री गणेश भी साल 2008 के अिंत से पहले हो भी गया। शुरु मैं हमारी प्राथहमकता हसिा राज काहमक ही थी। क्ोिंहक उस वक्त काहमक खरीदने की मुख्य वजह उन्हे हसिा पढना ही था। यहािं मैं एक बात बताना चाहँ गा हक मेरा काहमक सिं ग्रहकताा बनने का कोई इरादा नही था। मुझे तो उस वक्त ये मालूम भी नही था हक लोग काहमक्सोिं का भी सिं ग्रह करते है । मुझे 1-2 साल बाद इस बात का पता चला। शुरुआत मे काहमक्सोिं की खरीदारी कािी धीमी रही। उसके एक वजह तो पै से की कमी थी। मैं अपनी नौकरी छोड चुका था। और आगे भी दो साल तक बेरोजगार रहा। दू सरी वजह ये थी हक उस वक्त हम काहमक्से लेने मे बहुत ही नुख्ता-चीनी करते थे । मतलब हक हसिा वही काहमक्से ले रहे थे हजन्हे हम पसिंद करते थे । याहन हक हसिा अपने हप्रय हकरदारोिं की ही काहमक्से ले रहे थे हजनमे राज काहमक्स मे नागराज, ध्रुव आहद की काहमक्से ही मुख्य तौर पर शाहमल थी। उस वक्त मनोज, तु लसी, राधा इत्याहद प्रकाशकोिं की काहमक्से भी हमलती थी लेहकन हमने उस वक्त उन पर कभी ज्यादा ध्यान नही हदया। कभी मन हकया या कोई काहमक अच्छी लगी तभी उसे खरीदा वनाा उन्हे छोड ही हदया। ये सब साल 2008-2009 के बीच हुआ। उस वक्त काहमक्से हम कम ढूिंढ पाते थे लेहकन बाकी चीजो की खरीदारी पर ज्यादा पै से खचा कर रहे थे । दररयागिंज मे जब ज्यादा सिलता नही हमली तो मैंने अपने घर के आसपास काहमक्सोिं को तलाशना शुरु हकया। हकसी जमाने मे नािं गलोई मे काहमक्सोिं की कािी दु कानें हुआ करती थी। और लगभग हर एक बुक हडपो वाले ने कभी ना कभी तो काहमक्से रखी ही थी अपने पास। लेहकन वक्त और तकनीक के साथ काहमक्से अपनी लय बरकरार नही रख पाई और धीरे -धीरे वहाँ काहमक्से हदखनी बिंद हो गई। हिर भी मुझे कुछ दु कानोिं पर उनके हमलने की उम्मीद अभी भी थी। यही सोचकर एक दु कान पर
पहुिं चा। और वहािं तो जै से मुझे खजाना ही हमल गया। ज्यादातर राज काहमक थी और उन मे से मुझे मेरे हप्रय सुपर हीरो सुपर कमािं डो ध्रुव की भी कुछ ऐसी काहमक्से हमल गई जो मैं ढूिंढ रहा था। शाम को िोन करके मैंने आकाश को सारी बात बताई और अगले हदन वो भी मेरे घर आ गया काहमक्से लेने। उसने भी कािी सारी काहमक्से उस दु कान से ली। हिर मैंने कुछ और दु कानोिं पर भी भाग्य को आजमाया और सिलता भी हमली लेहकन बहुत थोडी सी। अब हिर से दररयागिंज की तरि रूख करना पडा। लेहकन अब वहािं हमे अपने मतलब की काहमक्से बहुत कम ही हमल पा रही थी। इसहलए अब काहमक्सोिं को लेकर कुछ ज्यादा उत्साह नही रह गया था दररयागिंज मे। ज्यादातर तिरी ही हो रही थी। सु बह पहुिं च जाते वहाँ , और हर तरह की दु कान दे खकर दोपहर तक वाहपस भी आ जाते । और ऐसा साल 2010 के मध्य तक जारी रहा। लेहकन मैंने और आकाश ने दररयागिंज जाना बिंद नही हकया। चाहे गमी हो, बाररश हो या सदी हो। या हिर 15 अगस्त, 26 जनवरी जै से बडे अवसरोिं पर सुरक्षा के तहत बाजार ही क्ोिं ना बिंद हो। हम जाते जरूर थे । बीच मे हमारा दोस्त रहव भी 1-2 बार हमारा साथ दे ने आया।
अब साल 2010 शुरु हो गया था और हम अपने नए घर मे चले गए थे । अब दररयागिंज और भी दू र हो गया था। अब बाजार मे पहुिं चने के हलए साईकल, रे ल और पै दल यात्रा तीनोिं माध्यमोिं का इस्ते माल हो रहा था। ये समय मेरे हलए कािी मुत्यिल भरा था। क्ोिंहक इतनी मेहनत करने के बाद भी बाजार पहुिं चने पर मुझे कुछ नही हमलता था। ऊपर से अब बेरोजगार हुए डे ढ साल से ज्यादा हो गए थे और सेहविं ग भी खत्म होने लगी थी। इन्ही सब के बीच मे 2010 के शु रु के चार 4-5 महीने हनकल गए। पै से खत्म हो रहे थे , जोश दम तोड रहा था, और उम्मीद ना-उम्मीद मे तबदील हो रही थी। मई का महीना चल रहा था और ऐसे ही खाली हनकला जा रहा था। एक रहववार को मैंने आकाश से कहा हक यहद आज भी कोई काहमक बाजार मे नही हमली तो मैं अगले 3-4 रहववार बाजार नही आऊिंगा। उसने भी मेरी बात का समथा न हकया। लेहकन जै से उस हदन भगवान हमे हपछले डे ढ साल
की कडी मेहनत का िल दे ने वाला था। बाजार मे थोडा घू मने पर हमे एक जगह बहुत सारी काहमक्से नजर आई। वो भी हमिंट किंहडशन मे। राज काहमक्स की बहुत सारी पु रानी काहमक्से हजसमे ध्रुव, नागराज, डोगा, जनरल, आहद सभी तरह की काहमक्से शाहमल थी। हमारी तो खु शी का हठकाना ही नही रहा। कीमत भी बहुत ही साधारण। मात्र 5-10 रु। उस हदन मेरे पास हजतने पै से थे वो सारे काहमक खरीदने मे ही खचा हो गए। लेहकन हमे ये मालूम नही था हक ये तो हसिा शु रुआत है और अगले 1-2 महीने तक हमे इतनी काहमक्से हमलने वाली है हक हमे पै सो की भारी कमी का सामना करना पडे गा। अगले हफ्ते जब हम हिर बाजार पहुिं चे तो हिर से वही दु कानदार ढे र सारी काहमक्से लाया था। इस बार उनमे राज के अलावा मनोज, राधा, तु लसी, गोयल इत्याहद दू सरे प्रकाशकोिं की काहमक्से भी सब एकदम नयी किंहडशन मे। और सोने पर सु हागा ये हक उन काहमक्सोिं मे से कुछ के अिंदर स्ट्ीकसा भी थे । मेरे पास हजतने भी तु लसी काहमक्से के स्ट्ीकसा है वो सारे यही से ली गई काहमक्सोिं से है । अब तो जै से एक नया जुनून सा सवार हो गया बाजार मे आने का। आने वाले 3-4 हफ्ते तक वो बिंदा ढे रोिं काहमक्से लाता रहा और हम भी अपने बजट और जरूरत के हहसाब से काहमक्से खरीदते रहे । इसी बीच मैंने अपने दोस्त हवशाल उिा बिंटी को भी इस बारे मे बता हदया और वो और हमारा एक और दोस्त राहुल भी 1-2 बार काहमक्से लेने के हलए बाजार आए। बिंटी को मैं अपने साथ कुछ और दु कानोिं पर भी लेकर गया और वहािं से भी हमने बहुत सारी काहमक्से खरीदी। इसके साथ ही मेरी और आकाश की मुलाकात कुछ और भी काहमक्स प्रे हमयोिं से हुई। आशीष त्यागी, प्रदीप शेहरावत और शाहहद अिं सारी। (उस वक्त शाहहद अिंसारी हमारे हलए िैन ही थे ) इन लोगो के साथ हमलकर भी खूब सारी काहमक्से खरीदी। शाहहद अिंसारी हमे एक दु कान पर भी लेकर गए हजसके पास बहुत सारी काहमक्से थी। वहािं से मैंने अपने एक िारम के दोस्त अजय हढल्ल्न के हलए भी बहुत सारी काहमक्से खरीदी। सब 5-10 रुपये मे। इसी बीच मेरे एक्जाम शु रु हो गए। एक्जाम के हदनोिं मे ही रहव, आकाश और बिंटी उस दु कानदार के घर पर भी गए जो रहववार को बाजार मे काहमक्से लाता था और उसके घर से भी उन्होिंने कािी काहमक्से खरीदी। बाद मैं िारम का एक और दोस्त (सु प्रतीम) जब अपनी छु ट्टी मे हदल्री आया तो मैंने और आकाश ने उसको बहुत सारी काहमक्से हदलवाई। कुछ तो रहववार बाजार से ही और कािी सारी उस दु कान से हजस पर शाहहद हमे लेकर गया था। इसके अलावा मैंने एक दु कान और ढूिंढ ली थी हजस पर हमे कािी काहमक्से हमली। यहािं से काहमक्से खरीदने वालो मे मेरे, आकाश और प्रदीप जी के अलावा शाहहद अिंसारी भी थे । इस तरह मई से लेकर जु लाईअगस्त तक काहमक्सोिं की कािी खरीदारी हुई। लेहकन अब समस्या ये आ गई हक मेरे पास से हविंग लगभग खत्म हो चुकी थी। नागराज जन्मोत्सव 2010 के बाद त्यस्थहत ये आ गई थी हक अब नौकरी करना जरुरी हो गया था। अब दो साल होने वाले थे हबना हकसी रोजगार के। नवम्बर 2010 मे एक नौकरी हमल गई और पै सोिं की हचिंता कुछ हद तक खत्म हुई। साल 2011 की शु रुआत हपछले साल से भी बेहतर रही। इस साल माचा मे एक दु कानदार के कािी सारी काहमक्से आई थी। लेहकन उनमे से ज्यादातर शाहहद अिंसारी ने ही ले ली थी। मुझे थोडी बहुत ही अपनी पसिंद की काहमक्से हमली। लेहकन उस दु कानदार ने मुझे बताया हक उसके पास घर पर अभी और भी काहमक्से रखी हुई है । मैंने उसका पता और िोन नम्बर ले हलया और शहनवार को उसके घर गाहजयाबाद जा पहुिं चा। वहािं से मैंने अपनी हजिं दगी की अब तक की सबसे ज्यादा काहमक्से एक साथ खरीदी। और वो भी आधे दामोिं मे। उसके पास ज्यादातर राज काहमक्से ही थी। लेहकन उससे मुझे महारावण सीररज की कािी सारी काहमक्से एक साथ हमल गई। और इसके साथ ही मुझे कनकपुरी की राजकुमारी भी हमली। साथ ही और भी बहुत सारी नई-पु रानी काहमक्से हमली। वो हदन एक यादगार हदन रहा मेरी हजिं दगी का। पहली बार हदल्री से बाहर जाकर काहमक्से खरीदना वाकई मेरे हलए एक बेहद खास अनु भव रहा। हिर आगे भी उस दु कानदार से बाजार मे ही काहमक्से लेते रहे जब तक हक उसके पास काहमक्से खत्म ना हो गई हो। इसके बाद शायद अगस्त-हसतम्बर के बाद एक बार हिर से बहुत सारी काहमक्से बाजार आई। शुरु मे तो वो काहमक्सें हमे जायद दामोिं (5-10 रुपए) मे हमल गई। लेहकन जब अगले सप्ताह हम उन्ही दु कानदारोिं पर दु बारा पहुिं चे तो सबने कीमत बढा कर बताई कुछ
तो हप्रिंट पर ही दे रहे थे । हमारे हलए ये पहला ऐसा मौका था जब हम काहमक्से महिं गे दामोिं पर हमल रही थी। हम पुरानी काहमक्से हमेशा 5-10 रुपए मे ही लेते आए थे । अत:एव हमने वो काहमक्से नही खरीदी और उन्हे छोड हदया। बाद मे काहमक्सोिं के हविेताओिं ने वो काहमक्से खरीदी। इसके बाद 2011 मे कुछ खास नही हुआ। 2012 मे तो याद भी नही हक कुछ खास हुआ था या नही। हसिा काहमक कान याद है । इसके अलावा महिूज भाई से मुलाकात हुई और उन्हे कोबी और भे हडया काहमक दी। साथ ही ध्रुव के कुछ हवशे षािं क भी महिूज को हदए थे । बदले मे महिूज ने भी मुझे काहमक्से दी। अब सिं डे माहकाट जाने का भी मन नही करता था। आकाश ने अब माहकाट आना बहुत कम कर हदया था। और मैं ही अकेला आता था। ऐसे ही एक बार 15-20 रुपए मे इिं द्रजाल काहमक्से हमल गई थी। तकरीबन 25-35 काहमक्से थी और ज्यादातर अिं ग्रेजी मे ही थी। एक बार 40 के करीब हटिं कल भी हमली थी। पु रानी हटिं कल हहिं दी और अिंग्रेजी मे। 5 रुपए प्रहत काहमक। काहमक्से अब कम हमल रही थी लेहकन उनकी कीमते हिर भी कािी हनयिं त्रण मे थी। साल 2013 के शु रुआत मे ही मैंने ये मन बना हलया था हक अब ये आत्यखरी साल है काहमक्से कलैक्ट करने का। शुरुआत ठीक-ठाक रही। अप्रै ल मे महिूज भाई का हनमिंत्रण हमला हक उनके शहर सहारनपुर मे कािी काहमक्से है मेरे लायक। वहािं जाकर तकरीबन 1000 रु की काहमक्से खरीदी। सब हप्रिंट रे ट पर ली। बहुत ही बेहतरीन अनु भव रहा दू सरे शहर मे जाकर काहमक्से खरीदने का। बाद मे इसी महीने सागर राणा जी से भी मुलाकात हुई। वो हदल्री आए हुए थे । उन्होिंने मुझे जम्बू की पहली काहमक सुपर कम्पयूटर का बाप दी। महिूज भी उसी हदन हदल्री आया और उसने भी उनसे मुलाकात करी। मैंने महिूज को कोहराम काहमक दी और बदले मे उसने मुझे बुत्यद्पासा दी। वो हदन भी बहुत खास रहा। आकाश भी उस हदन सागर राणा जी से हमलने बाजार आ गया था। अप्रै ल के बाद जुलाई मे मुझे गाहजयाबाद वाले बिंदे से बहुत सारी तु लसी काहमक्से हमली। सब आधे दाम मे। 250 रुपए मे 59 काहमक्से। जु लाई मे ही मेरी मुलाकात िारम मैम्बर स्पाकी रहव से हुई। उसी हदन मैं अयाज अहमद से भी हमला। हिर उसके अगले ही महीने मे मुझे बहुत सारी मनोज काहमक्से हमली। ज्यादातर हवशे षािं क ही थे । राम-रहीम, हवलदार बहादु र, िुकबािं ड, कािं गा और दू सरे मनोज काहमक्स के हकरदारोिं की तकरीबन 90 के करीब काहमक्से मैंने खरीदी। लेहकन ये खरीदारी अब तक की सबसे महिं गी खरीदारी साहबत हुई। क्ोिंहक मैंने हर काहमक के दु गने दाम हदए। याहन हक इस बार और पहली बार मैंने हप्रिंट रे ट से भी ज्यादा कीमत अदा करी। 10-20 रूपए। और जब मैंने ये िेसबुक पर पोस्ट् हकया तो एक दोस्त (मोहहत शमाा ) को बहुत है रानी हुई हक पु रानी काहमक्से इतनी महिं गी कैसे हो गई? खैर वो काहमक्से खरीदकर मैं आकाश के पास गया और उसने उन मे कुछ काहमक्से ले ली। उस दु कानदार के पास अभी और भी बहुत काहमक्से बच गई थी। तो अगले सप्ताह मैं, आकाश और मोहनीश हिर वहािं पहुिं चे और आकाश और मोहनीश को अपनी पसिंद की काहमक्से हमल गई। मोहनीश उस हदन बहुत खुश था क्ोिंहक उसकी महारावण सीररज पू री हो गई थी। इसके अगले रहववार भी हमने वहािं से कुछ काहमक्से और खरीदी। इसके बाद सिंडे माहकाट से कुछ नही हमला। हिर नवम्बर-हदसम्बर मे राज काहमक्से ने काहमक िेस्ट् इिं हडया का आयोजन हकया। इस इवेंट मे राज काहमक्स ने पु रानी काहमक्सोिं का स्ट्ाल लगा रहा था जहािं पर 30 रुपए प्रहत काहमक की दर से काहमक बेची जा रही थी। मैं ज्यादा काहमक्से नही खरीद सका और जो खरीदी भी उन मे से ज्यादातर उसी दाम पर बाद मे बेच भी दी। काहमक िेस्ट् के बाद ही दोस्त की शादी मे नागपुर जाना पडा और वहािं से भी थोडी बहुत काहमक्से खरीदी। अब साल का आत्यखरी महीना चल रहा था और आत्यखरी महीने के आत्यखरी रहववार मैं पू रा हदन वही माहकाट मे ही घू मता रहा। जै से उस जगह से जुडी हुई सारी पु रानी यादोिं को इकट्ठा कर रहा था। साल 2014 मे मैं दररयागिंज कािी कम गया। अगर गया भी तो काहमक्स खरीदने के इरादे से नही और ज्यादातर शाम के वक्त ही गया। साल 2008 से 2013 तक मैंने कािी काहमक्से खरीदी और अब तो
ऐसा लगता है हक हमने कािी अच्छे समय मे काहमक्सोिं का सग्रिंह बनाया। आज के दौर मे तो मेरे हलए ये हबल्कुल ही नामुमहकन होता। हिलहाल मेरे सिं ग्रह मे 2400 से ज्यादा काहमक्से है । हहिं दी, अिंग्रेजी, नई, पुरानी, ओररहजनल, ररहप्रिंट्स सब तरह की हमलाकर। सबसे ज्यादा काहमक्से राज काहमक्स की ही है । इसके अलावा स्ट्ीकसा, टर े हडिं ग काडा स, पोस्ट्र और दू सरे तरह की काहमक्सोिं से जु डी हुई चीजो का भी अच्छा खासा क्लैक्शन है । कािी खुशी होती है अपना काहमक सिं ग्रह दे खकर। उसकी दो खास वजह है । पहली तो ये हक मैंने अपना काहमक क्लै क्शन बहुत ही मेहनत, ईमानदारी और हकिायती कीमत पर बनाया है । इसमे हजन दोस्तो ने मदद करी उनका नाम मैं इस लेख मे हलख चु का हँ । कोई रह गया है तो उसके हलए मािी चाहँ गा। काहमक सिं ग्रह करते समय कभी भी कालाबाजारी को बढावा नही हदया। कभी ऊिंचे दाम पर काहमक्से नही खरीदी। दू सरी वजह यह है हक मैं बचपन से ये चाहता था हक मेरे आस-पास ढे र सारी काहमक्से हो। अब जब अपनी अलमारी या अपन हदवान खोलकर दे खता हिं तो पाता हिं हक हजतना मैंने बचपन मैं सोचा था अब उससे कही गुना ज्यादा काहमक्से मेरे पास है । ये एक सपने को जीने के जै सा ही है । मेरे काहमक सिंग्रह की एक और हवशे षता ये भी है हक मेरे पास सबसे ज्यादा काहमक्से राज काहमक्स ही है लेहकन मेरे पास उनके हकसी भी बडे हकरदार की सारी काहमक्से नही है । यहािं तक हक मेरे हप्रय पात्र सुपर कमािं डो ध्रुव की भी मेरे पास सारी काहमक्से नही है । जबहक मनोज के 3-4 हकरदारोिं की सारी काहमक्से मेरे पास है । 2008 से शुरु हुई मेरी काहमक की इस जु नूनी यात्रा के दौरान मुझे भारतीय काहमक जगत और काहमक क्लचर के बारे मे बहुत सी बाते जानने को हमली। बहुत से हचत्रकारोिं और लेखकोिं से भे ट हुई। कािी सारे काया िमोिं का हहस्ा बना। खासतौर से नागराज जन्मोत्सव और बुक िेयर। जहािं तक मुझे याद है 2009 के बाद से ये पहला अवसर था जब इस साल मे अगस्त-हसतम्बर बुक िेयर नही गया। कािी दोस्त बने और सब के साथ बहुत ही अदभु त अनु भव सािं झा हकए। तो ये थी मेरे काहमक सिंग्रह की कहानी। कैसे शु रु हुआ, कहािं से शु रुआत हुई, कैसे प्रगहतशील हुआ और कैसे अिंत हुआ। काहमक क्लैक्ट करने का सिर तो साल 2013 मे खत्म हो गया। लेहकन काहमक पढने का शौक अभी भी जारी है । अब काहमक्सोिं पर ज्यादा चचाा नही कर पाता लेहकन राज काहमक्स के नए सैट और नए प्रकाशकोिं की काहमक्से खरीदना और पढना अभी भी जारी है । और उम्मीद करता हिं हक जै से हपछले 21 सालोिं से काहमक्से पढता आया हँ वैसे ही आगे भी पढता रहिं गा। जु नून।
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Cartoonist Neerad (Neelkamal Verma)
बहुत कम ही लोग जानते होिंगे हक काटू ा हनस्ट् नीरद का पू रा नाम नीलकमल वमाा 'नीरद' है । भारतीय कॉहमक जगत के सिल और लोकहप्रय काटू ा हनस्ट् नीरद जी का जन्म १५ अगस्त १९६७ को हुआ। १०११ साल की उम्र से ही इन्होिंने काटू ा हनिं ग की शु रुआत कर दी थी और तब से अब तक दे श भर की शीषा पत्र-पहत्रकाओिं के हलए कॉहमक त्यस्ट्रप और काटू ा न्स तो बनाये ही, साथ ही डायमिंड कॉहमक्स के तमाम लोकहप्रय चररत्रोिं (जै से ताऊ जी, चाचा-भतीजा, लम्बू मोटू , राजन इऺबाल आहद) के ढे रोिं कॉहमक बुक्स के हलए रे खािं कन भी हकया। अब नीरद जी के काटू ा न्स लोकहप्रय पहत्रका नन्हे सम्राट के साथ-साथ हवहभन्न स्थानीय समाचार पत्रोिं, पहत्रकाओिं में प्रकाहशत होते है ।
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*) - वायरस का वायरस लेखक - ऋषभ कुमी
स्थान -हसटीमाल एररया, डी डी पु रम, राजनगर। समय-01:00 A.M. अभी कुछ दे र पहले ही हसटीमाल के starworld हसने मा में 'अ फ्लाइिं ग जट्ट' का आत्यखरी शो खत्म हुआ था। Mr Mehta - क्ा बकवास शो था! ये भी कोई दे खने लायक मूवी थी! Mrs Mehta- मूवी के बारे में जो बोला सो बोला ,अगर टाइगर श्रॉि के बारे में कुछ बोला तो मुझसे बुरा कोई नहीिं होगा। Mr. Mehta - हुँ ह! इतनी बकवास एत्यक्टिंग! उसको तो एत्यक्टिंग का A भी नहीिं आता। पता नहीिं कहा से ये बच्चे एत्यक्टिंग करने चले आते है ! Mrs. Mehta- आत्यखरी वाहनिंग है प्राणनाथ! इसके आगे कुछ कहा तो आपके प्राणोिं पर भी बन सकती है । गुरार! और क्ा एत्यक्टिंग-एत्यक्टिंग लगा रखा है । खु द को क्ा बहुत बड़ी तोप समझते हैं ! पजामे में रहना सीख लीहजये, ज्यादा िैलेंगे तो िट जाएगा । हीहीही! Mr. Mehta-(गुस्े से) में क्ा डरता हँ तु मसे ,जो धौिंस हदखा रही हो! Mrs. Mehta-हिर से बोहलये तो सही!!!अब चू हे भी दहाड़ें गे क्ा? (तभी पीछे से दो लोग आते हैं )
Pehla-(जोर से Mr Mehta के चमाट रसीद करके) ये का बवाल मचा रहे हो बे! दिा हो जाओ! वनाा पैर तोड़कर हाथ में दे दें गे। Mrs. Mehta- तुम लोगो की इतनी जु रात! मेरे चू हे! मेरा मतलब, मेरे पहत पर हाथ उठाया! छोडूिंगी नहीिं मैं तुम्हे....(बक.... बक....बक....) Dusra-यही reason है , मैं शादी नहीिं करने का decide हकया हँ ! दे खो कैसा जु बान चल रहा है ! कैसे रहते हो ई नरकवा में, भाईसाहब! Pehla-अरे ! ये तो कुछ बोल ही नहीिं रहे हैं ! लगता है हाथ कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गया बे! अभी तक असर है । हीहीही। Mr. Mehta- ये सब क्ा हो रहा है ? हम यहाँ कैसे आ गये माहलनी? कौन हो आप दोनोिं? Mrs. Mehta- गहजनी में तो दे खा था, हतौड़ा मारा तो आहमर खान की याददाश्त गयी थी, यहाँ तो एक ही हाथ में चली गयी। Pehla- ह्म्म। Mrs. Mehta- मैं इस हिल्म की पूरी cast पर case करू ँ गी ....हदखाते कुछ है और होता कुछ है ...consumer कोटा में घसीटू ँ गी इनको मैं.....ये तो कुछ वैसा ही हुआ जै से अनार कहकर अचार पकड़ा हदया जाये ! गुरार! Dusra- सही कह रहीिं हैं मैडम! ये तो ससु र गहजनी वाला case हो गया। कम्पलीट याददाश्त गया। Mrs. Mehta- लेहकन मुझको तो पहचान रहे हैं मेरे प्राणनाथ! शायद थोड़ी याददाश्त गयी है । हीहीही! (अचानक) ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है कमीनो!...मैं तम्हारा खू न पी जाऊिंगी! ..मैंने घर जा कर इनको बेलन और हचमटे से धरने का प्लान बनाया था ...लेहकन तु म लोगो ने पहले ही उनके गाल पर धर हदया! गुरार! Pehla- ये क्ा मैडम ! ...कॉमेडी नाइट् स हवद कहपल से सीधा WWF! ये तो चीहटिं ग है ! Dusra- रे भैंस की पूँछ! ये तो 'लेडी धमेंद्र ' है रे ...खू न पीये गी! भागो! हीहीही! Pehla- और वै से भी मैडम! आपका हस्बैं ड तो साबुत ही है न ...आराम से घर जाकर वापस धरना ससुर को! P K तो दे खी ही होगी!...टक्कर लगने से याददाश्त जावे है तो दू सरी टक्कर से आ भी जावे है ! हीहीही! Mr. Mehta - बहुत हुई तु म सब की बकवास... अब ज्यादा.... (इतने में वहाँ एक स्पेशल बाइक की आवाज़ आती है और हिर आता है राजनगर का रक्षक सु पर
कमािं डो ध्रुव! और साथ ही आते है पीटर और रे नू ।) (ध्रुव अपने बेल्ट से एक अजीब सा हडवाइस हनकालकर उसको एत्यक्टवे ट करता है ।हडवाइस हवा में 200 फ़ीट ऊपर जाकर िट जाता है और उससे एक लाल गैस हनकलती है हजससे झगड़ रहे चारो लोग बेहोश हो जाते हैं ।) Dhruv- पीटर इन लोगो को हॉत्यस्पटल पिंहुचा दो...जब ये होश में आयेंगे तो इनका अपने मत्यततष्क पर वापस हनयिंत्रण होगा। लेहकन इस एिं टीडोट की वजह से कुछ घिं टोिं के हलए कमजोरी महसू स होगी। Peter- ठीक है कैप्टेन! Dhruv-रे नू! तुम श्वेता और डा० हप्रशा से कहकर ढे र सारी एिं टीडोट बनवाओ ताहक पू रे राजनगर पर एक साथ उसका प्रयोग कर सकें।अभी रात का वक़्त है लेहकन असली समस्या तो आज सु बह को होगी जब लाखो लोग सो कर उठें गे और अपने मत्यततष्क पर से हनयिं त्रण खो बैठेंगे। ऐसी त्यस्थहत में प्रशासन भी लाचार हो जाये गा। Renu- मैंने करीम को कॉल करके बोल हदया है कैप्टेन! मगर ये मानहसक हनयिं त्रण खो बैठना, और इतना जल्दी उसका एिं टीडोट तै यार होना!ये सब क्ा है कैप्टेन ? Dhruv- ये सिं योग की बात है । राजनगर की बायोलॉजी लैब की हे ड साइिं हटस्ट् डॉ०हप्रशा और श्वे ता की चार महीने पहले मुलाकात हुई थी, और इस मुलाकात में एक प्रोजे क्ट पर साथ काम करने की सहमहत बनी। Renu- कैसा प्रोजे क्ट कैप्टेन? Dhruv- डॉ० हप्रशा मानहसक रूप से हवहक्षप्त लोगो को ठीक करने के हलए एक ररसचा कर रही थी िं.....और श्वे ता भी एक जीहनयस साइिं हटस्ट् है ...और इसीहलए डा० हप्रशा इस प्रोजे क्ट में श्वे ता को लेना चाहती थीिं। तीन महीने बाद इस प्रोजेक्ट को एक बड़ी सिलता हमली...जब ये पता चला की िेन को कमािं ड करने के हलए कुछ ऻास प्रकार के िेन से ल्स होते हैं और मानहसक रूप से हवहक्षप्त लोगो के िेन में ये सेल्स पूणा क्षमता से काया नहीिं कर रहे थे,हजसकी वजह से नवा से ल्स से इनका पू णा सामिंजस्य नही िं हो पाता था। इसकी वजह से हनणाय लेने और सोचने-हवचारने की क्षमता पर गहरा प्रभाव पड़ता था। Renu- हिहलयिंट! श्वेता ने एक बार हिर खु द को साहबत कर हदया! Dhruv- डा० हप्रशा को मत भूलो!...ये उनका ही आईहडया था और इस प्रोजे क्ट में उनका और उनकी टीम का बहुत बड़ा योगदान है । Renu- हम्म। आगे बताओ कैप्टेन।
Dhruv-इसके बाद उन सेल्स पर कई एक्सपे ररमेंट हकये गये । लेहकन सिलता स्ट्े म से ल्स के साथ हमली। जब स्ट्े म सेल्स को ऻास किंटे नसा में ऐसी पररत्यस्थहतयोिं में रखा गया जै सी हक स्त्री के गभा में होती हैं तो स्ट्े म सेल्स से कई नए सेल्स उत्पन्न हुए। उनमे ये िेन से ल्स भी थे । ये से ल्स िेन की, बॉडी पर कमािं ड को हनदे हशत करते हैं , consciousness बढ़ाते हैं । इन से ल्स से सटीक हनणा य लेने में मदद हमलती है । जो लोग मानहसक रूप से मजबूत होते हैं,उनके ये से ल्स बहुत एत्यक्टव होते हैं । Renu- तुम इतने यकीन से कैसे कह सकते हो? Dhruv-जब शुरू शु रू मे इन सेल्स के बारे में मालूम पड़ा तो इनका अध्ययन हकया गया।नतीजे चौकाने वाले थे .....इन सेल्स में अपना खुद का हदमाग था।तभी मैंने सोचा इन से ल्स को महामानव के सेल्स से compare करते हैं । धनिंजय की मदद से महामानव का सैं पल हमारे हाथ लग गया। Renu- अब ये महामानव बीच में कहा से आ गया? Dhruv- सोच कर दे खो रे नू ,महामानव एक अहतहवकहसत मत्यस्तष्क वाला प्राणी है ... लेहकन ऐसा क्ा है जो उसका हदमाग इतना हवकहसत है ? इसका जवाब आसान नहीिं था और एक सिं भावना मेरे सामने थी। मैंने इसकी जािं च करने का हनणाय ले हलया। और दे खो ...इस बार जवाब हमें हमल गया। वो ये से ल्स ही हैं , हजन्होिंने महामानव को महामानव बनाया। बस महामानव के से ल्स हवकहसत थे और ये से ल्स अभी भ्रूण हैं । इस प्रकार हमें इन से ल्स का महत्त्व समझ में आया। Renu- interesting! और इसी बीच आज रात को ये हदमाग वाली बीमारी शु रू हुई, और तु मको ये सेल्स का इस्ते माल करने का आईहडया सू झा। Dhruv- हा ये इिे िाक की बात है हक हमारे पास इलाज पहले से था....और इसीहलए एिं टीडोट समय से तैयार हो गया...वनाा कल की तस्वीर बहुत भयानक हो सकती थी। Renu- लेहकन तुमको इस ररसचा की इतनी हडटे ल्स कैसे मालूम है captain! क्ा िाइम िाइहटिं ग छोड़कर साइिं हटस्ट् बनने वाले हो! Dhruv- हा! हा! हा! मैंने श्वेता की थीहसस पढ़ी थी इसीहलए मुझे ये सब मालूम है । लेहकन,इस बीमारी के पीछे हकसका हाथ है , ये पता लगाना बहुत जरुरी है । ये प्राकृहतक तो नहीिं है । Renu- ये जरूर हकसी microbiologist का काम होगा कैप्टेन! िेन से ल्स को डै मेज पहुचाना हकसी आम साइिं हटस्ट् की बस की बात नहीिं। और डा० वायरस अभी हपछले महीने ही जे ल से ररहा हुआ है । Dhruv- हम्म! वह इतने समय से तो खामोश है ।मुझे कन्फमा करना होगा। तुम श्वेता के पास जाओ और जै से ही एिं टीडोट तै यार हो , उसे राजनगर के atmosphere में िैला दे ना। मै डा० वायरस की छान बीन करता हँ ।
Renu-ओके कैप्टेन! गुड लक! (ध्रुव अपने हमत्र पशु पहक्षयोिं को वायरस को ढूँढने के काम पर लगा कर हटता ही है , तभी उसके टर ािं समीटर पर एक अिंजान फ्रीक्वेंसी से कॉल आती है ।) हपिं ग हपिं ग Dhruv- ध्रुव हीयर! Ajnabi- हे ल्रो ध्रुव! Dhruv- कौन हो तुम? और मेरे टर ािं समीटर पर कने क्ट कैसे कर हलया? ये तो कोडे ड है । Ajnabi-ऐसे बचकाने सवाल पूछकर अपनी समझदारी पर सवाल खड़े मत करो ध्रुव! Dhruv-में तुम्हारी तरह िुसात में नही हँ । पहे हलया मत बुझाओ! मुझे हकसहलए कॉल हकया? Ajnabi- अब तुमने अक्लमिंदी भरा सवाल पू छा!....तो सु नो,.....तु म्हारा डा० वायरस पर शक सही है । इन घटनाओिं के पीछे उसका ही हाथ है । Dhruv- तुम्हे कैसे मालूम मुझे हकस पर और क्ोिं शक है ? कौन हो तु म? और मुझे ये सब क्ोिं बता रहे हो? Ajnabi- इतने सारे सवाल! हाहाहा! लेहकन जवाब एक ही हमलेगा कमािं डो! आम खाओ, पे ड़ मत हगनो। Dhruv- तुम कुछ ज्यादा ही रहस्यमयी बन रहे हो! मैं तु म्हारा यकीन कैसे करू ँ ? Ajnabi-यकीन करना है या नहीिं, ये हनणा य तु म्हारे हाथ में है । हवदा ध्रुव! जल्द ही मुलाकात होगी। (कॉल कट जाती है ।) Dhruv- ( कौन था ये रहस्यमयी शख्स? इसकी बातोिं से एक चीज स्पष्ट है ,..मामला ऊपर से जै सा नजर आता है , असल में उससे कहीिं गहरा और उलझा हुआ है । इसका बोलने का लहजा भी कुछ अलग था....ये मुझे हकसी की याद हदलाता है ...लेहकन हकसकी? ऐसा क्ोिं लगता है जै से में इसको पहले से जानता हँ ? मुझे कुछ बुरा होने का आभास हो रहा है ।और जल्द मुलाकात होने का क्ा मतलब है ? हमलना ही है तो खुद को इतना गुप्त क्ोिं रख रहा था...पररचय क्ोिं नहीिं हदया? कुछ तो गड़बड़ है । सतका रहना होगा।) (ध्रुव करीम से सिं पका करता है ।) Kareem- यस कैप्टेन! करीम हीयर! Dhruv- राजनगर के सभी cctv िुटे ज चे क करो। दे खो डा० वायरस राजनगर में कहाँ है ।मुझे ऐसी सभी जगहोिं की हलस्ट् चाहहए जहाँ कहीिं भी वह जे ल से ररहा होने के बाद गया है । और कैडे ट्स को वहाँ भेजकर वायरस की गहतहवहधयोिं की जानकारी इकठ्ठा करो। Kareem- मैं समझ गया कैप्टेन।
( ध्रुव हडसकने क्ट कर दे ता है । तभी कुछ पक्षी उसको वायरस के हठकाने का पता दे ते हैं ।) Dhruv- (इस बार कुछ अजीब हो रहा है , मुझे खास तै यारी करनी होगी। तब तक करीम भी लोकेशन कन्फमा कर दे गा।) Same time, unknown placeAjnabee- अभी तक सब कुछ उसी प्रकार हो रहा है कुशाग्र , जै सी हमने कल्पना की थी। kushagr- आप महान हैं श्रे ष्ठ! आपका उद्दे श्य महान है , आपकी योजना जरूर सिल होगी। Ajnabi- तु म भूल रहे हो, ध्रुव आज तक हकसी से नहीिं हारा।और वह समय नजदीक है , जब उसे अपने अत्यस्तत्व का भान होगा,अपनी ताकत का पू णा ज्ञान होगा। ऐसी त्यस्थहत में हम सोचने को मजबूर हैं , क्ा हमने वायरस को चु नकर सही िैसला हलया है ? Kushagr- ताकत से ध्रुव को नहीिं जीता जा सकता श्रे ष्ठ! वह कोई न कोई यु त्यक्त खोजकर, उसका अपने प्रहतहद्वन्दी पर ही इस्तेमाल कर लेता है ।उसको हराने के हलए उसके हदमाग पर वार करना होगा। आप हनहििंत रहहये, मैंने वायरस को सारी योजना समझ दी है । Ajnabi- हमें तुम पर पूणा हवश्वास है कुशाग्र, ध्रुव पर कतई नहीिं है । Kushagr- आप बस दे खते जाइये श्रे ष्ठ! आज सू या बुझ सकता है ,पृ थ्वी अपनी गहत करना छोड़ सकती है , इस सृहष्ट के समस्त हिया-कलाप रुक सकते हैं ...सब कुछ बदल सकता है , नहीिं बदलेगी, तो बस एक चीज....सुपर कमािं डो ध्रुव की हार! हाँ आज हारे गा ध्रुव और आज़ाद करे गा उसको, ऻत्म करे गा उसका इिं तजार....हजसके हलए ध्रुव ने ली थी - "प्रे म प्रहतज्ञा!" (भाग एक समाप्त।) कौन हैं अजनबी और कुशाग्र? ध्रुव के हलए वायरस ने क्ा तै यारी कर रखी है जो कुशाग्र इतना आश्वस्त है ? कौन है वह जो कर रहा है ध्रुव का इिं तजार, हकसके हलए ध्रुव ने ली है प्रे म प्रहतज्ञा? इन सब सवालो का जवाब हमलेगा अगले भाग - 'प्रे म प्रहतज्ञा' में। =====
*) - डूम प्लाटू न ररटर्न्ा मोहहत शमाा ज़हन
Artwork – Inder Jeet Bhanoo NWCP War of Kalam 2016 - Round 2 Winning Story Challenge - Include horror, comedy, dark, crime fiction, superhero genres in 1 story. Semi Finalists - 9 सन् 1947 में रूपनगर के पास जिं गलोिं एवम समुद्र से सटे तटवती इलाके मे दो बड़े स्थानीय कबीलोिं तरजाक और रीमाली ने हिहटश साम्राज्य के हवरुद् हवद्रोह कर हदया। इस हवद्रोह के कारण वहाँ से गुजरने वाले जहाज़ और आस-पास के बिंदरगाहोिं के व्यापार पर असर पड़ने लगा। शािं त कबीलोिं के अप्रत्याहशत हवद्रोह के दमन के हलए कना ल माका हडकोस्ट्ा के ने त्रत्व मे 71 लोगो की 'डूम प्लाटू न' को भेजा गया। उनका लक्ष्य था हालात को सामान्य बनाना और उस स्थान और कबीले मे हिहटश राज को हिर से कायम करना। हमशन जब एक हफ्ते से लिंबा त्यखिंच गया तो माका सोच में पड़ गया। हजस ऑपरे शन को वह 4 हदन की बात समझ रहा था, उसमे इतना समय कैसे लग सकता था। वररष्ठ सदस्योिं की मीहटिं ग के बाद जब कोई हनष्कषा नहीिं हनकला तो माका ने अपने 2 ऻास गुप्तचरोिं को प्लाटू न की जासू सी पर लगाया साथ ही वह खुद भी रात में रूप बदल कर प्लाटू न की गहतहवहधयािं जािं चने लगा। रात के पौने तीन बजे उसे जिं गलोिं में कुछ हलचल हदखाई दी। उस स्थान के पास पहुँ चने पर उसे प्लाटू न का मेजर रसल और एक कबीले की स्त्री बात करते हदखे। वह महहला रसल के हलए िलोिं की टोकरी लाई थी और दोनोिं टू टी-िूटी बोली में एक-दू सरे के आहलिंगन में प्यार भरी बातें कर रहे थे । कना ल ने तु रिंत ही पहरा दे रहे सै हनको के साथ मेजर और उस महहला को बिंदी बना हलया। सु बह उनकी पे शी में मेजर रसल ने सिाई दे ते हुए कहा हक व्यापार के लालच में पड़ी हिहटश सरकार की गहतहवहधयोिं के कारण इन ऺबीलोिं का प्राकृहतक हनवास, खाने और रहने के साधन धीरे -धीरे नष्ट होते जा रहे हैं । यही कारण है हक अब तक हिहटश राज की सभी बातोिं का पालन करने वाले कबीलोिं के हवद्रोह का हबगुल बजाया। प्लाटू न के आने पर जब यु द् की त्यस्थहत बनने लगी तो अपने जान की परवाह हकये हबना रीमाली कबीले की एक साधारण स्त्री शीबा जिं गल में बढ़ रहे मेजर को समझाने आई। शीबा के भोलेपन और जज़्बे ने रसल को सुपर मोहहत कर हदया। इस वजह से रसल गलत जानकारी दे कर प्लाटू न को गलत हदशाओिं में भटका रहा था। रसल के आश्वासन, धैया से शीबा की बात सु नने और हनस्वाथा कबीलोिं की मदद करने से शीबा
को भी उस से प्रेम हो गया। िोहधत माका ने रसल को समझाया की प्लाटू न के पास बस 2-3 हफ़्ोिं लायक राशन बचा है इस दू र-दराज़ के इलाके में, चार-पािं च सौ कबीलेवासीयोिं और अपने प्रे म के चक्कर में वह अपने साहथयोिं की जान दािं व पर नहीिं लगा सकता। धरती पर बोझ ऐसे नाकारा कई कबीलोिं और भारहतयोिं को ऻत्म कर हिहटश सरकार ने इस दे श पर एहसान ही हकया है । जब मेजर रसल ने आडा र मानने से इिं कार कर हदया तब कना ल माका ने उन्हें मौत का िरमान सु नाया। रसल और शीबा की अिंहतम इच्छा एक आखरी बार एक-दू सरे से हलपटकर मरने की थी। मुस्कुराते हुए रसल ने शीबा को बिंदूकधाररयोिं से मुिंह हिराकर अपनी ओर दे खने को कहा, कुछ पल को रसल की आँ खोिं में दे ख रही शीबा जै से भूल गई की यह उसके अिंहतम पल हैं । हकतनी शािं त और हदलासे भरी आँ खें थी वो जो ना जाने कैसे मन में चल रहे तूफ़ान को खु द तक आने से रोकें हुए थी? चलो बहुत हो गया यह इमोशनल डरामा इन दोनोिं का, उड़ा दो इन बेचारे प्यार में पागल पिं हछयोिं को…हा हा हा...कनाल के डाका ह्यूमर पर उसके अलावा और कोई नहीिं हँ सा। माका के हनदे शोिं पर उसके सै हनको ने अन्य सैहनको सामने उन 2 प्रेहमयोिं को गोहलयोिं से भू न हदया। कुछ हदनोिं के प्यार में जै से दोनोिं ने पू रा जीवन जी हलया था इसहलए आखरी वक़्त में एक-दू सरे से हलपटे रसल और शीबा के चे हरोिं पर सिं तोष के भाव थे। कनाल माका का ऐसा हनदा यी रूप और साथी मेजर रसल की मौत दे ख कर कर कई सै हनकोिं ने उसका साथ छोड़ कर वापस जाने का हनणा य हलया। आदे शोिं की अवहे लना और खु द के ने तृत्व पर इतने सवाल उठते दे ख कर माका आगबबूला हो उठा। वापस लौटते हुए सै हनको पर उसने अपने विादार सैहनको से गोहलयोिं की बरसात करवा दी। माका ने मन ही मन सोचा हक चलो अच्छा हुआ अब राशन ज़्यादा हदन चलेगा और हमशन से लौटने पर इतने सैहनको का शहीद हो जाने पर उसकी बहादु री, अहडगता के चचे होिंगे। हालाँ हक, हमशन के लगभग तीन हफ़्ोिं बाद ही इिं ग्लैंड की सरकार ने भारत छोड़ने की आहधकाररक घोषणा की, पर डूम प्लाटू न का दस्ता अपने हमशन के बीच में था और दु गाम क्षे त्र, दू रदराज़ के हमशन में उन्हें भारत की स्वतिंत्रता की जानकारी नहीिं हमली। माका की हरकत से हचढे उस स्थान के आस-पास के बाकी कबीले भी डूम प्लाटू न को हमलकर ऻत्म करने में तरजाक और रीमाली कबीलोिं के साथ शाहमल हो गए। डूम प्लाटू न पर चारो तरि से आिमण हो गया। समय के हहसाब से प्लाटू न के पास अत्याधुहनक हहथयार थे पर इतने जिंगलवाहसयोिं की सिंख्या के सामने प्लाटू न कमज़ोर पड़ रही थी। प्लाटू न को उम्मीद थी हक इतना समय बीत जाने के कारण उनकी मदद के हलए इिं ग्लैंड सरकार ज़रूर कुछ करे गी पर भारत की आज़ादी के समय बड़े स्तर पर हुई इतनी अहधक घटनाओ के बीच यह बात दब सी गयी और डूम पलाटू न के सारे हसपाही कुछ हदनोिं के सिं घषा के बाद मारे गए। माका चाहता तो कबीलोिं के सामने आत्मसमपाण कर सकता था पर उसका अहिं कार उसकी मौत की वजह बना। जिं गलवाहसयोिं को भी आज़ादी भारत के साथ हमली पर जिं गहलयोिं को आज़ादी हमलने का तरीका भारत जै सा नहीिं था। कुछ हदनोिं तक सब सामान्य रहने के बाद उन तटवती इलाकोिं मे बसे कबीलोिं और जिं गलो मे अजीब घटनाये होने लगी। एक-एक कर कबीलोिं के सरदारोिं को भ्रामक, डरावने दृश्य नज़र आने लगे, हिर सबकी हरकतें भूतहा होने लगी। कुछ तो अपने ही भाई-बिंधुओिं को मारकर उनके खू न को कटोरी में भर उसके साथ रोटी, खाना खाने लगे। अगर त्रस्त आकर कबीले का सरदार बदला जाता तो उसमे भी वैसा पागलपन आ जाता। हर जगह यह बात िैली की माका और उसके ऻास साहथयोिं की आत्माएिं कबीलोिं के सरदारोिं के शरीर में आ जाती हैं और उन्हें मारने के बाद ही हटती हैं । जब हर जगह कबीले का कोई सरदार ना होने की बात पर सहमहत बनी तो हिर कुछ हदन सामान्य बीते । कुछ हदन बात हिर आत्माओिं द्वारा लोगो को सम्मोहन से दलदल में बुलाकर खीिंच लेने के मामले आम होने लगे। अगर कोई जगह छोड़ कर मुख्य भारत में जाता, कुछ समय बाद उसके भी मरने की खबर आती। नवजात हशशु पेड़ोिं पर उलटे लटक कर कबीले वालोिं को इिं त्यग्लश में गाहलयािं दे ने लगे। इन्ही हशशुओिं में से कुछ दू ध पीते हुए अपनी माताओिं के वक्षस्थल से मािं स नोचकर खाने लगे। इतनी घटनाओ के बीच वहािं के कई कबीले एक के बाद एक रहस्यमय तरीके से ऻत्म होते चले गए। कुछ महीनो बाद वहािं
रूपनगर से गुज़रती नदी की बाढ़ का ऐसा असर हुआ की वो पू रा इलाका जलमग्न हो गया। बचे हुए कबीलोिं को भारतीय सरकार ने रूपनगर शहर में पु नस्थाा हपत हकया। कई दशकोिं बाद जलमग्न जिं गली इलाका धीरे -धीरे सामान्य हुआ। प्रगहत कई ओर अग्रसर रूपनगर शहर का हवस्तार करने को जगह ढूँढ रहे उद्योगपहतयोिं और सरकार की नज़र उस तटवती इलाके और जिंगलो पर पड़ी। जिं गल के कुछ हहस्ोिं की कटाई और हनमाा ण का काम शु रू हुआ। जहाँ हजारो मजदू रोिं के सामने हिर से आई डूम पलाटू न की दहशत क्ोहक वो अभी भी हिहटश सरकार के आदे शानुसार उन इलाकोिं मे हसिा हिहटश राज स्थाहपत करना चाहते थे । पहले तो ऐसी अहनयहमत घटनाओिं को कल्पना मानकर नज़रअिंदाज़ हकया जाता रहा हिर भू तहा बातोिं का होना आम हो गया हजसके चलते कई मज़दू र और सुपरवाइज़र जगह छोड़ कर भाग गए। अपने पापोिं और दहशत से बढ़ी शत्यक्त के िलस्वरूप एक हदन डूम प्लाटू न साकार रूप में आई, हजारो मजदू रोिं मे से कुछ को सबके सामने हनदा यता से मार कर डूम पलाटू न ने मजदू रोिं मे अपनी दहशत िैलाई और वहाँ आई बहुत सी हनमाा ण सामग्री से मजदू रोिं को हिहटश कालीन इमारते बनाने का हनदे श हदया। उन्होिंने मजदू रोिं और उनके माहलको मे कोई भेद-भाव नहीिं हकया और सभी से बिंधवा मजदू री शु रू करवायी। अपने साहथयोिं की मदद से एिं थोनी के कौवे हप्रिं स ने इतनी जानकारी जु टायी। क्या ै डूम प्लाटू न *) - डूम प्लाटू न के सभी सैहनक अपनी लाल वदी मे है और उनका मुत्यखया है कना ल माका हडकोस्ट्ा। *) - ये माका और उसके विादार 1947 में रूपनगर के तटवती और जिं गली इलाकोिं मे मर चु के है । प्लाटू न में आिं तररक मतभेद के बाद माका ने अपने ही कई सै हनको को जिं गल में मरवा डाला। *) - इनके हहथयार इनकी पुरानी बिंदूके है हजनकी गोहलयािं कभी ऻत्म नहीिं होती। *) - इस पलाटू न को इिं ग्लैंड सरकार से आदे श हमला था की उन तटवती और जिं गली इलाकोिं मे हिहटश राज दोबारा स्थाहपत हो ये आज भी उस आदे श पर चल रहे है और जो भी इनके रास्ते मे आएगा उसे ये मार दें गे। *) - ये हबना थके सालो से उस इलाके की रक्षा कर रहे है और हिहटश सरकार की मदद का इिं तज़ार कर रहे हैं । *) - जिंगल में अलग-अलग स्थान पर लाल वदी में कुछ आत्माएिं और भटकती हैं (मेजर रसल और कनाल द्वारा मारे गए अन्य सैहनक) वो आत्माएिं हकसी को नु क्सान नहीिं पहुिं चाती।] हप्रिं स के ज़ररये यह खबर कुछ ही दे र मे एिं थोनी तक पहुिं ची और एिं थोनी तुिं रत रूपनगर के उस हनजा न इलाके तक पहुिं चा जहाँ आज कािी हलचल थी। एिं थोनी को डूम पलाटू न की कहानी और इहतहास पता चल चुका था। उसने अिं दाज़ा लगाया हक डूम प्लाटू न और माका उसके समझाने पर नहीिं मानें गे। उसकी आशा अनुरूप उनको समझाने की एिं थोनी की सारी कोहशशें, तका बेकार गए। अिंततः उसका और डूम पलाटू न का सिंघषा शुरू हो गया। एिं थोनी एक शत्यक्तशाली मुदाा था पर इतनी आत्माओिं से यह सिंघषा अिंतहीन सा लग रहा था। वह कुछ आत्माओिं को ठिं डी आग में जकड़ता तो कुछ उसपर पीछे से हमला कर दे ती पर जल्द ही हप्रिंस की खबर पर एिं थोनी की पु रानी हमत्र वेनू उफ़ा सजा भी अपने आत्मा रूप में एिं थोनी की मदद करने आ गयी। एिं थोनी ने वेनू के हतहलस्म की मदद से डूम प्लाटू न को एक जगह बािं ध कर उन पर एकसाथ ठिं डी आग का प्रहार हकया वो आत्मायें कुछ दे र तड़पने के बाद गायब हो गयी. एिं थोनी को लगा की समस्या सुलझ गयी और उसने वहाँ िसे हुए लोगो को हनकाला और वापस रूपनगर शहर के मुख्य इलाकोिं की और चल पड़ा। कुछ ही समय बाद उसे पता चला की उस
जिंगली इलाके के आस-पास बनी ररहाइशी कॉलोहनयोिं मे डूम प्लाटू न हिर से अपना आतिंक मचा रही है और वहाँ के लोगो को ज़बरदस्ती पकड़ कर जिं गल मे अधूरे पड़े हनमाा ण को बिंनाने में लगा रही है । ऐसा इसहलए हो रहा था क्ोहक उद्योगपहतयोिं और सरकार ने जिं गली इलाकोिं की कािी कटाई करवा दी थी हजस वजह से डूम पलाटू न को वो कॉलोहनयािं भी अपने क्षे त्र का हहस्ा लगने लगी थी। एिं थोनी हिर वहाँ पहुिं चा और एक बार हिर से थोड़े सिं घषा के बाद डूम प्लाटू न गायब हो गयी। यह हसलहसला चलता रहा। एक लडाई के दौरान एिं थोनी के ये पू छने पर की सब ऻत्म हो जाने के इतने साल बाद भी डूम पलाटू न वो क्षेत्र छोड़ कर जाती क्ोिं नहीिं तो कना ल माका हडकोस्ट्ा का कहना था की उन्हें हिहटश सरकार का आदे श हमला है । कािी सोच-हवचार के बाद एिं थोनी अपने दोस्त रूपनगर डीएसपी इहतहास की मदद से हदल्री से इिं ग्लैंड के दू तावास से कुछ हिहटश अहधकारीयोिं को लाया और उनसे आतिंक मचा रही डूम पलाटू न को ये आदे श हदलवाया की वो अब हकसी भारतीय को परे शान ना करे और ये क्षेत्र छोड़ कर पास ही समुद्र मे बने छोटे से हनजा न दहलवी द्वीप पर रहे । आत्यखरकार एक सिंघषापूणा भयावह अध्याय की समात्यप्त के बाद एिं थोनी की आत्मा अपनी कि में सोने चली। अगले हदन जब वह वापस कि िाड़कर हनकलने को हुआ तो एक हतहलस्म ने उसे रोक हलया। सज़ा के शरीर को कब्ज़े में लेकर कना ल माका ने एिं थोनी की कि को हतहलस्म से बािं ध हदया था। अब तक अहिं कार में चूर माका ने बदली सरकार का आदे श मानने से इिं कार कर हदया। उसके अनु सार हिहटश राज की सरकार अलग थी, वह इस कठपु तली सरकार का आदे श मानने को बाध्य नहीिं था। हतहलस्म की सीमा के अिंदर आये बगैर कि के ऊपर हचल्राते हप्रिं स ने ये बातें एिं थोनी तक प्रे हषत की। इधर डूम प्लाटू न अपने अधूरे हनमाा ण काया को पू रे करने में लग गयी। सरकार का ध्यान इस हदशा में गया और अधासैहनक बल भेजे गए लेहकन अदृश्य दु श्मन से भला वो कैसे लड़ पाते । उन सबके हहथयार छीन कर, डूम प्लाटू न ने उन्हें मज़दू री पर लगा हदया। त्यस्थहत गिंभीर हो रही थी और मदद आने तक सरकार, स्थानीय प्रशासन को हवचार-हवमशा करना था। ऐसा सिं भव था हक अपने सिलता से उत्साहहत होकर माका अपनी प्लाटू न के साथ रूपनगर शहर की तरि कूच करे । अब या तो उस क्षे त्र को क्वारिं टाइन घोहषत कर सब खाली करवा सकती थी या और मदद भे जने का जोत्यखम उठा सकती थी, लेहकन हर गुज़रता पल उनकी मुत्यिलें और शहर को नु क्सान बढ़ा रहा था। एिं थोनी ने हप्रिं स को सज़ा की आत्मा से हतहलस्म तोड़ने का तरीका सु झाया। सज़ा के द्वारा हतहलस्म तोड़ने का तरीका जानकर हप्रिं स ने हतहलस्म के चारो ओर अपनी चोिंच से एक बड़ा हतहलस्म बनाकर उसे हनष्फल हकया और आत्यखरकार एिं थोनी अपनी कि से बाहर आ पाया। मौके की गिंभीरता के बाद भी ज़मीन पर हतहलस्म बनाने में हप्रिंस की हघसी हुई चोिंच दे खकर कुछ पलोिं के हलए एिं थोनी अपनी हँ सी रोक नहीिं पाया, मदद करने के बाद भी एिं थोनी को उसपर हिं सता दे ख हप्रिं स ने अपनी उबड़-खाबड़ चोिंच एिं थोनी को चुभाई और कान पकड़ते हुए माफ़ी मािं गते एिं थोनी ने हप्रिं स की चोिंच की मरहम-पट्टी की। कुछ दे र में ही एिं थोनी एक बार हिर डूम प्लाटू न ने सामने था। इस बार कना ल माका ने उस पर तिं ज कसा, "इस तरह कब तक यह खेल चलता रहे गा मुदे एिं थोनी? तू एक शत्यक्तशाली आत्मा है लेहकन हमारी सिंख्या के आगे तू हमे रोक नहीिं सकता। तू अपनी साथी सज़ा के साथ हमारे काम में बाधा डालेगा, हमे रोकेगा। कुछ दे र अपनी ठिं डी आग में तड़पा लेगा और हम लोग गायब हो जाएिं गे। ते री इतनी मेहनत का िायदा क्ा है ? हमे मारा नहीिं जा सकता, जबहक हम धीरे -धीरे ते रे शरीर को नु क्सान पहुिं चा सकते हैं । हम एक जगह से भागेंगे तो हिर कहीिं ना कहीिं आ जाएिं गे! हपछली बार हतहलस्म से कि में ते रा शरीर रोका था, अगर अब भी तू ना माना तो इस बार यह सु हनहित करू ँ गा की ते रा शरीर नष्ट हो जाए। सबकी भलाई इसमें ही है हक तू बार-बार हमारे रास्ते में आना छोड़ दे ।" एिं थोनी - "ते रे जै सोिं के मुँह से सबकी भलाई की बातें शोभा नहीिं दे ती कनाल! एक बात मेरी भी जान ले, तु झसे पहले तेरे जै सी कई ढीट आत्माओिं से पाला पड़ा है । एिं थोनी का शरीर नष्ट करे गा तो आत्मा रूप में तेरे काम को रोकने आऊिंगा। मुझे कभी मुत्यक्त हमल भी गयी तो इतना याद रख हक इिं साि और
मज़लूम की चीखोिं का हहसाब लेने के हलए एिं थोनी स्वगा छोड़ कर आ सकता है । बड़े हकस्े सु ने हैं ते री ईगो के हजसे तू प्रेम और लोगो की जान से ऊपर रखता है , दे खते हैं पहले मैं हडगता हँ या तू रास्ता दे ता है !" कना ल माका - "ठीक है ! जै सी ते री मज़ी..." एिं थोनी - "एक हमनट! एक बात रह गयी...ज़रा हगनकर बताना तु झे हमलाकर ते रे सै हनक हकतने हैं ?" कना ल माका - "35...क्ोिं? अब इनके हलए कोई नया हतहलस्म लाया है ?" एिं थोनी - "नहीिं! 71 लोगो की डूम प्लाटू न में से 35 हनकले तो बचे 36! आओ तु म्हे बाकी सदस्योिं से हमलवाता हँ । हमलो हदल, भावनाओिं वाले डूम प्लाटू न के दू सरे हहस्े से हजसका ने तृत्व कर रहें हैं मेजर रसल। अब हुई कुछ बराबर की टक्कर। सज़ा की मदद से तु म्हारा इहतहास जानने के बाद जिं गल में कहाँ -कहाँ भटकती इन आत्माओिं को ढूिंढकर एकसाथ, एक ने तृत्व में लाना था बस।" सज़ा ने तट के पास हनजा न दहलवी द्वीप पर एक रास्ते को छोड़कर हतहलस्म से बािं ध हदया। मेजर रसल ने ने तृत्व में सै हनक माका के विादार सैहनकोिं को उस तरि धकेलने लगे। वही िं अपने पापोिं की वजह से अन्य आत्माओिं से कहीिं शत्यक्तशाली दु रात्मा माका को एिं थोनी और सज़ा अपने सधे हुए वारोिं से उस ओर ले जाने लगे। सभी सैहनको के द्वीप के अिं दर पहुँ चने के बाद सज़ा ने बाहर से हतहलस्मी द्वार बिंद कर उन्हें दहलवी द्वीप में कैद कर हदया। इसके बाद तु रिंत ही डीएसपी इहतहास और अन्य अहधकाररयोिं की हसिाररश पर द्वीप को आहधकाररक रूप से सिं िहमत एव खतरनाक घोहषत कर हदया गया। ....अब अगर कोई भटकी नौका या यात्री इस द्वीप पर आता है तो उसे 2 बराबर सिं ख्या के गुट हनरिं तर युद् करते हदखाई दे ते हैं । बराबर क्ोिं? शायद इसहलए की मेजर रसल द्वीप पर नहीिं जिं गलोिं में शीबा के पास था और दोनोिं आत्माएिं लगभग सिर साल पहले की उस रात की तरह ही टू टी-िूटी भाषा में प्यार भरा सिंवाद कर रहीिं थी। ....क्ा आप दहलवी द्वीप पर जाना चाहें गे? समाप्त! =======
*) - Champions Corner - Indian Comics Fandom Awards 2016
Mrinal Rai (Best Cartoonist, Indian Comics Fandom Awards 2016) I am an independent artist working as a freelance artist for last six years. I have selfpublished two comic books, Tamas and Zikr and one text cum graphic novel, Kurukshetra Yuddh. I have also worked on freelancing illustration assignments for different companies. The latest project that I worked on was a board game based on Indian epic Mahabharata. Most of my own work will revolve around Indian history and its heritage. I am strong supporter of creating stories which are true to spirit of Indian values, even of they are inspired from a foreign work. I am currently working on one comic book (second one in my comic series - Zikr), one graphic novel and second volume of my novel Kurukshetra Yuddh. Besides, I am also working on many illustration projects. I am based out of Bangalore and can be reached out at rai.mrinal@gmail.com or mrinal.rai@lotusofsaraswati.com. You can see my work at: http://mrinal-rai.deviantart.com https://mrinalraiartwork.wordpress.com/author/mrinalrai/ https://www.facebook.com/The-lotus-of-Saraswati-by-Mrinal-Rai-161777847253568/
======================= Jazyl Homavazir (Best Webcomic: The Beast Legion)
Beast Legion is an award winning manga style fantasy adventure with an anthromorphic twist. Having won the Comic Con Awards in 2012, the Drunkduck Best Anthro comic 2012 & now the ICFA 2016 Awards, the comic focuses on the journey of an exiled Prince , Xeus who sets out to save his homeland from the tyranny of the Evil Lord Dragos & his Shadow Nexus. However before he sets of on his voyage he must first master the secrets of The Guardian Beast within him & tame it to unleash it’s full potential. Join Xeus as he makes new friends on the way & battles a Plethora of villains with their own Beast forms. It’s a perfect mix of anime & 80s fantasy cartoons that have always inspired. Coombine that with Magical Beasts & we have a story that will surely entertain audiences everywhere. The Comic has been going on for 6 years now, with 12 chapter completed & free to read online at www.thebeastlegion.com & updates with a new page Every Tuesday. Alternatively Print versions of the comic are also available online. It’s a project that is more of a passion to get my story out to the world & hopefully some day pitch it as an Anime show. So I look forward to each & every one of your support. Help me turn Beast Legion in to something even bigger than what it already is. Thank you for voting for my work & I hope your support continues for years to come. Upcoming Issue - Beast Legion #15 =========
*) - कॉलमक्स फैन लफक्शन िेखकोां के लिए कुछ सु झाव
अपने हप्रय हकरदारोिं को अपनी गढ़ी पररकल्पनाओिं में उलझाना हर प्रशिं सक को भाता है । वैसा होता तो क्ा होता, इस हीरो या हवलन अगर िलाने हीरो के हवरुद् आता तो क्ा-क्ा दृश्य बनते , हकरदार की सभी बातोिं को बारीकी से समझ कहानी हलखने से लेकर स्थाहपत आयामो का मुरब्बा तक डाल दे ते है िैन्स। जहाँ हवचार सब करते हैं पर हगने -चु ने प्रशिं सक ही कलम-कीबोडा उठाकर कुछ हलखते हैं । मैंने भारतीय कॉहमक्स खासकर हहिं दी कॉहमक्स पर कािी िैन हिक्शन (प्रशिं सक-साहहत्य) पढ़ा और हलखा है । अपने अनु भव के आधार पर कह सकता हँ हक कई लोगो की प्रहतभा को अगर सही मागादर् शन, मौके हमलें तो वे बहुत अच्छे लेखक बन सकते हैं । कुछ लोग तो कहानी के साथ कला जोड़ कर बेहतरीन कॉहमक्स, कॉहमक त्यस्ट्रप्स बना डालते हैं । बाहर दे शोिं में अने कोिं िैन हिक्शन प्रकाहशत हो चुके हैं , उनपर कॉहमक्स-हफ़ल्में तक बन चु की हैं । हालािं हक, भारत में ऐसा होने में अभी बहुत समय है । इस क्षेत्र में हजतना जाना उस आधार पर िैन हिक्शन लेखकोिं, कलाकारोिं के हलए कुछ सु झाव हैं 1. केवल एक माध्यम तक सीहमत न रहें और कम रे स्पॉन्स हमलने पर (जो शु रुआत में अक्सर होता है ) हनराश न होिं। हनरिं तर सीखने और अपनी प्रहतभा को हनखारने की कोहशश करते रहें । सिल कलाकारोिं के काम का अवलोकन कर जाने हक उन्होिंने ऐसा क्ा हकया जो वो इस क्षे त्र में सिल हो पाए। ऑनलाइन कॉहमक कम्युहनटी अभी भी कािी छोटी है इसहलए अपने लेख, कहानी, काव्य हसिा हकरदारोिं के आस-पास न बुनकर समय-समय अन्य हवषयोिं को चु ने ताहक आपकी पहुँ च ऑनलाइन हहिं दी, इिं त्यग्लश पाठकोिं तक हो जाए। इस तरह आप पत्र, पहत्रकाओिं और सिं कलन में प्रकाहशत हो सकते हैं ।
2. सहमहत के साथ आप अन्य कलाकारोिं, लेखकोिं के साथ कॉलेबोरे ट कर सकते हैं । अगर अपने काम से आप सक्षम हैं तो ऐसे कलाकारोिं को कुछ धनराहश भी ऑिर कर सकते हैं । ऐसा करने से आप अपना दायर बढ़ाने के साथ-साथ हवहभन्न शै हलयोिं को हमलाने का काम कर रहे हैं । हमलकर हकये गए ऐसे रचनात्मक काम आपको अच्छा अनु भव दे ते हैं । 3. यह टे स्ट् करना ज़रूरी है हक कहीिं आप हकसी एक या कुछ शै हलयोिं जै से एक्शन, कॉमेडी, एडवें चर के गुलाम तो नहीिं बन गए हैं और चाहकर भी हकसी और प्रकार की कहानी नहीिं हलख पा रहें हैं । अगर ऐसा है तो हकसी अपररहचत शैली को नए हसरे से उठाने के बजाये उसके एहलमेंट्स ऐसी कहाहनयोिं में लाना शुरू करें हजनको हलखने की आपको आदत है । कुछ समय बाद उन शै हलयोिं पर अलग से हलखना शु रू करें । 4. िॉग, िेसबुक, हिटर, हपनटर े स्ट्, हलिंक्डइन, इिं स्ट्ाग्राम का भरपू र प्रयोग करें और अहधक से अहधक आप जैसी बातें िॉलो करने वाले लोगोिं से जु ड़ें। अपनी कहाहनयािं , कलाकृहतयािं और रचनाएँ केवल 1 या 2 जगह पोस्ट् ना करके उनकी वडा िाइल, पीडीएि, ऑहडयो स्ट्ोरी, स्लाइडशो आहद बनाकर स्क्राइब्ड, यूट्यूब, ईशु, रीडवे यर, स्मैशवडा स, टच टै लेंट, हबहें स, साउिं ड क्लाउड जै सी वेबसाइटस पर अपलोड करें । 5. अन्य लेखकोिं और कलाकारोिं को अपना िीडबैक दे ते रहना चाहहए। इस से आपका सहकाल मज़बूत होता है और आपको अिं दाज़ा लगता है हक कौनसी सिं भावनाएिं या दृश्य कहानी के रूप में कैसे लगते हैं । वैसे छोटी कम्युहनटी में सिंपका, प्रोत्साहन बनाये रखने के हलए इतना करना ज़रूरी है । 6. हर लेखक को इज़्ज़त दे ना शु रू करें , जब तक वह प्रकाहशत नहीिं हो जाता या लिंबे समय तक हलखता नहीिं रहता जै सी किंडीशन न लगाएिं । कोई टै लेंटेड हैं , हबना कॉपी हकये मेहनत कर रहा है तो उसका सम्मान होना चाहहए। अक्सर कई लोगो को कहते दे खता हँ हक "िैन हिक्शन कुछ नहीिं है ", दु ख होता है क्ोहक एक समय मुझे याद है इस कुछ नहीिं के चक्कर में मैंने हकतना समय, पै से और प्रयास लगाए थे और मेरे जै से कई लोग थे/हैं । खै र, जब अपनी कम्यु हनटी लेखकोिं को उहचत सम्मान दे ना शु रू करे गी तभी बाकी लोग कुछ समझें गे। लेख का अिं त इस बात से करू ँ गा हक अगर कोई आईहडया आपने कभी िैन हिक्शन में इस्ते माल हकया हो तो उसे भूलकर छोड़ ना दें , हो सकता है आगे कभी वो कािं सेप्ट कहीिं और बेहतर जगह प्रयोग में लाया जा सके। #ज़हन =============
*) - ऋतुकािीन बेरोज़गारी
1997 नागराज ध्रुव डबि एक्शन ईयर युद्वीर लसां
2017 - 20 = 1997 Nagraj-Dhruva Double Action Year आज जो लोग जवान हो चु के हैं , और पु राने RC प्रेमी है , उनके हलए वापस फ्लैशबैक में जाने का उिम मौका! उस वक़्त हम सब लोग लोलीपोप खाते थे,छोटी चड्डी पहनते थे,बड़ी शरारत करते हुए स्कूल जाया करते थे ! कम से कम हमको यही लगता है हक बचपन तो सबका एक जै सा हो रहा होगा! :v कॉहमक्स आज के बच्चो को पता भी नहीिं है , पर उस वक़्त बच्चा होना और कॉहमक्स पढने वाला बच्चा होना, भी अपने आप में कॉहमक्स ना पढने वाले बच्चे से ज्यादा ऊपर महसू स करना हमें लगता था! इस वक़्त है िरवरी, उस वक़्त माचा -अप्रै ल में एग्जाम होते थे, और जहाँ तक हमें याद है , माचा के आसपास ही प्रलय और राजनगर की तबाही पर हमने 50 रुपये की बहुत भारी रकम खचा करी थी! 180 पेज! दो मोटी कॉहमक्स! (50 का नोट तब आज के 500 के नोट जै सा महसू स होता था!) :v सच कहें तो यह दो कॉहमक्स ही उिरदाई थी हक तब अप्रै ल से लेकर जू न के ऻत्म होने तक हम RC के बारे में बहुत कुछ पढ़ जान चुके थे! ऐसा मत समझें हक हमने दु कानें लूट डाली थी जू नून के नाम पर! असल में उस वक़्त जै सा हमने कहा हक कॉहमक्स पढना आज की तरह दु लाभ बात नहीिं होती थी, इसहलए आसपास के लगभग हर घर में कोई ना कोई बच्चा कॉहमक्स जरूर पढता था, ऐसे ही एक पडोसी अिंकल के बच्चोिं के पास RC का कािी बड़ा कलेक्शन हुआ करता था! तो गमी की छु हट्टयाँ वही ँ कॉहमक्स चाटने में काट डाली थी! डोगा हजिं दाबाद का पुराना कवर दे खकर हमें वो उस वक़्त हवलेन लगा था, उसकी कोई कॉहमक्स हमने नहीिं पढ़ी थी, ध्रुव की इक्का दु क्का ही दे खी लेहकन हमें यह याद है हक उसकी हजग्सा सीरीज के आने को लेकर बच्चे बहुत उत्साहहत हुआ करते थे !
भेहड़या हमें बहुत पसिं द था, उसकी “नन्हे हत्यारे ” पढना हमें याद है ! भोकाल की उस वक़्त महारावन सीरीज आई हुई थी! बच्चे उसके हलए भी पागल थे ! एक साल पहले आई बौना भोकाल तो तब हमें भी पढनी पड़ी थी! नागराज का मामला हमेशा ही एवरग्रीन रहा है , तब RKT,हवनाश के चचे ज्यादा हो रहे थे! और हवनाश आने वाली थी, उसके हलए भी चचाा एिं होती थी! लेहकन शत्यक्त के साथ वाली बाम्बी को आने में समय था! वो 1998 में आनी थी! इसहलए उस वक़्त हमने नागराज के बारे में हसिा खजाना सीरीज से जाना! गमी की छु हट्टयाँ ऻत्म हुई! स्कूल शुरू, हो सकता था, हक कॉहमक्स का जू नून शु रू होते ही रुक गया होता..लेहकन हमारे साथ इिे िाक से एक चीज़ और हुई, हक जु लाई में एक सड़क दु घाटना में टािं ग पर प्लास्ट्र चढ़ गया! 3-4 महीने का bed rest हो गया! अब दे खने के हलए लोग आते तो कहते हक समय काटने के हलए कुछ चाहहए हो तो बताओ :P तो हुआ ऐसा हक आस-पड़ोस के लगभग सभी बच्चो के पास कॉहमक्स का हजतना भी छोटा-मोटा कलेक्शन था, वो हमने फ्री में पढ़ डाला! फ्री में इसहलए कह रहे हैं हक उस वक़्त बच्चे लोग बहुत काइयािं और शाहतर भी हुआ करते थे, नई कॉहमक्स अगर एक के पास हुई तो दू सरे को पढने दे ने से पहले वो बहुत आनाकानी करता था! पहले उसको कोई दु लाभ कॉहमक्स बदले में चाहहए होती थी, जै से हमने अपनी प्रलय हकसी को दे नी हो तो उसके बदले में तब 3 कॉहमक्स अपनी मज़ी की हम मािं गते थे! :v लेहकन टू टी टािं ग वाले बच्चे के हलए पड़ोहसयोिं के माँ -बाप भी खु द ही कॉहमक्स प्रबिंध कर लाते थे! इसका एक और बदलाव यह भी हुआ हक हम थोड़ी कॉहमक डराइिं ग भी करने लगे , ध्रुव बन रहा है , नागराज बन रहा है , काबान शीट पर छाप डाला, पोस्ट्र बनाकर दीवार पर टािं ग हदया! :v कॉहमक्स पढना,नई नई कहाहनयािं यह माहनये हक टीवी पर दू रदशा न के हसवा ज्यादा आप्शन नहीिं थे ! इसहलए कॉहमक्स की वचुाअल दु हनया भी ररयहलटी लगती थी! राजनगर नाम का जरूर कोई असली शहर होगा! हिल्मो में नाहगन-नाग हदखाए जाते हैं , कॉहमक्स में भी है तो मतलब असली दु हनया में भी होते होिंगे! बच्चे के हदमाग पर इसी तरह से तब कॉहमक्स असर करती थी! परमाणु की िैक स्पाइडर तब पढ़ी थी, spiderman तो नही िं पढ़ा था तब, लेहकन नाम सुना था! ऐसे में लगता था हक हवदे श में है तो हमारा वाला भी सच्चा है ! मुिंबई कहाँ है , मैप में खोजो, अरे पर ठिं डी आग सीने में हलए यह एिं थोनी मुिंबई में आया था तो रूपनगर कहाँ है ? नज़र नहीिं आ रहा! :v नागद्वीप हमल नहीिं रहा...कहीिं लक्षद्वीप का नाम बदल तो नहीिं गया...जै से बॉम्बे से मुिंबई! हदमाग कल्पानाओिं से भरा हुआ,ऐसी ऐसी चीज़ें खोजता रहता था! हतरिं गा हदल्री में असली हीरो है ! यह भेहड़या भी असली है ...असम में रहता है ...जिं गहलस्तान तभी ररलीज़ हुई थी! बड़ा सा सफ़ेद कागज़ का पोस्ट्र उसपर धीरज वमाा जी का काम था...रिं ग नहीिं हुए थे! उस कॉहमक्स में जो भे हड़या का रूप है वो है वानी है ! उससे निरत हो रही थी..हतरिं गा से प्यार! लेहकन सीक्वेंस में कोई भी हीरो तब भी नही िं पढने को हमला था, कमािं डर नताशा पढ़ी थी..लेहकन ना तो हत्यारी राहशयाँ पढने को हमली थी ना आगे की सजाए मौत! असल में यह जो बीच बीच में आधी कहानी जानकार पहले क्ा हुआ था और आगे क्ा होगा वाली चीज़ होती है , इस से ही एक और RC का जु नूनी िैन develop हो चु का था! :v हजसका लक्ष्य था अगली गमी की छु हट्टयाँ में अपना कॉहमक्स जनू न आगे बढ़ाना. क्ूिंहक अगला साल था शत्यक्त वषा! हजसकी सिलता के हलए RC ने जी जान लगाईिं हुई थी! =========
*) – Diamond Comics
Premier Artfx Studio
*) - Yali Dream Creations
THE VILLAGE - A Graphic Novel from the House of Yali. Releasing mid, this year. This is a social horror set in Tamil Nadu. Written by Shamik Dasgupta, Pencils by Gaurav Shrivastav and Colors by Prasad Patnaik
Champak advertisement in Chandamama (June 1969) Mikal Ishaque Ansari
*) - राज कॉलमक्स: 31 वर्षो का ब्यौरा
यह Data बनाया गया है , आपको जानकारी दे ने के हलए हक राज कॉहमक्स ने अपने सफ़र के हर साल में क्ा-क्ा उतार-चढ़ाव दे खे हैं ! 1986 में शु रू होने के बाद लगातार राज कॉहमक्स ने प्रकाशन जारी रखा है ! इन 28 वषो में हज़ारो कॉहमक्स छापी गई हैं ! उन्ही का एक हर साल का मोटा-मोटा खाका यहाँ तै यार हकया गया है ! जै सा हक आप दे ख सकते हैं हक शु रुआत में राज कॉहमक्स हसिा GENERALS कॉहमक्स छापती थी...हजसमे 40 पन्ने होते थे ....लेहकन ऐसी हसिा कुछ ही कॉहमक्स थी...उसके बाद 28-32 पन्ने की कॉहमक्स आने लगी! 5 साल तक इसी तरह छापने के बाद 1991 में "नागराज और सुपर कमािं डो ध्रुव" नामक कॉहमक्स से RC ने 64 पन्नो की कॉहमक्स की दु हनया से पाठको को रू ब रू करवाया! पाठको को यह बहुत पसिं द आया और RC ने उसके बाद लम्बी कहाहनयािं दे ना शु रू हकया! उस वक़्त तक स्थाहपत हो चुके हीरो कई बन गए थे..और उनकी कहाहनयािं 30 पन्नो में समा नहीिं सकती थी! 1993-2003 राज कॉहमक्स का स्वहणा म दशक था! राज कॉहमक्स इन्ही 10 सालोिं में हशखर पर पहुिं ची! 2004 में राज कॉहमक्स ने GENERALS कॉहमक्स का प्रकाशन बिंद कर हदया और पू रा ध्यान 60 पन्नो से अहधक की कहाहनयािं दे ने पर लगाया! हजसके िलस्वरूप कई कमजोर कहाहनयािं जो पहले 30 पन्नो में ठीक लगती थी..ज्यादा पन्नो में उबाने लगी! पररणामस्वरूप साल दर साल कॉहमक्स आने की गहत कम होती गई! जहाँ पहले साल भर में 100 नई कॉहमक्स हमलना आम बात थी...अब 50 के नीचे आ चुकी थी! 2010 के बाद हगरावट का यह हसलहसला लगातार जारी है और आज राज कॉहमक्स साल में 20 नई कॉहमक्स का आिं कड़ा भी नहीिं छू पा रही! 2015 में एक बार हिर से राज कॉहमक्स ने GENERALS का प्रकाशन शु रू हकया है ! Maximum - 1999 Minimum - 2016
1986...............................38.......GENERALS.....=38 1987...............................44.......GENERALS.....=44 1988...............................89.......GENERALS.....=89 1989...............................73.......GENERALS.....=73 1990...............................72.......GENERALS.....=72 1991...............................28.......GENERALS.....+.....8.....SPECIALS.....=36 1992...............................44.......GENERALS.....+.....6.....SPECIALS.....=50 1993...............................110.....GENERALS.....+.....13.....SPECIALS.....=123 1994...............................65.......GENERALS.....+.....9.....SPECIALS.....=74 1995...............................94.......GENERALS.....+.....20.....SPECIALS.....=114 1996...............................90.......GENERALS.....+.....20.....SPECIALS.....=110 1997...............................97.......GENERALS.....+.....33.....SPECIALS.....=130 1998..............................105......GENERALS.....+.....15.....SPECIALS.....=120 1999...............................97.......GENERALS.....+.....45.....SPECIALS.....=142 2000...............................78.......GENERALS.....+.....47.....SPECIALS.....=125 2001...............................65.......GENERALS.....+.....65.....SPECIALS.....=130 2002...............................46.......GENERALS.....+.....74.....SPECIALS.....=120 2003..............................11.......GENERALS.....+.....101.....SPECIALS.....=112 2004...............................103.....SPECIALS.....=103 2005...............................86.......SPECIALS.....=86 2006...............................68.......SPECIALS.....=68 2007...............................55.......SPECIALS.....=55 2008...............................52.......SPECIALS.....=52 2009...............................49.......SPECIALS.....=49 2010...............................55.......SPECIALS.....=55 2011...............................21.......SPECIALS.....=21 2012...............................20.......SPECIALS.....=20 2013...............................18.......SPECIALS.....=18 2014...............................15.......SPECIALS.....=15 2015...............................8.........GENERALS.....+.....13.....SPECIALS.....=21 2016...............................2........GENERALS.....+.....8.....SPECIALS.....=11 ===========
*) - TBS Planet
Mr. Rajeev Tamhankar (Founder, TBS Planet) “Getting Corporated at Mu Sigma? or HUL? Or HCL, Lenovo, Cadbury, Fortis, Reliance, Mahindra, LG, MakeMyTrip or maybe 450 other corporates served by Kwench Library? Announcing our official corporate library partnership. Starting Karma AR Comics, all our upcoming TBS Planet Comics will be available across all 450+ corporate clients (serving over 200K employees) so that folks can rent them on library model for their kids, nephews or even themselves. And oh yes, just to make sure that you don't miss out on us, we will have a banner for over half a month on your corporate employee library portal :) Happy Reading!” ========================= “Friends - this is our 1st Offline Expansion #Milestone. We have launched 50 Augmented Reaity Experience Zones across 10 cities of India - Bangalore, Mumbai, Delhi, Bhubaneshwar, Jaipur, Aigarh, Jabalpur, Ujjain, Meerut and Jammu. Each city has around 310 partner bookstore cafes (depending on size of the city) where people can walk in and read our select comic books for free and experience AR technology with our new launches while sipping a coffee. (Oh yes, we will refresh few comics quarterly). We intend to partner over 100 such cafes by April across 20 cities in India. If you would like us to open our SIS (shop-in-shop) Experience Zone in a bookstore cafe in your city, drop me a message. As we ramp up our offline distribution, we will definitely try taking up your city on priority. Full list of 50 cafes will be published on our FB page TBS Planet Comics by March 5th. Oh and yes special thanks to Akash and Rohan for building our distribution network.”
*) - लनयलत (Destiny) लवपु ि दीलक्षत
स्थान---राज नगर से लगा हुआ एक सहर सीलमपु र।। एक गेराज में एक लड़का अपनी बाइक में कुछ बना रहा था।। की तभी एक कार आके गेराज के सामने रुकती है ।और उसमे से एक सुिं दर लड़की हनकलती है ।। लड़का--००मन में०० (आ गई हिर हदमाग खाने) लड़की--कहा खो गये मैकेहनक साहब जरा दे खना तो क्ा हुआ कार में। लड़का--हाँ दे खता हँ रोज की तरह आज भी ये मेरे गेराज के सामने ही बिंद हुयी है । *थोड़ी दे र माथा पच्ची करने के बाद।।* लड़का--लो आज भी कुछ नही हुआ है इसमें हिर भी तु म इसे रोज जान बूझ कर यही क्ू लाती हो।। कोण हो तु म।। लडकी--अरे वाह ऐसे कैसे कुछ नही हुआ कुछ तो हुआ है कार में न सही पर मेरे हदल में तो हुआ।। लड़का--क्ा कहा लडकी--कुछ नही।। वै से मै इतने हदन से तुम्हारे गेराज में आती हँ ।। अपना नाम तो बता मैकेहनक साहब। लड़का--क्ा करोगी मेरे नाम का।।। हजसका अब कोई मतलब नही है ।।। खैर तुमने पु छा है तो बता दे ता हँ । मेरा। नाम _नक्षत्र_है ।।
लड़की--ओके नक्षत्र अगर बुरा लगा तो सॉरी। अब चलती हँ शाम को हिर आउिं गी जब गाड़ी खराब होगी। **और वो लड़की हल्की सी मुस्कान हलए।। बाहर चली जाती है । इधर वो लड़का जो की नक्षत्र था ।हजसने ध्रुव तक को लोहे के चने चबवा हदए थे ।। गलतिहमी में आकर और उसकी सजा भी हमली थी उसे ।।हजसे उसके अच्छे बरताव को दे खते हुए कम कर हदया गया और जल्दी ररहा कर हदया।। तब उसने जे ल से बाहर आकर अपना गेराज खोल हलया और अब उसी से उसका गुजारा होता है ।।** स्थान--सीलमपु र के उिरी भाग में एक सकास ने डे रा जमाया हुआ था।। हजसका माहलक था हवदू षक।। जो की अब एक जगह न रुक कर शहर शहर जाकर सकास की आड़ में अपने काले धिंधे चलाता है ।। और हकसी को शक भी नही होता है ।। उसी सकास के अिंदर। एक आदमी--बॉस एक गडबड हो गई वो हमारब 20 लाख का माल जो की आज सीलमपु र बस स्ट्ैं ड में बदलना था वो पकड़ा गया। हवदू षक--हकसने पकड़ा हवदू षक के माल को।। हिं सा हिं सा के मारू िं गा उस मै ।(हा हा हा ) वो आदमी--वो नया कबीर नायक नही है ।। उसी ने पकड़ा है सु ना है बड़ा खतरनाक है हजस शहर में जाता है मुजररमो को पानी हपला दे ता है ।।।। हवदू षक--ओह ऐसा क्ा अब तो हमलना पड़े गा इससे ।। कुिंडली हनकालो इसकी जरा।। हिर मै बताता हँ इसे।। की मुजररम क्ा होता है ।। वो आदमी वहािं से चला जाता है ।। स्थान--कबीर नायक का घर-दोपहर के 3 बज रहे थे । कबीर और उसकी बीवी प्रज्ञा बैठे हुए चाय पी रहे थे ।। तभी डोर बेल बजती है ।। प्रज्ञा--मै दे खती हँ ।। कबीर-- रुको मै जनता हँ कौन होगा।। दरवाजा खु लते ही ।। भै या।।।
कबीर--कहा गयी थी कालेज तो कब का बिंद हो गया होगा।। आज कल तू कुछ जादा घु मने लगी है ।। प्रज्ञा--छोडो भी अब आते ही सु रु हो गये ।। रीटा तुम जाओ हाथ मुह धो लो मै खाना लगाती हँ । रीटा--जी भाभी। अभी आई। कबीर--तुम्ही ने हबगाड़ रखा है इसे ।। अच्छा अब मै चलता हँ ।। प्रज्ञा--ठीक है शाम को घर जल्दी आ जाना।। और कबीर घर से चला जाता है ।। स्थान--हवदू षक का सकास समय--दोपहर के 3:30 हवदू षक--कहा रह गया ये कमीना गोलू अभी तक उस कबीर की कुिंडली नही हनकाल पाया।। तभी गोलू आता है ।। गोलू--बॉस सब पता कर हलया है ।।इसकी घर में केवल तीन लोग है । माँ बाप यहाँ नही है ।।बहन है वो यही सीलमपुर कालेज में पढ़ती है ।। और बीवी घर पे रहती है ।। हवदू षक--वाह हमल गया हशकार बहन को उठाओगे भाई दौड़ा चला आएगा।।उठा लो इसकी बहन को।। हिर मजा आएगा।। गोलू --ठीक है बॉस। स्थान-- नक्षत्र का गेराज। हिर वही कार गेराज के बाहर खड़ी थी।। और वो लडकी हनकले कार से उससे पहले ही नक्षत्र वहाँ पहुच जाता है । नक्षत्र--हाँ तो मैडम हिर खराब हो गई लीहजये आप मुझे दे त्यखये बस क्ू की आप के पास और कोई काम तो है नही।। मुझे परे शान करने के आलावा।। लड़की--ए मैकेहनक हमस्ट्र तुम्हारा यही काम है अपना काम करो।। और हाँ इस बार गाड़ी सच में खराब है अब ये तुम्हरो हकस्मत अच्छी है की ये तु म्हारे गेराज के सामने खराब हुयी है । नक्षत्र--ओह ऐसा क्ा ठीक है अभी पता चल जाये गा।। नक्षत्र थोड़ी दे र इधर करता है कार में हिर बाहर आकर कहता है ये अभी ठीक नही हो पाये गी।। कल ले जाना।। लड़की--अ हा हा दे खो तो कैसे कह हदया कल ले जाना तब तक मै घर कैसे जाउिं गी।।
नक्षत्र--वो मै क्ा जानू । लड़की--ठीक है तो मै आज यही रुक जाती हँ ।। और चुप चाप मुस्कुराते हुए वही साइड में बैठ जाती है । नक्षत्र--००मन में००(कहा ििंस गया मै) ठीक है चलो मै तु मको तु म्हारे घर छोड़ दे ता हँ ।। लड़की--ठीक है अब आये न लाइन पे ।। नक्षत्र अपनी बाइक हनकालता है हजसे दे खकर उस लडकी की आिं खे िटी रह जाती है ।। हो भी क्ू न वो बाइक कोई साधारण बाइक तो थी नही।। नक्षत्र जब भी खाली होता था तब उसमे कुछ न कुछ िेर बदल करता रहता था।। लडकी*-वाऊ क्ा बाइक है ।। हकतने की है हकस किंपनी की है ।। नक्षत्र--मैंने बनाई है और अब चु प चाप बैठ जाओ और चलो। लडकी बैठ जाती है ।। वो दोनोिं कुछ ही दू र पहुिं चे थे की।। एक जीप उनको ओवर टे क करते हुए हनकलती। गाड़ी के अिं दर बॉस रुको ये वही लडकी है उस इिं स्पेक्टर की बहन रीटा।।। हवदू षक गाड़ी धीमी कर लेता है । और जब बाइक के पास पहुच जाती है तब कहता है ।। हवदू षक--हजसको ढूिंढा जगह जगह वो मेहमान अपने पास ही हनकले।। वाह, वाह, हा हा हा। नक्षत्र--हे ल्रो हमस्ट्र ये क्ा बेवकूिी है अपने रास्ते चलो ।। हवदू षक--अबे ओ हचलरोजे सािं त हो जा वरना घु न की तरह गेहिं के साथ हपस जाये गा।। नक्षत्र--क्ा बोल रहा है गेहिं घु न सीधे सीधे बोल। हवदू षक--इस लड़की को मेरे हवाले कर दे और यहा से हनकल।।।। वरना तू िालतू में मारा जाये गा।। नक्षत्र--जा जा तेरे जै से बहुत आये है नक्षत्र की हजन्दगी में।।। हवदू षक--ठीक है तो ते री मजी।। और अपनी जे ब से कुछ कीलें हनकलता है और सडक पे डाल दे ता है ।। नक्षत्र ने उसे कीले डालते हुए दे ख हलया था और समय रहते बाइक को कार के दु सरे तरि कर हलया। नक्षत्र--बस हो गया या और कुछ है ।। हवदू षक--अरे अभी कुछ हकया ही कहाँ है ।। अब दे ख।
हवदू षक ने अपनी जे ब से एक कािं च की बोतल हनकाली और नक्षत्र के हे लमेट पे िोड़ दी। नक्षत्र--ओह अब कुछ हदख नही रहा है ।। हे लमेट हनकलना पड़े गा।। और हे लमेट हनकाल कर िेंक दे ता है ।। नक्षत्र--अब इसे सबक हसखाना पड़े गा।। नक्षत्र ने अपनी बाइक में लगे एक बटन को दबाया तो बाइक से दो हडस्क्स हनकल कर हवदू षक की जीप के टायर पिं चर कर हदए। और बाइक खड़ी करके तुरिंत हवदू षक के पास पहुँ च गया।। और उसे गाडी से बाहर खीिंच हलया।। और एक थप्पड़ जमाया उसके गाल पे ।। तभी हवदू षक ने एक छोटी सी गोली हनकाली और नक्षत्र की पर िेंक दी।। नक्षत्र--तू मुझे इन गोहलयोिं से डरा रहा है ।। हवदू षक--ये कोई आप गोली नही है ये िटती भी हैं अब हिं सो हिं सो अब हिं सो हिं सो हा हा हा नक्षत्र--ओह मैंने भी कैसे सोच हलया ये इतना छोटा वार करे गा मगर ये हिं सने । को क्ू कह रहा है । ओह नो।।। समय रहते अगर नक्षत्र हट न गया होता तो चटनी बन जाती उसकी ।। मगर बम िटने के बाद दु सरे वार से न बच पाया।। जो की बम के धुएिं में थी लाहििंग गैस ।।नक्षत्र बड़ी ते ज ते ज हिं स रहा था।। हवदू षक--हा हा हा अब हिं स अब हिं स।। कहा था न की घु न मत बन चु प चाप चला जा।। मगर नही गया अब हिं स।। इसी प्रकार बोलते हुए हवदू षक उसके करीब पहुँ च जाता है ।। और नक्षत्र तु रिंत ही उसके एक जोरदार हकक लगाता है और पीछे खड़े दो गुिंडोिं पे भी जो की उस गैस के प्रभाव से अभी भी हिं स रहे थे ।। रीटा बच गयी थी क्ू की वो दू र खड़ी थी बाइक के पास। हवदू षक--तू बच कैसे गया मेरी लाहििंग गैस से । नक्षत्र--तुमने ही तो बता हदया था की हिं स भाई हिं स मै समझ गया और अपनी नाक पे हाथ रख हलया और बच गया। मगर अब तू नही बचे गा।। हवदू षक--अरे एक वार से बच क्ा गया तू ने मुझे कमजोर समझ हलया।। और हवदू षक अपने हाथ में थमी हुयी ताश को गड्डी को खोल कर नक्षत्र की और उछाल दे ता है ।।
और वो छोटी से गड्डी दे खते ही दे खते बहुत बड़ी हो गयी और उसके पिे ते जी से हकसी िेड की तरह हवा में उड़ने लगे।। मगर नक्षत्र भी एक कुशल कलाबाज था वह सब पिो से बच रहा था। मगर ये पते रुकने का नामे। ही नही ले रहे थे ।और जादा दे र तक इनमे उलझना। मतलब मौत पक्की क्ू की ये इतने धार दार थे की लकड़ी तक को झटके से काट दें । नक्षत्र--ओह अब ये पिे और तेज हो रहे हैं । कैसे रुकेंगे। ये ।। ओह हाँ एक तरीका है ।। उसने तुरिंत ही अपनी बेल्ट हनकाली और और उसे तलवार की तरह चलाने लगा।। अब वे पिे हवा में तो उड़ रहे थे मगर हकसी हदशा में नही ।।बस कुछ दे र में ही नक्षत्र ने अपनी बेल्ट सब पिे हनचे हगरा हदए।। और अब वो उसी बेल्ट से हवदू षक और उसके गुिंडोिं की हपटाई करने लगा।। हवदू षक--नही ये नही हो सकता हवदू षक पकड़ा गया पकड़ा गया।। इतनी आसानी से नही।। तभी वहािं पर पुहलस के सायरन की आवाज गूिंज उठती है ।। हजसे सु नकर हवदू षक चौिंक जाता है ।। ये ससु राल वाले कैसे आ गये यहाँ पे ।। हवदू षक-- नही मै पकड़ा नही जाऊिंगा अभी मुझे बदला लेना है कबीर नायक से नही छोडूिंगा मै उसे बदला लूँगा मै अपना।। और नक्षत्र आज तू ने हवदू षक से दु श्मनी मोल ली है तु झे महिं गा पड़े गा।। नक्षत्र--महिं गा तो तब पड़े गा जब तू कही जाये गा मै तु झे जाने ही नही दू िं गा।। हवदू षक--हवदू षक हमेशा एक खास हहथयार बचा के रखता है ।। और वो अपनी जीप के पास जाता है भाग कर और उसमे से एक कािं च का जार हनकाल कर नक्षत्र की और तोड़ दे ता है ।। हजसमे मधुत्यखियाँ भरी थी और अब वे नक्षत्र पे टू ट पड़ी थी।। और मौका पाकर हवदू षक और उसके साथी भाग गये थे ।। नक्षत्र-- आह अब इन से कैसे हनपटू ।। ये तादाद में बहुत जादा है और यहाँ इनसे बचने के हलए धुँआ कहा से लाऊ।। अरे हाँ आ सकता है ।। मेरी बाइक है न।। वो दौडकर अपनी बाइक के पास जाता है और तु रिंत बाइक को मधुमत्यखयोिं की हदशा में घु मा कर चालू कर दे ता है बाइक के silencer से तेज धुँआ हनकल रहा था हजससे मधुत्यखियाँ भाग जाती है ।। और तभी वहािं पे कबीर नायक पहुँ च जाते है ।। और उनके साथ था दु हनया का सबसे ते ज हदमाग त्यखलाडी _सु पर कमािं डो ध्रुव_।… कबीर ---रीटा तु म ठीक तो हो न।। रीटा--हाँ भैया मै ठीक हँ ।। नक्षत्र के रहते वो गुिंडे मुझ तक पहुँ च भी पाए।। कबीर -- नक्षत्र तु म्हारा बहुत बहुत धन्यवाद ।।
जो तुमने मेरी बहन की जान बचाई।। ध्रुव-- ओह नक्षत्र तो तुम आ ही गये हमारी लाइन में तु म जै से हदमाग और ताकत के धनी लोगो की जरूरत है इस समाज को।। कबीर मेरा दोस्त है ।। तुमने रीटा की जान बचाई उसके हलए धन्यवाद।। नक्षत्र--००मन में००(ओह तो ये लडकी रीटा शहर के नये इिं स्पेक्टर कबीर नायक की बहन है ।।) धन्यवाद वाली कोई बात नही सर ये तो मेरा िर् ज था ।।मै इसे बचाने इ सक्षम था तो बचा हलया।। और ध्रुव समाज की रक्षा तुम्ही करो मुझे कोई शौक नही है ऐसे समाज की रक्षा करने का हजसमे मेरे पापा को हकसी से बदला लेने के हलए इस्तेमाल हकया गया और उनकी हत्या भी की गई।। और नक्षत्र वहािं से चला गया।। कबीर-- ये क्ा बोल रहा था ये ।।ध्रुव तु म लोग हमल चु के हो क्ा।। ध्रुव-- कुछ नही पुराणी बात है ।। हफ़लहाल मुझे ये यकीन है जादा हदन सच्चाई से दू र नही रह पाये गा ये ।जब जब समाज पे कोई बुरा साया आएगा तब तब वापस औयेगा समाज का अच्छा नक्षत्र।।...यही है उसकी हनयहत।।। रीटा--क्ा ध्रुव भैया आप तो हिर सुरु हो गये और आज हकतने हदन बाद हमे याद हकया है जाओ मै आपसे बात नही करू िं गी।। ध्रुव-- ओह रीटा तू भी न जानती है की मै हकतना व्यस्त रहता हँ ।। लेहकन ते रे हलए ते री मनपसन्द चीज लाया हँ ।। रीटा-- बस ऐसे ही बच जाते हो आप ठीक है लाओ मेरी इमली कहाँ है ।। रीटा को इमली बहुत पसिंद थी।। ...क्रमश क्या वापस आये गा लवदू र्षक कबीर से बदिा िे ने।। =========
*) - Jasoos Babloo Series
Comic - Data ki Chori, Artist – Husain Zamin
*) – Amar Chitra Katha
i) – Saptarishi – The Seven Supreme Sages ii) – Swachh Bharat – The Clean Revolution iii) – Indian Folklore and Fables ===========