नारीपना (Naripana) Author – Mohit Sharma Trendster (मोहहत शमाा ज़हन) © Freelance Talents (2016), All rights reserved.
नारीपना नमस्ते! इस किताब िी हर िहानी और िविता में नारी किरदारों पर िुछ प्रयोग किये हैं। िहीॊ िह सिारात्मि है, तो िहीॊ बबल्िुऱ गऱत पर ये सभी स्त्स्ियाॊ
ितामान िो ितामान में जीती हैं, जो तऱ ु नात्मि रूप से परु ु षों में िम दे खा है । नारी िे सभी रूपों िो स्िीिार िरना समाज िे लऱए ज़रूरी है । निारात्मि आदतें और व्यिहार िे लऱए भी थोड़ी जगह होनी चाहहए, नहीॊ तो दनु नया नीरस हो जाती है ।
आखखर किसी िी 100 अच्छी बातें पसॊद हैं तो िुछ ख़राब भी झेऱो। खैर, मेरे ये
प्रयोग आगे जारी रहें ग,े आशा है आप सभी िा स्नेह ि सहयोग बना रहे गा। 2014 में सीलमत फोरम्स पर प्रिालशत नारीपना में िुछ नयी रचनाएॊ जोड़िर इस बार बेहतर एडिशन प्रिालशत िर रहा हॉ । मोहहत शमाा 'ज़हन' (letsmohit@gmail.com) माचा 2016, ऱखनऊ।
*) – नारीत्ि
अजीफ है ना कुछ फड़ी घटना होने ऩय आॉखों के साभने फना औय चर यहा ऩरयद्रश्म ककतना धध ुॉ रा रगता है । आज वो अॊधी भबखायन कफसे ऩभु रस क्वाटय के
फाहय आवाज़ रगा यही थी जजसे अक्सय ईरा मॉ ही फातें कयती थी औय खाना खखराती थी। सख्त गभी के फाद ऩहरी फारयश हो यही थी जजसका उसे कफसे
इॊतज़ाय था, आस-ऩास सखे ऩेड़ ऩौधे अचानक से नहा-धो कय ताज़ा हये से हो गए थे। ये डडमो ऩय उसकी ऩसॊद का कामयक्रभ आ यहा था ऩय हाथ भें थभे अऩने
फखायस्ती ऩत्र के साभने मह सफ जैसे कहीॊ दय ककसी औय की दनु नमा का हहस्सा रग यहा था।
ईरा के ज़हन भें रगबग दो सार ऩहरे की मादें चरने रगी जफ वो उत्तय प्रदे श के 1982 फैच की 38 भहहरा ऩभु रस कभभयमों भें से एक थी औय अऩनी ट्रे ननॊग ऩयी कय ऩभु रस की वदी ऩहन अऩने गाॉव गमी थी। शेय आ जाने ऩय जैसे हहयण,
खयगोश जस के तस "स्टे च" सा फन जातें है वैसे ऩया गाॉव ही थभ गमा। पऩता जी चभेर ऩॊडडत तो ऽश ु ी के भाये छोटे फच्चों की तयह हयकतें कय यहे थे औय सवार
ऩछ यहे थे, भाॉ के गुजयने के फाद पऩता जी के जीने का सहाया ईरा ही थी। उसकी दो छोटी फहन कोभर औय दीऺा ने बी अऩनी फायहवी औय सातवी की ऩयीऺा दी
थी। पऩता ने जैसे तैसे ईरा को काबफर फनाने भे अऩनी ज़भीन, ऩॉजी गवाॉ दी अफ
ईरा को दायोगा फने दे ख कय उन्हें अऩने फभरदान साथयक रग यहे थे। घय के फाहय
भेरे जैसी बीड़ रगी थी, आस-ऩास के गाॉवों से बी रोग रड़की दायोगा को दे खने आ यहे थे। थोड़ी दे य फाद पऩता जी ने अऩनी इच्छामें यखी।
चभेर - "ईरा फेटे ...एक तो ऩयु ाना जभीॊदाय है उसके महाॉ जीऩ रेके डॊडा पटकाय
आ, कभ से कभ उसकी खखड़की-ककवाड़ तोड़ आइमो, कयभजरा कहता कपयता था की भैंने अऩनी फेटी खद ु ही शहय बगा दी। कोभर की फायहवी हो गमी है इसको बी
शहय रे जा औय अऩनी तयह कुछ फना दे, घय की भयम्भत कयवा हदमो औय फेटी एक ऩट्टे वारी फड़ी घडी हदरवा दे भझ ु े ...."
ईरा - "ठीक है पऩता जी सफ कय दॉ गी ...ऩय एक भहीने की तनख्वा के हहसाफ से
आऩ कुछ ज्मादा रारच नहीॊ हदखा यहे? हा हा ...औय फड़ी घडी? आऩ दीवाय घड़ी की फात कय यहे हो क्मा? वो क्मों चाहहए?"
चभेर - "फेटा दे ख भै तो अनऩढ़ ह,ॉ घड़ी भाथे ऩय फाॊध रॉ गा जजसको सभम दे खना आता होगा उसी से ऩछ रॉ गा की बैमा क्मा फज यहा है? कहने को बी हो जामेगा बफहटमा ने कुछ फड़ा तोहपा हदमा है ।"
इन दो सारों भे ईरा ने अऩने वेतन से जो घय बेजा वो पऩता के भरए कजो के
आगे कापी कभ था अबी घय को तायने भे उसे कुछ सार औय रगने थे क्मोकक वो अऩनी ड्मटी ईभानदायी से कय यही थी जो सयकायी पवबागों खासकय ऩभु रस भे कभ दे खने को भभरता है ।
ईरा की ऩहरी ननमजु क्त हुई सॊजमनगय जजरे औय आस-ऩास के ऺेत्रो के एकभात्र भहहरा थाने भे। सॊजमनगय कोतवारी के थाना प्रबायी थे इॊस्ऩेक्टय सभु भत कुभाय।
कापी भाभरो, अऩयाधो भें सॊमक् ु त जाॉच, गश्त, दपवशों भें सभु भत औय ईरा भभर कय
काभ कयते थे। सभु भत एक अनब ु वी, प्रोढ़ औय ईरा की तयह ही कतयव्मननष्ठ थाना
ननयीऺक थे कुछ ही भहीनो भें ईरा ने उनसे फहुत कुछ सीखा था औय दोनों थानों ने भभरकय कई अऩयाधधक एवभ ऩारयवारयक भाभरे सर ु झामे थे। ऩभु रभसमा बाग दौड़ भें कैसे इतने भहीने गज़ ु य गमे ऩता ही नहीॊ चरा।
एक यात दहे ज़ उत्ऩीडन के एक भाभरे भें ईरा अऩने सहकभी सभु भत, उनके 2 भसऩाही औय अऩनी 2 भहहरा आयऺी के साथ सॊजमनगय के ऺेत्र भे एक गाॉव
बफधोरी ऩहुॉची। गाॉव के फाहय गें ह की पसर से घने खेतो भें डेया जभामे
कुछ फदभाशो के एक धगयोह को ऩभु रस जीऩ दे ख कय मह उनके भरए की गमी
दबफश है । गाॉव भें घस ु ने से ऩहरे ही ऩभु रस जीऩ ऩय पामरयॊग शरू ु हो गमी। इस
अप्रत्माभशत हभरे भें गाडी चरा यहे भसऩाही कुरदीऩ के हाथ भें गोरी रगी औय जीऩ
असॊतुभरत होकय कच्चे यास्ते से डगभगा कय ऩरट गमी। सभु भत ने जीऩ से ननकर कय ईरा औय फाकी साधथमों को ननकारा। ईरा को भाभरी चोटें आमी थी ऩय जीऩ ऩरटने से ऩहरे फदभाशो द्वाया चरामी गमी गोभरमों से ऩीछे फैठी दोनों भहहरा भसऩाही घामर हो गमी थी, एक गोरी इॊस्ऩेक्टय सभु भत के कॊधे ऩय रगी थी।
जस्थनत पवकट थी, ऩारयवारयक भाभरा सभझ कय हधथमायों की इतनी ज़रुयत नहीॊ सभझी इस ऩभु रस दर ने। अफ भसपय एक भसऩाही की याइपर, इॊस्ऩेक्टय सभु भत कुभाय औय ईरा की अऩनी-अऩनी रयवाल्वय थी। सभु भत का ऩहरा सवार था। "चर ऩाने की जस्थनत भे कौन-कौन है?" ईरा के अरावा एक ऩरु ु ष आयऺी नननतन बी ठीक हारत भे था। सभु भत का अगरा ननदे श था।
"वामयरेस टट गमा है । गाॉव इस फाा के यास्ते से डेढ़ भीर दय है, ईरा जी औय काॊस्टे फर नननतन आऩ दोनों अऩने कॊधो ऩय दोनों घामर भहहराकभभयमों को रेकय
जामेंगे औय उनके इराज का इॊतज़ाभ कयने के फाद ही रौटें गे। ग्राभ प्रधान मा ककसी
जभीॊदाय के ऩास फॊदकें हो तो रामेंगे। वैसे ड्राईवय कुरदीऩ बी घामर है ऩय कऩडे से खन रुक गमा है औय इसकी नब्ज़ ठीक है ।"
सभु भत का फामाॉ हाथ अजीफ तयह से भड़ ु ा था औय ईरा फता सकती थी की वो जीऩ के बाय से फीच भे से टटा है, ऊऩय से कॊधे भे रगी गोरी। ऩय अऩने दर का
भनोफर न टटे इसभरए सभु भत ककसी ऩीड़ा का ननशान तक नहीॊ हदखा यहा था। ईरा कुछ ऩरो तक जैसे भयत फन अऩने आदशय, गुरु को दे खती यह गमी। ईरा - "रेककन सय आऩ??" सभु भत - "अबी के भरमे भै ठीक ह,ॉ आऩ अऩनी रयवाल्वय ननकार कय यखखमेगा, महाॉ औय फदभाश बी हो सकते है । हभ दोनों आऩ रोगो को कवय पामय दे ते है । "
भन के अॊतहीन प्रश्नों से गुथभगुत्था ईरा अऩने ऊऩय एक भहहरा काॊस्टे फर को टाॉगे दौड़ ऩड़ी। गाॉव भें ईरा औय नननतन ने प्रधान के घय ऩय घामरों को छोड़ा औय गाॉव भे उनको केवर एक दे सी दन ु ारी औय उसकी दो गोभरमाॉ भभरी। दोनों को
रौटने भें एक घॊटा रग गमा। ऩभु रस ऩाटी अऩने तीनो हधथमायों की गोभरमाॉ ऽत्भ
हो चक ु ी थी, सभु भत अऩने अॊदाजों से 3 फदभाश भाय चक ु ा था। अफ भसपय दन ु ारी औय उसकी दो गोभरमों की वजह से ओट भें नछऩे यहने के अरावा कोई चाया नहीॊ था।
रगाताय 4 घॊटो तक दोनों तयप से कोई गनतपवधध नहीॊ हुई, आखऽयकाय अऩना ददय कभ कयने के भरमे औय अऩना ध्मान फॉटाने के भरमे रेटे हुए सभु भत ने फीडी
सर ु गामी। ऩय कबी-कबी अनब ु व भें बी चक हो जाती है अॉधेये भें फीडी की चभक
दे ख फदभाशों ने उस हदशा भें कुछ गोभरमाॉ चरामी जो सभु भत के सय को बेद गमी
औय सभु भत की भत्ृ मु हो गमी। रगबग हभेशा फदभाश ऩभु रस से भत ु बेड टारना ही फेहतय सभझते है औय भत ु बेड होने ऩय जल्दी ही जस्थनत से ननकरने कक कोभशश
कयते है । ऩय मे सगे-सॊफॊधधमों का धगयोह था जो अऩनों के भय जाने ऩय फदरा रेने
की इच्छा से घॊटो डटा हुआ था। फदभाशो को अॊदेशा हो चक ु ा था की ऩभु रस दर की गोभरमाॉ ऽत्भ हो चक ु ी है, अऩनी जीऩ को वाऩस ऩरट यही ईरा औय दोनों भसऩाहहमों ऩय फचे हुए 3 फदभाशों की गोभरमों की फौछाय सी हो गमी। दोनों भसऩाही
वहीीँ धगय ऩड़े औय वाऩस ऩरटी जीऩ के फीच भे ईरा दफ गमी उसकी जाॊघ को छ कय एक गोरी ननकरी थी। ननडय फदभाश अफ फढ़ते हदखामी दे यहे थे ईरा ने
अऩनी ऩयी इच्छाशजक्त जुटा कय कुछ दय ऩड़ी दन ु ारी तक हाथ ऩहुॉचामा औय उसको चरामा, दन ु ारी जाभ हो गमी थी मा शामद फाफा आदभ के ज़भाने की दन ु ारी अफ चरने की हारत भे नहीॊ थी। दे सी हधथमाय कफ चर जामें औय कफ धोखा दे जामे
कुछ कहा नहीॊ जा सकता। वैसे ईरा ने गाॉव वारो से शहय सॊदेश भबजवाने को कहा था ऩय भदद आने भे घॊटो रग जाने थे। गाॉव वारे बी डय से इस औय नहीॊ आने वारे थे। इधय वो तीन फदभाश भौके का जामजा रेने रगे। "रड़की? ऩभु रस भें रड़की?" "अफे वो सीता औय गीता भे रड़की बी तो ऩभु रस थी ...." "अफ इसको कैसे भायें? हभायी गोभरमाॉ बी ऽत्भ?" "अफे! रड़की है इसको भायने की क्मा ज़रुयत है ..हा हा हा!!!" कपय तीनो फदभाशो ने जीऩ से ईरा को खीॊच कय उसके साथ साभहहक
फरात्काय ककमा। अऩने औय अऩने साधथमों के खन की गॊध, अऩनी आॉखों से अऩने शयीय से अरग होती वदी दे खने की फेफसी, साभने सय खुरी अऩने
आदशय इॊस्ऩेक्टय सभु भत की राश, औय इतने ददय के फीच अऩने शयीय औय आत्भा का चीयहयण। दनु नमा कहती है नायी एक ऩहे री है ऩय आज ईरा को ऩरु ु ष के रूऩ चौंका यहे थे, एक तयप ननजीव ऩड़े सभु भत, कुरदीऩ, नननतन औय एक तयप उसके
नग्न शयीय से खेरते मे 3 दरयन्दे । कुछ दे य के भरमे ईरा अऩनी भानभसक औय
शायीरयक वेदना से अचेत हो गमी। फदभाश उसको भया सभझ बाग ननकरे। ईरा
होश भे आई तो उसने खुद को सॊबार कय वदी ऩहनी औय साधथमों ऩय नज़य डारी। सभु भत तो ऩहरे ही भय चक ु े थे ऩय नननतन औय कुरदीऩ की साॉसें चर यही थी। ईरा ने अऩनी ऩयी ताकत झोंक कय ककसी तयह जीऩ को खड़ा ककमा। तुयॊत दोनों
भसऩाहहमों को जीऩ भे डारा। जीऩ की हारत ठीक थी। ईरा जीऩ चराकय गाॉव से
ननकरी औय कापी दय उसे वो फदभाश जाते हदखे, ईरा ने ढरान ऩय जीऩ फॊद कय दी औय ऩीछे से उनके ऩास ऩहुॉचते ही जीऩ स्टाटय की, ईरा के भन भें उन तीन
दरयॊदो के पवरुद्ध आक्रोश फहुत था ऩय इस घड़ी भें बी अऩना भानभसक सॊतर ु न ठीक यखते हुए सधे कोण से जीऩ चराने से तीनो फदभाश जीऩ के नीचे आ गए जजनभे से एक भया हुआ जीऩ से नघसटता हुआ कुछ दय तक गमा औय फाकी दो घामर होकय वहीीँ धगय ऩड़े। ईरा के ऩास सभम कभ था तो वो सबी फदभाशो को भया सभझ वहाॉ से ननकर गमी।
शहय ऩहुॉचने ऩय ईरा ने दोनों भसऩाहहमों को अस्ऩतार बती कयामा औय कण्ट्ट्रोर रूभ सचना दी जजस से जजरे भे हडकॊऩ भच गमा औय बायी सॊख्मा भे ऩभु रस फर बफधोरी के भरए यवाना ककमा गमा। कुरदीऩ को उठवाते वक़्त उसकी गदय न एक औय झर गमी औय अफ तक दृद खड़ी ईरा की आॉखें अऩनी फेफसी ऩय नभ हो गमी। वो खुद को दोष दे ने रगी की उसने जीऩ सीधी कयने भे ककतना सभम रगा हदमा, वो कुरदीऩ को फचा सकती थी। अऩने भेडडकर भें ईरा ने अऩनी फाहयी चोटों का ईराज कयवा भरमा ऩय खद ु से आॉखें चयु ा कय अऩने फरात्काय की फात छुऩा री। भौके ऩय ऩहुॉची ऩभु रस को भत ृ सभु भत कुभाय औय गॊबीय रूऩ से घामर भहहरा आयऺी भभरी। खेत भे भये फदभाशो की राशें भभरी ऩय ईरा की जीऩ से कुचरे गमे फदभाश नहीॊ भभरे, शामद वो दोनों अऩने साथी को उठा रे गए। दसया भसऩाही नननतन जजॊदा फच गमा ऩय सय ऩय रगे आघातों से उसके शयीय को रकवा भाय गमा औय वो कुछ फोरने तक की हारत भे नहीॊ फचा। ईरा जाॉच भे ऩया सहमोग दे यही थी ऩय वो अन्दय से टट चक ु ी थी। अऩने ऊऩय
हुए अत्माचाय को छुऩाने की वजह से वो खुद से बी नज़ये नहीॊ भभरा ऩा यही थी। सॊजमनगय के एक नेता को इस भाभरे भे याजनैनतक भौका हदखाई हदमा, उसने शहीद सभु भत कुभाय के ऩरयजनों को रेकय ईरा के घय औय थाने के फाहय अऩने सभथयको की बीड़ के साथ धयना हदमा औय सीधे आयोऩ रगामे की ईरा ने जान फझ ु कय इॊस्ऩेक्टय सभु भत कुभाय की भौके ऩय भदद नहीॊ की क्मोकक ईरा एक ऩॊडडत थी औय सभु भत कुभाय एक हरयजन, फाकी दो भसऩाही बी हरयजन थे जजसकी वजह से ईरा उनका साथ छोड़ अऩनी सयु ऺा के भरए भौके से बाग गमी मा छुऩ गमी। वो भौके ऩय छुऩी यही औय फदभाशो के जाने का घॊटो इॊतज़ाय कयती थी, फदभाशो के जाने के फाद ही हयकत भे आकय ईरा ने उन्हें फचाने की खानाऩनतय की। शक की कुछ जामज़ वजहें थी जैसे उस नेता ने दरीर दी की ईरा को कोई गॊबीय छोट नहीॊ आई अऩने फाकी साधथमों की तयह। ईरा द्वाया ग्राभ प्रधान से भाॊगी गमी दोनारी जो उस वक़्त जाभ हो गमी थी अगरे हदन ऩभु रस दर द्वाया चेक कयने ऩय कैसे चर गमी? जफ इन आयोऩों का ईरा को ऩता चरा तो उसका शयीय, भन सन् ु न ऩड़ गमा, वो काॊऩने रगी। मे डय, गुस्सा मा दख ु नहीॊ था, मह एक हाय का एहसास था की अऩनी ऩयी कोभशश के फाद बी, इतने फभरदान के फाद बी, सफ कुछ हभेशा के भरए फदरने के फाद बी हाय…ईरा को अऩने सहकभभयमों के नाभ के अरावा उनके फाये भे कुछ ऩता नहीॊ था न उसने कबी कुछ जानना ज़रूयी सभझा..खद ु को इतना अकेरा कबी नहीॊ ऩामा ईरा ने, हय ओय से ताने, कटाऺ महाॉ तक की उसकी अऩनी अॊतयआत्भा बी उसको दत्ु काय यही थी। वैसे ऩभु रस पवबाग भे बी मे फातें दफी जफ ु ान भें चर यही थी। ईरा ऩय ऩभु रस पवबाग औय भानवाधधकाय आमोग की सॊमक् ु त जाॉच फैठाई गमी। कुरदीऩ भय चक ु ा
था, रकवाग्रस्त नननतन कुछ फोरने की हारत भे नहीॊ था औय दोनों भहहरा कभभयमों के फमान जीऩ ऩरटने औय गाॉव आने तक थे। भौके की चश्भदीद औय इस जाॉच भे आयोऩी भसपय ईरा थी। सॊवेदनशीर भाभरा होने के कायण औय ईरा के ऩऺ भे कोई सफत ना होने की वजह से ईरा को ड्मटी भे राऩयवाही फयतने औय अऩने साधथमों की जान न फचाने के आयोऩ भे फखायस्त कय हदमा गमा। अऽफाय, जनता, सहकभभयमों औय शीशे भें अऩनी घण ृ ा बयी नज़यें ईरा को योज़ गोभरमों की तयह बेद जाती थी। ईरा अऩनी असीभ वेदना छुऩाकय एक सार मे भाभरा रडती यही औय आखऽयकाय हायकय उसने आत्भहत्मा कय री। ऩॊडडत ऩरयवाय ऩय तो जैसे पवऩदा आ गमी, फेटी के ककभो का हवारा दे कय गाॉव से साभाजजक फहहष्काय तो ऩहरे ही हो गमा था अफ घय का सहाया बी उनका साथ छोड़ गमी। ऊॉचे सऩने दे खने के भरमे चभेर ऩॊडडत खुद को दोष दे ने रगा। खेत औय जभा-ऩॉजी जा चक ु ी थी अफ कोई हदन जा यहा था जो शामद मे ऩरयवाय बी अऩना जीवन सभाप्त कय रेता की तबी एक हदन उनके दयवाज़े ऩय दस्तक हुई, दयवाज़ा खर ु ा ....मे काॊस्टे फर नननतन था जो अफ आॊभशक रूऩ से ठीक हो चक ु ा था ऩय अबी बी फोर नहीॊ ऩाता था ऩय चभेर के साभने उसकी आॉखें ही इतना फोर यही थी की जुफान की ज़रुयत ही नहीॊ ऩड़ी। नननतन ने ऩरयवाय की उस सॊकट की घड़ी भे आधथयक भदद की औय उन्हें अऩने साथ रे आमा। नननतन के घय भे फने ऩजा घय बगवानो, दे पवमों भे एक तस्वीय ईरा की बी थी, नननतन ने अधभयी अवस्था भें सफ कुछ दे खा था ...एक दे वी का हय फभरदान दे खा था जजसकी वजह से आज वो जजॊदा था। सभाप्त!
*) - सन ु हरी जो मीरा
वध से साध परी,
रार जोड़े भें दभक ऩीताम्फयी,
याणा जी की पवषैरी जरन धर ु ी...
सन ु हयी जो भीया स्माह कान्हा भें घर ु ी। श्माभ से यॊ ग की आस भरमे पऩमे पवष प्मारे, बरा कभरमग ु , बरे इसके फॊदे,
जोगन को दनु नमादायी भसखाने चरे। सावन वो ऩावन कय गमी,
जजसको डुफाती नहदमा दो धाया हुमी, सजदे भें अकफय की नज़ये झक ु गमी,
सन ु हयी जो भीया स्माह कान्हा भें घर ु ी। जाने कैसा भोह, जाने कौन सहाया, एक उसकी वीणा, दजा जग साया। तानो की अगन मॉ सही,
काॉटो की सेज ऩय सोमी,
रूखी सी ऋतुओॊ भें ननश्चर वो यही,
सन ु हयी जो भीया स्माह कान्हा भें घर ु ी। अफ तक फस शहजादों - ऩयवानो के ककस्सों को रकीय भाना, कपय एक नमी दीवानी को जाना, उसने भन की भयत को चन ु ा, दनु नमा जजसे भ्रभ कहती यही,
उस वहभ से सच्चा इश़् फन ु ा। सहस्त्रों भें फाॉट तभ ु सॊमत यही, कपय प्रेभ भोर दो ऩटयानी जी,
उस जोगन को बी अऩना श्माभ दो रुकभणी, सन ु हयी जो भीया कान्हा भें घर ु ी। -----------------------------------*Hindi-Urdu Experiment. **Mirabai was a great saint and devotee of Sri Krishna. Despite facing criticism and hostility from her own family, she lived an exemplary saintly life and composed many devotional bhajans. Historical information about the life of Mirabai is a matter of some scholarly debate. The oldest
biographical account was Priyadas‟s commentary in Nabhadas‟ Sri Bhaktammal in 1712. Nevertheless there are many aural histories, which give an insight into this unique poet and Saint of India. -----------------------*) - बाइनरी मम्मी
नेत्र योग डॉक्टय के ऩास, अऩने 5 वषय के फच्चे के साथ धचॊनतत भाॉ-फाऩ फैठे थे। भाॉ - "सीन के ऩाऩा को भोटे वारा डफर-रेंस चश्भा रगा था तो इसे बी चश्भा ना रगे इसभरए ननमभभत गाजय का जस, पवटाभभन औय साये घये रु नस् ु खे कयती थी। कपय बी ऩता नहीॊ कैसे इसे इतनी कभ उम्र भें ही धॊध ु रा हदखने रगा?"
डॉक्टय - "फच्चे को ज़रुयत से अधधक पवटाभभन A दे ने की वजह से उसे
हाइऩयपवटाभभनोभसस-ए पवकाय हो गमा है । जजस से उसका भरवय, हड्डडमाॊ कभज़ोय हो गमी हैं औय उसकी दृजष्ट ऩय असय ऩड़ा है ।"
भहहरा का ऩनत सोचने रगा कक घय के अन्म सदस्मों भें बी उसकी ऩत्नी ने ककसी न ककसी पवटाभभन का हाइऩयपवटाभभनोभसस कयवा यखा होगा। एक फाय खद ु ऩत्नी को ककसी ने अनीभभमा के रऺण फता हदए, तफसे अफ तक ऩता नहीॊ दे श का
ककतना रोखॊड खा चक ु ी होगी। तबी भहहरा की आवाज़ से उसका ध्मान टटा। "आज से गाजय का जस फॊद!" सभाप्त!
*) - उदार प्रयोग
"ऩोयाजजभोस फोरते हैं उसे, जभयनी औय उसके सहमोगी दे शो भें दसये पवश्व मद्ध ु के दौयान नाज़ी सयकाय द्वाया योभानी जजप्सी सभद ु ाम का नयसॊहाय। ऩता सफको था
कक कुछ फयु ा होने वारा है कपय बी भस् ु कुयाते हुए नाज़ी भसऩाहहमों को दे ख कय भ्रभ हो यहा था। शामद जैसा सोच यहें है मा जो सन ु यहें है वह सफ अपवाह हो। हज़ायो इॊसानो को एकसाथ भायने वारे नाज़ी गैस चैम्फय असर भें कोई कायखाने हों। बोरे रोगो की मही सभस्मा होती है, वो फेवकप नहीॊ होते ऩय उन्हें फेवकप फनाना
आसान होता है । भेये 4 सदस्मों के ऩरयवाय ऩय एक अपसय को दमा आ गमी उनसे ऩये ऩरयवाय को फचा भरमा। हभ सफ उसके घय औय फड़े पाभय भें नौकय फन गए।
2 सभम का खाना औय सोने की जगह भभर गमी, ककतना दमारु अपसय था वह। कुछ हफ्तों फाद अपसय ने हभे फतामा कक एक फड़े उदाय जभयन वैऻाननक हभाये
जड़ ु वाॉ रड़को को गोद रेना चाहते हैं। वो उनका अच्छा ऩारन-ऩोषण कयें गे। शामद कपय कबी अऩने फच्चो को हभ दोनों ना दे ख ऩाते ऩय उनके फेहतय बपवष्म के
भरए हभने उन्हें जाने हदमा। उनके जाने से एक यात ऩहरे भैं सो नहीॊ ऩामी। जाने
से ऩहरे क्मा-क्मा करुॉ गी, फच्चो को क्मा फातें सभझाउॊ गी सफ सोचा था ऩय नभ आॉखों भें सफ बर गमी। हभेशा ऐसा होता है, सोचती इतना कुछ हॉ औय भौका आने ऩय फस ठगी सी दे खती यह जाती हॉ ।
मद्ध ु सभाप्त होने की ओय फढ़ा औय हभे रूस की रार सेना द्वाया आज़ाद कयवामा गमा। इॊसानो के अथाह सागय भें अऩने फच्चो को ढॊ ढने की आस भें जगह-जगह घभे हभ दोनों। ककसी ने उस वैऻाननक के फेस का ऩता फतामा। वहाॊ ऩहुॊचे तो हभाये कुऩोपषत फच्चे टे फर ऩय ऩड़े तड़ऩ यहे थे। उनऩय उस वैऻाननक ने जाने
क्मा-क्मा प्रमोग ककमे थे। फच्चो का शयीय पपोरों से बया था, हाथ-ऩैयों से भाॊस के रोथड़े रटक यहे थे। उनकी आॉखों से आॊसओॊ के साथ खन टऩक यहा था। ऩता नहीॊ जान कैसे फाकी थी उन दोनों भें ....शामद भझ ु े आखयी फाय दे खने के भरए
जज़ॊदा थे दोनों। उन्हें गरे से धचऩटाकय योने का भन था ऩय छने बय से वो ददय से कयाह यहे थे। भैंने ऩास खड़े सैननक की रयवाल्वय ननकारकय दोनों फच्चो को गोरी भाय दी। उसके फाद भैंने कभये भें भौजद सैननको ऩय गोभरमाॊ चराना शरू ु ककमा। वो सफ धचल्राते यहे कक वो भेयी भदद के भरए आमे हैं... ऩय अफ ककसी ऩय
पवश्वास कयने का भन नहीॊ। भेये ऩनत भझ ु े ऩागर कहकय कय खझॊझोड़ यहे थे,
धचल्रा यहे थे। गुस्सा कयना उनकी ऩयु ानी आदत है, भसपय भझ ु ऩय फस चरता है ना इनका।"
अऩने ऩनत का गुस्सा अनसन ु ा कय खन के ताराफ के फीच, वह योभानी-जजप्सी भहहरा फच्चो को सीने से रगाकय रोयी सन ु ाने रगी। समाप्त!
*) - A Chudail’s Love Story
Dharti ki taraf badhte hue 2 Yamdoot apne bhavishya ko lekar gehan vartalap kar rahe the. Yamdootar – “Teri duty bhi Tadapur lagi hai, gaya beta tu. Ab overtime karta firiyo….tere tabadle ki khabar sunkar jis Apsara se tera rishta tay hua tha uske parents bhi ab uski shaadi Mr. Yamdoot 2013 se karva denge. Waise, yaar ek baat samajh nahi aayi, finals mey to tu bhi pahuncha tha aur tere bhi dole uski takkar ke hai phir kaise haar gaya tu…Mr. Yamdoot ka muqabla….” Yamdootesh – “Haan! Mai bhi Mr. Yamdoot ban sakta tha. Judges k anusaar to muqabla barabari ka tha phir Tie Breaker mey hum dono ki muchhon ki motai naapi gayi jisme mai aadha se bhi kum millimeter se haar gaya…bilkul photo finish type decision tha. And No way!! Mujhe overtime nahi karna. Waise aesa kya hai Tadapur mey?” Yamdootar – “Har state mey jaise apni High Court hoti hai waise hi har rajya mey Dev Yamraj ne ek City aur uske aas-paas k gaon-dehat aesi atript aatmaon ko allot kar rakhe hai jo kisi bhi wajah se Yamdoot k saath swarg ya nark nahi jaa sakti. Tadapur mey Bharat ki sabse zyada atript aatmaon ka vaas hai. Bagal mey hi doosre rajya ka gadh Cheemapur sthit hai par wo shaant ilaka hai.” Yamdootesh – “Haan to kya hua? Mai ek Certified Yamdoot hun, mai aesi tatpunji aatmao se nahi darta…”
Yamdootar – “Bhai, unse cooperate karke chaliyo, ek to wo atript bhoot log hai unhe chunne se kate rehte hai kuch na kuch karne ke. Din mey 2-4 galat kaam karne ki mismisi chhuti rehti hai unme. Sangathit rehne se unki shakti badh gayi hai, wo apne aage kuch nahi dekhte aadmi ho ya yamdoot seedhe baja dete hai joot hi joot. Jab humari complaints par Dev Yamraj ka bheja koi senior Adhikari inspection k liye aata hai to ye sab bilkul Shone Babu se ban jaate hai, jaise deen duniya ka kuch pata hi nahi, un adhikariyon ke jaane k baad waapas Dhaki-chiki Dhaki-chiki Dhaki-chiki Aau.…humari deadline aur targets miss karvate rehte hai ye Shaitaan ke pille.” Yamdootesh ka Tadapur mey aagman sukhad nahi hua tha. Dharti par aakar unhe pata chala ki jin 2 Netao ki aatmao ko wo nark le jaane aaye the unko lekar aatmao ki 2 communities mey Gang-war chhida hua hai. Jahan Pappu Pret Gang un Netao k nark jaane se pehle unhe pratadna dena chahta tha wahin Sweety Chudail Gang unhe chhupaye hue tha kyoki un 2 netao ne apne ek khaali farm house ko Sweety Chudail k naam kar diya tha. Pappu Pret apne samarthak Preton k bade dal k saath Sweety Chudail Gang Colony k bahar Bhompu lekar pahuncha. Pappu Pret – “Yo Sweety! This is not done. Hum Pret-Chudail log padosi hai aur saath bhatakte hai in 2 netao ki to waise bhi nark mey bhat pitni hai us se pehle inhone hum pret logo k saath jo gunah kiye hai uske liye inhe 2-4 din rakh kar agar thoda sa khel le hum Pret jan to kya burai hai….aur Naspitti tu badi zubaan ki pakki ban rahi hai, le liya na Farm House inse ab dafa kar inhe. ” Sweety – “Farm House itna bada hai, mai ek Chudail only space chahti thi jiske liye wo farm house ekdum perfect hai. Ye Neta kisi Aghori ko set karke aaye hai agar inke nark jaane tak inko bachaya nahi to har doosri jagah ki tarah wo Farm House Babban Bhoot Gang hathiya lega, Bhooton ki majority ka faayda utha kar. Wo risk mai nahi le sakti….” Pappu Pret – “Lagta hai ab Yuddh ka samay aa gaya hai. Mai shapath leta hun ki jab tak un dono Neta Aatmao k dhar k joot nahi bajaunga aur saath mey har Chudail ki chuttiya nahi fhaaddunga, eye brow nahi noch lunga..tab tak chain se nahi bhatakunga….Preton! Phatt de Chadde…Oh! Sorry…Chak de Phatte!!!”
Sweety Chudail kisi wajah se chup thi aur ek boring Test Ballebaaz ki tarah baaton aur Chill Poo mey Preton ka time nikal rahi thi. Ye nazara thodi door se dono Yamdoot aur nishpaksh Babban Bhoot Gang k members dekh rahe the. Yamdootesh – “Oh no! Aese to hum un 2 Netao ko le jaane mey late ho jaayenge aur agar Sweety Chudail ne yuddh ka elaan kar diya to yahan arajakta faail jaayegi. Mujhe unhe rokna hoga….” “Lagta hai yahan naye aaye ho…Tadapur mey late hone ki aadat daal lo!” Yamdootesh – “Aapki taareef?” “Bada jigra hai re….Babban Bhoot ki taareef puchhne waalo ki tashreef kaat di jaati hai. Par teri himmat se hum khush huey. Aa baith…arre baith jaa, abhi nahi lad rahe ye dono gangs. Sweety Gang ki Chudailen paas k kasbe mey Ladies Sangeet mey gayi hui hai, aane mey thoda time lagega. Nahi to abhi tak ho gaya hota inka Commonwealth. Arre Sharma! Iske liye Bhaang ki pakodiyan aur Dhature ka juice lekar aao…” Yamdootesh – “Mai nasha nahi karta.” Babban Bhoot – “Arre ek jaam to dushman k saath bhi lagaya jaata hai Darling…” Yamdootesh – “NAHI !!! Mere kuch usool hai…” Babban Bhoot – “O Kaka ji! Ye Aadarshvaad ki peepni kahin aur bajaiyo….Natthu! Shake the Babla!” Babban k ek ishare par Bhooton ki toli ne Yamdootesh ko zabardasti Dhature ka Juice pilaya, Bhaang ki pakodiyan khilayi aur smack ke injections lagaye. Babban Bhoot – “Haaye thandak si mil gayi ! Sachche, Saaf Dil logo ke usool, aadarsh, pratigya tudvaane ka jo maza hai na wo Eucalyptus par ulta latakne mey bhi nahi hai. Yamdootar samjhao apne dost ko…agar ye beech mey padkar unki ladai rukva dega to unke gang kamzor kaise honge? Inki aapas ki ladai mey 10-12 Pret-Chudail ki punchh kate, 2-4 Apahij hon tab hi to humara gang aur mazboot hoga. Nothing personal, you see politics hai hi aesi cheez.”
Yamdootesh ne nishchit Pret-Chudail yudh ko rokne k liye Dev Yamraj k khaas Sahayak Dev ko emergency call lagayi jo turant apne Yamdooto ki toli ko lekar haazir ho gaye. Aese signals har aatma ko dikh jaate the aur hamesha ki tarah sthiti bhaamp kar sabhi atript aatmayen „shona babu‟ mode mey aa gayi. Nazara dekh Sahayak Dev Yamdootesh par baras pade. “Mujhe aapse aesi apeksha nahi thi Yamdootesh! Dekho kitne bhole bhoot, pyaare pret aur cute chudail hai ye sab. Mai to kehta hun ki Mrityulok mey pure innocence kahin hai to wo…..Yahin hai! Yahin hai! Yahin hai! Masoom, nireeh aatmaon ko pata nahi kyu yahan niyukt hue Yamdoot yun hi badnaam karte hai. Abhi mai in 2 netao ko nark le jaata hun par aage se bina kaaran humey yun bulaya gaya to aap ghor dand aur shaap k bhaagi banenge. Ab hum chalte hai. Bam Bam Bholey!” Pappu Pret – “Sampail aur Pampail. Jaiye aap log escort kijiye Sahayak Dev ki toli ko. Aajkal zamana bahut kharab hai.” *winks* Pappu Pret ka ishara samajh Preton ki toli se Pampail Pret aur Sampail Pret, Sahayak Dev k kaafile se sat gaye aur poore raaste bhar Yamlok k dwaar tak dono netao ko saavdhani se rath ki aad lekar ghunse, laat pelte chale gaye. Idhar Sweety aur Yamdootesh k naina char ho gaye the. Babban Bhoot – “Yaar! Yamdootar le jaa isko, mai tere dost k ghusand hi ghusand bajaye chala jaunga. Abhi apne senior se daant khaayi hai par sudhra nahi….gandi soch!” Yamdootesh ko beech mey dakhl dene ki penalty k roop mey usko allot hua quarter Bhooton ko dena pada aur wo Yamdootar k quarter mey shift ho gaya. Ab wo apna kaam anmane tareeke se karne laga aur udaas rehne laga. Sweety se bhi Yamdootesh k affair ki khabar har taraf thi jis baat se Babban Bhoot, Pappu Pret naraaz the. Ek din wo Yamdootar ko bina bataye vacation par chala gaya. Apne dost k liye Yamdootar ne overtime kiya aur seniors ko bhanak nahi lagne di kuch din. Aakhirkaar, Yamdootesh kaam par lauta par wo kahan gaya tha ye nahi bataya.
Sweety bhi Yamdootesh k waapas aane se khush thi. Ab wo dono chhupchhup kar milne lage. Ek din aese hi Sweety ki godi mein Yamdootesh sar rakh kar leta tha. Sweety – “….Ye devlok ka fabric kitna smooth hai, mere liye bhi mangwa do thoda. Tumpar purple dhoti suit karti hai, skin tone k according bahut dashing lagte ho usme. Aur please jab kisi aatma ko pakda karo le jaane k liye, to Gada side mey mat daba kar chala karo awkward lagta hai jaise koi Cricketer out hokar jaa raha ho.” Yamdootesh – “Alright Janu! jaisa tum kaho. Kitni care karti ho tum meri. Thanks! You know what mai waapas kyu aaya….just because I feel poor when I don‟t have your presence…” Sweety – “Awwwww tumhari aawaz mey Janu kitna cute lagta hai.…aur Please please please tumhari eye brows bahut thick hai please threading karva liya karo kuch weeks mey, koi issue ho to mai kar dungi. Don‟t be conscious na…Aajkal ladke bhi karva lete hai.” Idhar ek Tantrik Yoman Baba ne Tadapur mey pravesh kiya jinka udeshya zyada se zyada aatmao ko mukti dilvana tha. Kai aatmayen aesi thi jinko shaanti k liye manviy roop se kuch jatan karne padte jaise koi apne ghar ke peeche naale ki zameen mey dhan gaad gaya tha apne parivaar k liye par achanak maut se kisi priyjan ko bata nahi paaya, ya kisi ki beti ka padosi k saath affair tha par ye pata chalte hi usko heart attack aa gaya aur unka affair chalta raha, apne padosi aur beti ko saza dene k uske armaan dhare reh gaye upar se jo baat sun kar usko heart attack hua wo uske marne k baad jaari thi….aese hi kai aur adhuri bhautik baaton aatmao ko atript bana diya tha. Yoman Bana dheere dheere aese bhautik kaamo ko niptane lage aur kuch samay baad adhiktar atript aatmao ke bhautik bandhan toot gaye par ab bhi aatmao ki poorn mukti k liye unke gadh mey Amavas k ratri pahar mey ek maha-hawan baaki tha. Kuch aatmao k case hopeless the unhe kabhi mukti nahi mil sakti thi jaise kisi aatma ne kisi Raja ki poori kaum ko khatm karne ki pratigya lit hi par baad mey pata chala ki us Raja ki 400 se adhik anaitik santaane thi jinki apni kai santane ho chuki thi aura lag alag disha mey kai peedhiyan chal padi thi. 1-2 logo ki baat hoti to pehle Aghori reh chuke Yoman Baba khopche mey leke mundi marodne mey koi gurej na
dikhate par baat yahan hazaro lakho logo ki thi. Santosh ki baat ye thi ki aesi hopeless aatmao ki sankhya kum hi thi. Yoman Baba k maha-yagya manshaon ki bhanak Bhooton, Preton aur Chudailon ko ab tak lag chuki thi. Prabhavshaali netao ko darr tha ki itni sankhya aatmao ka mukt ho jaana unke varchasva par prabhav daal sakta hai isliye unhone Yoman Baba ko molest karte hue Tadapur se khaded diya. Unhe ye bhi pata chala ki itne din jo Yamdootesh gayab tha uska prayojan in Yoman Baba ko Tadapur laana tha. Yamdootesh ki phir se haaziri hui sanyukt sabha mey. Yamdootesh – “Haan, bulaya maine Yoman Baba ko par mujhe laga tum logo ko shaanti milegi to us se khush hoge. Nahi chahiye shaanti to koi baat nahi. Mujhe aur punish mat karo, mai ab tum logo ki dincharya, ratricharya mey koi interfere nahi karunga. Jo marji aaye karo…” Idhar Yamdootesh scene se gayab ho gaya aur usko Tadapur aur Cheemapur ki seema par sthit ekaant mey, No Man‟s Land….No Ghost‟s Land mey dekha jaane laga. Ab Yamdootesh ka Sweety se milna bhi bahut kum ho gaya. Yamdootar ne apne saathi par bilkul giveup kar diya tha. Sweety ne ek din Yamdootesh ko ek khoobsurat Soni Chudail ke saath hangout karte dekh liya. Sweety aur Yamdootesh mey zabardast jhagda hua aur Sweety ruth kar chali gayi. Idhar Babban Bhoot aur Pappu Pret ka dil bhi Soni Chudail par aa gaya. Cheemapur mey bhi 2-3 prabhavshaali Bhoot, Pret pehle se hi Soni k deewane the. Pappu ne apne prabhav se Soni ko pana chaha par ye divya niyam tha ki bina vivah k doosre rajya ki seema mey pravesh nahi kiya jaa sakta, sirf No Ghost‟s Land se koshish ki jaa sakti hai. Yamdootesh k charm se jealous Pappu, Babban ne usey Soni k Swayamvar k liye challenge kiya jo baat sun seema k doosri aur k bade Bhoot, Pret bhi aa gaye. Soni k swayamvar k liye aagami amavas ki raat yaani agli hi raat nirdharit ki gayi jisme shakti, charisma, dance, singing gigs aadi pratiyogitaon mey dono rajyo k kuch Bhoot, Pret aur Yamdootesh mey muqabla hona tha. Ye aayojan Tadapur aur Cheemapur ki seema par hona tha jisko dekhne k liye dono taraf ki atript aatmao ki bheed lag gayi. Saathi Yamdootar ne Yamdootesh ko chaitavni di ki agar wo Chudail se shaadi par ada raha to wo high command shikayat kar usko suspend karva kar inhi atript aatmao ka ek saath banva dega. Par Yamdootesh par koi asar nahi pada.
Muqable hote gaye aur har muqable mey Yamdootesh jeetta raha. Idhar apne hero ko kisi aur ko pane k liye inti intensity dikhate hue Sweety ka dil ro raha tha. Wo apna Chudail gang lekar wahan se ud chali. Yamdootar ne bhi apni shikayat darj ki jiska review Amavas mey adhik shaktishaali huyi duniya bhar mey aatmao ki shaitaniyon ki wajah se abhi pending tha aur karyavahi swaroop Sahayak Dev ko aane mey abhi kuch ghante lagne the. Yamdootesh – “Kyu be Babban, Pappu…badi mismisi chhuti rehti hai, supporters ki bheed mey Vidhayako waala style maarte ho, bheed ki aad mey to bade laat-ghunse chalate ho. Ab aao one on one….na tum dono ki poonch kaat di to mera naam Yamdootesh nahi Kaddukesh. Kaafi der tak chale muqablon mey sabhi maamlo mey Yamdootesh ne bade margin se comprehensive victories darj ki. Aakhir mey jab varmala dalne ki baat aayi to Soni Chudail ne Cheemapur k ek Bhoot k gale mey varmala daali. Sab achambhit the ye kya hua. Ye khabar Khabri Chudail ne Sweety ko di to wo bhi kotuhal mey waapas venue par aa pahunchi. Yamdootesh ne announcement kiya. “Aaj Amavas ki raat jab aatmayen sabse adhik shaktishaali hoti hai us din bhi apna poora zor laga kar Swayamvar mai jeeta hun sirf apne prem se mili prerna ki wajah se par wo Swayamvar Soni k liye nahi tha, mera Swayamvar to Sweety k liye tha.” Peepal par ulti latki achambhit, avaak Sweety dhadaam se zameen par giri. “Ye sab ek natak tha jisme mere saath Cheemapur ki achchhi aatmayen shaamil thi. Unse milkar mujhe pata chala ki atript aatmayen hamesha huddangi ya bawaali nahi hoti balki achchh ibhi ho sakti hai bas unke neta aur disha nirdesh karne waali badi aatmayen achchhi honi chahiye. Soni ki pehle se hi shaadi ho chuki thi aur usne apne pati k gale mey hi varmala daali. Sweety ko bhi maine ye plan late bataya. Ab jab mai aap sabko sambodhit kar raha hun to bata dun ki Yoman Baba phir se Tadapur ki seema mey hawan kar rahe hai aur mere mic par swaha bolte hi wo poorn aahuti denge jis se aapme se adhiktar aatmao ko mukti mil jaayegi….. Yoman Baba Swaha!”
Isi k saath kai aatmayen aakash mey vileen ho gayi. Bas kuch Bhoot, Pret Neta aur Sweety samet kuch Chudailen bach gayi. Babban Bhoot – “Par….humne to Tadapur mey jagah-jagah apne guard Bhoot-Pret chhode the kisi aapatkaaleen baat k liye….” Yamdootesh – “….wo beech mey uth k jo Sweety Gang gaya tha wo kya ladies sangeet karne gaya tha? Kuch se to Yoman Baba khud nipat liye aur kuch ko sula diya Sweety & Company ne. Aur Ab zara tameez mey rehna 5-7 bache ho total usi style mey joot hi joot bajaunga jaise tum kabhi bajate the.” Yamdootesh ne Yoman Baba ko Babban aur Pappu ko peetne, molest karne ka poora mauka diya. Phir unka dhanyavaad kar unko vida di. Inspection karne aaye Sahayak Dev eksaath itni aatmao ki mukti se khush dikhe par unhe verify karna tha ki kya Yamdootesh ne kisi Chudail se Shaadi ki hai. Wo Tadapur mey bachi 4-5 Chudailon ki neta Sweety se mukhatib hue. “Kya Yamdootesh ka kisi sthaniye ya videshi Chudail se chakkar chal raha hai? Kya wo aapki taraf aakarshit hote hai?” Sweety Chudail – “Aapko galat soochna mili hai. Yamdootesh bahut hi kartavyaparayan Yamdoot hai. Itni aatmao ko shaanti pahuchane ka poora shrey unhi ko jata hai. Kuch prabhavshaali Bhooton ke dabaav mey wo sandesh aap tak gaye the. Waise bhi hum badsurat Chudailon ki aesi kismet kahan jo hum unhe paa saken…” Ye sun Yamdootesh bhavuk ho gaye. Sahayak Dev samanya sthiti dekh Yamdootar ko warning dekar chale gaye. Sweety Chudail – “Prem karne se pehle duniyadaari ki sudh nahi rehti aur jab duniyadaari ki sudh aati hai tab tak prem ho chuka hota hai. Mujhe pehle hi pata tha ki humara milan nahi ho sakta par mai to pehle se hi atript hun isliye adhoori aankanshaon ki aadat hai Sweety ko. Tumhe door se hi sahi prem karti rahungi….”
Uske baad anya rajyo ki tarah Tadapur mey bhi vyavastha dharre par aayi aur wahan ki is doosri duniya mey bhi shaanti aayi. The End!
*) - िुछ पऱ और गुज़ार ऱे...
यजनी का एक याष्ट्रीम धचककत्सीम प्रनतमोगी ऩयीऺा का मह अॊनतभ अवसय था। यजनी की भेहनत घय भें सफने दे खी थी औय डॉक्टय फनने का सऩना बी
रगनशीर यजनी औय उसके ऩरयवाय ने साथ दे खा था। मह रगन ऐसी सॊक्राभक थी कक जीवन भें कोई ध्मेम ना रेकय चरने वारी, स्वबाव भें पवऩयीत यजनी की जड़ ु वाॉ फहन नव्मा, भसपय उसके सहाये भेडडकर पील्ड भरए फैठी थी। मह यजनी की सॊगत
का ही असय था जो ऩढाई भें कभज़ोय नव्मा ने अच्छे अॊको से दसवी, फायहवीॊ ऩास की थी, मह नव्मा बी इस याष्ट्रीम ऩयीऺा भें अॊनतभ अवसय था। इॊटयनेट ऩय
ऩरयणाभ घोपषत हुआ औय एक फाय कपय से यजनी फहुत कभ अॊतय से असपर हुमी। यजनी का जैसे ऩया सॊसाय ही अॊधकायभम हो गमा। जफ तक कोई कुछ सभझाता, सभझता उस से ऩहरे ही यजनी ने आत्भहत्मा कय री।
नव्मा को ऩहरे ही ऩता था कक वह सपर नहीॊ हो ऩाएगी औय ऩरयणाभ ने उसके अॊदेशे ऩय भोहय रगा दी ऩय खुद से ज़्मादा दख ु नव्मा को अऩनी भेहनती फहन यजनी के भरए था। अफ उसे रगा कक काश उसे थोड़ा सभम भभर ऩाता अऩनी फहन को सभझाने का। भाता-पऩता अपवश्वास से एकटक कहीॊ दे खकय अऩनी
कल्ऩनाओ को सच्चाई ऩय हावी कयने की हायी हुमी कोभशश कय यहे थे। कुछ सभम फाद अऩने ऩरयवाय के भरए नव्मा ने स्वमॊ को सॊबारा औय क्रीननकर रयसचय भें 8 भहीनो का कोसय कय उसे अच्छे वेतन ऩय एक पवदे शी कॊऩनी भें नौकयी भभरी।
नव्मा को ऩता था कक अगय उसकी जगह उसकी फहन होती तो अऩने ऻान औय भेहनत के दभ ऩय उस से अच्छे स्थान ऩय होती, उस स्थान ऩय जो
उसे उस
प्रनतमोगी ऩयीऺा भें सपर होने के फाद बी ना भभरता। कुछ सभस्माएॉ जो कबी
जीवन को चायो औय से घेये ग्रहण रगामे सी प्रतीत होती है, जजनके कायण सख ु द
बपवष्म की कल्ऩना असॊबव रगती है, चॊद भहीनो फाद ऐसी सभस्मा का अजस्तत्व तक नहीॊ यहता। थोड़ा औय सभम फीत जाने के फाद
तो हदभाग ऩय ज़ोय डारना
ऩड़ता है कक ऐसी कोई हदक्कत थी बी जीवन भें । नव्मा अक्सय सऩने भें यजनी को सभझाते हुए नभ आॉखें भरए जाग जाती है - "फहन! फस मे थोड़े रम्हें काट रे, जो इतना सहा...वो ददय सहकय फस कुछ ऩर औय गुज़ाय रे....सवेया होने को है ..." सभाप्त!
*) - छद्म मफ् ु तखोरी
"जीवन भें कुछ बी भफ् ु त का खाने वारे भझ ु े बफरकुर नहीॊ ऩसॊद ! अये भेहनत
कयो, सॊघषय कयो दनु नमा भें, अऩनी ऩहचान फनाओ।" नीत ने पऩकननक भें रॊच कयते हुए, मॉ ही डडस्कशन कय यही भभत्रभण्ट्डरी के साभने अऩने पवचाय यखे।
भाहौर हल्का कयने के भरए उसकी ऩयु ानी फेस्टी सरयता ने कहा - "दे खो भैडभ को भफ् ु त का खाने वारे नहीॊ ऩसॊद औय फातों-फातों भें ऩयाॊठे के एक कौय भें ढक कय भेया आचाय ही गामफ कय हदमा।"
सफके चेहयों ऩय भस् ु कयाहट आ गमी ऩय फातों को सभझने भें सभम रगाने के
कायण ग्रुऩ की ट्मफराइट कही जाने वारी रड़की यीभा अफ बी नीत की फात का
पवश्रेषण कयते हुए फोरी - "ऩय नीत तुभ खुद बी तो ककतना भफ् ु त का खाती हो! तो दसयो से भशकामत क्मों?"
सरयता - "रो फहनजी ने भसग्नर रेट तो ऩकड़ा ही आज गरत बी ऩकड़ा। तेया फॉमफ्रेंड ननगर भरमा क्मा नीत ने फ्री भें?"
यीभा ने सरयता को नज़यअॊदाज़ कयके नीत से कहा - "दे खो नीत भैं हभेशा तुम्हे
ककसी सभह की ओट भरमे दे खती ह,ॉ उनकी साभहहक साख मा उनके इनतहास का सहाया भरए दे खती हॉ । जैसे "भझ ु े गढ़वारी होने ऩय गवय है ", "प्राउड ट फी ए गरय", "ब्राउन ऩीऩर आय द फेस्ट", "ऩक्की ठाकुय रड़की हॉ " औय बी फहुत कुछ। ऐसा अकेरी तुभ नहीॊ कयती, मे आभ आदत है रोगो भें । मह सफ क्मा है? जजन फातों ऩय हभाया फस नहीॊ, केवर हभाये जन्भ से हभसे जुड़ गमी...उनऩय गवय मा शभय
कयने का क्मा भतरफ? कुछ धगनाना है तो अऩनी व्मजक्तगत उऩरजब्धमाॉ, प्रनतबा, भेहनत से भभरी चीज़ें धगनाओ, ऐसे सभह की आड़ रेकय खुद को भहान घोपषत कयना बी अव्वर दज़े की भफ् ु तखोयी है ।
कुछ दे य के भरए फगरे झाॊकती सहे भरमाॉ आज "ट्मफराइट" की चभक भें फ़ीकी ऩड़ गमीॊ।
सभाप्त!
*) - किस्मत से िुश्ती
छोटे द्वीऩ सभहों से फने एक गयीफ दे श के आधा दजयन खखराडडमों औय दजयन बय स्टाप के दर भें ऩदक की उम्भीद ककसी खखराडी से नहीॊ थी, ओरजम्ऩक भें
क्वारीपाई कयना ही उनके सफके भरए फड़ी फात थी। उनभे एक भहहरा कुश्ती
ऩहरवान जोएन का रक्ष्म था फेहतय से फेहतय कयते हुए स्ऩधाय भें दय तक जाना। उसके साथी दे शवासी शरु ु आती चयणो भें ही फाहय हो गए औय 4 याउॊ ड्स जीत कय जोएन अऩने बाय वगय के सेभी पाइनल्स भें ऩहुॉच गमी। महाॉ उसका साभना ऩवय चैंपऩमन अभेरयकी ऩहरवान भाथाय से था। भ़ ु ाफरा तगड़ा औय फयाफयी का चरा जजसभे भाथाय ने फातों औय चीऩ दावों से जोएन को पवचभरत कयने की बयसक
कोभशश की, भैच भें फीच-फीच भें अऩनी सॊबापवत हाय दे ख यही ऩये शान भाथाय की
पववशता औय गस् ु सा साफ़ हदख यहे थे। अॊतत् ऩरयणाभ ननणायमक भॊडर भें भतबेद के साथ रगबग फयाफयी का यहा जजसभे एक ऩॉइॊट के भाजजयन से भाथाय को पवजम प्रदान की गमी।
जीत के नशे भें चय भाथाय ननयाश जोएन का भज़ाक फनाती औय अऩशब्दों की
फौछाय कयती ननकर गमी। काॊस्म ऩदक के भक ु ाफरे से ऩहरे केवर एक भैच के
भरए जोएन को एक प्रामोजक भभर गमा। ऩय 2 सऩोटय स्टाप सदस्मों को छोड़ कय
दे श के कैंऩ के फाकी रोग ऩहरे ही स्वदे श रौट गए थे। सीभभत साधनो औय फदरे कड़े भाहौर भें इतने हदन यहने के कायण जोएन की तबफमत भैच से ऩहरे बफगड़
गमी। ऩैसो के रारच भें वह भैच भें उतयी औय तगड़ी प्रनतद्वॊदी ने आसानी से उसे हया हदमा। इसके फाद भाथाय ने इस वगय का स्वणय ऩदक अऩने नाभ ककमा।
कुछ वषो फाद कई अन्म उऩरजब्धमाॉ फटोय चक ु ी भाथाय का नाभ पवश्व के भहानतभ औय अभीय एथरीट्स भें भरमा जाता है औय जोएन ने अऩने दे श रौटकय प्रामोजक
से भभरे ऩैसों से वो पर-सब्ज़ी की दक ु ान खयीद री जो वह ऩहरे ककयामे ऩय रेकय चराती थी। उस ओरजम्ऩक के फाद जोएन कपय कबी ककसी कुश्ती प्रनतमोधगता भें नहीॊ हदखी। सभाप्त!
*) - क्रॉस िनेक्शन
फगर के घय से आती आवाज़ों को सन ु सभ ु ेय सोच यहा था कक रोगो को उसके
ऩडोसी भनसख ु रार की तयह नहीॊ होना चाहहए जो अऩने ऩरयवाय की खानतय औय कानन के डय से अऩनी हहॊसक फीवी सश ु ीरा के हाथो पऩटता यहे औय कानो भे
काॉच सा घोरते तानो को ताउम्र सहता चरा जामे। इधय शाभ को आसभान को
एकटक ननहायते अऩने ऩडोसी को दे ख कय भनसख ु रार सोचने रगा कक रोगो को सभ ु ेय कुभाय जैसा नहीॊ होना चाहहए जो ऩत्नी याधा के 2-4 तानो को अऩनी
भदायनगी ऩय रे उसे दोभॊजज़र से नीचे फ़ेंक दें औय कपय हादसे का फहाना फना कय जीवन बय कोभा भें ऩड़ी फीवी का बफर बयता यहे, ससयु ार वारो से केस रड़ता यहे ।
तीसये -चौथे ऩडोसी आऩस भें फातें कय यहे थे कक सभ ु ेय की शादी सश ु ीरा से होनी
चाहहए थी औय भनसख ु का फॊधन याधा से फॊधना चाहहए था, तफ कभ से कभ एक जोड़ा सख ु ी यहता औय सभ ु ेय -सश ु ीरा के बी हदभाग हठकाने यहते। समाप्त! हिप्पणी - जीवन भें सॊतुरन हभेशा ऩया व्मजक्तत्व फदर कय नहीॊ फजल्क
अक्सय व्मजक्त भें कुछ गुण, व्मवहाय फदर कय बी रामा जा सकता है ।
*) - परदे िे पीछे
प्रनतजष्ठत टीवी चैनर के आगाभी रयएभरटी शो के भरए फैठी कॉरेज से ननकरी
उत्साहहत इॊटनय टीभ ने हज़ायों एॊट्रीज़ भें से कापी भशक्कत के फाद कुछ दजयन मोग्म रोग छाॊटें। तबी उनके सीननमसय काभ का अवरोकन कयने ऩहुॉच।े
इॊटनय - "भैडभ! इन रोगो कक प्रोपाइल्स हभाये शो के प्रारूऩ से कपट फैठती है, अफ इनभे से ककसका चमन कयें औय ककसका नहीॊ? सफ रगबग फयाफय से है ।" प्रफॊधक भैडभ - "इनभे से कोई बी नहीॊ चरेगा।" इॊटनय - "ऐसा क्मों भैडभ?" प्रफॊधक भैडभ - "कपय से भरस्ट फनाओ औय अनाथ, अऩॊग, अऩयाध मा उत्ऩीड़न के भशकाय रोगो को सेरेक्ट कयो। उनकी कहानी फोरयॊग हो तो उसभें औय ड्राभा एभरभें ट्स जोड़ों। ऐसे ही ककसी को बी सेरेक्ट भत ककमा कयो...." सभाप्त!
*) - सािन से रूठने िी है लसयत ना रही...
सख्त शजख्समत अक्सय
अफ नहीॊ रेती अफ भौसभो के दख्र
आईने फदरे
अऩने अक्स की उम्भीद भें ...
हय आईना हदखामें अजनफी सी शक्र।
अऩनी भशनाख्त के ननशाॊ भभटा हदमे कफसे ... फेगुनाही की दहु ाई हदमे फीते अयसे .... हदर से तेयी माद जद ु ा तो नहीॊ !
भद्द ु तों तेये इॊतज़ाय की एवज़ भें वीयानो से दोस्ती खयीदी, ज़भाने से रुसवाई के इल्ज़ाभ की ऩयवाह तो नहीॊ ! सावन से रूठने की है भसमत ना यही।
योज़ दल् ु हन सी सवाॉय जाती है भझ ु को मादें ....
हय शाभ काजर की काभरऽ से चेहया यॊ ग रेती हॉ .... जज़न्दगी को रूफरू कय रेती हॉ ...
कबी उन मादों को दोष हदमा तो नहीॊ ... सावन से रूठने की है भसमत ना यही। इज़हाय ये माद,
हार ए हदर फमाॉ कयना योजाना अभर रामे,
कैसे भनाएॉ हदर को के आज तुभ साभने हो ... योज़ सा खारी हदन वो नहीॊ ... उस ऩगडॊडी का सहाया था,
वयना रूह ऽाक कयने भें कसय न यही .... ज़हय रेकय बी जजॊदगी अता तो नहीॊ .... सावन से रूठने की है भसमत ना यही। इल्जाभो भें ढरी रुत फीती न कबी,
जाने कफ वो भोड़ रे आमा इश्क ... फदायश्त की हद न यही।
अयसो उनकी फदगुभानी की तपऩश जो सही .... सयहदें खीॊचने भें भाहहय है ज़भाना,
दोगरी भहकपरों से गुभनाभी ही बरी .. खुद की कीभत तेयी वयफ़्तगी से चन ु ी ...
जजस्भ की ़ैद का सक ु न ऩहये दायों का सही ... ख्वाफो ऩय भेये फॊहदशें तो नहीॊ ...
सावन से रूठने की है भसमत ना यही।