ब्रह्म पुराण क्या है? सम्पूर्ण ब्रह्म पुराण यहां से - सूतगद्दी

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ब्रह्म पपरराण

ब्रह्म परप राण हहहिंद द धमर कक 18 परप राणण मम सक एक प्रमख प परप राण हहै । इसक परप राणण मम महरापरप राण भभ कहरा जरातरा हहै । परप राणण कक दद गयभ सदचभ मम इस पपरराण कक प्रथम स्थरान पर रखरा जरातरा हहै । कपछ लकग इसक पहलरा पपरराण भभ मरानतक हह। इसमम वविस्तरार सक सषस षष जन्म, जल कक उत्पषत्त, ब्रह्म करा आवविभरारवि तथरा दक वि-दरानवि जन्मण कक वविषय मम बतरायरा गयरा हहै । इसमम सदयर और चन्द विहिंशण कक वविषय मम भभ विणरन ककयरा गयरा हहै । इसमम ययरातत यरा पपर कक विहिंश–विणरन सक मरानवि-वविकरास कक वविषय मम बतराकर रराम-कसषण-कथरा भभ विरणरत हहै । इसमम रराम और कसषण कक कथरा कक मराध्यम सक अवितरार कक सम्बन्ध मम विणरन करतक हपए अवितरारविराद कक प्रततषठरा कक गई हहै ।

इस परप राण मम सषस षष कक उत्पषत्त, पथ द र एविहिं चन्दविहिंश करा विणरन, शभकसषण-चररत, कल्परान्तजभविभ मराकरण्डकय स प करा पराविन चररत, सय मपतन करा चररत, तभथर करा मराहरात्म्य एविहिं अनकक भषकतपरक आख्यरानण कक सपन्दर चचरार कक गयभ हहै । भगविरान न शभकसषण कक ब्रह्मरूप मम वविस्तत स व्यराख्यरा हकनक कक करारण यह ब्रह्मपपरराण कक नराम सक प्रससद हहै । इस पपरराण मम सराकरार ब्रह्म कक उपरासनरा करा वविधरान हहै । इसमम 'ब्रह्म' कक सविर्वोपरर मरानरा गयरा हहै । इसभसलए इस परप राण कक प्रथम स्थरान हदयरा गयरा हहै । परप राणण कक परम्पररा कक अनपसरार 'ब्रह्म पपरराण' मम सषस षष कक समस्त लककण और भरारतविषर करा भभ विणरन ककयरा गयरा हहै । कसलयपग करा विणरन भभ इस पपरराण मम वविस्तरार सक उपलब्ध हहै । ब्रह्म कक आहद हकनक कक करारण इस पपरराण कक 'आहदपपरण' भभ कहरा जरातरा हहै । व्यरास मपतन नक इसक सविरप्रथम सलखरा हहै । इसमम दस सहस श्लकक हह। प्रराचभन पववित भदसम नहैसमष अरण्य मम व्यरास सशषय सदत मपतन नक यह पपरराण समराहहत ऋवष विन्स द मम सपनरायरा थरा। इसमम सषस षष, मनपविहिंश, दक वि दक वितरा, प्ररारण, पपथ्विभ, भदगकल, नरक, स्विगर, महिंहदर, तभथर आहद करा तनरूपण हहै । सशवि-पराविरतभ वविविराह, कसषण लदलरा, वविषणप अवितरार, वविषणप पज द न, विणरारशम, शरादकमर, आहद करा वविचरार हहै ।

सम्पण द र 'ब्रह्म परप राण' मम २४६ अध्यराय हह। इसकक श्लकक सहिंख्यरा लगभग १०,००० हहै । इस परप राण कक कथरा लकमहषरण सत द जभ एविहिं शशौनक ऋवषयण कक सहिंविराद कक मराध्यम सक विरणरत हहै । यहद कथरा प्रराचभन कराल मम ब्रह्मरा नक दक प्रजरापतत कक सपनरायभ थभ।


महत्वि ब्रह्म पपरराण करा धरासमरक दृषषष सक अत्यन्त महत्त्वि हहै । सराथ हद इसकरा पयरषन कक दृषषष सक भभ महत्वि हहै । इसमम अनकक तभथरभद तभथर, पततत तभथर, वविप्र तभथर, भरानप तभथर, सभल्ल तभथर आहद करा वविस्तरार सक विणरन समलतरा हहै । इसमम सषस षष कक आरहिं भ मम हपए

महराप्रलय कक वविषय मम भभ बतरायरा गयरा हहै । इसमम मकक-धमर, ब्रह्म करा स्विरूप और यकग-वविधध कक भभ वविस्तत स जरानकरारद दद गई हहै । इसमम सराहिंख्य और यकग दशरन कक व्यराख्यरा करकक मकक–प्रराषपत कक उपरायण पर प्रकराश डरालरा गयरा हहै । यह विहैषणवि पपरराणण मम प्रमपख मरानरा गयरा हहै ।


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