शिव पुराण

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शशिव परप राण


शशिव परप राण – भवविष्य परप राण १८ प्रमख प परप राणणों मम ससे एक हहै । इसककी वविषय-विस्तप एविवं विणर्णन-शहैललीककी दृषष्ष्टि ससे अत्यन्त उच्च ककोटष्टि करा हहै । इसमम धमर्ण, सदराचरार, ननीतत, उपदसे श, अनसेकणों आख्यरान, व्रत, तनीरर्ण, दरान, ज्यकोततष एविवं आयपविरद कसे वविषयणों करा अदत प सवंग्रह हहै । विसेतराल-वविक्रम-सवंविराद कसे रूप मम करराप्रबन्ध इसमम अत्यन्त रमणनीय हहै । इसकसे अततररक्त इसमम तनत्यकमर्ण, सवंस्करार, सरामटप द्रिक लक्षण, शराषन्त तररा पपौषष्ष्टिक कमर्ण आरराधनरा और अनसेक व्रतणोंकरा भनी वविस्त त त विणर्णन हहै । भवविष्य परप राण मम भवविष्य मम हकोनसे विरालली घष्टिनराओवं करा विणर्णन हहै । इसससे पतरा चलतरा हहै ईसरा और म पहम्मद सराहब कसे जन्म ससे बहपत पहलसे हली भवविष्य पपरराण मम महवषर्ण विसेद व्यरास नसे पपरराण ग्रवंर ललखतसे समय मपषस्लम धमर्ण कसे उदवि और वविकरास तररा ईसरा मसनीह तररा उनकसे द्विराररा प्ररारवं भ ककए गए ईसराई धमर्ण कसे वविषय मम ललख टदयरा ररा।


शशिव परप राण


शशिव परप राण – इस परप राण मम पररात्पर ब्रह्म लशवि कसे कल्यराणकरारली स्विरूप करा तराषत्त्विक वविविसेचन, रहस्य, मटहमरा और उपरासनरा करा वविस्तत त विणर्णन हहै । इसमम इन्हम पवंचदसे विणों मम प्रधरान अनराटद लसद्ध परमसेश्विर कसे रूप मम स्विनीकरार ककयरा गयरा हहै । लशवि-मटहमरा, ललीलराकरराओवं कसे अततररक्त इसमम पपजरा-पद्धतत, अनसेक जरानप्रद आख्यरान और लशक्षराप्रद करराओवं करा सपन्दर सवंयकोजन हहै । इसमम भगविरान लशवि कसे भव्यतम व्यषक्तत्वि करा गपणगरान ककयरा गयरा हहै । लशवि- जको स्वियवंभप हह, शराश्वित हह, सविर्वोच्च सत्तरा हहै , वविश्वि चसेतनरा हह और ब्रह्मराण्डनीय अषस्तत्वि कसे आधरार हह। सभनी पपरराणणों मम लशवि पपरराण कको सविरार्णधधक महत्त्विपपणर्ण हकोनसे करा दजरार्ण प्रराप्त हहै । इसमम भगविरान लशवि कसे वविवविध रूपणों, अवितरारणों, ज्यकोततललर्लिंगणों, भक्तणों और भषक्त करा वविशद् विणर्णन ककयरा गयरा हहै ।


शशिव परप राण


शशिव पपरराण –

लशवि परप राण' करा सम्बन्ध शहैवि मत ससे हहै । इस परप राण मम प्रमपख रूप ससे लशवि-भषक्त और लशवि-मटहमरा करा प्रचरार-प्रसरार ककयरा गयरा हहै । प्रराय: सभनी पपरराणणों मम लशवि कको त्यराग, तपस्यरा, विरात्सल्य तररा करुणरा ककी मपततर्ण बतरायरा गयरा हहै । कहरा गयरा हहै कक लशवि सहज हली प्रसन्न हको जरानसे विरालसे एविवं मनकोविरावंतछित फल दसे नसे विरालसे हह। ककन्तप 'लशवि पपरराण' मम लशवि कसे जनीविन चररत्र पर प्रकराश डरालतसे हपए उनकसे रहन-सहन, वविविराह और उनकसे पत्र प णों ककी उत्पषत्त कसे वविषय मम वविशसेष रूप ससे बतरायरा गयरा हहै ।

इस परप राण मम २४,००० श्लकोक हहै तररा इसकसे क्रमश: ६ खण्ड हहै 1. वविद्यसेश्विर सवंटहतरा 2. रुद्रि सवंटहतरा 3. ककोटष्टिरुद्रि सवंटहतरा 4. उमरा सवंटहतरा 5. कहैलरास सवंटहतरा 6. विरायप सवंटहतरा


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