सुलभ स्वच्छ भारत - वर्ष-2 - (अंक 02)

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विचार

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स्वच्छता

स्वच्छाग्रही बना पूरा देश

नमो सूत्र 2017

30

28

गौरव

डूडल पर छाए भारतीय

सिनेमा

2017 की ऑफबीट फिल्में

sulabhswachhbharat.com आरएनआई नंबर-DELHIN/2016/71597

वर्ष-2 | अंक-02 | 25 - 31 दिसंबर 2017

2017 शिखर पर भारत

अमेरिकी थिंक टैंक से लेकर विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र ने 2017 में भारत की उन्नति की सराहना की है


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आवरण कथा

25 - 31 दिसंबर 2017

खास बातें अर्थव्यवस्था के लिए हर तरफ से अच्छी खबरें हार्वर्ड ने भारत को अगले दशक का अगुआ बताया वित्तीय शुचिता के लिए उठाए कदमों का सकारात्मक असर

प्रियंका तिवारी

मारा देश ऐतिहासिक शुद्धि यज्ञ का गवाह बना है। सवा सौ करोड़ देशवासियों के धैर्य और संकल्पशक्ति से चला शुद्धि यज्ञ आने वाले अनेक वर्षों तक देश की दिशा निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाएगा।’ वर्ष 2017 के आगमन की पूर्व संध्या पर यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देश के नाम संबोधन था। इस संबोधन में जो खास बात रेखांकित होने वाली है, वह यह कि सवा अरब से ज्यादा जनसंख्या वाले इस देश की सबसे बड़ी ताकत इनके लोग ही हैं। लोक पुरुषार्थ के बूते भारत ने इतिहास में कई ऐसी उपलब्धियां अपने नाम की है, जिसकी कल्पना तक करना किसी सरकार या व्यवस्था के बूते के बात नहीं है। आज भारत का यही लोक पुरुषार्थ स्वच्छता से लेकर स्वास्थ्य तक स्टार्टअप्स से लेकर सामूहिक उद्यमशीलता तक प्रकट हो रहा है। इस बीच देश में वित्तीय शुचिता के क्षेत्र में भी बड़ी कामयाबी हासिल की है। इनमें कुछ बातों का उल्लेख वर्ष 2017 के समापन पर खासतौर पर जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत रोजाना नई बुलंदियों को छू रहा है। मोदी सरकार की नीतियों और प्लानिंग की वजह से देश की अर्थव्यवस्था कुलांचे भर रही है। भारत की इकॉनामी को लेकर जानेमाने अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का ताजा अनुमान नई उम्मीदें लेकर आया है। बिबेक देबरॉय के मुताबिक साल 2030 तक भारत 6.5 से 7 ट्रिलियन डॉलर (6500 से 7,000

अरब डॉलर) वाली अर्थव्यवस्था बन सकता है। इतना ही नहीं 2035-40 तक इसके 10 ट्रिलियन डॉलर (10,000 अरब डॉलर) वाली अर्थव्यवस्था बनने की भी संभावनाएं हैं। स्कॉच शिखर सम्मेलन में देबरॉय ने कहा, ‘साल 2030 तक देश की राष्ट्रीय आय 6,500 से 7,000 अरब डॉलर होगी। अगर विनिमय दर वही रहती है जो आज है तो, देश की अर्थव्यवस्था 2035-40 तक 10,000 अरब डॉलर की हो जाएगी।’ उन्होंने आगे कहा कि अर्थव्यवस्था के आकार के साथ भारत उल्लेखनीय रूप से एक अलग तरह का देश होगा और वैश्विक मंच पर इसकी भूमिका अहम होगी। देबरॉय ने यह भी कहा कि लोग आज सरकारी नौकरी नहीं तलाश रहे, बल्कि अब ज्यादा से ज्यादा लोग दूसरे को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। दिलचस्प है कि वर्ष 2017 समाप्त होते-होते देश की अर्थव्यवस्था के लिए हर तरफ से अच्छी खबरें आ रही हैं। तमाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भारत की अर्थव्यवस्था और जीडीपी के बारे में सकारात्मक अनुमान जता रही हैं।

हार्वर्ड का अध्ययन

भारत की अर्थव्यवस्था की गति और इसकी मजबूती पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में माना गया है कि भारत चीन से आगे बढ़कर वैश्विक विकास के आर्थिक स्तंभ के रूप में उभरा है और आने वाले दशक में वो नेतृत्व जारी रखेगा। सेंटर फॉर इंटरनेशल डेवलपमेंट (सीआईडी) ने 2025 तक सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं की लिस्ट में भारत को सबसे ऊपर रखा है। सीआईडी के

सीआईडी के अनुमान के अनुसार भारत 2025 तक सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की सूची में सबसे ऊपर है

अनुमान के अनुसार भारत 2025 तक सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की सूची में सबसे ऊपर है। भारत में अर्थव्यवस्था के ग्रोथ की गति औसत 7.7 प्रतिशत की वार्षिक रहेगी। सीआईडी के रिसर्च से ये निकलकर आया है कि वैश्विक आर्थिक विकास की धुरी अब भारत है। चीन की तुलना में दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ा है, जो आने वाले एक दशक से अधिक समय तक कायम रह सकता है।

आगे बढ़ रहा भारत

एक अमेरिकी टॉप थिंक-टैंक काउंसिल में भारत, पाकिस्तान और साउथ एशिया मामलों की वरिष्ठ सदस्य अलीसा एयर्स ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था उसे व्यापक वैश्विक महत्व और देश की सैन्य क्षमताओं के विस्तार तथा आधुनिकीकरण के लिए ऊर्जा दे रही है। अलीसा के अनुसार, ‘भारत

ने अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर वैश्विक उछाल दिया है। इसकी मदद से भारत अपनी सैन्य क्षमताओं का विस्तार और आधुनिकीकरण कर रहा है।’ फोर्ब्स में छपे लेख में अलीसा कहती हैं, ‘पिछले वर्षों में भारत दुनिया भर में विदेशी और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीतियों के संदर्भ में एक बड़ा कारक बनकर उभरा है और अब वैश्विक मंच पर अब भारत ज्यादा मुखर दिखाई दे रहा है। दरअसल भारत खुद को एक ‘प्रमुख शक्ति’ के रूप में देख रहा है।’

संयुक्त राष्ट्र की सराहना

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को सकारात्मक बताया है। यूएन ने साल 2018 में भारत की विकास दर 7.2 और 2019 में 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। दुनिया की अर्थव्यवस्था पर जारी रिपोर्ट में यूएन ने कहा गया है कि भारी निजी उपभोग, सार्वजनिक निवेश और संरचनात्मक सुधारों के कारण साल 2018 में भारत की विकास दर वर्तमान के 6.7 प्रतिशत से बढ़कर 7.2 प्रतिशत हो जाएगी और ये विकास दर साल 2019 में 7.4 प्रतिशत तक पहुंचेगी। ‘वर्ल्ड इकोनोमिक सिचुएशन एंड प्रोस्पेक्ट 2018’ रिपोर्ट में यूएन ने कहा है कि कुल मिला कर दक्षिण एशिया के लिए आर्थिक परिदृश्य बहुत अनुकूल नजर आ रहा है।

पूरा होगा राष्ट्रपिता का सपना

2017 में हुए एक महत्वपूर्ण सर्वे में 94 प्रतिशत लोगों ने उम्मीद जताई कि गांधी जी की प्रेरणा से शुरू हुआ स्वच्छ भारत का सपना पूरा होकर रहेगा

स वर्ष नरेंद्र मोदी के एप्प पर एक दिलचस्प सर्वे हुआ। इस सर्वे में स्वच्छ भारत अभियान हिट साबित हुआ। सर्वे में भाग लेने वाले अधिकतर लोगों ने न केवल स्वच्छ भारत अभियान को हाई रेटिंग दिया, बल्कि 90 प्रतिशत लोगों ने माना कि प्रधानमंत्री मोदी स्वच्छता के लिए जागरूक प्रयास करते हैं। नरेंद्र मोदी एप्प में हिस्सा लेने वालों में से 61 प्रतिशत लोगों ने सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को शानदार बताया। जबकि 20 प्रतिशत लोगों ने इसे अच्छा कहा और 11 प्रतिशत ने औसत बताया। इसके

साथ ही 94 प्रतिशत लोग आशावादी हैं और कहते हैं कि स्वच्छ भारत के महात्मा गांधी के सपने को पूरा किया जा सकता है। सर्वे में 79 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि सफाई को लेकर पिछले तीन साल में उन्होंने लोगों के स्वभाव में व्यवहारिक बदलाव देखे हैं। जबकि 90 प्रतिशत लोगों का कहना है कि सफाई कायम रखने के लिए अब वह जागरूक प्रयास करते हैं। गौरतलब है कि बीते तीन वर्षों में देश में स्वच्छता का प्रतिशत 42 से बढ़कर 65 प्रतिशत हो गया है।


25 - 31 दिसंबर 2017

लोकप्रियता के शीर्ष पर

सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की बादशाहत कायम है। इस वर्ष उनके फॉलोअर्स की संख्या में 51फीसदी की वृद्धि हुई

प्र

धानमंत्री नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया पर सबसे लोकप्रिय बने हुए हैं। ट्विटर पर भी उनकी बादशाहत कायम है। पिछले साल ट्विटर पर सबसे ज्यादा फॉलो करने वाले भारतीय बनने के बाद इस साल प्रधानमंत्री मोदी के फॉलोअर की संख्या में 51 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उनको फॉलो करने वाले लोगों की संख्या 3 करोड़ 75 लाख हो गई है। ट्विटर इंडिया के कंट्री डायरेक्टर तरणजीत सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी अभी भी नंबर वन पर बरकरार हैं और इस साल जीएसटी, पीएम मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’, राष्ट्रपति चुनाव, और नोटबंदी के एक साल टॉप ट्रेंडिंग टॉपिक रहे। जाहिर है कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में लगातार इजाफा होता जा रहा है। लोग एक राजनेता के तौर पर पीएम मोदी को काफी पसंद कर रहे हैं और उनके

विश्व बैंक को उम्मीद

विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम यांग किम ने कहा है कि भारत काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। न्यूयॉर्क में ब्लूमबर्ग ग्लोबल बिजनेस फोरम की बैठक में उन्होंने कहा कि जापान, यूरोप और अमेरिका के साथ भारत तेज वृद्धि दर्ज कर रहा है। किम ने कहा कि भारत जैसा देश तेज वृद्धि दर्ज कर रहा है। हमारा मानना है कि जापान भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। यूरोप भी अधिक तेज वृद्धि दर्ज कर रहा है। अमेरिका भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी सेक्टर को और ज्यादा तालमेल के साथ काम करने का अवसर है। विश्व बैंक का कहना है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख

बारे में जानना चाहते हैं। वैसे भी बात चाहे फेसबुक की करें, ट्विटर की करें या फिर इंस्टाग्राम और गूगल प्लस की, सभी जगह पर प्रधानमंत्री मोदी विश्व के सभी नेताओं को पीछे छोड़ते हुए नजर आ रहे हैं। आज के समय में प्रधानमंत्री मोदी के सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर चार करोड़ 31 लाख, ट्विटर पर तीन करोड़ 75 लाख, इंस्टाग्राम पर एक करोड़ 4 लाख, गूगल प्लस पर 32 लाख 49 हजार, लिंकडन पर 23 लाख 55 हजार फॉलोअर्स हैं। यही नहीं, पीएम मोदी के नाम पर बने मोबाइल एप्प को भी पचास लाख से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं।

याहू पर सबसे ज्यादा सर्च

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकप्रियता के मामले में नंबर एक बने हुए हैं। सर्च इंजन याहू के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल याहू इंडिया पर सबसे अधिक बार सर्च किए गए राजनेता हैं। भारत के लिए की अपनी 2017 की समीक्षा रिपोर्ट में याहू ने कहा कि इस वर्ष भारत में याहू सर्च इंजन पर सबसे ज्यादा पीएम नरेंद्र मोदी को खोजा गया है। मोदी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सबसे अधिक बार सर्च किया गया है। दरअसल याहू हर वर्ष ऐसी हस्तियों सूची जारी करता है जिन्हें सबसे ज्यादा सर्च किया गया हो। अर्थव्यवस्थाओं में से है।

बड़ा संरचनात्मक सुधार

जीएसटी को लेकर वर्ल्ड बैंक ने सकारात्मक टिप्पणी की। वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि जीएसटी जैसे कर सुधार के परिणामस्वरूप भारत 8 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर सकता है। वर्ल्ड बैंक ने कहा कि जीएसटी का लागू होना एक संरचनात्मक बदलाव इसीलिए है, क्योंकि इसने पूरे देश को एक बाजार के रूप में बदलने का काम किया है। इस कर सुधार के बाद 8 प्रतिशत की विकास दर हासिल करने की संभावनाएं मजबूत हुई हैं। जीएसटी अगर कुशल तरीके से क्रियान्वित होता है, तो विकास की

उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कंपनी यूनिलीवर के सीईओ पॉल पोलमैन ने कहा कि निवेश के लिहाज से भारत आकर्षक जगह है

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आवरण कथा

जनता से संवाद लोकप्रिय

प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया पर संवाद की आदत ने आज उनको विश्व का सबसे लोकप्रिय नेता बना दिया है। प्रधानमंत्री मोदी सोशल मीडिया पर गांव के एक छोर पर बैठे व्यक्ति से भी संवाद करते नजर आते हैं। यही कारण है कि उनकी लोकप्रियता शिखर पर पहुंच रही है। बड़े-बड़े सोशल मीडिया एक्सपर्ट भी पीएम मोदी के इस करिश्माई व्यक्तित्व से दंग हैं। फेसबुक संस्थापक जुकरबर्ग से लेकर कई बड़े नाम पीएम मोदी के सोशल मीडिया यूज का जमकर तारीफ कर चुके हैं।

लोकप्रियता में कोई आसपास नहीं

हाल ही में हुए अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर सर्वे के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी भारतीय राजनीति के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रीय नेता बने हुए हैं।

पीएम नंबर वन

देश की स्वतंत्रता की 70वीं वर्षगांठ पर न्यूज मैगजीन ‘बिजनेस वर्ल्ड’ के सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अहमियत अद्वितीय बताई गई। मैगजीन के लिए टीएससी की ओर से कराए गए इस सर्वे में देशभर के 440 सीईओ और कंपनियों के डायरेक्टर की राय ली गई। इस सर्वे में देशभर के 12 शहरों में मौजूद विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही कंपनियों को शामिल किया गया। इस सर्वे के मुताबिक देश की आजादी के 70 साल के इतिहास में नरेंद्र मोदी से महत्वपूर्ण कोई प्रधानमंत्री नहीं हुआ। गति तेज होगी।

निवेश के लिहाज से भारत

उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कंपनी यूनीलीवर के सीईओ पॉल पोलमैन ने कहा कि निवेश के लिहाज से भारत आकर्षक जगह है। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वह अपने कारोबार के सबसे बड़े क्षेत्र अमेरिका के मुकाबले भारत में हो रहे विकास को लेकर वह ज्यादा उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि ग्रुप अपने कारोबार को बढ़ाकर और नए ब्रांड लाकर हिंदुस्तान यूनिलीवर में निवेश करने में लगा हुआ है और ये आगे भी जारी रहेगा। नोटबंदी और जीएसटी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी स्मार्ट इंडिया, मेड इन इंडिया और स्वच्छ भारत जैसे बिग आइडियाज के साथ आगे बढ़ रहे हैं तथा अर्थ व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए उनके कई कदमों के हम समर्थक हैं।

‘सपनों’ के साथ बढ़े कदम

मध्य पूर्व और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विश्लेषक फ्रिट्ज लॉज ने ‘द सिफर ब्रीफ’ में एक लेख में भी भारत की प्रशंसा की है और पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना की है। फ्रिट्ज लॉज ने लिखा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी भारत को आर्थिक, सैन्य, भू-राजनीतिक शक्ति से योग्य बनाने के अपने सपने के साथ आगे बढ़ रहे हैं।’

इंग्लैंड से बड़ी अर्थव्यवस्था

पीएम मोदी की विकास नीतियों के कारण आर्थिक तरक्की के मामले में भारत ने इंग्लैंड को पछाड़ दिया है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। 17 दिसंबर 2016 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले सौ साल में पहली बार ऐसा है कि कभी दुनिया के एक बड़े हिस्से पर राज करने वाला ब्रिटेन उपनिवेश रहे भारत से पीछे हो गया है। हालांकि 2011 में विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई थी कि भारत अर्थव्यवस्था के मामले में 2020 तक इंग्लैंड को पीछे छोड़ देगा, लेकिन भारत ने उससे काफी पहले ही इंग्लैंड को पछाड़ दिया।

‘तेज रहेगी भारत की ग्रोथ’

हाल ही में ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंक नोमुरा ने भारत की ग्रोथ के बारे में पॉजिटिव रिपोर्ट दी थी। नोमुरा में इमर्जिंग मार्केट्स इकनॉमिक्स के हेड रॉबर्ट सुब्बारमण का कहना था कि भारत कई ग्लोबल शॉक से बचा हुआ है और अगले साल उसकी ग्रोथ 7.5 फीसदी रह सकती है। नोमुरा की तरफ से जारी वक्तव्य में जो कहा गया है, वह भारत के लिए प्रसन्नता की बात है। ‘हम भारत पर बुलिश हैं। यहां साइक्लिकल रिकवरी शुरू हो चुकी है। नोटबंदी के शॉक, जीएसटी और बैंक फंडिंग जैसी इवेंट्स गुजर चुकी हैं। अब हमें यहां ग्रोथ तेज होने की उम्मीद है। अगले साल की पहली छमाही में हमें भारत की ग्रोथ 7.8 पर्सेंट रहने की उम्मीद है। साल 2018 में हम 7.5 पर्सेंट ग्रोथ की उम्मीद कर रहे हैं। भारतीयों को अहसास होगा कि यह टिकाऊ ग्रोथ है। उसकी ग्रोथ दूसरे इमर्जिंग देशों से अधिक रह सकती है। अगले साल हम चीन की ग्रोथ 6.4 पर्सेंट और भारत की 7.5 पर्सेंट रहने की उम्मीद कर रहे हैं।’

आईएमएफ को उम्मीद

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का मानना है कि एक वर्ष पहले नोटबंदी की जो घोषणा की गई थी, उससे भले ही पिछले कुछ महीने में कारोबार पर असर पड़ा है, लेकिन मध्य अवधि में यह भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा। आईएमएफ ने कहा है कि इससे मिलने वाले लाभ लंबे समय तक बने रहेंगे। आईएमएफ के विलियम मरे ने कहा, ‘हमें लगता है कि एक वर्ष पहले हुई नोटबंदी के शानदार लाभ होंगे। नोटबंदी के इन फायदों का असर लंबे समय तक बने रहने की उम्मीद है।’ मरे ने कहा कि, ‘नोटबंदी ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया है। इसने बैंकिंग प्रणाली को मजबूत किया है।’


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स्वच्छता

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स्वच्छाग्रही बना पूरा देश

तकरीबन साढ़े तीन वर्ष के भीतर स्वच्छ भारत अभियान की सफलता का आलम यह है कि सात राज्योंकेंद्र शासित प्रदेशों को अब तक खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है प्रश्न उठ खड़ा होता है कि यह दायित्व किसका है? प्रधानमंत्री के ही शब्दों में, ‘अगर 1000 महात्मा गांधी आ जाएं, एक लाख मोदी मिल जाएं, सभी मुख्यमंत्री मिल जाएं, सभी राज्य सरकारें भी मिल जाएं तो भी स्वच्छता का सपना नहीं पूरा हो सकता। लेकिन अगर सवा सौ करोड़ देशवासी मिल जाएं तो स्वच्छता का सपना पूरा होकर रहेगा।’ प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह स्वच्छता के मुद्दे को उठाया है, उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना हुई है, खासतौर पर संयुक्त राष्ट्र ने इसे विश्व में स्वच्छता का सबसे बड़ा अभियान करार दिया है। इसी से प्रेरित होकर चीन ने भी अपने देश में बड़ा अभियान शुरू किया है।

प्रेरक आगाज

प्र

एसएसबी ब्यूरो

धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को साफ-सफाई को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ खास बातें भारत अभियान शुरू करते हुए खुद हाथों में झाड़ू थामी, तो पूरे देश ने हाथ में झाड़ू उठा लिया। पीएम अब तक 561.75 लाख शौचालय मोदी ने सफाई के प्रति देश में लोगों में जागरूकता बनाए जा चुके हैं और सकारात्मक सोच लाने का प्रयास किया, और आज यह अभियान स्वतंत्र भारत का सबसे महत्वपूर्ण जन आंदोलन बन चुका दो अक्टूबर, 2014 को शुरू हुआ है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत अब था स्वच्छ भारत अभियान तक 561.75 लाख शौचालय बनाए गए हैं। इसमें से 29.08 लाख शौचालय मनरेगा के तहत महात्मा गांधी की 150वीं जयंती बनाए गए हैं। इसके साथ तक पूरा होगा अभियान ही सात राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों को अब तक खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है। देश को स्वच्छ करने की जो पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, वैसा पहले कभी किसी ने नहीं सोचा था। अभियान की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर देश उन्हें स्वच्छ भारत के रूप म ें सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है।’ स्वच्छ भारत अभियान के शुरू हुए अभी साढ़े तीन साल ही हुए हैं, लेकिन स्वच्छता के प्रति देश सजग हो गया है, साफ-सफाई के प्रति सोच बदल गई है। देशवासियों की मूल प्रकृति स्वच्छता को पसंद करने की है। लेकिन जब करने की बारी आती है तो

महात्मा गांधी के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के पास स्वयं झाड़ू उठाकर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। फिर वो वाल्मिकी बस्ती पहुंचे और वहां भी साफ-सफाई की और कूड़ा उठाया। उन्होंने इस अभियान को जन आंदोलन बनाते हुए देश के लोगों को मंत्र दिया‘ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे।’ प्रधानमंत्री इस कार्य को और आगे बढ़ाते रहे, वो अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी पहुंचे और वहां भी खुद आगे बढ़कर सफाई अभियान को गति देने का काम किया। पीएम मोदी ने काशी के अस्सी घाट पर गंगा के किनारे कुदाल से साफ-सफाई की। इस मौके पर भारी संख्या में स्थानीय लोगों ने स्वच्छ भारत अभियान में उनका साथ दिया। देश में साफ-सफाई के इस विशाल जन आंदोलन में समाज के हर वर्ग के लोगों और संस्थाओं ने साथ दिया। सरकारी अधिकारियों से लेकर, सीमा की रक्षा में जुटे वीर जवानों तक, बॉलीवुड कलाकारों से लेकर नामचीन खिलाड़ियों तक, बड़े-बड़े उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक, सभी इस पवित्र कार्य से जुड़ते चले गए। इसमें अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल और मैरी कॉम जैसी हस्तियों के योगदान बेहद सराहनीय हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ में लगातार देश के विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों के उन प्रयासों की सराहना की है, जिसने स्वच्छ भारत अभियान को व्यापक रूप से सफल बनाने में मदद की है।

खुले में शौच से मुक्ति

प्रधानमंत्री ने जब स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था, तब देश का एक भी राज्य खुले में शौच की समस्या से मुक्त नहीं था। इस समय देश


25 - 31 दिसंबर 2017

स्वच्छता का पर्याय

भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में ‘सुलभ’ का नाम स्वच्छता का पर्याय बन चुका है

ब्बे के दशक में भारत को 21वीं सदी में जाने की बात खूब होती थी। ये बातें जहां संसद के बाहर-भीतर राजनीतिक लाइन के साथ कही जाती थी, वहीं आर्थिक-सामाजिक स्तर पर भी भावी भारत से जुड़े सरोकारों और चुनौतियों को लेकर विमर्श चलता था। पर किसी ने कभी सोचा भी होगा कि 21वीं सदी के दूसरे दशक तक पहुंचकर स्वच्छता देश का प्राइम एजेंडा बन जाएगा। इस बदलाव के पीछे बड़ा संघर्ष है। आज देश में स्वच्छता को लेकर जो विभिन्न अभियान चलाए जा रहे हैं, उसमें जिस संस्था और व्यक्ति का नाम सबसे पहले जेहन में आता है, वह सुलभ इंटरनेशनल और इस संस्था के प्रणेता डॉ. विन्देश्वर पाठक। सुलभ प्रणेता डॉ. विन्देश्वर पाठक ने दुनिया को स्वच्छता का नया समाजशास्त्र सिखाया है, जिसमें साफ-सफाई का सबक तो है ही, मानवीय प्रेम और करुणा को भी पर्याप्त महत्व दिया गया है। सुलभ इंटरनेशनल के जरिए स्वच्छता के क्षेत्र में तय की गई उनकी यात्रा असाधारण है। पूरी दुनिया आज डॉ. पाठक को ‘टॉयलेट मैन’ के रूप में जानती है। उन्होंने एक तरफ जहां सिर पर मैला ढोने की मैली प्रथा को खत्म करने बीड़ा उठाया, वहीं देशभर में सुलभ शौचालय

के सात राज्य-केंद्र शासित प्रदेश खुले में शौच की समस्या से मुक्त हो चुके हैं। इस सामाजिक बुराई से बाहर निकलना इतना आसान नहीं है, लेकिन इसे सफल बनाने में आम लोगों का मिल रहा योगदान बहुत ही सराहनीय है। इस समस्या के प्रति लोग बहुत अधिक जागरूक हो चुके हैं और उन्हें जिस तरह से सरकार से मदद मिल रही है उससे लगता है कि 2 अक्टूबर 2019 से बहुत पहले ही ये मिशन पूरा हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहले दिन से कोशिश है कि स्वच्छता मिशन एक सरकारी कार्यक्रम भर रहकर न रह जाए। वे इस बात को आरंभ से समझते रहे हैं कि स्वच्छ भारत का संकल्प तभी पूरा होगा जब सरकार और समाज का साझा पुरुषार्थ प्रकट होगा। इसीलिए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अगर समाज की शक्ति को स्वीकार करके चलें, जन-भागीदारी को साथ लेकर चलें, सरकार की भागीदारी को कम करके चलें, तो स्वच्छता का आंदोलन तमाम रुकावटों के बाद भी सफल होकर रहेगा।’ वैसे अब तक भारत स्वच्छता की दिशा में जितना आगे बढ़ चुका है, वह जहां अब तक की प्रगति को संतोषजनक मानने के लिए पर्याप्त है, वहीं अब तक की सफलता इस मिशन की सफलता का भरोसा जगाता है। इस बात को

की उपलब्धता से उन्होंने आमलोगों की स्वच्छता जरूरत को पूरा करने के क्षेत्र में महान कार्य किया। बड़ी बात यह है कि डॉ. पाठक द्वारा शुरू किया गया स्वच्छता का सुलभ अभियान लगातार आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दो अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन शुरू होने के बाद डॉ. पाठक के मार्गदर्शन में सुलभ का स्वच्छता अभियान नई प्रेरणा और गति के साथ आगे बढ़ रहा है। शौचालय और स्वच्छता को पांच दशक से अपनी समझ और विचार की धुरी बनाकर चल रहे डॉ. विन्देश्वर पाठक ने एक तरह से दुनिया को स्वच्छता का नया प्रधानमंत्री ने भी स्वीकार करते हुए कहा है- ‘अब यह अभियान न बापू का है और न ही सरकारों का है। आज स्वच्छता अभियान देश के सामान्य मानव का अपना सपना बन चुका है। ... अब तक जो भी सिद्धि मिली है, वह सरकार की सिद्धि नहीं है। अगर सिद्धि मिली है तो यह स्वच्छाग्रही देशवासियों की सिद्धि है। उन्होंने कहा कि बापू के स्वराज का शस्त्र था सत्याग्रह। श्रेष्ठ भारत का शस्त्र है स्वच्छाग्रह। स्वराज के केंद्र में सत्याग्रही थे और स्वच्छाग्रह के केंद्र में स्वच्छाग्रही हैं।’

संतोषजनक आंकड़े

सरकारी आंकड़ो के अनुसार 85 प्रतिशत से अधिक लोग अब शौचालयों का उपयोग कर रहे हैं। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के सचिव परमेश्वरन अय्यर के मुताबिक भारत सरकार स्वच्छ भारत अभियान को लेकर बेहद गंभीर है। सरकार किसी भी कीमत पर इस में सफलता हासिल करना चाहती है। सरकार के सभी मंत्रालयों को यह आदेश दिया गया है कि वह हर महीने में एक बार कार्यालय में सफाई अभियान के तहत साफ-सफाई करें। सरकार 2019 तक भारत को खुले में शौच से मुक्त करना चाहती है। थर्ड पार्टी सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि 91 प्रतिशत

'अगर जन-भागीदारी को साथ लेकर चलें और सरकार की भागीदारी को कम करके चलें, तो स्वच्छता का आंदोलन तमाम रुकावटों के बाद भी सफल होकर रहेगा' – नरेंद्र मोदी

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स्वच्छता

‘सुलभ’ कीर्तिमान 1.5 मिलियन घरों में सुलभ टॉयलेट का निर्माण 60 मिलियन सरकार द्वारा सुलभ के डिजायन के आधार पर टॉयलेट का निर्माण 8500 सुलभ सामुदायिक टॉयलेट 640+ शहर स्कैवेंजिंग से मुक्त 20 मिलियन लोग सुलभ तकनीक पर आधारित टॉयलेट का कर रहे हैं उपयोग

समाजशास्त्र सिखाया है, जिसमें साफ-सफाई के सबक तो हैं ही, मानवीय प्रेम और करुणा को भी पर्याप्त महत्व दिया गया है। लोग शौचालय का उपयोग कर रहे हैं। पानी की कमी को मानते हुए प्रधानमंत्री ने ओडीएफ गांव को पानी मुहैया कराने में प्राथमिकता देने की बात कही है।

‘स्वच्छ सभ्य स्थान’

प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर स्वच्छता कार्य योजना के अंतर्गत 76 मंत्रियों को 12000 करोड़ रूपए दिए गए हैं। 100 प्रसिद्ध स्थानों को साफ करने के लिए ‘स्वच्छ सभ्य स्थान’ का नाम दिया गया है। इसमें 20 स्थान ऐसे हैं, जिनकी दूरी बहुत अधिक है। नमामी गंगे कार्यक्रम के तहत 4500 गंगा किनारे के गांवों को ओडीएफ किया जाना है। स्वच्छता पखवाड़े में सभी मंत्री और उनके विभाग स्वच्छता से जुड़े विभिन्न क्रिया-कलापों से जुड़े। जिला स्वच्छ भारत प्रेरक के रूप में 600 युवा पेशेवर निजी क्षेत्र के फंड की सहायता से जिले का विकास करेंगे। इस परियोजना को लागू करने के लिए स्वच्छ भारत कोष से 660 करोड़ रुपए दिए गए हैं। स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय निर्माण के कुछ विरोधाभासी आंकड़े और खबरें भी आई हैं। खासतौर पर शौचालय निर्माण और उसके इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) ने ग्रामीण इलाकों में एक व्यापक सर्वेक्षण के जरिए देखना चाहा कि सेवा दायरे और गुणवत्ता के लिहाज से किए गए वादे से कितना मेल खाती है। क्यूसीआई प्रमाणन (एक्रीडिटेशन) की एक राष्ट्रीय संस्था है, जिसने

साफ-सफाई का मूल्यांकन अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर किया है। क्यूसीआई के सर्वेक्षण का नाम है, स्वच्छ सर्वेक्षण (ग्रामीण)- 2017। इसके अंतर्गत 700 जिलों के 140,000 घरों का जायजा लिया गया है। सर्वेक्षण में शामिल हर घर की जियो-टैगिंग (भौगोलिक आधार पर नाम देना) हुई ताकि सर्वेक्षण को लेकर कोई संदेह न रह जाए। सर्वेक्षण में तकरीबन छह माह लगे और सर्वेक्षण 2017 के अगस्त महीने में पूरा हुआ, जिससे कुछ चौंकाने वाले निष्कर्ष निकले।

इस्तेमाल में हैं टॉयलेट

स्वच्छता मिशन की आलोचना करते हुए बताया गया कि बने हुए टॉयलेट में अनाज रखा जा रहा है लेकिन सर्वे का निष्कर्ष यह है कि टॉयलेट की तादाद और इस्तेमाल में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। योजना के तीन साल बाद कहा जा सकता है कि लोगों की टॉयलेट जाने की आदतों में स्पष्ट अंतर आया है, खासकर ग्रामीण भारत में। 2011 की जनगणना के मुताबिक 10 में से 5 घरों में टॉयलेट नहीं थे, यानी तकरीबन 50 फीसदी परिवारों के घर टॉयलेट विहीन थे। ग्रामीण इलाकों में 10 में से 7 घरों में टॉयलेट सुविधा नहीं थी, जबकि शहरों में 10 में से 2 परिवारों के सदस्य खुले में टॉयलेट जाने पर मजबूर थे। किंतु सर्वेक्षण कहता है कि 10 में 3 से भी कम घरों (26.75 फीसदी) अब टॉयलेट नहीं हैं। सबसे ज्यादा सुधार ग्रामीण इलाकों में आया है, जहां ऐसे घरों की तादाद घटकर 32.5 प्रतिशत रह गई है, जहां टॉयलेट नहीं है। जबकि, 2011 की जनगणना में ऐसे घरों की तादाद 69 प्रतिशत थी। यानी तीन वर्षों में वहां टॉयलेट की संख्या दोगुनी बढ़ी है। शहरी इलाकों में टॉयलेट रहित घरों की संख्या 18 से घटकर 14.5 फीसदी रह गई है। जहां तक इस्तेमाल की बात है तो टॉयलेट सुविधा वाले 10 में से 9 घरों (91.29 प्रतिशत) में इसका इस्तेमाल हो रहा है। यही शहरी इलाकों में हुआ। स्वच्छ सर्वेक्षण 2016 में 73 शहरों को शामिल किया गया था। इसमें से 54 शहरों ने ठोस कचरा प्रबंधन (सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट) के मामले में अपने अर्जित अंकों में इजाफा किया है।

कारगर फार्मूला

बेशक, मिशन को सरकार का सहारा है लेकिन, यह सामाजिक परियोजना है और हम सब इसके भागीदार और संचालक हैं। इस योजना का एक पक्ष अगर स्थानीय निकायों को धन तथा संसाधन मुहैया कराना है तो दूसरा पक्ष जाति, लिंग और गरीबी का है जो उतना ही महत्वपूर्ण है। योजना का मापन, उसके दर्जे का निर्धारण और साथ ही खुले में टॉयलेट के चलन पर अंगुली उठाना तथा ऐसा करने वालों को शर्मिंदा करना- ये तीन काम स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े हैं, जो कारगर साबित हुए हैं। हमें इस फार्मूले का इस्तेमाल कामकाज के अन्य क्षेत्रों में भी करना चाहिए। रेलवे एंड पोर्ट (बंदरगाह) अथॉरिटी ने इससे मिलती-जुलती परियोजना पर काम शुरू कर दिया है।


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हा

स्वास्थ्य

25 - 31 दिसंबर 2017

भारत में स्वास्थ्य क्रांति ‘सबका साथ, सबका विकास’ के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में 2017 में भी सरकार की तरफ से अहम कदम उठाने का सिलसिला जारी रहा

एसएसबी ब्यूरो

ल के कुछ वर्षों में देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की सूरत बदल कर रख दी है। स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्र सरकार ने कई पहलें शुरू की हैं, जिसका लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रहा है। केंद्र सरकार समाज के गरीब, वंचित और उपेक्षित लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का काम कर रही है। ‘सबका साथ, सबका विकास’ के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में 2017 में भी सरकार की तरफ से अहम कदम उठाने का सिलसिला जारी रहा।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रधानमंत्री मोदी की अत्यंत महत्वाकांक्षी योजना है, जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश के समस्त वर्गों का हित सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई है। इसके अंतर्गत राज्य सरकारों को कुछ वित्तीय सहायता द्वारा ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य की स्थिति को और बेहतर बनाने की दिशा में भी प्रयास किया गया और शहरी वर्ग के स्वास्थ्य को भी इस दायरे में लाया गया। इस मिशन के अंतर्गत 4 घटकों को शामिल किया गया, जो इस प्रकार हैं- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, शहरी स्वास्थ्य मिशन, देखभाल कार्यक्रम तथा स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा के लिए मानव संसाधन। इस योजना के लिए वर्ष 2017-18 के लिए 26,690 करोड़ रुपए भी आवंटित किए गए, जो कि केंद्र सरकार की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है।

स्वास्थ्य जांच में गरीबों को छूट

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) देशभर में अपनी उत्कृष्ट एवं उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की विशेषता के लिए जाना जाता है। प्रतिदिन पूरे देश से यहां इलाज कराने आने वाले लोग लाखों की संख्या में होते हैं। इनमें बड़ी संख्या

खास बातें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 2017-18 के लिए 26,690 करोड़ रुपए आवंटित हर गर्भवती महिला को 6 हजार रुपए की वित्तीय सहायता सरकार की सख्ती से स्टेंट के दाम में 85 प्रतिशत की कमी

गरीबों की होती है, जिन्हें स्थानीय स्तर पर उचित स्वास्थ्य सुविधाएं एवं संसाधन नहीं मिल पाते हैं और इस विवशता के चलते उन्हें एम्स आना पड़ता है। उनके लिए आवश्यक टेस्ट करा पाना भी कम दुष्कर नहीं होता। इन्हीं सब बिंदुओं के चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के प्र मु ख चिकित्सा संस्थानों को ऐसे शुल्कों की समीक्षा करने के निर्देश दिए थे, जिनमें पिछले 20 वर्षों से कोई परिवर्तन नहीं हुआ था, ताकि गरीबों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस विषय में कोई प्रभावी फैसला किया जा सके। गौरतलब है कि एम्स के गैस्ट्रोलॉजी विभाग ने एम्स आने वाले रोगियों की संख्या, अपने स्थान से उनके एम्स तक आने-जाने का खर्च, उनके ठहरने संबंधी व्यवस्था, उनके रोग के उपचार का शुल्क, चिकित्सा संबंधी जांच का शुल्क, उससे एम्स को होने वाली आय, रोग के उपचार में लगे मानवीय श्रम आदि सभी स्थितियों से संबंधी स्थिति के आधार पर सरकार को जानकारी प्रदान की थी। इसी के आधार पर मोदी सरकार ने गरीब रोगियों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए एम्स में 500 रुपए से कम लागत वाले टेस्ट को निशुल्क करने की योजना की रूपरेखा तैयार की है। साथ ही इससे संस्थान पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार को संतुलन प्रदान करने के लिए निजी वार्डों के शुल्क में मामूली बढ़ोत्तरी की जा सकती है। इस निर्णय का लाभ रोगियों को तो मिलेगा ही, साथ ही अस्पताल के कामकाज की गति में भी सकारात्मक बदलाव आएंगे।

गर्भवती महिलाओं को आर्थिक सहायता

एक गर्भवती महिला के पोषण और स्वास्थ्य रक्षा में ही बच्चे का संपूर्ण स्वास्थ्य छिपा होता है, परंतु गरीब एवं वंचित वर्ग की महिलाएं कुपोषण की शिकार होने को विवश होती हैं। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने इन महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए, चुने गए जिलों की प्रत्येक गर्भवती महिला

ई-स्वास्थ्य

को 6 हजार रुपए की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया। इस योजना का उद्देश्य मातृत्व मृत्यु दर जैसी स्थिति में बदलाव लाना भी है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि मातृत्व दर में भारत की दशा बहुत खराब है। गरीब महिलाएं गर्भावस्था जैसे संवेदनशील समय में भी अपने पोषण पर ध्यान नहीं दे पाती हैं, इसीलिए मोदी सरकार ने यह प्रावधान किया कि इस 6 हजार की वित्तीय सहायता द्वारा गर्भावस्था काल में उनके आवश्यक पोषण को सुनिश्चित किया जा सके। यह राशि उन महिलाओं के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत सरकार इस दिशा में भी

• किलकारी और मोबाईल अकादमी- गर्भवती महिलाओं, बच्चों के माताओं के मोबाइल फोन पर गर्भावस्था और शिशु स्वास्थ्य के बारे में ऑडियो संदेश • लोगों को तंबाकू छोड़ने में मदद करने और परामर्श देने के लिए 01122901701 पर मिस्ड कॉल देने वाला एमसीजेशन • क्षयरोगियों के लिए परामर्श और उपचार सेवा उपलब्ध कराने हेतु टीबी हेतु मिस्ड कॉल (टोल फ्री नं. 1800-11-6666) • ‘स्वस्थ‍ भारत’ नामक मोबाइल एप्प को स्वस्थ जीवन शैली, रोग स्थिति, लक्षण,उपचार, विकल्प, प्राथमिक उपचार और जन स्वास्थ्य संबंधी सावधानियों से जुड़ी सूचना उपलब्ध कराने के लिए किया गया है • राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल की शुरुआत • ई-हाॅस्पिटल (ओपीडी में समय लेने हेतु ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली) नामक सुविधा की शुरूआत 63 अस्पतालों में की गई है


25 - 31 दिसंबर 2017

मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा

भारत में की जाने वाली उपचार और चिकित्सा सुविधाओं का लाभ लेने के लिए विदेशी पर्यटकों की संख्या में 22 से 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है

वि

श्व स्तर की चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाएं, उच्च प्रशिक्षित डॉक्टर और पेशेवर स्वास्थ्य कर्मचारी तथा कम लागत – ये तीन ऐसे प्रमुख आकर्षण हैं जो भारत में चिकित्सा पर्यटकों को अधिक आकर्षित कर रहे हैं। जबकि इनमें से ज्यादातर अमेरिका, ब्रिटेन तथा अन्य यूरोपीय देशों से आ रहे हैं यह पर्यटक कम लागत में अच्छी चिकित्सा सुविधा पर विचार कर रहे हैं, इन देशों में इलाज की कीमतें काफी अधिक हैं। इनमें अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशियाई देशों जैसे श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले मरीजों में बढ़ोतरी देखी गई है, जो उपचार के सरलता और बेहतर विकल्प चाहते हैं। भारत आयुर्वेद, सिद्ध और योग केंद्र जैसी वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों और समग्र चिकित्सा के मामले में काफी धनी है, जो बड़ी संख्या में इलाज कराने वाले पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। हालिया कुछ आकलनों के मुताबिक भारत में की जाने वाली उपचार और चिकित्सा सुविधाओं का लाभ लेने के लिए विदेशी पर्यटकों की संख्या में 22 से 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्तमान में चिकित्सा पर्यटन उद्योग अनुमानित 3 बिलियन अमरीकी डॉलर है, ऐसी उम्मीद की जा रही है कि यह अगले साल तक बढ़कर 6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो जाएगा। यह न केवल घरेलू चिकित्सा उद्योग को बढ़ावा देगा, बल्कि सरकारी खजाने में भी वृद्धि करेगा। दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के विनिमय के लिए वीजा के आवेदन की जांच और अस्पताल में चिकित्सा शिक्षा के लिए मान्यता आदि चिकित्सा पर्यटकों की ऊंची मांगे हैं, इनको पूरा करने के लिए तंत्र काम कर रही है कि इस वर्ग की गर्भवती महिलाओं को कैशलेस ट्रीटमेंट दिए जाने की भी व्यवस्था की जा सके।

स्टेंट के दाम में कमी

सरकार की सख्ती के कारण धातु के बने डीईएस और बायोडिग्रेडेबल स्टेंटों सहित कोरोनरी स्टेंटों के लिए बेअर मेटल स्टेंट की कीमत 7,260 रुपए और ड्रग इल्यूटिंग स्टेंट (डीईएस) की कीमत 29,600 रुपए तय कर दी गई है। इससे स्टेंट के दाम में 85

में एक बदलाव की जरूरत है। विदेशी पर्यटकों द्वारा कराए जाने वाले उपचारों में हृदय संबंधी सर्जरी (उपचार), घुटना और कूल्हा प्रत्यारोपण सर्जरी, बैरिएट्रिक सर्जरी, सुंदरता और शारीरिक वृद्धि के लिए सर्जरी, लीवर प्रत्यारोपण, न्यूरो सर्जरी, ऑनकॉलोजिकल सर्जरी और उपचार और कृत्रिम परिवेशी निषेचन (आईवीएफ) आदि की मांग की जाती है। कई कारणों से इन उपचारों की मांग की जाती है। कार्डियक सर्जरी की लागत लगभग 70,000 अमेरिकी डॉलर से 200,000 अमेरिकी डॉलर (बीमा कवर के बिना) के बीच हो सकती है, जबकि भारत में इसकी लागत केवल 3500 अमेरिकी डॉलर से 8700 अमेरिकी डॉलर के बीच हो सकती है। अमेरिका में लीवर प्रत्यारोपण के उपचार (सर्जरी) में लगभग 3,00,000 अमेरिकी डॉलर की लागत आती है, जबकि भारत में यह लगभग 69,000 अमेरिकी डॉलर में ही हो जाती है। इस तरह से हमारा देश पश्चिमी देशों के मरीजों के लिए एक बहुत ही कम या न के बराबर लागत वाला सर्वोत्तम उपचार प्रदान करता है। एक तथ्य यह भी है कि यहां पर मरीजों को उपचार के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता है, कैंसर और स्नायु जैसे रोगियों को स्पष्ट रूप से लाभ होता है। दूसरी ओर बांग्लादेश जैसे देशों के मरीज अच्छे डॉक्टरों, ऑपरेशन की सुविधाओं और अच्छी देखभाल जैसी सुविधाओं की उपलब्धता के कारण उपचार कराने के लिए भारत आते हैं।

रिवर्स ब्रेन ड्रेन

चिकित्सा पर्यटन के लिए भारत एक लोकप्रिय गंतव्य के रूप में अगर तेजी से उभर रहा है, प्रतिशत की कमी आई है।

मिशन इंद्रधनुष

प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिसंबर 2014 में सुशासन दिवस के अवसर पर मिशन इंद्रधनुष को आरंभ किया गया था। इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2020 तक उन सभी बच्चों के टीकाकरण को सुनिश्चित करना था, जिन्हें विविध रोगों से बचाव के टीके नहीं लगे हैं या अगर लगे भी हैं तो आंशिक रूप से आधे-अधूरे

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के तहत खोले गए प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्राें के माध्यम से मामूली कीमतों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं

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स्वास्थ्य

इसके मुख्य कारणों में से एक रिवर्स ब्रेन ड्रेन (मस्तिष्क संबंधी उपचार) है। भारतीय चिकित्सा स्नातक आशाजनक उच्च शिक्षा के लिए विदेश जा रहे हैं और वहां कई सालों तक काम करते हैं। हालांकि देर से ही, लेकिन इनमें से कई भारत वापस लौटने और यहां अभ्यास करने का विकल्प चुन रहे हैं। विशेष रूप से दिल्ली, चेन्नई और हैदराबाद सहित भारत के कई अन्य प्रमुख शहरों में मेडिकल टूरिज्म का जोर बढ़ा है। गौरतलब है कि भारत में चिकित्सा पर्यटन के विकास (अधिक मांग), कमाई के पहले से बेहतर अवसर (अमेरिका और ब्रिटेन की उच्च कमाई की अपेक्षा) और निवास के उच्च मानक जैसी सुविधाएं विदेशों में काम करने वाले भारतीय डॉक्टरों को स्वदेश लौटने के लिए मजबूर कर रही हैं। यह पूरे भारत में चिकित्सा उद्योग के लिए एक वरदान है, क्योंकि यह डॉक्टर और स्वास्थ्य चिकित्सक चिकित्सा पर्यटकों के साथ अच्छी तरीके से तालमेल बना लेते हैं। चाहे जो भी कारण हों, भारत द्वारा जारी मेडिकल वीजा की संख्या अपनी एक अलग कहानी बताती है। रिकार्ड बताते हैं कि 2013 में 59,129 मेडिकल वीजा जारी किए गए थे। 2014 में यह लगभग 75,671 तक बढ़ गए, इसके बाद 2015 में लगभग 134,344 चिकित्सा पर्यटकों ने भारत का दौरा किया। 2016 में 200,000 से अधिक विदेशी नागरिक इलाज करवाने के लिए भारत आए थे। इसने चिकित्सा उपचार और देखभाल से जुड़े कई अन्य व्यवसायों को भी प्रेरित किया है। चिकित्सा पर्यटन भारत के लिए बहुत अधिक विदेशी राजस्व प्राप्त करने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक केंद्रीय स्थिति हासिल करने का अच्छा अवसर है। भारत सरकार भी खासतौर पर इस बारे में कई प्रोत्साहन देने वाली पहल कर रही है। ढंग से। इन टीकों से डिप्थेरिया, टिटनेस, खसरा, तपेदिक, पोलियो, हेपेटाइटिस-बी जैसे रोगों की पूर्णतया रोकथाम संभव है। यह अभियान प्रति वर्ष अधिकाधिक बच्चों के टीकाकरण के लक्ष्य के साथ विविध अभियानों द्वारा जारी रखा जाएगा। मिशन इंद्रधनुष अभियान के तहत अबतक 2.6 करोड़ बच्चों का टीकाकरण हो चुका है।

प्रधानमंत्री डायलिसिस कार्यक्रम

किडनी के मरीजों को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री डायलिसिस कार्यक्रम की शुरूआत की गई है, इसमें गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को निशुल्क डायलिसिस सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इस पहल के तहत 1,069 डायलिसिस इकाइयां, 2,319

डायलिसिस मशीनें संचालित की गई हैं। 8.5 लाख से अधिक डायलिसिस सत्रों में 80,000 से अधिक मरीजों को डायलिसिस सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

अमृत

कैंसर और हर्ट के मरीजों को किफायती दाम पर दवाई और प्रत्यारोपण यंत्र इस योजना के जरिए उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इससे उपचार लागत में 90% तक कमी आई है। इससे करीब 10.14 लाख मरीजों को फायदा मिला है।

विशेषज्ञों की उपलब्धता

मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में शैक्षणिक सत्र 2017-18 के लिए 4,000 से अधिक स्नाोतकोत्तर मेडिकल सीटें अनुमोदित की गई हैं, जिससे स्नातकोत्तर सीटों की कुल संख्या बढ़कर 35,117 हो गई है।

सुरक्षित मातृत्व

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत प्रसवपूर्ण देखभाल, मातृत्व नवजात शिशु एवं किशोर स्वास्थ्य के लिए देशभर में 11,000 से अधिक सुविधा केंद्र देश भर में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। सरकार की पहल का ही नतीजा है कि 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर और मातृ मृत्यु अनुपात में कमी आई है।

विशेष टीकाकरण अभियान

15-65 वर्ष की आयु वर्ग में जेई टीकाकरण के लिए असम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में रोगियों की अधिक संख्या वाले 21 जिलों की पहचान की गई है। इन जिलों में 3 करोड़ से भी अधिक वयस्कों को इसकी डोज दी गई है। हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, हरियाणा और अांध्रप्रदेश में रोटा वायरस टीकाकरण अभियान की शुरूआत की गई। चरणबद्ध तरीके से इसका पूरे देश में विस्तार किया जाएगा। खसरारूबेला टीका अभियान फरवरी, 2017 में शुरू किया गया। इससे देश के 41 करोड़ बच्चों को खसरा तथा रूबेला जैसे रोगों से बचाया जाएगा।

प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के तहत खोले गए प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र के माध्यम से मामूली कीमतों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं। गरीबों को सस्ती और सुलभ दवाएं सुनिश्चित करना इस सरकार की प्राथमिकता में रही है। जन औषधि स्टोर से गरीबों के लिए सस्ती दवाओं के साथ उन्हें मुफ्त जांच करवाने की सुविधा भी दी जा रही है। इस बीच, अनिवार्य दवाइयों की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में शामिल 489 दवाइयों के अधिकतम मूल्य अधिसूचित किए गए हैं।

छह नए एम्स

सरकार ने पूर्व में स्थापित किए जा चुके 6 एम्स के अतिरिक्त, 11 नए एम्स स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके अतिरिक्त , 70 मेडिकल कालेजों में सुपर स्पेशलिस्ट ब्लाक स्थापित किए जा रहे हैं। 2 राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, 20 राज्य कैंसर संस्थान तथा 50 तृतीयक कैंसर देखभाल केंद्र भी स्थापित किए जा रहे हैं।


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अंतरराष्ट्रीय

25 - 31 दिसंबर 2017

दुनिया ने देखा भारत का दम भारत की कूटनीतिक सफलताओं के लिए 2017 को भुलाया नहीं जा सकता। आईसीजे का चुनाव हो या फिर अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन का। डोकलाम हो या आतंकवाद, भारत का लोहा पूरी दुनिया ने माना

अं

एसएसबी ब्यूरो

तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का दबदबा लगातर बढ़ता जा रहा है। वर्ष 20017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को विदेशी मोर्चे पर कई बड़ी सफलताएं मिलीं। हाल ही में भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन का चुनाव जीता। अब भारत अगले दो वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन का सदस्य बना रहेगा। कुल 10 सदस्यों वाले इस संगठन का भारत 1959 से सदस्य है। फिलहाल जो चुनाव हुआ है वह अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन की एक काउंसिल के लिए हुआ है। चुनाव के बाद इंग्लैंड में मौजूद भारतीय हाई कमीशन ने खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया कि यह देश के लिए गर्व की बात है। नौवहन मंत्री नितिन गडकरी ने खुद लंदन जाकर आईएमओ के वार्षिक समारोह में हिस्सा लिया और भारत के लिए समर्थन मांगा। आईएमओ संयुक्त राष्ट्र की ऐसी एजेंसी है, जो नौवहन के

बचाव और सुरक्षा पर नजर रखती है। यह एजेंसी जहाजों द्वारा फैलाए जाने वाले प्रदूषण पर भी नजर रखती है। भारत और जर्मनी के साथ ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा, स्पेन, ब्राजील, स्वीडन, नीदरलैंड और यूएई इसके सदस्य हैं। एक वक्त था जब भारत विश्व समुदाय में अलग-थलग पड़ चुका था और वैश्विक मुद्दों पर मूकदर्शक हुआ करता था, लेकिन बीते सालों में अब वह दौर काफी पीछे छूट चुका है। आज पूरी दुनिया में भारत को गंभीरता से लिया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई चीजें ऐसी हुई हैं, जिससे यह बात साबित होती है कि भारत को अब कोई हल्के में नहीं ले सकता। पीएम मोदी के लीडरशिप में भारत न केवल विश्व क्षितिज पर दमदार स्थिति में आया है, बल्कि ग्लोबल ताकत बन गया है।

आईसीजे में भारत का झंडा

संयुक्त राष्ट्र में भारत को बड़ी जीत तब मिली जब

आज पूरी दुनिया में भारत को गंभीरता से लिया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई चीजें ऐसी हुई हैं, जिससे यह बात साबित होती है कि भारत को अब कोई हल्के में नहीं ले सकता

दलवीर भंडारी लगातार दूसरी बार अंतराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस में जज बन गए। दलवीर भंडारी का मुकाबला ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से था, लेकिन आखिरी दौर में अपनी हार देखते हुए उन्हें नाम वापस लेने को मजबूर होना पड़ा। दरअसल शुरुआती ग्यारह राउंड में दलवीर भंडारी संयुक्त राष्ट्र महासभा की वोटिंग में ग्रीनवुड पर भारी बढ़त बनाए हुए थे, लेकिन सुरक्षा परिषद में ग्रीनवुड आगे हो जाते थे। यूएन महासभा में दलवीर भंडारी को 183 वोट मिले, जबकि उन्हें सुरक्षा परिषद के सभी 15 वोट मिले। गौर करें तो यह जीत भंडारी की नहीं, बल्कि भारत के उस बढ़े कद की है जो पिछले तीन सालों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बढ़ा है। कभी दुनिया पर राज करने वाला ब्रिटेन आज भारत के सामने बौना साबित हो रहा है।

अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन

पिछले एक साल से पूरी दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के लिए चिंता जता रही थी, लेकिन भारत ने बड़ी पहल की और वैश्विक स्तर पर अमेरिका और फ्रांस के साथ इसके लिए इनोवेशन की तरफ कदम बढ़ाया। 26 जनवरी, 2016 को गुरुग्राम में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने ‘इंटरनेशनल सोलर अलायंस’ (आईएसए) के अंतरिम सचिवालय का उद्घाटन

खास बातें अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन की काउंसिल का सदस्य बना देश इंग्लैंड को हरा जीता आईसीजे का महत्वपूर्ण चुनाव भारत की पहल पर बना ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’

किया तो एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। दरअसल ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल का परिणाम है और इसकी घोषणा भारत और फ्रांस द्वारा 30 नवंबर 2015 को पेरिस में की गई थी। आईएसए के गठन का लक्ष्य सौर संसाधन समृद्ध देशों में सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना और इसे बढ़ावा देना है। अब तक इस मंच से दुनिया के 36 से अधिक देश जुड़ चुके हैं।


25 - 31 दिसंबर 2017

योग को विश्व ने अपनाया

21 जून, 2015- ये वो तारीख है जो स्वयं ही एक यादगार तिथि बनकर इतिहास का हिस्सा बन गई है। इसी दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आगाज हुआ और पूरी दुनिया में भारत का डंका बजने लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनथक प्रयास से योग को आज पूरी दुनिया में एक नई दृष्टि से देखा जाने लगा है। दुनिया के 192 देशों के लोगों ने भारत की इस प्राचीन शैली को अपनाया, तो हर हिंदुस्तानी का मस्तक ऊंचा हो गया। पूरा विश्व जब एक साथ सूर्य नमस्कार और अन्य योगासनों के जरिए ‘स्वस्थ तन और स्वस्थ मन’ के इस अभियान से जुड़ा तो हर एक भारतवासी के लिए ये अद्भुत अहसास का दिन बन गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम से आज भारत की इस प्राचीन विरासत की ताकत का अहसास पूरी दुनिया को हो रहा है।

चीन ने देखी भारत की धमक

अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक-टैंक हडसन इंस्टिट्यूट के सेंटर ऑन चाइनीज स्ट्रैटजी के डायरेक्टर माइकल पिल्स्बरी नो कहा कि चीन की बढ़ती ताकत के समक्ष मोदी अकेले खड़े हैं। दरअसल ये टिप्पणी उन्होंने ‘वन बेल्ट, वन रोड’ परियोजना को ध्यान में रखते हुए कही थी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और उनकी टीम चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के खिलाफ मुखर रही है। दरअसल अमेरिकी थिंक टैंक का मानना बिल्कुल सही है, क्योंकि भारत ने चीन को डोकलाम विवाद में भी अपनी दृढ़ता का परिचय करा दिया और चीन को अपनी सेना को वापस बुलाने पर मजबूर होना पड़ा। चीन ने भारत को युद्ध की भी धमकी दी, लेकिन पीएम मोदी की नीतियों से चीन अकेला हो गया और पश्चिमी देशों ने उसे संयम बरतने की सलाह दी। अमेरिका, फ्रांस, जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भारत के साथ खड़े रहे।

अच्छे-बुरे आतंकवाद का फर्क

पीएम मोदी दुनिया के हर मंच से आतंकवाद के विरुद्ध मुखर हैं। उन्होंने आतंकवाद के मसले पर एक के बाद एक हमले बोले और विश्व के अधिकतर देशों को यह समझाने में कामयाब रहे कि दुनिया में अच्छा और बुरा आतंकवाद नहीं होता, बल्कि आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद है। आज अमेरिका, रूस, जापान, जर्मनी, यूरोपियन यूनियन और इजरायल जैसे देश भारत के इस पक्ष के साथ खड़े हैं। कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों पर अमेरिकी रोक और सैयद सलाहुद्दीन जैसे आतंकियों पर बैन भारत के बढ़े हुए प्रभुत्व का ही परिणाम है। दरअसल, विश्व के कई देश आतंकवाद और कट्टरपंथ से परेशान हैं, जिसे पीएम मोदी ने दुनिया के सामने चुनौती के तौर पर पेश किया। दुनिया के अधिकतर देश पीएम मोदी के आतंकवाद विरोधी अभियान के साथ हैं।

सार्क को नई दिशा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शानदार कूटनीति की मिसाल है दक्षिण एशिया संचार उपग्रह। इसकी

जलवायु संकट को लेकर जगाई नई उम्मीद

प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर विश्व में आस जगाई कि वे इस मामले में नेतृत्व कर सकते हैं

लवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जहां विश्व के देश अपने वैश्विक हितों को छोड़ अपने हितों को देख रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर पहल की। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर विश्व में आस जगाई कि वे इस मामले में नेतृत्व कर सकते हैं। पीएम मोदी की इस पहल ने न सिर्फ दुनिया में भारत की साख मजबूत की, बल्कि संसार को पर्यावरण के मामले में एक सकारात्मक सोच भी दी। दरअसल पीएम मोदी की इस पहल से दुनिया इसीलिए चकित रह गई, क्योंकि भारत एक विकासशील देश है और प्रदूषण के पैमाने पर भारत का रिकॉर्ड बेहतर नहीं है। लेकिन भारत ने ऊर्जा क्षेत्र में एक से बढ़कर एक बदलाव किए। ग्रीनपीस

की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2016 और 2017 को समाप्त हुए दो वित्तीय वर्षों में कोयला खपत में 2.2 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है, जबकि इससे पहले 10 वर्षों में 6 प्रतिशत से अधिक की औसत वृद्धि हुई थी।

पेशकश उन्होंने 2014 में काठमांडू में हुए सार्क सम्मेलन में की थी। यह उपग्रह सार्क देशों को भारत का तोहफा है। सार्क के आठ सदस्य देशों में से सात, यानी भारत, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव इस परियोजना का हिस्सा बने, जबकि पाकिस्तान ने अपने को इससे यह कहकर अलग कर लिया कि इसकी उसे जरूरत नहीं है, वह अंतरिक्ष तकनीक में सक्षम है। 5 मई 2017 के सफल प्रक्षेपण के बाद इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने जिस तरह खुशी का इजहार करते हुए भारत का शुक्रिया अदा किया उससे उपग्रह से जुड़ी कूटनीतिक कामयाबी का संकेत मिल जाता है। लेकिन पाकिस्तान ने अपने अलग-थलग पड़ने का दोष भारत पर यह कहते हुए मढ़ दिया कि भारत परियोजना को साझा तौर पर आगे बढ़ाने को राजी नहीं था।

उरी में 18 सितंबर, 2016 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 29 सितम्बर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों और लॉन्च पैडठ को तबाह किया तो विश्व समुदाय भारत के साथ खड़ा रहा। इस के साथ ही पहली बड़ी सफलता 28 सितंबर को तब मिली जब पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन के बहिष्कार की घोषणा के तुरंत बाद तीन अन्य देशों (बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान) ने उसका समर्थन करते हुए सम्मेलन में न जाने की बात कही। वहीं नेपाल ने सम्मेलन की जगह बदलने का प्रस्ताव दिया और पाकिस्तान के कारण सार्क सम्मेलन न हो सका। इसके अलावा चीन ने भी पाक के द्वारा कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग पर इसे द्विपक्षीय मामला कहकर कन्नी काट ली।

मोदी सरकार की स्पष्ट और दूरदर्शी विदेशनीति के प्रभाव से पाकिस्तान विश्व बिरादरी में अलगथलग पड़ गया है। प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति में ऐसा घिरा कि उसे विश्व पटल पर भारत के खिलाफ अपने साथ खड़ा होने वाला कोई सहयोगी देश नहीं मिल रहा। चीन तक भारत के खिलाफ उसका साथ देने को तैयार नहीं है। हाल में ही चीन ने पाकिस्तान की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें पाकिस्तान ने भारत पर ओबीओआर को नुकसान पहुंचाने के लिए भारत की साजिश की बात कही थी। दूसरी ओर अमेरिका की अफगान नीति से उसे बाहर किया जा चुका है तथा वह पाकिस्तान से सहयोग में भी लगातार कटौती कर रहा है।

2014-15 में प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न देशों की यात्राएं कीं। और आलोचनाओं पर बिना ध्यान दिए अपनी यात्रा को व्यापक बनाते रहे। इन यात्राओं में वे तीन प्रमुख एजेंडों के साथ आगे बढ़ रहे थे। अलग-अलग देशों के साथ संबंधों में सुधार, निवेश आमंत्रित करने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सीट के लिए समर्थन जीतना उनका प्रमुख उद्देश्य था। दरअसल, भारतीय इतिहास में कोई और प्रधानमंत्री नहीं, जिन्होंने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता के लिए इतनी मेहनत की। अमेरिका, जर्मनी, रूस, फ्रांस और जापान जैसे देशों के राजदूत और नेताओं को भारत के पक्ष में लाकर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए लगभग सभी देशों का समर्थन हासिल कर लिया। यह समर्थन इस अंतरराष्ट्रीय मंच की स्थिति के लिए भारत की पात्रता दिखाने के उनके प्रयासों का प्रत्यक्ष परिणाम था।

अलग-थलग पड़ा पाक

सर्जिकल स्ट्राइक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का दुनिया में जो स्थान बन गया है, वह निश्चित ही भारत के बढ़ते प्रभुत्व को बयां करता है। जम्मू-कश्मीर के

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अंतरराष्ट्रीय

सुरक्षा परिषद की दावेदारी

एनएसजी में भारत

भारत को एनएसजी (न्यूक्लीयर सप्लायर ग्रुप) की सदस्यता मिलेगी या नहीं इस पर देश ही नहीं पूरी दुनिया की नजर है। यदि भारत को सदस्यता मिलती है तो हम उस एलीट न्यूक्लीयर ग्रुप में शामिल हो जाएंगे, जिसमें फिलहाल दुनिया के केवल 48 देश हैं। भारत का एनएसजी में शामिल होना कितना जरूरी है यह इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस देश में जा रहे हैं वहां एनएसजी की सदस्यता के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। अगर भारत को एनएसजी की सदस्यता मिल जाती है तो सबसे बड़ा फायदा उसे ये होगा कि उसका रुतबा बढ़ जाएगा। दरअसल भारत ये चाहता है कि उसे एक परमाणु हथियार संपन्न देश माना जाए। हालांकि चीन भारत की एंट्री का विरोध कर रहा है, लेकिन दुनिया के अधिकतर देश भारत के साथ हैं।

यमन संकट में माना भारत का लोहा

जुलाई 2015 में यमन गृहयुद्ध की चपेट में था और सुलगते यमन में पांच हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे। बम गोलों और गोलियों के बीच हिंसाग्रस्त देश से भारतीयों को सुरक्षित निकालना मुश्किल लग रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुशल नेतृत्व और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के सम्यक प्रबंधन और अगुआई ने कमाल कर दिया। भारतीय नौसेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय के बेहतर समन्वय से भारत के करीब पांच हजार नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया वहीं 25 देशों के 232 नागरिकों की भी जान बचाने में भारत को कामयाबी मिली। इस सफलता ने विश्वमंच पर भारत का लोहा मानने के लिए सबको मजबूर कर दिया।

नेपाल की सहायता

अप्रैल 2015 में जब हमारे पड़ोसी देश नेपाल में भूकंप आया तो भारत ने नेपाल में आई इस आपदा के दौरान मदद के लिए तत्काल हाथ बढ़ाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बगैर एक पल गंवाए भारतीय सेना और एनडीआरएफ के जवानों को नेपाल रवाना कर दिया। नेपाल में आए भूकंप में हजारों लोग मारे गए थे और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ, लेकिन भारत के जवानों ने वहां युद्ध स्तर पर राहत कार्य किया और इसी की बदौलत हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी। किसी पड़ोसी देश की आपदा को अपना मानकर इतनी त्वरित कार्रवाई करने की मिसाल कहीं और नहीं मिलती है। नेपाल में भारत की तरफ से की गई सहायता को पूरे विश्वभर में प्रशंसा मिली।

श्रीलंका की सहायता

पड़ोसी देश श्रीलंका की मदद के लिए मोदी सरकार हमेशा तत्पर दिखाई देती है। श्रीलंका में अजकल पेट्रोल और डीजल की जबरदस्त किल्लत है। श्रीलंका में ईंधन की कमी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देश को ईंधन की अतिरिक्त आपूर्ति भेज रहा है। इसके पहले इसी साल मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकटग्रस्त श्रीलंका के लिए राहत भेजी थी। यहां दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने भारी तबाही मचाई, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए और 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।


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सांइस एंड टेक्नोलॉजी

25 - 31 दिसंबर 2017

कामयाबी का विज्ञान

अमेरि‍का को पीछे छोड़ते हुए भारत अब दुनि‍या में दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट बन गया है

दे

एसएसबी ब्यूरो

श में डिजिटल इंडिया, कैशलेस इंडिया और मेक इन इंडिया का असर दिखने लगा है। खासतौर पर मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलने के साथ ही भारत में स्मार्टफोन मार्केट तेजी से बढ़ा है। अमेरि‍का को पीछे छोड़ते हुए भारत अब दुनि‍या में दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट बन गया है। नंबर वन पर चीन का दबदबा कायम है। 2017 के दूसरी तिमाही में थोड़ा लड़खड़ाने के बाद भारतीय स्मार्टफोन बाजार में तेजी लौटी और तीसरी तिमाही में शि‍पमेंट में 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। कैनालि‍स एनालि‍स्ट की रि‍पोर्ट के अनुसार, इस दौरान 4 करोड़ हैंडसेट का कारोबार हुआ। भारत में इस समय करीब 100 मोबाइल ब्रांड बि‍जनेस कर रहे हैं। भारत में इस बि‍जनेस में कि‍सी तरह की दिक्कत नहीं है, इसीलि‍ए ग्रोथ बढ़ती रहेगी। भारत के 75 फीसदी मार्केट पर टॉप 5 कंपनि‍यों का कब्जा है। इनमें सैमसंग, शि‍योमी, वीवो, ओप्पो और लेनोवो शामि‍ल हैं।

नई रिफाइनरी

दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी सऊदी आर्मको भारत में 40 हजार करोड़ रुपए का निवेश करने जा रही है। कंपनी ने अधिकारिक तौर पर भारत में अपना कार्यालय शुरू कर दिया। इंडियन ऑयल के साथ मिलकर आर्मको महाराष्ट्र में जल्द ही नई रिफाइनरी बनाने जा रही है। भारत में 19 प्रतिशत कच्चा तेल और 29 प्रतिशत एलपीजी सऊदी अरब से आयात होता है। वर्ष 2016-17 के दौरान भारत ने सऊदी अरब से 3.95 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया।

एफडीआई में सर्वोच्च

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में भारत अपना सर्वोच्च स्थान बनाए हुए हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में देश दुनिया में सबसे ज्यादा एफडीआई आकर्षित करने वाला देश बना है। वर्ष 2016 में देश में 809 परियोजनाओं में 62.3 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया। साफ है कि मेक इन इंडिया के इक्विटी प्रवाह में जबरदस्त बढ़ोत्तरी है। वैसे भी ढांचागत विकास के लिए मोदी सरकार ने कई क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दे दी गई है

बुलेट ट्रेन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुलेट ट्रेन परियोजना से देश विकसित राष्ट्रों के

समकक्ष आकर खड़ा हो जाएगा। बुलेट ट्रेन से देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और साथ ही देश के पर्यटन, प्रौद्योगिकी, प्रतिभा और व्यापार को भी सीधे लाभ पहुंचेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से मेक इन इंडिया परियोजना को बढ़ावा मिलेगा। निकट भविष्य में बुलेट ट्रेन के कल-पुर्जों का निर्माण देश में ही होने की उम्मीद है। परियोजना से न केवल देश के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश में नई प्रौद्योगिकी का भी विकास होगा।

14 प्रतिशत की वृद्धि

मेक इन इंडिया की सफलता विनिर्माण क्षेत्र की देन है। बीती तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र 14 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा है। इस तरह विनिर्माण क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है। अप्रैल 2012 से सितंबर 2014 के 35.52 बिलियन डॉलर के मुकाबले अक्तूबर 2014 से मार्च 2017 के दौरान यह बढ़कर 40.47 बिलियन डॉलर हो गया।

95 मोबाइल कंपनियों के यूनिट भारत तेजी से इलेक्ट्रानिक एंड मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग का हब बनता जा रहा है। निवेशकों के बढ़े भरोसे का अंदाजा इस

बात से भी लगता है कि बीते तीन सालों में 95 मोबाइल कंपनियों ने भारत में अपना यूनिट लगाया है। मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों में से 32 ने तो केवल नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फैक्ट्रिंयां लगाई हैं।

एनआरआई रोज खोल रहे स्टार्टअप्स

अमेरिका में जॉब कर रहे भारतीय आईआईटीयन अब नौकरी छोड़कर देश में आकर औसतन 3 से 4 स्टार्टअप रोज शुरू कर रहे हैं। वहीं देश के यंग आंत्रप्रेन्योर अपना कारोबार तेजी से बढ़ा रहे हैं और इन्वेस्टेर से अरबों रुपए का निवेश पा रहे हैं। अमेरिका में सिलिकॉन वैली में नई खोज में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी आईटी बेस्ड इनोवेशन की होती है

खास बातें भारत में करीब 100 मोबाइल ब्रांड बि‍जनेस कर रहे हैं महाराष्ट्र में जल्द ही बनेगी नई रिफाइनरी 104 सैटेलाइट लांच करने से दुनिया में बढ़ी धाक


25 - 31 दिसंबर 2017

एेप्प जो इस वर्ष छा गए

और इसमें से 14 प्रतिशत का क्रेडिट भारतीयों को जाता है।

104 सैटेलाइट लॉन्च

बीते कुछ वर्षों में भारत ने साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। इसरो द्वारा एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च के करने के बाद भारत की धाक बढ़ी है। भारत ने पूरे विश्व में अपने इंजीनियर और साइंटिस्ट के लिए बड़ी मांग पैदा की है। दुनिया में अब भारत से टॉप स्तर के टेक्नोलॉजी और साइंटिफिक ब्रेन को अपने यहां खींचने की होड़ लग गई है।

नीतिगत पहल और निवेश

रक्षा उत्पादों का स्वदेश में निर्माण के लिए सरकार ने 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी हुई है। इसमें से 49 प्रतिशत तक की एफडीआई को सीधे मंजूरी का प्रावधान है, जबकि 49 प्रतिशत से अधिक के एफडीआई के लिए सरकार से अलग से मंजूरी लेनी पड़ती है।

स्वदेशी रक्षा

मेक इन इंडिया के जरिए रक्षा क्षेत्र में विदेशी निर्भरता खत्म करने की कोशिश की जा रही है। पिछले कुछ सालों में इसका बहुत ही अधिक लाभ भी मिल रहा है। रक्षा मंत्रालय ने भारत में निर्मित कई उत्पादों का अनावरण किया है, जैसे एचएएल का तेजस और 95 फीसदी भारतीय पार्ट्स से निर्मित वरुणास्त्र।

गूगल ने जारी की भारत में सबसे ज्यादा पसंद किए गए एेप्प की सूची

स्मा

र्टफोन के बढ़े जोर ने फन और यूटिलिटी ऐप्प की दुनिया में हलचल मची है। गूगल ने 2017 की बेस्ट ऐप्प की सूची जारी की है। ये ऐप्प खासतौर पर भारत में काफी पसंद किए गए और इन्हें यहां सबसे ज्यादा लोगों ने डाउनलोड भी किया। इनमें गेमिंग, चैटिंग से लेकर सेल्फी ऐप्प तक शामिल हैं। ये ऐप्प गूगल प्ले स्टोर के पॉपुलर ऐप्प हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा डाउनलोड किया गया है। ये सभी फ्री एंड्रॉइड ऐप्प

फोटो एडिटर

यह वीडियो ऑन डिमांड एप्प है। इसमें आप ओरिजनल शो, कॉमेडी शो, मूवीज देख सकते हैं। इसके लिए सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है।

ड्राइविंग वाले इसे एप्प को 4.6 की रेटिंग मिली है। इसको भारत में 10 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। ाइन श यह ऑनल े वाली इंडिया होन लिए यूज र एप्प है। यह की पॉपुल ही एप्प है। ा पेटीएम क

फेसबुक ैसेंजर लाइट है। इसस मैसेंजर दूसरे नंब े फ्री किए ज कॉल्स और र पर आपसे फा सकते हैं। जो मैसेज हैं, उनस ेसबुक पर ज लोग ुड़े न े भी आप बा इस एप्प के ज हीं त कर स रि कते हैं। ए

बाहुबली द गेम

डॉ. ड्राइविंग

ॉल पेटीएम म ॉपिंग के

हैं। दरअसल, गूगल हर साल दिसंबर में एक सूची जारी करता है, जिसमें मोस्ट सर्च फोन से लेकर मोस्ट सर्च फिल्में और किताबें सब शामिल रहते हैं। इस सूची को गूगल ट्रेंड्स कहा जाता है। इसी ट्रेंड्स में गूगल ने प्ले स्टोर की मोस्ट पॉपुलर और बेस्ट ऐप्प की लिस्ट जारी की है। दिलचस्प है कि इनमें दो सेल्फी कैमरा ऐप्प हैं। साफ है कि सेल्फी का क्रेज कम नहीं हो रहा है।

एएलटी बालाजी

के नाम से ही ये एप्प नंबर 1 पर है। इस ो को एडिट फोट पता चलता है कि इससे एडिटिंग के ेज इम में किया जाता है। इस । इसमें फोटो हैं ते लिए ढ़ेरों फीचर मिल करना और ब्लर इफेक्ट्स, फोटो को शार्प लते हैं। करने से जैसे फीचर्स मि

दो युद्धपोत

अभी तक सरकारी शिपयार्डों में ही युद्धपोतों के स्वदेशीकरण का काम चल रहा था, लेकिन देश में पहली बार नेवी के लिए प्राइवेट सेक्टर के शिपयार्ड में बने दो युद्धपोत पानी में उतारे गए हैं। रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड ने 25 जुलाई, 2017 को गुजरात के पीपावाव में नेवी के लिए दो ऑफशोर पैट्रोल वेसेल लॉन्च किए, जिनके नाम शचि और श्रुति हैं।

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सांइस एंड टेक्नोलॉजी

यह गेम क्लैश ऑफ क्लैस और क्लैश रॉयल की तरह ही है। इस गेम में स्मार्टफोन यूजर्स को आर्मी को ट्रेन और मेंटेन करना पड़ता है।

फ्री पजल आरपीजी

डब्ल्यूडब्ल्यूडब्लयू चैंपियंस की तरह ही इस गेम में दूसरे रेसलर से लड़ना होता है। यह गेम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में उपलब्ध है।

एफ-16 का मेनटेनेंस हब

अमरीकी एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन को अगर भारत में एफ-16 विमान बनाने की अनुमति मिल गई तो भारत एफ-16 विमानों के रखरखाव का ग्लोबल हब बन सकता है। ऐसी उम्मीद है कि लॉकहीड मार्टिन टाटा के साथ मिलकर भारत में एफ-16 के ब्लॉक 70 का निर्माण करेगी। दरअसल इस वक्त दुनिया में करीब 3000 एफ-16 विमान हैं। भारत इनकी सर्विसिंग का केंद्र बन सकता है।

सेल्फी कैमरा

यह भी फोटो एप्प है। इस एप्प से स्मार्टफोन यूजर्स लाइव फ्लिटर्स और स्टिकर्स के साथ फोटो खींच सकते हैं।

74,650 कंपनियों का पंजीकरण

सरकार के उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के कारण देश में इस वर्ष अभी तक के 8 महीनों में 74,650 नई कंपनियों का पंजीकरण हो चुका है। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ो के अनुसार जनवरी-अगस्त 2017 की अवधि के दौरान 74,650 नई कंपनियां स्थापित की गई हैं। अकेले अगस्त महीने में 9, 413 कंपनियां पंजीकृत हुईं, जबकि मार्च में सर्वाधिक 11,293 कंपनियों का पंजीकरण किया गया।

पोकेमन डुएल

सुपर मैरियो रन

निंटेंडो का एक्शन गेम सुपर मेरियो रन टैंपल रन की तरह ही है।

इस एप्प को प्ले स्टोर पर 4.2 की रेटिंग दी गई है। इस गेम यूजर्स को दूसरे के पोकेमेन को यूज करने के लिए लड़ना पड़ता है। बच्चे इस एप्प के खासतौर पर दीवाने हैं।


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जेंडर

25 - 31 दिसंबर 2017

2017 आधी दुनिया के नाम

इस वर्ष महिलाओं ने जहां खेल से लेकर सामरिक सुरक्षा तक विभिन्न क्षेत्रों में अपनी कामयाबी के परचम लहराए हैं, वहीं सरकार ने भी महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं

दि

एसएसबी ब्यूरो

संबर के तीसरे सप्ताह के साथ अखबारोंपत्रिकाओं में अलग-अलग क्षेत्रों को लेकर साल भर का लेखा-जोखा लेने का क्रम शुरू हो जाता है। इस वर्ष जब यह आकलन महिलाओं को लेकर किया जा रहा है, तो कई दिलचस्प तथ्य सामने आए हैं। एक तो इस वर्ष महिलाओं ने वाकई खेल से लेकर सामरिक सुरक्षा तक विभिन्न क्षेत्रों में अपनी कामयाबी के परचम लहराए हैं, वहीं सरकार की तरफ से महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई अहम कदम उठाए गए हैं। नरेंद्र मोदी सरकार महिला सशक्तिकरण को नए आयाम दे रही है। जो चर्चा है, उसके मुताबिक, सरकार महिला आरक्षण विधेयक के साथ-साथ पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण के लिए अध्यादेश ला सकती है। इससे महिलाओं की लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत और पंचायत चुनावों में महिलाओं की

50 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित हो जाएगी। अभी तक पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के लिए केवल 33 प्रतिशत सीटें ही आरक्षित हैं। कानून बनने के बाद यह व्यवस्था पूरे देश में लागू हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार महिला अधिकारों की रक्षा, महिला सशक्तीकरण और महिला सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इसकी बानगी हमें सरकार की योजनाओं और उसके हालिया निर्णयों में देखने को मिलती है। सरकार संसद से सड़क तक महिलाओें के साथ खड़ी नजर आती है।

महिला सुरक्षा के लिए कड़े कदम

पत्नी को छोड़ने या तंग करने अप्रवासी भारतीयों के लिए यह वर्ष एक बुरी खबर लेकर आया। सरकार द्वारा नियुक्त एक 9 सदस्यीय उच्च स्तरीय पैनल ने सुझाव दिया है कि पत्नी की शिकायत पर सरकार अप्रवासी भारतीयों के पासपोर्ट को जब्त या रद्द

देश की आधी आबादी के लिए अच्छी खबर यह है कि देश के चार बड़े और सबसे पुराने उच्च न्यायालयों की मुखिया अब महिला जज हैं

करने का प्रावधान कर सकती है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने ऐसे कई शिकायतें दर्ज होने के बाद एक समिति का गठन किया था, जो ऐसे मामलों की विभिन्न कानूनी और विनियामक चुनौतियों से निपटने के लिए और इनके समाधान के लिए सुझाव दे। पैनल ने इसके अलावा यह भी सुझाव दिया है कि घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न को विभिन्न देशों के साथ होने वाली प्रत्यर्पण संधि के अंतर्गत लाया जाए। पासपोर्ट अधिनियम की धारा 10(3) के अंतर्गत एफआईआर दर्ज होने या कोर्ट के निर्देश पर अप्रवासी भारतीय पति के पासपोर्ट को जब्त करने प्रावधान है कि लेकिन जागरुकता के अभाव और जटिल प्रक्रिया होने के कारण इस प्रावधान का उपयोग नहीं हो पाता। उच्च स्तरीय पैनल ने यह भी सुझाव दिया है कि ऐसी महिलाओं को दी जाने वाली सहायता राशि को 3000 डॉलर से बढ़ाकर 6000 डॉलर कर दिया जाए। यह सहायता राशि ऐसी महिलाओं को विदेशों में काउंसलिंग और वैधानिक सेवाओं की

खास बातें सरकार ने महिला सशक्तिकरण को नए आयाम दिए पत्नी को प्रताड़ित करने वाले एनआरआई को मिलेगी कड़ी सजा उच्च न्यायालयों में महिला जजों की संख्या 10.7 फीसदी हुई पहुंच सुनिश्चित करने में मददगार होगी।

देश को मिला महिला नेतृत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में महिला नेताओं को महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी देकर महिला सशक्तीकरण को एक नया मुकाम प्रदान


25 - 31 दिसंबर 2017

हौसले की उड़ान

किया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी, पेयजल स्वच्छता मंत्री उमा भारती, महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और खाद्य प्रसंस्करण और उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल को महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी देकर देश के नेतृत्व में महिलाओं को महत्वपूर्ण साझीदार बनाया है। पहली बार कैबिनेट सीएसएस में दो महिला मंत्री शामिल हुईं हैं। दरअसल सीसीएस में प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री होते हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बाद अब रक्षा मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण इस महत्वपूर्ण समिति का हिस्सा बन गई हैं।

न्याय का आसन

अब तक कानून की ऊंची कुर्सियों पर ज्यादातर पुरुषों का कब्जा रहा है, लेकिन अब इस क्षेत्र में भी महिलाएं अपना कमाल दिखा रही हैं। देश की आधी आबादी के लिए अच्छी खबर यह है कि देश के चार बड़े और सबसे पुराने उच्च न्यायालयों की मुखिया अब महिला जज हैं। इस साल 31 मार्च को इंदिरा बनर्जी के मद्रास हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनने से पहले मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में मुख्य न्यायाधीश के पदों की जिम्मेदारी महिला जज निभा रही हैं। देश के कुल 24 उच्च न्यायालयों में 632 जज हैं। इनमें से सिर्फ 68 यानी करीब 10.7 फीसदी महिलाएं हैं। वैसे सुप्रीम कोर्ट के 28 न्यायाधीशों में सिर्फ आर. भानुमति ही महिला हैं।

तीन तलाक से मुक्ति

प्रधानमंत्री मोदी ने तीन तलाक जैसी कुरीति को रोक लगाने में मुस्लिम महिलाओं का पूरा साथ दिया। पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से इस कुप्रथा को खत्म करने के संकल्प दोहराया था। इससे मुस्लिम महिलाओं को इसके कुप्रथा के खिलाफ लड़ने का बल मिला। परिणामस्वरूप 22 अगस्त 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताते हुए इसे तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

सरकार ने पूरे देश में महिला भ्रूण हत्या, लिंग भेद की रोकथाम और महिला शिक्षा के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय के समन्वित प्रयासों से चलाए गए इस अभियान के बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आए। योजना को पहले वर्ष में एक सौ जिलों में शुरू की गई थी और पहले ही साल के अंत तक ही 58 जिलों में जन्म के समय लिंग अनुपात में वृद्धि दर्ज की गई। दूसरे वर्ष में योजना 161 जिलों में शुरू की गई, जिसमें से 104 जिलों में जन्म के समय लिंगानुपात में बढ़ोत्तरी हुई।

चूल्हे के धुएं से मुक्ति

उज्ज्वला योजना का लक्ष्य पांच करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों की महिलाओं को प्रदूषण युक्त चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाना और स्वच्छ ईंधन के

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जेंडर

उज्ज्वला योजना का लक्ष्य पांच करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों की महिलाओं को प्रदूषण मुक्त चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाना और स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना है उपयोग को बढ़ावा देना है। केवल गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को एलपीजी गैस कनेक्शन और चूल्हा मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा।

मातृत्व अवकाश, मातृत्व लाभ

वर्तमान सरकार ने नया मातृत्व लाभ संशोधित कानून एक अप्रैल 2017 से लागू कर दिया है। संशोधित कानून के तहत सरकार ने कामकाजी महिलाओं के लिए वैतनिक मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ा कर 26 सप्ताह कर दी है। इसके तहत 50 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाले संस्थान में एक तय दूरी पर क्रेच सुविधा मुहैया कराना अनिवार्य है। महिलाओं को मातृत्व अवकाश के समय घर से भी काम करने की छूट है। मातृत्व लाभ कार्यक्रम के 1 जनवरी 2017 से लागू है। योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्तरनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्मर के लिए तीन किस्तों में 6000 रुपये का नकद प्रोत्साेहन दिया जाता है।

महिला कौशल को बढ़ावा

स्टैंड-अप इंडिया के अंतर्गत महिलाओं को अपना व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए हर बैंक शाखा को 10 लाख से लेकर एक करोड़ तक के ऋण कम से कम एक महिला को उपलब्ध कराने का नियम बनाया गया है। वहीं प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत महिलाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए 11 लाख से अधिक महिलाओं को अलग-अलग तरह के हुनर में प्रशिक्षित किया गया है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना महिला सशक्तिकरण का एक बहुत बड़ा जरिया बन चुकी है। इस योजना के लाभार्थियों में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं।

सुकन्या समृद्धि योजना

केंद्र सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना के माध्यम से देश की बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने का

कार्य किया है। योजना के अंतर्गत 0-10 साल की कन्याओं के खाते डाकघर में खोले जाएंगे। इन खातों में जमा राशि पर 9.1 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज दिया जाएगा। सुकन्या समृद्धि योजना अभिभावकों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है। इस योजना के तहत अभिभावकों को एक हजार रुपया प्रतिमाह 14 वर्ष तक जमा करना होगा। 21 वर्ष के बाद खाता परिपक्व होने पर उन्हें 6,41,092 की धनराशि वापस मिलेगी। आकलन के अनुसार 14 वर्ष में खाते में जमा होंगे 1.68 लाख रुपए और 21 वर्ष बाद 6,41,092 रुपए की वापसी होगी। योजना के माध्यम से सरकार ने बेटियों की शिक्षा और समृद्धि दोनों को सुनिश्चित किया है।

महिला जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षण

इस कार्यक्रम का उद्देश्य पंचायतों की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की क्षमता, शासन संचालन और उनका कौशल बढ़ाना है, ताकि वो गांवों का प्रशासन बेहतर तरीके से चला सकें। पंचायती संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को कई बार काम में मुश्किलें पेश आती हैं। इसीलिए महिला सरपंचों तथा निचले स्तर पर महिला प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करने के लिए देशव्यापी कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।

उत्पीड़न के खिलाफ ई-प्लेटफॉर्म

कार्यालयों में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटनाएं रोकने के लिए ई-प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया गया है। इस ई-प्लेटफॉर्म की सुविधा के माध्यम से केंद्र सरकार की महिला कर्मचारी ऐसे मामलों में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकेंगी। केंद्र सरकार में करीब 30 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। 2011 के जनगणना के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों में महिलाओं का प्रतिशत 10.93 है।

इंडियन नेवी ने पहली बार किसी महिला की नियुक्ति पायलट पद के लिए की है। इस गौरव को हासिल करने वाली ऑफिसर का नाम है शुभांगी स्वरूप। शुभांगी अब आकाश की अनंत ऊंचाइंयों में एयरक्राफ्ट उड़ाएंगी। शुभांगी स्वरूप मेरीटाइम रिकानकायसंस विमान उड़ाएंगी। शुभांगी के अलावा नई दिल्ली की आस्था, पुड्डूचेरी की रूपा और केरल की शक्ति माया को नौसेना की नेवल आर्मामेंट इंस्पेक्टोरेट (एनएआई) शाखा में देश की पहली महिला अधिकारी बनने का गौरव हासिल हुआ है। इससे पहले देश में पहली बार तीन महिलाएं वायुसेना के लड़ाकू विमानों की पायलट बन चुकी हैं। अवनी चतुर्वेदी, भावना कांत और मोहना सिंह को सफल प्रशिक्षण के बाद कमीशन दिया गया। ये तीनों देश की पहली महिलाएं हैं, जिन्हें वायुसेना के लड़ाकू विमानों के पायलट के तौर पर कमीशन दिया गया है। सभी बाधाओं को पार कर भारतीय वायु सेना के इतिहास में अपना नाम दर्ज करने वाली अवनी, भावना और मोहना को कर्नाटक के बिदार में तीसरे स्तर के प्रशिक्षण को पूरा करने के बाद अगले साल सुखोई और तेजस जैसे लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए दिए जाएंगे।

नाविक सागर परिक्रमा

नाविक सागर परिक्रमा नामक यह मिशन आईएलएसवी नौका तारिणी के द्वारा पूरा होगा और इस मिशन पर निकली हैं नौसेना की 6 साहस से भरी महिला अधिकारी। इस मिशन से जुड़ी सभी सदस्य महिलाएं हैं। यह बहुत बड़े साहस का प्रमाण है। । इस दल ने अब तक अपनी आधी यात्रा पूरी कर ली है।

मानुषी को ताज

17 साल के इंतजार के बाद इस वर्ष भारत की मानुषी छिल्लर मिस वर्ल्ड चुनी गईं। चीन के समुद्र तटीय शहर सान्या में आयोजित मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में मानुषी ने खिताब अपने नाम किया। इससे पहले साल 2000 में प्रियंका चोपड़ा मिस वर्ल्ड बनी थीं। हरियाणा में पैदा हुईं 20 साल की मानुषी ने इससे पहले मिस इंडिया-वर्ल्ड का खिताब जीता था।

पहली महिला महासचिव

मध्य प्रदेश काडर की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी स्नेहलता श्रीवास्तव लोकसभा की पहली महिला महासचिव बनी हैं। लोकसभा में यह पहला अवसर होगा जब महासचिव जैसे सर्वोच्च पद पर महिला आसीन होंगी। यह भी दिलचस्प संयोग है कि इस समय लोकसभा की स्पीकर भी महिला हैं। हालांकि राज्यसभा में रमा देवी महासचिव का पद संभाल चुकी हैं।

शिखर पर अंशू

अरुणाचल प्रदेश की निवासी अंशू जामसेंपा ने इस वर्ष रिकॉर्ड पांचवीं बार दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर एक नया इतिहास रचा है। वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही हैं। इसके अलावा अंशू ने पांच दिनों के भीतर दो बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी की।


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पर्यावरण

25 - 31 दिसंबर 2017

ग्रीन एनर्जी की तरफ बढ़ा भारत

विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम तक ने सौर ऊर्जा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की है

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एसएसबी ब्यूरो

छले कई वर्षों में जलवायु परिवर्तन एक ऐसा विषय रहा है, जिसने वैज्ञानिकों ही नहीं, बल्कि आम आदमी को भी चेताया है। ऐसे में भारत ने एक पहल की और एक उदाहरण पेश किया कि आप वातावरण के साथ सामंजस्य बनाकर भी अपने देश की तरक्की कर सकते हैं। भारत ने ब्रिक्स देशों से भी सहयोग देने और इस दिशा में काम करने की अपील की है। इसके सकारात्मक संकेत भी दिखने लगे हैं। भारत सरकार ने भविष्य में कुछ ऐसे ही कैंपेन चलाने का निर्णय लिया है जैसे- फ्रेश एयर, सेव वाटर, सेव एनर्जी, ग्रो मोर प्लांट्स, अर्बन ग्रीन आदि। इन सभी कैंपेन का मकसद, वातावरण की रक्षा करना है। विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने सौर ऊर्जा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की है। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर बेहद गहराई से काम कर रहा है। किम ने कहा कि भारत को कम कार्बन उत्सर्जन वाली नवीकरणीय ऊर्जा की ओर आगे

ले जाने के लिए वे पीएम मोदी बहुत ही निजी, सार्वजनिक और मजबूत समर्थन देते हैं। उन्होंने भारत में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए बहुत बड़ा लक्ष्य तय किया है। विश्व बैंक के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सौर और पनबिजली के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊर्जा सेक्टर को रौशन कर दिया है। 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण के समय तक देश में बिजली की हालत बहुत ही खराब थी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में देश आज बिजली निर्यात भी करने लगा है।

बिजली निर्यातक बना देश

तीन साल पहले देश अभूतपूर्व बिजली संकट झेल रहा था, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि अब देश में खपत से अधिक बिजली उत्पाद होने लगा है। केंद्रीय विधुत प्राधिकरण के अनुसार भारत ने पहली बार वर्ष 2016-17 ( फरवरी 2017 तक) के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार को 579.8 करोड़ यूनिट बिजली निर्यात की, जो भूटान से आयात की जाने वाली करीब 558.5 करोड़ यूनिट की तुलना में 21.3 करोड़ यूनिट अधिक है। 2016 में 400 केवी लाइन क्षमता (132 केवी क्षमता के साथ संचालित) मुजफ्फरपुर –

धालखेबर (नेपाल) के चालू हो जाने के बाद नेपाल को बिजली निर्यात में करीब 145 मेगावाट की बढ़ोत्तरी हुई है।

पावर सेक्टर की बदली तस्वीर

मोदी सरकार की नीतियों के चलते आज पारंपरिक और गैर-पारंपरिक ऊर्जा का भी भरपूर उत्पादन होने लगा है। सबसे बड़ी बात भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं बना है, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बाजार उभर कर सामने आया है। ऊर्जा क्षेत्र में इस कायापलट के पीछे उन योजनाओं के क्रियान्यवन में बेहतर तालमेल रहा है जिस पिछले तीन सालों में सरकार ने लागू किया है। ऊर्जा क्षेत्र की छोटी-छोटी समस्याओं को दूर करने के लिए लागू की गई इन योजनाओं से बहुत बड़े परिणाम सामने आए हैं। देश के हर घर को चौबीसों घंटे बिजली देने का लक्ष्य 2022 है, लेकिन जिस गति से काम चल रहा है उससे अब यह प्राप्त कर लेना आसान लगने लगा है। पहले यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि देश में ऐसा भी हो सकता है।

देश के हर घर को चौबीसों घंटे बिजली देने का लक्ष्य 2022 है, लेकिन जिस गति से काम चल रहा है उससे अब यह प्राप्त कर लेना आसान लगने लगा है

खास बातें अगले साल अक्टूबर तक देश के सभी गांवों में बिजली सरकार की नई कोयला नीति कारगर 10 नए न्यूक्लियर पावर रिएक्टर का होगा निर्माण

2018 तक हर गांव में बिजली

सरकार अगले साल अक्टूबर तक देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचा देने का वादा किया है। दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत जिस गति से ग्रामीण विद्युतीकरण का काम हो रहा है उससे यह असंभव सा लगने वाला काम संभव लग रहा है। तीन साल पहले मोदी सरकार के गठन के समय देश के 18,452 गांव बिजली से वंचित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हजार दिन के भीतर इन गांवों के हर घर तक बिजली पहुंचाने का वायदा किया था।


25 - 31 दिसंबर 2017

गैरसरकारी पर असरकारी कदम

देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में गैरसरकारी संस्थाओं और कंपनियों ने एक से बढ़कर एक अनूठी पहल की है

र्यावरण संरक्षण की दिशा में भारत उन प्रोडक्ट को बेचने में मदद करते हैं। ‘औरा हर्बल’ इससे दो अच्छे कार्य होते हैं- एक, तो वातावरण कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, ने एक फैशन ब्रांड बनाया है, जहां वो हर्बल की दृष्टि से यह अच्छा है दूसरा, कूड़ा बीनने वाले जहां सरकारी के साथ गैरसरकारी संस्थाएं और टैक्सटाइल के प्रोडक्ट बेचते हैं। ये लोग बिजनेस लोगों की भी इससे नियमित आय होती है। कंपनियां भी महत्वपूर्ण पहल कर रही हैं। एक टू बिजनेस और बिजनेस टू कंज्यूमर दोनों के साथ ग्रीन नर्डस- इसका काम नई-नई तकनीकों के रिसर्च के अनुसार खेती से दुनिया भर में 20 काम करते हैं। जरिए वेस्ट को छांटकर उसका सही व दोबारा प्रतिशत कार्बन का उत्सर्जन होता है। संयुक्त राष्ट्र नोकोडा- बिहार में स्थित सोशल एंटरप्राइज उपयोग करना है। इस कंपनी को इसके बेहतरीन की एक रिपोर्ट के अनुसार ऑर्गेनिक खेती हमारे है, जो वेस्ट यानी कूड़े से ऊर्जा उत्पन्न करती है कार्य के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। ईको सिस्टम के लिए काफी फायदेमंद है। ये और वातावरण को स्वच्छ रखने में मदद करती साहस- बैंगलोर स्थित एक कंपनी है, जो वेस्ट कार्बन डाईऑक्साइड गैस को भी कम करती है। है। मैनेजमेंट को बढ़ावा देने का काम बहुत ही साथ ही ऑर्गेनिक खेती मिट्टी की उर्वरक क्षमता सस्टेन अर्थ- इस संस्था ने सस्ते दाम पर गाय के लोकल लेवल पर करती है। को भी बनाए रखती है। गोबर से खाद बनाने का बीड़ा उठाया। यह खाद क्लीन-अप धर्मशाला- इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारत में विभिन्न संगठन हैं, जो ऑर्गेनिक नेचुरल और सस्ती तो है ही साथ ही वातावरण हिमाचल के मैकलोड गंज से कूडे को साफ खेती में लगे हुए हैं। ‘एगश्री’ गन्ने की खेती में फ्रेंडली भी है। करना और उस कूडे को रीसाइकल करना है। संलग्न है। इससे जुड़े लोग ऑर्गेनिक खाद और ऊर्जा अनलिमिटेड- इसने ग्रामीण लोगों के लिए पेपर वेस्ट- इसका हेडक्वार्टर हैदराबाद में है। तकनीकों के प्रयोग से गन्ने की खेती करते हैं। सस्ती दरों में सोलर एनर्जी से उनके घरों को रौशन कागज ईको-फ्रेंडली होता है और यह कंपनी इसी तरह ‘चेतना ऑर्गेनिक्स’, कपास की खेती किया। कागज के प्रयोग को बढ़ावा देने का काम करती में ऑर्गेनिक खेती का प्रयोग करता है। कपास ओनेर्जी- भारत के पू्र्वी हिस्सों को ऊर्जा प्रदान है। लेकिन पेपर के उत्पादन के लिए पेड़ों को की खेती के दौरान पर्यावरण को सबसे ज्यादा कर रहा है। काटा जाता है। इसीलिए पेपर वेस्ट कंपनी पुराने नुकसान होता है। इसीलिए ‘चेतना ऑर्गेनिक्स इस संपूर्ण अर्थ- इस कंपनी ने मुंबई से अपना काम अखबारों और कागजों को एकत्र कर फिर से बात को सुनिश्चित करता है कि खेती के रीसाइकल करवाती है ताकि कागज का देश में विभिन्न संगठन हैं, जो ऑर्गेनिक खेती में फिर से प्रयोग किया जा सके और कम दौरान पर्यावरण की भी रक्षा हो सके। इसके अलावा ‘द एप्पल प्रोजेक्ट’, लगे हुए हैं। ‘एगश्री गन्ने’ की खेती में संलग्न है, तो से कम पेड़ काटने पड़ें। उत्तराखंड और हिमाचल के किसानों इको फैमी- यह कंपनी सैनिट्री पैड्स ‘चे त ना ऑर्गेनिक्स’ इस बात को सु निश् चित करता है के लिए काम करता है। यहां ऑर्गेनिक बना रही है, जो ऐसे फैब्रिक के बने खेती के जरिए सेब का उत्पादन होता कि खेती के दौरान पर्यावरण की भी रक्षा हो सके हैं जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है और किसानों को हिस्सेदारी देकर नहीं होते। आत्मनिर्भर बनाया जाता है। शुरू किया और देखते ही देखते पूरे देश में फैल इकोरेको- एक ऐसी कंपनी, जिसने ऐसी नई ‘द लिविंग ग्रीन’, शहरी लोगों को प्रोत्साहित गई। यह एक सोशल इंटरप्राइज है, जो वेस्ट तकनीक इजात की हैं जिससे ई-वेस्ट को शुद्ध कर रही है कि वे अपने घरों की छतों में सब्जियां मैटीरीयल का प्रयोग करके विभिन्न नई चीजों को किया जा सके और पर्यावरण को होने वाले उगाएं। ‘दाना नेटवर्क’ यह सहकारी ऑर्गेनिक बनाती है और समाज के निम्न तबके के लिए जो नुकसान से बचाया जा सके। किसानों के साथ काम करते हैं और उनके कूड़ा बीनने का काम करते हैं, उनके लिए काम रीनेवेल्ट- एक ऐसी कंपनी, जो बड़ी-बड़ी करती है। कंपनियों के पुराने हो चुके कंप्यूटर्स लेती है और आई गॉट गारबेज- यह संस्था पुणे, हैदराबाद, उन्हें फिर प्रयोग करने लायक बनाती है और बंगलुरु हुबली, धारवाड, मुंबई, कोट्टायम और दोबारा उन्हें काफी सस्ते दामों में बेचती है। पांडीचेरी में काम करती है। यह भी वेस्ट मैटीरियल ईको टूरिज्म- इसका नाम आजकल काफी तेजी के प्रयोग से विभिन्न चीजें बनाती है और से बढ़ रहा है। सरकार भी ऐसी संस्थाओं को कूड़ा बीनने वालों को काम मदद कर रही है, जो संस्थान पर्यावरण की रक्षा पर लगाती है, में लगे हुए हैं। पिछले कुछ समय में इनकी संख्या जिससे उन्हें में खासी वृद्धि भी हुई है। ईको टूरिज्म का कार्य भी अच्छा टूरिस्ट को कम गंदगी करने के लिए प्रोत्साहित पैसा मिल करना और उन्हें ऐसी चीजें उपलब्ध करवाना है जाता है। जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक न हों।

बिजली की बर्बादी रुकी

देश में लगातार बिजली उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है। इसकी दो बड़ी वजहें हैं। एक तरफ वितरण में होने वाला नुकसान कम हुआ है। दूसरी ओर सफल कोयला एवं उदय नीति से उत्पादन बढ़ा है। जैसे- 2013-14 में बिजली उत्पादन 96,700 करोड़ यूनिट हुआ था, जो 2014-15 में बढ़कर 1,04,800 करोड़ यूनिट हो गया। ये दौर आगे भी जारी रहा और 2015-16 में बिजली उत्पादन 1,10,700 करोड़

यूनिट हो गया, जिसकी वजह ऊर्जा नुकसान में 2.1 प्रतिशत की कमी रही। ऊर्जा नुकसान 2015-16 में जहां 2.1 प्रतिशत थी जो अब घटकर 0.7 प्रतिशत (अप्रैल-अक्टूबर, 2016) रह गई है। 2015-16 की तुलना में अब राष्ट्रीय पीक पावर डिफिसिट घटकर आधा यानि 1.6 प्रतिशत रह गया है।

परमाणु बिजली में आत्मनिर्भरता

मोदी सरकार ने 10 नए न्यूक्लियर पावर रिएक्टर

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पर्यावरण

के निर्माण का फैसला किया है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये काम अपने वैज्ञानिक करेंगे और कोई भी विदेशी मदद नहीं ली जाएगी। इन दस नए स्वदेशी न्यूक्लियर पावर प्लांट से 7,000 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी। इसके अतिरिक्त 2021-22 तक 6,700 मेगावाट परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लिए अन्य न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण का भी काम चल रहा है। इस समय देश में कुल 22 न्यूक्लियर पावर प्लांट बिजली पैदा कर रहे हैं जिनसे कुल 6,780 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है।

सौभाग्य योजना

प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना ‘सौभाग्य’ की शुरुआत की। इसके तहत मार्च 2019 तक सभी घरों को बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना का फायदा उन लोगों को मिलेगा जो पैसों की कमी के चलते अभी तक बिजली कनेक्शन हासिल नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत हर घर को रोशनी में समेट कर प्रगति के पथ पर ले जाना है। इस योजना पर 16 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा। यह उन चार करोड़ परिवारों के घर में नयी रोशनी लाने के लिए है, जिनके घरों में आजादी के 70 साल के बाद भी अंधेरा है।

देश का ‘उदय’

देश की बिजली वितरण कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति में सुधार करके उनको पटरी पर लाने के लिए नई योजना ‘उदय’ लागू की गई है। सभी घरों को 24 घंटे किफायती एवं सुविधाजनक बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करना ही इस योजना का मूल उद्देश्य है। इस वर्ष तक देश के सभी राज्य इस योजना से जुड़ चुके हैं। उत्तर प्रदेश अंतिम राज्य था जो 14 अप्रैल 2017 को इस योजना में शामिल हुआ है।

कार्बन उत्सर्जन में कमी

अब तक देशभर में पुरानी लाइट्स बदलकर 21 लाख नई एलईडी लाइट लगाई जा चुकी हैं। इससे 29.5 करोड़ किलोवाट बिजली की बचत हुई है। यही नहीं, इसके चलते 2.3 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आई है। यह परियोजना 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाई जा रही है। सबसे बड़ी बात है कि इसके चलते खर्च और बिजली की तो बचत हो ही रही है प्रकाश भी पहले से काफी बढ़ गया है।

सौर ऊर्जा से बदलेगा देश

मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से उत्पन्न हुई जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए भी मोदी सरकार कदम उठा रही है ताकि ऊर्जा की जरूरतें भी पूरी हों। माना जा रहा है एलईडी बल्ब का इस्तेमाल इस दिशा में अपने-आप में बहुत बड़ा कदम है। इसके प्रयोग से सालाना 8 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सकता है। इसके साथ-साथ 4 हजार करोड़ रुपए की सालाना बिजली की बचत भी होगी। इसके साथ-साथ केंद्र सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर भी जोर दे रही है। इसके तहत सौर ऊर्जा का उत्पादन मौजूदा 20 गीगावॉट से बढ़ाकर साल 2022 तक 100 गीगावॉट करने का लक्ष्य है। सबसे बड़ी बात है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सरकार 2030 तक देश के सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल देने का लक्ष्य लेकर काम में जुटी है। इससे सालाना 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक जीवाश्म ईंधन की बचत होगी। सरकार की ओर से कराए गए एक रिसर्च के अनुसार 2030 तक राजस्थान की केवल एक प्रतिशत भूमि से पैदा हुई सौर ऊर्जा से देशभर के सभी वाहनों के लिए पर्याप्त ईंधन का इंतजाम हो सकता है।


16 खुला मंच

25 - 31 दिसंबर 2017

कुछ देर मैं पथ पर ठहर अपने दृगों को फेरकर लेखा लगा लूं काल का जब साल आने को नया क्या साल पिछला दे गया

डॉ. चंद्रकला पांडिया

अभिमत

लेखिका महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर की पूर्व कुलपति हैं

मदन मोहन मालवीय जयंती (25 दिसंबर) पर विशेष

बड़े मन और विचार के महामना

- हरिवंश राय बच्चन

एक ओर मालवीय जी स्वतंत्रता की लड़ाई में पूरी तरह से कूद पड़े थे, तो दूसरी ओर स्वतंत्रता के बाद भारत का स्वरूप कैसा हो, इस पर भी उनका विचार मंथन चल रहा था

ग्रामीण समृद्धि का ‘दर्पण’ गांवों और गरीबों के विकास के लिए 2017 में उठाए गए एक और अहम कदम का नाम है- ‘दर्पण’

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धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों और युवाओं को लेकर अपनी प्राथमिकता बराबर दुहराई है। वे जिस न्यू इंडिया के विजन की बात करते हैं, उसकी कमान वे एक तरफ युवाओं के हाथ में देखते हैं, वहीं वे गरीब मेहनतकशों के बूते देश की समृद्धि को भी मजबूती देना चाहते हैं। वर्ष 2017 के आखिरी पखवाड़े में सरकार की तरफ से एक ऐसा महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिससे देश को गांवों के विकास का समावेशी तस्वीर उभरकर सामने आ जाएगा। संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने सेवा गुणवत्ता में सुधार, सेवाओं में मूल्यवर्धन तथा बैंक सेवा से वंचित ग्रामीण आबादी के वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ‘दर्पण’ ( डिजिटल एडवासंवेंट ऑफ रूरल पोस्ट ऑफिस फॉर ए न्यू इंडिया) परियोजना का शुभारंभ किया है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 1400 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ आईटी आधुनिकीकरण परियोजना का लक्ष्य प्रत्येक शाखा पोस्ट मास्टर (बीपीएम) को कम शक्ति का टेक्नॉलाजी समाधान उपलब्ध कराना है। इससे सभी राज्यों के ग्रामीण उपभोक्ताओं की सेवा में सुधार के लिए लगभग 1.29 लाख शाखा डाकघर सेवा देंगे। श्री सिन्हा ने बताया कि आज की तिथि में 43,171 शाखा डाकघरों ने ‘दर्पण’ परियोजना को अपना लिया है, ताकि ग्रामीण आबादी के वित्तीय समावेशन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। यह लक्ष्य मार्च 2018 तक पूरा होना है। इस परियोजना से ग्रामीण आबादी तक डाक विभाग की पहुंच बढ़ेगी और वितितीय बचत में वृद्धि होगी। यही नहीं, इश परियोजना से स्वचालित बुकिंग की अनुमति तथा खाता योग्य सामग्री की डिलिवरी से मेल संचालनों में सुधार होगा, खुदरा डाक व्यवसाय से राजस्व बढ़ेगा, तीसरे पक्ष के एप्लीकेशन उपलब्ध होंगे और मनरेगा जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए वितरण सहज होगा। इस बीच, डाक विभाग द्वारा पूरे देश में 991 एटीएम स्थापित किए गए हैं, जो अन्य बैंकों के साथ अंतर संचालित हैं। डाक विभाग के व्यापक नेटवर्क विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क होने से सामान्य जन को प्रत्यक्ष लाभ मिला है। डाक विभाग के एटीएम मशीनों पर अब तक 1,12,85,217 लेन-देन किए गए हैं। इसमें से 70,24,214 लेन-देन गैर-डाक विभाग के उपभोक्ताओं द्वारा किए गए। डाक विभाग इस क्षेत्र में एकमात्र सरकारी संस्था है।

टॉवर

(उत्तर प्रदेश)

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डित मदन मोहन मालवीय भारतवर्ष के उन सपूतों में से एक हैं, जिन्होंने न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका निभाई वरन् प्रत्येक भारतवासी के आत्म-सम्मान से जीने के सपने को साकार किया। आज तक महामना के योगदान को सही ढंग से आंका नहीं गया है। उन्हें ज्यादातर लोग काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं एक महान शिक्षाविद के रूप में ही जानते हैं। बहुत कम लोग पत्रकारिता, समाज सुधार, अछूतोद्धार एवं स्वतंत्रता संग्राम में उनके महती योगदान को समझ पाते हैं। स्वयं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था, ‘मैं मालवीय जी से बड़ा देशभक्त किसी को नहीं मानता। मैं सदैव उनकी पूजा करता हूं।’ उस समय के महान साहित्यकार और कवि रामनरेश त्रिपाठी ने तो यहां तक कह दिया कि ‘वे गत साठ वर्षों के भारतवर्ष के जीवित इतिहास हैं। सरकार और जनता की नस-नस से सुपरिचित कोई ऐसा नेता अंग्रेजी शासन में दिखाई नहीं पड़ता, जिसकी तुलना मालवीय जी से की जा सके।’ वे न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए कटिबद्ध थे, बल्कि राजनीतिक स्वतंत्रता को उचित शर्तों पर प्राप्त करने के लिए एवं उसे सही दिशा में ले जाने के लिए भी वे उतने ही कटिबद्ध थे। यही कारण है कि सन 1908 में जब लॉर्ड मार्ले ने राजनीतिक सुधार के संबंध में अपनी मार्ले-मिंटो सुधार योजना प्रस्तुत की, तो मालवीय जी ने इस योजना के सकारात्मक पक्षों की तो सराहना की, किंतु इस योजना में उल्लेखित सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व के प्रावधान का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने ‘अभ्युदय’ में लिखा कि धर्म के आधार पर ‘प्रतिनिधियों का चुनाव अनावश्यक है।’ मालवीय जी के ओजस्वी भाषण और प्रखर व्यक्तित्व से प्रभावित होकर इंग्लैंड के प्रमुख दैनिक ‘द मेनचेस्टर गार्जियन’ ने उन पर अलग से आलेख प्रकाशित किया। जब लॉर्ड हार्डिंग पर दिल्ली की सड़कों से गुजरते हुए किसी अनजान व्यक्ति ने हैंड ग्रेनेड फेंक दिया, जिसमें वे बाल-बाल बच गए, तब ब्रिटिश सरकार ने अपने विरोधियों

के विरूद्ध कड़ा रूख अपनाने का निर्णय लिया। उन्होंने एक बहुत ही जनविरोधी ‘प्रेस एक्ट’ को लागू कर दिया। मालवीय जी ने ब्रिटिश सरकार की परवाह न करते हुए 8 फरवरी 1910 को गवर्नर जनरल और उनकी कार्यकारिणी द्वारा प्रस्तुत ‘प्रेस विधेयक’ की कटु आलोचना करते हुए कहा, ‘यह प्रेस एक्ट तो लॉर्ड लिटन के वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट से भी कठोर व अलोकतांत्रिक है।’ उन्होंने कहा कि न्यायालय के अधिकारों को प्रशासनिक अधिकारियों को हस्तांतरित करना सर्वथा अनुचित है। सरकार द्वारा ‘विद्रोह सभा विधेयक’ प्रस्तावित करने का भी मालवीय जी ने तीव्र विरोध किया। पुनः जब सन् 1911 में दूसरा ‘विद्रोह सभा विधेयक’ काउंसिल में प्रस्तुत किया गया तो मालवीय जी ने इसे ‘अनावश्यक’ और ‘दमनकारी’ बताया। पर दुर्भाग्य से यह विधेयक काउंसिल में पारित हो गया। धीरे-धीरे मालवीय जी को यह समझ में आने लगा कि भारत मां को अब उनकी अंशकालिक सेवा का नहीं वरन् पूर्णकालिक सेवा की आवश्यकता है। इसीलिए सन 1913 में उन्होंने अपनी वकालत पूरी तरह से छोड़ दी तथा अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्रीय सेवा में अर्पित कर दिया। अपनी वकालत छोड़ने के बाद से मालवीय जी उन विभिन्न तरीकों एवं सिद्धांतों को इजाद करने में लग गए, जिनसे भारत मां को स्वतंत्र किया जा सके। उनका स्वर तीव्र से तीव्रतर होता

महामना को ज्यादातर लोग काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं एक महान शिक्षाविद के रूप में ही जानते हैं। बहुत कम लोग पत्रकारिता, समाज सुधार, अछूतोद्धार एवं स्वतंत्रता संग्राम में उनके महती योगदान को समझ पाते हैं


25 - 31 दिसंबर 2017 गया। उन्होंने 1915 में सरकार द्वारा काउंसिल में प्रस्तुत ‘भारत रक्षा बिल’ का इस आधार पर विरोध किया कि वह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के विरूद्ध है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यद्यपि युद्ध की विषम परिस्थितियों में देश की रक्षा हेतु कतिपय विशेषाधिकारों का प्रावधान आवश्यक है, किंतु इस आधार पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करने वाले कानून को स्वीकार नहीं किया जा सकता। एक ओर मालवीय जी स्वतंत्रता की लड़ाई में पूरी तरह से कूद पड़े थे, तो दूसरी ओर स्वतंत्रता के बाद भारत का स्वरूप कैसा हो, उसे अपनी प्रगति के लिए किस प्रकार के संसाधनों की आवश्यकता होगी, इस पर भी तीव्र गति से उनका विचार मंथन चल रहा था। वे भलीभांति जानते थे कि ब्रिटिश शिक्षा पद्धति भारतीयों के स्वाभिमान को धीरे-धीरे नष्ट कर देगी। भारत की प्रज्ञावान एवं जीवनदायिनी परंपराओं को पोषित करना कठिन हो जाएगा। साथ ही वे यह भी अच्छी तरह समझते थे कि आने वाले समय में भारतवर्ष को ऐसे उच्च कोटि के इंजीनियरों, डॉक्टरों, कृषकों व शिक्षित स्त्रियों की आवश्यकता होगी, जो राष्ट्र को प्रगति की ओर ले जा सके। यही कारण है कि स्वतंत्रता संग्राम में अपनी उदीप्त सहभागिता के साथ-साथ उन्होंने वर्ष 1910 में प्रयाग के माघ मेले के अवसर पर काशी में हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के संकल्प की घोषणा की। विश्वविद्यालय के शिलान्यास के मौके पर मालवीय जी ने इस कार्य हेतु महात्मा गांधी को बुलाया। गांधीजी ने उस अवसर पर मालवीय जी के सम्मान में जो कहा, वह आज भी पठनीय है और मालवीय जी के महान व्यक्तित्व को रेखांकित करता है। गांधी ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा, ‘मालवीय महाराज के इतने निकट रहकर भी अगर आप उनके जीवन से सादगी, त्याग, देशभक्ति, उदारता और विश्वव्यापी प्रेम आदि सद्गुणों का अपने जीवन में अनुकरण न कर सकें तो कहिए, आपसे बढ़कर अभागा और कौन होगा।’ दिसंबर 1918 में मालवीय जी ने दिल्ली में आयोजित कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन की अध्यक्षता की। अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा आत्मनिर्णय का सिद्धांत भारत में भी लागू किया जाना चाहिए। उनके शब्दों में, ‘स्वशासन ही हमारी शिकायत का इलाज है’ और ‘हम आत्मविकास का सुअवसर चाहते हैं।’ दरअसल, वे एक बहुत ही मौलिक विचारक थे। मालवीय जी का मूल लक्ष्य ‘राष्ट्रीय स्वतंत्रता व प्रगति’ था और विभिन्न सार्वजनिक मंचों से वह इस दिशा में प्रयास करते रहे। 1931 में वे दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए लंदन गए। इस सम्मेलन में उन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता, पूर्ण उत्तरदायी शासन, अखिल भारतीय संघीय व्यवस्था, वयस्क मताधिकार, प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली, लोक सेवाओं के भारतीयकरण तथा प्रांतीय स्वशासन के साथ-साथ केंद्रीय स्वशासन के विषय पर अपने सशक्त विचार व्यक्त किए। तेज बहादुर सप्रू ने अपने एक संस्मरण में इस सम्मेलन में मालवीय जी की सहभागिता के विषय में लिखा है- ‘इस कान्फ्रेन्स में कोई भी ऐसा हिंदुस्तानी नहीं था, जिसे मालवीय जी से अधिक मात्रा में ब्रिटिश राजनीतिज्ञों का सम्मान प्राप्त था।’

प्रियंका तिवारी

बाबा ए सुखन

कविताई की दुनिया में आज भी गालिब एक बड़े उस्ताद की साख रखते हैं

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र्जा गालिब शायरी के बेताज बादशाह थे। उन्हें ‘बाबा ए सुखन’ कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गालिब के मुख से निकली हर एक बात एक शेर हुआ करती थी। आप उनकी शायरी की महानता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि आज गालिब को हुए करीब डेढ़ शती का समय बीत चुका है, लेकिन अब भी उनकी शायरी पर शोध जारी है। कारण है उनकी शायरी की गहनता और उसमें दर्शन का प्रभाव होना। इस में कोई दो राय नहीं है कि गालिब का जादू सर चढ़ कर बोलता है और उनके शेरों पर आज लोग सर धुनते हैं। ‘बला-ए-जां है गालिब उसकी हर बात/ इबारत क्या, इशारत क्या, अदा क्या।' जिन लोगों ने मिर्जा गालिब को देखा था, उनका कहना था कि वे ‘सुर्ख-ओ-सफेद तुर्किया रंगत’ के बड़े ही प्रभावशाली व्यक्तित्व के थे। उनकी शख्सियत बड़ी ही रुआबदार थी। यूं तो मिर्जा गालिब तकरीबन फकीर ही थे, मगर उनका मिजाज नवाबी था। वे आखिरी मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर के उस्ताद थे। बावजूद इसके पैसे से उनका हाथ तंग रहा। शायद इसीलिए उन्होंने यह शेर कहा- ‘न गुल-एनगमा हूं, न पर्दासाज/ मैं हूं अपनी शिकस्त की आवाज!’ वैसे उन्होंने स्वयं भविष्यवाणी की थी कि उनके काव्य का सही मूल्यांकन सौ साल बाद किया जाएगा। गालिब किसी मदरसे या विश्वविद्यालय में नियमित रूप से शिक्षा ग्रहण न कर पाए, पर फारसी से लगाव इतना था कि बचपन में ही शेर कहने शुरू कर दिए। यही कारण है कि उनके फारसी दीवान में 6700 और उर्दू दीवान में 1100 अशआर हैं।

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गदणतज्ञों का िेश

राष्टीय गदणत दिवस दवशेर

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सशक्त हुआ दकसान

फूल से महका िीवन

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सबसे रोमांचक िीत 1981 में भारत की ऑसट्रेदलया पर कररशमाई िीत

राष्टीय दकसान दिवस पर गेंिा फूल ने बिला िीवन दवशेर आयोिन मानपुर का

harat.com

sulabhswachhb

- 24 दिसंबर 2017 वर्ष-2 | अंक-01 | 18

आरएनआई नंबर-DELHIN

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लेखिका युवा पत्रकार हैं और देश-समाज से जुड़े मुद्दों पर प्रखरता से अपने विचार रखती हैं

ल​ीक से परे

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खुला मंच

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्ष स लीिडें सदमट मावल

ाम’ ‘सवच्छता के अग्रिूत को सल राम नाइक लभ प्रणेता लस लीिेंड सदमट’ में सु ेंट अवाड्ड’ लखनऊ में आयोदित ‘माव्ष लस लाइफटाइम अचीवम डॉ. दवनिेश्वर पाठक को ‘माव्षऑफ इंदडया-2017’ से नवािा गया और ‘माव्षलस पस्षनैदलटीस

गालिब जयंती (27 दिसंबर) पर विशेष

गालिब के अरबी के उस्ताद मौलवी अब्दुस समद के अनुसार वे अत्यंत तीव्र बुद्धि के थे। यह बात गालिब के पत्रों से भी प्रमाणित होती है, जिनका संपादन रॉल्फ रसल ने किया है। महाकवि निराला गालिब की शायरी के मुरीद थे। उनके मुताबिक, ‘उर्दू के सबसे बड़े कवि गालिब हैं। उन पर सामंती संस्कृति का असर है, साथ ही उसका तीव्र अंतर्विरोध भी है ।’ उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भवभूति, दांते और शेक्सपियर की तरह वह करूणा और दुख के अन्तयम कवि हैं। हैमलेट और मैकबेथ की तरह वे रात को सो न सकने की व्यथा पहचानते हैं। गालिब ने मनुष्य की वेदना को बहुत गहराई से अनुभव किया है और उन्हें बहुत ही मुहावरेदार लाक्षणिक शैली में चित्रित किया है। उनमें सूफी परंपरा के अवशेष मौजूद हैं। गालिब ने अपनी व्यथा को बयान करने के लिए जहां-जहां सरल भाषा

एग्री हॉर्टी मेला

सुलभ स्वच्छ भारत में इस बार लखनऊ में हुए एग्री हॉर्टी टेक मेले के बारे में पढ़ा। प्रधानमंत्री मोदी किसानों की आय दोगुनी करना चाहते हैं। इसके ल‌िए ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देना होगा। परंपरागत खेती छोड़, अत्याधुनिक खेती को अपनाकर ही आय दोगुनी की जा सकती है। ऐसे आयोजन किसानों को खेती के लिए नई टेक्नोलॉजी के बारे में बताते हैं। साथ ही इससे उत्तम बीज और खाद के बारे में भी पता चलता है। डा.पाठक के संबोधन को पढ़कर पता चला कि शौचालय से भी खेती के लिए अति उत्तम खाद बन सकती है। संजय कुमार, पटना, ब‌िहार

का प्रयोग किया है, वहां वे इतने लोकप्रिय हुए हैं कि उनकी पंक्तियों ने लोकोक्तियों का रूप ले लिया है, जैसे- ‘मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसां हो गईं’, या ‘खाक हो जाएंगे हम उनको खबर होने तक।’ गालिब की प्रसिद्ध का कारण यह है कि उनकी शायरी हर समय के लिए यथार्थ से जुड़ी पाई गई और सामान्य व्यक्ति के दिल के तारों को सुंझकृत कर गई। आज भी उनके शेरों पर लोग जान देते हैं। फिर एक कारण यह भी रहा कि इश्किया शायरी में उनका कोई सानी न था- ‘इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया/ वर्ना आदमी हम भी थे काम के!’ गालिब के समय में मसनवी और कसीदागोई का चलन था। गालिब से पूर्व जाने-माने मसनवी और कसीदागोई करने वालों में बहादुरशाह जफर के उस्ताद शेख मुहम्मद इब्राहीम जौक भी थे। मगर गालिब के उभरकर आने से जौक फीके पड़ने लगे और यह बात उनको इतनी चुभी कि बादशाह की उस्तादी छोड़कर वे उर्दू के एक अन्य तीर्थ हैदराबाद चले गए। उनके हैदराबाद जाने पर यह शेर बड़ा प्रसिद्ध हुआ- ‘आजकल अगर वे दक्किन में है बड़ी कदर-ए-सुख,/कौन जाए जौक पर दिल्ली की गलियां छोड़कर!’ जौक के न रहने पर गालिब की शायरी का मुकाम जहां बादशाह के किले में बढ़ा, वहीं उन्होंने इस दौरान अपनी प्रतिभा के अलगअलग रंगों से भी प्रभावित किया। यह महान शायर न सिर्फ उर्दू शायरी की दुनिया में, बल्कि कविताई की पूरी दुनिया में आज भी वे एक ऐसे उस्ताद की साख रखते हैं, जिसके पास आकर विचार और अभिव्यक्ति की आत्मीय गहराई तक उतरना सीखा जा सकता है।

रोजगार नीति

इस बार के अंक को पढ़कर पता चला कि सरकार राष्ट्रीय रोजगार नीति लेकर आ रही है। कहा जा रहा है कि इस नीति से 1 करोड़ रोजगारों का सृजन हर साल होगा। अगर सच में सरकार अपनी इस महत्वकांक्षी योजना को मूर्त रूप देना चाहती है तो उसे इसके कार्यान्वयन पर विशेष ध्यान देना होगा। मेरा मानना है कि योजना में दूर-दराज के गांव पर खासतौर से ध्यान देना होगा। वहां आबादी अधिक है और रोजगार न के बराबर है। जुरूरत से ज्यादा लोग खेती में लगे हुए हैं। अंत में डा. पाठक को लाइफटाइम पुरस्कार के लिए बधाई। पराग गौतम, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश


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विचार

25 - 31 दिसंबर 2017

नमो सूत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को देश का प्रधान सेवक मानते हैं। देश की सेवा और विकास के प्रति उनकी तत्परता हर किसी के लिए अनुकरणीय है। एेसा करते हुए प्रधानमंत्री ने देशवासियों को कई एेसे सूत्र भी दिए, जिसके सहारे सेवा, कल्याण और विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। प्रस्तुत है वर्ष 2017 में विभिन्न अवसरों पर प्रधान सेवक के दिए एेसे ही कुछ प्रेरक सूत्र


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किताब

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किताबें 2017

नमो पर अनुपम पुस्तक ‘

पुस्तक- ‘नरेंद्र दामोदरदास मोदी- द मेकिंग ऑफ ए लीजेंड’ | लेखक- डॉ. विन्देश्वर पाठक

नरेंद्र दामोदरदास मोदी- द मेकिंग ऑफ ए लीजेंड’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर लिखी गई अनेक पुस्तकों से बिल्कुल हटकर है। लेखक डॉ. विन्देश्वर पाठक ने इस पुस्तक में उनके जीवन के तमाम पक्षों को संवेदनशील तरीके से व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी उन दुर्लभ व्यक्तियों में हैं, जिन्होंने अपनी सोच और करिश्माई नेतृत्व से मानवता और राष्ट्र के इतिहास को आकार दिया है। वह मशहूर अमेरिकी वैज्ञानिकों थॉमस एडिसन के सबसे प्रसिद्ध कथन-एक फीसदी प्रेरणा और निन्यानवे फीसदी पसीना के प्रतीक बन गए हैं। नरेंद्र मोदी की बौद्धिकता अपार है, परंतु अपने इस अद्भुत जीवन यात्रा में कड़ी मेहनत से प्राप्त उनका वृहद अनुभव तथा गहरा ज्ञान उन्हें दूसरों की तुलना में अधिक ऊंचाई पर ला रखता है और यही उन्हें अद्वितीय भी बनाता है। पुस्तक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन और कार्यों के बारे में काफी विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गई है। पुस्तक का मुख्य उद्देश्य नरेंद्र मोदी के जीवन की व्यापक और विश्वसनीय गाथा को प्रस्तुत करना है। इस तरह यह जीवनी नरेंद्र मोदी के आरंभिक दिनों से लेकर अब तक के समय का प्रेरणादायक और सम्मोहक वर्णन प्रस्तुत करती है, जिसमें उनकी जिंदगी का वह सफरनाना है,

जो गुजरात में उनके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित स्वयंसेवक बनने से शुरू होता है। यह सफरनामा कई प्रेरक जीवन प्रसंगों से समृद्ध है। एक लोकप्रिय नेता बनने, भारतीय जनता पार्टी में कई संगठनात्मक जिम्मेदारियां निभाने, गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर अंतत: देश के प्रधानमंत्री बनने तक वे निस्वार्थ सेवा और समर्पित कार्यकर्ता की तरह आगे बढ़ते हैं। पुस्तक इस बात को गहराई से रेखांकित करती है कि नरेंद्र मोदी एक ऐसे चमत्कारी वैश्विक नेता हैं, जो अपनी दूरदृष्टि और समझ से राष्ट्र निर्माण व मानवता का इतिहास पुनः लिख रहे हैं। उनका ऐसे दिव्य और ऊर्जावान नायक के रूप में प्रकट होना वाकई बड़ी परिघटना है। यह पुस्तक गुजरात में सबसे अधिक समय तक शासन करने वाले मुख्यमंत्रियों में से एक और भारत के अब तक के सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी यात्रा और फिर प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यों के विभिन्न आयामों का गहराई से स्पर्श करती है। इन आयामों का विस्तार नरेंद्र मोदी के विश्व रंगमंच पर आने के बाद वैश्विक बदलाव के विभिन्न पक्षों तक पहुंचता है। पुस्तक की विषय सामग्री और इसके प्रकाशन की गुणवत्ता इसको पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर छपी अन्य दूसरी सभी पुस्तकों से

श्रेष्ठ श्रेणी में रखती हैं। पुस्तक में नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री बनने के बाद 15 अगस्त 2014 को लालकिले से उनके पहले भाषण सहित उनके कुछ अन्य भाषणों के अलावा विश्व नेताओं-पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून, जर्मन चांसलर एंजेला मॉर्कल, जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे आदि की नरेंद्र मोदी के बारे में की गई टिप्पणियों का सार-संक्षेप भी मौजूद है। विश्व के बड़े बिजनेस लीडर जैसे फेसबुक के सीईओ मॉर्क जकरबर्ग, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा आदि की मोदी पर की गई टिप्पणियों में उनकी लोकप्रियता की झलक दिखाई पड़ती है। पुस्तक में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके द्वारा आरंभ की गई विभिन्न योजनाओं और उनसे भारत और इसके लोगों का जीवन किस प्रकार से बदल रहा है, इसकी विस्तृत जानकारी दी गई हैं। चाहे यह ‘स्वच्छ भारत मिशन’ हो, ‘स्किल इंडिया’ हो, ‘मेक इन इंडिया’ हो या ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ हो, पुस्तक से हमें इनकी और इनके देश पर पड़ रहे सकारात्मक प्रभावों की भरी-पूरी जानकारी मिलती है। पुस्तक में नरेंद्र मोदी के बचपन से लेकर

उनके प्रधानमंत्री बनने तक के समय के अनेक फोटोग्राफ हैं। इनमें उनकी (एनसीसी नेशनल कैडर कोर) कैडेट के रूप में एक फोटो, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गणवेश में एक फोटो, आपातकाल में अपने गुरु लक्ष्मण राव इनामदार के साथ अपना गणवेश बदले हुए एक सिख के रूप में फोटो शामिल हैं। इन फोटोग्राफ में उनकी राजनीतिक यात्रा का सफर भी दर्शाया गया है, जिसमें 1991 भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी द्वारा निकाली गई एकता यात्रा के दौरान श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराने से लेकर तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की स्वराज जयंती यात्रा तक की तस्वीरें शामिल हैं। इन सबसे बढ़कर इस पुस्तक द्वारा हमें नरेंद्र मोदी के जीवन की उस कहानी की जानकारी प्राप्त होती है, जिसमें उनकी लगातार मेहनत करने और निरंतर सीखते रहने की दृढ़ इच्छाशक्ति तथा समाज को वह सब लौटा देने की कामना की जानकारी मिलती है, जो उन्होंने भीषण गरीबी और संघर्ष से प्राप्त किया है।

आधी दुनिया के सवाल

किताब : स्त्री प्रश्न | लेखिका : नमिता सिंह | प्रकाशक : वाणी प्रकाशन | कीमत : 250 रुपए

गर हम देश की आधी आबादी, यानी महिलाओं की बात करें तो उसके सामने यक्ष प्रश्नों का भंडार है। उनके जीवन से जुड़े इन

सवालों के जवाब सदियों से अनसुलझे हैं और अब भी सही समाधान की तलाश में हैं। नमिता सिंह की यह किताब महिलाओं से जुड़े ऐसे ही कुछ यक्ष प्रश्नों को दर्ज करने की कोशिश करती है। नमिता ने सवाल तो बहुत बुनियादी उठाए हैं, लेकिन जरा लचर तरीके से। उत्तर भारत की जाति पंचायतों ने महिलाओं के जीवन को और ज्यादा संकटमय बनाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिन पंचायतों का निर्माण समाज में न्याय की स्थापना के लिए किया गया था, वे महिलाओं के मामले में अक्सर ही बेहद अन्याय भरे निर्णय लेती हुई नजर आती हैं। नमिता बहुत सारी पंचायतों के महिलाओं से

जुड़े क्रूर निर्णयों के उदाहरण देते हुए अपनी बात कहती हैं। वे लिखती हैं,‘शर्मनाक घटनाओं पर भी राष्ट्रीय शर्म की बात तब बनती है, जब खापपंचायतें समाधान हेतु अपना फरमान सुनाती हैं। खाप पंचायतें ऐसी हिंसक अमानवीय घटनाओं के गुनहगारों के लिए कोई सजा, बहिष्कार नहीं सुझातीं। ...खाप पंचायत जैसे जाति-धर्म आधारित सामाजिक समूह जो अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं, उन्हें प्रतिबंधित किया जाए, उनकी वैधता भंग की जाए।’ खासतौर से महिलाओं से जुड़ी किसी भी समस्या के मामले में पूरा समाज, सारी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन के सिर पर

डालकर निश्चिंत सा बैठा नजर आता है। लेखिका इस बारे में काफी साफ हैं कि महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य या सम्मान से जुड़ी समस्याएं समाज के स्तर पर ही ठीक की जा सकती हैं। और यह कुछ सालों का नहीं, बल्कि सदियों तक चलने वाला प्रयास है, जिसकी शुरूआत आज ही होनी चाहिए और अनवरत चलना चाहिए। किताब में कुछ ऐसे भी लेख हैं, जो अपने शीर्षक से जैसी अपेक्षा जगाते हैं, उस पर जरा भी बात नहीं करते। महिलाओं से जुड़े गंभीर सवालों पर यह किताब एक विमर्श को आगे बढ़ाने की दरकार जरूर पूरा करती है, पर उसे बहुत आगे नहीं ले जा पाती है।


25 - 31 दिसंबर 2017

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किताब

आम जिंदगी की शायरी

किताब : कुछ तो कहिये | शायर : गुलजार | प्रकाशक : वाणी प्रकाशन | कीमत : 495 रुपए

कुछ तो कहिये’ नाम की किताब में पाठक शेरों, गजलों और त्रिवेणी (सिर्फ तीन पंक्तियों की कविता) के माध्यम से गुलजार से मिलते हैं। उनसे होने वाली तमाम मुलाकातों की तरह यह मुलाकात भी पाठकों के लिए यादगार बन जाती

है। गुलजार के शेरों और गजलों में, रात और चांद से उनका इश्क साफ नजर आता है। यह जानना मुश्किल है कि वे रात और चांद के बड़े आशिक हैं, या फिर ये दोनों उनके! बल्कि कभी-कभी तो शक होता है कि कहीं चांद चुपचाप उनके शब्दों की आभा को चुराकर ही तो रात को रौशन नहीं करता! रात और चांद के जिक्र से नुमाया उनके कुछ शेर‘चांद ने कल खिड़की पर आ कर दस्तक दी थी / मैंने उठ कर देखा बाहर कोई नहीं था / चिक पर चांदनी से कुछ लिखकर चला गया था !’ इस संग्रह की जिन कुछ गजलों को गाया जा चुका है, उन्हें पढ़ते हुए बरबस ही उनका

संगीत कानों में गूंजने लगता है और फिर तुरत उन संगीतबद्ध गजलों को सुनने की ख्वाहिश जगती है। गुलजार की गजलों की सबसे बड़ी खासियत है, उनमें आने वाले रोजमर्रा के शब्द। साधारण सी जिंदगी से बेहद जुड़े मामूली शब्दों को गुलजार अपने शेरों में कुछ इस तरह से गूंथ देते हैं कि वे शब्द आम न रहकर बेहद खास बन जाते हैं। लगता है जैसे; पेड़, बेल, चूल्हा, उपला, चौखट, मुंडेर, खिड़की, सिंदूर, संदूक, तसला जैसे शब्द उनकी गजलों में जगह पाकर पक्का इतराते होंगे। गुलजार का शिकायत का, तंज करने का लहजा भी इतना मासूम है कि पढ़कर प्यार आता है। कहीं-कहीं तो लगता है, जैसे वे दुश्मन को

जिंदगी शहीदे आजम की

साझा संस्कृति का आख्यान

उपन्यास : कल्लर केरि छपड़ी | उपन्यासकार : चंदन नेगी |

नाटक : गगन दमामा बाज्यो | लेखक : पीयूष मिश्रा

अनुवादक : डॉ. अमिया कुअ ं र | प्रकाशक : एनबीटी |

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन | कीमत : 125 रुपए

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शक भगत सिंह इस धरती पर ज्यादा समय तक सांस नहीं ले सके, पर वे इस मुल्क की आवाम के दिलों में आज भी धड़कते हैं। वे इस देश के ऐसे गिने-चुने नायकों में से हैं, जिनका जादू उनके दौर से लेकर आज की युवा पीढ़ी पर भी कायम है। ‘गगन दमामा बाज्यो’ इसी युग नायक भगत सिंह के जीवन पर आधारित नाटक है। ‘गगन दमामा बाज्यो’ गुरु ग्रंथ साहिब की एक सूक्ति है। इसका अर्थ है, ‘तू आज से भिड़ जा, बाकी देख लेंगे।’ पीयूष मिश्रा का यह नाटक भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों के इसी जोश-जज्बे और इसके आसपास की मानवीय संवेदनाओं को समेटता है। भगत सिंह का मकसद सिर्फ अंग्रेजों से मुल्क को आजादी दिलाना भर नहीं था, बल्कि वे एक ऐसे देश की कल्पना करते थे, जिसमें आजादी के बाद आम इंसान को सम्मान और समानता के साथ जीने का मौका मिल सके। पीयूष मिश्रा का यह नाटक भगत सिंह की

विचारधारा से संपूर्णता में पाठकों का परिचय कराने में सफल होता है। इस नाटक में भगत सिंह के जीवन से जुड़े एक बिल्कुल अनछुए पहलू का भी जिक्र मिलता है, और वह है, ‘भगत सिंह की विधवा’, जिसके बारे में लेखक का कहना है- ‘इतिहासकारों का इस बारे में मत है कि ऐसी कोई लड़की नहीं थी। मगर...पंजाब की हर गली में भगत सिंह की विधवा को लेकर गीत गाए जाते हैं। एक ऐसी लड़की, जिसने उनकी मृत्यु के बाद कभी शादी नहीं की। यह कितना सच है... कितना नहीं, यह तो मुझे नहीं मालूम।’यह नाटक पढ़ाकू भगत सिंह, खूबसूरत भगत सिंह, शांत भगत सिंह, हंसोड़ भगत सिंह, बुद्धिजीवी भगत सिंह, युगद्रष्टा भगत सिंह, दुस्साहसी भगत सिंह और प्रेमी भगत सिंह से एक साथ हमें मिलवाने में सफल होता है। इस संगीतमय नाटक का फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’ के लेखन में काफी योगदान है। इसे पढ़ते हुए बार-बार इसका मंचन देखने की इच्छा प्रबल होती जाती है। पीयूष मिश्रा का यह नाटक आज के उन युवाओं को कटघरे में भी खड़ा करता है, जिनके लिए सोशल साइट पर आजादी के संदेश फॉरवर्ड करना, तिरंगे की प्रोफाइल फोटो लगाना ही देशप्रेम का प्रतीक बनकर रह गया है।

बारहा मौका देकर, अपना बना लेने का फन आजमा रहे हैं। प्यार के इकरार और इजहार का अंदाज भी गुलजार का सबसे निराला है। वे प्यार या इश्क जैसे शब्दों का इस्तेमाल किए बगैर ही प्यार की तीव्रता जता देते हैं, बल्कि यह कहना ज्यादा मुनासिब होगा कि उनके शेरों, गजलों या त्रिवेणी में इश्क की तीव्रता और गहराई महसूस करके पाठक अपने प्रेम को शिद्दत से याद करने को मजबूर हो जाएंगे। जिंदगी से जुड़े और जिंदगी में घुले किसी भी अहसास को अगर आप भी शायराना खयालों के साथ महसूस करना चाहते हैं तो यह किताब आपकी एक खूबसूरत जरूरत हो सकती है।

कीमत : 215 रुपए

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दन नेगी पंजाबी साहित्य की एक स्थापित हस्ताक्षर हैं। डोगरी-पंजाबी की कथाकार चंदन पंजाबी अकादमी की ओर से शिरोमणि साहित्यकार पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। यह पूरा ही उपन्यास आपको एक ऐसे मोहल्ले से होकर गुजरने का अहसास देगा जहां घरों की छतें और दीवारें आपस में जुड़ी हुई हैं। जहां घरों की साझा दीवारें पड़ोसी के घर की पल-पल की खबर देती है। भारतीय समाज में विवाहेत्तर संबंध पुरुषों की जरूरत, कमजोरी या परिस्थितिजन्य मानकर अक्सर ही स्वीकार कर लिए जाते हैं। लेकिन पत्नी के विवाहेत्तर संबंध या फिर ऐसे किसी संबंध का शक भर कितना कहर बरपाता है, लेखिका इसकी बड़ी मार्मिक गवाही देती हैं। उपन्यास एक शहर के, एक मोहल्ले के चंद परिवारों की कथा कहता है, जो धर्म, जाति,

आर्थिक स्थिति से अलग होते हुए भी बहुत गहराई से एक-दूसरे से जुड़े हैं। जहां एक का रोना-गाना,सिर्फ उसके अकेले का नहीं होता। जहां सामूहिकता ही परिवारों की जीवन रेखा है। शहर और मोहल्ले के इस बहनापे को आकंठ जीने वाली ‘स्वर्ण’ को जब पति के साथ यह शहर छोड़कर दिल्ली जाना होता है, तो उसका कलेजा बैठ जाता है। वह दिल्ली में एक-एक पल वापस लौट जाने के इंतजार में काटती है। लेकिन छह साल बाद जब वह वापस अपने शहर लौटती है तो वहां हुए बदलावों को देखकर न सिर्फ दंग रह जाती है, बल्कि भीतर से कहीं गहरे टूट भी जाती है। चंदन का यह उपन्यास एक छोटे शहर की हिल-मिलकर रहने वाली साझा संस्कृति का बेहद जीवंत और मार्मिक चित्र खींचता है। एक पात्र से दूसरे पात्र की कथा कुछ वैसी ही सहजता से निकलती है, जैसे कि एक छत को फांदकर बिना किसी विघ्न के दूसरे घर की छत पर पहुंच गए हों। उपन्यास का नाम ‘कल्लर केरि छपड़ी’ गुरूग्रंथ साहिब की एक सूक्ति से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है; पानी के ऊपर तैरने वाली गंदगी।


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मैरी क्रिसमस

हर जाता हुआ वर्ष हमारे ल‌िए प्रेम और खुशी का एक पैगाम दे जाता है। भारत एक सर्वधर्म समभाव वाला देश है। यहां अन्य त्योहारों के साथ क्र‌िसमस भी काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ईसा मसीह के जन्मद‌िन की खुशी में ग‌िरजाघरों की रौनक तो देखते ही बनती है फोटो ः जयराम


25 - 31 दिसंबर 2017

जलती मोमबत्त‌ियों, क्र‌िसमस ट्री और दूसरी सजावटों के साथ क्र‌िसमस के त्योहार में सभी खुशी-खुशी शाम‌िल होते हैं। खासतौर पर इस मौके पर बच्चे और युवा काफी आनंद का अनुभव करते हैं। क्र‌िसमस एक तरह से नए वर्ष की शुरुआत भी है

फोटो फीचर

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दिलचस्प

25 - 31 दिसंबर 2017

देसी हल, देसी पहल

आवश्यकता के साथ अगर प्रकृति और पर्यावरण सुरक्षा की जरूरत भी शामिल हो जाती है तो आविष्कार, एक ऐसी पहल या हल का रूप ग्रहण करता है, जिससे सबका कल्याण हो। इस वर्ष ऐसे कई आविष्कार चर्चा में रहे

बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर

आर्थिक अभाव के बावजूद किसान के बेटे ने अपने अनूठे आविष्कार से किया सबको दंग

रा

एसएसबी ब्यूरो

जस्थान के बारन जिले के बमोरी कला गांव में एक किसान के बेटे ने खेती के लिए गजब का आविष्कार किया। योगेश नागर ने ट्रैक्टर को चलाने वाले रिमोट का आविष्कार किया है, जिसके सहारे दूर बैठकर ट्रैक्टर को चलाया जा सकता है। इस अनोखे आविष्कार के साथ-साथ उन्होंने अब तक 30 आविष्कार किए हैं। इस युवा की जिंदगी भी रोचक है।

भा

एसएसबी ब्यूरो

रत में जुगाड़ हर मर्ज का इलाज है। गर्मी के कोप से बचने के लिए लोग देसी ‌िफ्रज से लेकर कूलरएसी तक न जाने क्या-क्या बना रहे हैं। ऐसी ही एक दिलचस्प खोज की है भिवंडी के एक ऑटो रिक्शेवाले ने। महज सात जमात पास इस ऑटो रिक्शा

योगेश नागर की दसवीं तक पढ़ाई गांव में ही हुई। बड़ी मेहनत से पढ़ते हुए योगेश बोर्ड परीक्षा में गांव के टॉपर रहे, तो आगे की पढ़ाई के लिए कोटा चले गए। वहां 12 वीं की पढ़ाई के दौरान योगेश का मन पढ़ने से ज्यादा कुछ न कुछ नया बनाने में लगा रहता था, उस समय वे आर्मी के लिए एक ऐसा वाहन बनाने में जुट गए जिसे आंधी-तूफान या अंधेरे जैसी स्थिति में कभी भी कहीं से भी चलाया जा सके, इस खोज में जुटे रहने की वजह से उनके अंक परीक्षा में कम आए, लेकिन उन्होंने एक साथ कई आविष्कार कर

डाले। अब तक 30 आविष्कार कर चुके योगेश डॉक्टर की सलाह न मानने के कारण योगेश बताते हैं, ‘मैं 7वीं कक्षा से आविष्कार कर रहा हूं। के पिताजी की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। तब घर की स्थिति ठीक नहीं थी, इसीलिए आविष्कारों योगेश ने इसके लिए कोई रास्ता निकालने की में लगने वाले सामान के लिए पैसे कम मिल पाते सोची और जुट गए। योगेश ने ट्रैक्टर को बड़े ध्यान थे। फिर भी मेरा मन कुछ न कुछ खोजने में लगा से देखना और समझना शुरू किया। दो दिन तक रहता है। जब भी कोई दिक्कत सामने होती है, इसे ट्रैक्टर को गहराई से समझने के बाद योगेश अपने लेकर हर रात सोने से पहले सोचने लगता हूं और काम पर जुट गए। उनका मकसद था पिताजी को कई दिनों में कोई न कोई नया आइडिया मेरे दिमाग ट्रैक्टर की सीट से हटाकर सुरक्षित करना और में आ जाता है।’ उसके लिए उन्हें ऐसा यंत्र तैयार करना, जो बिना महज 19 साल के योगेश अभी बीएससी. ड्राईवर के ट्रैक्टर को चला सके। प्रथम वर्ष के छात्र हैं। योगेश के पिताजी गांव के पिताजी से 50 हजार रुपए लेकर योगेश खेतों की जुताई करने और अन्य कृषि कार्यों के ने अपना काम शुरू कर दिया। रिमोट मे लगने लिए ट्रैक्टर चलाते हैं। खेतों की बुआई के सीजन में वाले बहुत से पार्ट उन्होंने घर पर ही बनाए। इस रात-रात भर ट्रैक्टर चलाना पड़ता है, ताकि सबकी वर्ष जून में ही उन्होंने पिताजी को सैंपल मॉडल बुआई समय पर हो। बनाकर दिखा दिया इसी तरह फसलों की योगेश के गांव में बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर था। फिर अगले दो कुटाई के वक्त दिन- चलता देख लोग कौतुहल से भर गए। महीनों में उन्होंने पूरा रात ट्रैक्टर की सीट पर रिमोट बनाकर ट्रैक्टर उन्होंने अपने इस मॉडल का वीडियो ही गुजरते हैं। चला दिया। रिमोट योगेश बताते हैं, बनाकर यूट्यूब और व्हाट्सएप पर बनाते समय उन्होंने ‘ट्रैक्टर हमने लिया ध्यान रखा कि उसका डाला तो वायरल हो गया था, पर हमारा नहीं मॉडल ठीक वैसा ही था। 2004 में पिताजी ने मामा की जमीन गिरवी हो जैसा ट्रैक्टर में होता है। रखकर ट्रैक्टर लोन पर लिया था। जिसकी कीमत योगेश के गांव में बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर चुकाने के लिए दिन-रात जुटे रहते थे। पिताजी चलता देख लोग कौतूहल से भर गए। उन्होंने पिछले 30 साल से ट्रैक्टर चला रहे हैं, दिन रात अपने इस मॉडल का वीडियो बनाकर यूट्यूब और ट्रैक्टर की सीट पर बैठने से पेट दर्द की शिकायत व्हाट्सएप पर डाला तो वायरल हो गया। उसके हुई और डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी। पर बाद उनके पास कई किसान आए जिन्होंने इस पिताजी नहीं माने और वे ट्रैक्टर चलाते रहे, क्योंकि तकनीक को अपने ट्रैक्टर में लगाने की मांग योगेश घर की जरूरतें ऐसी थीं कि वे मजबूर थे।’ के सामने रखी।

कमाल का कूलर रिक्शा

मात्र एक हजार रुपए के खर्च से ऑटो रिक्शा के लिए बनाया देसी एयर कूलर ड्राइवर ने अपने जुगाड़ू इंजिंनियरिंग कौशल का इस्तेमाल करके अपने रिक्शा में देसी कूलर की व्यवस्था की है। मात्र एक हजार रुपए के खर्च से बनाए गए देसी एयर कूलर का यात्री बिना कोई अतिरिक्त किराया दिए आनंद उठा रहे हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं मुंबई के कल्याण रोड में रहने वाले इशाक शेख की। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह एक केमिकल कंपनी में काम करने लगा था। यहीं मजदूरी करते-करते वह कूलिंग टॉवर की मरम्मत करने लगा। बाद में कंपनी की नौकरी छोड़ 1988 में उसने ऑटो रिक्शा का परमिट ले लिया। परमिट मिलने

के बाद वह कल्याण से ठाणे रिक्शा चलाने लगा। इस बार गरमी की तीव्रता को लेकर उसके दिमाग में कई आइडिया आए। उसके लिए इशाक शेख ने ऑटो रिक्शा में पतरा और प्लास्टिक पाइप लगाकर स्पंज की सहायता से गरमी से निजात दिलाने का प्रयास शुरू कर दिया। उसका यह प्रयोग सफल रहा। रिक्शा में बैठने वाले यात्रियों के लिए उसने देसी एयर कूलर बना दिया था। रिक्शा के ऊपर उसने प्लास्टिक के तीन 'टी' आकार के एयर कूलर लगा दिए। पाइपों से होते हुए ठंडी होकर हवा नीचे रिक्शा में लगे कूलर-बक्से तक पहुंचती है, जिससे रिक्शा में बैठने वाले

यात्रियों को कुदरती ठंडी हवा मिलती है। यात्रियों को यात्रा के दौरान यह उपकरण गरमी से राहत दिला रहा है। इसके लिए ऑटो रिक्शा में अलग से कोई ईंधन भी खर्च नहीं हो रहा। बिना बिजली, बिना गैस और बिना पेट्रोल चल रहा है इशाक भाई का कूलर रिक्शा।


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दिलचस्प

ऊर्जा का घर

चेन्नई में एक घर है, जो एकत्रित करता है वर्षा का जल और उत्पादित करता है सौर ऊर्जा, आर्गेनिक भोजन और बायोगैस

चे

एसएसबी ब्यूरो

न्नई के किलपाक इलाके में 17 वासु स्ट्रीट पर एक पूर्ण नियोजित घर स्थित है। सौर ऊर्जा से भरपूर इस घर में अपनी बायोगैस इकाई, जलसंचयन इकाई और खुद का किचन गार्डन है। इस घर की प्रसिद्धि इन अनूठे तरीकों को विकसित करने वाले इसके मालिक के कारण है। अपने दोस्तों व परिवार के बीच प्रेम से ‘सोलर सुरेश’ के नाम से पुकारे जाने वाले डॅा. सुरेश किसी और पर निर्भर हुए बिना एक आत्मनिर्भर और आरामदायक जिंदगी जीने में विश्वास करते हैं। आईआईएम-अहमदाबाद और आईआईटी-मद्रास से स्नातक डॅा.सुरेश ने टेक्सटाइल कंपनी में एक मार्केटिंग एक्सीक्यूटिव के रूप में काम किया और उस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर के पद तक पहुंचे। इस समय वह एक कंपनी के जनरल मैनेजर हैं। वह अपने दिन की शुरुआत बायोगैस चालित स्टोव पर बनी कॅाफी से करते है। उनके घर में सोलर प्लांट से उत्पादित ऊर्जा द्वारा चलने वाले पंखों का प्रयोग किया जाता है। उनके घर में दोपहर और रात के भोजन में उन आर्गेनिक सब्जियों का प्रयोग किया जाता है, जो उनकी छत पर बने किचन गार्डेन में उगाई जाती है। यह पूछने पर कि सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादित करने का खयाल उन्हें कैसे आया, वे बताते हैं कि यह विचार उन्हें तब आया जब वह जर्मनी घूमने गए थे। उनके ही शब्दों में, ‘मैंने देखा कि वहां लोगों के घरों की छतों पर सोलर प्लांट्स लगे हुए हैं, जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि उस देश में जहां सूर्य की रोशनी इतनी कम है, यह सोलर प्लांट्स इतने कारगर हैं, तो भारत में क्यों नहीं। खासतौर पर चेन्नई में, जहां सौर ऊर्जा भरपूर मात्रा में उपलब्ध है।’

जब वे भारत लौट कर आए तो उन्होंने इसी सोच पर आधारित एक आत्मनिर्भर घर बनाने ठानी। शुरू में सोलर प्लांट के निर्माण के लिए वह बड़ी कंपनियों के मालिकों से मिले, पर किसी ने भी इस छोटे प्रोजेक्ट के लिए कोई रूचि नहीं दिखाई, तब उन्होंने निश्चय किया कि वह स्थानीय विक्रेता से इस विषय में मदद लेंगे। उस स्थानीय विक्रेता ने डॅा. सुरेश के उत्साह को समझते हुए सौर ऊर्जा प्लांट विकसित करने में पूरी रुचि दिखाई। लगभग एक साल में दोनों ने मिलकर घर में प्रयोग हो सकने वाले एक किलोवाट के सोलर पावर प्लांट को तैयार कर लिया। अप्रैल 2015 में उन्होंने इस सोलर प्लांट की क्षमता बढ़ाते हुए तीन किलोवाट कर दी। इसके कार्यों के बारे में बताते हुए, वे कहते हैं, ‘इसमें अलग -अलग वायरिंग की आवश्यकता नहीं है और इसको लगाने में मात्र एक दिन का समय लगता है। रख-रखाव के लिए छह महीने में एक बार इसके पैनल्स को साफ करना होता है। इसके प्रयोग के लिए मैं दिन में बैटरी चार्ज कर लेता हूं, जो रात तक चलती है। चूंकि सोलर प्लांट सूर्य की अल्ट्रावॅायलेट किरणों पर निर्भर करता है, न कि ऊष्मा की तीव्रता पर, इसीलिए यह बरसात के मौसम में भी कार्य करता है।’ मैं स्वतंत्र घर में रहता हूं, जहां 11 पंखे, 25 लाइट्स, एक फ्रिज, कंप्यूटर, पानी की मोटर, टेलीविजन, मिक्सर-ग्राइंडर, ओवन, वाशिंग मशीन और एक एयर कंडीशनर है, जो सिर्फ सौर ऊर्जा के सहारे ही चलते है। सोलर प्लांट को बहुत -बहुत धन्यवाद कि मुझे पिछले चार सालों में एक मिनट के लिए भी बिजली कटौती का सामना नहीं करना पड़ा और दिनभर में 12 से 16 इकाई बिजली उत्पादित करके बिजली के खर्चे को भी बचाया।

अपने दोस्तों व परिवार के बीच प्रेम से ‘सोलर सुरेश’ के नाम से पुकारे जाने वाले डॅा. सुरेश किसी और पर निर्भर हुए बिना एक आत्मनिर्भर और आरामदायक जिंदगी जीने में विश्वास करते हैं

इसके अतिरिक्त डॅा. सुरेश के पास एक बायोगैस प्लांट, एक रेन-वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली और एक किचन गार्डन भी है। वह

छत के द्वारा बारिश का पानी एकत्रित करते हैं और आर्गेनिक फिल्टर प्लांट के द्वारा उसका शुद्धिकरण करते हैं। वर्गीकृत विज्ञापन


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दिलचस्प

एसी ऑटो

25 - 31 दिसंबर 2017

नारायण का ऑटो खास इसीलिए है, क्योंकि वह अपने ऑटो में पानी, एयर कंडीशन की सुविधा के अलावा प्राकृतिक अनुभव देने के लिए पौधे भी रखते हैं

एसएसबी ब्यूरो

हंगी गाड़ियों के दौर में ऑटो की सवारी का क्रेज पहले की तरह नहीं रहा। पर बात अगर बेंगलुरू के वी नारायण के ऑटो की करें, तो इसकी सवारी का तो लुत्फ ही कुछ और है। गर्मी के दिनों में अगर किसी को नारायण का ऑटो मिल जाए, फिर तो वह आदमी खुशकिस्मत ही समझिए। नारायण का ऑटो खास इसीलिए है, क्योंकि वह अपने ऑटो में पानी, एयर कंडीशन की सुविधा के अलावा प्राकृतिक अनुभव देने के लिए पौधे भी रखते हैं। इतना ही नहीं, नारायण अपने ऑटो में पौधे भी उगाते हैं। उन्होंने अपने ऑटो को एक तरह से छोटे गार्डन की तरह बना रखा है। नारायण बताते हैं कि बेंगलुरु के बारे में लोगों की राय अच्छी बने, इसीलिए उनके मन में अपने ऑटो को एक नया लुक और फील देने का आइडिया आया। शुरू में नारायण बस स्टाप पर पानी के कैन पहुंचाने का काम करते थे। फिर उन्होंने इसी तरह का कुछ काम अपने ऑटो में करना चाहा। शुरू में उन्होंने ड्राइवर सीट के पास पंखा रखना शुरू किया और छोटा सा बोर्ड लगाया जिस पर लिखा था कि यह एक एसी ऑटो है। लोग मुझे चिढ़ाकर पूछते थे कि इसमें क्या खास है? इस पर नारायण ने सोचा कि क्यों न ऑटो में ही पेड़ और छोटे पौधे लगाए जाएं जिससे एसी में भी कुदरती ठंडक का एहसास हो। वे बताते हैं, 'लोगों को यह आइडिया पसंद आया।’ आज आलम यह है कि बेंगलुरू में नारायण के इस अनोखे ऑटो के बारे में न सिर्फ सभी जानते हैं, बल्कि सभी इसकी सवारी के लिए लालायित भी रहते हैं।

चमड़ा-मुक्त जूते

पेशे से सीए रह चुकी देविका ने पशुओं के संरक्षण के लिए चमड़ा-मुक्त जूते बनाने की अनूठी पहल की है

शुओं के प्रति उनके प्रेम व पेटा स्वयंसेवी के रूप में काम करने से इन्हें और जागरूक और संवेदनशील जीवन जीने की प्रेरणा मिली। उन्होंने अपने जीवन जीने के तौर–तरीकों में बहुत बदलाव किए पर जब बात जूतों पर आई तो उनके पास कोई विकल्प नहीं था। देविका बताती हैं, ‘मुझे चमड़े के जूतों का विकल्प नहीं मिला। मैं लंदन में रहती थी, जहां सर्दियों में लेदर ही सर्वोत्तम विकल्प था। जब मैं भारत आई तो देखा कि बाजार में कई बड़े ब्रांड थे, जो चमड़े के जूते बनाते थे। पर जब चमड़े के अलावा कोई उत्पाद लेने जाओ तो उसकी गुणवत्ता संतोषजनक भी नहीं थी इस तरह से बाजार में दोनों उत्पादों के बीच एक बड़ी खाई थी।’ देविका ने सोचा कि न तो वो चमड़े के जूते पहनेंगी और न

ही निम्न गुणवत्ता के जूते पहन कर अपने पैरों को तकलीफ देंगी और फिर उन्होंने अपने खुद के जूते बनाने की ठानी। 2015 में देविका ने भारत में निर्मित अपना ब्रांड ‘केनाबीस’ बाजार में उतारा जो पेटा द्वारा अनुमोदित था। देविका के लिए यह सब करना आसान इसीलिए नहीं था, क्योंकि उन्हें डिजाइनिंग का कोई अनुभव नहीं था। एक सीए के रूप में प्रशिक्षित और ‘अर्नेस्ट एंड यंग, डेलॉयट’ जैसी बड़ी कंपनियों में काम का अनुभव रखने वाली देविका के लिए पेशे में यह 180 डिग्री का बदलाव आसान नहीं था। वह बताती हैं, ‘यह मेरे लिए एक बिना तैयारी के छलांग लगाने जैसा था। पर ‘केनाबीस’ जल्द ही अपने दो साल पूरे कर लेगा और इसे बाजार में मिल रही सफलता शानदार है।’

2017 में ‘केनाबीस’ के उत्पादों ने न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में लोगों का ध्यान खींचा है। केनाबीस महिलाओं के लिए लेदर के उपलब्ध विकल्पों जैसे जूट व केनवास के जूते बनाने में अपनी खासियत रखते हैं

2017 में ‘केनाबीस’ के उत्पादों ने न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में लोगों का ध्यान खींचा है। केनाबीस महिलाओं के लिए लेदर के उपलब्ध विकल्पों जैसे जूट व कैनवास के जूते बनाने में अपनी खासियत रखते हैं। जो बात इस ब्रांड को बाजार में उपलब्ध अन्य निर्माताओं से अलग करती है– वह है, गुणवत्ता और डिजाइन पर दिया जाने वाला खास ध्यान। देविका बताती हैं, ‘हमारे सभी उत्पाद फैशनेबल और टिकाऊ हैं। इन्हें बनाने में किसी जानवर के साथ अत्याचार नहीं होता। इन जूतों का हर हिस्सा कई परीक्षणों से गुजरता है। मैं खुद इन जूतों का इस्तेमाल करती हूं, जिससे मुझे इनकी गुणवत्ता का पता चल सके और हमारे ग्राहकों से मिलने वाली हर शिकायत व सुझाव का ध्यान

रखा जाता है।’ वह आगे बताती हैं, ‘हम बाजार में चल रहे ताजा ट्रेंड्स का भी ध्यान रखते हैं और हर दो महीने में कोई नया डिजाइन बाजार में उतारते हैं। देविका ने 22 डिजाइन के साथ शुरू किया था और आज देविका के ब्रांड में 60 डिजाइन है, जिसमें चमकदार रंग, प्रिंट्स व एम्ब्रोयडरी के डिजाइन शामिल है। देविका अपनी सोच और प्रयास में यहीं नहीं रूकी हैं। वह बताती हैं, ‘हमें अभी भी निर्माण में प्लास्टिक का उपयोग करना पड़ता है। मैं प्लास्टिक के विकल्पों को आजमाना पसंद करूंगी और अपने जूतों को पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल बनाऊंगी। वह रिसाइकिलिंग की अवधारणा पर भी कार्य कर रही हैं। उन्हीं के शब्दों में, ‘हम पुराने जूतो को नई डिजाइन में बदलना चाहते है। हम निर्माताओं से बात कर रहे हैं कि वे अपने खराब जूते हमें उपलब्ध कराएं। हम ग्राहकों को भी प्रोत्साहित करते हैं कि वे अपने पुराने जूते यहां लाएं।’


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दिलचस्प

बिना मिट्टी के खेती

कनिका ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है, जिसमें फसलें कहीं भी, कभी भी और बिना मिट्टी के भी उगाई जा सकती हैं

एसएसबी ब्यूरो

ह कहानी है कनिका आहूजा की, जिन्होंने एक घटना से प्रभावित होकर, अपनी बड़ी नौकरी छोड़ अपनी जिंदगी का मकसद बदल लिया और हरियाणा के बहादुरगढ़ के बच्चों के हालात बदलने में जुट गईं। कनिका इस कम्युनिटी में आधे दशक से रह रही हैं, इस दौरान उन्हें एहसास हुआ कि इस समस्या की जड़ खेती में है। अपने जीवन में आए इस बदलाव के कारण के बारे में वह बताती हैं, ‘कुछ साल पहले हरियाणा के बहादुरगढ़ स्लम स्कूल में मैंने मेडिकल कैंप लगाया था। मैं ये देखकर हैरान रह गई कि वहां हर बच्चा कुपोषण का शिकार है। मेरी साथी डॉक्टर ने बताया कि कम से कम 80 फीसदी ऐसे बच्चे हैं, जो अत्यधिक कुपोषण के शिकार हैं। यह मेरी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट था जहां मैंने महसूस किया कि मुझे इन बच्चों को इस समस्या से उबारने के लिए कोई न कोई रास्ता खोजना होगा।’ कनिका ने ‘क्लेवर बड’ की स्थापना की है, जो खेती करने के ऐसे तरीके पर काम करती है, जिससे न सिर्फ फसलों की गुणवत्ता अच्छी होती है, बल्कि फसलें कहीं भी,

कभी भी आसानी से उगाई जा सकती हैं और वो भी बिना कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग के। इतना ही नहीं फसलें बिना मिट्टी के भी उगाई जा सकती हैं। कनिका के माता-पिता ने एक कचरा प्रबंधन और पुनर्चक्रण संस्था की स्थापना की है। इसीलिए कनिका के लिए संस्टेनिबिलिटी की समस्या नहीं रही। कनिका ने अपने करियर की शुरुआत मार्केट रिसर्च से की, लेकिन बाद में सामाजिक सरोकारों में उन्हें अपना भविष्य नजर आने लगा। उन्होंने अपने माता-पिता की संस्था ज्वाइन की और काम करते करते अपनी संस्था शुरू कर दी। बहादुरगढ़ के स्लम एरिया के बच्चों में कुपोषण का व्यापक स्तर देखकर कनिका को अपना मकसद मिल गया और उन्होंने ऐसी पहल शुरू की, जिससे सबको फायदा होने वाला था। क्लेवर बड की पद्धति पॉली हाउस खेती और हाइड्रोपोनिक के साधारणीकरण पर आधारित है, जो सब्जियों की वृद्धि को अनुकूल बनाती है। सब्जियों के बीज बिना मिट्टी के बोये जाते हैं और उनके लिए जरूरी पोषक तत्व बाहर से प्रदान किए जाते हैं। इसका उद्देश्य किसानों को खुद ही ऐसे खेती करने की पद्धति प्रदान करना है, जिससे वे खुद हरी और पोषकयुक्त खेती कर

हरियाणा के बहादुरगढ़ के स्लम एरिया के बच्चों का कुपोषण देखकर कनिका को अपना मकसद मिल गया और उन्होंने ऐसी पहल शुरू की, जिससे सबको फायदा होने वाला था सकें जो कीटनाशकों से एकदम मुक्त है। इस पद्धति से किसान अपनी फसलें परंपरागत खेती से 3 से 5 गुना कम समय में उगा सकते हैं। फसलों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। कनिका कहती हैं, ‘मैं व्यक्तिगत रूप से हाइड्रोपोनिक तकनीक से प्रभावित हूं, क्योंकि इसमें देश में खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने की क्षमता है।’ क्लेवर बड अभी हरियाणा में पायलट

प्रोजेक्ट चलाने के साथ साथ उत्तर प्रदेश में नया प्रोजेक्ट शुरू कर रही है। शुरुआती तीन पाइलट प्रोजेक्ट बहादुरगढ़ में दो साल पहले सेट अप किए गए और तकनीक को जांचने और बेहतर करने की संभावनाओं को खोजा गया। कनिका इस समुदाय के स्लम एरिया में लोगों के बीच तकरीबन पिछले 5 सालों से रह रही हैं, जिससे उन्हें इस प्रोजेक्ट को सेट अप करने में मदद मिली।

बिन बिजली का कूलर

इको कूलर और कुछ नहीं एक ग्रिडनुमा व्यवस्था है, जो आधी कटी हुई प्लास्टिक की बोतलों से बनता है

एसएसबी ब्यूरो

ई से पहले ही देश के कई हिस्सों में पारा 46-45 डिग्री तक पहुंच गया है। देश में एक बड़ी आबादी के पास इस झुलसाती गर्मी से राहत पाने का कोई उपाय नहीं है, क्योंकि उसके पास न पंखा है, न कूलर। अगर है भी तो जहां यह आबादी

रहती है, उन इलाकों में बिजली या तो नहीं है या फिर उसका कोई भरोसा नहीं है। भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश से इस मुश्किल के एक दिलचस्प उपाय की खबर सामने आई है। यह उपाय है घर को ठंडा करने के लिए बनाया गया कूलर। इसे इको कूलर नाम दिया गया है। इस सस्ते और उपयोगी कूलर की सबसे खास बात यह है कि इसके लिए न तो बिजली की जरूरत

पड़ेगी और न पानी की। बांग्लादेश में ढूंढा गया गर्मी से निजात का यह उपाय भारत में भी काफी कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि पड़ोसी मुल्क की तरह भारत की भी शहरी झुग्गी बस्तियों और ग्रामीण इलाकों में भी कई लोग टिन की छत वाले घरों में रहते हैं। दोपहरी में तपती टीन की छतें गरमी में घर को किसी भट्टी की तरह गर्म कर देती हैं। इको कूलर ऐसे घरों के तापमान को सामान्य कर सकता है। दरअसल, इको कूलर और कुछ नहीं, एक ग्रिडनुमा व्यवस्था है जो आधी कटी हुई प्लास्टिक की बोतलों से बनता है। इस ग्रिड को

खिड़की पर फिट कर दिया जाता है। बोतल के चौड़े हिस्से से घुसने वाली गर्म हवा जब इसके संकरे हिस्से में पहुंचती है तो कंप्रेस हो जाती है और फिर यह दूसरे छोर से बाहर निकलती है तो थर्मोडायनेमिक्स के नियमों के मुताबिक थोड़ी ठंडी हो जाती है। यही ठंडी हवा कमरे में दाखिल होकर राहत पहुंचाने का काम करती है। इससे तापमान कम से कम पांच डिग्री तक कम हो जाता है। इको कूलर का मॉडल एक एडवरटाइजिंग एजेंसी ‘ग्रे बांग्लादेश’ और ढाका स्थित एक तकनीकी कंपनी ‘ग्रामीण इंटेल सोशल बिजनेस’ ने विकसित किया है।


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गौरव

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डूडल पर छाए भारतीय गूगल ने इस वर्ष भारत की कई अहम शख्सियतों को डूडल के जरिए याद किया

अपने छह दशक लंबे फिल्मी करियर में लगभग 50 फिल्मों को निर्देशित किया। दर्शकों के बीच खास पहचान बनाने वाले महान फिल्मकार वी. शांताराम 30 अक्टूबर 1990 को इस दुनिया से विदा हो गए।

अब्दुल देसनवी

एक नवंबर को गूगल का डूडल उर्दू स्क्रिप्ट की तरह से लिखा दिखा। इसके साथ ही काली अचकन पहने एक शख्स का स्केच भी था। दरअसल, गूगल ने अपना यह डूडल उर्दू लेखक और आलोचक अब्दुल कावी देसनवी को समर्पित किया था। देसनवी ने उर्दू में कई किताबें लिखी हैं। इनमें मौलाना आज़ाद, मिर्जा ग़ालिब और अल्लामा इक़बाल के ऊपर लिखी गई तलाश-ए-आज़ाद, मोतला-ए-खुतूत ग़ालिब और सात तहरीरें काफी प्रसिद्ध हैं।

कार्नेलिया सोराबजी

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गीता सिंह

017 में गूगल ने एशियाई मुल्कों में सबसे अधिक डूडल्स भारतीयों के बनाए हैं। इनमें कई ऐसी शख्सियतों के नाम शामिल हैं, जिनका भारतीय ज्ञान-विज्ञान और संस्कृति के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान तो रहा है, पर समय के साथ लोग उन्हें भूलते जा रहे हैं।

और कलाकार रंगनाथ कृष्णमणी ने गूगल के लिए सितारा देवी का रंगीन डूडल बनाया।

नूतन

होमी व्यार वाला

गूगल ने गुजरात के पारसी परिवार में पैदा हुई और पद्म विभूषण से सम्मानित भारत की पहली महिला फोटो जनर्लिस्ट होमी व्यार वाला को डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी। होमी को उनके 104वें जन्मदिन के मौके पर गूगल ने अपनी तरफ से यह सम्मान दिया। होमी ने बॉम्बे यूनिवर्सिटी और जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से अपनी पढ़ाई की। होमी ने अपने कैमरे के जरिए मुंबई को अलग नजरिए से दिखाना शुरू किया। उनकी तस्वीरें में मुंबई की जिंदगी की झलक दिखाई पड़ती थी। होमी व्यारवाला की फोटोग्राफी को राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली और 1942 में वह अपने परिवार के साथ ब्रिटिश सूचना सेवा में काम करने के लिए दिल्ली चली आई। यहां उन्होंने अपने कैमरे से हो ची मिन्ह, अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी जैसे नेताओं की तस्वीरें ली। 2012 में कैंसर की वजह से उनकी मौत हो गई और इस तरह एक शानदार फोटो जर्नलिस्ट इस दुनिया को अलविदा कर गई।

सितारा देवी

8 नवंबर, 2017 को गूगल ने कथक नृत्यांगना सितारा देवी की 97 वीं जयंती मनाई। सितारा देवी को रवींद्रनाथ टैगोर ने ‘नृत्य साम्राज्ञी’ की उपाधि दी थी। उनकी नृत्य नाटिकाओं ने आम लोगों के बीच कथक के प्रति रुचि को पुनर्जीवित किया। छह दशकों नृत्य साधना में सितारा देवी को कई सम्मान से नवाजा गया। प्रतिभाशाली चित्रकार

अपने जमाने की मशहूर और खूबसूरत अदाकारा नूतन को 4 जून को गूगल ने अपने डूडल में चार रेखाचित्रों के जरिए याद किया। इस तरह इस महान अभिनेत्री के 81वें जन्मदिन यादगार बन गया। नूतन अपने दौर की मशहूर अभिनेत्री शोभना समर्थ और निर्माता-निर्देशक कुमार सेन समर्थ की बड़ी बेटी थीं। नूतन ने फिल्मी दुनिया पर करीब चार दशक तक राज किया। इस दौरान उन्होंने 70 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्हें बेहतरीन आदकारी के लिए 5 बार फिल्मफेयर अवार्ड मिला। इनमें उनकी सीमा (1956), सुजाता (1959), बंदनी (1963), मिलन (1967) और मैं तुलसी तेरे आंगन की (1978) फिल्में शामिल हैं।

राजकुमार

कन्नड़ फिल्मों के सुपरस्टार राजकुमार की 88वीं जयंती पर डूडल के जरिए उन्हें याद किया। भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले अभिनेता और गायक राजकुमार का जन्म 24 अप्रैल 1929 को कर्नाटक में हुआ था। गूगल ने अपने डूडल में राजकुमार की बनाई पेटिंग को दर्शाया था। 200 से अधिक फिल्मों में काम करने वाले अभिनेता की आखिरी फिल्म वर्ष 2000 में आई ‘शब्दवेधी’ थी। अपने फिल्मी करियर में राजकुमार को पद्म भूषण एवं दादासाहेब फाल्के जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया था। उन्होंने 76 की उम्र में वर्ष 2006 में आखिरी सांस ली थी।

व्ही शांताराम

भारत के सिनेमा जगत के पितामह कहे जाने वाले व्ही शांताराम के 116वें जन्मदिवस पर गूगल ने एक खास डूडल बनाकर उनको समर्पित किया। शांताराम ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1921 में आई मूक फिल्म ‘सुरेख हरण’ से की थी। इस फिल्म में उन्हें बतौर अभिनेता काम करने का मौका मिला

अनसूया साराभाई

प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अनसूया साराभाई को उनकी 132वीं जयंती पर गूगल ने एक खास डूडल बनाकर उनको समर्पित किया। अनसूया ने मिल मजदूरों की दयनीय स्थिति देखने के बाद मजदूर आंदोलन में करने का फैसला किया। 1918 में उन्होंने हड़ताल में कपड़ा कामगारों को संगठित करने में मदद की और महीने भर चली इस हड़ताल में वह शामिल रहीं। 1920 में उन्होंने मजदूर महाजन संघ की स्थापना की, जो भारत के टेक्सटाइल श्रमिकों का सबसे पुराना संघ है।

था। वर्ष 1929 में उन्होंने प्रभात कपंनी फिल्मस की स्थापना की, प्रभात कंपनी के बैनर तले वी. शांतराम ने गोपाल कृष्णा, खूनी खंजर, रानी साहिबा और उदयकाल जैसी फिल्में निर्देशित की। शांताराम ने

भारत की पहली महिला बैरिस्टर कार्नेलिया सोराबजी को इस वर्ष 15 नवंबर को उनकी 151वीं जयंती पर गूगल ने याद किया। उन्होंने महिलाओं को कानूनी तौर पर जागरूक करने के साथ उनके लिए वकालत का पेशा खोलने के लिए लंबा पर सफल संघर्ष किया था। उनकी कोशिश के बाद ही भारत में 1924 में महिलाओं को वकालत से रोकने वाले कानून को शिथिल कर उनके लिए भी यह पेशा खोला गया था।

बेगम अख्तर

'मल्लिका-ए-गजल' कहलाने वाली बेगम अख्तर को उनकी 103वीं जयंती पर गूगल ने अपने डूडल के जरिए विशेष तौर पर याद किया। इस दिन डूडल में बेगम अख्तर हाथ में सितार पकड़े नजर आ रही थीं। जब भी लखनऊ में संगीत घराने की बात की जाए तो सुरों की मलिका बेगम अख्तर का नाम लिए बिना यह जिक्र अधूरा है. दादरा, ठुमरी और गजल में महारत हासिल करने वाली बेगम अख्तर ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ के अलावा ‘पद्म श्री’ से भी सम्मानित थीं। उन्हें मरणोपरांत ‘पद्म भूषण’ भी दिया गया था।

आशिमा चटर्जी

गूगल ने अपने डूडल के जरिए डॉ. आशिमा चटर्जी के 100वें जन्मदिन पर याद किया। रसायनशास्त्री चटर्जी को ऑर्गेनिक केमेस्ट्री और फाइटोमेडिसिन यानी पौधों की बीमारियों के विज्ञान में अहम योगदान के लिए जाना जाता है। वह पूरे भारत में साइंस में डॉक्टरेट बनने वाली पहली महिला थीं। उन्होंने एंटीएपिलेप्टिक यानी मिर्गी रोकने वाली दवा आयुष50 बनाई। साथ ही उन्होंने मलेरिया-रोधी दवाइयां भी बनाई। उन्होंने मेडिकल केमेस्ट्री, एनालिटिकल केमेस्ट्री और मेकानिस्टिक ऑर्गेनिक केमेस्ट्री में अपार सफलता हासिल की। उन्हें 1975 में भारत सरकार की ओर से पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। वह 1982 से 1990 तक राज्यसभा की सदस्य भी रहीं।


25 - 31 दिसंबर 2017

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खेले भी और जीते भी

भारतीय खेल प्रतिभाओं के लिए 2017 कई बड़ी उपलब्धियों से भरा रहा एसएसबी ब्यूरो

रत में खेलों का नया दौर शुरू हुआ है। दुनिया का सबसे युवा देश न सिर्फ जुनून के साथ खेल के मैदान में उतर रहा है, बल्कि उसे इसमें बड़ी कामयाबियां भी हासिल हो रही हैं। इस लिहाज से गुजरते वर्ष 2017 पर विचार करें तो यह साल भारत के लिए खेलों के लिहाज से शानदार रहा है। कई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने अपने दमखम का लोहा दुनिया से मनवाया है।

क्रिकेट

बैडमिंटन

2017 में किदांबी श्रीकांत ने कई मौकों पर यह बता दिया कि उनसे बेस्ट कोई नहीं है। इस वर्ष श्रीकांत ने रिकॉर्ड 5 सुपर सीरीज टूर्नामेंट के फाइनल में अपनी जगह पक्की करते हुए 4 टूर्नामेंट में खिताबी जीत दर्ज की। यही नहीं, श्रीकांत एक साल में 4 या उससे ज्यादा सुपर सीरीज में खिताब जीतने वाले विश्व के चौथे और भारत के पहले खिलाड़ी बने। यह वर्ष बैडमिंटन में पीवी सिंधू की शानदार उपलब्धियों के लिए भी याद किया जाएगा। सिंधू ने 22 साल की उम्र में कई खिताब अपने नाम किए। इसी वर्ष वह अपने करियर की सबसे

यह वर्ष भारतीय क्रिकेट टीम के लिए बेहद अच्छा रहा है। टीम इंडिया ने वर्ष 2017 में क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में बेहद शानदार प्रदर्शन किया है। इस वर्ष टेस्ट और टी-20 सीरीज में भारत को कोई टीम सीरीज नहीं हरा पाई। वनडे में भारत को आईसीसी चैंपियंस ट्राफी में अपने चिरप्रतिद्वंदी पाकिस्तान के विरुद्ध करारी हार झेलनी पड़ी।भारत ने जिस तरह इस वर्ष श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाते हुए द्विपक्षीय सीरीज अपने नाम की, उसका रोमांच क्रिकेट प्रेमी शायद ही कभी भूल पाएं। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली, रोहित शर्मा समेत कई खिलाड़ियों ने कई बड़े रिकॉर्ड इस वर्ष अपने नाम किए। बात अगर टीम इंडिया की महिला क्रिकेट टीम की करें तो टीम की कप्तान मिताली राज के लिए 2017 काफी अच्छा रहा। इसी साल उनकी अगुवाई में टीम वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची। मिताली के लिए 12 जुलाई 2017 का दिन बेहद खास रहा, क्योंकि इसी दिन वह वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा 6000 रन बनाने वाली विश्व की पहली महिला खिलाड़ी बनी। यही नहीं, मिताली के बेहतरीन प्रदर्शन के चलते बीबीसी ने उन्हें 2017 की सबसे प्रभावशाली 100 महिलाओं की लिस्ट में भी शामिल किया।

हॉकी

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खेल

पिछले साल के आखिर में जूनियर विश्व कप अपनी झोली में डालने वाली भारतीय हॉकी के लिए साल 2017 मिली जुली सफलता वाला रहा, जिसमें दो स्वर्ण और तीन कांस्य पदक भारत के नाम रहे। बड़े टूर्नामेंटों की सफल मेजबानी से भी अंतरराष्ट्रीय हॉकी में भारत का रुतबा बढ़ा। भारतीय सीनियर पुरूष टीम ने इस साल एशिया कप में पीला तमगा जीता, जबकि अजलन शाह कप और भुवनेश्वर में हुए हाकी विश्व लीग फाइनल में कांसे से संतोष करना पड़ा। महिला टीम ने 13 बरस बाद एशिया कप अपने नाम करके इतिहास रचा तो, जूनियर टीम के हिस्से जोहोर बाहरू कप का कांस्य पदक रहा।

ने एशियाई टीम स्नूकर चैंपियनशिप में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया। इस चैंपियनशिप में भारत ने पाकिस्तान को फाइनल मैच में 3-0 से मात दी थी।

वेट-लिफ्टिंग

2017 में साइखोम मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में गोल्ड मेडल जीता और इसी जीत के साथ उन्होंने नया वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया। वेटलिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत को पिछले 2 दशक से कोई पदक नहीं मिला था। ऐसे में चानू ने गोल्ड पदक जीता और वो ऐसा करने वाली पहली भारतीय भी बनी।

में न्यूजीलैंड के आकाश खुल्लर को चित कर सोने का तमगा हासिल किया। इस जीत के साथ सुशील ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर शानदार अंदाज में वापसी की। ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल (2014) में स्वर्ण जीतने के बाद यह उनका पहला पदक था। इस वर्ग में प्रवीण राणा ने कांस्य पदक जीतकर भारतीय दल को दोहरी खुशी मनाने का मौका दिया। इसी वर्ष वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेंनमेंट (डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूई) में हिस्सा लेने वाली कविता देवी पहली भारतीय महिला पहलवान बनी। कविता रिंग में सूट-सलवार और चुन्नी पहनकर उतरी। वहीं, स्मैकडाउन के पीपीवी बैकलैश में भारतीय मूल के सुपरस्टार रेसलर जिंदर महल ने इतिहास रच डाला। महल ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में रैंडी ऑर्टन को मात देते हुए खली के बाद डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूई में चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय रेसलर भी बने।

गोल्फ

भारतीय गोल्फर गगनजीत भुल्लर ने मकाऊ ओपन गोल्फ चैंपियनशिप जीतकर इस वर्ष देश का मान बढ़ाया। इसी के साथ उन्होंने अपना आठवां एशियाई टूर खिताब हासिल किया। भुल्लर ने दूसरी बार मकाऊ ओपन ट्रॉफी में अपना नाम दर्ज कराया। वह इससे पहले 2012 में इस खिताब को जीत चुके हैं। भुल्लर (64, 65, 74, 68) को 500,000 डॉलर राशि की इस प्रतियोगिता के अंतिम दिन रोकना मुश्किल था, उन्होंने अंतिम दिन तीन अंडर 68 का कार्ड खेला, जिससे उनका कुल स्कोर 13 अंडर 271 का रहा।

फुटबॉल

बे स ्ट र ैं कि ं ग , यानी दूसरे पायदान पर भी पहुंची। सिंधू कोरिया ओपन जीतने वाली भारत की पहली खिलाड़ी इसी साल बनी।

स्नूकर

32 साल के पंकज आडवाणी के लिए पिछले कई सालों की तरह 2017 भी बेहतरीन सालों में से एक रहा। दोहा में खेले गए आईबीएसएफ विश्व स्नूकर चैंपियनशिप में पंकज ने अपना 18वां विश्व खिताब जीता। जुलाई में पंकज की अगुवाई में ही भारत

कुश्ती

ओ लं पि क खेलों में दो बार के पदकधारी सुशील कुमार और रियो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में कॉमनवेल्थ कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किए। साक्षी ने न्यूजीलैंड की तायला तुअहिने फोर्ड को महिलाओं के फ्रीस्टाइल प्रतियोगिता के 62 किग्रा वर्ग के एकतरफा फाइनल मुकाबले में 13-2 से करारी शिकस्त देकर स्वर्ण जीता। अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में तीन साल के बाद वापसी कर रहे सुशील ने 74 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग

जैक्सन सिंह थानोजाम फीफा विश्व कप में देश के लिए पहला गोल करने वाले भारतीय खिलाड़ी बने। उन्होंने कोलंबिया के खिलाफ यह गोल किया। जैक्सन की खुशी हालांकि ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी, क्योंकि कोलंबिया ने अगले ही मिनट में गोल कर स्कोर 2-1 से बढ़त बना ली। जैकसन ने कहा, ‘फीफा विश्व कप में अपने देश के लिए गोल करना निश्चित रूप से अच्छा अहसास है, लेकिन अगर मैच जीत गए होते तो यह अच्छा होता।’

मुक्केबाजी

मैरी कॉम ने 48 किलोग्राम भार वर्ग में इस वर्ष एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर फिर एक बार अपने दमखम दुनिया को दिखाया। इस बड़ी जीत से पहले कहा जा रहा था कि मैरी का करियर अब ढलान पर है, लेकिन उन्होंने फिर अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया। मैरी कॉम ने 48 किलोग्राम भार वर्ग में एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में आठ नवंबर को गोल्ड मेडल जीता। इस खिताबी मुकाबले में मैरी कॉम ने उत्तर कोरिया की किम ह्यांग-मी को हराया।


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सिनेमा

25 - 31 दिसंबर 2017

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र्ष 2017 बॉलीवुड के लिए बदलावों से भरा रहा। जहां एक तरह इस साल कई बड़े स्टार्स की फिल्में फ्लॉप हुईं, वहीं छोटे बजट की फिल्मों ने कमाल कर दिया। माइंडलेस सिनेमा के साथ इस वर्ष कई ऐसी जबरदस्त कंटेंट वाली फिल्में आईं जिन्होंने 2017 को यादगार वर्ष बना दिया। इन्हीं फिल्मों से राजकुमार राव जैसे टैलेंटेड स्टार्स भी उभरकर आए। इन फिल्मों ने नॉन कॉमर्शियल फिल्मों को लेकर दर्शक को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। इसके साथ ही बॉलीवुड में ऐसी फिल्मों को नया नजरिया देने के साथ-साथ नया ट्रेंड भी स्थापित किया। इस ट्रेंड में बॉलीवुड के कमर्शियल फिल्मों के सुपरस्टार एक्टर अक्षय कुमार भी जुड़ते दिखे। छोटे बजट से तैयार की गई इन फिल्मों ने 2017 में वो कर दिखाया जिसमें बॉलीवुड

ममें से कइयों के लिए घर में टॉयलेट होना भले कोई बड़ी बात न लगती हो, लेकिन यह एक बड़ा मुद्दा है। आज भी हमारे देश में 58% भारतीय खुले में शौच के आदी हैं और यकीन मानिए वे ऐसा कर के खुश नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के

के कई सुपरस्टार्स फेल हो गए।

शुभ मंगल सावधान

एक तमिल फिल्म की रीमेक इस फिल्म

इस वर्ष कई ऐसी फिल्में आईं, जिसने कमाई और स्टार इमेज के बूते चलने वाले सिनेमा को एक सार्थक बदलाव की तरफ मोड़ा

तुम्हारी सुलु

सुरेश त्रिवेणी की इस फिल्म में एक एंबीशियस हाउस वाइफ की कहानी दिखाई गई है। इस फिल्म के साथ विद्या बालन ने एक बार

पहलुओं को छूती है।

मुक्ति भवन

यह इस साल की एक बेहद शानदार फिल्म रही। जिंदगी की उलझनों, मौत तक के सफर को लेकर बात करती यह फिल्म समीक्षकों द्वारा भी खासी सराही गई।

कड़वी हवा में शुभ मंगल सावधान ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया। पहली बार किसी फिल्म ने यौनिकता को लेकर मन:स्थितियों के बारे में बात की गई, जिसे आयुष्मान खुराना और भूमि पेडनेकर ने बखूबी निभाया।

महिला कथानकों वाली फिल्मों के जोर को बॉलीवुड में बढ़ाया।

करीब-करीब सिंगल

टॉयलेट: एक प्रेम कथा

स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरित निर्देशक श्री नारायण सिंह ने इस फिल्म के जरिए समाज को एक आईना दिखाने की कोशिश की गई है। अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर अभिनीत इस फिल्म के जरिए दिखाया गया है कि कैसे आज भी देश के कई हिस्सों में महिलाओं के साथ असंवेदनशील तरीके से पेश आया जाता है। खेतों और खुले में जाकर शौच करने की हमारी पुरानी आदत पर व्यंग्य करते हुए यह फिल्म बड़े ही दिलचस्प ढंग से फिल्माई गई है।

यह एक ऐसी कड़वी सच्चाई वाली फिल्म है, जो देखने में कड़वी है, लेकिन एक बहुत बड़ा सच है। ये फिल्म गरीबी और सूखे को लेकर ऐसे मुद्दों को उठाती है, जो वक्त की जरूरत है।

ए डेथ इन गंज

इरफान खान और मलयालम एक्ट्रेस पार्वती की इस फिल्म ने आज के समय में रियलिस्टिक रोमांस को बखूबी दिखाया गया है। यह नई युवा सोच को जाहिर करने वाली एक प्रायोगिक फिल्म रही।

न्यूटन

राजकुमार राव की यह फिल्म अपनी तरह की अलग फिल्म थी। नक्सलग्रस्त एक आदिवासी गांव में पहली बार वोटिंग पर बनी यह फिल्म बेहद दिलचस्प तरीके से कई

यह फिल्म बेशक इस साल की बेस्ट फिल्मों में से एक है। मनुष्य की सोच पर सवाल उठाती इस फिल्म से अभिनेत्री कोंकणा सेन ने बेहद शानदार तरीके से फिल्म निर्देशक के तौर पर अफनी पारी की शुरुआत की है।

ट्रैप्ड

यह राजकुमार राव की एक और शानदार फिल्म है। एक खाली बिल्डिंग के फ्लैट में फंसे लड़के पर आधारित इस थ्रिलर फिल्म को देखने के बाद आप भी अपनी जिंदगी की परेशानियों को देखने का नजरिया बदल देंगे।


25 - 31 दिसंबर 2017

आओ हंसें शिक्षक : किसी ऐसी जगह का नाम बताओ, जहां पर बहुत सारे लोग हों फिर भी तुम अकेला महसूस करो? छात्र : एग्जामिनेशन हॉल! शिक्षक उत्तर सुनकर बेहोश!

दुकानदार : मैंने आपको दुकान की एक-एक चप्पल दिखा दी, अब तो एक भी बाकी नहीं है। महिला : वो सामने वाले डिब्बे में क्या है? दुकानदार : बहन, रहम कर थोड़ा, उसमें मेरा लंच है

महत्वपूर्ण दिवस • 25 दिसंबर महामना मालवीय जयंती

ईसा मसीह जयंती / क्रिसमस - डे • 27 दिसंबर मिर्जा गालिब जयंती • 28 दिसंबर राजगोपालाचारी स्मृति दिवस • 29 दिसंबर सुमित्रानंदन पंत स्मृति दिवस, विश्व जैव विविधता दिवस

सु

जीवन मंत्र

डोकू -02

वक्त सबको मिलता है जिंदगी बदलने के लिए। पर जिंदगी दोबारा नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए।

रंग भरो

मुन्ना : क्या कर रेला है सर्किट ? सर्किट : भाई बल्ब पे पिता जी का नाम लिख रेला हूं। मुन्ना : क्यों! सर्किट : भाई, बाप का नाम रोशन करने का है ना भाई! एक हाथी तालाब के पानी में गया। वो अब कैसे बहार निकलेगा? अरे...! इतना भी नहीं पता। गीला होकर।

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इंद्रधनुष

सुडोकू का हल इस मेल आईडी पर भेजेंssbweekly@gmail.com या 9868807712 पर व्हॉट्सएप करें। एक लकी व‌िजते ा को 500 रुपए का नगद पुरस्कार द‌िया जाएगा। सुडोकू के हल के ल‌िए सुलभ स्वच्छ भारत का अगला अंक देख।ें

सुडोकू-01 का हल

मो. अफाक एन.एस.आई.टी, द्वारका, सेक्टर-3, नई दिल्ली

1- सफेद 2-काला 3-नारंगी 4-नीला 5- हल्का नीला

वर्ग पहेली - 02

सुडोकू 01 के लकी व‌िजते ा

बाएं से दाएं

1. सिरोही, किलहंट, गिलगिलिया, गुरसल 2. खेल, क्रीड़ा, विनोद, आमोद-प्रमोद 3. विभा, रश्मि, अंश,ु मयूख, ह्रद 4. श्यामा, कंकालिनी, चंडकाली, मुक्तकेशी, रेवती 6. पेड़ या छत आदि से लटकाई हुई रस्सियां आदि जिसमें तख्ता आदि बंधा रहता है और इसपर बैठकर झूलते हैं 7. अर्जुन, धनंजय, धनञ्जय, पार्थ, पाकशासनि, अनीलबाजी, सव्यसाची 9. कौड़िल्ला, कोरयल, क्षत्रक; जलाशय के आस-पास रहनेवाला एक मध्यम आकार का बड़े सिर और छोटी पूछ ं वाला पक्षी जो मछलियां आदि पकड़कर खाता है 10. बरुंडी में चलने वाली मुद्रा 12. किचकिच, खिटखिट 15. कोर, सिरा, छोर, उपांत 16. आवेश, उत्ज ते ना, आवेग, गुबार, गर्मी, जोश, 17. घटाटोप, घनघोर घटा 18. शिव, शंकर, महादेव का एक और नाम

ऊपर से नीचे

1. चप्पू, डांड़, पतवार, सुखान, बल्ला, 2. गोखरू, घट्ठा 3. दुर्ग, गढ़, कोट 4. मां दुर्गा का एक रूप जिनका शरीर अंधरे ी रात की तरह काला और बाल बिखरे हुए हैं 5. उड़ीसा का एक जिला जो अकाल और भुखमरी की वजह से समाचारों में आया. 6. असत्य, गलत 7. लहतोरा, मध्यम आकार का, बुलबुल के इतना बड़ा एक पक्षी 8. बढ़ई का एक औजार 10. मुकटु , ताज, सिरमौर 11. लालपंखी चातक, स्तोतक 13. रवांडा की राजधानी 14. टंकण, टाइपिंग, टाइप करना 15. लाओस में चलने वाली मुद्रा 16. सिर के बड़े-बड़े बालों का समूह 17. कास रोग, काश रोग, धंगा, खांसी


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गुड न्यूज

25 - 31 दिसंबर 2017

डाक पंजीयन नंबर-DL(W)10/2241/2017-19

स्वाद का वर्ष

भारतीय व्यंजनों की दुनिया में 2017 को स्वाद के लिए हमेशा याद किया जाएगा। इस साल तीन ऐसे अवसर आए, जब तीन भारतीय व्यंजन सुर्खियों में छाए

रसगुल्ले पर मीठी बहस

और पश्चिम बंगाल रसगुल्ले पर एक दिलचस्प बहस में उलझे रहे। रसगुल्ले का दोवर्षोंस्वादसेहैओडिशा ही इतना शानदार कि दोनों राज्य यह दावा कर रहा थे कि इस मिठाई का पहला स्वाद

उन्होंने ही चखा। यह उनकी सांस्कृतिक विरासत है। यह बहस तब तेज हुई जब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट करते हुए कहा कि बंगाल ने रसगुल्ला के लिए भौगोलिक संकेत यानी जीआइ टैग प्राप्त करते हुए एक मीठी जीत हासिल कर ली है। दरअसल बंगाल को जो जीआई का दर्जा मिला था वह बांग्लार रसगुल्ला के लिए था। यह रसगुल्ले का उत्कृष्ट बंगाली संस्करण है। अब ओडिशा जिस रसगुल्ले के लिए जीआई टैग प्राप्त करने की कोशिश रहा है, उसे जगन्नाथ रसगुल्ला कहा जाता है। बहरहाल इस बहस को दोनों राज्यों ने यह कह कर विराम दिया कि एक व्यंजन के विभिन्न अलगअलग संस्करण हो सकते हैं।

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चड़ी पर चर्चा तब श ोकप्रिय भोजन है। अ सकता है। लेकिन, क मीर ुरू ेंद् फूड इंडिया-2017 रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिम हुई, जब यह बात उठने लगी कि खिच से लेकर गरीब हर किसी की रसोई इव रत ड़ी रिकॉर्ड बनाने का प्रय ेंट में भारतीय व्यंजन के ब्रांड के रूप म कौर बादल ने ट्वीट कर स्पष्ट किया को राष्ट्रीय व्यंजन घोषित किया जा ें बढ़ावा दिया जाएगा कि इस भारतीय खाद्य ास करेंगे। । साथ ही मशहूर श पद इस अंतरराष्ट्रीय कार फ े संजीव कपूर खिचड़ी ार्थ को वर्ल्ड क्र ्य म में लाइव ऑडिय लेकिन जो रिकॉर्ड क क ो लेकर विश्व स ं क े सामने 80 पूर और उनकी टीम ने बनाया वह छोटी 0 किलो खिचड़ी पकाकर रिकार्ड बनाना बनाया। उपलब्धि नहीं थी। उ न्होंने 918 किलो खि कपूर और उनकी टीम का लक्ष्य था। यह आयोजन भारत चड़ी पकाते हुए नय क े लि ए एक गर्व का ा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड खिचड़ी पकाने की प्रक्रि या को अधिक रोचक क्षण था। इस मौके पर योग गुरु बाबा राम मिशनों के प्रमुखों औ ब र दिल्ली में रह रहे ब नाने के लिए अपना योगदान दिया। बनी देव से लेकर केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति हुई खिचड़ी को कार ेघर लोगों को परोसा ्यक्रम में आए दर्शकों, तक, सभी ने गया। भारत में विदेशी

सबसे बड़ा समोसा

मोसा किसे पसंद नहीं है? और अगर कोई कहता है कि वे दुनिया का सबसे बड़ा समोसा बना रहा है, तो कौन उसमें दिलचस्पी नहीं लेगा? हालांकि 153 किलो के सबसे बड़े समोसे का निर्माण भारत में नहीं हुआ। लेकिन यह तथ्य कम दिलचस्प नहीं है कि इस तरह की किसी उपलब्धि को पाने का प्रयास किया गया और हासिल भी किया गया। इस बड़े समोसे को पूर्वी लंदन मस्जिद में मुस्लिम स्वयं सहायता सेवकों की एक टीम ने बनाया। मस्जिद के सदस्यों ने बताया कि उन्होंने ईद के दौरान मुस्लिम लोगों की उदारता को दिखाने के लिए समोसा बनाने का फैसला किया। इस बड़े समोसे ने गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनाया, और इसे लंदन में व्हाइटचैपेल के आसपास बेघर लोगों के बीच वितरित किया गया। भले ही यह विशाल समोसा भारत में नहीं बनाया गया, लेकिन हमारे प्रिय समोसे का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल तो हुआ।

आरएनआई नंबर-DELHIN/2016/71597; संयुक्त पुलिस कमिश्नर (लाइसेंसिंग) दिल्ली नं.-एफ. 2 (एस- 45) प्रेस/ 2016 वर्ष 2, अंक - 2


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