व्यक्तित्व
08
स्त्री संघर्ष का घोषणापत्र
स्वच्छता
22 पुस्तक अंश
सुंदरता और स्वच्छता आधारभूत संरचना की द्वीपमाला का विस्तार
24 कही-अनकही
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एक्टिंग का स्कूल डाक पंजीयन नंबर-DL(W)10/2241/2017-19
आरएनआई नंबर-DELHIN/2016/71597
बदलते भारत का साप्ताहिक
sulabhswachhbharat.com
वर्ष-2 | अंक-32 | 23 - 29 जुलाई 2018
अब मिथिला में ‘सुलभ जल’
देश के शहरों में करीब 9.7 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता। गांवों में तो 70 फीसदी लोग प्रदूषित जल पीने को विवश है। ऐसे में स्वच्छता से आगे कदम बढ़ाते हुए सुलभ प्रणेता डॉ. विन्देश्वर पाठक सुलभ जल की किफायती तकनीक लेकर सामने आए हैं
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एसएसबी ब्यूरो
नव अस्तित्व के लिए पानी सबसे जरूरी है। लेकिन आज पूरी दुनिया में जल संकट धीरे-धीरे विकराल होता नजर आ रहा है। इस संकट की गंभीरता को इस रूप में भी समझा जा सकता है कि लोगों को अन्य कार्यों के लिए तो छोड़िए, पीने तक के लिए शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है। जल संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद स्थितियां विकट हैं। हमारे अपने देश में बिहार की बात करें तो यहां नदियों का जाल बिछा है। फिर भी वह जल-संकट की समस्या से जूझ रहा है।
खास तौर पर बिहार के पश्चिमी हिस्से में भू-जल स्तर धीरे-धीरे नीचे की ओर जाने लगा है। लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसने लगे हैं। राज्य का लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग लोगों को पानी उपलब्ध कराने में सफल नहीं हो पा रहा है। राज्य में कम से कम 20 जिले ऐसे हैं, जो कम वर्षा की वजह से बीते एक दशक में कई बार सूखे की चपेट में आए हैं।
सुलभ की बड़ी पहल
ऐसे में बिहार के लोगों के लिए शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की बड़ी पहल सुलभ संस्था की तरफ से की गई है। सुलभ प्रणेता ने हाल में ही डॉ. विन्देश्वर पाठक ने प्रदेश के दरभंगा जिले में पेयजल समस्या का समाधान