सुलभ स्वच्छ भारत - वर्ष-2 - (अंक 25)

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विचार

03 सम्मान

प्रकृति की तरह करें सबकी परवाह

समाज सेवा के लिए दिया अपना जीवन

06

व्यक्तित्व

डाक पंजीयन नंबर-DL(W)10/2241/2017-19

20

असमानता के खिलाफ निर्भीक आवाज

कही-अनकही

29

उसूलों के पक्के दत्त साहब

sulabhswachhbharat.com

वर्ष-2 | अंक-25 | 04 - 10 जून 2018

आरएनआई नंबर-DELHIN/2016/71597

बड़ी चुनौती, बढ़ी चेतना विश्व पर्यावरण दिवस 2018

पर्यावरण संकट से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर व्यापक सहमति और साझी कार्यनीति तय करने को लेकर भले कई समस्याएं रही हों, पर इस दौरान भारत सहित दुनिया के कई देशों ने सकारात्मक कदम भी उठाए हैं

प्रियंका तिवारी

र्यावरण को लेकर चुनौती का अहसास आज हर देश को है। यही कारण है कि इस बारे में वैश्विक स्तर पर व्यापक सहमति और साझी कार्यनीति तय करने को लेकर भले ही कई समस्याएं रही हों, पर इस दौरान दुनिया भर में सरकारों और संस्थाओं की तरफ से कई सकारात्मक कदम भी उठाए गए हैं, जो न सिर्फ समाधानकारी हैं, बल्कि यह उम्मीद भी जगाते हैं कि पर्यावरण को लेकर भविष्य में संकट का क्षेत्रफल घटेगा न कि बढ़ेगा। भारत सहित कई देशों में इस तरह की पहल को अंतरराष्ट्रीय सराहना मिल चुकी है। भारत के लिए वैसे भी पर्यावरण की समस्या ज्यादा चिंताजनक है। इस वर्ष के आरंभ में जारी वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में भारत आखिरी पांच देशों में शामिल है और वह दो साल में 36 पायदान नीचे आया है। इसी तरह ग्रीनपीस के एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि स्वच्छ वायु के मामले में 280 भारतीय शहरों में एक भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंडों पर खरा नहीं उतर सका।

शहरी प्रदूषण

दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 13 हमारे देश में हैं। अक्टूबर, 2017 में प्रकाशित लांसेट के शोध में जानकारी दी गई थी कि 2015 में 25 लाख लोगों को प्रदूषणजनित बीमारियों के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी थी। नदियों में प्रदूषण तथा वन क्षेत्र के घटते जाने की समस्या भी लंबे समय से मौजूद


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