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आवरण कथा
स्वच्छता
विशेष
जगमगा उठे देश के 9000 सुलभ शौचालय
विधवा विवाह को ऐतिहासिक समर्थन
पीएम मोदी का स्वच्छता संवाद
डाक पंजीयन नंबर-DL(W)10/2241/2017-19
आरएनआई नंबर-DELHIN/2016/71597
बदलते भारत का साप्ताहिक
‘
वर्ष-2 | अंक-41 |24 - 30 सितंबर 2018
‘सुलभ स्वच्छता दीप’ से रौशन हुआ देश
अयोध्या प्रसाद सिंह
स्वच्छता, राजनीतिक स्वतंत्रता से अधिक महत्त्वपूर्ण है।’ महात्मा गांधी का यह कथन हमारे समाज में स्वच्छता के गूढ़ महत्व को दर्शाता है और यह बताता है कि स्वच्छता का दर्शन मानव जीवन का सबसे मूल और महत्वपूर्ण पहलू
होना चाहिए। गांधी के इसी कथन को अपनी साधना का सच्चा मंत्र बनाते हुए डॉ. विन्देश्वर पाठक और सुलभ संस्था हमेशा से कार्य करती रही है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब 15 सितंबर से 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती तक स्वच्छता पखवाड़ा मनाने का आह्वान करते हुए ‘स्वच्छता ही सेवा है’ का नारा दिया तो सुलभ परिवार भी
पूरी तन्मयता से इसे सफल बनाने में जुट गया। डॉ. विन्देश्वर पाठक और हजारों की तादाद में सुलभ परिवार के सदस्यों ने दिल्ली की सड़कों पर साफ-सफाई की और स्वच्छता का नारा लगाते हुए रैली निकाली। डॉ. पाठक ने स्वयं पैदल चलकर सफाई करते हुए स्वच्छता अभियान की अगुवाई की। इस मौके पर सबसे अद्भुत नजारा यह था कि
‘स्वच्छ भारत’ मिशन के तहत शुरू किए गए स्वच्छता पखवाड़ा ‘स्वच्छता ही सेवा है’ के पहले दिन सुलभ इंटरनेशनल के स्वच्छाग्रहियों ने सुलभ प्रणेता डॉ. विन्देश्वर पाठक के प्रेरक नेतृत्व में पूरे देश भर में भागीदारी की और ‘सुलभ स्वच्छता दीप’ अभियान शुरू किया
डॉ. पाठक के साथ भगवा वस्त्र धारण किए हुए ब्राह्मणों ने भी कंधे से कंधा मिलाते हुए सड़कों पर झाड़ू लगाई और सफाई की। इस तरह झाड़ू लेकर सफाई करने का काम किसी वर्ग विशेष का है, यह धारणा भी सुलभ के इस पहल से टूट गई और लोगों को भरोसा मिला कि देश जल्द स्वच्छ होकर विकसित राष्ट्रों की कतार में खड़ा होगा।
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आवरण कथा
स्वच्छता हमारी सभ्यता में निहित है
इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सुलभ प्रणेता डॉ. पाठक ने कहा कि हमारी संस्कृति और सभ्यता में स्वच्छता बहुत पहले से समाहित थी। उन्होंने बताया कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा काल में स्वच्छता की व्यवस्था को लेकर आज भी मिसाल दी जाती है। लेकिन उसके बाद वैदिक काल के दौर में चीजें गलत होनी शुरू हो गईं, जब साफ-सफाई का भार समाज के एक तबके पर डाल दिया गया। उसके बाद पूरा समाज गंदगी करता था और उसे साफ करने के लिए समाज का सिर्फ एक छोटा सा वर्ग था, जिसे अछूत समझा जाने लगा। इसीलिए गंदगी बढ़ती गई और हमारे देश को स्वच्छता आंदोलन की जरुरत पड़ने लगी। उन्होंने कहा कि देश में जातिगत विभाजन की वजह से राष्ट्र का बहुत नुकसान हुआ है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी की तरह ही स्वच्छता को गले से लगाकर देश
खास बातें 15 सितंबर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता पखवाड़ा मनाया जा रहा है ‘स्वच्छता ही सेवा है’ अभियान के तहत देशभर में स्वच्छता मार्च सुलभ प्रणेता डॉ. पाठक ने स्वच्छता को जातिगत भावना से ऊपर बताया
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‘सुलभ स्वच्छता दीप जलाएं, लक्ष्मी जी को घर में लाएं’ और ‘गंदगी असत्य है, स्वच्छता सत्य है’ जैसे नारों ने सुलभ स्वच्छता दीप अभियान को प्रतीकात्मक संदेश से आगे आकर्षण का केंद्र बनाकर व्यवहारिक रूप दे दिया को स्वच्छ बनाने के साथ जातिगत खाई भी मिटा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने दिवाली, ईद और होली की तरह ही 15 सितंबर से 2 अक्टूबर तक पूरे पखवाड़े में स्वच्छता दिवस मनाने का आग्रह किया है।
ली कुआन यू और सिंगापुर से हमें सीखना है डॉ. पाठक ने सिंगापुर का उदहारण देते हुए कहा
कि मैं यह कहानी बार-बार बताता हूं क्योंकि इससे हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। साल 1965 में जब ली कुआन यू सिंगापुर के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपने सलाहकार अल्बर्ट विन्सिमियस से पूछा कि सिंगापुर को कैसे विकसित किया जाए? विन्सिमियस ने देश के तेज विकास के लिए 5 सूत्र सुझाए। पहला-अंग्रेजी राष्ट्रीय भाषा होनी चाहिए,दूसरा-चूंकि सिंगापुर एक छोटा देश है और
औद्योगीकरण करना आसान नहीं है, इसीलिए इसे विपणन अर्थात मार्केटिंग का सहारा लेना होगा। तीसरा सूत्र था-यहां के नागरिकों की बुरी आदत गंदगी करने की, लोग की यहां-वहां थूकने की बुरी आदत है और अगर हम सिंगापुर विकसित करना चाहते हैं तो स्वच्छता सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। विन्सिमियस की तीसरी सलाह पर सिंगापुर में बहुत काम हुआ और जल्द ही यह सबसे स्वच्छ राष्ट्रों में से एक बन गया, जहां अब किसी भी तरह की गंदगी करने पर 500 डॉलर का जुर्माना देना होता है। इसका असर यह हुआ कि 1965 में सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आमदनी 400 डॉलर थी, लेकिन 1990 में यह बढ़कर 12000 डॉलर हो गई। स्वच्छता और विकास का सीधा संबंध यहां देखा जा सकता है। सिर्फ 25 वर्षों के अंदर सिंगापुर विकसित राष्ट्र बन गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसी तरह स्वच्छता और साफ-सफाई के बुनियादी सिद्धांतों को अपनाते हुए स्वच्छ भारत के लिए विशेष कार्य किए हैं। मोदी जी एक ऐसे भारत की कल्पना करते हैं जो सिंगापुर की तरह ही स्वच्छ, स्वस्थ और विकसित राष्ट्र हो।
स्वच्छता का काम अब सम्मान की बात सुलभ संस्था के अध्यक्ष एसपी सिंह ने इस मौके
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आवरण कथा
पीएम मोदी का सुलभ संस्थापक के नाम संदेश
‘स्वच्छता ही सेवा है’ जन आंदोलन में सुलभ की भागीदारी को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करके सुलभ के कार्य को रेखांकित किया। उन्होंने लिखा -
‘विन्देश्वर जी, आपकी ऊर्जा और उत्साह असाधारण है। शौचालय और स्वच्छता से संबंधित अन्य गतिविधियों को आगे बढ़ाने में आपके कार्य बहुत बड़े और बेहतर हैं। ‘स्वच्छता ही सेवा है’ आंदोलन' में शामिल होने के लिए धन्यवाद।’
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‘सुलभ स्वच्छता दीप’
लभ ने स्वच्छता पखवाड़ा के पहले दिन स्वच्छता रैली के साथ-साथ एक काम और शुरू किया और उसे नाम दिया – सुलभ स्वच्छता दीप। सुलभ के दिल्ली स्थित प्रांगण में शाम के समय हजारों दीए जलाए गए, जिससे पूरा वातावरण सुशोभित हो गया और ऐसा लग रहा था जैसे स्वच्छता की रोशनी हर घर में पहुंच रही हो। इसके साथ ही पूरे देश में 551 जिलों के 1800 कस्बों में स्थित सुलभ की सभी शाखाओं में भी सफाई के साथ सुलभ स्वच्छता दीप जलाए गए। साथ ही सुलभ परिवार में काम कर रहे 60 हजार से अधिक लोगों से भी कहा गया कि वह अपने गांव और शहर में प्रधानमंत्री का स्वच्छता संदेश पहुंचाएं और दीए जलाएं। ‘सुलभ स्वच्छता दीप जलाएं, लक्ष्मी जी को घर में लाएं’ और ‘गंदगी असत्य है, स्वच्छता सत्य है’ जैसे नारों ने सुलभ स्वच्छता दीप अभियान को इसे प्रतीकात्मक संदेश से आगे आकर्षण का केंद्र बनाकर व्यवहारिक रूप दे दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता और साफ-सफाई के बुनियादी सिद्धांतों को अपनाते हुए स्वच्छ भारत के लिए विशेष कार्य किए हैं। मोदी जी एक ऐसे भारत की कल्पना करते हैं जो सिंगापुर की तरह ही स्वच्छ, स्वस्थ और विकसित राष्ट्र हो- डॉ. पाठक पर कहा कि प्रतीकात्मक चीजें अक्सर बड़ा रोल निभाती हैं। शायद इसीलिए डॉ. पाठक हमारे लिए सबसे बड़े आदर्श के प्रतीक हैं, क्योंकि वह 50 वषों से अनवरत मानव कल्याण के लिए काम कर रहे हैं। समाज को जोड़ने में और बुराइयों को दूर करने में उनके योगदान को पूरी दुनिया पहचानती है। डॉ. पाठक स्वच्छता के सबसे बड़े प्रतीक बन चुके हैं। सिंह ने कहा कि देश में एक ऐसा भी वक्त था, जब लोग स्वच्छता के लिए काम करने से पीछे हट जाते थे और सोचते थे कि शौचालय और स्वच्छता के लिए काम करने के बारे में अगर किसी को कुछ पता चला तो वह मजाक उड़ाएगा। लेकिन आज डॉ. पाठक और मोदी जी खुद स्वच्छता के अगुवा हैं और लोग सड़कों पर स्वच्छता के गीत सम्मान के साथ गाते हुए चलते हैं।
डॉ. पाठक ने दूसरों का भी मैला ढोया है इस अवसर पर ‘सुलभ इंडिया’ के संपादक
अवधेश शर्मा ने कहा कि मैंने किसी को कहते सुना था कि दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी अपना मैला खुद ढोते थे। लेकिन मैंने उनसे कहा कि आपने उन लोगों को नाम गिनाया है जो अपना मैला खुद ढोते थे, लेकिन आपको डॉ. पाठक का नाम भी पता होना चाहिए जो न सिर्फ खुद का, बल्कि दूसरों का मैला भी ढोते थे। उन्होंने कहा कि किसी बड़े काम के बारे में सोचना आसान है पर उसको वास्तविकता में परिवर्तित करने के लिए बहुत मेहनत और धैर्य चाहिए होता है। डॉ. पाठक ने सभी मुश्किलों से गुजरते हुए लोगों के कल्याण के लिए काम किए हैं और अब उनका अगला मिशन देश को स्वच्छ बनाने में अधिक से अधिक योगदान देना है। सुलभ के एक अन्य सदस्य अर्जुन प्रसाद सिंह ने कहा कि पाठक जी के अनवरत प्रयासों से स्वच्छता सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में आंदोलन का रूप ले चुका है। उनके किए गए कार्य, चाहे वह नवीन शौचालय तकनीक हो या खुले में शौच
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आवरण कथा
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‘स्वच्छता ही सेवा है’ मिशन कामयाब
मोदी का सपना और ‘स्वच्छता ही सेवा है’ अभियान
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धानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था कि हमें गंदगी और खुले में शौच के खिलाफ लड़ाई लड़नी है, हमें पुरानी आदतों को बदलना है और महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है। उन्होंने गांवों में महिलाओं की चिंता करते हुए विशेष रूप से कहा था कि खुले में शौच समाप्त होना चाहिए,
शौचालयों का निर्माण होना चाहिए और उनका उपयोग होना चाहिए। स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य 2 अक्तूबर, 2019 तक स्वच्छ और खुले में शौच से मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करना है। इसी प्रक्रिया में ‘स्वच्छता ही सेवा है’ एक जन-आंदोलन के रूप में पीएम मोदी द्वारा शुरू किया गया अभियान है जो 15 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा और इस पूरे दौर को स्वच्छता पखवाड़ा भी कहा गया है।
निसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक अच्छी स्वच्छता से हर परिवार कम से कम 50 हजार रुपए प्रति वर्ष बचा सकता है। मोदी सरकार इस बात को बहुत बेहतर तरीके से समझती है, इसीलिए उसने पिछले 4 सालों स्वच्छता को लेकर कई योजनाओं के माध्यम से काम किया है। 9 करोड़ से ज्यादा शौचालय बन चुके हैं और इनकी पहुंच 30 फीसदी से बढ़कर 90 फीसदी
इलाकों तक हो चुकी है। 20 राज्यों सहित 430 से अधिक जिले और साढ़े चार लाख गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। बचे हुए कार्य को सरकार इस एक साल में पूरा पूरा करके महात्मा गांधी की 150 वीं जन्म जयंती पर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘स्वच्छता ही सेवा है’ मिशन इसी प्रक्रिया का हिस्सा है।
सुलभ टीवी से बात करते हुए सुलभ स्कूल के बच्चों ने नारों के माध्यम से पूरे देश को स्वच्छता संदेश दिया। बच्चों का कहना था कि इस अभियान से हमें प्रेरणा मिलती है कि स्वच्छता हमारी जिंदगी का सबसे अभिन्न अंग है से मुक्ति का अभियान हो या अछूतों को समाज की मुख्यधारा में लाना हो या फिर विधवा माताओं की जिंदगी में खुशियों के रंग भरना हो, सभी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके हैं।
सफाई भी पुण्य का काम
इस मौके पर ब्राह्मणों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और सुलभ टीवी से बात करते हुए सभी ने एक सुर में कहा कि जातिगत भेदभाव की समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। कोई भी काम किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं होता, भले ही वह सफाई हो। सभी ने कहा कि हमने झाड़ू उठाकर यह संदेश दे दिया है कि देश की उन्नति के लिए हम सभी हर कार्य कर सकते हैं। सफाई एक ऐसा काम है जिसको करने में किसी को भी कोई शर्म या हीन भावना नहीं होनी चाहिए। सफाई को भी पुण्य का काम माना जाना चाहिए। जब देश स्वच्छ होगा, तभी स्वस्थ होगा।
‘चारों बातों से नाता जोड़ो, कहो गंदगी भारत छोड़ो’
सुलभ स्कूल के बच्चों ने भी खूब तन्मयता के साथ इस अभियान में भाग लिया। सुलभ टीवी से बात करते हुए बच्चों ने नारों के माध्यम से पूरे देश को स्वच्छता संदेश दिया। बच्चों का कहना था कि इस अभियान से हमें प्रेरणा मिलती है कि स्वच्छता हमारी जिंदगी का सबसे अभिन्न अंग है। हमें खुद के साथ दूसरों को भी स्वच्छता के लिए प्रेरित करना चाहिए। ‘स्वच्छ भारत का जन अभियान, जाग रहा है हिंदुस्तान’ और ‘चारों बातों से नाता जोड़ो, कहो गंदगी भारत छोड़ो’ जैसे नारों से बच्चों ने सभी को प्रेरित किया और स्वच्छ भारत के लिए बड़ा संदेश दिया।
संगीत का कार्यक्रम
‘स्वच्छता ही सेवा है’ अभियान के साथ शुरू हुए स्वच्छता पखवाड़े के पहले दिन शाम में दीप प्रज्ज्वलन के साथ-साथ सुलभ के प्रांगण में संगीत
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आवरण कथा
भारतीय स्कूल स्वच्छता में आगे
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च्छता पखवाड़े के इस शुभ मौके पर एक खुशखबरी भी आई। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने स्कूलों को स्वच्छ और आरोग्यकर बनाने में तेजी से प्रगति की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र बाल निधि
(यूनिसेफ) ने हाल ही में स्कूलों में जल, स्वच्छता और हाइजीन पर डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की संयुक्त रिपोर्ट प्रकाशित की है। 'पेयजल, स्वच्छता और विद्यालयों में हाइजीन: 2018 ग्लोबल बेसलाइन रपट' नाम की इस रिपोर्ट में, स्कूल में उपस्थिति को बढ़ावा देने
और स्वस्थ रूप से सीखने का माहौल प्रदान करने में जल, स्वच्छता और हाइजीन की सुविधाओं के महत्व पर प्रकाश डाला है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने स्कूलों में स्वच्छता की पहुंच बढ़ाने में तेजी से प्रगति की है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बिना किसी स्वच्छता
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सुविधा वाले स्कूलों की संख्या देश में तेजी से घटी है। 2000 से 2016 के बीच, भारत में बिना किसी स्वच्छता सुविधा वाले स्कूलों की संख्या, खुले में शौच के लिए जाने वाली जनसंख्या से भी तेजी से घटी है।
समारोह का भी आयोजन किया गया। मशहूर सूफी गायक नुसरत फतह अली खान की कव्वालियों को समारोह में उपस्थित गायकों ने अपने अंदाज में गाकर समां बांध दिया। ‘सांसो की माला पे सिमरु मैं पी का नाम’ और ‘तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी’ जैसे सूफी गानों ने लोगों को सम्मोहित कर दिया। डॉ. पाठक ने इस संगीत समारोह को ‘स्वच्छता ही सेवा है’ अभियान को समर्पित करते हुए कहा सभी लोग अपने खेत, खलिहान, गांव, कस्बा और शहर में स्वच्छता के दीप जलाएं और स्वच्छ भारत का संदेश पहुंचाए।
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आवरण कथा
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जगमगा उठे देश के
सुलभ शौचालय परिसर
15 सितंबर से आरंभ हुए ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान में सुलभ ने अनोखे और प्रेरक तरीके से अपनी भागीदारी निभाई। इस अवसर पर देशभर के सुलभ कार्यकर्ताओं ने न सिर्फ नगरों और कस्बों की सफाई की, बल्कि शाम ढलने पर पूरे शौचालय परिसर को दीपों से रौशन भी किया
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संजय त्रिपाठी, प्रमोद मक्कड़ एवं श्वेता राकेश
सितंबर, 2018 को देशभर में ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान चला, जिसमें सुलभ इंटरनेशनल ने अपना भरपूर योगदान दिया। दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों में स्थित सुलभ शौचालय परिसरों की तरफ से सफाई अभियान चलाया गया। कश्मीर से कन्याकुमारी तक के सभी सुलभ शौचालय दीपों की रोशनी से जगमगा रहे थे। शौचालयों के मुख्य द्वार पर स्वच्छता संदेश के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सुलभ संस्थापक डॉ. विन्देश्वर पाठक की तस्वीर वाले बैनर लगे थे।
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आवरण कथा
अंडमान निकोबार
डमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में कुल दो शौचालय हैं। इंचार्ज पीयूष कुमार ने बताया कि चाथम आरा मिल, पोर्ट ब्लेयर, गांधी की मूर्ति के आसपास भी 15 सुलभ अं कार्यकर्ताओं ने सफाई की कमान संभाली। उपराज्यपाल डी.के. जोशी ने भी सेलुलर जेल के
पास सफाई अभियान में अपनी भागीदारी दी। इसके अतिरिक्त काला पानी, मरीना पार्क, गांधी पार्क, कॉर्बीन्स कोव बीच, वांदूर बीच, मोहनपुरा बस स्टैंड पर भी सफाई की गई। शाम होते ही दोनों शौचालय पर दीप भी जलाया गया।
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हरियाणा
सितंबर, 2018 को हरियाणा के सभी 80 शौचालय दीप से जगमगा उठे। मुख्य रूप से पंचकुला, कालका, पिंजौर, अंबाला शहर के शौचालय को मंदिर की तरह सजाया गया था। इसके अलावा कुरूक्षेत्र के पीपली, हिसार, भिवानी के शौचालय भी पूरी रात जगमगाते रहे। सुलभ के डिप्टी कंट्रोलर प्रमोद सिंह ने बताया कि पंचकुला के सफाई अभियान में सुलभ के 60 कार्यकर्ताओं के साथ पंचकुला के विधायक ज्ञानचंद गुप्ता, हरियाणा रोडवेज के मुख्य प्रबंधक भवंरजीत सिंह ने भी सफाई अभियान में शामिल होकर शहर के लोगों से सफाई की अपील की। सार्थक स्कूल की प्रधानाचार्य अपने 250 बच्चों के साथ अभियान में शामिल हुईं अंबाला शहर के विधायक असीम गोयल के साथ स्थायी लोगों ने शहर की सफाई की। इस अवसर पर असीम गोयल ने कहा कि स्वच्छता शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। सुलभ ने स्वच्छता की जो नींव रखी है देश उसी पथ पर बढ़ रहा है।
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गुजरात
जरात के कुल 26 शहरों में सुलभ ने अपना सफाई अभियान चलाया। जिसमें 10 शहरों के स्कूली बच्चे भी शामिल हुए। गुजरात के कंट्रोलर सुनील कुमार सिंह ने बताया कि इस सफाई अभियान में हमारा फोकस शहर की झुग्गी बस्ती और सड़क पर था। हमारे इस अभियान में स्थानीय लोग, नगर निगम के मेयर और कर्मचारी के साथ स्थानीय विधायक भी शामिल हुए। शाम 6 बजे हुए राज्य के कुल 250 शौचालयों में दीप जलाए गए। पूजा अर्चना भी की गई।
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झारखंड
लभ के कंट्रोलर आनंद शेखर ने बताया कि झारखंड के कुल 22 जिलों में स्वच्छता का पर्व मनाया गया। 11 बजे हमारा सफाई अभियान शुरू हुआ। रांची के बिरसामुंडा बस स्टैंड, जमशेदपुर और हजारीबाग के बस स्टैंड पर विशेष रूप से हमने सफाई अभियान चलाया। हमारे इस अभियान में सुलभ पब्लिक स्कूल, रांची के बच्चे और शिक्षक भी शामिल हुए। बच्चों को इस अभियान में शामिल देख अन्य लोग भी अपना श्रमदान कर रहे थे। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी 350 शौचालयों में विधिवत सफाई के बाद शाम को वहां दीप जलाए गए। गणेश-लक्ष्मी की पूजा अर्चना की गई। प्रसाद बांटा गया।
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छत्तीसगढ़
लभ के कंट्रोलर संजीव कुमार कहते हैं, ‘हमारे पास कुल 565 शौचालय हैं। हमने 19 शहरों में सफाई अभियान चलाया है। इस अभियान में हमारे 900 कार्यकर्ता शामिल हुए। स्थानीय नागरिकों तथा स्कूली बच्चों की भी जबर्दस्त भागीदारी दिखी। लगभग 3,000 लोग हमारे साथ जुड़े। सफाई भी जमकर हुई और बाद में शाम 6 बजे से ही सारे शौचालय-परिसर में रोशनी की जगमगाहट भी।’ रायपुर के माटा गांव, सुभाष नगर, बस स्टैंड में सफाई की गई, वहीं विलासपुर में स्थानीय मेयर भी सुलभ के साथ सफाई अभियान में आगे आए। राजनांदगांव के सांसद अभिषेक सिंह ने भी इस अभियान में अपना योगदान दिया।
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जम्मू-कश्मीर
म्मू-कश्मीर की घाटियां भी स्वच्छता के दीप से जगमगा उठीं। सुलभ के जम्मू कश्मीर शाखा के नियंत्रक अनिल कुमार ने बताया कि राज्य के 178 शौचालयों में दीप प्रज्ज्वलित किया गया। हमने 9 जिले के 21 शहरों में सफाई अभियान चलाया। सुलभ के 500 कर्मचारियों के साथ-साथ स्थानीय लोग भी इस अभियान में शामिल हुए। शहरों के बस स्टैंड और सरकारी अस्पतालों में सफाई की गई। कठुआ सब्जी मंडी जहां बहुत ज्यादा गंदगी थी सुलभ के कार्यकर्ताओं और सब्जी मंडी विक्रेता ने मिलकर इसे साफ किया।
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असम
वाहाटी रेलवे स्टेशन, कामख्या रेलवे स्टेशन, आडा बाड़ी बस स्टैंड, एयरपोर्ट तथा तेजपुर यूनिवर्सिटी के आउटर पर ‘स्वच्छता ही सेवा’ कार्यक्रम को सुलभ के कार्यकर्ताओं ने सफल बनाने में अपनी पूरी भूमिका निभाई। नियंत्रक विमल मोहन झा बताते हैं, असम में सुलभ के सार्वजनिक तीन शौचालय हैं। हमारे कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों का भी सहयोग मिला। 11.30 बजे सफाई अभियान की शरुआत हुई। तीनों शौचालय-परिसरों में मिठाइयां भी बांटी गईं। यहां अंधेरा जल्दी होने की वजह से दीप जलाने का कार्यक्रम लगभग 6 बजे से ही शुरू कर दिया गया। इसके अलावा हमारे साथ सफाई अभियान में शामिल कामख्या रेलवे स्टेशन के मैनेजर प्रसन्नजीत दास, गुवाहाटी रेलवे के निदेशक विश्वेश्वर झा तथा एयरपोर्ट मैनेजर प्रवीण कुमार को स्थानीय परंपरानुसार गमछा पहनाकर सुलभ द्वारा सम्मानित भी किया गया।
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कर्नाटक
पने-अपने शौचालयों की सफाई के बाद कर्नाटक के सुलभ कार्यकर्ता अपने-अपने नगरों की सफाई के लिए निकल पड़े। कर्नाटक में सुलभ के नियंत्रक मलागे विश्वनाथ ने बताया कि राज्य के सभी 300 शौचालयों में स्वच्छता का दीप जलाकर हमने दीपावली मनाई। बंगलुरू में सुलभ कार्यकर्ताओं ने मैजेस्टिक बस स्टैंड नीमहसा सरकारी अस्पताल और बुल टेंपल की सफाई की। हमारे साथ इस अभियान में 40 स्कूल के बच्चे भी शामिल हुए।
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केरल
रल के 40 जिलों के 11 शहरों के सभी 35 शौचालय-परिसरों में तय समय में ठीक 6 बजे स्वच्छता के दीप जलाए गए। गणेश-लक्ष्मी की पूजा की गई। कंट्रोलर विमल कुमार झा ने बताया कि राज्य के 35 शौचालय-परिसरों में 11 त्रिवेंद्रम में ही हैं। मेरे नेतृत्व में सुलभ के 20 कार्यकर्ताओं ने कुच्चीवेली रेलवे स्टेशन का प्लेटफॉर्म, रेलवे स्टेशन और रेलवे की कार पार्किंग में भी सफाई की।
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हिमाचल प्रदेश
माचल प्रदेश के नियंत्रक विनय कुमार बताते हैं, ‘राज्य के 10 शहरों में सफाई का काम किया गया। कुल 208 शौचालय हमारे पास हैं। सुलभ के 500 कार्यकर्ताओं ने इस अभियान में हिस्सा लिया। अभियान की शुरुआत लगभग 11.30 बजे हुई। हिमाचल यूनिवर्सिटी, शिमला, नया बस अड्डा, शिमला, नाहन के त्रिलोकपुर मंदिर, रोहतांग दर्रा, मनाली, बिलासपुर बस अड्डा, मंडी बस अड्डा, धर्मशाला में चामुंडा देवी मंदिर, कायाकल्प अस्पताल, पालनपुर में सफाई की गई। भरमौर के विधायक जियालाल ने इस अभियान में शामिल होकर लोगों का उत्साह बढ़ाया। शाम होने पर ये सभी शौचालय दीपों की रोशनी से जगमगा उठे, जो इस कार्यक्रम का एक हिस्सा था।
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आवरण कथा
महाराष्ट्र
सितंबर को देशभर के सुलभ शौचालयों का नजारा जगमगाहट से रौशन हुआ। कंट्रोलर राम नरेश झा ने बताया कि सभी सुलभ कार्यकर्ताओं ने अपने शौचालयों के साथ-साथ अपनेअपने घरों में भी दीए जलाए। महाराष्ट्र में कुल 734 शौचालय हैं। सुलभ के 1750 कार्यकर्ताओं ने इस अभियान में हिस्सा लिया। मुंबई के ‘बी’ वार्ड के सहायक आयुक्त विवेक राही और सहायक अभियंता अजय राणे के नेतृत्व में सुलभ कार्यकर्ताओं ने सफाई अभियान की शुरुआत की। थाणे के विधायक निरंजन दावकड़े और संजय केलकर भी इस अभियान में शामिल हुए।
आंध्र प्रदेश
ध्र प्रदेश के 14 शहरों में ‘स्वच्छता ही सेवा’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसके तहत 20 स्थलों की सफाई की गई। सफाई अभियान में बड़ी संख्या में पुरुषों आं एवं महिलाओं के साथ बच्चों ने भी अपनी सक्रिय भीगीदारी निभाई। यह भागीदारी दर्शाती है
कि देश को स्वच्छ बनाने में सिर्फ सरकार और सुलभ ही नहीं, बल्कि देश की आम जनता भी साथ दे रही है। इस कार्यक्रम को और भी सफल बनाने में तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर हाई स्कूल ने भी अहम भूमिका निभाई। स्कूल के प्रधानाध्यापक वी. मुनि रत्नम नायडू ने बच्चों के लिए शिक्षकों के साथ मिलकर रैली एवं जागरूकता अभियान चलाया। बाद में बिस्किट वगैरह भी बच्चों में बांटे गए। कंट्रोलर पी.सी. गुप्ता ने बताया कि शाम में हमारे 68 शौचालय परिसरों में ‘सुलभ स्वच्छता दीप जलाएं,, लक्ष्मी जी को घर में लाएं’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
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त्रिपुरा
स्वच्छता ही सेवा 2018’ कार्यक्रम के अंतर्गत 15 सितंबर को सुलभ इंटरनेशनल की अगरतला शाखा के 100 से अधिक सुलभ कार्यकर्ताओं ने अपना सहयोग दिया। इस दौरान अगरतला में स्थित हरिजन कॉलोनी के स्कूल एवं पुलिस चौकी की सफाई की गई। शहर के लोगों ने सुलभ के कार्य की सराहना की। शाम के समय में 15 शौचालयों पर दीपक जलाकर दीपोत्सव मनाया गया।
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तमिलनाडु
स्वच्छता ही सेवा’ कार्यक्रम में सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की तमिलनाडु राज्य शाखा ने महती भूमिका निभाई। तमिलनाडु के 10 शहरों के महत्त्वपूर्ण स्थान जैसे एयरपोर्ट, बाजार, बस स्टैंड आदि पर सुलभ इंटरनेशनल के 200 से अधिक कार्यकर्ताओं ने सफाई अभियान में हिस्सा लिया। कार्यक्रम में रामनाथपुरम के जिलाधिकारी के. वीरा राघवन राव, आईएएस और एसपी ओम प्रकाश मीणा ने भी सहयोग दिया। शाम को शाखा कार्यालय एवं 10 शौचालय-परिसरों पर दीपक जलाकर दीपोत्सव मनाया गया।
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मध्य प्रदेश
सितंबर, 2018 ‘स्वच्छता ही सेवा’ के अवसर पर मध्य प्रदेश के 40 जिलों में स्वच्छता अभियान चलाया गया। इसमें सुलभ के करीब 3,000 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। सुलभ के कंट्रोलर अनिल कुमार झा ने बताया कि सफाई अभियान के तहत सुलभ कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने शहरों के बस स्टैंड, सब्जी मंडी, अस्पताल और सड़कों की सफाई की। राज्य के सभी 11,000 शौचालयों में विधिवत पूजा अर्चना की गई और स्वच्छता के दीप जलाए गए।
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आवरण कथा
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पश्चिम बंगाल
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स्वच्छता ही सेवा 2018’ कार्यक्रम में सुलभ की पश्चिम बंगाल शाखा के अंतर्गत प्रदेश के 11 जिलों और सिक्किम की राजधानी गंगटोक में सफाई अभियान चलाया गया, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के सुलभ नियंत्रक विजय कुमार झा ने बताया कि सुलभ के लगभग 450 कार्यकर्ताओं ने अपनी सहभागिता दी। कार्यक्रम के अंतर्गत आसनसोल में डीआरएम पी.के. मिश्रा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। 1000 से अधिक लोगों ने कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज करवाई। पी.के मिश्रा ने सुलभ इंटरनेशनल के कार्य और कार्यकर्ताओं की सराहना की।
ओडिशा
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स्वच्छता ही सेवा’ कार्यक्रम में अपनी सहभागिता देते हुए सुलभ इंटरनेशनल की ओडिशा शाखा ने भी अपनी महती भूमिका निभाई। ओडिशा राज्य शाखा के मानद कंट्रोलर विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि 15 सितंबर को प्रातः से ही कार्यक्रम की तैयारी थी और ओडिशा के 25 शहरों के बाजारों, बस स्टैंड पब्लिक पार्किंग आदि की सफाई में 80 से अधिक सुलभ कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर भुवनेश्वर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के मेयर अनंत नारायण जेना, डिप्टी मेयर के. मीनाक्षी, कॉरपोरेटर श्रीमती नायक ने इस सफाई अभियान में अभिन्न योगदान दिया।
राजस्थान
बिहार
बि
उत्तराखंड
पंजाब गोवा
पु
हार की धरती से ही 50 वर्ष पूर्व सुलभ आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जिसका उद्देश्य था स्वच्छता के प्रति जागरुकता का प्रसार करना और 15 सितंबर, 2018 को एक बार फिर यह जागरुकता दिखी, जब सुलभ की तरफ से बिहार के कुल 70 शौचालयों ने ‘स्वच्छता ही सेवा’ कार्यक्रम में अपनी भागीदारी निभाई। सुलभ के संस्थापक डॉ. विन्देश्वर पाठक की जन्म स्थली रामपुर बघेल में सफाई अभियान के तहत सुलभ के लगभग 200 कर्मचारियों के अलावा 2,000 नागरिक भी शामिल हुए। राजधानी पटना के गांधी मैदान में शौचालय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पटना नगर-निगम की मेयर सीता साहू भी मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि आम लोगों को सुलभ से सीख लेनी चाहिए। कार्यक्रम में ‘बालक उच्च विद्यालय’ तथा अन्य स्कूल के बच्चे भी शामिल हुए। कुल 25 शहरों में सफाई अभियान चलाया गया और सभी सुलभ-शौचालयों में दीप जलाए गए।
री के जिलाधिकारी ज्योति प्रकाश दास, आईएएस उद्धव चंद्र माझी, पुरी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के एक्जीक्यूटीव ऑफिसर श्रीकांत तुरई ने सुलभ इंटरनेशनल के कार्यों की सराहना करते हुए सुलभ के स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ इस सफाई कार्यक्रम में अपना योगदान दिया। शाम को शाखा कार्यालय एवं 255 शौचालय परिसरों पर दीपक जलाकर दीपोत्सव मनाया गया। इसके अलावा देश के राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और गोवा जैसे राज्यों में भी धूमधाम से स्वच्छता दिवस मनाया गया और सभी शौचालयों पर दीप जलाए गए।
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आवरण कथा
मोदी का जन्मदिन देश के लिए स्वच्छता और सेवा दिवस है
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स्वच्छता और शौचालय क्रांति का देश में अलख जगाने वाले सुलभ इंटरनेशनल ने भी नई दिल्ली के मावालंकर हाॅल में प्रधानमंत्री मोदी का 68 वां जन्मदिन ‘स्वच्छता दिवस’ और ‘सेवा दिवस’ के रूप में मनाया
खास बातें अयोध्या प्रसाद सिंह
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च्छ भारत अभियान के तहत नौ करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है, देश के 90 फीसदी इलाकों तक शौचालयों की सुविधा पहुंच चुकी है, 20 राज्य और साढ़े चार लाख गांवों को ‘खुले में शौच से मुक्त’ (ओडीएफ) घोषित किया जा चुका है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत ‘स्वच्छता ही सेवा है’ आज देश के आम लोगों की भागीदारी और जुनून के साथ एक बहुत प्रभावी मिशन बन चुका है।’ यह बातें सिर्फ आंकड़े भर नहीं हैं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले 4 सालों
प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन सुलभ ने स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया इस अवसर 568 किलो का शुद्ध देसी घी का लड्डू काटा गया केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर और मुख्तार अब्बास नकवी भी शामिल की कड़ी मेहनत का नतीजा है, शायद इसीलिए उनके जन्मदिन 17 सितंबर को पूरे देश में स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया गया। स्वच्छता और शौचालय क्रांति की देश में शुरुआत करने सुलभ इंटरनेशनल ने भी नई दिल्ली के मावालंकर हाॅल में प्रधानमंत्री मोदी
का 68 वां जन्मदिन ‘स्वच्छता दिवस’ और ‘सेवा दिवस’ के रूप में मनाया। इस उपलक्ष्य में सुलभ ने 568 किलो का लड्डू बनवाया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर और इस समारोह के अध्यक्ष केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सुलभ संस्थापक डॉ. विन्देश्वर पाठक के साथ लड्डू काटा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के जीवन और उनके अब तक के कार्यकाल पर आधारित एक प्रर्दशनी का भी आयोजन किया गया, जिसका अवलोकन केंद्रीय मंत्री सहित कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने बड़ी उत्सुकता के साथ किया। इस मौके पर ‘सृजनी संस्था’ की सावित्री देवी की बनाई गई अनूठी कलाकृतियों को भी सुलभ की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी को भेंट स्वरूप भेजा गया। इन कलाकृतियों में बाल कृष्णा और भगवान बुद्ध को
उकेरा गया है। साथ ही सुलभ ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक स्मृति चिन्ह भी मंत्री गण को भेंट किया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों और अन्य लोगों को डॉ. विन्देश्वर पाठक द्वारा लिखित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बायोग्राफी ‘मेकिंग ऑफ लीजेंड’ भी भेंट के रूप में दी गई।
मोदी ने स्वच्छता को आंदोलन बनाया
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए प्रसिद्ध कवि और पत्रकार सुरेश नीरव ने प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके स्वच्छता और स्वस्थ भारत के निर्माण में अहम योगदान को रेखांकित किया। गांधी के बाद स्वच्छता को आंदोलन बनाकर उसे गति देने का काम हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। डॉ. पाठक की 5 दशकों से अधिक सुलभ यात्रा पर
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आवरण कथा
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प्रकाश जावडेकर
मोदी जी ने लोगों की सोच बदली
प्रधानमंत्री खुद को प्रधान सेवक कहलाना पसंद करते हैं। इसीलिए उनके जन्मदिन को सेवा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है और वह खुद भी इस दिन यही कार्य कर रहे हैं
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धानमंत्री को बधाई देते हुए मुख्य अतिथि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री खुद को प्रधान सेवक कहलाना पसंद करते हैं। इसीलिए उनके जन्मदिन को सेवा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है और वह खुद भी इस दिन कार्य कर रहे हैं। इसीलिए 17 से 25 सितंबर, पूरा सप्ताह सेवा सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हर गरीब को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले, इसीलिए मोदी जी आयुष्मान भारत योजना लेकर आए हैं जो 23 सितंबर से शुरू होने जा रही है। मोदी सरकार इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को सालाना 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध करा रही है। लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों को इस स्कीम का लाभ मिलेगा। लेकिन लोगों को अस्पताल जाना ही न पड़े इसके लिए दो मंत्र हैं – पहला है योग और दूसरा स्वच्छता। इसीलिए देश को स्वच्छ बनाने पर सबका जोर होना चाहिए, क्योंकि उसी से बीमारियों से बचा जा सकता है। मोदी सरकार ने स्वच्छता को लेकर शुरुआत से ही प्रमुखता से काम किया है। पिछले 70 सालों में लोगों को विश्वास ही नहीं था कि पूरा देश स्वच्छ हो सकता
प्रकाश जावडेकर के ट्वीट
है और हर घर में शौचालय बन सकते हैं। जो शौचालय बनते भी थे, उनका उपयोग नहीं किया जाता था। लेकिन शौच के लिए सोच बदलने की भी जरूरत होती है और फिर लोग शौचालय का उपयोग करने लगते हैं। मोदी सरकार ने वही किया है। डॉ. पाठक की सुलभ यात्रा पर मंत्री जी ने कहा कि जब पाठक जी ने 70 के दशक में कार्य आरंभ किया था तब मैं कॉलेज में था और हमेशा सोचता था कि इतना बड़ा कार्य कोई कैसे कर रहा है, क्या कोई शौचालय के लिए भी पैसे देगा? लेकिन गरीब ने भी सुविधा को देखते हुए पैसे दिए, पहले 4 आने (25 पैसे) पड़ते थे अब 2 रुपए हैं, लेकिन लोग उपयोग कर रहे हैं। यह सुलभ का सबसे बड़ा और महान काम है।
90 फीसदी इलाकों तक शौचालय की सुविधा
मोदी सरकार के स्वच्छता के प्रति सजगता पर जावडेकर ने कहा कि पहले देश में शौचालय की पहुंच सिर्फ 30 फीसदी थी। लेकिन हमारी सरकार आने के बाद से इसमें बड़ा बदलाव आया है। पहले ही साल में जब सवा चार लाख स्कूलों
पुनर्वासित स्कैवेंजर्स ने भी प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने पीएम के एक स्वस्थ और लंबी उम्र के लिए दुआ की। इस शुभ अवसर पर उन्होंने अपनी सफलता की कहानियां भी सुनाईं
पीएम नरेन्द्र मोदी "स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत" के नारे के साथ काम कर रहे हैं। "स्वच्छ भारत अभियान" (स्वच्छता ही सेवा है) आज लोगों की भागीदारी और जुनून के साथ एक प्रभावी मिशन बन गया है। में बेटियों के लिए शौचालय बन गए। आज देश में 9 करोड़ से ज्यादा शौचालय बन चुके हैं और इनकी पहुंच 30 फीसदी से बढ़कर 90 फीसदी हो चुकी है। साथ ही साढ़े चार लाख गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। 20 राज्य खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। 430 से अधिक जिले खुलें में शौच से मुक्त हो चुके हैं। अब जो कार्य बचा हुआ है वह इस एक साल में पूरा करेंगे और महात्मा गांधी की 150 वीं जन्म जयंती जब देश मनाएगा तो हर घर में शौचालय होगा और पूरा देश स्वच्छ होगा। गांधी और मोदी के बीच के दौर में पाठक जी ने स्वच्छता के लिए अनन्य काम किए और देश को भरोसा देते रहे कि यह स्वच्छ हो सकता है। जैसे-जैसे स्वच्छता बढ़ रही है, डायरिया जैसी कई बीमारियां भी कम होती जा रही हैं। प्लास्टिक के इस्तेमाल पर उन्होंने कहा कि हर रोज देश में 6 से 7 हजार उन्होंने प्रकाश डालते हुए कहा कि तकनीक से इस दुनिया की अधिकतर समस्याओं को हल किया जा सकता है। पाठक जी ने ऐसी तकनीक निकाली कि मैला बचे ही न और जब मैला होगा ही नहीं तो उसे ढोने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। पूरे विश्व ने इनके आधुनिक और हमेशा के लिए प्रगतिशील रहने वाले
टन प्लास्टिक कचरा जमा होता है। यह कचरा नष्ट नहीं होता, इसीलिए अधिक हानिकारक है। मोदी सरकार इनके निपटान के लिए 2016 में 6 प्रकार के वेस्ट मैनेजमेंट नियम लेकर आई जिनमें प्लाटिक वेस्ट मैनेजमेंट, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट जैसे नियम प्रमुख हैं। स्वच्छता के लिए यह एक बड़ी पहल थी। इन्हीं नियमों को आधार बनाकर सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों से 2 महीने के अंदर कचरा प्रबंधन को लेकर उनकी नीतियों और प्लान के बारे में पूछा है। यही तरीका है, इन समस्याओं से निपटने का और स्वच्छता के इन आयामों को भी देखा जाना चाहिए। क्लीन इंडिया, ग्रीन इंडिया यही मोदी जी का सपना है। यह गांधी जी का मूल मंत्र था, विन्देश्वर जी ने इस पर काम किया और मोदी जी ने इसे आंदोलन का रूप दिया। स्वच्छ भारत, सफल भारत, मजबूत भारत...यही हमारा मंत्र है और रहेगा। कामों को देखते हुए डॉ. पाठक को उत्तरार्ध गांधी का विशेषण दिया है।
पुनर्वासित स्कैवंेजर्स ने भी दी बधाई
इस अवसर पर पुनर्वासित स्कैवेंजर्स ने भी प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने
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मुख्तार अब्बास नकवी
सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है स्वच्छता अभियान
शौचालय और सुलभ एक-दूसरे के पूरक बन चुके हैं। डॉ. पाठक ने सुलभ को पूरी दुनिया में एक ब्रांड बना दिया है
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धानमंत्री मोदी को जन्मदिन की बधाई देते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इसे स्वच्छता और सेवा दिवस बताया। उन्होंने सुलभ प्रणेता डॉ. पाठक को शौचालय क्रांति का जनक और अगुआ बताया। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण परिवार से होने के बाद भी इस दिशा में काम करना सच में बहुत सराहनीय है। आज 50 साल से जो व्यक्ति हर घर
और स्वच्छता पर मोदी जी इतनी बातें करते हैं, यह सब प्रधानमंत्री का काम नहीं हैं। लेकिन मोदी जी की सोच इन सबसे इतर थी, उन्होंने न सिर्फ अपने हाथों में झाड़ू उठा ली, बल्कि देश के हर व्यक्ति के हाथ में झाड़ू देते हुए खुद से ही सफाई की शुरुआत करने का आह्वान किया। यह सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि एक विश्वास है कि जब हम सब खुद से ही स्वच्छता की तरफ ध्यान देंगे तो देश अपने आप स्वच्छ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने आम जनता की जिंदगी सुलभ बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें से एक है लाल बत्ती का कल्चर खत्म करना। उन्होंने सभी मंत्रियों का रूतबा घटाते हुए लाल बत्ती हटवा दी। लोगों से जुड़ने के लिए मंत्रियों और अफसरों को जमीनी स्तर पर काम करने के लिए कहा। इसीलिए देश में हर वर्ग का व्यक्ति सफाई कार्य भी हाथ में झाड़ू लेकर खुद कर रहा है। एक रिफाॅर्म के रास्ते पर हमारे प्रधानमंत्री देश को लिए जा रहे हैं। मोदी जी ने न सिर्फ स्वच्छता को एक आंदोलन बनाया, बल्कि स्वास्थ्य को एक अनिवार्य हिस्सा बना दिया। सुलभ प्रणेता डॉ. पाठक की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि शौचालय और सुलभ एक-दूसरे के पूरक बन चुके हैं। आपने सुलभ को पूरी दुनिया में एक ब्रांड दिया है।
की शौचालय समस्या का समाधान दे रहा हो,वह इस योग्य है कि उसके सामने हम नतमस्तक हों। पाठक जी के अंदर स्वच्छता को लेकर जो जज्बा और जुनून है, उसी की वजह से आज सुलभ सिर्फ एक नाम नहीं क्रांति बन चुका है। 2014 में जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहले नारा दिया, ‘स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत’। उस वक्त हमारी खूब आलोचना भी हुई कि शौचालय
मुख्तार अब्बास नकवी के ट्वीट
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्मदिवस पर नई दिल्ली के मावालंकर हॉल में सुलभ इंटरनेशनल द्वारा आयोजित "स्वच्छता दिवस" कार्यक्रम में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर एवं सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक श्री विन्देश्वर पाठक के साथ शामिल हुआ। पीएम के एक स्वस्थ और लंबी उम्र के लिए दुआ की। इस शुभ अवसर पर उन्होंने अपनी सफलता की कहानियां भी सुनाईं, जिसमें सुलभ अंधेरे में एक रोशनी बनकर आया और सबकी जिंदगी बदल गया। सुलभ की बदौलत ये लोग मैला ढोना छोड़कर, आत्मसम्मान के साथ आत्मनिर्भर होकर जी रहे हैं। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से आई
इन महिला स्कैवेंजर्स की जिंदगी सुलभ संस्था की वजह से बदली और सुलभ के ट्रेनिंग सेंटर में काम करके ये महिलाएं बेहतर तरीके से जीवन यापन कर रही हैं। वहीं वृंदावन की विधवा माताएं और सुलभ से जुड़े कई अन्य लोगों ने भी आयोजन में प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की मुबारकबाद दी और उनके यशस्वी होने की कामना की।
उषा शर्मा, अलवर
राजस्थान के अलवर जिले की रहने वाली उषा शर्मा ने प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की बधाई देते हुए उषा चौमर से उषा शर्मा बनने की मार्मिक कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि 15 साल पहले वह मैला ढोया करती थीं, लेकिन 2003 में सुलभ अंतरराष्ट्रीय सामाजिक सेवा संगठन ने उन्हें मैला
ढोने की अमानवीय प्रथा से मुक्ति दिलाई। आज वो इसी संगठन में अध्यक्ष हैं और देश-विदेश के कई बड़े मंचों से लोगों को संबोधित कर चुकी हैं। अब वे कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर छूआछूत और महिला सशक्तीकरण जैसे मुद्दों को उठा रही हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने एक ही जीवन में दो जीवन जिए हैं। पहले कोई उनकी परछाई के नजदीक भी
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आवरण कथा
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डॉ. विन्देश्वर पाठक
आंबेडकर और गांधी का सपना हो रहा पूरा
स्वच्छता को लेकर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु से लेकर श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री अटल बिहारी वाजपेयी तक सबने काम किया। लेकिन मोदी जी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने स्वच्छता और शौचालय को गले से लगाया है
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लभ प्रणेता डॉ. विन्देश्वर पाठक ने अपने संबोधन में पीएम मोदी को बधाई दी और कहा कि स्वच्छता के क्षेत्र में सुलभ ने अनगिनत काम किए हैं। उन्होंने बताया कि जाति परंपरा के तहत समाज में जो बुराइयां थीं, उसको खत्म करने के लिए सुलभ ने कई प्रयास किए हैं। हमने लोगों को उनकी इच्छानुसार जाति चुनने का अवसर दिया और समाज ने इसे स्वीकार भी किया है। इसकी कल्पना शायद गांधी ने भी नहीं की होगी कि एक दिन मैला ढोने वाले ब्राह्मण बन जाएंगे। हमने जातिगत भेदभाव खत्म करते हुए आंबेडकर और गांधी का सपना पूरा किया है। उषा और पूजा जैसी न जाने कितनी महिलाएं जातिगत द्वेष और भेदभाव से बाहर निकलकर आज बेहतर जिंदगी जी रही हैं। उन्होंने कहा कि जब हम अपनी इच्छानुसार धर्म चुन सकते हैं तो जाति क्यों नहीं।
मोदी स्वच्छता क्रांति के सच्चे वाहक
डॉ. पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन सुलभ स्वच्छता दिवस के रूप में मना रहा है। स्वच्छता को लेकर भारत के पहले प्रधानमंत्री
पंडित जवाहर लाल नेहरु से लेकर श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री अटल बिहारी वाजपेयी तक सभी ने काम किया। लेकिन मोदी जी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने स्वच्छता और शौचालय को गले से लगाया है। स्वच्छता के क्षेत्र में क्रांति लाने में उनका सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने लाल किले की प्राचीर से स्वच्छता और शौचालय को लेकर देश को संबोधित किया। जिस तरह गांधी जहां जाते थे, वहां स्वच्छता और शौचालय की बात करते थे, उसी तरह मोदी जी जहां जाते हैं, स्वच्छता और शौचालय की बात करते हैं। इसी वजह से स्वच्छता को लेकर देश इतना जागरूक हुआ है। उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से भी शौचालय की चर्चा की, अपनी सभी विदेश यात्राओं में स्वच्छता और शौचालय की चर्चा को शामिल किया। 15 सितंबर से प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छता को लेकर विशेष आह्वान किया और पूरे देश में ‘स्वच्छता ही सेवा है’ कैंपेन के तहत सफाई अभियान शुरू हो गया। सुलभ परिवार ने भी इसमें बढ़चढ़कर भाग लिया। पूरे देश में 551 जिलों के 1800 कस्बों में स्थित हमारी शाखाओं के द्वारा
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सफाई अभियान चलाया गया और लोग झाड़ू लेकर सड़कों पर निकले। हमारे सभी 9 हजार सार्वजनिक शौचालयों के माध्यम से भी लोगों को स्वच्छता के लिए प्रेरित किया गया। हमने इस शुभ अभियान में ‘सुलभ स्वच्छता दीप’ जोड़ दिया और हर जगह दिए जलाए। साथ ही हमने सुलभ परिवार में काम कर रहे 60 हजार से अधिक लोगों से कहा है कि वह अपने गांव और शहर में प्रधानमंत्री का स्वच्छता संदेश पहुंचाएं और दिए जलाएं।
सिंगापुर की तरह पीएम मोदी कर रहे हैं काम
डॉ. पाठक ने सिंगापुर का उदहारण देते हुए कहा कि साल 1965 में जब ली कुआन यू, सिंगापुर के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपने सलाहकार अल्बर्ट विन्सिमियस से पूछा कि सिंगापुर को कैसे विकसित किया जाए? विन्सिमियस ने देश के तेज विकास के लिए 5 सूत्र सुझाए। पहला – अंग्रेजी राष्ट्रीय भाषा होनी चाहिए, दूसरा - चूंकि सिंगापुर एक छोटा देश है और औद्योगीकरण करना आसान नहीं है, इसीलिए इसे विपणन अर्थात मार्केटिंग का
सहारा लेना होगा। तीसरे सूत्र में उन्होंने बताया यहां के नागरिकों की बुरी आदत है गंदगी करने की, लोगों के अंदर यहां-वहां थूकने की बुरी आदत घर कर चुकी है और अगर हम सिंगापुर को विकसित बनाना चाहते हैं तो स्वच्छता सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। ली कुआन ने तीसरी सलाह पर सिंगापुर में बहुत काम किया और जल्द ही यह सबसे स्वच्छ राष्ट्रों में से एक बन गया, जहां अब किसी भी तरह की गंदगी करने पर 500 डॉलर का जुर्माना देना होता है। इसका असर यह हुआ कि 1965 में सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आमदनी 400 डॉलर थी, लेकिन 1990 में यह बढ़कर 12000 डॉलर हो गई। स्वच्छता और विकास का सीधा संबंध यहां देखा जा सकता है। सिर्फ 25 सालों के अंदर सिंगापुर के विकसित राष्ट्र बन गया। प्रधानमंत्री मोदी देश को उसी पथ पर लिए जा रहे हैं, स्वच्छता को लेकर उनकी क्रांति की वजह से देश जल्द ही विकसित राष्ट्रों की कतार में खड़ा होगा। प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की बधाई और हम हमेशा उनका जन्मदिन ऐसे ही मनाते रहेंगे।
प्रधानमंत्री पर बनी फिल्म देखकर भावुक हुए लोग
एम मोदी के जन्मदिन पर उनके बचपन से प्रेरित शॉर्ट फिल्म 'चलो जीते हैं' भी दिखाई गई। फिल्म में मोदी के प्रेरणादायक बचपन की कहानी को उकेरने की कोशिश की गई है। लगभग 32 मिनट की इस फिल्म में एक युवक 'नारू' का भावुक कर देने वाला चित्रण किया गया है। नारू स्वामी विवेकानंद के वाक्य 'वही जीते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं' से प्रभावित होता है। फिल्म देखकर सुलभ प्रणेता डॉ. विन्देश्वर पाठक सहित सभागार में उपस्थित सभी लोग भावुक हो गए। इस फिल्म को मंगेश हदवाले ने डायरेक्ट किया है। हदवाले ने बेहद लोकप्रिय मराठी फिल्म 'तिंज्ञा' (2008) बनाई थी, जिसको कई पुरस्कार मिले थे।
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आवरण कथा
प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर कई संस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। सितार, गिटार और तबले सहित कई वाद्य यंत्रों पर संगीतकारों की मनमोहक प्रस्तुति ने सबका दिल जीत लिया प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की बधाई देते हुए बेहद कम उम्र में ही अपने साथ घटी घृणित व्यथा के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वह मां के साथ मैला ढोने जाती थीं। मैला ढोने की वजह से कोई भी उनके साथ बैठना नहीं चाहता था और स्कूल की क्लास में उन्हें सबसे पीछे बैठना पड़ता था। उन्होंने कहा कि एक बार उनके एक शिक्षक ने कन्याभोज दिया, लेकिन साथ के बच्चों ने उसका बहिष्कार कर दिया और उसे कन्याभोज में शामिल नहीं किया गया। लेकिन साल 2008 में सुलभ की टीम टोंक पहुंची और उसने भी सुलभ संस्था के सेंटर को ज्वाइन किया, फिर उसका जीवन पूरी तरह से बदल गया। अब वह बेहतर जिंदगी जी रही है और समाज में सभी लोग उसे इज्जत देते हैं। सुलभ के ‘कास्ट बाई चॉइस’ आंदोलन से उन्होंने अपनी जाति भी बदल ली और समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गईं। नहीं आता था, लेकिन अब सभी उनके साथ बैठकर खाना खाते हैं।
पूजा शर्मा, टोंक
राजस्थान के टोंक से आईं पूजा शर्मा ने भी
अब्दुल लतीफ खान, जम्मू
जम्मू से गंगा-जमुनी तहजीब की खुशबू लेकर आये अब्दुल खान ने अपने बेहद ऊर्जावान संबोधन में डॉ.
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पाठक को गांधी का दूसरा रूप बताते हुए कहा कि पाठक जी की वजह से दुनिया भारत का खूबसूरत चेहरा देख रही है। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान का मुकम्मल जहां पाठक जी जैसे लोगों से पूरा हो रहा है। उन्होंने मोदी और डॉ. पाठक को स्वच्छता की क्रांति का असली सिपाही बताते हुए कहा इन दोनों ने देश को सुनहरा बनाने का बीड़ा उठाया है, जहां कोई भेदभाव नहीं होगा और सबके लिए समान अवसर होंगे।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और कवि सम्मलेन
प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। सितार, गिटार और तबले सहित कई वाद्य यंत्रों पर संगीतकारों की मनमोहक प्रस्तुति ने सबका दिल जीत लिया। वहीं सुलभ पब्लिक स्कूल के बच्चों ने भी अपने गायन, नाटक और नृत्य की प्रस्तुति से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। कार्यक्रम के अंत में कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में काव्य की सरिता बही। कवि शंभु सिंह मनहर ने जब राष्ट्रवाद की अलख जगाती अपनी कविता पढ़ी तो पूरा सभागार तालियों की गूंज से भर गया। ‘मनुजित छोड़िए ये देव धड़कन से भी पावन है, करें क्या वंदना इसकी ये वंदन से भी पावन है, लगा लें हम इसे माथे निगाहों में इसे भर लें, हमारे देश की मिट्टी ये चंदन से भी पावन है।’ ‘इसे ही देखने सूरज उगा नित इसे देख डूबा है, हजारों हैं अजूबे ये अजूबों का अजूबा है, समंदर सात लांघो तुम सितारों में भले खोजो, हमारे देश से बढ़कर न कोई देश दूजा है।’ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित कवि वागेश दिनकर ने पीएम मोदी के लिए कविता सुनाई। ‘आज फिर भाग्य जागा भारत भूमि का, आज उल्लास ने मातृ मंदिर छुआ, राष्ट्र के शासना धीश के पीठ पर राष्ट्र का एक सेवक प्रतिष्ठित हुआ।’ मशहूर कवि सुरेश नीरव ने जीवन की सीख देती हुई कविता पर खूब तालियां बटोरी‘दोस्तों को भी पालते रहिए, हां मगर विष निकालते रहिए, दुश्मनों पे तो कुछ भरोसा है, दोस्तों को संभालते रहिए, ये नेकियां ही तो काम आएंगी, इन्हें दरिया में डालते रहिए।’
16 खुला मंच
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कोई मनुष्य अगर बड़ा बनना चाहता है तो वह छोटे से छोटा काम भी करे, क्योंकि स्वावलंबी लोग ही श्रेष्ठ होते हैं – ईश्वरचंद्र विद्यासागर
छोटी बचत को बड़ा प्रोत्साहन
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सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर 0.4 फीसद बढ़ाने का प्रशंसनीय फैसला लिया है
रत जिस विकास की राह पर है, उसमें उपभोक्ता खर्च और यहां-वहां व्यापारिक निवेश के तो अवसर काफी बढ़ गए हैं। पर कम आमदनी वाले लोगों के लिए छोटी बचत योजनाओं का आकर्षण दिनोंदिन कम होता गया है। इसकी बड़ी वजह रही है इन लघु बचत योजनाओं पर कम होती गईं ब्याज दरें। पर अब सरकार ने यह शिकायत भी दूर कर दी है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) समेत लघु बचत योजनाओं के लिए ब्याज दर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए 0.4 प्रतिशत तक बढ़ा दी है। लघु बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों को तिमाही के आधार पर संशोधित किया जाता है। पांच वर्ष की सावधि जमा, आवर्ती जमा और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना की ब्याज दरें बढ़ाकर क्रमश: 7.8 प्रतिशत, 7.3 प्रतिशत और 8.7 प्रतिशत कर दी गयी हैं। हालांकि बचत जमा के लिए ब्याज दर चार प्रतिशत बरकरार है। पीपीएफ और एनएससी पर मौजूदा 7.6 प्रतिशत की जगह अब आठ प्रतिशत की सालाना दर से ब्याज मिलेगा। किसान विकास पत्र पर अब 7.7 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा और अब यह 112 सप्ताह में परिपक्व हो जाएगा। सुकन्या समृद्धि खातों के लिए संशोधित ब्याज दर 8.5 प्रतिशत होगी। एक से तीन साल की सावधि जमा पर ब्याज दर में 0.3 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। नीतिगत रूप में यह सरकार का वाकई बड़ा फैसला है, क्योंकि इससे वित्त वर्ष 2017-18 में छोटी बचत योजनाओं की ग्रोथ शून्य रही थी। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) तभी से बचत की दिशा बदलने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार की नई नीति से जहां एक तरफ लोगों में बचत की प्रवृति को प्रोत्साहन मिलेगा, वहीं उनकी आर्थिक सुरक्षा भी बढ़ेगी। लघु बचत योजनाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और ये एक निश्चित आय देती हैं, लिहाजा इससे कम आय वर्घ के लोग अपने जीवन को आर्थिक तौर पर बेहतर तरीके से प्लान कर सकते हैं।
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(उत्तर प्रदेश)
अभिमत
नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री
विपक्ष से विकल्प तक पंडित जी के विचार चिंतन में उन बातों का अर्क है, जो वेद से विवेकानंद तक हम सुनते आएं है। जो सुदर्शन चक्रधारी मोहन से लेकर के चरखाधारी मोहन तक सुनते आए हैं
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डित जी के जीवन में सादगी... मैं समझता हूं कि कोई भी पंडित जी की बात करेगा तो सबसे पहले सादगी की छवि उभर कर के आती है। मुझे तो पंडित जी के दर्शन करने का सौभाग्य नहीं मिला। जब उनकी हत्या हुई तो अखबार के हेडलाइन पर थी। हम स्कूल में पढ़ते थे उस समय। पहली बार ध्यान गया था इस महापुरुष की तरफ। लेकिन बहुत लोग बैठे हैं जिनको पंडित जी को निकट से देखने का, सुनने का, बात करने का साथ में काम करने का सौभाग्य मिला है। आज कल्पना की जा सकती है कि इतने कम समय में, राजनीतिक जीवन में एक राजनीतिक विचार, एक राजनीतिक व्यवस्था, एक राजनीतिक दल, विपक्ष से लेकर विकल्प तक की यात्रा को कोई पार का ले। ये छोटी सिद्धि नहीं है। यह विपक्ष से विकल्प तक की यात्रा संभव इसीलिए बनी है कि पंडित जी ने जिस विचार बीज से फाउंडेशन तैयार किया था, जो नींव डाली थी उसी का परिपाक है कि आज विपक्ष से विकल्प तक की यात्रा हम विश्व के सामने प्रस्तुत कर पाए। हमारे देश में राजनीतिक दलों के रूप-रंग भली-भांति हम जानते हैं। यह पंडित जी का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है कि उन्होंने संगठन आधारित राजनीतिक दल का एक पर्याय देश में खड़ा किया है। कुछ ही मुट्ठी भर लोगों के द्वारा चलने वाला दल नहीं, संगठन के आधार पर चलने वाला राजनीतिक दल और भारत में भारतीय जनसंघ से लेकर के भारतीय जनता पार्टी तक संगठन आधारित राजनीतिक दल की यात्रा बड़ी है। इसका श्रेय उस समय के मनीषियों, जिन्होंने इस संरचना को आगे बढ़ाया उन्हें हैं। इनमें प्रमुख भूमिका पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की रही। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को तो देश और दुनिया जानती थी, उनके व्यक्तित्व से परिचित थी,
पंडित नेहरू के मंत्रिपरिषद में वे अपनी अहम भूमिका निभा रहे थे लेकिन डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कहते थे, ‘अगर मेरे पास एक और दीनदयाल हों तो मैं हिंदुस्तान की राजनीति का चरित्र बदल सकता हूं।’ इस देश में कांग्रेस का शासन ही रहेगा। कांग्रेस ही चलेगी, यही माहौल था। पंडित नेहरू जब तक थे तो तब तक तो कोई अलग विचार भी नहीं आता था और आता था तो इतना ही आता था कि नेहरू के बाद कौन। यही विचार चलता था देश में कि नेहरू के बाद क्या। उस समय हम छोटे थे। अखबारों में पढ़ते थे तो यही आता था कि नेहरू के बाद कौन। हिंदुस्तान में बाईलाइन कोई राजनीतिक दल पनपे ही नहीं थे। पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक एक ही राजनीतिक दल की व्यवस्था थी। अचानक 62 से 67 के बीच एक ऐसा वैक्यूम क्रिएट होने लगा कि देश के सामने सवाल खड़ा हुआ था कि इस वैक्यूम को कौन भरेगा। कांग्रेस बहुत तेज गति से अपनी स्थिति में गिरावट अनुभव कर रही थी। अन्य राजनीतिक दलों का समूह अभी खड़ा नहीं हुआ था। कोई एक ऑल्टरनेट तो था ही नहीं। एक बहुत बड़े वैक्यूम का वो कालखंड था। पंडित जी के राजनीतिक कौशल्य को समझने के लिए 62 से 67 का जो कालखंड है, वो बहुत बड़ा मूल्य रखता है। क्योंकि राममनोहर लोहिया ने कहा था कि जब 67 में कई राज्यों में कांग्रेस ने अपना शासन खोया, जनता कांग्रेस के खिलाफ जो मिले उसे पसंद करना चाहती थी। उस समय लोहिया जी ने कहा है कि यह दीनदयाल उपाध्याय जी की विशाल दृष्टि का परिणाम था कि राजनीतिक दलों का समूह एकत्र आया। संयुक्त विधायक दल बना और एक ऑल्टरनेट गवर्मेंट देने का प्रयास इस देश में हुआ। लोहिया जी कहते
हमारे देश में राजनीतिक दलों के रूप-रंग भली-भांति हम जानते हैं। यह पंडित जी का एक बहुत बड़ा योगदान रहा है कि उन्होंने संगठन आधारित राजनीतिक दल का एक पर्याय देश में खड़ा किया है
24 - 30 सितंबर 2018 हैं कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विशाल दृष्टिकोण का परिणाम था कि देश में यह हुआ। उसके बाद हम देख रहे हैं कि राजनीतिक मानचित्र पर अनेक दल उभरे लेकिन फिर भी लंबे अरसे तक दलों के समूह एकत्र होकर ही देश की भलाई के लिए प्रयास करें...ये चलता रहा। दीनदयाल जी की और एक विशेषता रही है कि उन्होंने कार्यकर्ता के निर्माण पर बल दिया। राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक नई श्रेणी तैयार हो, जिसका कोई राजनीतिक गोत्र न हो, ऐसा एक स्वतंत्र चिंतन वाला राष्ट्रभक्ति से प्रेरित, समाज को समर्पित, कार्यकर्ताओं का समूह, इससे बना हुआ संगठन और उस संगठन से राजनीति जीवन में पदार्पण। इसीलिए उन्होंने पूरी शक्ति, पूरा जीवन संगठन को वैचारिक अधिष्ठान देने में, कार्यकर्ता के निर्माण में, संगठन के विस्तार में अपने जीवन का अधिकतम कार्यकाल खपा दिया। इसीलिए एक ऐसा राजनीतिक दल जिसका संगठन केंद्रीय है और जो संगठन राष्ट्र केंद्रीय है, ऐसी एक व्यवस्था पंडित जी ने देश को दी है। आज हम देख रहे हैं की जहां भी हम लोगों को कार्य करने का अवसर मिला है, उसका तुलनात्मक अभ्यास कोई भी कर ले। मैं तो चाहूंगा हिंदुस्तान का जो विश्लेषक वर्ग है, उसे इस देश में पिछले 50 वर्षों में जितने राजनीतिक दलों को शासन में आकर सेवा करने का मौका मिला है, उनके कार्यकाल का 25-50 प्वाइंट लेकर एक एवल्यूशन हो। एक कंपरेटिव स्टडी आना चाहिए कि देश में किस राजनीतिक दल को सत्ता में आने के बाद क्या-क्या होता है और कौन क्या-क्या करता है? मैं बड़े विश्वास से कह सकता हूं कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अपने पसीने से और जीवन का अंतकाल को देखूं तो मैं कहूंगा अपने खून से जिस दल को सींचा है, जिस विचार को पनपाया है, वो तपस्या आज भी इस कसौटी पर खरी उतरने के लिए सामर्थ्यवान है। भारत इतना बड़ा विशाल देश है। कभी-कभी जब परंपरा की बात करते हैं तो कुछ लोगों को बातें बहुत एक सीमित अर्थ में समझ में आती हैं, तब बड़ी गलती हो जाती है। पंडित जी का एक उद्धरण मैं पढ़ना चाहता हूं, उससे समझ में आएगा कि किस प्रकार से हम लोगों के चिंतन की धारा रही है। उन्होंने एक जगह पर लिखा है ‘ज्ञान-विज्ञान और संस्कृति सभी क्षेत्रों में अपने जीवन के विकास के लिए जो भी आवश्यक होगा, वह हम स्वीकार करेंगे। हम नवीनता के विरोधी नहीं और न प्राचीनता के नाम पर रूढ़ियां और मृत परंपराओं के हम अंध उपासक हैं।’ ये हमारी मूलभूत सोच है, हम नित्यनिरंतर नवीन प्रवाह, विचार प्रवाह को स्वीकार करने वाले लोग हैं। राष्ट्र की आवश्यकता के अनुसार, समाज की आवश्यकता के अनुसार, हम अपने आप को ढालने वाले लोग हैं और तभी तो इतने कम समय में विपक्ष से लेकर के विकल्प तक की यात्रा में हम हिंदुस्तान के सवा सौ करोड़ देशवासियों का विश्वास जीत पाए। हमारे देश में पंडित जी के विचार चिंतन में उन बातों का अर्क है, जो वेद से विवेकानंद तक हम सुनते आएं है। जो सुदर्शन चक्रधारी मोहन से लेकर के चरखाधारी मोहन तक सुनते आए हैं। उन सारे विचारों का अर्क पंडित जी ने आधुनिक संदर्भ
खुला मंच
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ज्ञान-विज्ञान और संस्कृति सभी क्त्षे रों में अपने जीवन के विकास के लिए जो भी आवश्यक होगा, वह हम स्वीकार करेंग।े हम नवीनता के विरोधी नहीं और न प्राचीनता के नाम पर रूढ़ियां और मृत परंपराओं के हम अंध उपासक हैं- पंडित दीनदयाल उपाध्याय में प्रस्तुत कर, नई व्यवस्थाएं क्या हों उसके लिए मार्गदर्शन किया है। इसीलिए उनका आग्रह रहता था कि भारत की जड़ों से जुड़ी हुई राजनीति ही, भारत की जड़ों से जुडी हुई अर्थनीति ही, भारत के जड़ों से जुडी हुई समाज-नीति ही, भारत के भाग्य को बदलने का सर्वाधिक सामर्थ्य रखे हुए है। कोई भी समाज अपनी जड़ें काट करके बड़ा हुआ हो ऐसा दुनिया में कोई उदाहरण नहीं है। आवश्यकता के अनुसार अपने मूलभूत सामर्थ्य के बीच नई चीजों को स्वीकार करना सरल होता है, लेकिन अगर हम दुर्बल हैं तो कितना ही अच्छा हम लेंगे, शायद पचा नहीं पाएंगे। किसी बीमार व्यक्ति को अच्छा खाना दिया जाए तो वो और बीमार हो जाता है। इसीलिए सबसे पहली शर्त पर वो बल देते थे कि हमें अपने आप को समर्थ बनाना पड़ेगा और जब वे सामर्थ्य की बात करते थे तो साफ-साफ कहते थे कि व्यक्ति प्रतिभा-संपन्न हो, सामर्थ्यशाली हो, परिवार एकरस हो, परिवार सामर्थ्यमय हो। वे कहते थे कि समाज समान अधिष्ठान पर विविधताओं से भरा हुआ संकल्पबद्ध होना चाहिए। वे कहते थे कि राष्ट्र में जो सेना है, वो सेना अत्यंत ही अत्यंत सामर्थ्यवान होनी चाहिए और तब जाकर राष्ट्र सामर्थ्यवान बनता है। व्यक्ति से लेकर के राष्ट्र तक वे सामर्थ्यवान होने, बलशाली होने की बात करते थे। अगर सुबह घंटा भर कोई एक्सरसाइज करता है तो पड़ोसी को डरने की जरूरत नहीं है कि भाई वह मेरे लिए कर रहा है। वह एक्सरसाइज अपने स्वास्थ्य के लिए करता है। हमारी सोच यही रही है हमारा देश सामर्थ्यवान होना चाहिए, शक्तिवान होना चाहिए। आज विश्व स्पर्धा का युग है। कोई एक जमाना था जब विश्व दो हिस्सों में बंटा हुआ था- ये कैंप, वो कैंप। या तो आप यहां रहिए या वहां रहिए। ज्यादा से ज्यादा आप कह सकते थे कि हम न्यूट्रल हैं। लेकिन मामला तो वही था। आज विश्व इंटर-डिपेंडेंट हो गया है। किसी के साथ दस मुद्दों पर विवाद होगा तो चार मुद्दों पर
सहमति होगी, चार मुद्दों पर चलते होंगे। दस मुद्दों पर चलने के लिए सोचते होंगे, यह स्थिति है। ऐसे समय में अपने मूलभूत चिंतन के आधार पर विश्व की अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लिए अपने आप (भारत) को सामर्थ्यवान बनाना समय की मांग है। इस मांग को पूरा करने के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों का कर्तव्यबोध के साथ, संकल्प के साथ उसकी परिपूर्ति के लिए प्रयास अविरत रूप से करना अनिवार्य हो गया है। पंडित जी के पूरे चिंतन में गरीब उनके केंद्रबिंदु में था। वे किसी आर्थिक व्यवस्था में ऊपर से नीचे की तरफ जाने के समर्थक नहीं थे। वे हर दिन कहते थे कि अर्थव्यवस्थाओं की रचना नीचे से ऊपर की ओर होनी चाहिए। गांव, गरीब, किसान, दलित, पीड़ित, शोषित और वंचित, हमारी सारी योजनाओं के केंद्र में वही होना चाहिए। और इन सबका कल्याण ही हमारे मन में होना चाहिए और तभी जाकर हम देश में परिवर्तन ला सकते हैं। यह ठीक है कि ये अंतर्द्वंद्व चलता रहेगा, जिसको कुछ मिला है उसकी अधिक पाने की आस ज्यादा जगी है, लेकिन जिसको कुछ नहीं मिला है, जब तक उसको मिलेगा नहीं, वहां रुकावट आ जाएगी, ठहराव आ जाएगा। उनको भी आगे जाना है तो नीचे को ऊपर लाना ही पड़ेगा, तब जाकर जो ऊपर हैं वे ज्यादा ऊपर जा पाएंगे। इसीलिए हमारे विकासयात्रा के सारे प्रवाह हमें उस दिशा में ले जाने हैं, जहां पर हम गरीब को सशक्त करें, उसका सशक्तिकरण करें और गरीब ही हमारी गरीबी के खिलाफ लड़ाई का एक बहुत बड़ा फौजी बन जाए। पंडित जी का जन्म शताब्दी वर्ष है। भारत सरकार ने इसे गरीब कल्याण वर्ष के रूप में उसको मनाना तय किया है। इसके कारण सरकार के सभी विभाग, सरकार के सभी निर्णय इस बात को भूल नहीं सकते कि ये गरीब कल्याण वर्ष है, आपके विचार, काम, कार्यक्रम में गरीब कहां है, बताओ? पूरी सरकार की सोच बदलने के लिए,
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मशती वर्ष सभी लोगों को गरीब-केंद्रित योजनाएं बनाने के लिए प्रेरित करने वाला एक शुभ अवसर के रूप में हमने मनाया है। पंडित जी एक सप्त-जाह्नवी की चर्चा करते थे। अपनी बातों में वे भारत के वैभव के लिए सात आदर्श की वकालत करते थे। ये सात आदर्श हैंएकरसता, कर्मठता, समानता, संपन्नता, ज्ञान, सुख और शांति। इन सप्तधाराओं से हम भारत को वैभवी बना सकते हैं। कर्मठता हम छोड़ नहीं सकते। यह देश विविधताओं से भरा हुआ है और यही उसकी खूबसूरती है। हम भाग्यवान हैं कि सौ से ज्यादा भाषाएं हमारे यहां हैं, सत्रह सौ से ज्यादा बोलियां हैं, दुनिया का हर संप्रदाय यहां मौजूद है, इससे बड़ा गर्व क्या हो सकता है। यह इस देश कि बहुत बड़ी अमानत है। एकरस समाज, यही तो पंडित जी का सपना था। जहां मन-मुटाव न हो, भेद-भाव न हो... शोषण की कल्पना तक न हो। ऐसे समाज की कल्पना के साथ हम सबको आगे बढ़ाना होगा। पंडित जी का कहा एक बहुत अच्छा वाक्य है‘विजय का विश्वास है, तपस्या का निश्चय लेकर के चलें।’ आज भी पंडित जी के वे शब्द हमारे लिए उतने ही मायने रखते हैं। विजय में विश्वास है, लेकिन तपस्या में कमी नहीं आनी चाहिए। पंडित जी ने कहा था चरैवेति, चरैवेति, चरैवेति... चलते रहो... चलते रहो... चलते रहो...। ये जो पंडित जी ने हमें सिखाया है, यह आज भी उतना ही सार्थक है। उसे लेकर हमें चलना है। हम पंडित जी के श्री चरणों में प्रणाम करते हुए इस महान विचार यात्रा को आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ बढ़ें। मां भारती की सेवा करने का हमें जहां भी जो भी अवसर मिले, सब कुछ इस मां-भारती के गरीब से गरीब के कल्याण के लिए खपा दें। (दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय के लोकार्पण के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्त उद्गार का संपादित अंश)
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आवरण कथा
24 - 30 सितंबर 2018
स्वच्छ हो भारत अपना मोदी जी का है सपना
सुलभ प्रणेता डॉ. विन्देश्वर पाठक ने वीडियो के माध्यम से दी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जन्मदिन की बधाई
मा
ननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके जन्मदिन पर हार्दिक बधाईयां। स्वस्थ हो, दीघार्यु हों और आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हों, ऐसी प्रार्थना ईश्वर से सुलभ का पूरा परिवार करता है। महात्मा गांधी ने आजादी के साथ-साथ स्वच्छ भारत की भी कल्पना की थी। गांधी का सपना था कि भारत स्वच्छ हो, वो तो यहां तक कहते थे कि हमें आजादी बाद में चाहिए पहले स्वच्छ भारत चाहिए। नरेन्द्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने स्वच्छता को गले लगाया है और जन-जन तक पहुंचाया है। मोदी जी ने स्वच्छता को एक आंदोलन का रूप दे दिया है। आज हर एक व्यक्ति स्वच्छता को लेकर सजग है, इससे पता चलता है कि स्वच्छता की
संस्कृति वापस आ रही है जैसी कि मोहनजोदड़ो
सभ्यता में थी। सुलभ भी लगातार नई तकनीक
और कई आंदोलनों के माध्यम से यह प्रयास कर रहा है कि देश स्वच्छ हो और विकसित देशों की कतार में खड़ा हो सके। 2014 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडा फहराते हुए जब पीएम मोदी ने देश के लोगों से आह्वान किया कि कोई गंदगी न करे और देश को स्वच्छ बनाए रखने में योगदान दे तो इसका बहुत बड़ा असर हुआ और सबने स्वच्छता को लेकर जागरूकता दिखाई। मोदी जी ने खुद झाड़ू उठाया और वर्ग विशेष के लिए किसी काम की प्रासंगिकता खत्म कर दी। उन्होंने शौचालय न होने की वजह से बच्चियों के स्कूल न जाने पर भी चिंता जताई, साथ ही उन्होंने एक साल के अंदर सभी स्कूलों में शौचालय की सुविधा पहुंचाने की बात कही। यह अच्छी बात है कि सभी स्कूलों में अब शौचालय की सुविधा है। मोदी जी अब 2019 में गांधी की 150 वीं जयंती पर देश के सभी घरों में शौचालय की सुविधा पर जोर दे रहे हैं और इसके लिए तत्पर हैं, ताकि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके। स्वच्छता का विकास के साथ सीधा संबंध है। साल 1965 में जब ली कुआन यू, सिंगापुर के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपने सलाहकार अल्बर्ट अल्बर्ट विन्सिमियस से पूछा कि सिंगापुर को कैसे विकसित किया जाए? विन्सिमियस ने कहा कि अगर हम सिंगापुर को विकसित बनाना चाहते हैं तो स्वच्छता सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। विन्सिमियस की सलाह पर सिंगापुर में बहुत काम हुआ और जल्द ही यह सबसे स्वच्छ राष्ट्रों में से एक बन गया, जहां अब किसी भी तरह की गंदगी करने पर 500 डॉलर का जुर्माना देना होगा। इसका असर यह हुआ कि 1965 में सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आमदनी 400 डॉलर थी, लेकिन 1990 में यह बढ़कर 12000 डॉलर हो गई। स्वच्छता और विकास का सीधा संबंध यहां देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसी तरह स्वच्छता और साफ-सफाई के बुनियादी सिद्धांतों को अपनाते हुए स्वच्छ भारत के लिए विशेष कार्य किये हैं। मोदी जी एक ऐसे भारत की कल्पना करते हैं जो सिंगापुर की तरह ही स्वच्छ, स्वस्थ और विकसित राष्ट्र हो। मोदी जी के प्रयासों और उनके आंदोलन को मैंने चार पंक्तियों में बताने की कोशिश की है। ‘स्वच्छ हो भारत अपना, मोदी जी का है सपना, भारत को स्वच्छ बनाएंगे, विकसित देश कहलाएंगे।’ जय हिन्द जय भारत।
24 - 30 सितंबर 2018
स्वच्छता
पीएम मोदी का स्वच्छता संवाद
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पीएम नरेन्द्र मोदी ने देश के 18 अलग-अलग हिस्सों में मौजूद विभिन्न क्षेत्र के लोगों के साथ संवाद में कहा कि हमने 4 साल में जो लक्ष्य हासिल किया है, वह बीते 60 सालों में नहीं किया जा सका
खास बातें किसी ने न सोचा था कि 4 वर्ष में 8 करोड़ शौचालय बनेंगे : पीएम टाटा ट्रस्ट का स्वच्छता मिशन के लिए 100 करोड़ रुपए का योगदान वर्सोवा बीच पर बिग बी खुद स्वच्छता अभियान में हुए शामिल पीएम मोदी ने अमिताभ का धन्यवाद देते हुए कहा, ‘आपने दो वर्ष पहले हरिवंश राय बच्चन के जन्मदिन को स्वच्छता से जोड़ा था। महान व्यक्ति की महान पंक्तियों से देश को जोड़ने के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं।’
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रतन टाटा
एसएसबी ब्यूरो
धानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 सितंबर को ‘स्वच्छता ही सेवा अभियान’ पखवाड़े की शुरुआत की। यह अभियान महात्मा गांधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर तक चलेगा। कैंपेन को लॉन्च करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चार वर्ष पहले शुरू हुआ स्वच्छता आंदोलन अब एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर आ पहुंचा है। हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि राष्ट्र का हर तबका, हर संप्रदाय, हर उम्र के मेरे साथी, इस महाअभियान से जुड़े हैं। गांव-गली-नुक्कड़-शहर, कोई भी इस अभियान से अछूता नहीं है। देश के 18 अलग-अलग हिस्सों में मौजूद विभिन्न क्षेत्र के लोगों के साथ संवाद में उन्होंने कहा कि हमने 4 साल में जो लक्ष्य हासिल किया है, वह बीते 60 सालों में नहीं किया जा सका। उन्होंने जानकारी दी कि बीते चार वर्षों में स्वच्छता का कवरेज 40 प्रतिशत से बढ़ कर 90 प्रतिशत हो गया है। पीएम मोदी ने कहा, ‘किसी ने न सोचा था कि 4 वर्ष में 8 करोड़ शौचालय बनेंगे। किसी ने शायद यह सोचा भी नहीं होगा कि 4.5 लाख गांव, 450 जिले एवं 20 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश खुले में शौच से मुक्त हो सकते हैं। किसने सोचा होगा कि 4 साल में हम स्वच्छता के मामले में इतनी प्रगति कर लेंगे, जितनी पिछले 60 सालों में न हो पाई।’ पीएम मोदी ने कहा, ‘सिर्फ शौचालय बनाने भर से भारत स्वच्छ हो जाएगा, ऐसा नहीं है। टॉयलेट की सुविधा देना, कूड़ेदान की सुविधा देना, कूड़े के
पीएम मोदी ने रतन टाटा और उनकी टीम को लेटेस्ट टेक्नॉलाजी की मदद से स्वच्छता अभियान में योगदान देने के लिए धन्यवाद दिया। रतन टाटा ने कहा कि हम आगे भी स्वच्छ भारत मिशन के साथ बने रहेंगे और चाहेंगे कि तकनीक के जरिए भी इसमें कुछ योगदान दिया जाए। उन्होंने बताया कि टाटा ट्रस्ट ने स्वच्छता के इस मिशन के लिए 100 करोड़ रुपए का योगदान किया। पीएम मोदी ने स्वच्छता को लेकर टाटा समूह के योगदान की सराहना की।
संजय गुप्ता निस्तारण का प्रबंध करना, ये सभी सिर्फ माध्यम हैं। स्वच्छता एक आदत है जिसको नित्य के अनुभव में शामिल करना पड़ता है। ये स्वभाव में परिवर्तन का यज्ञ है जिसमें देश का जन-जन, आप सभी अपनी तरह से योगदान दे रहे हैं।’ पीएम मोदी ने अभियान के शुभारंभ के दौरान आम लोगों के साथ अलग-अलग क्षेत्रों के ख्याति प्राप्त लोगों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान बातचीत की।
अमिताभ बच्चन
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने स्वच्छता भारत मिशन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि लोगों में काफी जागरूकता आई है और वेस्ट मेनेजमेंट के लिए भी कई सार्थक प्रयास किए गए हैं। उन्होंने
पीएम मोदी को इस अभियान का श्रेय देते हुए कहा कि यदि मेरी शक्ल और अक्ल से सरकार प्रचार करा रही है तो इतना ही काफी नहीं है। मुझे लगता था कि इसके लिए निजी तौर पर भी प्रयास किया जाना चाहिए। अमिताभ ने कहा, ‘...इसीलिए हमने खुद अपने स्तर पर भी काम किया। मुंबई के वर्सोवा बीच पर मैंने कुछ करने का प्रयास किया। यह एक व्यक्ति की भावना थी कि उसने सोचा कि मुझे साफ करना है और वह आगे बढ़ा तो फिर लोग आगे आए। मुझसे लोगों ने कहा कि यहां सफाई के लिए जमीन खोदने वाली मशीन नहीं है, फिर मैंने यह मशीन खरीदकर दी। यही नहीं लोगों ने कहा कि ट्रैक्टर की जरूरत है, जिससे कूड़ा उठाया जा सकता है।’
दैनिक जागरण समूह के प्रमुख संजय गुप्ता से बातचीत करते हुए पीएम मोदी ने देश के पूरे मीडिया समूह के योगदान की सराहना की और कहा कि मीडिया ने देश के कोने-कोने के स्वच्छाग्रहियों के योगदान को उजागर कर पूरे देश को प्रेरित किया। इस दौरान संजय गुप्ता ने जागरण समूह द्वारा स्वच्छता के लिए किए जा रहे प्रयासों और कैंपेन की जानकारी दी।
सदगुरु जग्गी वासुदेव
सदगुरु ने स्वच्छता मिशन की प्रशंसा करते हुए कहा कि सरकार ने साफ-सफाई व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं। सदगुरु ने कहा कि हमने लोगों को जागरूक कर स्वच्छता अभियान से जोड़ा है। सदगुरु ने कहा कि हमने प्लास्टिक बैग्स की जगह कपड़े के थैलों का इस्तेमाल करने को लेकर भी लोगों को जागरूक किया है।
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स्वच्छता
24 - 30 सितंबर 2018
स्कूल में बच्चों के साथ पीएम
योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने कहा कि कुछ सालों पहले यूपी के लिए स्वच्छता एक सपने की तरह थी पर मोदी सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान चलाने के बाद यूपी की तस्वीर बदल गई है। उन्होंने कहा, ‘2014 से मार्च 17 तक 25 लाख शौचालय बने और कवरेज 23 प्रतिशत था। प्रदेश के अंदर नई सरकार ने इसे जनांदोलन बनाया। बीते डेढ़ वर्षों में 01 करोड़ 36 लाख इज्जत घरों का निर्माण किया गया है।’ उन्होंने जानकारी दी कि हर साल अगस्त महीने में कम से कम 100 बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस से होती थी, लेकिन इस वर्ष महज 6 बच्चों की मौत हुई है और इसमें स्वच्छता अभियान की बड़ी भूमिका है। उन्होंने बताया कि 2019 के 2 अक्टूबर तक पूरा प्रदेश खुले में शौच मुक्त हो जाएगा।
प्रधानमंत्री ने पहाड़गंज के रानी झांसी रोड स्थित बाबा साहेब आंबेडकर उच्च माध्यमिक विद्यालय में झाड़ू लगाई और कचरे को इकट्ठा कर उठाया
स्वच्छाग्रहियों से बात
प्रधानमंत्री मोदी ने असम के डिब्रूगढ़, यूपी के बिजनौर और गुजरात के मेहसाणा में सक्रिय स्वच्छाग्रहियों से भी बातचीत की। पीएम मोदी ने कहा, ‘यह सब आप सभी भारतवासियों और स्वच्छाग्रहियों के प्रयास का परिणाम है।’ विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 3 लाख लोगों की जिंदगी स्वच्छता के चलते बचाई जा सकेगी। उन्होंने असम में डिब्रूगढ़ में 12वीं की छात्रा जितूमनि ताय के प्रयासों की सराहना करते हुए बच्चों को समाजिक परिवर्तन का एंबेसेडर कहा।
अंजना विक्रम भाई पटेल, गुजरात
गुजरात में मेहसाणा की अंजना विक्रम भाई पटेल ने कहा, ‘मंजिल बहुत दूर है, लेकिन न झुकेंगे, न रुकेंगे और न हटेंगे और आपके इस अभियान को सफल करेंगे।’ इस पर पीएम मोदी ने कहा सहकार और सहभाग ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। इसी भावना को आप सभी ने स्वच्छाग्रह से जोड़कर बहुत उत्तम कार्य किया है। पीएम मोदी ने कहा गंदगी गरीब के जीवन को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। उसे बीमारी के दलदल में धकेल देती है। इसलिए स्वच्छता बहुत जरूरी है।
जागृति कश्यप, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के दांतेवाड़ा की जागृति कश्यप ने बताया कि आंगनबाड़ी, स्कूल, घर सभी जगह शौचालय निर्माण हो चुका है। पीएम मोदी ने कहा कि चार साल पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि छत्तीसगढ़ की कोई बेटी, बस्तर की कोई महिला इतने विश्वास के साथ कुछ कह सकती थी। उन्होंने कहा, ‘देश भर में महिलाओं को जो पीड़ा हो रही थी उसी ने मुझे प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि बहुत संतोष मिलता है जब लोग बताते हैं। स्वच्छ भारत मिशन के कारण बेटियों के स्कूल छोड़ने की दर में कमी आई है।
सुमथि, तमिलनाडु
तमिलनाडु में सुमथि से बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘सेलम में भी जो आप सभी कर रहे हैं वो प्रशंसनीय है। तुईमाई कवलवार्स यानि स्वच्छता गार्ड्स की ये सोच सच में उत्तम हैं। इसको देशभर में लागू करने पर विचार होना चाहिए। स्वच्छता के
दे
श भर के स्वच्छाग्रहियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक स्कूल के स्वच्छता अभियान में शरीक हुए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हाल में नई दिल्ली के पहाड़गंज में एक स्कूल में बच्चों के साथ
स्वच्छता अभियान में शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने पहाड़गंज के रानी झांसी रोड स्थित बाबा साहेब आंबेडकर उच्च माध्यमिक विद्यालय में झाड़ू लगाई और कचरे को जमा कर उठाया। इस स्कूल में पहुंचते ही बच्चों ने प्रधानमंत्री मोदी के पैर छुए। उनका प्रधानमंत्री मोदी का चरण
सदगुरु ने कहा कि हमने प्लास्टिक बैग्स की जगह कपड़े के थैलों का इस्तेमाल करने को लेकर भी लोगों को जागरूक किया है लिए सेवा ईश्वर की सेवा के समान है। हमारा तो पारंपरिक और सांस्कृतिक संदेश भी यही रहा है।’
ज्ञानी इकबाल सिंह, पटना साहिब
पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह ने पीएम मोदी को स्वच्छ भारत अभियान के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वच्छता से ही हम आरोग्य रहकर देश की सेवा और प्रभु की सेवा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से आपके द्वारा दिया गया स्वच्छता ही सेवा का संदेश देशवासियों में एक नई जागृति लेकर आया है। वह दिन दूर नहीं जब फिर हिंदुस्तान विश्व गुरु होगा। इस पर पीएम मोदी ने कहा गुरुओं की परंपरा और गुरुद्वारों के मूल में ही सेवा प्रमुख मंत्र है। सेवा तभी हो सकती है जब मन पवित्र हो। मन की पवित्रता तभी आ सकती है जब हमारे आसपास निर्मलता हो।
बीके मृत्युंजय, माउंट आबू, राजस्थान
ब्रह्मा कुमारी प्रजापिता संस्था के राजयोगी बीके
मृत्युंजय ने कहा कि यह केवल भारत सरकार का नहीं, हर भारतवासी, बच्चों, नागरिकों, बुजुर्गों का आंदोलन है। उन्होंने कहा कि आज निश्चित रूप से भारत की प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने के लिए नया विश्वास दिख रहा है। यह मेरे कारण सिर्फ हरेक के पुरुषार्थ से संभव हो पा रहा है। पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं ब्रह्मा कुमारी संस्थान का स्वच्छाग्रह से जुड़ने के लिए आभारी हूं। आज निश्चित रूप से भारत की दुनिया में प्रतिष्ठा को पुन: स्थापित करने में हम सफल हो रहे हैं। देश के युवाओं में एक नया आत्मविश्वास दिख रहा है।’
दिनेश तजेरा, मध्य प्रदेश
राजगढ़ गांव के सरपंच कौशल्या बाई के पति दिनेश तजेरा ने कहा कि ने प्रधानमंत्री मोदी को जैविक खाद के प्रचार-प्रसार के लिए धन्यवाद दिया। उन्हें कहा कि उनका का ओडीएफ होने जा रहा है। पीएम मोदी ने इस पर कहा कि उनकी सरकार आदिवासियों के कल्याण के लिए तीन चीजों पर फोकस कर रही है। जन धन, गोबर धन और वन धन की नींव पर गांव
स्पर्श करना दिखाता है कि बच्चों में उनके प्रति कितना प्यार और सम्मान है। प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों से स्वच्छता अभियान के बारे में बात की और उन्हें जीवन में स्वच्छता के महत्व के बारे में भी बताया प्रधानमंत्री ने बच्चों से पूछा कि क्या सबको सफाई करनी चाहिए? इस पर बच्चों ने कहा, यस सर! इसके बाद उन्होंने पूछा कि टीवी पर स्वच्छता को लेकर विज्ञापन आते हैं। आप बताइए कि आपको कौन-कौन सा विज्ञापन याद है? बच्चों ने कहा कि ‘एक कदम स्वच्छता की ओर’, ‘हमारा भारत-स्वच्छ भारत’। बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया कि दिल्ली में बाबा साहेब अांबेडकर स्कूल में उत्साही युवा दोस्तों के साथ। देश के युवाओं ने हर मामले में पहल करते हुए मोर्चा संभाला है और स्वच्छता के मामले में सकारात्मक बदलाव का सूत्रपात किया है। दिलचस्प है कि प्रधानमंत्री ने सामान्य यातायात में एवं बिना किसी पारंपरिक प्रोटोकॉल के स्कूल की यात्रा की। उनकी यात्रा के लिए किसी विशेष यातायात की व्यवस्था नहीं की गई थी। डॉ आंबेडकर ने 1946 में अनुसूचित जातियों के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए खुद इस स्कूल परिसर को खरीदा था। गरीब और आदिवासी भाई बहनों का जीवन स्तर ऊपर उठाने का प्रयास कर रहे हैं। पीएम ने कहा, ‘वह दिन दूर नहीं जब सीवर से संपदा निकलेगी। पराली पर्यावरण में परिवर्तन का प्रेरक बन जाएगी।’
आईटीबीपी के जवान, लद्दाख
लद्दाख से आईटीबीपी के इंस्पेक्टर रविंद्र कुमार ने पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि लुकपम चौकी पर उन्नत चौकी का निर्माण पहली बार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसमें 100 जवान रह पाएंगे। जिसमें 24 घंटे बिजली, जियो थर्मल वेव और सोलर हीटिंग के जरिये सामान्य तापमान, जवानों के रहने योग्य 22 डिग्री में परिवर्तित किया जा सकता है। उन्होंने स्वच्छता अभियान के पारे में बताया कि लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक कई गांवों को आईटीबीपी ने स्वच्छता अभियान का हिस्सा बनाया है। पीएम मोदी ने जवानों से कहा, ‘आईटीबीपी के मेरे सभी बहादुर साथियों को मेरा नमन। आप सभी के बारे में जितना भी कहा जाए उतना कम है। देश को आपकी, सेना के जवानों की जहां भी जरूरत पड़ती है आप सबसे पहले हाजिर रहते हैं। सीमा पर दुश्मनों से मोर्चा लेना हो, बाढ़ के संकट से निपटना हो, हर बार आपने देश को ऊपर रखा है। अब स्वच्छता के लिए आपका ये योगदान भी देश को गौरवान्वित कर रहा है।’
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प्रेरक स्मृति
राजा राममोहन राय स्मृति दिवस (27 सितंबर) पर विशेष
सती प्रथा का कारगर विरोध
राजा राम मोहन राय ने लॉर्ड विलियम बेंटिक की मदद से महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और कानून बनवाकर न केवल सती प्रथा को अवैध करार दिया, बल्कि इस मुद्दे पर सामाजिक जागरूकता भी फैलाई
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एसएसबी ब्यूरो
जा राम मोहन राय 19 वीं सदी के प्रारंभ में उन ‘बंग भद्र पुरूषों’ में थे, जो अंग्रेजों के संपर्क में सबसे पहले आए। उन्होंने फ्रांसीसी क्रांति जैसी पश्चिमी उदारवादी विचारधारों से प्रेरणा ली, लेकिन सामाजिक सुधार के संदर्भ में उसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में ढ़ाला। राजा राम मोहन राय ने लार्ड विलियम बेंटिक की मदद से महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और कानून बनवाकर न केवल सती प्रथा को अवैध करार दिया, बल्कि इस मुद्दे पर सामाजिक जागरूकता भी फैलाई। इससे पहले भारत में विधवाओं की स्थिति काफी त्रासद थी। राजा राम मोहन राय के प्रयास के बाद विधवा विवाह को सामाजिक मान्यता मिली।
वेदांत से प्रभावित
वे मूर्ति पूजा और कट्टरपंथी धार्मिक कर्मकांडों, धर्मांधता, अंधविश्वास के खिलाफ थे। धार्मिक मुद्दों पर पिता से पटरी नहीं बैठने पर उन्होंने घर छोड़ दिया। उन्होंने हिमालय में यात्रा की। वे तिब्बत भी गए। घर लौटने से पहले उन्होंने व्यापक भ्रमण किया। वापस आने पर उनके परिवार ने इस उम्मीद के साथ उनकी शादी करवा दी कि वह बदल जाएंगे,
लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वे वाराणसी चले गए और वहां उन्होंने वेद, उपनिषद और हिंदू दर्शन का गहराई से अध्ययन किया और अंत में वेदांत को अपने जीवन तथा कार्यों का आधार बनाया। उन्होंने अनेक हिंदू शास्त्रों का अंग्रेजी में अनुवाद किया, जिससे ये शास्त्र विश्व भर को प्राप्त हो सकें।
‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना
‘ब्रह्म समाज’ भारत का एक सामाजिक धार्मिक आंदोलन है, जिसने बंगाल के पुनर्जागरण युग को प्रभावित किया। 1828 में ब्रह्म समाज को राजा राममोहन और द्वारकानाथ टैगोर ने स्थापित किया था। इसका एक उद्देश्य भिन्न-भिन्न धार्मिक आस्थाओं में बंटी हुई जनता को एकजुट करना तथा समाज में फैली कुरीतियों को दूर करना है। राजा राममनोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना के बाद उसके जरिए समाज सुधार को गति प्रदान की। आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के पैरोकार राजा मोहन राय ने कुरीतियां दूर की और कहा कि ऐसा करना धर्मानुकूल है। राजा राम मोहन राय ने ब्रिटिश उपनिवेश का विरोध नहीं किया, बल्कि उसके
अंतर्गत ही समाज सुधार, ज्ञानार्जन पर बल दिया। राजा राम मोहन राय ने 19 वीं सदी में जो सामाजिक सुधार शुरू किया था, 20 वीं सदी में उसकी गति धीमी पड़ गई।
के विरोध में प्रथम धार्मिक लेख लिखा। एक प्रकार से भारतीय समाज में आचार-विचार को स्वतंत्रता का श्रीगणेश यहीं से प्रारंभ हुआ। सती प्रथा के विरोध में यह उनका प्रथम प्रयास था।
बड़े भाई की मौत से लगा गहरा आघात
विधवा विवाह का समर्थन
भारत में स्वतंत्र पत्रकारिता के जनक व समाजसेवी ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय के पूर्वजों ने बंगाल के नवाबों के यहां उच्च पद पर कार्य किया, किंतु उनके अभद्र व्यवहार के कारण पद छोड़ दिया। वे लोग वैष्णव संप्रदाय के थे। माता शैवमत की थीं। राजा राममोहन राय बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। उन्होंने बीस वर्ष की आयु में पूरे देश का भ्रमण कर अपनी दृष्टि, मानस और चिंतन को आधारभूत विस्तार दिया। 1816 में उनके परिवार में एक अत्यंत पीड़ादायक घटना घटी। बड़े भाई की मृत्यु हुई। उस समय सती प्रथा प्रचलन में था। सो भाई की चिता के साथ ही उनकी पत्नी को चिता पर बैठा दिया गया। इस घटना का उनके मन पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि 1885 में सती प्रथा
राजा राममोहन राय ने नारी समाज के उद्धार के लिए अनेक प्रयास किए। यह उनके ही प्रयास का परिणाम था कि 1828 में सती प्रथा को समाप्त करने का कानून बनाया गया। उन्होंने विधवा विवाह का भी समर्थन किया था। सती प्रथा के समर्थक कट्टर लोगों ने जब इंग्लैंड में प्रिवी कॉउंसिल में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया, तब उन्होंने भी अपने प्रगतिशील मित्रों और साथी कार्यकर्ताओं की ओर से ब्रिटिश संसद के सम्मुख अपना विरोधी प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया। उन्हें तब प्रसन्नता हुई, जब प्रिवी कॉउन्सिल ने सती प्रथा के समर्थकों के प्रार्थना-पत्र को अस्वीकृत कर दिया। सती प्रथा के मिटने से राजा राममोहन राय संसार के मानवतावादी सुधारकों की सर्वप्रथम पंक्ति में आ गए।
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रौशन हुआ स्वच्छता का पथ
स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े में अपना योगदान देने सुलभ प्रणेता डॉ. विन्देश्वर पाठक के प्रेरक नेतृत्व में सुलभ के स्वच्छाग्रहियों की टोली पूरे देश में सड़कों पर निकली। स्वच्छता के प्रति इनके काम को पूरे देश ने सराहा भी। स्वच्छता के प्रति अपनी उत्कट भावना को प्रदर्शित करने के लिए सुलभ के देश भर में मौजूद परिसरों को शाम ढलते ही दीपों से रौशन किया गया
फोटोः शिप्रा दास
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विशेष
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ईश्वर चंद्र विद्यासागर जयंती (29 सितंबर) पर विशेष
विधवा विवाह को ऐतिहासिक समर्थन ईश्वर चंद्र विद्यासागर की अगुवाई में 19वीं सदी में भारत में महिला सशक्तीकरण को लेकर जिस तरह के प्रयास हुए और उन्हें सामाजिक आधार पर जितनी सफलता मिली, वैसा उदाहरण विश्व इतिहास में अन्यत्र कहीं नहीं मिलता है
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एसएसबी ब्यूरो
धुनिक भारतीय नवजागरण के साथ खास बात यह रही कि इसका स्वरूप और इसके लिए हुई ऐतिहासिक पहल पूरी तरह अपनी माटी-पानी में सना था। इस पहल ने एक तरफ जहां देश को सांस्कृतिक रूप से सबल मनाया, वहीं इससे परंपरा के नाम पर ढोई जा रही सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ बड़ी जागृति आई। आगे इसी सबलता ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की भी जमीन तैयार की। भारतीय नवजागरण की एक बड़ी विशेषता यह भी रही कि इसके केंद्र में कहीं न कहीं स्त्री रही। यही कारण है कि 19वीं सदी में भारत में महिला सशक्तीकरण को लेकर जिस तरह के प्रयास हुए और उन्हें सामाजिक आधार पर जितनी सफलता मिली, वैसा उदाहरण विश्व इतिहास में अन्यत्र कहीं नहीं मिलता है।
बालिक शिक्षा को प्रोत्साहन
बंगाल में लड़कियों को स्कूल ले जाने वाली गाड़ी, पालकियों तथा शिक्षण संस्थाओं की दीवारों पर एक जमाने में मनुस्मृति का एक श्लोक लिखा रहता था। जिसका अर्थ था- बालिकाओं को खास बातें बालकों के समान शिक्षा पाने का पूरा अधिकार है। बंगाल सहित पूरे देश में बालिकाओं की शिक्षा को प्रोत्साहन विधवा विवाह को मिला श्रीरामकृष्ण परमहंस का भी समर्थन देने का यह महत्वपूर्ण कार्य किया था ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने। उन्होंने अपने समय में अनेक क्षेत्रों में सुधार किए। 7 दिसंबर 1856 को पहला उनके विचार और प्रयासों से आधुनिक भारत में सामाजिक नवजागरण की विधवा विवाह संपन्न हुआ जहां शुरुआत हुई, वहीं महिलाओं की सामाजिक-शैक्षिक स्थिति को लेकर रवींद्रनाथ टैगोर ने उनके बांग्ला ठोस पहल करने वालों में अग्रणी रहे। गद्य का आदर्श बताया है
दयानंद का प्रभाव
दरअसल, जिन दिनों महर्षि दयानंद
सरस्वती बंगाल के प्रवास पर थे तब ईश्वर चंद्र जी ने उनके विचारों को सुना। वे उनसे प्रभावित हो गए। उन दिनों बंगाल में विधवा नारियों की हालत बहुत दयनीय थी। बाल विवाह और बीमारी के कारण उनका जीवन बहुत कष्ट में बीतता था। ऐसे में उन्होंने नारी उत्थान के लिए प्रयास करने का संकल्प लिया।
पहला विधवा विवाह
उन्होंने धर्मग्रंथों द्वारा विधवा विवाह को शास्त्र सम्मत सिद्ध किया। वे पूछते थे कि यदि विधुर पुनर्विवाह कर सकता है तो विधवा क्यों नहीं। उनके प्रयास से 26 जुलाई 1856 को विधवा विवाह को बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जनरल ने स्वीकृति दे दी। उनकी उपस्थिति में 7 दिसंबर 1856 को उनके मित्र राजकृष्ण बनर्जी के घर में पहला विधवा विवाह संपन्न हुआ।
सती प्रथा का भी विरोध
इससे बंगाल के परंपरावादी लोगों में हड़कंप मच गया। ईश्वर चंद्र का सामाजिक बहिष्कार होने लगा। उन पर तरह-तरह के आरोप लगाए गए। लेकिन इसी बीच उन्हें बंगाल की एक अन्य महान विभूति श्रीरामकृष्ण परमहंस का समर्थन भी मिल गया। उन्होंने नारी शिक्षा का प्रबल समर्थन किया। उन दिनों बंगाल में राजा राममोहन राय सती प्रथा के विरोध में काम कर रहे थे। ईश्वर चंद्र जी ने उनका भी साथ दिया और फिर इसके निषेध को भी शासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई।
‘विद्यासागर’ की उपाधि
देश में नारी उत्थान के प्रबल समर्थक व सामाजिक क्रांति के अग्रदूत ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म 16 सितंबर 1820 को पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर के ग्राम वीरसिंह में हुआ था। विद्यासागर का परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का था जिसके कारण उनको भी अच्छे संस्कार मिले। उन्होंने नौ वर्ष की अवस्था से लेकर 13 वर्ष की आयु तक संस्कृत विद्यालय में ही रहकर अध्ययन किया। घर की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए दूसरों के घरों में भोजन बनाया और बर्तन साफ किए। ईश्वर चंद्र अपनी मां के बड़े आज्ञाकारी थे तथा किसी भी हालत में वह उनका कहा नहीं टालते थे। उन्होंने काफी कठिन
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विशेष
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर कलकत्ता में अध्यापन कार्य करते थे। वेतन का उतना ही अंश घर परिवार के लिए खर्च करते जितने में कि औसत नागरिक स्तर का गुजारा चल जाता। शेष भाग वे दूसरे जरूरतमंदों की, विशेषता छात्रों की सहायता में खर्च कर देते थे
मैं हूं ईश्वरचंद्र विद्यासागर
साधना की। रात में सड़क पर जलने वाले लैंप के नीचे बैठकर पढ़ाई की। कठिन साधना के बल पर संस्कृत की प्रतिष्ठित उपाधि ‘विद्यासागर’ प्राप्त हुई।
ईश्वरचंद्र विद्यासागर की जिंदगी में सादगी और सिद्धांत दोनों का समना महत्व था
बांग्ला गद्य का आदर्श
1841 में वे कोलकाता के फोर्ट विलियम कालेज में पढ़ाई करने लग गए। 1847 में संस्कृत महाविद्यालय में सहायक सचिव और फिर प्राचार्य बने। वे शिक्षा में विद्या के सागर और स्वभाव में दया के सागर थे। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी में विभिन्न विषयों पर 50 पुस्तकों की रचना की| कवींद्र रवींद्र ने उनके बांग्ला गद्य को आदर्श बताकर उसकी सराहना की| पिछले 150 सालों से अनेक पीढ़ियां उनकी लिखी पुस्तक ‘वर्ण परिचय’ के अक्षर ज्ञान सीखती आ रही हैं। नारी शिक्षा और उत्थान के प्रबल समर्थक ईश्वर चंद्र विद्यासागर का 29 जुलाई 1891 को हृदयरोग से निधन हो गया। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर कलकत्ता में अध्यापन कार्य करते थे। वेतन का उतना ही अंश घर परिवार के लिए खर्च करते जितने में कि औसत नागरिक स्तर का गुजारा चल जाता। शेष भाग वे दूसरे जरूरतमंदों की, विशेषता छात्रों की सहायता में
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खर्च कर देते थे। आजीवन उनका यही व्रत रहा। वे गरीबी में पढ़े थे इसीलिए अपना धन निर्धनों की आवश्यकताएं पूरी करने में लगा देते थे। एक दिन वे बाजार में चले ज ा रहे थे। एक हताश युवक ने भिखारी की तरह उनसे एक पैसा मांगा। विद्यासागर दानी तो थे पर सही पात्र परीक्षा किए बिना किसी की ठगी में नहीं आते। उन्होंने युवक से भीख मांगने का कारण पूछा। सारी स्थिति जानने पर मांगने का औचित्य लगा। सो एक पैसा तो दे दिया पर उसे रोककर उससे पूछा कि यदि अधिक मिल जाए तो क्या करोगे? युवक ने कहा कि यदि एक रुपया मिल तो उसका सौदा लेकर गलियों में फेरी लगाने लगूंगा और अपने
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क छोटा सा स्टेशन था, बहुत कम रेलगाड़ी ही वहां रुकती थी। शाम का समय था, अंधेरा हो रहा था। उसी समय एक रेलगाड़ी वहां रुकती हैं। रेलगाड़ी से एक व्यक्ति हाथ में अपना सूटकेस लिए बाहर निकलते हैं। उस व्यक्ति का नाम था मनमोहन, वो स्टेशन पर खड़े होकर कुली को आवाज लगाने लगा। लेकिन वहां आसपास कोई भी नजर नहीं आ रहा था, तभी स्टेशन मास्टर हाथ में लालटेन लेकर आए। उन्होंने मनमोहन से कहा : यहां कोई कुली नहीं हैं, यहां बहुत कम गाड़ी रुकती हैं। मास्टर ही इतना कह ही रहे थे तभी उनकी ओर एक व्यक्ति आया उसने मनमोहन का सूटकेस अपने कंधे पर रख लिया और कहा : परिवार का पोषण करने में स्वावलंबी हो जाऊंगा। विद्यासागर ने एक रुपया उसे और दे दिया। उसे लेकर उसने छोटा व्यापार आरंभ कर दिया। काम दिन दिन बढ़ने लगा। कुछ दिन में वह बड़ा व्यापारी बन गया। एक दिन विद्यासागर उस रास्ते से निकल रहे थे कि व्यापारी दुकान से उतरा उनके चरणों में पड़ा ओर दुकान दिखाने ले गया ओर कहा - यह आपके
आपको कहां जाना हैं चलिए। स्टेशन मास्टर जी बहुत हैरान हुए वे कुछ कहने ही वाले थे तभी वह व्यक्ति कंधे पर सूटकेस लिए उन्हें इशारा कर देता हैं। मनमोहन स्टेशन से बाहर निकले तो उस व्यक्ति ने पूछा : आपको कहां जाना हैं, साहब? मनमोहन : मुझे ईश्वर चंद्र विद्यासागर जी से मिलना हैं, सुना हैं उनका घर नजदीक ही हैं। व्यक्ति : जी आपने ठीक कहा, चलिए में आपको ले चलता हूं। कुछ देर मनमोहन उस व्यक्ति के साथ चलते गए, वो व्यक्ति उन्हें रास्ते में स्टेशन और जगह के बारें में बताता गया, इस तरह रास्ता कैसे बीत गया कुछ पता नहीं चला। वे ईश्वर चंद्र विद्यासागर के घर पहुंच गए, उस व्यक्ति ने हाथ पैर धोने के लिए पानी दिया और बैठने के लिए कुर्सी लेकर आए, मनमोहन हाथ पैर धोकर बैठे फिर उस व्यक्ति ने कहा : जी मनमोहन जी कहिए, मैं ईश्वर चंद्र विद्यासागर हूं। मनमोहन ने उनकी सादगी के बारे में सुना तो था, लेकिन आज मनमोहन से रहा नहीं गया, उसने ईश्वर चंद्र विद्यासागर के चरण पकड़ लिए, विद्यासागर ने मनमोहन को उठाया और गले से लगा लिया। ऐसे थे समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर, सादगी से रहने वाले और समाज के लिए हमेशा अच्छा सोचने वाले व्यक्ति इसलिए लोग आज भी उन्हें याद करते हैं। दिए एक रुपए की पूंजी का चमत्कार है। विद्यासागर प्रसन्न हुए और कहा जिस प्रकार तुमने सहायता प्राप्त करके उन्नति की उसी प्रकार का लाभ अल्प जरूरतमंदों को भी देते रहना। पात्र उपकरण लेकर ही निश्चिंत नहीं हो जाना चाहिए। वैसा ही लाभ अनेकों को पहुंचाने के लिए समर्थता की स्थिति में स्वयं उदारता बरतनी चाहिए। व्यापारी ने वैसा ही करते रहने का वचन दिया।
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पुस्तक अंश
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सेशले ्स
भारत सेशेल्स को न केवल एक समुद्री पड़ोसी के रूप में देखता है, बल्कि उसे एक भरोसेमंद दोस्त और मजबूत रणनीतिक साझेदार के रूप में भी मानता है। हमारी सुरक्षा भागीदारी बहुत मजबूत है। इसने हमें समुद्री सुरक्षा को उन्नत बनाने के लिए हमारी साझा जिम्मेदारी को पूरा करने में सक्षम बनाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
सेशेल्स में पेड़ लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
सेशेल्स में एक स्वागत समारोह में भारतीय समुदाय को संबोधन
दोनों भूमि हजारों मील की दूरी पर अलग हो गई। प्रकृति ने हमें अलग किया, लेकिन हमारे दिल कभी अलग नहीं हो सकते। (13 नवंबर 2014)
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विक्टोरिया, सेशेल्स: स्टेट हाउस में सेशेल्स के राष्ट्रपति जेम्स एलिक्स मिशेल के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
धानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 10 से 11 मार्च, 2015 के बीच सेशेल्स की यात्रा पिछले 34 वर्षों में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। इसमें चार द्विपक्षीय समझौतों पर सहमती बनी, जिसमें समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देना, हाइड्रोग्राफिक्स में सहयोग, नवीकरणीय ऊर्जा, आधारभूत संरचना विकास और नौपरिवहन (नेविगेशन) और इलेक्ट्रॉनिक नेविगेशन चार्टों का लेन-देन शामिल है। सेशेल्स के राष्ट्रपति जेम्स मिशेल, उपराष्ट्रपति डैनी फॉरे के साथ चर्चा करने के बाद पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत, सेशेल्स के साथ अपनी साझेदारी को दोनों देशों के समान उद्देश्यों की पूर्ति की तरह देखता है, जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र में लोगों का विकास, उनकी समृद्धि और शांति शामिल है। दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह साझा
सीएसआरएस इंडिया-सेशल्स कोऑपरेशन प्रोजेक्ट के लिए पट्टिका और रडार के परिचालन का अनावरण करते हुए पीएम मोदी
जिम्मेदारी में से एक थी। उन्होंने इस अवसर पर सेशेल्स को एक और डोर्नियर विमान सौंपने और तटीय निगरानी रडार परियोजना बनाने में मदद करने के भारत के फैसले की भी घोषणा की। यात्रा के दौरान जलवायु परिवर्तन पर विचारों के एक मजबूत संमिलन पर भी प्रकाश डाला गया।
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ज्ञान कहता है कि हजारों साल पहले सेशेल्स और भारत एक ही भूमि थे, और जब प्राकृतिक उथलपुथल होती है तो सब कुछ बिखरता है। दोनों भूमि हजारों मील की दूरी पर अलग हो गई। प्रकृति ने हमें अलग किया, लेकिन हमारे दिल कभी अलग
नहीं हो सकते। आज, कोई चाहे जहां जाए, लेकिन जीवन शाह का नाम जरूर जानता है। वह अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन समाज में अपने योगदान की वजह से उन्होंने सेशेल्स और भारत दोनों को कुछ बेहतर दिया और करीब लाने का काम किया।
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पुस्तक अंश
पोर्ट लुइस, मॉरीशस: मॉरीशस की नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
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मॉरीशस
शेल्स की यात्रा के बाद 11 से 12 मार्च के बीच पीएम मोदी ने मॉरीशस की दो दिवसीय यात्रा की। मोदी ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ और राष्ट्रपति राजकेश्वर पुरयाग और उनके प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। यात्रा के समापन पर जारी किए गए संयुक्त वक्तव्य में, दोनों देशों ने अपने गहरे और मजबूत
संबंधों की पुष्टि की। प्रधानमंत्री मोदी, जिन्हें मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस (12 मार्च) पर देश का मुख्य अतिथि नामित किया गया, ने भी प्रसिद्ध गंगा तालाब का दौरा किया। मोदी ने मॉरीशस की नेशनल असेंबली और उनके सम्मान में आयोजित एक स्वागत समारोह को संबोधित किया। ‘बराक्यूडा’ नामक एक जहाज मॉरीशस
के राष्ट्रीय तट रक्षक में शामिल किया गया। इस यात्रा के दौरान, भारत और मॉरीशस ने 3 समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसमें महासागरीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में सहयोग, मॉरीशस के अगालेगा द्वीप में समुद्रीय और हवाई परिवहन सुविधाओं में सुधार और चिकित्सा और होम्योपैथी की पारंपरिक प्रणाली में सुधार शामिल थे। भारत से ताजा आमों के आयात के लिए एक प्रोटोकॉल और सांस्कृतिक सहयोग के लिए एक कार्यक्रम पर भी सहमती बनी। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 मार्च, 2015 को मॉरीशस की नेशनल असेंबली को भी संबोधित किया।
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मॉरीशस और भारत की सरकारें, हमारे संबंधित देशों और हमारे लोगों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता के साथ एक बेहतर और दीर्घकालिक भविष्य का समान दृष्टिकोण साझा करती हैं। मॉरीशस का सामाजिक-आर्थिक विकास, उसके लंबे समय से मित्र और सहयोगियों के समर्थन के बिना संभव नहीं हो पाता। इन मित्रों में भारत एक हॉलमार्क की तरह है। अनिरुद्ध जगन्नाथ मॉरीशस के प्रधानमंत्री
मॉरीशस में भारतीय समुदाय को संबोधन
30 वर्षों के बाद, भारत के लोगों ने एक ऐसी सरकार चुनी है जिसको देश की संसद में पूर्ण बहुमत है। मॉरीशस के लोगों ने भी एक ऐसी सरकार चुनी है जिसको पूर्ण बहुमत प्राप्त है। (13 नवंबर 2014)
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मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति राजकेश्वर पुरयाग के साथ बैठक में प्रधानमंत्री मोदी
रीशस को देखकर या मॉरीशस के इतिहास को पढ़ने वाला कोई भी व्यक्ति इसकी सराहना करेगा कि 100 साल पहले जिन मजदूरों को यहां लाया गया था उन्होंने इस भूमि को स्वर्ग में बदल दिया है। 30 वर्षों के बाद, भारत के लोगों ने एक ऐसी सरकार चुनी है जिसको देश की संसद में पूर्ण बहुमत है। मॉरीशस के लोगों ने भी एक ऐसी सरकार चुनी है जिसको पूर्ण बहुमत प्राप्त है। इसका कारण यह है कि वर्तमान पीढ़ी परिवर्तन की ओर देख रही है।
मॉरीशस में, स्वतंत्रता की उम्मीदें और वादे हर गुजरते दिन के साथ उज्ज्वल हो गए हैं...मॉरीशस लोकतंत्र की उज्ज्वल मशाल रूप में खड़ा है। यह महान सभावना के साथ रहने वाले विशाल विविधता के दस लाख से अधिक लोगों का एक राष्ट्र है। नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री (जारी अगले अंक में)
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स्वच्छता
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गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं गणित
जहां दूसरे शिक्षक ट्यूशन पढ़ाने के नाम पर पैसे कमाते हैं, वहीं वडोदरा के बलदेव पारी मुफ्त में गरीब बच्चों को गणित का ज्ञान दे रहे हैं
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जरात के वडोदरा में एक शिक्षक हाइटेक तरीके से हजारों गरीब छात्र-छात्राओं को गणित का ज्ञान दे रहे हैं। उनकी कक्षा के लिए बच्चों को किसी भी तरह की फीस नहीं अदा करनी पड़ती है। बच्चे घर बैठे ही उन की क्लास अटेंड कर लेते हैं। हम बात कर रहे हैं शिक्षक बलदेव पारी की, जिन्हें शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए साल 2017 में नेशनल अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। बलदेव पारी दूसरे शिक्षकों से अलग हैं। वह इंटरनेट के जरिए हजारों बच्चों को गणित पढ़ा रहे हैं।
उनकी गणित की कक्षा ऐसे बच्चों के लिए वरदान है, जो ट्यूशन के लिए फीस नहीं दे सकते। बलदेव ने सोशल मीडिया पर पढ़ाने के लिए किसी तरह का प्रशिक्षण नहीं लिया। इसके बावजूद उनका अपना एक पोर्टल और यूट्यूब चैनल भी है। इनकी मदद से वह बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बलदेव गरीब बच्चों को इंटरनेट के जरिए पढ़ाकर उनका भविष्य संवारने में जुटे हैं। बलदेव का सपना है कि बच्चे उनकी कक्षा की मदद से घर पर बैठे पढ़ाई करें और आगे बढ़ें। वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर वह गणित की क्लास के विडियो
अपलोड करते हैं। इसके लिए उन्होंने स्टूडियो बनाया है, जहां उनके क्लास की रिकॉर्डिंेग होती है। उनकी वेबसाइट के 93 लाख विजिटर हैं। वहीं, उनके यूट्यूब चैनल के 5,500 फॉलोअर्स बन चुके हैं। अब बच्चे कंप्यूटर और स्मार्टफोन के जरिए गणित की उलझनों को आसानी से समझ सकते हैं। उनकी इस क्लास की वजह से हजारों बच्चों को ट्यूशन की जरूरत नहीं पड़ रही। बलदेव जूनागढ़ जिले के बरवाला सेकेंडरी स्कूल के शिक्षक हैं। बलदेव वहां नवीं और दसवीं के बच्चों को गणित और विज्ञान पढ़ाते हैं। बता दें कि बलदेव राज्य के उन दो शिक्षकों में से एक हैं, जिन्हें शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने के लिए 2017 में नेशनल अवॉर्ड मिला है। बलदेव जो कि एमएससी, बीएड और एमए की पढ़ाई कर चुके हैं, उन्हें लगता है कि पढ़ाई में कमजोर बच्चों को ट्यूशन की जरूरत होती है। मगर कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनकी आर्थििक स्थिति अच्छी नहीं होती है
बन रहा है स्पेस ऐलिवेटर
प्रदूषित हवा में सांस लेने से बिगड़ेगा गणित का ज्ञान
चीन के शहरों के मुकाबले भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति ज्यादा गंभीर है
लं
बे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से संज्ञानातमक संबंधी कौशल पर असर पड़ता है जिससे मौखिक और गणित परीक्षा के अंकों में कमी आ सकती है।
चीन में किए गए एक शोध में आगाह किया गया है कि सामाजिक कल्याण पर प्रदूषण का अप्रत्यक्ष तौर पर असर सोच से कहीं ज्यादा हो सकता है। यह शोध पत्रिका पीएनएएस में प्रकाशित हुआ है। अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान में वरिष्ठ शोधार्थी शिओबो झांग ने कहा, ‘चीन के शहरों के मुकाबले भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति ज्यादा गंभीर है। मुझे संदेह है कि भारत में इसका असर बेहद बुरा होगा।’ झांग ने कहा, ‘लंबे समय तक प्रदूषित वायु में सांस लेने से मौखिक और गणित परीक्षाओं में ज्ञानात्मक प्रदर्शन में बाधा उत्पन्न होती है।’ (एजेंसी)
वह ट्यूशन के लिए फीस देने में असमर्थ होते हैं। जहां दूसरे शिक्षक ट्यूशन पढ़ाने के नाम पर पैसे कमाते हैं, वहीं बलदेव ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने इंटरनेट के जरिए क्लास चलाने का फैसला लिया, जिससे बच्चे प्राइवेट शिक्षक पर निर्भर ना रहें। बलदेव ने बताया कि, 'मैंने 2010 में अपनी वेबसाइट रजिस्टर कराई और इस पर काम शुरू कर दिया। हालांकि मैं इस काम में कुशल नहीं था। मैंने इस वेबसाइट के माध्यम से बच्चों को 2011 से पढ़ाना शुरू किया।' बलदेव अपनी वेबसाइट पर लगातार विडियो पोस्ट करते हैं। बच्चों का जब भी मन करता है वे उनकी वेबसाइट पर जाकर अपने सवालों का हल ढूंढ सकते हैं। वेबसाइट पर बलदेव प्रश्नपत्र भी अपलोड करते हैं। उन्होंने पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए बॉलिवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन के कार्यक्रम 'कौन बनेगा करोड़पति' के स्टाइल में प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी आयोजित किया। इतना ही नहीं उन्होंने ऐसे ब्लॉगर्स के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जो शिक्षा के लिए काम करते हैं। इसमें उनके सुझाव और टिप्स लिए। बलदेव का कहना है कि वह वेबसाइट पर बच्चों को केवल गणित पढ़ाने में ही नहीं सिमटना चाहते हैं। वह वेबसाइट पर वैल्यू एजुकेशन भी देते हैं। उनकी पत्नी भावना जो आयुर्वेदिक अस्पताल में काम करती हैं, वह वैल्यू एजुकेशन के लिए अपनी आवाज देती हैं। (एजेंसी)
जा
पान की एक टीम स्पेस ऐलिवेटर बनाने के लिए काम कर रही है। इसी महीने इसका पहला ट्रायल हो सकता हो। सैटेलाइट के जरिए तकनीक की जांच के लिए यह छोटा वर्जन होगा। शिंजोका यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने इसके लिए परीक्षण के उपकरण बनाए हैं। एच-2बी रॉकेट का लॉन्च जापान के स्पेस एजेंसी तानेंगशिमा से अगले सप्ताह लॉन्च हो सकता है। इस टेस्ट में एक छोटे आकार के ऐलिवेटर का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें एक बॉक्स होगा जो सिर्फ 6 सेंटिमीटर लंबा, तीन सेंटिमीटर चौड़ा और तीन सेंटिमीटर ऊंचा है। अगर सब
कुछ ठीक रहता है तो अंतरिक्ष में दो मिनी सैटेलाइट्स के बीच 10 मीटर तक का केबल लगाया जा सकेगा जो एक-दूसरे से अच्छी तरह से संपर्क में रहेंगे। यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने बताया, 'यह विश्व का पहला ऐसा प्रयोग है जिसमें अंतरिक्ष में ऐलिवेटर के इस्तेमाल को लेकर काम किया जा रहा है।' ऐलिवेटर बॉक्स की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखने के लिए सैटेलाइट में कैमरे भी लगाए जाएंगे। हालांकि, अंतरिक्ष में ऐलिवेटर इस्तेमाल के महत्वाकांक्षी सपने को पूरा करने के लिए लिहाज से यह अभी बस शुरुआती प्रयोग भर ही है। इसके लिए पहली बार आइडिया 1895 में रूस के वैज्ञानिक कॉन्स्टानटिन तॉसिलकोवास्की ने पेरिस में आइफिल टावर देखने के बाद दिया था। इसके लगभग एक सदी बाद ऑर्थर सी क्लार्क ने अपने उपन्यास में भी इस विचार को दोहराया था। इसके बावजूद तकनीकी बाधाओं के कारण इस दिशा में कोई बड़ी प्रगति नहीं हो सकी है। (एजेंसी)
24 - 30 सितंबर 2018
पुस्तक समीक्षा
डॉ.पाठक की संपूर्णता का व्याख्यान है ‘कु
डॉ. मणि भूषण मिश्र
लकमल’ नामक मैथिली महाकाव्य संस्कृत और मैथिली साहित्य के विद्वान पंडित गंगा प्रसाद झा की सद्यः प्रकाशित कृति है। सुलभ-स्वच्छता एवं सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता डॉ. विन्देश्वर पाठक के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित करता हुआ यह काव्य मिथिला, बिहार और देश की अनेक ज्वलंत समस्याओं पर हमारा ध्याना खींचता है। प्रस्तुत महाकाव्य का नायक डॉ. पाठक धीरोदात्त गुण से संपन्न हैं। इन्होंने देश में ही नहीं, विश्व में स्वच्छता का परचम लहराया है। एतदर्थ कवि ने ‘कुलकमल’ से इनकी उपमा कही है। कमल कीचड़ में खिलता है, किंतु यह स्वच्छता का प्रतीक है। डॉ. पाठक का जन्म एक कुलीन मैथिल ब्राह्मणपरिवार हुआ, किंतु वे समाज के वंचित, उपेक्षित, तिरस्कृत और हाशिए पर खड़े एक वर्ग विशेष को उनका मानवाधिकार, उनकी गरिमा लौटाने, उन्हें पुनः प्रतिष्ठित करने तथा सम्मानजनक आजीविका से जोड़ने के लिए कार्य करते हैं। एतदर्थ कवि लिखता है-
इतना ही नहीं, डॉ. पाठक का कर्म केवल दलितों के उद्धार तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि दो गड्ढेवाली सुलभ शौचालय तकनीक के आविष्कार, विकास और प्रचार-प्रयोग से वैश्विक स्तर पर स्वच्छता के क्षेत्रा में एक बड़ा परिवर्तन लाया है। कवि लिखता हैमलक त्याग सं जन-जीवन सतत स्वच्छ रहै छ। मल-त्याग से तो हम स्वच्छ होते ही हैं, किंतु उस मल का निपटान भी आवश्यक होता है, यदि ऐसा नहीं होगा तो यह वसुमती वसुधा आवास्य नहीं रहेगी। डॉ. पाठक इसकी चिंता करते हैं। कवि लिखता है कमलक कुशल कर्म कसौटी पर पर्यावरण रहय सुरक्षित। वह स्वच्छता भी कैसी हो? तो कवि लिखता है कि नदी के स्वच्छ जल की तरह, जो चांदी की तरह चमकती हुई हो और वह नदी भी निरंतरता के साथ बहती धारा वाली हो शुचिता सरिताक स्वच्छ पानी सन धारक नहि हो अस्त। डॉक्टर पाठक केवल मानव-मल के निपटान के प्रति ही चिंतित नहीं हैं, बल्कि उन्हें पेड़ों के कटने, गंगादि नदी-जल के प्रदूषित होने और वायु-प्रदूषण के साथ-साथ विनष्ट होती हुई प्राकृतिक संपदा, यथा,पर्वत आदि की भी चिंता है प्रस्तरक शिलाखंड सं नित्य होइछ गृह-निर्माण। गामक गाछक काटि-काटि स्वर्ण लंका केर
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‘कुलकमल’
तैयारी। सुन्दरि सीताक पंचवटी मे मानवता पर दानवता भारी।। सुन्दरि सुरसरि संग असह्य प्रदूषणक बलात्कार। अधहे जरल लास पफेक दै छ मध्य शुचि धारा।। कनति कहथि शुचिता, कमल करह कनेक विचार। नहि हो दूषित पवन-प्रणय से करह कोनो चमत्कार। जलक संग हो न्याय, तखनहि पीबि सकब चाय। डॉ. पाठक की दृष्टि में अस्वच्छता का संबंध अज्ञान से भी है। लापरवाही के कारण भी लोग गंदगी फैलाते हैं, इसीलिए कवि माता सरस्वती से इस अज्ञान को नष्ट करने के लिए प्रार्थना करता हैहे शुचिते सरस्वति! स्वीकार करू कवि गंगाक प्रणाम। हो अंत अज्ञानक अमल धवल हमर हृदयधाम।। कवि का मानना है कि यदि इस अज्ञान का अंत हो जाए और घर में शुचिता के साधन हो जाएं ;जैसा कि डॉ. पाठक चाहते हैं, तो बलात्कार-जैसी घटनाएं भी काफी हद-तक कम हो सकती हैंसरस्वती साक्षात् सरिपहु शुचिता, नहि हार-मांस केर नारी। जनिक साधना सं नहि टपि सकत कतहु व्यभिचारी।। कवि-कर्म की एक प्रमुख विशेषता है-प्रच्छन्नता। कवि गंगा प्रसाद झा ने इस विषय में भी अपने पांडित्य का पूर्ण प्रदर्शन किया है। महाकाव्य के अलग-अलग सर्गों में इन्होंने नायक का परिचय तो दिया है, किंतु प्रच्छन्नता के साथ। वे लिखते हैंमिथिला-प्रदेशक कर्मनिष्ठ, रमाकान्त सन साधक सिक्त। तनिक गृहणी कुल कमल, तनय विन्देश्वर अलंकृत।। ... कश्यप गोत्रा मिथिलामहीक मध्य सं आयल कमल-परिवार। समयान्तर अभिहित गाम गुंजित रामपुरपोहियार। माध्यमिक शिक्षाक सम्पादन गामहि मे बालाम्बुज कएल। उच्च ज्ञान पिपासा शान्ति-हेतु नगर पाटलिपुत्रा पहुंचल। डॉक्टर पाठक महात्मा गांधी के अनुयायी रहे हैं, उन्हीं के पद-चिह्नों पर चलकर इन्होंने देश से अस्पृश्यता ;छुआछूत और खुले में शौच की समस्या के निदान में अपना जीवन समर्पित कर दिया है।
लोगों ने इन्हें आधुनिक गांधी से संबोधित किया है। कवि लिखता हैमोहन सनक समाजसेवी सम्पादक अछि पोरबन्दर। तहिना आइ गौरवान्वित रामपुर गाम पाबि विन्देश्वर। ... हां धरती मांगि रहल छथि, आइ गांधीक सुन्दर विचार। सब सुखी हो सब नीरोग हो, आ नहि रहय कियो लाचार। डॉ. पाठक-द्वारा मैला ढोने की प्रथा की समाप्ति हेतु किए गए प्रयत्न पर कवि की पंक्ति हैअंतिम टीन उठाय मलक ओ सकुचि घरक दिशि चलली। कोई भी व्यक्ति समाज के अंदर ही रहकर उठना, बैठना, बोलना, खाना, पढ़ना-लिखना इत्यादि सीखता है। किंतु यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जो व्यक्ति समाज के लिए कार्य करता है, समाज उसका अभिनंदन करता है, उसे पुरस्कृत करता है। डॉ. पाठक के साथ भी ऐसा ही हुआ हैकुलकमलक शुचि कार्य देखि कं, लोक देलक प्रतिवेदन। शासन जागल, जनता जागल, भेल हुनक अभिनंदन।। डॉ. पाठक का सम्मान, केवल उनके व्यक्तित्व का सम्मान नहीं है, बल्कि उनके सम्मान से मिथिलांचल का सम्मान हुआ है, संपूर्ण भारतवर्ष सम्मानित हुआ हैधन्य-धन्य विन्देश्वर, मिथिला सेहो धन्य। भरत धरित्रा सेहो धन्य अछि, केओ नहि एहन अन्य।। ‘महाकाव्य’ की परिभाषा में ‘साहित्य-दर्पण’ में आचार्य विश्वनाथ लिखते हैंसर्गबन्धो महाकाव्यं तत्रौको नायकः सुरः।... इस दृष्टि से भी यह एकादश सर्गात्मक महाकाव्य है। काव्य का कथानक सज्जन व्यक्ति से संबंध रखनेवाला है। इसके नायक देवत्व गुण संपन्न प्रख्यात गांधीवादी डॉ. विन्देश्वर पाठक विगत 5,000 वर्षों से चली आ रही अमानवीय प्रथा को दूर कर समाज में एक नया सवेरा ला रहे हैं। वे विश्व में एक नवयुग का सूत्रापात करना चाहते हैं। यहां मुझे कविवर सुमित्रानंदन पंत की पंक्तियां याद आ रही हैंजग-जीवन में जो चिर महान सौंदर्य पूर्ण औ’ सत्य-प्राण
समीक्षित कृति : कृतिकार : प्रकाशक : पृष्ठ-संख्या : सहयोग-राशि :
कुलकमल पंडित गंगा प्रसाद झा प्रतिभा प्रकाशन केदारनाथ रोड मुजफ्फरपुर, बिहार 88 1101/- रुपए
मैं उसका प्रेमी बनूं नाथ जो हो मानव के हित समान। काव्य-कला की दृष्टि से यह महाकाव्य अपनेआप में पूर्ण है। कुछेक काव्यगत दोषों को छोड़कर इसमें संप्रेषणीयता, पद्यगत भाव-भंगिमा, आलंकारिक चमत्कार और विभिन्न रसों का समावेश दिखाई पड़ता है। ‘अग्निपुराण’ की एक पंक्ति है-‘अपारे काव्य संसारे कविरेक प्रजापतिः। यथा वै रोचते विश्वं तथेदं परिवर्तते। अर्थात इस अपार काव्यसंसार में कवि भी विश्व के स्रष्टा ब्रह्मा के समान आचरण करता है। जिस प्रकार ब्रह्मा इस विश्व में अपनी इच्छा के अनुसार,परिवर्तन करता है, वैसे ही कवि भी अपनी मर्जी का मालिक होता है। अंत में इसी पुस्तक सेधन्य कुलकमल विन्देश्वर, तोहर सुकीर्तित्व अमर हो। शुचिताक सुसंग्राम संपूर्ण विश्व मे सदिखन सफल हो।
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सािहत्य
24 - 30 सितंबर 2018
‘कहां गए ये लोग’ का लोकार्पण दिल्ली के हिंदी भवन सभागर में सविता चड्ढा के लेख संग्रह ‘कहां गए ये लोग’ का लोकार्पण सुलभ प्रणेता डॉ. विन्देश्वर पाठक ने किया
हि
न्दी भवन सभागार में सविता चड्ढा के लेख संग्रह ‘कहां गए ये लोग’ का भव्य लोकार्पण सुविख्यात साहित्यकार, समाज शास्त्री, समाज सुधारक एवं सुलभ के संस्थापक डॉ. विन्देश्वर पाठक ने किया । कार्यक्रम का संचालन करते हुए आथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. शिव शंकर अवस्थी ने लेखिका के अब तक के लेखन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की सविता चड्ढा की लोकार्पित कृति उन 17 दिवंगत साहित्यकारों पर केंद्रित है जिनके साथ सविता जी का अब तक का साहित्यक सफर रहा है। सविता चड्ढा ने पुस्तक में शामिल सभी 17
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साहित्यकारों को याद किया और उनके बारे में अपने संस्मरण भी सुनाए। अपने साहित्यिक गुरु राज कुमार सैनी से अपनी बात शुरू करते हुए सविता जी ने आशा रानी वोहरा, दिनेश्नंदिनी डालमिया, विष्णु प्रभाकर, यशपाल जैन, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. नारायणदत्त पालीवाल, जय प्रकाश भारती, डी राज कंवल, ओम प्रकाश नामी, महेंद्र खन्ना, ओम प्रकाश लागर, जगदीश चतुर्वेदी, वीरेंद्र प्रभाकर और डॉ. जय नारायण कौशिक पर लिखे अपने लेखों पर प्रकाश डालते हुए कई महत्वपूर्ण अनुभव सुनाए । डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल ने कहां गए ये लोग, लेख संग्रह को अनूठी कृति बताया तो अतुल प्रभाकर ने कहा की सविता जी का हिंदी प्रेम और
साहित्यकारों से आत्मीय लगाव इस पुस्तक के सृजन की नीव है। डॉ. विन्देश्वर पाठक ने अपने वक्तव्य में लेखिका की इस कृति को बहुत ही उपयोगी और ज्ञानप्रद बताया। उन्होंने कहा चिरंजीवी साहित्य वही होता है जो अंदर से उपजता है और जिसके सृजन में लेखक की अपनी प्रेरणा होती है। बाहरी डंडे के जोर से जो लिखा जाता है वह निष्प्राण होता है और अधिक दिनों तक टिकता भी नहीं। इस पुस्तक को सविता जी ने अपने अंतस की उपज से लिखा है, अपने मन से लिखा है, मनोयोग से संजोया है, इसीलिए ये चिरंजीवी होगी और नई पीढ़ी के लिए विशेष उपयोगी होगी । डॉ. गोविंद व्यास ने कहा अक्सर हमारी पीढ़ी
स्वच्छता की काव्य संध्या
पर आरोप लगता है की हम बजुर्गों का सम्मान नहीं करते इस पुस्तक की लेखिका ने इस आरोप को गलत सिद्ध कर दिया है। प्रख्यात व्यंगकार और साहित्यकार डॉ. हरीश नवल ने लेखिका के इस प्रयास की सराहना की और महादेवी वर्मा जी की एक पुस्तक का संदर्भ देते हुए कहा की लेखिका की इस पुस्तक में एक नई विधा का जन्म हुआ है जिसका बाद में अनुकरण हो सकता हैं। इस पुस्तक में लेख, रेखाचित्र और संस्मरण तीनों विधाओं का बखूबी समावेश किया गया है। डॉ. श्याम सिंह शशि ने इस कृति को महत्वपूर्ण बताते हुए पुस्तक में से कई दृष्टांत प्रस्तुत किए। डॉ. बी एल गौड़ ने लेखिका के अबतक के लेखन पर प्रकाश डाला और इस कृति की भरपूर सराहना की । डॉ. सरोजिनी प्रीतम ने लेखिका की संवेदनशीलता और लेखन के ढंग की विशेष सराहना करते हुए उपस्थित सभी साहित्य प्रेमियों के प्रति आभार प्रकट किया।
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी और अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के तत्वावधान में श्री गोवर्धन विद्या निकेतन स्कूल, शाहदरा में स्वच्छता के ज्वलंत संदर्भ पर केंद्रित कविता पर्व का आयोजन किया गया
ल्ली पब्लिक लाइब्रेरी और देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के तत्वावधान में दिल्ली के शैक्षिक संस्थान श्री गोवर्धन विद्या निकेतन स्कूल, शाहदरा में कविता पर्व का आयोजन किया। इस कविता पर्व की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध हिंदी कवि पंडित सुरेश नीरव ने की। मुख्य अतिथि क्षेत्र की पार्षद कुसुम लता तोमर रहीं। विशिष्ट अतिथि के रूप में अशोक कुमार ज्योति एवं पटना दूरदर्शन के निदेशक पुरुषोत्तम नारायण सिंह ने मंच को सुशोभित किया। कविता पर्व में कविता पाठ करनेवाले रचनाकारों में पुरुषोत्तम नारायण सिंह (पटना) और श्रीनगर से आए कवि नीरज नैथानी ने अपनी कविता से भारत के गौरवशाली अतीत का वर्णन कियामैं कथा सुनाने आया हूं,उस गौरवशाली भारत
की।
वैभवशाली भारत की, उस उन्नतशाली भारत की। कभी धरा में धाक जमीं थी नालंदा के शाला की,तक्षशिला भी कह रहा था गौरवशाली गाथा भारत की। नीरज नैथानी के बाद मथुरा से आए गयाप्रसाद मौर्य रजत ने देश की अस्मिता के लिए अपने आत्मोत्सर्ग तक की हुंकार भरते हुए कहा मेरा तन मन समर्पित वतन के लिए। आम्र समिधा समर्पित हवन के लिए। उर्दू शायर जनाब जमशेद माहिर ने देश के शत्रुओं को ललकारते हुए कहा मैं कभी शीशा बना तो सब मुझे तोड़ा किए बन गया पत्थर तो इज्जत से मुझे पूजा गया। कविता पर्व की अध्यक्षता कर रहे हिंदी के
प्रतिष्ठित कवि पंडित सुरेश नीरव ने देश के लिए शहीद होनेवालों के सम्मान में कविता पढ़ते हुए कहा तीन रंग का वीरों को मिलता है यहां कफन, करता है देश नमन ऐसा मेरा वतन। वीर शहीदों के आदर में अर्पित है तन-मन, झुककर करें नमन, ऐसा मेरा वतन। इनके बाद अशोक कुमार ज्योति ने पत्थरबाजों की खबर लेते हुए कश्मीर के सुरक्षा-प्रहरियों को कुछ इस तरह याद किया आज कुछ आकाशवाणी हुई है पत्थरबाजों की टोली चली है। इसके बाद क विष्णु विराट स्वाधीनता और स्वच्छता का अंतःसंबंध स्थापित करते हुए कहा किहमारी सारी प्रार्थनाएं अभिनंदन हैं स्वच्छता का, स्वतंत्रता का
हम सोच में स्वतंत्र हों, हमारे विचार शुद्ध हों इसके बिना हमारा व्यक्तित्व व्यर्थ है और व्यक्तित्व के बिना स्वाधीनता का क्या अर्थ है? कवयित्री मधु मिश्रा ने स्वच्छता को पूजा बताते हुए कहा गंदगी दरिंदगी है, आफत है स्वच्छता पूजा है, इबादत है। इन कवियों के अलावा रुचि चतुर्वेदी (आगरा), प्रदीप जैन (दिल्ली), मुनीष भाटिया घायल(हिसार), मदन मोहन घोटू(लखनऊ), आचार्य श्याम स्नेही (गुरुग्राम) और श्वेता तायल (इंदिरापुरम) ने भी कविता पाठ किया। इस अवसर पर अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति की ओर से रचनाकारों को शॉल एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
24 - 30 सितंबर 2018
आओ हंसें
टीटी बेहोश पप्पू : ये ट्रेन चल क्यों नहीं रही? टीटी: अरे, भारी वर्षा की वजह से ट्रेन लेट है। पप्पू : वर्षा इतनी भारी है तो वर्षा को ट्रेन से उतार क्यों नहीं देत।े पप्पू की बात सुनकर टीटी अब तक बेहोश। शादी का वीडियो दादी अपनी शादी का वीडियो देख रही थीं। पोता: दादी ये आदमी कौन है ? दादी: अरे यही तो तेरे दादा हैं। पोता: दादा तो इतने स्मार्ट लग रहे हैं। फिर आप इस बुड्ढे के साथ क्यों रहती हो।
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इंद्रधनुष
जीवन मंत्र
सु
अच्छी किताबें और अच्छे लोग जल्दी समझ में नहीं आते, उन्हें धैर्य से पढ़ना पड़ता है
डोकू -41
रंग भरो
महत्वपूर्ण तिथियां
• 24 सितंबर विश्व सफाई दिवस • 25 सितंबर पं. दीनदयाल उपाध्याय जयंती • 26 सितंबर विश्व मूक-बधिर दिवस • 27 सितंबर विश्व पर्यटन दिवस, राजा राममोहन राय स्मृति दिवस, सरदार भगत सिंह जयंती • 29 सितंबर ईश्वरचंद्र विद्यासागर जयंती विश्व हृदय दिवस
बाएं से दाएं
1. मुद्रा (3) 3. रक्षा हेतु साथ रहने वाला (5) 6. ठंडक, छाया (3) 8. भूरी आँखों वाला (4) 10. पर्याप्त (4) 11. चाबुक (2) 13. बादल (3) 15. पद में बड़ा (3) 17. संलग्न, व्यस्त (2) 19. सुगंधित फूलों का बाग (4) 20. सूद का व्यवसाय करने वाला (4) 23. निर्धन, पूँजी विहीन (3) 24. शहर का सबसे धनी व्यक्ति (5) 25. सीमा पार अवैध व्यापार करने वाला (3)
सुडोकू का हल इस मेल आईडी पर भेजेंssbweekly@gmail.com या 9868807712 पर व्हॉट्सएप करें। एक लकी विजेता को 500 रुपए का नगद पुरस्कार दिया जाएगा। सुडोकू के हल के लिए सुलभ स्वच्छ भारत का अगला अंक देख।ें
सुडोकू-39 का हल विजेता का नाम मीनाक्षी दिल्ली
वर्ग पहेली-39 का हल
ऊपर से नीचे
1. लड्डू (3) 2. रसदार (3) 3. संख्या (2) 4. साज-सँभाल (5) 5. स्वर्ण (3) 7. रक्षा करने वाला (3) 9. पूर्वज, पितृ (3) 12. चालाक (3) 14. दर-दर (5) 16. परम्परा (3) 18. पदक (3) 19. कामराज (3) 21. तबीयत, स्थिति (3) 22. नष्ट होने वाला (3) 23. गला (2)
कार्टून ः धीर
वर्ग पहेली - 41
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न्यूजमेकर
रो
ही म ा न अ
ई-कैंपेन
वायरल फोटो से गरीब परिवार की मदद
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क दुखभरी फोटो के वायरल होने की वजह से एक गरीब परिवार को करीब 57 लाख रुपये लोगों ने दिए हैं। इस तस्वीर को ट्विटर पर 31 हजार से अधिक बार शेयर किया गया था। दिल्ली के 37 साल के सफाईकर्मी अनिल की हाल में सीवर में काम करते हुए मौत हो गई थी। इसके बाद पत्रकार शिव सन्नी ने ट्विटर पर एक फोटो पोस्ट की, जिसमें पिता के शव के पास 11 साल के बच्चे को रोता हुआ दिखाया गया था। सोशल मीडिया पर इस तस्वीर के वायरल होने के बाद कई लोगों ने गरीब परिवार को मदद की पेशकश की। इसके बाद क्राउड फंडिंग वेबसाइट केट्टो डॉट ओआरजी पर एक
सीवर सफाई में जान गंवा चुके सफाईकर्मी के लिए चलाया ई-कैंपेन
एनजीओ की मदद से फंड जमा करने का कैंपेन
मन कौर
‘मन’ से युवा
102 वर्ष की मन कौर ने हाल ही में एक रेस में गोल्ड मेडल जीता है
जि
24 - 30 सितंबर 2018
स उम्र में लोग बेड पर आराम करते हैं या अपने काम भी दूसरों से करवाते हैं, उस उम्र में मन कौर जवान लोगों की तरह ना सिर्फ काम करती हैं, बल्कि अपनी फिटनेस की वजह से मेडल भी जीत रही हैं। खास बात यह है कि मन कौर की उम्र 102 साल है और उन्होंने हाल ही में एक रेस जीत कर साबित कर दिया है कि उम्र सिर्फ एक संख्या मात्र है। दिलचस्प है कि मन कौर ने 93 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत की और हाल ही में उन्होंने वर्ल्ड मास्टर एथेलेटिक्स में 200 मीटर रेस में गोल्ड मेडल हासिल किया है। यह रेस 100 से 104 की उम्र वालों के लिए आयोजित की थी। उन्होंने यह रेस 3 मिनट 14 सेकेंड में पूरी कर ली और गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया। कि इस रेस का आयोजन स्पेन में किया गया था। सोशल मीडिया पर भी मन कौर की काफी तारीफ हो रही है। इससे पहले भी मन कौर कई रेस में हिस्सा ले चुकी हैं। उन्होंने 200 मीटर की तरह 100 मीटर की रेस में भी हिस्सा लिया था और गोल्ड मेडल हासिल किया था। मन कौर को उनके 78 साल के बेटे से इस रेस की प्रेरणा मिली और उनके बेटे गुरुदेव ने 2011 में अपनी मां को खेल में वापसी करवाई थी।
चलाया गया। यह अभियान कारगर रहा और 2
दिनों में ही लोगों ने कुल 57 लाख रुपए अनिल के परिवार को मदद के लिए दिए। रिपोर्टों के मुताबिक, सुरक्षा उपकरणों के बिना सफाई करने की वजह से अनिल की मौत हुई थी। जिस रस्सी के सहारे वे सीवर में उतरे थे, वह कमजोर थी। अनिल के परिवार में उनकी पत्नी रानी और तीन बच्चे हैं। परिवार की गरीबी की हालत ये थी कि अंतिम संस्कार को भी उनके पास पैसे नहीं थे। परिवार दिल्ली के पश्चिमी डाबरी में किराए के कमरे में रहता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्राउड फंडिंग वेबसाइट केट्टो की फीस, जीएसटी और पेमेंट गेटवे का चार्ज सहित कुल 9.44 प्रतिशत काटकर बाकी पैसे पीड़ित के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे।
न्यूजमेकर बालिका शिक्षा के लिए स्केटिंग राणा उप्पलापति
बालिका शिक्षा के लिए स्केटिंग के जरिए जागरूकता अभियान
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शे से बिजनसमैन 37 साल के राणा उप्पलापति ने देश में बेटियों की शिक्षा के लिए बड़ा अभियान शुरू किया है। राणा खुद को आशावादी मानते हैं और उन्हें लगता है कि उनका अभियान जरूर कारगर रहेगा। 5 सितंबर को राणा ने 6 हजार किमी तक स्केटिंग अभियान शुरू किया, जो 90 दिन में पूरी होगी। इस दौरान उनका कारवां भारत के 20 मुख्य शहरों से होकर गुजरेगा, जिसमें 4 मेट्रो सिटी भी शामिल हैं। वह इस ट्रिप के जरिए 25 हजार बच्चियों के लिए 9 करोड़ का फंड इकट्ठा करेंगे। राणा ने अपनी यात्रा बेंगलुरु से शुरू की है। 10 दिन में ही उन्होंने 800 किमी की यात्रा पूरी कर ली। वे बताते हैं, ‘मैं प्रोफेशनल स्केटर नहीं हूं। पहले चरण ने मुझे काफी कुछ सिखाया है। बेंगलुरु से पुणे तक का रूट थोड़ा मुश्किल था। घाटों पर मैंने 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चढ़ाई की लेकिन ढलान पर स्पीड तेज (60 किमी प्रति घंटा) हो गई।’ जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने स्केटिंग क्यों चुना तो वो कहते हैं, ‘हम लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।
आरएनआई नंबर-DELHIN/2016/71597; संयुक्त पुलिस कमिश्नर (लाइसेंसिंग) दिल्ली नं.-एफ. 2 (एस- 45) प्रेस/ 2016 वर्ष 2, अंक - 41
अब लोग साइकलिस्ट या वॉकर पर इतना ध्यान नहीं देते हैं।’ 6 साल के बेटे के पिता राणा को गर्ल एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए किस बात ने मोटिवेट किया। इस पर वह कहते हैं, ‘अगर एक लड़की शिक्षित है तो पूरी पीढ़ी शिक्षित होगी। शिक्षा का अभाव सिर्फ करियर में ही बाधा नहीं पहुंचाता, बल्कि अगर एक लड़की अशिक्षित है तो वह स्वास्थ्य के मुद्दे, सफाई और प्रजनन के बारे में नहीं जान सकेगी।’