सुलभ स्वच्छ भारत - वर्ष-2 - (अंक 41)

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आवरण कथा

स्वच्छता

विशेष

जगमगा उठे देश के 9000 सुलभ शौचालय

विधवा विवाह को ऐतिहासिक समर्थन

पीएम मोदी का स्वच्छता संवाद

डाक पंजीयन नंबर-DL(W)10/2241/2017-19

आरएनआई नंबर-DELHIN/2016/71597

बदलते भारत का साप्ताहिक

वर्ष-2 | अंक-41 |24 - 30 सितंबर 2018

‘सुलभ स्वच्छता दीप’ से रौशन हुआ देश

अयोध्या प्रसाद सिंह

स्वच्छता, राजनीतिक स्वतंत्रता से अधिक महत्त्वपूर्ण है।’ महात्मा गांधी का यह कथन हमारे समाज में स्वच्छता के गूढ़ महत्व को दर्शाता है और यह बताता है कि स्वच्छता का दर्शन मानव जीवन का सबसे मूल और महत्वपूर्ण पहलू

होना चाहिए। गांधी के इसी कथन को अपनी साधना का सच्चा मंत्र बनाते हुए डॉ. विन्देश्वर पाठक और सुलभ संस्था हमेशा से कार्य करती रही है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब 15 सितंबर से 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती तक स्वच्छता पखवाड़ा मनाने का आह्वान करते हुए ‘स्वच्छता ही सेवा है’ का नारा दिया तो सुलभ परिवार भी

पूरी तन्मयता से इसे सफल बनाने में जुट गया। डॉ. विन्देश्वर पाठक और हजारों की तादाद में सुलभ परिवार के सदस्यों ने दिल्ली की सड़कों पर साफ-सफाई की और स्वच्छता का नारा लगाते हुए रैली निकाली। डॉ. पाठक ने स्वयं पैदल चलकर सफाई करते हुए स्वच्छता अभियान की अगुवाई की। इस मौके पर सबसे अद्भुत नजारा यह था कि

‘स्वच्छ भारत’ मिशन के तहत शुरू किए गए स्वच्छता पखवाड़ा ‘स्वच्छता ही सेवा है’ के पहले दिन सुलभ इंटरनेशनल के स्वच्छाग्रहियों ने सुलभ प्रणेता डॉ. विन्देश्वर पाठक के प्रेरक नेतृत्व में पूरे देश भर में भागीदारी की और ‘सुलभ स्वच्छता दीप’ अभियान शुरू किया

डॉ. पाठक के साथ भगवा वस्त्र धारण किए हुए ब्राह्मणों ने भी कंधे से कंधा मिलाते हुए सड़कों पर झाड़ू लगाई और सफाई की। इस तरह झाड़ू लेकर सफाई करने का काम किसी वर्ग विशेष का है, यह धारणा भी सुलभ ​के इस पहल से टूट गई और लोगों को भरोसा मिला कि देश जल्द स्वच्छ होकर विकसित राष्ट्रों की कतार में खड़ा होगा।


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