सुलभ स्वच्छ भारत - वर्ष-2 - (अंक 23)

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सम्मान

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डॉ. पाठक को मिलेगा निक्की एशिया पुरस्कार

आयोजन

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विशेष

किताबें कुछ कहना चाहती हैं तुम्हारे पास रहना चाहती हैं!

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जैव विविधता का सिमटता दायरा

कही-अनकही

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वकालत से तौबा ले आया फिल्मों में

sulabhswachhbharat.com आरएनआई नंबर-DELHIN/2016/71597

राजा राममोहन राय जयंती (22 मई) पर विशेष

वर्ष-2 | अंक-23 | 21 - 27 मई 2018

स्त्री जागरण के प्रथम प्रवक्ता

19 वीं सदी के प्रारंभ में विधवा विवाह के समर्थन और सती प्रथा के विरोध में राजा राममोहन राय जिस तरह एक नायक बनकर उभरे, वह आगे चलकर भारतीय नवजागरण का पूरा दौर बन गया

रा

प्रियंका तिवारी

जा राममोहन राय ने लार्ड विलियम बेंटिक की मदद से महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और कानून बनवाकर न केवल सती प्रथा को अवैध करार दिया, बल्कि इस मुद्दे पर सामाजिक जागरुकता भी फैलाई। इससे पहले भारत में विधवाओं की स्थिति काफी त्रासद थी। राजा राममोहन राय के प्रयास के बाद विधवा विवाह को सामाजिक मान्यता मिली। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को आमतौर पर लोग देश की आजादी के पूर्व की एक शती में समेटकर देखते हैं। इतिहासकारों ने भी कमोबेश यही दृष्टि अपनाई है, पर इस तरह के सीमित कालबोध से भारतीय चिंतन-दर्शन के साथ प्रकट होने वाले पुरुषार्थ का एक अहम सिरा हमारे हाथों से छूट जाता है। इसमें सबसे बड़ी बात जो समझने की है, वह यह कि स्वाधीनता संग्राम से पहले भारत धार्मिक-सामाजिक नवजागरण का प्रकाशित दौर देख चुका था।

नवजागरण के केंद्र में स्त्री

भारतीय नवजागरण के साथ खास बात यह रही कि इसका स्वरूप और इसके लिए हुई ऐतिहासिक पहल पूरी तरह अपनी माटी-पानी में सना था। इस पहल ने एक तरफ जहां देश को सांस्कृतिक रूप से सबल बनाया, वहीं इससे परंपरा के नाम पर ढोई जा रही सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ बड़ी जागृति आई। आगे इसी सबलता ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की भी जमीन तैयार की।


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