व्यक्तित्व
08
अक्षर प्रेम का संसार
सुलभ
सुलभ प्रणेता के लिए सेवा ही धर्म
10
डाक पंजीयन नंबर-DL(W)10/2241/2017-19
पुस्तक अंश
26 कही-अनकही
किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं
29
बॉलीवुड की ग्रेटा गार्बो
sulabhswachhbharat.com
वर्ष-2 | अंक-28 | 25 जून - 01 जुलाई 2018
फिर भी अाबाद है किताबाें की दुनिया
आरएनआई नंबर-DELHIN/2016/71597
इंटरनेट के जादुई प्रसार के दौर में भी छपे हुए शब्दों की दुनिया न सिर्फ आबाद है, बल्कि इसके प्रति पाठकों का रुझान बढ़ता जा रहा है। वैसे भी ऑनलाइन और ऑफलाइन होकर पढ़ने के सुख पर हमेशा भारी पड़ेगा अपनी प्रिय पुस्तक को अपने हाथ में लेकर पढ़ना
कि
एसएसबी ब्यूरो
सी ने पहली बार मिट्टी पर अंगुलियों से कुछ रेखाएं खींची होंगी पहली बार। पहली बार किसी ने रेत पर तो किसी ने पत्थरों पर कुछ निशान बनाए होंगे। वक्त के साथ रोशनाई बनी होगी। हर एक ध्वनि के लिए ऐसे ही संकेत गढ़े गए होंगे। मिट्टी, रेत, पत्थर और फिर भोजपत्रों से होते हुए कागज तक का सफर तय करने में भाषा को न जाने कितने हजार वर्ष का सफर तय करना पड़ा होगा। स्याही, कलम और कागज का सबसे पुराना रिश्ता जब पहली बार किताब की शक्ल में ढला होगा, तब शब्दों की दुनिया न जाने किस रोमांच से भर उठी होगी। आज किताबों की पूरी एक दुनिया बस चुकी है, लेकिन उस दुनिया में जाने वाले, उसे समझने वाले लगातार कम होते जा रहे हैं। हर किताब की यही चाहत होती
खास बातें इंटरनेट के प्रसार के बावजूद पुस्तकों के प्रकाशन का बाजार बढ़ रहा है पुरानी किताबों को संरक्षण देने के लिए हो रही है नई पहल पीएम मोदी की लोगों से अपील कि तोहफे में ‘बुके की बजाए बुक’ दें