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दो अन्मोल ख़ज़ाने
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तहक़ीक़ व तालीफ़
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दो अन्मोल ख़ज़ाने
हकीम मुहम्मद तारिक़ महमूद मज्ज़ूबी चग़ ु ताई ( )دامت برکاتہم
अबक़िी पब्ललशज़ज़ लाहौि
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गोल्ड मेडललस्ट
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78/3 अबक़िी स्रीट, मज़ंग चोंगी, क़ुतब ुज़ ा चौक, जेल िोड, लाहौि, पाककस्तान
९२-४२-३७५५-२३८४, ९२-४२-३७५८-६४५३, ९२-४२-३७५९-७६०५
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92-42-3755-2384, 92-42-3758-6453, 92-42-3759-7605
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दो अन्मोल ख़ज़ाने
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َّ ٰ ْ َّ ْح ِن الر ِح ْی ِم ِب ْس ِم ہّٰللا ِالر
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दो अन्मोल ख़ज़ाने
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क़ुिआन मजीद की पांच आयतें औि एक दआ ु , कुल ६ चीज़ें ऐसा ग़ेबी रूहानी असि िखती हैं ब्जन
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का इज़्हाि नीचे दीये गए तजुबाज़त, मुशाहहदात औि वाक़्यात से ज़ाहहि है । इस की इजाज़त
इजाज़त है ।
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आब्जज़ को कुछ अहलल् ु लाह से लमली हुई है । बन्दा औि उनकी तिफ़ से हि पढ़ने वाले को आम
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आज के इस मशीनी दौि में जहााँ हि तिफ़ अफ़िातफ़िी औि नफ़्सा नफ़्सी का आलम है हि
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आदमी अपने मुआम्लात को सुलझाने की कोलशशों में है औि दस ू िी तिफ़ अगि ककसी के
मआ ु म्लात माली तौि पि सल ु झे हुए हों या ज़माने से कुछ बेह्ति हों तो कोई भी इस नेअमत को बदाज़श्त नहीं किता। हसद, कीना, बुग़्ज़, अनाद हत्ता कक जाद ू के ज़रिये उसे नीचा हदखाने की
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कोलशश की जाती है ।
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पेशानी को बोसा दिया:
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अल्लामा सख़ावी رحمت ہللا علیہअबू बकि बबन मुहम्मद رحمت ہللا علیہसे नक़ल कितेेे हैं कक मैं
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हज़ित अबू बकि बबन मुजाहहद رحمت ہللا علیہके पास था कक इतने में शैख़-उल-मशाइख़ हज़ित लशबली رحمت ہللا علیہआये उनको दे ख कि अबू बकि बबन मज ु ाहहद رحمت ہللا علیہखड़े हो गए।
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उनसे लमले, उनकी पेशानी को बोसा हदया। मैंने उनसे अज़ज़ ककया कक मेिे सिदाि आप लशबली के
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साथ ये मआ ु म्ला किते हैं जब कक आप औि बग़दाद के सभी उल्लमा ये ख़्याल किते हैं कक ये पागल हैं। उन्हों ने फ़माज़या कक मैंने वही ककया जो हुज़ूि अक़दस ﷺको किते दे खा। किि उन्हों ने अपना ख़्वाब सन ु ाया कक मझ ु े हुज़िू अक़दस ﷺकी ख़्वाब में ज़्याित हुई कक हुज़िू ﷺकी ख़ख़दमत में लशबली رحمت ہللا علیہहाब्ज़ि हुए। हुज़ूि अक़दस ﷺखड़े हो गए औि उनकी पेशानी
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को बोसा हदया औि मेिे अज़ज़ किने पि आप ﷺने इशाज़द फ़माज़या कक ये हि नमाज़ के बाद ये आयत शिीफ़ लक़द जा-अ-कुम िसूलुब्म्मं अन्फ़ुलसकुम आख़ख़ि तक पढ़ता है । अबू बकि رحمت ہللا علیہकहते हैं कक इस ख़्वाब के बाद जब लशबली رحمت ہللا علیہआये तो मैंने
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उनसे पूछा कक नमाज़ के बाद क्या दरूद पढ़ते हो तो उन्हों ने यही बताया। एक औि साहब से इसी तिह का एक कक़स्सा नक़ल ककया गया है । अब-ू अल-क़ालसम ख़ज़्ज़ाफ़ कहते हैं कक एक बाि
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हज़ित लशबली رحمت ہللا علیہअबू बकि बबन मुजाहहद رحمت ہللا علیہकी मब्स्जद में गए। अबू
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बकि علیہ ہللا رحمتउनको दे ख कि खड़े हो गए। अबू बकि رحمت ہللا علیہके शागगदों में इस का
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चचाज़ हुआ। उन्हों ने उस्ताद से अज़ज़ ककया कक आप की ख़ख़दमत में वज़ीिे आज़म आये उनके ललए तो आप खड़े हुए नहीं लशबली के ललए आप खड़े हो गए। उन्हों ने फ़माज़या कक मैं ऐसे आदमी के
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ललए क्यूाँ ना खड़ा हूाँ ब्जस की तअज़ीम हुज़ूि अक़दस ﷺख़द ु किते हैं इस के बाद उस्ताद ने
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अपना एक ख़्वाब बयान ककया औि ये कहा। िात मैंने हुज़ूि अक़दस ﷺकी ख़्वाब में ज़्याित की थी। हुज़ूि ﷺने ख़्वाब में इशाज़द फ़माज़या था कक कल को तेिे पास जन्नती शख़्स आएगा। जब
वो आये तो उसका एह्तिाम किना। अबू बकि رحمت ہللا علیہकहते हैं कक इस के दो एक हदन के
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बाद किि हुज़िू ﷺकी ख़्वाब में ज़्याित हुई। हुज़िू अक़दस ﷺने ख़्वाब में इशाज़द फ़माज़या। ऐ
अबू बकि, अल्लाह तुम्हािा भी ऐसा ही इक्राम फ़माज़ए जैसा कक तुमने एक जन्नती आदमी का
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इक्राम ककया । मैंने अज़ज़ ककया। या िसल ू ल्लाह! ﷺलशबली رحمت ہللا علیہका ये रुतबा आप के
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पास ककस वजह से है । हुज़ूि अक़दस ﷺने इशाज़द फ़माज़या कक ये पााँचों नमाज़ों के बाद ये आयत
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पढ़ता है । लक़द जा-अ-कुम िसूल (अलआयह) औि ८० बिस से इसका ये मामूल है । बहवाला
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फ़ज़ाइल दरूद शिीफ़ ( बहवाला अलक़ौल-उल-बदीअ)
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ज़ैि ए नज़ि ६ अन्मोल ख़ज़ानों यानन पांच क़ुिआनी आयतें औि एक दआ ु का मजमूआ अगि कोई हि फ़ज़ज़ नमाज़ के बाद पढ़ ले तो दजज़ ज़ैल फ़ज़ाइल व फ़ायदे हालसल होंगे। वाज़ेह िहे ब्जतना अदब एह्तिाम औि एह्तमाम इस के पढ़ने में होगा औि इसके साथ साथ ब्जतनी तवज्जह औि ध्यान से इसको पढ़ा जायेगा उतने ज़्यादा फ़ज़ाइल व फ़ायदे हालसल होंगे
ेदो अन्मोल ख़ज़ान
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क्योंकक, अल्लाह तआला बन्दे के गुमान के मुताबबक़ उस से मुआम्ला किता है । "इस ललए ब्जतना कालमल, अकमल औि मुकम्मल यक़ीन औि गुमान अल्लाह जल्ल शानुहू की ज़ात पि होगा उतने ज़्यादा फ़ायदे औि फ़ज़ाइल हालसल होंगे। َّ َّ ْ नीचे दी गयी ६ दआ े के साथ हि फ़ज़ज़ नमाज़ कبِ ْس ِم ہّٰللا ِالر ْٰح ِن الرح ِْی ِم ु ओं को पहले दरूद शिीफ़ किि
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बाद पढ़ें वो ६ दआ ु एं ये हैं।
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َّ َّ َّ ْ َّ َّ ْ َّ ْ َّ َّ َّ ْ ْ َّ ْ ْ َّ ْ ُ ْ َّ َّ ْ ْ َّ َّ َّ ٓ ْ َّ ٰ ْیم وَل الضا ِل ی oام ِْی ْیم ۵غ ِ ْی المغضو ِب عل ِ ِِصاط ال ِذی انعمت عل ِ ْ َّ َّ ٗ َّ ْ َّ ُ َّ ٰ َّ َّ ُ َّ ْ َّ ُ ْ َّ ُ ْ ُ َّ َّ ا ُ ُ ٗ َّ ٌ َّ َّ َّ ْ ٌ َّ ٗ َّ ْ َّ ٰ ٰ َّ َّ ْ ْ َّ ْ ِ َّ ْ َّ َّ َّ ْ َّ َم ذال ِذ ْی یشف ُع ع ِْندہ اَِل ِِب ِذنِہٖ یَّ ْعل ُم ت وما ِِف اَلرض ط اِف السمو ِ الِل َل اِلہ اَِل ھو اْلی القیوم ج َلتخذہ ِسنۃ وَل َنم ط لہ م ِ َّ َّ َّ اُ ُ ٗ ْ ُ ُ َّ َّ ُ َّ ْ َّ ُ ْ َّ َّ ْ َّ َّ ْ ْ ْ َّ َّ َّ اخ ْل َّف ُھ ْم ج َّو ََّل ُُی ِْی ُط ْو َّن ب َّش ْ ْ ْ َّ َّ َّ ٓ َّ َّ َّ ُ ْ ُ ُ َّ ٰ ٰ َّ ْ َّ ْ ِ ال َّع ُِظ ْی ُم o ْیم وم ْی َِم عِل ِمہٖ اَِل ِِباشا ئ و ِسع کر ِسیہ السمو ِت واَلر ِض وَل َیدہ حِفُظھما وھوالع ِ مابی ای ِد ِ ِ ٍ ٓ ا سورہ بقرہ ایت 522پارہ منرب (3 (
ْ ْ َّ ُ َّ َّ ْ َّ ٰ َّ َّ ُ ْ َّ ْ ُ ْ َّ ُ َّ ْ َّ ْ َّ اخ َّتلَّ َّف َّالذ ْ َّ َّ َّ ُ َّ َّ ٗ َّ ٰ َّ َّ ُ َّ ْ َّ ٰ َّ ُ َّ ُ ْ ُ ْ ْ َّ ٓ ً ْ ْ ْ ی اَلسَلم وما ِ ش ِھد ہّٰللا انہ َل اِلہ اَِل ھ َّوَل والمل ِئکۃ واول ْوا ال ِعل ِم قا ِِئام ِِبل ِقس ِط ط َل اِلہ اَِل ھ َّوالع ِزْی اْلک ِْیم oاِن ال ِدی عِندہّٰللا ِ ِ ُ ْ ُ ْ ْ ٰ َّ ٓ ٓ َن ْم َّو َّ ْ َّ ْ ُ ٰ ٰ اج ٓائَّ ُھ ُم ْال ِع ْل ُم َّب ْغ ًیام َّب ْی َّ ُ َم م َّب ْعد َّم َّ ت ہّٰللا ِ َّف ِا َّن ہّٰللاَّ َّ ِ ْ ُ ْ َّ ب اَِل ِ ْ اوُت الکِت َّ اب( oال معران ایت منرب 81 ،81پارہ منرب )3۔ َم یکف ْر ِِبی ِ ِ َیع اْلِس ِ
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َّ َّ ْ َّ َّ ُ ْ َّ ُ ْ ٌ ِ ْ َّ ْ ُ ُ ْ َّ ْ ٌ َّ َّ ْ ِ َّ َّ ُ ْ َّ ْ ٌ َّ َّ ْ ُ ْ ْ ُ ْ ْ َّ ُ ٌ َّ ی َّر اوف الرح ِْیم لقد جائ کم رسول َم انف ِسکم ع ِزْی علیہ ماع ِنتم ح ِریص علیکم ِِبلمو ِم ِن َّ َّ َّ ْ ْ ْ ُ َّ ٰ َّ َّ ُ َّ َّ َّ ْ َّ َّ َّ ْ ّک ُ ف ِا ْن َّ ُتل ْو َّاف ُقل َّح ْس ِ َّ ت َّو ُھ َّو َّر ُب ال َّع ْر ِش ال َّع ُِظ ْی ِم o ِب ہّٰللا َل اِلہ اَِل ھو ط علی ِہ ُت
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)التوبۃایت منرب 851,851پارہ (88
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َّ ٰ ُ َّ َّ ْ َّ َّ ْ َّ ٰ َّ َّ َّ ْ َّ َّ َّ ْ َّ َّ َّ َّ ْ ُ َّ َّ ْ َّ ُ ْ َّ ْ ْ َّ ْ َّ َّ ٓ َّ ُ َّ َّ َّ َّ َّ ْ َّ َّ ْ َّ ُ ائ َْل یَّک ْن اللھم انت ر ِِب َل اِلہ اَِل انت علیک ُتّکت و انت رب العر ِش الک ِری ِم ط ماشائ ہّٰللا َکن وما َل یش َّ َّ َّ ْ َّ َّ َّ ُ َّ َّ َّ ْ َّ ْ َّ ْ َّ ْ َّ ُ َّ َّ َّ َّ ٰ ُ َّ ْ َّ ْ َّ َّ َّ َّ َّ ْ َّ َّ َّ ُ َّ ْ ْ َش ٍئ عِل ًما ک ِ الع ُِظی ِم ط اعلم ان ہّٰللا لَع ِ ک َش ٍئ ق ِدی ۵وان ہّٰللا قد احاط ِب ِ وَل حول وَل قوۃ اَِل ِِبلِل ِالع ِ ِ َّ ٰ ُ َّ ْ َّ ُ ْ ُ َّ ِ ْ َّ َّ ْ ْ َّ ِ ْ َّ ُ َّ َّ َّ ْ َّ ٰ ٌ َّ َّ َّ َّ َّ ْ َّ ٰ َّ ُ َّ اط م ْست ِق ْیم ۔ o ک داب ٍۃ انت اخِذ م ِبنا ِصی ِِتا اِن ر ِِب لَع ِِص ٍ ش ِ ش نف ِِس و َم ِ اللھم ا ِِِن اعوذ ِبک َم ِ
(दआ ) رحمت ہللا علیہ ु ए अबू ददाज़ि
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ُ ُ ٰ ُ َّ ٰ َّ ْ ُ ْ ُ ْ ا ْ ْ ُ ْ َّ َّ ْ َّ َّ ُ َّ َّ ْ ُ ْ ُ ْ َّ ِ َّ ْ َّ َّ ٓ َّ َّ ُ ُ َّ ْ َّ َّ ُ َّ ُ َّ ْ َّ َّ ُ َّ َّ ْ َّ ْ ُ َّ َّ َّ ٰ ُ َّ ْ ٍ َّ ْ ٌ ُ ْ ِ ُ ک َش ئ ق ِدی ُoتِل ْنع الملک من تشائ وت ِعز َم تشائ وت ِذل َم تشائ ِبی ِدک اْلْیط اِنک لَع ِ ق ِل اللھم م ِلک المل ِک ُت ِِت الملک َم تشائ وت ِ َّ ُ ْ َّ ْ َّ ْ َّ َّ َّ ُ ْ ِ ُ َّ َّ َّ ْ َّ ْ َّ ُ ْ ُتر ُج ْال َّمی َّ َم ْاْلَّی َّو َّ ْ َم ْال َّ َم ت َّ َّش ٓائُ ب َّغ ْ ِ َّ ت ِ َّ َت ُز ُق َّ ْ ُتر ُج ْاْل َّ َّی ِ َّ و ت ی اب o م ِ ِ ْی حِس ٍ ِ ِ ِ اللیل ِِف الَنا ِر و ُتِل الَنار ِِف اللی ِل و ِ ِ ٓ ٓ (ال معران ایت منرب 52،52پارہ )3
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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जब मुब्श्कलात आपको मायूस कि दें ---रिज़्क़ की तंगी:
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ऐसे लोग जो रिज़्क़ की तंगी पिे शानी औि बेिोज़गािी का लशकाि थे। जब उन्हों ने ६ चीज़ों का
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हुए। ख़श ु हाल ज़िन्िगी:
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एह्तमाम यानन हि फ़ज़ज़ नमाज़ के बाद औि कालमल यक़ीन से पढ़ा तो है ित अंगेज़ फ़ायदे ज़ाहहि
एक शख़्स लाहौि, शेख़प ु ूिा िोड की एक लमल में काम किते थे। ये अच्छी पोस्ट पि थे। लमल के
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माललकों से ककसी बात पे अन बन हो गयी औि उन्हें अपनी नोकिी से हाथ धोना पड़ा। ये कुछ
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अिसा तो जमा पाँज ू ी पि गुज़ािा किते िहे । लेककन आख़ख़ि कब तक। सािा समाज़या ख़त्म हो गया। मुआम्ला उधाि पि आ गया लोगों से उधाि ले कि अपना गुज़ािा चलाने लगे। आख़ख़ि काि लोगों
ने उधाि दे ना भी बंद कि हदया। इसी दौिान नोकिी के ललए कोलशश भी किते िहे लेककन हि जगा
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नाकाम। बन्दा ने मुलाक़ात पि उस आदमी को इन अन्मोल आयात का अमल पढ़ने को कहा।
शान ए किीमी ने किम फ़माज़या औि हदन किि गए। आज वही शख़्स किि से अच्छी ब्ज़न्दगी औि
नोकिी बहाल हो गयी:
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ख़श ु हाल हदन गुज़ाि िहा है ।
एक पलु लस ऑकफ़सि रिश्वत लेने के जम ु ज़ में मअ ु त्तल हो गए। उन्हों ने बहाली की बहुत कोलशश
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की लेककन बड़े ऑकफ़सि एक अिसा से नािाज़ थे इस ललए उनका काम ना हुवा। एक साहब के
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ज़रिये से उस पलु लस ऑकफ़सि ने मल ु ाक़ात की। बेचािा बहुत पिे शां औि पशेमां था दोस्त सब साथ छोड़ गए थे। लमज़ाज में सादगी औि तवाज़ोअ आ गया था। मैंने उस से रिज़्क़ हलाल का वादा ले कि हि फ़ज़ज़ नमाज़ के बाद यही ६ चीज़ें पढ़ने को अज़ज़ कीं। चंद महीनों बाद लमले। नोकिी बहाल हो गयी औि वो मुत्मइन थे।
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ग्रीन कार्ड िब्त: एक नोजवान बहुत अिसा पहले अमिीका में सेटल थे। ग्रीन काडज़ होल्डि थे। कोई ऐसी ग़लती हुई हुकूमत की तिफ़ से ग्रीन काडज़ ज़लत औि नोकिी भी ख़त्म कि दी गयी। कुछ अिसा तो अमिीका
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में िहे किि पाककस्तान आ गए। ये मदाज़न के िहने वाले थे। क्योंकक अमिीका के डॉलि के सामने पाककस्तानी रुपए की है लसय्यत नहीं है औि उनकी नज़ि में भी नहीं थी। पाककस्तान में कािोबाि
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ककये। लेककन नाकामी। हत्ता कक लाखों डूब गए। जब उनसे ये ६ चीज़ें पढ़ने को अज़ज़ कीं तो कुछ
हदया है औि मैं मुत्मइन हूाँ।
िो वैगनों का एक्सीर्ेंट हो गया:
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अिसा लगाताि पढ़ने के बाद लमले औि बताने लगे कक अल्लाह तआला ने मेिा मसला हल कि
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एक साहब रांसपोटज़ ि थे। तीन वेगनें क्राये पि चलाते थे। अल्लाह की क़ुदित, एक के बाद एक दो वैगनों का एक्सीडेंट हो गया। एक वेगन घि ख़चज़ औि मुलाज़मों के ख़चे पूिा किने के ललए
नाकाफ़ी थी। आख़ख़ि उस एक वेगन को बेच के दो वैगनों की मिम्मत किायी लेककन मुआम्ला
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िोज़ बिोज़ बुहिान की तिफ़ बढ़ता िहा। बुहिान औि तंगदस्ती इतनी बढ़ गयी कक दो वैगनों की
मिम्मत भी ना किा सके औि वो अधिू ी िे ह गयीं। रांसपोटज़ ि िोज़ बिोज़ क़ज़े के बोझ तले दबता
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चला गया। बहुत इधि उधि घम ू े लेककन मज़ज़ बढ़ता गया जाँू जाँ ू दवा की। आख़ख़िकाि जब उसे ये
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वज़ीफ़ा यानन ६ चीज़ें आब्जज़ ने अज़ज़ कीं औि उसने बाक़ाइदगी से तवज्जह औि ध्यान से पढ़ना
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९ बच्चों का बोझ:
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शरू ु कीं। अल्लाह तआला ने आहहस्ता आहहस्ता पिे शानी को ख़त्म किना शरू ु कि हदया।
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आब्जज़ की एक ऐसे शख़्स से मुलाक़ात हुई जो अिसा से बेिोज़गाि था। नो बच्चों का बोझ अकेले के सि पि था। ग़लती ये हुई ग़िीब तो था ही दो बेघे ज़मीन थी उस से कुछ ना कुछ गुज़ािा हो िहा था। ककसी ने मश्विा हदया कक इसको बेच कि अच्छा कािोबाि कि ले। बद्द कक़स्मती से उसने ऐसा कि ललया। क्योंकक कािोबाि का तजुबाज़ था नहीं इस ललए उसने एक पाटज़ नि तजुबेकाि साथ िखा। लेककन अल्लाह का किना ऐसा हुआ कक पाटज़ नि ने धोका हदया। औि यूं कािोबाि फ़ैल
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हो गया। वो बहुत पिे शां थे। आब्जज़ ने ६ चीज़ें मुस्तक़ल औि दायमी पढ़ने को बतायीं। उन्हों ने बाक़ाइदगी से पढ़ा। उस शख़्स पि ब्जस अंदाज़ से किीम का ऐसा किम हुआ मैं ख़द ु है िान हूाँ । बेहैससय्यत डर्ग्रीयां:
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इस बेिोज़गािी के आलम में जहााँ डडग्रीयों की कोई है लसय्यत नहीं बब्ल्क रिश्वत औि लसफ़ारिश
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का बाज़ाि गिम है । एसे दौि में जब भी मैंने ऐसे नोजवानों को दोनों अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ने को अज़ज़ ककये। है ित अंगेज़ तौि पि ग़ेबी सबब पैदा हुए औि शान ए किीमी ने किम की इन्तहा कि
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पें शन से घि का गुिािा:
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दी। औि िाहत औि सुकून का सामान पैदा फ़माज़ हदया।
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एक नोजवान क़ुएटा में लमला, दसज़ के बाद उसने अपनी कहानी बयान की। कहनेेे लगा। वाललद
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साहब महकमा अन्हाि में चपड़ासी थे। जो पपछले दो सालों से रिटायडज़ हो गए हैं हम दो भाई औि
तीन बहनें हैं सबसे बड़ा मैं हूाँ। ग़िु बत के आलम में वाललद साहब ने मुझे आला तालीम हदलवाई मैं ने M.sc. कफ़ब्ज़क्स कि िखी है । वाललद साहब की नोकिी के ख़त्म हो जाने की वजह से घि के
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हालात बहुत तंगदस्ती का लशकाि हैं। मैंने मुलाब्ज़मत लमलने की बहुत कोलशश की। एक दो जगा
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नोकिी भी लमली लेककन नाक़ाबबल ए गज़ ु ािा। छोटे बेहेन भाई अभी पढ़ िहे हैं। लसफ़ज़ वाललद साहब की पें शन घि ख़चज़ चलाने के ललए नाकाफ़ी है । बन्दे ने यही ६ चीज़ें हि फ़ज़ज़ नमाज़ के बाद पढ़ने
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को अज़ज़ कीं औि उठते बैठते कसित से अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २ (जो कक आगे आ िहा है ) पढ़ने
को अज़ज़ ककया। तक़िीबन एक साल के बाद उस नोजवान का ख़त लमला कक एक जगा प्राइवेट
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अच्छी नोकिी लमल गयी है औि माललक के किम से घि का गज़ ु ािा अच्छा शरू ु हो गया है ।
ज़क्लननक बािोनक हो गया:
एक डॉक्टि साहब ने लशकायत की कक पहले तो उन्हों ने ब्क्लननक चलाया जब कक डॉक्टि साहब बहुत अच्छे औि समझदाि कफ़ब्ज़शन थे। ब्क्लननक बदला लेककन हि जगा नाकामी हुई। बन्दा ने
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६ चीज़ें पढ़ने को अज़ज़ कीं औि अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २ हि वक़्त पढ़ने को बताया। अल्लाह तआला ने बहुत फ़ज़ल ककया। ख़्वाब में बुिुगड की ज़्याित:
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एक साहब ने अपना ख़्वाब बयान ककया कक मैंने ख़्वाब में बहुत बड़े बज़ ु ग ु ज़ की ज़्याित की है । ब्जस
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में उन्हों ने एक दिवेश के कमालात की तस्दीक़ की औि इन ६ चीज़ों को इंतहाई तवज्जह से पढ़ने को कहा औि फ़माज़या कक ये ६ समन् ु दि हैं। ब्जतना पढ़ते जाओगे कमालात के मोती पाते जाओगे।
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इन ६ चीज़ों को पढ़ने के बाद कभी बेयक़ीनी का लशकाि ना होना क्योंकक कोई शख़्स भी, अगि
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६ चश्मे एक नहि बन गयी:
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कमाल औि मिातब में दिजात को पोहं चना चाहता है तो इन ६ चीज़ों को कभी ना छोड़े।
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एक साहब ने ख़्वाब दे खा कक ६ चश्में हैं औि हि चश्मे पि यही ६ वज़ाइफ़ ललखे हुए हैं औि हि
वज़ीफ़े से पानी ननकल ननकल कि आगे एक नहि बन िही है इस ख़्वाब में अपने आप को बहुत बीमाि औि अलील महसूस कि िहा हूाँ। ग़ैब से आवाज़ आई कक इन चश्मों का पानी पी लो। वो
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लमलेगा तुम गुमान नहीं कि सकते। वो साहब कहनेेे लगे मैं ने ख़्वाब में उन चश्मों का पानी
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पपया। इतना मीठा औि लज़ीज़ पानी कक मैं बयान नहीं कि सकता। जब मेिी आाँख खल ु ी तो वो
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लमठास मेिे मुंह के ज़ाइक़े में मौजूद थी।
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महल का िास्ता ढं र्ते थक गयी:
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एक ख़ातन ू ने अपना ख़्वाब ललखा कक मैं ग्यािह ११ सालों से ये वज़ीफ़ा पढ़ िही हूाँ मैं इस दौिान अब तक कई ख़्वाब दे ख चुकी हूाँ उस ख़ातून का एक ख़्वाब ललखा गया है ।
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कहने लगीं कक एक बहुत बड़ा महल है । बबल्कुल सफ़ैद लेककन उसका कहीं से िास्ता नहीं िास्ता ढूंडते ढूंडते आख़ख़िकाि मैं थक गयी। एक दम से हदल में ख़्याल आया कक मैं तो हि फ़ज़ज़ नमाज़ के बाद ६ चीज़ें पढ़ती हूाँ क्यूं ना इस मुब्श्कल में वो पढ़ लाँ ।ू मैंने वो ६ चीज़ें पढ़ीं। उसके पढ़ते ही महल में ६ िास्ते बन गए औि हि दिवाज़े के ऊपि कुछ लोग इस्तक़बाल के ललए खड़े थे। मैंने वहां पूछा
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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ये क्या है तो बताया कक ये उन कल्मात का कमाल है जो तू हि फ़ज़ज़ नमाज़ के बाद पढ़ती है । औि इसके बाद मेिी आाँख खल ु गयी। िश्ु मनी ख़ि ु ब ख़ि ु ख़त्म कि िी:
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गज ु िात के एक साहब ने अपना ज़ाती वाक़्या लयान ककया। मैंने एक जगा ग़ैिों में अपनी बेटी की
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शादी कि ली। ननबाह ना हो सका औि डेढ़ साल के बाद तलाक़ हो गयी। वो लोग मेिे दश्ु मन बन
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चाहते थे। मैंने आप के बताने पि ये
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गए। कई बाि क़ानतलाना हमले ककये। वो दिअसल मझ ु े औि मेिी मत ु ल्लक़ा बेटी को क़तल किना
६ चीज़ें पढ़ना शुरू कि दीं, उस हदन से आज तक उनका हि वाि ख़ता गया बब्ल्क उन पि उल्टा
मुझसे दश्ु मनी ख़द ु ख़त्म कि ली। ु ब ख़द निि-बद्द से छुटकािा समल गया:
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पड़ा। उनका जानी औि माली बहुत नक़् ु सान हुआ हत्ता कक पिे शान औि शलमिंदा हो कि उन्हों ने
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एक साहब ने अपना वाक़्या बयान ककया कक पहले मैं ग़िीब था अल्लाह तआला ने मेिे कािोबाि में बिकत अता की। मेिे रिश्तेदाि औि दोस्त ख़द ु ब ख़द ु मेिे दश्ु मन बन गए। एक जगा एक नेक
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सालेह आलमल के पास बेठा था। उन्हों ने अपने हहसाब के मुताबबक़ बताया कक जाद ू औि तावीज़
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हैं। उन्हों ने कुछ तावीज़ दे हदए औि पढ़ने को बताया मैंने वो चीज़ें पढ़ना शरू ु कि दीं कुछ बेह्तिी
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आई। लेककन मुस्तक़ल फ़ायदा ना हुआ। उसके बाद मैं एक औि आलमल की तिफ़ गया लेककन
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मस् ु तक़ल फ़ायदा ना हुआ। हत्ता कक हासदों के तावीज़ औि शि की वजह से मेिी याद्दाश्त ख़त्म हो गयी। कािोबािी नुक़्सान होने लगा। घि में बद्दअमनी, बेसुकूनी औि बीमािी ने डेिे डाल ललए।
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आप के बताने पि जब से मैंने ये पढ़ना शरू ु ककया है अल्हम्दलु लल्लाह अल्लाह तआला के फ़ज़ल औि एह्सान की बिकत से मुझसे तमाम असिात ख़त्म हो गए। क़ारिईन किाम! हि तिह के जाद ू तावीज़ औि सहि के ललए ये वज़ीफ़ा अक्सीि औि कालमल का दजाज़ िखता है । यक़ीन जाननए मेिे चोदह १४ सालों के तजुबे से इस वज़ीफ़े के बािे में सैंकड़ों नहीं
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हज़ािों मिीज़ों के ऐसे मसले हल हुए ब्जस में बड़े बड़े ज़ाललम आलमलों ने औि साहहिों ने उनकी ब्ज़न्दगी अजीिन कि दी थी। कई लोगों ने अपने तजुबे बयान ककये कक उन्हें नज़ि बद्द लगती है औि इस नज़ि बद्द की वजह से
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वो तिह तिह की बीमािीयों, नुक़्सान औि ततक्लीफ़ों में मुलतला हो जाते हैं। जब से ये वज़ीफ़ा पढ़ना शरू ु ककया है । नज़ि बद्द लगना ख़त्म हो गयी। कई बच्चों पि नज़ि बद्द लगने की वजह से
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जब इस वज़ीफ़ा को दम ककया गया तो वो तंदरु ु स्त हो गए। ऍफ़ ऐ के स्टूडेंट ने लशकायत की उसे
वज़ीफ़ा पढ़ने को अज़ज़ ककया गया तो उसका ये मसला हल हो गया। िश्ु मन ने िहि िे दिया:
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नज़ि बद्द बहुत जल्द लग जाती है इसकी वजह से तालीमी बह ु िान का लशकाि हूाँ । जब उसे ये
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एक साहब ने अपना वाक़्या बयां ककया मुझे दश्ु मनी की वजह से लसंध के मज़ाफ़ात में दोस्त बन कि एसा खाना ख़खलाया गया ब्जस में जानलेवा ज़हि था ब्जस का एक ननवाला मोत का पैग़ाम
था। मैंने वो खाना खाया औि गाड़ी में बैठ कि सफ़ि शुरू ककया। अभी आधा घंटा भी सफ़ि नहीं
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ककया था। सि चकिाने लगा औि मतली शुरू हो गयी। मैंने एक आबादी में गाड़ी िोकी मुझे बहुत ज़्यादा उलटी आई औि सािा ज़हिीला खाना ननकल पड़ा। साथ ही एक कम्पाउण्डि जैसा डॉक्टि
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जो पिु ाना तजिु बाकाि था दे ख कि कहने लगा कक साहब जी आपको ज़हि हदया गया है औि ये
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इतना ख़तिनाक ज़हि है कक मैंने आज तक ककसी आदमी को बचते हुए नहीं दे खा। मुझे एक हदन
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तक्लीफ़ िही मामल ू ी सी दवाई इस्तेमाल किने के बाद मैं बबल्कुल तंदरु ु स्त हो गया औि मेिा
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से हुआ है ।
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यक़ीन अक्मल है कक सब कुछ हि फ़ज़ज़ नमाज़ के बाद इन ६ चीज़ों के पढ़ने की बिकात की वजह
औितों से ना जायि तअल्लुक़ात:
एक मिीज़ा ख़ातून हाब्ज़ि हुईं। िोने लगीं औि बताया कक उसका शौहि उसे चाहता नहीं। हि वक़्त उस से लड़ता िे हता है । उसके दस ू िी औितों से ना जायज़ तअल्लुक़ हैं। बहुत तावीज़ गंडे इस्तेमाल कि चक ु ी थीं। आब्जज़ ने यही ६ चीज़ें पढ़ने को अज़ज़ कीं औि साथ अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २ का
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वज़ीफ़ा हि वक़्त उठते बैठते पढ़ने को कसित से अज़ज़ ककया अल्लाह तआला ने अपनी शान ए किीमी से उसके मसले हल कि हदए उसका घि सुकून का गेहवािा बन गया। शािी को ससर्ड २८ दिन हुए:
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एक साहब की शादी को २८ हदन हुए बहुत नेक आदमी थे। इस बात पि पिे शां थे कक दो हफ़्ते तो
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लमयां बीवी का रिश्ता ख़श ु गवाि िहा लेककन तीसिे हफ़्ते नाचाक़ी औि िं ब्जश पैदा हो गयी। जब कक बज़ाहहि इसका कोई ठोस सबब नज़ि नहीं आ िहा। वो साहब बहुत पिे शान थे। बीवी रूठ कि नाम की बिकत से उनका मसला हल कि हदया।
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मैके चली गयी थी आब्जज़ ने उन्हें दोनों वज़ाइफ़् पढ़ने को अज़ज़ ककये। अल्लाह तआला ने अपने
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मैंने इन ६ चीज़ों को औि अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २ को ऐसी ला इलाज बीमारियों में आज़माया कक
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अक़्क़ल दं ग िे ह गयी। ऐसे मिीज़ जो मायूस औि ला इलाज हो चक ु े थे जब उन्हों ने इस वज़ीफ़े
को तवज्जह औि ध्यान से पढ़ा तो अल्लाह तआला ने ग़ैब के ख़ज़ानों से लशफ़ा अता फ़माज़ई औि
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मिीज़ ख़द ु है िान हुए। कैंसि से सशर्ायाबी:
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एक मिीज़ लाहौि कैंसि अस्पताल से हड्डडयों के गूदे के कैंसि का इलाज किा िहा था। लेककन
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फ़ायदा नहीं हो िहा था। आब्जज़ ने उन्हें इलाज जािी िखने औि साथ ही ये दो वज़ाइफ़ पढ़ने का
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लशफ़ायाब हो गया।
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मश्विा हदया। मिीज़ लाइलाज था लेककन बाइलाज हो गया। औि कुछ ही अिसा में बहुत इसी तिह एक औि मिीज़ ब्जस की याद्दाश्त बबल्कुल ख़त्म हो चक ु ी थी औि डॉक्टिों ने उसे
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लशज़ोफ़्रेननया जैसा ख़तिनाक मज़ज़ बताया था लेककन अल्लाह तआला ने वज़ीफ़ा पढ़ने की बिकत से लशफ़ा अता फ़माज़ई।
र्सल की तबाही औि कीड़ों की यलग़ाि:
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एक साहब ने जो कक बहुत बड़े ज़मींदाि थे। फ़सल की तबाही औि कीड़ों की यलग़ाि का मुआम्ला बयान ककया। आब्जज़ ने दवाई के स्प्रे के साथ साथ दो स्प्रे ऐसे पानी के किने के बािे में ब्जन पि ये ६ चीज़ें ४०-४० बाि औि ख़ज़ाना नंबि २ भी ४० बाि दम कि के उस पानी के स्प्रे का मश्विा
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हदया। उन्हों ने ऐसा ही ककया। बीमािी के कन्रोल में बहुत काम्याबी हुई। फ़सल भी है िान कुन हत्ता कक उसने अपने एक फ़ामज़ में दवाई की जगा लसफ़ज़ इस वज़ीफ़े को पानी पि दम कि के उसी
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का स्प्रे शुरू कि हदया। हि हफ़्ते इसका स्प्रे ककया। वाक़ई रिकॉडज़ फ़सल हुई औि लोग है िान हुए ब्जतने भी फ़ायदे अज़ज़ ककये हैं। ये उन १४ सालों के तजब ु ों का
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लेककन दोस्तों! मआ ु म्ला यक़ीन का है । ब्जतना यक़ीन उतना फ़ायदा। अल्ग़ज़ज़ ये क़ारिईन किाम!
ननचोड़ हैं जो आब्जज़ ने अपने पढ़ने के साथ साथ दस ू िों को भी पढ़ने के ललए अज़ज़ ककये। लोगों
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के तजुबे औि मुशाहहदे तो बहुत ब्ज़यादा हैं। इन चीज़ों की बिकात, समिात ख़त्म होने में नहीं।
आब्जज़ के पास इतने वाक़्यात हैं कक अलग से एक पूिी ककताब बन सकती है । यहााँ मुख़्तसि औि चंद वाक़्यात ललखे हैं।
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िन्ु या में जन्नत िे ख ली:
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आमी के एक ओन ड्यट ू ी कनज़ल बड़ी मह ु लबत से लमले, तआरुफ़ के बाद कहनेेे लगे कक मझ ु े कहीं से दो अन्मोल ख़ज़ाने का ककताबचा लमला, सिसिी तौि पि मैंने पढ़ा, पढ़ने के बाद महसूस ककया,
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कोई है ित अंगेज़ चीज़ है । इसके बाद मैंने इसे तफ़्सील से पढ़ा औि किि अन्मोल ख़ज़ाना नंबि १,
हि फ़ज़ज़ नमाज़ के बाद पढ़ना शुरू कि हदया औि अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २, हि वक़्त उठते बैठते
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बहुत कसित से पढ़ना शरू ु कि हदया। मैंने महसस ू ककया, मेिे बिसों के बबगड़े हुए काम ख़द ु ब
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ख़द ु बन्ना शुरू हो गए, मुब्श्कलें हल होना शुरू हो गयीं मेिी एक गाड़ी थी कई अिसा से नहीं बबक िही थी, इस के गाहक लमलना शुरू हुए औि वो बबक गयी। मेिे बेटे को कॉलेज जाने के ललए मोटि साइककल की ज़रुित थी, ब्जस मुनालसब क़ीमत पि सेकंड हैंड मोटि साइककल ख़िीदना चाहता था। मुझे मेिी मंशा मुताबबक़ बेह्तिीन मोटि साइककल लमल गयी। किि मैंने दो अन्मोल ख़ज़ाने माहनामा अबक़िी के दफ़्ति से ले कि आमी के औि अफ़्सिों को दे ना शुरू कि हदया। जो भी एक
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बाि पढ़ता वो उसका गिवीदा हो जाता औि अब तो सूितहाल ये है कक मैंने बेशुमाि ककताबचे ले कि आमी अफ़्सिों को पोहं चाये हैं औि बेशुमाि दन्ु या के लोगों के मसले, मुब्श्कलें , पिे शाननयां हल होते हुए मैंने दे खे औि उन लोगों ने ख़द ु बताये बब्ल्क अब तो सूितहाल ये है कक कुछ लोग ये
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लशकवा किते हैं कक दो अन्मोल ख़ज़ाना औि ला दें । जो पहले आपने ला कि हदए थे वो या तो उनका दोस्त ले गया या उनकी बीवी ने ककसी मब्ु श्कलों में नघिी ख़ातन ू को दे हदया औि यंू लोगों
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की मुब्श्कलें हल होती चली गयीं। कनज़ल साहब आगे बताने लगे कक मैं तो है िान हूाँ कक लोग
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बावजद ू पिे शानी औि मब्ु श्कल के इतने अज़ीम वज़ीफ़े को क्याँू भल ू े हुए हैं आख़ख़ि वो उठते बैठते
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चलते कििते अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २ क्यूाँ नहीं पढ़ते, जब कक ये मेिा औि मुझ जेसे बेशुमाि
लोगों का तजुबाज़ है कक ब्जस ब्जस ने दो अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २, उठते बैठते, चलते कििते, बहुत
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कसित से पढ़ा। कनज़ल साहब ने अपने मुशाहहदे बयान किते हुए एक ख़ास बात जो बताई वो ये
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बताई कक ब्जस शख़्स ने इस वज़ीफ़े को ब्जतने ध्यान एतमाद औि तवज्जह से पढ़ा, उस शख़्स
को उतना ही फ़ायदा हुआ क्योंकक इस से फ़ायदे का तअल्लुक़, एतमाद से है औि कालमल यक़ीन से है । अगि कोई शख़्स इस वज़ीफ़े को बेएतमादी औि बेयक़ीनी से पढ़ िहा तो वो बावजूद पढ़ने
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के भी, नफ़ा नहीं पा सके गा। इस ललए मेिी तमाम पढ़ने वालों से गज़ ु ारिश है कक इस वज़ीफ़े को
बहुत तवज्जह, एतमाद औि ध्यान से पढ़ें । ऐसा ना हो कक इस वज़ीफ़े को पढ़ते हुए, ध्यान ककसी
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औि वज़ीफ़े की तिफ़ हो या ब्जस से जो वज़ीफ़ा सन ु ा वही पढ़ना शरू ु कि हदया औि हि िोज़ नया
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वज़ीफ़ा या एक ही वक़्त में कई वज़ीफ़े। जब कक दो अन्मोल ख़ज़ाने से मुकम्मल नफ़ा लेने का
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वाहहद हल यही है कक ख़ज़ाना नंबि १, हि फ़ज़ज़ नमाज़ के बाद पढ़ा जाये औि ख़ज़ाना नंबि २
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उठते बैठते, चलते कििते, बहुत ननहायत कसित से पढ़ा जाये, कनज़ल साहब कहनेेे लगे कक मैंने
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जब भी, इसको ध्यान, तवज्जह औि यकसू हो कि पढ़ा, मैंने दन्ु या में जन्नत को दे ख ललया।
वविे श के सर्ि आसान हो गए:
मेिे एक लमलने वाले क़ािी साहब एक बाि गफ़् ु तग ु ू के दौिान बताने लगे कक मेिी बच्ची को तक्लीफ़ थी, मैं एक आलमल के पास उसे ले गया, उसने तावीज़ के साथ ये दो अन्मोल ख़ज़ाने भी
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हदए, मैं है िान हुआ, दो अन्मोल ख़ज़ाने, उसने छपवाये हुए थे, मैंने उस आलमल से पूछा कक आप हकीम साहब को जान्ते हैं वो आलमल कहने लगा कक दिअसल, उनके शहि में मेिा भाई गया था औि वो लाया तो मैंने पढ़ा औि अपने मिीज़ों को बताना शुरू कि हदया। मैंने महसूस ककया कक
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मिीज़ों को बहुत फ़ायदा हो िहा, आख़ख़ि मैंने ख़द ु ही छपवा कि लोगों को दे ना शुरू कि हदया, मैं जब उस आलमल से ख़द ु जा कि लमला, तो उस आलमल ने बताया कक दो अन्मोल ख़ज़ाने अब तक
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मैं ६ एडडशन ब्जस में हि एडडशन दो, ढाई हज़ाि से कम ना था, छपवा कि लोगों में बााँट चक ु ा हूाँ,
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उस आलमल ने मेिे सवाल किने पि बताया कक मैंने इसके असिात औि फ़ायदे बहुत दे खेेे हैं
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क्योंकक मैं ब्जन लोगों को तावीज़ दे ता हूाँ तो उनको साथ ये ककताबचा भी दे दे ता हूाँ औि उनको
साथ पढ़ने की लमन्नत भी किता हूाँ। इसकी वजह से मिीज़ बहुत जल्द सेहत्याब औि मुब्श्कलें
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बहुत जल्द हल हो जाती हैं। उस आलमल ने बताया कक शिीफ़ मेडडकल लसटी अस्पताल ( नवाज़
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शिीफ़ का अस्पताल) में अब तक १०० से ज़्यादा ककताबचे गए हैं, वहां मिीज़ों ने पढ़े औि
सेहत्याब हुए, ऐसे लोग जो पवदे श जाना चाहते थे लेककन उनके ललए मुब्श्कलात औि मसाइल थे, क़दम क़दम पि रुकावटें थीं जब उन्हों ने अन्मोल ख़ज़ाना नंबि १, हि फ़ज़ज़ नमाज़ के बाद औि
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नंबि २, उठते बैठते बहुत कसित से पढ़ा तो उनकी मब्ु श्कलें हल हो गईं। पवदे श का सफ़ि उनके
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ललए बहुत आसान हो गया औि वही अपनी मंब्ज़ल तक पोहं च गए।
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☆ ऐसे ताललब इल्म जो अपने इब्म्तहान में नाकामी का लशकवा ले कि आये उन के मााँ बाप पढ़ाई
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में बेध्यानी का लशकवा किते थे औि पढ़ाई में नाकामी उनका मक़ ु द्दि बन चक ु ी थी। उन्हों ने जब
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दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़े , पढ़ाई का मअयाि बेह्ति से बेह्ति होता गया औि वो काम्याबी पाते गए।
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लड़ककयों के रिश्तों की बंदिश ख़त्म हो गयी:
मेिे तजुबे में ऐसे घिाने हैं जो अपनी बच्चीयों के रिश्तों के बािे में बहुत ही ज़्यादा पिे शां थे, मैंने उन्हें दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ने को हदए, अल्लाह तआला ने अपने नाम की बिकत से उनकी मुब्श्कलात को आसान ककया औि मुनालसब रिश्ते ख़ज़ानाऐ ग़ैब से आते गए।
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☆ मेिे तजुबे में ऐसे लोग जो अपने कािोबािी लसब्ल्सले में एक अिसा से पिे शां थे, औि हदन ब हदन उनकी पिे शानी बढ़ िही थी, मसले ज़्यादा उलझ िहे थे, जब उन्हों ने दो अन्मोल ख़ज़ाने तवज्जह, ध्यान औि एतमाद से पढ़े , उन के मसले हल होना शुरू हो गए औि मुब्श्कलात में कमी
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आई हत्ता कक, उनकी सािी पिे शाननयां हल हो गयीं।
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ज़जन्नात अपादहज हो गए:
सिगोधा में एक साहब लमले, कहने लगे मझ ु पि ब्जन्नात का असि था, मैंने आप से टे लीफ़ॉन पि
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मश्विा ककया था, आपने दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ने को बताये थे, मैंने पढ़ने शुरू कि हदए, अब
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सिू तहाल ये है , पहले ब्जन्नात मेिे सामने आते थे तंदरु ु स्त, औि भागते दौड़ते हुए अब जब भी
मेिे सामने आते हैं तो लूले लंगड़े औि अपाहहज आते हैं। मैंने उस से अज़ज़ ककया, लगता ये है कक
अज़ज़ ककया।
विीर्ा पढ़ने से ज़जन्न सामने आ गया:
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आप इसे थोड़ी लमक़दाि में पढ़ िहे हैं। मैंने उन्हें अन्मोल ख़ज़ाने एक ख़ास तिकीब से पढ़ने को
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एक ख़ातून ने अपनी आप बीती बयान की कक मुझ पि बच्पन से एक ब्जन का क़लज़ा है मैंने
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ककसी के बताने पि दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ना शरू ु ककये, वो ब्जन सामने आ गया औि मझ ु े इन वज़ाइफ़ को पढ़ने से िोकने लगा औि मुझे उसने तक्लीफ़ दी, इस ललए मैंने पढ़ना छोड़ हदया, मैंने
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उन ख़ातन ू से अज़ज़ ककया कक उस ब्जन का इलाज यही है कक आख़ख़ि उसे तक्लीफ़ पोहं ची है तो
अज़ज़ की।
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उसने पढ़ने से मना ककया है इस ललए इसका पढ़ना नहीं छोड़ना औि उन्हें पढ़ने की ख़ास तिकीब
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घि िाहत किह बन गया:
मेिे एक मोहलसन ने अपने तजुबाज़त बयान ककये कक मैंने जहााँ इसके औि फ़ायदे दे खे वहां इसका ख़ास फ़ायदा ये दे खा कक ब्जन घिों में लमयां बीवी के दिम्यान पिे शानी औि घिे लू उलझने िहती थीं आपस की नाइत्तफ़ाक़ी से घि आनतश कदह बन गया था, लमयााँ का रुख़, मशरिक़ की तिफ़
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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औि बीवी मग़रिब की तिफ़, जब से दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ने शुरू ककये वही घि िाहत कदह बन गया। कंु ि (कम्िोि) िेहन बच्चे:
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किाची के एक साहब ने अपने बच्चे के कंु द ज़ेहन होने का लशकवा ककया वो अपने इकलौते बेटे के
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िोशन मुस्तक़बबल के ललए पुिउम्मीद थे लेककन उनका बेटा मुस्तक़ल कोलशश के बावजूद तालीमी ब्ज़न्दगी में बहुत पीछे जा िहा था, मैंने उन्हें अन्मोल ख़ज़ाना नंबि १, पढ़ कि औि मीठी
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लमस्री पि दम कि के ख़खलाने का अज़ज़ ककया औि इस को १२० हदन पढ़ने का अज़ज़ ककया। उन
है ित अंगेि हाफ़्िा:
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ननकल कि, तेज़ ज़ेहनी की तिफ़ िवां दवां हो गया।
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साहब ने ऐसा ही ककया, बच्चे की कमअक़्ली फ़तानत में बदल गयी औि बच्चा कंु द ज़ेहनी से
एक प्राइवेट स्कूल के पप्रंलसपल ने बताया कक उसने अपने बच्चों को ये हहदायत कि िखी है कक
असेम्बली के बाद तमाम बड़ी क्लास के बच्चे दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ें औि किि अपने तालीमी
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सल्लेबस शुरू किें , पप्रंलसपल साहब कहने लगे कक मेिा अिसा से ये मामूल है औि मैंने, इसका
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तजब ु ाज़ ककया है मेिे स्कूल की तालीमी प्रोग्रेस बाक़ी तमाम प्राइवेट स्कूलों से आगे है । औि बच्चों
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की ज़ेहनी सलाहहयतों में इस वज़ीफ़े की बिकत से बहुत इज़ाफ़ा हुआ है ।
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सऊिी अिब से भाई की नसीहत:
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मामल ू की डाक में लाला मस ू ा से टीचि ख़ातन ू ने अपनी मब्ु श्कलें ललखीं, मैंने उन्हें दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ने का मश्विा हदया, उन्हों ने मुकम्मल हटकट लगा हुआ जवाबी ललफ़ाफ़ा अिसाल
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ककया मझ ु त मंगवा ललए औि पढ़ना शरू ु कि हदया उनका मसला ु से दो अन्मोल ख़ज़ाने मफ़् दिअसल ये था कक उनके शौहि ने उन्हें छोड़ कि ककसी औि ख़ातून से तअल्लुक़ बना ललया था इस हद्द तक कक उस ख़ातून का घि उजड़ गया था औि ये ख़ातून शिाफ़त, इज़्ज़त औि अस्मत से अपना घि बसाना चाहती थीं, जब उन्हों ने दो अन्मोल ख़ज़ाने का तज़्क्रह स्कूल में दीगि टीचि
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ख़वातीन से ककया तो एक ख़ातून कहने लगीं कक मुझे भी मेिे भाई ने सऊदी अिब से एक वज़ीफ़ा भेजा है जो कक मुब्श्कलात में बािहा का आज़मूदह औि तजुबाज़ शुदह है । दस ू िे हदन वो ख़ातून, वो वज़ीफ़ा लाईं, जब दोनों को लमलाया तो सऊदी अिब से भेजा हुआ वज़ीफ़ा भी दो
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अन्मोल ख़ज़ाने ही थे। उस ख़ातन ू ने बताया कक ये वज़ीफ़ा मेिे भाई ने मझ ु े भेजा था औि भाई ने
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बताया कक इस वज़ीफ़े से बेशुमाि लोगों की मुब्श्कलें दिू हो गयीं औि सऊदी अिब में बेशुमाि लोग पढ़ िहे उन सब ने ये वज़ीफ़ा पाककस्तान से मंगवाया था। जो ख़ास बात मेिे भाई ने मझ ु े कही वो
ब्जतना एतमाद मज़बत ू होगा, उतना फ़ायदा जल्दी होगा।
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रूहानी इंक़लाब आ गया:
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ये कक ब्जस एतमाद औि भिोसे के साथ ये वज़ीफ़ा पढ़ा जायेगा, उसी के बक़दि फ़ायदा होगा
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जहाननयां ब्ज़ल्ला ख़ानेवाल में एक साहब ब्जन्हों ने अपना नाम शकील बताया, वो दिअसल
अन्मोल ख़ज़ाने अिसा दिाज़ से पढ़ िहे थे उनके अंदि लसफ़ज़ मुलाक़ात का शौक़ था लमलते ही
कहने लगे कक इन वज़ाइफ़् की वजह से मेिी रूहानी ब्ज़न्दगी में बहुत इंक़लाब आया है, नमाज़ में
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ध्यान, ब्ज़क्र में तवज्जह, तक़वा का एह्तमाम औि आमाल में हदन ब हदन तिक़्क़ी शुरू हो गयी।
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कहने लगे मैं है िान हूाँ ये इंक़लाबी चीज़ आपको कहााँ से लमली।
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अल्लाह पाल िहा है :
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एक सफ़ि के दौिान झावरियां ब्ज़ल्ला सिगोधा एक ननहायत मुत्तक़ी, उम्र िसीदा बुज़ुगज़ आललम
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लमले, दो अन्मोल ख़ज़ाने का तज़्क्रह् हुआ कहने लगे मेिा बेटा सािा हदन दीन का काम किता है औि अल्लाह तआला उसे पाल िहा, रिज़्क़ लमल िहा, घि चल िहा, लोग उस से पूछते हैं, तुझे
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माल कहााँ से लमलता है ? केहता है ब्जस तवक्कल, एतमाद औि भिोसे से इन वज़ाइफ़ को मैं पढ़ता हूाँ अगि तुम भी पढ़ना शुरू किदो तो अल्लाह तुम्हें भी ऐसा पाल कि हदखा दें गे। वविे श में काम्याबी:
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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एक जवान ने जो मुस्तक़ल अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ता था, बयां ककया कक मुझे अपनी आला तालीम के ललए डेन्माकज़ जाना हुआ मैंने इस बात का तजुबाज़ ककया जब भी मेिा इंटिव्यू कोई ऐसा इब्म्तहान कक ब्जस में बबल्मुशाफ़ा सवालात की ननलशस्त हुई तो उस में मुझे ककसी कक़स्म की
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पिे शानी ना हुई, हदल्ली तसल्ली, इत्मीनान औि ख़ब ू भिोसा िहा, बब्ल्क मैं ने ननहायत भिोसा
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औि एतमाद से सवालात के जवाब हदए औि काम्याब हो गया।
एक औि साहब ने बयां ककया ये मेिा मामल ू है जब भी मझ ु े ककसी के हााँ ज़रुित पेश आती है अपने
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से मेिा काम बना दे ता है ।
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से बड़े से काम होता है तो मैं ये वज़ीफ़ा पढ़ता जाता हूाँ औि अल्लाह तआला इस वज़ीफ़े की बिकत ये बात तो बेशुमाि लोगों ने बयान की है कक दो अन्मोल ख़ज़ानों की मक़बूललयत हमने अस्पतालों
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में दे खी औि मिीज़ों को मिीज़ों के रिश्तेदािों को पढ़ते हुए दे खा औि तजुबाज़ शाहहद है ब्जन मिीज़ों ने इसे एह्तमाम से पढ़ा अल्लाह तआला ने जल्द से जल्द उन्हें लशफ़ा अता कि दी। सेंरल जेल में दो अन्मोल ख़ज़ानों का कमाल:
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बहावल्पुि सेंरल जेल में एक क़ैदी के ललए मैंने दो अन्मोल ख़ज़ाने भेजे कुछ अिसे के बाद उसका
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ख़त मौसल ू हुआ कक मझ ु े औि भेजें मैंने एक बंडल, ककसी ख़ास ज़रिये से लभजवा हदया, बात आई गयी हो गयी लेककन कुछ ही अिसे के बाद चंद ख़त लमले औि एक साहब बबल्मुशाफ़ा लमले औि
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उन्हों ने जो बात बताई मैं ख़द ु भी है िान हुआ कहने लगे, लम्बी क़ैद के दौिान, मझ ु े पाककस्तान
की ३ जेलों में िहने का मौक़ा लमला। मैं ब्जस जेल में भी गया वहां दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़े जा िहे
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जाि उलट पड़ गया:
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थे, हत्ता कक ड्यट ू ी पि मौजद ू पलु लस वाले जेल के अफ़्सि भी दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ िहे थे।
दो अन्मोल ख़ज़ाने में एक बात जो सबसे ज़्यादा सामने आई है इस वज़ीफ़े को ख़वातीन ने बहुत ही ज़्यादा पढ़ा है औि पढ़ िही हैं, ख़वातीन ने इसके जो फ़ायदे , वाक़्यात औि मुशाहहदात बयान ककये उन में से लसफ़ज़ दो वाक़्यात बयान किता हूाँ। एक ख़ातून ने बताया मैं अिसा दिाज़ से बीमाि
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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औि लाचाि िहने लगी, इलाज मुआल्जे बहुत किाये लेककन अफ़ाक़ा ना हुआ, ककसी ने शक डलवाया कक आप पि जाद ू ककया हुआ है , मैं जाद ू को ज़्यादा मानती नहीं थी कहीं से दो अन्मोल ख़ज़ाने लमल गए, मैंने उनको कसित से पढ़ना शुरू कि हदया।पूिे ११ माह पढ़ते गुज़ि गए है ित
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अंगेज़ बात ये हुई कक वो लोग ब्जन्हों ने मुझ पि जाद ू ककया था उन्हों ने एतिाफ़ कि ललया कक हमने वाक़ई आप पि जाद ू औि ब्जन्नात मस ु ल्लत ककये हुए थे लेककन जो आपने हम पि ककया
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वो हमािे जाद ू से कहीं बड़ा जाद ू था। मैंने उनसे अज़ज़ ककया कक मैंने आप पि कोई जाद ू नहीं ककया
तमाम मसाइल हल हो गए:
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बब्ल्क ये सब अन्मोल ख़ज़ानों की बिकत है कक आप का जाद ू आप पि उल्टा पड़ गया।
एक ख़ातून ने अपना वाक़्या बयान ककया कक बअज़ औक़ात मेिे घि की चीज़ें उलट पुलट जाती
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थीं, यानन चीज़ िखी कहााँ औि लमलती कहााँ से थी औि बअज़ औक़ात कपड़ों की पेटी में आग लग जाती थी, बबस्तिों में आग लग जाती थी। मैंने दो अन्मोल ख़ज़ाने कसित से पढ़ना शुरू कि हदए
बब्ल्क घि के तमाम अफ़िाद ने पढ़ पढ़ कि कमिों में िाँू का औि दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ कि पानी
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पि दम ककया औि उस पानी को घि की दीवािों पि नछड़का। ऐसा किने से तमाम मसाइल हल हो
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गए औि ब्जन्नात की कािस्ताननयां ख़त्म हो गयीं।
क़ारिईन अगि आप दो अन्मोल ख़ज़ाने से ज़्यादा से ज़्यादा नफ़ा लेना चाहते हैं तो अवल आख़ख़ि
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दरूद शिीफ़ ११,११ बाि औि अन्मोल ख़ज़ाना नंबि १, २१ (इक्कीस बाि) सब ु ह व शाम या लसफ़ज़
हदन में एक बाि ककसी भी वक़्त २१ बाि पढ़ें पि अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २ कम अज़ कम ३१३ बाि
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औि ज़्यादा से ज़्यादा हज़ािों की तअदाद में ननहायत कसित से पढ़ें ।
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पड़ोसी के शि से ननजात:
एक साहब ने लशकवा ककया कक उनका पड़ोसी उन्हें तंग किता है औि नाजायज़ तिीक़े से उन पि तिह तिह के इल्ज़ामात लगाता है उन्हें दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ने को हदए गए कुछ अिसे के बाद
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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लमले औि कहने लगे कक पड़ोसी की बदज़ुबानी ख़त्म हो गयी है औि हम उसके शि से मुकम्मल तौि पि पुिअम्न हो गए। मेिे लमलने वाले मोटि बेरी का कािोबाि किते थे घि के अफ़िाद का बोझ ज़्यादा आमदनी कम,
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बावजद ू ककफ़ायत शआ ु िी के मसले हदन ब हदन बढ़ते जा िहे थे इन्ही हालात में वो तिह तिह के
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वज़ाइफ़ औि तावीज़ इस्तेमाल कि िहे थे कोई उन पि जाद ू बताता कोई तावीज़, कोई ब्जन्नात की कािस्तानी बताता, उनसे मल ु ाक़ात हुई। मैंने उन्हें दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ने को अज़ज़ ककया,
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अल्लाह तआला की किम नवाज़ी हुई उनके हालात बेह्ति हो गए।
मेिे पास जहााँ ब्जस्मानी मिीज़ आते हैं वहां रूहानी मिीज़ दम तावीज़ वग़ैिा के ललए बहुत आते हैं,
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मेिा तजब ु ाज़ है जब भी मैंने ऐसे मिीज़ों को साथ दो अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ने को हदए औि उन्हों ने
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ननहायत तवज्जह से पढ़ा अल्लाह तआला ने ननहायत किम फ़माज़या क्योंकक मैं सालों से ये तजुबाज़ कि िहा हूाँ इस वज़ीफ़े की बिकत से मैंने कई उजड़े हुए घि बस्ते हुए दे खे औि बबाज़द लोगों को
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आबाद दे खा।
पिे शाननयां टल गयीं:
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मेिे पास रूहानी इलाज के ललए एक एम-एन-ए आये मैंने उन्हें दम ककया कुछ तावीज़ हदए साथ
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ही अन्मोल ख़ज़ाने पढ़ने को बाक़ाइदगी से अज़ज़ ककया वो चक ंू े पिे शां थे औि हि तिफ़ से ठुकिाये
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बेह्ति होते गए।
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हुए थे उन्हों ने मेिी बात को तवज्जह से ललया औि पढ़ना शुरू कि हदया हालात िोज़ ब िोज़
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एक मेजि की उसके कनज़ल से ककसी बात पि तकिाि हो गयी बात बढ़ती गयी मेजि को अपनी नोकिी का ख़तिा हो गया मुझे लमला मैंने अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २ कसित से पढ़ने का अज़ज़ ककया उसने ननहायत तवज्जह एतमाद औि ध्यान से पढ़ा मुआम्ला हल हो गया। कश्र् शुरू हो गया:
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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एक बुज़ुगज़ ने एक शागगदज़ जो अमिीका से पाककस्तान दीनी तालीम के ललए आये हुए थे मुलाक़ात के दौिान पूछा कक कोई ऐसा वज़ीफ़ा बताएं कक ब्जस से पपछली ब्ज़न्दगी की कम्ज़ोरियां भी ख़त्म हों मज़ीद दीनी ब्ज़न्दगी में आसानी औि बिकत हो मैंने दो अन्मोल ख़ज़ाने में से लसफ़ज़ एक इस्म
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पढ़ने को अज़ज़ ककया तक़िीबन साल के बाद िहीम याि ख़ान में लमला हालांके मुझे भूल गया था ख़द ु ु बताने लगा कक वो आप का बताया हुआ इस्म ब्जस की आपने इजाज़त दी थी मैंने पढ़ना शरू
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ककया तो मेिे साथ है ित अंगेज़ हालात शुरू हो गए मुझे महसूस होना शुरू हो गया कक ये शख़्स
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गफ़् ु तग ु ू के दौिान झट ू बोल िहा है औि ये अभी अभी गन ु ाह हत्ता कक ज़ना कि के आया है नमाज़
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में नूि औि कैकफ़य्यात (वग़ैिा वग़ैिा) शुरू हो गयीं मैंने पढ़ना छोड़ हदया कक कहीं मुझे मुसल्मानों की कमी कोताही पि हक़्क़ाित ना आ जाये। मैंने उन्हें इसको पढ़ते िहने का मश्विा हदया औि
िोशन औि चमकदाि हो जाता।
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अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २
ْ َّ ً َّ َّّٖی ل ِط ْیفام ِِبل ِقہ ْ َّ َّّٖی َّع ِل ْ ًْیم ِِبل ِقہ ْ َّ ً ْ َّ َّ ْٖیام ِِبل ِقہ ّی خ ِب ُ ْ ِب َّّی َّل ِط ْی ُف َّّی َّع ِل ْی ُم َّّی َّخب ْ ُا ْل ُط ْف ْی ِ ِ
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इसकी एक तिकीब अज़ज़ की ब्जस से बेरूनी कैकफ़य्यात तो ज़ाहहि ना होती लेककन बानतन ख़ब ू
"तजुम ज़ ा: ऐ वो पाक ज़ात जो अपनी मख़लूक़ पि मेहिबान है अपनी मख़लूक़ के हाल जानता है । उनकी ज़रूितों से बाख़बि है तू मुझ पि लुत्फ़ व मेहेिबानी फ़माज़। ऐ लतीफ़, ऐ अलीम, ऐ ख़बीि"
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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क़ािईन किाम! ये एक वज़ीफ़ा ब्जसे उठते बैठते चलते कििते बावज़ू पढ़ना चाहहए। लेककन बेवज़ू पाक नापाक हि हालत में भी पढ़ा जा सकता है । इसकी तस्दीक़ के ललए मंदजाज़ ज़ैल वाक़्या मुलाहहज़ा फ़माज़एाँ।
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एक बि ु ग ु ड का है ित अंगेि विीर्ा:
एक बज़ ु ग ु ज़ फ़माज़ते हैं कक मझ ु पि एक बाि क़लज़ (हदल की तंगी) औि ख़ौफ़ का शदीद ग़लबा हुआ।
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मैं पिे शान हाल हो कि बग़ैि सवािी औि तोशा के मक्का मुकिज़ मा चल हदया। तीन हदन तक इसी
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तिह बग़ैि खाये पीये चलता िहा। चोथे हदन मझ ु े प्यास की लशद्दत से अपनी हलाकत का अंदेशा
हो गया औि जंगल में कहीं सायादाि दिख़्त का भी पता नहीं था कक उसके साये में ही बैठ जाता
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मैंने अपने आप को अल्लाह के हवाले कि हदया औि कक़लला की तिफ़ मंह ु कि के बैठ गया औि
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मुझे नींद आ गयी तो मैंने ख़्वाब में एक शख़्स को दे खा कक मेिी तिफ़ हाथ बढ़ा के कहने लगे।
लाओ हाथ बढ़ाओ मैंने हाथ बढ़ाया उन्होंने मुझसे मुसाफ़हा ककया औि फ़माज़या तुम्हें ख़श ु ख़बिी दे ता हूाँ कक तुम सही सालम हज्ज किोगे औि क़ब्र अतहि की ब्ज़याित भी किोगे। मैंने कहा
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अल्लाह आप पि िहम किे आप कोन हैं। फ़माज़या मैं ख़ख़ज़्र علیہ السالمहूाँ मैंने अज़ज़ ककया कक मेिे
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ْ َّ ً َّ َّّٖی ل ِط ْیفام ِِبل ِقہ ْ َّ َّّٖی َّع ِل ْ ًْیم ِِبل ِقہ ْ َّ ً ْ َّ َّ ْٖیام ِِبل ِقہ ّی خ ِب ُ ْ ِب َّّی َّل ِط ْی ُف َّّی َّع ِل ْی ُم َّّی َّخب ْ ُا ْل ُط ْف ْی ِ ِ
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ललए दआ ु कीब्जए फ़माज़या ये लफ़्ज़ तीन मतज़बा कहो।
"ऐ वो पाक ज़ात जो अपनी मख़लूक़ पि मेहिबान है अपनी मख़लूक़ के हाल को जानता है । उनकी ज़रूितों से बाख़बि है तू मुझ पि लुत्फ़ व मेहिबानी फ़माज़। ऐ लतीफ़, ऐ अलीम, ऐ ख़बीि"। कोई आफ़त नाब्ज़ल हो तो पढ़ ललया किो:
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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किि फ़माज़या कक ये एक तोह्फ़ा है जो हमेशा काम आने वाला है । जब तुझे कोई तंगी पेश आये या कोई आफ़त नाब्ज़ल हो तो इनको पढ़ ललया किो तो तंगी िफ़अ हो जायेगी। औि आफ़त से रिहाई होगी, ये कह कि वो ग़ायब हो गए मुझे एक शख़्स ने या शैख़ या शैख़ कह कि आवाज़ दी। मैं उस
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की आवाज़ से नींद से जागा तो वो शख़्स ऊंटनी पि सवाि था। मुझसे पूछने लगा कक ऐसी सूित ऐसे हुललये का कोई जवान तो तम ु ने नहीं दे खा? मैंने कहा मैंने तो ककसी को नहीं दे खा। कहने लगा
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हमािा एक नोजवान सात हदन हो गए घि से चला गया, हमें ये ख़बि लमली कक वो हज्ज को जा
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िहा है । किि उसने मझ ु से पछ ू ा कक तम ु कहााँ का इिादा कि िहे हो? मैं ने कहा जहााँ अल्लाह ले
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जाये। उसने ऊंटनी बबठाई औि उस से उति कि एक तोशा दान में से दो सफ़ेद िोहटयां ब्जन के
दिम्यान हल्वा िखा हुआ था ननकालीं औि ऊाँट पि से पानी का मशकीज़ा उतािा औि मुझे हदया
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मैंने पानी पपया औि एक िोटी खायी। वही मुझे काफ़ी हो गयी। किि उसने मुझे अपने पीछे ऊंट
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पि सवाि कि ललया। हम दो िात औि एक हदन चले, तो क़ाफ़ला हमें लमल गया। वहां उसने क़ाफ़ला वालों से उस जवान का हाल दियाफ़्त ककया, तो मालूम हुआ कक वो क़ाफ़ले में है ।
वो मुझे वहां छोड़ कि तलाश में गया, थोड़ी दे ि के बाद जवान को साथ ललए हुए मेिे पास आया
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औि उस से कहने लगा कक बेटा इस शख़्स की बिकत से अल्लाह जल्ल शानह ु ू ने तेिी तलाश मझ ु पि आसान कि दी। मैं उन दोनों को रुख़्सत कि के क़ाफ़ला के साथ चल हदया। किि मुझे वो
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आदमी लमला औि मझ ु े एक ललपटा हुआ काग़ज़ हदया औि मेिे हाथ चम ू कि चला गया। मैंने
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उसको दे खा तो उस में पांच अश्रकफ़यााँ थीं। मैंने उस में से ऊाँट के ललए ककिाया अदा ककया औि
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उसी से खाने पीने का इंनतज़ाम ककया औि हज्ज ककया औि उसके बाद मदीना तय्यबा गया। मैंने
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हुज़ूि अक़दस ﷺके िोज़ा अतहि की ज़्याित की उसके बाद हज़ित इब्राहीम ख़लीलुल्लाह
علیہ السالمकी क़ब्र मुबािक की ज़्याित की औि जब कभी कोई तंगी या आफ़त पेश आई तो हज़ित
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ख़ख़ज़्र علیہ السالمकी बताई हुई दआ ु पढ़ी मैं उनकी फ़ज़ीलत औि उनके एह्सान का मोत्रफ़ हूाँ औि इस नेअमत पि अल्लाह पाक का शुक्रगुज़ाि हूाँ। (बहवाला िोज़ुल रियाहीं)
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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ऐसे लोग जो मुसल्सल पिे शाननयों का लशकाि िहे हि तिफ़ से मसाइल ने उनको घेि िखा था। क़दम क़दम पि नाकामी उनका मुक़द्दि बन चक ु ी थी। जब उन्हों ने अपनी जुमला पिे शाननयों औि मसाइल के हल के ललये इस वज़ीफ़े को सुबह व शाम ३ तस्बीह औि उठते बैठते इंतहाई कसित से
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पढ़ा तो है ित अंगेज़ तलदीली िोन्मा हुई। दो अन्मोल ख़ज़ाने की मक़बलू लयत पिू े आलम में िैल गयी है कई लोगों ने इसको बज़ात ख़द ु
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छपवा कि बांटा औि नामालूम हज़ािों बब्ल्क इस से भी ज़्यादा लोगों ने इस से फ़ायदा हालसल
हो िहे हैं।
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ककया औि कि िहे हैं औि उनके मसाइल औि उलझनें अल्लाह तआला के नाम की बिकत से हल
क़ारिईन चंद ताज़ह तिीन मौसूल होने वाली तस्दीक़ात तहिीि की जा िही हैं उम्मीद है ये
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ख़ज़ाना नंबि २ की बिकत का है ित अंगेज़ वाक़्या
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तस्दीक़ात औि मुशाहहदात ईमान औि अमल में इज़ाफ़े का बाइस बनेंगे।
सि का बोझ ख़त्म हो गया:
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एक नेक शख़्स ने बयान ककया कक उसने एक शख़्स से िक़म उधाि ली वो िक़म बावजूद कोलशश
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के अदा ना हो सकी औि सूद का बोझ बढ़ता िहा औि िोज़ ब िोज़ इज़ाफ़ा होता िहा होते होते
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मुआम्ला यहााँ तक पोहं चा कक घि फ़िोख़्त होगया हमने ख़ज़ाना नंबि २ को सवा लाख मतज़बा घि के तमाम अफ़िाद ने लमल कि पढ़ा औि कुछ फ़ायदा हुआ मज़ीद सवा लाख दफ़ा कुल हमने ७
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बाि पढ़ा ब्जतना ज़्यादा पढ़ते गए मसाइल सुलझते गए औि हमािी मुब्श्कलात हल होती गयीं
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हम है िान थे कक ये मस ु ीबत कैसे टल गयी औि अल्लाह तआला ने इस वज़ीफ़े की बिकत से हमािे मसले हल कि हदए। रिश्ते के सलए:
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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एक घिाना रिश्तों के ना होने में उलझा हुवा था बहुत ज़्यादा कोलशश की लेककन फ़ायदा ना हुआ सािे घि वालों ने लमल कि ये सवा लाख मतज़बा पढ़ा (वाज़ेह िहे कक पढ़ने वाले मुख़ललस औि हमददज़ लोग हों ब्जन में ख़ल ु ूस तवज्जह ध्यान औि पाकीज़गी हो, ये चीज़ ऐसे लोगों में नहीं हो
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सकती कक ब्जन को बाद में कुछ िक़म या खाने पीने की चीज़ें लमलने की ग़िज़ हो औि ना ही इस से कुछ फ़ायदा होगा क्योंकक असल नफ़ा ख़ल ु स ू औि ललल्लाहहयत में है ) अभी उन्हों ने सवा लाख
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के ५ ननसाब ही पढ़े थे कक उनके रिश्तों के मसाइल हल हो गए।
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इसी तिह एक साहब दब ु ई अल-ऐन िहते थे उन्हों ने अपनी मुलाब्ज़मत के ललए बहुत कोलशश की
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लेककन मसला हल ना हुआ बहुत ज़्यादा मक़्रूज़ होते गए तमाम दोस्त एहबाब साथ छोड़ गए
ककसी कक़स्म की तिक़्क़ी नहीं हो िही थी जब से उन्हों ने अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २ को पढ़ना शुरू
औि िे हमत के दिवाज़े खोल हदए।
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ककया, लसफ़ज़ ३ ननसाब ही पूिे ककये थे कक अल्लाह तआला ने ख़ज़ानाए ग़ैब से उनके ललए बिकत
क़ारिईन! ३ ननसाब, ५ ननसाब या ज़्यादा से ज़्यादा ७ ननसाब, पढ़ने से अल्लाह तआला तमाम
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मुब्श्कलात हल फ़माज़ दे ते हैं कुछ वक़्त औि मुजाहहदा तो होता है लेककन तमाम ब्ज़न्दगी के ललये
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मसाइल हल हो जाते हैं। (याद िहे कक एक ननसाब सवा लाख का होता है)
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अन्मोल ख़िाने के चाि मक़बल अमल:
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बाि बाि के तजुबाज़त लाखों लोगों के मुशाहहदात के बाद ये चाि मक़बूल अमल ननहायत ज़ोद असि
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(जल्द असि किने वाले), रूहानी ख़ज़ानों से माअमूि, एक शाहकाि, आफ़त िसीदा औि जान ब लब मिीज़ों के ललए पैग़ाम ए लशफ़ा, बेिोज़गाि औि तंगदस्त फ़क़ीिों के ललए िे हमत ए इलाही की ककिन, ब्जन्नात से मुतालसि औि जाद ू के मािों के ललए मुस्तनद इलाज, इस्म आज़म के मत्ु तलालशयों के ललए अजीब मोती, क़ैद से रिहाई के ललए उम्मीद की ककिन, दि ब दि की ठोकिें
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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खाने वाले आब्जज़ व मांदा बन्दों के ललए मिहम, ब्जन के रिश्तों में रुकावट हो या मुशककल से मुशककल चट्टान हो, उन सब के ललए खश ु ख़बिी है । पहला अमल:
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ब्जतना भी वज़ीफ़ा पढ़ा जाये वो तमाम पानी पि दम कि के उस पानी को जाद,ू ब्जन्नात, नज़ि
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बद्द औि नाफ़माज़न औलाद को पपलाया जाये या चीनी पि दम कि के ककसी भी शकल में घोल कि पपलाई जाये दध ू या पानी वग़ैिा में , उसी तिह घिे लू झगड़ों में भी पपला सकते हैं। पढ़ कि दम किें
िसिा अमल:
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औि अपने मकान के चािों तिफ़ से हहफ़ाज़त औि हहसाि का तसव्वुि कि के िाँू क मािें ।
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ख़ाललस ज़ाफ़िान ककसी भी जड़ी बहू टयों की दक ु ान से ले कि अक़ज़ गल ु ाब में लभगोदें ये एक तिह से
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िोशनाई बन जायेगी उस से दो अन्मोल ख़ज़ाने, नंबि १, औि अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २,५ बाि, ७ बाि या २१ बाि ललखो किि उसे धो कि मिीज़, नाफ़माज़न औलाद, आपस की नाचाक़ी, घिे लू
झगड़ों, नज़ि बद्द, जाद ू ब्जन्नात के ललए पपलाना ननहायत ज़ोद असि है औि है ित अंगेज़ तिीक़े
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से इसका असि माना हुआ है । औि बेशुमाि लोगों के मामूलात में से है ।
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तीसिा अमल:
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दो अन्मोल ख़ज़ानों को बांटने से मब्ु श्कलात पिे शाननयां औि ब्जस्मानी रूहानी घिे लू मसले हल
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होते हैं क्योंकक ब्जतने लोग पढ़ें गे उतना उस शख़्स का सदक़ा जारिया आम होगा औि नामालूम
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कोई शख़्स ऐसी ज़ािी औि यक़ीन से पढ़े कक उसका अमल क़ुबल ू हो औि जो शख़्स उस तक पोहं चाने का ज़िीया बना है अल्लाह तआला उस का पढ़ा अमल क़ुबूल फ़माज़ कि उसकी तक्लीफ़ें
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चाहे रूहानी हों या ब्जस्मानी, दिू कि दे । ये तिीक़ा वेसे भी एक मस्नन ू अमल को आम किने का ज़िीया है औि मस्नून अमल को आम किना ख़द ु एक अज़ीम अजि का काम है । इसकी तअदाद मुख़्तललफ़ है । ३१३ अदद, ७८६ अदद, ११०० अदद, २१०० अदद, ३३०० अदद, ( इस तअदाद से ज़्यादा भी कि सकते हैं।) ले कि अस्पतालों, जेलों, बस अड्डों, बड़ी दक ु ानों, सुपि स्टोिों औि
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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नमाज़ जुमा के बाद बड़ी मसाब्जद के नमाब्ज़यों में तक़सीम किें । वाज़ेह िहे कक इसको एहत्यात औि क़दि व इक्राम से तक़सीम किें कक कहीं इसकी बेक़द्री ना हो। इस ककताबचे को छोटे बड़े शहिों में तक़सीम कि सकते हैं औि ऐसी जगहों पि पोहं चाने से फ़ायदा ज़्यादा होगा जहााँ लोगों
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को ये मुयस्सि नहीं।
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चौथा अमल:
अन्मोल ख़ज़ाना नंबि १, लसफ़ज़ एक बाि औि ख़ज़ाना नंबि २, ७ बाि या २१ बाि काली या नीली
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िोशनाई (इंक) वाले क़लम से, नमाज़ फ़ज्र के बाद ललख कि िोटी के बिाबि आटा गूंध कि उस में
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लपेट कि ककसी दिया, नहि, चश्मा, कंु वा, बड़ा तालाब या समन् ु दि में डाल दें । ललखते हुए तमाम
मसाइल मुब्श्कलात को ज़ेहन में िख कि ललखें औि डालते हुए अपनी जो भी मुब्श्कल हो ज़ेहन में
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िख कि डालें। जैसा कक हज़ित उमि رضی ہللا عنہاने दियाए नील में डलवाया था। ये कुल ७ योम, २१ योम, ४० योम औि ९० योम ललख कि बबला नाग़ा डालें। नाग़ा हो जाये तो किि ये अमल शुरू
किें । ये अमल मुब्श्कलात पिे शाननयों औि तमाम कक़स्म के मसाइल के ललए एक आज़मूदह िाज़
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है । एक एहम बात याद िखें जब भी कोई वज़ीफ़ा शुरू किें तो मुस्तक़ल लमज़ाजी औि पाबन्दी ज़रूिी है । एक छोड़ कि दस ू िा दस ू िा छोड़ कि तीसिा किना कभी नफ़ामंद साबबत नहीं होगा
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बब्ल्क नक़् ु सान होता दे खा है ।
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फ़ायदा मझ ु पि अमल किने से होगा
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इस ककताब में ब्ज़क्र ककये गए मब ु ािक ग़ैबी वज़ीफ़ा से दन्ु या ने फ़ायदा उठाया औि उठा िही है । अगि आप ककसी भी रूहानी अमल से भिपूि फ़ायदे हालसल किना चाहते हैं तो इन दस बातों पि
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अमल कीब्जये औि ख़द ु ग़ैबी क़ुदित के नज़ािे अपनी आाँखों से दे ख़खये। इन शा अल्लाह। 1.
यक़ीन के साथ अमल किें , शक अमल को ज़ाय कि दे ता है ।
2.
तवज्जह के साथ अमल किें , बेतवज्जही से पढ़ी जाने वाली दआ ु एं हवा में गुम हो जाती
हैं।
दो अन्मोल ख़ज़ाने
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3.
रिज़्क़ हलाल का एह्तमाम किें , हिाम गग़ज़ा अमल के असि को ख़त्म कि दे ती है ।
4.
हि अमल अल्लाह तआला की िज़ा के ललए किें , माललक िाज़ी होगा, तो काम बनेगा।
5.
फ़िाइज़ का एह्तमाम किें , जो लोग नमाज़ औि दीगि फ़िाइज़ अदा नहीं किते उनके
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अमल बे असि िहते हैं। हिाम कामों से बचें , वो काम ब्जन्हें शिीअत ने हिाम क़िाि हदया है उनका अपनाना
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रूहाननयत को नुक़्सान पोहं चाता है , तब अमल कािगि नहीं होता।
8.
तहाित का एह्तमाम किें , ख़द ु भी पाक साफ़ हो, ललबास औि जगा भी पाक साफ़ िखें।
9.
आब्जज़ी औि आह व ज़ािी के साथ अमल किें ।
रुकावट बन जाती हैं।
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َّ ٰ ْ َّ ْح ِن الرح ِْی ِم بِ ْس ِم ہّٰللا ِالر
बबब्स्म-अल्लाहह-अि-िह्मानन-अि-िहीम َّ ْ َّا ْْلَّ ْم ُد ِ ٰلِل ِ َّرب ْال ٰعلَّ ِم oی ِ
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अल्हमदलु लल्लाहह िब्लब-अल आलमीन० َّ ٰ ْ َّ o ْح ِن الر ِح ْی ِم الر अल-िज़ ह्मानन-अल-िज़ हीम० ْ ٰ َّ ی ِ م ِل ِک َْی ِم ال ِد
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अन्मोल ख़ज़ाना नंबि १
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झूट, धोका बाज़ी, हसद, ग़ीबत, चग़ ु ली ये बातें रूहानी आमाल के फ़ायदे में बहुत बड़ी
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10.
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अल्फ़ाज़ की तसहीह का एह्तमाम किें , अल्फ़ाज़ ग़लत पढ़ने से मानए बदल जाते हैं।
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7.
माललकक यौलम-अल-द्दीन० َّ ک نَّ ْع ُب ُد َّو ا َِّّی َّ ا َِّّی ُ ْ ک ن َّ ْس َّت ِع oی
इय्याक नअबुद ु व इय्याक नस्तईन०
दो अन्मोल ख़ज़ाने
www.ubqari.org َّ ْ َّ َّ َّ ْ الِص oاط ال ُم ْست ِق ْی َّم ِ اِھ ِدَن इब्ह्दन-अल-ब्स्सिात-अल-मस् ु तक़ीम० َّ َّ َّ ِ ْ َّ َّ َّ ْ َّ ْ َّ َّ ْ ۵ ْی ْم ِ ِصاط ال ِذی انعمت عل लसिात अल्लज़ीन अनअम्त अलैहहम ٓ َّ
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ْ َّ ْ ْی ال َّمغض ْوب َّعل ْْی ْم َّوَل الضا ِل oی ِ غ ِ ِ
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ग़ैरि-अल-मग़्ज़ूबब अलैहहम वल-अल-ज़्ज़ाल्लीन० ٰ oا ِم ْی
(सूिह फ़ानतहा)
َّ ٰ َّ ُ َّ ُ َّ ْ ْ لِل َل اِل َّہ اَِل ُھ َّو اْلَّ ُی القی ْو ُم ا
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अल्लाहु ला इलाह इल्ला हुव अल्हय्यु-अल-क़य्यूमु०
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आमीन०
َّ ْ ْ َّ َّ ٰ ٰ َّ ْ َّ ٗ َّ ٌ ْ َّ َّ َّ ٌ َّ ٗ ُ ُ َّ َّ ْا ْ ِ ت وما ِِف اَلرض ط ِ اِف السمو ِ َلتخذہ ِسنۃ وَل َنم ط لہ م
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ला तअख़ज़ ु ह ु ू लसनत-ंू व ला नौमन ु ् लहू मा कफ़-अल-स्समावानत व मा कफ़-अल-अब्ज़ज़ َّ ْ اب َّ َم َّذ َّالذ ْی ی َّ ْش َّف ُع ِع ْن َّد ٗہ ا ََِّل ِب ِْذ ِنہٖ یَّ ْعلَّ ُم َّم ْ ُ َّ ْ َّ َّ َّ ْ ْ ی َّا ْید َّ ْیم وماخلفھم ج ِ ْ ِ ِ ِ
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व ला युहीतून बबशैइम-ब्म्मन ् -इब्ल्मही इल्ला बबमा शा-अ वलसअ कुलसज़य्युहु-अल-स्समावानत
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वअल ्अज़ज़ ْ ُ َّ ْ َّ ُ َّ َّ ُ ُ ْ ٗ ُ َُّ َّ َّ ا o ِ ال َّع ُِظ ْی ُم ِ وَل َیدہ ِحفُظھما وھوالع
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मं ज़अल्लज़ी यश्फ़उ इंदहू इल्ला बबइब्ज़्नही यअलमु मा बैन ऐदीहहम ् व मा ख़ल्फ़हुम َّ ْ ٓ َّ َّ ْ َّ ُ ُ ُ ْ ِ َّو ََّل ُُی ِْی ُط ْو َّن ب َّش ْْی َم ِعل ِمہٖ اَِل ِِبَّاشا ئَّ َّو ِس َّع ک ْر ِسیہ الس ٰم ٰو ِت َّواَل ْر ِض ٍ ِ
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ا (3 پارہ منرب522 سورہ بقرہ ایت )
वला यऊदहु ू हहफ़्ज़ुहुमा व हुव-अल-अललय्यु-अल-अज़ीमु० (सूिह बक़ि, आयत २५५) ْ ْ ٓ َّ ْ ْ ُ ُ ُ َّ ٰ ْ ُ َّ َّ ٰ َّ ٗ َّ َّ َّ َّ طط ِ ش ِھد ہّٰللاُ انہ َل اِلہ اَِل ھ َّوَل َّوال َّمل ِئکۃ َّوا ْول ْوا ال ِعل ِم قا ِِئًام ِِبل ِق ْس
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शहहद-अल्लाहु अन्नहू ला इलाह इल्ला हुव व अल्मलाइकतु व उवलुवा-अल-इब्ल्म क़ाइमम ् बबअब्ल्क़ब्स्त َّ ٰ َّ ْ ْ o َل اِل َّہ اَِل ُھ َّوال َّع ِز ْ ُْی اْلَّک ِْی ُم
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ला इलाह इल्ला हुव-अल-अज़ीज़ु-अल-हकीम० ु َّ ْ َّ َّ ْ َّ ْ اَل ْسَل ُم ِ ِ اِن ال ِدی ِعندہّٰللا
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इन्नद्दीन इंदअल्लाहहअल-इस्लाम (वक़्फ़) َّ ٰ ْ ْ ُ ْ ُ َّ ْ َّ َّ َّ َّ ْ َّ َّ ْ ِ ب اَِل َّ وما اختلف ال ِذی اوُت الکِت َم م َّب ْع ِد
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व मअख़्तलफ़अल्लज़ीन ऊतुव-अब्ल्कताब इल्ला लमम बअहद ٓ ٓ ٰ ٰ ُ ْ َّ ْ َّ َن ْم َّو ُ َّ َّما َّج ٓائَّ ُھ ُم ْالع ْل ُم َّب ْغ ًیام َّب ْی َّ ْ ُ ْ ِ َّ َّت ہّٰللا ِ َّف ِا َّن ہّٰللا )3 پارہ منرب81 ،81 (ال معران ایت منربoاب ِ ِ َم یکف ْر ِِبی ِ َیع اْلِس
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मा जा-अ हुमअ ु ल-इलमु बग़्यम ् बैनहुम व मईं-य्कफ़ुि बबआयानतअल्लाहह फ़ इन्नअल्लाह
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सिीउअल हहसाबब० (सूिह आल इम्रान: १८,१९)
َّ ٰ ُ ْ ُ ْ ْ َّ َّ َم ت َّ َّشائُ َّو َّت ْْن ُع ْال ُم ْل َّ ُتِتْ ْال ُم ْل َّک ِم َّ ْن ت َّ َّش ٓائ ْ َّ ک ِ ِ ق ِل الل ُھم ٰم ِلک ال ُمل ِک ا
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तशाउ َّ ْ ُ ٰ َّ َّ ُ ْ َّ َّ َّ ُ َّ َّ ْ َّ ُ ُ َّ ُ َّ َّ ْ َّ ُ ُ َّ ْ َّ ک ٌ ْ َش ٍئ َّق ِد oی وت ِعز َم تشائ وت ِذل َم تشائ ِبی ِدک اْل ِ ْیط اِنک لَع
व तइ ु ज़्ज़ु मन ् तशाउ व तब्ु ज़ल्लु मन ् तशाउ लयहदक-अल ख़ैरु इन्नक अला कुब्ल्ल शैइन ् क़दीरुन ् َّ َّ َّ َّ ُُت ِِل َّ َّ ِف ْ ِ ار َّ الَن ْ ِ ُت ِِلُ الل ْی َّل ُْ ْ ُ الَنا ِر َّو ِف الل ْی ِل
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तूललजु-अल-लैल कफ़न्नहारि व तूललजुन्नहाि कफ़अल-लैलल ْ َّ َّ َّ ْ ُ ْ ُ َّ ْ ُ َّ ْ َّ َم ْاْلَّی َّو َّ ُتر ُج ْال َّمی َّ ِ ْ َم ت َّ َّش ٓائُ ب َّغ ْ َّ َت ُز ُق َّ ِ ت ِ وُت ِرج اْلی o اب ِ َم ال َّم ِی ِ ٍ ْی ِحس ِ ِ تو ِ ٓ ٓ )3 پارہ52،52 (ال معران ایت منرب
व तुख़िजु-अल ्-हय्य लमन-अल ्-मब्य्यनत व तुख़िजु-अल ्-मब्य्यत लमन-अल ्-हब्य्य व तज़क़ ुज़ ु मन ्
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कुललअल्लाहुम्म माललक-अल- मब्ु ल्क तउ ु नतअल मल् ु क मन ् तशाउ व तंब्ज़उ-अल मल् ु क लमम्मन
तशाउ बबग़ैरि हहसाबबन ्० ( सूिह आल इम्रान: २६-२७) ٌ َّ َّ َّ َّ ْ َّ َّ ُ ْ َّ ُ ْ ٌ ِ ْ َّا ْن ُفس ُک ْم َّعز ْ ٌْی َّعلَّ ْی ِہ َّم ْ ِ الر َّ ْ اع ِن ُت ْم َّحر ْی ٌص َّعلَّ ْی ُک ْم ِِب ْل ُم ْو ِم ِن ی َّر اُوف حیم ط ِ لقد جائ کم رسول َم ِ ِ
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लक़द् जा-अ-कुम िसूलुब्म्मं अन्फ़ुलसकुम अज़ीज़ुन ् अलैहह मा अननत्तुम ् हिीसुन ् अलैकुम ् बबलमोलमनीन िऊफ़ुि-िहीम ْ ْ ْ َّ َّ َّ ْ َّ َّ َّ ُ َّ َّ ٰ َّ ُ َّ ْ َّ ْ ُ َّ ْ َّ َّ َّ ْ َّ ُ ُ ّک o ت َّو ُھ َّو َّرب ال َّع ْر ِش ال َّع ُِظ ْی ِم ف ِان ُتلوافقل حس ِِب ہّٰللا َل اِلہ اَِل ھو ط علی ِہ ُت ٓ )88 پارہ851,851 (التوبۃایت منرب
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फ़इन ् तवल्लो फ़क़ुल ् हब्स्बयअल्लाहु ला इलाह इल्ला हुव अलैहह तवक्कल्तु व हुव िलबु-अल ्-
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अलशज़-अल ्-अज़ीलम० (सूिह तौबा: १२८-१२९ ٰ َّ ت َّعلَّ ْی ْ َّ ْ َّ ْ ُ َّ ْ َّ َّ ُ ْ َّ َّ َّ ک َّ َّالل ُھ َّم َّا ْن َّ ِب ََّل ا ِٰل َّہ ا ََِّل َّا ْن ْ ت َّر مط ِ ُتّکت و انت رب الع ْر ِش الک ِری ِ
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अल्लाहुम्म अंत िलबी ला इलाह इल्ला अंत अलैक तवक्कल्तु व अंत िलबु-अल ्-अलशज़-अल ्-किीलम َّ َّ َّ ْ ائ َّ َْل یَّ ُک ْن َّو ََّل َّح ْو َّل َّو ََّل ُق َّو َّۃ ا ََِّل ِبلِل ِ ْال َّع ْ اش ٓائَّ ہّٰللاُ ََّک َّن َّو َّما َّ َْل ی َّ َّش م مط ِ ِ الع ُِظ ْی ِ ِِ
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माशा अल्लाहु कान वमा लम ् यशअ लम ् यकंु व ला हॉल व ला क़ुव्वत इल्ला बबल्लाहह-अल ्-
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अललब्य्य-अल ्-अज़ीलम َّ َّ َّ َّ
ْ َّ َّ َّ ٰ َّ َّ َّ ْ ْ ک ْ ک o َش ٍئ عِل ًما ِ اعل ُم ان ہّٰللا لَع ِ وان ہّٰللا قد احاط ِب۵ َش ٍئ ق ِدی
अअलमु अन्नअल्लाह अला कुब्ल्ल शैइन ् क़दीरूं-व अन्नअल्लाह क़द् अहात बबकुब्ल्ल शैइन ्
अल्लाहुम्म इन्नी अऊज़बु बक लमन ् शरिज़ नफ़्सी व लमन ् शरिज़ कुब्ल्ल दालबनतन ् अंत आख़ख़ज़म ु ् बबना लसयनतहा इन्न िलबी अला लसिानतंम्मुस्तक़ीम ् ०
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( ककताबुल-अस्मा वब्स्सफ़ात अल्बीहक़ी लसफ़हा: १२५- बहवाला हयातुस्सहाबा ( अिबी) ब्जल्द ३
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लसफ़हा:६९)
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इल्मन ्० َّ ُ َّ ٰ َّ ْ َّ َّ َّ َّ َّ ٌ ٰ َّ ْ َّ َّ َّ ُ َّ ْ ِ َّ ْ ْ َّ َّ ْ ِ َّ ُ ْ ُ َّ ْ َّ ُ ٰ َّ oاط م ْست ِق ْیم ٍ اصی ِِتا اِن ر ِِب لَع ِِص ِ ش ِ ک داب ٍۃ انت اخِذ م ِبن ِ ش نف ِِس و َم ِ اللھم ا ِِِن اعوذ ِبک َم
दो अन्मोल ख़ज़ाने
www.ubqari.org अन्मोल ख़ज़ाना नंबि २ َّ ٰ ْ َّ ْح ِن الر ِح ْی ِم بِ ْس ِم ہّٰللا ِالر
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बबब्स्म अल्लाहह अि-िह्मानन-अि-िहीलम ْ َّ ً َّ َّّٖی ل ِط ْیفام ِِبل ِقہ
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या अलीमम बबख़ब्ल्क़ही ْ َّ ً ْ َّ َّ ْٖیام ِِبل ِقہ ّی خ ِب
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या ख़बीिम बबख़ब्ल्क़ही ُ ْ ِب َّّی َّل ِط ْی ُف َّّی َّع ِل ْی ُم َّّی َّخب ْ ُا ْل ُط ْف ْی ِ ِ
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शद्द ( इन अल्फ़ाज़ को जोड़ कि पढ़ें )
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(१)
हम्ज़ात अल्वस्ल (अगि लगाताि आयात पढ़ें तो इन को ना पढ़ें )
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(२)
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उल्तुफ़् बी या लतीफ़ु या अलीमु या ख़बीरु
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या लतीफ़म बबख़ब्ल्क़ही ْ َّ َّّٖی َّع ِل ْ ًْیم ِِبل ِقہ