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माहनामा अबक़री मैगज़ीन
जल ु ाई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन
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जुलाई 2016 के एहम मज़ामीन
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हहिंदी ज़बान में दफ़्तर माहनामा अबक़री
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मज़िंग चोंगी लाहौर पाककस्ट्तान
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महमद ू मज्ज़ब ू ी चग़ ु ताई دامت برکاتہم
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एडिटर: शैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मह ु म्मद ताररक़
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मरकज़ रूहाननयत व अम्न 78/3 अबक़री स्ट्रीट नज़्द क़ुततबा मस्स्ट्जद
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फ़ेहररस्ट्त मस ु ल्मान के साथ ख़ैर ख़्वाही पर जन्नत..................................................................................................... 3
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मज़्लम ू आवाज़ें, सल ु गते घर, उजड़ी स्ज़न्दगी ............................................................................................... 4 अल्लाह वालों की हदल की दन्ु या पर मेहनत ................................................................................................ 6
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मीडिया, मोबाइल, इन्टरनेट के बावजूद ....................................................................................................... 10 बच्चों की इस्ट्लामी तर्बतयत अब भी मस्ु म्कन है ! ......................................................................................... 10 माज़ी को छोड़ें! मस्ट् ु तस्बबल पर ननगाह रखें ................................................................................................ 14 सावन की रुत का सेहतमन्दाना आग़ाज़ क़ुदरती ग़ग़ज़ाओिं से कीस्जये ........................................................ 18
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क़ाररईन के नतब्बी और रूहानी सवाल, ससफ़त क़ाररईन के जवाब................................................................. 21
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मेरी स्ज़न्दगी कैसे बदली? ........................................................................................................................... 25
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दसत का एक बोल बरु ाई के रास्ट्ते से वापस खें च लाया ............................................................................... 25
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स्जल्द गोरी ग़चट्टी, ननख्री, ख़ूबसरू त और शादाब! ......................................................................................... 29 बीमारी में हमददत बीवी का साथ! ................................................................................................................. 33
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शोहर की जल्द सेहत्याबी का राज़ .............................................................................................................. 33
चााँद सा चेहरा ससफ़त चन्द हदन में ............................................................................................................... 37
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र्बन ब्याही बेटी की बाप की क़ब्र पर खड़े हो कर गासलयािं ........................................................................ 40
उम्म औराक़ ................................................................................................................................................. 47
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ख़वातीन पछ ू ती हैं?...................................................................................................................................... 47
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वस्ज़तश के बग़ैर वज़न घटाइए ...................................................................................................................... 51
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मुसल्मान के साथ ख़ैर ख़्वाही पर जन्नत
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क़यामत के हदन एक ऐसे शख़्स को हास्ज़र ककया जाएगा स्जस के मीज़ान के दोनों पलड़े नेकी और बदी के बराबर होंगे और ऐसी कोई नेकी नहीिं होगी स्जस से नेकी का पलड़ा झुक जाए किर अल्लाह तआला अपनी
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रहमत से फ़मातएिंगे कक लोगों में जा कर तलाश करो कक तुम्हें कोई नेकी समल जाए स्जस से तुम को जन्नत में पोहिं चाऊिं। वो शख़्स बहुत हैरान व परे शान लोगों में तलाश करता रहे गा लेककन हर शख़्स यही कहे गा मुझे अपने बारे में िर है कक मेरी नेकी का पलड़ा हल्का ना हो जाए और मैं तुझ से नेकी का ज़्यादा मुहताज हूाँ, वो
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शख़्स बहुत मायस ू होगा, इतने में एक शख़्स पछ ू े गा त झ ु े क्या चाहहए? वो कहे गा मझ ु े एक नेकी चाहहए! और
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मैं बहुत लोगों से समल चक ु ा हूाँ स्जन की हज़ारों नेककयााँ हैं लेककन हर एक ने मुझ से बख़ीली की--- वो शख़्स
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कहे गा मैं ने भी अल्लाह तआला से मल ु ाक़ात की थी और मेरे सहीफ़े में ससफ़त एक ही नेकी है और मझ ु े ये
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गुमान है कक इस से मेरा कोई फ़ायदा नहीिं होगा सलहाज़ा तू ही इस को मेरी तरफ़ से हद्या ले जा। (और अपनी जान बचा)। वो शख़्स उस की नेकी को ले कर बहुत मस ु रत त के साथ अल्लाह तआला से समलेगा
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अल्लाह तआला अपने इल्म के बावजूद उस से पूछेंगे कक तेरी क्या ख़बर है ? वो कहे गा: ऐ मेरे रब! उस ने
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अपना काम इस तरीक़े से पूरा ककया (वो शख़्स अपनी पूरी हालत वहािं बयान करे गा) किर अल्लाह तआला उस शख़्स को हास्ज़र करे गा स्जस ने इस को नेकी दी थी और उस से अल्लाह तआला कहे गा आज के हदन
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मेरी सख़ावत तेरी सख़ावत से कहीिं ज़्यादा है सलहाज़ा अपने भाई का हाथ पकड़ और तुम दोनों जन्नत में
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चले जाओ। (अल्तज़्करह स्जल्द १ ससफ़हा३१०, ज़रक़ानी स्जल्द १२ ससफ़हा ३६०)
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एडिटर के क़लम से
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हाल ए हदल
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मज़्लूम आवाज़ें, सुलगते घर, उजड़ी स्ज़न्दगी (कक़स्ट्त नम्बर ३)
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क़ाररईन! मेरा ग़म तवील, मेरा कक़स्ट्सा ना क़ार्बल ए बयान लेककन क्या करूाँ अब मेरा हदल मझ ु े मज़ीद इजाज़त नहीिं दे रहा कक इस तवील ग़म को हदल ही हदल में छुपा कर रखूिं मैं कुछ माह आप से लूिंगा, मोबाइल,
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इन्टरनेट और खल ु े आम मेल समलाप का बहुत ज़्यादा दख़ल है । इस ग़म में आप भी मेरे शरीक बनें। मेरा
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साथ दीस्जयेगा मेरे साथ रहहएगा और इस का हल ज़रूर बताइयेगा। ख़त नम्बर ८: बेटे की बद्द चलन बीवी:
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मुझे अपने बेटे के बारे में बड़ी परे शानी है । उस ने हमें
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बहुत मज्बूर कर के लव मैररज की। स्जस को अब सात माह हो चक ु े हैं। उस लड़की ने हमारे घर के पूरे
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ननज़ाम को तबाह कर के रख हदया है , उस लड़की से हम बहुत परे शान हैं। वो लड़की शादी से पहले भी "बुरे काम" पैसों के सलए करती थी और अब भी करती है । मेरा बेटा उस के प्यार में अाँधा हो चक ु ा है । वो रोकता है
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तो कहती है मुझे तलाक़ दे दो, जवाब में बेटा तलाक़ के बजाए कहता है मर जाऊिंगा या मार दिं ग ू ा तलाक़ नहीिं दिं ग ू ा। वो लड़की हाल ही में एक माह बेरून मल् ु क रह कर आई है । मेरा बेटा उस की याद में शराब पी कर वबत
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गुज़ारता रहा है । आगे सलखने की मुझ में हहम्मत नहीिं मेहरबानी फ़मात कर मुझे कोई हल बताइये कक हमारा
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घर इस ग़ग़लाज़त से ननजात पा जाए। ख़त नम्बर ९: शरई पदात ना करने का नब ु सान: मोहतरम हज़रत
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हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! अल्लाह पाक की करोड़ों रहमतें और बरकतें हों आप पर और आप की क़यामत तक आने वाले नस्ट्लों पर। मेरी हहम्मतें टूट चक ु ी हैं, मैं थक गयी हूाँ, रोज़ हिंगामा और लड़ाई झगड़ा, मेरे शोहर ने अब मुझ पर हाथ उठाना भी शुरू कर हदया है । एक हदन मैं छत पर अपने ख़ावन्द के पास गई Page 4 of 54 www.ubqari.org
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तो उस ने मुझे टािंगों से पकड़ा और घसीटता हुआ सीहियों से नीचे ले आया। उस ने मार मार कर मेरा बाज़ू तोड़ हदया। मेरे चेहरे पर इिंतह े ाई ज़ोर ज़ोर से थप्पड़ मारे , आज भी मेरा जोड़ जोड़ दख ु रहा है । मेरे शोहर के
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अपने भाभी के साथ ना जाइज़ तअल्लुक़ात हैं। मैं अपना घर छोड़ना नहीिं चाहती थी मगर अब इतना तिंग आ गयी हूाँ कक घर और बच्चा छोड़ना चाहती हूाँ क्योंकक बच्चा सारे हालात दे ख कर मेरा कहना नहीिं मानता,
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बहुत ज़्यादा तिंग करता है । मैं अब ढीट बन कर इस घर में रह रही हूाँ। कहता है मााँ के घर से वापस क्याँू आती हो बच्चे को ले कर उधर ही रहो। वो मेरी तरफ़ दे खता तक नहीिं, हज़ार बार भी बुलाऊाँ तो बोल्ता नहीिं, कोई इमरजेंसी हो जाए तो फ़ोन तक नहीिं सन ु ता। बच्चे से र्बल्कुल भी प्यार नहीिं। मैं कम्ज़ोर सी औरत हूाँ, स्जस
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को जज़्बाती और मुआशी तौर पर एक मदत के सहारे की ज़रूरत होती है । रात की तन्हाइयों में उस मछली की
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तरह तड़पती हूाँ स्जस को पानी से ननकाल कर बाहर िेंक हदया जाता है । मेरा हदल अपने ख़ावन्द के पास
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जाने को चाहता है मगर वो मुझे पास नहीिं आने दे ता। मरे हुए पर सब्र आ जाता है सामने दे ख कर सब्र नहीिं
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आता। मेरी रातें नहीिं कटतीिं, मेरे पास अल्फ़ाज़ नहीिं मैं आप को कैसे बताऊाँ? सारी रात कैसे रो रो कर और
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तड़प तड़प कर गज़ ु ार दे ती हूाँ। नो साल से सल ू ी पर लटकी हुई हूाँ, एक लम्हा भी सक ु ू न का नहीिं समला। जब
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शोहर घर आता है तो वो औरत उस के आगे पीछे किरती और उस के काम करती है , मेरे बारे में हर वबत उस
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का ज़ेहन ख़राब करती है । मेरा ख़ावन्द ससफ़त अपनी भाभी की मानता है । मााँ बन्ने तक का हक़ मझ ु से छीन सलया है । कुछ तो बताएिं मेरा शोहर घर की तरफ़ लौट आए। ख़त नम्बर १०: मोबाइल और इन्टरनेट की
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तबाही: मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरा छोटा भाई बहुत तिंग करता है , गासलयािं दे ता
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है , हमें िरा के रखा हुआ है , सारी रात घर से बाहर बुरे लोगों के साथ गुज़ार दे ता है, घर नहीिं आता, सारा हदन सोता रहता है , चरस पीता है जब कक उस की उम्र ससफ़त उन्नीस साल है , पैसे भी घर से चोरी कर के ले जाता है ,
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मैं और मेरी वासलदा बहुत मुस्ककल में हैं। ना पिाई करता है , सारा हदन सोता रहता है और रात को घर से
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बाहर रहता है । पािंच हज़ार तो चट ु की में उड़ा दे ता है । हमें शक है कक ये जुवा भी खेलता है । सख़्ती से बात करती हूाँ तो र्बगड़ जाता है । हर वबत मोबाइल पर मसरूफ़् रहता है । बराह मेहरबानी इस का कोई हल
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बताएिं। ख़त नम्बर ११: ये घरों में क्या हो रहा है ?: मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! सािे तीन साल हो गए बीवी को नाराज़ हो कर मैके गयी हुई है और अदालत में मुक़द्दमा चल रहा है , सुलह की बड़ी
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कोसशश की लेककन वो राज़ी नहीिं होती, उस का मुताल्बा अलैहहदह घर का है जो मैं पूरा नहीिं कर सकता एक बेटी है स्जस का पािंच हज़ार ख़चात दे ता हूाँ किर भी अदालत से जान नहीिं छूटती अब थक हार कर मैं ने मुल्क
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छोड़ने का सोचा है । अल्लाह मेरी मदद फ़मातए। अल्लाह आप को सेहत और इस ख़ब ू सरू त इदारे अब्क़री को काम्यार्बयािं अता फ़मातए।" क़ाररईन! ग़म्ज़्दह तहरीरें , आप की ख़ख़दमत में पेश कर दी हैं, इस का अज़ाला क्या है और तद्बीर क्या है ? मैं आप के जवाब का मुन्तस्ज़र रहूाँगा। (जारी है )
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माहनामा अब्क़री जुलाई 2016 शुमारा नम्बर 121---------------pg 3
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दसत ए रूहाननयत व अम्न
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हफ़्त्वार दसत से इबतबास
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अल्लाह वालों की हदल की दन्ु या पर मेहनत
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تہ शैख़ उल ्-वज़ाइफ़ हज़रत हकीम मुहम्मद ताररक़ महमूद मज्ज़ूबी चग़ ु ताई ( ( براک م دامت
इस्ट्तख़ारह की हक़ीक़त: अक्सर ग़लत फ़ह्मी में रहते हैं। लोगों ने फ़ज़त कर रखा है कक हम इस्ट्तख़ारह करें गे
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तो हमें एक बाबा जी नज़र आएिंगे उन्हों ने बड़ा सा चोग़ा पहन रखा होगा और हाथ में ििंिा सलए होंगे, नहीिं! अल्लाह वालो ऐसा नहीिं है । इस्ट्तख़ारह का मत्लब ये है कक अल्लाह तबारक व तआला उस बात को, उस
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अमल या उस काम के मुतअस्ल्लक़ आप के हदल में तवज्जह िाल दें , अपनी ख़ैर आप के हदल में िाल दें ।
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अल्लाह का उस काम के सलए आप को मत ु वज्जह कर दे ना इस को इस्ट्तख़ारह कहते हैं और इस के सलए
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सच्ची तड़प का होना ज़रूरी है । अल्लाह वालों की बातें क़ीमती मोती होती हैं उन को तवज्जह से सुना करें । सच्ची तड़प: तो अल्लाह वाले फ़मातने लगे: मेरी महकफ़ल रोज़ाना होती है इस में अल्लाह का नाम ससखाया जाता है , अल्लाह का स्ज़क्र होता है । पहले चालीस हदन इस महकफ़ल में आ किर इस के बाद मैं तुझे बताऊिंगा Page 6 of 54 www.ubqari.org
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कक सूरह फ़ानतहा कैसे तेरे सलए इस्ट्म आज़म बनेगी? उस ने कहा ठीक है । अल्लाह वालो! अगर तलब सच्ची हो, तड़प सच्ची हो तो चालीस हदन क्या चालीस साल भी आना आसान लगता है और अगर तलब सच्ची ना
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हो, तड़प और लगन सच्ची ना हो तो अल्लाह वालों में आदमी को कीड़े नज़र आते हैं, एतराज़ नज़र आते हैं,
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कमी कोताहहयााँ नज़र आती हैं उस के इलावा कुछ नज़र नहीिं आता, ये मैं आप को हक़ीक़त अज़त कर रहा हूाँ। चालीस हदन का मुजाहहदह्: एक तजुबे की बात अज़त करता हूाँ, मुझ फ़क़ीर का भी तजुबात है मेरे मुसशतद सय्यद मह ु म्मद अब्दल् ु लाह हज्वैरी رحمة اهلل عليهका भी तजब ु ात है और बड़े बड़े अल्लाह वालों का भी मश ु ाहहदह् है कक कोई भी अमल अगर आप बाक़ाइदगी से चालीस हदन कर लें तो वो अमल है रत अिंगेज़ असरात वाला हो
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जाता है लेककन तजुबात ये है कक बाक़ाइदगी से शराइत से ककसी अमल को मुसल्सल चालीस हदन करना
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नामुस्म्कन नहीिं तो कम अज़ ् कम मुस्ककल तरीन ज़रूर है । अमूमन कोई अमल चालीस हदन आदमी नहीिं
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कर पाता। कहीिं ना कहीिं कोई कमी रह जाती है । जैसे बअज़ लोग कहते हैं कक हम ने चालीस हदन पााँचों वबत
की नमाज़ तक्बीर ऊला के साथ पिनी है पिने वाले पि भी लेते हैं नामुस्म्कन नहीिं है लेककन मुस्ककल ज़रूर
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है । चन ु ाचे उन बुज़ुगत ने उस शख़्स को चालीस हदन अपनी महकफ़ल में आने को कहा। समझने की बात ये है
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कक उन्हों ने चालीस हदन उस शख़्स को अपनी महकफ़ल में क्याँू बल ु ाया था?
अल्लाह वालों की हदल की दन्ु या पर मेहनत: उस शख़्स को इस सलए बल ु ाया था कक इस अमल के लेने की
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उन के अिंदर इस्ट्तअदाद पैदा हो जाए। ये जो अल्लाह वाले, फ़क़ीर बार बार कहते हैं कक हमारे पास आओ हमारी मस्ज्लस, हमारी महकफ़ल में आया करो दरअसल अल्लाह वाले हदल की दन्ु या, हदल की ज़मीन को
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तय्यार करना और नरम करना चाहते हैं, अल्लाह वालों के पास बार बार आने से हदल की ज़मीन नरम होती
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है जब हदल की ज़मीन नमत होती है तो किर उस के अिंदर जो भी बीज िालें चाहे वो आला हों या घहटया फ़सल
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आला होगी और स्जस के हदल की ज़मीन सख़्त होगी, स्ट्याह होगी उस में आला या अच्छा बीज िालें उस का फ़ायदा ना होगा, उस की फ़सल नहीिं उगेगी। अब चालीस हदन के बाद वो शख़्स कहने लगे कक: "मुझे आप के हुक्म के मत ु ार्बक़ चालीस हदन हो गए हैं अब आप बताएिं कक सरू ह फ़ानतहा ककस तरह मेरे सलए इस्ट्म आज़म Page 7 of 54 www.ubqari.org
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बनेगी?" बुज़ुगत आाँखें बन्द कर के फ़मातने लगे: तू ने चालीस हदन ग़गन कर गुज़ारे हैं? उस शख़्स ने कहा: "आप ने ख़द ु ही कहा था कक चालीस हदन मेरी मस्ज्लस में आ" अल्लाह वाले ने कहा: "मैं ने चालीस हदन
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ग़गनने को नहीिं कहा था बस्ल्क अल्लाह की मुहब्बत और तअल्लुक़ पैदा करने के सलए कहा था तू ससफ़त हदन ग़गनता रहा अल्लाह के साथ तेरा तअल्लुक़ पैदा ही नहीिं हुआ तेरे हदल की दन्ु या में वो इस्ट्तअदाद पैदा ही
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नहीिं हुई कक मैं तझ ु े वो मोती दे सकाँू ।" अल्लाह वाले बज़ ु ग ु त ने कहा: "किर से महकफ़ल में आना शरू ु कर और अल्लाह तआला का तअल्लुक़ पैदा कर, मुहब्बत पैदा कर जैसे मज्नूिं ने लैला से मुहब्बत, इकक़ ककया था तू भी पागल हो कर दीवाना हो कर अल्लाह से मह ु ब्बत और तअल्लक़ ु पैदा कर" उस शख़्स की तलब सच्ची
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थी, उस की लगन सच्ची थी उस ने कहा ठीक है ! मैं किर इस महकफ़ल में आऊिंगा। अगर उस की तलब सच्ची
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ना होती तो कहता आप की ननय्यत ही ख़राब है आप मुझे कुछ दे ना ही नहीिं चाहते। वो शख़्स महकफ़ल में
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आता रहा और अल्लाह वाले ग़गनते रहे , पहले उस शख़्स ने ग़गना था अब अल्लाह वाले ग़गनते रहे । जब
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चालीस हदन हुए वो शख़्स हाज़री दे कर जा रहा था! अल्लाह वाले ने बुलाया और पूछा ककतने हदन हो गए हैं?
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उस ने कहा पता नहीिं शायद चन्द हदन हो गए हैं। अल्लाह वाले ने कहा: "नहीिं! चालीस हदन हो गए हैं।
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अल्लाह वाले ने कहा: "मैं तुझे बताता हूिं कक सूरह फ़ानतहा तेरे सलए इस्ट्म आज़म कैसे बनेगी तू तीन काम
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कर ले।"
हलाल का लब ु मा: अल्लाह वाले ने कहा: सब से पहली चीज़ तो ररज़्क़ हलाल का लब ु मा खा।" हमारे मआ ु श्रे
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में हलाल और हराम की तमीज़ ही समट गयी, हदल के जज़्बों से ये बात ही चली गयी कक माल और ररज़्क़
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हलाल है या हराम। जब से हम ने सफ़ेद कपड़े पहन्ना छोड़े हैं तब से हमें मालूम ही नहीिं कक हमारे साथ
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कौनसी मेल, कौनसा गुनाह लगा हुआ है । हमारे हज़रत सय्यद मुहम्मद अब्दल् ु लाह हज्वैरी رحمة اهلل عليه
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फ़मातते थे कक: "हम सारे वकतशोपपये हैं" वकतशॉप वालों के कपड़े बहुत काले और मेले होते हैं, काला तेल, ग्रीस और ना जाने क्या कुछ इन कपड़ों पर लग जाता है उन को पता नहीिं चलता। हमारे हज़रत सय्यद मुहम्मद अब्दल् ु लाह हज्वैरी رحمة اهلل عليهसफ़ेद कपड़े पहन्ने की तरग़ीब दे ते थे क्योंकक ये सुन्नत है ।
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दस ू री चीज़ सूरह फ़ानतहा को कसरत के साथ नेक लोगों के मज्मऐ में जा कर पिना और तीसरा गुनाहों से बचना, चाहे वो बड़े गुनाह हों या छोटे । नेक लोगों का मज्मआ: सूरह फ़ानतहा को नेक लोगों के मज्मए में जा
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कर कसरत से पिना बहुत बड़ा राज़ और गहरी बात है । इस में राज़ ये है कक नेक लोगों के मज्मए में कोई नेक आदमी होगा स्जसे अल्लाह जल्ल शानुहू ने सूरह फ़ानतहा की तासीर दी होगी। उस के तुफ़ैल अल्लाह
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तआला इस को भी इस की तासीर अता कर दें गे। क्योंकक बअज़ औक़ात भरी मस्स्ट्जद में एक नमाज़ी ऐसा होता है स्जस की वजह से तमाम नमास्ज़यों की नमाज़ क़ुबूल हो जाती है और बअज़ बुज़ुगों ने कहा कक तमाम हास्जयों में से एक हाजी ऐसा होता है कक स्जस की लब्बेक क़ुबल ू होती है । उस नमाज़ी और उस हाजी
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की वजह से बाक़ी सब की इबादत भी क़ुबूल हो जाती है । (जारी है )
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दसत से फ़ैज़ पाने वाले
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं ने आप को एक माह पहले ख़त सलखा था आप ने कुछ
वज़ाइफ़ हदए थे मैं ने यक़ीन के साथ शुरू ककये, अल्हम्दसु लल्लाह! मुझे बहुत ज़्यादा फ़क़त महसूस हो रहा है ।
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पहले मैं रात को बहुत िरती थी मगर अब ऐसा नहीिं है । मैं ने दफ़्तर माहनामा अब्क़री से दसत की सी िीज़ ्
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मिंगवाईं हुईं हैं। सारा हदन घर में दसत सुनती रहती हूाँ। इस के इलावा जुमेरात को इिंटरनेट पर ऑन लाइन दसत ज़रूर सन ु ती हूाँ। अल्हम्दसु लल्लाह दसत में जो कुछ आप बताते हैं उन सब पर अमल करने की भरपरू कोसशश
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करती हूाँ। पािंच वबत की नमाज़ पिना शुरू हो गयी हूाँ। दसत की वजह से अल्लाह पर यक़ीन और भी ज़्यादा बि गया है । मेरे सेकिंि ईयर का दाख़्ला नहीिं हो रहा था दसत घर में हर वबत चलाने से वो हो गया और हम पर
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बहुत ज़्यादा क़ज़त था अल्लाह की ग़ैबी मदद आई और क़ज़त उतर गया। घर में हर वबत बे सुकूनी, लड़ाई
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झगड़ा रहता था बहुत हद्द तक घर में सुकून आ गया है , अब शाद व नादर ही लड़ाई झगड़ा होता है । (ज)
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माहनामा अब्क़री जुलाई 2016 शुमारा नम्बर 121---------------pg 4
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(साहहब औलाद वाल्दै म के सलए ज़रूरी है कक बच्पन ही से अपने बच्चे को अच्छी बातें ससखाएिं, मासूम बच्चों
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का ये हक़ है कक माएिं अपना दध ू पपलाएिं और जब पपलाएिं तो र्बस्स्ट्मल्लाह कह कर पपलाएिं ता कक बच्चा उस को हज़्म कर सके और सेहतमन्द हो। बच्चा बोलना सीखे तो अल्लाह और र्बस्स्ट्मल्लाह के अल्फ़ाज़ ससखाएिं।)
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(आफ़ाक़ अहमद)
rg
बच्चे दन्ु या की हसीन तरीन मख़्लक़ ु कराहट रूह पवतर ू और ऐसे हसीन िूल हैं स्जन की नज़ाकत और मस्ट्
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और फ़रहत बख़्श होती है । वाल्दै न की मुहब्बत व शफ़क़त के ज़ेर साया चलने वाले बच्चे अल्लाह की
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अमानत होते हैं। इस अमानत की पवतररश में स्जतनी ज़्यादा द्यानतदारी बरती जाए उतनी ही मन ु ाससब है ।
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बच्चों का ज़ेहन इब्तदा में ख़ाली स्ट्लेट की मानिंद होता है स्जस पर जो सलखा जाए वो हमेशा के सलए सब्त हो
जाता है । इस सलए वाल्दै न ख़स ु ूसन मााँ की ये एहम स्ज़म्मेदारी होती है कक उस ख़ाली स्ट्लेट पर ऐसी चीज़
bq
सलखी जाए जो उस के दीन व दन्ु या दोनों के सलए फ़ायदामन्द हो। क़ुरआन अल्लाह की तरफ़ से बन्दों के सलए एक इनआम है , स्जस में सरासर हहदायत और रहनुमाई है । क़ुरआन के हुक़ूक़ में से एक हक़ ये भी है कक
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इस को समझ कर पिा जाए और उस पर अमल ककया जाए। साहब औलाद वाल्दै न के सलए ज़रूरी है कक
w
बच्पन ही से अपने बच्चे को अच्छी बातें ससखाएिं, मासूम बच्चों का ये हक़ है कक माएिं अपना दध ू पपलाएाँ और
w
जब पपलाएाँ तो र्बस्स्ट्मल्लाह कह कर पपलाएाँ ता कक बच्चा इस को हज़्म कर सके और सेहतमन्द हो। बच्चा बोलना सीखे तो अल्लाह और र्बस्स्ट्मल्लाह के अल्फ़ाज़ ससखाएिं क्योंकक ये उस ख़ासलक़ हक़ीक़ी का इिंसान
w
पर सब से पहला हक़ है कक वो उस से आकना हो। माओिं को चाहहए कक ख़द ु भी बच्चे के सामने हर काम करने से पहले र्बस्स्ट्मल्लाह पिें और उन को भी ताकीद करें । अल्लाह के नाम से शुरू ककया जाने वाला हर काम
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सही ससम्त अख़्त्यार करता है और उस काम में ताईद ईज़दी शासमल हो जाती है और काम पाया ए तक्मील तक पुहिंच जाता है । बच्चों को इस बात की भी आदत िासलये कक घर से ननकलते वबत र्बस्स्ट्मल्लाहह و
ْ َو
ُ َتّک )ب ْس ِم ہللاِ و وपिें । अल्लाह के भरोसे पर उस का नाम ले कर घर ( ِ ت ولَع ہللا ِ
rg
तवक्कल्तु अलल्लाहह
से ननकलने से बच्चा बूिा, जवान, दन्ु यावी हादसात, आफ़ात और बलाओिं से महफ़ूज़ रहता है और अल्लाह
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و و و ُ و و َو के फ़ररकते उस के मुहाकफ़ज़ बन जाते हैं। "ला हॉल व ला क़ुव्वत इल्ला र्बल्लाहह" (ِ )َل وح ْول ووَل ق َوۃ اَِل ِِبّٰللये इस दआ ु का दस ू रा जुज़्व है । यक़ीनन अल्लाह की तौफ़ीक़ के बग़ैर ककसी इिंसान की मजाल नहीिं कक वो नेकी कर सके। ये उसी की तरफ़ से दी गयी हहदायत है जो बन्दे की ज़बान से अदा होती है । बच्चा जब अच्छी तरह
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बोलना सीख जाए तो उसे सूरह फ़ानतहा याद कराएिं। आप यक़ीनन जानती होंगी कक हुज़ूर अक्रम ﷺने
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फ़मातया: "क़ुरआन की तमाम आयात में सरू ह फ़ानतहा सब से आला और बल ु न्द है ।" इस सरू ह को सरू ह
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सशफ़ा भी कहा गया है और ये सूरह स्जस्ट्मानी, नफ़्स्ट्याती, रूहानी बीमाररयों का इलाज भी है । "अल्लाह"
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मअबद ू हक़ीक़ी का ज़ाती नाम है स्जस की बड़ी फ़ज़ीलत है और ये ककसी और के सलए जाइज़ नहीिं। अल्लाह
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तआला चाहता है कक उस का बन्दा अपने हर काम का आग़ाज़ उस के नाम से करे । इस सलए जब बच्चा
ِ َو ْ ٰ َو अपनी तोतली और मासूम ज़बान से र्बस्स्ट्मल्लाहह-रत ह्मानन-रत हीसम (الرح ِْی ِم ) بِ ْس ِم ہللا الرْح ِنकहता है तो अल्लाह
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सरापा रहमत बन जाता है । उस की रहमतें हर लम्हा बरसने लगती हैं। र्बस्स्ट्मल्लाहह-रत ह्मानन-रत हीसम ( ِب ْس ِم
ِ َو ْ ٰ َو الرح ِْی ِم ) ہللا الرْح ِنकह कर दरअसल बन्दा उस रहीम की रहमत को आवाज़ दे ता है । उस के जवाब में अल्लाह
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तआला इक्राम व इनआम से नवाज़ता है । "अल्हम्दसु लल्लाह" कल्मा ए शुक्र है । अल्लाह तआला इस बात
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को पसिंद फ़मातता है कक हर खाने और पीने पर अल्लाह की हम्द की जाए। उस रब्बुल ् आलमीन के सलए
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तमाम बड़ी से बड़ी तारीफ़ें भी कम हैं। इस कायनात की हर शै उस ख़ासलक़ ए हक़ीक़ी का शुक्र अदा करती है । स्जन्न व बशर, ननबातात, जमादात, है वानात, हश्रात उल ्अज़त, चााँद तारे सब अल्लाह की मख़लक़ ू हैं और
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अपनी तख़्लीक़ पर उस का शुक्र अदा करते हैं। बच्चों को अल्हम्दसु लल्लाह कहने की आदत िालें ता कक अल्लाह के शक्र ु गज़ ु ार बन्दे बनें। खाने से पहले हाथ धोने, खाने के बाद हाथ धोने और अल्हम्दसु लल्लाह
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कहना सेहत मन्दी की अलामत है । सफ़ाई की आदत अपनाने से बच्चा यक़ीनन बहुत सी बेमाररयों से महफ़ूज़ रहे गा और मााँ बहुत सी परे शाननयों से बच जाएगी। क़यामत का हदन यक़ीनन एक होल्नाक हदन
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होगा। हर मुसल्मान का ये ईमान है कक एक हदन हर बन्दे को अपने एअमाल के साथ अल्लाह के सामने हास्ज़र होना है और स्ज़न्दगी में ककये हुए हर हर अमल का हहसाब उस मासलक हक़ीक़ी को दे ना है । अपने
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बच्चों को बच्पन से नेकी करने और बरु ाई से बचने की आदत िासलये। उन को बताइये कक जो ककसी के साथ बुरा सलूक करता है अल्लाह उस को दन्ु या में भी और आख़ख़रत में भी उस की सज़ा दे ता है क्योंकक वो उस हदन का तन्हा मासलक है । उन को रोज़ मरत ह स्ज़न्दगी में भी अच्छे कामों पर इनआम दीस्जये ता कक उन की
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हौसला अफ़ज़ाई हो। बुरे काम पर सज़ा भी दीस्जये लेककन ऐसी सज़ा ना दें कक बच्चा आप से मुतनफ़्फ़र हो
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जाए। बच्चों को अच्छाई और बुराई का बताएिं, झूट बोलना, ग़लत बयानी करना, चुग़ल ख़ोरी करना, चोरी
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करना ये सब रज़ाइल अख़लाक़ हैं। बच्चों को बच्पन ही से इन बुराइयों से दरू रखें। उन के सामने ख़द ु भी झूट
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ना बोलें। सच की एहसमयत से आगाह करें और सच बोलने पर उन को इनआम भी दें । क़यामत के वाकक़आ
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की एहसमयत को आप सन ू ामी की समसाल दे कर समझा सकती हैं। चन्द लम्हों में बारह मम ु ासलक के
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साहहल तल्पट हो गए, क़यामत यक़ीनन इस से बहुत ज़्यादा ख़ौफ़नाक हदन होगा। करामन कानतबैन ् दो
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ऐसे मअ ु ज़्ज़ज़ सलखने वाले हैं जो अल्लाह के हुक्म से हमारे हर ऐब व सवाब का ररकॉित अपने पास महफ़ूज़
करते जा रहे हैं। अपने मासूम बच्चों को वबतन फ़वबतन इस बात का एहसास हदलाते रहहये कक वो छुप कर
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कोई ग़लत काम ना करें । अगर उन्हों ने ऐसा ककया तो करामन कानतबैन इस को सलख लेंगे और अल्लाह के
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हुज़ूर पेश कर दें गे। यूाँ भी अल्लाह तो सब कुछ दे खता है । हम ककतना ही छुप कर कोई काम क्यूाँ ना करें । वो हर जगा मौजूद है , इिंसान को हर वबत नज़र में रखता है । बच्चों को सात साल की उम्र से नमाज़ ससखाइये,
w
छोटी छोटी सूरतें तजम ुत े के साथ याद कराएिं, हम इबादत करते हैं और तुझ से ही मदद मािंगते हैं, सूरह
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ک نو ْع ُب ُد وو ا َوِّی و ) ا َوِّی وइस सरह की रूह है । ُ ْ ک ن و ْس وت ِع फ़ानतहा की ये आयत "इय्याक नअबुद ु व इय्याक नस्ट्तईनु" ( ی ू मदद हमेशा उस से मािंगी जाती है स्जस के मुतअस्ल्लक़ यक़ीन है कक वो हमारी मदद करे गा। अल्लाह तो हर
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बन्दे की मदद के सलए हर वबत तय्यार है , बषततये कक बन्दा उस से मदद तलब करे । हम उस की इबादत के सलए पैदा ककये गए हैं और उसी से मदद तलब करते हैं। बच्चों को बच्पन से इस बात का एह्सास हदलाइये
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कक अल्लाह हमेशा उस की मदद करता है जो ख़द ु भी कोसशश करता है जो बच्चे नमाज़ पिते हैं पिाई में मेहनत करते हैं वो अल्लाह से पास होने की दआ ु मािंगते हैं अल्लाह उन को हमेशा काम्याब करता है , हर
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मस्ु ककल वबत में वही हमारी मस्ु ककल को आसान करता है उस के दबातर में जाने के सलए ककसी ससफ़ाररश की ज़रूरत नहीिं होती। वो दे ने के सलए हर वबत तय्यार है । अगर बच्चों की ककसी भी बीमारी की सूरत में इक्तालीस मततबा (सरू ह फ़ानतहा पानी पर दम कर के पपलाएाँ) उस से कोई ग़गड़ग़गड़ा कर अपनी हाजत पेश
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करे । उस के दरवाज़े पर कोई दरबान नहीिं होता। हर बन्दा हर वबत अपनी दरख़्वास्ट्त पेश कर सकता है ।
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ससफ़त इख़्लास ननय्यत शतत है । हहदायत अल्लाह की दी हुई नेअमतों में सब से एहम तरीन नेअमत है , उस से
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अपनी नेअमत के सलए हर वबत ख़्वाहहश करते रहना चाहहए और दआ ु करना चाहहए कक वो हमें सीधा
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रास्ट्ता हदखाए। अपने बच्चों को इस आयत का मफ़हूम समझाएिं कक स्ज़न्दगी में ज़रीया मुआश के बहुत से
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रास्ट्ते हैं मगर उन में सीधा और सच्चा रास्ट्ता वही है जो रहमान का रास्ट्ता है । जो कहठन तो है मगर उस का
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अिंजाम जन्नत है । चोरी, िकैती, स्ट्मगसलिंग, फ़हाशी, ये सब रास्ट्ते शैतान की तरफ़ जाते हैं जो इिंसान का सब
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से बड़ा दकु मन है । उस ने अल्लाह से अहद ककया है कक वो उस के बन्दों को बेहकाता रहे गा इस सलए वो अपने काम में पूरी तिंदही से मसरूफ़ है । मासूम बच्चों को ग़लत ग़लत रास्ट्ते हदखाता है । उन रास्ट्तों से बचाना मााँ
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की स्ज़म्मेदारी है । "इस्ह्दन-स्स्ट्सरातल्मुस्ट्तक़ीम ् (’ )اھدان الرصاط المستقیمदरअसल वो एहम दआ ु है स्जस के
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जवाब में अल्लाह तआला हमारे सलए परू ा क़ुरआन मजीद पेश कर दे ता है । यही वो हहदायत का रास्ट्ता है जो नर्बयों, ससद्दीक़, शुहदा का रास्ट्ता है और स्जन पर अल्लाह का इनआम नास्ज़ल हुआ है । गुम्राह लोगों से
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बचने की दआ ु उन को ससखाइये। यहूहदयों और नसारा के मक्र व फ़रे ब से उन को आगाह कीस्जये कक
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मग़ज़ूब ् अलैहहम ( )مغضوب علہیمयही हैं जो अल्लाह के ना फ़मातन हैं। अपने बच्चों को रोज़ मरत ह स्ज़न्दगी में सूरह फ़ानतहा की एहसमयत से आगाह करें । बच्चों की ककसी भी बीमारी की सूरत में इक्तालीस मततबा सूरह
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फ़ानतहा पानी पर दम कर के पपलाएाँ, इस सूरह को सूरह सशफ़ा इस सलए कहा गया है कक ये बहुत सी स्जस्ट्मानी, रूहानी और नफ़्स्ट्याती बेमाररयों का इलाज नो ज़ाएदह् बच्चों को हमेशा सूरह फ़ानतहा पि कर
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दध ू पपलाएाँ। दध ू हज़्म भी होगा और उन के सलए सेहत का बाइस भी बनेगा। नज़्ला ज़ुकाम, खािंसी,
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ननमोननया के मरीज़ों को दवा के साथ इय्यात नअबुद ु व इय्याक नस्ट्तईनु पिना चाहहए। माहनामा अब्क़री जुलाई 2016 शुमारा नम्बर 121----------------pg 6
माज़ी को छोड़ें! मुस्ट्तस्बबल पर ननगाह रखें
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(कोई तो रास्ट्ता हो कक हदल को इत्मीनान हाससल हो जाए लेककन हक़ीक़त ससफ़त ये है कक हम माज़ी का कुछ नहीिं र्बगाड़ सकते, गुज़रे हुए वबत की ककसी चीज़ को तब्दील नहीिं कर सकते। हर एक को इस बात से
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बख़ब ू ी वाक़फ़ीयत है कक माज़ी बदला नहीिं जा सकता लेककन मस्ट् ु तस्बबल की मिंसब ू ा बन्दी की जा सकती है ,)
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(अस्ट्मा शाहहद, फ़ैसल आबाद)
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हम माज़ी का कुछ नहीिं र्बगाड़ सकते, गज़ ु रे हुए वबत की ककसी चीज़ को तब्दील नहीिं कर सकते। हर एक
को इस बात से बख़ब ू ी वाक़फ़ीयत है कक माज़ी बदला नहीिं जा सकता बस्ल्क मुस्ट्तस्बबल की मिंसूबा बन्दी की
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जा सकती है , आने वाले आरसे के सलए प्लाननिंग मस्ु म्कन है लेककन ना जाने क्यूाँ हम माज़ी में उलझे रहते हैं
और गुज़री हुई बातों पर मातम करने और कफ़ अफ़्सोस मलने के चक्कर में मुस्ट्तस्बबल को भी नज़र
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जाती है ।
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अिंदाज़ कर जाते हैं स्जस का ये नतीजा ननकलता है कक सारी स्ज़न्दगी ही नाकामी का उन्वान बन कर रह
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ग़लनतयों के सलए दस ू रों को इल्ज़ाम मत दें : माज़ी में की जाने वाली ककसी ग़लती के सलए आप बड़ी आसानी
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से दस ू रों को इल्ज़ाम धर सकते हैं कक फ़लािं काम इस की वजह से ना हो सका और या फ़लािं की ग़लती के सबब ये हदन दे खना पड़ा लेककन ऐसे मवाकक़अ पर अपनी कोताहहयााँ और लग़स्ज़शों को ननगाह में रखना ज़्यादा बेह्तर होता है । माज़ी की ककसी तक़सीर पर तैश में आ जाना और या बद्द हदल होना कक कोई भी चीज़ Page 14 of 54 www.ubqari.org
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आप के हक़ में नहीिं जा रही एक कफ़तरी अमल है लेककन जब आप इस तरह की सोचों में नघरे रहें गे तो एक जगा खड़े रह जाएिंगे और आप ने दस ू रों को मोररद इल्ज़ाम ठहराना शुरू कर हदया तो किर आगे बि जाने का
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हर रास्ट्ता बन्द होता चला जाएगा क्यूिंकक आप आगे बिने के सलए कोई अमली क़दम कभी नहीिं उठा सकेंगे। ख़द ु को माज़ी से जोड़ कर आप ये उम्मीदें बााँध लें कक आज हालात उस से यक्सर मुख़्तसलफ़ हैं जैसे कक चन्द
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माह क़ब्ल थे तो ये भी एक दरु ु ा। आप ख़्वाह ककतना ु स्ट्त अमल नहीिं है क्यिंकू क जो कुछ होना था वो तो हो चक ही चाहें कुछ तब्दील नहीिं हो सकता। अगर ककसी ने जज़्बात में आ कर आप से ये कहा था कक "बे कफ़क्र रहें अब मैं आप की जान नहीिं छोड़ूाँगा" तो इन अल्फ़ाज़ का ज़्यादा असर ना लें कक सब कुछ इिंसान के अपने बस
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में नहीिं होता बदले हुए हालात ना ससफ़त इिंसानों को बस्ल्क उन की कही बातों को भी बदल िालते हैं। मुस्म्कन
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है कक मुहब्बत की मनास्ज़ल तय करते हुए आप से ये बात भी कही गयी हो कक "मैं ने कहा ना कक हर मुस्ककल
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वबत में आप के साथ खड़ा रहूिंगा" उस वबत शायद ये बात क़ार्बल ए अमल हो लेककन कुछ असे के बाद उस
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में हालात के तहत तब्दीली रोन्मा हुई तो वो वादा वफ़ा ना हो सका सलहाज़ा इस बारे में स्जतना ज़्यादा
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सोचें गे उतना ही दख ु आपको मस ु ल्सल ग़म्ज़्दह् रखेगा। ऐसे मवाकक़अ पर ये मत सोचें कक ककसी की वादा
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ख़ख़लाफ़ी ने आप को तन्हा कर हदया है बस्ल्क ये दे खें कक आप ने ककसी की बात पर सोचे समझे र्बना
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इन्हसार ककस तरह कर सलया कक जो कुछ कहा जा रहा है , उस पर अमल भी हो सकेगा या नहीिं? पपछली बातों को याद करते हुए अपनी तवानाई ख़चत करने से बेह्तर है यही तवानाई मुस्ट्तस्बबल के बारे में सोचते
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हुए काम में लाई जाए क्यिंकू क ऐसा करते हुए आप कोई मस्ट्बत क़दम उठा सकेंगे जो कक माज़ी को भल ु ा दे गा
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और आने वाले असे में आप उन ग़लनतयों से इज्तनाब कर् सकेंगे जो कक माज़ी में हो चक ु ी हैं।
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असल वजह तलाश करें : ककसी भी ग़लती या कोताही पर ग़ौर करते हुए अपनी ज़ात को मह्वर् बनाएिं कक
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यही तरीक़ा सब से ज़्यादा कार आमद है । आम तौर पर जब हम अपनी ख़ासमयों को दे खना शुरू करते हैं तो सब से पहले ख़द ु को कम्ज़ोर दलीलों या नाक़स बहानों के साथ बेक़सूर ठहराने लगते हैं स्जस का नतीजा ये ननकलता है कक सारा मल्बा दस ू रों पर जा ग़गरता है और अपनी ग़लनतयों को सुधारने का मौक़ा ही नहीिं समल
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पाता, माज़ी के ककसी वाक़ए या वाकक़आत को दहु राते हुए वो वजह तलाश करें स्जस ने आप को मायूसी या तैश में मुब्तला कर रखा है । अगर आप अपनी मुहब्बत को पाने में नाकाम रहे तो बड़ी सच्चाई और
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ईमानदारी से हालात का तज्ज़्या करते हुए अिंदाज़ा लगाएिं कक आप से ऐसी कौन सी ग़लती सर ज़द हुई स्जस
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के बाइस वो साथ छूट गया स्जस में उम्र भर साथ दे ने का वादा ककया गया था।
वाकक़आत के तसल्सुल को तरतीब्वार दे खें: जो कक आख़ख़रकार मुस्ककलात का बाइस बन गए। पूरी सच्चाई के साथ तज्ज़्या करें कक कहीिं सारी ग़लती आप की तो नहीिं थी और कोई वाकक़आ पेश आने में ख़द ु आप का तो हाथ नहीिं था। अगर आप से हट कर ककसी और की ननशािंदही होती है और या हालात उस के सलए मोररद
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इल्ज़ाम ठहराए जा सकते हैं तो किर ग़म्ज़्दह् और मालूल रहने से बेह्तर है कक कुछ और दे खें इस नाकामी
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पर सारी तवज्जह सफ़त कर् के वबत ज़ायअ करने से बेह्तर है कक असल वजूहात पर तवज्जह दें और उन से
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बचते हुए मुस्ट्तस्बबल की मिंसूबा बन्दी कर लें। माज़ी को ज़ेहन में दहु राने के बाद घिंटों सर पकड़ कर बैठने के
बजाए माज़ी को एक नए और मुख़्तसलफ़ पहलू से दे खें क्यूिंकक इस तरह आप ना ससफ़त मुस्ककलात को
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पहचानने में काम्याबी हाससल कर लेंगे बस्ल्क ककसी ऐसी जगा जा पोहिं चेंगे जहााँ उन का हल ननकालना
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मस्ु म्कन हो सकेगा।
भल ू ने की कोसशश करें : जब कोई शख़्स अपनी ग़लती या कोताही की कहानी आप के सामने बयान करता है
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तो ज़ाहहर सी बात है कक उसे सुन कर बड़ी आसानी से कहा जा सकता है कक "ओह! ऐसा तो होता रहता है " या सब्र करो और इस बात को फ़रामोश कर दो" लेककन जब आप ख़द ु ऐसी कोई ग़लती कर बैठते हैं तो उसे
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फ़रामोश करना मुस्ककल हो जाता है आप जो कुछ कर चक ु े होते हैं उस से दामन छुड़ाना कहठन तरीन काम
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बन जाता है । आप इस ग़लती या नाकामी को अपने ऊपर हावी कर लेते हैं। माज़ी आप को पल पल सता
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सकता है अगर ज़ेहनी तौर पर आप उस से जुड़े रहें , यादें आप को बुरी तरह मायूस और बअज़ हालात में मुकम्मल तौर पर नाकाम शस्ख़्सयत के तौर पर उभार सकती हैं लेककन माज़ी की ककसी ग़लती या कोताही का आप ककसी दस ू री बात में मदावा कर लेते हैं। Page 16 of 54 www.ubqari.org
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माज़ी पर ग़ौर कफ़क्र मत करें : अगर आप को मायूसी और अफ़्सुदतगी को ख़द ु ा हाकफ़ज़ कहना है तो फ़ौरी तौर पर अपनी स्ज़िंदगी से माज़ी पर ग़ौर व कफ़क्र को लात मार कर ननकाल दें । एक बार आप पपछली बातों पर
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सोचना तकत कर दें गे और ये बात ज़ेहन में नहीिं आने दें गे। जज़्बाती तअल्लुक़ात की सतह अमूमन इस क़दर बुलन्द होती है कक ख़द ु को इस के सशकिंजे से ननकालना मुहाल हो जाता है । आप गुज़कता मुलाज़्मत की
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मस्ु ककलात को फ़रामोश कर दे ते हैं गज़ ु कता तस्ल्ख़यों को भल ु ा दे ते हैं, पपछली बातों का असर धीमा पड़ जाता है मगर जज़्बाती तअल्लुक़ के हवाले से हर बात मुसल्सल याद आती है । कोई फ़ोन कॉल या एस एम ् एस पैग़ाम ही पल भर में माज़ी के उस दर को खोल दे ता है जहााँ से अिंग़गनत यादें उमि कर आप के ख़यालात को
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मुिंतशर कर दे ती हैं और स्ज़न्दगी एक बोझ लगने लगती है लेककन बहुत सारी ऐसी बातें होती हैं स्जन को पूरी
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सच्चाई और हक़ीक़त के साथ पेश नज़र रखा जाए तो ये बोझ कम हो सकता है । शायद ये ख़द ु ग़ज़ी के
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मुतरादफ़ बात हो और इसे कोई मन्फ़ी अिंदाज़ से दे खे लेककन कड़वी सच्चाई यही है कक ककसी एक शस्ख़्सयत
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से धोका खाने के बाद एक और शस्ख़्सयत ही उस का मदावा हो सकती है ऐसा करने की सूरत में माज़ी की
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हर ननशानी समटा दें । कुछ असे तक ऐसी जगहों पर जाने से गरु े ज़ करें जहााँ से पपछली यादें वाबस्ट्ता हों, उन
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चीज़ों से गुरेज़ करें स्जन से ककसी की याद भी आने का इम्कान हो। मााँ, बाप और बहन भाई वो क़रीबी ररकते
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हैं स्जन से दरू ी या महरूमी का तसव्वरु भी इिंसान को हहला कर रख दे ता है । जब उन के बग़ैर कोई इिंसान जी
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सकता है तो किर ककसी के बग़ैर भी स्ज़िंदा रहने में उसे कोई मुस्ककल नहीिं आनी चाहहए।
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माहनामा अब्क़री जुलाई 2016 शुमारा नम्बर 121----------------pg 8
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन
जल ु ाई 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
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सावन की रुत का सेहतमन्दाना आग़ाज़ क़ुदरती ग़ग़ज़ाओिं से कीस्जये (अगर आप ने फ़ैशन को तकत कर के पुराने हकीमों की दरयाफ़्त पर इस लस्ट्सी को पीना शुरू कर हदया तो
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सब ु ह ही सब ु ह आप को तक़रीबन पािंच सौ हरारे समल सकते हैं। मैदे की तेज़ार्बयत और दस ू री बीमाररयािं
(मुहम्मद महमूद, लाहौर)
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भी रफ़अ हो सकती है )
मई जून की लू के सताए लोग आस्ट्मान की तरफ़ दे ख कर बादलों की आमद के मुन्तस्ज़र होते हैं। लू की
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वजह से दरख़्त, पोदे , पररन्द चररिंद मुरझाए हुए हदखाई दे ते हैं। सावन की रुत आए तो हर चीज़ में एक नई रूह और उमिंग पैदा हो जाती है और पररन्द क्या, दरख़्त क्या, इिंसान व है वान सब बरसात की पहली
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बाररश के साथ झूम उठते हैं। हर तरफ़ हरयाली िैल जाती है । काले बादल हर तरफ़ अपनी मौजूदगी का
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एह्सास हदलाते हैं और हर चीज़ पर जवानी आ जाती है । इस मौसम में कफ़ज़ा में रतब ू त की ज़्यादती की वजह से समज़र और ख़तरनाक जरासीम, बैक्टीररया की नशो व नुमा में बड़ी तेज़ी आ जाती है स्जस की
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वजह से बीमाररयािं नम ु ायािं तौर पर सर उठा लेती हैं। इस रतब ू त की ज़्यादती की वजह से इिंसान के
ननज़ाम इन्हज़ाम में भी तब्दीली आती है और इिंसान समठास की बजाए तुशत अकया की तरफ़ ज़्यादा
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राग़ग़ब हो जाता है । अल्लाह तआला का ननज़ाम क़ुदरत दे ख़खये कक इसी मौसम में सलमों पर भी बहार आ
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जाती है और सलमों बाज़ार में सस्ट्ते दामों फ़रोख़्त होने के सलए आ जाता है सलमों कक ससकिंजबीिं या मश्रब ू में सलमों का इस्ट्तेमाल लुत्फ़ को दोबाला कर् दे ता है और ननज़ाम इन्हज़ाम में जो मिंसबी तब्दीली आ रही
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होती है उस में रुकावट िाल दे ता है । ससकात और प्याज़ इस मौसम में वाकफ़र समबदार में इस्ट्तेमाल करने
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हो जाएगा।
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चाहहयें। इन चीज़ों की ख़स ु ूससयात पर एक सरसरी नज़र िाल लें तो आप को इन की अफ़ाहदयत का इल्म
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सलमों के औसाफ़: मैदे को क़ुव्वत दे ता है, गुदे का सदह खोलता है , भूक बिाता है , ननज़ाम इन्हज़ाम को क़ुव्वत दे ता है , िकारें लाता है , तयातक़ी ख़स ु ूससयात का हासमल है , मैदे का बोझ ज़ाइल करता है , ख़न ू के
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िोड़े िाँससयों को नाकफ़अ है , सफ़रा की हहद्दत और तेज़ी को बुझाता है , ख़न ू की तेज़ी को तस्ट्कीन दे ता है , मैदे और स्जगर में सफ़रा को साफ़ कर दे ता है , सफ़्रावी क़ै रोकता है, सफ़्रावी तबख़ीर को रोकता है । गमी
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के सर ददत का नाकफ़अ है , मैदे में बल्ग़म की मौजद ू गी को ख़त्म करता है , ग़चकनी ग़ग़ज़ाओिं को जल्द हज़्म करता है । सफ़्रावी प्यास को समटाता है , है ज़ा के जरासीम को रफ़अ करने की ताक़त रखता है , बद्द हज़्मी को दरू करता है और सास्ज़श सशकम ् को ख़त्म करता है । ससकात के फ़वाइद्: सफ़रा को ख़त्म करता है , मैदे
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से रतूबत को ननकालता है , क़ुव्वत हाज़्मा को ताक़त दे ता है , बद्द हज़्मी को ख़त्म करता है और ख़न ू की
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हहद्दत को कम करता है ।
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प्याज़ के फ़वाइद्: सदह और मसाम खोलता है और हास्ज़म है , भूक बिाता है, पेशाब आवर है , रयाह् को तह्लील करता है , सफ़्रावी मत्ली को दरू करता है । प्याज़ को ससके में समला कर इस्ट्तेमाल करने से इन
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दोनों की अफ़ाहदयत बि जाती है । बरसात के मौसम में आम तौर पर कहा जाता है कक ख़न ू पत्ला हो जाता है । स्जगर और दस ू रे एअज़ा में मौजद ू ज़हरीले मादे आसानी से ख़न ू में गहदत श करना शरू ु कर दे ते हैं स्जस
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की वजह से बच्चों बड़ों में ये गिंदे मादे िोड़े िाँससयों की सूरत में ननकलना शुरू हो जाते हैं। अगर बरसात की आमद से पेकतर यानन मई जन ू में इन ज़हरीले मादों को ख़त्म करने के सलए नीम का रस, चराइता का
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इिंसान जल्दी अमराज़ का सशकार नहीिं होता।
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रस, धमासा, रस्ट्वन्त वग़ैरा इस्ट्तमाल कराई जाए तो बरसात में ज़हरीले मादे ख़न ू में ना होने की वजह से
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आम की चट्नी: आम के मौसम में गोकत के साथ सलाद और चट्नी का इस्ट्तेमाल मोज़ूिं है , जून, जुलाई,
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अगस्ट्त गमी की सशद्दत का ज़माना है । कोई चट पटा सालन या अचार अगर दस्ट्तरख़्वान पर आ जाए तो रोटी के चिंद लुबमे हलक़ से नीचे उतर जाते हैं वनात पानी पी कर ही गुज़ारना पड़ता है । ऐसे वबत कच्चे आम की चटनी बेसमस्ट्ल और पसिंदीदह चीज़ है । इस से पेट भरने के इलावा गैस में कमी और बदन को Page 19 of 54 www.ubqari.org
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जल्द हज़्म होने वाली हयातीन भरी ग़ग़ज़ा सस्ट्ते दामों हाथ आ जाती है । हमारे मुल्क में कच्चे आम को कैरी के नाम से याद ककया जाता है । मैदा कच्चे आम को दो घिंटे में हज़्म कर लेता है , इस में पानी नव्वे
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फ़ीसद, ननशास्ट्ता सात फ़ीसद, ग़चकनाई अशायात आठ, फ़ौलाद चार अशायात पािंच, लह्मी अज्ज़ा अशायात सात फ़ीसद, ग़चकनाई अशायात एक, मादनी नमक अशायात चार, चन ू ा अशायात एक और फ़ॉस्ट्फ़ोरस अशायात
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दो फ़ीसद शासमल होते हैं। आध छटािंक कच्चे आम में हयातीन असलफ़ चव्वालीस, हयातीन ज १२ और ग्यारह हरारे भी हमें हाससल हो जाते हैं। ये हयातीन भरी चट्नी तय्यार करने के सलए कच्चे आमों को भभ ू ल ् में आठ दस समनट तक दबा हदया जाता है । जब ऊपर वाला नछल्का नरम और गद ु ाज़ हो जाए तो
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आमों को एहनतयात से भूभल से ननकाल कर साफ़ कर के पानी में िाल हदया जाता है । ठिं िा होने पर वो
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पानी ग़गरा हदया जाता है और थोड़ी समबदार में दस ू रा पानी समला कर आमों को आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता मल
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मल कर उन का रस जो इस अमल में पुख़्त होने से नरम हो जाता है ननकाल सलया जाता है । इस ननस्ट्फ़
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छटािंक सेहत बख़्श रस में एक छटािंक शक्कर समला कर ननस्ट्फ़ चाय वाला चम्मच नमक समला कर एक
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चट पटा सालन बन जाता है । बअज़ अफ़राद इस में एक आध सख़ ु त समचत और दो चार पत्ते सब्ज़ धन्या के
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भी समला दे ते हैं। ग़ग़ज़ाई एतबार से इस कम दाम चट्नी के ननस्ट्फ़ छटािंक रस से हमें चव्वालीस हरारे और
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हयातीन असलफ़ और ज हाससल होते हैं। ये ख़श ु ज़ायक़ा चट्नी मैदे में जा कर उस की जलन और बिी हुई गमी दरू करती है । इस की तुशी अिारह् और गैस को भी कम करती है । इस से पेशाब की जलन दरू और
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पेशाब की ज़्यादती में कमी हो जाती है । सब से क़ीमती फ़ायदा ज़ेहनी सक ु ू न हाससल होता है । लू लगने की
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तक्लीफ़ में ये चट्नी बेहद्द मुफ़ीद है बस्ल्क रोज़ाना इस के इस्ट्तेमाल से लू लगने का अिंदेशा नहीिं रहता। पेड़ों की लस्ट्सी: गमी के मौसम में भूक कम और प्यास ज़्यादा महसूस होती है । इन हदनों प्यास बुझाने के
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सलए कक़स्ट्म कक़स्ट्म के माश्रब ू माककतट में मौजूद हैं लेककन मुसल्मान हकीमों ने सहदयों पहले पेड़ों की
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लस्ट्सी पीने का तरीक़ा जारी ककया था जो प्यास बुझाने या गमी दरू करने, मौसमी तेज़ हवाओिं और सूरज की शआ ु ओिं से स्जल्द के झल ु स्ट्ने वाले असरात दरू कर के ख़ब ू सरू त और मल ु ायम बनाने के इलावा एक
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ताक़त बख़्श ग़ग़ज़ा का काम भी दे ती है । पुराने तबीब तहक़ीक़ के ककस क़दर आसलम थे कक उन्हों ने दध ू से बने हुए खोए चीनी और पानी को समला कर एक सस्ट्ता तस्ट्कीन दे ने वाला ख़ासलस मक्खन और लह्मी
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अज्ज़ा का लज़ीज़ और ख़श ु ज़ायक़ा जाम दन्ु या के सामने पेश कर हदया। अगर आप ने फ़ैशन को तकत कर के पुराने हकीमों की दरयाफ़्त पर इस लस्ट्सी को पीना शुरू कर हदया तो सुबह ही सुबह आप को
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तक़रीबन पािंच सौ हरारे समल सकते हैं। मैदे की तेज़ार्बयत और दस ू री बेमाररयािं भी रफ़अ हो सकती हैं। तीन चार घिंटे ककसी दस ू री ग़ग़ज़ा की ज़रूरत नहीिं होगी। इस बात से इिंकार नहीिं हो सकता कक इस जाम के पीने से मैदा बोझल होगा। ऊाँघ आने लगेगी और मोजद ू ह मआ ु श्रे की पैदावार स्जस्ट्मानी और एअसाबी
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दरदें भी शायद होने लगें , इस लस्ट्सी को हज़्म करना स्जस्ट्म को हरकत दे ने और मेहनत मुशबक़त करने
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वालों का काम है । कुसी पर बैठे और आराम करने वाले हज़रात इसे इस्ट्तेमाल करने का शौक़ करें तो इस
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के साथ वस्ज़तश और सेर भी शुरू कर दें ।
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माहनामा अब्क़री जल ु ाई 2016 शम ु ारा नम्बर 121-----------------9
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क़ाररईन के नतब्बी और रूहानी सवाल, ससफ़त क़ाररईन के जवाब
औलाद नरीना के सलए: क़ाररईन! हम ररसाला अब्क़री के मुस्ट्तक़ल क़ारी हैं और नतब्बी और रूहानी
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इस्ट्तफ़ादह् हाससल करते हैं। मेरी आप से गुज़ाररश है कक हमारे ख़ानदान में लड़ककयों की पैदाइश बहुत
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(मुहम्मद आससफ़)
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ज़्यादा है जब कक नरीना औलाद बहुत नापीद है । कोई नस्ट् ु ख़ा या रूहानी अमल हो तो इनायत फ़मातएिं।
जवाब: आससफ़ भाई! आप के सलए एक आज़मूदह टोटका और अमल सलख रहा हूाँ यक़ीनन आप को फ़ायदा
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होगा। हुवल्शाफ़ी: रीठा का नछल्का उतार कर कूट लें और आधा हहस्ट्सा बीवी पानी या दध ू के हमराह ननहार मुिंह २ माह र्बला नाग़ा इस्ट्तेमाल करे । अल्लाह अज़्ज़ व जल ् करम फ़मातएिंगे। मेरा तजुबात है कक अगर हमल ्
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ठहरने के दो माह बाद चााँद की पहली सात तारीख़ों को रोज़ाना सूरह बक़रह मुकम्मल सूरह पि कर दआ ु करें । इन ् शा अल्लाह यक़ीनी बेटा पैदा होगा। ये टोटका मेरा नहीिं ला तअदाद का आज़मूदह है । आप भी
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आज़माइये और दआ ु ओिं में याद रख़खयेगा। (मह ु म्मद सह ु ै ब, लाहौर)
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समझ कुछ नहीिं आता: क़ाररईन! मेरी बहन के हााँ औलाद बड़े ऑपरे शन से होती है , पहले चार बेहटयािं हुईं स्जस में से दो इिंतक़ाल कर गईं जस्ब्क दो अल्हम्दसु लल्लाह ठीक हैं। दस ू री बेटी जो फ़ौत हुई है वो कुछ इस तरह से फ़ौत हुई कक उस का पेट िूल जाना, मिंह ु का मस ु ल्सल आना, नाख़न ु में िििंू दी लग कर बड़े होना, बाल उड़ जाना, भवें उड़ना, सािंस में रुकावट होना, मुसल्सल पािंच साल तक इसी हालत में रही पाककस्ट्तान के
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तमाम बड़े शहरों से इलाज करवाया मगर किर वो इिंतक़ाल कर गयी। इस के बाद बेटा पैदा हुआ उस को भी
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वही सारे अमराज़ लाहक़ हैं। जो इस बच्ची को थे। ररपोट्तस में कुछ भी नहीिं आता, क्या करें ? कोई टोटका,
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कोई वज़ीफ़ा बताएिं। (मुहम्मद रमज़ान, ससिंध)
जवाब: भाई! मैं एक वज़ीफ़ा दे रही हूाँ जो आप तमाम घरवाले बच्चे की ननय्यत कर के सारा हदन उठते बैठते
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ٓ ٰ )ٰح وَلیُ ْن و ُ و पिें । इन ् शा अल्लाह बहुत जल्द बच्चे की सेहत में बेहतरी चलते किरते "हामीम ् ला यन् ू सरून" (رص ْون
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दे खेंगे। इस के इलावा आप अपनी बहन को तीन से चार अब्क़री दवाख़ाना की एक दवाई "पोशीदह् कोसत" इस्ट्तेमाल करवाएिं। इन ् शा अल्लाह मज़ीद बच्चे र्बल्कुल सेहत्याब पैदा होंगे। (आसलया कौसर, चीचा वतनी)
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ख़द ु को ख़द ु ही बबातद ककया: मोहतरम क़ाररईन अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरी उम्र २४ साल है , मैं पपछले १२ साल
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से ख़द ु को ख़द ु ही बबातद कर रहा हूाँ। अब हालत ये है कक मैं शादी के र्बल्कुल भी क़ार्बल नहीिं रहा। बराह
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हो जाऊिं। (ब, टोबा टे क ससिंघ)
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मेहरबानी! मुझे कोई आसान आज़मूदह इलाज बताएिं। मेरी ये आदत भी छूट जाए और शादी के क़ार्बल भी
जवाब: जहााँ तक आप की आदत बद्द का तअल्लक़ ु है तो वो आप की क़ुव्वत इरादी पर मन् ु हसर है । आप पािंच वबत की नमाज़ पिें , सुबह व शाम को पाकत में जा कर वाक करें । दजत ज़ेल नुस्ट्ख़ा को चन्द माह इस्ट्तेमाल
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करें । हुवलशाफ़ी: गोंद कतीरह् एक छटािंक, गोंद बबूल (कीकर) एक पाव, घी दे सी एक चाय वाला चम्मच। तरकीब: गोंद को लकड़ी के नछल्कों और समट्टी वग़ैरा से अच्छी तरह साफ़ कर लें। गोंद की गोसलयों पर बाहर
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से हल्का हल्का घी लगाएिं ता कक गमत करते वबत ये बततन से ना ग़चपकें (इस सलए ज़रूरी नहीिं कक सारा चम्मच ही इस्ट्तेमाल हो कम भी इस्ट्तेमाल हो सकता है यानन ज़रूरत के दजात में ) किर बहुत ही हल्की आिंच
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पर गोंद गमत कर के ब्राउन कर लें और ठिं िा होने पर ग्राइिंिर् में बारीक पीस लें। ख़ोराक सब ु ह शाम एक चम्चा (चाय वाला) गमत दध ू या गमत पानी में ख़ब ू अच्छी तरह हल कर के खाने के एक घिंटा बाद लें हदन में दो बार। (अख़्तर एअवान, एबट आबाद)
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चिंबल का इलाज: मोहतरम क़ाररईन अस्ट्सलामु अलैकुम! चिंबल सोराइससज़ के इलाज के सलए कोई हबतल
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नुस्ट्ख़ा बताएिं। स्जन के खाने और चिंबल पर लगाने से अफ़ाक़ा हो और ख़ाररश भी किंरोल में रहे । ये नुस्ट्ख़ा
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ससफ़त ककताबी ना हो। नीज़ परहे ज़ भी बताएिं। (अब्दल् ु ग़फ़्फ़ूर चग़ ु ताई, फ़तह जिंग)
जवाब: मैं आपको ननहायत आज़मूदह नुस्ट्ख़ा भेज रही हूाँ। हुवल्शाफ़ी: स्ज़िंक ऑक्साइि २० ग्राम, बोररक
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एससि २० ग्राम, गिंधक आम्ला सार १० ग्राम, सेसलससल्क एससि २० ग्राम, काबोसलक एससि ५ ग्राम, वेज़लीन
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सादह २०० ग्राम। आपस में समला कर ख़ब ू अच्छी तरह हल कर लें। हल करने से क़ब्ल मज़्कूरह् उदय ू ात बारीक पीस लें और ककसी िब्बे में महफ़ूज़ रखें। थोड़ी सी महतम ले कर स्जस्ट्म पर अच्छी तरह मलें अगर
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सुबह मलें तो शाम को अगर शाम को मलें तो सुबह ग़स्ट् ु ल कर सकते हैं। अगर ग़स्ट् ु ल ना भी कर सकें तो कोई
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मज़ाइक़ा नहीिं। गमत ग़ग़ज़ाओिं से परहे ज़ करें । (आइशा नाज़, लाहौर)
छोटा क़द्द: मेरी उम्र २४ साल है और मेरा क़द्द पािंच फ़ुट आठ इिंच है । हमारे ख़ानदान में सब का क़द्द लम्बा है
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स्जस की वजह से काफ़ी शसमिंदगी होती है । अगर ककसी बहन भाई के पास क़द्द बिाने का कोई तरीक़ाकार
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आज़मूदह हो तो इनायत फ़रमाएाँ। (दाननयाल, टूबा टे क ससिंघ)
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जवाब: दाननयाल भाई! मैं आप के सलए एक वस्ज़तश सलख रहा हूाँ इस के करने के बाद इन ् शा अल्लाह गारें टी के साथ आप का तीन माह में तीन इिंच तक क़द्द बि जाएगा। ये एक्सरसाइज़ ् योगा की है करनी ऐसे है कक
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सीधे खड़े हो जाएिं और हाथ ऊपर को कर लें और सारे स्जस्ट्म का और बाज़ुओिं का सारा ज़ोर ऊपर को लगाएिं लेककन नीचे से पाऊाँ ऊपर को नहीिं उठाने पाऊाँ ज़मीन पर ही रहें , पािंच समनट तक ऊपर को ज़ोर लगाते जाएिं
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जैसे आप के हाथ छत को लग जाएिंगे। सब ु ह व शाम पािंच पािंच समनट करें जो नोजवान हैं उन का क़द्द तीन माह में तीन इिंच बि जाएगा और जो बूिे हैं उन का भी तीन माह में एक इिंच इन ् शा अल्लाह बि जाएगा। (मुहम्मद यूसुफ़, लाहौर)
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पपिंिसलयों में ददत : मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! आप इल्म के सूरज या ख़झलसमलाते
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ससतारों का एक आस्ट्मान नीलगूिं हैं या इल्म के समुन्दर हैं जस्ब्क मैं आप का ररसाला अब्क़री का एक साल
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से क़ारी हूाँ। मुझे आप का ससस्ल्सला क़ाररईन के सवाल क़ाररईन के जवाब बहुत पसिंद है । मेरा क़ाररईन से
सवाल है कक मेरे पाऊाँ और पपिंिसलयों में ख़खचाव अरसा दो साल से है । चल किर सकता हूाँ लेककन बैठते उठते
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वबत ख़खचाव बहुत ज़्यादा होता है । आम हालत में नमाज़ पिना मुस्ककल होती है , कुसी या चारपाई पर बैठ
कर नमाज़ पिता हूाँ। उम्र मेरी ६८ साल है । क़ाररईन! ख़द ु ा के सलए माहनामा अब्क़री में कोई मअ ु स्ट्सर नस्ट् ु ख़ा
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ख़द ु त नी और मासलश सलख दें । बेहद्द नवास्ज़श और अहसान नवाज़ी होगी। (मुहम्मद अस्ट्लम, बहावलनगर)
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जवाब: अस्ट्लम साहब! आप दे सी अिंिे की सफ़ेदी तीन अदद, (ज़दी ना हो) स्जतनी सफ़ेदी हो उतना दे सी अद्रक का पानी, आपस में समला लें और अब इस सफ़ेदी और पानी में दो अदद कफ़नाइल की गोसलयािं िाल दें
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कुछ दे र रखें कफ़नाइल की गोसलयािं उस में घुल जाएिंगी ककसी िब्बी या बन्द ढक्कन की बोतल में महफ़ूज़ रखें
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और महफ़ूज़ रखने के बाद उसे जब भी इस्ट्तमाल करें उस वबत हहलाया करें अब इस लेप को जहााँ भी ददत हो
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थोड़ा सा लगाएिं और हल्का हल्का मलें ख़कु क हो जाए किर थोड़ा सा लेप िाल लें किर हल्का मल लें इस तरह तीन दफ़ा, इस के बाद आप महसूस करें गे ये स्जल्द में जज़्ब हो गया, पता भी नहीिं चलेगा कक आप ने लेप
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लगाया है , सुबह व शाम ये लेप आप मुस्ट्तक़ल इस्ट्तमाल करें चन्द हफ़्ते इस्ट्तमाल करने से आप को ददत में है रत अिंगेज़ अफ़ाक़ा होगा।
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क़ाररईन के सवाल क़ाररईन के जवाब
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"क़ाररईन के सवाल व जवाब" का ससस्ल्सला बहुत पसिंद ककया गया ख़तूत का ढे र लग गया, मकवरे से तय हुआ पपछला ररकॉित पहले क़ाररईन तक पोहिं चाया जाए जब तक ये ख़त्म नहीिं होता उस वबत तक साब्क़ा तरतीब कफ़ल्हाल कुछ अरसा के सलए मुअख़्ख़र् कर दी जाए।
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मेरी स्ज़न्दगी कैसे बदली?
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दसत का एक बोल बरु ाई के रास्ट्ते से वापस खें च लाया (कक़स्ट्त नम्बर १०)
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माहनामा अब्क़री जुलाई 2016 शुमारा नम्बर 121----------------pg 13
(क़ाररईन! हज़रत जी! के दसत, मोबाइल (मेमोरी काित), नेट वग़ैरा पर सुनने से लाखों की स्ज़िंदग़गयााँ बदल रही
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हैं, अनोखी बात ये है चाँ कू क दसत के साथ इस्ट्म आज़म पिा जाता है जहााँ दसत चलता है वहािं घरे लू उल्झनें है रत
अिंगेज़ तौर पर ख़त्म हो जाती हैं, आप भी दसत सुनें ख़्वाह थोड़ा सुनें, रोज़ सुनें, आप के घर, गाड़ी में हर वबत
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दसत हो)
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! इिंसाननयत की जो ख़ख़दमत अल्लाह जल्ल शानुहू आप
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से ले रहा है, अल्लाह तआला आप को और आप की नस्ट्लों को इस ख़ख़दमत के सलए क़ुबल ू ककये रखे और
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दन्ु या व आख़ख़रत में आप को और आप की नस्ट्लों को इस का बेह्तरीन अज्र दे । आमीन सुम्म आमीन। मोहतरम हज़रत हकीम साहब! मेरी स्ज़न्दगी बे राह रवी में भटकी हुई थी। मैं एक प्राइवेट इदारे में मेनेजर की पोस्ट्ट पर फ़ाइज़ थी। मैं ने ये पोस्ट्ट इिंतहाई मेहनत, लगन और स्जद्द व जहद से हाससल की।
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अल्हम्दसु लल्लाह! मैं ने कभी अपने काम से ना इिंसाफ़ी नहीिं की थी। हमारे ऑकफ़स में मदत व ख़वातीन इकट्ठे काम करते थे स्जस की वजह से हर वबत बद्द नज़री का गुनाह जारी रहता जो शायद उस वबत मेरी नज़र में
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गुनाह ही ना था। मेरे कमरे के सामने हमारे डिप्टी िायरे क्टर का कमरा था स्जस से रोज़ाना मुख़्तसलफ़ अमूर पर घिंटों गुफ़्तुगू रहती। हम दोनों अकेले कमरे में काम कर रहे होते। मैं ने कुछ अरसा बाद महसूस ककया कक
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डिप्टी िायरे क्टर साहब की गफ़् ु तग ु ू और लह्जा में हदन बहदन मेरे सलए तब्दीली आती जा रही है । ऑकफ़स टाइम के इलावा भी वो अक्सर मुझे घर पर फ़ोन करते और हाल अह्वाल पूछते। किर एक मततबा ईदल ु -कफ़त्र की छुहटयों के बाद जब मैं ऑकफ़स आई तो उन्हों ने मझ ु े अपने कमरे में बल ु ाया और अपने जज़्बात का खल ु
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कर इज़्हार कर हदया। मैं ने उन से सोचने के सलए वबत सलया। ना मालूम मुझे क्या हुआ चन्द हदनों बाद मैं
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ने भी उन की हााँ में हााँ समला दी। यूाँ हमारा मुआकक़ा चल ननकला। चन्द साल तक मैं गुनाहों की दल्दल में
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धिंसती चली गयी। ये सब कुछ चलता रहा मगर मेरे हदल में एक कसक थी कक ये सब बहुत ग़लत हो रहा है
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मगर जब वो मेरे सामने आता मैं सब कुछ भूल जाती। आहहस्ट्ता आहहस्ट्ता पूरे दफ़्तर में हमारे मुआकक़ा की
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बातें होना शरू ु हो गईं। हमारे दफ़्तर में सहदत यों की दस छुहटयााँ होती थीिं, हमें भी वो छुहटयााँ हुईं, मेरी छोटी
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बहन अब्क़री हर माह ख़रीदती और इिंटरनेट पर आप के दसत भी सुनती है । छुहटयों के दौरान मैं ऐसे ही उस
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के कमरे में गयी तो वहािं दसत चल रहा था उस ने मझ ु े भी सन ु ने को कहा मैं बैठ गयी। वो हल्क़ा ककफ़ुल ्-
म्हजूब का दसत था, मैं जैसे जैसे सुनती गयी मेरी रूह कािंपती गयी। मुझे ख़द ु से नफ़रत होना शुरू हो गयी।
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दसत सन ु ने के बाद मैं ने ख़द ु को अपने कमरे में बिंद कर सलया और ना मालम ू कब तक रोती रही। मझ ु े अपने
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इस ना जाइज़ तअल्लुक़ पर इतनी शदीद ननदामत हुई कक मैं ने उस शख़्स से अपना तअल्लुक़ हमेशा के सलए ख़त्म कर सलया। मैं ने अपनी बहन से वेब साइट का एड्रेस सलया और रोज़ाना दसत सुनने शुरू कर हदए।
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आप का एक एक बोल मुझे बुराई के रास्ट्ते से वापस खेंच लाया। मैं ने नमाज़ शुरू कर दी, मोबाइल की ससम
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तब्दील कर ली। गुनाहों से तौबा की। छुहटयों के बाद जब ऑकफ़स गयी तो मैं ने डिप्टी िायरे क्टर से सब कुछ कह हदया कक आज के बाद मेरा और आप का ये ना जाइज़ तअल्लक़ ु हमेशा के सलए ख़त्म है । मैं आप से इस
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ससस्ल्सले में कभी कोई बात ना करूाँगी। उन्हों ने मुझसे कुछ ना कहा। इस के बाद मेरा उन से ससफ़त प्रोफ़ेशनल राब्ता रहा जो एक मेनेजर और डिप्टी िायरे क्टर के दरम्यान होता है । कभी कभी हदल बहुत
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ै होता। उन की बेचन ै होता मगर जब ध्यान अल्लाह की तरफ़ करती तो अल्लाह के सलए और ज़्यादा बेचन तरफ़ हदल थोड़ी दे र के सलए माइल जस्ब्क अल्लाह की तरफ़ बहुत ज़्यादा। अल्लाह से बातें , रोना, फ़यातद
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बहुत ज़्यादा हो गयी, अल्लाह की मह ु ब्बत होते हुए हदल में ग़ैर क्याँू आया? हलाल मह ु ब्बत में हराम मह ु ब्बत कैसे शासमल हो गयी? इन्टरनेट के ज़ररए मैं आप से बैअत हुई। आप को ख़त सलखा तो आप ने मुझे वज़ीफ़ा "या हय्यु या क़य्यम ू ु इय्याक नअबद ु ु व इय्याक नस्ट्तईनु र्बरह्मनतक अस्ट्तग़ीस"ु
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ی وِب ْْحوت و ُ ک وا ْس وتغ ْی ُ ) وّی وق َُیहदया। जो मैं रोज़ाना तक़रीबन हज़ार मततबा कभी कम या ْ ک نو ْع ُب ُد وو ا َوِّی و و و وم ا َوِّی و (ث ِ ِ ِ ُ ک ن ْست ِع
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ज़्यादा पि लेती हूाँ। तहज्जुद नसीब हो रही है , रोज़ाना चार या छे नस्फ़्फ़ल तहज्जुद के ज़रूर
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पिती हूाँ। अब्क़री ररसाला से दे ख कर मरु ाक़बा भी शरू ु कर हदया है । मरु ाक़बे में तवज्जह और
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ध्यान नसीब हो जाता है , मुराक़बे में बहुत मज़ा आता है । सब कुछ करने के बावजूद किर हदल
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में मुकम्मल सुकून ना था जो शायद बद्द ननगाही की वजह से जो मेरे दफ़्तर में थी। मैं ने
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र्बल ्आख़ख़र स्ज़न्दगी का तल्ख़ तरीन फ़ैसला ककया और नोकरी छोड़ दी। मैं रोज़ाना सारा हदन
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इन्टरनेट से आप के दसत सुनती हूाँ। एक रात मेरी स्ज़न्दगी का ख़श ु गवार तरीन लम्हा भी आया जब मझ ु े मेरे प्यारे आक़ा हुज़रू नबी करीम ﷺका दीदार नसीब हुआ। मैं ने हुज़रू नबी करीम
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ﷺका दीदार ककया आप ﷺने मुझे सफ़ेद नूर की चादर अता फ़रमाई। मैं बहुत ख़श ु होती हूाँ,
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किर आप ﷺमेरे सर पर ताज रखते हैं जो नूरानी सा होता है । इस के बाद मेरी आाँख खल ु
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जाती है । अब मैं अल्हम्दसु लल्लाह हर वबत बावज़ू रहती हूाँ। अल्हम्दसु लल्लाह आप के ककफ़ुल ् म्हजूब के मुकम्मल दसत सुन चक ु ी हूाँ। अब नो चिंदी जब आप का दसत सुनती हूाँ तो स्ज़क्र नफ़ी कैकफ़यत अजीब होती हैं। शदीद सदी में भी मझ ु े सदी नहीिं लगती। मेरे क़ल्ब
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अस्ट्बात में मेरी
में कुछ गमत पुरसुकून कैकफ़यत थी। अल्लाह बहुत क़रीब जैसे कुछ हो जाएगा, गहरा सुकून!!! बस
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क्या बताऊाँ। किर दौरान दआ बहुत ज़्यादा रोती हूाँ। अब जब स्ज़क्र करती हूाँ तो ऐसा मज़ा आता ु है कक मैं अल्फ़ाज़ में बयान नहीिं कर सकती। आप के दसत सुनने से पहले मैं शदीद टें शन में
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रहती थी कभी इस राह को छोड़ने का ख़्याल नहीिं आया। अब जब से मैं ने इस राह को छोड़ा है मेरे अपने मेरे मुख़ासलफ़ हो गए हैं, मेरी वासलदा, ह्मसाए सब कहते हैं कक ककतनी पागल है इतनी
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अच्छी पोस्ट्ट छोड़ कर बैठ गयी है । इतना पिना सलखना डिग़ग्रयािं ककस काम कीिं। मगर मैं उन्हें अब कैसे समझाऊिं कक मैं ककतने सुकून मैं हूाँ। बस दआ करें अल्लाह मुझे हहम्मत दे कक मैं घर ु वालों की शदीद मलामत सन ु ने के बावजद ू भी सार्बत क़दम रहूिं। अल्हम्दसु लल्लाह बहुत सक ु ून
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है । अब मैं रूहाननयत से भरपूर स्ज़न्दगी गुज़ारना चाहती हूाँ। बस अल्लाह मुझे क़ुबूल कर ले।
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मेरी स्ज़न्दगी कैसे बदली
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आमीन (पोशीदह्)
क़ाररईन! अगर आप के इदत ग़गदत मुआश्रे में कोई ऐसा ही भटका हुआ ख़द ु ा का बन्दा या बन्दी सीधे रास्ट्ते पर
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आई है तो आप ज़रूर ज़रूर उस के राह रास्ट्त पर आने का मक ु म्मल वाबया सलख कर एडिटर अबक़री को
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भेजें। आप की सलखी हुई तहरीर मुकम्मल नाम पता और जगा तब्दील कर के सलखी जाएगी। अबक़री
ररसाला हर मक्तबा कफ़क्र के हााँ पिा जाता है क्या मालम ू आप की सलखी हुई तहरीर से कोई अाँधेरी ग़लीज़
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गसलयों को छोड़ कर नूरानी एअमाल पर आ जाए और ये आप और आप की नस्ट्लों के सलए सदक़ा ए जाररया
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बन जाए।
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हाज़्मे का लाजवाब टोटका
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं ने अब्क़री में से दे ख कर एक टोटका हाज़्मा के सलए बनाया। मुझे इस से इतना फ़ायदा हुआ कक मैं बता नहीिं सकता। मेरा साल्हा साल से हाज़्मा का मसला था जो इस टोटके से र्बल्कुल ठीक हो गया। टोटका ससफ़त ये है कक मैं ने सौंफ़ और चीनी हम्वज़न ले कर सफ़ूफ़
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बना सलया और खाने के बाद आधा चम्मच चाय वाला इस्ट्तेमाल ककया। इस के इलावा स्जस ककसी को सलमों रास ना आए तो वो सलमों खा कर थोड़ा सा लेह्सन खा ले सलमों नुबसान ना दे गा। (नूर ख़ान)
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माहनामा अब्क़री जुलाई 2016 शुमारा नम्बर 121----------------pg 15
स्जल्द गोरी ग़चट्टी, ननख्री, ख़ब ू सरू त और शादाब! (क्या आप को इस बात का इल्म है कक महज़ ये जान कर कक अपने चेहरे की सफ़ाई ककतनी मततबा करनी
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चाही, आप अपने चेहरे की स्जल्द, नमी और रिं गत को क़ाबू में कर सकती हैं। ख़्वाह आप कम उम्र हों या
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ज़्यादा उम्र के ससफ़त दरु ु स्ट्तगी से चेहरा साफ़ कर के अपनी स्जल्द की मुनाससब तौर पर हहफ़ाज़त को यक़ीनी
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बनाया जा सकता है )
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(तय्यबा नज़ाकत, बहावलपुर)
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! उम्मीद है कक आप सेहत व सलामती की बेह्तरीन
हालत में होंगे। मेरी ये तहरीर ख़वातीन के ससफ़हा पर लगाएिं ये मेरे सलए बाइस फ़ख़्र व इम्त्याज़ होगा।
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स्जस्ट्मानी ननखार के सलए बॉिी स्ट्क्रब: अब आप को बॉिी स्ट्क्रर्बिंग एिंि मसाज के सलए बड़े बड़े पालतसत पर जा
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कर भारी रक़ूम ख़चत करने की ज़रूरत नहीिं। घर बैठे घर की चीज़ों से ही स्जस्ट्मानी ननखार लाइए इस के सलए एक बॉिी स्ट्क्रब (Body Scrub) हास्ज़र ख़ख़दमत है जो ननहायत आसान और बहुत सस्ट्ता है । कोई भी ब्यूटी
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सोप ले कर उस को कद्दू कश कर् लें इस में बेसन और थोड़ी सी हल्दी समला कर समक्स कर के रख लें।
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लीस्जये आप के स्जस्ट्मानी ननखार के सलए एक बेह्तरीन बॉिी स्ट्क्रब तय्यार है इस को महफ़ूज़ कर लें नहाने
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से १५, २० समनट पहले हस्ट्बे ज़रूरत बॉिी स्ट्क्रब ले कर उस में पानी या अक़त गुलाब समला कर पूरे स्जस्ट्म पर ख़ब ु ात ख़सलये उतर जाएिंगे ू अच्छी तरह मल लें और scrub करें स्जस्ट्म का सारा मेल कुचेल और स्जल्द के मद और स्जल्द गोरी ग़चट्टी, ननख्री, ख़ब ू सूरत और शादाब हो जाएगी। मज़ीद हुस्ट्न व ननखार के सलए गलीसररन, Page 29 of 54 www.ubqari.org
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अक़त गुलाब, सलमों का रस हम्वज़न ले कर नहाने के बाद स्जस्ट्म तोसलये से ख़कु क कर के ये आमेज़ा जज़्ब होने तक लगाएिं। ख़कु की का ख़ात्मा: नाररयल या सरसों के तेल में आधे सलमों का रस, एक चाय का चम्मच
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गलीसररन समला कर बालों की जड़ों में अच्छी तरह लगाएिं। दो घिंटे बाद या किर रात भर लगा रहने के बाद सुबह बाल धो लें। थोड़े आरसे में ही ख़कु की का ख़ात्मा हो जाएगा। इन ् शा अल्लाह! और बाल बहुत smooth
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and silky हो जाएिंगे। अगर ख़कु की ज़्यादा हो तो तेल लगा कर बारीक किंघी से ख़कु की को ननकाल लें। आाँखों के ग़गदत स्ट्याह हल्क़े दरू करने का अनोखा इलाज: जब सब ु ह सो कर उठें तो दोनों हाथों की हथेसलयों को आपस में ख़ब ू रगड़ें कक जब ये ख़ब ू गमत हो जाएिं, अपनी आाँखों पर थोड़ी दे र के सलए रख लें , चन्द मततबा ये
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अमल दहु रायें इन ् शा अल्लाह थोड़े ही आरसे में आाँखों के स्ट्याह हल्क़े दरू हो जाएिंगे। ये अमल शीशे के
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सामने ककया जाए तो ज़्यादा बेह्तर है । हाथों को आपस में रगड़ने से मख़्सूस हरारत और शुआएाँ ननकलती हैं
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जो सशफ़ा बख़्श होती हैं।
चेहरे की सफ़ाई के सलए कलीिंस्ज़िंग की एहसमयत
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यहािं ख़वातीन की रहनुमाई के सलए क्लेस्न्ज़िंग के चिंद कारआमद तरीक़ाकार यक्जा ककये हैं जो बरस हा बरस
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से आज़मद ू ह कार समझे जाते हैं।
१- हदन में दो मततबा से ज़्यादा चेहरा साफ़ मत करें यहााँ तक कक आप को खल ु े आस्ट्मान तले ना ननकलना
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पड़े, जब चेहरे पर इज़ाफ़ी समट्टी जरासीम और आलूदगी ग़चमट जाती है ककसी भी तज़त की स्जल्द हदन में दो
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मततबा क्लेस्न्ज़िंग काफ़ी है क्यूिंकक बहुत ज़्यादा क्लेस्न्ज़िंग की जाती रहे तो स्जल्द क़ीमती और क़ुदरती
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ग़चकनाइयों से महरूम हो जाती है और सूख जाती है । २- हमेशा ऐसा क्लेन्ज़र इस्ट्तमाल करें जो कक आप की
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स्जल्द के सलए मौज़ूिं हो, चेहरे की स्जल्द पर साबुन का इस्ट्तमाल कम से कम करें क्यूिंकक ये अमल ख़ासा ख़तरनाक भी सार्बत हो सकता है स्जस की वजह ये है कक ख़कु क हो जाने वाली स्जल्द वबत के साथ साथ ख़राब होती चली जाती है । बहुत ज़्यादा गािा या भारी क्लेन्ज़र स्जल्द के मसामात को बिंद कर दे ता है
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जबकक इिंतहाई ख़कु क क्लेन्ज़र से स्जल्द में इकतआल की कैकफ़यत पैदा हो सकती है । ख़कु क स्जल्द के सलए क्लेन्ज़र में क़ुव्वत बख़्श जड़ी बूहटयािं और तेल शासमल हों तो ये ज़्यादा बेह्तर बात है ख़ास तौर पर दे सी
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जड़ी बूहटयािं जो स्जल्स से पैदा होने वाले तेल का तवाज़ुन बरक़रार रख सकें और सफ़ाई के अमल को सपोटत करती हों। हस्ट्सास स्जल्द की मासलक ख़वातीन के सलए ज़रूरी है कक वो ख़कु बू और इकतआल अिंगेज़ मादों से
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पाक ननहायत हल्का क्लेन्ज़र इस्ट्तमाल करें । ३- चेहरा हमेशा नीम गमत पानी से धोएिं, गमत पानी वबत के साथ चेहरे की स्जल्द को ख़कु क कर के दीगर नुबसानात पोहिं चाता है । ज़्यादा ठिं िा पानी भी इस्ट्तमाल करने से गरु े ज़ ् करें क्यिंकू क ये स्जल्द के सलए मफ़ ु ीद नहीिं। ४-अगर आप चेहरे की सफ़ाई के सलए स्ट्पिंज या कपड़े का
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सहारा लेती हैं तो इस बात को यक़ीनी बनाएिं कक ये चीज़ें नमत और साफ़ हों मगर क्लेन्ज़र के सलए सब से
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बेह्तरीन मुआवन आप के हाथ हैं। ५- चेहरे की क्लेस्न्ज़िंग से क़ब्ल अपने हाथों को ख़ब ू अच्छी तरह धोएिं
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वरना आप चेहरे की स्जल्द पर गिंदगी मुन्तकक़ल कर रही होंगी। ६- क्लेस्न्ज़िंग से क़ब्ल हल्का गमत पानी ले
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कर चेहरे और गदत न पर छीिंटें मारें ताकक गदत व ग़ब्ु बार साफ़ हो जाए। ७- उाँ गसलयों की पोरों से क्लेन्ज़र अपने
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चेहरे पर लगाएिं और आहहस्ट्तगी से दायरों की शक्ल में या नीचे से ऊपर की जाननब गदत न और चेहरे पर
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स्ट्रोक्स लगाएिं। बहुत ज़्यादा मत रगड़ें क्यूिंकक हल्के हाथों से मसाज दौरान ख़न ू की बेहतरी के इलावा मेल
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कुचेल और स्जल्द पर मौजद ू परु ाने ख़सलयों की सख़्ती को ख़त्म करने के सलए काफ़ी है । बहुत ज़्यादा ज़ोर से
रगड़ने की सूरत में स्जल्द ख़खिंच जाती है और उस पर ख़राशें पड़ने का भी इम्कान रहता है । ८- अब चेहरे को
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बहुत ज़्यादा नीम गमत पानी से धो लें और गदत न से क्लेन्ज़र साफ़ करना ना भल ू ें कक क्लेन्ज़र की नतलछत
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मसामात को बिंद कर के गिंदगी को अपनी जाननब मुतवज्जह कर सकती है । ९- ककसी नमत तोसलये से चेहरे और गदत न पर मौजूद इज़ाफ़ी पानी को साफ़ करें । १०- फ़ौरी तौर पर कोई "वाटर बेस्ट्ि" टोनर या स्जल्द की
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मोज़ूननयत को मद्द नज़र रखते हुए मॉइस्ट्चराइज़र इस्ट्तमाल करें ताकक चेहरा कफ़ज़ा में मौजूद नमी को
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क़ुबूल ना कर सके और तर व ताज़ह हदखाई दे ।
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मोबाइल का ग़लत इस्ट्तेमाल और घरों की तबाही
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं ने आज ख़ास तौर पर क़लम क़ाररईन के सलए उठाया है । मेरे घर में एक बहुत बड़ा मसला खड़ा हुआ है और उस की बुन्याद मोबाइल बना था। मेरे भाई की जब मिंगनी हुई तो मेरे भाई ने मेरी भाभी को मोबाइल ले कर हदया स्जस पर दोनों एक दस ू रे से बात चीत करते थे, इसी दौरान मेरी भाभी ने अपने दे वर (मेरे दस ू रे भाई) से भी मोबाइल पर बात चीत शुरू कर दी, आहहस्ट्ता
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आहहस्ट्ता ये दोनों हर वबत फ़ोन पर बातें करना शरू ु हो गए। कुछ अरसा बाद मेरी भाभी की शादी उन के
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मिंगेतर यानन मेरे बड़े भाई के साथ हो गयी। मगर अब मसला ये है कक शादी तो उसकी मेरे बड़े भाई से हुई है
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मगर वो हर वबत मेरे छोटे भाई यानन अपने दे वर के साथ रहती हैं। मेरे घर वालों ने हर तरीक़े से दोनों को
समझाया पर वो नहीिं मानते, वबती तौर पर मुआफ़ी भी मािंगते हैं, आिंसू बहाते हैं और जान छुड़ा लेते हैं मगर
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एक दो हफ़्ते बाद किर वही हाल हो जाता है । हम ने कई बार सोचा कक उस के वाल्दै न को बताएिं मगर घर की
इज़्ज़त है , बात ननकली तो बहुत दरू तक जाएगी। ज़बान की बहुत तेज़ है , हम उसे हर तरह से ख़श ु रखते हैं,
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घर में दौलत की, खाने पीने की रे ल पेल है , मेरे वाल्दै न हम से ज़्यादा उस से मुहब्बत करते हैं कक ये पराई है ,
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ये मेरी बेटी से बि कर है । मेरे स्जस भाई के साथ उस की शादी हुई उस पर चीख़ती ग़चल्लाती है । उस की वजह से मेरे दोनों भाई एक दस ू रे से दरू हो गए हैं। मेरा तमाम क़ाररईन को पैग़ाम है कक ख़द ु ारा लड़ककयों को
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मोबाइल जैसी लअनत हग़गतज़ ना दें , ये बड़ी नब ु सान्दह् चीज़ है । इस की वजह से हमारा घर र्बखर चक ु ा है ।
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ये मेरे घर का राज़ था स्जसे मैं ने ससफ़त इस्ट्लाह की ननय्यत से अब्क़री में सलखा। (पोशीदह्)
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माहनामा अब्क़री जुलाई 2016 शुमारा नम्बर 121----------------pg 18
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बीमारी में हमददत बीवी का साथ! शोहर की जल्द सेहत्याबी का राज़
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(ऐसे जोड़ों की कमी नहीिं कक उन में से ककसी के रफ़ीक़ या रफ़ीक़ा हयात को बीमारी हो जाए बस्ल्क
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मामूली सी चोट भी लग जाए तो उन के रफ़ीक़ या रफ़ीक़ा हयात को बड़ी बे चैनी होने लगती है बीमार अगर मदत हो तो बीवी और अगर बीवी हो तो शोहर सब कुछ छोड़ कर अपनी स्ज़न्दगी के साथी के इलाज मआ ु ल्जे और तीमार दारी में लग जाते हैं)
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(आमना साकक़ब, कराची)
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पपछली बार जब आप बीमार पड़े थे और मामल ू ी से ज़म ु ाम ने तवील लत की शक्ल अस्ख़्तयार कर ली थी
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तो आप की एहल्या ने उस बुहरािं का मुक़ाबला ककस तरह ककया था? उन्हों ने इस का क्या असर सलया
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था? क्या उन्हों ने आप के काम का बोझ हल्का करने की कोसशश की थी और ये एतराफ़ ककया था कक
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आप उन की स्ज़न्दगी के सलए इिंतहाई ज़रूरी हैं? अगर आप कोई ख़ातून हैं तो यही सवालात आप से भी
आप के शोहर के मुतअस्ल्लक़ ककये जा सकते हैं। क्या आप के शोहर ने घर का काम काज सिंभाल सलया
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था और ये कहा था कक आप का वजूद उन के सलए आकफ़यत का सामान फ़राहम करता है । बहरहाल आप
शोहर हों या बीवी अगर आप अलालत में आप के रफ़ीक़/रफ़ीक़ा हयात ने पूरी तरह आप का साथ हदया था
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तो समझ लीस्जए कक आप की शादी काम्याब है और आप एक दस ु सलजीन, ू रे के दख ु सख ु के साथी हैं, मआ
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माहहरीन नफ़्स्ट्यात, समाजी कारकुन सब ही इस बात से इत्तफ़ाक़ करते हैं कक ककसी जोड़े की काम्याबी
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की आज़माइश सही माइनों में उन में से ककसी एक की अलालत के दौरान ही होती है । जब समयािं बीवी में से कोई बीमार पड़ जाए तो उस वबत ये बात परखी जाती है कक उन्हें एक दस ू रे का ककस कदर ख़्याल है
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और उन के दरम्यान शादी का बिंधन ककसी क़दर मज़बूत है ।
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ऐसे जोड़ों की कमी नहीिं कक उन में से ककसी के रफ़ीक़ या रफ़ीक़ा हयात को बीमारी हो जाए बस्ल्क मामूली सी चोट भी लग जाए तो उन के रफ़ीक़ या रफ़ीक़ा हयात को बड़ी बे चैनी होने लगती है बीमार अगर मदत
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हो तो बीवी और अगर बीवी हो तो शोहर सब कुछ छोड़ कर अपनी स्ज़न्दगी के साथी के इलाज मुआल्जे और तीमार दारी में लग जाते हैं। इस जज़्बे को मुख़्तसलफ़ लोगों ने मुख़्तसलफ़ नाम हदए हैं लेककन सही
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माइनों में इस को एक ही नाम हदया जा सकता है और वो है "मह ु ब्बत"। इस सलहाज़ ् से अलालत ही एक जोड़े को ये मालूम करने का बेह्तरीन मौक़ा फ़राहम करती है कक उस के जीवन साथी को उस से ककस क़दर मह ु ब्बत है और वबत पड़ने पर वो उस के ककस क़दर काम आ सकता है । एक माहहर नफ़्स्ट्यात के
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बक़ौल जब कोई बीमार पड़ता है तो उस पर गोया एक कक़स्ट्म की बेचारगी की सी कैकफ़यत तारी हो जाती
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है और यही वो वबत होता है कक जब एक अलील मदत ये समझ सकता है कक उस की बीवी उसे ककस क़दर
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चाहती है , इसी तरह एक बीमार औरत ये समझ सकती है कक उस के शोहर को उस का ककस क़दर ख़्याल
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है । समयािं अपनी बीवी और बीवी अपने शोहर के बीमार पड़ने पर स्जस कक़स्ट्म के जज़्बात व एह्सासात का
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इज़्हार करती है वैसे जज़्बात व एह्सास का इज़्हार कोई और नहीिं कर सकता। किर ये बात भी है कक
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मरीज़ ् की सेहत्याबी या जल्द सेहत्याबी का इन्हसार भी बड़ी हद्द तक उस के शोहर या बीवी की ख़बरगीरी,
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तीमारदारी और मह ु ब्बत पर होता है । इस जज़्बे को "क़ुबतत" का नाम हदया जाता है । ऐसे मरीज़ कक जो
ककसी मत्तब या स्क्लननक में इलाज के सलए जाने के बजाए घर पर ही इलाज कराना पसिंद करते हैं, उन
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के घर पर इलाज कराने और सशफ़ायाब होने के राज़ को ख़ब ू समझा जा सकता है , अगर बीमार का क़रीब
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तरीन अज़ीज़ बीमारी के दौरान हर वबत साथ हो तो इस से मरीज़ के सशफ़ायाब होने में बड़ी मदद समलती है । अगर ककसी के साथ आप के गहरे हदल्ली तअल्लुक़ात हों और वो आप की बीमारी के दौरान आप के
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पास हो तो यक़ीन रख़खये कक आप को जल्द सेहत्याबी होगी। इस का ये मतलब नहीिं कक बीमारी में आप
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को तक्लीफ़ नहीिं होगी, तक्लीफ़ तो होगी लेककन स्जस के साथ आप के हदल का ररकता क़ाइम हो वो अगर आप के पास मौजद ू हो तो तक्लीफ़ का एह्सास बहुत कम हो जाता है और बीमारी के मसाइल बआसानी
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हल होते हैं। वाकक़आ तो है कक बीपवयािं अपने शौहरों की बुरी आदतें भी छुड़ा सकती हैं लेककन बराह रास्ट्त नहीिं बस्ल्क उस के सलए र्बल्वास्ट्ता तरीक़ाकार अस्ख़्तयार करना होगा। फ़ज़त कीस्जये कक बीवी को शोहर
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का ससगरे ट पीना पसिंद नहीिं तो इस तरह अपने ससगरे ट नोश शोहर से कहे मैं तुम से प्यार करती हूाँ और चाहती हूाँ कक हम दोनों की जोड़ी सलामत रहे हम दोनों बुिापे तक एक दस ू रे का साथ दे ते रहें , लेककन मुझे
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तम् ू होता है क्यिंकू क कोई भी माहहर सेहत ससगरे ट नोशी को ककसी ु हारी ससगरे ट नोशी से ख़तरा महसस सलहाज़ से मुफ़ीद नहीिं बताता बस्ल्क सब ही इसे कई मुह्लक बीमाररयों का सबब बताते हैं। अगर ख़द ु ा नख़्वास्ट्ता इस की वजह से तम् ु हें कोई मह् ु लक बीमारी हो गयी तो मैं कहााँ की रहूिंगी। किर मझ ु े ये भी पसिंद
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नहीिं कक तुम्हारी मेहनत की कमाई का एक अच्छा ख़ासा हहस्ट्सा इस जान लेवा नशे पर् ज़ायअ होता रहे ।
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बीवी अगर इस तरह् चन्द बार शोहर को प्यार से समझाने की कोसशश करे तो यक़ीन है कक उस की ये
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नसीहत शोहर के हदल में घर कर लेगी और वो इस से मुताससर हो कर ससगरे ट नोशी छोड़ सकता है
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लेककन मरीज़ को भी चन्द बातों का ख़्याल रखना चाहहए मस्ट्लन उसे चाहहए कक वो अपनी हदल जोई और
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तीमारदारी में मसरूफ़ बीवी या शोहर को स्ज़च ना करे और इस बात का ख़्याल रखे कक उसे ख़्वाह मख़्वाह
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परे शानी ना हो। ऐसी बातें ना करे जो उस के साथी को ना पसिंद हों या स्जन से उसे तक्लीफ़ पोहिं चती हो।
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उक्ताहट पैदा करने वाली आदतों के इआदह् से भी गरु े ज़ करना चाहहए। क्यिंकू क इस से दोनों को तक्लीफ़ होती है । ऐसी आदतों से ससफ़त बीमारी की हालत में नहीिं बस्ल्क हर हाल में गुरेज़ करना चाहहए।
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मत ु ास्ल्लआ नफ़्स्ट्यात इस तरफ़ रहनम ु ाई करता है कक ऐसे जोड़ों को सख़्त तक्लीफ़ का सामना करना
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पड़ता है स्जन में से कोई एक बीमार हो कर ऐसी बातों पर ज़ोर दे जो उस के साथी को ना पसिंद हों। कुछ और भी हदल्चस्ट्प बातें होती हैं, मस्ट्लन आम तौर पर घर् का इिंतज़ाम औरतें सिंभालती हैं औरतें यक्सर
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अपने शौहरों की ख़ख़दमत गुज़ारी भी करती हैं ऐसी सूरत में जब कोई औरत बीमार पड़ जाती है तो घर का
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इिंतज़ाम मदत को सिंभालना पड़ता है स्जस में उसे बड़ी हदबक़त महसूस होती है और वो चाहता है कक उस की बीवी जल्द से जल्द सेहत्याब हो कर अपनी स्ज़म्मेदाररयााँ सिंभाल ले। इस के बरअक्स शोहर आम तौर पर
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ख़ानदान के माली इिंतज़ामात और ककफ़ालत का स्ज़म्मेदार होता और तमाम माली बिंदोबस्ट्त वही करता है लेककन उस के बीमार हो जाने पर घर का माली इिंतज़ाम भी औरत ही सिंभाल लेती है और है रत की बात ये
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है कक अक्सर हालात में शोहर के सशफ़ायाब होने तक वो अपने शोहर को माली तफ़क्करात से ननजात हदला दे ती है बस्ल्क बअज़ हालतों में शोहर के मुकम्मल तौर पर सेहत्याब होने तक वो उस पर कोई माली
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दबाव हग़गतज़ पड़ने नहीिं दे ती। कभी कभी अलालत के दौरान बअज़ ऐसी ख़्वाहहशात भी परू ी हो जाती हैं जो आम हालात में पूरी नहीिं हो पातीिं। मस्ट्लन बअज़ घरे लू मुआम्लात में ऐसे होते हैं स्जन से शोहर अपने तौर पर ननमटना चाहता है जब कक बीवी उन्हें ककसी और तरह ननम्टाना चाहती है । ताहम वो बीवी को इस
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बात के सलए मज्बूर नहीिं करना चाहता कक वो उस की ख़्वाहहश के मुतार्बक़ काम करे लेककन जब बीवी
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बीमार हो जाती है और उस के फ़राइज़ भी शोहर ही सिंभाल लेता है तो इस ख़ास मुआम्ले या मुआम्लात
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को स्जन में उसे बीवी से इख़्तेलाफ़ होता है वो अपनी पसिंद के मुतार्बक़ ननम्टाता है । बीवी की सेहत्याबी
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के बाद ये दे खा जा सकता है कक समयािं और बीवी में से ककस का तरीक़ा दरु ु स्ट्त या ज़्यादा सोद्मन्द है , किर
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उस के मत ु ार्बक़ समझौता हो सकता है । बअज़ मततबा अलालत बाइस मस ु रत त भी हो सकती है , मस्ट्लन
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फ़ज़त कीस्जये कक एक शख़्स एक सेल एजेंट है और अपने पेशे के सबब अक्सर सफ़र पर रहता है । उस की
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बीवी को उस के आए हदन का सफ़र पसिंद नहीिं और वो चाहती है कक उस का शोहर कुछ अरसा लगातार घर पर रहे लेककन ऐसा मुस्म्कन नहीिं होता। मुस्म्कन होता है तो उस वबत जब शोहर बीमार हो कर घर के
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अिंदर मक़ ु ीद हो जाए शोहर का इस तरह मक़ ु ीद होना बीवी के सलए बाइस मस ु रत त होता है । इन बातों से
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यही सार्बत होता है कक अलालत का अज़्दवाजी स्ज़िंदगी से बड़ा गहरा तअल्लुक़ होता है और अलालत
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समयािं बीवी के तअल्लुक़ात को मज़ीद मुस्ट्तहकम कर दे ती है ।
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चााँद सा चेहरा ससफ़त चन्द हदन में (मेरे पास तो ऐसे बेशुमार कैससज़ भी आये स्जन्हों ने ब्यूटी पालतर को नानी अम्मााँ के घर से ज़्यादा
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एहसमयत दी, ब्यट ू ी पालतर ने जहााँ माल, वबत और सरमाया ज़ायअ ककया वहािं ब्यट ू ी पालतर से बेशम ु ार
उन की चाहत थी)
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लोगों को इज़्ज़तों के धोके भी उठाने पड़े लेककन किर भी चेहरे का हुस्ट्न व जमाल उन्हें वो ना समला जो
(क़ाररईन! आप के सलए क़ीमती मोती चन ु कर लाता हूाँ और छुपाता नहीिं, आप भी सख़ी बनें और ज़रूर
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सलखें (एडिटर हकीम मुहम्मद ताररक़ महमूद मज्ज़ूबी चग़ ु ताई )
हुस्ट्न व जमाल की तलाश अज़्ल से रही, सहदयों नहीिं बस्ल्क हज़ारों सालों से रही, जाइज़ हुस्ट्न, वेसे भी
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पसिंदीदह है और इिंसान को अल्लाह ने यही हुस्ट्न जन्नत में एक नेअमत बना कर दे ना है स्जस का
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तज़्करह क़ुरआन व हदीस में बार बार आया है । यही हुस्ट्न अगर सरू त, सीरत, नबशों और जल्वों में
ख़ब ू सूरती की शक्ल में ढल जाए और यही हुस्ट्न बाज़ार के सलए नहीिं बस्ल्क अपने मेहरम के सलए हो तो
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क्या कमाल की बात है । मेरे पास बेशम ु ार केस ऐसे आए और उन के तलाक़ की वजह ससफ़त यही चीज़ बनी
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कक बीवी घर से बाहर जाती है तो बहुत बन साँवर कर जाती है और वही बीवी अपने शोहर और घर में बहुत ज़्यादा मेली और बेहिंगम होती है ऐसा हग़गतज़ नहीिं! हुस्ट्न का तअल्लुक़ तो है ही अपने मेहरम के सलए
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यक़ीन जाननये! कई घरों की तलाकेँ ससफ़त इस वजह से होते होते रह गईं कक उन के शोहर को या बीवी को हुस्ट्न ज़ाहहर की तरफ़ मुतवज्जह ककया, ककतने मदत ऐसे हैं जो मेला कुचैला रहना अपने चेहरे को और
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अपने सलबास को हत्ता कक जत ू े को दरु ु स्ट्त ना रखना अपनी सादगी समझते हैं दस ू रे लफ़्ज़ों में "गिंदगी को
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सादगी का नाम हदया"। इस्ट्लाम में सादगी ज़रूर है लेककन गिंदगी नहीिं है शोहर को चाहहए कक वो बीवी के
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सलए, बीवी को चाहहए कक अपने शोहर के सलए अपने आप को साफ़ सथ ु रा रखे। सलबास चाहे परु ाना हो हजत नहीिं लेककन साफ़ सुथरा हो। क़ाररईन! आज आपको एक नुस्ट्ख़ा और फ़ॉमल ूत ा ऐसा दे रहा हूाँ जो आप सोच नहीिं सकते कक ननहायत सादह लेककन जहााँ इिंटरनेशनल क़ीमती से क़ीमती क्रीमें नाकाम हो जाएिं और Page 37 of 54 www.ubqari.org
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बेरून मुमासलक की क़ीमती से क़ीमती जोहर मायूस कर दें हत्ता कक बेह्तरीन कक़स्ट्म के पवटासमन्ज़ आप को बेकार नज़र आएिं तो किर अपनी नज़र को इन चीज़ों से हटा कर कफ़त्रत की तरफ़ ले आएिं, कफ़त्रत
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हमेशा आप को आगही दे गी और कफ़त्रत हमेशा आप को सेहत व तिंदरु ु स्ट्ती दे गी। याद रख़खयेगा कफ़त्रत ने कभी भी ककसी को मायूस नहीिं ककया। कफ़त्रत हमेशा इिंसान की साथी है और कफ़त्रत ने हमेशा इिंसान का
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साथ हदया है । इस फ़ॉमल ूत ा को आप बहुत एतमाद इत्मीनान से बनाएिं इस का कमाल दे खें आप की तबीअत और सेहत यानन चेहरे की ताज़गी ऐसे रोशन और आब्दार होगी कक आप इश इश कर उठें गे, मैं ने ककतने लोगों को ये फ़ॉमल ूत ा हदया ये वही लोग थे जो तमाम साइिंसी टोटके आज़मा चक ु े थे और नतब्ब व
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सेहत का तमाम राज़ उन के पास था लेककन अफ़्सोस वो बहुत ज़्यादा मायूस रहे लेककन जब उन्हों ने यही
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टोटका आज़माया और यही फ़ॉमल ूत ा इस्ट्तेमाल ककया तो उन की तबीअत और सेहत ऐसी बेह्तरीन रही कक
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ख़द ु आम आदमी गुमान भी ना कर सका। जैसा कक मैं ने पहले बताया कक ककतने लोग ऐसे थे स्जन के
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घरों को तलाक़ से ससफ़त इसी टोटके ने बचाया। तलाक़ की बुन्याद हुस्ट्न व जमाल और ख़ब ू सूरती की कमी
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थी बस! यही टोटका कुछ अरसा इस्ट्तमाल करवाया और सेहत व तिंदरु ु स्ट्ती उन की ऐसी बेह्तरीन कक
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यक़ीन जाननये ऐसे महसूस हुआ कक जैसे कक आज की नई नवेली दल् ु हन है हालााँकक उन की शादी को कई
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साल गज़ ु र चक ु े थे। वो लोग जो बीमारी के बाद चेहरे की स्ट्याही, छाइयााँ, दाग़, धब्बे और पीलाहट का
सशकार हो गए थे और वो लोग स्जन के स्जस्ट्म में ख़न ू की कमी थी या हादसे या उम्र के तक़ाज़े की वजह
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से उन को कम्ज़ोरी हुई और उन का चेहरा मायस ू ी और पज़्मदत गी का सशकार हो गया ऐसे तमाम लोगों के
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सलए मैं ने इस फ़ॉमल ूत े को बहुत आज़माया और ननहायत मुफ़ीद पाया। यक़ीन जाननये! ये फ़ॉमल ूत ा चेहरे और चेहरे के हुस्ट्न व जमाल और चेहरे की ताज़गी को बहुत ज़्यादा बेह्तरीन बनाने के आला दजे का
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हैं।
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कासमल और बेह्तरीन दजे का एक मुकम्मल फ़ॉमल ूत ा है । आइये! हम इस फ़ॉमल ूत े की तरफ़ तवज्जह करते
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हुवल्शाफ़ी: किंु वार गिंदल स्जसे एलो वेरा भी कहते हैं का गूदा ले लें उतने ही वज़न में उस के अिंदर नीम के पत्ते दाल कर इस को ख़ब ू घोट लें या ब्लेंिर के अिंदर ब्लेंि कर के इस का बेह्तरीन पेस्ट्ट बना लें। इस को
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कफ़्रज में रखें। रात को सोते हुए चेहरे पर इस आमेज़े का हल्का हल्का मसाज करें और चहरे पर जज़्ब करें , क़ुदरत और कफ़त्रत ने इस में कुछ चीज़ें रखी हैं: १- चेहरे की छाइयााँ ख़त्म हो जाती हैं। २- दाग़, धब्बे
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र्बल्कुल साफ़ हो जाते हैं। ३- दाने पीप दार हों या स्ट्याह मिंह ु वाले ख़कु क कील मह ु ासे भी इस से ख़त्म हो जाते हैं। ४- उभरे उभरे स्ट्याह दाग़ या चहरे पर गिे वो भी र्बल्कुल कुछ अरसा यानन चन्द हफ़्ते चन्द महीने लगाने से र्बल्कुल साफ़ हो जाते हैं ऐसे लोग जो चेहरे की ख़ब ू सरू ती के सलए बड़ी बड़ी क्रीमें आज़मा
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कर थक चक ु े हैं उन के सलए ये टोटका बहुत कमाल का है । आइये! हम कफ़त्रत की तरफ़ लौटें , कफ़त्रत हमें
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सदा पुकारती रहती है लेककन हम कफ़त्रत को छोड़ कर ग़ैर कफ़त्री स्ज़न्दगी की तरफ़ जब आते हैं तो ग़ैर
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कफ़त्री स्ज़न्दगी हमेशा वबती फ़ायदा शायद दे दे लेककन वबती फ़ायदे के साथ साथ हमें हमेशा के बड़े बड़े
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रोग और तकालीफ़ दे जाती हैं। ये पेस्ट्ट बना कर आप चन्द हदन कफ़्रज में रख सकते हैं चाहे तो ताज़ह
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बनाएिं स्जतना ताज़ह और फ़्रेश बनाएिंगे उतना ज़्यादा आप को फ़ायदा होगा। मेरे पास तो ऐसे बेशम ु ार
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केस भी आये स्जन्हों ने ब्यूटी पालतर को नानी अम्मााँ के घर से ज़्यादा एहसमयत दी, ब्यूटी पालतर ने जहााँ
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माल, वबत और समातया ज़ायअ ककया वहािं ब्यट ू ी पालतर से बेशम ु ार लोगों को इज़्ज़तों के धोके भी उठाने पड़े लेककन किर भी चेहरे का हुस्ट्न व जमाल उन्हें वो ना समला जो उन की चाहत थी और उन की डिमािंि
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थी। लेककन जब वही लोग कफ़त्रत की तरफ़ लोटे और उन्हों ने यही सादह क्रीम यानन पेस्ट्ट इस्ट्तेमाल
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ककया, वो है रान रह गए हत्ता कक चेहरे के ग़ैर ज़रूरी बाल भी इस क्रीम से कुछ अरसा के इस्ट्तमाल से ऐसे हो गए कक महसूस नहीिं होता था कक चेहरे पर ग़ैर ज़रूरी बाल हैं भी सही या नहीिं। चेहरा गुलाब के िूल की
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तरह और अनार की कली की तरह चहकता महकता और तिंदरु ु स्ट्त हो जाता है और चेहरे के अिंदर
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खकु नुमाई और ख़ब ू सूरती बि जाती है और चेहरा एक बेह्तरीन ख़ब ू सूरत चााँद सा मुखड़ा बन जाता है । आइये हम अपनी स्ज़न्दगी को इस कफ़त्री नेअमत की तरफ़ माइल करें और कफ़त्री नेअमत पर हमारी
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तवज्जह बिती चली जाए। बस क़ाररईन चलते चलते एक बात कह दाँ ू इिंसान की कफ़त्रत में एक चीज़ है जहााँ रक़म और पैसे ज़्यादा लगें वहािं इिंसान बहुत मुतवज्जह होता है और जहााँ माल कम हो या चीज़
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मुफ़्त में समले वहािं इिंसान मुतवज्जह नहीिं होता या किर उसे इतनी एहसमयत नहीिं दे ता। स्जतनी एहसमयत दे नी चाहहए। टोटका छोटा सा लेककन इस को एहसमयत दें ये टोटका असल में मुझे एक अब्क़री पिने वाले
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ने ख़त में सलखा। टोटका बहुत लाजवाब है ।
तस्ट्बीह ख़ाना में मख़ ु सलसीन की आमद
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१९ मई बरोज़ जम ु ेरात को कफ़ील शाह साहब तस्ट्बीह ख़ाना और दफ़्तर माहनामा अब्क़री में तशरीफ़ लाए और आई टी के शुअबे का पवस्ज़ट ककया और अब्क़री आई टी और तस्ट्बीह ख़ाना की तरबक़ी दे ख कर
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माहनामा अब्क़री जुलाई 2016 शुमारा नम्बर 121----------------pg 24
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ख़श ु ी का इज़्हार ककया और दआ ु ओिं से नवाज़ा।
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र्बन ब्याही बेटी की बाप की क़ब्र पर खड़े हो कर गासलयािं
(मैं अब अपने अब्बू के सलए एअमाल का हद्या करती हूाँ और दआ ु एिं मािंगती हूाँ कक मौत से पहले वो
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नमाज़ी बन जाएिं क्यिंकू क बाक़ी तमाम नेक एअमाल करते हैं ससवाए नमाज़ के और गाने सन् ु ना छोड़ दें ।
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इस म्यूस्ज़क ने हमारे घर का ररज़्क़, सुकून, चैन सब छीन सलया है )
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क़ब्र को गासलयािं
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हमारे हााँ एक गााँव है स्जस की मस्स्ट्जद क़र्ब्रस्ट्तान के क़रीब है उस के पेश इमाम एक मततबा नमाज़ के बाद बाहर ननकले और क़र्ब्रस्ट्तान में फ़ानतहा पिने आए तो वहािं एक बूिी औरत एक क़ब्र को बैठी गासलयािं
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दे रही थी तो पेश इमाम साहब ने उसको कहा कक अम्मााँ जी कुछ ख़्याल करो क़ब्र को गासलयािं दे रही हैं क्या? तो उस बूिी औरत ने कहा कक ये हमारा मुआम्ला है तुम चप ु कर के चले जाओ। पेश इमाम ने ज़ोर
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दे कर उस से इस की वजह पूछी तो बुहिया कहने लगी: मौलवी साहब! ये क़ब्र हमारे वासलद साहब की है उस ने दन्ु यावी लालच की वजह से हमारी कहीिं भी शादी नहीिं करवाई, अब हमारा कोई घर नहीिं है, अपनी
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स्ज़न्दगी में हमें कुछ भी नहीिं दे कर गया स्जस की वजह से हमारी स्ज़न्दगी इतनी परे शान गुज़र रही है कक बस अब हमारे हदल से इस के सलए यही बद्द दआ ु एिं ननकलती हैं। मेरे भाइयो! इस कक़स्ट्से से ये समझ आती
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है कक माल और दौलत की वजह से बेहटयों के ररकतों में लापरवाही दआ ु एिं नहीिं हदलाएिंगी बस्ल्क बद्द दआ ु एिं ही बद्द दआ ु एिं समलेंगी। अल्लाह तआला हमारी हहफ़ाज़त फ़मातए और बेहटयों बहनों की बद्द दआ ु ओिं से बचाए।
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आमीन बोला और सािंस ननकल गया
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अरबी की एक ककताब थी स्जस में , मैं ने एक अजीब वाकक़आ पिा ककताब का नाम ज़ेहन से ननकल गया है
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वाकक़आ ये है कक एक आदमी की चार बेहटयािं थीिं जो बहुत प्यारी थीिं आदमी बहुत माल्दार था माल की वजह से बेहटयों का कहीिं भी ररकता कराने का इरादह ही नहीिं रखता था वो बेचाररयािं बेहटयािं वासलद की
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अब्बू अब्बू कर के ख़ख़दमत करती थीिं उम्र की बड़ी हो गईं। एक दफ़ा वो अस्ट्पताल में बेि पर पड़ा और
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ख़ख़दमत के सलए ये बेहटयािं भी उस के साथ मौजूद थीिं ख़ब ू ख़ख़दमत कर रही थीिं वासलद बोल रहा था कक बेहटयों! दआ ु करो पता नहीिं कक शायद आख़री वबत हो। र्बल ्आख़ख़र बड़ी बेटी ने बोला अब्बू! हम ने आप
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की हदन रात बहुत ख़ख़दमत की है , हम ने ख़ख़दमत में कोई कसर नहीिं छोड़ी अब हम चारों दआ ु मािंगती हैं और आप वादा करें कक उस पर आमीन ज़रूर कहें गे। उस ने सोचा ठीक है बाप के सलए रहमत की ही दआ ु
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करें गी ये दआ ु करें गी और मैं आमीन बोल्ता जाऊाँगा और मेरा भला हो जाएगा। अब दआ ु शुरू हुई तो सब
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ने हाथ उठाए अब्बू ने भी दआ ु के सलए हाथ उठा सलए, बड़ी बेटी ने हाथ उठा कर दआ ु की कक या अल्लाह!
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हम ने अब्बू की बहुत ख़ख़दमत की है तू इस का शाहहद है और इस ने अपनी ख़ख़दमत और माल की वजह से हमारी कहीिं भी शादी ना कराई अब ये जा रहा है हमें ककसी के हवाले नहीिं ककया ब्याबान में हमें बे
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सहारा छोड़ कर चला जाता है हमारे हदल से दआ ु है कक इस को (अब्बू को) जहन्नुम रसीद कर। तो अब्बू ने भी सब के साथ हस्ट्बे वादा आमीन कहा और उस की रूह ननकल गयी।
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मेरे भाइयो! ये थीिं लड़ककयों की समली जुली दआ ु । किर् ऐसी मज़्लूम बेटी के हदल में वाल्दै न और भाइयों
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के सलए क्या क्या दआ ु एिं ननकलती होंगी जो रोज़ाना ताअनों और अज़ाब के साथ भासभयों के हाथ की रोटी खाती होंगी और झगड़ों में बेचाररयािं जल चक ु ी होंगी। यक़ीनन उन की हदल की दआ ु बड़ी होगी इस सलए हमारे हााँ कहते हैं कक लड़की की बद्द दआ ु से बचो उस की इज़्ज़त व एहतराम करो। (सलीमल् ु लाह सम ू रो।
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किंड्यारो)
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म्यूस्ज़क ने सुकून, चैन, ररज़्क़ सब छीन सलया
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मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मैं अल्हम्दसु लल्लाह शादी शुदह हूाँ और अपने घर में
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ननहायत ख़श ु और पुर सुकून हूाँ। मगर मेरा हदल हर वबत अपने मैके की वजह से परे शान रहता है इसी वजह से मैं ने आज क़लम उठाया है । आज से दस साल पहले हमारा घर ख़सु शयों का गहवारा था। मगर
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अब हमारा घर मसाइल और परे शाननयों की आमाजगाह् बन गया है । हालााँकक मैं अपने घर के बारे में
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बताती चलाँ ू कक मेरे अब्बू अपने बहन भाइयों में छोटे हैं लेककन हमारी दादी और हमारी दो किंु वारी िूकियााँ हमारे साथ हैं, दादी मरहूमा का इिंतक़ाल हो चक ु ा है । दोनों िूकियााँ माशाअल्लाह हमारे साथ हैं, दोनों
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इिंतहाई इबादत गज़ ु ार हैं, हदन रात मेरे अब्बू जान को दआ ु एिं दे ती हैं। अम्मी जान जैसी भावज मैं ने आज
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तक नहीिं दे खी, अब्बू को पता भी नहीिं होता और अम्मी दोनों िूकियााँ के हर सीज़न के कपड़े, ईद पर कपड़े इस के इलावा उन का बहुत ज़्यादा ख़्याल रखती हैं। हमारे ख़ानदान में जो मसला होता है उसे हल
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करने के सलए अम्मी अब्बू सब से पहले पोहिं चते हैं। मेरे अब्बू जान ने बच्पन से ही हमें ये कहा कक बेटा
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अल्लाह की मख़लूक़ से प्यार करो और वो करते भी हैं, हमारे ख़ानदान में कोई दफ़्तरी काम हो मेरे अब्बू ख़द ु भाग दौड़ करते हैं। कोई बीमार होता है अम्मी जान अपनी बेमारी के बावजद ू उन के साथ अस्ट्पताल
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में हदन रात गुज़ारती हैं। हम औलाद को भी माशा अल्लाह ऐसी तर्बतयत दी कक अल्लाह का करम है कक ससुराल वाले मेरे अम्मी अब्बू की तर्बतयत की समसाल दे ते हैं। हम बहन भाई शादी शुदह और पािंच वबत
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के नमाज़ी हैं। माशा अल्लाह छोटा भाई हाकफ़ज़ क़ुरआन है और एक प्राइवेट इदारे में मुलास्ज़म है । ना मालूम क्या वजह है कक घर में पपछले कुछ असे से कुछ ऐसी बेसुकूनी है कक सब अपने अपने कमरों तक
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महदद ू हो गए हैं, घर का हर फ़दत ककसी ना ककसी परे शानी में ििंसा हुआ है । मैं ने बहुत सोचा कक ऐसा क्या है क्यूाँ घर के हालात बदलना शुरू हो गए हैं। किर एक चीज़ जो मेरे ज़ेहन में आई और स्जस की वजह से मैं परे शान हूाँ क्यिंकू क आप के दसत सन ु ने से मझ ु े पता चला कक मौसीक़ी घरों के सक ु ू न को तबाह कर दे ती है
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और ये मसला मेरे अब्बू के साथ है । हमारे अब्बू ससफ़त जुमा के जुमा नमाज़ पिते हैं और हर वबत
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मोबाइल पर गाने सुनते रहते हैं। मैं अब अपने अब्बू के सलए एअमाल का हद्या करती हूाँ और दआ ु एिं
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मािंगती हूाँ कक मौत से पहले वो नमाज़ी बन जाएिं क्यकूिं क बाक़ी तमाम नेक एअमाल करते हैं ससवाए नमाज़
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के और गाने सुनना छोड़ दें । इस म्यूस्ज़क ने हमारे घर का ररज़्क़, सुकून, चैन सब छीन सलया है । जब तक
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मेरे अब्बू को म्यस्ू ज़क का शौक़ नहीिं था हमारे घर में ख़कु हाली ही ख़कु हाली थी मगर अब ऐसा नहीिं है । मैं
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ने अपने तौर पर अपने अब्बू से बात की है इन ् शा अल्लाह मुझे यक़ीन है कक बहुत जल्द मेरे अब्बू इस
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चग िंु ल से ननकल आएाँगे और हमारे घर में किर से ख़कु हाली ही ख़कु हाली होगी। (पोशीदह्)
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छोटा क़द्द लम्बा कैसे हो?
मोहतरम हज़रत हकीम साहब अस्ट्सलामु अलैकुम! मेरे पास क़द्द बड़ा करने का एक आज़मद ू ह रूहानी व
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स्जस्ट्मानी टोटका है । अगर ककसी का क़द्द छोटा हो और लम्बा क़द्द करना चाहता हो तो "असलफ़् -लाम ्-रा
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ال ٓ ٰر ت ِْل و ْ ُ ْ ت ْالک ِٰت ُ ک ٰا ٰی नतल्क आयातुल ्-ककतार्बल्मुबीनन अरत हीमु अरत हीमु अरत हीमु या अल्लाहु या मुरीद"ु ( ی ِ ب الم ِب ِ
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ُ ُ ) وا َولر ِح ْی ُم وا َولر ِح ْی ُم وا َولر ِح ْی ُم وّی وअक़त गलाब में ज़दात रिं ग समला कर तीन चीनी या प्लास्स्ट्टक की प्लेटों पर ہللا وّی ُم ِر ْید ु सलख कर एक प्लेट सब ु ह ननहार मिंह ु , एक असर के बाद और एक रात के वबत सोते हुए पानी से धो कर पी लें। ये अमल छे माह तक मुसल्सल जारी रखें। इस के इलावा २४ घिंटे में कम अज़ ् कम बारह घिंटे लेटने Page 43 of 54 www.ubqari.org
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के प्रोग्राम पर अमल करें । इस बात का ख़्याल रखे लेटे हुए टािंगें र्बल्कुल सीधी रखें और तक्या ऊिंचा हो ताकक दौरान ख़न ू पाऊाँ की तरफ़ रहे । इन ् शा अल्लाह कुछ अरसा ये अमल करने से क़द्द में इज़ाफ़ा हो
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जाएगा। (शगफ़् ु ता हबीब, लाहौर कैंट)
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माहनामा अब्क़री जल ु ाई 2016 शम ु ारा नम्बर 121----------------pg 29 आप का ख़्वाब और रोशन ताबीर
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ख़ब ू सरू त वादी: दे खती हूाँ कक मैं सफ़र में हूाँ, किर् घर में दाख़ख़ल होती हूाँ मझ ु े दध ू नज़र आता है किर उसी घर
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में मुझे एक कमरा नज़र आता है स्जस पर सफ़ेद रिं ग हो रहा होता है , मैं उसे दे ख कर ख़श ु हो रही हूाँ इस के
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बाद मैं कहीिं जा रही हूाँ वो वादी बहुत ख़ब ू सूरत होती है और चारों तरफ़ बफ़तबारी हो रही थी बफ़त को दे ख कर मैं
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ख़श ु होती हूाँ और बफ़त से खेल रही हूाँ। किर आगे चल कर दरख़्तों का ससस्ल्सला शुरू हो जाता है और हर तरफ़
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हयातली ही हयातली है मैं दे खती हूाँ कक मैं बहन और दोस्ट्त घर वापस आ रहे हैं इतने में मग़ररब की अज़ान होती
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है बहन और दोस्ट्त वज़ू कर रही होती हैं और मैं खड़ी होती हूाँ ता कक ये वज़ू कर के हटें तो मैं वज़ू करूाँ इतने में
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तेज़ हवा चलती है तो एक तस्ट्वीर का फ़्रेम हमारे सहन में आ कर ग़गरता है । मैं वो तस्ट्वीर उठा कर दे खती हूाँ और अपनी दोस्ट्त को हदखाती हूाँ और कहती हूाँ कक शायद ये आिंटी के घर से उड़ कर ना आ गयी हो। किर
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ख़श ु ी से चीख़ कर दोस्ट्त को कहती हूाँ कक ये मेरा मिंगेतर तो नहीिं स्जस की ख़द ु ा ने तस्ट्वीर हवा के ज़ररए भेजी
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हो और हदल में दआ ु करती हूाँ या ख़द ु ा मेरा जीवन साथी यही हो। (म ्-अ, शेख़प ू रु ह)
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जवाब: आप का ख़्वाब र्बल्कुल वाज़ेह है और स्जस ररकते के सलए आप ने इस्ट्तख़ारह् ककया है वो इिंतेहाई मुनाससब है । इन ् शा अल्लाह आप को बेह्तरीन जीवन साथी नसीब होगा और बेह्तरीन अज़्दवाजी स्ज़न्दगी
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ُ وو भी समलेगी। आप हर नमाज़ के बाद "या लतीफ़ु" ()ّیل ِط ْیف १०० बार पि कर दआ ु ककया करें ।
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दो बीपवयािं: मेरी दोनों बीपवयािं इखट्ठी सोई हुई हैं और मेरी एक और शादी हो रही है और मेरी होने वाली दल् ु हन मेरे मामाँू की बेटी है उस ने सफ़ेद कपड़े पहने हुए हैं उस को मैं ने कहा है कक मेरे पाऊाँ की तरफ़ सो जाए। वो
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मेरे पैरों में सो गई। अगले हदन मैं बस की छत से ग़गर गया और मुझे बहुत ज़्यादा चोटें आईं हैं। ठीक दस हदन के बाद मुझ पर झूटा ३०२ का पचात हो गया है ठीक एक माह के बाद पुसलस ने पकड़ सलया था। जब मैं
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थाना में बिंद था उन हदनों में मझ ु े अक्सर ख़्वाब आते थे कक मैं गिंदम ु और गिंदम ु के दाने, गिंदम ु की पक्की फ़सल और उस की तौरी वग़ैरा दे खता था। दो साल बाद जब फ़ैस्ट्ला होने वाला था ख़्वाब आने शुरू हो गए। दब ु ारह फ़ैस्ट्ले की रात ख़्वाब आया कक हल्की हल्की बाररश हो रही है हवा तेज़ चल रही है , मैं एक ऊिंची जगा
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खड़ा हूाँ और मेरे मुक़द्दमे दार भी मेरे पास आ कर खड़े हो गए हैं और वो जामुन खा रहे हैं मैं ने उन से पूछा है
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कक जामुन मुझे भी दो। उन्हों ने कहा कक वो सामने लगे हैं वहााँ से लो। मैं ने क्या दे खा कक एक नाला पानी का
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चल रहा है और उस नाले के ऊपर जामुन के दरख़्त लगे हुए हैं और दरख़्तों के ऊपर से टूट टूट कर जामुन
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नीचे ग़गर रहे हैं। जब मैं ज़मीन से जामुन इकट्ठे करने लगा तो सामने एक काले रिं ग का कुत्ता आ गया स्जस
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ने मझ ु े काटने की कोसशश की लेककन मैं ने उस को मारा, उस ने दस ू रा हम्ला ककया और मेरी आाँख खल ु
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गयी। (शाककर- लाहौर)
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ताबीर: माशा अल्लाह बड़ा मुबारक ख़्वाब है और आप इन ् शा अल्लाह अपनी वासलदा की दआ ु ओिं की बरकत से बा इज़्ज़त बरी हो जाएिंगे और ये ख़कु ख़बरी आप को जल्द समलेगी। आप नेक एअमाल का एहतमाम रखें
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ْ ُ ُ ِب وपिा करें । )ح ْس ِ و और ४५० मततबा रोज़ाना "हस्स्ट्बयल्लाहु व ननअमल्वकीलु" (ہللا وو ِن ْع وم ال ووک ِ ْیل
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ग़गरती छत: मैं ने दे खा है कक हमारे तमाम चच्चा और उन के बीवी बच्चे हमारे घर रहने आए थे, किर दादी
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का इिंतक़ाल हो जाता है स्जस पर सब ग़मगीन होते हैं मैं और मेरी बहन भी उदास होते हैं अपनी बहन (न) से
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कहती हूाँ कक आओ मैं तम् ु हें कहीिं ले जाऊिं ता कक तम् ु हारा ध्यान बट जाए (हक़ीक़त में मेरी बहन मझ ु से बड़ी है ) जब मैं और मेरी बहन घर से ननकलते हैं तो मेरे चच्चा (श ्) हम से कहते हैं कक कहााँ जा रहे हो और अम्मी अब्बू भी पूछते हैं तो मैं कहती हूाँ कक यहीिं आस पास तफ़रीह के सलए जाएिंगे। तो अम्मी अब्बू और चच्चा पता Page 45 of 54 www.ubqari.org
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नहीिं क्या काम कहते हैं कक हम दोनों घर की पपछली तरफ़ चले जाते हैं। उधर मेरी बड़ी बहन (स) भी आ जाती है । जब हम घर के पीछे की तरफ़ जाते हैं तो वहााँ सामने की छत ग़गरना शुरू हो जाती है (हक़ीक़त में
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घर के सामने थोड़ी सी छत है और पीछे कुछ नहीिं) तो हम तीनों दरम्यान में होते हैं, मैं कहती हूाँ कक अब क्या करें , चलो जल्दी से वापस चलते हैं, हम जैसे ही रुख़ मोड़ते हैं तो वो छत ग़गरती है तो मेरी बड़ी बहन (स)
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कहती है चलो अल्लाह का नाम ले कर पीछे की तरफ़ दौड़ लगाते हैं और बच जाते हैं। मैं और मेरी बहन (न) घर के पीछे वाले दरवाज़े से ननकल कर घर के सामने वाले लॉन में आते हैं। बड़ी बहन (स) घर की दस ू री साइि से आ जाती है , जब हम वहािं पोहिं चते हैं तो अब्बू और चच्चा पछ ू ते हैं कक तम ु लोग आ गए, तो मैं कहती
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हूाँ कक ये घर बहुत पुराना है इस को बदल लें क्योंकक ये ज़ल्ज़ले से ग़गर जाएगा। (अ, मुल्तान)
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दरु ु स्ट्त करने की तरफ़ तवज्जह दें और नेक एअमाल वाली स्ज़न्दगी अख़्तयार करें ।
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ताबीर: आप के ख़्वाब के मुतार्बक़ आप की दीनी हालत ख़ासी कम्ज़ोर है । आप फ़ौरन अपनी दीनी हालत
खिंिर नुमा कक़ल ्आ: मैं ने दे खा कक मैं एक खिंिर नुमा कक़ल ्ए की वीरान और नीम तारीक दे वहियों में तेज़ी से
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चल रहा हूाँ और बहुत है रान हूिं कक मैं इस खिंिर में कैसे पह ु िं च गया। वो कोई बहुत ही बोसीदह लेककन काफ़ी
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बड़ी इमारत है । ख़ैर थोड़ी दे र बाद मैं एक वसीअ व अरीज़ सहन में पुहिंच गया जो कक काफ़ी गहरा है , दस ू रे कमरों और दे वहियों से तक़रीबन १० या १५ फ़ुट गहरा। उस में जगा जगा ईंटें र्बखरी पड़ी हैं और झाडड़यािं
यह्या علیہ السالمऔर हज़रत ज़कक्रया
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उगी हुई हैं सहन के दरम्यान में कुछ पुरानी क़ब्रें हैं। उन क़ब्रों को दे ख कर हदल में ख़्याल आया कक हज़रत علیہ السالمकी क़ब्रें हैं ये जगा मस्स्ट्जद अबसा का सहन है । किर
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सोचता हूाँ कक ककतने अफ़्सोस की बात है कक कोई मुसल्मान यहािं नहीिं आता, किर अचानक मुझे तीन कुत्ते
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नज़र आए जो कक मुझे दे ख कर ग़रु ात रहे होते हैं उन में से एक कुत्ता चप ु के से मुझे काटने की कोसशश करता
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है तो मैं दआ ु पि कर उसे भगा दे ता हूाँ, किर मैं ने दे खा कक उस सहन की दीवारों पर उदत ू में कुछ बड़ा बड़ा सा सलखा हुआ है, शायद ककसी शेअर का समस्रा है । किर मिंज़र बदलता है , तब मैं दे खता हूाँ कक मेरे निंह्याल के इलाक़े में हमारा घर तामीर हो रहा है घर चार मिंज़ला है और बहुत ही मिंक़ ु श काम हो रहा है मैं उसे दे ख कर Page 46 of 54 www.ubqari.org
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बहुत ख़श ु होता हूाँ कक हमारा नया घर तामीर हो रहा है और वो भी इतना ख़ब ू सूरत। इस के बाद ख़्वाब ख़त्म हो जाता है । (आहदल नदीम- रावलपपिंिी)
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ताबीर: माशा अल्लाह बहुत मुबारक ख़्वाब है और आप को दीनी व दन्ु यावी तरबक़ीयािं नसीब होंगी,
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बशततयेकक आप अच्छे लोगों और दीनदारों की सह् ु बत को अस्ख़्तयार कर लें और नफ़्स्ट्याती ख़्वाहहशात जो कक ख़्वाब में काटने वाले कुत्ते की शक्ल में नज़र आए हैं उन से इज्तनाब करें । माहनामा अब्क़री जुलाई 2016 शुमारा नम्बर 121----------------pg 31
ख़वातीन पछ ू ती हैं?
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उम्म औराक़
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(ये ससफ़हा ख़वातीन के रोज़मरत ह ख़ानदानी और ज़ाती मसाइल के सलए वबफ़ है । ख़वातीन अपने
रोज़मरत ह के मश ु ाहहदात और तजब ु ातत ज़रूर तहरीर करें । नीज़ साफ़ साफ़ और ससफ़हे के एक तरफ़
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मुकम्मल सलखें। चाहे बे रब्त ही क्यूाँ ना हों।)
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गिंठया का सशकार: मुझे तक़रीबन एक साल से गिंठया का मज़त है , बहुत इलाज करवाए हैं और करवा रही हूाँ मगर कोई अफ़ाक़ा नहीिं हो रहा, िॉक्टरी उदय ू ात इस्ट्तेमाल करती हूाँ तो वो भी वबती फ़ायदा हो रहा है ,
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स्ट्टे रॉयि के साथ, घुटनों में पाऊाँ में , हाथों की उाँ गसलयों में बे तहाशा ददत है स्जस की वजह से चलना किर भी मसला बना हुआ है , घरे लू काम काज भी नहीिं हो पाते, घुटने सूज जाते हैं, पाऊाँ इतने जलते हैं,
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गज़ ु ाररश है कक कोई अच्छा सा नस्ट् ु ख़ा बताएिं। (पोशीदह)
मकवरा: सब ु ह नमाज़ के वबत उहठये, दो सन् ु नतें पि कर इक्तालीस बार सरू ह फ़ानतहा र्बस्स्ट्मल्लाह के
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साथ पि कर पानी पर दम करें और पूरे स्जस्ट्म पर भी और अवल आख़ख़र सात बार दरूद शरीफ़ पि लें। तमाम हदन ये पानी पीना है और नाप कर चार ग़गलास वबफ़े के साथ नाकते से पहले पीने हैं। ४५ समनट
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बाद नाकता करना है । एक बच्ची स्जस के दोनों हाथ गिंठया की वजह से मुड़ चक ु े थे मैं ने उस को यही दजत बाला इलाज बताया कल के ख़त में उस ने इिंतेहाई ख़श ु ी के साथ बताया कक उस के दोनों हाथ ठीक हो चक ु े
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हैं।
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मसला अम्मी की कस्ज़न का: मैं अपनी अम्मी की कस्ज़न स्जन्हें मैं िूिो कहती हूाँ उन का मसला ले कर हास्ज़र हूाँ, मेरी िूिो माशा अल्लाह से इख़्लाक़ व ककरदार और शक्ल व सूरत में अच्छी है । उन के ररकते बहुत आते हैं मगर उन के अब्बू कुछ ना कुछ मसला खड़ा कर दे ते हैं, हर ररकते को ना करना उन्हों ने अपना फ़ज़त समझ सलया है , मेरी िूिो भी चाहती हैं कक वो अब अपने घर की हो जाए मगर वो अपने अब्बू
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के अजब रद्द अमल की वजह से बहुत परे शािं हैं। हमें कुछ पिने को बता दें कक मेरी िूिो के अब्बू का हदल
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नमत पड़ जाए और वो अपनी बेटी की शादी करा दें । (स, अ- खला बट)
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मकवरा: आप का ख़त पि कर मुझे है रत के साथ इिंतहाई दख ु भी हो रहा है कक वाल्दै न तो अपनी बेहटयों
की जल्द अज़ ् जल्द शादी के ख़्वाहहष्मन्द होते हैं। आप अपनी वासलदा से कहें कक वो ख़ानदान के चिंद बड़े
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ले जा कर आप की िूिो के वासलद से बात करें कक आख़ख़र मसला कहााँ है ? क्या वजह है कक वो हर् ररकता
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आने वाले को "ना" कर दे ते हैं। उन्हें समझाएिं कक पाककस्ट्तान में लाखों नोजवान लड़ककयािं ररकतों के
इिंतज़ार में बि ू ी हो रही हैं। उन की आाँखें तरस गयी हैं कक काश कोई हमारे सलए भी ररकता आए, मााँ बाप
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वबत से पहले ररकता ना आने की परे शानी की वजह से बूिे हो चक ु े हैं। उन्हें समझाएिं कक आप तो ख़श ु कक़स्ट्मत हैं कक आप के घर बेह्तरीन और अच्छे घरानों के ररकते आ रहे हैं और आप मना कर रहे हैं। अगर
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ये वबत गुज़र गया तो सारी उम्र ससवाए पछतावे के और कुछ ना रहे गा। इस के इलावा आप की िूिो और
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ِ َو ْ ٰ َو तमाम घरवाले हर नमाज़ के बाद एक तस्ट्बीह "र्बस्स्ट्मल्लाहह-रत ह्मानन-रत हीसम" (الر ِح ْی ِم )بِ ْس ِم ہللا الرْح ِنपि
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कर जल्द और अच्छे ररकते के सलए दआ ु करें । ये ननहायत काम्याब अमल है यक़ीनन इस से आप को फ़ायदा होगा मैं ने आज तक स्जस को भी बताया उस की बेह्तरीन और बहुत जल्द शादी हो गयी।
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ग़ैर ज़रूरी बाल: मेरी पेशानी पर बच्पन से ग़ैर ज़रूरी बाल हैं, जो थ्रेडििंग वग़ैरा करवाने से ख़त्म नहीिं हुआ है । बराह मेहरबानी मुझे कोई टोटका बताएिं स्जस से मेरी पेशानी के बाल मुस्ट्तक़ल तौर पर ख़त्म हो जाएिं।
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स्ज़न्दगी भर मककूर रहूिंगी। (म ्)
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मकवरा: अक्सर चेहरे , गदत न और स्जस्ट्म के दस ू रे हहस्ट्सों पर बालों की कसरत होती है िॉक्टर कहते हैं ये हामोन्स की वजह से है । आप अपने बारे में ज़रा तफ़्सील से ख़त सलख़खए। ये कब से हैं? खाने की आदात और पसिंद क्या है , प्यास लगती है और ये कक कोई बीमारी तो पहले लाहक़ नहीिं हुई, जब तक मेरा जवाब समले, पिंसारी से कक़स्ट्त शीरीिं बारीक पीस कर रख लीस्जए बाल साफ़ करने के बाद इस सफ़ूफ़ को अच्छी
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तरह मसलये ता कक मसामों में चला जाए। हर दस ू रे रोज़ बाल साफ़ कर के लगाइये।
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र्बस्ट्तर पर पेशाब: मेरी भािंजी स्जस की उम्र ८ साल है, वो रात को र्बस्ट्तर पर पेशाब कर दे ती है , बहुत
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इलाज करवाए मगर ठीक नहीिं हुई। इस बीमारी का इलाज बताएिं, आप को हमेशा दआ ु ओिं में याद रखग ूिं ी। (मयतम)
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मकवरा: आप शाम के वबत भािंजी को ठोस ग़ग़ज़ा दीस्जये। मग़ररब के बाद चाय, दध ू वग़ैरा ना हदया जाए,
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पेशाब करा के बच्ची को र्बस्ट्तर में जाने दें , नतल के लड्िू मफ़ ु ीद होते हैं, गड़ ु के शीरे में नतल और मेवा िाल कर लड्िू या बफ़ी बना ली जाती थी जो मसाने को ताक़त दे ती थी। लड्िुओिं के सलए आप एक पाव
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नाररयल ले कर कद्दू कश कर लीस्जए और एक पाव अच्छा साफ़ मन ु बक़ा ले कर उस के बीज ननकासलये,
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सफ़ेद धल ु े हुए नतल एक पाव ले कर साफ़ कर लीस्जए इन तीनों को समला कर कूहटये और उन के पच्चीस लड्िू बना कर रख लीस्जए। सुबह ननहार मुिंह बच्ची को एक लड्िू ख़खलाइये और पिंद्रह समनट बाद नाकता
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कराइये। रात को सोने से पहले एक लड्िू ख़खला दीस्जये। इस से स्जस्ट्म में ताक़त आएगी, एअसाब
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मज़बूत होंगे, मसाना मज़बूत होगा। कुछ लोग गुड़ का शीरा पकाते हैं, उस में नतल और मेवा समलाते हैं और भन ू ी हुई सज ू ी और घी िाल कर् लड्िू बना लेते हैं।
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ये क्या हुआ?: माहनामा अब्क़री की तक़रीबन आठ माह से क़ाररया हूाँ, मेरा मसला ये है आज से तीस साल पहले की बात है कक मेरे अब्बू का टायरों का इतना अच्छा कारोबार था कक पूरी माककतट में अब्बू की
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दक ु ान के टायर मशहूर थे, हमारे घर में ककसी भी चीज़ की कमी ना थी जो भी माककतट में आता वो ससफ़त अब्बू की दक ु ान से टायर लेता था। नामालूम किर क्या हुआ रफ़्ता रफ़्ता अब्बू का सारा कारोबार ख़त्म हो
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गया और अब्बू ने दक ु ान पर जाना तक ख़त्म कर हदया। सारा हदन घर में सोते रहते, ससफ़त खाना खाने के सलए उठते। हम सब बहन भाई अब्बू को है रत से दे खते कक आख़ख़र अब्बू को हुआ क्या? जब अम्मी अब्बू को कुछ कहतीिं तो घर में लड़ाई झगड़ा शरू ु हो जाता। अगर अम्मी अब्बू को कोई सही बात कहतीिं तो
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अब्बू को शदीद ग़स्ट् ु सा आ जाता। अब घर का हाल ये है कक कोई ख़श ु ी की बात हो तब भी शदीद लड़ाइयािं
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शुरू हो जाती हैं, दस्ट्तरख़्वान पर सब इकट्ठे खाना खाने लगते हैं तो भी लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाता है ।
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अचानक कोई ना कोई ऐसी बात होती है कक लड़ाई शुरू हो जाती है । जब अब्बू का कारोबार था तब हमारे
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ररकते भी आए थे मगर जब से कारोबार ख़त्म हुआ है आज तक हमारा कोई ररकता नहीिं आया। एक दो
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जगा से मालम ू ककया उन्हों ने काला जाद ू बताया है । बराह मेहरबानी कोई हल बताएिं। (म ्,र्, गज ु रात)
मकवरा: बहन! यहााँ पर आसमल लोग पैसे का लालच करते हैं। बग़ैर रूपए के कोई ककसी काम पर हाथ नहीिं
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िालता। वेसे भी अल्लाह के हुक्म से जो काम हो जाता है तो उसे ये आसमल अपने अमल से मिंसूब कर लेते हैं। क़ुरआन पाक की ३३ आयात हैं जो सहर और जाद ू के सलए पिी जाती हैं। मिंस्ज़ल या हहज़्ब आज़म के
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नाम से समल जाती हैं। सुबह शाम पि कर पानी पर दम कर के पीने से असर ज़ाइल हो जाता है । इस के
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इलावा दो अन्मोल ख़ज़ाने दआ ु कसरत से पिें । नाम ननहाद आसमल और बुज़ुगत तो यहााँ बहुत हैं मगर उन
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के "हहदये" नज़राने हज़ारों में होते हैं। आप अल्लाह तआला की ज़ात पर भरोसा कीस्जये। जो लोग
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अल्लाह तआला की मख़लूक़ की बेलौस ख़ख़दमत करते हैं और एक पैसा लेना गवारा नहीिं करते वही बेह्तर होते हैं। आप इन चक्करों में मत पडड़ये। अल्लाह तआला करम करने वाला है । माहनामा अब्क़री जल ु ाई 2016 शम ु ारा नम्बर 121----------------pg 33 Page 50 of 54 www.ubqari.org
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वस्ज़तश के बग़ैर वज़न घटाइए (अगर बदन में फ़ौलाद कम हो तो ना ससफ़त हम में कम तवानाई जनम लेती है बस्ल्क हमारा इस्ट्तहाला भी
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कम पड़ जाता है । चन ु ाचे ऐसी ग़ग़ज़ाएाँ एअतदाल से खाइये स्जन में फ़ौलाद होता है । मस्ट्लन चबी के बग़ैर
पैदा करता है ) (िॉक्टर नसीम अख़्तर)
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गोकत, मछली, िसलयािं, साग वग़ैरा। ताहम फ़ौलाद ज़्यादा ना लीस्जये क्योंकक ये मदों में अमराज़ क़ल्ब
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आज की मसरूफ़ स्ज़न्दगी में सैंकड़ों लोगों को वस्ज़तश करने का वबत नहीिं समलता, चन ु ाचे वो रफ़्ता रफ़्ता फ़रबा हो जाते हैं और उन के स्जस्ट्म पर चबी की तहें चि जाती हैं। ज़ेल में ऐसे तरीक़े दजत हैं जो चबी
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घुलाते और घुलाने वाला ननज़ाम इस्ट्तहाला बेह्तर बनाते हैं ताकक आप का वज़न कम हो सके।
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फ़ाक़ा ना कीस्जये: फ़ाक़ा ख़स ु ूसन मदातना सेहत पर मिंफ़ी असर िालता है , क्योंकक ये ननज़ाम इस्ट्तहाला को
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सस्ट् ु ाने लगता है ता कक उसे ज़ायअ ना होने दे । सलहाज़ा मदों ु त कर् दे ता है । तब वो बड़ी सस्ट् ु ती से चबी घल
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को चाहहए कक वो वज़न कम करने की ख़ानतर फ़ाक़ा मत करें बस्ल्क ग़ग़ज़ाइयत से पुर ग़ग़ज़ा खाएिं, ऐसी
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ग़ग़ज़ा जो उन्हें मतलब ू ा हरारे फ़राहम कर दे और चबी भी ना चिाए। नीिंद परू ी लीस्जये: तहक़ीक़ के बाद मालूम हुआ है कक जो मदत कम नीिंद लें, वो पूरी नीिंद लेने वालों की ननस्ट्बत मोटे होते हैं। लह्मयात
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(प्रोटीन) ज़्यादा खाइये: हमारे स्जस्ट्म को लह्मयात की ज़रूरत है ताकक एअज़ा को दब ु ला पत्ला रख सकें।
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माज़ी में िॉक्टरों का ख़्याल था कक लह्मयात कम से कम लेनी चाहें कक ये स्जस्ट्म को फ़रबा करती हैं। सलहाज़ा अब माहहरीन ने ये तज्वीज़ ककया है कक हर् इिंसान अपने फ़ी पोंि वज़न के एतबार से अस्ट्सी ता
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सो ग्राम लह्मयात रोज़ाना इस्ट्तेमाल करे । गोया वो हर रोज़ चबी से पाक तीन औिंस गोकत या दो बड़े
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चम्मच मग़स्ज़यात खाए। यूाँ उसे लह्मयात की रोज़ाना मतलूबा समबदार समल जाएगी। अस्ट्सी ग्राम कम ग़चकनाई वाला दही खाने से भी ये समबदार हाससल हो जाती है । दे सी ग़ग़ज़ाएाँ इस्ट्तमाल कीस्जये: आज कल
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तक़रीबन हर ग़ग़ज़ा खादों और कीड़े मार दवा के इस्ट्तमाल से उगाई जा रही है । अब बज़रीआ तहक़ीक़ कीड़े मार दवा का एक समज़र पहलू सामने आया है कक ये दवाएिं चबी के ख़सलयों में जमा हो जाती हैं। किर
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चबी के ख़सलये घुलने में दे र लगाते हैं यानन तब वज़न कम करना ज़्यादा मुस्ककल हो जाता है । बअज़ माहहरीन का तो दावा है कक कीड़े मार दवाओिं के बाइस हमारा वज़न बि जाता है । इसी सलए माहहरीन
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मकवरा दे ते हैं कक अब ज़्यादा से ज़्यादा नाम्याती या दे सी ग़ग़ज़ाएाँ इस्ट्तेमाल करें । यानन वो सस्ब्ज़यािं, अनाज और िल इस्ट्तमाल कीस्जये जो कीड़े मार दवाओिं और कीम्याई खादों के बग़ैर उगाए जाएिं। ख़ास तौर पर आल,ू सेब, आड़ू, नाकपाती, साग, गोभी, चेरी और स्ट्रॉबेरी दे सी ही ख़रीहदए क्यिंकू क उन के नछल्कों
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और पत्तों में समज़र सेहत कीम्याई मादों की बड़ी तअदाद जमा होती है । खड़े हुये: शायद आप को इल्म
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ना हो, हमारे खड़े होने से भी वज़न की कमी बेशी में फ़क़त पड़ता है । दरअसल माहहरीन ने दरयाफ़्त ककया
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है कक अगर हम जागते हुए तीन चार घिंटे तक बैठे रहें और कोई सरगमी ना हदखाएिं तो वो ख़ामरह्
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(एिंज़ाइम) काम करना छोड़ दे ता है जो हमारे बदन में चबी की समबदार और कोलेस्ट्रॉल का इस्ट्तहाला
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किंरोल करता है । सलहाज़ा इस ख़ामरे को मत ु हरत क रखने और मस ु ल्सल चबी जलाने के सलए वबफ़े वबफ़े
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से खड़े हों और थोड़ी बहुत चहल क़दमी करें । सदत पानी पीस्जये: जमतन माहहरीन ने दरयाफ़्त ककया है कक
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अगर हम रोज़ाना सदत पानी की छे प्यासलयााँ पीएिं, तो हमारा इस्ट्तहाला ननज़ाम मज़ीद ५० हरारे जलाता
है । गोया इस सलहाज़ से हम साल में ५ पौंि वज़न कम करें गे। वेसे ये मामूली समबदार लगती है लेककन
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एक फ़रबा मदत के वज़न से ५ पौंि कम हो जाएिं तो ये बड़ी बात है । हमारा स्जस्ट्म सदत पानी को गमत करने
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के सलए तवानाई ख़चत करता है इस की र्बना पर ५० हरारे जलते हैं। सब्ज़ समचत या लाल समचत खाइये: समचों में मौजूद एक मादह, असारह फ़ल्फ़ल ् (Capsaicin) हमारे मुिंह में जलन पैदा करता है । हदल्चस्ट्प
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बात ये है कक माहहरीन ने इिंकशाफ़ ककया है , यही जलन हमारे ननज़ाम इस्ट्तहाला को तेज़ तर कर दे ती है ,
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यूाँ किर वो मज़ीद हरारे तेज़ी से जलाता है । दरअसल स्जतनी सब्ज़ या लाल समचत खाएिं तो हमारे स्जस्ट्म में हरारत जन्म लेती है , नीज़ हमारा ननज़ाम हमददत (Sympathetic System) मत ु हरत क हो जाता है ।
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(एअसाब से मुन्ससलक यही ननज़ाम हमददत हमें ख़ौफ़ या ख़तरे का मुक़ाबला करने को तय्यार करता है )। इन्ही तब्दीसलयों के बाइस हमारा ननज़ाम इस्ट्तहाला आरज़ी तौर पर तेज़ हो जाता है । सलहाज़ा वज़न कम
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करने वाले मदत व ज़न रोज़ाना एअतदाल से समचें खा सकते हैं। रे शे से मोटापे का मुक़ाबला कीस्जये: रे शे (Fibre) मैं ऐसी ख़स ु ूससयात मौजूद हैं कक वो हमारे स्जस्ट्म में चबी का घुलाओ ३० फ़ीसद तक तेज़ कर
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सकता है । इसी सलए दे खा गया है कक जो लोग ज़्यादा तेज़ रे शे वाली ग़ग़ज़ाएाँ खाएिं, वो मोटे नहीिं होते। माहहरीन का कहना है कक रोज़ाना सस्ब्ज़यों व िलों की शक्ल में २५ ग्राम रे शा खाइये। फ़ौलाद वाली ग़ग़ज़ाएाँ इस्ट्तमाल कीस्जये: हमारे बदन में फ़ौलाद की मन ु ाससब समबदार होनी चाहहए क्यिंकू क इसी की मदद
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से ऑक्सीजन हमारे एअसाब तक पुहिंच कर चबी घुलाती है । अगर बदन में फ़ौलाद कम हो तो ना ससफ़त
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हम में कम तवानाई जन्म लेती है बस्ल्क हमारा इस्ट्तहाला भी सुस्ट्त पड़ जाता है । चन ु ाचे ऐसी ग़ग़ज़ाएाँ
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एअतदाल से खाइये स्जन में फ़ौलाद होता है । मस्ट्लन चबी के बग़ैर गोकत, मछली, िसलयािं, साग वग़ैरा।
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ताहम फ़ौलाद ज़्यादा ना लीस्जये क्यूिंकक ये मदों में अमराज़ क़ल्ब पैदा करता है । हयातीन िी ज़्यादा
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लीस्जये: हमारे एअसाब में ननज़ाम इस्ट्तहाला जारी रखने के ससस्ल्सले में हयातीन (पवटासमन) िी का ख़ास
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ककरदार है लेककन बहुत से लोग ग़ग़ज़ा के ज़ररए ये क़ीमती हयातीन हाससल नहीिं करते। हर बासलग़ इिंसान
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को रोज़ाना कम अज़ ् कम ४०० आई यू (इिंटरनेशनल यनू नट) हयातीन िी ज़रूर लेना चाहहए। ये साल्मन मछली के इलावा टूना, अनाज और अिंिे में पाया जाता है । दध ू इस्ट्तमाल कीस्जये: जदीद तहक़ीक़ से
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इिंकशाफ़ हुआ है कक स्जस्ट्म में कैस्ल्शयम की कमी भी ननज़ाम इस्ट्तहाला सस्ट् ु त बना दे ती है, चन ु ाचे
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रोज़ाना एक ग़गलास दध ू पीस्जये। माहहरीन ने ये भी दरयाफ़्त ककया है कक ग़चकनाई से पाक दध ू और दही दस ू री ग़ग़ज़ाओिं की चबी भी स्जस्ट्म में जज़्ब नहीिं होने दे ते। तरबूज़ खाइये, वज़न घटाइए: तरबूज़ में एक
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अमाइनो तुशात, आजतनीिं पाया जाता है । ये अमाइनो एससि तुशात चबी घुलाने में ननहायत कारगर सार्बत
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हुआ है । चन ु ाचे तरबूज़ का मौसम हो तो फ़रबा हज़रात ये िल एअतदाल से खाएिं। अपना स्जस्ट्म तर रख़खये: हमारे स्जस्ट्म के तमाम ककसमयाई तआम्लात बशमल ू इस्ट्तहाला पानी की मदद से अिंजाम पाते हैं।
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इस सलए बदन में कभी पानी की कमी ना होने दें । मज़ीद बरािं प्यास की हालत में हम हरारे भी कम जलाते हैं। मुस्ट्कराएिं और हदल सेहतमन्द रखें: आप ने ये कहावत तो सुनी होगी "मुस्ट्कराहट बेह्तरीन दवा है "
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अब साइिंस ने भी सार्बत कर हदया कक मुस्ट्कराहट कम अज़ ् कम हमारे हदल के सलए बहुत मुफ़ीद है और ये मामूली बात नहीिं क्यूिंकक आज कल की तेज़ रफ़्तार और मसरूफ़ स्ज़न्दगी सब से ज़्यादा हमारे क़ल्ब ही
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पर मिंफ़ी असरात मततब करती है । ऊपर से समज़्र सेहत ग़ग़ज़ा भी हदल कम्ज़ोर कर दे ती है । अब माहहरीन ने दरयाफ़्त ककया है कक मुस्ट्कराहट हदल को सेहतमन्द बनाती है ।
सब्ज़ चाय या क़ह्वा पीस्जये वज़न घटाइए: रोज़ाना एअतदाल में रहते हुए सब्ज़ चाय या क़ह्वा नोश
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फ़रमाइये और वज़न घटाइए क़ह्वा या चाय में ऐसे अज्ज़ा वाफ़र हैं जो हरारे जलाते हैं स्जस से वज़न कम
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