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گ ی امانہہمرقبعیمزنی امرچ5102ےکامہ اضمنیم دنہیزبانںیم درتفامانہہمرقبعی گ گیت رمکرواحنوانم 78/3 ز ٹ گگ ت گگ رقبعی ی اڑسینزدقزہبطدجسممزنوچیگن الوہر بااتسکن ت گ ٹ ت تہ یایڈرٹی:خیشاولاظئرضحتمیکحدمحماطرقومحمدذجمویباتغچیئدامنزاک م WWW.UBQARI.ORG FACEBOOK.COM/UBQARI TWITTER.COM/UBQARI Page 1 of 48
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अल्लाह तआला भी तुमसे मुहब्बत करते हैं : हज़रत अबू हुरैरा ریض ہللا عنہररवायत करते हैं कक नबी करीम ﷺने इरशाद फ़रमाया: एक शख़्स अपने ( मस ु लमान) भाई से दस ू री बस्ती में मल ु ाक़ात के ललए रवाना हुआ। अल्लाह तआला ने उस शख़्स के रास्ते पर एक फ़ररश्ते को बबठा ददया (जब वो शख़्स उस फ़ररश्ते के क़रीब पोहंचा तो) फ़ररश्ते ने उस से पूछा: तुम्हारा कहााँ जाने का इरादा है ? उस शख़्स ने कहा: में इस बस्ती में रहने वाले अपने एक भाई से लमलने जा रहा हूाँ। फ़ररश्ते ने पुछा: क्या तुम्हारा उस पर कोई हक़ है जजस को लेने के ललए जा रहे हो? उस शख़्स ने कहा: नहीं मेरे जाने की वजा लसफ़फ़ ये है कक मझ ु े उससे अल्लाह तआला के ललए मुहब्बत है। फ़ररश्ते ने कहा: मझ ु े अल्लाह तआला ने तम् ु हारे पास ये बताने के ललए भेजा है कक जजस तरह तम ु उस भाई से महज़ अल्लाह तआला की वजा से मुहब्बत करते हो अल्लाह तआला भी तुमसे मुहब्बत करते हैं। (मुजस्लम) ★हज़रत अबू हुरैरा ریض ہللا عنہसे ररवायत है कक नबी करीम ﷺने इरशाद फ़रमाया: मोलमन के ललए जायज़ नहीं कक अपने मुसलमान भाई को ( क़तअ तालुकी कर के) तीन ददन से ज़्यादा छोड़े रक्खे इस ललए अगर तीन ददन गुज़र जाएाँ तो अपने भाई से लमल कर सलाम कर लेना चादहए। अगर उसने सलाम का जवाब दे ददया तो अजर व सवाब में दोनों शरीक हो गए। और अगर सलाम का जवाब ना ददया तो वो गन ु ेहगार हुआ और सलाम करने वाला कतअ तालक ु ी (के गन ु ाह) से ननकल गया। (अबू दाऊद) ★ हज़रत जाबबर ریض ہللا عنہररवायत करते हैं कक रसूलअल्लाह ﷺने इरशाद फ़रमाया: जो मुसलमान दरख़्त लगाता है किर उस में से जजतना दहस्सा खा ललया जाये वो दरख़्त लगाने वाले के ललए सदक़ा हो जाता है और जो उस में से चुरा ललया जाये वो भी सदक़ा हो जाता है। मतलब कक उस पर भी माललक को सदक़ा का सवाब लमलता है और जजतना दहस्सा उस में से पररंदे खा लेते हैं वो भी उस के ललए सदक़ा हो जाता हे । (ग़रज़ ये कक) जो कोई उस दरख़्त में से कुछ (भी िल वग़ैरा) ले कर कम कर दे ता है तो वो उस (दरख़्त लगाने वाले) के ललए सदक़ा हो जाता है। (मजु स्लम)
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हाल ऐ दिल एडिटर के क़लम से
जो मैंने दे खा सुना और सोचा
क्या ससला रहमी से ररज़्क़ बढ़ता हे ? हदीस मुबारका का मफ़हूम है, लसला रहमी करने से ररज़्क़ और उम्र बढ़ती है। आज मैं एक ख़ान्दान की चश्म दीद कहानी आपको सुनाता हूाँ, वो ख़ान्दान अब भी मुझे लमलता रहता है , लाहोर की बड़ी अमीर सोसाइटी में बड़ा घर, वाललद ने बड़ी चाह से घर बनाया, बेटे को एक ख़ूबसूरत बहु के लमल्ने के ललए ख़ूबसूरत बना कर पेश ककया, बहु लमल गयी, घर में आई, बहु ने मेहसूस ककया घर में सास, ससुर और दे वर हैं। वो शरू ु ही से अलग और तनहा रहने का लमज़ाज रखती थी, वो घर में मााँ से भी हर वक़्त लड़ती रे हती थी, मालदार मााँ बाप की बेटी थी, पैसा, दौलत, चीज़ों की घर में रै ल पेल थी। मााँ उस के लमज़ाज को बदाफ़श्त करती थी, साथ साथ ये भी कहती थी बेटी ये लमज़ाज मेरे साथ चल सकता है लेककन ये ससुराल में नहीं चल सकता। वो मााँ की हर नसीहत को ताना समझती, ससुराल में आते ही उसने सास के साथ चन्द ही ददनों के बाद अपना ना मव ु ाकफ़क़ (अनउचचत) रवय्या शरू ु कर ददया और जजतना भी जज़यादा तंग करना था जी भर कर तंग ककया। ग़म और दख ु ने सास को ला इलाज बीमारी में मुब्तला कर ददया। वो ठं िी सााँसें ले ले कर कहती थी बेटे पालने का मतलब दख ु पालना है क्या---? क्या बेटे इस ललए पाले जाते हैं कक अपने इदफ़ चगदफ़ ग़म और दख ु पाले जाएाँ, उसकी फ़याफ़द सुन्ने वाला कोई नही था, आख़ख़र वो इस दन्ु या से बबदा हो गई, रस्मी आंसुओं ने उस मााँ को बबदा ककया, अब लसफ़फ़ ससुर बाक़ी रे ह गया- उसे ससरु भी चभ ु ता था, ये क्याँू जज़ंदा है? उसका रवय्या ससरु के साथ भी वही रहा जो सास के साथ था। उसके रवय्ये को ससुर भी बदाफ़श्त ना कर सका और वो भी ला इलाज रोगों को अपने सीने से लगा बेठा और यूाँ कुछ ही असे के बाद ससुर भी इस जज़न्दगी से रूठ कर हमेशा के ललए मोत को सीने से लगा बेठा--! और घर ख़ाली हो गया। बस---!!! अब ख़ुदाई पक्कड़ का ननज़ाम शरू ु हुआ ग़रु बत और तंगदस्ती ने िेरे िालने और बेबरकती ने पीछा करना शरू ु ककया। शायद उन बड़ों की दआ ु एं थीं या ररज़्क़ उन बड़ों का मक़ ु द्दर था जजन्हों ने बड़ी चाह से उस बहु को ब्याह कर लाने मैं बड़ी कोलशशें कीं। ये उस नाशक्र ु ी बहु का Page 3 of 48
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हाथ से ललखा ख़त मेरे सामने पड़ा है। " मेरे माली हालात इस क़दर ख़राब हैं कक पेट्रोल के पैसे नहीं हैं कक मोटर साइककल चला सकें, दस ददन तीन सौ रुपए में गुज़ारे , मेने माचफ़ के आख़री हफ़्ते और अप्रैल में भी दस ददन एक वक़्त का खाना खाया। बच्चे शौहर भी इधर उधर से जा कर खाना खा लेते हैं लेककन में और बच्चे क्या करते? घर में पुराने चावल पड़े थे सात ददन लगातार बच्चों को वही उबाल और पका कर ख़खलाये। मेरे पास और कुछ नहीं था।में ख़खलाती मेरा बहुत मज़ाक उड़ाया गया, में सोच नहीं सकती और आप गुमान नहीं कर सकते ये दस ददन मैने कैसे गुज़ारे । ग़रु बत ने िेरे िाल ददए हैं, तंगदस्ती ने मेरे आाँगन को िस ललया है। मझ ु से ररज़्क़, इज़्ज़त रूठ गई, सब घरवाले ख़फ़ा हैं। बजच्चयां मझ ु से खाना मांगती हैं, मेरे पास खाना नहीं, मेरे पास कपड़े नहीं, में सददफ़ यों के कपड़े गलमफ़यों में पहनती हूाँ। मेरे पास ललबास ही यही है, पपछले महीने हम दोनों लमयााँ बीवी लंिा बाज़ार छुप कर गए, वहां से कुछ कपड़े और कुछ पहनने की चीज़ें ख़रीदीं। सब ने साथ छोड़ ददया। अब मुझे अपनी ग़लनतयों का एहसास हो रहा है कक मैं ककस तरह अपनी सास और ससुर को तड़पाती थी और में ककस तरह उन्हें रुलाती थी। मुझे ये एहसास अंदर अंदर खाये जा रहा है, मेरा ददल बेचैन है, मेरी तबीयत टूटी हुई है। मेरा मन ख़त्म हो गया है, मेरी सब चाहतें अब ख़त्म हो चक ु ी हैं। मझ ु े लसफ़फ़ एक चाहत है वो है दो वक़्त पेट भर कर रोटी---- इन सात ददनों मेने और मेरे बच्चों ने चावलों के हर ननवाले पर अल्लाह का शक्र ु अदा ककया क्योंकक मेरे अंदर की बजत्तयां बुझ गयी हैं, ये दस ददन में क़ब्र में भी ना भूलूंगी। अब में हर सांस पर अस्तग़फ़ार और शक्र ु करती हूाँ। में तो बहुत ऊंची परवाज़ पर थी लेककन मेरे सुख, मेरे चैन, मेरी रोटी, मेरे ननवाले और मेरी जज़न्दगी को बस मेरी कोई उलटी अदाएं खा गईं । में आज उस वक़्त को रोती हूाँ जब मेने जज़न्दगी का ये अंदाज़ अपनाया जो सब को नहीं भाता था लेककन मझ ु े भाता था। आज ये अंदाज़ मझ ु े नहीं भाता लेककन में भी ककसी को नहीं भाती। में क्या करूाँ? बहुत परे शान हूाँ ग़रु बत, फ़कर और लुकमा ना लमलने ने मेरी जज़न्दगी के चैन को उजाड़ ददया है। ऐ काश! मैं हरचगज़ हरचगज़ ऐसा ना करती।" माहनामा अबक़री माचफ़ 2015 शम ु ारा नवंबर 105________________Page 3
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िसस रूहानियत व अम्ि
सवसरर कौिैि ﷺख़ुि बरकतें बााँट रहे हैं शैख़-उल-वज़ाइफ़ हज़रत हकीम मोहम्मि ताररक़ महमूि मज्ज़ुबी चुग़ताई دامت برکاتہم हफ़्तवार िसस से इक़्तबास मेहमां नवाज़ी का छोड़ना और क़हत का आना: मेरे सय्यद व मुलशफ़दी हज़रत ख़्वाजा सय्यद मोहम्मद अब्दल् ु लाह मजज़ूब हजवैरी رتمحاہللہیلعफ़माफ़ते थे कक जजस दौर में दे खो होटल बढ़ रहे हों, सड़कों पर खाना पीना आम हो रहा हो, बाज़ारों में खाने पकने लगे हों, समझ लो---! उम्मत में क़हत ज़रूर आएगा---! चाहे वो क़हत महंगाई की सूरत में आये---! चाहे वो क़हत बाररश ना होने की शकल में आये---! चाहे वो क़हत ज़ाललम हुक्मरान की शकल में आये---! मगर उम्मत पर क़हत ज़रूर आये गा---! इसकी वजह ककया है? इसकी वजह मेहमााँ नवाज़ी को छोड़ दे ना है क्योंकक उम्मत ने जब से मेहमााँ नवाज़ी छोड़ दी है तब से होटल और रे स्तौरें ट शरू ु हुए हैं। पहले दौर में बड़े बड़े बतफ़न हुआ करते थे---! बनू हालशम बड़ा मेहमााँ नवाज़ और सख़ी क़बीला था---! हज्ज के मौक़ओं पर बड़े बड़े बतफ़नों में हाजजयों को खाना ख़खलाया करते थे। किर ऐसा भी करते थे कक दरख़्तों के ऊपर बड़ी बड़ी मचान बना लेते थे कक जो हाजी ऊाँट पर आते थे तो वो याँह ू ी ऊाँट पर बेठे बेठे खाना खाते चले जाएाँ। ये हालशम क़बीला का एहतमाम तआम हुआ करता था। हमारे करीम आक़ा ﷺ से ही थे और सख़ीयों की आल भी सख़ी ही होती है। हमारे आक़ा ﷺ
बनू हालशम
से बढ़ के कायनात में कोई सख़ी
ना कभी पैदा हुआ, ना पैदा होगा और ना ही पैदा हो सकता है। सवफ़रर कौनैन ﷺ
ख़द ु बरकतें बााँट रहे हैं : सवफ़रर कौनैन ﷺ
गए, बड़े से बतफ़न के अंदर आप ﷺ
सहाबी ریض ہللا عنہके घर तशरीफ़ ले
रोदटयां तोड़ कर िालते जाते थे। मज़ीद रोदटयां पकती थीं उनकी
अहललया घर से दे ख रही थी कक आप ﷺ बड़ा मज्मआ बाहर बेठा हुआ है। आप ﷺ
बाहर तशरीफ़ फ़माफ़ हैं, सहाबा कराम رضوان ہللا اجمعینका बल ु वाते थे कक दस बन्दे आ जाओ। जजन प्लेटों में रोटी तोड़ Page 5 of 48
امانہہمرقبعیےکامہاضمنیمدنہیزبانںیم कर िाली थी आप ﷺ
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उसमे शोरबा िाल रहे थे और सहाबा कराम رضوان ہللا اجمعینसरीद बना कर
खा रहे थे। सरीद खाना सुन्नत है: शोरबे वाला गोश्त पकाया करो, उस में रोटी तोड़ कर सरीद बना कर सन् ु नत समझ कर खया करो। पठान इसको "सह ु बत" कहते हैं। एक बार िेरा इस्माईल ख़ान से आगे एक वादी में जाना हुआ। वहां मेने ईद भी गुज़ारी। वहां मेरे मैज़बानों ने मेरा तआरुफ़ कराते हुए लंबे चोड़े अल्क़ाबात ददए। दन्ु या के एतबार से कोई तआरुफ़ था। उन में से एक मेज़बान ने कहा कक इस मेहमां के ललए स्पेशल सुहबत तय्यार करो। किर जब वो स्पेशल सुहबत तय्यार कर के मुझे ख़खलाई तो सारी रात मुझको नींद ही ना आई। जब कक सख़्त सदी थी मगर में रज़ाई हटा कर बैठा रहा। अल्लाह वालो---! सरीद सन् ु नत समझ कर खाया करो। रोदटयों के टुकड़े तोड़ कर किर गोश्त का शोरबा और गोश्त की बोदटयााँ भी उसमे िाल कर अच्छी तरह लमला कर उसको खाया करें । बड़ी अजीब चीज़ है और सुन्नत नब्वी ﷺ
भी
है और इस में जजस्मानी क़ुव्वत और ताक़त भी है। अब सवफ़रर कौनैन ﷺ
उन फ़ाक़ा जज़दह सहाबा कराम رضوان ہللا اجمعینको जजन के पैटों पर पत्थर
बंधे हुए हैं, उन में खाना तक़सीम फ़माफ़ रहे हैं। हुज़ूर अकरम ﷺ
ख़ुद अपने बरकत वाले हाथ से अता
फ़माफ़ रहे हैं, सहाबा कराम رضوان ہللا اجمعینतनावुल फ़माफ़ रहे हैं। एक हज़ार वाले मज्मआ ने बकरी का बच्चा और तीन सैर जव खा ललए। मगर बरकत तो दे खें कक वो तीन सैर जव का आटा वैसे ही बचा रहा और गोश्त भी हंडिया में वैसे का वैसे ही मौजूद था। सुब्हानअल्लाह---!!! मुतबरुफ़ क और अफ़ज़ल तरीन पानी: उलमा ने इस पर काफ़ी बहस की है कक सब से अफ़ज़ल और मुतबरुफ़ क पानी कौन सा है। कुछ उलमा कहते हैं कक जन्नत का पानी अफ़ज़ल और मुतबरुफ़ क है। कुछ कहते हैं कक ज़मज़म का पानी अफ़ज़ल और मुतबरुफ़ क है, बहुत से उलमा इसी क़ोल को राजेह क़रार दे ते हैं क्योंकक ज़मज़म के पानी ही से आक़ा ﷺ जब आप ﷺ
के क़ल्ब अतहर को चार बार धोया गया और आख़री बार
मैराज पर तश्रीफ़ ले गए तो ओपन हाटफ़ सजफ़री की गयी, फ़ररश्ते ने बाक़ायदह आप ﷺ
के ददल मुबारक को आप ﷺ
के सीना अतहर से ननकाला और उसको ज़मज़म के पानी से धोया।
ग़ज़्वह तबक ू मजु श्कल तरीन ग़ज़्वह: कुछ आलशक़ाना ककताबों में एक अजीब बात ये ललक्खी है कक तबक ू के मौक़आ पर जो १२ हज़ार का लश्कर था। जजतने भी ग़ज़वात हुए उन सब में मुजश्कल तरीन ग़ज़्वह, तबूक का ग़ज़्वह था। सैंकड़ों मील का सफ़र था। सख़्त गलमफ़यों का मौसम और ऊपर से ग़रु बत व तंगदस्ती भी थी और सहाबा कराम رضوان ہللا اجمعینकी फ़सलें भी पकी हुई थीं। इस ललए जब तबूक का Page 6 of 48
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मौक़आ आया था तो मुनाकफ़क़ीन ने हीले बहानों से हुज़ूर अकरम ﷺसे मदीना ही में रहने की इजाज़त ले ली और सआदत के हुसूल के ललए ग़ज़्वह तबूक में ना जा सके और मुख़्तललफ़ हीले बहानों से अपनी जान बचा गए। दस ू री जाननब सहाबा कराम رضوان ہللا اجمعینकी फ़स्ल पकी हुई और औलाद की शाददयां भी करनी हैं---! साल के क़ज़े हैं, फ़स्लें काट कर वो क़ज़े भी उतारने हैं---! आईन्दाह पूरे साल का राशन भी महफ़ूज़ करना है ---! इन खजूरों को बेच कर होने वाली आमदनी से कुछ ऐसी चीज़ें भी लेनी हैं जजन का इजन्तज़ार पूरे साल से हो रहा था---! (जारी है)
िसस से फ़ैज़ पािे वाले: मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! एक दोस्त के ज़ररये से आप के चंद दसफ़ इंटरनेट से िाउनलोि कर के सुने तो पता चला कक में तो गुनाहों की दलदल में धंसा हुआ हूाँ। तस्बीह ख़ाना में हाजज़र हुआ, वहां दसफ़ में हाज़री दी। मेरी आाँखें खल ु गयीं, अल्लाह की बारगाह में बहुत रोया, मआ ु फ़ी मांगी, नमाज़ की पाबंदी शरू ु कर दी, तमाम मसनूं दआ ु एं पढ़नी शरू ु कर दीं। तीन जुम्मा लगातार तस्बीह ख़ाना में पढ़े , बहुत रूहानी सुकून हालसल हुआ। मेरे उलटे काम सीधे होना शरू ु हो गए हैं, दसफ़ में बताये गए आमाल पर अमल करने की भरपूर कोलशश करता हूाँ। मेरी घरे लू उलझनें, परे शाननयां, लड़ाइयां झगड़े ख़त्म हो रहे हैं। घर में सुकून होता जा रहा है। मेरा कारोबार ददन ब ददन ख़त्म हो रहा था, में शदीद परे शान था मगर अब अल्हम्दलु लल्लाह! दसफ़ में दआ ु की बरकत से मेरा कारोबार ददन ब ददन बेहतरी की तरफ़ गामज़न है। इंशाअल्लाह मेरी ये परे शानी भी जल्द ही ख़त्म होने वाली है। (श,श) माहनामा अबक़री माचफ़ 2015 शम ु ारा 105___________________________Page 4
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जाइज़ हाजात परू ी करवाइये आसाि आमाल के साथ: िीचे दिए गए आमाल बज़ ु ग ु ासनि िीि और सासलहीीं के आज़मि ू ह और मक़बल ू शि ु ाह हैं जजि के शायअ करिे का मक़सि मख़लूक़ ख़ुिा को तस्बीह और मुसल्ले के साथ ग़ैर शरई आमाल की बजाये िवाफ़फ़ल व तसबीहात के ज़ररये जोड़िा है। इस्लामी साल के छटे महीिा का िाम जमादि-अल-उख़रा है। इस महीिा में वज़ाइफ़ व िवाफ़फ़ल पढ़िे का बयाि इस तरह से है।
हर हाजत और हर तलब के सलए:ककसी कक़स्म की माली परे शानी हो या घरे लु परे शानी हो या कोई रुकावटें हों तो नीचे दी गयी आयत का कसरत से पवदफ़ करें । अल्लाह तआला आप की हर जाइज़ हाजत को पूरा फ़रमाएंगे। इय्याक नअबुद ु व इय्याक नस्तईनु ० या अल्लाहु या रहमानु ک نا ْع ُب ُد او ا َاِّی ا ا َاِّی ا ٰ ْ ہّٰلل اّی ار ُ ی اّیاا ُ ْ ک ن ا ْس ات ِع ْح ُن इय्याक नअबुद ु व इय्याक नस्तईनु ० या अल्लाहु या रहीमु ک نا ْع ُب ُد او ا َاِّی ا ا َاِّی ا ُ ی اّی اا ُ ْ ک ن ا ْس ات ِع ہّٰلل اّی ارح ِْی ُم
मुसीबत को टालिे के सलए: नीचे दी गयी आयत को उठते बैठते ननहायत तवज्जह और यक़ीन के साथ पढ़ें अल्लाह तआला आप की तमाम मस ु ीबतों को टाल दें गे। ْ
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ُْ َ ا ا ُْ َ ا ا ً ْ ُ ْس ی ً ْ ُ ْس ی फ़इन्न मअल-उसरर युस्रं (oْسا ِ )فاِن مع العइन्न मअल-उसरर युस्रं० ( oْسا ِ ( ) اِن مع العपाराह ३० सूरह
अलम नश्रह, आयत नंबर ५,६)
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घर कारोबार की ख़ैर व बरकत के सलए: ِ َا ْ ٰ َا बबजस्मल्लादह-रहमानन-रहीलम : الرح ِْی ِم ِب ْس ِم ہللا الرْح ِن
७८६ बार पढ़ कर हाथों पर िाँू क मारें , पानी पर भी तीन बार िाँू क मारें जजस घर में रहते हैं उसकी ख़ैर व बरकत के ललए तीन िंू कें मारें और कारोबार के ललए दक ू ान या कारख़ाना या मल ु ाजज़मत वाली जगह की तरफ़ तीन िूंकें मारें । दम ककये हुए पानी से थोड़ा पानी लें घर की छत पर चारों कोनों में पानी िालें आसमानी बालाएं दरू हो जाएाँगी। घर की दीवारों पर दम ककया हुआ पानी नछड़कें घर के अंदर तावीज़ धागा नहूसत काला जाद ू ख़त्म हो जायेगा। इंशाअल्लाह बाक़ी पानी पीने के ललए है इस से जजस्मानी लशफ़ा और रूहानी इलाज हो जायेगा। ये अमल इन्तेहाई यक़ीन के साथ चंद माह मस् ु तकक़ल करें , तमाम मसाइल हल हो जायेंगे।
जाइज़ हाजात परू ी होंगी: पहली शब ्: इस माह (जमादद-अल-उख़रा) की पहली शब ् नमाज़ मग़ररब के बाद पंद्रह मतफ़बा सूरह इख़्लास पढ़े , एक मतफ़बा मअव्वज़तैन (सूरह फ़लक़ और सूरह नास) पढ़े और सजदे में जा कर तीस मतफ़बा ا ا
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ک ن ْع ُب ُد او ا َاِّی ا ) ا َاِّی اकह कर ननहायत तवज्जह व यकसई से ُ ْ ک ن ْست ِع इय्यक नअबद ु ु व इय्याक नस्तईन० ु (oی ू
बारगादह इलाही में दआ ु मांगे, इंशाअल्लाह तआला जो भी जाइज़ हाजत होगी वो परू ी होगी। इस के इलावा पहली रात को नमाज़ इशा के बाद दो रकअत नकफ़ल नमाज़ पढ़े और जो जजतना भी क़ुरआन पाक पढ़ सकता हो, पढ़े । नमाज़ वग़ैरा से फ़ाररग़ हो कर बकसरत अस्तग़फ़ार और दरूद पाक पढ़े ।
तक़र्रसबब इलाही के सलए िवाफ़फ़ल: जमादद-अल-उख़रा की पहली शब ् को इबादत के ज़मन में बुज़ुगाफ़नन दीन ने ये भी बताया है कक बारह रकअत नकफ़ल नमाज़ दो दो रकअत कर के इस तरह से पढ़े कक हर रकअत में तेरह मतफ़बा सूरह इख़्लास पढ़े । बफ़ज़लल बारी तआला क़ुबबफ़ इलाही नसीब होगा।
मुफ़सलसी व तींगिस्ती से निजात के सलए: दसवीं शब ्: इस माह की दसवीं शब ् को बारह नकफ़ल नमाज़ इस तरह से दो दो रकअत कर के पढ़े कक हर रकअत में सूरह फ़ानतहा के बाद सूरह क़ुरै श पढ़े और नमाज़ से फ़राग़त के बाद एक मतफ़बा सूरह यूसुफ़ नतलावत करे तो इंशाअल्लाह तआला उसकी मुफ़ललसी Page 9 of 48
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और तंगदस्ती दरू हो जायेगी। सारा साल आफ़ात व बललय्यात से महफ़ूज़ रहे गा तंगी व उसरत ना आएगी।
सवाबब अज़ीम के सलए: इक्कीसवीं शब ्: जमादद-अल-उख़रा की इक्कीसवीं रात से इस माह की आख़री शब ् तक रोज़ाना बबला नाग़ा नमाज़ इशा के बाद बीस रकअत नकफ़ल नमाज़ दो दो रकअत कर के इस तरह से पढ़े कक हर रकअत में सूरह फ़ानतहा के बाद एक एक मतफ़बा सूरह इख़्लास पढ़े । इंशाअल्लाह तआला बहुत सवाब हालसल होगा। माहाना रूहानी महकफ़ल: रूहानी महकफ़ल "मकफ़ज़ रूहाननयत व अम्न में इज्तमाई नहीं होती हर फ़दफ़ अपने अपने मक़ाम पर रहते हुए करे । इस माह की रूहानी महकफ़ल ९ माचफ़ बरोज़ पीर असर से मग़ररब तक। २० माचफ़ बरोज़ जुम्मा सुबह १० बजे से ११ बज कर २१ लमनट तक। २९ माचफ़ बरोज़ इतवार रात ९ बजे से लेकर १० बज कर २३ लमनट तक ا ْ ا ُ ا ْ ُ َُ ْ ُ ا َا ا अल्मललकु अल्क़ुद्दूसु अस्सलामु (لسَل ُم )الم ِلک القدوس اपढ़ें । ये जज़क्र, लभकारी बन कर, ख़ुलस ू ददल, ददफ़ ददल, तवज्जह और इस यक़ीन के साथ कक मेरा रब मेरी फ़याफ़द सुन रहा है और सौ फ़ीसद क़बूल कर रहा है। पानी का चगलास सामने रखें और इस तसव्वुर के साथ पढ़ें कक आसमान से हल्की पीली रौशनी आपके ददल पर हल्की बाररश की तरह बरस रही है और ददल को सक ु ू न चैन नसीब हो रहा है और मजु श्कलात फ़ौरी हल हो रही हैं। वक़्त परू ा होने के बाद ददल व जान से परू ी उम्मत, आलम इस्लाम और ग़ैर मजु स्लमों की ख़ैर ख़्वाही के ललए पूरी दन्ु या में अम्न की दआ ु , अपने ललए और अपने अज़ीज़ व अक़ारब के ललए दआ ु करें । पूरे यक़ीन के साथ दआ ु करें । हर जाइज़ दआ ु क़बूल करना अल्लाह तआला के जज़म्मे है। दआ ु के बाद पानी पर तीन बार दम कर के पानी ख़ुद पीएं। घरवालों को भी पपला सकते हैं। हर महकफ़ल के बाद ११ रुपए सदक़ा ज़रूर करें (नोट:)१- रूहानी महकफ़ल के दरम्यान अगर नमाज़ का वक़्त आ जाये तो पहले नमाज़ अदा की जाये और बक़्या वक़्त नमाज़ के बाद पूरा ककया जाये। अगर इसी वक़्त ये वज़ीफ़ा रोज़ाना कर लें तो इजाज़त है Page 10 of 48
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मुस्तक़ल भी करना चाहें तो मामूल बना सकते हैं। हर महीने का पवदफ़ मुख़्तललफ़ होता है और ख़ास वक़्त के तईन के साथ होता है। बेशम ु ार लोगों की मुरादें पूरी हुईं। नामुजम्कन, मुजम्कन हुईं। किर लोगों ने अपनी मरु ादें परू ी होने पर ख़त ु त ू ललखे आप भी मरु ाद परू ी होने पर ख़त ज़रूर ललखें । (एडिटर:- हकीम मोहम्मद ताररक़ महमूद अफ़ी अन्हु)
रूहानी महकफ़ल से फ़ैज़ पाने वाले: मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! कुछ अरसा से मेरे चेहरे पर अजीब व ग़रीब कक़स्म के दाने ननकल्ना शरू ु हो गए, बहुत टोटके आज़माये, मुआलजीन के पास गयी मगर दाने थे कक जाने का नाम ही नहीं ले रहे थे। माहनामा अबक़री पपछले दो साल से पढ़ रही हूाँ। एक ददन रूहानी महकफ़ल से फ़ैज़ पाने वाले पढ़ रही थी तो मेने सोचा क्यूाँ ना में अपने दानों के ख़ात्मे के ललए रूहानी महकफ़ल ही करूाँ---! मेने उसी माह से रूहानी महकफ़ल शरू ु कर दी, अल्हम्दलु लल्लाह! अभी ६ माह हो गए हैं मझ ु े रूहानी महकफ़ल करते हुए और मेरा चेहरा उन भयानक दानों से बबल्कुल साफ़ हो गया है। इन ६ माह में मेने ककसी कक़स्म की कोई दवा या टोटका इस्तेमाल नहीं ककया। अल्हम्दलु लल्लाह! अब भी रूहानी महकफ़ल उसी जोश व जज़्बे के साथ जारी है। अल्हम्दलु लल्लाह! मुझे इस के और भी बहुत से फ़वाइद लमल रहे हैं। (जवेररया हैदर, मुल्तान)
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शाह िसर्रद्दीि उच्वी رحمت ہللا علیہके मस् ु तिि रूहािी वज़ाइफ़ रोज़ी में बरकत का अमल: बरकत ये है कक थोड़ी रक़म में ज़्यादा काम अंजाम पाएं और मुख़तसर आमदनी में घर के सारे काम अंजाम पाएं लेककन रक़म कम ना पड़े। अवल व आख़ख़र इक्कीस इक्कीस मतफ़बा दरूद शरीफ़ दरम्यान में सरू ह तौबा की आख़री दो आयात एक सौ बार सब ु ह बाद नमाज़ फ़ज्र और एक सौ बार बाद नमाज़ इशा पढ़ा करे । मुसल्सल पाबन्दी के साथ करे , नाग़ा ना करे और ना बदददल हो कर छोड़े, इंशाअल्लाह तआला दो माह के अंदर अंदर इस के फ़ुयूज़ व बरकात ज़ादहर होंगे।
रोज़ी में ज़्यािती : अगर कोई शख़्स कम आमदनी के सबब परे शां रहता हो और उस का गज़ ु ारा मजु श्कल से होता हो, क़ज़फ़ पर क़ज़फ़ चढ़ता जाता है। लेककन आमदनी में इज़ाफ़ा नहीं होता। जजतनी मेहनत और कोलशश करता है काम्याबी नहीं होती। इस ललए अक्सर कफ़क्र मंद और परे शां रहता है। आराम व सुकून नहीं लमल्ता। क़ज़फ़ ख़्वाह अलग तंग करते हैं। हर तदबीर उलट हो जाती है। इस लसजल्सले में अल्लाह तआला से मदद मांगने वाला कभी नाकाम नहीं होता बजल्क काम्याबी उसके क़दम चूमती है। उस को कभी नाकामी नहीं होती और अल्लाह तआला की ज़ात पाक पर यक़ीन कालमल ही काम्याबी की कंु जी है। अमल ये है:- अवल व आख़ख़र ग्यारह ग्यारह बार दरूद शरीफ़ और दरम्यान में दो सौ बार सूरह इख़्लास बाद नमाज़ फ़ज्र और यही अमल दोबारा बाद नमाज़ असर करे , यानन अवल व आख़ख़र ग्यारह ग्यारह बार दरूद शरीफ़ और दरम्यान में दो सौ बार सरू ह इख़्लास पढ़े । नाग़ा ना करे पाबन्दी से अमल करे गा तो ग़ैब से रोज़ी में बरकत और इज़ाफ़ा होगा। अगर बाद असर मुमककन ना हो तो बाद नमाज़ इशा पढ़ ले।
क़ज़े की वाप्सी: अगर ककसी की रक़म उधार में या क़ज़फ़ में िाँस गयी हो और वो ना दे ने के हीले बहाने करता हो तो उस के ललए रोज़ाना बा वज़ू एक सौ एक मतफ़बा दरूद शरीफ़ अवल व आख़ख़र और दरम्यान में ग्यारह हज़ार Page 12 of 48
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ُ ا ا मतफ़बा या लतीफ़ु ()ّیل ِط ْیف ४० ददन तक रोज़ाना पढ़े । इंशाअल्लाह तआला क़ज़ाफ़ भी अदा करे गा और मुआज़रत भी करे गा।
रोज़ी में इज़ाफ़ा और बरकत: अगर कोई शख़्स कम आमदनी और ज़्यादा अख़राजात के सबब परे शां हो और क़ज़फ़ पर क़ज़फ़ चढ़ता जाता हो इस के सबब तबीअत पर हर वक़्त बोझ रहता हो, सुकून बबाफ़द हो गया हो और क़ज़फ़ मांगने वाले हर वक़्त घर के चक्कर लगाते रहते हों तो ऐसी सूरत में ये अमल बहुत काम्याब है , वो अमल ये है। फ़ज्र की सुन्नत और फ़ज़ों के दरम्यान पढ़ना है। नमाज़ फ़ज्र की सुन्नत पढ़ कर पांच सौ (५००) बार या वहहाब اपढ़े और फ़ज़फ़ नमाज़ ख़त्म होने के बाद एक सौ मतफ़बा सूरह इख़्लास पढ़े । ये अमल ४० ददन करे । ُ )ّی او َاھ ( اب इंशाअल्लाह तआला पाबन्दी से अमल करने की बरकत से पांचवें ददन रोज़ी में बरकत आना शरू ु हो जायेगी। इस अमल के साथ साथ अगर ककसी मजस्जद की सफ़ाई और ख़ख़दमत भी हो सके तो इंशाअल्लाह तआला ज़्यादा जल्दी काम्याबी शरू ु हो जायेगी।
िस्ल िर िस्ल अमीर होिे का अमल: अगर कोई शख़्स ये चाहता है कक वो नस्ल दर नस्ल अमीर बन जाये और उसकी दौलत ककसी सूरत में ख़त्म ना हो बजल्क बढ़ती रहे तो इस के ललए ये अमल बहुत मोअस्सर और पुर तासीर है। अमल ये है कक बाद नमाज़ फ़ज्र बा वज़ू सरू ह बक़रह मक ु म्मल सरू ह रोज़ाना बबला नाग़ा पढ़ता रहे । इंशाअल्लाह तआला दौलत आनी शरू ु हो जाये गी और इस का लसजल्सला नस्ल दर नस्ल चलेगा।
बुख़ार, िज़र बि, ििस जजस्म और सर का ििस िरू होिा: अगर ककसी शख़्स को ऐसा बुख़ार चचमट गया हो जो जाता ना हो या उसके जजस्म में , सर में ददफ़ रहता हो या नज़र बद के सबब खाना पीना कम हो गया हो और तबबअत में सुस्ती और कादहली हो और ककसी काम को करने की तरफ़ तबीअत ना आती हो। उस के ललए सूरह क़ुरै श बा वज़ू सुबह को ७० मतफ़बा पढ़ कर मरीज़ पर दम करे और शाम को बाद नमाज़ मग़ररब या बाद नमाज़ इशा सूरह क़ुरै श ७० मतफ़बा पढ़ कर Page 13 of 48
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मरीज़ पर दम करे , इंशाअल्लाह तआला चंद ददन अमल करने से मरीज़ ठीक हो जायेगा। जब तक मरीज़ ठीक ना हो बराबर ये अमल करते रहें ।
लोगों की िज़र में बा इज़्ज़त होिा: जो शख़्स ये चाहता है कक लोग उसकी मानें, उसकी इज़्ज़त करें , उसका ददल से एहतराम करें और उस के साथ मुहब्बत व चाहत का बताफ़व करें तो उस के ललए ये अमल बहुत मुफ़ीद है। ये अमल नया चााँद दे खने के बाद पहली जुमेरात की फ़ज्र की नमाज़ से क़ब्ल करना है। रोज़ाना बाद नमाज़ फ़ज्र सुन्नत पढ़ कर दरूद शरीफ़ ४१ बार अवल और ४१ बार आख़ख़र में पढ़ें दरम्यान में सरू ह फ़ानतहा ४१ बार पढ़ें । ये अमल ४१ ददन मत ु वातर करें । इंशाअल्लाह तआला इस अमल की बरकत से लोगों के ददलों में इज़्ज़त व अज़मत क़ाइम होगी। ररज़्क़ की तंगी दरू होगी, ररज़्क़ ज़्यादा लमक़दार में लमले गा। अगर हकीम या िॉक्टर इस अमल को रोज़ाना पाबन्दी के साथ करे तो ज़्यादा से ज़्यादा मरीज़ आएं गे और उनको अल्लाह तआला की तरफ़ से लशफ़ा लमलेगी और बहुत ज़्यादा लोग पढ़ने की तरफ़ मुतवज्जह होंगे। इस दौरान आलमल अपनी ननगाह को बद नज़री से बचाये और सफ़ेद रं ग का ललबास पहने तो ज़्यादा फ़ायदा होगा।
हर मक़सि में काम्याबी के सलए: जो शख़्स ख़ास मक़सद रखता हो लेककन अपने इरादे और मक़सद में काम्याब ना होता हो तो इशा की ُ ٰ ا ا َا नमाज़ के बाद एक सौ बार सूरह बक़रह की आख़री आयात आमन-अर-रसूलु ( الر ُس ْول )اَمसे आख़ख़र तक पढ़े गा और उसके अवल व आख़ख़र ग्यारह ग्यारह बार दरूद शरीफ़ पढ़े गा और अपने मक़सद में काम्याबी की दआ ु करे गा तो इंशाअल्लाह तआला ज़रूर काम्याबी हालसल होगी। अगर ककसी मजस्जद में बैठ कर अमल ककया जाये तो ज़्यादा बेहतर है।
िम्मा की काम्याब तरीि िवाई: ये दवाई बेहद मफ़ ु ीद व मज ु रफ़ब है। इसका नस् ु ख़ा महा कूक शास्र से ललया था, मफ़ ु ीद होने पर आज क़ाररईन अबक़री की नज़र करता हूाँ: - हुवलशाफ़ी: बगफ़ मदार ज़दफ़ रं ग, २० अदद (आक के पीले पत्ते) गाये Page 14 of 48
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का मक्खन एक तोला, फ़लफ़ल दराज़ एक तोला, काली लमचफ़ एक तोला, नमक सांभर एक तोला, सींधा नमक एक तोला, काला नमक एक तोला। तरकीब: आक के पत्ते पर मक्खन लगा कर ऊपर से दवाई कूट कर लगाएं, ऊपर किर पत्ता रखें इसी तरह तह दर तह रखें । गल ु दहक्मत कर के १५ ककलो उपलों की आग दें , काले रं ग की दवाई तय्यार है। लमक़दार ख़ोराक: एक से दो रत्ती सुबह को खाने के बाद ताज़ह पानी के साथ दें । २० यौम का इस्तेमाल हर कक़स्म का दम्मा और खांसी बलग़मी के ललए मुफ़ीद है। परहे ज़: चावल, तेल, चचकनाई, घी वग़ैरा से। (मोहम्मद सलीम सुमरा, दन्ु यापुर) माहनामा अबक़री माचफ़ 2015 शम ु ारा नंबर 105___________________________Page 11
खािे में बेर, फ़वाइि में सेब मुज़फ़्फ़र अली, पपशावर बहार का मौसम शरू ु होते ही बाज़ार में लाल सुनहरे बेर आना शरू ु हो जाते हैं, इन खट्टे मीठे बेरों को दे ख कर हर शख़्स के माँह ू में पानी भर आता है जजस ने कभी इसका ज़ायक़ा चखा हो, बच्चों का तो ये हर ददल अज़ीज़ िल है वो इसी को हालसल करने के ललए अपनी जान तक को ख़तरे में िाल कर दरख़्त की एक शाख़ से दस ू री शाख़ तक चले जाते हैं। बेर अवाम में भी बेहद हर ददल अज़ीज़ है , इस का पता उदफ़ ू के इस मह ु ावरे से अयााँ होता है कक जहााँ बेरी होगी वहां ढीले आएंगे, इस मह ु ावरे का मतलब कुछ ही क्याँू ना हो मगर इस से ये बात वाज़ेह हो जाती है कक लोग इसको हालसल करने के ललए ग़ैर मेहज़ब हरकतें क्यूाँ करने लग जाते हैं इस की बड़ी वजह ये है कक ये मीठे भी होते हैं और ख़ट मीठे भी। बेर ना लसफ़फ़ अपने शीरीं और ख़ट मीठे ज़ायक़ै की वजह से ही हर ददल अज़ीज़ है बजल्क अपनी चग़ज़ाइय्यत के ललहाज़ से भी एक उम्दाह िल है। नतब्बी नुक़्ता ननगाह से एक अच्छा और शीरीं बेर अपनी तासीर और लताफ़त में ककसी तरह भी "सेब" से कम नहीं होता। शायद इस ललए बेर को "दहंदस् ु तानी सेब" कहा जाता है। इख़्तलाज क़ल्ब के मज़फ़ में बेर सेब जेसी तासीर का हालमल साबबत होता है। ये िल अवाम और ग़रीबों का मन भाता है, इसी ललए अवाम इस को कसीर तअदाद में खाते हैं, ज़्यादा खाये जाने के और भी वजूह हैं मस्लन बेर जब बाज़ार में आता है उस वक़्त बाज़ार में दस ु रे िल कम्याब Page 15 of 48
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होते हैं, सोने पर सुहागा ये कक इस िल की क़ीमत भी अमूमन कम ही होती है। ललहाज़ा ये ग़रु बा के ललए ककसी नेमत से कम साबबत नहीं होता। दीहातों में तक़रीबन हर जगह बेर का दरख़्त पाया जाता है। इस की एक वजह ये भी है कक बेरी का दरख़्त ज़्यादा ऊंचा नहीं होता और इस का तना भी छोटा होता है मगर ये नीचे काफ़ी िेलता है और इसका घना और ठं िा साया बड़ा पुरसुकून और फ़रहत बख़्श मालूम होता है अब भी गााँव में जजस हवेली में बेर का दरख़्त नहीं होता। लोग उसको बारौनक़ तसव्वुर नहीं करते। इसी ललए पाककस्तान का महकमा जंगलात हर साल दरख़्त की मुहम में बेर के हज़ारों दरख़्त अवाम में तक़सीम करता है और ख़द ु भी सड़कों के ककनारे पर इन को उगाता है ता कक ख़श्ु क और बंजर ज़मीन को ख़ब ू सरू त और सायादार दरख़्तों से बा रौनक़ बनाया जा सके और इस के इलावा अवाम इस के िल से ख़ानतर ख़्वाह फ़ायदा उठा सकें। बेर की तीन अक़्साम हैं ये तुख़्मी, पेवंदी और झड़ बेरी। पहली दो कक़स्में बाग़ी कहलाती हैं और तीसरी कक़स्म को ज़ाल कहते हैं। तुख़्मी के िल गोल, गूदा कम और रं ग सुख़फ़ होता है, तुख़्मी अपने ज़ायक़ै के ललहाज़ से खट मीठा होता है इस के बर ख़ख़लाफ़ पेवंदी के िल एक िेढ़ इंच लंबे, बेज़्वी शकल के होते हैं। बअज़ औक़ात नोकीले भी होते हैं। इनका रं ग सख़ ु फ़ या ज़दफ़ , नछलका पतला और गद ू ा सफ़ेद और मोटा होता है। ये ज़ायक़ै में शीरीं होते हैं ललहाज़ा शहरों में ज़्यादा इस्तमाल होते हैं। बेर के ललए बस इतना केह दे ना ही काफ़ी होगा कक सेब का हम पल्ला होता है, इस के इलावा बेर माननअ नतश्नगी और आाँतों के कीड़ों को मारने में मुफ़ीद होता है। कच्चा बेर भी फ़ायदा मंद होता है क्योंकक वो क़ाबबज़ होता है , इसी ललए इसहाल सफ़रावी (लूज़ मोशन) में इस्तेमाल ककया जा सकता है। आाँतों के ज़ख़्मों के ललए बे हद मफ़ ु ीद है। बेर की पजत्तयों से सर धोया जा सकता है जजस से सफ़ाई के इलावा बाल बड़े और घने हो जाते हैं। इसकी पजत्तयों से सर धोने का एक फ़ायदा ये भी है कक इस से चगरते हुए बाल जम जाते हैं। पपसी हुई पजत्तयों का नीम गरम लेप कीड़ों के काटे में मुफ़ीद है और ज़ख़्मों पर बााँधने से पीप ख़ाररज हो जाती है। ये दाकफ़उ समेत महलल वरम भी है। इस की शाख़ का ननचोड़ा हुआ पानी जजयाफ़न ख़ून को रोकता है इस के ख़ुश्क ककये हुए पत्तों का सफ़ूफ़ उबटन की तरह चेहरे पर मल्ने से चेहरे का रं ग साफ़ हो जाता है। इस का गोंद ख़श्ु क खांसी में िेिड़ों के ललए मफ़ ु ीद है और बलग़म को पतला करता है। बेरी के दरख़्त की पजत्तयों का एक बड़ा फ़ायदा ये है कक ये पत्ते मवेलशयों के ललए चाराह् फ़राहम करते हैं। बेरी के पत्तों के उबाले हुए पानी से मुदे के जजस्म को ग़स ु ुल ददया जाता है जजस का साइंसी फ़ायदा ये है कक मुदे का सख़्त जजस्म नरम पड़ जाता है , दोम मुदे का जजस्म कीड़े मकोड़ों से महफ़ूज़ रहता है जजस तरह काफ़ूर से रहता है, बेर के चंद चीदाह चीदाह मज़ीद फ़वाइद: बेर दे र हज़म होता है। सफ़्रा और ख़ून के Page 16 of 48
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जोश को तस्कीन दे ता है। प्यास बुझाता है। गरम लमज़ाजों के ललए ननहायत मवाकफ़क़ है। इस को भून कर दस्त और पेचचश के ललए इस्तेमाल करते हैं। इस का पानी जजगर का सदह खोलता है। पेचचश और मरोड़ के फ़ौरी इलाज के ललए जंगली बेर की जड़ एक तोला, काली लमचफ़ सात अदद, पानी में घोट कर ददन में तीन बार पपलाना मुफ़ीद होता है। बेर ख़ून साफ़ करता है। अगर ककसी का ददल घबराहट से िूब रहा हो तो चार दाने बेर ख़खलाने से फ़ौरी ठीक हो जायेगा। बेर की लाख मोटापा कम करने की बेहतरीन दवा है। इस का नुस्ख़ा दजफ़ ज़ेल है : बेर की लाख िेढ़ माशा, बारह रोज़ तक रोज़ाना ददन में ककसी भी वक़्त हमराह पांच पांच तोले अक़फ़ क्लो और अक़फ़ बाददयााँ (सौंफ़) इस्तेमाल करें , सब ु ह नाश्ते के एक घंटे बाद इस का इस्तेमाल इन्तेहाई मफ़ ु ीद होता है।
इस माह का नूरानी मुराक़्बा मरु ाक़्बे से इलाज: मुराक़्बे के जब कमालात खुलेंगे तो हैरत का अनोखा जहााँ और मुजश्कलात का सौ फ़ीसद हल ख़ुद आप को हैरत जज़दह कर दे गा। Meditation यानन मुराक़्बा जहां अज़ल से रूहाननयत की तरक़्क़ी और मुजश्कलात के हल का इलाज रहा है वहां जदीद साइंस ने इसे अमराज़ का यक़ीनी इलाज भी क़रार ददया है। हज़ारों तजुबाफ़त के बाद अबक़री के क़ाररईन के ललए मरु ाक़्बे से इलाज पैलश ख़ख़दमत है। सोते वक़्त अगर बा वज़ू और पाक सोएं तो सब से बेहतर वरना ककसी भी हालत में लसफ़फ़ १० लमनट बबस्तर पर बैठ कर बबला तअदाद अल्लाहु नूरुا ْا َا ُ ات ُ ُْن ُر ا स्समावानत वलअजज़फ़ (ہللا )واْل ْر ِض पवदफ़ करें , अवल व आख़ख़र ३ बार दरूद शरीफ़ पढ़ें किर लेट ِ الس ٰم او जाएाँ। जजस मज़फ़ का ख़ात्मा या उलझन का हल चाहते हों उसको ज़हन में रख कर ये तसव्वुर करें कक "आसमां से सुनहरी रं ग की रौशनी मेरे सर से सारे जजस्म में दाख़ख़ल हो कर इस मज़फ़ को ख़त्म या उलझन को हल कर रही है और इस वज़ीफ़े की बरकत से में सौ फ़ीसद इस परे शानी से ननकल गया/गयी हूाँ" यहााँ तक कक इस तसव्वरु को दोहराते दोहराते नींद आ जाये। शरू ु में तसव्वरु बनाते हुए आपको मजु श्कल होगी लेककन बाद में आप पर जब इस के कमालात खल ु ें गे तो हैरत का अनोखा जहााँ और मजु श्कलात का सौ
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फ़ीसद हल ख़ुद आप को हैरत जज़दह कर दे गा। मुराक़्बे के बाद अपनी कैफ़यात फ़वाइद और अनोखे तजुबाफ़त हमें ललखना ना भूलें। मुराक़्बे से फ़ैज़ पाने वाले मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! अबक़री ररसाले पढ़ते हुए मुझे मुसल्सल पांच साल हो गए हैं, अल्हम्दलु लल्लाह! में ने इस ररसाले से बहुत कुछ पाया है। इस ररसाले ने मुझे सलीक़ै से जीने का ढं ग लसख ददया है , अल्लाह से मांगने का तरीक़ा बता ददया है। ख़ास तौर पर मुराक़्बे से तो मुझे वो वो फ़ैज़ लमले हैं कक में ख़ुद इस छोटे से अमल के इतने फ़वाइद लमल्ने पर हैरान हूाँ। में ने बहुत सी जगहों की सेरें कीं, बज़ ु ग ु ों से लमली, अभी पपछले ददनों दौरान मरु ाक़्बा मझ ु े कोई रौशनी उठा कर ले गयी, कुछ दै र बाद में आसमां पर पोहंच गयी, आसमां पर जाते ही में ने बहुत सी जगहें दे खीं, किर पता नहीं वो कौन है सफ़ेद कपड़े पहने हुए सर पर सफ़ेद नागों वाला ताज रखा हुआ और किर आक़ा सवफ़रर कौनैन ﷺकी ज़्यारत से भी मुस्तफ़ीद हुई, वो मेरे सर पर प्यार दे ते हैं, कुछ फ़माफ़या भी था अब याद नहीं, उन का और उस बुज़ुगफ़ का नूर मुझ पर पड़ रहा है। में ने इस दौरान बुक़ाफ़ पहन रखा होता है किर पता नहीं क्या हुआ में नींद की आग़ोश में चली गयी और मेरी आाँख फ़ज्र की अज़ान के साथ खल ु ी। (व-म)
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क़ाररईन के नतब्बी और रूहानी सवाल, लसफ़फ़ क़ाररईन के जवाब: लमगी का इलाज: मोहतरम क़ाररईन अस्सलामु अलैकुम! मेरी गुज़ाररश है कक अगर ककसी के पास लमगी का मज ु रफ़ब और मोअस्सर तावीज़ या वज़ीफ़ा हो तो अबक़री के ज़रीए मझ ु े अता फ़माफ़ये। में तक़रीबन ५० साल से लमगी का मरीज़ हूाँ, प्रोस्टे ट की वजह से पेशाब कम और जलन के साथ बार बार थोड़ी थोड़ी लमक़दार में आता है। पानी ज़्यादा पीने से फ़क़फ़ नहीं पड़ता। (म,य, कराची) Page 18 of 48
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जवाब: मोहतरम भाई! लमगी से लशफ़ा के ललए मेरे पास रूहानी जवाब है कक अगर ककसी शख़्स को लमगी के दौरे पड़ते हों तो सूरह शरू ा पारह नंबर २५ काग़ज़ पर ललख कर पानी से धो कर वो पानी लमगी के मरीज़ के जजस्म पर नछड़का जाये, इंशाअल्लाह कुछ अरसा इस अमल को करने से मरीज़ लशफ़ायाब होगा किर ये बीमारी कभी उस के क़रीब भी नहीं आएगी। (ननगहत, चीचा वतनी) "कीरा"का इलाज: दो तीन साल से मेरे हलक़ में बल्ग़म चगरता है जजस को आम तौर पर "कीरा" भी कहा जाता है , इस की वजह से ककसी महकफ़ल में बेठना अज़ाब बन चूका है, इस के इलावा नाक की हड्िी भी बढ़ी हुई है। गुज़ाररश है कक कोई नुस्ख़ा पेश करें ता कक दायमी अफ़ाक़ा हो। (पोशीदह) जवाब: आप दफ़्तर अबक़री का "एलजी नज़्ला कोसफ़" कुछ अरसा मस् ु तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें । इस के साथ नीम के ताज़ह पत्ते पानी में जोश दे कर छान कर ज़रा सा नमक लमला कर उस से नाक धोइये , सुबह व शाम और तुख़्म मैथी ६ ग्राम पानी में जोश दे कर सुबह व शाम (कम अज़ कम सुबह) नोश फ़माफ़या करें । ये चाये एक बेहतरीन चाये है। इस से ज़ुकाम की वजह से सर ददफ़ भी जाता रहता है। (तादहरह यास्मीन, अटक) सीने में तक्लीफ़: मोहतरम क़ाररईन अस्सलामु अलैकुम! में गुज़श्ता दो साल से अबक़री का क़ारी हूाँ, में अपने इलाक़ए का मशहूर नअत ख़ुवां हूाँ लेककन गुज़श्ता साल से सीने में बहुत तक्लीफ़ होती है। सांस बहुत मजु श्कल से आती है। बल्ग़म जम जाती है। कभी कभी ददल में भी ददफ़ होता है। दस ू रा सवाल: इस के इलावा दसवीं जमाअत का ताललब इल्म हूाँ, पढ़ने का बहुत शोक़ है लेककन जब पढ़ने बैठता हूाँ तो पढ़ा नहीं जाता और मेरी ख़्वादहश है कक में िॉक्टर बन कर इन्साननयत की ख़ख़दमत करूाँ, इस मसले का कोई हल बताएं। जवाब: मोहतरम भाई! आप अबक़री दवाख़ाना की दवाई "सत्तर लशफ़ाएं" ददन में कम अज़ कम दस मतफ़बा इस्तेमाल करें और जब भी आप नअत पढ़ना शरू ु करें उस से पहले थोड़ी सी सत्तर लशफ़ाएं मंह ु मैं नसवार की तरह रख लें । इंशाअल्लाह आप के सीने में ददफ़ और बल्ग़म वाला मसला हल हो जायेगा। पढ़ाई में ददल लगाने के ललए आप दजफ़ ज़ेल रूहानी अमल करें :-
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जब भी आप पढ़ने के ललए बैठें तो वज़ू कर लें और तीन मतफ़बा सूरह अलम नाश्रह् पढ़ कर ख़ुद पर िाँू क लें जो पढ़ें गे याद भी होगा और कभी भूलेगा भी नहीं, और आप का पढ़ाई में ददल भी लगे गा। (मोहम्मद शफ़ीक़ जट, साहे वाल) दोस्त और नमाज़: मोहतरम क़ाररईन अस्सलामु अलैकुम! मेरा एक दोस्त है वो मेरी हर बात मानता है लेककन जब में उसे नमाज़ का कहता हूाँ तो टाल मटोल से काम लेता है, अगर में उस से ना बोलाँ ू तो मेरी लमन्नत कर के मुझे मना लेता है लेककन वो नमाज़ का वादा कर के भी नमाज़ नहीं पढ़ता, उस के ललए मुझे क्या करना चाहये। ( फ़रहान लसद्दीक़, भक्कर) जवाब: रोज़ाना दो नकफ़ल हाजत के पढ़ कर उस के ललए दआ ु करें और सात बार सरू ह इख़्लास अवल व आख़ख़र तीन मतफ़बा दरूद इब्राहीमी पढ़ कर उसकी रूह को हद्या करें । (मैमूना मजीद, रावलपपंिी) गदफ़ न पर चगल्टी: मोहतरम क़ाररईन! पपछले ददनों मेरी गदफ़ न पर एक चगल्टी ननकली, टे स्ट करवाया तो वो टी बी की चगल्टी थी, इलाज से चगल्टी तो दो माह बाद िट गयी मगर ननशान अभी काफ़ी है अब में चाहती हूाँ मुझे इस के ललए कुछ पढ़ने के ललए बताएं। बेहद शक ु ु रगुज़ार होंगी। (शहज़ादी बट, लाहौर) ا
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जवाब: आप सब ु ह व शाम एक तस्बीह मस ु ल्लमत-ु ल्ला लशयत फ़ीहा (बक़रह,७१) ) ( ُم اسل امۃ ْل ِش ایۃ ف ِْْیااपढ़ कर ककसी भी हबफ़ल क्रीम पर दम कर के उसे अपने ननशााँ पर लगाएं। इंशाअल्लाह बहुत जल्द आप की चगल्टी का ननशान ख़त्म हो जायेगा। (मोहम्मद इरफ़ान, इस्लामआबाद) चेहरे के नतल: में अबक़री ररसाला को पपछले एक साल से पढ़ रही हूाँ बहुत ही अच्छा ररसाला है , अल्लाह इस की ननगेहबानी करे । आमीन! मेरा क़ाररईन से एक सवाल है कक मेरे चेहरे पर बहुत से नतल हैं, कुछ छोटे हैं ओर कुछ बड़े भी---- उन के ललए दवा या क्रीम बताएं जो चेहरे को ख़राब ना करे और नतल भी हमेशा के ललए ख़त्म हो जाएाँ। ( न, कोट क़ैसरानी) जवाब: बेहेन आपको बगफ़ तुल्सी ६ ग्राम को पानी में जोश दे कर छान कर उस में गुलक़न्द २० ग्राम घोल कर पीने से फ़ायदा होगा। इस के साथ अबक़री दवाख़ाना की "दे सी क्रीम" चेहरे पर दी गयी तरकीब के मुताबबक़ इस्तेमाल करें । हााँ चग़ज़ा में लमचें कम कर दे नी चादहयें। शज ु ाउल हसन, शैख़ूपूरह)
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काश! में मोटा हो जाऊं: मेरी उम्र २० साल है लेककन मेरा जजस्म बहुत कमज़ोर और दब्ु ला पत्ला है, में चाहता हूाँ कक मेरा जजस्म फ़बाफ़ और ताक़तवर हो जाये, इस के इलावा मुझे नअतें पढ़ने का बहुत शौक़ है लेककन मेरी आवाज़ बहुत भद्दी है, में चाहता हूाँ कक मेरी आवाज़ सरु ीली हो जाये। जवाब ज़रूर दीजजये गा। ( इक्रामुल्लाह, स्यालकोट) जवाब: चग़ज़ा पर तवज्जह दें , कोई मन ु ालसब वजज़फ़श करें , रात को पच्चीस अदद ककशलमश लभगोदें , सब ु ह खाएं। साथ अबक़री दवाख़ाना की अक्सीरुल बदन और गले के ललए लशफ़ाए हैरत इस्तेमाल करें । (अली,लाहौर) आाँखें ज़दफ़ क्याँू हैं?: मोहतरम क़ाररईन अस्सलामु अलैकुम! मेरा मसला ये है कक मेरी दोनों आाँखें ज़दफ़ हैं, हे पटाइदटस का टे स्ट भी करवाया लेककन वो मसला नहीं है तो किर आाँखें क्यूाँ ज़दफ़ हैं? क़ाररईन! मेरे इस मसले का हल बताएं। (अ-श) जवाब: रोज़ाना रात को ख़ाललस अक़फ़ गुलाब अपनी आाँखों में िालें , अगर ज़मज़म दस्तयाब हो तो दोनों हम्वज़न लमक्स करके आाँखों में िालें । इंशाअल्लाह बहुत जल्द इस मसले से छुटकारा लमल जायेगा। ( मोहम्मद मज़ादहर, मुल्तान) बग़ल में चगल्टीयां: मोहतरम क़ाररईन! मेरी बग़ल में चगल्टीयां बन जाती हैं, पहले ख़ाररश होती है किर आदहस्ता आदहस्ता चगल्टीयां बनती जाती हैं जजन का ऊपर से तो एक मुंह होता है मगर अंदर से तीन चार छोटी छोटी होती हैं किर उन में पीप पड़ जाती है जो बहुत तक्लीफ़ दे ती है। (मंशाद अहमद, फ़ैसलआबाद) जवाब: आप दफ़्तर माहनामा अबक़री से "चगल्टी रसोली कोसफ़" ले कर कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें । इंशाअल्लाह बहुत जल्द आप इन नामुराद चगल्टीयों से छुटकारा हालसल कर लें गे। मेरे दोस्त के साथ भी यही मसला था वो अब माशाअल्लाह इस कोसफ़ के इस्तेमाल से तंदरु ु स्त हो चूका है। ( मोहम्मद ज़फ़र, एबटआबाद) लुकनत का लशकार: मेरे अज़ीज़ का बेटा हाकफ़ज़ क़ुरआन है, मगर कुछ अरसे से वो लुकनत का लशकार हो गया है,
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माहनामा अबक़री माचफ़ 2015 शम ु ारा नंबर 105 _____________________Page 13
क़ुरआन पढ़ते हुए भी लुकनत होती है। बोल्ते वक़्त ज़बान चचपक जाती है। उस के ललए कोई मुनालसब वज़ीफ़ा/इलाज तज्वीज़ फ़माफ़एाँ। (पप्रंलसपल (र) ग़ल ु ाम क़ाददर हराज, झंग) जवाब: रजब्बश्रहली सद्री व यजस्सली अमरी वहलुल उक़्दत-जम्मल-ललसानी यफ़्क़हू क़ौली ْ ِ ان یا ْف اق ُہ ْوا اق ْو ْ ِ اْش ْح ) ار َب ْ اशहद के ऊपर सुबह व शाम एक तस्बीह दजफ़ बाला ْ ْس ِل اا ْمر ْی او ْ َِ احلُ ْل ُع ْق اد ًۃ ْ ِ َم لَ اِس ْ ِ َ ل اص ْد ِر ْی او ی ا (ل ِ ِ आयत पढ़ कर उसी शहद को उं गली से ज़बान पर मलें और बाद में चाट लें । कुछ अरसा ये अमल करें । इंशाअल्लाह फ़क़फ़ बहुत जल्द महसस ू करें गे। ननस्वानी हुस्न की कमी: मेरी उम्र २८ साल है , मुझे ननस्वानी हुस्न की बहुत ही ज़्यादा कमी है। जजस की वजह से मेरी जज़न्दगी बहुत ज़्यादा डिस्टबफ़ हो रही है। मेरी क़ाररईन से गुज़ाररश है कक कोई आज़मुदह इलाज बताएं। जज़न्दगी भर आप को दआ ु एं दं ग ू ी। (कश्माला ज़मान, लाला मूसा) जवाब: आप चंबेली का तेल ले कर रोज़ाना कुछ अरसा पाबन्दी से इस से मस्साज करें । साथ दफ़्तर माहनामा अबक़री की अक्सीरुल बदन और ख़ूाँ अफ़्ज़ा चंद माह इस्तेमाल करें । इंशाअल्लाह कुछ अरसा में ही अफ़ाक़ा महसस ू होगा। मेरी कजज़न के साथ भी यही मसला था, अल्हम्दलु लल्लाह अब वो मत्ु मइन है। (पोशीदह) गुनाह का ग़ल्बा: मोहतरम क़ाररईन! अरसा २५ साल से ददल व ददमाग़ पर नफ़्सानी शहवानी ख़्यालात का ग़ल्बा है जो हर वक़्त गन ु ाह पर मजबरू करता रहता है, ददल व ददमाग़ को कैसे साफ़ करूाँ ता कक बरु े कामों से नफ़रत हो जाये। कोई रूहानी अमल बता दें । आप को हर वक़्त दआ ु एं दे ता रहूाँगा। ( न, ख़ानेवाल) जवाब: भाई ये मसला ददल व ददमाग़ पर नफ़्सानी शहवानी ख़्यालात का ग़ल्बा मुझे भी था, इस का बेहतरीन हल वज़ू के बाद तीन घूाँट पानी और रूहानी ग़स ु ुल और नमाज़ में आख़री ६ सूरतों का एहतमाम इस ननय्यत से करें , मोहतरम हकीम साहब ने मुझे एक मतफ़बा नसीहत की थी कक आाँखों और ददल की Page 22 of 48
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दहफ़ाज़त करो(आाँखों को ग़ैर मेहरम से और ददल को बुरे ख़्यालात से बचाओ) कोई ख़्याल आये तो झटक दो उस पर तवज्जह ना दो। क्योंकक आाँखें दे खेंगी ददमाग़ सोचेगा, ददल मचलेगा, हाथ उठें गे और गुनाह हो जायेगा, जज़क्र को अपने ऊपर मस ु ल्लत करें वरना हाल आते रहें गे। (मोहम्मद उमर, लाहौर) मसाइल ही मसाइल: मोहतरम क़ाररईन! में पेट के अमराज़ में मुब्तला हूाँ, मुंह कड़वा, ज़बान सफ़ेद, पेशाब पीला, ददन में चार पांच मतफ़बा पाख़ाना की हाजत, ज़बान पर छाले, खाना दे र से हज़म, खट्टे िकार आते हैं और तो और सूज़ाक और आनतश्क में मुब्तला हो गया हूाँ, जजयाां अहतलाम बहुत है। शादी शद ु ह हूाँ मगर इस क़ाबबल बबल्कुल भी नहीं रहा। बरादह मेहेरबानी कोई बेहतरीन नुस्ख़ा इनायत फ़माफ़एाँ। (अ,ब,अ-कराची) जवाब: आप दफ़्तर माहनामा अबक़री की उदय ू ात जोहर लशफ़ा मदीना, सत्तर लशफ़ाएं, ठं िी मुराद और अक्सीरुल बदन कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें । तली हुई और गरम चीज़ों से मुस्तक़ल परहे ज़ रखें , नमाज़ की पाबन्दी लाज़्मी करें , फ़ज्र के बाद रोज़ाना आधा घंटा वाक करें । ( हुमैरा हबीब, लोधरां) कान में शोर: मोहतरम क़ाररईन! गुज़श्ता पांच सालों से मेरे दाएं कान में मुसल्सल शोर रहता है और बाएं कान में ख़ामोशी में बेरूनी आवाज़ें बहुत ज़ोर से लगती हैं इस की वजह ये है कक मेरे गले में एलजी है और रे शा रहता है। गला ठीक भी हो जाये कान का शोर ठीक नहीं होता। कोई आज़मद ू ह टोटका या मफ़ ु ीद नुस्ख़ा बताएं। (न, लाहौर) जवाब: आप दफ़्तर माहनामा अबक़री की एक दवाई "सत्तर लशफ़ाएं और जोहर लशफ़ा मदीना" कुछ अरसा इस्तेमाल करें । (नालसर,क़सूर) भगंदर का िोड़ा: मोहतरम क़ाररईन! अरसा चार साल से मेरे मक़अद के बाएं तरफ़ भगंदर का िोड़ा ननक्ला हुआ है, ककसी के पास कोई इलाज हो तो ज़रूर बताएं। ( चौधरी अल्लाह ददत्ता) जवाब: मोहतरम चौधरी अल्लाह ददत्ता साहब! मुझे भी आप की तरह भगंदर का मज़फ़ पांच साल पहले हुआ, बड़ा तक्लीफ़ दह मज़फ़ है , अंग्रेज़ी, हकीमी, होम्यो और चाइना से भी इलाज करवाया लेककन मज़फ़ दरू ना हुआ। आख़ख़र होम्यो फ्ांस लेमेदटक लेबोट्रीज़ की दवाई एल १०३ से आराम आ गया। होम्यो फ़्रांस की Page 23 of 48
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दवाई एल १०३ के १५,१५ क़तरे खाने के आधा घंटे बाद ददन में तीन दफ़ा इस्तेमाल करने हैं, ये दवाई कम अज़ कम चार माह इस्तेमाल करनी है। दौरान दवाई तली हुई, बादी और मसाला जात चग़ज़ा से मुकम्मल परहैज़ ज़रूरी है। (सईद अहमद, अटक लसटी) जाद ू से छुटकारा: में अरसा आठ साल से काले जाद ू की लपेट में हूाँ अगर ककसी क़ारी के पास कोई आज़माया अमल हो तो ज़रूर इनायत फ़माफ़एाँ। (रशीदाह ख़ातन ू , बहावलपरु ) जवाब: बेहेन जी! आप इस अमल को कम अज़ कम चालीस ददन करें , इंशाअल्लाह तआला तमाम असरात ख़त्म हो जायेंगे। हमें दआ ु ओं में ज़रूर याद रखना। ये अमल मेरे मोहतरम उस्ताद का अता करदह है उन्हें भी ज़रूर दआ ु ओं में याद रखना। एक बार - अऊज़ु बबल्लादह-स्समीइल-अलीलम लमन-श्शैतानन-रफ़जीलम। ا َا ْ ُ ا َا ا َ الش ْی اطان ِ )ا ُع ْوذ ِِبہّٰلل (الر ِج ْی ِم۔ الس ِم ْیعِ ال اعلِ ْی ِم َِم ِ 1.
तीन बार - बबजस्मल्लादह-ल्लज़ी ला यज़रु ु फ़ मअजस्मही शैउं कफ़-लअजज़फ़ व ला कफ़स्समाइ व हुवْ ا ْا َا ا ا ُ ا َا )ب ْسم ہللاِ َاالذ ْی اْلیا ُ َُ ا ْ اْسہٖ ا स्समीउल-अलीमु। (الس ِم ْی ُع ال اع ِل ْی ُم َش ٌء ِِف اْل ْر ِض اوْل ِِف السما؍ ِء وھو ِ ْ ض امع ِ ِ ِ 2.
3.
एक बार - सूरह फ़ानतहा (अल्हम्द ु शरीफ़)
4.
एक बार - सूरह बक़रह की पहली पांच आयात।
5.
एक बार - सरू ह बक़रह की आख़री दो आयात।
6.
एक बार - आयत-अल-कुसी।
तीन बार - अऊज़ु बबल्लादह-स्समीइल-अलीलम लमन-श्शैतानन-रफ़जीलम। ُ ُْ ا َا ا َا ْ ا ْ َا ْ ْ ا (الر ِج ْی ِم۔ ان ِ )اعوذ ِِبہّٰلل ِالس ِمیعِ العلِی ِم َِم الشیط 7.
8.
एक बार - सूरह हशर की आख़री तीन आयात।
9.
आख़री तीन अमल।
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तरीक़ा: ये सब पढ़ कर अपने हाथों पर दम कर दें और अपने हाथों को तमाम बदन पर िैर दे । बफ़ज़्ल तआला हर कक़स्म के जाद ू व तावीज़ों के असरात ख़त्म हो जायेंगे। (एम ् साददक़ काकड़, बलोचचस्तान) क्रायदार से मकान ख़ाली करवाना: क़ाररईन! में ने चंद साल पहले अपना मकान ककसी को कराये पर ददया, अब पपछले दो साल से वो मेरे मकान पर क़ब्ज़ा जमा कर बैठ गया है, ना वो अब कराया दे ता है ना मकान छोड़ता है , अदालत में भी केस चल रहा है, हम शरीफ़ लोग हैं कोई आसान सा अमल बताएं कक वो हमारा मकान छोड़ जाये। (मोहम्मद यासीन, सरगोधा) जवाब: अबक़री माहनामा की मअररफ़त से आपके सवाल का जवाब हाजज़र ख़ख़दमत है। आप सूरह यासीन पारह २२, पहला रुकूअ में व जअल्ना लमं(म) बैन ऐदीदहम सद्दऊाँ-व लमन ख़जल्फ़दहम सद्दन फ़अग़्शैनाहुम फ़हुम ला यूजब्सरून (यासीन ९) ٰ ُ ٰ َم اخ ْلفہ ْم اس ًَدا اف اا ْغ اش ْی ْ ِ َم اب ْی اا ْی ِد ْْی ْم اس ًَدا َاو ْ ِ ) او اج اع ْل اناनमाज़ असर के बाद ४१ बार अवल व ُ ِ ٰن ْم اف ُہ ْم اْل یُ ْب ﴾۹ِص ْو ان ﴿یسی ِ ِ ِ ِ आख़ख़र दरूद शरीफ़ पांच पांच बार इक्तालीस ददन करें , इंशाअल्लाह जल्दी मसला हल हो जायेगा।
क्रायदार वग़ैरा केस अदालत जो कुछ भी है आप ननय्यत कर के पढ़ें , इंशाअल्लाह ख़ुदा की ज़ात आप के हक़ में बेहतर करे गी। (िॉक्टर अशरफ़, गुजरांवाला) पोशीदह अमराज़ में मुब्तला: मोहतरम क़ाररईन! में काफ़ी अरसा से सरअत अंज़ाल के मज़फ़ में मुब्तला हूाँ और ये मज़फ़ काफ़ी शदीद है, यानन क़ब्ल अज़ दख़ूल अंज़ाल हो जाता है। में इस मसला की वजह से बहुत परे शां हूाँ। बरादह मेहेरबानी कोई मुफ़ीद मश्वरा इनायत फ़माफ़एाँ। शकु क्रया! (अब्दल् ु लाह) जवाब: आप दफ़्तर माहनामा अबक़री का "उरूसी सुहाग
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कोसफ़" इस्तेमाल करें । इस के इलावा आप नमाज़ की पाबन्दी करें और नमाज़ फ़ज्र और इशा के बाद एक ا ُ َُ ُ ُ ا ا एक तस्बीह या माललकु या क़ुद्दूसु या सलामु (ِک اّیقد ْوس اّی اسَل ُم )ّیمالलाज़मी पढ़ें । सेर को मामूल बनायें। गरम और तली हुई चीज़ों से परहे ज़ रखें । Page 25 of 48
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ज़बान की ख़ुश्की और जलन: मेरी वाललदा मोहतरमा की उम्र ७५ साल है, अरसा १० साल से उनकी ज़बान ख़ुश्क है , रतूबत या लुआब दहन बबल्कुल नहीं, हर वक़्त जलन होती रहती है। सालन और मसाला दार चीज़ें मंह ु में िालें तो सख़्त जलन होती है। भक ू भी नहीं लगती, बेशम ु ार िॉक्टसफ़, हुकमा से इलाज करवाया मगर अफ़ाक़ा नहीं हुआ, बरादह करम कोई नुस्ख़ा तजवीज़ फ़माफ़एाँ। (अम्जद अली शाह, लाहौर) जवाब: भाई अम्जद! आप अपनी वाललदा को ठं िी मरु ाद इस्तेमाल करवाएं, एक दो डिब्बी इस्तेमाल करवा कर छोड़ ना दें बजल्क कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें तो इंशाअल्लाह उन का ये मसला हल हो जायेगा। मेरी आंटी को भी यही मसला था वो अब तक यही दवाई इस्तेमाल कर रही हैं और अल्हम्दलु लल्लाह उनकी सेहत पहले से बेहतर है।
( साददया,लाहौर)
छोटा क़द: क़ाररईन! मेरा क़द बहुत छोटा है , उम्र सोला साल है, रं ग गंदम ु ी है , वज़न ४५ ककलो है। कोई नुस्ख़ा तहरीर फ़माफ़एाँ ता कक मेरा क़द ननकल आये। दस ू रा मसला: मेरे चेहरे पर रौनक़ नहीं है , चेहरे पर चमक नहीं है। में चाहता हूाँ मेरा रं ग थोड़ा सफ़ेद हो जाये। कोई नुस्ख़ा बताएं कक रं ग भी साफ़ हो जाये और दाने भी ना ननकलें । ( फ़राल अब्बास) जवाब: फ़राल भाई! आप मुनालसब वजज़फ़श पर तवज्जह दें , सुबह कम अज़ कम िेढ़ मील तेज़ रफ़्तार के साथ चलें । नाश्ते में ककशलमश २५ ग्राम, मग़ज़ बादाम शीरीं बारह दाने लाज़्मन खाने शरू ु कर दें । इन दोनों को रात के वक़्त लभगो दें सब ु ह उठ कर खा लें इस के साथ िेढ़ पाव दध ू ख़ाललस पी लें । इस अमल से आप का वज़न भी बेहतर होगा और आप के चेहरे पर रौनक़ भी आएगी और साथ आप दफ़्तर माहनामा अबक़री का "क़द दराज़ कोसफ़" कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें । इंशाअल्लाह इस कोसफ़ से आपका क़द भी बेहतर हो जायेगा। (अहमद फ़राज़, इस्लामआबाद) अमराज़ पेट: मेरे बेटे की उम्र २२ साल है, जो भी खाता है लसफ़फ़ एक आध घंटे के अंदर वेसे से ख़ारज हो जाता है , किर सारी रात भूका रहता है, रमज़ान के रोज़े भी बड़ी मुजश्कल से रखता है, अल्लाह के वास्ते कोई नुस्ख़ा अत फ़माफ़ दें । (एक दख ु ी मााँ) जवाब: आप अपने बेटे को रोज़ाना सुबह काफ़ी ददनों तक पोदीना सब्ज़ ताज़ह ९ ग्राम और सौंफ़ कुटी हुई ६ ग्राम ले कर इन दोनों को जोश दें और छान कर इसे चाये की तरह पपलाना शरू ु कर दें । इस से मैदे की ख़राबी दरू हो जायेगी। चग़ज़ा में लमचें छोड़ दें और पराठे और तली हुई चीज़ें छोड़ दें । गाए का गोश्त भी Page 26 of 48
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तकफ़ कर दें । साथ दफ़्तर माहनामा अबक़री का "इस्लाह मैदा कोसफ़" कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करवाएं। (सुहैल हफ़ीज़, साहे वाल) पोशीदह बहनों का पोशीदह मज़फ़: मेरी सहे ली की बेटी ने मुझे बताया कक आंटी में शमफ़ से ककसी को बता नहीं सकती, उसकी उम्र २५ साल है , बीमारी ये है कक उसकी शमफ़गाह में बेहद ख़ाररश होती है, कोई दे सी इलाज बताएं ता कक ऐसी और बहनों को भी मदद लमल जाये जो बेचारी शमफ़ से ना ककसी को बताती हैं ना इलाज करवा सकती हैं। एक दो नहीं हज़ारों बहनों की दआ ु एं लें । (पोशीदह) जवाब: बज़ादहर ऐसा लगता है कक उस बच्ची को सेलां रहम की तक्लीफ़ है और साथ ही ताददया (इन्फ़ेक्शन) भी है। इस सरू तहाल पर तवज्जह करनी चाहये। आप हस्ब ज़ैल तदबीरों पर अमल करें । क़रस अस्फ़रा एक अदद खा कर ऊपर से गुल मंिी सात ग्राम, इसे एक पानी में जोश दे कर छान कर रोज़ाना सब ु ह व शाम दो हफ़्ते पी लेना चादहए। इस के साथ ही दफ़्तर माहनामा अबक़री की उदय ू ात- ठं िी मुराद, सत्तर लशफ़ायें, ख़ून सफ़ा दी गयी तराकीब के साथ कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें । "हक्नॉल" एक ख़ाररश दरू करने वाला अच्छा मरहम है। मक़ामी सफ़ाई के ललए नीम के पत्ते पानी में जोश दे कर छान कर इस्तेमाल करें । (अल्मास बेगम, कराची) जजस्म पर दाने: मेरा मसला ये है कक में कोई चीज़ जेसे कक मुग़ी का गोश्त, बड़ा गोश्त, अंिा या तली हुई चीज़, चावल वग़ैरा नहीं खा सकता, अगर खालाँ ू तो मेरे जजस्म पर सुख़फ़ रं ग के दाने ननकल आते हैं, ज़्यादा तर चेहरा और होंट ख़ुश्क रहते हैं और जजस्म पर ख़ाररश हो जाती है। में ने काफ़ी इलाज कराया है मगर कोई अफ़ाक़ा नहीं होता। (सईद अहमद क़ुरै शी, अहमदपरु लशरक़्या) जवाब: आप आलू बुख़ारा तीन दाने, गुल मंिी तीन ग्राम, सौंफ़ ६ ग्राम। इन तीनों को एक चगलास पानी में जोश दें , किर छान लें, सुबह ननहार मुंह दो तीन हफ़्ते ये ननबाती दवा पी लें इस से बहुत फ़ायदा होगा। इस के साथ दफ़्तर माहनामा अबक़री की "ख़न ू सफ़ा और ठं िी मरु ाद" कुछ अरसा मस् ु तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें । इंशाअल्लाह बहुत जल्द फ़ायदा नज़र आएगा। (दहना क़ाज़ी,लाहौर) शादी का मसला: मोहतरम क़ाररईन! मेरा मसला शादी का है, मेरी उम्र गज़ ु ती चली जा रही है मगर कहीं ररश्ता तय नहीं होता, लोग आते हैं दे खते हैं, पसंद करते हैं और बाद में जा कर इनकार कर दे ते हैं। मेरी Page 27 of 48
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वाललदा और मेरे ददन रात अजज़य्यत में गुज़र रहे हैं। बरादह मेहेरबानी कोई वज़ीफ़ा इनायत फ़माफ़एाँ। शकु क्रया! (म,फ़,गुजरात) जवाब: सूरह आल इमरान की पहली तीन आयात ३१३ बार सुबह व शाम अवल व आख़ख़र सात बार दरूद शरीफ़ के साथ पढ़ें । कुछ अरसा ध्यान।, तवज्जह से पढ़ें , आप का मसला हल हो जायेगा। (बबलाल,क़ुएटा) बे औलादी: मोहतरम क़ाररईन! मेरी शादी को ९ साल हो चुके हैं मगर मैं औलाद जेसी नेमत से महरूम हूाँ। बहुत रूहानी व जजस्मानी इलाज करवाये मगर कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही। बरादह मेहेरबानी कोई अमल इनायत फ़माफ़एाँ। (एक दख ु ी बेहेन) जवाब: अच्छी बेहेन! आप अनार के ताज़ह िूल पांच तोला ले कर उन पर मुकम्मल बबजस्मल्लाह एक बार, दरूद इब्राहीमी एक बार, अल्लाहु शाफ़ी एक बार, या सलामु सात बार, सूरह फ़ानतहा एक बार, आयत-अल-कुसी एक बार दम कर के एक पाव पानी मैं ये दम ककये हुए िूल रगड़ कर ज़रा सा मीठा कर के पी लें, वक़्त की पाबंदी नहीं। इसी तरह दो मतफ़बा पीएं। ज़रूर ज़रूर ईस पर अमल करें । अल्लाह जल्ल शानुहू आप को और आप जेसी हज़ारों इफ़्फ़त माब बहनों को इस पर अमल के तुफ़ैल औलाद जेसी नेमत अज़्मा अता फ़माफ़एाँगे। (मोहम्मद आररफ़, एबट आबाद) ख़ुदकुशी नहीं करना चाहता: मोहतरम क़ाररईन! जब से बाललग़ हुआ हूाँ, अपने हाथों से अपने आप को तबाह कर रहा हूाँ, अब हालत ये है बबल्कुल ख़त्म हो चूका हूाँ, ये लसफ़फ़ मेरा मसला नहीं मेरे जैसे हज़ारों नोजवानों का मसला है , जवाब दे कर दआ ु एं समेटें। बरादह मेहेरबानी मैं ख़ुदकुशी नहीं करना चाहता। (अ,र-टूबा टे क लसंघ) जवाब: अपनी क़ुव्वत इरादी को बर सर अमल करें । अगर तंदरु ु स्ती के साथ जज़ंदा रहना है तो अपनी क़ुव्वतों की दहफ़ाज़त करें वनाफ़ सारी जज़न्दगी लोि शेडिंग होती रहे गी, ख़ुद पर क़ाबू पा कर इस आदत से ननजात हालसल कर सकते हैं। तन्हाई की जज़न्दगी से बचचए, अच्छे मशाग़ल अपनाइये , पांच वक़्त नमाज़ मजस्जद में बाजमाअत अदा कीजजये, ख़ुद को सेहत मंद तफ़रीहात में मसरूफ़ रख़खये ता कक इस तरफ़ ध्यान ना जाये। इन सब के साथ दवा के तौर पर दफ़्तर माहनामा अबक़री की दवाई नोजवान लशफ़ा कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें ।
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माहनामा अबक़री माचफ़ 2015 शम ु ारा नंबर 105____________________Page 15
िआ ु की बरकत! ला इलाज मरीज़ा दििों में ठीक: कुछ अरसे के बाद उनको फ़ोन ककया तो उन्हों ने कहा कक लड़की के पेट में अचानक एक ददन शदीद ददफ़ हुआ तो हम उसको ले कर अस्पताल गए, िॉक्टरों ने चेक ककया तो उन्हों ने कहा कक इस को अपें डिक्स का ददफ़ है , उन्हों ने उसका अपें डिक्स का ऑपरे शन कर ददया, क्योंकक वो ददफ़ की वजह से तड़प रही थी मोहम्मद रफ़ीक़, लाहौर मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! एक दआ ु का सच्चा वाक़्या जो मेरी एक ररश्तेदार ख़ातन ू के साथ पेश आया, ललख रहा हूाँ। इस अमल से उसको फ़ैज़ लमला और वो अल्लाह तआला के फ़ज़्ल व करम से सेहत्याब हुई। एक मतफ़बा मैं फ़ैसलआबाद गया तो बताया गया कक आप की भतीजी को कैं सर हो गया है, िॉक्टरों ने बताया है कक इसका जजगर ख़त्म हो गया और पेट की अजन्तडड़यां गल गयी हैं। ये थोड़े अरसे की मेहमान है , इस का मुकम्मल इलाज ना ककया गया तो ये बबल्कुल ख़त्म हो जायेगी। इलाज का ख़चाफ़ भी ज़्यादा आएगा, शायद थोड़े अरसे के ललए जज़ंदा रह सके, उसका चेहरा सज ू गया, टांगें मोटी हो गयी थीं, चल्ने किरने से क़ालसर थी, ककसी के सहारे बाथ रूम तक जाती, खाना पीना ना होने के बराबर था। मेने उनको और उनके तमाम घरवालों को कहा जज़न्दगी और मौत तो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के हाथ में है। मेने उनको अफ़हलसब्तुम और अज़ान वाला अमल बताया, इस का तरीक़ा भी बताया और कहा इस अमल को अल्लाह तआला पर भरोसा करते हुए करें और उस करीम रब से चगड़चगड़ा कर दआ ु करें और बेहतरी की उम्मीद रखें । किर मैं घर वापस आ गया। कुछ अरसे के बाद उनको फ़ोन ककया तो उन्हों ने कहा कक लड़की के पेट में अचानक एक ददन शदीद ददफ़ हुआ तो हम उसको ले कर अस्पताल गए िॉक्टरों ने चेक ककया तो उन्हों ने कहा कक इसको अपें डिक्स का ददफ़ है , उन्हों ने इसका अपें डिक्स का ऑपरे शन कर ददया, मेने उनसे एक मतफ़बा किर कहा कक आप अल्लाह करीम से एतमाद, यक़ीन और भरोसे से दआ ु करें इंशाअल्लाह अल्लाह करम ज़रूर करे गा और साथ अज़ान और अफ़हलसब्तुम वाला अमल भी जारी रखें । Page 29 of 48
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िॉक्टरों ने उसे थोड़े ददन अस्पताल में रख कर छुट्टी दे दी, दवाई वग़ैरा खाती रही और साथ ये भी कहा कक थोड़े अरसे बाद चेक अप ज़रूर करवाएं। अफ़हलसब्तुम और अज़ान वाला अमल भी करते रहे । तक़रीबं एक माह बाद दब ु ारह अस्पताल में चेक अप के ललए गए तो िॉक्टरों ने एक्स रे वग़ैरा ककये तो िॉक्टसफ़ हैरान रह गए कक इसका जजगर जो ख़राब और अजन्तडड़यां गल जाने की वजह से अंदरूनी ननज़ाम काम नहीं कर रहा था वो आदहस्ता आदहस्ता ठीक हो रहा है, उन िॉक्टरों को जब दआ ु , अफ़हलसब्तुम और अज़ान के अमल का बताया गया तो उन के अल्फ़ाज़ थे वाक़ई अल्लाह तआला के कलाम और दआ ु में बहुत बरकत है। अब वो लड़की पहले से बहुत बेहतर है। बग़ैर ककसी सहारे के चल किर रही है। खाना भी खा रही है और आपको बहुत दआ ु एं दे रही है। अज़ान और अफ़हलसब्तम ु का अमल दजफ़ ज़ैल है:सूरह मोलमनून (प १८) की आख़री चार आयात सात मतफ़बा और अज़ान सात मतफ़बा पढ़ कर दायें कान का तसव्वरु कर के दाएं कंधे पर और बाएं कान का तसव्वरु कर के बाएं कंधे पर, मरीज़ ख़द ु भी कर सकता है अगर मरीज़ सामने नहीं है तो तसव्वुर में सारा घर या जजतने ज़्यादा अफ़राद करें गे फ़ायदा उतना ही ज़्यादा होगा। ये अमल हर घंटे, हर नमाज़ और सुबह व शाम भी कर सकते हैं। नोट: ख़्वातीन अय्याम के ददनों में अफ़हलसब्तुम का अमल ना करें बजल्क उनकी तरफ़ से कोई दस ू रा अमल करे ता कक अमल में कमी ना हो अलबत्ता अज़ान का अमल कर सकती हैं। इंशाअल्लाह पहले ददन अमल से ही फ़रक़ महसूस होगा।
रवादारी और बदाफ़श्त: रवादारी कोई अन्फ़आली रवय्या नहीं, वो ऐन हक़ीक़त पसंदी है। इस का मतलब ये नहीं कक आदमी के ललए ज़्यादा बेहतर चॉइस लेने का मौक़ा था। मौलाना वहीदद्द ु ीन ख़ान जब भी ज़्यादा लोग साथ लमल कर जज़न्दगी गज़ ु ारें गे तो उनके दरम्यान लशकायत और इख़्तलाफ़ के वाक़्यात भी ज़रूर पैदा होंगे। ऐसा एक घर के अंदर होगा। समाज के अंदर होगा, पूरे मुल्क में होगा और इसी तरह बैनुल-अक़्वामी जज़न्दगी में भी होगा। इंसान ख़्वाह जजस सतह पर भी एक दस ू रे से लमलें और तालुक़ात क़ाइम करें उन के दरम्यान नाख़ुशगवार वाक़्यात का पेश आना बबल्कुल लाज़्मी है। Page 30 of 48
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ऐसी हालत में क्या ककया जाये"रवादारी, बदाफ़श्त" इसी सवाल का जवाब है। ऐसी हालत में एक शख़्स दस ु रे के साथ और एक ग्रोह दस ु रे ग्रोह के साथ रवादारी और बदाफ़श्त का मामला करे । लमल जुल कर जज़न्दगी गज़ ु ारने और लमल जल ु कर तरक़्क़ी करने की यही वादहद क़ाबबल अमल सरू त है। इसी जस्पररट के बग़ैर इंसानी तम्दन की तामीर और उसकी तरक़्क़ी मुजम्कन नहीं। रवादारी कोई अन्फ़आली रवय्या नहीं, वो ऐन हक़ीक़त पसंदी है। इस का मतलब ये नहीं कक आदमी के ललए ज़्यादा बेहतर चॉइस लेने का मौक़ा था और उस ने पस्त दहम्मती की बबना पर एक कम्तर चॉइस को इख़्तयार कर ललया। हक़ीक़त ये है कक मोजद ू ह दन्ु या में इस के लसवा कोई और चॉइस हमारे ललए मजु म्कन ही नहीं। रवादारी, बदाफ़श्त हमारी एक अमल ज़रूरत है ना कक ककसी कक़स्म की इख़्लाक़ी कमज़ोरी। अक्सर ऐसा होता है कक आदमी एक सूरतहाल को अपने ललए नाख़ुशगवार पा कर उस से लड़ने लगता है और बबलआख़ख़र तबाही से दो चार होता है। ऐसा क्यूाँ होता है इस की वजह ये है कक आदमी ने अपनी कोताह नज़री की बबना पर ये समझा कक उस के ललए इंनतख़ाब ख़ुशगवार और नाख़ुशगवार के दरम्यान है। वो नाख़ुशगवार से लड़ गया ता कक ख़श ु गवार को हालसल कर सके।
माहनामा अबक़री माचफ़2015 शम ु ारा नंबर 105______________________________________Page 16
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ज़ैतूि और इस्पग़ोल एक बार ज़रूर आज़माएीं: क़ाररईि! आप के सलए क़ीमती मोती चुि कर लाता हूाँ और छुपाता िहीीं, आप भी सख़ी बिें और ज़रूर सलखें ।(एडिटर हकीम मोहम्मि ताररक़ महमूि चुग़ताई)
इंसान की जज़न्दगी मस ु ल्सल तजब ु ाफ़त और मश ु ादहदात का मजमआ ू है मौत तक इंसान तजब ु ाफ़त ही तो करता रहता है। जजन हजस्तयों की में ने चार ददन जूतीयां सीधी करने की कोलशश की उन्हों ने एक सबक़ मुझे यही ददया कक सारी जज़न्दगी सीखते रहना और सीखने में कभी शमफ़ आर या उज़ुर महसूस ना करना। में क़ाररईन से अक्सर कहता हूाँ कक अपने मुशादहदात व तजुबाफ़त मुझे ललखें और ज़रूर ललखें और क़ाररईन ललखते हैं और उनका ललखना मुशादहदात और तजुबाफ़त को मज़ीद बढ़ा दे ता है किर अपने और लोगों के मश ु ादहदात में अपने मन् ु तजज़र लाखों से ज़्यादा क़ाररईन तक पोहंचाता हूाँ और एक तसल्ली होती है कक में मख़लूक़ ख़ुदा के ललए कााँटों में से मोती चुनता हूाँ। कााँटों से इस ललए ललखा कक जजस के पास कोई एक फ़ामल ूफ़ ा तजुबाफ़ या नुस्ख़ा हो वो शायद अपने गुनाहों की तरह छुपाता है , हााँ कोई ख़ुश कक़स्मत ऐसा होगा जो बताता होगा इस दन्ु या में वाक़ई ख़ुश कक़स्मत अब भी हैं लेककन बहुत कम---! कुछ यही सूरतहाल मेरे साथ गुज़री, मेने एक अल्लाह वाले को मुसल्सल इख़लाक़ का दसफ़ दे ते सुना। में हैरान हुआ जब तहक़ीक़ की तो पता चला उन्हें मुसल्सल लोगों की बद इख़्लाक़ी का सामना करना पड़ा और बद इख़्लाक़ी ने हमेशा दो रं ग ददखाए हैं या तो वो बन्दे को ख़ुद बहुत बड़ा बद इख़लाक़ बना दे ती है या किर बहुत बड़ा बा इख़लाक़--- कुछ यही हाल मेरे साथ भी हुआ--- में ने हमेशा बख़ील और तंग ददल लोगों से मल ु ाक़ातें की हैं लेककन किर वही बात सब एक तरह के नहीं होते। उन बख़ीलों ने मझ ु े इस बात पर मजबूर ककया कक में ने अपनी जज़न्दगी के मुशादहदात व तजुबाफ़त लोगों को ज़रूर बताने हैं और जब मख़लूक़ ख़ुदा मेरे तजुबाफ़त से फ़ायदा उठा कर इन तजुबाफ़त को मज़ीद अपने मुशादहदात के साथ बताते या ललखते हैं तो मेरी ख़ुशी की इन्तहा नहीं रहती और सोचता हूाँ कक क्या में भी इस क़ाबबल था कक मख़लूक़ ख़द ु ा को फ़ैज़ पोहंचा सकता या मख़लक़ ू ख़द ु ा मेरे ज़ररये से मजु श्कलात से ननकल सकती। आज जो चीज़ में आप को बताने लगा हूाँ पहले इस का वाक़ीया पढ़ लीजजये।
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एक साहब मेरे पास आये वो एक क़तर की बहुत बड़ी तैल ननकालने वाली कम्पनी के साथ काम करते हैं। कहने लगे आप का दसफ़ सुनता हूाँ बहुत फ़ायदा होता है। कुछ तोहफ़े में आप की ख़ख़दमत में दे ना चाहता हूाँ, आख़ख़र आप नहीं छुपाते तो में क्याँू छुपाऊाँ। मेरी कम्पनी में अाँगरे ज़ काम करते हैं वो कभी भी दवाइयााँ एंटी बायोदटक नहीं खाते बजल्क उन्हें लफ़्ज़ एंटी बायोदटक से चचड़ है। एक बार में ने उन के सामने एंटी बायोदटक िॉक्टरी दवाई खायी तो वो हैरान हो गए कक इतनी सी बीमारी पर तुम ने इतनी हाई पोटें सी एंटी बायोदटक खायी। कहने लगे आईन्दाह कोई तकलीफ़ हो तो हमें बताना हम तुम्हें एक तोहफ़ा दें गे। क़ुदरु ती तौर पर मझ ु े मेदे की तकलीफ़ हुई, कभी क़ब्ज़, क़ब्ज़ी मोशन, खट्टे िकार, तरह तरह के ज़ेहन में वस्वसे, ख़्यालात, गैस तबख़ीर की कैकफ़यत, वस्वसों की कैकफ़यत, बहुत ज़्यादा बढ़ गयी। पहले तो मेने बदाफ़श्त ककया किर मेने एक गोरे से बात की जो मेरे इंजीननयररंग डिपाटफ़ मेंट का हे ि था। मुझे फ़ौरन अपने कमरे में ले गया जो कक एक कंटे नर में था वहां दो बोतलें रखी थीं उन बोतलों को उठाया ग़ोर से पढ़ा एक में से इस्पग़ोल का नछलका ननकला और दस ु रे में ज़ैतून का तैल, एक छोटी सी प्याली ली, एक चम्मच बड़ा ज़ैतन ू का तैल िाला उस में दो चम्मच इस्पग़ोल के नछलके के िाले, लमक्स कर के कहने लगे इसे आधा आधा चम्मच बैठ कर अभी खा लो में ने खा ललया, ज़ायक़ा बहुत अच्छा था। कहने लगे इस तरह ददन में चाहे तीन मतफ़बा कर लो चाहो चार मतफ़बा कर लो, पांच मतफ़बा कर लो बस यही इस्तेमाल करो। वाक़ई! तीन ख़ोराकों ने मुझे इतना कुछ ददया कक में ख़ुद हैरान हो गया सेहत, लशफ़ा, तबीअत बबलकुल मेरी ननहायत तसल्ली बख़्श हो गयी। इस के बाद जब भी मझ ु े यही तकलीफ़ पोहंची मेने फ़ौरन यही नछलका इस्पग़ोल और ज़ैतन ू का नस् ु ख़ा आज़माया और किर तो मेने लोगों को बताना शरू ु कर ददया और वाक़ई लोगों को बहुत फ़ायदा हुआ क्योंकक मझ ु े फ़ायदा हुआ था और मझ ु े इस पर एतमाद था। एक मरीज़ मझ ु े लमला जजस का कोलेस्ट्रोल लेवल और ख़ून में मज़ीद ऐसे ख़तरनाक कक़स्म के केलमकल शालमल हुए थे जजन को लेबोदट्रफ़ यां तरह तरह के नाम और तरह तरह के टे स्टों से चेक कर चुकी थीं मुसल्सल दवाइयााँ खा रहे थे। उनका ब्लि प्रेशर हाई था, टें शन बहुत ज़्यादा थी, कभी नींद की गोली खाते और कभी शग ु र की और कभी ब्लि प्रेशर की, मेने अज़फ़ ककया आप चाहें तो कफ़ल्हाल कोई िॉक्टरी दवाई ना छोड़ें। आप लसफ़फ़ एक चम्मच ज़ैतन ू का और दो चम्मच इस्पग़ोल नछलका इस्तेमाल करना सरू ु कर दें और कुछ अरसा चंद ददन, चंद हफ़्ते इस्तेमाल करें आप को वो ररज़ल्ट लमलेगा जो शायद आपने कभी सोचा भी ना होगा। चंद हफ़्तों के बाद मुझे लमले कहने लगे सोलह (१६) गोललयां रोज़ाना मेरी ख़ोराक थीं, ये कम से कम है। अगर आप कहें तो में आप को ददखा सकता हूाँ और किर उन सब के जब्लस्टर मुझे ददखाए। कहने लगे अब लसफ़फ़ Page 33 of 48
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दो गोललयां बाक़ी रह गयी हैं और ये भी चंद ददनों में एतमाद और यक़ीन है सौ फ़ीसद छूट जाएाँ गी। मुझे बहुत बेहतरीन नींद आती है , मैदा, जजगर, पट्ठे और आसाब मेरे बेहतर हुए हैं।
वुसअत ररज़्क़ और कुशाइश ् के सलए सूरह मुज़जम्मल का शान्िार अमल: जजस औरत के बच्चे अक्सर मर जाते हों तो वो सात मतफ़बा सूरह मुज़जम्मल पढ़ कर सुपारी (छाललया साबुत) पर दम करे और उस में सुराख़ कर के बच्चे के गले में िाल दे , इंशाअल्लाह बच्चा उम्र दराज़ होगा। ददफ़ ज़ह वाली औरत को ग्यारह मतफ़बा शक्कर पर पढ़ कर दम कर के ख़खलाएं। बशीर अहमद राना, इस्लामआबाद सूरह मुज़जम्मल मुबारक क़ुरआन पाक की ७३वीं सूरह है, इस सूरह मुबारक में बीस आयात हैं। हुज़ूर नबी करीम ﷺका इरशाद ग्रामी है कक जो कोई इस सूरह को मुसीबत की हालत मैं पढ़े गा अल्लाह जल्ल शानुहु उसकी मुसीबत को दरू फ़माफ़ दे गा। दीदार नब्वी ﷺ: जो कोई सूरह मुज़जम्मल का हमेशा पवदफ़ रखेगा वो ख़्वाब में हुज़ूर पाक ﷺ
के
दीदार से मुशरफ़फ़ होगा। मजु श्कल आसां: जो कोई सरू ह मज़ ु जम्मल मब ु ारक को पढ़े गा अल्लाह तआला उसे दन्ु या व आख़ख़रत में ख़ुश रखेगा, उसका अफ़्लास दरू होगा और जजस मुजश्कल के ललए पढ़ी जायेगी वो मुजश्कल आसां होगी। कुशाइश ् ररज़्क़: जो कोई इस सरू ह को सात मतफ़बा रोज़ाना पढ़े गा उसके ररज़्क़ में अल्लाह तआला कुशाइश ् फ़माफ़ दें गे। हर मसला हल: अगर कोई मसला हल ना हो रहा हो तो चालीस रोज़ बबला नाग़ा ख़ख़ल्वत में चालीस मतफ़बा पढ़ें ।
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ररज़्क़ में बरकत: एक ररवायत के मुताबबक़ जो कोई एक साल तक बाद नमाज़ फ़ज्र रोज़ाना ग्यारह मतफ़बा पढ़ा करे उसके ररज़्क़ में बरकत होगी और कभी ग़रीब व मोहताज ना होगा। हादसात व ख़रात दरू : रोज़ाना पढ़ने वाले की अल्लाह तआला दीनी व दन ु यावी मुजश्कलात, आने वाले हादसात व ख़रात को दरू कर दें गे। हाककम मेहरबान: अगर सूरह मुज़जम्मल को पढ़ कर हाककम के सामने पेश हों तो हाककम मेहरबान होगा। मुजरफ़ब अमल: हर रोज़ बाद अज़ नमाज़ इशा ग्यारह मतफ़बा सूरह मुज़जम्मल बक़ाइदगी से पढ़ना फ़राग़त दीनी व दन ु ेवी के ललए मुजरफ़ब है। वस ु अत ररज़्क़ और कुशाइश ् के ललए: एक चचल्ला तक हर रोज़ वक़्त मई ु न पर पहले ग्यारह मतफ़बा दरूद اसूरह मुज़जम्मल ग्यारह मतफ़बा और आख़ख़र में दरूद शरीफ़ ُ ِ )ّی ُم ْغ शरीफ़, किर ११११ मतफ़बा या मुजग़्नयु (ن ग्यारह मतफ़बा पढ़ें । वुसअत ररज़्क़ के ललए : वुसअत ररज़्क़ के ललए बहुत मुजरफ़ब अमल है जो कोई ये अमल करे गा इंशाअल्लाह महरूम नहीं रहे गा। हज़रत शाह वललय्यल् ु लाह मह ु दद्दस दे हेल्वी رحمت ہللا علیہने इस अमल में सूरह मुज़जम्मल चालीस बार पढ़ने का भी फ़माफ़या है और अगर ना हो सके तो किर ग्यारह मतफ़बा पढ़े । (ये अमल इशा की सुन्नत और पवतर के दरम्यान करे ।) फ़राख़ी ररज़्क़: सूरह मुज़जम्मल बराए फ़राख़ी ररज़्क़ व कुशाइश ् का एक तरीक़ा बअज़ मशाइख़ ् से इस तरह भी मरवी है कक इशा के बाद दो रकअतों में इक्तालीस मतफ़बा पढ़ें , इस तरह कक रकअत अवल में बाद अज़ फ़ानतहा इक्कीस बार और रकअत दोम में बाद फ़ानतहा बीस बार सूरह मुज़जम्मल पढ़ें । एक तरीक़ा ये भी है कक फ़ज्र की सुन्नत व फ़ज़फ़ के दरम्यान एक बार और बाक़ी तमाम नमाज़ों (फ़ज्र समेत) के बाद दो दो बार इस तरह ग्यारह बार पूरे ददन में हो जायेगी। लशफ़ायाबी के ललए: अगर रोज़ाना बा वज़ू ग्यारह मतफ़बा सूरह मुज़जम्मल पढ़ कर बीमार पर दम करते रहें तो इंशाअल्लाह बीमार को लशफ़ा हालसल होती है।
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बच्चा उम्र दराज़ होगा: जजस औरत के बच्चे अक्सर मर जाते हों तो वो सात मतफ़बा सूरह मुज़जम्मल पढ़ कर सुपारी (छाललया साबुत) पर दम करे और उस में सुराख़ कर के बच्चे के गले में िाल दे , इंशाअल्लाह बच्चा उम्र दराज़ होगा। बख़ैररअत पवलादत: ददफ़ ज़ह वाली औरत को ग्यारह मतफ़बा शक्कर पर पढ़ कर दम कर के ख़खलाएं, इंशाअल्लाह बख़ैररअत फ़ौरन बच्चे की पवलादत हो जायेगी। लमयां बीवी में उल्फ़त के ललए: अगर लमयां बीवी में बाहम इख़्तलाफ़ हो तो सूरह मुज़जम्मल इक्कीस बार पढ़ कर ककसी चीज़ पर दम कर के ख़खला दें इंशाअल्लाह दोनों में बाहम उल्फ़त पैदा हो जायेगी। मुजश्कलात के हल के ललए: एक तरीक़ा सूरह मुज़जम्मल के पढ़ने का ये भी है कक बाद नमाज़ फ़ज्र ६ बार, बाद नमाज़ ज़ुहर सात बार, बाद नमाज़ असर आठ बार, बाद नमाज़ मग़ररब नो बार, बाद नमाज़ इशा ग्यारह बार सरू ह मज़ ु जम्मल पढ़ें । इंशाअल्लाह हर मजु श्कल आसान होगी। मुसीबत से अम्न: अगर अवल व आख़ख़र दरूद शरीफ़ तीन बार और दरम्यान में इक्तालीस बार रोज़ाना सूरह मुज़जम्मल पढ़ा करें तो अल्लाह तआला दौलत से मालामाल फ़माफ़ दें गे और मुसीबत से अम्न में रहे गा। कुशाइश ् ररज़्क़: एक बुज़ुगफ़ ने ललखा है कक इक्तालीस ददन तक इक्कीस बार और किर जज़न्दगी भर के ललए ग्यारह मतफ़बा का मामल ू बना लें आग़ाज़ नो चंदी जम ु ेरात से करें , चग़ना, तवंगरी और कुशाइश ् ररज़्क़ के ललए ननहायत मुजरफ़ब है।
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अजाइबात आलम: अब उस बािशाह िे आप ﷺके पैग़ाम के बारे में पछ ू िा शरू ु फ़कया, यानि आप लोगों से क्या कुछ फ़मासते हैं। Page 36 of 48
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हज़रत हकीम बबन हज़्ज़ाम ریض اہلل ہنعएक नतजारती क़ाफ़्ले के साथ शाम गए, उस वक़्त आप ने इस्लाम क़ुबूल नहीं ककया था, अल्बत्त हुज़ूर नबी करीम ﷺअपनी नुबुव्वत का एलान फ़माफ़ चुके थे और इस्लाम की तब्लीग़ शरू ु फ़माफ़ चक ु े थे, ये क़ाफ़्ले में शालमल थे कक वहां के रूमी बादशाह ने उन लोगों को बल ु ाया जब ये बादशाह के सामने पोहंचे तो उस ने कहा "तुम लोग अरब के ककस क़बीले से हो और जजस शख़्स ने नुबुव्वत का दावा ककया है उस से तुम्हारा क्या तअल्लक़ ु है? हज़रत हकीम बबन हज़्ज़ाम ریض اہلل ہنعने ऐसे बताया " मेरा पांचवीं पुश्त पर जा कर उन से नसब लमल जाता है" इस पर बादशाह ने कहा " मैं जो कुछ पूछूाँ क्या तुम ठीक ठीक उसका जवाब दोगे? उस क़ाफ़्ले वालों ने एक ज़बान हो कर कहा: हााँ ठीक ठीक जवाब दें गे। अब उस ने पछ ु ा: क्या तम ु उन लोगों में से हो जजन्हों ने उस के दीन को क़ुबल ू ककया है या उन में से हो जजन्हों ने उन्हें झट ु लाया है, उन लोगों ने बादशाह को जवाब ददया कक हम उन लोगों में से हैं जजन्हों ने उन्हें झुटलाया है और उन के दश्ु मन बन गए हैं। अब उस बादशाह ने आप ﷺके पैग़ाम के बारे में पूछना शरू ु ककया, यानन आप लोगों से क्या कुछ फ़माफ़ते हैं। ये हज़रात आप ﷺके पैग़ाम की तफ़सीलात बताते रहे । ये तफ़सीलात सुन कर वो उठ कर खड़ा होगया और कहने लगा " आओ मेरे साथ" ये हज़रात उस के पीछे चल पड़े वो उन्हें अपने महल के एक दहस्से में लाया। अब उसने ख़ाददम को हुक्म ददया " इस इमारत को खोलो" उसने ताला खोला तो वो अपने साथ ललए अंदर दाख़ख़ल हुआ, उस कमरे में कोई बड़ी सी चीज़ थी, उस पर कपड़ा ढााँपा गया था। वो एक इंसानी तस्वीर थी। उस ने उन लोगों से पूछा: क्या तुम जानते हो? ये ककस की तस्वीर है ? उन्हों ने तस्वीर को ग़ोर से दे खने के बाद इनकार में सर दहलाया और कहा "नहीं" हम नहीं जानते, अब उसने कहा "ये आदम علیہ السالمकी तस्वीर है " अब वो उसी कमरे में बने दस ु रे दरवाज़े से होता हुआ एक कमरे में दाख़ख़ल हुआ। वहां भी एक तस्वीर थी, उस पर भी कपड़ा था, वो इस तरह उन हज़रात को अंबबया علیہ السالمकी तसावीर ददखाता चला गया? ये हज़रात हर तस्वीर के बारे में कहते रहे हम नहीं पहचानते और वो बताता रहा कक ये तस्वीर ककस नबी की है। आख़ख़र में वो एक दरवाज़ा खोल कर एक कमरे में दाख़ख़ल हुआ। यहााँ भी एक तस्वीर पर कपड़ा ओढ़ा गया था। उसने कपड़ा हटाया और पूछा " क्या तुम इस तस्वीर को पहचानते हो?" उसने फ़ौरन कहा: हााँ! ये हमारे साथी मुहम्मद बबन अब्दल् ु लाह ( )ﷺकी है जजन्हों ने नुबुव्वत का दावा ककया है। जानते हो? ये तस्वीरें ककतना अरसा पहले बनाई गयी हैं? हज़रत हकीम बबन हज़्ज़ाम और उनके साचथयों ने जवाब दीया "नहीं" अब उसने बताया "अब से एक हज़ार साल से भी ज़्यादा अरसा पहले बनाई गयी थीं। तुम्हारा साथी यक़ीनन अल्लाह का भेजा हुआ नबी है " तुम लोग उसकी अताअत और पैरवी करो, मेरी आरज़ू है कक मैं Page 37 of 48
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उनका ग़ल ु ाम बन जाऊं और उन के पैर धो कर पपया करूाँ" अब रूमी बादशाह ने उस के पीछे एक और तस्वीर की तरफ़ इशारा ककया ये ककस की तस्वीर है इसे पहचानते हो? उन हज़रात ने कहा हााँ ये अबूबकर हैं। उस के बाद बादशाह ने एक और तस्वीर ददखाई तो वो हज़रात बोले ये उमर बबन ख़त्ताब की तस्वीर है, ये सुनते ही रूमी बादशाह पुकार उठा, मैं गवाही दे ता हूाँ कक ये अल्लाह के रसूल हैं और ये अबूबकर उन के बाद ख़लीफ़ा होंगे और उमर बबन ख़त्ताब उन के बाद ख़लीफ़ा होंगे। (बहवाला: सीरत हजल्बया, उदफ़ ू तजम ुफ़ ा: मौलाना मोहम्मद असलम क़ास्मी, जजल्द अवल, बाब१८, लसफ़ह५८३) (नज्मा आलमर, गज ु रांवाला)
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बहुत पुरानी बवासीर थी मुझे भी और मेरी वाललदा को भी जब मुझे फ़ायदा हुआ तो मेने वाललदा को भी इस्तेमाल करवाया और वाललदा ने भी इस्तेमाल करने के बाद बहुत तारीफ़ की। मेरी बीवी को मोटापा था, पेट बढ़ा हुआ था और हर वक़्त जोड़ों पट्ठों का ददफ़, सांस बहुत िूलता था और तबीअत उनकी बे चैन रहती थी हालााँकक बहुत सब्र और हौसले वाली हैं, अब उनका सब्र हौसला ख़त्म, ग़स् ु सा अपने उरूज पर था मेने उन्हें यही नस् ु ख़ा इस्तेमाल कराया और परु ानी बवासीर ख़त्म और बीवी की ये तकालीफ़ ख़त्म। मझ ु े बहुत तसल्ली हुई जहााँ मेरी अपनी बीमाररयां जो मेने आपको बताई हैं वो ख़त्म हुईं वहां मेरा घर भी अल्लाह के फ़ज़ल से बहुत ज़्यादा सेहत्याब हो गया। क़ाररईन! ये मुख़्तलसर सा टोटका जो हर शहर हर मुल्क हर घर में बा आसानी दस्तयाब है और हो सकता है और कहीं ना मुमककन नहीं। ख़वातीन का पुराना लीकोररया, मोटापा, पेट का बढ़ना, गैस, तबख़ीर, ब्लि प्रेशर के ललए बहुत लाजवाब चीज़ है , मैदे का ननज़ाम या ऐसे लोग जजन को शग ु र ने इतना सताया कक जजस्म अब ककसी क़ाबबल नहीं रहा। में ने उन्हें बहुत ज़्यादा इस्तेमाल कराया और अल्लाह का फ़ज़ल कक मुझे आज तक कोई ऐसा नहीं लमला कक जजस को फ़ायदा ना हुआ हो। हत्ता कक पुरानी क़ब्ज़ और पुरानी बवासीर में मुब्तला लोगों ने इस का बहुत ज़्यादा तजुबाफ़ मुझे Page 38 of 48
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ददया है और बहुत दआ ु एं दे ते हैं। आप भी आज़माएं बहुत यक़ीनी और फ़ायदा मंद चीज़ है। यक़ीनन आप को फ़ायदा होगा आप ललखें या कोई और टोटका नुस्ख़ा फ़ामल ूफ़ ा आपने आज़माया हो तो ज़रूर ललखें । आप का फ़ायदा लाखों का फ़ायदा।
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तलबा और असात्ज़ा का इज्तमा: कहती है हमको ख़ल्क़े ख़द ु ा ग़ाइबाना यकुम जन्वरी २०१५ ज़ुहर से ले कर ४ जन्वरी तक तस्बीह ख़ाना लाहौर में इज्तमा हुआ, बेशम ु ार तासुरात में से चंद पदढ़ए। इन तीन ददनों ने जीना लसखा ददया: इन ददनों में हम ने तस्बीह ख़ाना से क्या पाया, इस को लफ़्ज़ों में बयान करना बहुत मुजश्कल होगा लेककन मुख़्तलसरन कक जज़न्दगी का सुकून, ददलों से दस ू रों के ललए नफ़रत ख़त्म, हर वक़्त ददल में अल्लाह का ख़्याल, उस की याद और उस की ही तरफ़ ध्यान होगया। सख़्त तरीन सदी में तस्बीह ख़ाना आये और तस्बीह ख़ाना में आते ही वहां के इन्तेज़ामात दे ख कर ददल ख़ुश हो गया, शदीद सदी में भी बबल्कुल सदी का एहसास ख़त्म, ज़मीनी गरम पानी, चोबीस घंटे बबज्ली की बबला रुकावट फ़राहमी। हज़रत साहब के रोज़ाना तीन दसफ़ जजस ने मेरी जज़न्दगी में इंक़लाब बरपा कर ददया। मुझे अपनी तक्लीफ़ के बजाए दस ू रों की तक्लीफ़ नज़र आना शरू ु हुई, दस ू रों के ललए मााँगना आ गया, हमें लसफ़फ़ पता था कक अल्लाह है, अल्लाह पाक की अज़मत, उनकी शान, उनकी बड़ाई, बुज़ुगी, ग़ज़फ़ ये कक हमारी ख़राश, तराश कर के हमें थोड़ा सा इंसान आप ने लसखाया और बनाया। तस्बीह ख़ाना में की गयी दआ ु ओं से अब अल्लाह पाक ने हमें उम्राह की सआदत बख़्शी है और अनक़रीब उम्राह करने जा रहे हैं। (मोहम्मद लसद्दीक़, लाहौर) जज़न्दगी का असल मक़सद समझ में आ गया: Page 39 of 48
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मोहतरम हकीम साहब! इन तीन ददनों में अल्लाह के साथ तअल्लुक़ को बनाना आ गया, नमाज़ में ध्यान नसीब हुआ, एक नामुजम्कन दन्ु यावी परे शानी थी जो मजु म्कन हो गयी, मेरी घरे लू परे शाननयां, उलझनें काफ़ी हद तक ख़त्म हो गयीं। जज़न्दगी के असल मक़सद को सोच्ने और परू ा करने की तौफ़ीक़ लमली। अब तो ऐसे ऐसे अच्छे ख़्वाब आते हैं कक मैं हैरान होती हूाँ। ये तीन ददन मेरी जज़न्दगी के यादगार तरीन ददन हैं। काश! ये तीन ददन दब ु ारह मेरी जज़न्दगी में आ सकें। (मदीहा इरशाद, लाहौर) तीन ददन, लाज़वाल फ़वाइद: मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मैं तस्बीह ख़ाना में "तलबा व असात्ज़ा के इज्तमा" में शरीक हुई। इतना रूहानी माहोल कक मैं अल्फ़ाज़ में ब्यान नहीं कर सकती। परदे का लाजवाब इंतज़ाम था, शानदार खाना, गरम पानी, आप के दरूस, ररक़्क़त आमेज़ दआ ु एं मैं अल्फ़ाज़ में बयान नहीं कर सकती कक इन तीन ददनों में मुझे क्या क्या हालसल हुआ। मेरे अब्बू के कारोबारी मसाइल थे जो इन तीन ददनों की दआ ु ओं से काफ़ी हद तक हल हो चुके हैं। इंशाअल्लाह आईंदह जब भी इज्तमा हुआ मैं दब ु ारह ज़रूर लशरकत करना चाहूंगी। (ज़-ह) तस्बीह ख़ाना लशफ़ा का ज़रीआ बना: मोहतरम हकीम साहब अस्सलामु अलैकुम! मेरे पाऊाँ में हर वक़्त शदीद ददफ़ रहता था मगर जब में तस्बीह ख़ाना के इज्तमा में लशरकत के ललए आई तो मेरे पाऊाँ का ददफ़ हैरान कुन तौर पर ठीक होगया। मेरी बेदटयां अक्सर बीमार रहती थीं, जब से मैं यहााँ से गयी हूाँ उन्हें दो अन्मोल ख़ज़ाना दम कर दे ती हूाँ तो वो ठीक हो जाते हैं। हमारे घर से बीमाररयां रुख़सत हो गयी हैं, घर में सक ु ू न आ गया है, कारोबारी मजु श्कलात दरू हो रही हैं। अल्लाह आपको शाद व आबाद रखे, तस्बीह ख़ाना सदा दहदायत का ज़ररया बना रहे । (आमीन) (नीलम परी) तमाम हसरतें परू ी: तीन ददन दारुल तौबा में रही, रं ग व नूर की बरसात थी, वजक़्त रुख़्सत आंसू थे कक थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे, आप से लमलते हैं तो बाक़ी वक़्त ये सोचने में गज़ ु र जाता आप हमारे मलु शफ़द हैं तो अल्लाह के हबीब( )ﷺकैसे होंगे? आप के वज़ाइफ़् पढ़ रही हूाँ, बबगड़े काम बन रहे हैं, कारोबारी बंददशें ख़त्म हो रही Page 40 of 48
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हैं, बीमाररयां ख़त्म हो रही हैं, नाकालमयां कामयाबबयों में बदल रही हैं, जाद ू ख़त्म हो रहा है। बस! मेरा रब तस्बीह ख़ाना में आने जाने वालों की, आप की और आप की नस्लों की दहफ़ाज़त फ़माफ़ए। एक टोटका मेरा आज़माया हुआ है जो कक दजफ़ ज़ैल है:कान की तक्लीफ़ के ललए: कान की अंदरूनी तक्लीफ़ के ललए बेहतरीन है काली मयूर ३० और बेलािोना ३०, होमेओपेचथक दवाई है दजफ़ की गयी तरकीब से इस्तेमाल करें । (नस ु रत आरा) घर के मसले हल: तस्बीह ख़ाना के इज्तमा में लशरकत के बाद तो मेरी जज़न्दगी ही बदल गयी, मेरे शौहर मुझे घर का ख़चाफ़ नहीं दे ते थे, तस्बीह ख़ाना से जाने के बाद तो मैं हैरान ही रह गयी मुझे घर का ख़चाफ़ दे ने लगे, उनका लमज़ाज ऐसे बदला कक अब भी हैरत होती है। घर के बहुत से मसाइल हल हुए, बरकत ही बरकत है। जोड़ों के ददफ़ के ललए दवाई खाती थी, तस्बीह ख़ाना में आने के बाद दवाई छूट गयी और अब अल्लाह के फ़ज़्ल से जोड़ों का ददफ़ बबल्कुल ख़त्म हो गया है। (ज़ादहदा परवीन) तस्बीह ख़ाना जन्ननतयों का ट्रे ननंग सेंटर: कुछ माह पहले एक ददन एक अख़बार फ़रोश की दक ु ान से कुछ लेने आया तो अचानक नज़र उसके थैले में पड़े हुए अबक़री मैगज़ीन पर पड़ी, मेने उस से यूाँही मैगज़ीन ख़रीद ललया, पढ़ा। उस के बाद तस्बीह ख़ाना के इज्तमा में शरीक हुआ, वो ददन मेरी जज़न्दगी का टननांग पॉइंट था, इन तीन ददनों ने मेरी जज़न्दगी को एक नई राह पर चला ददया। इन ददनों मेरा कारोबार भी बहुत ही ख़राब चल रहा था जजस की वजह से मैं तस्बीह ख़ाना में आया, अल्हम्दलु लल्लाह! मेरा काम बन गया, मेरा कारोबार पहले से भी ज़्यादा बेहतर हो रहा है। मुझे दन्ु या तो लमल ही गयी साथ में तस्बीह ख़ाना ने मुझे दीन की असल राहों पर िाल ददया, नमाज़ तो पहले भी पढ़ता था मगर अब जैसा सुकून नहीं। सच कहूाँ तो तस्बीह ख़ाना जन्ननतयों का ट्रे ननंग सेंटर है। (म-अ, लाहौर) कारोबारी बंददश ३ ददन में ख़त्म: मोहतरम हकीम साहब! मैं एक टीचर हूाँ और प्राइवेट अकैिेमी चलाता हूाँ, पपछले कुछ अरसे से अकैिेमी में तलबा ना होने के बराबर रह गए, बड़ी मुजश्कल से टीचेरों की फ़ीसें और बबजल्िंग का कराया अदा कर रहा Page 41 of 48
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था, एक ददन परे शां बेठा अपने अल्लाह से बातें कर रहा था कक मेरे मोबाइल पर दफ़्तर अबक़री की तरफ़ से मेसेज आया कक तस्बीह ख़ाना में तलबा व असात्ज़ा का तीन रोज़ह इज्तमा है , मेने फ़ौरन तस्बीह ख़ाना में जाने के इन्तेज़ामात मक ु म्मल ककये और बग़ैर कुछ सोचे समझे यकुम जन्वरी को तस्बीह ख़ाना में पोहंच गया, यहााँ आ कर तीन ददन अल्लाह से रो रो कर दआ ु एं कीं, जब तीन ददन गुज़ार कर वापस गया तो पहले ददन नामुजम्कन बात ये हुई कक २५ बच्चों का इकट्ठा एिलमशन हुआ, अल्हम्दलु लल्लाह अब तक १०० बच्चों का इज़ाफ़ा हो चूका है और तमाम काम ककसी ग़ैबी मदद के साथ ख़ुद ब ख़ुद अंजाम पज़ीर हो रहे हैं। अल्हम्दलु लल्लाह! अल्लाह ने मझ ु पर इन तीन ददनों की बरकत से ररज़्क़ के दरवाज़े खोल ददए हैं। ( रालशद महमद ू , गज ु रात) माहनामा अबक़री माचफ़ 2015 शम ु ारा नंबर
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जजन्िात का पैिाइशी िोस्त (ससजल्सलावार आप बीती फ़क़स्त िींबर ६६) अल्लामा लाहूती पुर इसरारी एक ऐसे शख़्स की आप बीती जो पैदाइश से अब तक ओल्या जजन्नात की सर परस्ती में है , उसके ददन रात जजन्नात के साथ गुज़र रहे हैं, क़ाररईन के ललए सच्चे, हैरत अंगेज़ और ददलचस्प इंकशाफ़ात कक़स्त वार शायअ हो रहे हैं लेककन इस पुर इसरार दन्ु या को समझने के ललए बड़ा हौसला और दहल्म चाहये। सरू ह मज़ ु जम्मल ने कहााँ से कहााँ पोहंचा ददया: सब्ज़ी फ़रोश जजन कहने लगा कक मझ ु े इन बातों से इतनी हैरत हुई और इतनी ख़ुशी हुई कक इस ख़ुशी में मेरे आंसू ननकल गए और कहा कक उनके घर में आज बहुत बरकत है, बहुत ख़ुशहाली है , बहुत रे हमत है और बहुत फ़ज़ल है। उनके घर के अंदर ऐसा फ़ज़ल और करम का मामला है कक में ख़ुद हैरान हूाँ कक सूरह मुज़जम्मल ने उन्हें कहााँ से कहााँ पोहंचा ददया।
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जजन का दस ू रा वाकक़आ: सब्ज़ी फ़रोश जजन ने दस ू रा वाकक़आ ये सुनाया कक एक बार में अपने घर में मौजूद था, अपने काम से फ़ाररग़ था, ककसी ने मेरा दरवाज़ा खटखटाया में बाहर ननकला तो एक बूढ़ा आदमी साथ उस के बदु ढ़या, दो जवान बेटे, एक जवान बेटी और तीन बच्चे और थे। में हैरान हुआ और पुछा ख़ैररयत है? कहने लगे: हम आपसे कुछ लेने आये हैं, वो जजन्नात की फ़ैलमली थी, मेने उन्हें अपने घर बबठाया और उनकी खाने पीने से तवाज़अ की। खाने पीने के बाद कहने लगे असल बात ये है हम दयाफ़ए जमना के पार बूढ़े गााँव में रहते हैं, वहीीँ हमने एक वाकक़या आप के बारे में सुना कक आप सब्ज़ी भी बेचते हैं और लोगों को अल्लाह से लमलाते हैं और तसबीहात बताते हैं, जज़क्र बताते हैं तो उस से लोगों की मजु श्कलें दरू हो जाती हैं। समाअत और बीनाई से महरूम औलाद: दरअसल बात ये है ये मेरे दो बेटे हैं दोनों बेटे बीनाई से महरूम हैं और समाअत इनकी कमज़ोर है , में ने ग़ौर ककया तो उनकी आाँखें तो बबलकुल ठीक थीं लेककन वाक़ई उन्हें नज़र नहीं आ रहा था और कहा बेटी---! इसकी बीनाई तो है लेककन समाअत नहीं है यानी ये सुन नहीं सकती और हमारे आईन्दाह बच्चे भी ऐसे ही पैदा हो रहे हैं। हमें बहुत परे शानी है , हम क्या करें ? ककसी ने आप का पता बताया, ढूंिते ढूंिते हम यहााँ पोहंचे हैं। वाक़ई आप ने खाना ख़खलाया, हम बहुत भूके थे। हमें इस के बारे में कोई वज़ीफ़ा, तस्बीह या जज़क्र हो--- में ने उनसे पुछा कक आप में से कोई ऐसा है जो क़ुरआन पाक पढ़ना जानता है। कहने लगे अल्हम्दलु लल्लाह! हम सब क़ुरआन पाक पढ़ना जानते हैं और दोनों बेटे हाकफ़ज़ क़ुरआन हैं, बेटी ने नाज़रह पढ़ा हुआ है, हमने बेटी को क़ुरआन दहफ़्ज़ इस ललए नही कराया कक अक्सर ख़वातीन दहफ़्ज़ कर के भूल जाती हैं और ये बहुत बड़ा वबाल है। इस ललए हम ख़वातीन को क़ुरआन दहफ़्ज़ कराने के क़ायल नहीं हैं। में ने उनकी बात सुनी तो मेने कहा बस ठीक है काम बन गया। आपको में कुछ दे ता हूाँ और इंशाअल्लाह आप मेरे मश्वरे से चलें में आप को जेसे कहूाँ वेसे ही करें आप को बहुत फ़ायदा होगा, किर मेने उन्हें यही सरू ह मज़ ु जम्मल की तरतीब इकतालीस (४१) बार वाली बता दी और कहा कक अगर आप इस पर थोड़ी सी मेहनत कर लें और तवज्जह कर लें और कुछ अरसा लगातार कर लें बअज़ औक़ात इंसान करना चाहता है , करते करते थोड़े से वक़्त के ललए छोड़ दे ता है अगर आप थोड़ी सी मेहनत करें और कुछ अरसा लगातार इस पर तवज्जह करें तो इंशाअल्लाह आप को इसका बहुत फ़ायदा होगा तो वो कहने लगे कक ठीक है हम इंशाअल्लाह ज़रूर करें गे और यक़ीनन हमें फ़ायदा होगा। Page 43 of 48
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सूरह मुज़जम्मल का वज़ीफ़ा और तवज्जह: बुदढ़या कहने लगी कक मुझे याद है इस से पहले भी हमें सूरह मुज़जम्मल का वज़ीफ़ा बताया गया था, हम ने तवज्जह नहीं की क्योंकक हम और बहुत सारे वज़ाइफ़ कर के थक हार चक ु े हैं, हमने कहा ये वज़ीफ़ा भी शायद ऐसा ही होगा लेककन इंशाअल्लाह आप की बात का हमें एतमाद और यक़ीन है और आप की बात को हम बहुत तवज्जह से ले रहे हैं और इंशाअल्लाह हम इस वज़ीफ़े को करें गे और में ने उन से कहा कक दे खो मुझे ये वज़ीफ़ा कर के किर कुछ अरसे के बाद इत्तला ज़रूर दे नी है। कहने लगे बबल्कुल ठीक है में इत्तला ज़रूर दं ग ू ा।उनके जाने के बाद में इत्तला के इंतज़ार में रहा लेककन अभी तक उनकी इत्तला नहीं आई थी। सब्ज़ी फ़रोश जजन का तीसरा वाकक़आ: इस दौरान एक और वाकक़आ हुआ, सब्ज़ी फ़रोश जजन पहलू बदलते हुए कहने लगा जो तीसरा वाकक़आ अब आप को सुनाने लगा हूाँ वो वाकक़आ ये हुआ कक मेने अपनी बेटी की शादी की हुई है , मेरी बेटी मझ ु े लमलने आई और जब लमलने आई तो उसने बातों बातों में बताया कक उसकी नन्द का शौहर उसको बहुत ज़्यादा तंग करता है , ग़स् ु सेला है, भड़कीले लमज़ाज का है और कुछ गुनाह--- अय्याशी, बुराई की तरफ़ माइल भी है। गन्दी गाललयां दे ता है, वो नन्द बेचारी उसका हर वक़्त लशकवा करती है, बहुत परे शां है और मााँ इस बात को सन ु सुन कर रोती रहती है और वो अक्सर मारता भी रहता है, लड़ता भी है उसको घर से ननकाल दे ता है, कई कई माह वो अब मााँ के घर रहती है, घर में हर वक़्त झगड़े, लड़ाइयां और उसका शौहर अपनी मााँ से भी लड़ता है, वाललद से भी लड़ता है, बेहन भाइयों से भी लड़ता है हर वक़्त कोई ना कोई चीज़ चोरी कर के बेच दे ता है बस जज़न्दगी इन्ही हादसों और परे शाननयों में चल रही है। बबगड़े शौहर को ठीक करने का वज़ीफ़ा: सब्ज़ी फ़रोश जजन कहने लगा मेरी बेटी मझ ु े कहने लगी कक बाबा जान अगर आप के पास कोई वज़ीफ़ा हो तो आप ज़रूर मुझे कोई वज़ीफ़ा दें , में अपनी नन्द को दे दे ती हूाँ, मेने उस से कहा कक दे खो छोटा वज़ीफ़ा दं ग ू ा, छोटी मदद आएगी, बड़ा वज़ीफ़ा दं ग ू ा बड़ी मदद आएगी अगर वो आप की नन्द सूरह मुज़जम्मल वाला अमल कर ले तो उस से मसले बहुत जल्द हल होंगे किर उसे वो तरकीब बता दी। चंद ददन मेरी बेटी घर रही उस के बाद चली गयी और जाने के बाद उस ने जा कर उसको समझा ददया, बात आई गयी हो गयी। सूरह मुज़जम्मल ने हमें रं ग ददया: में अपने काम में लग गया, ६ माह के बाद वो ख़ान्दान किर मेरे पास आया लेककन हैरान कुन बात ये कक जब वो ख़ान्दान पहले आया था तो हाथ बबलकुल ख़ाली थे अब आया Page 44 of 48
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तो बहुत से तोहफ़े और हददये ले कर आया । में उनके तोहफ़ों और हददयों पर हैरान हुआ कक उन के ये तोहफ़े और हददये कैसे हैं? उन्हें घर बबठाया कहने लगे कक बस सूरह मुज़जम्मल ने हमें रं ग ददया, हमारे मसले हल कर ददए, हमारी मजु श्कलात दरू कर दीं, ग़रु बत तंगदस्ती ख़त्म हो गयी और सब से बड़ी बात ये है कक हमारी औलादें सेहत्याब हो गयीं। ९ साल भी पढ़ना पड़ा तो
माहनामा अबक़री माचफ़ 2015 सहमारा नंबर 105______________________________Page 39
पढ़ें गे: हैरत अंगेज़ तौर पर उनकी बेटी के कानों ने सुन्ना शरू ु कर ददया अभी सौ फ़ीसद नहीं सुना और उनके बेटों को कुछ कुछ नज़र आना शरू ु हो गया, कुछ एहसास पैदा हो गया कक आप का वज़ीफ़ा फ़ायदा दे गा । हमें नो माह या नो साल भी पढ़ना पड़ा तो हम पढ़ें गे और किर उन्हों ने अपने बच्चों को मझ ु े ददखाया और में बोला तो उनकी बेटी ने वाक़ई सुना। अभी उसकी समाअत सौ फ़ीसद नहीं थी लेककन जो बबलकुल एक फ़ीसद भी नहीं थी वो हैरत अंगेज़ तौर पर बहुत ज़्यादा बढ़ गयी और तासीर आ गयी। इसी तरह उनके बेटे जो बबलकुल भी नहीं दे ख सकते थे उनकी आाँखों में हल्की हल्की रौशनी आ गयी थी। जो मेहनत करते हैं वो पाते हैं: मुझे उनकी ये बात सुन कर हैरत हुई और बहुत हैरत हुई कक वाकक़अतं ऐसे लोग भी हैं जो मेहनत करते हैं और पाते हैं, मुझे बहुत ख़ुशी हुई, मेने उन्हें किर ख़खलाया पपलाया उनके हददये क़बूल ककये। कुछ ग़ैबी ताक़त है जजस ने शौहर को तब्दील कर ददया: कुछ माह के बाद मेरी बेटी किर मेरे पास आई और वो भी अपनी नन्द के शौहर के बारे में हालात बता रही थी कक कोई ऐसी ताक़त है जजस ने उसको तब्दील ककया और उसके अंदर तब्दीली आई, नेकी आ गयी, कमाने का लमज़ाज आ गया, इख़लाक़ अच्छा हो गया, ज़बान अच्छी हो गयी, घर में झगड़े ख़त्म हो गए, बीमाररयां, तकलीफ़ें ख़त्म हो गयीं, सक ु ूनआ गया, जज़न्दगी में चैन आ गया और हैरत अंगेज़ बात ये कक उनके एक एक लम्हे के अंदर बरकत आ गयी । Page 45 of 48
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अमल क्या है कोई एटम बम या कोई तूफ़ान: अमल क्या है? एटम बम है या तूफ़ान है, समुन्दर की मौजें हैं या आंधी--- आप यक़ीन जाननए! इस अमल के सामने बड़े बड़े जाद ू और जादग ू र नज़र और नज़र लगाने वाले, काला जाद ू हो या घदटया कक़स्म का ऐसा जाद ू जो कुत्ते, बंदर, ख़ख़न्ज़ीर और लोमड़ी की खोपडड़यों पर ककया जाता है। जी हााँ---! मेरे पास ऐसे लोग आये हैं और में ने उन के अपनी रूहानी ताक़तों के ज़ररये खोपडड़यों से जाद ू ननकाले हैं। कुत्ते की खोपड़ी ग़लीज़ जाद ू कैसे करते हैं? अभी पढ़ें : पपछले ददनों एक ग़रीब शख़्स मेरे पास आया, ग़रीब क्या था ककसी छोटे से महकमे का एक चपड़ासी था, बहुत रोया कक जहााँ हाथ िालता हूाँ लमट्टी हो जाता है , ररज़्क़ ख़त्म हो जाता है सेहत बाक़ी नहीं रही, तंदरु ु स्ती, आकफ़यत, घर का सुकून, जज़न्दगी का चैन, पैट भर ननवाला--- एक ख़्वाब बन गया है। बबज्ली का बबल होता है तो पानी नहीं होता, पानी होता है तो गैस नहीं होती, गैस नहीं होती तो लकडड़यााँ कहााँ से लाऊाँ---? बच्चों के कपड़े, स्कूल की फ़ीस, उनके भारी बैग और उन में भरने के ललए ककताबें में कहााँ से लाऊाँ--- मेरे बस से बाहर हो गया। में ने फ़ौरन जजन्नात को हाजज़र ककया और इस केस को उनके सामने रक्खा, उन में एक बड़ा जजन जो बबल्कुल सख़ ु फ़ रं ग का था। मेने अपने तौर पर उस जजन का नाम लाल जजन रक्खा हुआ है। वो लाल जजन मुझे कहने लगा कक आक़ा आप मुझे इस की ख़ख़दमत सौंप दें , ये वाक़ई बहुत दख ु ी है क्योंकक मुझे इल्म है इस के ऊपर सख़्त जाद ू और वो जाद ू कुत्ते की खोपड़ी पर ककया गया है। जाद ू करने वालों ने ककसी वीरान रोड़ी और कूड़े के ढे र पर कुत्ते की पुरानी लाश तलाश की है, उसकी खोपड़ी ननकाल कर ले आये , उस खोपड़ी को उन्हों ने पेशाब से धोया और पेशाब से धोने के बाद उस को बहुत अरसा बहुत गंदे बैतुल ख़ला में रखा, इस के बाद उस पर काला अमल मस् ु तक़ल पढ़ा। किर एक कुत्ते को मारा, उसके गोश्त से इस खोपड़ी को लत पत ककया, उस के बाद किर उस के अंदर कुत्ते का पाख़ाना भरा। किर उसे कुत्ते की खाल में लपेटा और इस बन्दे के नाम के सारे अमल उस में िाले और उसे ककसी वीराने में दफ़न कर ददया। बस इस के ऊपर ये अमल है। लाल जजन उस कुत्ते की खोपड़ी ननकाल लाया: लाल जजन कहने लगा: अगर आप इजाज़त दें में थोड़ी ही दे र में उसको ननकाल कर आप के सामने कर दे ता हूाँ। में ने उसको इजाज़त दी, वाक़ई उसने ऐसा ही ककया। थोड़ी ही दे र में इस ने उसको ननकाला और ननकाल कर मेरे सामने कर ददया। वाक़ई वही सब कुछ Page 46 of 48
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था जो उसने बयां ककया था, वही सब कुछ था जो उस ने मेरे नोदटस में ददया था और हक़ीक़तन उस में अब भी गन्दगी और नहूसत की बदबू आ रही थी। चपड़ासी को सूरह मुज़जम्मल के अमल की ताकीद और मसाइल हल: मेने फ़ौरन उस पर एक ख़ास अमल ककया और उस पर से जाद ू तोड़ा और उस चपड़ासी को ताकीद की कक वो ये सूरह मुज़जम्मल का अमल अगर मस् ु तक़ल तवज्जह, यक़ीन, एतमाद से कर ले तो उसको यक़ीनी और सौ फ़ीसद इस की बरकतें , ख़ैरें और राहतें लमलें गी और उसकी उलझने ख़त्म हो जाएाँगी और उस के मसाइल हल हो जायेंगे और उस की मुजश्कलें दरू हो जाएाँगी और ऐसा ही हुआ और अल्लाह पाक ने उसकी उलझने ख़त्म कर दीं और उस के मसाइल हल कर ददए और में वाक़ई बहुत हैरान हुआ कक अल्लाह पाक ने उसको बहुत ही ज़्यादा बरकतों से नवाज़ा। आज वही शख़्स है जो अपने मसाइल ले कर नहीं आता बजल्क ख़ुलशयााँ ले कर आता है और मस् ु कुराहटें ले कर आता है। मुझे उसको दे ख कर हंसी आती है : मुझे उसको दे ख कर बअज़ औक़ात ख़ुद हंसी आ जाती है , ये वही शख़्स है जो ख़ून के आंसू रोता था उसके ददन रात बदल गए हैं। ये वही शख़्स है जो आज अल्लाह के फ़ज़ल और सरू ह मज़ ु जम्मल की बरकत से अल्लाह पाक ने इसको बहुत ही ज़्यादा बरकतों और ख़ेरों से नवाज़ा है और मुजश्कलात से ननकाला है। मझ ु े इस वज़ीफ़े से मह ु ब्बत और प्यार है: क़ाररईन! इस वज़ीफ़े की में वेसे भी इजाज़त ददया करता हूाँ लेककन आज ख़ुसूसी इजाज़त इस ललए दे रहा हूाँ कक मझ ु े इस वज़ीफ़े से ख़ुद बहुत प्यार मुहब्बत और उल्फ़त है और इस वज़ीफ़े के ऐसे ऐसे अनोखे कमालात, कृष्मात, मोअज्ज़ात और हैरत अंगेज़ तूफ़ानी असरात जो में ने दे खे हैं शायद वो आप गुमान नहीं कर सकते। ऐ काश! कोई दीवाना कर ले: ऐ काश! कोई एतमाद वाला, कोई यक़ीन वाला और कोई दीवाना कर ले--ऐसा शख़्स जो जल्दी के घोड़े पर सवार ना हो बजल्क एतमाद, तसल्ली और यक़ीन के साथ इस को करता चला जाये। उस पर जो राज़ खुलेंगे वही शख़्स होगा जो कहे गा कक वाक़ई अल्लामा साहब ने इस पर कमालात सच बताये हैं बजल्क थोड़े बताये हैं मेरे पास तो इस के इस से भी ज़्यादा अनोखे कमालात और बरकात हैं।
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आप भी कर सकते हैं: क़ाररईन! सूरह मुज़जम्मल इकतालीस (४१) बार की आप सब को इजाज़त है आप भी कर सकते हैं। सहाबा ؓअहलल बैत ؓकी रूहों से मुलाक़ातों की कहानी: आइन्दह बार इंशाअल्लाह में कुछ रूहों से मुलाक़ात के वाक़ीयात सुनाऊंगा, बड़े बड़े औललया बड़े बड़े साललहीन, अहलल बैत ؓ , सहाबा ؓ उनकी रूहों से में ने मुलाक़ातें कीं और उन की रूहों से फ़ैज़ पाया और उनकी रूहों ने मुझे हैरत अंगेज़ तसबीहत और अनोखी बातें बताईं। क़ाररईन! में ज़रूर आप को बताऊाँ गा ये आप का दहस्सा है। ( जारी है )
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