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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के जन ंेू के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान म
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وجنےکامہاضمنیم
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के जन ू के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
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मस् ु करा कर दे खना भी सदक़ा है
हज़रत अब्दल् ु लाह बिन उमर رضی ہللا عنہماररवायत करते हैं कक रसूलल्लाह ﷺने इर्ााद फ़मााया: अल्लाह तआला कुछ लोगों को ख़ास तौर पर ननअमतें इस ललए दे ते हैं ता कक वो लोगों को नफ़ा पोहं चाएं।
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जि तक वो लोगों को नफ़ा पोहं चाते रहते हैं अल्लाह तआला उनको इन ननअमतों में ही रखते हैं और जि
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वो ऐसा करना छोड़ दे ते हैं तो अल्लाह तआला उन से ननअमतें ले कर दस ू रों को दे दे ते हैं। (नतब्रानी, हल्यत-अल-औललया, जालमआ सग़ीर) ☆ हज़रत अिज़ ू र رضی ہللا عنہररवायत करते हैं कक
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रसूलल्लाह ﷺने इर्ााद फ़मााया: तुम्हारा अपने (मुसल्मान) भाई के ललए मुस्कुराना सदक़ा है , तुम्हारा
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ककसी को नैकी का हुक्म करना और िुराई से रोकना सदक़ा है , ककसी भूले हुए को रास्ता िताना सदक़ा है ,
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कम्ज़ोर ननगाह वाले को रास्ता ददखाना सदक़ा है , पत्थर, कांटा, हड्डी (वग़ैरा) का रास्ते से हटा दे ना
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सदक़ा है और तुम्हारा अपने डॉल से अपने भाई के डॉल में पानी डाल दे ना सदक़ा है । (नतलमाज़ी) ☆ हज़रत
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अिू हुरैरा رضی ہللا عنہररवायत करते हैं कक रसल ू ल्लाह ﷺने इर्ााद फ़मााया: जो र्ख़्स दन्ु या में ककसी परे र्ां हाल की परे र्ानी को दरू करता है अल्लाह तआला उस की आख़ख़रत की परे र्ानी दरू फ़मााएँगे और
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जो र्ख़्स दन्ु या में ककसी मुसल्मान के ऐि पर पदाा डालता है अल्लाह तआला आख़ख़रत में उस के ऐि पर
पदाा डालेंगे। जि तक आदमी अपने भाई की मदद करता रहता है अल्लाह तआला उस की मदद फ़मााते
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रहते हैं। (मस्नद् अहमद) ☆ हज़रत अिू मूसा رضی ہللا عنہररवायत करते हैं कक सहािी رضی ہللا عنہمने अज़ा ककया: या रसल ू ल्लाह ﷺकोन से मस ु ल्मान का इस्लाम अफ़ज़ल है? इर्ााद फ़मााया: जजस
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(मुसल्मान) की ज़िान और हाथ से दस ू रे मुसल्मान मेहफ़ूज़ रहें । (िुख़ारी)
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हाल ए हदल
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रमज़ान-उल-मब ु ारक के अहद व पैमााँ जो मैंने दे खा सुना और सोचा
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एडिटर के क़लम से
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यक़ीन जाननए! अगर हर मालदार र्ख़्स अपनी पूरी ज़कात तोल माप कर और ज़कात के मुकम्मल र्रई
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अहकामात पूछ पूछ कर अदा करे तो पूरे मुआर्रे में एक भी ग़रीि ना रहे क्योंकक हमारे मुआर्रे में इतने
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िड़े िड़े मालदार हैं जजन की दौलत का गुमान तो गुमान हम र्ायद लफ़्ज़ तसव्वुर इस्तेमाल करें तो भी
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तसव्वुर नहीं हो सकता--- इतने मालदार हैं! अगर ये तमाम मालदार अपने माल को िढ़ाना चाहते हैं, िचाना चाहते हैं और िहुत ज़्यादा माल से मालदार और ज़्यादा मालदार यानन हज़ार से लाख, लाख से
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करोड़, करोड़ से अरि और अरि से खरि िजल्क इस से भी कहीं ज़्यादा िढ़ाना चाहते हैं ये एक नहीं सैंकड़ों
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नहीं, हज़ारों लाखों लमसालें हैं और इस अमल को जजन्हों ने भी ककया और मेहनत की उन की जज़न्दगी में काम्यािीयां, इज़्ज़तें र्ान व र्ौकतें और उन की नस्लों में राहतें लमलीं। एक र्ख़्स मुझे लमले मैं उस को नहीं जानता था उस ने तआरुफ़ करवाया तो मैं ने उन के िाप दादा की दौलत जागीरदारी का तज़्करह
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सुना हुआ था तो मुझे कहने लगा आप को र्ायद पता हो कक मैं इस वक़्त मालदार नहीं हूँ--- िजल्क मुफ़ललस हूँ--- अगर मुफ़ललसी से नीचे की कोई िात है तो आप यक़ीन कर लें। मैं एक दम चोंका--- और
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है रान हुआ क्य? ूँ कहने लगा मैं ने सारे अस्िाि पर नज़र डाली तो पता ये चला कक मेरे िड़े ज़कात और
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उर्र नहीं दे ते थे। िस--- यही चीज़ ऐसी थी जो आइन्दा आने वाली नस्लों को ले डूिी हमारी नस्लों से माल व दौलत, जागीर, प्रॉपटी और ज़मीनें कैसे गयीं मुझे पता नहीं--- ऐसे गयीं ऐसे गयीं कक जैसे तेज़
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हवाओं से िादल चले जाते हैं। एक साहि मुझे कहने लगे कक मैं ने अपनी नस्लों को िताया हुआ है कक Page 3 of 61
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ख़्याल करना ज़कात और उर्र कभी ना छोड़ना क्योंकक मैंने अपने िाप और दादा में यही दे खा और अपने
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दादा से सुना कक उसका िाप दादा भी यही अमल यानन मुकम्मल और पूरी ज़कात और पूरा उर्र--- यानन
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परू े मसले की तहक़ीक़ कर के और परू ा अदा करना। मैं ने अपनी नस्लों को कहा है कक अगर फ़क़ीर तंगदस्त और ग़रीि िन्ना चाहते हो तो किर चाहे छोड़ दो। वरना ज़कात और उर्र ना छोड़ना--- तुम्हें कायनात की कोई ताक़त फ़क़ीर कर नहीं सकती। क़ाररईन! रमज़ान--- जजस्म का सदक़ा, माल का
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सदक़ा, ख़्वादहर्ात का सदक़ा, चाहतों का सदक़ा, भूक का सदक़ा, प्यास का सदक़ा, नज़रों का सदक़ा, कानों का सदक़ा, ज़िान का सदक़ा ये सि सदक़े ही का महीना है और किर गमी का रमज़ान और गमी भी
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ऐसी कक जो िता दे कक वाक़ई मैं गमी हूँ। तो रमज़ान के इस महीने में आप और मैं--- ज़कात और उर्र के िारे में सोचें और ऐसा सोचें कक हमारी सोचें अमल का ज़ररआ िन जाएँ। यक़ीन जाननए! कभी भी ग़रु ित
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और तंगदस्ती फ़क़र और फ़ाक़ा मुफ़ललसी और फ़क़ीरी आप का दरवाज़ा नहीं खटकायेगी। ख़्याल करना
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कहीं ज़कात दे ने वाले कहीं ज़कात लेने वाले ना िन जाएँ। मेरे सामने िेर्ुमार केस हैं, ख़रूँ े ज़ी, क़त्ल व
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ग़ारत, मक़ ु द्दर ु द्दमात, घरे लू मजु ककलात, उलझनें , जज़न्दगी के मसाइल और ना कालमयां उन लोगों का मक़
िन गयी हैं जजन्हों ने ये ग़लती की कक थे तो ज़कात दे ने वाले और दोनों हाथों से ज़कात व उर्र ललया और
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जज़न्दगी और नस्लों को ििाादी की तरफ़ ले गए। रमज़ान-उल-मि ु ारक में कोलर्र् करें हम कसरत से अपनी नज़रों को , ज़िान को, ददल को, कानों को, आँखों को, सोचों को, जज़्िों को, चाहतों को, ववजदां को,
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इरादों को--- इन सि चीज़ों को अस्तग़फ़ार पर लगाएं यानन अस्तग़फ़ार ये है कक गुज़कता जो हो गया उस
पर तो मुआफ़ी है आइन्दा नहीं करें गे और पूरे रमज़ान में जजस्म के उन सारे दहस्सों और कैकफ़य्यात को
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इस अहद व पैमान पर लगाएं। किर दे खें ये रमज़ान र्ानदार रमज़ान होगा और ऐसा र्ानदार कक हम सोच ही नहीं सकते। आइये! हम सि अहद करें कक इस रमज़ान में अपने ललए दआ ु एं कम और ग़ैरों के
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ललए, दीन के दकु मनों के ललए, मुल्क के दकु मनों के ललए, जान व माल, इज़्ज़त व आिरू और नस्लों के दकु मनों के ललए ज़्यादा दआ ु एं करें गे। हम अहद करें इस रमज़ान हमारे लमज़ाज में ख़ैरख़्वाही, ररवादारी
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अपनों के ललए भी और ग़ैरों के ललए भी और ज़्यादा िढ़ती चली जाये और कहीं ज़्यादा इस में इज़ाफ़ा होता
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चला जाये और हाँ याद रख़खयेगा---!!! इस रमज़ान में अफ़्तार के वक़्त और क़िलू लयत के वक़्त अगर हो Page 4 of 61
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सके तो छोटे िच्चों को अपनी आमीन में ज़रूर र्ालमल कीजजयेगा उन की आमीन सात आसमानों से
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ऊपर जाती है यक़ीन ना आये तो पूरे रमज़ान में आज़मा कर दे ख लें ---!!!
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माहनामा अिक़री जून 2015 र्म ु ारा नंिर 108 _____________page 3
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दसस रूहाननयत व अम्न
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ग़ल ू ﷺऔर हक़ीक़ी चैन ु ामी ए रसल
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महमद ू मज्ज़ब ू ी चग़ ु ताई دامت برکاتہم हफ़्तवार दसस से इक़्तबास
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शैख़-उल-वज़ाइफ़् हज़रत हकीम मुहम्मद ताररक़
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हज़रत आमना सवारर कौनैन ﷺऔर उम्मे ऐमन رضی ہللا عنہاपर मुकतलमल ये मुख़्तलसर सा क़ाफ़्ला
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हज़रत अब्दल् ु लाह رضی ہللا عنہकी क़ब्र की ज़्यारत के िाद मक्का वापसी के ललए चल पड़ा। रास्ते में हज़रत िी िी आमना رضی ہللا عنہاवालसल िहक़ हो गयीं। तज्हीज़ व तक्फ़ीन के िाद उम्मे ऐमन
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رضی ہللا عنہاकहती हैं कक मुझे लसजस्कयों की आवाज़ें आयीं, मैंने जा कर दे खा तो अजीि मंज़र था कक ६ साल का मासम ू िच्चा माँ की क़ब्र से ललप्टा हुआ है और वो अज़ीम िच्चा तो मह ु म्मद ﷺही है जो
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अपना हाल ए ददल क़ब्र में ललप्टी माँ को सुना रहे हैं। उम्मे ऐमन رضی ہللا عنہاकहती हैं कक मैंने उस ६ Page 5 of 61
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साल के मासम ु म्मद ﷺको क़ब्र से अलग ककया लेककन वो ऐसा चचप्का हुआ था जैसे कक िच्चा ू मह
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अपनी माँ से चचप्का हुआ होता है ---! िच्चे को तो कोई र्ऊर ही नहीं होता। मेरा ववजदां कहता है कक
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र्ायद माँ के आख़री अल्फ़ाज़ भी यही होंगे कक िेटा हर जज़ रूह को मोत ने आ लेना है ! हर र्ख़्स ने दन्ु या से रुख़्सत हो जाना है ! िेटा मैं तेरी पेर्ानी में िहुत नूर दे ख रही हूँ! अल्लाह पूरे आलम में तुझे चम्कायेगा! और ये हक़ीक़त है कक जो चम्के हुए के साथ लग जायेगा अल्लाह उसको भी चम्का दे गा, जो चम्के हुए के
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साथ वफ़ा करे गा उस की कक़स्मत का लसतारा भी दन्ु या व आख़ख़रत में चमक जायेगा।
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चमक तझ ु से पाते हैं, सब पाने वाले
लौह व क़लम तेरे हैं
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ये जहााँ चीज़ है क्या।
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की मुहम्मद ﷺसे वफ़ा तू ने तो हम तेरे हैं
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मेरा हदल भी चम्का दे चम्काने वाले
६ साल के मासूम मुहम्मद ﷺने तीन ददन तक कुछ खाया वपया नहीं। माँ की याद उन्हें मुसल्सल
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तड़पाये जा रही थी। उम्मे ऐमन رضی ہللا عنہاने उन्हें गोद में उठाया तो क़ब्र की मट्टी उन के मुिारक जजस्म पर लगी हुई थी, उठा कर सीने से चचमटा ललया और वहां से ले गयी और किर सतावन साल िाद
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मेरे आक़ा ﷺहज्ज पर तर्रीफ़ ले जा रहे हैं। जि अब्वा मक़ाम पर पोहं चे तो आप ﷺने सारे सहािा
رضوان ہللا اجمعینको बिठाया, ख़द ु माँ की क़ब्र पर गए और घट ु नों में सर दे कर घंटों रोये। सतावन साल के
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िाद अम्माँ की याद में अम्माँ की मुहब्ित में घंटों रोये!!
मेरे मोहतरम दोस्तो! उस हस्ती से िढ़ के कोई वफ़ा वाला होगा? जजस ने िे सर व सामानी के आलम में ,
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यतीम होने के िावजूद, अपनों की झड़ककयां, गाललयां सेह कर ये दीन हम तक पोहं चाया! अि आप िताएं
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कक हमें ककस से वफ़ा करनी चादहए? ख़द ु सोचें ! कक हमने उस हस्ती ﷺसे जफ़ा कर के ककतना िड़ा नुक़्सान ककया है ? हम ने िेवफ़ाई कर के अपने आप को ककतना िड़ा धोका ददया है । उस रे हमत वाले
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निी ﷺका दामन पकड़ने से िरकतों के दरवाज़े खल ु जाते हैं, रहमतों के दरवाज़े खल ु जाते हैं। Page 6 of 61
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ववलादत से क़ब्ल हज़रत अब्दल् ु लाह رضی ہللا عنہका ववसाल हुआ, ६ साल के थे कक िी िी आमना
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رضی ہللا عنہاभी इन्तक़ाल फ़माा गयीं। कुछ अरसे के िाद हज़रत अब्दल ु मुतल्लि भी रुख़्सत हो गए!
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किर मह ु ब्ित करने वाला और िा वफ़ा साथी आप के मर् ु फ़क़ व मरु ब्िी चच्चा भी दाग़ ए मफ़ाक़ात दे गए। दादा और चच्चा का साया र्फ़क़त ना रहा, लेककन आप पर जो उम्मत का ग़म था वो उन सि से िढ़ गया था, उम्मत के ललए लसजस्कयाँ लेते रहे ! रोते रहे ! लेककन इस िे वफ़ा उम्मत ने उस ग़म गुसार निी ﷺके
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साथ क्या ककया?
रूह में एह्सास नहीिं
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क़ल्ब में सोज़ नहीिं
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पैग़ाम ए मह ु म्मद ﷺका तम् ु हें कुछ भी पास नहीिं
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शादी ब्याह में बे जा इसराफ़:
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हमारे ररकतेदारों में एक र्ादी हुई तो मैंने क्योंकक अपने र्ैख़ सय्यदी मुलर्ादी हज्वेरी رحمت ہللا علیہसे सुना
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था उस वक़्त कोई समझ वग़ैरा तो थी नहीं, मैंने ऐसे ही केह ददया कक " मासी र्ादी में मदीने वाले को भी
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िुल्वाया है ?" तो मुझे वो जवाि अभी तक याद है , वो कहने लगी कक मौलवी तू ने हमारा ददमाग़ ख़राि कर ददया है ! तू हमारी ख़लु र्यों के अंदर पता नहीं क्या िातें करता है ! एक ददन मझ ु े एक साहि ने िताया कक
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हमने अपनी हमर्ीरा की र्ादी िड़ी धम ू धाम से और आलीर्ान तरह से की। तक़रीिन चोिीस लाख रुपए उस की र्ादी पर लगाये और अि मुआम्ला तलाक़ पर पोहं चा हुआ है तो मैं सोचने लगा कक आख़ख़र
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'अच्छी र्ादी' ककस को कहते हैं? और हमारे मुआर्रे में अच्छी र्ादी कोन सी होती है ? मैं ने िाद में तज्ज़या ककया कक िेदटयों को सुख और चैन िे जा इसराफ़ की वजह से नहीं लमलता।
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ग़ल ु ामी ए रसल ू ﷺऔर हक़ीक़ी चैन:
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अरे अल्लाह वालो! सख ु चैन तो रसल ू ल्लाह ﷺकी ग़ल ु ामी में ही लमलता है । आज तक ककसी ने इस के
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इलावा चैन नहीं पाया। मेरे निी ﷺतो अम्न के पयम्िर थे। ईमान तो सलामती का नाम है । ईमान तो अम्न का नाम है । लर्फ़ा जो आप ﷺकी दाया थीं उन के नाम में ख़ैर का पेहलू है , हलीमा رضی ہللا عنہا Page 7 of 61
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जो आप ﷺकी रज़ाई वाललदा हैं, उनका नाम दहल्म से है , आमना رضی ہللا عنہاजो आप ﷺकी हक़ीक़ी
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वाललदा हैं उन का नाम अम्न से है । सवारर कौनैन ﷺहर तरफ़ से अम्न ले कर आये हैं! सुकून ले कर
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आये हैं! उम्मत के ललए चैन ले कर आये हैं! कमली वाले ﷺके दामन को जो थाम कर नहीं चलेगा उसको अम्न कैसे लमल सकता है ! सुकून कैसे लमल सकता है ! अल्लाह वालो! अल्लाह ने जज़न्दगी में जो मौक़ा ददया है ये पहला और आख़री मौक़ा है । इस मौक़ै से फ़ायदा उठायें और उस कमली वाले से वफ़ा कर
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लें। अपनी ख़लु र्यों में , अपने ग़म में कमली वाले ﷺको ना भूलें। अगर अल्लाह ने आप को माल की वुसअत दी है तो उस माल की वुसअत में कमली वाले ﷺको ना भूलें। अगर अल्लाह ने आप को
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इक़्तदार की वस ु अत दी है तो उस वस ु अत में आक़ा कमली वाले ﷺको ना भल ू ें । अगर अल्लाह ने आप
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को ग़रु ित और तंगदस्ती दी है ति भी ग़मगीन ना हों िजल्क वो नक़्र्ा अपनी आँखों के सामने लाएं, जि
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दसस से फ़ैज़ पाने वाले
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(जारी है )
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जिल सूर में आठ साल का िच्चा िकररयां चरा रहा है और उस के सर पर कपड़ा है ना पाऊँ में जूता है ।
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मोहतरम हज़रत हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! मेरे पास लफ़्ज़ नहीं ना ही अल्फ़ाज़ का मजमुआ हैं
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जो आप को दआ ु एं ललख सकँू , मगर अल्हम्दलु लल्लाह कैकफ़य्यात ज़रूर हैं जजन की क़लम मोहताज नहीं, अल्लाह करीम आप को इज़्ज़तों की दन्ु या सदा अता रखे। आप का हर दसा तवज्जह और ध्यान से सुनती
हूँ। दसा ने मेरी िहुत सी मजु ककलात हल की हैं। अभी कल ही आप का दसा सन ु ा जजस में आप ने दसा
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जज़्िात से पुर ददया था कक हमें हर वक़्त अपने जज़्िात को परखते रहना चादहए इस को सुन्ने के िाद मैं अल्लाह तआला के आगे झक ु गयी और अल्लाह के पास गयी, दरवाज़ा िन्द था मगर मैंने खटखटाया,
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िहुत ज़ोर ज़ोर से खटखटाया, मैं अकेली नहीं थी, मेरे साथ मेरी जज़न्दगी के ग़लीज़, आलूदह, िुरे जज़्िात
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भी साथ थे, किर हम सि थक गए और िैठ गए किर भी दरवाज़ा ना खल ु ा, किर आंसू भी हमारे साथ आ गए और हम आजज़ी के साथ ताक़तवर रि के सामने! हज़रत जी सोचें क्या मंज़र था कक मैं, मेरा रि,और
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एक तरफ़ मेरा साथी मेरे आंसू और दस ू री तरफ़ जज़्िात! किर अदालत लगी, मैं कटहरे मैं खड़ी थी अपनी Page 8 of 61
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मन्न चाही और अपने जज़्िात पर आजजज़ थी--- और रि से मआ ु फ़ी की दरख़्वास्त की। इस के िाद मैं
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सो गयी और रात ख़्वाि में मदीना मुनव्वरह दे खा और कअितुल्लाह दे खा और ख़ाना कअिा मेरे इतने
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नज़दीक था जैसे मेरी आँखों के बिल्कुल सामने, िस फ़ासला एक ऊँगली जजतना था हम दोनों में --- सि ु ह उठ कर मैंने या क़ह्हार का अमल ककया और किर फ़ैसला हो गया--- अल्लाह करीम ने मुझे मुआफ़ कर ददया और रि चाही की तलक़ीन की और सक ु ू न के समन् ु दर में डूि गयी। अल्हम्दलु लल्लाह
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अल्हम्दलु लल्लाह अल्हम्दलु लल्लाह! अि अल्फ़ाज़ नहीं, सि ख़त्म हो गए। िस लसफ़ा दआ ु ओं की ताललि हूँ, मोहताज हूँ, मंगती हूँ। (फ़लक अम्जद)
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माहनामा अिक़री जन ू 2015 र्म ु ारा नंिर 108 _____________page 4
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रमज़ान में तस्बीह ख़ाना से क्या ममला
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बस---!!! एक महीना तस्बीह ख़ाना में गज़ ु ारना था कक सारे काम होने लगे, एक महीने बाद अल्लाह ने िी
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एक महीने बाद हम ने अपना घर तब्दील कर मलया।
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एच ए में नोकरी दे दी जहााँ मसफ़ाररश के बग़ैर कोई काम नहीिं होता। वहािं मेरे रब ने उनको नोकरी दे दी
हमेर्ा क़ाइम रखे। आमीन!
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मोहतरम हज़रत हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! अल्लाह तआला आप को हम जैसे लोगों के सरों पर
मोहतरम हज़रत हकीम साहि मैं आप के दसा अक्टूिर 2013 से सुन रही हूँ, अँधेरे में भटक रहे थे,
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अल्लाह तआला ने आप जैसे नैक इंसान का पता दे ददया, िस अि ग़म ग़म नहीं लगते मुजककलें मुजककलें
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नहीं लगतीं। मोहतरम हज़रत हकीम साहि! हम रावलवपंडी में रहते थे, वहां एक ददन रूहानी िक्की के ब्रोर्र से आप का पता चला किर मेरे ख़ावन्द ने नेट पर आप के ररसालों की फ़ोटोकॉवपयां करवा कर ले
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आते थे ख़द ु पढ़ते, मझ ु े भी पढ़ने के ललए दे ते, िस वो आप के दीवाने हो गए, आप के दसा मोिाइल पर Page 9 of 61
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सन ु ते रहते और मेरे ख़ावन्द की ख़्वादहर् थी कक मैं लाहौर जाऊं और हज़रत हकीम साहि के सामने िैठ
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कर उन का दसा सुनँ,ू अल्लाह तआला ने उन की सुन ली। िस किर कुछ ददनों के िाद एक मुजककल आ
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पड़ी। हमें वो (रावलवपंडी) जगा छोड़नी पड़ी। हमें कुछ समझ नहीं आ रही थी कक हम कहाँ जाएँ। हमारे ररकतेदार कराची में रहते हैं, सोचा वहां ही जायेंगे। िस! अचानक मेरे र्ौहर ने अपना फ़ैसला सुनाया कक हमें और कहीं नहीं जाना हम ने लसफ़ा लाहौर जाना है वहां मेरे हज़रत हकीम साहि हैं। िे सर व सामान
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िच्चे ले कर परे र्ाननयों में लाहौर आ गए। ना हमारे पास घर, ना कोई पता, ना खाने को कुछ। िस! एक अँधेरी गली में एक अँधेरे में छोटा सा कमरा ककराये पर लमला जजस में हम ने पांच माह गुज़ारे । मोहतरम
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हज़रत हकीम साहि! जि से लाहौर आये तीन महीने मेरे ख़ावन्द को कोई नोकरी ना लमली लेककन वो आप के हर दसा में र्ालमल होते थे क्योंकक उन की ख़्वादहर् जो पूरी हो गयी थी। किर एक ददन एक होटल
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पर केलर्यर की नोकरी लमली, एक महीना वहां लगाया तो आगे रमज़ान आ गया। पहला रोज़ा था, र्ाम
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को घर आये कहने लगे मेरा ददल कर रहा है कक क्यूँ ना इस िार पूरा रमज़ान तस्िीह ख़ाना में गुज़ारूं मैंने
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कहा अगर आप का ददल कर रहा है तो जाएँ। अल्लाह माललक है , जहाँ इतने ददन गज़ ु रे हैं एक महीना भी गुज़र जायेगा और र्ाम को वो तस्िीह ख़ाना में चले गए। िस! एक महीना तस्िीह ख़ाना में गुज़ारना था
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कक सारे काम होने लगे, एक महीने िाद अल्लाह ने डी एच ए में नोकरी दे दी जहाँ लसफ़ाररर् के िग़ैर कोई काम नहीं होता। वहां मेरे रि ने उन को नोकरी दे दी एक महीने िाद हम ने अपना घर तब्दील कर ललया।
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पांच महीने िाद मैं ने सुिह का सूरज तुलूअ होते दे खा, अँधेरे कमरे में कुछ पता ही नहीं चलता था कक
सुिह कि हुई, र्ाम कि हुई। मेरे िच्चे ज़मीन पर सोते थे, हमारे पास तो चार पाइय्यां ही नहीं थीं।
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अल्लाह का िहुत करम है अल्लाह का जजतना र्ुक्र अदा करूँ कम है । मेरे रि ने रमज़ान तस्िीह ख़ाना में गुज़ारने की वजह से मेरी मुजककलें आसान कर दी हैं। अि में िरकत वाली थैली का अमल करती हूँ, दो
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अन्मोल ख़ज़ाना भी पढ़ती हूँ, पांच वक़्त नमाज़ पािंदी से पढ़ती हूँ। घर में टी वी बिल्कुल िंद कर ददया है िस आप के दसा सन ु ती रहती हूँ। मेरे र्ौहर ने दआ ु मांगी थी कक या अल्लाह ऐसी नोकरी दे ना कक मैं दसा
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में र्ालमल हो सकँू अल्लाह का िहुत करम है कक उन का कोई दसा चक ू ता नहीं वो आप के हर दसा में र्रीक
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होते हैं, िहुत ख़र् ु हैं। अि तो रमज़ान तस्िीह ख़ाना में गज़ ु ारने की िरकत से मेरे िच्चों को डी एच ए के Page 10 of 61
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िड़े स्कूल में दाख़्ला लमल गया है , जो मजु म्कन ही नहीं था िस अल्लाह की नज़रे करम हुई है और आमाल
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वो ये रमज़ान भी तस्िीह ख़ाना में ही गज़ ु ारें गे (ज़ौजा र्ज ु ाअत अली)
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की िरकत की वजह से हुआ है । इन र्ा अल्लाह वो इस रमज़ान का भी लर्द्दत से इंतज़ार कर रहे हैं और
आदात बद्द से ननजात:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहि! अस्सलामु अलैकुम! उम्मीद है िख़ैर व आकफ़य्यत होंगे। ख़द ु ा ए वादहद आप की उम्र दराज़ फ़मााए और मज़ीद तरक़्क़ी अता फ़मााए। अल्लाह ने आप को हमारी दहदायत का
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ज़ररआ िनाया है । मोहतरम हकीम साहि! एक वक़्त था कक मुझे नेट की नंगी दन्ु या का नर्ा था। मैं कोलर्र् में रहता था कक नेट कैफ़े जाऊं लेककन 2013 के रमज़ान-उल-मुिारक मैंने तस्िीह ख़ाना में
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क़याम ककया। वो ददन और आज का ददन, अल्हम्दलु लल्लाह! कभी नेट कैफ़े में इस ननय्यत से नहीं गया।
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वाक़ई अल्लाह जल्ल र्ानह ु ू ने मर्ाइख़ ् की तवज्जह में ताक़त रखी है और मझ ु े इस गन्दी आदत से
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ननजात ददला दी। (म-म, ल)
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तस्बीह ख़ाना से हुए मसाइल हल:
मोहतरम हज़रत हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! मैं रमज़ान-उल-मुिारक तस्िीह ख़ाना में गुज़ारने के
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ललए हाजज़र हुआ था। मैं वहां तेरह ददन रहा, पहले तीन चार घंटे तो मेरा वहां ददल ना लगा मगर किर जि
आप के दसा सुने तो िाद में वहां से वापस आने को ददल नहीं करता था। वहां िहुत रूहाननयत हालसल हुई,
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ददल्ली सुकून लमला। २७वीं रात जि ख़त्म-उल-क़ुरआन था ति िहुत रोना आ रहा था और मुझे अपने ऊपर अफ़्सोस हो रहा था कक मैं पहले रमज़ान को यहां क्यँू ना आया---??? इन र्ा अल्लाह आइन्दा
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रमज़ान को पूरे तीस ददन तस्िीह ख़ाना में गुज़ारूँगा। अल्हम्दलु लल्लाह! तस्िीह ख़ाना से जाने के िाद घर के िहुत से मसाइल हल हुए, मेरा दाख़्ला नहीं हो रहा था मगर अि मेरा एक अच्छे तालीमी इदारे में
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दाख़्ला हो गया है और मैं अपनी तालीम जारी रखे हुए हूँ। (र्ायान अर्रफ़)
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कल क्या होना है ? ख़्वाब में दे ख लेता हूाँ!
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मोहतरम हज़रत हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! कुछ अरसा से मुझे रात को नींद नहीं आती थी, अक्सर ख़्वाि में कुछ चीज़ें तंग करतीं। एक ददन सोने से क़ब्ल मैं इन चीज़ों से मुख़ानति हो कर कहने लगा अगर तू मेरी ख़ैरख़्वाह है तो मुझे कोई ऐसी चीज़ िता जो मुझे सीधी राह पर चलाये और मैं अपने अल्लाह और उस के महिि ू ﷺको पा सकँू । उसने मझ ु े ख़्वाि में िताया कक हर वक़्त चलते किरते ये
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َ ْحََ َ َ ح पढ़ा करो "सुब्हनक ला इल्म लना" (کََل ِعل َمَل َنا )بُسنऔर हर नमाज़ के िाद एक तस्िीह ये पढ़ा करो "रब्ि-
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َ ح َ ) َرب َناَاغ ِف حر ِ ح। ये अमल मैंने करना र्ुरू कर ददए। यक़ीन करें ! मुझे ऐसे ख़्वाि आने र्ुरू हो गए नजफ़फ़ली "(ل कक जो भी अगले ददन मेरे साथ होने वाला होता वो मुझे ख़्वाि में पता चल जाता। वक़्त गुज़रता रहा, मुझे
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िहुत अच्छे ख़्वाि आना र्रू ु हो गए। किर कम्पनी की तरफ़ से मेरी हज्ज मि ु ारक की पची ननकल आई
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और मैं हज्ज भी कर आया। सहािा कराम व अहले िैत رضوان ہللا علیہم اجمعینकी ख़्वाि में ज़्यारतें भी
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हुईं। (अर्ाद महमद ू , जेहलम ु )
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माहनामा अिक़री जून 2015 र्म ु ारा नंिर 108 _____________page 8
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रमज़ान में हर पल ताज़गी बख़्शने की घरे लू ग़ग़ज़ाएाँ:
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(उमाइमा क़ैसर, इस्लामआबाद)
पानी पीने से पट्ठों और अज़्लात मुनामसब तरीक़ै से खखचते और सुकड़ते हैं, पानी जजस्म में नमी के अख़राज को भी रोकता है इस के इलावा पानी वज़न की कमी के बाइस जजल्द के लटक जाने के अमल को
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भी किंट्रोल करता है जजस्म के फ़ज़ले को ख़ाजस होने में मदद दे ता है और क़ब्ज़ कुशा भी है ।
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पानी: पानी ननज़ाम हज़म को दरु ु स्त करता और जजस्मानी दजाा हरारत में िाक़ाइदगी पैदा करता है ।
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हमारे जजस्म का िीस फ़ीसद दहस्सा पानी पर मुकतलमल है और हमारे जजस्म के हर ख़ललये की जज़न्दगी
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का दारोमदार इसी पर है । ये वज़न कम करने के ललए सि से एहम र्ै है । जजगर और गुदों की कारकदा गी
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िेह्तर िना कर जजस्म में ज़ख़ीरा र्ुदाह चिी को हज़म कर के जुज़ व िदन िनाता, पेर्ाि की नाली के इन्फ़ेक्र्न को रोकता है । पानी पीने से पट्ठों और अज़्लात मन ु ालसि तरीक़ै से ख़खचते और सक ु ड़ते हैं, पानी
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जजस्म में नमी के अख़राज ् को भी रोकता है इस के इलावा पानी वज़न की कमी के िाइस जजल्द के लटक जाने के अमल को भी कंट्रोल करता है जजस्म के फ़ज़ले को ख़ाजा होने में मदद दे ता है और क़ब्ज़ कुर्ा भी
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है । आप के चेहरे और जजल्द को चमक और ताज़गी िख़्र्ता है ।
केला: केला एक ऐसा िल है जजस में चग़ज़ाइय्यत के ललहाज़ से तीन चौथाई चग़ज़ाई अज्ज़ा पाये जाते हैं।
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जो लोग ब्लड प्रेर्र के लर्कार हों उन के ललए केला एक िेह्तरीन दवा है । एक केले में हयातीं ज
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(ववटालमन सी) इतनी लमक़दार का चौथाई दहस्सा होता है जो एक साल डेढ़ साल के िच्चे को रोज़ाना दरकार होती है । केला ख़न ू की कमी के मरीज़ों के ललए एक उम्दह चग़ज़ा है । पस जजन लोगों का जजस्म
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ख़न ू की कमी की वजह से कम्ज़ोर हो केले का इस्तेमाल हर मौसम में ज़रूर करना चादहए। ख़ास तौर पर
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रमज़ान में अफ़्तारी के िाद केले का इस्तेमाल सारे ददन की कम्ज़ोरी व नक़ाहत को ख़त्म करता है ।
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आम: मौसम गमाा का िल है ।गलमायों में िाहर ननकलने, धप ु में चलने किरने से लू लग जाती है । लू लगने
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की सूरत में लर्द्दत का िुख़ार चढ़ जाता है । आँखें सुख़ा हो जाती हैं। पस लू के असरात को ख़त्म करने के
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ललए कच्चा आम ले कर गरम राख में दिा दें । थोड़ी दे र िाद नरम होने पर िाहर ननकाल लें। इस का रस ले कर ठन्डे पानी में चीनी के साथ लमला कर दें । ये तयााक़ का काम करे गा। आम के िूर का पाउडर िना कर रोज़ाना सि ु ह ननहार मंह ु चीनी लमला कर इस्तेमाल करें । चंद रोज़ में जजयाां जाता रहे गा। जजन लोगों
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को पेर्ाि रुकने की लर्कायत हो वो आम की जड़ का नछलका, िगा र्ीर्म एक तोला, एक सेर पानी में डाल कर जोर् दें । जि तीसरा दहस्सा रह जाये तो ठं डा कर के चीनी लमला कर नोर् जान करें । पेर्ाि खल ु
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कर आएगा। आम ख़न ू ख़ि ू पैदा कर के िदन में चमक दमक पैदा करता है । आम तक़रीिन एक मुकम्मल चग़ज़ा है इस ललए रमज़ान में अफ़्तारी में ज़रूर ज़रूर र्ालमल कीजजये। तंदरु ु स्त मैदे वाले पेट
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भर कर आम खाएं और इस के िाद दध ू की पतली लस्सी या ताज़ह पानी पी कर गहरी नींद का लुत्फ़
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हालसल कर सकते हैं। दि ु ले पतले लोग इस मौसम में जी भर के आम खाएं तो उन का जजस्म भर जायेगा।
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भूसी: ये अनाज के ऊपर नछलका है गंदम ु , चावल और जई। ये चग़ज़ाइय्यत और सेहत िख़्र् अज्ज़ा से भरपरू होता है । जई की भस ू ी लमज़र क़ल्ि कोलेस्ट्रोल एक डी एल के इलावा कोलेस्ट्रोल की मज्मई ू सतह
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को कम करती है जि कक मुफ़ीद क़ल्ि कोलेस्ट्रोल एच डी एल की सतह िरक़रार रखती है । इस के इलावा
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भस ु य्या करती है जो ननज़ाम हज़म को मअ ु स्सर िनाता है और दाकफ़अ ू ी हमारे जजस्म को रे र्ा फ़ाइिर मह
क़ब्ज़ भी है । भूसी पर मुकतलमल रोटी इस्तेमाल कीजजये यानन िे छने आटे की रोटी खाइये या दस ु रे
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अनाज के साथ पकाइये।
पपीता: दस ू रे तमाम िलों के मुक़ािले में पपीते में केरोटीन की लमक़दार सि से ज़्यादा होती है जो चग़ज़ा
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को हयातीं अललफ़ में तब्दील करने की ख़ालसय्यत रखती है । हरारे कम होने के िाइस डाइदटंग करने वालों में ये िहुत मक़िूल है । इस के अंदर हयातीं वाकफ़र लमक़दार में मौजूद है । पपीते में मौजूद पे नामी ख़ामरह
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ननज़ाम हज़म को दरु ु स्त करता है । माज़रू अफ़राद के ललए ये एक िेह्तरीन चग़ज़ा है क्योंकक ये आसानी से
हैं।
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चिाई जा सकती है और ननगली जा सकती है । ज़ख़्मों के ऊपर पपीते के टुकड़े रखने से वो जल्द भर जाते
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टमाटर: टमाटर ऐसी सब्ज़ी है जो ितौर सालन के भी और खाने के साथ सलाद के तौर पर भी इस्तेमाल
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होती है लेककन इस की चग़ज़ाई एहलमय्यत से कम लोगों को मुकम्मल वाक़कफ़य्यत है । टमाटर में हयातीं
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और हरारों की लमक़दार दस ू री सजब्ज़यों िलों और गोकत से कहीं ज़्यादा है । टमाटर नरम व नाज़क ु चग़ज़ा है , आसानी से चिाई जा सकती है और जल्द हज़म हो जाती है । लर्कागो में िच्चों का एक ऐसा हे ल्थ सेंटर है जहाँ िच्चों को टमाटर इस्तेमाल कराया जाता है । इस सेंटर के मआ ु ललज ् हज़रात का कहना है कक
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टमाटर के रस से असरात इस क़दर मुफ़ीद साबित हुए हैं कक इस का तसव्वुर भी नहीं ककया जा सकता था। ऐसे िच्चे जो लाग़र हों या रयाह के मरीज़ हों उन्हें टमाटर ख़खलाने चादहयें क्योंकक टमाटर का रस
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भूक िढ़ा दे ता है । आँतों के फ़अल को सही करता है । इस तरह टमाटर का अक़ा एक सेहत िख़्र् मश्रि ू का
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तरह इंसानी जजस्म की साल भर की मुख़्तललफ़ अज्ज़ा की कमी पूरी हो जाती है ।
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भी दजाा रखता है । अगर टमाटरों के मौसम में हफ़्ता में तीन िार टमाटरों की डडर्ें खा ली जाएँ तो इस
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जई: जई चग़ज़ाइय्यत के ललहाज़ से भरपरू चग़ज़ा है और हजम के हवाले से िारह फ़ीसद प्रोटीन की हालमल
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है । ववटालमन ई और हयातीं िी कंप्लेक्स वाकफ़र लमक़दार में मौजूद हैं। इस के इलावा इस में पोटै लर्यम, कैजल्र्यम और मैग्नीलर्यम भी पाये जाते हैं जो दस ू रे हयातीं के साथ लमल कर हड्डडयों और दांतों को
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मज़िूत िनाते हैं। हाल्या तहक़ीक़ से साबित हुआ है कक जई कोलेस्ट्रोल की सतह को कम करती है ।
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प्याज़: पाककस्तान में प्याज़ एक अवामी चग़ज़ा है । हमारे हाँ दोपेहेर के वक़्त प्याज़ के साथ रोटी खाने का ररवाज है । मेहनत व मुर्क़्क़त के आदी अफ़राद की ये मन्न पसंद ख़ोराक उन्हें ददन भर की थकावट से
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िचाती और उन्हें पूरी तवानाई मुहय्या करती है । कच्चे प्याज़ का इस्तेमाल खल ु कर पेर्ाि लाता है और इस का इस्तेमाल अमराज़ चकम में मुफ़ीद होता है । अगर आँखें आर्ूि को आई हों तो प्याज़ का पानी और
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ख़ाललस र्हद हम वज़न ले कर और दोनों को लमला कर लसलाई से आँख में लगाने से आँखें साफ़ हो जाती हैं। क्या ये िात है रत अंगेज़ नहीं कक इंसानी िदन के मज़िूत तरीन "उज़्व" यानन ददल का इलाज सि से
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ज़्यादा नाज़क ु तरीन सब्ज़ी िजल्क इस के िारीक तरीन परदों या पत्तों से ककया जाता है । आप को इस
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िात पर ज़रूर है रत होगी मगर ऐसा है और आप को ये तस्लीम करना पड़ेगा कक यूनानी हुक्मा का ये फ़ैसला बिल्कुल दरु ु स्त और सो फ़ीसद मफ़ ु ीद है कक प्याज़ की इन नाज़क ु पंखडु ड़यों में गोकत पैदा करने Page 15 of 61
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वाले नम्क्यात और ववटालमन्स की कसीर तअदाद पाई जाती है । चन ु ाचे मोहक़्क़क़ीन का ये अटल फ़ैसला
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है कक प्याज़ ददल जैसे एहम एअज़ा रे र्ा के चगदा चिी जमा नहीं होने दे ता क्योंकक प्याज़ के चचकने
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ख़ललयों में चिी की तहें जमने से क़ालसर रहती हैं। गोया इस मामल ू ी सब्ज़ी में क़ुदरत ने ददल के लर्फ़ाई अज्ज़ा कूट कूट कर भरे हैं। रोटी के साथ प्याज़ की गाँठ इस्तेमाल कीजजये तो ये एक उम्दह सालन का काम दे ता है । अगर दो रोदटयों के साथ आधा पाव प्याज़ (दो गाँठ) और एक छटांक खाया जाये तो परू े ददन
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के चग़ज़ाई अज्ज़ा इंसान को हालसल होते हैं। प्याज़ िदन की ज़हरीली हवा को रोग़नी अज्ज़ा से पाक कर दे ता है और पेट से ननकलने वाली िदिूदार रीह में अफ़ाक़ा होता है ।
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मस् ु तनद रूहानी वज़ाइफ़्
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शाह रफ़ीउल्लाह गवाल्यारवी رحمت ہللا علیہके
जो िच्चा हर वक़्त रोता हो और कभी चप ु ना होता हो उस के ललए ये अमल िहुत काम्याि और मुजरा ि है
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िावज़ू सूरह इख़्लास तस्म्या के साथ सात मतािा पढ़ कर िच्चे के दाएँ (सीधी तरफ़ के) कान में दम करें
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(िँू क मारें ) उसी तरह किर सात मतािा सूरह इख़्लास पढ़ कर िाएं कान में दम करें ।
हामसदीन से हहफ़ाज़त:
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अगर ककसी र्ख़्स का वास्ता हालसदीन से पड़ गया हो और वो उसको सताने और ज़ल् ु म करने में लगे रहते
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हों तो सर खोल कर खल ु े आसमान के नीचे िैठ कर इर्ा की नमाज़ के िाद एक मतािा सूरह मुज़जम्मल
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(पारह २९) परू ी सरू ह पढ़ें और ये अमल इक्कीस ददन िरािर करें , नाग़ा ना करें , इन र्ा अल्लाह तआला
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हालसद ज़लील व ख़्वार होगा और हमेर्ा के ललए पीछा छोड़ दे गा और पढ़ने वाला उस के र्र व कफ़तना से
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मेहफ़ूज़ रहे गा।
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जो बुख़ार कभी ना उतरता हो:
अगर ककसी र्ख़्स को ऐसे िुख़ार ने पकड़ ललया है जो हर वक़्त रहता है और कभी नहीं उतरता और हकीम व डॉक्टर उस के इलाज से आजजज़ हों तो उस का इलाज ये है कक ककसी आललम ए दीन के पास
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मरीज़ जाये या अगर मरीज़ ख़द ु जाने के क़ाबिल नहीं है तो आललम ए दीन को घर िुला ले। मरीज़ को
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सूती कपड़े पेहना ददए जाएँ (के टी या दस ू रे मस्नूइ धागे के िने हुए कपड़े ना हों) वो आललम ए दीन िावज़ू इक्कीस िार िुलंद आवाज़ से सूरह क़दर पढ़े और मरीज़ को सुनाये और मरीज़ पर दम करे और पानी की
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भरी हुई िोतल पर भी दम करे । ये अमल तीन ददन तक मुसल्सल ककया जाये। इन र्ा अल्लाह तआला
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मरीज़ का िुख़ार फ़ौरन ग़ायि होगा और मरीज़ सेहत्याि होगा।
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हर मक़्सद में काम्याबी:
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जो र्ख़्स हर कक़स्म की रुकावटों से परे र्ां हो जजस चीज़ में हाथ डालता हो उसी में नाकाम रहता हो। कारोिार में नुक़्सान, नोकरी में हर वक़्त लड़ाई झगड़ा, ररकतेदारों से दकु मनी, मोहल्ले वालों से नाचाक़ी,
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जज़न्दगी से िेज़ार, उस के ललए रोज़ाना अवल व आख़ख़र ग्यारह ग्यारह िार दरूद र्रीफ़ पढ़े और दरम्यान में सूरह तोिा की आख़री दो आयात सुिह को िावज़ू िाद नमाज़ फ़ज्र और र्ाम को िाद नमाज़ मग़ररि िावज़ू एक सो िार पढ़े और हस्िे तौफ़ीक़ रोज़ाना कुछ सदक़ा ख़ैरात भी ककया करे । हराम की आम्दनी से
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हराम खाने से परहे ज़ करे । एक चचल्ला दो चचल्ला तीन चचल्ला (यानन चालीस चालीस ददन तक)
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मुसल्सल बिला नाग़ा पढ़ता रहे । इन र्ा अल्लाह तआला दो चचल्ले पूरे नहीं होंगे कक सि रुकावटें आदहस्ता आदहस्ता दरू होती जाएँगी।
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भागे हुए की वापसी:
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अगर कोई लड़का, लड़की, औरत, मदा , नोकर घर से भाग गया हो और उस का िल ु ाना ज़रूरी हो तो उस के
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ललए उस का पुराना कपड़ा ले कर सामने रख लें और िावज़ू सूरह क़सस (पारह २०) को तीन मतािा पढ़
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कर लम्िी दआ ु करें कक वो हाजज़र हो जाये और उस का ददल घर की तरफ़ मत ु वज्जह हो। उस के िाद चालीस मतािा कहें "ऐ अल्लाह इस िन्दे या िन्दी को हाजज़र कर दे " इन र्ा अल्लाह मज़्कूरह र्ख़्स तीन ददन से पहले हाजज़र हो जायेगा अगर दरू गया है तो चंद ददन िाद वापस आ जायेगा।
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जजस्म के अिंदर कहीिं भी ददस हो उस से ननजात:
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जजस र्ख़्स के जजस्म के ककसी भी दहस्से में ददा रहता हो या जजस्म के अक्सर दहस्सों में ददा होने लगता हो तो उस के ललए िावज़ू अवल इक्कीस मतािा दरूद र्रीफ़ पढ़ें , उस के िाद सात मतािा सूरह अल-फ़ील
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पढ़ें आख़ख़र में इक्कीस मतािा दरूद र्रीफ़ पढ़ कर मरीज़ के ददा वाली जगा पर दम कर दें । अगर ग़ैर
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औरत है तो पाइप या नलकी के ज़ररए परदे में बिठा कर दम करें । इन र्ा अल्लाह तआला चंद ददन के
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अमल से मरीज़ को ददा से ननजात हालसल होगी।
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दािंत के ददस का अक्सीर अमल:
अगर ककसी के दांत में सख़्त ददा हो जजस के सिि तिीअत िेचन ै और सोना, खाना पीना सि मुजककल हो
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गया हो उस के ललए ये अमल िहुत मज ु रा ि है । िावज़ू सरू ह क़ुरै र् को इक्कीस मतािा पढ़ कर नमक पर
दम करें और वो नमक उस दांत पर मलें और दांतों के दरम्यान रखें ददन में दो तीन मतािा ये अमल करने
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से मरीज़ को फ़ायदा होगा और ददा से ननजात लमलेगी। हर वक़्त रोने वाले बच्चे का इलाज:
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जो िच्चा हर वक़्त रोता हो उस के ललए ये अमल िहुत काम्याि और मुजरा ि है िावज़ू सूरह इख़्लास
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तस्म्या के साथ सात मतािा पढ़ कर िच्चे के दाएँ (सीधी तरफ़ के) कान में दम करें (िँू क मारें ) उसी तरह
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किर सात मतािा सूरह इख़्लास पढ़ कर िाएं कान में दम करें । सर ददस का बेह्तरीन अमल:
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अगर ककसी के सर में ददा हो और सर ददा की वजह से आराम ना आता हो तो सत ू ी कपड़ा ले कर उस के
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छोटे छोटे तीन टुकड़े करे और हर टुकड़े पर िावज़ू सूरह अल-फ़ील एक मतािा पढ़ कर दम करे किर एक
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मतािा सरू ह अल-फ़ील पढ़ कर दस ू रे टुकड़े पर दम करे इस के िाद एक मतािा सरू ह फ़ील पढ़ कर तीसरे टुकड़े पर दम करे और रख ले। एक टुकड़ा ले कर उस को इस तरह जलाये कक उस में आग ना जले िजल्क धव ु ां उठे वो धव ु ां मरीज़ की नाक में सि ु ह को पोहं चाएं। दस ू रा टुकड़ा ले कर दोपेहेर को धव ु ां नाक में
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पोहं चाएं और र्ाम को तीसरा टुकड़ा जला कर मरीज़ की नाक में धव ु ां पोहं चाएं। इन र्ा अल्लाह तआला मरीज़ पहले ही ददन फ़ायदा मेहसूस करे गा और चंद ददन के अमल से सर का ददा ग़ायि हो जायेगा।
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जाद,ू सफ़ली टोना टोटका ख़त्म:
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अगर ककसी पर जाद ू या सफ़ली का असर हो या उस पर टोने टोटके का अमल कराया गया हो तो उस के
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ललए ये अमल तीर िहदफ़ और मुजरा ि है । रोज़ाना िावज़ू अवल तीन मतािा दरूद र्रीफ़ पढ़ें उस के िाद
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आयत-अल-कुसी सात मतािा उस के िाद सूरह फ़लक़ और नास सात सात मतािा पढ़ें और ग्यारह मतािा
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दरूद र्रीफ़ पढ़ कर मरीज़ पर और एक िोतल पानी पर दम करें जि भी मरीज़ पानी वपए इस िोतल में
के अंदर जाद ू टोने का असर ख़त्म हो जायेगा।
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से थोड़ा सा पानी लमला कर मरीज़ को वपलाएं। ये अमल सात ददन करें । इन र्ा अल्लाह तआला सात ददन
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यक़ासन, जजगर और मैदे के मलए ननहायत मुफ़ीद हुवल-र्ाफ़ी: अफ़्सन्तीन एक तोला, िुरादह आब्नोस दो तोला, उनाि दो तोला, र्ाहत्रह दो तोला, िूल
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गुलाि दो तोला, चोि चीनी दो तोला, उकिा मग़रिी दो तोला, ककराइता दो तोला, चराइता दो तोला, मको दो तोला, गुलू दो तोला, तुख़्म कसूस दो तोला, िगा िांसा तीन तोला। तमाम चीज़ें रात को पोटली में िाँध
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कर पांच लीटर पानी में लभगोदें , सुिह ये पानी आग पर रख दें जि तक़रीिन डेढ़ से दो लीटर पानी रह Page 19 of 61
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जाये तो पोटली को पानी में अच्छी तरह ननचोड़ कर िाहर ननकाल लें और तीन पाव चीनी डाल कर र्रित
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िना लें। तुख़्म िालंगो पचास ग्राम, तुख़्म ख़फ़ ु ाा पचास ग्राम, तुख़्म रे हान (सािुत) पचास ग्राम, पहली
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दोनों दवाएं िारीक पीस कर तख़् ु म रे हान में र्ालमल कर लें। ख़ोराक: र्रित दो तोला सि ु ह व र्ाम। सफ़ूफ़: सफ़ूफ़ चाय वाला चम्मच सुिह व र्ाम हमराह पानी या कच्ची लस्सी लें। हर कक़स्म के यक़ाान,
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(मुहम्मद फ़ारूक़ आज़म, हालसल पुर)
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जजगर, मैदे के अमराज़ के ललए ननहायत मफ़ ु ीद है । ख़न ू साफ़ और नया पैदा होता है ।
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क़ाररईन के नतब्बी और रूहानी सवाल, मसफ़स क़ाररईन के जवाब:
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नोकरी और बीमारी: मोहतरम हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! आपका अिक़री ररसाला पहली मतािा
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पढ़ा तो िहुत सुकून लमला कक अगर दस ू रे लोगों के मसाइल हल हो सकते हैं तो मेरा भी ज़रूर हल होगा।
मेरा क़ाररईन से सवाल है कक मेरी उम्र २५ साल है लेककन िीमारी की वजह से पंद्रह या िीस की लगती हूँ
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और छाती तो ना होने के िरािर है । दस ू रा मसला ये है कक मेरी तालीम िी ए, िी एड है , मुझे कोई वज़ीफ़ा
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िताएं कक मुझे नोकरी लमल जाये, मैं नोकरी की वजह से िहुत परे र्ां हूँ। (र्फ़क़त परवीन, र्ेख़प ू ुरह) जवाब: आप दफ़्तर माहनामा अिक़री की दवाई अक्सीरुल िदन और ख़न ू अफ़ज़ा की चंद डडब्यां तरकीि के मुताबिक़ कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें । इन र्ा अल्लाह आप के कम्ज़ोरी और
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ननस्वानी हुस्न के मसाइल चंद माह में ही हल हो जाएंगे। नोकरी के ललए आप दजा ज़ैल वज़ीफ़ा इस्तेमाल
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करें :-
अवल व आख़ख़र तीन तीन मतािा कोई भी दरूद र्रीफ़, एक मतािा सूरह फ़ानतहा मअ तजस्मया, तीन
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मतािा सूरह इख़्लास मअ तजस्मया (ये पूरा एक अमल हुआ) इस तरह रोज़ाना ४१ मतािा करें । ये एक
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ननसाि र्ुमार होगा। इसी तरह रोज़ाना कई ननसाि कर सकते हैं। अय्याम के ददनों में ना करें , िाद में अमल की तअदाद पूरी करें । जज़न्दगी का मामूल िना लें ख़ैर व िरकत के ठन्डे िादल आप पर हर वक़्त Page 20 of 61
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छाए रहें गे। ये वज़ीफ़ा आप के तमाम मसाइल का हल है । आप इस वज़ीफ़े को अपनी हर कक़स्म की
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िीमारी, परे र्ानी और मुजककल में कर सकते हैं। (मुहम्मद फ़हद, इस्लामआिाद)
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रहम की रसोमलयािं: मेरा मसला ये है कक मेरे रहम में छोटी िड़ी कई रसोललयां हैं, एक िेटा ऑपरे र्न के साथ हुआ जजस के साथ डॉक्टर ने आधी रसोललयां ननकाल दीं और एक दो छोड़ दीं जो कक अि िढ़ कर इतनी हो चक ु ी हैं कक दि ु ारह हमल नहीं हो रहा। डॉक्टर ने इस का हल ऑपरे र्न तजवीज़ ककया है । मैं
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ऑपरे र्न नहीं करवाना चाहती, कोई सूरह, कोई आयत कोई दे सी इलाज िता दें कक ये ऑपरे र्न के िग़ैर
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ख़त्म हो जाएँ। (लमलसज़ ज़ीर्ान, फ़ैसलआिाद)
जवाब: िेहन! आप को एक वज़ीफ़ा दे रही हूँ, मेरी नन्द के साथ भी यही मसला था, अल्हम्दलु लल्लाह! इस
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वज़ीफ़े की िरकत से अल्लाह ने उसे सेहत व तंदरु ु स्ती अता फ़माायी है । आप ददन में ३१३ दफ़ा आयत-
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अल-कुसी पढ़ें और अल्लाह के हुज़ूर चगड़चगड़ा कर लर्फ़ायािी के ललए दआ ु एं करें । इन र्ा अल्लाह आयत-
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अल-कुसी की िरकत से आप का मज़ा जड़ से ख़त्म हो जायेगा। ये अमल चंद ददन, चंद हफ़्ते या चंद
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महीने ज़रूर करें । (रुिीना इकराम, लाहौर)
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जजयाां से ननजात: मोहतरम हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! उम्मीद है आप ख़ैररय्यत से होंगे और अल्लाह आप को ख़र् ु व ख़रु ा म और सेहतमन्द रखे। मेरा क़ाररईन से सवाल है कक मैं अरसा िारह साल से
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मज़ा जजयाां में मब्ु तला हूँ, हर जगा से इलाज करवाया लेककन कोई फ़ायदा नहीं हुआ, लाखों रुपए ख़चा कर चक ु ा हूँ। मैं सुिह उठता हूँ तो िाथ रूम की तरफ़ भाग पड़ता हूँ लेस दार मादा पेर्ाि के साथ ख़ाजा होता
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है । मैं मायूस हो चक ु ा हूँ। (र-अ, पाकपतन)
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जवाब: आप को चादहए कक आप को क़ब्ज़ ना हो, सुिह उठ कर तीन चार चगलास पानी नोर् जान कर लेना काफ़ी होगा। दस ू री सूरत इस्पग़ोल की है कक रात सोते वक़्त नो ग्राम िाँक लें। क़ब्ज़ की वजह से
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मसाने के ग़दद ू पर दिाव पड़ता है और इस दिाव से ग़दद ू की रतुित (मजज़) ख़ाजा होती है । अक्सर
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नोजवान इसे लमनी समझ कर ख़्वाह मख़्वाह परे र्ां होते हैं। ये कोई ख़तरनाक मसला नहीं है । इस पर
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ज़्यादा ग़ौर नहीं करना चादहए और ख़्वाह मख़्वाह उदय ू ात इस्तेमाल नहीं करनी चादहयें। ये फ़साद अताई
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हकीमों ने ऐसा िैलाया है कक हर नोजवान को परे र्ान कर ददया है । (र्कीलुद्दीन,वपर्ावर)
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आठ साल पुराना मज़स: मोहतरम हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! मैं अरसा दो माह से अिक़री का क़ारी हूँ, अिक़री की जजतनी तारीफ़ की जाये कम है और दो अन्मोल ख़ज़ाने की तो िात ही कुछ और है । मैं क़ाररईन से एक मसला डडस्कस्स करना चाहता हूँ और उम्मीद है मुझे मायूस नहीं करें गे। मुझे सात आठ
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साल से जजयाां की िीमारी है , इलाज करवा करवा कर थक गया हूँ और अि मैं ने इलाज करवाना भी छोड़ ददया है । उम्र िाईस साल है , आप मुझे कोई आसान मुस्तक़ल और िहुत कारआमद नुस्ख़ा िताएं। (म,अ,
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कराची)
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जवाब: मेरे भाई जजयाां का आसान तरीन इलाज है कक आप कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से गरम तली
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हुई अकया का इस्तेमाल छोड़ दें । आप ककसी भी कक़स्म की कोई दवाई इस्तेमाल ना करें , नमाज़ पढ़ें । फ़ज्र
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की नमाज़ के िाद ककसी पाका में जा कर या खल ु ी कफ़ज़ा में जा कर सैर ज़रूर करें । इन र्ा अल्लाह िग़ैर
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ककसी दवाई के इस िीमारी से ननजात पा जायेंगे। (तलअत हुसैन, लाहौर)
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ख़राब मैदा: क़ाररईन! मेरा मसला ये है कक मेरा मैदा िचपन से ही ख़राि रहता था, किर ठीक हो गया था लेककन अि ६ या सात साल से ख़राि है , पेट में गैस िहुत ज़्यादा होती है और पाख़ाना पतला आता है ,
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कोई दवाई फ़ायदा नहीं दे रही, गैस सर को चढ़ती है अक्सर दवाई खाने से भी गैस सर को चढ़ती है । (ज़हीर, मंडी िहाउद्दीन)
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जवाब: ज़हीर भाई! आप लसफ़ा ये नुस्ख़ा कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें । हुवल र्ाफ़ी:
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मग़ज़ कर्नीज़, गोंद कीकर, राल सफ़ेद, लमल्ठी (हर एक पचास ग्राम) चीनी चालीस ग्राम कूट पीस कर लमला लें। एक चाय का चम्मच पानी के हमराह ददन में तीन िार इस्तेमाल करें । इन र्ा अल्लाह िहुत
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ज़्यादा फ़ायदा होगा। (सीमा हिीि, कराची)
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हर वक़्त बीमार: क़ाररईन! मैं हर वक़्त िीमार रहता हूँ, उम्र ४१ साल है , कभी सर ददा , कभी िख़ ु ार, कभी
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चक्कर, कभी िी पी हाई हो जाता है तरह तरह की दवाइयाँ खा खा कर र्दीद एअसाबि कम्ज़ोरी और
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मदााना कम्ज़ोरी है । िराहे मेहेरिानी! कोई इलाज, कोई दवा, कोई वज़ीफ़ा िताएं कक मैं इन तमाम अमराज़ से छुटकारा पा सकँू । अल्लाह आप को इस का अजर दे गा। (ताललि हुसैन, रावलवपंडी) जवाब: आप दजा ज़ैल नुस्ख़ा जो कक मैं ने हज़रत हकीम साहि की र्ाहकार ककताि "मेरे नतब्िी राज़ों का
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ख़ज़ाना" के लसफ़हा नंिर १५२ पर "लज़ीज़ चटनी के चालीस फ़वाइद" से ललया। इस नुस्ख़े की मैं क्या तारीफ़ करूँ िस आप कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें इस के फ़वाइद आप पर ख़द ु
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खल ु ेंगे:- हुवल शाफ़ी: सब्ज़ पोदीना, अदरक या सूंठ, अनार दाना हम्वज़न लमला कर लसल वट्टे या ग्राइंडर
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में ख़ि ू रगड़ें, जजतना ज़्यादा रगड़ेंगे उतना ज़्यादा मुफ़ीद व मुअस्सर होगा िअज़ लोग इस में हम्वज़न
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दे सी लेह्सन भी लमला दे ते हैं लेककन अमूमन यही तीन अज्ज़ा इस्तेमाल कराता हूँ इस में मज़ीद कोई
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नमक लमचा ना डालें , इकट्ठी भी िना कर किज में रख सकते हैं, रोज़ाना डेढ़ चम्मच से एक छोटा चम्मच
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ददन में तीन से पांच िार खाने के इलावा या खाने के हमराह जैसे ददल चाहे इस्तेमाल करें । पुरानी
िीमाररयों में मस् ु तक़ल इस्तेमाल करें और अगर मज़ीद कोई और दवा इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसे फ़ौरन
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ना छोड़ें। अगर अज्ज़ा ताज़ह ना लमलें तो मजिूरन ख़कु क भी इस्तेमाल कर सकते हैं। (तिस्सुम बिलाल,
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लसयालकोट)
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नतब्बी मश्वरे
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जजस्मानी बीमाररयों का शाफ़ी इलाज
(तवज्जह तलब उमूर के मलए पता मलखा हुआ जवाबी मलफ़ाफ़ा हमराह अरसाल करें और उस पर मक ु म्मल पता वाज़ेह हो। जवाबी मलफ़ाफ़ा ना िालने की सरू त में जवाब अरसाल नहीिं ककया जायेगा।
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मलखते हुए इज़ाफ़ी गोंद या टे प ना लगाएिं स्टे प्लसस पपन इस्तेमाल ना करें । राज़दारी का ख़्याल रखा
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तहरीर करें ।)
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जायेगा। सफ़हे के एक तरफ़ मलखें। नाम और शहर का नाम या मुकम्मल पता ख़त के आखख़र में ज़रूर
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कान का बैलेंस आउट: ज़क ु ाम हुआ, छींकें और नाक से पानी िहा किर गाढ़ा पीला मवाद ख़ाररर् होने
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लगा, इलाज करवाया, वो सि तो ठीक हो गया मगर र्दीद चक्कर र्ुरू हो गए, सीधी खड़ी नहीं हो
सकती, इलाज िहुत ककये, कुछ फ़ायदा होता है किर वेसे ही हो जाता है , कहते हैं कक कान का िैलेंस आउट
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हो गया है । (सदफ़, गुजरांवाला)
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मश्वरा: अक़ा अंिर असली सुिह व र्ाम वपयें। अक़ा मा-अल-लहम स आनतर्ा िाद चग़ज़ा वपयें। कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से ये नुस्ख़ा इस्तेमाल करें ।
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काली जजल्द: तक़रीिन दस साल पहले मेरे पाऊँ पर गरम पानी चगर गया था। जजस का मुनालसि इलाज ना होने के िाइस मेरे पाऊँ की जजल्द की रं गत काली हो गयी जो लसवाए इस के कक पाऊँ के ऊपरी जजल्द
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काली है । क्या मेरे पैर की जजल्द का रं ग ठीक हो सकता है । कोई दवा तज्वीज़ फ़मााएँ। (अफ़र्ाँ, मुल्तान)
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मश्वरा: िहुत ज़रा सा गाए का ख़ाललस ताज़ह मक्खन हर रोज़ लगाएं। मगर इलाज लम्िा है जल्दी
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फ़ायदा नहीं होगा।
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खाना हज़म ना होने का मज़स: मेरे िेटे की उम्र १६ साल है । उसे खाना हज़म ना होने और तेज़ाबियत का
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मज़ा है । उस का मुंह भी पक जाता है । मसाने की गमी, क़ब्ज़ भी है , चेहरे पर दाने ननकलते हैं, ग़स् ु सा िहुत
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करता है । िराहे मेहेरिानी उस के ललए कोई इलाज तज्वीज़ कर दें । (अिू अब्दल् ु लाह, ख़ानेवाल) जवाब: मोहतरम! आप अपने िच्चे को दजा ज़ैल नस् ु ख़ा इस्तेमाल कराएं। सि ु ह व र्ाम खाने से पहले ख़मीरा गाओज़िां अंिरी जवाहर दार, ननस्फ़ चम्मच चाय वाला और ख़मीरा िादाम, एक चम्मच चाय
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वाला पानी से ख़खला ददया करें । ददन में दो मतािा र्रित उनाि तीन िड़े चम्मच एक चगलास पानी में लमला कर वपला ददया करें । रात को सोते वक़्त िच्चे को नीम गरम दध ू पीने को दें । इन र्ा अल्लाह लर्फ़ा
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होगी। िच्चे को िाज़ारी चग़ज़ाओं से परहे ज़ कराएं। िच्चे को वजज़ार् की आदत डालें, खाने के फ़ौरन िाद
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ज़्यादा पानी पीने या चाय पीने से परहे ज़ करवाएं।
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रिं गत काली हो रही है : मेरी उम्र २६ साल है , मेरे चेहरे पर छाईयाँ हो रही हैं। कहीं गहरे और कहीं हल्के धब्िे
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हैं। रं गत काली हो रही है इस वजह से में परे र्ां हूँ। िराहे करम! मुझे कोई मुफ़ीद नुस्ख़ा तज्वीज़ कर दें । (सोबिया)
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जवाब: ख़न ू की ख़रािी या कमी अय्याम की िेक़ाइदगी, िजन्दर्, धप ू में घम ू ने और जजल्द की दहफ़ाज़त
ना करने, हाज़्मा की ख़रािी, जजगर के फ़ेअल में ख़रािी दौरान हमल या िाद अज़ हमल ककसी वजह से
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भी ये मसला हो जाता है । आप दजा ज़ैल नस् ु ख़ा इस्तेमाल करें । इन र्ा अल्लाह तआला आप की ये तक्लीफ़ बिल्कुल ठीक हो जायेगी। सुिह और रात को खाने से पहले माजून उकिा एक चम्चा चाय वाला
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हमराह अक़ा मरकि मुसफ़ा ख़न ू ननस्फ़ कप और सुिह दोपेहेर रात खाने के िाद अक्सीर जजगर दो गोली
ललया करें ।
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हमराह पानी इस्तेमाल करें । रात को सोते वक़्त अत्रीफ़ल र्ाहत्रह एक चम्चा चाय वाला पानी के साथ खा
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नीिंद नहीिं आती: मेरी उम्र ३१ साल है । प्राइवेट नोकरी करता हूँ। मुझे लर्फ़्टों में काम करना पड़ता है कुछ अरसा से मझ ु े काम के दौरान सस् ु ती और कम्ज़ोरी मेहसस ू होती है । नींद नहीं आती सोने के ललए लेटता हूँ
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तो करवटें िदल्ता रहता हूँ। इसी तरह वक़्त गुज़र जाता है । ददमाग़ सुन सा रहता है । िराहे मेहेरिानी मुझे Page 25 of 61
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कोई ऐसा नस् ु ख़ा तज्वीज़ कर दें जजस से वक़्त पर नींद आ जाये और मेरा मसला हल हो जाये। (मह ु म्मद
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आलसफ़)
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जवाब: आम तौर पर नींद ना आने की वजह ददमाग़ी ख़कु की, परे र्ानी, चाय कॉफ़ी का िकस्रत इस्तेमाल, सोने से पहले चाय या कॉफ़ी पी लेना, लर्फ़्टों में काम करना कोई सदमा वग़ैरा पोहं चना हो सकती है । आप दजा ज़ैल नुस्ख़ा इस्तेमाल करें इन र्ा अल्लाह आप की नींद ठीक हो जायेगी। हुवल र्ाफ़ी: सुिह
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र्ाम ख़मीरा िादाम एक चम्मच चाय वाला और ख़मीरा गाओज़िां सादह एक चम्मच चाय वाला पानी से खा ललया करें । सुिह, दोपेहेर, र्ाम खाने के िाद जवाररर् र्ाही एक चम्मच चाय वाला पानी से खा ललया
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करें और सोते वक़्त अिक़री की दवा "सत्तर लर्फ़ाएं" पानी से खा ललया करें । सर और कंपदट्टयों पर रोग़न
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और िल खाएं।
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ख़र्ख़ार् की नरम हाथ से माललर् ककया करें । चग़ज़ा में नरम और ज़ौद हज़म चग़ज़ायें र्ोिाा, सजब्ज़याँ
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जजगर का मसला: मुझे वपछले चंद सालों का जजगर का र्दीद मसला है । जगा जगा से इलाज करवा कर
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थक चक ु ा हूँ। िराहे मेहेरिानी कोई नस् ु ख़ा इनायत फ़मााएँ। (र्फ़क़त हुसैन, कराची)
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मश्वरा: आप इस्लाह जजगर के ललए दजा ज़ैल नस् ु ख़ा इस्तेमाल करें ।
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हुवल शाफ़ी: सौंफ़ ६ ग्राम, गल ु सख़ ु ा ६ ग्राम, पोदीना ६ ग्राम, २५० लमली लीटर में जोर् दे कर सि ु हव
र्ाम पी ललया करें । सुिह व र्ाम खाने के िाद अिक़री दवाख़ाना के "हे पटाइदटस ननजात लसरप" ऊपर
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ललखी तरतीि के मुताबिक़ इस्तेमाल करें । सुिह ननहार मुंह ठं डा पानी ना वपयें।
उिं गमलयों में ज़ख़्म: मेरे पाऊँ की उं गललयों में ज़ख़्म हैं, िार िार वज़ू करने की वजह से उँ गललयाँ अंदर से
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ररज़्वान)
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गल चक ु ी हैं जजस की वजह से िड़ी तक्लीफ़ में हूँ। िराहे मेहेरिानी कोई नुस्ख़ा इनायत फ़मााएँ। (लमलसज़
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मश्वरा: आप दजा ज़ैल नस् ु ख़ा इस्तेमाल करें , सि ु ह व र्ाम खाने से आधा घंटा पहले ख़न ू सफ़ा दो गोली,
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माजून उकिा ननस्फ़ चम्मच चाय वाला हमराह अक़ा उकिा खा ललया करें । रात को सोते वक़्त अबत्रफ़ल
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र्ाहत्रह एक चम्मच चाय वाला पानी से खा ललया करें ।
जि भी वज़ू वग़ैरा करें तो उं गललयों के दरम्यान से कपड़े से ख़कु क कर लें। गीले पाऊँ में िंद जत ू ा ना पहनें और गीली जगा पर खड़े होने से इज्तनाि करें । पाऊँ को ख़कु क रखने की कोलर्र् करें ।
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रमज़ान में प्यास से बचने के मलए:
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सेहरी के वक़्त खाने के साथ ताज़ह दही ज़रूर इस्तेमाल करें , ज़्यादा नहीं तो दो या तीन खाने के चम्मच
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ही सही, िहुत सौदमंद है । ककसी की ग़ीित ना करें , सेहरी में कम अज़ कम २ या तीन चगलास पानी वपयें।
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हाए वाए ना करें , गमी और प्यास का जज़क्र तक ना करें । मामल ू के कामों में मर्ग़ल ू रहें । इन र्ा अल्लाह
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ना गमी लगेगी ना प्यास और अगर लगे भी तो र्ेर ए ख़द ु ा हज़रत अली رضی ہللا عنہका क़ौल याद रखें
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"जजसे जहन्नुम की आग से िचना हो वो गमी का रोज़ा रखे।" (साजजदह फ़रहत, लाहौर)
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औलाद नरीना के मलए:
मोहतरम हज़रत हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! मैं ने एक दोस्त को दजा ज़ैल वज़ीफ़ा िताया तो उस ने
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अपने भाई को ददया तो उसकी िीवी ने पढ़ा तो अभी िीस ददन ही गुज़रे थे कक अल्लाह पाक ने करम कर ददया। अमल: अवल व आख़ख़र दरूद र्रीफ़ ग्यारह मतािा, सूरह रह्मान की आयत नंिर १४ का ववदा १११
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वाला)
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मतािा हर नमाज़ के िाद। चंद ददनों िाद ही अल्लाह की रहमत हो जायेगी। (मुहम्मद यूसुफ़, आररफ़
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जजन्न ने हजरे अस्वद का बोसा हदला हदया:
बाबा ने पछ ू ा कक भाई क्या बात है ? क्याँू रोते हो? उस आदमी ने कहा बाबा मैं हज्ज के मलए आया हूाँ, हज्ज
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बफ़ज़ले ख़द ु ा मुकम्मल ककया है मगर हजरे अस्वद को अभी तक बोसा की सआदत हामसल नहीिं कर
(शैख़ अय्यूब, टािंक)
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सका। सच पूछें तो कोमशशें बहुत की मगर रश दे ख कर हहम्मत नहीिं हुई।
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ये २००० की िात है कक अल्लाह तआला ने मुझे हज्ज की सआदत नसीि की, हज्ज से पहले हमने मदीना
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का रुख़ ककया यानन मक्का से उमराह का फ़रीज़ा अदा कर के किर मदीना चले गए किर िाद में मक्का
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आये, चँ कू क हमारी अभी दस ू री ही परवाज़ थी और मक्का मुकरा मा में अभी रर् नहीं था। इस ललए जी भर
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के हजरे अस्वद को िोसे ददए और हज्ज के अय्याम नज़्दीक होते गए और रर् िढ़ता गया। हज्ज के िाद
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भी हमारे तक़रीिन पंद्रह ददन मक्का मुकरा मा में क़याम था। हज्ज के िाद एक ददन असर की नमाज़ पढ़ कर जज़क्र, अज़्कार में मर्ग़ल ू था और सामने ख़ानाए ख़द ु ा की ज़्यारत से भी आँखों को ठं डक पोहं चा रहा
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था कक मेरे साथ दाएं तरफ़ एक िुज़ुगा और एक जवान लड़का िेठा था। िाएं तरफ़ एक चालीस पैंतालीस
साल का आदमी िेठा था। किर अचानक िाएं तरफ़ वाला आदमी अपनी जगा से उठ कर दाएं तरफ़ वाले
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िुज़ुगा के पास आ गया, पहले सलाम ककया, िाद में मुसाफ़्हा ककया और मेरे और िुज़ुगा के साथ िैठ गया और ज़ार व क़तार रोने लगा। िािा ने पूछा कक भाई क्या िात है ? क्यूँ रोते हो? उस आदमी ने कहा िािा मैं
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हज्ज के ललए आया हूँ, हज्ज िफ़ज़ल ख़द ु ा मुकम्मल ककया है मगर हजरे अस्वद को अभी तक िोसा की सआदत हालसल नहीं कर सका। सच पूछें तो कोलर्र्ें िहुत की मगर रर् दे ख कर दहम्मत नहीं हुई। िािा
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ने कहा कक इस्तलाम करते रहो, ये भी ठीक है , कहने लगा: इस्तलाम तो मैं तवाफ़ के हर चक्कर में करता
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हूँ मगर िोसा की तमन्ना है । हज्ज के िाद अगर मैं घर गया और र्हर के दस ु रे हाजजयों से लमला और उन्हों ने कहा कक हम ने हजरे अस्वद को िोसा ददया है तो मझ ु े िहुत र्लमाजन्दगी होगी कक मझ ु से कम्ज़ोर Page 28 of 61
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के जन ू के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
लोगों ने ये र्रफ़ हालसल ककया है और सारी जज़न्दगी का पछतावा कक किर कभी ज़्यारत हरमैन र्रीफ़ेन
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होगी या नहीं और किर रोने लगा। िािा ने कहा कक मेरे साथ िैठ जाओ, मग़ररि की नमाज़ के िाद मैं
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तम् ु हें इन र्ा अल्लाह हजरे अस्वद का िोसा ददलाऊंगा। मैं ने िािा से कहा हज़रत िोसे तो मैंने तीन ददए हैं मगर अभी ददल में हसरत है कक एक िोसा और दँ ।ू िािा मुस्कराये और कहने लगे अच्छा भाई तू भी साथ चल--- जैसे ही नमाज़ मग़ररि अदा हुई। िािा ने कहा कक चलो िक़्या नमाज़ िाद में पढ़ लेना यानन
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सुन्नतें और नजफ़्फ़ल। एक हाथ से मुझे पकड़ा और दस ू रे हाथ से उस आदमी को और इस तेज़ी से चला कक मैं मेहसूस कर रहा था कक मैं हवा में उड़ रहा हूँ। ऐसे में उस की आवाज़ आई कक िोसा दो, अल्लाह की
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क़सम जी भर के िोसा ददया, किर उस ने पीछे खेंचा और कहा चलो उस आदमी को तो मैं ने दे खा कक िोसा ददया है या नहीं--- आते हुए िािा ने मुझे कहा कक वो सामने जो आदमी आ रहा है उस की आँखों की
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चमक दे ख रहे हो मैंने उस तरफ़ दे खा तो वाक़ई उस आदमी की आँखें िहुत चमक रही थीं मैं ने पूछा िािा
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ये कौन है ? िािा ने कहा अपनी जगा पोहं च कर िताऊंगा। अपनी जगा पर िैठ कर थोड़ी दे र सांस दरु ु स्त
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की किर सन् ू ा िािा आप कहाँ के हैं कहने लगे: मैं इंडडया का हूँ ु नतें और अवािीन पढ़े और मैं ने िािा से पछ और हर साल हज्ज को आता हूँ, मैंने पूछा िािा आप ने मुझे रास्ते में जि हजरे अस्वद का िोसा दे कर
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आ रहे थे तो एक आदमी का कहा था कक उस की आँखें चमक रही थीं, वो कौन था? मागर िािा ने कोई और िात छे ड़ दी, मैंने चंद लम्हों के िाद किर अपनी िात दहु राई और िािा से पूछा। िािा ने जवाि ददया
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कक वो जजन्न था जो तवाफ़ कर रहा था। किर िािा से कहा कक आप रोज़ यहाँ इसी जगा पर िैठते हैं ता कक रोज़ाना मुलाक़ात हो जाया करे गी। िािा ने कहा कक हरम पाक में जहाँ जगा लमले िैठ जाया करो,
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मख़्लूक़ए ख़द ु ा को तंग ना करो और जगा मुक़रा र ना करो। यक़ीन कीजजये! अगले आठ रोज़ जो कक मेरे
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मक्का मुकरा मा में थे हर तरफ़ और नमाज़ के िाद िािा को ढूंडा मगर िािा ना लमले।
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क्या तुम ज़कात दे ती हो ?
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(मुहम्मद बाबर अली सखेरा, मुल्तान)
दो औरतें हुज़रू निी करीम ﷺकी ख़ख़दमत अक़्दस में हाजज़र हुईं और उन के हाथ में सोने के कंगन थे।
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आप ﷺने फ़मााया: तुम इस की ज़कात ननकालती हो---? उन्हों ने कहा नहीं! तो निी करीम ﷺने उन से फ़मााया कक क्या तुम ये चाहती हो कक तुम्हारे दोनों कंगन जहन्नुम की आग के हो जाएँ। उन्हों ने अज़ा
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ककया नहीं। आप ﷺने फ़मााया कक किर तुम ज़कात ददया करो। (जालमआ नतलमाज़ी व ननसाई) एक
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दस ू री ररवायत में है कक जजस माल की ज़कात ना दी जाए तो ये माल गंजा सांप िन कर इंसान को
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क़यामत वाले ददन डसे गा।
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हमेशा बावज़ू रहने की फ़ज़ीलत:
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हज़रत अनस رضی ہللا عنہफ़मााते हैं कक हुज़ूर निी अक्रम ﷺने फ़मााया: ऐ अनस! अगर तुम से हो
सके कक तुम हमेर्ा िा वज़ू रहो तो ऐसा कर लो क्योंकक मलकुल-मौत जि ककसी ऐसे िन्दे की रूह क़ब्ज़
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करते हैं जो िा वज़ू हो तो उस िन्दे की मौत र्हादत की मौत ललखी जाती है । (अल-तज़्करह कफ़ल-
हवालुल-मौता उमूरुल-आख़ख़राह २२५) कन्ज़ुल-आमाल में हज़रत ख़ाललद बिन वलीद رضی ہللا عنہसे
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एक तवील हदीस नक़ल की गयी है जजस में है कक एक र्ख़्स ने हुज़रू निी अक्रम ﷺसे िहुत सी ख़्वादहर्ात का इज़्हार ककया और पूछा कक मैं ऐसा ऐसा क्यूँ कर िन सकता हूँ इन में से एक सवाल ये भी
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था कक "अज़ा ककया कक मैं चाहता हूँ मुझ पर ररज़्क़ में कुर्ादगी कर दी जाये" तो इस के जवाि में जनाि
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निी अक्रम ﷺने फ़मााया: "हमेर्ा िा वज़ू रहा करो, ररज़्क़ में कुर्ादगी कर दी जायेगी।" (िहवाला:
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कन्ज़ुल-आमाल)
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मछर भगाने के मअ ु स्सर व आज़मुदह तरीक़ै
1- िगा सरो, गंधक या गोगल, किटककरी या गाए के गोिर की धन ू ी दे ने से मछर भाग जाते हैं। 2- सरो की टे हनी या पत्ते बिस्तर पर रख लें तो मछर पास नहीं आएंगे। 3- अगर कलौंजी, हमाल, सदाि को पानी में
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उिाल कर घर में नछड़क दें तो तमाम मछर ननकल जाएंगे। 4- अगर हड़ताल और नोर्ादर को चिी में लमला कर ककसी मकान में चंद रोज़ धन ू ी दें तो वहां मछर पैदा ही ना होंगे। (मास्टर मुहम्मद अय्यूि,
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तोंसा र्रीफ़)
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नानी अम्मााँ का मुजरस ब नुस्ख़ा बराए चिंबल:
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मेरी नानी अम्माँ ने जजन को ये नस् ु ख़ा िना कर ददया अल्लाह ने उसे लर्फ़ा दी। हुवल-र्ाफ़ी: हमाल
(समाल) के िीज एक छटांक, नीला थोथा एक तोला, सरसों तीन छटांक। तमाम अज्ज़ा को लोहे की कड़ाही
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में डाल दें , लकड़ी या ओप्ले ककसी एक चीज़ की हल्की आग पर भन ू ें । अज्ज़ा को कड़ाही में दहलाने के ललए लकड़ी का चम्मच इस्तेमाल करें । जि तमाम अज्ज़ा जल कर राख हो जाएँ तो उन्हें पीस कर पाउडर िना
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लें। इस पाउडर में छटांक मक्खन या दे सी घी में लमला कर माजून िना लें। चंिल ज़्दह दहस्से को ककसी
जरासीम कर् दवा से साफ़ कर के माजून का लेप कर दें । मोहतरम हज़रत हकीम साहि! आप से
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तअल्लुक़ िन्ने के िाद जज़न्दगी में काफ़ी तब्दीली आई है , नमाज़ों और आमाल में ददल लगने लगा है ,
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कोलर्र् है कक अपनी जज़न्दगी सन् ु नत रसल ू ﷺके मत ु ाबिक़ ढाल दं ।ू (अब्दल ु वादहद)
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माहनामा अबक़री मैगज़ीन के जन ू के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
मसफ़स २ बातों पर अमल कीजजए शानदार रमज़ान गज़ ु ाररए
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ख़वातीन का बहुत सा वक़्त सेहरी बनाने में लगे गा इन शा अल्लाह तआला नैक ननयनत से जब सेहरी बनाएिंगी, हदीस में भी आया है आमाल का दार व मदार ननय्यतों पर है , यानन जब ख़वातीन सवाब की
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(राबबआ क़मर, लाहौर)
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ननयत कर लें तो उसको अल्लाह तआला परू ा परू ा अजर अता फ़मासएिंगे
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ख़वातीन की रमज़ान की घडड़याँ िहुत क़ीमती होती हैं यानन ख़वातीन की घरे लू मसरूकफ़यात ही ऐसी हैं
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कक अक्सर ख़वातीन का सारा ददन ककचन में गुज़रता है तो मैं अिक़री क़ाररईन के ललए लाई हूँ कुछ
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रूहानी और ककचन के टोटके ता कक आप का रमज़ान आसान भी गुज़रे और र्ानदार भी--- ख़वातीन अगर रमज़ान के औक़ात में अच्छी ननयत ताज़ह कर ललया करें तो रमज़ान का एक एक लम्हा उन के हक़
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में नेकी में र्ुमार हो सकता है । वो इस तरह कक नमाज़ और रोज़े की तो आप ख़वातीन पहले से पािन्द
होंगी क्योंकक मस ु ल्मान तो िाललग़ होने से मौत तक नमाज़, रोज़ा समेत तमाम र्रई कामों के अमली
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तौर पर पािन्द होते हैं। ददन भर में मार्ाअल्लाह आप पांच नमाज़ें पढ़ें गी तो इन र्ा अल्लाह तआला रोज़ा की वजह से तरावीह भी पढ़ लेंगी। थकावट हो मगर दहम्मत कर के पढ़ ही लें िेर्क िैठ कर ही
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पढ़नी पड़े। इस के इलावा ख़वातीन का िहुत सा वक़्त सेहरी िनाने में लगेगा इन र्ा अल्लाह तआला नेक ननयनत से जि सेहरी िनाएंगी। हदीस में भी आया है आमाल का दार व मदार ननयतों पर है । तो उस को
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अल्लाह तआला पूरा पूरा अजर अता फ़मााएंगे तो जि सेहरी िनाएंगी तो उस में सि घरवालों को रोज़ा
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रखवाने का सवाि भी लमलेगा। नेज़ अफ़्तारी की तय्यारी में तो ख़वातीन का ख़ासा वक़्त लगता है जि इस में रोज़ेदारों की ख़ख़दमत और रोज़ा खल ु वाने की ननयत भी र्ालमल होगी तो अजर व सवाि कहाँ से Page 32 of 61
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कहाँ जा पोहं चग े ा। लसफ़ा थोड़ी सी ननयत िदलने की दे र है । नमाज़ी ख़वातीन के पांच नमाज़ों के िीच में
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होने वाले छोटे गुनाह और रोज़ादार ख़वातीन के एक रमज़ान से दस ू रे रमज़ान के िीच वाले गुनाह मुआफ़
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होते चले जाते हैं। िड़े गन ु ाह तोिा से मआ ु फ़ हो जाते हैं। किर माह रमज़ान का सही लत्ु फ़ उठाने के ललए ख़वातीन को मज़ीद दो तरह के कामों की ज़रूरत है अगर इन दोनों कामों पर ख़वातीन अमल कर लें तो िहुत से इिादत गज़ ु ार मदों से आगे िढ़ सकती हैं।
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(१)- पहला काम: ये कक रोज़ा रखा हो (या र्रई ऊज़ुर हो) माह रमज़ान में ना ककसी की िुराई करें , ना सुनें,
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ना झगड़ा करें , ना नार्ुक्री करें िस ख़ामोर् रहना और दर गुज़र करना िेह्तर है । (२)- दस ू रा काम: ये है कक अपनी ज़िान को भी ककसी ना ककसी जज़क्र में , तोिा में , अस्तग़फ़ार में मसरूफ़
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रखें जज़क्र हर वक़्त जारी रखें। आटा गूंधते हुए, रोटी, सालन िनाते हुए हत्ता कक सफ़ाई के दौरान भी
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जज़क्र, दरूद र्रीफ़ या ककसी अल्लाह वाले ने जो जज़क्र ददया है वो जारी रखें। तस्िीहात जारी रखें। इस की
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िरकत से गुनाहों से िचने की आदत पड़ेगी झगड़े भी ख़त्म हो जायेंगे और आप का रमज़ान आप के हक़
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में क़ीमती िन जायेगा। इन र्ा अल्लाह अज़्ज़ व जल ्। अल्लाह रब्िल ु -इज़्ज़त इन क़ीमती लम्हात से
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फ़ायदा उठाने और हमें अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़मााए। (१) जज़क्र करने से अल्लाह तआला की रे हमत नाजज़ल होती है । (२) अल्लाह जल्ल र्ानह ु ू की मह ु ब्ित पैदा होती है । (३) अल्लाह पाक की रज़ा
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नसीि होती है । (४) िदन और ददल को क़ुव्वत लमलती है । (५) चेहरा और ददल मुनव्वर व रोर्न होता है ।
(६) अल्लाह का क़ुिा नसीि होता है । (७) जज़क्र की िरकत से नेकी करना आसान हो जाती है । (८) अल्लाह
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करीम का जज़क्र जन्नत के पौदे हैं। जज़क्र करने वालों को इस के इलावा भी और िेर्ुमार फ़ायदे हालसल होते हैं। जजस ने रमज़ान में मकक़ कर ली इन र्ा अल्लाह तआला उस के ललए नेककयाँ करना आसान हो
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जायेगा और जज़क्र के ललए अल्लाह पाक उस का ददल खोल दे गा। अल्लाह तआला हमें नेकी के रास्ते पर लगा दे और हमारे ददल को अपनी याद नसीि फ़मााए। आमीन सुम्म आमीन। क़ाररईन! अि आते हैं
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ककचन की तरफ़ मादहरीन चग़ज़ाइय्यत हों या िड़े िढ़ ू े सि ताज़ह खानों के इस्तेमाल का मकवरा दे ते हैं।
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ख़ास तौर पर िीज़र के मेहफ़ूज़ खानों की चग़ज़ाई अफ़ाददयत ख़त्म होने से मुतअललक़ सि की राय यकसां होती है । सी फ़ूड, डेरी मस्नआ ू त और अि सजब्ज़याँ तक िोजज़न हालत में दस्तयाि हैं। उन्हें Page 33 of 61
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सफ़ाई, कटाई और धल ु ाई के िाद इस तरह मेहफ़ूज़ ककया जाता है कक ये पकाने में ननहायत आसान हो
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जाती हैं हालांकक सजब्ज़यों को ज़्यादा धोने से उन के ववटालमन और प्रोटीन ज़ाय होने का ख़दर्ा रहता है ।
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रमज़ान से पहले अक्सर ख़वातीन खाने पकाने के अमल में सहूलत से फ़ायदा उठाने के ललए िल, सजब्ज़याँ और मसाला जात पहले से िीज़र में स्टोर कर लेती हैं। लमसाल के तौर पर हमारे हाँ तक़रीिन हर खाने में वपसे हुए अदरक लेह्सन का इस्तेमाल ककया जाता है । हर िार पीसने की ज़ेहमत से िचने के
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ललए यूँ करें कक इकट्ठा ही ज़रा ज़्यादा लमक़दार में पीस कर रख लें। िेकतर ख़वातीन ख़ास तौर पर रमज़ान में ये तरीक़ा अख़्तयार करती हैं मगर इस सहूलत के साथ एक मसला ये भी दरपेर् रहता है कक जूं ही
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एयर टाइट जार को खोला जाता है तो नागवार सी महक एअसाि पर िोझ िन्ने लगती है इस नागवार महक से िचने के ललए आइस ट्रे (िफ़ा जमाने वाले साँचे) में वपसा हुआ अदरक लेह्सन डाल कर उन्हें जमा
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ललया जाये और जमने के िाद क्यूब्स में मेहफ़ूज़ कर लें। अि जि भी ज़रूरत हो हस्िे ज़रूरत क्यूब्स
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ननकाल कर इस्तेमाल कर लें। दस ू रा तरीक़ा ये हो सकता है कक अदरक लेह्सन को पीस कर लमक़दार की
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मन ु ालसित से इस में एक या दो चाय के चम्मच कुककंग आयल और चट ु की भर नमक लमला कर िीज़र में ककसी प्लाजस्टक के प्याले में डाल कर रख दें । इस तरह ये होगा कक ये पेस्ट जमेगा नहीं और मख़्सूस
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महक भी ककसी हद्द तक कम हो जायेगी आप जि चाहें गी उसे िाआसानी इस्तेमाल में ला सकती हैं। रमज़ान में मटर, िललयां, िन्द गोभी और गाजर वग़ैरा काट कर किज़ कर लें इस तरह अफ़्तार में
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चाइनीज़ खाने िनाने में आसानी हो जायेगी। अफ़्तारी की दावत का इरादा हो तो कुछ स्नैक्स एक ददन पहले से िना कर किज़ कर लें मसलन र्ामी किाि, समोसे रोल और चचकन या कफ़र् नतक्के पर मसाला
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लगा कर किज़र में रख दें । मगर याद रख़खये जि भी उन्हें तलने के ललए िीज़र से ननकालें तो कुककंग आयल को ख़ि ू गरम कर लें किर ये स्नैक्स तललये क्योंकक िअज़ ख़वातीन इन स्नैक्स को िीज़र से
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ननकाल कर कुछ दे र के ललए िाहर रख दे ती हैं ता कक उन के चगदा जमी हुई िफ़ा वपघल जाये। िफ़ा वपघलने के साथ स्नैक्स का ज़ाइक़ा ख़राि होने का अंदेर्ा होता है । ललहाज़ा उन्हें तेज़ गरम तेल ही में पकाएं और
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अगर तेल के छींटे आने का डर हो तो फ़ौरन कड़ाही या पतीले को ढाँक दें ।
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डी िॉस्ट की हुई ख़ोराक को कभी भी दि ु ारह िीज़र में रखने की कोलर्र् ना करें क्योंकक डी िॉस्ट होने के
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िाद चग़ज़ा की चग़ज़ाइय्यत जाती रहती है । िोजज़न सजब्ज़यों को उिालने के िजाए भाप में पकाने से मज़ा
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दोिाला हो जाता है । फ़रोजज़न सजब्ज़यों को ज़्यादा दे र पकाने से भी उन के ज़ाइक़ै और रं ग में नम ु ायाँ फ़क़ा आ जाता है । क़ाररईन! अगर हम इन दजा िाला तमाम िातों पर अमल करें तो रमज़ान आसान भी गज़ ु रे गा और र्ानदार भी---
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रमज़ान में नक्सीर और बवासीर से मशफ़ा:
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(जून जुलाई के रोज़े अपने आप को अल्लाह के हवाले कर के रखें अल्लाह ख़द ु ही हहफ़ाज़त करे गा और
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अजर दे गा। गमी के मौसम में कुछ लोगों के जजस्म की गमी बढ़ जाती है और रोज़े रखने से और ज़्यादा
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गमी मेहसूस होती है और जजस्म की कुछ बीमाररयािं ज़्यादा बढ़ जाती हैं)
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मोहतरम हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! आपका हुक्म पढ़ा कक रमज़ान २०१५ के ललए कुछ आज़मूदह टोटके ललखें जो उम्मत के काम आ सके मुझे जो कुछ पता था और जो लोगों से ललया वो सि जमा कर के ललख रही हूँ। उम्मीद है लोगों के काम आएंगे। जन ू जल ु ाई के रोज़े अपने आप को अल्लाह के हवाले कर के
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रखें अल्लाह ख़द ु ही दहफ़ाज़त करे गा और अजर दे गा। गमी के मौसम में कुछ लोगों के जजस्म की गमी िढ़ जाती है और रोज़े रखने से और ज़्यादा गमी मेहसस ू होती है और जजस्म की कुछ िीमाररयां ज़्यादा
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िढ़ जाती हैं जजस में पहली िीमारी का जज़क्र करुँ गी जो नक्सीर है कुछ लोगों को रोज़े की दहद्दत की वजह
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से ज़्यादा हो जाती है ये टोटके एक छोटे से गाँव के हकीम के हैं। नक्सीर का मरीज़ सेहरी खाने से पहले मुल्तानी लमट्टी थोड़ी सी पीस लें और नस्वार की तरह उस में सूंघें इन र्ा अल्लाह नक्सीर नहीं आएगी। वो
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लमट्टी नाक में जा कर वो सोराख़ िंद कर दे गी जजस से नक्सीर आती है । Page 35 of 61
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गमी की वजह से दस ू रा मज़ा जो लर्द्दत अख़्तयार करता है , वो है "िवासीर" आप थोड़ी सी मल् ु तानी लमट्टी
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का टुकड़ा ले कर लमट्टी के कटोरे में लभगो दें और सुिह दहलाये िग़ैर ऊपर वाला पानी पी लें। चंद िार ये
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अमल करने से िवासीर ख़त्म हो जायेगी।
इस के इलावा कुछ औरतों को रोज़े की वजह से ललकोररया ज़्यादा हो जाता है वो कीकर की कच्ची िली साये में सुखा कर पीस लें साथ में थोड़ी सी र्क्कर लमला कर ननहार मुंह चाय वाला आधा चम्मच खा लें
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और सेहरी में दही ज़रूर खाएं। इन र्ा अल्लाह फ़क़ा पड़ेगा। रोज़े वेसे तो जजस्म की ज़कात हैं और इस में लर्फ़ा ही लर्फ़ा है लेककन िीमारी भी जज़न्दगी के साथ है अगर ककसी को कान में ददा हो तो सरसों के तेल
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में लेह्सन, लाल लम्िी सािुत लमचा और नीम के पत्ते जला लें किर इस तेल को ड्रॉपर में डाल कर कान में
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डालें इन र्ा अल्लाह आराम आ जायेगा। नोजवान लड़ककयों को अगर माहवारी तक्लीफ़ से आती हो तो
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अज्वाइन को साफ़ कर के थोड़ी सी पुराने गुड़ के साथ लमला कर खाएं पहले तीन ददन में इन र्ा अल्लाह
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आराम आ जायेगा और माहवारी भी खल ु कर आएगी। िच्चों को या िड़ों को ज़्यादा ठं डी चीज़ें खाने से
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अगर ननमोननया की तक्लीफ़ हो तो अज्वाइन को सरसों के तेल में जला कर नीम गरम कर के पसललयों पर हल्के हाथ से लगाएं फ़क़ा पड़ जायेगा। ज़्यादा अफ़्तारी खाने से अगर िद्द हज़मी हो जाये तो पोदीने का
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पानी उिाल कर पी लें और अगर ये है ज़ा िन जाये तो सािुत प्याज़ का रस ननकाल कर एक चम्मच पी
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लें। इन र्ा अल्लाह आराम आ जायेगा। जजन लोगों को र्ग ु र की िीमारी हो तो वो रोज़े की वजह से परे र्ां
ना हों िजल्क इन र्ा अल्लाह रमज़ान की िरकत से ये मज़ा ठीक हो जायेगा। र्ुगर के ललए "१०० नीम के पत्ते, १०० काली लमचा, १०० मीठे िादाम" इन सि को मोटा मोटा कूट लें और सेहरी खाने के िाद एक
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चम्मच और अफ़्तारी के िाद एक चम्मच खाएं। ये छोटा सा टोटका आप को इस मज़ा से ननकाल सकता है िस यक़ीन की िात है । र्ुगर के ललए एक और टोटका है थोड़ी सी हींग "पाउडर की तरह सफ़ूफ़" कर लें दो
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चाय के चम्मच करे ले के ताज़ह जस ू में अच्छी तरह लमक्स कर के सेहरी से पहले ननहार मंह ु खाएं। र्ग ु र
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कंट्रोल रहे गी। रमज़ान एक महीना और खाना ११ महीना है । इस रमज़ान को आख़री रमज़ान समझ कर गज़ ु ारें िजल्क उन लोगों को भी याद करें जो वपछले साल थे अि नहीं हैं। क्या पता ये हमारी जज़न्दगी का
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भी आख़री रमज़ान हो जजन लोगों को इन टोटकों से फ़ायदा हो तो वो मुझे अपनी दआ ु ओं में ज़रूर याद Page 36 of 61
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रखें इन र्ा अल्लाह ये रमज़ान आप की जज़न्दगी का यादगार रमज़ान होगा िजल्क यादगार नहीं "रमज़ान
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रमज़ान-उल-मुबारक में प्यास हरग़गज़ ना लगेगी:
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आसान" भी होगा। (फ़ौजज़या मुग़ल, िहावलपुर)
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रमज़ान-उल-मुिारक से पहले एक साहि ने गलमायों में प्यास ना लगने का नायाि टोटका िताया था कक सेहरी के वक़्त खाना खाने के िाद तीन अदद खजूरें लें , एक खजूर मुंह में डाल कर अच्छी तरह चिाएं और
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साथ पानी का एक घोंट लें और दोनों को मंह ु में अच्छी तरह लमक्स कर के ननगल लें। इसी तरह तीनों खजूरें खाएं। सारा ददन प्यास नहीं लगेगी, हमारे तमाम घरवालों ने ये तजुिाा ककया और इसे सो फ़ीसद
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काम्याि पाया। ये वाक़ई नायाि तोह्फ़ा है । हमारे हुज़रू अक्रम ﷺके घर में दो दो माह तक चल् ू हा नहीं
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जलता था तो वो लसफ़ा खजूर और पानी से गुज़ारा करते थे। इस ललए ये दोनों चीज़ें िरकत और रे हमत
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वाली हैं। ये तोह्फ़ा भी अिक़री की वसातत से हमें लमला। अिक़री तेरा र्कु क्रया!
करामाती तेल का फ़ैज़: हम ने करामाती तेल दफ़्तर माहनामा अिक़री से मंगवाया इस्तेमाल ककया और
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कुछ लोगों को भी इस्तेमाल करवाया। तक़रीिन तमाम मरीज़ों को मुवाकफ़क़ आया, पुराने जोड़ों की ददें ख़त्म हुईं, लसफ़ा दो मरीज़ ऐसे थे जजन को लर्फ़ा नहीं हुई लेककन िाद में पता चला कक उन का मसला और
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था उन लोगों को डॉक्टरों ने िताया था कक आप लोगों की घुटनों की हड्डडयों और टांगों की नललयों का
गूदा ख़त्म हो चक ु ा है । इस का इलाज ये है कक आप मछली का तेल वपयें और मछली के तेल के कैप्सूल
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खाएं। दजा ज़ैल नस् ु ख़ा मझ ु े लैया से लमला था। लैया में मेरे दोस्त की वाललदा की हड्डडयों से गद ू ा ख़त्म हो गया था उन्हों ने इस्तेमाल ककया तो उन की िीमारी ख़त्म हो गयी मैं ये नुस्ख़ा क़ाररईन की नज़र करता
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हूँ:- खजरू की गोंद पंसाररयों से लमल जायेगी, इसे आधा ककलो दध ू में रात को लभगो कर रख दें सि ु ह गोंद
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गल चक ु ी होगी इसे ननथार लें और ननहार मुंह खा लें जि तक िीमारी दरू ना हो इस्तेमाल करते रहें
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हड्डडयों में नया गद ू ा िन जायेगा।
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मलकोररया का बेह्तरीन नस् ु ख़ा:
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दे सी कीकर की कच्ची िललयां जजस में िीज ना िना हो तोड़ कर साये में सख ु ा लें और किर िारीक पीस लें
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मल्मल के कपड़े से छान लें। सुिह ननहार मुंह आधा तोला िासी पानी यानन ठन्डे पानी के साथ खा लें। ललकोररया िंद हो जायेगा और इस िीमारी की वजह से हमल नहीं होता था हमल भी ठे हे र जायेगा। (इन
मलकोररया के मलए लाजवाब नुस्ख़ा:
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र्ा अल्लाह)
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एक या दो सुपाररयाँ छाललया जो पान में रख कर खाई जाती हैं उन को पीस लें तीन ककलो दध ू ले कर वपसी हुई छाललया डाल कर ख़ि ू पकाएं दध ू बिल्कुल सूख कर खोया सा िन जायेगा किर इस छाललया
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लमला दध ू को घी में भून लें मज़ेदार सी लमठाई िन जायेगी रोज़ाना एक तोला ननहार मुंह खा लें इन र्ा
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अल्लाह लर्फ़ा होगी।
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अफ़्तारी में नक़ाहत दरू करने का टोटका
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(मुहम्मद फ़ारान अर्ाद भट्टी, मुज़फ़्फ़रगढ़)
आधा ककलो पानी लें, दो चम्मच चीनी, एक चम्मच नमक सफ़ेद। पानी उिालें और ठं डा होने पर जैसे
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ननम्कोल पैक डालते हैं ऐसे चीनी और नमक डालें और लमक्स कर के अफ़्तारी में एक चगलास लाज़मी पी लें, पानी की कमी और नक़ाहत व कम्ज़ोरी फ़ौरी दरू हो जायेगी। रमज़ान में अफ़्तारी के वक़्त इस्तेमाल
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रहीम आिाद भक्कर)
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करें और जि भी कोई िीमार हो उसे ये पानी िार िार थोड़ा थोड़ा वपलायें। पानी की कमी ना होगी। (स,
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सख़्त गममसयािं और सहदयों के आज़मूदह टोटके:
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(आप रोज़ाना ग़स ु ुल करें , पानी चाहे ज़्यादा इस्तेमाल ना करें लेककन जजस्म को पानी से तर करें किर ननहायत हल्का सा तेल अपने िदन पर मलें , आप सोच नहीं सकते ये तेल आप के ललिास को ख़राि नहीं करे गा लेककन आप की जजल्द और उस पर पड़ने वाली ननहायत र्दीद गमी से इस का िहुत ज़्यादा
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तहफ़्फ़ुज़ करे गा।)
क़ाररईन! आप के मलए क़ीमती मोती चन ु कर लाता हूाँ और छुपाता नहीिं, आप भी सख़ी बनें और ज़रूर
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मलखें (एडिटर हकीम मुहम्मद ताररक़ महमूद मज्ज़ूबी चग़ ु ताई)
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िअज़ लोगों के िारे में आप ने सुना होगा कक सख़्त गमी के िावजूद भी उन की तिीअत से गमी, दहद्दत,
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हाथ पाऊँ से जलन हरचगज़ नहीं जाती िजल्क मैं ने तो ऐसे लोग दे खे हैं जो मोटी चादरें लभगो लभगो कर
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अपने जजस्म पर लपेटते हैं और उन्हें जजस्म के अंदर गमी का एह्सास मस् ु तक़ल रहता है और ककतने
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लोग ऐसे हैं जो अपनी तिीअतों में गमी के िावजूद चग़ज़ाओं और बिछौनों में एहत्यात हरचगज़ नहीं करते,
मैं आप को कुछ सददयों परु ाने टोटके िताता हूँ इस गमी में चाहे वो जजतनी गमी हो आप इन को आज़मा
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कर दे खें आप ज़रूर सोचें गे कक ये ककतने पुराने टोटके हैं। 1- सि से पहले आप रोज़ाना ग़स ु ुल करें , पानी चाहे ज़्यादा इस्तेमाल ना करें लेककन जजस्म को पानी से तर करें किर ननहायत हल्का सा तेल अपने िदन
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पर मलें, आप सोच नहीं सकते ये तेल आप के ललिास को ख़राि नहीं करे गा लेककन आप की जजल्द और उस पर पड़ने वाली ननहायत लर्द्दत की गमी से इस का िहुत ज़्यादा तहफ़्फ़ुज़ करे गा और आप की जजल्द
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को और जजस्म को ठं डा रखेगा लेककन लाजज़म है गमी में ये तेल सरसों का ही इस्तेमाल ककया जाये और सरसों का तेल ख़ाललस होना ज़रूरी है । 2- अपने बिछौनों से फ़ॉम (मेदट्रस) को दरू कर दें । अगर मजिूरी है
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तो एक डेढ़ इंच का मोटा फ़ॉम का गद्दा, वरना अपने बिछौनों से फ़ॉम को बिल्कुल छुट्टी करा दें । आप सोच
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नहीं सकते कक हमारी जज़न्दगी में फ़ॉम ने ककतना नुक़्सान ककया है लसफ़ा इस के चंद नुक़्सानात ललखता हूँ तफ़्सीली िात िाद में करूँगा। मदा के पास लसफ़ा पकु त यानन कमर ही होती है और फ़ॉम पकु त का रस Page 39 of 61
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चस ू लेती है ये मैं साइंसी तहक़ीक़ का ख़ल ु ासा ललख रहा हूँ औरतों की ननस्वानी तकालीफ़ ललकोररया,
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अय्याम की ख़रािी, हर वक़्त के कमर का ददा , पट्ठों का ख़खचाव जहाँ इस के और भी अस्िाि हैं उन में एक
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िड़ा सिि फ़ॉम का इस्तेमाल है , वो चाहे जजतना महं गे से मेहंगा मेदट्रस हो और उस के अंदर ककतने जस्प्रंग लगे हुए हों ककतने सोराख़ िने हुए हों और ककतने हवा के ननकलने के रास्ते हों--- िस वो सि फ़ॉम ही फ़ॉम है और उस के नक़् ु सानात वही हैं जजस से क़ोमें ििााद हो गईं क्या रुई के गद्दे और फ़ॉम के गद्दे में फ़क़ा
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भी नहीं है ? गमी से िचने के ललए अपने जजस्म से फ़ॉम अलैदहदा करें और जज़न्दगी से अलैदहदा कर लें तो किर जज़न्दगी परे र्ाननयों से िच जायेगी। 3- गमी में नाफ़, नथनों और मक़अद् में तेल सुिह व र्ाम
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ज़रूर लगाएं। ये छोटा सा टोटका र्ायद आप को मज़ाक़ और हं सी पर मजिूर कर दे लेककन मेरे पास इस की साइंसी तहक़ीक़ का एक पूरा िाि है और एक ककताि िन सकती है कक पूरी साइंस ने इस पर ककतनी
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ररसचा की है । 4- मौसम गरमा में अपनी भवुओं को पानी से तर रखें , जदीद साइंसी तहक़ीक़ ने ये वाज़ेह
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कर ददया है कक जजन की भवुएं पानी से तर होंगी वो लोग लू, गमी, प्यास की लर्द्दत, टें र्न डडप्रेर्न, सर
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ददा , धप ू जलन से ऐसे मेहफ़ूज़ होंगे जैसे आप ककसी परु ाने कक़लए के तह ख़ाने में िेठे और उस के
रौर्नदानों से ठं डी हवाएं आ रही हों और आप का ददल और जजगर ठं डा हो रहा हो। ये उस वक़्त मुजम्कन है
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जि आप हर वक़्त िा वज़ू रहें और िा वज़ू होने के िाद भी गमी मेहसस ू हो तो आप भवओ ु ं पर पानी का
क़तरा लगा सकते हैं। एक इस से भी ज़्यादा काम का टोटका है कक ड्रॉपर में गुलाि का अक़ा रखें थोड़ी थोड़ी
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दे र के िाद ऊँगली पर अक़ा गुलाि लगा कर भवुओं पर लगा दें लेककन इस के फ़वाइद इतने हैं जो र्ायद
ललखने में भी ना आएं। 5- गलमायों में गरम मसाले इस्तेमाल ना करें , ठन्डे मसाले इस्तेमाल करें । हल्दी,
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धन्या, सफ़ेद ज़ीरा, लीमों, दही, इमली, आलू िुख़ारा ये मसाले अपने खाने में इस्तेमाल करें । हम भी ककतनी ज़्यादती करते हैं कक सदी गमी एक ही मसाले इस्तेमाल करते हैं हालांकक सददा यों के ललए मसाले
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अलैदहदा हैं और गलमायों के ललए अलैदहदा हैं। चाहें तो हल्की सी काली या सब्ज़ लमचा इस्तेमाल करें या सख़ ु ा यानन वपसी हुई वरना ठन्डे मसाले ही इस्तेमाल में लायें। एक माँ अपने िेटों के ककरदार के िारे में
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िहुत परे र्ां थी मैं ने माँ से लसफ़ा इतना कहा कक गोकत का इस्तेमाल कम, सजब्ज़याँ और मूंग की दाल का
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इस्तेमाल ज़्यादा और उन में भी ठन्डे मसालों का इस्तेमाल करें और कुछ ही अरसा के िाद मझ ु े इस का Page 40 of 61
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ररज़ल्ट िताएं। िस चग़ज़ाओं का जाना था उस का ररज़ल्ट मझ ु े लमला और ररज़ल्ट ये लमला कक िच्चों के
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ककरदार में आधे से ज़्यादा फ़क़ा पड़ गया है और पहले जो उन की किरी हुई नज़रें थीं और िेहकी हुई ज़िान
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थी वो िहुत ही ज़्यादा िेह्तरी की तरफ़ और हया की तरफ़ गाम्ज़न है । 6- मौसम गरमा में लाइट कलर यानन हल्के कलर इस्तेमाल करें अगर आप का कारोिार और जज़न्दगी की सहूलत आप को इजाज़त दे तो किर आप सफ़ेद ललिास ही इस्तेमाल करें । अगर मजिरू न नहीं कर सकते तो हल्के रं ग इस्तेमाल करें । 7-
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एक चीज़ िहुत ख़ास तौर पर कक गलमायों में गुलाि, मोनतया, दहना या फ़वाका का इत्तर इस्तेमाल ज़रूर करें । जहाँ आप की तिीअत में फ़रहत, राहत और ख़र् ु ी होगी वहां ये ख़कु िू ख़द ु गमी का िहुत िड़ा
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मुक़ािला करती है । िे र्ुमार लोग मुझे लमले जो गमी के मसाइल में िहुत ज़्यादा परे र्ां थे, मैं ने उन्हें लसफ़ा ख़कु िू का िताया वो ख़कु िू का इस्तेमाल ददन में तीन िार करें और उन्हों ने ककया और यूँ फ़ायदा
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दस्त ठीक करने का आसान घरे लू टोटका:
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हुआ कक गुमान से िाला तर हाँ लसफ़ा इतना ख़्याल रखें कक मदा हर लम्हा हर जगा और ख़वातीन लसफ़ा घर
हुवल-र्ाफ़ी: काला नमक सािुत एक चट ु की ले कर खाने वाले चम्मच में पानी ले कर चल् ू हे पर गरम कर
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हमारा आज़मूदह है । (नाहीद कौसर)
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के नमक हल कर के नीम गरम पी लें, चंद िार करने से दस्त ठीक हो जायेंगे। इन र्ा अल्लाह। ये टोटका
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हमल ठे हराने और मलकोररया भगाने का आज़मद ू ह नस् ु ख़ा:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! आप मा र्ा अल्लाह हमारे नुस्ख़ों को अपने ररसाले में जगा दे कर हमारे ललए सदक़ा ए जाररया िनाते हैं। मैं पेर्े के ललहाज़ से एक हकीम हूँ और आज अपने
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दवाख़ाना का सि से ज़्यादा चलने वाला नुस्ख़ा अिक़री क़ाररईन को हदया कर रहा हूँ। इस नुस्ख़े को Page 41 of 61
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जजस ने भी आज़माया मज ु रा ि पाया। ये नस् ु ख़ा ललकोररया और हमल ठे हराने के ललए मज ु रा ि है । हुवल-
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र्ाफ़ी: किटककरी सफ़ेद एक पाव, सोडा िाइकॉिा एक पाव, पानी एक ककलो,दोनों उदय ु ात पानी में डाल कर
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रख दें और सि ु ह तक दवाई में ख़ि ू जोर् आ चक ु ा होगा। सि ु ह आग पर रख कर ख़कु क कर लें और दवाई का वज़न करें और चौथा दहस्सा दवाई में कुकता मरजान डालें, नुस्ख़ा तय्यार है । पांच सो लमली ग्राम कैप्सल ू भर लें। ख़ोराक सि ु ह व असर के िाद पानी के साथ दें । इन र्ा अल्लाह ललकोररया से मक ु म्मल
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लर्फ़ा होगी। पंद्रह योम दवाई इस्तेमाल कर के छोड़ दें , मुकम्मल कोसा है । हमल ठे हराने के ललए तारीख़ से फ़ाररग़ हो कर तीन योम इस्तेमाल करें और सुहित करें । इन र्ा अल्लाह उम्मीद िर आएगी। अरसा
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िीस साल से ज़ैरे इस्तेमाल है । ख़ता नहीं गया, फ़ायदा उठाएं। (मुहम्मद अर्ाद ज़ुिैर, जज़ल्ला सरगोधा)
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क़ज़स, मज़स या नोकरी---२ हदन में मसला हल
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तक़रीबन आठ साल हो गए मझ ु े ये अमल आज़माते हुए मझ ु े जब भी ररज़्क़ की तिंगी मेहसस ू होती है तो
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मैं इस वज़ीफ़े को पढ़ता हूाँ दो हदन नहीिं गुज़रते अल्लाह रब्बुल-इज़्ज़त ऐसी जगा से रोज़ी का इिंतज़ाम
(क़ारी ख़ाहदम हुसैन, बहावलपरु )
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फ़मास दे ते हैं कक मझ ु े गम ु ान भी नहीिं होता।
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ररज़्क़ की तंगी के ललए ये मेरा ज़ाती और आज़मूदह अमल है । तक़रीिन आठ साल हो गए मुझे ये अमल आज़माते हुए मझ ु े जि भी ररज़्क़ की तंगी मेहसस ू होती है तो मैं इस वज़ीफ़े को पढ़ता हूँ दो ददन नहीं
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गुज़रते अल्लाह रब्िुल-इज़्ज़त ऐसी जगा से रोज़ी का इंतज़ाम फ़माा दे ते हैं कक मुझे गुमान भी नहीं होता।
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अि तो वेसे भी रमज़ान-उल-मि ु ारक र्रू ु हो रहा है रमज़ान में तो वेसे भी हर घड़ी क़िलू लयत की होती है
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आप ख़ास तौर पर इस वज़ीफ़े को करें और सारा साल ररज़्क़ की तंगी से छुटकारा पाएं। क़ज़ा हो या
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मल ु ाजज़मत ना लमल रही हो तो इस रूहानी अमल को करें इन र्ा अल्लाह दआ ु एं दें गे, यक़ीन कालमल र्ता
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है ।
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व मईं-यत्तकक़ल्लाह यज ्अल ्-ल्लहू मख़्रजन(२) व यज़क़् ुा हु लमन ् है सु ला यह्तलसिु व मईं-य्यतवक्कल ् अलल्लादह फ़हुव हस्िह ु ू इन्नल्लाह िाललग़ ु अमह ृ ी क़द् जअलल्लाहु ललकुजल्ल र्ैइन ् क़द्रन (सरू ह अलतलाक़)
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ََ ََ ح ْ َ َ ْٗ ََْ َ ح ََ َ َح ْ ح ْ ح َ ح ْ َ َح َ ْ َ َ ح َ َ ح َ َٗ ََح ح ﴾َوََیزقہ ََِمَحیثََلََیت ِسبَو۲﴿ََی َعلَلہََمح َر ًجا َ َہللاَ َُب ِل ََمَی َت َوّکَلَعَہللاَِفہوَحسبہَاِن ََمَیـت ِقَہللا و َح َح َ ََ ْ ْ َ ح َح َ﴾۳ََش ٍءَقد ًراَ﴿الطالق ِک ِ ام ِر ٖہَقدَجعلَہللاَل
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जाद ू के तोड़ के मलए तल्वार से तेज़ अमल:
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दजा ज़ैल अमल को कई लोगों ने आज़माया और दरु ु स्त पाया। मेरे एक दोस्त थे वो भी अमललय्यात का
काम करते एक ददन उन्हों ने मुझे फ़ॉन ककया कक यार मुझे कोई ऐसा अमल िताएं जो जाद ू का तोड़ हो,
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उसको मैंने ये दजा ज़ैल आयात ललख कर दीं। कहने लगे कक मेरे पास एक आदमी आया कहने लगा कक
हज़रत मेरी समोसे और पकोड़ों की रे ढ़ी है , काफ़ी ददन हो गए हैं आग जलाता हूँ मगर पकोड़े और समोसे
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पकते ही नहीं। वो कहने लगे जि मैं ने तर्ख़ीस की तो मालूम हुआ उन पर ककसी ने जाद ू कर ददया है । मैं ने उस को कहा कक तू दजा ज़ैल आयात सि ु ह व र्ाम तीन तीन िार पढ़ कर पानी पर दम कर, और ये
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पानी ख़द ु भी पी और रे ढ़ी पर नछड़काव भी कर। उस ने जि दम ककया तो कहने लगा पहले तो मैं कई कई घंटे आग जलाता था, आग कुछ असर नहीं करती थी आज दो ददन हुए हैं सि परे र्ानी दरू हो गयी है ।
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फ़वक़अल ्-हक़्क़ु व ितल मा कानू यअमलन ू (११८) फ़ग़लु लिू हुनाललक वन्क़लिू साचग़रीन (११९) व
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उजल्क़य-स्सहरतु साजजदीन (१२०) क़ालू आमन्ना बिरजब्िल-आलमीन (१२१) रजब्ि मूसा व हारून (१२२)
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(सूरह एअराफ़)
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ْ َ َ َ َ َ ح َْ ََ َ َ َ َ ْح َ ح َ َ َ ْح َ ْ ْح َْ َ َ حََْح ُ ح َََالس َح َر ْۃ َُٰسد حْی َ َ ح ﴾َۚوَال ِِق۱۱۱﴿َ﴾َۚفغ ِلبواَہنالِکَوانقلبواَص ِغ ِرْی۱۱۱﴿فوقعَاْلقَوبطلَماََکُناَیعملون ِ ِ َ َ ُ َ ْح َ َِبب حَال ُعلَ ِم ح َ )﴾(سورۃَاعراف۱۲۲﴿َ﴾ َۙر ِبَ ْم حو ُٰس ََو ُہ ْر حو َن۱۲۱﴿َْی ا ن ﴾قالواَام۱۲۱ۙ﴿ ِ ِ फ़लम्मा अल्क़ौ क़ाल मूसा मा जजअतुम ् बिदह-जस्सह्रु इन्नल्लाह सयूजब्तलुहू इन्नल्लाह ला युजस्लहु अमलल ्-मुजफ़्सदीन (८१) व युदहक़्क़ुल्लाहुल- हक़्क़ बिकललमानतही व लौ कररहल ्- मुजज्रमून (८२) (सूरह
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यन ू स ु )
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ح ْ َ َ َ ْح ْٗ َ ََ ْ ح ْ َََ ح ْح َ َ َ ٓ َح َ ح َ َ ْ ح ُ َ ح ْ َْ﴾ ََو َْی ِْقَہللا۱۱﴿َْی َ سد ح ح ِ َۙفلماَالقواَقالَموٰسَماَ ِجئتمَ ِب ِہ ِ َ ِ َالسحرَاِنَہللاَسیب ِطلہَاِنَہللاََلَیص ِلحََعلَالمف َ َ َ ح َ َ ح ٔ )﴾َ(سورہَوینس۱۲﴿ََک ُم ِتہٖ ََول حوک ِرہَال ْم حج ِر ْم حو َن ِ اْلَقَ ِب
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व अजल्क़ मा फ़ी यमीननक तल्क़फ़् मा सनऊ इन्नमा सनऊ कैद ु सादहररं व ला युजफ़्लहु-स्सादहरु है सु अता (६९) फ़उजल्क़य-स्सहरतु सुज्जदं क़ालू आमन्ना बिरजब्ि हारून व मूसा (७०) ( सूरह ताहा)
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َُ ْ َ َح َ ح َ ح َ َ ح َ ح َ َ َ ْ ح َ َ َ َ ْ ح َ ح ْ ُ َ َ ْ ح ْ ُ ْ َ ح ً َ ْ ْ َ َ َ ْح ِ وال ِقَما َِِفََیِی ِنکَتلقفَماَصنعواَاِّناَصنعواَکید َِقَالس َح َر َۃ َٰسدا ﴾فا ِل۹۱﴿َثَاٰت َٰس ٍرَوََلیف ِلحَالس ِحرَحی ْ َ ُ ٔ َ ِ ال حوا َُا َم َنا )﴾َ(َسورہ َُط َہ۰۱﴿ََِب ِب َُہ ْر حو َن ََو َْم حو ُٰس ق
माँ की ख़ख़दमत:
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हज़रत िा यज़ीद िस्तामी رحمت ہللا علیہअल्लाह के प्यारे वली थे। आप अपनी वाललदा की ख़ख़दमत को सि से िड़ी इिादत और उन की रज़ामंदी को दन्ु या की सि से िड़ी नेअमत जानते थे। एक रात वाललदा ने
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उन से पानी माँगा। हज़रत िायज़ीद िस्तामीرحمت ہللا علیہप्याला ले कर पानी लेने गए। सुराही को दे खा
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तो वो ख़ाली पड़ी थी। ये दे ख कर आप رحمت ہللا علیہदरया की तरफ़ चल ददए। उस रात सख़्त सदी पड़ रही थी। जि आप दरया से पानी ले कर आये तो वाललदा सो चक ु ी थीं, आप رحمت ہللا علیہप्याला ले कर
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वाललदा की पाइन्ती की तरफ़ खड़े हो गए, सदी की वजह से आप को िड़ी तक्लीफ़ मेहसस ू हो रही थी Page 44 of 61
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मगर आप पानी का प्याला ललए चप ु चाप खड़े रहे । कुछ दे र िाद आप की वाललदा की आँख खल ु ी तो उन्हों
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ने दे खा कक आप पानी का प्याला ललए खड़े हैं। वाललदा ने उठ कर पानी वपया और किर कहने लगीं। िेटे
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तम ु ने इतनी तक्लीफ़ क्यँू उठाई, मेरे बिस्तर के क़रीि रख दे ते, मैं उठ कर ख़द ु पी लेती। आप رحمت ہللا علیہने फ़मााया: आप ने मुझ से पानी माँगा था, मुझे इस िात का डर था कक आप की आँख खल ु ेगी तो मैं आप के सामने हाजज़र ना हूँ, वाललदा ये सन ु कर िहुत ख़र् ु हुईं और उन्हें दआ ु एं दे ने लगीं।
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(इन्तख़ाि: सांवल चग़ ु ताई, रान्झू चग़ ु ताई, अम्माँ ज़ेिू चग़ ु ताई, भूरल चग़ ु ताई, अहमद पुर लर्रक़्या)
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घरे लू मसाइल का इनसाइक्लो पीडिया
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शादी के मलए इिंतहाई आज़मद ू ह वज़ीफ़ा:
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रमज़ान र्रीफ़ की ग्यारहवीं और िारहवीं रोज़े की दरम्यानी रात को िाद नमाज़ इर्ा दो दो रकअत कर
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के १२ नजफ़्फ़ल इस तरह पढ़ें कक हर रकअत में सूरह फ़ानतहा के िाद एक िार सूरह इख़्लास पढ़ें । १२
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नजफ़्फ़ल पढ़ कर १०० मतािा दरूद र्रीफ़ पढ़ें । किर तमाम नजफ़्फ़ल और दरूद र्रीफ़ का सवाि हुज़रू पाक ﷺको पोहं चायें और किर हुज़ूर पाक ﷺके वसीले से अल्लाह तआला के हुज़ूर चगड़ चगड़ा कर
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ख़ल ु स ू ददल, इंकसारी आज्ज़ी से कम अज़ कम १५ लमनट अपने ललए या अपनी िेहेन, िेटी के ललए अच्छे ररकते की दआ ु करें । इन र्ा अल्लाह तआला अगले रमज़ान से पहले मुराद पूरी होगी। ये ननहायत ही
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आज़मद ू ह और आज़माया हुआ वज़ीफ़ा है । मैं ने जजस को भी िताया उस ने अपने रि का र्क्र ु अदा ककया। मैं ने वपछले रमज़ान-उल-मुिारक में अपनी िेटी के ललए ये वज़ीफ़ा पढ़ा था अल्लाह के फ़ज़ल से इस साल
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ररकता भी तय हो गया और ईद के िाद उस की र्ादी है । आप यक़ीन जाननये इस वज़ीफ़े के पढ़ने की िदौलत िड़ी उम्र की लड़ककयां जो अपनी र्ादी से ना उम्मीद हो गयी थीं अल्लाह के फ़ज़ल से उन की भी
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र्ाददयां हो गयी हैं और अपने घरों में ख़र् ु और आिाद हैं।
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गमी की मशद्दत और अनोखा मश्रब ू (ख़ुसस ू ी रमज़ान तोह्फ़ा):
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आप इस र्रित को सेहरी के वक़्त और अफ़्तारी के वक़्त इसे इस्तेमाल करें आप सारा ददन गमी धप ू में
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जजस लर्द्दत से काम करें आप को इस का कोई एह्सास नहीं होगा। हुवल-र्ाफ़ी: गुल नीलोफ़र, गुलाि के िूल, आमला, िहीड़ा, हड़ीड़, गाओज़िां, इमली, आलू िख़ ु ारा के इलावा िाक़ी तमाम पचास पचास ग्राम और इमली आलू िुख़ारा एक एक पाव। इन सि को तक़रीिन आठ ककलो पानी में हल्का कूट कर रात को
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नीम गरम पानी में लभगोदें । सुिह उठ कर हल्की आंच पर उिालें जि तीन ककलो पानी जल जाये तो उतार कर रखें और ठं डा होने पर पानी ननथार लें। इस में पांच ककलो चीनी लमला कर ख़कु क िोतलों में मेहफ़ूज़
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रखें िस र्रित तय्यार है । चाहे हस्िे पसंद कोई ख़कु िू डाल सकते हैं। िस इस की रं गत को ना दे ख़खएगा
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दे ख़खएगा। (जजल्द 7)
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माहनामा अिक़री जून 2015 र्म ु ारा नंिर 108 _____________page21
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और ज़ादहरी ज़ाइक़ै को ना दे ख़खएगा िजल्क इस के अंदरूनी कमाल, सेहत तंदरु ु स्ती, और सेहत को
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बेहटयों को पवरासत में हहस्सा ना दे ने वालों के इब्रतनाक अिंजाम:
(कहााँ उन की ज़मीन हज़ारों एकड़ थी और अब कहााँ पिंद्रह एकड़ रह गयी इस की क्या वजह है ? उन्हों ने
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फ़मासया था कक ये लोग पवरासत में से लड़ककयों को हहस्सा दे ने के क़ाइल नहीिं हैं और ना ही दे ते हैं जजस की
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वजह से इन के साथ क़ुदरत का ये मुआम्ला है और ये बबल्कुल हक़ीक़त है ।) शहर का बड़ा रईस--- मगर अब खाने को रोटी नहीिं:
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हमारे र्हर के क़रीि एक गोठ है जहाँ उस गोठ का रईस है , रहता है उस के दादा परदादा की यहाँ पंद्रह
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हज़ार एकड़ ज़मीन थी, आदहस्ता आदहस्ता कुछ परदादा ने कुछ दादा ने कुछ वाललद ने और कुछ उस ने फ़रोख़्त कर दी--- मगर ग़रु ित थी कक िढ़ती ही जा रही थी और अि उस के पास लसफ़ा पंद्रह एकड़ ज़मीन Page 46 of 61
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िाक़ी है और घर का हाल ये है कक कभी रोटी खाने को होती है और कभी नहीं और िीमाररयां तो जान
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छोड़ती ही नहीं। वजह इस की ये है कक हमारे यहाँ क़रीि एक फ़क़्या और मुफ़्ती मरहूम रहते थे उन से
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ककसी ने उन के हाल का जज़क्र ककया कक कहाँ उन की ज़मीन हज़ारों एकड़ थी और अि कहाँ पंद्रह एकड़ रह गयी इस की क्या वजह है ? उन्हों ने फ़मााया था कक ये लोग ववरासत में से लड़ककयों को दहस्सा दे ने के क़ाइल नहीं हैं और ना ही दे ते हैं जजस की वजह से उन के साथ क़ुदरत का ये मआ ु म्ला है और ये बिल्कुल
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हक़ीक़त है कक वो लड़ककयों को ववरासत में दहस्सा नहीं दे ते और उन्हें समझाया भी िहुत है लेककन वो नहीं मानते जजस की दन्ु यावी सज़ा उन को ये लमल रही है और आगे ना जाने क्या होगा??? (म-य-क़)
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बेहन को हहस्सा ना हदया और पूरा घराना उजड़ गया:
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मेरे वाललद साहि और वाललदा दोनों नोकरी करते थे, वाललद साहि वापडा में मुलाजज़म हैं और वाललदा
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लेडी हे ल्थ ववजज़टर थीं। हम लाहौर में रहते थे क्योंकक हमारा नननहाल और िाक़ी पूरा ख़ानदान यहीं पर
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है । वाललद साहि की ट्रांस्फ़र मुज़फ़्फ़र गढ़ हो गयी और हम लाहौर से मुज़फ़्फ़र गढ़ मुंतक़ल हो गए। जहाँ
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दो साल रहने के िाद वाललद साहि की ट्रांस्फ़र गड् ु डू िेराज हो गयी। हमारी नानी िीमार रहने लगीं और
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१९९५ में उन का ववसाल हो गया। हमारी नानी िहुत मज़हिी ख़ातून थीं। नाना का इन्तेक़ाल िहुत पहले
हो चक ु ा था। हमारे नननहाल वाले सि लोग सादहिे जाइदाद थे और हर ललहाज़ से अल्लाह का फ़ज़ल था।
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अम्मी जान नानी से िहुत मुहब्ित करती थीं अम्मी जी को छाती का कैंसर हुआ और वो भी कुछ अरसा
िाद वफ़ात पा गयीं। नानी जान और अम्मी की वफ़ात के िाद मामँू ने अब्िू को मेरी वाललदा के हक़ और
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जाइदाद से फ़ाररग़ कर ददया। हमारी माँ का र्रई हक़ मेरे मामँू ने मार ललया। अगर ज़मीन की िात की जाये तो लाहौर र्हर में हमारे नननहाल की कम अज़ कम इस वक़्त ३० से ३५ करोड़ की जाइदाद है जजस
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में से हमारा हक़ िनता है , लसफ़ा लड़ाई से िचने के ललए अब्िू ने उन की िात मान ली थी। जि उन्हों ने इस मुआम्ले में ज़िरदस्ती मेरे अब्िू से दस्तख़त वग़ैरा करवा ललए तो उन की एक िेटी को उसी ददन
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तलाक़ हो गयी, मम ु ानी को छाती का कैंसर हो गया, मामँू को िवासीर हो गयी उन्हों ने ऑपरे र्न करवाया
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और उसी ऑपरे र्न की वजह से एक ददन अचानक सुिह से र्ाम तक िीमार रह कर फ़ॉत हो गए। उन के िाद मम ु ानी भी बिस्तर से लग गयीं िहुत तक्लीफ़ में वक़्त गज़ ु ार कर वो भी अि फ़ॉत हो चक ु ी हैं। हमारा Page 47 of 61
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हक़ भी चला गया दो मामँू िेरून मम ु ाललक में हैं। उन्हों ने भी आज तक हमें फ़ॉन ् तक कर के नहीं पछ ू ा।
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मैं समझता हूँ कक मेरे मामँू ने हमारा हक़ छीना है जजस की वजह से उन का पूरा घराना उजड़ गया है ।
सद ू की कमाई, डिप्रेशन, टें शन और बीमारी लाई:
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(व,क़)
मोहतरम हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! मेरी एक अज़ीज़ह हैं जो कक एक ऐसे इदारे में नोकरी करती हैं
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जो कक सूदी ननज़ाम पर चलता है और उस की सीट भी सूद का लेन दे न करने वाली है । मेरा उस के साथ
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ररकता ऐसा है कक मैं उस को मना भी नहीं कर सकती। ख़द ु भी मानती है कक इस पैसे में िरकत नहीं है मगर अि उस पैसे के असरात वाज़ेह होने र्ुरू हो गए हैं, उस की तिीअत अजीि सी हो गयी है , हर वक़्त
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चचड़चचड़ा पन, िीमार रहती है । अि मार्ाअल्लाह जवान है और उस के ररकते भी आना र्ुरू हो गए हैं
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मगर वो हर ककसी के ररकते में नुक़्स ननकालती है , कहती है कक मैंने र्ादी नहीं करनी। ककसी का कहती है
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इजस्तख़ारा करवाया है ठीक नहीं आया। ककसी की कोई और वजह िता दे ती है । उस के वाललद वफ़ात पा
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चक ु े हैं मार्ाअल्लाह िड़े अच्छे हाकफ़ज़ क़ुरआन थे। उस के िड़े भाई काफ़ी परे र्ान हैं उन की जज़म्मा दारी
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है । अि एक िहुत अच्छा ररकता आया हुआ था उस ने उस का भी इनकार कर ददया है । ख़ानदान के िुज़ुगों
ने भी उस से िात की मगर उस ने उन को भी इनकार कर ददया। ये नोकरी करने से पहले वो िच्ची िहुत
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अदि आदाि वाली थी सि का एह्तराम करती थी। उस की माँ ने ककसी से पूछा तो उस ने कहा इस की कमाई में सूद र्ालमल है ये लसफ़ा उसी के असरात हैं। जो कमाती है तनख़्वाह में अगले महीने के आख़ख़र
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तक एक रुपया नहीं िचता। हर माह कहीं ना कहीं बिला वजह पैसे लग जाते हैं। वो सि कुछ जानते हुए
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भी नोकरी ना छोड़ने पर िजज़द्द है !!! (स,अ)
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सख़्त गमी का रोज़ा और हदलफ़रे ब ठिं िक का एह्सास:
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मोहतरम हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! मेरे पास एक आज़माया हुआ रूहानी और नतब्िी टोटका है जजस के इस्तेमाल से दौराने रोज़ा गमी बिल्कुल नहीं लगती। जि भी मुझे सख़्त गमी मेहसूस होती है मैं दरूद र्रीफ़ का ववदा र्ुरू कर दे ता हूँ जजस से गमी जाती रहती है और ठं डक का एक ददलफ़रे ि एह्सास
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मेहसूस होता है । वपछले साल अिक़री में एक नुस्ख़ा छपा था उस को मैंने आज़माया और िहुत मुफ़ीद पाया। रमज़ान र्रीफ़ में इस के इस्तेमाल से भूक और प्यास नहीं लगती और गलमायों में रमज़ान िड़े मज़े
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से गज़ ु रता है । कई लोगों को इस्तेमाल कराया उन्हों ने रोज़ा िहुत अच्छा गज़ ु रने की तस्दीक़ की। हुवलर्ाफ़ी: गुलक़न्द २५० ग्राम और छोटी इलाइची दस ग्राम, छोटी इलाइची पीस कर गुलक़न्द में लमला लें
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सि ु ह सेहरी के िाद एक िड़ा चम्मच आख़ख़र में गल ु क़न्द खा लें। सारा ददन प्यास का एह्सास नहीं होगा
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कम्ज़ोरी और नक़ाहत नहीं होगी। मेरे मुंह में गलमायों में िहुत छाले ननकल आते थे जो ककसी दवा से ठीक
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ना होते। इस दजा िाला दवा के इस्तेमाल से ऐसे ठीक हुए कक जैसे थे ही नहीं। इस के इलावा मैदे के दीगर
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अव्वाररज़ िद्द हज़मी, गैस, अिारा के ललए ये नुस्ख़ा िहुत मुफ़ीद पाया। हुवल-र्ाफ़ी: चीनी एक पाव,
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मीठा सोडा छटांक, सत पोदीना िारह ग्राम, िाहम पीस कर लमक्स करें । आधा चम्मच सुिह, दोपेहेर, र्ाम हमराह पानी इस्तेमाल करें । (हकीम ररयाज़ हुसैन, मकड़वाल लमयांवाली)
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वाह अबक़री वाह
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हम ममयािं बीवी की तक़रीबन हर रोज़ सख़्त लड़ाई हो जाती थी, सात आठ माह हो गए हैं हमारी कोई लड़ाई नहीिं हुई।
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(व-अ, चक्वाल)
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मेरी र्ादी मेरे मामँू के घर हुई मामँू के क़रीिी दोस्त हमारे घर आये थे, हम लमयां िीवी उन के पास िैठ गए, उन्हों ने आप के ररसाले के िारे में िताया, िहुत तारीफ़ की। मुझे र्ौक़ पैदा हो गया मैं ने अपने र्ौहर
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से वो अिक़री ररसाला मंगवाया, पढ़ा ईमान ताज़ह हो गया। ति से ले कर अि तक अिक़री ररसाला
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िाक़ाइदगी से हम लमयां िीवी पढ़ते हैं। किर अिक़री की वेि साईट एक ददन मैं ने खोली उस में दो
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अन्मोल ख़ज़ाने पढ़े , किर वो मंगवा कर हम दोनों ने पढ़ने र्ुरू कर ददए िड़ा सुकून लमला। गुनाह वाली जज़न्दगी से जान छूटी, हमारे घर में टी वी हर वक़्त लगा रहता था, ड्रामे कक़स्तवार, कोई प्रोग्राम मैं ना
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छोड़ती। अन्मोल ख़ज़ाना की िरकत से आदहस्ता आदहस्ता टी वी से नफ़रत हो गयी, मैं ने टी वी लगाना िंद कर ददया, किर कुछ अरसा िाद टी वी हाल से उठा कर स्टोर रूम में िेकार चीज़ों के साथ रख
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ददया,अि आठ नो माह हो गए हैं हमारे घर में टी वी नहीं लगता। पहले मैं गाने सन ु ती थी और हर वक़्त
गुनगुनाती रहती थी, उन से भी ददल िेज़ार हो गया, एक साल हो गया मैं ने कोई गाना नहीं सुना अि मैं
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सात िजे से ले कर नो िजे तक िच्चों को पढ़ाती हूँ, क़ुरआन पाक पढ़ती हूँ, इर्ा की नमाज़ से पहले मैं इस वक़्त टी वी दे खती थी। अि मेरे िच्चे स्कूल में पोजज़र्न लेते हैं, हर टे स्ट में मेरा िेटा फ़स्टा आता है ।
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सि टीचर मेरे िच्चों की तारीफ़ करती हैं। पहले िच्चों की स्कूल वैन वाला िहुत तंग करता था टाइम पर
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ना आता या आता ही ना--- वो मसला भी ख़द ु ि ख़द ु हल हो गया। हम लमयां िीवी की तक़रीिन हर रोज़ सख़्त लड़ाई हो जाती थी, सात आठ माह हो गए हैं हमारी कोई लड़ाई नहीं हुई। पहले मेरा ख़्याल नहीं
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रखते थे घर के महीने के सौदा सल्फ़ िहुत लड़ाई झगड़े के िाद लाया करते थे हालांकक हमारी आमदनी भी Page 50 of 61
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िहुत अच्छी ख़ासी है । मेरे र्ौहर हर वक़्त िस सोते रहते तो कोई काम घर के मत ु अल्लक़ हों बिस्तर में
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चले जाते हैं, अपने र्ौहर के इस रवय्ये से िड़ी तंग थी, िच्चों के मुआम्ले में भी ला परवाही से काम लेते
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थे जि कक अि इस के िर अक्स हैं मेरा और िच्चों का िहुत ख़्याल रखते हैं, टाइम पर घर का सौदा सल्फ़ ला दे ते हैं। पहले मैं नमाज़ नहीं पढ़ती थी अि अल्हम्दलु लल्लाह पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ती हूँ---- िहर हाल ये सारी तब्दीललयां लसफ़ा और लसफ़ा अिक़री लमलने की वजह से आई हैं। मोहतरम हकीम साहि!
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अल्लाह आप को लम्िी उम्र और सेहत अता फ़मााएँ ता कक आप के दसा और अिक़री ररसाले और िाक़ी तमाम िुक्स से मेरी तरह तमाम िहनें माएं िेदटयां और तमाम मदा हज़रात फ़ैज़याि होते रहें । मैं ने आप
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की ककताि "मुझे लर्फ़ा कैसे लमली?" दफ़्तर माहनामा अिक़री से मंगवा कर पढ़ी िहुत ही क़ीमती चीज़ है , हर घर में होनी चादहए, दसा की सी डीज़ मंगवा कर सुनती हूँ और हर जुमेरात को आप का दसा भी
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(उम्म औराक़)
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ख़वातीन पूछती हैं ?
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मैं ने उबटन बनानी है ?: मेरे चेहरे पर छाईयां हैं। एक उिटन का ललफ़ाफ़ा लमलता है जो मेहेंगा है । मैं ख़रीद नहीं सकती। मझ ु े कोई तरकीि िताइये जजस से उिटन िन जाये और इस का कोई साइड इफ़ेक्ट
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भी ना हो। (र्िाना हयात)
मश्वरा: िच्चे की पैदाइर् के िाद चेहरे पर छाइयां अमूमन अंदरूनी ख़रािी की वजह से पड़ जाती हैं। आप
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आधा कप चने की दाल ले कर एक कप दध ू में लभगो दीजजये। रात को लभगोइये सुिह पीस लीजजये। इस
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में लीमों का रस लमलाइये और किज मैं रख दीजजये। एक चम्चा दाल ले कर उस में थोड़ा सा दध ू और
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चौथाई चम्चा तेल लमला कर रख़खये। अि उसी दाल के अंदर थोड़ी सी वपसी हुई दाल लमला कर चेहरे पर
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लगाइये। पांच लमनट इसे उिटन की तरह मल कर उतार दीजजये। रात को सोते वक़्त चेहरे पर घेक्वार का
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गूदा लगाइये। आप की छाईयां कम हो जाएँगी।
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अल्लाह की मुहब्बत कैसे ममल सकती है?: मेरी उम्र अठारह िरस है , वपछले ददनों मैं ने दो तीन इस्लामी ककतािें पढ़ीं। जहन्नम ु के िारे में पढ़ कर मैं डर गयी। अल्लाह तआला की अज़्मत के िारे में पढ़ा तो जी चाहा अल्लाह तआला से ख़ि ू मुहब्ित करूँ और इस तरह र्ायद जहन्नुम की आग से िच जाऊं। मुझे हर
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वक़्त डर लगता है मैं पढ़ भी नहीं सकती। आप सि को मकवरा दे ती हैं मुझे िताइये अल्लाह की मुहब्ित
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कैसे लमल सकती है और जहन्नुम से कैसे िचा जा सकता है ? (रादहमा, लाहौर) मश्वरा: अल्लाह तआला िड़ा रहीम व करीम है । इस उम्र में अगर अच्छी ककतािें ना लमलें और रे हनुमाई
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ना हो तो यही हाल होता है । आप क़ुरआन पाक की तफ़्सीर और तजम ुा ा पढ़ना र्ुरू कीजजये। पांच वक़्त की
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नमाज़ पदढ़ए। क़ुरआन पाक की नतलावत कीजजये। वाललदै न की ख़ख़दमत कीजजये। इस उम्र में जवान
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िच्चे िजच्चयां यही कुछ सोचते हैं। ना पुख़्ता ज़हन पर ककतािें असर अंदाज़ होती हैं। आप क़ुरआन पदढ़ए,
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आप को रफ़्ता रफ़्ता ख़द ु समझ आ जायेगी। अपनी पढ़ाई में ददलचस्पी लीजजये। वाललदै न को चादहए घर
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में ऐसी ककतािें ला कर रखें जजन से िच्चों को दीन से आगाही हो। आप क़ुरआन पाक पािंदी से पदढ़ए
अल्लाह तआला का कलाम है । इस के पढ़ने से आप को अल्लाह तआला का अंदाज़ा होगा और आप उस
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की अज़्मत जान कर अपने रि से मुहब्ित करने लगें गी।
बद्द वज़अ नाख़न ु : लड़ककयां नाख़न ु िढ़ा कर नेल पोललर् लगाती हैं। मेरे नाख़न ु िद्द वज़अ हैं। िढ़ते ही
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नहीं। छोटे छोटे िद्द वज़अ नाख़न ु मुझे िहुत िुरे लगते हैं। मेरी उम्र अठारह साल है । मुझे ऐसा टोटका
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िताइये जजस से मेरे नाख़न ु लम्िे हो जाएँ और मैं भी नेल पोललर् लगा सकँू । (म-ज) मश्वरा: नाख़न ु िढ़ते रहते हैं। हो सकता है कक आप के नाख़न ु ों में कोई िीमारी हो और नेल पोललर् लगाने
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का फ़ायदा क्या? नमाज़ नहीं पढ़ सकतीं, वज़ू नहीं होता। आप यूँ कीजजये मेहँदी के पत्ते मंगवा कर ख़द ु पीस लीजजये। एक चम्चा मेहँदी में एक चम्चा ब्राउन लसरका डाल कर लमला कर उसे रोज़ाना नाख़न ु ों पर
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लगाइये, एक घंटे के ललए और रात को सोते वक़्त घेक्वार का गूदा लगा कर सो जाइये। दो माह इलाज Page 52 of 61
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कीजजये। लेह्सन आप के घर आता होगा। साित ु लेह्सन दो तीन छीललये, हफ़्ता में एक िार ये अमल
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कीजजये। छीलने के िाद लेह्सन के पानी में पांच लमनट के ललए नाख़न ु लभगोइये, आप के नाख़न ु इन र्ा
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अल्लाह ठीक हो जायेंगे।
मतली की मशकायत: मझ ु े अक्सर मतली की लर्कायत होती है । उिकाइयां आती हैं और सर चकराने लगता है । मैं कोई दवा लेना नहीं चाहती मुझे कोई आज़मूदह टोटका िताइये। (र्ाहीना)
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मश्वरा: आप पोदीना के पत्ते एक गडी ले कर उस में तीन िड़े चम्चे अनार दाना के एक चम्चा सफ़ेद
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ज़ीरा और चार हरी लमचा ले कर चटनी पीस लीजजये। थोड़ा सा नमक और चीनी लमलाइये। सुिह व र्ाम
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दे ख़खये।
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खाने से पहले थोड़ी सी चटनी खाइये। खाने के िाद एक चम्चा सौंफ़ चिा लें। दस पंद्रह ददन खा कर
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नाज़ुक लम्हे मैं सहारा: दो साल पहले मेरे पास दो सफ़हे का एक ख़त आया। एक इंतेहाई मायूस, कम
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दहम्मत, िज़ ु ददल िच्ची ने ख़त ललखा था। िच्ची ने ऍफ़ एस सी का इम्तेहान ददया था और वो चाहती थी कक उस के नंिर िढ़ जाएँ। मैं उस का ख़त पढ़ कर िहुत परे र्ां हुई। लसवाए दआ ु के क्या कर सकती थी!
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उसे जवाि ददया और उस के ललए दआ ु भी िहुत की और करवाई भी--- किर उस िच्ची का फ़ॉन आया
उसकी आवाज़ में इंतेहाई मायूसी की झलक थी। उस ने कहा "क्या आप ने मेरे नंिर िढ़वा ददए" मैंने उसे
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प्यार से समझाया, मगर उस के िहते हुए आंसओ ु ं और यास में डूिी आवाज़ को कभी भल ु ा नहीं सकी। उस
ने चंद लमनट मेरी िात सुनी और फ़ॉन िंद कर ददया। चंद ददन मैं उस िच्ची के ललए िहुत परे र्ां रही,
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अल्लाह तआला के हुज़ूर दआ ु मांगी ककसी तरह िच्ची ऍफ़ एस सी में काम्याि हो जाये। अि दो साल िाद उस िच्ची का ख़त आया है। वो िड़े अच्छे नंिरों से है रत अंगेज़ तौर पर काम्याि हो गयी। अि िी ए में
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सेकंड आई है । उस ने ललखा "र्ुकक्रये का लफ़्ज़ मेरे ददल्ली जज़्िात का सही तजम ुा ान नहीं हो सकता
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क्योंकक आप ने उस वक़्त मेरे ददल व ददमाग़ के ज़ंग आलूद िंद दरवाज़ों पर दस्तक दी जि सि लोग मायूस हो कर मुझसे दरू हो गए थे। हत्ता कक ख़द ु मैं अपने वजूद से िहुत दरू चली गयी थी।" उस िच्ची
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का ख़त मेरे सामने खल ु ा पड़ा है मैं वाक़ई िहुत ख़र् ु हूँ, अल्लाह तआला ने मेरी लाज रख ली और उस की Page 53 of 61
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भी जजन्हों ने उस के ललए दआ ु की। जि अल्लाह तआला की ज़ात से इंसान एतिार उठा कर मरने की
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सोचता है अगर उस नाज़ुक लम्हे में उसे सहारा लमल जाये तो िच जाता है । एक मतािा मुझे एक नोजवान
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िच्ची का फ़ॉन आया। उस के हाथ में वपस्तौल थी। उस ने गोली चला कर आवाज़ सन ु ाई और कहने लगी "मैं ख़द ु कुर्ी करने लगी हूँ" अि मुझसे और माली परे र्ानी व िेरोज़गारी िदााकत नहीं होती, मैंने उस से कहा "वपस्तौल तम् ु हारे हाथ में है तम ु पांच लमनट के ललए मेरी िात सन ु लो" मैंने उसे िताया "ख़द ु कुर्ी
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िुज़ददल करते हैं और मरने के िाद तुम्हारा कहीं दठकाना ना होगा। रि तआला के हुज़ूर क्या जवाि दोगी, उस की रे हमत से ना उम्मीद हो कर ख़द ु कुर्ी कर रही हो, उस ने मेरी िात सुनी और फ़ॉन रख ददया। एक
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माह िाद उस का र्ुकक्रये का ख़त आया। उसी र्ाम उस की एक दोस्त ने उसे एक िहुत अच्छी नोकरी की पेर्कर् की, अल्हम्दलु लल्लाह! माली परे र्ानी दरू हो गयी, अि वो िड़े मज़े से जज़न्दगी गुज़ार रही है । उस
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का ख़त पढ़ कर मुझे िहुत अच्छा लगा। तुम ख़त ललखती रहा करो मुझे अच्छा लगे गा।
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हाई ब्लि प्रेशर के मलए अज़ीम रूहानी नुस्ख़ा:
मोहतरम हज़रत हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! माहनामा अिक़री के क़ाररईन के ललए अन्मोल
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तोह्फ़ा भेज रहा हूँ। हाई ब्लड प्रेर्र के ललए अज़ीम रूहानी नुस्ख़ा। हुवल-र्ाफ़ी: सुिह फ़ज्र की नमाज़ के
िाद रोज़ाना दरूद इब्राहीमी तीन मतािा पढ़ कर ददल वाली साइड पर दम करें इन र्ा अल्लाह ब्लड प्रेर्र
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नामाल रहे गा। (मक़्िूल अहमद, फ़ैसल आिाद)
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क़ाररईन की ख़ुसूसी और आज़मूदह तहरीरें
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(क़ाररईन! आप भी बुख़ल शुक्नी करें आप ने कोई रूहानी, जजस्मानी नुस्ख़ा, टोटका आज़माया हो और उस के फ़वाइद सामने आये हों या आप ने कोई है रत अिंगेज़ वाक़्या दे खा या सुना हो तो अबक़री के मसफ़हात ् आप के मलए हाजज़र हैं, अपने मामूली से तजुबे को भी बेकार ना समखझये, ये दस ू रे के मलए
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मुजश्कल का हल साबबत हो सकता है और आप के मलए सदक़ा जाररया। चाहे बे रब्त ही मलखें मसफ़हात ् के
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एक तरफ़ मलखें , नोक पलक हम ख़द ु ही सिंवार लेंगे।)
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सख़्त गमी के रोज़े और चाचा रुस्तम:
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अल्लाह तिारक व तआला से उम्मीद है कक आप دامت برکاتہمख़र् ु व ख़ैररयत से होंगे और अल्लाह पाक
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आप دامت برکاتہمऔर आप की नस्लों को सदा ख़र् ु व ख़ैर आकफ़य्यत अता फ़मााए। रमज़ान र्रीफ़ र्ुरू
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होने वाला है तो चाचा रुस्तम ने कहा कक भाई रमज़ान र्रीफ़ में मझ ु े सि ु ह सवेरे काम िता ददया कर
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क्योंकक मैं िूढ़ा आदमी रोज़े के साथ इतनी सख़्त गमी में काम नहीं कर सकता। रुस्तम एक ग़रीि
आदमी है जो गधा रे ढ़ी चलाता है और इस पर घर का गज़ ु र सफ़र है जजस ददन काम नहीं लमलता उस ददन
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घर में सालन नहीं पकता ताज़ह रार्न आटा वग़ैरा रोज़ ले कर जाता है । एक दफ़ा सुिह को काम नहीं था
जि ददन गरम हुआ दोपेहेर में एक गाहक आया तो मैंने रुस्तम को कहा कक गमी है आप से काम नहीं
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होगा और आप का रोज़ा भी है । कहने लगा िेटा मज़दरू ी तो करनी है अगर काम नहीं करें गे तो खाएंगे क्या और सख़्त गमी में रोज़ा था काम में लग गया। र्ाम को िेहाल रुस्तम को मैंने कहा चाचा रुस्तम आप
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रोज़ा ना रखा करें इतनी सख़्त गमी है आप से काम नहीं होता। कहने लगा क्या होगा रोज़ा रखग ूँ ा अगर रोज़े से काम करते करते मर गया तो र्हीद हो जाऊंगा। मुझे मरना क़ुिूल है मगर रोज़ा मैं नहीं छोड़
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सकता। जज़न्दगी तो गुज़र जायेगी मगर रोज़ा मैं नहीं छोड़ सकता। ददन को खाता और िच्चों के ललए
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ताज़ह आटा ले कर जाता और र्ाम को अफ़्तारी में पानी से अफ़्तारी होती है । सारे रमज़ान-उल-मुिारक में एक आधा दफ़ा गोकत वग़ैरा होता है वरना कभी दाल सब्ज़ी के ललए भी परे र्ान रहता है मगर रोज़ा Page 55 of 61
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नहीं छोड़ते। एक तरफ़ पहाड़ों की सख़्त गमी और मेहनत मज़दरू ी रमज़ान-उल-मि ु ारक में रोज़ा िहुत
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मुजककल है मगर रुस्तम रोज़े भी रखता है और तरावीह भी पढ़ता है , नमाज़ की पािंदी भी करता है । ऐसे
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लोगों का रमज़ान भी है और हमारा रमज़ान जहां अफ़्तारी में तआम के ढे र और िूट मश्रि ू ात वग़ैरा का ज़रा मवाज़्ना हो। शदीद गमी में बाग़ व बहार के मज़े:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! एक मतािा र्दीद गमी में हम जुमा पढ़ने मजस्जद में
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गए, वहां एक िुज़ुगा जुमा पढ़ाने के ललए आये हुए थे। वो फ़मााने लगे: आप दरू परे से इतनी सख़्त गमी में िताया: "हस्िुनल्लाहु व ननअम-ल-वकीलु ननअम-ल- मौला व ननअम-न्नसीरु" َ
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यहाँ जुमा पढ़ने आये हैं, आज में आप तमाम आये हुए लोगों को गमी का तोह्फ़ा दे ता हूँ और ये वज़ीफ़ा
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َْ ْ ح ح ح ْصح ( ْی۔ ِ ) َح حسبناَہللا ََو ِنع َمَال َوک حِیلَ ِنع َمَال َم حو ُل ََوَ ِنع َمَالن। फ़मााया कक इस की सि को इजाज़त है । ये वज़ीफ़ा गमी से िचने
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के ललए िे हद्द मुफ़ीद है । फ़मााया कक िअज़ कुति में ललखा है कक जि हज़रत इब्राहीम علیہ السالمको आग
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में डाला जा रहा था तो हज़रत इब्राहीम علیہ السالمने इस वज़ीफ़े को पढ़ा तो अल्लाह पाक ने आग को
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गुलज़ार िना ददया। आप लोग इस वज़ीफ़े को गमी में पढ़ा करें , गमी असर नहीं करे गी। इस वज़ीफ़े को
गमी में उठते िैठते चलते किरते पढ़ना है , जजतनी र्दीद गमी हो उतना ज़्यादा वो पढ़ना है । मैं ने इस
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वज़ीफ़े को ख़ि ू आज़माया और जजस जजस को िताया फ़ायदा हुआ है , मज़दरू और मेहनत कर् लोगों के ललए िे हद्द मुफ़ीद है । र्दीद गमी हो, गमी की परे र्ानी हो, र्दीद गमी का रमज़ान हो इस वज़ीफ़े को
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पढ़ने वालों को गमी का एह्सास तक नहीं होगा। एक मतािा िहुत सख़्त गमी थी, हम िाज़ार गए हुए थे, मेरे दोस्त ने कहा यार गमी िहुत ज़्यादा है मेरा तो सर चकरा रहा है । मैंने कहा इतनी तो गमी नहीं है
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जजतनी आप की तिीअत ख़राि हो रही है । उस ने कहा लोग गमी से परे र्ां हैं और तू कहता है कक गमी नहीं है । मैंने उस को ये वज़ीफ़ा िताया कक मैं पढ़ता तो गमी का असर नहीं होता आप भी इस वज़ीफ़े को
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पढ़ें गमी असर नहीं करे गी। इन र्ा अल्लाह। (रि डडनो महर, सक्खर)
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गममसयों में अिंदर की गमी दरू करने के मलए:
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मोहतरम हज़रत हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! अल्लाह तआला आप के और आप के अज़ीज़ों के
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दरजात िुलंद फ़मााए और अपनी र्ान ए करीमी के मुताबिक़ मुआम्ला फ़मााए, आमीन सुम्म आमीन। हुवल-र्ाफ़ी: सौंफ़, सौंफ़ की जड़, कास्नी, जड़ कास्नी, िनफ़्र्ा, गुलू, गुल सुख़,ा गुलाि, छोटी इलाइची तमाम उदय ू ात एक एक छटांक लें। तीन ककलो पानी में उिाल लें , जि आधा रह जाये कपड़े में ज़ोर से दिा
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कर ननचोड़ लें। डेढ़ ककलो चीनी में पानी डाल कर और छोटी इलाइची डाल कर चार्नी िना लें। अगर
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ज़्यादा ठं डा करना हो तो ख़रिूज़े के िीज कूट कर सि चीज़ों के साथ उिाल लें , छोटी इलाइची कम डाल सकते हैं। सुिह व र्ाम एक चगलास पानी में दो चम्मच डाल कर वपयें। र्दीद तरीन गमी में भी आप को
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गमी नहीं लगेगी। रमज़ान में सेहरी व अफ़्तारी में ज़रूर इस्तेमाल करें । (कौसर कफ़रदौस)
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रमज़ान-उल-मुबारक का ख़ास अमल:
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कायनात की हर नामुजम्कन चीज़ को मुजम्कन िनाने और अल्लाह की मदद को साथ लेने का अनोखा
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अमल: ये अमल हज़रत जी हकीम साहि की तरफ़ से ख़ास इजाज़त से अज़ा कर रहा हूँ। ता कक अिक़री के क़ाररईन अल्लाह तआला से हर दन्ु या के नामुजम्कन काम का हल करवा सकें। जजन की औलाद नहीं है ,
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जो ररज़्क़ की वजह से परे र्ां हैं, रोज़गार का मसला है , अल्लाह तआला की मह ु ब्ित और उस के हिीि ﷺका इकक़ और मुहब्ित चाहते हैं, ला इलाज िीमाररयों से लर्फ़ा चाहते हैं, दन्ु या व आख़ख़रत में
इज़्ज़त वक़ार चाहते हैं तो रमज़ान-उल-मुिारक में इस अमल के ज़ररये अल्लाह तआला की मदद हालसल
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करें । इन र्ा अल्लाह हर वो जाइज़ काम जजस का तअल्लक़ ु ककसी ज़मीन वाले से हो या अल्लाह जल्ल
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र्ानुहू से हो इस अमल की िरकत से हो सकता है । इख़्लास, ररज़्क़ हलाल और यक़ीन र्ता है । ये वो अमल है जो आसमानों से आप की तक़दीर िदलवा दे गा और नस ु रत ख़द ु ा वन्दी हर हाल में आप के साथ
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होगी। आप रमज़ान-उल-मुिारक में रोज़े से होंगे। (अल्लाह तआला तमाम मुसल्मानों को तौफ़ीक़ अता फ़मााए) रमज़ान-उल-मुिारक में सोम्वार जुमेरात जुमा (जजतनी भी रमज़ान-उल-मुिारक में आएं) क्योंकक
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इस अमल के ललए रोज़ा र्ता है । रमज़ान के इलावा नफ़्फ़ली रोज़ा सोम्वार जुमेरात और जुमा का रखें और Page 57 of 61
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उस के सारा ददन में १०० नजफ़्फ़ल पढ़ने हैं यानन ५० दोगाना हर पहली रकअत में सरू ह काकफ़रूँ और दस ू री
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रकअत में सूरह इख़्लास पढ़ें । सलाम िेरने के िाद अवल व आख़ख़र ३ िार
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दरूद र्रीफ़ तीन मतािा और ये दआ ु पढ़ें "अल्लाहुम्म इन्नी असअलुक व अतवज्जहु इलैक बिनबिजय्यना
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मुहम्मददन सल्लल्लाहु अलैदह व सल्लम नबिजय्य-रा ह्मनत या मुहम्मद ु इन्नी अतवज्जहु बिक इला रजब्िक अं तुक़्ज़ा हाजती०"
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ْ ََْ َ َ َ ُ ْ َ حَح َْ َ ََََ َ ْ َح َ َ َ ََْ َ َ ْ ََح َ َ َ َ ََ َ ح ََکَا ُِل ََربک َ َت َج ْہَب َ َ ِِن ََا ح َ بَالرْحۃََِی ِ ُممدَا ِ ِ ِ َ( َاللہمَا ِِِنَاساَلکَواَتجہَاِلیکَ ِبن ِب ِیناَُمم ٍدَصّلَہللاَعلی ِہَوسلمَن َ َا حن َْت حق ُٰض ََح )َ َ ت َ اج ِ ح
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इस तरह १०० नजफ़्फ़ल सारा ददन पढ़ना है अगर िच जाएँ तो मग़ररि से इर्ा के दरम्यान पूरे कर लें।
अन्मोल ख़ज़ाना है । इस की इजाज़त आम है । (अक्मल फ़ारूक़ रे हान, सरगोधा)
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कायनात के हर नामुजम्कन काम को मुजम्कन िनाने और अल्लाह तआला की मदद को साथ लेने का
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मेरी हदल्ली ख़्वाहहश--- और अबक़री:
मोहतरम हज़रत हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! मेरे र्ौहर काम के लसजल्सले में चंद ददन के ललए
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मल् ु क से िाहर गए, वहां एक इंडडया के ग़ैर मजु स्लम से दोस्ती हो गयी और मेरे र्ौहर ने उसे दीन की दावत दी और उस के साथ िहुत ही रहम ददल्ली, प्यार और र्फ़क़त से पेर् आये, वो र्ख़्स ख़द ु भी रहम
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ददल्ली से पेर् आया और दावत इस्लाम क़ुिूल कर ली और मुसल्मान हो गया। उस िन्दे ने कहा अगर आप मुझे पहले लमल जाते तो जो मेरा िाप था वो मुझसे ज़्यादा रहम ददल और लमलंसार था वो भी
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मुसल्मान हो जाता और वो हराम की मोत ना मरता, मैंने उसे अपने हाथों से जलाया है ।
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मेरे र्ौहर अक्सर िेरून र्हर व मल् ु क दौरों पर जाते हैं और वहां जा कर अक्सर वहां के िज़ ु ग ु ों से भी
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लमलते हैं, अल्लाह वालों के साथ उठते िैठते हैं अल्लाह का नाम सीखते हैं, कुछ ईमान मज़िूत होता है ,
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नमाज़, क़ुरआन, तस्िीहात के पािन्द होते हैं। एक र्ौक़ पैदा होता है उन के ददल में तो मैं दआ ु करती थी कक या अल्लाह मेरे तो िच्चे भी अभी िहुत छोटे हैं कुछ हम ख़वातीन पदाा भी करती हैं, हर वक़्त घर, िच्चों और र्ौहर साहि के काम--- या अल्लाह! हमारा भी कुछ वसीला िना दे ता कक अल्लाह वालों के
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ियान सुन कर हमारा भी ईमान ताज़ह हो हम भी दीन वाली जज़न्दगी गुज़ारें तो अि मेरा वो लसजल्सला भी अिक़री और तस्िीह ख़ाना की सूरत में िन गया। मैं अल्लाह का िहुत िहुत र्ुकक्रया अदा करती हूँ कक घर
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पर िेठे काम करते हुए कुछ हमारा भी लसजल्सला अिक़री ररसाले और दसा की सूरत में िन रहा है । वरना पहले की जज़न्दगी तो िहुत खंडर थी िहुत सी नमाज़ें छूटीं, रोज़े अज़्कार छूटे । मगर अि किर र्ौक़ पैदा
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हो रहा है आप के दसा और अिक़री ररसाले की वजह से किर नमाज़ क़ुरआन तस्िीह पढ़ना र्ुरू कर दी है
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ये लसजल्सला अि जारी है अि मेरी पूरी कोलर्र् है कक मेरी कोई नमाज़ ना छूटे , क़ुरआन और तस्िीह भी
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इतनी ही ज़ोक़ र्ौक़ से पढ़ँू (म-व-अ,चकवाल)
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ख़ास अमराज़ के ख़ास नस् ु ख़ा जात:
मोहतरम हज़रत हकीम साहि अस्सलामु अलैकुम! मझ ु े चार माह हो गए हैं अिक़री का क़ारी हूँ, अल्लाह
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पाक का लाख लाख र्ुक्र है कक इस ज़ाललम दौर में भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो कक ख़द ु ा की मख़्लूक़ की ख़ख़दमत कर रहे हैं, अिक़री पढ़ कर ननहायत ख़र् ु ी होती है और आइन्दा का इंतज़ार रहता है । मेरे पास
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कुछ ख़ास नुस्ख़ा जात हैं मैं चाहता हूँ कक क़ाररईन की नज़र करूँ ता कक इस से ककसी का भला हो जाये। ये नुस्ख़े मुझे अपने फ़ैकट्री मेनेजर जो कक दहक्मत भी करते हैं से ितौर तोह्फ़ा में लमले हैं मैं नहीं चाहता कक
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इन्हें अपने साथ क़ब्र में ले जाऊं। ये नुस्ख़े ख़ास कर नोजवानों के ललए हैं जो कक ग़लत दौर की रं गीननयों में िँस कर ग़लत रास्ते पर चल कर जजन्सी कम्ज़ोरी से दो चार हो जाते हैं। हरीरा मम्सक: मादा तोलीद
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को गाढ़ा करता है, सरअत को रोकता है, िदन को ख़ि ू सरू त फ़िाा और चेहरे का रं ग सख़ ु ा करता है । हुवल-
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र्ाफ़ी: िरादह चोि चीनी, दार चीनी, मूस्ली सफ़ेद, सअलि लमस्री, र्क़ातल लमस्री, दाना इलाइची, कतेरा, वपस्ता, छुहारा हर एक पांच पांच तोला, मग़ज़ िादाम एक पाव, चार मग़ज़ आधा सेर। सि को कूट पीस Page 59 of 61
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कर सफ़ूफ़ िना लें। तीन तोला रोज़ाना आधा ककलो दध ू में खीर िनाएं और रूह केवड़ा नछड़क कर खाएं।
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कुछ अरसा मुस्तक़ल लमज़ाजी से इस्तेमाल करें और ककसी दवा की ज़रूरत नहीं रहे गी। इस्तेमाल कर के
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दआ ु ओं में याद रखें। सफ़ूफ़ अज्वाइन िराए मेदा व जजगर: मेदा व जजगर की इस्लाह करती है और ताक़त दे ती है चेहरे को सुख़ा करती है । हुवल-र्ाफ़ी: अज्वाइन दे सी, हलीला कलां, चराइता। हर एक डेढ़ तोला कूट कर सफ़ूफ़ िनाएं। रोज़ाना ६ मार्ा, डेढ़ पाव पानी में डाल कर रात को लभगो कर रख दें । सि ु ह को जोर् दें
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जि एक पाव पानी रह जाये उतार कर ददन में तीन िार वपयें। चंद हफ़्ते इस्तेमाल करें । सेलान रहम की ख़ास दवा: तुख़्म कंगी िूटी, तुख़्म िोिली िरािर वज़न ले कर सफ़ूफ़ िनाएं। तीन मार्ा हमराह गाए के
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दध ू के साथ इस्तेमाल करें । िराए मौसमी िुख़ार: आक की जड़ का नछलका साये में ख़कु क कर के रखें एक
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रत्ती से अढ़ाई रत्ती तक हस्िे उम्र व ताक़त गरम दध ू से दें । पसीना आ कर िुख़ार उतर जायेगा।
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रमज़ान में तमाम अमराज़ मेदा से ननजात:
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हुवल-र्ाफ़ी: दो जुए लेह्सन, अदरक आधा इंच का टुकड़ा, छोटा प्याज़ एक अदद, काली लमचा आठ अदद,
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सौंफ़ आधा चम्मच चाय वाली, सफ़ेद ज़ीरा आधा चम्मच चाय वाला, हरा धन्या डंठल के साथ एक चाय
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का कप, पोदीने के पत्ते आधा चाय का कप। टमाटर दरम्याने तीन अदद, मूली के पत्ते साफ़ ककये हुए आधा कप (अगर मय ु की, लाल लमचा आधा चम्मच चाय ु स्सर हों तो) लसरका हस्िे पसंद, कलौंजी एक चट
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वाली, काला नमक एक चट ु की, दही एक कप, पानी एक कप, नमक हस्िे ज़रूरत। तमाम अकया ग्राइंडर
में अच्छी तरह र्ेक कर लें। ननहायत लज़ीज़ और मज़ेदार चटनी तय्यार है । पेट के कीड़े ख़त्म करती है ।
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मेदे को ताक़त दे ती है , क़ब्ज़ कुर्ा है , भूक लगाती है । तमाम अमराज़ मेदा में मुफ़ीद है । ख़ास तौर पर रमज़ान में अफ़्तारी के वक़्त इस का इस्तेमाल करें , ना भारी पन होगा ना ही पूरा रमज़ान पेट ख़राि
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होगा। (ज़फ़र अब्िास मललक)
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टें शन, डिप्रेशन का यक़ीनी इलाज:
गाये का ख़ाललस घी चंद क़तरे ले कर रोज़ाना हल्के हाथ से मंह ु खोल कर तालू का मस्साज करें , किर एक
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लमनट कनपट्टी का मस्साज करें , नाफ़ में भी घी लगाएं। फ़ायदे : याद्दाकत तेज़, िच्चों का हाकफ़ज़ा Page 60 of 61
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लाजवाि, ज़िरदस्त नींद और टें र्न डडप्रेर्न का यक़ीनी इलाज है । ये टोटका हमारा आज़मद ू ह है । चंद
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ददन में ही फ़क़ा नज़र आना र्ुरू हो जाता है । (आ-म)
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