पयावरण क सुर ा ह जीवन क सुर ा है लेख: वजय कुमार रा े (मुंबई) आज व
के कोने-कोने म मानव जाित के पोषण और वकास के िलए विभ न
कार के बढ़ रहे खतर से बचाव के साथ ह पयावरण सरं ण क आव यकता को समझते हु ए पयावरण
दू षण क
सम या पर विभ न बैठक और सेिमनार इ या द हो रहे ह।
पयावरण के संर ण पर विभ न को व सुर
यान म रखकर संयु के िलए संयु
रा
रा
तर पर चचा भी हो रह है । पयावरण क इ ह पहलुओं
संघ ने एक ह पृ वी के िस ांत को मा यता दे ते हु ए सम त
पयावरण काय म बनाया है । इस काय म म व
त रखने के िलए एक ओर जहाँ
क बात कह गई है वह पयावरण क
दू षण मु
रखने के व
ित वष 5 जून को व यास करते हु ये व
भाव पर िचंता जा हर क । व जाग कता बढ़ाने के िलए ह हम
यापी उपाय अपनाये जाने
पयावरण दवस आयो जत कर व
आव यकता पर जाग क करने का िन य
मह वपूण दशा म अपना
के पयावरण को को
कया गया। भारत ने भी इस
म पयावरण क
बगडती
थित एवं उसके
और भारत क पयावरण क सुर ा के
ित नाग रक क
ित वष 5 जून को व
पयावरण दवस मानते आ रहे ह
और बसी के प रणाम व प जल, वायु और भूिम से स बंिधत मानव, पौधो, सू म-जीव, अ य जी वत पदाथ आ द पयावरण के कारक क सुर ा के उ े य से ह 19 नव बर 1986 म पयावरण सुर ा अिधिनयम भारतीय संसद म पा रत कया गया। पयावरण संर ण अिधिनयम-1986 म पयावरण क सुर ा के िन हत कई मह वपूण उपाय का समावेश कया गया है जनम मु य ह : 1. पयावरण क गुणव ा के संर ण हे तु सभी आव यक क़दम उठाना, 2. पयावरण
दू षण के िनवारण, िनयं ण और उपशमन हे तु रा
बनाना और उसे
यापी काय म क योजना
या वत करना,
3. पयावरण क गुणव ा के मानक िनधा रत करना, 4. पयावरण सुर ा से संबंिधत अिधिनयम संबंिधत के काम म सम वय 5. ऐसे
े
के अंतगत रा य-सरकार , अिधका रय
था पत करना,
का प रसीमन करना, जहाँ
कसी भी उ ोग क
गित विधयां संचािलत न क जा सक आ द. अिधिनयम के कठोर दं ड का सृ
और
थापना अथवा औ ोिगक
ावधान का उ लंघन करने पर
ावधान भी कया गया है. के िनमाण म जस
को समझाने का को बचाने क
य
मनु य
बात चल रह
कृ ित क अहम ् भूिमका रह है उसको समझने और दू सर ारा िनरं तर कया जा रहा है , परं तु एक ओर जहां पयावरण है वह ं दू सर
ओर लगातार हो रहे शहर करण और
औ ोिगक करण के चलते पयावरण को भयंकर नुकसान भी हो रहा है, जसका प रणाम हम एक न एक दन भुगतना ह होगा। दे श उ नित क राह पर कोई शक नह ं, पर तु इस दौड़ म हम अपनी
ु त गित से दौड़ रहा है इसम
ाकृ ितक संपदाओं को जस
कार समा
करने
म लगे हु ए ह वह अव य ह िचंता का वषय है. इतना ह नह ं
गित के
ोतक बढती
मोटर-वाहन क सं या, बड़े -बड़े कल-कारखाने और पहाड़ के जंगल काटकर बनाई जा रह पन बजली-प रयोजनाएं व बड़े -बड़े बांध आ द भी जल-वायु का कारण बन रहे ह. पयावरण के िलए वायु और म 78
ितशत नाइ ोजन, 21
शेष िन
वनी
दू षण भी कम घातक नह ं है. वायु
ितशत ऑ सजन, 0.03
य गैस और जल वा प ह। सामा यतः
दू षण फैला पयावरण असंतुलन ितशत काबन डाइऑ साइड तथा
ित दन बाईस हजार बार साँस लेने वाला
मनु य सोलह कलो ाम ऑ सीजन का उपयोग करता है जो क उसके
ारा
हण कये जाने
वाले भोजन और जल क मा ा से कह ं अिधक है. इसी गित से यह
दू षण बढता रहा तो
वह दन दू र नह ं जब चीन अमे रका जैसे वकिसत दे श क भांित वातावरण म विभ न हािनकारक गैस क मा ा बढने से साँस लेने म होने वाली क ठनाई से बचने के िलए मा क लगाकर चलना पड़े गा. जल ह जीवन का नारा केवल एक नारा ह बन के रह गया है. स यताओं का ज म न दय के तट से ह शु
हु आ था ऐसी मा यता है. ऐितहािसक
जुड हु ई हमार न दय का वतमान इतना
प से धािमक आ थाओं से
दू षत हो चुका है क उनका भ व य ह खतरे म
पड़ गया है . हमाचल स हत दे श क कुछ रा य सरकार ने समय रहते वन पितय के िलए सबसे बड़े खतरे पौलीथीन पर रोक लगा पयावरण के अ य के
े
म
कृ ित के
े
म बहु त बड़ा काय कया है. पर तु
ित हमारा उदासीन यवहार यह दशाता है क हम अपने पयावरण
ित कतने संवेदनशू य ह. वन के कटाव से पयावरण के बढते असंतुलन के कारण शु
पेयजल के
ोत
का न
वन पितय व वलु
होना,
ास लेने के िलए शु
वायु क
कमी और बहु मू य
होने क कगार पर व य जीवजंतु आ द अनेक सम याएं ह जो खतरे
क घंट क भांित हम आगाह कर रह है. पयावरण क दे खभाल को केवल सरकार को संतुिलत और सुर
े
त नह ं रख सकते. सुर
का काय मानने से हम अपने पयावरण
त संसाधन संर
त पयावरण के नारे को
अपने आचरण का अंग बना अिधक से अिधक पौधे लगाने के साथ ह पयावरण को हर कार के
दू षण से बचाना भी समय क आव यकता है. लोबल वािमग से आज संपूण व
डरा हु आ है . पघलते
लेिशयर जहाँ शु
पेयजल का संकट पैदा कर रहे ह वह तेजी से
धरती िनगलने को भी त पर ह जस के कारण दु िनया के तमाम बड़े शहर जो समु
कनारे
बसे ह, डू बने से नह ं बच सकगे. पयावरण का बगड़ता संतुलन और बढ़ती आबाद मानव स यता के वकास म दो ऐसे रोड़े ह जनपर गंभीरता से वचार नह ं कया गया तो इसके दु प रणाम से हम कोई नह ं बचा सकेगा. आज आव यकता इस बात क है क पयावरण पर बढते संकट पर
येक नाग रक को गंभीरता से िचंतन करने व जाग क हो अपने पूरे
प रवार के साथ उसक दे खभाल करने के िलए आगे आना चा हए. पयावरण संर ण के उपाय क जानकार हर है । पयावरण संर ण क
चेतना क
तर तथा हर उ
के य
के िलए आव यक
साथकता तभी हो सकती है, जब हम अपनी
न दयां, पवत, पेड़, पशु-प ी,
ाणवायु
और
हमार
धरती
को
बचा
सामा यजन को अपने आसपास हवा-पानी,वन पित जगत और या-कलाप जैसे पयावरणीय मु बेहतर समझ के िलए
सके।
से प रिचत कराया जाए। युवा पीढ़ म पयावरण क मा यम से
येक व ाथ अपने प रवेश को बेहतर ढं ग से समझ सके।
वकास क नीितय को लागू करते समय पयावरण पर होने वाले यान दे ना होगा। हम तथा हमम से से इस धरती पर हमारा जीवन सुर
िलए
कृ ित उ मुख जीवन के
कूली िश ा म ज र प रवतन करना ह गे पयावरण िम
सभी वषय पढ़ाने ह गे। जससे
इसके
भाव पर भी समुिचत
येक को यह समझना होगा क पयावरण क सुर ा त है । -----