वही धमक फिर

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वही धमक िफिर अफिलातून ( हम यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे मे गांधीजी के दृष्टिकोष्टिकोण पर एक दस्तावेजी लेख छाप रहे है । नरे न्द मोदी के नेतत्ृ व मे केद मे भारतीय जनता पाटिी की सरकार कायम होने के साथ ऐतितहािसक घटिनाओं के िववरणो मे छे ड़-छाड़ की आशंका बढ़ गई है । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

को ऐतसे – ऐतसे ओछे झठ ू फिैलाने मे महारत है िक नाथरू ाम गोडसे की गोली लगने पर गांधीजी

के मंह ु से ‘हे राम’ नहीं ‘हाय राम’ उच्चरिरत हुआ था ; गांधीजी की हत्या नहीं हुई थी उनका वध हुआ था ( वध तो दष्ु टि और पापी लोगो का होता है – हत्या तो िकसी अच्छे और धमार्मात्मा की होती है । )

यह दस्तावेजी लेख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे मे गांधीजी के दृष्टिकोष्टिकोण को एकदम खोल

कर रखता है । राजनाथ िसंह जी ने अपने भाषण मे तीन सरासर झूठ बोले – १. हम गांधीजी को राष्ट्रिपता मानते है , २. उन्हे पूज्य मानते है ,३. गांधीजी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की

सराहना की। सामियक वातार्मा के तीसरे अंक ( १६ िसतम्बर ,१९७७) मे इस बात की चरचरार्मा की गई थी । इस बातचरीत मे जेपी ने कहा था, ‘अगर राष्त्रीय स्वयंसेवक संघ अपने को भंग नहीं करता

और जनता पाटिी द्वारा गिठत यव ु ा या सांस्कुितक संगठनो मे शािमल नहीं होता तो उसे कम से कम सभी समद ु ाय के लोगो , मस ु लमानो और ईसाइयो को अपने मे शािमल करना चरािहए।‘ लगभग चरालीस वषर्मा बाद भी वही सोचर जारी है । भाजपा के सत्तारूढ़ होने से संघ का प्रभाव

बढ़ना लािकोजमी है ; हमे पहले से अिधक झठ ू और उसके कारनामो के प्रित सचरेत होना और उनका िवरोध करना होगा।

गृहमंती राजनाथ िसह ने राजयसभा मे कहा, “मत भूिलए िक महातमा गांधी, िजनको हम आज भी अपना पूजय मानते है, िजनहे हम राषिपता मानते है, उनहोने भी आरएसएस के कै प मे जाकर ‘संघ’ की सराहना की थी।“ 1974 मे ‘संघ’ वालो ने जयपकाशजी को बताया था िक गांधीजी अब उनके ‘पात: समरणीयो’ मे एक है। संघ के काशी पांत की शाखा पुिसतका (कमांक-2, िसतंबर-अकू बर, 2003) मे अनय बातो के अलावा गांधीजी के बारे मे पृष 9 पर िलखा गया है: ‘‘देश िवभाजन न रोक पाने और उसके पिरणामसवरप लाखो िहदुओ की पंजाब और बंगाल मे नृशंस हतया और करोड़ो की संखया मे अपने पूवज र ो की भूिम से पलायन, साथ ही पािकसतान को मुआवजे के रप मे करोड़ो रपए िदलाने के कारण िहदू समाज मे इनकी (महातमा गांधी की) पितषा िगरी।’’ यह

बात तो हम सब जानते है िक संघ के कायरकमो के दौरान िबकने वाले सािहतय मे ‘गांधी वध कयो?’ नामक िकताब भी होती है। राषीय सवयंसेवक संघ, िहदू राषवाद, सांपदाियकता और समाचार-पतो दारा दंगो की िरपोिटग के बारे मे जब गांधीजी का धयान खीचा जाता रहा तब उनहोने इन िवषयो पर साफगोई से अपनी राय रखी। संघ के एक कै प मे गांधीजी के जाने का िववरण उनके सिचव पयारे लाल ने अपनी पुसतक ‘पूणारहित’ मे िदया है।


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