Akhand Jyoti Stories

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झठ ू ा अ भमान

एक म खी एक हाथी के ऊपर बैठ गयी। हाथी को पता न चला म खी कब बैठ ।

म खी बहुत भन भनाई आवाज क , और कहा, ‘भाई! तझ ु े कोई तकल फ हो तो बता दे ना। वजन मालम ू पड़े तो खबर कर दे ना, म हट जाऊंगी।’ ले कन हाथी को कुछ सन ु ाई न पड़ा। फर हाथी एक पल ु पर से गज ु रने लगा बड़ी पहाड़ी नद

थी, भयंकर ग ढ था, म खी ने कहा क ‘दे ख, दो ह, कह ं पल ु टूट न जाए! अगर ऐसा कुछ डर लगे तो मझ ु े बता दे ना। मेरे पास पंख ह, म उड़ जाऊंगी।’ हाथी के कान म थोड़ी-सी कुछ भन भनाहट पड़ी, पर उसने कुछ यान न दया। फर म खी के बदा होने का व त

आ गया। उसने कहा, ‘या ा बड़ी सख ु द हुई, साथी-संगी रहे , म ता बनी, अब म जाती हूं, कोई काम हो, तो मझ ु े कहना, तब म खी क आवाज थोड़ी हाथी को सन ु ाई पड़ी, उसने कहा, ‘त ू कौन है कुछ पता नह ं, कब त ू आयी, कब त ू मेरे शर र पर बैठ , कब त ू उड़ गयी, इसका मझ ु े कोई पता नह ं है । ले कन म खी तब तक जा चक ु थी स त कहते ह, ‘हमारा होना भी ऐसा ह है । इस बड़ी प ृ वी पर हमारे होने, ना होने से कोई फक नह ं पड़ता।


हाथी और म खी के अनप ु ात से भी कह ं छोटा, हमारा और

मांड का अनप ु ात है । हमारे ना रहने से या फक पड़ता

है ? ले कन हम बड़ा शोरगल ु मचाते ह। वह शोरगल ु कस लये है ? वह म खी या चाहती थी? वह चाहती थी हाथी वीकार करे , त ू भी है ; तेरा भी अि त व है , वह पछ ू चाहती थी। हमारा अहं कार अकेले तो नह ं जी सक रहा है । दस ू रे

उसे मान, तो ह जी सकता है । इस लए हम सब उपाय करते ह क कसी भां त दस ू रे उसे मान, यान द, हमार तरफ दे ख; उपे ा न हो। स त वचार- हम व

ंु र पहनते ह तो दस ू र को दखाने के लये, नान करते ह सजाते-संवारते ह ता क दस ू रे हम सद

समझ। धन इक ठा करते, मकान बनाते, तो दस ु कुछ ू र को दखाने के लये। दस ू रे दे ख और वीकार कर क तम व श ट हो, ना क साधारण।

तम ु म ट से ह बने हो और फर म ट म मल जाओगे, तम ु अ ान के कारण खद ु को खास दखाना चाहते हो वरना तो तम ु बस एक म ट के पत ु ले हो और कुछ नह ं। अहं कार सदा इस तलाश म है –वे आंख मल जाएं, जो मेर छाया को वजन दे द। याद रखना आ मा के नकलते ह यह म ट का पत ु ला फर म ट बन जाएगा इस लए अपना झठ ू ा अहं कार छोड़ दो और सब का स मान करो य क जीव म परमा मा का अंश आ मा है ।


ान

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वाथ छो डये एक छोटे

चे के प म, म बहुत

वाथ था, हमेशा अपने लए सव े ठ

चन ु ता था। धीरे -धीरे , सभी दो त ने मझ ु े छोड़ दया और अब मेरे कोई

दो त नह ं थे। मने नह ं सोचा था क

यह मेर गलती थी और म दस ू र क

आलोचना करता रहता था ले कन मेरे पता ने मझ ु े जीवन म मदद करने के लए 3 दन 3 संदेश दए। एक दन, मेरे पता ने हलवे के 2 कटोरे

बनाये और उ ह मेज़ पर रख दया ।

एक के ऊपर 2 बादाम थे जब क दस ु े हलवे का कोई एक ू रे कटोरे म हलवे के ऊपर कुछ नह ं था फर उ ह ने मझ कटोरा चन ु ने के लए कहा य क उन दन तक हम गर ब के घर बादाम आना मिु कल था .... मने 2 बादाम वाले कटोरा को चन ु ा!


म अपने बु धमान वक प / नणय पर खद ु को बधाई दे रहा था और ज द ज द मझ ु े मले 2 बादाम हलवा खा रहा था परं तु मेरे आ चय का ठकाना नह था जब मने दे खा क क मेरे पता वाले कटोरे के नीचे 8 बादाम छपे थे! बहुत पछतावे के साथ, मने अपने नणय म ज दबाजी करने के लए खद ु को डांटा। मेरे पता मु कुराए और मझ ु े यह याद रखना सखाया क

आपक आँख जो दे खती ह वह हरदम सच नह ं हो सकता उ ह ने कहा क य द आप वाथ क आदत क अपनी आदत बना लेते ह तो आप जीत कर भी हार जाएंगे।

अगले दन, मेरे पता ने फर से हलवे के 2 कटोरे पकाए और टे बल पर र खे एक कटोरा के शीष पर 2 बादाम और दस ू रा कटोरा िजसके ऊपर कोई बादाम नह ं था। फर से उ ह ने मझ ु े अपने लए कटोरा चन ु ने को कहा। इस बार मझ ु े कल का संदेश याद था इस लए मने शीष पर

बना कसी बादाम कटोर को चन ु ा परं त ु मेरे आ चय करने के लए इस बार इस कटोरे के नीचे एक भी बादाम नह ं छपा था! फर से, मेरे पता ने मु कुराते हुए मझ ु से कहा, "मेरे ब चे, आपको हमेशा अनभ ु व पर भरोसा नह ं करना

चा हए य क कभी-कभी, जीवन आपको धोखा दे सकता है या आप पर चाल खेल सकता है ि थ तय से कभी भी यादा परे शान या दख ु व को एक सबक अनभ ु व के प म समझ, जो कसी भी पा यपु तक से ु ी न ह , बस अनभ

ा त नह ं कया जा सकता है ।

तीसरे दन, मेरे पता ने फर से हलवे के 2 कटोरे पकाए, एक कटोरा ऊपर से 2 बादाम और दस ू रा शीष पर कोई बादाम नह ं। मझ ु े उस कटोरे को चन ु ने के लए कहा जो मझ ु े चा हए था।

ले कन इस बार, मने अपने पता से कहा, पताजी, आप पहले चन ु , आप प रवार के मु खया ह और आप प रवार म सबसे यादा योगदान दे ते ह। आप मेरे लए जो अ छा होगा वह चन ु गे।

मेरे पता मेरे लए खश ु थे। उ ह ने शीष पर 2 बादाम के साथ कटोरा चन ु ा, ले कन जैसा क मने अपने कटोरे का हलवा खाया! कटोरे के हलवे के एकदम नीचे 2 बादाम और थे।


मेरे पता मु कुराए और मेर आँख म यार से दे खते हुए, उ ह ने कहा मेरे ब चे, तु ह याद रखना होगा क जब तम ु

भगवान पर छोड़ दे त े हो, तो वे हमेशा तु हारे लए सव म का चयन करगे जब तम ु दस ू र क भलाई के लए सोचते हो, अ छ चीज वाभा वक तौर पर आपके साथ भी हमेशा होती रहगी।

बोलना ह बंधन है एक राजा के घर एक राजकुमार ने ज म लया। राजकुमार वभाव से ह कम बोलते थे। राजकुमार

जब यव ु ा हुआ तब भी अपनी उसी आदत के साथ

मौन ह रहता था। राजा अपने राजकुमार क चु पी से परे शान रहते थे क आ खर ये बोलता य नह ं

है । राजा ने कई यो त षय ,साध-ु महा माओं एवं

च क सक को उ ह दखाया पर त ु कोई हल नह ं नकला। संतो ने कहा क ऐसा लगता है पछले

ज म म ये राजकुमार कोई साध ु थे िजस वजह से

इनके सं कार इस ज म म भी साधओ ु ं के मौन त जैसे ह। राजा ऐसी बात से संतु ट नह ं हुए।

एक दन राजकुमार को राजा के मं ी बगीचे म टहला रहे थे। उसी समय एक कौवा पेड़ क डाल पर

बैठ कर काव - काव करने लगा। मं ी ने सोचा क कौवे क आवाज से राजकुमार परे शान ह गे इस लए मं ी ने कौवे को तीर से मार दया। तीर लगते ह कौवा जमीन पर गर गया। तब राजकुमार कौवे के पास जा कर बोले क य द


तम ु नह ं बोले होते तो नह ं मारे जाते। इतना सन ु कर मं ी बड़ा खश ु हुआ क राजकुमार आज बोले ह और त काल ह राजा के पास ये खबर पहुंचा द । राजा भी बहुत खश ु हुआ और मं ी को खब ू ढे र - सारा उपहार दया।

कई दन बीत जाने के बाद भी राजकुमार चप ु ह रहते थे। राजा को मं ी क बात पे संदेह हो गया और गु सा कर

राजा ने मं ी को फांसी पर लटकाने का हु म दया। इतना सन ु कर मं ी दौड़ते हुए राज कुमार के पास आया और कहा क उस दन तो आप बोले थे पर त ु अब नह ं बोलते ह। म तो कुछ दे र म राजा के हु म से फांसी पर लटका दया जाऊंगा। मं ी क बात सन ु कर राजकुमार बोले क य द तम ु भी नह ं बोले होते तो आज तु हे भी फांसी का हु म नह ं

होता। बोलना ह बंधन है । जब भी बोलो उ चत और स य बोलो अ यथा मौन रहो। जीवन म बहुत से ववाद का मु य कारण अ य धक बोलना ह है । एक चु पी हजार कलह का नाश करती है ।

राजा छप कर राजकुमार क ये बात सन ु रहा था,उसे भी इस बात का ान हुआ और राजकुमार को पु प म ा त कर गव भी हुआ। उसने मं ी को फांसी मु त कर दया।



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