लोभ को नहीं रोक! ! | "बालमित्रो,
लोभ को नहीं रोक!
द्वयह बात कितनी सही है! एक बार किसी चीज़ को प्राप्त करने का लोभ जागा कि फिर तो खुद का सबकुछ, सुख-चैन खोकर हम उसे पाने के लिए उसके पीछे पड़ जाते हैं और किसी भी तरह उसे प्राप्त करने में लग जाते हैं। इतना ही नहीं, अपने संस्कारों की बलि चढ़ाने तक की हमारी तैयारी हो ज यह कितना उचित है?
द्वतो आइए, इस भयानक दोष के स्वरूप को पहचानें। परम पूज्य दादाश्री ने इस दोष की विस्तार े समझ दी है। उसकी भयानकता एवं उसमें से निकलने का रास्ता भी इस अंक में दिया हैं।
द्वइस अंक को पढ़कर हम भी इस भूल से मुक्त हो जाएँ।
"
August 2013 | अक्रम एक्सप्रेस