अल्फा और ओमेगा - वे घटनाएं जो भारत में होंगी

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वे घटनाएं जो भारत म0 हों2गी

अ6ा और ओमेगा 1


वे घटनाएं जो भारत म0 हों2गी; जैसा िक िलखा गया था, िदD सE पूवH म0 शुK होकर पिLम तक फैलता है ; भारत म0 दोबारा जO लेने वाली आQाओं को िदD लंिबत पुरRार िमला था; लेिकन, उT0 पाने म0 समथH होने के िलए, उT0 अपनी जीवन की परीUाओं म0 केवल एकमाV परमेWर को मानना चािहए था; िजसने भी कई परमेWरों को पूजा, उसने परमेWर म0 अपने िवWास को कम िकया; परमेWर के पुVों के ये िविचV उपासक, ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं पाय02गे; उन लोगों के ZगH के सा[ा\ म0 जाने की संभावना \ादा है , जो केवल एक परमेWर को पहचानकर, अपने आप म0 एक हो गए.ऐसा ही है पुV; परमेWर की िदD धमHिशUा म0 सिदयों से घोिषत घटनाcम भारत म0 हों2गे; िदD िपता यहोवा, पूवH से पिLम का dा अथH है ? िजसे हम आपकी िदD कृपा से 2


आपकी िदD धमHिशUा म0 पढ़ते हh ; इस िदD चेतावनी का अथH है , ]वास की सबसे बड़ी घटनाओं म0 से एक घिटत होगी, िजसे आज तक मानव नेVों ने पहले कभी नहीं दे खा है ; इसका अथH है िक पूवH म0 परमेWर के पुV के होने के कारण, अपने भौितक पुनmnान की आशा म0 पिLम पूवH की ओर oथानां तरण करे गा; और पिLम से इतने सारे लोगों के आने से पहले, पूवH राजनियक माpमों से िवरोध करे गा; ]Eेक आQा के बल के कारण मानवता के सामाq आधार अपना साँ चा तोड़ते हh , जो अपनी खुद की अनंतता की खोज म0 जाता है ; भौितक पुनmnान बुजुगH लोगों, वयRों का बारह साल के बsों के Kप म0 Kपां तरण है ; इस Kपां तरण के िनयम को परमेWर की धमHिशUा म0, ]Eेक मनुt के पुनmnान के Kप म0 बताया गया है ; िदD िपता यहोवा, जो सब जानते हh , भारत िदDता का सuान dों करता है ? इसका dा कारण है ? मh आपको बताऊंगा पुV, dों2िक wान का िदD ]काश आ चुका है , िजसका अनुरोध मानवता ने Zयं ZगH के सा[ा\ म0 िकया था; भारत की आQाओं ने सsे परमेWर की िदD मिहमा को हमेशा ]ितबंिधत िकया है ; वे अनंत अxyzों से यही करते आ रहे हh , और जब तक वे ऐसा करते रह02गे, वे परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं कर सकते; ZगH का सा[ा\ {|ा} के उन सभी लोगों के िलए प~रपूणH है िजTों2ने अपनी आoथा के Kप म0 छिवयों की उपासना की; संपूणH संसार को ऐसा ना करने की चेतावनी दी गयी थी; यह िलखा गया था: आप िचVों, मंिदरों या िकसी भी सा•‚ की उपासना नहीं कर0 2गे; िदD िपता यहोवा, िकसी सा•‚ का dा अथH है ? इसका अथH है पुV िक िकसी को मानव जाित के साथ कƒर नहीं होना 3


चािहए; ईWर के दू तों, पैगंबरों, मूितHयों, राजा, रईसों, सु„ानों आिद िकसी के भी साथ नहीं; dों2िक वे सब भी परमेWर के दै वीय qाय के अधीन हh ; जो कहा गया है उसे मत भूलना पुV: और वह मृत और जीिवत का qाय करे गा; िजसका अथH है िक कोई बच नहीं सकता; यहाँ तक िक मृत या जीिवत का एक अणु भी नहीं; जो कोई भी जीवन की परीUाओं म0 मनुtों के साथ कƒर बनता है , उसे उसके पापों को भी भोगने का जोxखम उठाना होगा, िजसे उसने अपने जीवन के सू† Kप म0 इतना सराहा है ; यह हमेशा होता है , जब ]ाणी िकसी ]ाणी के िलए धमा‡ ध हो जाता है ; जब वह {|ा} के वाyिवक रचियता को भूल जाता है तो वह हमेशा एक घटनाचc म0 पड़ जाता है ; िदD िपता यहोवा, {|ा} के अनंत संसारों के बीच पृˆी की dा पहचान है ? यह िकतना उ‰ृŠ ]‹ है पुV, dों2िक ]Eेक Œह पर ]Eेक िदD आदे श से, इसके ]ािणयों की आoथा के ]कार की गुणव•ा का जO होता है ; पृˆी खरबवां , खरबवां , खरबवां Œह है , जो िदD सौर माता ओमेगा के गभH से बाहर आया था; पृˆी परीUाओं का Œह है जो सू† जगत से संबंध रखता है ; अq संसारों की तुलना म0 पृˆी इतना छोटा है िक DxŽ कह सकता है िक लगभग कोई भी पृˆी को नहीं जानता; इसे मेरी िदD धमHिशUा म0 इस Kप म0 घोिषत िकया गया है िक: आप धूल से बने हh और धूल म0 ही िमल जाय02गे; या यह भी िक: आप सू† संसार से हh , और सू† संसार म0 वापस चले जाय02गे; और मh आपको बताता •ँ पुV िक पृˆी के सू† होने के अलावा, पृˆी सू†-पृˆी की अपनी वतHमान \ािमित के अंदर एक सू† ]ाणी था, वो कैसे िपता यहोवा? मh आपको समझाता •ँ पुV: वह िदD 4


•Šा‘ जो कहता है : ZगH के सा[ा\ म0 महान बनने के िलए DxŽ को िवन[ होना पड़ता है , इसका अथH है िक ]Eेक Œह और ]Eेक आQा सू†जीव थे; पृˆी साथ ही साथ आQा, दोनों अ•‚ से •‚मान म0 जO0 हh ; कोई भी जO से िवशाल नहीं है ; ]Eेक िवशालकाय वyु िजसे हम दे ख सकते हh , वह सू† थी; और ]Eेक सू† वyु िवyारी चुंबकz के माpम से अित-िवशाल बन जाती है ; अब मुझे समझ आया िदD िपता यहोवा िक िदD धमHिशUा िवन[ता पर बल dों दे ती है ; मh आपका िदD मन पढ़ सकता •ँ पुV; और मh आपको बताऊंगा िक परमेWर के िदD आदे श भौितक पदाथ’ के साथ-साथ आQा के िलए भी हh ; यह अिवनाशी परमेWर की िदD समानता है ; पदाथH के िनयमों म0, परमेWर पदाथH से बोलवाते हh , और आQा के िनयमों म0, आQा बोलती है ; परमेWर के सामने कोई छोटा नहीं है ; ना ही पदाथH और ना ही आQा; dों2िक उसका शासन ]Eेक के िलए है ; अिभमानी आQाएं उसे अZीकार करती हh िजसे वे अब तक नहीं समझ पाए हh ; उनके िवकास के िलए परमेWर उनकी परीUा लेते हh ; dों2िक यह िलखा गया है िक परमेWर “ारा हर आQा की परीUा ली जाती है ; मh यह दे ख सकता •ँ पुV िक आप पृˆी के बारे म0 और अिधक जानने के िलए उ”ुक हh ; मh आपको बताऊंगा पुV, जैसा िक आप इसे अपने मानिसक रं ग •‚ों म0 दे खते हh , पृˆी िट• नो आकाशगंगा से संबंिधत है ; पीले सूयH का समy oथान, िजसे आँ ख0 दे ख सकती हh , िट• नो है ; और िट• नो की कोई सीमा ना होने के कारण, िवचारशील Dापक {|ा} म0 कोई भी िट• नो को नहीं जानता; िदD िपता यहोवा, Dापक िवचारशील {|ा} का dा अथH है ? इसका अथH है 5


पुV िक दै िनक Kप से उ–— होने वाले ]Eेक मानिसक िवचार से, सू† Œहों की उ–ि• होती है ; ]ािणयों “ारा उ–— मानिसक िवचार, समा˜ नहीं होते; िवचार एक ओमेगा तरं ग है जो अ•‚ रहते ™ए, बड़ी होती है और अनंत समय गुजरने के बाद, अित-िवशाल Œह म0 बदल जाती है ; ऐसा कोई िवचार नहीं है जो भिवt म0 संसार नहीं बनता है ; और मh आपको बताता •ँ पुV िक वे Zगšय यान िजT0 पृˆी की संताने उड़न त›~रयां कहते हh , उनका उœे ‚ होता है अ•े िवचारों को बुरे िवचारों से अलग करना; इसी कारण से मनुt को Zयं को जानने की सलाह दी गयी थी; और केवल अ•े िवचार उ–— करने के िलए कहा गया था; dों2िक िजTों2ने बुरे िवचार उ–— िकये, उTों2ने अपने िलए बुराई के भावी Œहों का िनमाH ण िकया; और चूँिक वे Œह उसके अपने सू† िवचारों से बाहर आये थे, इसिलए आQा को Zयं उन Œहों को आगे बढ़ाने के िलए मसीह के Kप म0 जाना होगा; dों2िक परमेWर के िदD qाय म0, जो नुकसान प™ँ चाता है , वही उसे ठीक भी करता है ; और वे लोग जो िकसी को थोड़ा सा भी नुकसान नहीं प™ं चाते, उनके ZगH के सा[ा\ म0 जाने की संभावना \ादा होती है ; और िजसने अ•े िवचार उ–— िकये, उसने अपने खुद के िलए Zगšय-Œहों का िनमाH ण िकया, िजनका भावी सां सा~रक दशHन दयालुता होगा; यह िवचारों के इस सू† िनयम के िलए है , जो िलखा गया है : ]Eेक DxŽ अपने िवचारों से अपने िलए Zयं ZगH का िनमाH ण करता है ; dों2िक {|ा} म0 मौजूद सभी ]ाणी िवचार उ–— करते हh , और इस ]कार वे अपने मानिसक आयामों के अंदर योगदान दे कर {|ा} को कभी समा˜ नहीं होने दे ते; 6


संतानों को परमेWर की िदD िवरासत िमली है ; तदनुसार, वे Œहों के रचियता हh ; िदD िपता यहोवा अित-िवशाल Kप म0 Œहों का िनमाH ण करते हh , िजनके आयामों म0 ना तो ]ारž होता है और ना ही अंत; और उनकी संताने सू† Kप म0 िनमाH ण करती हh ; इसिलए कहा गया है िक: जो ऊपर है वो नीचे के ही समान है ; जो DxŽ अपने कायH के इस िदD िवyार के िनयम पर िवWास नहीं करता है उसे ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं िमलेगा; और उसे दोबारा सू†जीव के Kप म0 शुmआत करनी होगी; अब मh समझ गया िदD िपता यहोवा िक dों मनुtों को अपने खुद के उŸम के बारे म0 कभी पता नहीं चला, ना तो उनके और ना ही Œह के; उTों2ने उस िवwान की कभी क

ना नहीं की

िजसने अ•‚ म0 ]वेश िकया; और िदD आदे श: खुद को जानो, ने इसे घोिषत िकया; अब मुझे िवन[ता का अनंत अथH समझ आ गया; नैितकता की समझ से, मुझे िवwान समझ आ गया; अब मh समझा िक जीवन की परीUाओं म0 मनुt dों िवफल ™आ; और मh यह भी समझ गया िक यह घटनाचc उन लोगों से ]ारž ™आ िजTों2ने संसार के िलए िनयमों का िनमाH ण करने का ]यास िकया; वे िकतने गलत थे! यिद उT0 यह नहीं पता था िक खुद को कैसे जानना है तो वे दू सरों के िलए िनयम बनाने के िलए तैयार नहीं थे; ऐसा ही था पुV; यह उनकी गलती थी; वे खुद को और दू सरों को नहीं जानते थे; इसिलए यह िलखा गया था: अंधे दू सरे अंधों का नेतृz कर रहे हh ; उनकी वजह से िजTों2ने VुिटपूणH िनयम बनाएं , िजसम0 आpाxQकता और नैितकता के बीच कोई सामंज¢ नहीं था, उनके िनयमों के िविचV ]भाव के साथ रहने वाला एक भी मनुt 7


दोबारा परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं करे गा; ना ही िकसी ने आज तक ]वेश िकया है ; DxŽ उसी िन£पटता के साथ ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश करता है िजसके साथ वह बाहर आया था; ZणH म0 Kिच रखने पर आधा~रत, अजीब और अwात जीवन ]णाली, िजसे मनुt ने खुद को िदया, जीवन म0, बsों के समान िन£पटता रख पाने म0 असमथH थी; मनुtों की िविचV जीवन ]णाली ने संसार को ~रवाज़ और उ•ेजनाएं दी, उनम0 से िकसी को भी परमेWर से नहीं माँ गा गया था; इसिलए इसे िविचV और अwात जीवन ]णाली कहते हh ; dों2िक परमेWर से कुछ भी अनुिचत, असमान, या असंतुिलत नहीं माँ गा गया था; जीवन की परीUाएं िजसे मनुt ने परमेWर से माँ गा था, कम-कम समय म0 उनके एकीकरण के िलए थी; dों2िक जो एकीकृत होता है वो परमेWर से है ; जो अलग होता है वो शैतान से है ; मनुtों “ारा चुनी गयी िविचV जीवन ]णाली आQाओं के लेनदे न से ]ा˜ की गयी थी; दु िनया को उन DxŽयों “ारा चलाया जाता रहा है जो ZणH के लोभ से Œy थे; वे ऐसे िविचV लोभ से छु टकारा पाना नहीं जानते थे; उनकी महzाकां Uाएं असमान िनयमों पर आधा~रत थी, िजसने संसार को िवभाजन की ओर आगे बढ़ाया; और ब™त सारे लोग सो गए; इसके िलए यह िलखा गया था िक: ]Eेक आQा जीवन म0 सोती है ; मनुt अपने अिधकारों की रUा के संबंध म0 सोते हh , वे शां ित चाहते हh , और हिथयारों को सराहते हh ; कोई भी मरना नहीं चाहता, और वे अपने हिथयारों को बेहतर बनाकर खुद को मृEु के सामने खड़ा करने का बखान करते हh ; इस िविचV संसार का पतन अ•ाई और बुराई पर आधा~रत था; केवल एक मािलक की 8


सेवा करने के बजाय, उTों2ने दोनों को अपना मािलक बनाया; और दो मािलकों की सेवा करने के कारण, वे िवभािजत ™ए और िनरं तर इस पूरे {|ा} म0 घूमते रहे , और इस ]कार वे दोबारा कभी ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं कर सके; और परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश करने के िलए उTों2ने अनंत ]यास िकये; जबसे मनुt एक सू† जीव के Kप म0 उ–— ™आ है , तब से वह दोबारा परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश करने का ]यास कर रहा है ; यह सू† से िवशाल तक, सबसे अनंत आकारों के, परीUाओं के असीम Œहों से गुजरा है ; धूल से लेकर िवशालकाय Œह तक; लेिकन, चूँिक जो परमेWर का है वो असीम है , इसिलए मनुt धूल बनता रहा है ; और परीUाओं के िनधाH ~रत Œह पर उसका पहले से ]ा˜ \ािमित आकार mक जाता है , तब मनुt ने परमेWर के िदD िनयम का उ¥ंघन िकया; वतHमान म0 उसके साथ यही ™आ है ; और जब भी दो या दो से अिधक मािलकों की सेवा की जाती है तो िवकास अपने आप mक जाता है ; ZगH के सा[ा\ म0 केवल उसे ही ]वेश िमलता है जो सभी ]कार से अपनी आoथा के साथ केवल एक परमेWर की उपासना करता है ; उसे ]वेश नहीं िमलता जो आoथा के माpम से उसे समझना नहीं जानता, िजसका उसने Zयं ZगH के सा[ा\ म0 अनुरोध िकया था; और मh आपको बताऊंगा पुV, परमेWर को समझने म0 होने वाली इन किठनाइयों को परमेWर की िदD धमHिशUा म0 पnर कहा गया है ; मेरे पहले पुV ने कहा था: इस पnर पर मh अपना कलीिसया बनाऊंगा; उसका अथH था िक: इन मानिसक Kप से कठोर ]ािणयों के िवWास की मh परीUा लूँगा, िजसे वे अपनी इ•ा से चुन20 गे; dों2िक ]Eेक 9


]ाणी के पास चुनने का अिधकार है ; और उT0 पnर कहकर, मेरे िदD पुV ने, उसी पुराने समय म0 दे ख िलया िक िकस ]कार संसार भिवt म0 उ¥ंघन करने वाला है ; िदD िपता यहोवा, पहले पुV ने dा दे खा? उसने वो दे खा जो वतHमान मनुt जी रहा है ; उसने भिवt के अपने सौर टे लीिवज़न म0 दे खा िक िकस ]कार मनुtों से Œह को आिलशान मंिदरों और कलीिसया से भर िदया था; उसने दे खा िक िकस ]कार मनुt उस िदD आदे श को भूल गया जो कहता है : आप िकसी िचV, मंिदर या सा•‚ की उपासना नहीं कर0 2गे; उसने दे खा िक िकस ]कार उTों2ने िचVों की पूजा की; उसने दे खा िक कैसे उTों2ने नWर ]ािणयों के पैरों को चूमा; उसने दे खा िक कैसे एक अजीब सं]दाय ने, हिथयारों को सराहा, िजससे उनके अपने बsों ने एक-दू सरे की हEा की; उसने अपने धािमHक समारोह का शमHनाक Dापार दे खा; और उन चीजों को दे खने के बाद जो उसने नहीं िसखाई थीं, उसने यह कहा: मh इस पnर पर मh अपना कलीिसया बनाऊंगा; सौर िVमूितH संतानों के भावी अनुभव को अपने Kप म0 बनाते हh ; य¦िप उT0 पता है िक संतान िवफल हों2गे; dों2िक िVमूितH जानते हh िक यिद वे एक अxyz म0 िवफल होते हh तो दू सरे म0 सफल हों2गे; dों2िक ]Eेक आQा एक नए जीवन को जानने के िलए दोबारा जO लेती है ; िजसने अपनी आoथा और िवWास से यह माना िक जीवन केवल एक है , वह जीवन की परीUाओं म0 िवफल हो गया; परमेWर को सीिमत करके उTों2ने अपना नाश कर िलया; dों2िक अपने िवचार का सuान करके, उTों2ने यह माना िक वे केवल एक अxyz म0 रह02गे; जो भी परमेWर को सीिमत करता है , वह सीिमत 10


होता है ; जो परमेWर को अनंतता दे ता है , उसे अनंतता िमलती है ; dों2िक जीवन की परीUाओं म0 DxŽ जैसा सोचता है , उसे वैसा ही िमलता है ; जब DxŽ परमेWर के िलए कुछ अZीकार करता है , तो आQा को वो कुछ िदखाई नहीं दे ता है ; इसिलए यह िलखा गया था: आपके काय’ से आपको आँ का जायेगा; और मनुt के ]Eेक कायH को आणिवक Kप से आँ का जायेगा; िदD िपता यहोवा, आणिवक Kप से का dा अथH है ? इसका अथH है पुV िक परमेWर का िदD qाय उTीं िवचारों से ]Eेक DxŽ का qाय करे गा, जो उTों2ने बारी-बारी से, ]Eेक भावना से, ]Eेक गुण से, शरीर के ]Eेक अणु से जीवन म0 उ–— िकये हh ; ]Eेक आह से, ]Eेक बाल से, ]Eेक नेV से, ]Eेक कान से, ]Eेक दां त से; सभी चीजों को शािमल करने वाले इस िदD qाय को परमेWर के िदD qाय म0 घोिषत िकया गया है , िजसे उनकी िदD धमHिशUा म0 िलखा गया है ; यह िलखा गया है िक; आपको सबसे आधार पर आं का जायेगा; सबके आधार पर, वह कुछ भी नहीं छोड़ता है ; यह DxŽ का सबकुछ होता है , जो अनेकों सू† Kपों म0 बदलता है , िजसे Zयं परमेWर के पुV “ारा बड़ा िकया जायेगा; उनकी िदD सौर िcया, उन सभी चीजों को बड़ा करे गी जो सू† है ; इसिलए यह कहा गया है : हर आँ ख दे खेगी; सभी लोग वो दे ख20 गे जो उTों2ने अपने जीवन म0 नहीं दे खा; सभी लोग उन सभी चीजों को भौितक Kप से दे ख20 गे, िजT0 उTों2ने केवल भावनाओं म0 जाना है ; तो वे लोग िजT0 तZीरों के माpम से परमेWर की आराधना करने की अजीब आदत थी, उनके अणुओं को नहीं िगना जायेगा, जो ऐसे तZीरों म0 शािमल थे; तZीर के ]Eेक अणु के िलए, वे 11


]काश का एक अxyz गँवा द02गे; अणु-सेकंड का िनयम आ गया है पुV; मh आपको बताना चाहता •ँ पुV िक \ादातर सू† मानिसक और शारी~रक ]यास को परमेWर “ारा अनंत Kप से पुरRृत िकया जायेगा; dों2िक परमेWर की कोई सीमा नहीं है ; मानवता से कहा गया था िक परमेWर अनंत हh ; इसिलए, िकसी को इस बात से है रान नहीं होना चािहए िक एक सेकंड या एक अणु, ]काश के एक अxyz के बराबर होता है ; और जो यह जानकर है रान हों2गे िक अपने जीवनकाल के दौरान वे परमेWर के सू† या तु• िस¨ां त के अधीन थे, वे खुद से िवWासघात कर0 2गे; िजन लोगों का परमेWर का िस¨ां त सीिमत है , िजनकी सं©ा लाखों म0 है , वे दोबारा ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं कर0 2गे; dों2िक परमेWर से ऐसी िविचV है रानी नहीं मां गी गयी थी; उनकी है रानी उस िविचV िनªा को उजाकर करती है जो उTों2ने अपने जीवन की परीUाओं के दौरान ली है ; वे जागKक नहीं थे, वे जगे ™ए नहीं थी, उTों2ने अपनी ही भावनाओं को नहीं जाना; उन लोगों के ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश करने की संभावना \ादा है जो उस बात से है रान नहीं थे िजसका उTों2ने Zयं ]काश के सा[ा\ म0 अनुरोध िकया था; परमेWर के अनंत म0 आLयH िकसी ने नहीं माँ गा था; dों2िक कोई भी उसपर आLयHचिकत नहीं होना चाहता जो ]EU है ; मh आपको पृˆी के बारे म0 आगे बताऊंगा पुV; कृपया बताएं िदD िपता यहोवा; आपकी िदD इ•ा सE म0 बदले; पृˆी परीUाओं का Œह है ; अनंत आकाशगंगा से आने वाली आQाएं यहाँ पायी जाती हh ; इसका अथH है िक मनुt उन ]भावों के अनुसार सोचते और कायH करते हh िजसे वे अपने ]भाव के oथानों से लाये हh ; 12


आदत0 उन oथानों पर बनती हh जहाँ कोई DxŽ रहता है ; ]काश की जीवन ]णाली के सामने यहाँ ]Eेक िवचारशील ]ाणी के Dवहार की Dा©ा की गयी है ; मानव जीवन का अनुरोध इसिलए िकया गया था dों2िक यह अwात था; मनुt परमेWर से वो जानने का अनुरोध करता है जो अwात है ; और जब िबलकुल अwात आQाएं जीिवत होती हh तो वे िनयमों का अनुरोध करती हh ; dों2िक अपने DxŽगत अनुभव से वे जानते हh िक अराजकता और मनमानेपन से वे कहीं नहीं प™ं च सकते; उनम0 से कोई उ•मता बाहर नहीं आती है ; इसका अथH है िक उस ]Eेक जीवन ]णाली म0 िजसम0 Z•ं दता शािमल है , और िजसम0 उसके ]ाणी अपनी जीवन ]णाली बनाने का िनणHय लेते हh , वे परमेWर के सामने िवफल होते हh ; dों2िक उनका िवकास मनमानेपन पर िवजय पाने के िलए तैयार नहीं है ; dा आपको यह अपने Œह म0 नहीं िदखाई दे ता? ऐसा ही है िदD िपता यहोवा; जब मh छोटा था तबसे, मh दे ख रहा •ँ िक इस मनमानेपन को लोगों “ारा ZतंVता का नाम िदया जा रहा है ; और मh दे खता •ँ िक यह िविचV त«, उT0 िवकृत और पितत बनाता है ; ऐसा ही है पुV; इसका अथH है परमेWर के समU िवफलता; dों2िक उTों2ने Œह के िस¨ां त से जीवन ]णाली गिठत नहीं की; मh आपको बताऊंगा पुV, िक जब संताने मुझसे परीUाओं के दू रoथ Œहों पर जाने का अनुरोध करती हh तो वे मुझसे ऐसे Œहों को एकीकृत पूणHता के साथ बनाने का वादा करते हh ; उT0 पता था िक Zगšय िपता, हमेशा से {|ा} के एकीकरण को लेकर िचंितत थे; और संताने अपनी सू† िवचार की ¬ृंखलाओं म0 हमेशा से अपने िपता का अनुकरण करने का ]यास करते हh ; ]Eेक मानव 13


आQा ने ZगH के सा[ा\ म0 दे खा िक जो भी सा[ा\ से था वो {|ा} म0 सबसे उ•म था; सभी ने दे खा िक Zगšय आनंद, सामाq िनयमों, अथाH त समािधकारी िनयमों पर आधा~रत है , ऐसे िनयम िजनम0 सबसे छोटा भी उतना ही महzपूणH होता है िजतना िक सबसे बड़ा; पुV, dा ऐसा कुछ आपके Œह पर होता है ? िकतनी शमH की बात है िदD िपता यहोवा; dों2िक यहाँ DxŽ को उसके पास मौजूद संपि• के आधार पर मह•ा िमलती है ; मह•ा एक िविचV आिधपE की अधीनता म0 है ; ऐसा ही है पुV; इस ]कार आpाxQक अभाव कायH करता है ; इसिलए िकसी को भी ZणH के ]भाव म0 नहीं आना चािहए, dों2िक इससे ]भािवत होने के बाद कोई ZगH के सा[ा\ म0 दोबारा ]वेश नहीं करे गा; वाyव म0, लोभ से Œy कोई भी DxŽ इसम0 ]वेश नहीं करता है ; मनुt के जीवन की परीUाओं म0 सभी Œहों के िलए समान िस¨ां त बनाना, और एक बsे की िवचारशीलता बनाये रखना शािमल है ; DxŽ को अपनी सरलता का pान रखना चािहए; dों2िक सरलता या िन£पटता के िबना, कोई भी ZगH के सा[ा\ म0 दोबारा ]वेश नहीं करता है ; यह मनुt जाित की Vासदी थी पुV; मनुt ने अ

कािलक चीजों

पर अपनी उuीद बनाई और अपनी सरलता को अनदे खा िकया; यह Vासदी अपने आपको कई बार दोहराती रही है ; ऐसा ही पnर का Dवहार होता है ; आpाxQक पnर को अपना िवकास आगे बढ़ाने म0 सUम होने के िलए परीUाओं के लाखों Œहों पर दोबारा जO लेना पड़ता है और जीना पड़ता है ; यह सू† बनने से शुK ™आ था; िदD िपता यहोवा, ऐसी कठोरता का dा कारण है ? इसका कारण है पुV, अवwा के िलए 14


आकषHण की वो माVा, िजससे आQा अq संसारों से गुजरते ™ए अपने आपको संतृ˜ कर लेती है ; बुराई के िलए आकषHण की यह माVा, आQा का DxŽz बदल दे ती है ; इसिलए, जब आQा लाखों Œहों पर बार-बार जO लेती है तो इसकी ]कृित भी लाखों बार प~रवितHत होती है , इन असीम प~रवतHनों म0, आQा को अपनी सरलता बनाये रखना सीखना पड़ता है ; यह उसकी सबसे बड़ी परीUा है ; जो संसारों से गुजरते ™ए अपनी सरलता बनाये रखना सीख जाता है उसे ZगH के सा[ा\ म0 सीधे ]वेश िमल जाता है ; जो यह नहीं करता, उसे अपनी उ–ि• के oथान के िलए, -Š मागH नहीं िमलता है ; ऐसा DxŽ बार-बार ऐसे oथानों पर जO लेता है जो ZगH के सा[ा\ से बाहर हh ; ऐसे oथान िजTों2ने ]ािणयों के िलए अनंत माVा म0 गुण ]ा˜ कर िलए हh , लेिकन अभी तक परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश करने यो® नहीं ™ए हh ; dों2िक परमेWर से िकये िलए अनुरोधों की ब™लता, एक दू सरी ऐसी चीज है िजसे मानव Uमता समझ नहीं पाती; लेिकन उनम0 सू† ]ािणयों को दोबारा जO दे ने की पयाH ˜ Uमता और शxŽ मौजूद होती है ; धूल Œहों के ]ाणी, िजनम0 से एक पृˆी है ; इसे ZगH के सा[ा\ म0, एक छोटे अनुcम के Kप म0 जाना जाता है ; मनुtों की जीवन ]णाली ने अपने िनयमों म0 {|ां डीय चीजों को नहीं जोड़ा; जीवन ]णाली के ]मुख ने मनमाने तरीके से मनुtों को परमेWर को समझने िदया; और, परमेWर के संबंध म0 कभी कोई, Œह संबंधी सहमित नहीं थी, इस िविचV िवभाजन ने हज़ारों वषH समा˜ कर िदए, इसका मू¯ हर सेकंड के िलए उT0 चुकाना पड़े गा िजनकी वजह से यह ™आ है ; समय म0 ]Eेक सेकंड की असहमित के िलए, दोषी 15


मनुt ]काश का एक अxyz खोते हh ; िदD िपता यहोवा, जो सबकुछ जानते हh , इस Œह संबंधी घटनाचc म0 कौन दोषी हh ? सबसे बड़े दोषी वो हh पुV, िजTों2ने ZणH के िविचV िनयमों के आधार पर, इस जीवन ]णाली म0, िनयम बनाये; उनपर िदD अंितम िनणHय का तीन चौथाई पड़े गा; शेष एक चौथाई उन लोगों पर पड़ता है जो अपने गलत मागHदशHकों से ]ो”ािहत ™ए; अंधे दू सरे अंधों का नेतृz कर रहे हh ; उन लोगों के पतन को दै वीय Kप से घोिषत िकया गया है , जो चीजों म0 \ादा गहराई से ]वेश िकये िबना, उT0 Zीकृित दे ते हh ; वे सामाq िवकृत लोग हh , िजनके पास कोई इ•ा नहीं है , यहाँ तक िक उT0 अपनी आQाओं के मोU की भी इ•ा नहीं है ; यह िविचV दु िनया का िविचV च~रV था, जो ZणH के िविचV िस¨ां त से उ–— ™आ; पाने की इ•ाओं के कारण, यह आpाxQक िवकृित थी; आQा की भावनाओं पर ZणH के संबंध म0 भारत म0 िविवधता थी; भारतीय लोग आpाxQक मापन म0 ब™त अिधक आगे िनकल गए; मनुt की कई मनुtों म0 शxŽ होने के नाते, ये अपने भौितक क¯ाण म0 कहीं पीछे रह गए हh ; इसके अलावा पुV, इन लोगों के पास सबसे महान पुरातनता है ; जो पृˆी पर सबसे पुरानी है ; यहाँ समय और िवwान और ]ा˜ क¯ाण के बीच िविचV असंतुलन है ; इस असंतुलन के िलए िजuेदार लोग ]Eेक सेकंड और अणु के िलए मू¯ चुकाएं गे; dों2िक भारत के वतHमान िपछड़े पन के िलए िजuेदार ]Eेक दोषी ]काश का एक अxyz खोता है ; यही िनयम उन लोगों पर भी लागू होता है िजTों2ने अपनी महzाकां Uाओं के िलए अपने राŠ•ों की ]गित को रोका; और मh आपको बताऊंगा पुV िक राŠ•ों के सभी नेताओं को परमेWर 16


के िदD qाय म0 अप~रिचत कहा जायेगा; उनके िलए यह िलखा गया था: िविचV आचार-िवचार; वाyव म0, परमेWर के िदD िनयम का उ¥ंघन करने वाले ]Eेक DxŽ को अप~रिचत कहा जायेगा; dों2िक िकसी ने भी जीवन की परीUाओं म0 परमेWर के िदD िनयम का उ¥ंघन करने का अिधकार नहीं माँ गा था; उन लोगों के ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश करने की संभावना \ादा होती है जो ऐसे िकसी राŠ• को नहीं चलाते, िजसम0 वह परमेWर के िनयम का उ¥ंघन कर0 2गे; उन लोगों की तुलना म0 जो ऐसा करने की िविचV ZतंVता पा लेते हh ; मनुtों की जीवन ]णाली को परमेWर ने कई सिदयों पहले दx}त कर िदया है ; िदD िपता यहोवा, वो िदD दं ड कैसा था? परमेWर की िदD धमHिशUा म0 िलखा गया था पुV: धनी DxŽ के ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश करने की तुलना म0 ऊंट का सुई के छे द से गुजरना \ादा आसान है ; ना तो धनी DxŽ और ना ही वो ]णाली जो धनी लोगों को उ–— करती है , परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश करते हh ; मh समझता •ँ िदD िपता यहोवा धनी लोगों को उ–— करने वाली ]णाली को मनुt पूंजीवाद कहता है ; dा ऐसा है िदD िपता यहोवा? ऐसा ही है पुV; अपने जीवन की परीUाओं म0 मनुt “ारा आजमाये गए सभी दाशHिनक ]णािलयों म0 से पूंजीवाद ही एकमाV ऐसी ]णाली है जो धनी लोगों को उ–— करती है ; और मh दे खता •ँ पुV िक परीUाओं के इस संसार म0 करोड़ों लोग, उस जीवन ]णाली को सराहते और Zीकारते हh , िजसे सिदयों पहले, परमेWर ने दं िडत िकया था; ऐसा ही है िदD िपता यहोवा; शमH की बात है िक ऐसा ही है ; मh मानता •ँ िक ऐसे लोग पागल होते हh ; उनका मानिसक 17


संतुलन ठीक नहीं होता; dों2िक कोई पागल ही परमेWर का िवरोध करे गा; आप िबलकुल सही हh पुV; जो DxŽ मेरे िवm¨ रहता है , वो मेरे सा[ा\ म0 ]वेश नहीं कर सकता; हाँ , वाyव म0 वो अिभमानी होने के कारण पागल होते हh ; मुझे पता है पुV िक आपको यह बात बचपन से पता है ; आपकी िदD कृपा से ऐसा ही है िदD िपता यहोवा; मh उस महान Uण को कैसे भूल सकता •ँ , िजसम0 मh2ने आपकी िदD कृपा से, अपने मन म0 आपकी िदD पुकार सुनी थी? हाँ पुV, मुझे याद है ; dों2िक वो सू† अतीत परमेWर के िलए हमेशा से एक िदD उपहार है ; यह मत भूलना िक अपने बनाये गए अनंत समयों म0 से चुनते समय अिवनाशी परमेWर Zगšय समय को चुनता है ; इस Zगšय समय के िवषय म0 आप मुझे dा बता सकते हh पुV? मुझे याद है िदD िपता यहोवा िक बचपन से ही आपने मुझे िसखाया है िक एक Zगšय सेकंड एक सां सा~रक सदी के बराबर होता है ; ऐसा ही है पुV; मh दे ख रहा •ँ िक आपकी °ृित िवलUण है ; आपकी िदD कृपा से, िदD िपता यहोवा; इसिलए यह कहा गया है िक परमेWर ने कुछ Uणों पहले ही संसार का िनमाH ण िकया था; dों2िक उTों2ने Zगšय समय का ]योग िकया; सभी समयों के सभी Œह, जो पहले थे, जो अभी हh और जो हों2गे, वे सभी Zगšय समय के अधीन हh ; dों2िक जहाँ समय को बनाया गया है , उस oथान पर कुछ और समय था; उस oथान का समय, यह समय, Zगšय समय था; सभी समयों के माता-िपता एक ही समय थे; dों2िक मh आपको बताऊंगा पुV िक मेरी िदD रचना म0 िकसी को भी उ•रािधकार से वंिचत नहीं िकया गया है ; ना ही पदाथH और ना ही आQा, कोई भी उ•रािधकार से 18


वंिचत नहीं है ; और मh आपको बताऊंगा पुV िक जहाँ तक पृˆी के समय की बात आती है , यहाँ समय के अंदर तीन समय हh ; समय को सा[ा\ म0 बनाया गया, और िजसने मानव आQा के साथ िदD गठबंधन का अनुरोध िकया; इसके बाद समय के िलए परीUाओं का समय आता है ; और आQा के िलए परीUाओं का समय आता है ; और चूँिक िकसी को भी उ•रािधकार से वंिचत नहीं िकया है इसिलए ]Eेक समय को समय के िVमूितH िमलते हh , और जब मानव आQा ने परमेWर से जीवन माँ गा, तब आQा ने पदाथH से बात की; और उसके अंदर समय, अंत~रU और दशHन था; चूँिक परमेWर के िलए कुछ भी असंभव नहीं है , इसिलए उTों2ने अपने पदाथH के िनयमों म0, पदाथH से बोलवाया; और अपने आQा के िनयमों म0, आQा से; इसिलए यह कहा गया था: परमेWर का जीिवत {|ा}; जीवन की परीUाओं म0 परमेWर से कोई अिधकार ना लेना शािमल है ; लेिकन, कइयों ने ऐसा िकया; ना केवल इस जीवन म0, बx± कई नए जीवनों म0 भी; और जो अपनी राय से इसे परमेWर से लेता है , उसे इसे परमेWर के िदD qाय म0 भी उससे लेना होगा; पृˆी की आQा के च~रV का वणHन करने वाली आxQक अधमता के तीन कारण हh ; पहला कारण है ब™त कम िवकास, जो जीवन की परीUाओं से आQा म0 ™आ है ; दू सरा कारण है जो परमेWर का है उसके संबंध म0 Zयं माता-िपता का मानिसक प~रEाग; सां सा~रक माता-िपता िजTों2ने कभी अपने बsों को परमेWर के िनयमों की िशUा नहीं दी; और तीसरा कारण आxQक अधमता, Zयं ]ाणी का परमेWर को ना समझ पाना है ; इन तीन शैतानी कारणों ने मानवता को एक िविचV िनªा म0 डाल 19


िदया है ; ऐसी िनªा िजसने मानव अिधकारों की रUा को ]भािवत िकया; यह िनªा उन अिधकारों की अवहे लना है िजT0 ZगH के सा[ा\ म0 माँ गा गया था, और िपता से पुV म0 और पीढ़ी दर पीढ़ी म0 संचा~रत िकया गया था: संचा~रत होने पर; इसे वैधािनक चीज के Kप म0 ]ा˜ िकया गया; परमेWर का िदD qाय जीवन की परीUाओं म0 मानवता ]दिशHत करे गा, िजसे वैध समझा गया था वो अवैध था; ²म के ]भाव म0 परमेWर के िनयम का उ¥ंघन ™आ, जो मनुt “ारा आदशH Kप म0 ]yुत की गयी जीवन ]णाली से आया; जो तु• था उसे दे वता माना गया और अिवनाशी परमेWर को भुला िदया गया; िविचV जीवन ]णाली के रिचयताओं ने सू† वतHमान के अंदर मानव के आदश’ को बंद करने का ]यास िकया; दू रoथ आकाशगंगा से अपनी आQाओं म0 िविचV ]भाव लाने वाले Dापा~रयों ने उT0 अपने सोचने के तरीके और िनयम िसखाये, िजससे उTों2ने जीवन ]णाली को आदशH बनाया; िनिLत Kप से जो ZणH से \ादा ]भािवत थे, वे जीवन ]णाली बनाने के िलए कम यो® थे; उनम0 कोई उ•मता नहीं थी; वे केवल लाभ कमा सकते थे; लेिकन, उTों2ने कभी अपने आपको बराबरी म0 नहीं आने िदया; अपनी किमयों म0, वे भयभीत, कायर, उ–ीड़क थे, और िजनका अंितम उपाय बल था; ऐसे शैतानी गुणों वाले, ये DथH ]ाणी संसार की ]स—ता का कभी आWासन नहीं दे पाए; इसिलए सिदयों से अनंत पृˆी पर अपने आने की उuीद कर रहे हh , और उTों2ने उT0 दx}त िकया; वो सोचते हh िक जो उनका है वो अिवनाशी है ; वे यह भूल गए िक यह बस उनकी परीUा है ; इसका अथH है िक जीवन की परीUाओं म0 होने पर, िकसी मानव आQा 20


म0, दोबारा मानव बनने की िनिLतता नहीं होती है ; यह सब केवल इस बात पर िनभHर करता है िक ]Eेक आQा ने अपने जीवन की परीUा म0 कैसा ]दशHन िकया; सबकुछ ]Eेक मनुt “ारा िकये गए आणिवक कायH पर िनभHर करता है ; उन सभी को चेतावनी दी गयी थी िक परमेWर दे ता और वापस ले लेता है ; इसम0 जीवन दे ना और वापस लेना भी शािमल है ; और उनके िलए दोबारा मानव के Kप म0 जO लेने की संभावना \ादा होती है िजनका ZणH की तरफ झुकाव होने के बावजूद, उTों2ने जीवन ]णाली के िनमाH ण म0 सहयोग नहीं िदया; उनकी तुलना म0 जो लालच म0 पड़ गए; अपने िलए \ादा पाने की चाह रखने वाले मनुtों को िजuेदारी का पद लेने की सलाह नहीं दी जाती है ; dों2िक ऐसा करते समय, वे करोड़ों मनुtों के ददH और अqाय का कारण बनते हh ; और िजन लोगों ने सवH¬े³ ना होते ™ए भी पद संभाल रखा है उनके िलए अपने पदों का Eाग करना ही उिचत होगा; और उT0 इसे उन लोगों के िलए छोड़ दे ना चािहए जो उनसे \ादा समथH हh ; dों2िक ]Eेक बीतते ™ए सेकंड के साथ, ये VुिटपूणH लोग, ]काश का एक अxyz खो रहे हh ; िदन-रात, ]Eेक Uण, वे ]काश का अxyz खो रहे हh ; परमेWर का िदD qाय, पदाथH और समय म0 आणिवक है ; और यह सभी बनाई गयी चीजों के िलए समािधकार का कानून है ; िदD िपता यहोवा, समािधकार का dा अथH है ? इसका अथH है पुV, िक उ¥ंघन के एक सेकंड या एक अणु या ]काश का परमेWर के कानून म0 समान मू¯ है ; इसिलए दयालुता का एक सेकंड ]काश के भावी अxyz के बराबर है ; और एक सेकंड की बुराई अंधकार के भावी अxyz के बराबर है ; इसे ZगH 21


के सा[ा\ म0, िदD qाय का समािधकार िनयम कहते हh ; और मानव जीवन म0 ]वेश करने से पहले मानव जाित ने ही परमेWर से इस qाय की मां ग की थी; और उTों2ने ना केवल कोई कायH करने के िलए इसे qाय के Kप म0 माँ गा था, बx± उTों2ने इसे अपनी जीवन ]णाली म0 जीने का भी वचन िदया था; dों2िक जो भी परमेWर का है वो अतुलनीय है ; मनुt ने इस वचन को पूरा नहीं िकया; मनुt राŠ•ों म0 बंट गया; िवभाजन की यह िविचV गितिविध परमेWर को कभी पसंद नहीं थी; dों2िक अनंत ने Zयं उT0 चेतावनी दी थी िक केवल शैतान िवभाजन करता है और अंत म0 खुद को िवभािजत कर लेता है ; और ऐसा करते ™ए, उसके पास ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश करने का अवसर भी कम होता है ; परमेWर की िदD चेतावनी का मानव िनयमों म0 pान नहीं िदया गया; िदD िपता भी मानवता का िवभाजन करने वालों पर pान नहीं द02गे; अनंत की अपेUा करते ™ए, मनुt के दे शªोह के िलए उTों2ने अपनी िदD धमHिशUा म0 यह दं ड िदया था: और वहां रोना और दां तों का पीसना होगा; मनुtों के सभी आगामी पतनों को Zयं िदD धमHिशUा म0 घोिषत िकया गया है ; dों2िक परमेWर की िदD धमHिशUा म0 िलखा गया है िक Zयं मनुt ने परमेWर से परीUाओं की मानिसकता म0 Zयं को चेतावनी दे ने का अनुरोध िकया था.लेखक: अ6ा और ओमेगा Nº 3426

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वे घटनाएं जो भारत म0 हों2गी... ]Eेक मनुt के पुनmnान से संबंिधत घटनाएं भारत म0 हों2गी; िदD िपता यहोवा, मनुt के पुनmnान की ]िcया कैसी होती है ? यह एक दै वीय ]िcया है जो आQा को पुनजšवन दे ने के समान होती है ; अपनी सौर िcया से सौर पुV मसीह, मनुt के िदD कmब(ZगHदूतों) को आदे श द02गे; मh जो तु¼0 बता रहा •ँ पुV वो मानव िनयम नहीं; बx± सौर िवwान है ; यह ऐसी िदD शxŽ है िजसने तzों का िनमाH ण िकया; िदD िपता यहोवा, सौर िcया dा है ?; िदD सौर िcया पुV, अEंत सू† समय म0, अित-िवशाल चीज0 बनाने की, संसार के ]ािणयों की मानिसक Uमता है ; वे {|ा} के िदD कmब(ZगHदूतों) को ]ेम से आदे श दे ते हh ; िदD िपता यहोवा, िदD कmब(ZगHदूत) dा हh ? कmब(ZगHदूत) पदाथH के सबसे सू† Kप को दशाH ते हh ; कmब(ZगHदूत) का अथH है बनना चाहना; dों2िक ]Eेक Uण, वे Kपां तरणों के बारे म0 सोच रहे हh ; वे अनंत Kप से बेचैन रहते हh और वे \ािमितयों के अनंत सुधारक हh ; कmब(ZगHदूत) पदाथH की सबसे सू† चुंबकीय इकाई हh ; िदD कmब(ZगHदूत) इतने सू† हh िक उनके बगल म0 अणु एक िवशाल Œह बन जाता है ; कोई भी मानव यंV, पदाथ’ के कmब(ZगHदूतों) को नहीं 23


दे ख पायेगा; कmब(ZगHदूत) को सौर शxŽ से दे खा जा सकता है और इसे ½ार से आदे श िदया जाता है ; और मh आपको बताऊंगा पुV िक ये पूरा {|ा} कmब(ZगHदूतों) से बना ™आ है ; इसिलए हमारे पास समुªों के, पृˆी के, मानव के, आQा के, गुmzाकषHण के, अपिशŠों के, रŽ के, और अणुओं के घनz के, पयाH वरण के, वेगों के और उन सभी चीजों के कmब(ZगHदूत) हh िजनकी मxy£ क

ना कर सकता है ;

सभी wात और अwात चीज0 कmब(ZगHदूतों) से बनी हh ; भौितक और आpाxQक {|ा}, एकता के िदD कmब(ZगHदूतों) की वजह से अपनी संपूणHता बनाये रखते हh ; {|ा} अपने Kप म0 इसिलए बने ™ए हh , dों2िक अ•‚ Kप से चु¾कीय बल एकजुट होते हh , िजसने उनके िलए •‚मान या बाहर, -शH यो® \ािमितयों का िनमाH ण िकया; यह अिभDxŽ अंदर से बाहर की ओर थी; जो भी अंदर होता है उसके अनुसार वतHमान एक-दू सरे का अनुसरण करते हh ; इसका अथH है िक ]Eेक वतHमान एक सू† जीव था; और इसका िवyार कभी नहीं mकेगा; परमेWर की िदD धमHिशUा म0 िदD कmब(ZगHदूतों) का उ¥ेख िकया गया है ; लेिकन वहां इसके िवwान का उ¥ेख नहीं िमलता; वो कmब(ZगHदूत) िजससे सबकुछ बना ™आ है , मानव िवwान म0 cां ित लाएगा; dों2िक कmब(ZगHदूत) के माpम से, परमेWर के पुV, यह ]दिशHत कर0 2गे िक पदाथH म0 जीवन है , और अपने पदाथH के कानून म0 यह अपने आपको अिभDŽ करता है ; मh2ने आपसे जो कुछ भी बताया है पुV, उसे परमेWर की िदD धमHिशUा म0 घोिषत िकया गया है ; यह िलखा गया था: एक जीिवत {|ा}; और DxŽ को आoथा और िवWास के 24


माpम से यह समझना पड़ा था िक जीवन आQा के साथ-साथ पदाथH के िलए भी है ; िजTों2ने इसके िवपरीत सोचा, उTों2ने अपने िलए एक सीमाओं वाला परमेWर अथाH त VुिटपूणH परमेWर बना िलया; वे अपनी जीवन की परीUाओं म0 िवफल हो गए; और ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं पाएं गे; परमेWर से जीवन की िजन परीUाओं का अनुरोध िकया गया था, उनम0 एक अणु म0 भी गलत ना होना शािमल था; िवचारशील आQाओं ने, परमेWर से गलत ना होने का अनुरोध िकया गया था और इसका वचन िदया गया था; dों2िक आQाओं के िलए, गलत ना होना, एक अwात अनुभव था; और उTों2ने परमेWर से इसे आजमाने का अनुरोध िकया था, और उनका यह अनुरोध पूरा िकया गया.-

तो ऐसा है पुV; यह खगोलीय िचVण िजसे आप बचपन से एक जीवंत •‚ के Kप म0 दे खते आ रहे हh ; भारत म0 उड़न त›~रयों के अवतरण को ]दिशHत करता है ; यह वहां 25


होगा जहाँ परमेWर के पुV, एक नए शहर का िनमाH ण कर0 2गे िजसे Zगšय यKशलेम कहा जायेगा; यह अwात िवwान का शहर होगा; यह मनुtों का िवwान नहीं होगा; इसके िनमाH ण म0 परमेWर के पुV सौर िवwान का ]योग कर0 2गे; यह िवwान मानिसक Kप से ]ेमपूवHक पदाथH के अणुओं को आदे श दे ता है ; िदD िपता यहोवा, Zगšय यKशलेम बनाने म0 परमेWर के पुV को िकतना समय लगेगा? वह इसे पलक झपकते ही बना सकते हh ; लेिकन, िदD धमHिशUा का पालन करने के िलए, वह तीन िदन ल02गे; लेिकन िफर भी यह बेिमसाल होगा; dों2िक मानव नेVों ने ऐसी अद् भुत संरचना पहले कभी नहीं दे खी होगी; यह शहर ब™मू¯ पnरों से बना होगा, और इसकी oथापE \ािमित ऐसी होगी िक यह {|ां ड की सुदूर xoथित आकाशगंगाओं की याद िदलाएगा; Zगšय यKशलेम नए सा[ा\ के ]ारं िभक िबंदु को ]दिशHत करे गा; बाल िवलUणताओं का सा[ा\ या िवW; इसे भारतवषH म0 पूरा िकया जायेगा, जैसा िक परमेWर की धमHिशUा म0 सिदयों से घोिषत िकया गया था: बsों को मेरे पास आने द0 , dों2िक ZगH का सा[ा\ उनका ही है ; और भारत म0 पिवV आQा वाले बsे हों2गे, जो सोने के िविचV ]भाव को नहीं जान02गे; वे Zाथš और ²Š संसार के भयानक ]भाव से अनिभw हों2गे; परमेWर “ारा घोिषत नया सा[ा\, तथाकिथत वयRों से नहीं बनाया जायेगा; dों2िक जीवन उनके िलए केवल परीUा माV था; और वे इसे अ•ी तरह से जानते थे; dों2िक उT0 बताया गया था; यह िलखा गया था िक ]Eेक आQा जीवन म0 परीUा दे गी; िजसका उTों2ने परमेWर से अनुरोध िकया था; और उनके िलए परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश करने की 26


संभावना \ादा है जो कभी नहीं भूले थे िक वह जीवन की परीUा म0 थे; उनकी तुलना म0 जो यह भूल गए थे; िकसी ने भी परमेWर से परीUा को भूल जाने का अनुरोध नहीं िकया था; िदD िपता यहोवा, संसार म0 िकसी ने कभी यह dों नहीं कहा िक जीवन बस एक परीUा थी? उसका कारण तथाकिथत धािमHकों पर आधा~रत है , जो पूंजीवाद के शासन के दौरान उभरकर सामने आये थे, और ब™त बुरे िचVण थे; इसके अलावा पुV, धािमHक ]ािणयों ने पूंजीवाद के िविचV ]भाव के िलए िकसी भी मानिसक ]ितरोध का िवरोध नहीं िकया; आQाओं की अपनी संवेदनाएं , िजTों2ने कहा था िक वे पृˆी पर परमेWर के ]ितिनिध थे; जहाँ तक नैितकता की बात आती है उनम0 कुछ भी असाधारण नहीं था; वे बस साधारण लोग थे; वे दु िनया म0 दू सरे पूंजीवाद बन गए थे; उनकी आoथा अEिधक भौितकवादी थी; धािमHक ]ाणी खोज म0 िवफल हो गए; उनके प~रणाम म0 िवWासों की िविभ—ता के माpम से, ]ािणयों का िवभाजन शािमल है ; जीवन की परीUाओं म0 उभरकर सामने आये, तथाकिथत धािमHकों की मानिसकता म0 इतनी गुणव•ा भी नहीं थी िक वे संसार को एकजुट करने म0 सUम हो सक0; उनम0 सां सा~रक दशHन की कमी थी; इसीिलए वे कभी संसार को एकजुट नहीं कर सके; इतनी सिदयों तक शासन करने के बावजूद; और जब तक वे यहाँ मौजूद रह02गे; मानवता कभी एकजुट नहीं होगी; संसार के एकीकरण म0 उनकी िवफलता Dापक Kप से ]कट की गयी है ; मुझे पता है पुV िक आपको यह सE बचपन से पता है ; और मh आपको बताऊंगा िक यह सE लंबे समय से पूरी मानवता को पता होना चािहए था; dों2िक यह सिदयों से िलखा गया था: आप उT0 27


उनके काम से जान02गे; और संसार सिदयों ने उनका काम दे ख रखा है ; िदD िपता यहोवा, सबसे िविचV बात यह है िक संसार का िवभाजन शुK करने वाले मानिसक िवभाजन से पहले तक कोई भी नहीं जागता है ; ऐसा ही है पुV; इसिलए यह िलखा गया था िक: ]Eेक आQा सोती है ; संसार उसपर िवचार करता है जो वो सोचता है िक सही और वैध है ; रोना और दां तों का पीसना, िजसे घोिषत िकया गया था, उT0 एक ऐसी हताशा म0 जगा दे गा िजसे वे कभी नहीं जीये; मुझे पता है पुV, dों2िक मh आपके मन म0 यह दे ख सकता •ँ िक आप परमेWर के पिवV Œंथ और भारत से इसके संबंध के िवषय म0 सोच रहे हh ; आप हमेशा से यह सोचते आ रहे हh िक भारत ने अपने आपको उस मानिसकता से िनदÀ 2िशत dों नहीं होने िदया, जो मनुtों ने अपनी बाइिबल म0 बनाई थी; आपकी िदD कृपा से, ऐसा ही है िदD िपता यहोवा; मh आपको बताऊंगा पुV; आपको अ•ी तरह से पता है िक मेरी िदD धमHिशUा म0 िलखा गया था िक: जो खोजेगा वो पायेगा; मानव की मुŽ इ•ाशxŽ को अपने िलए सवÁ•म खोजना चािहए था; dों2िक खोज की कोई सीमा नहीं थी, ना ही िकसी को उस wान से संतुŠ होना चािहए था, जो उसे िवरासत म0 और परं परागत Kप से िमला था; dों2िक वो रोमां चक था; जो परमेWर का है उसके सामने मनुt के िलए सीिमत होने का जोxखम था; और उन Vुिटयों को जानने का जो दू सरे जानते थे; खोज एक DxŽगत खोज होनी चािहए थी; dों2िक परमेWर के िलए DxŽगत खोज सबसे सsी खोज होती है , और यह DxŽगत खोज, ना तो िकसी को नुकसान प™ं चाती है और ना ही िकसी को बां टती है , और यह िकसी भी 28


Kिच रखने वाले DxŽ को कभी धोखा नहीं दे ती है , परमेWर के िदD qाय म0, DxŽगत खोज को, ]Eेक सेकंड, एक पूणH पुरRार ]ा˜ होगा; दू सरी खोज, अथाH त धािमHक खोज, सहयोग और अनुसरण वाली खोज थी, और दू सरों से सीखी गयी थी; वे दू सरे मनुt गलत थे, और उTों2ने उनम0 अपनी Vुिटयों को संचा~रत िकया, िजTों2ने उनका अनुसरण िकया; दू सरी तरफ, DxŽगत खोज \ादा Dवxoथत है , और उन Vुिटयों को समा˜ करती है , जो दू सरे लोग अनुसरण से ]ा˜ करते हh ; सिदयों के अनुभव ने यह िदखाया िक परमेWर की खोज के संबंध म0, मनुt को मनुt पर भरोसा नहीं करना चािहए; dों2िक इससे Vुिटयां और गलितयां एक-दू सरे म0 संचा~रत होती है ; इसिलए मh2ने अपनी िदD धमHिशUा म0 कहा था: जो खोजेगा वो पायेगा; dों2िक केवल अनुरŽ मनुt ही अपने िलए सवH¬े³ का चुनाव कर सकता है ; परमेWर की खोज म0, कोई दू सरा उसे कुछ बेहतर नहीं दे सकता; अनंत अपनी अनंत ZतंV इ•ा से उनके सामने आता है जो उसे Zयं समझने का ]यास करते हh ; और वो उन लोगों से उतना ]भािवत नहीं होता, जो उसे समझने के िलए, दू सरों की सहायता खोजते हh ; सsी यो®ता, DxŽ म0 शुK होती है ; साझा यो®ता सsी यो®ता नहीं है ; dों2िक यह एक िवभािजत यो®ता है ; pान द0 पुV, जीवन की परीUाओं की, संपूणH पीिढ़यों की Vुिट; आoथा के माpम से अपने परमेWर की समझ म0 संसार यह भूल गया िक परमेWर का िदD qाय आणिवक था; वे भूल गए िक इसने अनंत Dापक और सू† को शािमल िकया था, अनंत ने ऐसी चीजों को शािमल िकया था िजसे आँ ख0 दे खती हh , और अंदKनी 29


अनुभवों को भी, िजT0 सभी लोग अपनी अनुभूितयों से समझते हh ; वाyव म0, परमेWर की समझ म0 यह सीमा अपने आप म0 ही मनुt जाित का सबसे बड़ा नाटक है ; dों2िक आQा को खुद ऐसी सीमा को pान म0 रखना चािहए था; और सभी को इसे िनरy मानना चािहए था; परमेWर के िदD qाय म0, जीवन की परीUाओं म0, परमेWर के संबंध म0, DxŽ को जो भी मानिसक mकावट0 होती हh , उसका मू¯ चूका िदया गया है और इससे छूट िमल गयी है ; जो भी परमेWर का है उसे सीिमत करने वाले मनुt को भी सीिमत पुरRार िमलता है ; ]Eेक सीमा से; dों2िक मानवता को चेताया गया था िक परमेWर अनंत हh , िक उनका कोई ]ारं भ और अंत नहीं है ; इसिलए परमेWर को सही से समझने के िलए, DxŽ को यह मानव की मानिसकता से करने की जmरत नहीं थी; dों2िक मनुtों की सीमाएं होती हh ; मनुt को खुद को अनंत के सामने लाना पड़ा था; िजसकी कोई सीमा नहीं है ; ]दशHन के साथ आoथा को परमेWर के सामने पुरRार िमला है ; ]दशHन के िबना आoथा, िबना िकसी खोज या िचV वाली, केवल सहज आoथा है , िजसे परमेWर के सामने पुरRार नहीं िमला है ; dों2िक जीवन की परीUाओं म0 ]यास करने वालों को ही परमेWर से पुरRार िमलने की संभावना होती है ; उनकी तुलना म0 िजTों2ने ]यास नहीं िकया; संसार की आoथा ने, कभी यह क

ना नहीं की थी िक िवचार

का एक सेकंड ]काश के एक अxyz के बराबर होगा; संसार अपनी सू† गितिविधयों म0, परमेWर की अनंतता लागू करना भूल गया; और संसार को िसखाया गया था िक परमेWर हर जगह है ; और संसार यह िदD सE जानना भी नहीं चाहता था; dों2िक 30


संसार ने अपने आपको सां सा~रक मंिदरों से घेरना \ादा पसंद िकया; यिद परमेWर हर जगह था तो आिलशान और महं गे मंिदरों की कोई जmरत नहीं थी; dों2िक िदD आदे श के अनुसार घर अपने आप म0 ही एक मंिदर है ; उन लोगों के िलए परमेWर का पुरRार पाने की संभावना \ादा है िजTों2ने उसकी िसखाई गयी बातों का सuान िकया; उनकी तुलना म0 िजTों2ने इसपर pान नहीं िदया; संसार उन अभूतपूवH घटनाओं को नहीं खोना चाहे गा जो भारत म0 हों2गी; dों2िक उस मनुt को दे खने का मोह सावHलौिकक होगा, िजसका मुख सूयH के समान चमकेगा; भारत के िलए ]वास िवWDापी होगा; और यह उस सबसे बड़ी cां ित का प~रणाम होगा, िजसे पृˆी पर पहले कभी नहीं जाना गया था; और यह सबसे बड़ी cां ित मनुtों से बाहर नहीं आती है ; बx± िदD सौर िपता से आती है , िजT0 परीUाओं के संसार के िलए परमेWर के पुV के Kप म0 घोिषत िकया गया है ; और भारत म0, एक के बाद एक भयानक भूकंप आएं गे; dों2िक इतने सारे दे वताओं, मूितHयों, °ारकों, भौितक मंिदरों की उपxoथित परमेWर के पुV को cोध से भर दे गी; उT0 यह दे खकर अ•ा नहीं लगेगा िक मनुtों ने परमेWर से जो वादा िकया था उसे पूरा नहीं िकया; इसिलए रोने और दां त पीसने का एक िहÂा पूरा हो गया है ; बाकी का िहÂा शेष Œह से संबंिधत है ; dों2िक परमेWर के िदD qाय की कोई सीमा नहीं होगी; यह इतना िवशाल होगा िक तथाकिथत राŠ• उसके सामने कुछ नहीं हों2गे; िवभाजन का ]ितिनिधz करने वाली कोई चीज नहीं रहे गी.- लेखक: अ6ा और ओमेगा Nº 3427 31


वे घटनाएं जो भारत म0 हों2गी...

िदD िपता यहोवा, भारत म0, समुª के िकनारे मुझे जनसमूह िदखाई दे रहे हh ; वे इतने सारे हh िक उTों2ने सूयH को भी ढँ क िदया है ! वे dा कर रहे हh ? वे संपूणH Œहों से आने वाले जनसमूह हh ; वे परमेWर के पुV का इं तज़ार कर रहे हh , जो समुª का जल खोलने के िलए आएं गे; ये जनसमूह कई िदनों से एकिVत हो रहा है , िजसे आज तक िकसी पीढ़ी ने नहीं दे खा है ; तथाकिथत पिLम लगभग खाली हो गया है ; पिLम म0 केवल वे लोग शेष हh जो घर और अ-तालों म0 मरने की ]तीUा कर रहे हh ; और वे अकेले हh ; dों2िक पृˆी पर परमेWर का पुV होने के नाते, कोई भी अपनी आQा नहीं खोना चाहता है ; भारत म0 सबसे बड़ी सम¢ा है , भोजन और oथान की कमी; लोगों से भरे ™ए कई नौवहन जहाज़ मानवता के इितहास की सबसे बड़ी िवलUण घटना का इं तज़ार कर रहे हh , हज़ारों जहाज़ों पर िब±ुल oथान नहीं है ; और ऐसा ]तीत होता है जैसे छोटे िबंदुओं का जनसमूह, समुª की लहरों पर बह रहा है ; आपकी िदD कृपा से मh यह दे ख सकता •ँ , िदD िपता यहोवा; और मh आपको बताऊंगा पुV िक मानव इितहास म0 इतने सारे 32


जहाज़ों को एक साथ कभी नहीं दे खा गया है ; संपूणH Œह म0 cां ित आ गयी है और वे संगठन िजT0 मनुtों के आधार के Kप म0 माना जाता था, वे िबखर रहे हh ; आप जो दे ख रहे हh पुV, वो रोने और दां तों के पीसने का कोलाहल है , िजसे सिदयों से, और मानवता के जO से भी पहले, पृˆी Œह के िलए घोिषत कर िदया गया था; िदD िपता यहोवा, जो जानते हh िक घटनाcम कैसे होने वाले हh , उनके नायकों के जO से भी पहले से, इसकी Dा©ा कैसे की जा सकती है ? मh आपको बताऊंगा पुV, िक कोई भी िवशेष नहीं है , dा मेरी िदD धमHिशUा म0 ऐसा नहीं िलखा गया है ? आपकी िदD कृपा से, ऐसा ही है िदD िपता; खैर, यिद मेरे िदD वचनों से यह घोिषत िकया गया था िक कोई भी िवशेष नहीं है तो ऐसे •ढ़ कथन का अथH है िक पृˆी पर मनुtों के होने से पहले, वहां पहले अq ]ाणी मौजूद थे; मh दे ख रहा •ँ पुV िक आप कुछ सोच रहे हh ; हाँ , मेरे िदD िपता यहोवा; मh उस िदD •Šां त के बारे म0 सोच रहा •ँ जो आपने हम0 अपनी िदD धमHिशUा म0 िसखाया था: यहोवा के अंगूर के बाग म0 सबकुछ है ; और मh इसे उससे जोड़ रहा •ँ , जो आपकी िदD दयालुता मुझे इन Uणों म0 िसखाती है ; ऐसा ही है पुV; आदम और हÅा मनुt जाित के माता-िपता थे और हमेशा रह02गे; लेिकन, केवल वही नहीं हh ; dों2िक उनसे पहले, वे माता-िपता थे जो अq Œहों के जीवन से जुड़े ™ए थे; वे जीवन, जो मनुtों से भी पहले मौजूद थे, उT0 सौर टे लीिवज़न पर संपूणH संसार “ारा दे खा जायेगा; िदD िपता यहोवा, सौर टे लीिवज़न dा है ? मh आपको बताऊंगा पुV िक मेरी िदD धमHिशUा म0, सौर टे लीिवज़न की घोषणा भी की गयी थी; यह िलखा गया था: जीवन की पुyक; 33


जीवन की पुyक और सौर टे लीिवज़न दोनों एक ही चीज है ; dों2िक मh आपको बताऊंगा पुV, िक परमेWर की िदD धमHिशUा के िदD शÆों म0, अनंत िनरं कुशता पसंद नहीं करता है ; तो यह एक ऐसी चीज है िजसे अलग-अलग मनोवृितयों म0 DŽ िकया जा सकता है , और यह हमेशा एक ही चीज रहे गी; जीवन की परीUाओं का सबसे मु© भाग यह था िक मानव जाित, परमेWर का जो है उसे समझने के िलए, एकेWरवादी Kप म0, केवल एक मनोवृित को Zीकार करे गी; उ–ि• की गयी, िजसम0 कई सिदयां हh , और जो सामने है , वो ]दिशHत करता है िक मानवता ऐसा नहीं कर सकी; इसिलए Œह अपनी संपूणHता म0 कभी एकीकृत नहीं ™आ; िवभाजन के कारणों से और Zाथšपन के एक िविचV ]भाव के साथ िवकास जारी ™आ; जो एक अwात संवेदना या अनुभव के Kप म0 था; िकसी ने भी परमेWर से यह नहीं मां गा था; मानवता ने अनंत से एकजुट रहने का अनुरोध िकया था, िजसकी उT0 ZगH के सा[ा\ म0 आदत थी; अपने उ–ि• के oथान म0, सभी लोग जानते थे िक अलग-थलग झुंड या Œह, दोबारा ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं कर0 2गे; एकता का अभाव अनंत ]स—ता के साथ असंगत है ; ना तो सा[ा\ के अंदर से और ना ही बाहर से, िवभाजन या एकता का अभाव Zीकार िकया जाता है , परमेWर के िदD कानून म0, यही शैतान की िनयित है , िजसने ZगH के सा[ा\ के अंदर से, परमेWर के ZगHदूतों को अलग िकया; अनंत काल के समय म0, बुराई के कई युगों म0 से एक की शुmआत करके; dों2िक जैसा िक िलखा गया था, कोई भी अपने कायH म0 िवशेष नहीं है ; ना ही शैतान िवशेष था; िदD िपता यहोवा, आपकी कृपा से मh बचपन से 34


ही, भिवt के •‚ दे ख सकता •ँ िक dा होने वाला है ; मुझे जो सबसे \ादा मोिहत करता है वो है परमेWर के पुV “ारा पानी को खोलना; dा आप अपनी िदD कृपा से, मुझे समझा सकते हh िक कोई पानी के अणुओं को कैसे आदे श दे सकता है ? मुझे पता था पुV िक आप मुझसे यह ]‹ जKर कर0 2गे; आप बदले नहीं हh ; आप हमेशा की तरह चीजों के कारणों को लेकर िचंितत हh ; आपको संबंध के Kप म0 जो िदया गया था उसके बारे म0 िचंितत होकर, आप सही कर रहे हh पुV; और इस ]कार, आप उस िदD आदे श को पूरा करते हh िजसके अनुसार: जो खोजेगा वो पायेगा; मh आपको बताऊंगा पुV िक ]Eेक सौर \े³ पुV के पास सौर तार होते हh , िजT0 सौर लाइन भी कहा जाता है ; जैसा िक आपको बचपन से ही पता है पुV िक सबसे पहला पुV िदD िपता यहोवा के साथ दू रसंवेदी था; आपकी िदD कृपा से ऐसा ही था िदD िपता यहोवा; जब आप सात वषH के बालक थे, उस समय जो मh2ने आपको बताया था और मानिसक •‚ों के माpम से िदखाया था उसके बारे म0 आपको dा याद है पुV? मुझे याद है िदD िपता यहोवा िक जब मसीह ने कहा था: मh िपता के पास जा रहा •ँ , उTों2ने दू रसंवेदी संचार से सोचा था; उTों2ने ऊपर के िलए मनोवृित के साथ सोचा; और मुझे याद है जब वह cूस पर मर रहे थे, और उTों2ने कहा: िपता, िपता, आपने मुझे dों छोड़ िदया? उस समय मh2ने दे खा िक दू रसंवेदी संचार समा˜ हो गया था; मh2ने दे खा िक उनके शरीर के रोमिछªों से खरबों सौर लाइन0 िनकल रही थीं; और उनके िसरे ]कृित के अणुओं से जुड़े ™ए थे, लेिकन वे अचानक अभूतपूवH Kप से टू ट गए या अलग हो गए; और मh2ने दे खा िक चूँिक यह कारण 35


मानव नेVों के िलए अ•‚ था, धरती काँ प उठी और सूयH काला हो गया; और केवल इतना ही नहीं; मh2ने यह भी दे खा िक पूरी आकाशगंगा िहल गयी; हाँ पुV, ऐसा ही था; मh दे ख रहा •ँ िक अपनी िवलUण °ृित से आप िपछले पुनजHOों के •‚ों को याद कर सकते हh ; और मh आपको बताऊंगा पुV िक यही सौर तार, जल के अणुओं म0 कायH करते हh ; मh दे ख रहा •ँ पुV िक आपको कुछ परे शान कर रहा है ; ऐसा ही है , िदD िपता यहोवा; मh दू सरे सौर तार के बारे म0 सोच रहा था िदD िपता; वो तार जो हम सभी के मxy£ म0 हh , और िजनके िसरे {|ां डीय उ–ि• के oथान से जुड़े ™ए हh ; हम मनुtों के िलए, वो उ–ि• का oथान, ZगH के सा[ा\ नामक अितिवशाल {|ा} के सूयH अ6ा और ओमेगा हh ; ऐसा ही है पुV; पहले पुV ने Zयं यही कहा था: मh अ6ा और ओमेगा •ँ ; वो परीUाओं के संसार से कहना चाहते थे िक वह मानवता के उŸम oथान से आये हh ; इसे आरं भ कहते हh , और ओमेगा को अंत कहते हh ; और चूँिक ओमेगा एक बंद घेरा है , ओमेगा का अथH है संसार के िलए संपूणH qाय; अथाH त, कोई भी िदD qाय से बचकर नहीं भाग सकता है ; ना ही मृत ]ाणी और ना ही सू† ]ाणी; मh आपको बताऊंगा पुV िक अ6ा का अथH है कोण; और यह ]ारं िभक \ािमित को दशाH ता है , िजससे सौर माता ओमेगा के िदD गभH म0, पृˆी का जO ™आ; अ6ा ने ओमेगा को िनषेिचत िकया; अब मh समझा िदD िपता यहोवा िक ऐसा dों कहा गया था िक जो ऊपर है वो नीचे के ही समान है ; मh दे खता •ँ िक जैसे यह पृˆी पर िनषेिचत है , यह सौर म0 भी िनषेिचत है ; ऐसा ही है पुV; यह वृहत म0 भी िनषेिचत है और सू† म0 भी िनषेिचत है ; समुªों के खुलने 36


की Dा©ा जारी रखते ™ए; मh आपको बताऊंगा पुV िक यहाँ भी वही सौर तार कायH करते हh ; dों2िक सबकुछ एक ही िनयम से आता है ; और इसे अनंत िविभ— तरीकों से ]कट िकया जाता है ; मनुt अपने िवकास म0 आने वाले, अपने ]oथान के िबंदुओ,ं और अपनी कहािनयों को नज़रअंदाज़ करता है ; और जीवन की परीUाओं म0, अपने उŸम के oथान को जानना, महzपूणH था; dों2िक परमेWर के पुV “ारा उन लोगों को अपने उŸम का oथान िदखाने की संभावना \ादा है , िजTों2ने इस गुnी को सुलझाने का ]यास िकया, िजसका उTों2ने ZगH के सा[ा\ म0 अनुरोध िकया था; उनकी तुलना म0 जो अपने उŸम oथान के बारे म0 जानने म0 कोई Kिच नहीं रखते थे; यह िकतना qायसंगत है िदD िपता यहोवा! ऐसा ही है पुV; परमेWर का िदD qाय आणिवक है ; और इसकी सीमाएं ]ाणी अपनी गितिविधयों से बनाता है ; पानी के खुलने म0, सौर मxy£ और अणुओं के बीच, एक िदD मानिसक संवाद oथािपत िकया गया है ; इस िदD संवाद को सौर िcया कहते हh ; और इसे ÇqाQक तरीके से िकया जा सकता था, अथाH त बोलकर, या शां ित से; भाव-भंिगमाओं के साथ या इसके िबना; और मh आपको बताऊंगा पुV िक पदाथH के ऊपर शxŽ का यह नया िनयम, संसार को इस हद तक मोिहत करे गा िक संसार अपने कायH को रोक दे गा; शासनकारी xoथित ढह जाएगी; और पृˆी के संप— लोगों को अपनी िनधHनता का पता चलने लगेगा; Zयं मनुt के कायH और इसके अपने Kपां तरण के माpम से, सौर िपता की िदD उपxoथित की वजह से; संप— लोग अपने शरीर म0 रहना शुK कर दे ते हh , जीवन की परीUाओं के दौरान, िजसकी वजह से उनका िवकास ™आ 37


था; िदD •Šां त का वह भाग उनपर लागू होता है जो कहता है िक: िजस छड़ से तुम नापते हो, उससे तु¼0 नापा जायेगा; और संसार का उ–ादन, परमेWर के पुV “ारा आदे िशत िकया जायेगा; dों2िक उनके सौर तारों के माpम से, तz उनका आदे श मान02गे; मनुtों म0 कभी िकसी ने ऐसी अनंत शxŽ को नहीं दे खा होगा; सौर DxŽz “ारा पानी के खुलने से, मानवता जानेगी िक नWर के Kप म0 उनका समय अब समा˜ होने वाला है ; परीUाओं का अंत; उस अwात जीवन के Kप का अंत, जो उTों2ने परमेWर से मां गा था; उस िविचV संसार का अंत, िजसने बुराई और अ•ाई के िलए कायH िकया; िजसने उ–— करने के साथ ही, नाश भी िकया; ऐसा संसार िजसके ]ाणी उस ]कृित को समा˜ करने का इरादा रखते थे, जो उनम0 थे, लेिकन वे ब™त धीमे थे; dों2िक अपने ]यासों म0, वे परमेWर के िदD qाय से आLयHचिकत थे, और इस कायH को ब™त खराब तरीके से पूरा िकया गया था; यह सबसे िविचV कायH था; और इसके ]ाणी, परीUाओं के िकसी अq Œह पर, इस ]कृित और गलती से छु टकारा पाने का नया ]यास करने के बारे म0 दोबारा सोच02गे; ये ]यास एक के बाद एक तबसे िकये जा रहे हh जब मनुt जाित एक सू† ]ाणी था; और सू† ]ाणी ही उनका qाय करता है ; dों2िक मनुt का मxy£ िजस सबसे सू† चीज की क

ना करता है , वो उसका qायाधीश बन जाता

है ; परमेWर के िदD qाय म0 मनुt म0 उपxoथत सबसे सू†तम चीज, बोलेगी और खुद को DŽ करे गी; dों2िक यह िसखाया गया था िक कोई भी िवशेष नहीं है ; अथाH त, ना केवल मनुt बोलेगा; बx± वो सभी चीज0 भी बोल02गी िजनसे वो िघरा ™आ है ; अनंत 38


अपनी सभी रचनाओं को बोलने की अनुमित दे कर, अपना अनंत qाय दशाH ता है ; वह पदाथH के साथ-साथ आQा को भी बोलवाता है ; उसके कानून म0 सभी बोलते हh ; dों2िक उनकी अनंत दयालुता म0, कोई कम नहीं है ; ना ही पदाथH और ना ही आQा; िजस मनुt ने परमेWर को इस तरीके से नहीं अपनाया, वो उनकी िदD मिहमा को नहीं जान पाया; वह उसके िलए छोटी सोच रखता था, िजसने सबको बनाया; िजसने इस तरीके से सोचा, वो अपनी जीवन की परीUाओं म0 असफल हो गया; और ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं पायेगा; वो तब तक अq Kपों म0 जO लेता रहे गा, जब तक िक वो सफल होना नहीं सीख जाता; जब तक वो परमेWर को तु• समझने की अपनी िविचV मानिसकता से छु टकारा नहीं पा लेता; और जब तक वो परमेWर को नीचा िदखाता रहे गा, उसे परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश करने की अनुमित नहीं िमलेगी; जब तक आQा अपने रचियता के िलए, मानिसक Kप से Zाथš होने पर जोर दे ती रहती है , वो परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं कर पायेगी; उनके िलए परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश करने की संभावना \ादा है जो उनके िलए मानिसक Kप से Zाथš नहीं थे; पानी के खुलने के बारे म0 बताना जारी रखता •ँ पुV, मh आपको बताऊंगा पुV िक यह िदD सौर ]िcया, पानी के कmब(ZगHदूतों) से ½ार से बात करके िकया जाता है ; मh उT0 अब दे ख सकता •ँ िपता यहोवा! वहां सुंदर ]ािणयों का ब™त सारा झुंड है ! ऐसा ही है पुV; इनकी सं©ा इतनी \ादा है िक मनुtों की सं©ा इसम0 गायब हो जाती है ; मुझे पता है पुV िक िजन िदD कmब(ZगHदूतों) को आप दे ख रहे हh उनके संबंध म0, आपके मन म0 ब™त सारे ]‹ 39


उमड़ रहे हh ; ऐसा ही है िदD िपता यहोवा; मh आपको पहले ही बता दे ता •ँ िक मेरे िदD उ•रों की कोई सीमा नहीं है ; इसिलए, मh आपको केवल वहां तक बताऊंगा जहाँ तक, मनुt का मxy£ इसे समझ सकता है ; शेष अनंत िजT0 वे नहीं समझते हh , उT0 दू सरे Œहों के अq मxy£ों “ारा समझा जाता है ; यह मत भूलना पुV िक कोई भी िवशेष नहीं है ; मh नहीं भुला •ँ िदD िपता यहोवा; पानी और बाकी सभी चीजों के कmब(ZगHदूत),िजससे पदाथH बना है , और िजसे मनुt ने जानने का अनुरोध िकया था, उन सभी म0 कmब(ZगHदूत) की मुŽ इ•ा होती है ; उसी ]कार जैसे ]ाणी म0 मनुt की मुŽ इ•ा होती है ; कmब(ZगHदूत) की संवेदनाएं , मनुt की आँ खों के िलए अ•‚ आयामों के अंदर, महसूस होती हh और रहती हh ; उनके पास िवकास के अपने खुद के वतHमान हh , िजस ]कार मनुt के हh ; इसके बाद, मनुt अनंत वतHमानों से िघरा है , िजसम0 अq ]ाणी रहते हh ; चूँिक संसार अxyz म0 है , इसिलए यह हमेशा से ऐसा ही रहा है ; और सबसे ]िस¨ आयामों म0 से एक आयाम है , आQाओं का आयाम; मानवता म0 इस अ•‚ आयाम का सबसे \ादा उ¥ेख िकया गया है , dों2िक इसका Zयं मनुt से सीधा संबंध है ; िदD िपता यहोवा, dा आQाएं कmब(ZगHदूतों) को दे ख सकती हh और कmब(ZगHदूत) आQाओं को दे ख सकते हh ? हाँ , और यह िदD उ•र नहीं है ; मh तु¼0 बताऊंगा पुV: सबकुछ आयाम के िवyार पर िनभHर करता है ; dों2िक सू† का भी अपना एक oथान है ; इससे भी कहीं \ादा; oथान के अित~रŽ, इसे समय और दशHन िमला है ; इसके बाद आQाएं अपनी भावना की आवृि• के अनुसार 40


कmब(ZगHदूतों) को दे खती हh ; िदD कmब(ZगHदूतों) के साथ भी यही होता है ; पदाथH के उŸम की बात करते समय, मh आपको इसके बारे म0 और अिधक गहराई से बताऊंगा पुV; यह 3,000 दू रसंवेदी सूचीपVों का कायH होगा; मh सीमाओं के साथ कायH करता •ँ , dों2िक इस वतHमान िवकास म0 मनुt की सीमाएं हh ; इसम0 नया यह है िक अपनी सीमाओं के अंदर, वह िनयम और नयी चीज0 जानता है ; िदD िपता यहोवा, dा सीमा को िवyार िमला है ? यह िकतना रोचक ]‹ है पुV: सीमा को अपने खुद के संकेत का िवyार िमला है ; मेरा अथH है िक जहाँ आQा wान म0 उ—ित नहीं करना चाहती, वहां सीमा अwानता म0 िवyा~रत होती है ; और जीवन की परीUा और िपछड़े पन के Kप म0 अनुरोिधत समय के बीच असंतुलन बड़ा होता है ; सीमा के िवyार की अपनी गुणव•ा है ; ]काश के अनुKप गुणव•ा, सभी म0 ]दशHन “ारा ]दान की जाती है ; सीमा के िवyार के संबंध म0 पतन, अंधकार “ारा ]दान िकया जाता है ; सौर टे लीिवज़न पर, संसार बुराई और अ•ाई के चुंबकz का रं ग दे खेगा; dों2िक यह िलखा गया था िक हर आँ ख दे खेगी; और वे अपनी संवेदनाओं म0 मौजूद भौितक िवशेषताएं दे ख20 गे; वे अपने अिभ— को पदाथH म0 बदलते ™ए दे ख20 गे; वे उस सू† अनंतता को दे ख20 गे जो उनके शरीर म0 मौजूद थी; समुªों के खुलने के िनयम म0, सौर चुंबकz पानी के कmब(ZगHदूतों) से बात करता है ; संसार भी इस बातचीत को दे खेगा; और जब वे समुªों म0 मौजूद ]ािणयों के जनसमूह को दे ख20 गे, तब संसार जानेगा िक dों उT0 चेतावनी दी गयी थी िक कोई िवशेष नहीं है ; ]Eेक मनुt को एक ऐसी शमH घेर लेगी, िजसे धरती पर कभी नहीं दे खा 41


गया था; यह शमH उन लोगों म0 \ादा िवकट होगी, िजTों2ने िकसी म0 भी िवWास नहीं िकया; और पृˆी के सÉूणH इितहास म0, तथाकिथत भौितकवाद, आQहEाओं के सभी अिभलेख तोड़ दे गा; तब जाकर संसार की आँ खों से अंधकार की पƒी हटे गी, जो कई सिदयों से लगी थी; वहां , रह¢ोद् घाटन के उस Uण म0, वे यह समझ02गे िक िजTों2ने संसार पर शासन िकया, उनकी नैितकता कमजोर थी; वे सभी आसानी से भयभीत हो जाते थे और आशंकाओं से िघरे ™ए थे; वे सभी जीवंत तु•ता थे; उन सभी ने अपने आपका अpयन ना करके; अपने DxŽz को ना जानकर, नुकसान प™ँ चाया; परमेWर की िदD धमHिशUा म0, ZणH के लोभ से Œy मनुtों से होने वाले नुकसान के बारे म0 चेतावनी दी गयी थी; dों2िक यह िलखा गया था िक; खुद को जानो; िजसका अथH था िक: उन सभी आं त~रक भावनाओं, संवेदनाओं को दू र करो, िजससे कोई हािन उ–— हो सकती है , िजससे दू सरों को नुकसान प™ँ च सकता है ; भारत म0 भी, इसके ]ािणयों ने अपने DxŽzों के छिवयों, मूितHयों, मंिदरों का सuान करने के िविचV लोभ को दू र ना करके, उTों2ने खुद अपने साथी मनुtों के परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश को रोकने म0 सहायता की है ; dों2िक यिद लाखों ने यह िकया तो लाखों ने उनका अनुसरण भी िकया; िवचारशील ]ाणी म0 हमेशा अपने बुजुग’ का अनुसरण करने की ]वृि• होती है ; और यिद उनके बुजुग’ ने परमेWर की खोज म0 अपने उदाहरणों की गुणव•ा म0 सुधार नहीं िकया तो उTों2ने शेष मनुtों म0 भी Vासदी संचा~रत की; dों2िक उन लोगों के परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश करने की संभावना \ादा है िजTों2ने दू सरों म0 वो िवरासत संचा~रत 42


की जो परमेWर के सा[ा\ म0 ले जाती है ; उनकी तुलना म0 जो दू सरों को परमेWर के सा[ा\ म0 जाने से रोकते हh ; मनुtों की िविचV नैितकताएं परमेWर की नैितकताओं पर आधा~रत नहीं थी; ऐसा ना करके, मनुtों ने Zयं अपने फल को छोटा कर िदया; जो परमेWर का है , केवल वही असीम है ; संसार की िविचV नैितकता, िजसम0 उTों2ने तZीरों की उपासना का अिधकार शािमल िकया, उसने खुद की उपासना की; वे एकमाV परमेWर को Zीकार नहीं करना चाहते थे; और एकमाV परमेWर को केवल िमसाल और कायH से समझा जा सकता है ; और जब तक ]ाणी अपनी मुŽ इ•ाओं, सू† Kप की आराधना या उनके सuान पर जोर दे ते रह02गे, ऐसे ]ाणी परमेWर को नहीं दे ख पाएं गे; छिवयों की आराधना करने की अZीकृित, DxŽ के मन से बाहर आनी चािहए; यिद यह िनधाH ~रत अxyz म0 नहीं होता, तो यह दू सरे म0 होता है ; मानव िशला के मामले म0, छिवयों की आराधना, हज़ारों अxyz पहले से होती आ रही है ; और वतHमान म0 यह दोबारा ™ई; इसिलए वे दोबारा ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं कर पाएं गे; भारतवषH के िनवासी अq संसारों, अq अxyzों म0 अपने िविचV ~रवाज़ों को जारी रख02गे; िदD िपता यहोवा, जो सबकुछ जानते हh , परमेWर के पुV की िदD उपxoथित का उनपर dा ]भाव पड़े गा? उनपर पड़ने वाला ]भाव, उनके जीवन की सबसे बड़ी घटना होगी; dों2िक परमेWर के पुV पर Zयं भारत, और Œह का अxyz िनभHर करे गा; जब करोड़ों लोग अपनी आँ खों से उस मनुt का चेहरा दे ख20 गे, िजसका चेहरा सूयH के समान चमकता है तो सबसे बड़ी cां ित की शुmआत होगी; उस ¬े³ Uण म0, पृˆी की सभी तथाकिथत 43


सरकारों का नाश हो जायेगा; कोई भी मनुtों के कानून का पालन नहीं करे गा; सभी लोग केवल उसके “ारा शािसत होना चाह02गे, जो कभी नहीं मरता है ; पहले और अंितम के “ारा; यह नWर ]ािणयों के कायH का अंत होगा; यह सबसे बड़े जानवर का पतन होगा; यह सबसे िविचV संसारों म0 से एक का पतन होगा; यह संसार इतना िविचV था िक वे िदD सौर qायाधीश के आगमन को भी भूल गए थे, जबिक संसार ने Zयं इसका अनुरोध िकया था; िदD िपता यहोवा, जानवर का dा अथH है ? जानवर, मनुtों के Zाथšपन को दशाH ता है , िजसकी वजह से सÉूणH मनुt जाित ने सिदयों तक कŠ सहा; जानवर के \ादातर ]ितिनिध, वे मनुt थे जो ZणH से ]भािवत हो गए थे; जानवर cूर, चतुर और चालाक था; जानवर मानता था िक यह सबको समझता है , और यह िकसी को नहीं समझता था; dों2िक जानवर की कोई Œह-संबंधी समझ नहीं थी; जानवर का अEाचार, Œह के एकीकरण के संबंध म0 इसकी अपनी अwानता थी; संसार के िवभाजन को सबसे सामाq और Zाभािवक चीज के Kप म0 मानना जानवर का शैतानी ZÊ था; यह जानवर की Vासदी थी; और जानवर कयामत आने से पहले तक नहीं उठा; संपूणH पीिढ़यों की उuीदों को बढ़ाते ™ए, जानवर ने जीवन की परीUाओं का नेतृz िकया, और इन पीिढ़यों को ZगH के सा[ा\ म0 कोई ]वेश नहीं िमला; जानवर के ²म म0, परमेWर को भूल जाने की, एक शैतानी मानिसकता शािमल थी; परमेWर की ]तीUा करने वाले ]ाणी िव°रण या िवकृित म0 फंस गए; जानवर के कारण वे अनंतता को भूल गए; और उTों2ने जीवन के सभी Uणों को अ 44

कािलक को समिपHत कर िदया; और


कािलक ZगH के सा[ा\ से नहीं है ; मानव िवचारधारा एक िविचV ZÊ म0 फंस

गयी, िजसकी वजह से वे अपने खुद के अिधकारों को भूल गए; िवकृत संKपता, आQा की सामाq मानिसकता थी; DxŽ आरामदायक संवेदनाओं के िलए \ादा जीया और उन संवेदनाओं को भूल गया जो सुधार की िदशा म0 ले जा सकती थी; िकसी ने भी एक परमेWर के िस¨ां त को नहीं माना; और यिद िकसी ने माना भी तो उसने यह िविचV अनैितकता के साथ िकया गया, और जो भी िकया गया उसका कोई फल नहीं िमला; मानव का wान एक परमेWर को नहीं मानना चाहता था; मनुtों ने अपनी रीितयों और सोच म0 उसे शािमल नहीं िकया; इसिलए आLयHजनक Kप से सभी लोग एक से अिधक माqताओं म0 फंस गए; ल¾े समय से Œहों की िजस एकजुटता की ]तीUा की गयी, वो कभी ]ा˜ नहीं ™आ; शैतानी धीमेपन ने अपेिUत ]स—ता पर िवजय ]ा˜ कर ली; जानवर परमेWर के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं कर पाया, और उसने दू सरों को भी ]वेश नहीं करने िदया; जानवर का लोभ, अq अनिगनत Œहों म0 दोहराता रहे गा; जानवर “ारा भिवt म0 अq तमाशे िकये जाय02गे; dों2िक जानवर दोबारा जO लेगा; जानवर परमेWर से अवसरों का अनुरोध करे गा; जानवर जीवन के अq Kपों म0 ]यास करे गा; जैसे िक यह तबसे करता आ रहा है जब वो एक सू† ]ाणी था; जानवर ने पृˆी पर शैतान का ]ितिनिधz िकया; dों2िक शैतान ने, िविचV जीवन ]णाली का Kप ले िलया था, िजसका आधार असमानता पर िटका था; शैतान, जानवर, अपने आपको मनुt जाित के रीित~रवाज़ों म0 लाने म0 सफल हो गया; और मनुt जाित सोती रही और उTों2ने शैतान को 45


शािमल होने िदया; जीवन की परीUाओं म0 जानवर ने खुद को अपनी Zाभािवक बुx¨ से िनदÀ 2िशत िकया; dों2िक जानवर को परमेWर की िदD धमHिशUा के पाठ के बारे म0 कुछ नहीं पता था; और जानवर के अनुयायी, उसके खेल म0 फंस गए; िजसने भी मxy£ से, जानवर को जाना, वो परमेWर की िदD धमHिशUा को नहीं जान पाया; िपता से पुV म0, और पीढ़ी दर पीढ़ी यह भूलने की ]वृि• आनुवंिशक Kप से िमलती रही; जानवर “ारा सोची गयी जीवन ]णाली ने मनुt की ]स—ता छीन ली; dों2िक जानवर पर िवजय पाने के िलए मानवता को खुद को जानने की जKरत थी; और उTों2ने ऐसा नहीं िकया; उT0 अपने अंदर, जानवर से अिधक, ¬े³ दशHन का िनमाH ण करना था; dों2िक यह िसखाया गया था िक ]Eेक ¬े³ता कठोर प~र¬म से ]ा˜ होती है ; मानवता की आराम की भावना ने, इस अंधेपन को िनंदनीय होने की हद तक आगे बढ़ाया; जीवन की परीUाओं म0, मानवता “ारा जीये गए कुल सेकंड, अपनी समाx˜ पर आ गए हh ; इसके समय ने अब िदन िगन िलए हh ; धरती पर नWरों का अंत आ रहा है और अनWरों का समय ]ारž हो रहा है ; जानवर को अंत तक कुछ पता नहीं चलेगा; dों2िक परमेWर के पुV “ारा उ–— िकया गया भूकंप ही जानवर को उसकी िविचV िवमुखता से बाहर िनकाल पायेगा; और जब जानवर जागता है तो यह उसका अंत होगा; जानवर यह िदखाने का ]यास करे गा िक यह ऐसा है ; dों2िक जानवर अपने अंितम अिभमान एवं अपने दु ःसाहस म0, परमेWर के पुV का सामना करने के िलए, परमाणु हिथयारों को लाएगा; जानवर के इस DथH के अिभमान के कारण, पृˆी पर इतना भयानक भूकंप आएगा िक यह मनुtों 46


का एक-आठवां भाग िनगल लेगा; परमेWर के पुV अपने िदD cोध म0, अंितम िदनों के दौरान, भयानक भूकंप लाते हh ; िजसे पहले कभी मनुtों ने नहीं दे खा होगा; जानवर अपने जीवन के अंितम Uण म0 आतंक म0 रहता है ; िजस िदD शxŽ पर उसने कभी भरोसा नहीं िकया, उसी के कारण उसका अंत होता है ; यह जानवर का अमर आLयH है ; dों2िक दू सरे Œहों म0, जीवन की दू सरी परीUाओं म0, जानवर िदD परमेWर के अq आLय’, अq आतंकों, अq भयों का सामना कर चुका है ; dों2िक जानवर का Zभाव आशंकाओं से भरा ™आ है ; इसिलए इसका भावनाQक मोU आQहEा करना है ; यह उन लोगों का संसाधन है , िजT0 अनंतता को जानने का अवसर नहीं िमला; ऐसे लोगों का संसाधन है , जो ZगH के सा[ा\ के िलए िविचV हh ; जानवर अपने शैतानी शासन के अंितम Uण म0, लाभ के बारे म0 सोचेगा; यह अंितम Uण तक दू सरों का उ–ीड़न करे गा; और मh आपको बताऊंगा पुV िक जानवर के जाने के साथ ही, जीवन की परीUाओं म0, Œह पर एक अनोखी ]स—ता जO लेगी, जो धरती के िलए िब±ुल अwात अनुभव है ; यह Ìदय से आwाकारी लोगों की ]स—ता है ; यह उन लोगों की ]स—ता है िजTों2ने हमेशा अoथायी चीजों को अZीकार िकया; यह उन लोगों की ]स—ता है िजTों2ने Uणभंगुर चीजों पर अपनी उuीद0 कायम नहीं की; यह उनकी ]स—ता है िजTों2ने कभी कुछ नहीं िछपाया; यहाँ तक िक अपनी गलितयों को भी नहीं; यह उनकी ]स—ता है ; िजTों2ने सबकुछ बताया; यह उनकी ]स—ता है िजTों2ने उस िदD आदे श का पालन िकया िजसके अनुसार: िजसके पास मुंह है वो बोलता है ; यह उनकी ]स—ता है , जो उस 47


मानिसकता के साथ जीना जानते हh , िजसके साथ एक बsा जीता है ; यह उनकी ]स—ता है िजसने हमेशा इसकी ]तीUा की और जो हताश नहीं ™आ; dों2िक उTों2ने उस िदD •Šां त का पालन िकया जो कहता है िक: जो खोजेगा वो पायेगा; उTों2ने बsों के समान धैयH के साथ खोजा, ]तीUा की और पाया; इस ]स—ता को नए सा[ा\ की ]स—ता कहा जायेगा; जीवन की परीUाओं के तथाकिथत वयR, इसम0 िहÂा ल02गे; dों2िक इस नए सा[ा\ म0 िहÂा लेने म0 समथH होने के िलए, मनुt म0 बsों के समान िनमHलता होनी चािहए; जीवन की परीUाओं के तथाकिथत वयRों, नWरों को, इस नए सा[ा\ म0 भाग लेने का उ‰ृŠ अवसर िमला; जब तक िक अपनी जीवन की परीUाओं म0, ]ाणी के Kप म0 अपने सÉूणH िवकास के दौरान, उT0 इसका wान था िक बsे के समान िनमHलता कैसे रखी जाए; यही जीवन का सबसे बड़ा लÍ था; जानवर के साथ, DxŽ कभी बsे के समान िनमHलता नहीं रख पाया; dों2िक जानवर ने अपनी Dवसाियक मानिसकता के साथ, सभी चीजों को कलंिकत िकया; जानवर जीवन की ओर ले जाने वाले मागH को भूल गया; dों2िक {|ा} म0 जो कुछ भी हो रहा था उसके िलए जानवर की आpाxQक Kिच समा˜ हो गयी थी; जानवर ने खुद को अनंत से दू र कर िलया; जानवर ने अपनी इ•ा से खुद को अनंत परमेWर से अलग कर िदया; िकसी ने जानवर को जानवर बनने के िलए मजबूर नहीं िकया था; यह चीजों का िविचV मोह था, िजसने जानवर को जानवर बना िदया; जानवर Œह को राŠ•ों म0 बाँ टकर ]स— था; dों2िक इस ]कार के सह-अxyz से, जानवर ने शोषण िकया; Œह की एकता, जानवर 48


के िलए सुिवधाजनक नहीं थी; dों2िक एकजुट Œह, एक ऐसी चीज को दशाH ता था, िजसे जानवर बौx¨क Kप से नहीं समझ पाया; और उसका अिभमान अशां त हो गया; दरअसल, जानवर को िजस उ•मता की तलाश थी, वो ब™त िविचV था; जानवर की शxŽ cोध पर िनभHर थी, ना िक {|ा} के अनंत िनयम पर; ZणH के िविचV लोभ से Œy जानवर ने परमेWर की िदD सहभािगता के िबना योजना बनाई; जानवर खुद को सवHशxŽमान समझता था; उसने अपने सपने म0 भी नहीं सोचा था िक उसके िविचV शासन म0 mकावट आ सकती है ; उसने यह भी नहीं सोचा था िक कोई दू सरी शxŽ उसे समा˜ कर सकती है ; अपनी महानता के सपनों म0 जानवर यह भी भूल गया िक वह कहाँ से आया था; उसके अपने उŸम की अwानता से उसका पतन आया; िजसे वह जानबूझकर समझना नहीं चाहता था, वहीं से कोई ऐसा ]ाणी आएगा जो उसे सÉूणH मानवता से अ•‚ कर दे गा; जानवर ने हमेशा परमेWर को समझने म0 अनैितकता को आने िदया; dों2िक ऐसी अनैितकता की वजह से जानवर ने अद् भुत लाभ उ–— िकये; और जब इस अनैितकता ने जानवर के िलए लाभ उ–— िकये तो अनंत को समझने म0 इस िविचV अनैितकता को जानवर “ारा ZतंVता का नाम िदया गया; यिद यह िविचV त« जानवर के िलए लाभदायक नहीं होता तो उसने इसे ZतंVता का नाम नहीं िदया होता; dों2िक वो हर चीज िजससे जानवर को लाभ होता था, उसके िलए अ•ी थी; और अपनी रीितयों के माpम से, पृˆी के ]ािणयों ने जानवर की सेवा की; और जानवर ने परीUाओं के समय के अंत तक उनका ]योग िकया; मानव िनयमों के अंदर, जानवर इन 49


Uणों म0 अEंत पीड़ा सह रहा है ; dों2िक जानवर गरीब हो रहा है ; लेिकन जानवर अपने अिभमान और अहं कार म0 अपनी गरीबी के बारे म0 कुछ नहीं कहता, जो इसकी सबसे बड़ी िवशेषताएं हh ; संसार को इसके बारे म0 बताते समय, जानवर अपनी लोभी अथHDवoथता के तकनीकी शÆों से इसकी Dा©ा िछपा दे ता है ; अपनी गरीबी के िलए वह दू सरों को दोष दे ने तक िगर गया है ; लोभी, अवमानी और चालाक ]ािणयों के उ–ाद, जानवर ने हमेशा दू सरों से कहीं \ादा अपने बारे म0 सोचा; उसने अपने ZणH से इन लोगों की Kिढ़यों को चालाकी से िनयंिVत िकया; जानवर को लगा िक चीज0 हमेशा समान रह02गी; लेिकन जो घटनाcम संसार की ओर बढ़ रहे हh , उससे जानवर भयभीत हो जायेगा; dों2िक, अब एकमाV परमेWर यहोवा, आpाxQकता को भौितकता पर िवजयी कराएं गे; dों2िक परमेWर के िलए कुछ भी असžव नहीं है ; परमेWर के wान का मेमना, जानवर हो हराएगा; परमेWर का िदD जीिवत वचन, रह¢ोद् घाटन िस¨ां त बनाएगा; जानवर यह दे खकर आतंिकत हो जायेगा िक उसपर अब कोई pान नहीं दे रहा; उसके सैq बैरक खाली पड़े रह02गे, जहाँ उसने परमेWर की संतानों को दू सरों को मारना िसखाया था; एक भी मानव आQा यहाँ नहीं रहे गी; यहाँ केवल धूल और अंधकार का िनवास होगा; जानवर के भयानक यु¨पोत का Eाग कर िदया जायेगा और उनम0 जंग लग जायेगा; जानवर को पुराने तरीके से असामी और Zैx•क कमHचारी नहीं िमल02गे; तब जानवर यह Zीकार करे गा िक उसे िनयम का उ¥ंघन करने की आदत हो गयी थी; और जब जानवर को अपनी इस गलती का एहसास होगा तब उसके संसार के 50


इितहास से िमटने का समय आ जायेगा; जानवर अपने नाश के अंितम चरण म0 जी रहा है ; इस चरण म0 जानवर अपने ही िनयमों का उ¥ंघन कर रहा है ; अतीत म0 जानवर को मारने से भय होता था; अब मारना, जानवर के िलए सबसे Zाभािवक चीज हो गयी है ; जानवर की भावनाQक अxoथरता, जो शुK से अंत तक उसके साथ थी, उसके कोलाहल म0 नŠ होने का कारण बनती है ; िदD अंितम qाय के संबंध म0, भारत म0 कई घटनाएं हों2गी, िजT0 भिवt म0 हम अनिगनत दू रसंवेदी पVों म0 िलख02गे; ऐसा ही होगा िदD िपता यहोवा; आपकी िदD इ•ा पूरी हो; मh आपको पहले ही बताऊंगा पुV, िक भारत और चीन म0, पृˆी पर संतानों “ारा पहली सरकार की oथापना होगी; वे Œह को एकजुट कर0 2गे; वे वो कर0 2गे, जो सिदयों से जीवन की परीUाओं के तथाकिथत वयR नहीं सके; िदD िपता यहोवा, संतानों को ही यह dों करना होगा? िकतना िवलUण ]‹ है पुV; यह संताने हों2गी, dों2िक उT0 ZगH का लोभ नहीं होता; और dों2िक बsे हर चीज म0 भरोसा करते हh ; और सबम0 भरोसा करने का अथH है िक वे परमेWर की अनंतता म0 भरोसा करते हh ; बsे िन£पटता के साथ, केवल एक मािलक की सेवा करते हh ; जबिक तथाकिथत वयRों ने अपने भावनाQक लोभ के साथ, अपने जीवन की परीUाओं म0, कई मािलकों की सेवा की; और जो कई मािलकों की सेवा करते हh , वे परमेWर म0 \ादा िवWसनीयता नहीं िदखाते हh ; उन लोगों के िलए अनंत म0 िवWसनीयता ]े~रत करने की सžावना \ादा है जो केवल एक मािलक म0 खुद को प~रभािषत करना जानते थे; पहली संतानों ने अपनी गलती के साथ, ]ािणयों के बीच िवभाजन शुK िकया; 51


दू सरी संतानों ने एकीकरण म0 योगदान िदया; भारत और चीन म0, संसार की सभी संताने क02िªत हों2गी; और वे अनंत शरीर म0 खुद को इतना बढ़ा ल02गे िक कोई मानव मxy£ उनकी गणना करने म0 सUम नहीं होगा; ये बुx¨मान संतान, अपने बुजुग’ से बात करते ™ए पैदा हों2गे; और अपने शैशिवक िस¨ां त, ZगH के सा[ा\ के िवwान लाएं गे; वे अपने साथ वे भावनाएं नहीं लाएं गे जो नWर लाये थे; उनकी मृEु नहीं होगी; वे अपने शरीरों का सड़ना नहीं जान02गे; जीवन की परीUा म0 नWर ]ािणयों “ारा अनुभव की गयी सड़न, उTों2ने खुद परमेWर से मां गी थी, dों2िक वे इसे नहीं जानते थे; वे सभी संवेदनाएं जो ]Eेक मनुt महसूस करता था और जो उसम0 मौजूद थीं, उसे परमेWर से मां गा गया था, dों2िक वे अwात थीं; इसिलए यह िलखा गया था: जीवन की परीUाएं ; परमेWर ]Eेक आQा की परीUा लेते हh ; आप सभी की हर एक सेकंड परीUा ली जाती है ; और कोई इसपर pान नहीं दे ता; अनंत परमेWर की अनंत उ‰ृŠता ने, परीUाओं से गुजरते समय, िकसी को भी अपनी मुŽ इ•ा से इससे ]भािवत नहीं होने िदया; खुद िबना िदखे, दू सरों को दे खने म0, परमेWर अपनी अनंत शxŽ ]दिशHत करते हh ; और वतHमान जीवन म0 परमेWर को ना दे खना, परमेWर से मां गा गया था; मानव आQाएं परीUाओं के Œह, पृˆी पर, परमेWर को ना दे खने के अनुभव को नहीं जानती थीं; और परमेWर को ना दे खने का अनुरोध, परीUा के Kप म0 पूरा िकया गया था; पृˆी पर सिदयों का जीवन, परमेWर के िलए केवल एक Uण या आह के बराबर है ; यह इसिलए dों2िक अनंत अपने बनाये गए अनंत समयों म0 से अपना समय खुद चुनते हh ; परमेWर समय को वृहत या 52


सू† म0 बदलते हh ; वह उT0 संकुिचत और िवyा~रत करते हh ; पृˆी के मामले म0, उTों2ने Zगšय समय चुना था; िजसम0 Zगšय समय का एक सेकंड, सां सा~रक सदी के बराबर था; परमेWर एक िवशाल संसार म0 रहते हh , िजसे परमेWर का सा[ा\ भी कहा जाता है ; एक ऐसा oथान जहाँ हर अक

नीय चीज मौजूद है ; एक ऐसा oथान जहाँ चीजों और

]ािणयों की कोई सीमा नहीं है ; एक ऐसा oथान जहाँ पदाथH {|ां डीय दू रसंवेदन म0 बोलते हh ; एक ऐसा oथान जहाँ हर मौजूद चीज, उससे आयी है जो वहां था, जो वहां है , और जो वहां होगा; एक ऐसा oथान िजसे िदD अंितम qाय की घटनाओं म0, ]Eेक मानव नेV दे खेगा, dों2िक मनुt जाित ने इसे दे खने का अनुरोध िकया था; और अपनी उ–ि• के oथान को दे खकर, परीUाओं का संसार, आं सुओं की धारा म0 बह जायेगा; और लाखों mदन करती ™ई आQाओं से, एक नया दशHन जO लेगा, जो सबकुछ बदल दे गा; लाखों mदन करती ™ई आQाएं उT0 दोष द02गी िजTों2ने सिदयों से उT0 अिभमानपूणH और चालाक मशीनों म0 बदलने का DथH ]यास िकया; और िजTों2ने उT0 एक ऐसे िविचV मागH पर चलाया जो परमेWर के सा[ा\ की ओर नहीं जाता था; और जब परमेWर के पुV उT0 बताएँ गे िक दोबारा ]वेश पाने म0 सUम होने के िलए उT0 एक िदD qाय से गुजरना होगा तब लाखों mदन करती ™ई आQाएं समीUाQक हो जाएँ गी, dों2िक जीवन की परीUाओं म0 मौजूद शरीर या आQा का एक भी अणु इस qाय से बचकर नहीं भाग पायेगा; परमेWर के सा[ा\ म0 जाने के िलए, मनुt को दोबारा तZीरों या ]ािणयों के माpम से परमेWर की उपासना करने की पुरानी गलती को दोहराने की जmरत नहीं थी, 53


िजसे Zयं अनंत “ारा बनाया गया था; परमेWर के िदD qाय आणिवक हh और उनके िदD कानून वहां तक ]वेश करते हh , जहाँ कोई अq िवwान ]वेश नहीं कर सकता है ; जो परमेWर का है वह उन संवेदनाओं को भी शािमल करता है जो ]Eेक मनुt अपने जीवन म0 अनुभव करता है , और िजसे कोई बता नहीं सकता है ; यह उस अ•‚ को शािमल करता है , जो गुणों के माpम से रहता है । अ6ा और ओमेगा Nº 3428

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1378। पूंजीवाद नामक िविचV जीवन ]णाली के समा˜ होने के बाद, नए संसार म0, दु िनया आQाओं का पुनजHO दे खेगी; यह िदD घटना चीन और भारत म0 होगी; परमेWर के पुV एिशयाई पूवH म0 िनवास कर0 2गे; और संसार दु िनया का सबसे बड़ा ]वास दे खेगा, िजसे मानव नेV ने पहले कभी नहीं दे खा है ; पिLम पूवH की ओर ]वास करे गा; अपने शरीर के पुनजHO की खोज म0; अपनी भौितक अनंतता की खोज म0; इस Œह के गोला¨H संबंधी प~रवार म0, पहले िदD संतान की ZतंV इ•ा की िदD ]ाथिमकता म0 पिLम सबसे अंत म0 है ; यह उनके कारण है िजTों2ने परीUाओं के इस संसार को एक िविचV और अwात जीवन ]णाली दे ने की अजीब ZतंVता ले ली, िजसम0 िनमाH ता के िनयमों को शािमल नहीं िकया गया।

मसीह ने कहा: िजस ]कार पूवH से आने वाली िबजली, पिLम म0 भी िदखाई दे ती है , उसी ]कार मसीह का आना भी िदखाई दे गा। dों2िक जहाँ लाश होती है , िग¨ वहीं इकÑा होते हh । म•ी 24, 27 55


िदD अनंत िपता की सां सा~रक संसार की घोषणा:

1073.- संसार के िलए बाइिबल म0 दी गयी घटनाएं , पूवH म0 हों2गी, इस गोला¨H म0 \ादा उs नैितक मू¯ हh ; तथाकिथत पिLमी गोला¨H अनैितक है ; dों2िक ZणH के िलए उनके िविचV लगाव ने उनम0 िविचV नैितकताएं उ–— की हh ; िदD िपता यहोवा, अपनी िदD Zे•ा से, सबसे उs नैितकता का चयन करते हh ; पूंजीवाद नामक िविचV ZणH जीवन ]णाली के कई शैतानों ने, ऐसी उs नैितकता वाले मनुtों के अxyz को पूवH से िछपाया; उTों2ने केवल उसका ]चार िकया, जो उनके िलए सुिवधाजनक था, अथाH त पूवš गोला¨H के VुिटपूणH; वे ढों2गी थे, dों2िक उTों2ने सE का केवल एक िहÂा रखा; इनम0 से कोई भी ढों2गी, ZगH के सा[ा\ म0 ]वेश नहीं करे गा; उT0 हर उस सेकंड के िलए मू¯ चुकाना होगा, िजसम0 उTों2ने पूवš गोला¨H म0 होने वाली िकसी भी घटना की सsाई को पथ²Š िकया और गलत सािबत िकया; उनके िलए ]Eेक सेकंड, ZगH के सा[ा\ के एक अxyz को दशाH ता है ; उनके नाम दु िनया की सभी भाषाओं म0, सभी समाचारपVों म0 ]कािशत िकये जाएं गे; वे शिम‡दा िकये जाय02गे और उT0 पिLमी गोला¨H की ]गित के िपछड़े पन की जिटलता का दोषी माना जायेगा; शमH से बचने के िलए उनम0 से कई आQहEा कर ल02गे; लेिकन यिद वे हज़ार बार आQहEा करते हh तो हज़ार बार िफर से

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उनका पुनजHO होगा; इस संसार म0 सािजश रचने वाला कोई भी मनुt, इस अनंत सज़ा से नहीं भाग पायेगा;

वे घटनाएं जो संसार म0 रह¢ोद् घाटन के आगमन के साथ हों2गी; परमेWर के मेमने के सूचीपVों का अथH; िजTों2ने अZीकार िकया।

हाँ पुV, संसार के qाय सावHजिनक होते हh ; मानव आQाओं ने िपता यहोवा से उT0 ऐसे होने की ]ाथHना की थी; dों2िक ZगH के सा[ा\ म0, कुछ भी अ]EU नहीं होता है ; Zाथšपन अwात है ; जो भी िपता का है वो सावHभौिमक है ; अतीत म0 उनकी धमHिशUाय0 भी; dों2िक जो भी मौजूद है , उसे िपता के “ारा ही बनाया गया है ।

िदD Zगšय समय; संसार का भावी पंचां ग; भौितकवाद की सिदयों का अंत; समय की एक नयी इकाई का जO हो गया है ; 318 िदनों का एक वषH;

हाँ , पुV; भिवt का पंचां ग, एक मंदािकनीय पंचां ग होगा; वतHमान पंचां ग का अंत आ गया है ; dों2िक इसका ]योग करने वाले ]ािणयों के जीवन की परीUाओं का अंत आ गया है ; जब ZगH के सा[ा\ म0 मां गी गयी जीवन की परीUा का अंत होता है तो उस जीवन का भी अंत हो जाता है ; इसकी अपनी समय और अविध होती है ; अपने िवकास म0, आपने 57


समय की गणना करने के िलए पंचां ग का ]योग िकया; जो जीवन की परीUाओं म0 आपकी गितिविधयों का समय था; यह समय अब समा˜ होने वाला है ; dों2िक इस संसार का अंत समय आ रहा है : \े³ पुV का अवतरण; जो उन सभी चीजों को बदल दे गा, िजT0 गलत तरीके से िकया गया है ; सब कुछ परमिपता के Œंथों के अनुसार होगा; जैसा िक कई सिदयों पहले कहा गया था; संसार की परीUा म0 धमHŒंथों से बाहर ना जाना शािमल था; इसके सू†तम भाग म0 भी नहीं। सेनाओं के िदD िपता यहोवा, सभी चीजों के रचियता के िलए। िदD सौर माता ओमेगा, सबसे अ•े दोy के िलए। िदD पहले पुV सौर मसीह के िलए, इस संसार और अनंत अq संसारों का पहला cां ितकारी।

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