THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II
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Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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MELODY OF LOVE JyotirmayaThakur ऄंग्रेजी का हवहिष्ट प्रेम काव्य - संग्रह
ज्योहतमााया ठाकु र प्रेमराग (हहन्दी ऄनुवाद) ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II
FOREWORD
Page | At the outset I consider it a privilege on my part to dwell at some length on Mrs. Jyotirmaya Thakur, an 4 outstanding Indian Poetess in English.She has been inspiring many budding poets in the world with her poetic grandeur for over three decades. She has won many awards nationally and internationally. She has got her anthologies published by esteemed publishing firms. Her poetry deals with nature and human nature poignantly. She presents life in vivid colours through apt images.The elegance of her poetry speaks volumes of her poetic genius. We find genuine joy in going through her poems with enthusiasm. Love is an exalted form of ecstasy whose essence can be extracted from felicitous feelings nurtured by rapturous hearts.We are gladdened by its gorgeous grandeur discernible in myriad forms in the universe. The mellowing fruit of love sweetens our lives sustaining its flavour and taste in our minds.It possesses peerless prominence in the poetry of the world. The fountain of love emerging from the pen of Providence can never be measured by the length and the breadth of time and space for its enchanting eternity is enormous in magnitude. The present collection of poems on love and romance by Mrs.Jyotirmaya Thakur presents to us picturesqueness of the confluence of scintillating sensations.The vibrantly vital passions,love and romance have their joyful journey through all poems transporting the minds of avid readers to unexplored regions of ecstasy.Its mere touch makes us beam with bliss and leap with liveliness. I am opulently optimistic that the poems included in the anthology,” MELODY OF LOVE “ will go on impressing the minds of readers and enable them to unravel the mystery surrounding the unfathomable depth of love in the universe.The music cascading through rhyme and rhythm cause immense delight to the readers of poetry. The anthology will influence the litterateurs.There is no gainsaying the fact that the Almighty can be visualised in the form of love ultimately. Manthena Damodara Chary FOUNDER PRESIDENT Telangana Poets’ Forum
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II संहिप्त पररचय ज्योहतमााया ठाकु र एक हवहिष्ट भारतीय कहवहयत्री, साहहहययक अलोचक, िाहन्तदूत और चार सौ से ऄहधक राष्ट्रीय और ऄंतरराष्ट्रीय पुरस्कार- सम्मान की ऄहधष्ठात्री हैं । ईनकी साहहहययक कृ हतयों में हवहिष्ट सृजनायमकता और सच्चाइ का Page | सहम्मश्रण होता है । तेजहस्वता , कु िलता और कल्पनािीलता के बदौलत, वे मानव मनोहवज्ञान के सूक्ष्म हवश्लेषण के 5 सहारे मानव- मन के ऄदृश्य और भ्रमायमक परतों , अनन्द के पलों , दुःख, थकान, नैराश्य, कुं ठा और अनन्द को जादुइ और अकषाक हवम्बों का प्रयोग कर हचहत्रत करती हैं । ऊतु पररवतानजन्य प्राकृ हतक सुन्दरता से प्रभाहवत ईनकी रचनाएं पाठक के अयमा तक पहंच ऄपनी खास पैठ बना लेतीं हैं । जैसा कक कु छ रोमाहन्िक कहवयों ने ककया , ईन्होंने कभी भी प्रकृ हत को सैद्धाहन्तकता और बौहद्धकता से नहीं जोडा । एक सामाहजक ऄहभयानी होने के नाते , वे महहला मुहि , िाहन्त प्रवद्धान और धार्ममक सहहष्णुता जैसे मुद्दे की ऄसल रहिका हैं । वे जाहतभेद, रं गभेद, हलङ्गभेद , धमाभेद अकद के हवरुद्ध हनरन्तर लडनेबाली योद्धा भी हैं । किर भी , ईन्होंने ऄपनी कहवताओं को ऄपने अदिों के प्रचार का माध्यम नहीं बनाया । वे हर- हमेिा ऄपनी कहवताओं में कलायमक ऄहभवृहद्ध के हलए सजग रहीं । तभी तो , वे हर तरह की नइ और पुरानी कहवता सृजन में बाजी मारती रहीं । ईनकी कहवताएं , ऄययहधक संवेदनिीलता से ओतप्रोत होने की वजह से , पाठकों के संवेदना पर सीधा ऄसर करती हैं , और पाठक व श्रोता ऄंतरं ग व ताजा ऄनुभूहतयों से मंत्रमुग्ध रह जाते हैं ।ऄंग्रेजी में इनकी दो दजान से ऄहधक महत्त्वपूणा ककताबें प्रकाहित हैं ।
ऄयोध्यानाथ चौधरी ( जन्म: 06 ऄक्िू वर 1947 ) हहन्दी और मैहथली के महयवपूणा कहव - गीतकार और हचन्तक हैं । भारत और नेपाल के साहहहययक- सांस्कृ हतक समन्वय में आनकी महती भूहमका रही है । आनकी रचनाओं का मूल स्वभाव प्रेम और करुणा है । जीवन- मूल्यों के प्रहत साकांि आस कहव की रचनाओं में अदिा का ईच्च भाव हनहहत है । कहीं कु छ िू िता -
छू िता सा कदखता है तो ईसे जोडने -
पकडने के हलए ये मचल ईठते हैं । ऄराजक हस्थहतयों के
प्रहतकार में तीखा व्यंग्य करते हैं । आनकी हहन्दी में एक कहवता- संग्रह "
ढलते अँसुओं के बीच " और मैहथली में
कहवता , कथा और हनबन्ध के अधा दजान ककताबें प्रकाहित हैं । आनकी कहवताएं और कथाएं यदाकदा ऄंग्रेजी और नेपाली की हवहिष्ट पहत्रकाओं और ककताबों में भी छपती रहती हैं । आनके
महयवपूणा ऄवदान के
हलए नेपाल
प्रज्ञाप्रहतष्ठान के नाम से प्रख्यात साहहयय ऄकादमी जैसी संस्था द्वारा राष्ट्रपहत के कर - कमलों से नेपाल प्रज्ञा मातृभाषा साहहयय पुरस्कार रु. एक लाख नगद सहहत हब . स. 2076 में आन्हें प्रदान ककया गया । साथ ही हब. स . 2072 में मैहथली हवकास कोष, जनकपुरधाम द्वारा भी आन्हें डा धीरे न्र साहहयय साहहयय - संस्कृ हत पुरस्कार रु. नगद सहहत सम्माहनत ककया गया था ।
अमुख Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
पचास हजार
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II जयहन्त ते सुकृहतनो रसहसद्धा: कवीश्वरा: । नाहस्त तेषां यि: काये जरामरणजं भयम् ।।
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(The great poets , who have renowned themselves in poetry, never have to fear old age and death for they are immortal bodies of fame , and they are indeed victorious) ---Neeti Shataka--22
राहष्ट्रय- ऄन्तरााहष्ट्रय स्तर में पुरस्कृ त- सम्माहनत यू . के . हनवासी भारतीय कहवहयत्री ज्योहतमााया ठाकु रजी से िे सबुक के माध्यम से मेरा पररचय हअ महज चार महीने हए हैं । ऄसल में ईनका साहहहययक पररहचहत इतना ब्यापक है कक कु छ महीनों या वषों में ही ईन्हें समझ लेना असान नहीं । एक - दूसरे के लेखन को लाआक ब कमेन्ि करते हए ईन्होंने मुझे एक कदन ईनकी कहवताओं को हहन्दी ऄनुवाद कर देने के हलए पेिकि की । मुझे लगा मैं न्याय कर सकूं गा या नहीं ? पर ईन्हें मुझ पर हवश्वास देखकर मैं ने हां कर दी , और ईन्होंने अनन- िानन में ईनकी मेलोडी ऑि लव कहवता- संग्रह की साँफ्ि कापी भेज दी । कहवताएं तो सौ के असपास थीं पर मैं ने ईन्हें पचास तक ऄनुवाद कर देने का वचन कदया । भावानुवाद करने में ऄययावश्यक होने पर कु छ िब्द घिाए और बढाए जाने की स्वतन्त्रता मैं ने ईनसे मांग ली । ईन्होंने मान तो हलया विते कहवता की अयमा नहीं मरनी चाहहए। कहवता की अयमा मर गयी तो किर ऄनुवाद कै सा- - - मैं ने ईन्हें अश्वस्त ककया । ज्योहतमााया जी की कहवताओं में ऄन्य कहवयों की भांहत सुख - दुख , अिा हनरािा , अनन्द के िण, थकान, कुं ठा , हतािा अकद तो होते हैं , पर प्रेम और प्रकृ हत को परखने का ईनका नजररया औरों से हबल्कु ल हभन्न है । प्रकृ हत के बदलते रं गीन नजारों में प्रेम को स्थाहपत, सम्पूहजत और समर्मपत करने का ईनका प्रयास बहत ही प्रिंसनीय होता है । प्रेम के हबहभन्न अयामों और परतों को पार करा वे पाठकों को हजस उँचाइ पर पहंचा देती हैं वहीं ईन्हें परमानन्द की प्राहप्त होती है । इस तरह से वे पाठकों का मन जीतने में सिल होती हैं और पाठक मंत्रमुग्ध हअ महसूस करता है । कहवता में स्वयं को डू बो देने की हस्थहत को वे कहवता मानती हैं । वे कहवता को घिने की किया मानती हैं , ठीक वैसे ही जैसे ककसी को ककसी के साथ प्रेम हो जाता है । होने की किया वा यों कहहए घरित होने की किया को वे कहवता का अदिा मानती हैं । हम ईन्हीं के िब्दों में कहवता को जानने - परखने की कोहिि करें - - Poetry is a state of becoming , a calling that becomes an art, a master piece that takes shape once you visualise it. Each poem that you write or read changes once you have taken it in and mutates surfacing when you need it most , like a genii . कहवहयत्री कहवता मे सययम् , हिवम् , सुन्दरम् के हत्रगुणायमक समन्वय के पि मे ही नहीं , बहल्क ईनकी कहवताओं में इनका ब्यापक प्रयोग और समन्वय यदाकदा दृहष्टगत होते रहते हैं । किर तो परमानन्द की ऄनुभूहत वा प्राहप्त होना ऄहनवाया हो जाता है ईनकी कहवताओं में । एकबार ईन्हें किर सुने , क्या कहतीं हैं - - A good poet's work captures what poetry ( and I would add , most great arts in general) is meant to do : to capture with truth, beauty , and goodness. Poetry 's relationship with beauty is the most obvious rationale among this trinity....) ऄथाात ईनके हवचार में कहवता में सौन्दया का महयव कु छ ज्यादा ही है ।
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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ईपयुाि हवचारों से पूणा प्रभाहवत हो कहवता के बारे में मैं भी कु छ ऄपनी धारणा व्यि करना चाहता हँ । प्रवाह से मोती चुनना है कहवता का प्रारम्भ। मोती चुन - चुन कर, ईन्हें संकलन कर सावधानीपूवाक, सस्नेह , एक - एक दाना से माला गूंथने का काम प्रारम्भ करें । माला तैयार हअ तो कहवता सम्पन्न समझें । ऄब माला अनन्दपूवाक धारण करें Page | । मन प्रसन्न हो जाएगा । 7 मोती के चमक से देखनेबाले भी ऄहभभूत हो जाएंगे । सुन्दर माला के हलए सुन्दर दाने अवश्यक । दाने का एक ककनारा भी िू िा- िू िा ना हो । हघसा - पुराना ना हो । पूणा चमक मौजूद हो । सब रं ग के हों । अकषाक हों । गूंथने के समय एक भी ऄहतररि और ऄनमेल गांठ न पड जाए , इसीहलए सावधानी अवश्यक। सब हमलाकर काव्यकमा बहत दुरूह होता है । सबों की आच्छा रहती है सुन्दर माला तैयार हो । सुन्दर भाव से सुवाहसत, सुगरठत और लाहलययपूणा । ईसके हलए िान्त- स्नेहहल और सुन्दर पररवेि ऄपेहित। परन्तु ऄभी के ब्यस्त, ऄिांत जीवन में वैसा ऄनुकूल पररवेि ककतनों को नसीब ? जो कु छ, ऄब मैं मेलोडी ऑि लव की कु छ बातें करूं । संग्रह के करीब - करीब सभी कहवताओं के िीषाक में लव िब्द का प्रयोग होना ऄपने अप में महयवपूणा लगा । इसका मतलब साि है कक प्रेम के सम्बन्ध मे ईनकी ऄनुभूहत इतनी ब्यापक है कक सम्पूणा कृ हत में मात्र ईन ऄनुभूहतयों को समिा जा सकता था । प्रेम की ऄनन्तता , प्रेम का बन्धन, प्रेम में पूणाता , प्रेम में वास्तहवकता , प्रेम में हनराभग्नता , प्रेम में डू बने की बात , प्रेम में अललगन, प्रेम में परमानन्द, प्रेम में रूमानी अकषाण, प्रेम में रहस्यायमकता जैसी अनन्दोयसव की बातें मात्र नहीं कर वे प्रेम मे हवछोड जन्य पीडा , ऄस्वीकृ त प्रेम और वैधव्य प्रेम की भी बातें ईतनी ही मनोयोगपूवाक करती हैं । ऄनुवाद करने के दौरान मुझे लगा प्रेम और कहवता में एक बात हबल्कु ल सामान्य है , और वो है डू ब जाना , हनमग्न हो जाना । ऄपना ऄहस्तयव खो बैठना । प्रेम करने और कहवता करने मे जो कु छ सामान्य कियायें घरित होती हैं वे हैं खो जाना , डू ब जाना , हो जाना , हवलय हो जाना अकद - अकद । कहवहयत्री ज्योहतमाायाजी की पूवोि बात किर स्मरण कराना चाहँगा कक कहवता कै से इसी हस्थहत में कलाकृ हत ( a work of art ) मास्िरपीस और माआलस्िोन बन जाती है । किर वैसे ही कहव सौभाग्यिाली और ऄमर कहव की श्रेणी में समादृत ककए जाते है , तभी तो ककसी ने कहा है - - मानव होना भाग्य है कहव होना सौभाग्य। ऐसे ही कहव जाहत , रं ग, समय , स्थान और सीमा से परे होकर सम्पूणा हवश्व के धरोहर के रूप में सम्पूज्य होते है । वे ऄपवाद , और ऄलौककक प्रहतभावान होते हैं । ऐसे ही स्रष्टा के सामने श्रद्धाभाव से हम नतमस्तक हो जाते हैं । वे ऄनन्त काल तक प्रवाह के साथ प्रवहमान होते हैं ।प्रवाह में डु बकी लगाने बाले कभी भी प्रारम्भ हबन्दु और ऄहन्तम हबन्दु के खोज के चक्कर में नहीं पडते । मैं भी प्रेम और कहवता के सादृश्यता में हनमग्न के वल हवहनत और िमा भाव से कु छ पंहियों में ऄपनी ऄहभव्यहि को बस करना चाहँगा - - - युग- युग से प्रवाहहत ये नकदयाँ ऄहवरल बहती ही जाएंगी कौन कहाँ हमली , कौन कहाँ हमली यह हमें समझ ना अएगी । *** ईन नकदयों को क्या हो मालूम Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II कब ईनकी मनती रजत वषा ऄपने पथ पर बस प्रबहमान हो स्वणा, हीरक वा रजत वषा । *** प्रवाह तो है ऄहवहच्छन्न प्रवाह Page | 8
अकद - ऄन्त हनरपेि भाव हम गणना करते रुक जाएंगे अगे बढना इनका स्वभाव । *** ऄपने पथ पर प्रहतबद्ध रहें होकर हनमग्न ,एकलब्य दृहष्ट कहवता हो या प्रेममागा होगी ऄवश्य बस पुष्पवृहष्ट । हवहनत ऄयोध्यानाथ चौधरी 1 िरबरी , 2021.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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26. SHADOWS OF SMILE The shadows of your smile, Page | Wakes me in my dreams , Soft touch of moist lips, 9 Arouse my fantasy whims. I only want to be with you, Just clinging by your side, In my heart all the while, Holding you is sheer delight. Reflection of me in your eyes, Is a beautiful surrender, Will you reconsider? Of never leaving ever. Your love flows in streams, Where moonbeams gleam, An evergreen dream , You are my water-sheen. You fill the blue frozen lakes, In winter love drops in snowflakes, You are my ecstasy fountain, Summit of my desired mountain. You are my most precious treasure, Open doors of all pleasures , I can feel your eyes twinkle, When I open my eyes in wrinkles. Purple lips like petals crease , Bidding farewell in sleep is weak , Your presence haunts my sleep, When you leave your shadow lingers still. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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26. Shadows of Smile (मुस्कान की स्मृहतयाँ) Page | तुम्हारे मुस्कान की स्मृहत- छायाएं 10 मुझे सपनों में जगा जाती हैं गीले होठों का मुलायम स्पिा मेरे कहल्पत मनोभाव को ईदात्त बना जाती है । मैं के वल तुम्हारे साथ होना चाहती हँ तुम्हारे बगल में सिी हइ, संयुि हर- हमेिा तुम्हें कदलो- कदमाग में सिा रखने का मजा ही कु छ और है । तुम्हारी अँखो में मेरी प्रहतच्छाया एक सुन्दर समपाण- सा है एक बार किर से , किर से सदा संग रहने का वादा करोगे न ? तुम्हारा प्यार धाराओं में प्रवाहहत होता रहता है जहाँ चन्रककरणें चमकती रहती हैं एक सदाबहार सपना - सा तुम मेरे पानी की चमक हो । तुम जमे जाडों में तुम मेरे और मेरे
हए नीले झीलों में पानी भर देते हो प्यार बिा का बूंद बन िपकता रहता है ऄययहधक अनन्द का श्रोत बन जाते हो आच्छाओं के पवात का हिरोहबन्दु ।
तुम मेरा सबसे बहमूल्य खजाना हो अनन्द के सारे द्वारों को खोल दो हजससे जब भी मैं ऄपनी हिकन परे अँखों को खोलूं मैं तुम्हारी अंखों की चमक महसूस कर सकूं । िू ल की पंखुररयों- से हसमिे पीले - पीले होठों से और ईनींदी अंखों से हबदा करना ईयसाहजनक नहीं तुम्हारी ईपहस्थहत मेरे कदलो- कदमाग में छायी रहती है तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी स्मृहतयाँ जाने का नाम नहीं लेतीं । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र #भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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27. MIDNIGHT DANCE The darkest night, For moon to shine Page | Horizon’s insight , 11 Absence of stars, Silvery moonlight. Calm blue sea , Full moon peeps, Through dark clouds, Romance is deep. Lovers chance, For a dirty dance , Waltz in the wild , Hand in hand glide , Clasping enhanced Feet enthralled Hands entwined . In the heat of youth Bodies uncouth Lights spark as one , Whole night was fun. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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Midnight Dance 27.(मध्यरात का नृयय) बहत ही काली ऄंधेरी रात चांद को और चमकने के हलए Page | हिहतज मात्र दृहष्टगत 12 तारों की ऄनुपहस्थहत चांदी- सी चांदनी िान्त नीला समुर ऄंधेरे बादलों को चीरते हए पूनम का चांद झांक रहा है प्रणय बहत गहराइ में है प्रेहमयों के हलए सुऄवसर हघनौना- सा नाच के हलए ' बाल्स ' संगीत की धुन िीषा पर हाथों में हाथ हलए सरकते हए बन्धन हनरन्तर कसता हअ पांव जैसे मंत्रमुग्ध हाथ एक दूसरे में ईलझे हए जवानी की जोि में िरीर का क्या कहना संगरठत प्रकाि का एक हो चमकना सब हमला , रात भर अनन्दोयसव का बहार था । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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28.MOONLIGHT ROMANCE On a moonlit night , dew drops falling A serene lake in sight , lovers talking Page | On a bench so wet slightly slipping, 13 They had to part ,snowflakes dropping . Started crying, their hands unclasped, Their feet hesitated, fondly embraced, For a final farewell, strangers befriended ., Love touched the sky, sentiments lingered. Moonface glowed,moonbeams shimmered, Rapturous romantic gestures scattered, All misunderstanding mist disappeared, White fog suddenly touched enchanted. Love for the lake wonderfully rebuked, Sonorous melody serenade resumed. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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28. Moonlight Romance (चांदनी में प्रणय ) चांदनी भरी रात में Page | ओस के बूंदों की बाररि में 14 एक िान्त झील के सामने दो प्रेमी वाताा मे हनमग्न भींगा हअ किसलनदार बेंच हजस पर किसल- किसल जाते थे वे लगातार हगरते बिा में ईन्हें जुदा होना पडा । ईनके हाथों के बन्धन हबल्कु ल ढीले पड गए और वे रोने लगे पर पांव जाना नहीं मान रहे थे वे ऄब भी अललगनबद्ध थे ऄहन्तम हबदाइ के िण अते अते वे ऄजनबी , दोस्त बन गए थे प्यार असमान छू चुका था ऄनुभूहतयां जाने का नाम नहीं ले रही थीं । चांद चमक रहा था चांदनी हझलहमला रही थी अनन्दोयसव भरा प्रणय और प्रणय के हावभाव हबखरे - हबखरे पडे थे नासमझी का सम्पूणा कु हासा गायब हो चुका था असमान तक िै ला धुन्ध मुग्ध कर रहा था । पर , झील के प्रहत का झुकाव कम हो अया था प्रेम का मीठा धुन मन्द पडता जा रहा था । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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29. END OF A SONG You are the end of my song Page | A joy of love at first sight Melody of hope in my eyes 15 Like a lily honeymoon delight. My song of charms I write, You are my first symphony prize. You set my words of love to rhyme Praise of beauty is tuned to thine Sounds double to single lips mingle Leaves long hours, songs of flowers Day and night wary as harp jingles. Sitting by your side in shady bowers. Rose amidst thorns in singing weather , Green or gray , red roses grow hither You are my queen of pleasure forever I am your eternal song of leisure The page at your feet all day long You are the end of my love song. @copyrightJyotirmaya Thakur
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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29.End of a Song ( एक गीत का लक्ष्य ) Page | तुम्ही मेरे गीत का लक्ष्य हो 16 प्रथम भेि का प्रेमोन्माद हो मेरी अँखों के अिा का धुन हो प्रणय के अनन्द का प्रस्िु िन हो मैं गीत के अकषाण को हलखता हं तुम मेरे गीत की पहली सुन्दर संगीत हो । तुम से ही मेरे गीत का छन्द बनता है तुम से ही गीत में सौन्दया है हमारे होठों से ईठे श्वर एक हो जाते हैं गीत का सुगंध देर देर तक पसरा रहता है रात- कदन बीणा के मधुर श्वर गूंजते रहते हैं और हम सघन छांव में करीब बैठे होते हैं । संगीत के सुरम्य मौसम में कांिों के बीच का गुलाब हो तुम हरे , भूरे और लाल गुलाब ईगते हैं यहां तुम मेरे अनन्द की सदाबहार महल्लका हो और मै तुम्हारे गीत का स्थायी श्वर हँ मैं तुम्हारी सारी खुिीयों के हलए कु छ करने को हनरं तर तयपर हँ तुम मेरे प्रेम गीत का सुन्दर संगीत हो मेरे प्यार का पहला और ऄहन्तम लक्ष्य हो । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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30. LOVE LENGTHENS LOFTY LIVING Love life and it loves you back, Loyal love is the best prescription, Page | For Lofty living in jubilation, 17 Daily dose of love, Godly inspiration. Best love is that awakens the soul, Simply makes us reach for more , That plants fire in our mould, Prolongs life span therefore. Only happiness in life is to be loved, The reason to look forward to next day, Instills faith and peace in mind, World is at one's feet everyday. Love is the water of blossoming life, Sustenance of strength in any strife, A garden’s beauty of eternal moments, Speculation of a promised dream to strive. Beauty of love lasts till eternity, Unveils exquisite forms of longevity, Sublime vibrations finds expression, In the verdant field of space celebration. A house of love profoundly limitless, Loving presence beautiful as venus, Long life of love a blissful presence, Image of grace in eternal effervescence. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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30. Love lightens lofty living (प्रेम अदिा जीवन को दीघाायु करता है ) Page | हजन्दगी को प्यार करो 18 वो तुम्हें करे गी प्यार कृ तज्ञतापूणा प्रेम है जीवन का सवोच्च ईपचार । अदिाभरा अनन्दमय सुखमय हजन्दगी के हलए प्रययेक कदन प्रेम का खुराक इश्वर की प्रेरणा हलए । सवोच्च प्रेम अयमा को जागृत करता हमें और ऄहधक प्राहप्त हेतु प्रेररत करता वो हमारे िरीर में ईजाा प्रदान करता और हमारा जीवन ऄहधक लम्बा हो जाता । हजन्दगी में के बल खुहियों से प्रेम करना हो कल्ह के सुनहरा भहवष्य की कल्पना यह हमारे महस्तष्क में हवश्वास और िाहन्त भरता और संसार प्रहतकदन हमारा कदम चूमता । प्रेम प्रस्िु रित होना जीवन के हलए है पानी संघषा में जीविता , है और िहि- दाहयनी ईपवन में देखो जरा , स्थायी पलों का सौन्दया है आहच्छत सपनों के हलए संघषा का ऄन्वेषण है । प्रेम का सौन्दया ऄनन्त काल तक रहता दीघाजीवन के ऄनन्त अयाम का रस्ता कदखता कोमल स्पन्दनों को ऄहभव्यहि प्रदान करता स्वच्छ हररत मैदान में खुलेपन का अनन्द देता । प्रेम पोहषत घर में ऄसीहमत अनन्द है अनन्द की ऄनुभूहत िुि- सा ज्योहतमाय है प्रेममय दीघाजीवन इश्वरीय वरदान है स्थायी और ईयसाहभरा जीवन का पहचान है ।
@ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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31. WIDOWER’S MYSTERY The Church mass did not encourage us to talk, A brief exchange of greetings and we depart, Page | Sometimes I felt he had something to say, 19 But he kept quiet and walked away. I sensed his eyes following me all the time, A perfect gentleman with perfect manners, Would not talk without any rhyme or reason, Respected widower and generous donor. Mature beyond his age due to love loss, His beautiful wife died in a tragedy gross, Grayed hues of his dusk shone bright, The writhing impulse in him felt light . He came every evening to the community hall, Sat with civilians or engaged in random calls, But observed me with a restrained perception, Said nothing but I was aware of his discretion. A mystery hidden behind his politeness, A divine tolerance childlike helplessness, I followed him one day to his house confront, He quickly opened the door with graciousness. Invited me inside holding my hand gently , Helped me open my overcoat elegantly , Then seated on the floral sofa beside me, Pointed his finger to a frame very quietly. The picture reminded me of my young days, With modulated voice he uttered demurely, He was in love because I resembled his wife, The only remnant of a long gone memory. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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31.
Widower's Mystery ( हवधुर के जीवन का रहस्य )
Page | चचा के भीडभाड में 20 भला हम कै से बातें करते हिष्टाचारबि के बल हमारी हाथें ईठीं और हम हबदा हो गए कभी- कभार ऐसा लगा था वो कु छ कहना चाह रहे थे पर वे कु छ नहीं बोले और ईदास चल कदए। मैं ने ऄनुभव ककया था कक ईनकी अँखे सदैव मेरा पीछा कर रहीं थीं ककतना सुदिान चेहरा और ककतना हिष्ट ब्यबहार हबना वजह और औहचयय वे बोलने बाले नहीं वे हबधुर थे और अदरणीय थे और ईदारता के प्रहतमूर्मत थे । प्रेम के दु: खद ऄन्त के कारण वे ऄसमय प्रौढ हो गए थे ईनकी सुन्दर पत्नी , एक दुघिा ना में ऄकाल काल- कवहलत हो गइ थीं पर ईनके जीवन का सान्ध्यकाल में भी ऄजीब- सी रोिनी की चमक थी । ऄब पीडा का प्रभाव िमि: कम पड चुका था । वे हर िाम, सामुदाहयक भवन में हबना ब्यबधान अ जाया करते थे अम नागररक के साथ बैठते वा ऄप्रययाहित काॅल का जबाव देते होते पर मेरी तरि , गहरी हनगाह से देखते रहना ईनका हनयहत बन चुका था वे कहते तो कु छ नहीं , पर मैं ईनको पूरा पूरी समझ सकती थी । ईनके प्रेममय, नम्र व्यवहार के पीछे एक ऄजीब रहस्य- सा लगता था एक दैहवक संयम और सहनिीलता और बच्चों की सी हवविता थी एक कदन मैं ईनके पीछे- पीछे ईनके घर के सामने तक खींची अइ ईन्होंनें तुरंत, हचर- प्रतीहित भाव से Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II स्वागतपूबाक दरवाजा खोल कदया । ईन्होंने कोमलतापूबाक मेरे हाथ पकड भीतर चलने का ऄनुरोध ककया मुझको मेरा ओवरकोि हनकालने में कमनीय भाव से मदद की Page | तब िू ल- सा कोमल सोिा पर 21 मेरे बगल में अ बैठ गए और बहत िान्त- स्नेहहल भाव से एक फ्रेम लगी सुन्दर - सी तस्वीर के तरि संकेत ककया । तस्वीर देख मुझे मेरा यौवन स्मरण हो अया करुण श्वर में और हवहनत भाव से वे रुक- रुक बोल रहे थे वे प्रेम में डू ब गए थे क्योंकक मुझमें वे ऄपनी पत्नी का सादृश्य देख रहे थे एक पुरानी स्मृहत का ऄविेष मात्र असपास बांकी रह गया था । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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32.YOUR PRESENCE I am in bed feeling midnight blues, It feels tremendous without you. Page | My love is unconditional but, 22 My doors for you are forever shut. Two opposite shorelines of sea's never meet, My ship without you is calm on its feet, I am more happy and excited in my seat, When you are around I normally weep. You never notice my true love inside, It is offensive to show your might, When you flirt with girls in front of my sight, I don't need your presence in my life. I know you are not aware of my feelings, My emotions are none of your business to heed, But I am infatuated by your alluring smiles, So please keep away from me for a while. If we are destined to meet at any place, Let us be strangers in our private space, Breathing is difficult looking at your face, Let us live apart in loving you with grace. Our lives are not tied in a knot by fate, I dawned in your life a little bit late, You are my love for a long time, You will remain in my thoughts of rhyme. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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32. Your Presence ( तुम्हारी ईपहस्थहत) मैं मध्य रात में हबछावन पर लेिी Page | बहत बहत हनराि महसूस कर रही हँ 23 तुम्हारे हबना बहत हखन्न और ईदास वैसे मेरा प्रेम हन: िता है , पर तुम्हारे हलए मेरा दरवाजा सदा सदा के हलए बन्द है। समुर के दो ककनार कभी नहीं हमलते तुम्हारे हबना मेरा जहाज िान्त खडा है मैं ऄपनी सीि पर ज्यादा ही खुिी और ईत्तेहजत हँ ऄब , जब तुम मेरे असपास होते हो मैं ऄक्सर रोती रहती हं । तुम मेरे ऄन्दर छु पा हअ प्रेम क्या समझ पाओगे कभी तुम्हारा िहि का प्रदिान करना मेरे सामने ही लडककयों के साथ रं गरहलयां मनाना ककतना दु: खदायी होता है ! ईि् ! नहीं चाहहए तेरी ईपहस्थहत जीवन भर। मैं जानती हं , बखूबी जानती हं मेरी संवेदनाओं से तुम्हें क्या मतलब मेरी भावनाओं की कोइ कदर नहीं तुम्हारे पास पर मैं तुम्हारी जानलेवा मुस्कानों पर मंत्रमुग्ध और मोहहत हं आसहलए , कु छ पल , दूर ही रहो मुझ से। ऄगर ककसी जगह, प्रारब्ध से हमारा हमलना हलखा हो हम ऄपने जगहों पर, ऄनजाना- सा कदखें तुम्हारे तरि देखते ही सांस लेना दूभर हो जाता है हम दूर रहकर ही आयमीनान से, प्रेम करते रहें। भाग्य ने हमें एक साथ ब॔धने का ऄवसर नहीं कदया मैं ने तुम्हारे जीवन में प्रवेि करने में कु छ ज्यादा ही देरी कर दी तुम बहत कदनों से मेरा प्रेमी रहे हो तुम मेरी कहवताओं मे सदा रहोगे । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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33. GAZE YONDER On a moonlit starless night, Page | Dreadfully dark,ethereal insight, 24 Shiny lady scantily dressed Sitting alone terribly upset. Cold winds howling branches creaking, Lonely moon downward creeping, Silvery trance , winter time chart Waiting for a charm , spring in heart. Watching the moon as she wonders When will her lover finally miss her, Sticking to her place gazes yonder, As time lapses love gets fonder. Humming a melancholy tune , Watching surf in rising dunes, Sobbing of betrayal at the altar , Faith in love still does not falter. Better alone than loveless life , Jilted love than neglected wife. As she gazes yonder,hope thrives Loving soul forgiveness revives. Once radiance of love so bright, Snatched away by lover's slight, She will grieve not,what's left behind, Yonder gaze inward strength find. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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33. Gaze yonder (दूर दृश्य) Page | 25
असमां ताराहबहहन , चाँदनी एक रात में भयंकर काला , पर कोमल दृहष्ट हलए सुन्दरतम एक नारी , कम कपडों में सजी बहत घबरायी- सी, बैठी ऄके ली थी। सदा हबा जोडों पर , िाखाएं चरमारती- सी ईदास चांद जैसे नीचे ईतरती- सी सदा के समय में चांद को हनहारती हइ बसन्त को याद कर , अकषाण ढू ँढती हइ। चांद को देखती और सोचती रही कहीं ईसका प्रेमी ' हमस ' ना कर जाय ईसे ईसी जगह हचपकी- सी दूर देखती रही समय के बहाव में , प्यार बढता गया । ईदास धुन होठों पर ईठ रही थी ऄहवरल जमा होता िीला पर झाग देखती रही ऄहवश्वास अँसू बन , बेदी पर हगरता रहा किर भी प्रेम का , पलडा भारी रहा । प्रेम हबना क्या जीवन ! ऄके ला ही है बेहतर ऄपमाहनत पत्नी होना ! भग्न प्रेम है श्रेयस्कर दूर ऄन्तदृहा ष्ट गइ , अिा की ककरण जगी प्रेम तो अहयमक होता , िमा भाव जाग ईठी । प्रेम की ककरणों में ऄपूव,ा कदव्य चमक होती प्रेमी के ऄपमानबि यद्यहप है िीण हइ दु: ख नहीं करना है , बीत गया ईसके हलए ऄन्तदृहा ष्ट से देखो , प्रेम ऄपार भंडार हलए। @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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34. GAZE ACROSS THE SHORE Every time you leave, I die a little, Page | Bid you farewell with heart throbbing tears, A difficult job as a marine engineer, 26 I pretend to smile as romance cruelly sneers. I can't escape from your helpless smile, As I gaze on the shore on a moonless night, My nights are darker without you by my side, Love grows fonder, my emotions fight. My mind is chaotic drowning in ocean of love, Deep down I visit you in dreams of foreign lands, When forlorn this beach is a treasure trove, I recollect our romance lying on wet sands. Lonesome placid bank is a safe place to unwind, Deserted like me it echoes sobs of my heart, I thought you were only mine innocent like a child, Life has its debts to pay so we had to part. My visits to the shore is as wind and tide, Like lightning and thunder if I could walk, To lands where your ship is anchored wide, I could travel any distance barefoot to hold your hands. I am standing here firm on sands like a rock, Waiting for your return though rising waves mock. No distance in the world can destroy our love unique, Till you come back concealed with love I seek. My intense moans,invisible signs of love, Shall be consummated to ecstasy in passionate embrace, I shall explore all blissful ways to make up for times lost, In return my soul mate,our love will burn ablaze. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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34. Gaze across the shore ( समुर ति के ईस पार) Page | 27 जब कभी तुम छोड जाते हो , मैं थोडी- थोडी मरती होती हँ बहत धडकते कदल और ढलते अंसूओं के बीच तुम्हें हबदा कर पाती हँ पानी जहाज पर काम करने बाला ऄहभयन्ता का जीवन बहत करठन होता है मैं मुस्कु राने का बहाना करती हँ जब कक प्रेम- प्रसंग मुझपर हँसता होता है । तुम्हारी जानलेवा मुस्कु राहि से मैं बच नहीं सकती जब कभी ककसी ऄंधेरी रात में मैं समुर ति पर हनहारती हँ और मेरे पास तुम नहीं होते हो मेरी रातें और ऄंधेरी हो जाती हैं प्रेम और गाढा हो अता है और भावनाएं लडना िुरु कर देती हैं मुझी से । प्रेम के समुर में डू बते हए मेरा कदलो- कदमाग ऄहस्थर हो जाता है मैं समुर के तलहिी में सपनों में , ककसी हबदेिी भूहम पर तुम से हमलती रहती हँ जब ऄके ले ईदास होती हँ यह समुर का ककनारा प्रेम का खजाना - सा लगता है और मैं भींगी बालुका- राहि पर प्रेम- प्रस॔ग की स्मृहत में डू बी रहती हँ। हनजान, िान्त समुर ति तो गम भुलाने के हलए सुरहित होता मुझ जैसे गमगीन के हलए हृदय- िन्दन को प्रहतध्वहनत करता सोचती थी , तुम एक हनदोष बच्चे की तरह मात्र मेरे हो , के वल मेरे हजन्दगी की कु छ कजा ऄदा करने Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II हमें जुदा होना पडा होगा । समुर तिीय मेरा अना- जाना हबा और ज्वार जैसा है हबजली और ऑंधी जैसा Page | काि! जहाँ तुम्हारा जहाज बंधा है 28 ईस भूहम तक मैं पहँच पाती मैं नंगे पांव हजतनी भी दूरी पार कर तुम्हारे हाथों को थाम पाती । मैं आस बालुका राहि पर चट्टान जैसे दृढसंकहल्पत खडी हँ यद्यहप ईठते लहर हचढाते- से लगते किर भी प्रतीिारत हँ हमारे बीच के ऄसामान्य प्रेम को कोइ भी दूरी क्या हबगाड सकता ! जब तक तुम अओगे लौिकर मैं प्रेममय तुम्हारा रास्ता देखती रहंगी । मेरे ददाभरे िन्दन, ऄदृश्य प्रेममय अहें बहप्रतीहित अललगनजन्य अनन्दोयसव में तब्दील हो पूणा हो जाएंगे बीते हए कदनों में हइ िहतपूर्मत के हलए सारे अनन्द के रास्ते ढू ंढ हनकालूंगी ओ मेरे अयमीय ! तुम्हारे लौिने के बाद हमारा प्रेम ज्योहतमाय हो जाएगा ।
@ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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35. RAPTURE OF ROMANCE Rapture of romance begins everyday, Page | In every move of your pleasant stay, You are my silent musical presence, 29 Your love is engraved in my deep essence. I feel your rapt ravishing vibes In every groan and moan alone, You are in every blink of my eye, In every smile and every sigh. I am transfixed in lovely contours, In every turn and twists of moves, I wake up to an enchanted day, When I rise in your sweet embrace. The shining shower of blissful grace, Breathing gently in your smiling face, Eagerness dwells in passionate lake, Flows in pleasure wide awake. Blossoming flames on lips rosy red, Deep love breathes in open air, Exploring each other in adoration, Freely wrapped hearts in celebration. Days are small and nights shorter, Holding each other in fine weather, Gorgeous twilight tranquillity time, A scented dream intertwined. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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35. Rapture of Romance ( प्रेम- प्रसंग का अनन्द ) Page | 30 प्रेम- प्रसंग का परम अनन्द प्रारम्भ होता है प्रहतकदन तुम्हारे अनन्ददायक ईपहस्थहत के हरे क कियाकलाप में तुम मेरे हलए िान्त- स्नेहहल संगीत हो तुम्हारा प्यार मेरे ऄहस्तयव में बहत गहरा खुदा हअ है । मैं तुम्हारे अनन्ददायक धडकनों को महसूस करती होती हँ हरे क चीख और अनन्दोयसव में मेरी अँखों के हरे क पलक के ईठने- हगरने में हर मुस्कान और हर ईं सास मे पुनः पुनः महसूस करती होती हँ । तुम्हारे चेहरे के सुन्दर रूप - रे खा में हर मोड पर, हर कियाकलाप में जब तुम्हारे मधुर अललगन में मेरी अँखें अनन्दहबभोर खुलती हैं मैं एक मंत्रमुग्ध सुबह के साथ जगती हँ । तुम्हारे चेहरे की चमक से अनन्द की बाररि होती है तुम्हारे मुस्कान से ईठती सुगंध को मैं मंद- मंद सांस में भरती हँ आच्छा की झील में ईयसुकता तैरती हइ अनन्द के हवस्तृत सागर में घुल- हमल जाती है । लाल - गुलाबी होठों पर ज्वाला- सी ईठने लगती है गहरा प्रेम , खुली हवा मे ईन्मुि सांस लेता है एक दूसरे में स्नेह- भंडार खोजते हए दो कदल हबल्कु ल स्वच्छन्द हो अनन्दोयसव मनाते होते हैं ।
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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Page | 31
कदन और रात दोनों जैसे छोिे लगने लगते हैं सुहावने मौसम में एक दूसरे को बन्धन में जकडे हए कदव्य सान्ध्य प्रकाि की िाहन्तपूणा बेला के साथ एक सदाबहार सुगंधमय सपना का ऄनुपम हमलन हो जाता है । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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36. ROMANTIC INTERLUDE Let's discover each other again as strangers, Page | Let's create new ways to explore each other, With mutual adoration bewitching ranges, 32 Our eyes keep wandering further and further. Your smile blooms and lights my heart, You are all I can see from near or far, From top to toe you look perfect in all parts, I am addicted to your being as you are. You are my ecstasy as our souls meet, Angel you are mine and will always be, Now that you're forever mine, Love of our life has set us free. When you touch me it's sheer magic, Craving to hold you in tight embrace Desires rise to feel you whole once more, My lips go crazy to touch your face. Let's quench each other's thirst for love, Nurture each other with flaring arms, Place your head on my heart gazing above, The smell of your skin intoxicated warms. You fulfill all dreams of my imagination, Complete my longing romantic fascination. A rainbow before my flames pressing, With endless caress our bodies merging. Our romantic interlude ignite more electric, Tingling sensations rise up tip to toes, Our flaming existence strongly emerge, We become the breath of life loving force. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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36. Romantic Interlude (रूमानी ऄन्तराल) Page | 33
हम किर एकबार ऄजनबी बन जांए हम एक दूसरे में किर से खोजें हम हमहीं में खोजने के हलए कु छ नए तरीकों का इजाद करें स्नेहपूणा अपसी समझौते के तहत जादुइ और बदलते कियाकलाप के बीच हमारी नजरें , दूर, बहत दूर भिकती रह जांए ऄपलक । तुम्हारी मुस्कान हखल ईठती है और मेरा हृदय हल्का हो ईठता है तुम और के वल तुम्हीं कदखते हो असपास और जहां कहीं भी हिर से पांव तक, हर ऄंग- प्रययंग ऄनुपम सुन्दर हो , सुदिान तुम तुम्हारा ऄहस्तयव मेरी असहि है । जब हमारी अयमाएं हमलती हैं हम अनन्द हवभोर हो जाते हैं। तुम तो मेरे देवदूत हो और रहोगे सदा ऄब जब कक तुम सदा मेरे हो जीवन के हलए हमारा प्रेम हमें मुि और स्वतंत्र कर कदया है । जब तुम मुझे छू ते हो के बल जादू ही जादू हो जाता है तुझे अललगनबद्ध रखने की आच्छा जागृत हो ईठती है एकाएक तुझे सम्पूणा रूप से ऄनुभूहत करने की तीब्र आच्छा जाग जाती है तुम्हारे मुख को स्पिा करने के हलए मेरे होंठ ईन्माद से तडप ईठते हैं । ऄब हम एक दूसरे के प्रेम - जन्य प्यास को जल्द ही बुझा डालें खुले , स्वतन्त्र बाहों से एक दूसरे को स्वागतपूबाक पररपोहषत करें तुम मेरे छाती पर माथे रखकर ईपर अकाि की ओर देखते रहो तुम्हारे यवचा की गंध ईत्तेजना और गमी ला देती है । Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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Page | 34
मेरे कहल्पत सपनों को तुम पूरा करो मेरी बलवती रूमानी आच्छा को तुम पूरा करो मेरी दबी हइ ज्वालाओं के सामने मैं एक सुन्दर- सा आन्रधनुष देख रहा हं ऄन्तहीन प्यार और दुलार से हमारे हजस्म दो से एक हो जाएंगे । हमारा रूमानी ऄन्तराल कु छ ज्यादा ही उजाा पैदा करे गा झुनझुनी- सी संवेदनाएं उपर से नीचे तक दौड जाएंगी हमारा जलता ऄहस्तयव िहििाली हो ईभर अएगा और हमारी प्रेम की िहि हमारी सांसों में कै द हो जाएगी । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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37. ELEGANCE OF ROMANCE The first sight of love when I skipped a heartbeat, Page | Remember when we met in the summer night's meet, Standing sadly alone till you smiled and glanced, 35 As you came close beside me to share my stance. When we held hands and walked on the beach, When we touched and hugged our dreams within reach, Remember when we endlessly wanted to talk, In the woods we would gaze at each other in long walks. In warm sunshine days sitting under the bower, And on winter afternoons amidst garden of flowers, Remember the promises we made together in candle light, Having a picnic dinner in midsummer moonlight. Our hearts rejoiced in caring for each other, Remember the beautiful journeys we started together, When the world was bright in our tight embrace, We loved each moment sharing smiles on our faces. When you look with deep longing in my eyes, When you reach for me with yearning desires, In rain holding umbrella over our close heads, And when you take me into your arms my heart melts. I know how we cherish every chance to be alone, In crowded cafe or in office on the phone, The elegance of our romance has withstood test of time, We never feel lost when we are together, we are just fine. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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37. Elegance of Romance ( रूमानी अकषाण ) Page | 36
पहली ही दृहष्ट में हअ प्रेम जब कदल की धडकन को झेलते हए गमी की ऊतु में हम हमले थे क्या तुम्हें याद है ? जब तक तुमने देखा और मुस्कराया मैं ऄके ली , ईदास खडी थी तब तुम मेरे करीब अकर ऄपनी ईयसुकता प्रकि की थी । जब हम एक- दूसरे का हाथ पकड सागर के ककनारे ककनारे िहले थे हमने एक- दूसरे को स्पिा ककया था और यथासंभव सपनों को साकार ककया था याद करो , तब हम के वल ऄन्तहीन बात , और बात करना चाहते थे हम जंगली राह से लम्बी यात्रा के दौरान एक दूसरे को ऄपलक हनहारते थे । गमा धूप बाली कदनों में बृि के िाखाओं के नीचे और जाडे की दोपहर में िू लबारी में िू लों के बीच में मोमबत्ती के प्रकाि में , याद करो हमने क्या कसमें खाइ थीं और चाँदनी भरी गरम मध्य रात में हमने कै से बनभोज का मजा हलया था । एक- दूसरे की देखभाल करते हए हम हृदय से मुग्ध हअ करते थे याद करो , कै से हमने सुन्दर यात्राओं की िुरुअत की थी जब हमारे मधुर अललगन में दुहनयाँ हमें अनन्दमय कदखती थी हम मधुर मुस्कान से ईद्दीप्त हर पल का अनंद ईठाया करते थे । जब तुम ऄययहधक आच्छा हलए मेरी अँखों में हनहारा करते थे जब तुम हमलन की कामना हलए मेरे करीब अ पहंचते थे बरसात में एक ही छतरी के नीचे जब हम एक- दूसरे से सि जाते थे और जब तुम मुझे बाँहों मे Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II कस हलया करते थे मेरा हृदय हपघल जाया करता था ।
Page | 37
मैं जानती हँ कक कै से हम के बल एकान्त पसंद करते थे चाहे कोइ भीडभाडबाला जगह हो वा कायाकि में िोन पर हमारे प्रणय का अनन्दोयसव समय के हर परीिा में खडा ईतरा है जब हम साथ होते हैं हम कभी भी थकान महसूस नहीं करते हम तो के बल ऄच्छा महसूस करते ।
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@ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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38. TOGETHER AGAIN I look at you like a stranger bold, Page | Your eyes speak volumes of melodies old, When as friends entwined in clay we mold, 38 Every moment builds a dream of pure gold. Memories flash of dancing steps on sands, Beauties of nights spent in each others forms, When did our paths divulged in strange lands, We were destined to reunite in foreign storms. Winter wonders at the coldness of lovers, Wrapped in warmth waits for perfect servers, To reconnect hearts burning for each other, Discovering the same path to walk on further. How in foggy weathers distant alone, Their hearts would constantly moan, The power of love is definitely sublime, Moment of perfection met in the climb. Differences dissolve in forlorn existence, Nature rejuvenates in divine intervention, When estranged lovers meet in forgiveness, Heaven rejoices in reunion with reverence. Ocean of feelings flowing in indulgence, Hope restored in blissful celebration, Celestial stars smile in white solutions, Marriage is on the cards of lovely togetherness. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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38. Together Again (पुनर्ममलन) Page | 39
मैं तुम्हें एक साहसी ऄजनबी के तरह देखता हँ तुम्हारी अँखो में ऄनहगनत पुराने धुन बजते हैं हम तो सने हए हमट्टी की तरह घुल- हमल गए हैं हमारा प्रययेक पल िुद्ध सोने का सपना बनाता है । बालुका- राहि पर नाचते कदमों की स्मृहतयाँ चमक ईठती हैं हबहभन्न तरीकों से हबताए गए सौन्दया भरी रातों का क्या कहना ? हमारे रास्ते ऄजनबी जगहों पर रहस्यमय ढंग से हभन्न हो गुजरते थे पर हमें ऄनजाने तूिान , भाग्य से पुनर्ममलन करबा देते थे । जाडे मे रठठु रते प्रेहमयों पर जाडे का ककहित प्रभाव नहीं पडता , अश्चया दो तडपते कदलों को एकाकार करने में गरम कपडे में अवेहष्टत होना ईपयुि लगता किर वही पुराने रास्ते पकड अगे बढने के हलए। कै से धुन्ध भरा मौसम में हम दूर दूर रह , ऄके ले हो जाते थे और हमारे हृदय िन्दन करते थे प्यार की िहि सचमुच ऄपूवा होती जब हमारे अनन्द के पल िीषा पर होते । एकान्त की हस्थहत में ऄसमझदारी समाप्त हो जाता दैहवक , ऄनुकूल हस्तिेप से प्रकृ हत अनन्दोयसव मनाता जब ऄलग- थलग हए प्रेमी मािी की मुरा में सस्नेह हमलते होते पुनर्ममलन हए प्रेहमयों के हलए स्वगा भी अनन्दोयसव मनाता । ऄनुभूहत की लहरें अनन्दोयसव मनाते बहते सुखद अनन्दोयसव से अिा की िमा बंधती स्वगा के तारे अिाप्रद समाधान संग मुस्काते प्रेमपोहषत साथ, िादी का हनमंत्रण पत्र ले अता । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II
39. LOVE IN MOONLIT NIGHT There is a glow in the sky on moonlit night, Page | As we walk gazing in each others eyes, 40 Angelic stars stare winking at the sight, In this dream world, enchanted time just flies. Alluring waves of love restless on shores, Blushing fragrance on pink cheeks hide, Like runaway lovers we sleep on ocean floors, Silent plea speaks loud in currents wild. Let's explore each other in myriad measures, Just being with each other is absolute pleasure, Our fantasies of moonstruck are cherished treasures, Moments of happiness are delighted leisure. Life without border and boundaries is true freedom, Our spirits find heaven in each other's kingdom. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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39. Love in Moonlit Night ( चाँदनी रात का प्रेम) Page | 41
चाँदनी रात मे एक खास चमक हलए सारा असमान ईद्दीप्त है जब हम एक- दूसरे के अँखों में अँखें डाल िहलते हैं देवदूत- से तारे हमारे तरि नज़र कर रहे हैं हनरन्तर और आस सपने- सा संसार में समय भी मुग्ध भाग रहा है । समुर ति पर प्रेम की लुभावनी लहरें बेचैन कर रही हैं हमें गुलाबी गालों पर सुगंधमय लज्जा छु पा हअ है घर से भागे प्रेहमयों जैसे हम समुर ति पर सो रहे हैं मौन ऄनुरोध गरजता हअ िोर में श्वर हमला रहा है हनरन्तर। हम एक- दूसरे में बृहद पररमाण में, एक- दूसरे को ढू ंढे मात्र हमारा एक साथ होना ही परमानन्द का सूचक है ज्योयसना के जादू से पीहडत हमारी कल्पनाएं हमारे आहच्छत धन हैं हमारे ऄवकाि के समय ऄनुपम अनन्द के पल से पररपूणा हैं। सीमा और सीमा- रे खाओं के हबना का जीवन ही ऄसली स्वतंत्रता है तभी हमारा ईयसाह एक- दूसरे के साम्राज्य में स्वर्मगक अनन्द पाता है । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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40. I REMEMBER I remember warmth of morning sunshine, Page | As dawn felt it's presence in our bedroom , On our sleeping bodies softly intertwined, 42 As we entangled and awakened in bloom, Now left alone in darkness largely doomed. I remember our long walks together, Hand in hand every track I gather, Looking backwards I let all scatter, Now in isolation steps don't matter, All seasons bring damp cold weather . Evening with you were rippling waves, All ebbs and flows were absolutely safe, All desires fulfilled nothing to crave, Stars sparkled bright in our cute cave, Now dreary is the dusk in new enclave. The moon kept moving in smiles with us, We went uphill or down without a fuss, Our love was a fantasy without any lust, Now I keep slipping in abyss without trust, But life embraces me so I have to live first. I remember now that you are history, Now not merely exist but living is a priority, Lumbering around as a shadow is insanity, Life is precious of divine soul identity, Love is not an emotion but an immortal entity. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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40. Page | 43
I remember (मुझे याद है ) मुझे सूयोदयकाल का सुनहला , लाल- पीला ईजाला याद है जब हमारे बेडरूम में सबेरा ईद्भाहषत हो मुस्कु रा ईठता था हमारे िरीर एक- दूसरे में ईलझे सुषुप्तावस्धा में ही होते थे तब हम ऄलग- ऄलग हो मुस्कु राहि में जाग जाते थे पर ऄब , ऄजस्त्र ऄंधकार से हघरी हबल्कु ल ऄके ली ऄके ली हँ। मुझे याद है हम साथ- साथ िहलते बहत दूर चले जाया करते थे मुझे वे हर रास्ते याद हैं जब हम हाथ मे हाथ हलए गुजर जाते थे बीते हए लम्हों को याद करते हए ऄब ईन्हें हबखर जाने देना चाहता हँ ऄब वे कदम, हनजान में , हनरथाक हबल्कु ल ऄथाहीन- से लगते ऄब सारे के सारे ऊतु , के बल सदा, हनष्ठु र मौसम का अभास कराते । सांझ के साये में तुम्हारे साथ हबताए गए पल संगीतमय लहर जैसे होते थे सब के सब ज्वार- भािाएं हबल्कु ल सुरहित और ऄनुकूल से लगते थे कु छ नहीं बांकी रहता , सारी की सारी आच्छाएं पररपूररत हो जाती थीं हमारी सुन्दर गुिानुमा घर में जैसे हसतारे चमक जाया करते थे पर ऄब आस नए भव्य अलीिान में भी िाम ईदास रुअँसा- सी लगती है। चांद , जहां कहीं भी , हमारे साथ मुस्कु राता चलता रहता था हम , हबना ककसी झंझि और िोध, पहाड चढते और ईतरते थे हबना वासना का , हमारा प्रेम ऄहवश्वसनीय रूप से काल्पहनक था पर, ऄब लगता है , मैं ककसी गहरी खाइ में धंसता जा रहा हँ । पर, आस सबके बावजूद , Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II जीवन जीना तो पहली प्राथहमकता होती है ।
Page | 44
मैं समझती हं कक ऄब तुम मेरे हलए मात्र एक आहतहास भर हो ऄब के वल ऄहस्तयव नहीं , जीवन जीना मेरी पहली प्राथहमकता है एक छाया के पीछे भागना और भिकना तो पागलपन ही है न ? दैहवक- अहयमक - पररचय के हहसाब से जीवन तो बहत ऄमूल्य है प्रेम के वल एक भावना नहीं , ऄमर , स्वतन्त्र ऄहस्तयव जो है । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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41. NO TURNING BACK We have promised to hold each other till death do us part , Page | There is no turning back for there is no regression path, All turbulent waves have surrendered in the past, 45 Walking together with grit the future will blast, We were made for each other our love will forever last. My dawn begins with warmth of your cheek against mine, Your breath is the music of my life in rhymes, Every moment spent with you is a signature of time, All aspirations are fulfilled as long as you are mine, You are my destiny of endless dreams divine. The years that we embraced all struggles in anticipation, Prayers and blessings we received for future generation, A lot we have gambled for our loving restoration, Nothing can stop us from marching in jubilation, Sunsets we will relish on shores of celebration. We have come very far from darkness to light, All adversity of life with strength we did fight, Now losing hope in each other doesn't feel right, Trials and tribulations are tests of our might, We will overcome all oppositions in sheer delight. We will survive our ordeals in unbroken unity , Gray hairs of experience explains our serenity, Love is caring for others in extremity, We have mellowed together with unique creativity, Nothing can break our bond of sweet affinity. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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41. No Turning Back ( मुडकर ना देखो) Page | 46
जब तक हमें मृययु जुदा नहीं करे हमने एक- दूसरे के साथ बंधे रहने की कसम खायी है हमें पीछे मुडकर देखना नहीं क्योंकक पीछे जाने का कोइ रास्ता ही नहीं है हजतने भी ईग्र , ऄिांत लहरें थीं वे ऄब सम्पूणा समपाण कर िान्त हो चुके हैं ऄगर हम एक होकर चलते रहे तो भहवष्य भी िू ि- िू ि कर , हमारा रास्ता छोड देंगे क्योंकक हम एक- दूसरे के हलए जो हनर्ममत हैं हमारा प्रेम सदा- सदा के हलए हजन्दा रहेगा । तुम्हारे और मेरे गालों के गरम - नरम स्पिा के साथ मेरा सुबह प्रारम्भ होता है तुम्हारी सांसे मेरे जीवन- संगीत हैं जो समान ध्वहन के साथ , तुकबन्दी में बजते रहते हैं तुम्हारे साथ हबताया गया एक एक पल समय के कागज पर एक एक हस्तािर है जब तक तुम मेरे हो हमारी हर अकांिा पूरी होती रहेगी तुम मेरे ऄनन्त स्वर्मगक सपनों के भाग्यहवधाता हो । हमने अिा- प्रययािा के संघषा में ककतने - ककतने बषा हबता हलए हमने भहवष्य के जीवन के हलए ककतनी प्राथानाएं की , ककतने अिीष प्राप्त ककए हमने प्रेम को यथावत कायम रखने के हलए ककतने - ककतने जुए खेले ऄब हमें अनन्दपूवाक अगे बढने से कोइ , और कु छ भी नहीं रोक सकता ऄब हम सान्ध्य के प्रकाि में अनन्दोयसव का मजा लेंगे । हमने ऄंधकार से प्रकाि तक की बहत लम्बी यात्रा तय की है जीवन के सारे कष्टों से हमने िहि के साथ संघषा ककया है ऄब एक- दूसरे में हवश्वास खोना कतइ ऄच्छी बात नहीं हबहभन्न तरह के कष्टदायक जांच हमारी िहि की अजमाआि थी Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II हमलोग सारे प्रहतरोधों पर अनन्दपूबाक हवजय प्राप्त करें गे ।
Page | 47
हम सभी जांचों से ऄपूवा एकता द्वारा बाहर हनकल जाएंगे लम्बे ऄनुभव से पके हमारे बाल हमारे िांहतभाव और हनष्ठा के प्रतीक हैं ऄसल प्रेम तो , ऄययन्त दुरावस्था में लोगों को सहयोग करने में है हम लोगों ने हबल्कु ल िांहतपूवाक, सद्भाव से और सकियतापूबाक ऄपनी यात्रा तय की है हमारे सुन्दर, स्नेहपूणा और मधुर सम्बन्ध को कोइ भी िहि नहीं तोड सकता । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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42 .THE WEDDING INVITATION I am here on your wedding breathing hard, It is the last nail in the coffin tearing me apart, Page | Although I had a choice not to attend as a coward, 48 But I gathered my courage to see you move forward. I am glad I came to bid you farewell forever, My heart also needed a definite closure, Waiting for you everyday was a torture, Now it's final we can never be together. I know my tears are falling watching you go, You are so lovely in your white gown you glow, As you walk the aisle smiling in motion slow, I am sad as you smile at me in your flow. I am grateful for the time we spend in love, You were like a sweet angel from above, You deserve to be happy and I wish you all happiness, You will always be my first love of sheer madness. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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42. Page | 49
The Wedding Invitation ( िादी का हनमंत्रण) मैं तुम्हारी िादी में तो अयी हँ पर सांस लेना बहत करठन हो रहा है लगता है मुझे ताबूत में रख ऄहन्तम कांिी ठोककर सदा - सदा के हलए ऄलग ककया जा रहा है यद्यहप मेरे पास हबकल्प तो था मैं कायर की तरह, नहीं भी अ सकती थी पर मैं ने साहस बिोरकर तुम्हारे रस्म हनभाने के तरीकों को देखने अ गयी । मैं खुि हँ , मैं तुझे सदा - सदा के हलए हबदाइ करने अ गयी मेरे हृदय के हलए एक हनहश्चत समापन जरूरी था प्रहतकदन तुम्हारे हलए प्रतीिारत रहना एक कष्टदायक ईयपीडन जैसा था ऄब तय है कक ऄब हम कभी नहीं हमल सकते , कभी भी नहीं । तुझे जाते देखकर, प्रययित: मेरे अंसू थम नहीं रहे हैं तुम ईजले गाईन में , कदब्य रूप में सजे बेहद सुन्दर लग रहे हो तुम मध्यबीहथ में , मुस्कु राते हए, मन्द गहत में चलते हए वाकइ सुन्दर लग रहे हो पर मैं बहत ईदास महसूस करती जब तुम ऄपने गहत में चलते हए मेरे तरि देख मुस्कु राए जाते हो । मैं , हमारे प्रेम में हबताए गए समय के हलए कृ तज्ञता व्यि करना चाहती हँ तुम तो असमान से ईतरकर अए एक देवदूत की तरह जो थे तुम खुिी के हकदार हो और मैं तुम्हारी हर खुिी की कामना करती हँ तुम तो मेरा पहला प्यार का महज पागलपन रहोगे ही । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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43. LOVE IS A MYSTERY I wish I had met you when I was young and wild Passionate and falling in love all the time Page | Now I have silver in my hair and heart mild 50 As you have created a poem in me to rhyme. My garden is full with blossoms old No space to plant more memories of gold Fragrance compels me to hide in your fold Embrace you and reserve you in my hold. Where were you in the Spring of my years? You tempt me to recreate romantic fears Your freshness is too close and very near Let me pretend to be young for you, dear. We can have music and dance tonight A table laid of exotic food in candle light A mature lover is a pure delight Give me a chance to live without a fight. Let me live my fantasy in your prime There are unforeseen desires this time The sleeping lover is awakened by you A fortune to follow my dreams through. There will be no trial and error any more My heart has opened its front door I thought love was part of my history You can rewrite another love mystery. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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43. Love is a mystery ( प्रेम तो रहस्यमय होता ) Page | 51
मैं चाहती हँ , तुम मुझे तब हमले होते जब मैं जबां और दीवानी थी हर समय आच्छु क और प्रेम में पागल- सी ऄब तो मेरे बाल ईजले- से हो रहे और हृदय भी िांत सागर- सा किर भी तुम्हें देखकर मेरे मन में कहवता के छन्द ईठ रहे हैं । मेरे बगीचे मे पुराने िू लों का भरमार है पुराने सुनहले स्मृहत- िू लों को रोपने के हलए ऄब कोइ जगह बांकी नहीं तुम्हारा सुपररहचत सुगंध मुझे तुम्हारे ऄन्तस्तल के कोने में छु प जाने को बाध्य करता है मैं तुझे अललगन में समेिकर सुरहित जकड लेना चाहती हँ । तुम मेरे बसन्त ॠतु में कहां थे ? तुम मुझे मेरे रूमानी भय को किर से जाग्रत करने को लालाहयत करते हो तुम्हारा तरोताजापन मेरे हबल्कु ल करीब सि अया हो जैसे ओ हप्रयवर! ऄब मुझे तेरे हलए जबां बनने का स्वांग रचने दो । अज रात हम गीत और नृयय में भूल जांय मोमबत्ती के मद्धम प्रकाि में िेबुल पर हबदेिी खाना सजा हो ऄनुभवी , पररपक्व प्रेमी ऄजूबा अनन्द देता है मुझे हबना हहचक्क जीने का मौका दो । मुझे , तुम्हारी युवयव की कल्पना में खो जाने दो ऄभी मेरी ऄनेक ऄनदेखी आच्छाएं जाग्रत हैं मेरे सोए हए प्रेम को तुमने जगा कदया है मेरे ख्वाहहिों को पूरे होने का भाग्य जगा है । ऄब परीिण और गलती करने का सवाल कहां ? मेरा कदल सामने का दरबाजा खोल कदया है मैं सोचती थी प्रेम आहतहास का हहस्सा बन गया ऄबकी बार प्रेम के रहस्य का पुनलेखन तुम्हें करना है । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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44. YOU ARE NOT FORGOTTEN Every time night falls and the moon peeps, And you shine as a star as I take a leap, Page | I can hear the strong winds as they weep, 52 My tears search for your face for safe keeping. You are not forgotten however much I try, Seasons come and go as years pass by, I know you are somewhere up there, Waiting patiently with a watchful stare. I keep searching for your hands touch, Everytime the branches of the tree lurch, A soft breeze confuses me for a while, I can hear someone jumping the stile. In my inconsolable solitary moments, I can hear you in my heartbeat torments, You are worth remembering through pain, Your memory of love has never been vain. You are the beautiful moon of my dark night The hope of love through the moonlight Stairway to heaven on fragrant petals slight My soul is always ready to take its flight. I will never stop loving you till I die I can never give up or say goodbye In my heart and soul you live eternally I shall follow you like a shadow happily. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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44. You are not forgotten ( तुम्हें भुलाया नहीं जाता ) Page | 53
जब भी रात होती है और चांद झांकता है मैं बाहर कू द हनकलती हँ , और, तुम तारे की तरह चमक ईठते हो मैं जोडों से बहती हवाओं में जैसे ककसी की रोने की अवाज सुनती हँ मेरे अंसू तुम्हारे सुरिा की कामना करते हैं । मैं ककतना भी कोहिि करूं तुम्हें भुलाया नहीं जाता बरस हबतते और मौसम बदलते जाते मैं जानती हँ कक तुम कहीं ईपर , बहत ईपर हवद्यमान हो मैं धैयापूवाक प्रतीिा करती पैनी हनगाहों से देखती रहती हँ । मैं तुम्हारे हाथों के स्पिा को लालाहयत हो खोजती रहती हँ जब कभी भी बृि की िाखाएं अगे की ओर झुकती रहती हैं एक मुलायम पवन का झकोरा एक पल के हलए हद्वहवधा में डाल देता है मुझे लगता है कोइ सीकढयों से कु दा अ रहा हो ।
मेरे एकान्त के सान्यवना के िणों में मेरे कदल के वेगवान धडकनों में मैं तुम्हें सुनती रहती हँ ददा में भी तुम्हारी स्मृहत सुकून दे जाता है तुम्हारी स्नेहहल- स्मृहत कभी भी साथाक ही लगता है ।
तुम मेरी ऄंधेरी रात के चांद हो और चांदनी रात के प्रेम- ककरण हो सुगंहधत िू लों के पंखुहडयों पर बसा स्वगा के सोपान हो मेरी अयमा वहीं पर ईडान भरने को सदा- सवादा तैयार है ।
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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Page | 54
मैं जब तक हजन्दा हँ तुम्हें प्यार करना नहीं छोडूगीं मैं न तो छोड सकती , न हबदाइ कर सकती तुम मेरे हृदय और अयमा में सदा के हलए हवराजमान रहोगे मैं छाया की तरह तुम्हारा पीछा करती रहँगी। @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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45. THE GAME OF LOVE It is not about you but my own view Page | I have loved you enough it's now due I want your response to my vows renew 55 Nothing less than complete surrender of you. I am jealous that you are happy without me You smile often and laugh more I see Your friends meet me and often tease That you are totally reckless and free. I keep turning back to see if you care After you left me I am dark in despair I cannot tell white lies to reciprocate If I tell the truth you will suffocate. We have played the game long enough Screaming at each other in disgust I have tried long enough to be tough But now I want to apologise first. We kept fighting on petty matters Loving relation like glass did shatter Cracks were visible long before Pieces of love scattered on the floor. You left in tears and closed the door I tried to be calm with a bleeding sore For after you left I can love no more I am bitterly alone waiting on the shore. @copyright,Jyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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45. The Game of Love ( प्यार में खेल ) Page | 56
यह तुम्हारा नहीं , मेरा दृहष्टकोण है मैं ने तुम्हें बेहद प्यार ककया है ऄब तुम्हें बांकी चुकाना चाहहए तुमने जो कसमें खायी थी ईन्हें नये हिरे से ब्यबहार में लाओ तुम्हें सम्पूणा समपाण करके कदखाना चाहहए । मुझे इष्याा हो रही है कक तुम मेरे हबना भी खुि हो तुम ऄक्सर मुस्कु राते हो और हंसते तो कु छ ज्यादा ही हो तुम्हारे हमत्रलोग मुझे हमलते हैं और ऄक्सर हखझाते रहते हैं तुम हबल्कु ल ऄसावधान और गैर - हजम्मेवार हो । मैं तुम्हें मुड - मुडकर देखता रहता हं तुम्हें मेरी कोइ हचन्ता भी है ? तुम जब से मुझे छोड गए मैं नैराश्यपूणा ऄंधरे े में भिक रही हँ मैं समान भाव अदान- प्रदान हो आसके हलए सिे द झूठ बोलने के पि में नहीं ऄगर मैं सच बोल दूं तो तुम सह न पाओगे ।
ऄब हम बहत खेल खेल चुके हम एक - दूसरे पर घृणा भाव से गरजते रहे मुझे भी िू र तरीके ऄपनाने पडे पर ऄब मैं पहले ही , अगे अकर मािी माँगना चाहती हँ। हम छोिी - छोिी बातों पर झगडते रहे हमारा प्रेम- सम्बन्ध िीिे की तरह िू िते- िू िते रहे दरार तो बहत पहले से ही कदख रहे थे प्रेम िु कडों में हबभि ििा पर हबखरे पडे थे ।
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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तुम ने मुझे अंसुओं में भी देखकर दरवाजा बंद कर हलए मैं सख्त जख्म में पीहडत होते हए भी िाहन्त और सम्झौता चाहती थी क्योंकक जब से तुम मुझे छोड गए ऄब मैं ककसी से प्यार नहीं कर सकती मैं , समुर ति पर, प्रतीिारत बहत बहत हनराि और ऄके ली हँ। @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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46. WHEN YOU WALK AWAY I have tried so hard to breathe deeply Page | Air suffocates my lungs painstakingly A storm lurks in my throat dangerously 58 My heart starts beating erratically. When you are not anywhere around Dark clouds over my head surround I am addicted to feel your sound You have totally ruined me I found. I just want peace and happy times I want to stop being your dimes Your dreams are my stars of the night I would empty the sky for your light. You break my heart everyday You destroy my soul when you say Love puts too much pressure to stay Your spirit is free when you walk away. Red roses you gave silently weep Fragrance of dying breath sleeps Dried petals is of beauty bereft On frozen times its cruelty settles. @copyright,Jyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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46. When you walk away ( जब तुम छोड जाते हो ) Page | 59
मैं ने गहरी सांस लेने के हलए बहत कोहिि की है मेरा दम घुिता रहता है मेरे गले मे जैसे कोइ अंधी- तूिान खतरनाक रूप में ऄिक गया हो मेरा कदल ऄहनहश्चत ढंग से धडकना िुरू कर देता है । जब तुम असपास नहीं होते हो मेरे सर के ईपर काले बादल मडराना िुरू कर देते हैं मुझे हमेिा तुम्हारी अबाज अने की सी ऄनुभूहत होती रहती है मैं देख रही हँ तुम ने मुझे पूरी तरह से बबााद कर कदया है ।
मैं के वल िाहन्त और खुिी चाहती मुझे रुपए- पैसे की जरूरत नहीं तुम्हारे जो सपने अते हैं वे मेरे रात के तारे हैं तुम्हारी रोिनी के खाहतर मैं असमान खाली करा दूंगी । तुम प्रहतकदन मेरा कदल तोडते हो जब तुम कहते हो प्रेम के कारण बहत दबाब रहता है तुम मेरी अयमा को हवनष्ट कर देते हो जब तुम दूर चले जाते हो तुम्हारा ईयसाह बढ जाता है । तुम्हारे कदए हए गुलाब चुपचाप रोते हैं ऄहन्तम सांस का सुगंध हवनष्ट हो जाता है सुखी हइ पंखुररयां सौन्दया हवनष्ट कर देते और िू र समय गहरा ददा दे जाता है । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II
47. UNBROKEN CONTINUITY You are always in my mind when you are out of sight Page | So don't weep when I die, I am a star at night Dawn shall descend with my sunshine bright 60 Look at the homecoming birds at twilight . Death is nothing but another step in eternity I shall visit in your dreams smiling in serenity Wear no sorrow or forced air of solemnity There is absolute and unbroken continuity. Nothing has happened I have migrated to another country I shall be waiting for you in all sincerity We shall remain the same in our affinity I will always be there in spirit hovering in proximity. Death does not count at all in my heart Nothing can take away what we have forever Everything will begin with a new start And we will always laugh at little memories together. What is death but a mortal accident? We were born to change our garments often Call me by my familiar name when spoken I shall be in the household chores unforgettable. Life shall remain as it was ever meant Whatever we meant to each other shall remain It is a temporary parting of lovers untouched We shall continue unchanged when we meet again. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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47. Unbroken Continuity ( ऄहवहच्छन्न हनरन्तरता ) Page | 61
जब कभी भी तुम दृहष्ट के बाहर होते हो तुम सदा मेरे मन- महस्तष्क मे होते हो इसीहलए, जब मैं मर जांउं , तुम मत रोना मैं रात का तारा जो हँ सुबह का सवेरा मेरे चमकते सूयोदय के साथ होगा सान्ध्यकाल में घर- लौिते पहियों को तो देखो ।
मृययु कु छ भी नहीं , बहल्क स्थाहययव का एक चरण है मैं , तुम्हें सपनों में , िान्त रूप में मुस्कु राता हअ पाउँगी दुःखी मत कदखना , ना तो प्रायोहजत सौम्य ही वहाँ पूणा , ऄहवहच्छन्न हनरन्तरता है । कु छ नहीं हअ है मैं ककसी ऄन्य देि में प्रवासी हँ मैं पूणा हवश्वास के साथ तुम्हारी प्रतीिा करती रहंगी हम ईतना ही नजदीक बने रहेंगे मैं अयमा के रूप में तुम्हारे असपास मडराती रहंगी । मेरे हृदय में मृययु का कोइ मायने नहीं सदा- सदा से सुरहित हमारे संचीहत को कोइ भी ऄपहरण नहीं कर सकता हर अयाम नये हसरे से िुरू होगा और हम छोिे- छोिे स्मृहतयों को याद कर एक साथ हंसा करें गे । मृययु क्या है ? बस एक मारायमक/ जानलेवा दुघािना मात्र हम ऄपने पुराने कपडों को बदलने को जन्म लेते हैं जब बुलाने की जरूरत हो तो मेरा पररहचत नाम लेकर मुझे बुलाओ मैं तुम्हारे घर के कामों में हनहश्चत जुि जाउंगी । जीवन जैसा चलता था न ठीक ईसी रूप में कायम रहेगा Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
THE SILK ROAD LITERATURE SERIES. MELODY OF LOVE II हम एक- दूजे के हलए जो मायने रखते थे वो ईसी रूप में कायम रहेगा यह तो बस दो प्रेहमयों का एक ऄसम्पृि जुदाइ भर रहेगा Page | 62
जब हम किर हमलेंगे न हमारे हमलने का िम ऄपररवतानीय रहेगा ।
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@ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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48. UNREQUITED LOVE I don't want be celebrated as lovelorn soul Page | It is crippling me to own you whole My obsession for you was my goal 63 The rejection of me has taken a toll. My emotional vacuum has to be filled Wounds you have given me has to be healed The unrequited love needs to be sealed I will leave a space for someone else to deal with. My grief shall subside in due course of time I shall find an outlet to vent my frustration Feelings of pain shall disappear in rhyme I am not to be blamed in any situation. Let's respect our feelings and emotions Let's not be victim of circumstances If love is missing in any relationship There is no need for any forbearance. It has been a severe blow to my self esteem I fell in the trap of self loathing suppression I have given up the chase your love to redeem I have self confidence in self compassion. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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48. Unrequited Love ( ऄस्वीकृ त प्रेम ) Page | 64
मैं प्रेम- ब्यहथत अयमा के रूप में पररहचहत नहीं बनाना चाहती तुम्हें पूणा रूप में स्वीकार करना मेरे हलए बहत दुःखद है के बल तुम , और तुम्हारी चाह ही मेरे जीवन का ईद्देश्य था तुम्हारा ऄस्वीकार मुझे मरणासन्न कर कदया है । मेरी भाविून्यता भरने की जरूरत है तुम्हारे कदए गए घाव भरने की जरूरत है ऄस्वीकृ त प्रेम - जन्य कष्ट भूलने होंगे ऄब िून्य भरने को कोइ और चाहहए। समय के साथ- साथ दु: ख तो कम होगा हनरािा समाहप्त के हलए कोइ न कोइ रास्ता हनकलेगा ही दु: ख के ऄनुभूहत ककसी गीत में खो जाएंगे ककसी भी हस्थहत में मुझे लाहछछत नहीं ककया जा सकता । हम एक - दूसरे के भावों का सम्मान करें हम पररहस्थहतयों का दास न बनें ककसी तरह के सम्बन्ध में ऄगर प्रेम ना हो तब सहते रहने का कोइ तुक नहीं । मेरे अयमसम्मान में बहत ठे स पँहचा है मैं अयम- घृणा जन्य तनाव में डू बी हइ हँ ऄब मैं तेरे पीछे पड प्रेम ईयथान के पि में नहीं ऄब मुझे अयम- सान्यवना में अयमहवश्वास है । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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49. UNTOUCHED Some pages of our story is still untouched Page | Everything beautiful remains preserved 65 Wonder of your eyes in love reflected The smell of your hair is still inscribed. I could never find words to describe Of promises graced on your lips vibes The silent expression of your dreams Like raindrops on leaves of trees. The way you wrote on sands of time Castles erected on your soul and mine Your head resting on my lap as you doze The longing of night but one day froze. Unforgettable touch still feels great Sometimes in love and some in hate Those moments I treasure as my fate I left it untouched in a den to wait. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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49. Untouched ( ऄछू ते ) Page | 66
हमारी कहानी के कु छ पन्ने ऄभी भी ऄछू ते हैं जो कु छ भी सुन्दर थे वे ऄभी तक सुरहित हैं तुम्हारी अँखों की करामात प्रेम मे प्रदर्मित होती थी तुम्हारी बालों की खुश्बू ऄभी भी ऄहमि है । बणान करने के हलए मुझे कभी भी ईपयुि िब्द नहीं हमले ककए गए वायदे तुम्हारे होठों पर प्रकहम्पत होते थे तुम्हारे सपनों की मौन ऄहभव्यहि बृिों के पतों पर हगरे बाररि की बूंदों जैसे होते । समय के साथ प्रवाहहत बालुकाराहि पर तुम ने जो जैसे हलखे वे हमारी अयमाओं पर ककलाओं की तरह ऄहडग थे तुम्हारा सर , ईनींदी- सी हालात में मेरी गोद में होता था पर , एक कदन, रात का सपना िू ि गया । ऄहवस्मरणीय स्पिा ऄभी भी सुन्दर एहसास दे जाता है कभी प्रेम में और कभी घृणा में ककए गए ईन स्पिों को मैं ऄपना भाग्य समझ हतजोरी मैं ऄमानत रखी हँ वे , ऄछू ते , गुिा में कै द हैं । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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50. INFATUATION Page | On train while rushing to work, 67 While returning home as I sulk, I had seen him twice or thrice, Formally dressed looking nice. I dreamt how it would be by his side, We will look good together full of pride, He looked kind with serious eyes, He stepped out, looked back and smiled. I determined to meet him on a date, I imagined of how passionately we mate, In the cafe we met he was quite late, Walking towards me I dreaded my fate. When he came close I held his hand, His conversation was of a different land, Longing for my dream to be fulfilled, He was nothing like I had dreamed. The ups and downs of love is fear , Spark gets diminished as we get near, Stimulation is fanned by fantasy fair, Forbidden challenge a devil to dare. Infatuation that we feel is short -lived, When we come close our dreams win, In real contact expectations get torn, The distance creates a magic of its own. @copyrightJyotirmaya Thakur.
Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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50. Page | 68
Infatuation ( प्रेमोन्माद) ट्रेन में , जब मैं काम पर जाने के हलए जल्दबाजी हालत में होती थी किर लौिते समय जब मैं थकी , कु ढती होती थी मैं ने ईसे दो या तीन बार देखा था औपचाररक पोिाक में सुन्दर कदख जाता था । मैं सोचती थी , काि ! मैं ईसके बगल में होती हम एक साथ गबोन्नत कदखते वो गम्भीर नजरबाला दयालु कदखता था वो बाहर हनकलता , पीछे मुडता और मुस्कु रा देता था । मैं ने एक कदन हमलने का हनश्चय ककया मैं कल्पना ककया करती थी ककस अवेि के साथ, कै से हमलूंगी हम एक कै िे मे हमले तो पर वह बहत लेि अया था जब मेरे तरि अ रहा था मैं ऄपने भाग्य पर सिंककत हो रही थी । जब वह नजदीक अया मैं ने ईसकी हाथ पकड ली ईसके बातचीत के लहजे से वह िरक देि- पररवेि का लगा मैं ऄपना सपना पूरा करना चाह रही थी पर वह मेरे सपने का राजकु मार ना हनकला । प्रेम के ईतार- चढाव भययुि होते जब हम करीब होते , ईत्ताप कम होता जाता सुन्दर कल्पना ईत्तेजना को बढाती है ऄस्वीकृ त चुनौती ऄसह्य हो जाता है । प्रेमोन्माद की ऄनुभूहत िहणक होती जब हम नजदीक होते , हमारे सपने सजते हैं वास्तहवक सम्पका से ईम्मीदें िू ि जातीं हैं दूरी में ऄपने ही ककस्म का जादू होता है । @ मूल सृजन- ज्योहतमाय ठाकु र # भावानुवाद - - ऄयोध्यानाथ चौधरी Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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Author: JyotirmayaThakur. हहन्दी ऄनुवाद: ऄयोध्यानाथ चौधरी
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