Casa Asia y la República de la India

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कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

1. कासा एशिया कासा एशिया (एशिया भवन) विदे श मं त ् र ालय, कातालु न ् य ा सरकार, बार् स े ल ोना नगर परिषद व फरवरी 2006 से माद् र िद नगर परिषद द् व ारा बनाया गया एक सार् व जनिक सं क ाय है । यह सं स ् थ ा बार् स े ल ोना मे ं 9 नवं ब र, 2001 मे ं स् थ ापित की गई व “एशिया-पै स िफिको प् ल ान मार् क ो 20002002” (“एशिया-पै स िफिक 2000-2002 रू प रे ख ा योजना”) के ध् य े य ढां च े व एशिया के प् र ति यू र ोपीय सं घ की कू ट नीति का भाग है । यह योजना उस राजकीय नीति की नीं व रखती है जो इस क् ष े त ् र मे ं स् प े न की उपस् थ िति को दृ ढ़ करने का लक् ष ् य रखती है , क् य ों क ि एशिया व पै स िफिक क् ष े त ् र स् प े न की विदे श ी गतिविधियों के कू ट नीतिक उद् द े श ् य है ं । सं क ाय का मु ख ् य लक् ष ् य है उन कार् य क् र मों व गतिविधियों का सं च ालन करना जो स् प े न व एशियन व पै स िफिक दे श ों के मध् य सं स ् थ ात् म क, आर् थ िक, शै क ् ष िक व सां स ् क ृ त िक क् ष े त ् र ों मे ं एक बे ह तर समझ व अधिक सु ल भ सं ब ं ध बनाने मे ं योगदान करे ं । कासा एशिया इस उद् द े श ् य को पू र ा करने के लिये उन परियोजनायों व गतिविधियों को आगे बढ़ाने व सं च ालन करने का एक निमित् त है जो व् य वसायिक, विश् व विद् य ालय व नागरीय समाज के सं स ारों को साथ मे ं शामिल करते हु य े इसे इस लक् ष ् य को पू र ् ण करने का अवसर दे त े है ं । दिलीप लाहिड़ी

स् प े न मे ं भारत के पू र ् व राजदू त

“एशिया मे ं स् प े न की लोकछवि ऐतिहासिक कारणों से महत् त ् व पू र ् ण नहीं रही है , अन् य बातों के साथ-साथ तोर् द े स िल् य ास समझौते के कारण भी। स् प े न ी आर् थ िक चमत् क ार व इस दे श की बढ़ती हु ई अं त र-राष् ट ् र ीत उपस् थ िति के चलते स् प े न का एशिया, जहाँ सं स ार की तीन सबसे विशाल अर् थ व् य वस् थ ाये ं स् थ ित है ं , के साथ पारस् प रिक सं ब ं ध स् त र ऊं च ा करने की स् प ष् ट आवश् य कता है । कासा एशिया ने इस दिशा मे ं उत् क ृ ष ् ट कार् य की शु र ु आ त की है अपने प् र थम गतिशील निर् द े श क, श् र ी योन दे ला रिवा के ने त ृ त ् व मे ं , जो अब भारत मे ं स् प े न ी राजदू त के पद पर कार् य रत है ं । कासा एशिया की स् थ ापना बिल् क ु ल समयानु स ार थी, और इसके लक् ष ् य को पू र ् ण सहयोग मिलना चाहिये । ”

16 जू न 2003 को कासा एशिया ने बार् स े ल ोना मे ं बारो दे क् य ाद् र ा महल मे ं अपना मु ख ् य कार् य ालय खोला, व उस कार् य क् र म मे ं आस् त ु र ियास के महामहिम राजकु म ार ने अध् य क् ष ता की थी। 20 जू न 2007 से कासा एशिया का स् प े न ी राजधानी मे ं अपना स् थ ान है , कासा एशिया- माद् र िद के ं द ् र के रू प मे ं , जो मीराफ् ल ोरे स महल मे ं स् थ ित है ।

कासा एशिया एक वर् ष भारत को समर् प ित

करता है

स् प े न व भारतीय गणराज् य के बीच सं ब ं ध प् र गाढ़ करने व आपसी परिचय को बढ़ावा दे न े के लिये , एशिया-पै स िफिक कार् य योजना 2005-2008 के मार् ग दर् श न मे ं , कासा एशिया ने वर् ष 2008 को भारत का वर् ष नामां क ित किया है । यह प् र स् त ावना उन सारी प् र स् त ावनायों के अलावा है जो अब तक दोनों दे श ों के बीच रिश् त े मज़बू त करने के लिये की जा चु क ी है ं । सं स ् थ ागत स् त र पर, प् र धानमं त ् र ी खोसे लु ई स रोद् र िगे ज़ ज़ापाते र ो ने वर् ष 2006 मे ं भारत की पिछले 13 साल की प् र थम सरकारी यात् र ा की, भारत मे ं स् प े न की आर् थ िक, राजनै त िक व सां स ् क ृ त िक उपस् थ िति को बढ़ावा दे न े की आशा ले क र। उनके साथ लगभग पचास स् प े न ी कं प नियाँ भी यात् र ा कर रही थीं , जिन् ह ों न े दू स री अस् स ी भारतीय कं प नियों के साथ नई दिल् ल ी मे ं भारत

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कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

मे ं स् प े न ी निवे श को आगे बढ़ाने के लक् ष ् य लिये बहु त सी द् व ि-पक् ष ीय भे ं ट ों मे ं भाग लिया। इस यात् र ा के भाग के रू प मे ं मु ं ब ई मे ं कासा एशिया ने “भारत मे ं स् प े न : सं स ् क ृ त ि व शिक् ष ा” नामक एक कार् य क् र म भी पे श किया, स् प े न मे ं आयोजित उन गतिविधियों व सां स ् क ृ त िक आयोजनों का प् र चार करने के लिये जिनका सं ब ं ध भारत से होता है । दू स री ओर, भारतीय विदे श राज् य मं त ् र ी श् र ी आनं द शर् म ा ने “भारत-यू र ोपीय सं घ सं ब ं ध ” की गोल मे ज़ भे ं ट मे ं 2006 मे ं भाग लिया, जो कासा एशिया मे ं आयोजित की गई थी। शर् म ा जी ने कासा एशिया द् व ारा स् प े न मे ं एशियाई दे श ों का परिचय बढ़ाने के लिये गये कार् य को विशिष् ट रू प से दर् श ाया, और अपने दे श व यू र ोपीय सं घ के बीच नवीकृ त राजनै त िक, आर् थ िक व सां स ् क ृ त िक रिश् त ों का आह् व ान किया। सु ज ाता मे ह ता भारतीय विदे श राज् य मं त ् र ी आनं द शर् म ा, भारत मे ं अब नियु क ् त स् प े न ी राजदू त योन दे ला रिवा के साथ

स् प े न मे ं भारत की राजदू त

दे श ों के बीच सबसे दृ ढ़ सं ब ं ध सं स ् क ृ त ि का होता है क् य ों क ि यह लोगों को समीप लाती है । स् प े न मे ं कासा एशिया व कासा दे ला इं द िया व भारतीय सां स ् क ृ त िक सं ब ं ध सं स ् थ ा (आइ.सी.सी.आर.) जै स े सां स ् क ृ त िक सं ब ं ध ों को बढ़ावा दे न े वाले सं स ् थ ान महत् त ् व पू र ् ण भू म िकाये ं निभाते है ं । दोनों कासा एशिया व कासा दे ला इं द िया सं स ् थ ान ऐसे मचान है ं जो दो महान सं स ् क ृ त ियों के बीच सं ब ं ध स् थ ापित करने व सं व ाद करने के लिये एक मं च बनाते है ं । भिन् न -भिन् न सार् व जनिक गतिविधियाँ आयोजित करके वे हमारे दो दे श ों मे ं नागरिकों व सं स ् थ ानों को साथ-साथ लाते है ं ।

सां स ् क ृ त िक आदान-प् र दान को बढ़ावा दे न े के लिये , यह योजना भिन् न -भिन् न प् र कार की गतिविधियाँ करने की सोच रखती है , जै स े विषयी प् र दर् श नियाँ , पाठ् य क् र म, सं प ादन, फिल् म प् र दर् श न व गोष् ठ ियाँ जो सारे स् प े न ी क् ष े त ् र मे ं आयोजित की जा चु क ी है ं , ख़ास तौर पर माद् र िद व बार् स े ल ोना मे ं । उदाहरण के लिये , एशिया महोत् स व मे ं , बाकि सां स ् क ृ त िक आयोजनों की तरह (लू प 2008, इमै ज िन इं ड िया उत् स व, इत् य ादि), भारत 2008 वर् ष का मे ह मान दे श रहा है । इसी तरह से अं त र-राष् ट ् र ीय समकालीन कला उत् स व-आर् क ो 2009 मे ं भारत निमं त ् र ित दे श है । स् प े न मे ं भारतीय राजदू त , सु ज ाता मे ह ता। इनके बां य े मे ं कासा एशिया के सामान् य निदे श क, खे स ु स सां ज़

एशिया-पै स िफिक कार् य योजना के अं त र् ग त बढ़ावा दिये गये कार् क ् र मों मे ं सम् म िलित यह बताना भी उचित होगा कि इन् स तितु त ो से र वान् त े स भारत मे ं अपनी उपस् थ िति नई दिल् ल ी मे ं एक नये परिसर से दृ ढ़ कर रहा है । दू स री ओर, बार् स े ल ोना विश् व विद् य ालय ने , कासा एशिया के सहयोग के साथ, 2005 मे ं भारत पर विशे ष तौर पर के ं द ् र ित दक् ष िण एशिया विषय एक स् न ातकोत् त र पाठ् य क् र म का निर् म ाण किया। अं त िम उदाहरण के तौर पर, अक् त ू ब र 2008 मे ं , दिल् ल ी मे ं चतु र ् थ स् प े न भारत ट् र िब् य ू न आयोजित किया गया, जो नागरिक समाज के स् त र पर स् प े न व भारत के बीच द् व िपक् ष ीय सहयोग की एक कार् य विधि है , जो विशे ष तौर पर आर् थ िक, पर् य ावरण सं ब ं ध ी, सां स ् क ृ त िक, शै क ् ष िक व तकनीक सं ब ं ध ी मामलों पर के ं द ् र ित है ।

कासा एशिया व स् प े न मे ं भारतीय सं स ् क ृ त ि की उपस् थ िति

उपन् य ासकार विक् र म चं द ् र ा

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फिल् म निर् म ाता शे ख र कपू र

कासा एशिया में भारत वर्ष “रघु राय, पैसेजिस फ्रॉम इंडिया” (“रघु राय, भारत की यात्रायें”) प्रदर्शनी से प्रारंभ हुआ, जो मैग्नम एजेंसी के फोटो-पत्रकार रघु राय की आज तक की सबसे व्यापक गतावलोकी प्रदर्शनी थी। अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर सबसे प्रख्यात इस फोटो-कलाकार के भारत के 93 बड़े प्रारूप के छायाचित्र प्रदर्शित किये गए थे, रंगीन व श्वेत-श्याम, उसके बहु-स्तरीय भारत के, उनके “संपूर्ण संसार, उनके प्रतिमान” को दिखाते हुए। इस प्रदर्शनी में भारत के इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण काल, 1964 से 2007 तक, के विषय पर छायाचित्र रखे गए व इस में इंदिरा गांधी, मदर टेरेसा जैसे व्यक्तित्वों या भोपाल गैस कांड जैसे विनाशों को समर्पित छायाचित्र श्रंखलायें थीं, व यह दो जगहों पर दिखाई गई: बार्सेलोना के कासा एशिया में व कासा एशिया-माद्रिद केंद्र में। वर् ष 2008 मे ं सिने म ा भी भारतीय सं स ् क ृ त ि व समाज से रिश् त ा बनाने व उसे समीप लाने के लिये प् र यु क ् त किये गये यं त ् र ों मे ं से एक था। कासा एशिया-माद् र िद के ं द ् र पहली बार इमै ज िन इं ड िया उत् स व परिधि मे ं आया, जो अपने सातवे ं सं स ् क रण के अं त र् ग त माद् र िद मे ं 23 मई से 2 जू न 2008 तक भिन् न -भिन् न स् थ ानों मे ं आयोजित किया गया। यह उत् स व पहली बार बार् स े ल ोना मे ं भी गया और इसे कासा एशिया के मु ख ् य ालय मे ं आयोजित किया गया। 2008 मे ं इसका विषय फिल् म


कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

एशिया महोत्सव में भारतीय नृतय ् प्रदर्शनी

Windy rain at Taj Mahal, Agra - 1984. Raghu Rai / Magnum Photos

प्रथम स्पन े -भारत ट्रिब्यन ू , 2005

लेखिका शोभा डे

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राइमोन पानिक्कर

बार्सल े ोना में भारतीय पंजाबी दल


कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

निर् म ाण मे ं स् त ् र ियों की भू म िका पर के ं द ् र ित था: निर् द े श िकायों के रू प मे ं उनकी विचारधाराये ं व भारतीय समाज मे ं बदलाव लाने वाली मोटर के रू प मे ं उनके प् र भाव। ऐसी फिल् म ों का प् र दर् श न हु आ जिन् ह ों न े बॉलीवु ड से अलग तरह का आनं द दिया, जै स े स् व तं त ् र फिल् म े ं या फिर तमिल व ते ल ु ग ु चलचित् र ण। कासा एशिया मे ं हमे श ा की तरह शनिवारों को होनी वाली फिल् म प् र दर् श न श् र ं ख लाये ं भी भारतीय सिने म ा को विशे ष सत् र समर् प ित करती रहीं , जै स े “ भारतीय पै न ोरामा: बं ब ई से दू र ”, “दक् ष िण भारत की यात् र ा: तमिल सिने म ा ” या फिर बच् च ों के लिये बनी भारतीय अनु प ् र ाणित फिल् म े ं । बार् स े ल ोना एशियाई फिल् म महोत् स व (BAFF), जहाँ कासा एशिया सबसे श् र े ष ् ठ फिल् म को 6,000 यू र ो के दु र ियान दे ओरो पु र स् क ार से सम् म ानित करता है , मे ं सबसे अधिक मां ग किये जाने वाले व आयोजित किये जाने वाले चलचित् र णों के अलावा भारत BAFF 2006 मे ं निमं त ् र ित दे श था। अं त र-राष् ट ् र ीय समकालीन कला उत् स व (International Contemporary Art Fair ARCO 2008) के भाग के रू प मे ं “भारत की एक सै र ” (“A walk through India”) फिल् म चक् र के बारे मे ं बताना उचित होगा। आर् क ो (ARCO) के इस सं स ् क रण मे ं कासा एशिया ने पहले से चलती आ रही एशियाई नक् श े (“Asian maps”) सं ग ोष् ठ ी भारत को समर् प ित की। इसका शीर् ष क था “भारत: कॉनफ् ल िक् ट ् स ऑफ आइडे न ् ट िटि इन अ ग् ल ोबल वर् ल ् ड बिकमिं ग मोर एवरमोर ग् ल ोकल”, व सत् र मे ं भारतीय कलाकार व क् य ू र े ट र आए, जै स े नै न ् स ी अदाजानिया, रं ज ीत होसकोटे , अल् क ा पां ड े , सु न ील गु प ् त ा, शिल् प ा गु प ् त ा, रिशी सिं घ ल व चै त न् य वी. सम् ब ् र ानी।

गु र ु राजे न ् द ् र

अधिक समकालीन आविर् भ ावों के लिये बार् स े ल ोना मे ं लू प (LOOP) उत् स व के छं ठ े सं स ् क रण मे ं , जो विडियो कला के पे श े व रों का वार् ष िक मिलन-स् थ ल है , विडियो-कला का सबसे अधिक प् र तिनिधित् व करने वाले भारतीय कलाकारों को पे श किया गया। 2008 एशिया महोत् स व मे ं , जो कासा एशिया द् व ारा आयोजित एशियाई सं स ् क ृ त ि को समर् प ित स् प े न मे ं सबसे मु ख ् य उत् स व है , भारत प् र धान भू म िका निभा रहा था। इसके अलावा, पहली बार, इस उत् स व को बार् स े ल ोना के मु ख ् य उत् स व (फिएस् त ा मायोर) के भाग के रू प मे ं सम् म िलित किया गया, जिसके कार् य क् र म मे ं ऐसे भव् य आयोजन व गतिविधियाँ थीं जिनसे भारत के कम प् र ख् य ात पक् ष सामने आये , जै स े अकरम खान का मू ल नृ त ् य , जिन् ह े ं भारत के सबसे प् र भावशाली नृ त ् य सं य ोजकों व नृ त ् य निर् द े श कों मे ं गिना जाता है , राजस् थ ान क् ष े त ् र से प् र ाचीन सं ग ीत व नृ त ् य या फिर सिदि अफ् र ीकी व मु स ् ल िम स् र ोत के भारतीय समु द ायों के वं श जों की सं ग ीत परं प रा, या फिर कातालानी व भारतीय कास् त े ल ् य स (इं स ानी मीनारे ं ) . इस सबके साथ-साथ फिल् म ों के प् र दर् श न व ठे ठ भारतीय खान-पान।

तरु ण चोपड़ा की फोटो-प् र दर् श नी

कासा एशिया के सां स ् क ृ त िक आयोजन मे ं भारत शु र ु से ही रहा है । इसका प् र माण है ं “दिव् य उपस् थ िति: भारतीय कला व हिमालय”, एक कला प् र दर् श नी जिसने बार् स े ल ोना मे ं आधिकारिक रू प से बारो दे क् य ाद् र ास महल मे ं कासा एशिया के मु ख ् य ालय का उदघाटन किया, “भारत-मे क ् स िको : समानां त र हवाये ं ” प् र दर् श नी, “भारतीय परं प रायों की पवित् र कला: हिं द ु त ् व , बौद् ध धर् म ” प् र दर् श नी व “भारत: तरु ण चोपड़ा के छायाचित् र ” प् र दर् श नी।

स् प े न -भारत ट् र िब् य ू न , द् व िपक् ष ीय सं ब ं ध ों को बढ़ावा दे न े वाला मं च

डीजे वी एशिया महोत् स व’07 मे ं

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रघु राय

स् प े न -भारत ट् र िब् य ू न (अक् ष रक् ष ः एक किस् म की चौकी या मं च ) सं व ाद करने के लिये एक मं च है जिसे कासा एशिया, कासा दे ला इं द िया (भारत भवन)-वायादोलिद, इन् स ् त ितु त ो से र ् व ान् त े स , नई दिल् ल ी व आइ.सी.डब् ल ् य ू . ए (Indian Council of World Affairs, New Delhi) भारत व स् प े न के नागरिक समाज के सम् म ु ख रखते है ं , स् प े न ी व भारतीय विदे श मं त ् र ालयों , भारत मे ं स् प े न ी दू त ावास व स् प े न मे ं भारतीय दू त ावास के सहयोग के साथ। इस प् र स् त ाव, जो 2005 मे ं प् र ारं भ हु आ , का लक् ष ् य है स् प े न व भारत के सं ब ं ध ों के बीच अं त राल को कम करना, दोनों दे श ों के मध् य सं व ाद व सहयोग का एक मं च स् थ ापित करके । ट् र िब् य ू न वह मिलन-स् थ ल है जहाँ कू ट नीतिज् ञ , नव-व् य वसायी, अर् थ शास् त ् र ी, विद् व ान, पत् र कार, सहयोग-कार् य कर् त ा, सां स ् क ृ त िक सं च ालक व अन् य समाजिक प् र तिनिधि विभिन् न मामलों पर बातचीत करने के लिये मिलते है ं । दिलीप लाहिड़ी

स् प े न मे ं भारत के पू र ् व राजदू त

“भारतीय व स् प े न ी जन दोनों को अपनी अनु प मता व विश् व सं स ् क ृ त ि के इतिहास व विकास मे ं दिये गये अं श दानों का दृ ढ़ भान है , व दोनों की अं त र-राष् ट ् र ीय मु द ् द ों मे ं एक बड़ी व आनु प ातिक भू म िका दे न े की अभिलाषा भी है । ”


कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

तृ त ीय स् प े न -भारत ट् र िब् य ू न , जो 16 व 17 अक् त ू ब र 2007 को वायादोलिद (स् प े न ) मे ं हु आ , मे ं स् प े न व भारत के 80 जन व निजी सं स ् थ ानों के 144 भाग ले न े वालों व प् र तिनिधियों ने शिरकत की। भाग ले न े वाले व् य क् त ित् व ों मे ं से कु छ है ं अशोक कु म ार, आई.सी. डब् ल ् य ू . ए (Indian Council of World Affairs) सामान् य निदे श क व भारतीय विदे श मं त ् र ालय (Indian Foreign Affairs Ministry) के सामान् य निदे श क; प् र काश जी. आप् ट े , आइ.आइ.एम (Indian Institute of Management), बे ं ग ालु र ू के निदे श क; एस.जे . खै त ान, ऐसोचै म (Associated Chamber of Commerce and Industry, ASSOCHAM) की मै न े ज मे ं ट कमिटी के सदस् य ; या पं ज ाब सिं ह , बनारस हिं द ु विश् व विद् य ालय के कु ल पति। इस भे ं ट के दौरान निकाले गये निष् क र् ष ों मे ं मु ख ् य भू म िका थी उन कार् य विधियों का निर् म ाण करने की महत् त ् व पू र ् ण ता की जिनसे स् प े न ी कं प नियों की भारत मे ं रु च ि पै द ा हो, व विपरीत क् र मानु स ार भी, भारत व स् प े न के बीच सीधी उड़ानों की ज़रू र त, दोनों दे श ों के बीच शै क ् ष िक आदान-प् र दान को बढ़ावा दे न ा या फिर भारतीय व स् प े न ी फिल् म ोत् स वों को दोनों दे श ों मे ं बढ़ावा दे न ा (जै स े हु आ था भारत मे ं स् प े न ी फिल् म समारोह के दौरान, जो मार् च 2008 मे ं दिल् ल ी, मु ं ब ई व तिरु अ नं त पु र म मे ं आयोजित किया गया था), बाकि अन् य मु द ् द ों के साथ-साथ। इसके अलावा ट् र िब् य ू न मे ं एक रिपोर् ट का लोकार् प ण भी हु आ La empresa española ante el reto de la India (भारतीय चु न ौती से जू झ ती स् प े न ी कं प नियाँ ) , इस दस् त ावे ज को भारतीय व स् प े न ी विशे ष ज् ञ ों की मदद से लिखा गया है व यह भारत मे ं छह स् प े न ी कं प नियों के सफलता भरे निवे श के मामलों का पू र ् ण विश् ल े ष ण करता है ।

कासा एशिया के आर् थ िक व सहयोग कार् य क् र म

WTO (डब् ल ् य ू . टी.ओ.) के सहायक निदे श क वर् ध न सिं ह

आर् थ िक स् त र पर, अपने आर् थ िक कार् य क् र म व सहयोग विभाग के द् व ारा कासा एशिया ने अपनी सं स ् थ ापना के समय से एक ऐसी गतिविधि का विकास किया है जिसका मु ख ् य उद् द े श ् य है स् प े न ी व् य ापार क् ष े त ् र को एशियाई दे श ों , जिनमे ं भारत प् र मु ख है , से अपने व् य वसायिक रिश् त ों व व् य वसायिक कू ट नीतियों मे ं मौजू द आर् थ िक हालात, चु न ौतियों व अवसरों पर पर् य ाप् त जानकारी उपलब् ध करवाना। इस लक् ष ् य के लिये वह सारे साल गोष् ठ ियाँ , पाठ् य क् र म, सम् भ ाषण व सम् म े ल न आयोजित करवाता है । कु छ उदाहरण दे न े के लिये , विभाग ने ये जानकारी सं व र् ध क व कार् य सत् र ों का आयोजन किया है “भारत मे ं निवे श के अवसर”, “व् य ापार अनु भ व: भारत व नवरीति”, “भारत मे ं अक् ष त ऊर् ज ा का भविष् य : स् प े न ी व् य वसायों के लिये अवसर” या “भारत व सू च ना तकनीक क् र ां त ि”। इस विभाग ने , “la Caixa” (ला काइशा बै ं क कं प नी) के साथ एक है द राबाद मे ं इं ड ियन स् क ू ल ऑफ बिज़ने स मे ं एमबीए करने का एक छात् र वृ त ् त ि कार् य क् र म भी विकसित किया है । इसी तरह से , कासा एशिया का आर् थ िक कार् य क् र म व सहयोग विभाग एशिया मे ं समकालीन आर् थ िक मु द ् द ों से सं ब ं ध ित नियमित आयोजन करता रहता है । 2004 के अपने पहले सं स ् क रण से ही भारत वार् ष िक एशिया इनोवा Innov@ सम् म े ल नों मे ं उपस् थ ित रहा है , “भारत मे ं नई तकनीकों का सफलता: वास् त विकता व अवसर”, “भारत व सू च ना तकनीक क् र ां त ि”, “जापान, चीन, साउथ कोरिया व भारत के आर+डि नीतियाँ ” जै स े विषयों के साथ, या फिर अभी हाल ही मे ं “एशिया व नवरीति: एक स् त ् र ै ण विचारधारा अनु स ार विज् ञ ान व तकनीक” जै स े विषय को ले क र। अपने अनु भ व बां ट ने वालों मे ं थे कविल रामचं द ् र न, है द राबाद के इं ड ियन स् क ू ल ऑफ बिज़ने स मे ं प् र ाध् य ापक; गणे श प् र भु , विप् र ो टे क ् न ोलोजिस मे ं बिज़ने स विकास निदे श क; प् र काश चे ल ् ल म, बिज़ने स विकास निदे श क, इनफोसिस टे क नोलोजिस; इं द िरा नाथ, ले प ् र ा LEPRA सोसायटी-ब् ल ू पीटर रिसर् च से ं ट र (Blue Peter Research Centre) की निदे श िका व भारतीय गणराज् य सरकार के मं त ् र ी सं घ की वै ज ् ञ ानिक सलाहकार कमे ट ी की सदस् य ; व सु र भी शर् म ा, इट् स ् म ा-इं ट रऐक् ट िव टे क ् न ोलोजी सॉफ् ट वे य र (ITSMA-Interactive Technology Software) व मीडिया असोसिएशन (Media Association) की निदे श िका व गै र -सरकारी सं स ् थ ा ऐं क रे ज (Anchorage) की सं स ् थ ापिका, बाकि अन् य जनों के साथ-साथ। पं क ज घे म ावात

एशिया इनोवा Innov@ 2008 गोष् ठ ियों के दौरान इं द िरा नाथ

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पं क ज घे म ावाते ं

एशिया इनोवा Innov@ 2007 मे ं लक् ष ् म ण प् र साद

जोसे प प् र भु , कै ल िफोर् न िया स् ट े ट विश् व विद् य ालय मे ं प् र ाध् य ापक (स.रा.अमरीका)

जोसे प प् र भु , कै ल िफोर् न िया स् ट े ट विश् व विद् य ालय मे ं प् र ाध् य ापक (स.रा.अमरीका)

आइ.इ.एस.इ. बिज़ने स स् क ू ल मे ं ग् ल ोबल नीति व हारवर् ड बिज़ने स स् क ू ल मे ं बिज़ने स प् र शासन के प् र ाध् य ापक

कासा एशिया की भू म िका बहु त महत् त ् व पू र ् ण है क् य ों क ि पारस् प रिक जानकारी स् त र बहु त ऊं च ा नहीं है । मै ं निश् च ित हू ँ कि उन कार् य क् र मों की सफलता, जो स् प े न ी व् य ापारियों को मार् ग निर् द े श ित यात् र ायों मे ं भारत ले जाते है ं , व विपरीत क् र मानु स ार भी, एक ऐसी तरह की प् र क् र िया है जो एक ख़ास स् त र पहु ँ च ने पर अपना आवे ग खु द सं भ ाल पाएगी व स् व यं स िद् ध हो जाएगी। फिर भी, कासा एशिया जै स े सं स ् थ ानों की एक आलोचनात् म क उपप् र े र णात् म क भू म िका है इस प् र क् र िया के कार् य करते जाने के साथ-साथ अधिक परिचित बनाने की।


कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

एशिया मे ं शासन प् र णाली व शासन क् ष मता सं ब ं ध ित कार् य क् र म, गोवे र ् न आसिया (GovernAsia), ने अपना द् व ितीय बु ल े ट िन भारत को समर् प ित किया व उसमे ं श् र ी राज कु म ार प् र साद द् व ारा दिये गये भाषण को सम् म िलित किया, जो भारत के इ-शासन के कॉमनवे ल ् थ के ं द ् र के एग् ज़ िक् य ू ट िव सलाहकार है ं , या भाषण उन् ह ों न े डिजिटल शहरों व इ-शासन को समर् प ित अपनी वार् ष िक गोष् ठ ी मे ं दिया था। इसके साथ-साथ, कासा एशिया ने अं त र-राष् ट ् र ीय सं ग ोष् ठ ियाँ “विकास के लिये सू क ् ष ् म उधार: एशिया व अफ् र ीका”, जिनका उद् घ ाटन महामहिम रानी व मोहम् म द यु न ू स ने किया, जो ग् र मीण बै ं क के निदे श क है ं । इन सं ग ोष् ठ ियों के दौरान एम आर राव, एसके ए स माइक् र ोफाइनै ं न ् स (SKS Microfinance) के कार् य कारी निदे श क व सारा डिमे ल ो, कमिटिड डे व े ल पमे ं ट ट् र स् ट (Committed Communities Development Trust) की एग् ज़ िक् य ू ट िव निदे श िका ने एशिया व अफ् र ीक मे ं आर् थ िक विकास व गरीबी उन् म ू ल न पर अपने - अपने विचार प् र कट किये । समाप् त करते हु य े , हर साल कासा एशिया एशिया फोरम का आयोजन करता है , जो एक वार् ष िक आर् थ िक मिलन है जिसका लक् ष ् य है एशिया मे ं आर् थ िक हालात का विश् ल े ष ण, व इसमे ं सभी महत् त ् व पू र ् ण एशियाई व यू र ोपीय विश् ल े ष कों की उपस् थ िति रहती है । इस फोरम मे ं गु र चरण दास, भारत मे ं सिटी बै ं क के सम् म ाननीय अध् य क् ष व प् र ॉक् ट र ऐं ड गै ं ब ल के पू र ् व विश् व -व् य ापी उपाध् य क् ष ; दीपक नै य र, भारत सरकार के पू र ् व मु ख ् य अर् थ शास् त ् र ी व वित् त मं त ् र ालय के स् थ ायी से क ् र े ट री; योगे ं द ् र कु म ार, फिक् क ी (FICCI) के अध् य क् ष ; वर् ध न सिं ह , डब् ल ् य ू . टी.ओ. (WTO) के सहायक निदे श क; बी.बी. भट् ट ाचार् य , जवाहरलाल ने ह रु विश् व विद् य ालय के उपकु ल पति; IESE व हारवर् ड बिज़ने स स् क ू ल के प् र ाध् य ापक पकं ज घे म ावात ; व अरु न माइरा, बॉस् ट न कं स लटिं ग ग् र ु प (Boston Consulting Group) भारत जै स े भारतीय विशे ष ज् ञ ों की उपस् थ िति रही है ।

पू र ् व -पश् च िम वार् त ालाप

पू र ् व -पश् च िम सं व ाद का उद् घ ाटन समारोह शशि थरू र कासा एशिया की सम् म ान पु स ् त िका पर हस् त ाक् ष र करते हु य े

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2004मे ं बार् स े ल ोना मे ं विश् व -व् य ापक फोरम के अं त र् ग त आयोजित पू र ् व -पश् च िम सं व ाद के प् र थम सं स ् क रण के द् व ारा कासा एशिया ने बार् स े ल ोना मे ं एक स् थ ायी फोरम की स् थ ापना करने की पे श कश की ताकि राजनै त िक, शै क ् ष िक व सां स ् क ृ त िक क् ष े त ् र ों से व् य क् त ित् व पू र ् व व पश् च िम के बीच रिश् त ों के महत् त ् व से सं ब ं ध ित विचारों व विचारधारायों का खु ल े तरीके व स् व तं त ् र रू प से आदान-प् र दान कर पाये ं । चारों आयोजित सं स ् क रणों मे ं यह उद् द े श ् य बरकरार रहा है : सं स ् क ृ त ियों के बीच सं व ाद के लिये व सं स ् क ृ त ियों की सं ध ि को सहयोग दे न े के लिये एक बु द ् ध िजीवी उपकरण बनना, एशिया को मु ख ् य मामलों जै स े अं त र-राष् ट ् र ीय सु र क् ष ा, सां स ारिक शां त ि व विकास मे ं अधिक भाग ले न े का मौका दे न ा। भारत के वे व् य क् त ित् व जिन् ह ों न े इस सं व ाद मे ं हिस् स ा लिया थे फिल् म निर् द े श क शे ख र कपू र , जोसे फ प् र भू , कै ल िफोर् न िया स् ट े ट यू न िवर् स िटी मे ं प् र ाध् य ापक, विशाखा एन. दे स ाई, एशिया सोसायटी (न् य ू यॉर् क ) की अध् य क् ष , शशि थरू र , ले ख क व सं य ु क ् त राष् ट ् र सं घ मे ं सं च ार व जानकारी के पू र ् व सामान् य उप-से क ् र े ट री, व उपन् य ासकार विक् र म चं द ् र ा।

Arquería y claraboya -

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पाठ् य क् र म, से म िनार व गोष् ठ ियाँ कासा एशिया मे ं नियमित कार् य क् र म मे ं से म िनारों व गोष् ठ ियों का एक क् र म चलता रहता है जिनके द् व ारा वह एशिया व पै स िफिक क् ष े त ् र के इतिहास व सं स ् क ृ त ि पर शिक् ष ा व जानकारी दे न े का, व सं च ार माध् य मों की सु र ् ख ियों मे ं आने वाले मु द ् द ों को अधिक गहन व विश् ल े ष क तरीके से समझाने का कार् य करता है । ये सत् र एशिया, स् प े न व बाकि यू र ोप के विशे ष ज् ञ ों द् व ारा दिये जाते है ं । भारत की इन आभ् य ासिक कार् य क् र मों मे ं एक अहम भू म िका रही है व भारत पर कासा एशिया के इतिहास मे ं बहु त से से म िनार हु य े है ं , विशे ष तौर पर भारत को समर् प ित वर् ष 2008 मे ं । इनकी मु ख ् य झां क ियाँ है ं शोभा डे की पु स ् त क बॉलीवु ड नाइट् स व आना गार् स िया आर् र ोयो की पु स ् त क उड़ीसा: मं द िर व आदिवासी कबीले के विमोचन। दू स रे ले ख क जो सं स ् थ ा मे ं आ चु क े है ं वे है ं विक् र म चं द ् र ा, अपने अं त िम उपन् य ास, से क ् र े ड गे म ् स , के विमोचन के लिये , विक् र म से ठ (टू लाइव् स ); राइमोन पानिक् क र, कासा एशिया 2004 पु र स् क ार के विजे त ा व एस् प ् र ितु आ लिदाद हिं द ु व दे ला मिस् त िका. एक् स पे र िएं स िया प् ल े न ा दे ला विदा के ले ख क; राफाएल आरगु ल ् य ोल व विद् य ा निवास मिश् र , दे ल गां ख े स आल मे द िते र ् र ाने य ो का लोकार् प ण करते हु य े या ले ख िकाये ं सु न ीति नामजोशी (फे म िनिस् ट फे ब ् ल ् स ), सनी सिं ह (एल लिब् र ो दे ला आबु ए लिता, एल रसा: एल प् ल ासे र एसते त िको एन ला इं द िया), एवा बोर् र िगे र ो (हिं द ु . नासिओनालिस् म ो रे ल िखियोसो इ पोलितिको एन ला इं द िया कोन् त े म ् प ोराने य ा) या आना मारिया ब् र िओं ग ोस (एस् त ो एस कालकू त ा!)। एक अन् य महत् त ् व पू र ् ण विमोचन था प् र थम सं स ् क ृ त -कातालान शब् द कोश का, जिसे एनसिक् ल ोपे ड िया कातालाना ने ं प् र काशित किया व जिसे सं स ् क ृ त -शास् त ् र ी व भारत-शास् त ् र ी ऑस् क ार पु ज ोल ने रचा है , जो कासा एशिया मे ं शै क ् ष िक कार् य क् र म विभाग के पू र ् व निदे श क रह चु क े है ं व आजकल नई दिल् ल ी मे ं इन् स ् त ितु त ो से र वान् त े स के निदे श क है ं ।

ऑस् क ार पु ज ोल अपने सं स ् क ृ त -कातालान शब् द कोश के साथ

विशाखा एन.दे स ाई, एशिया सोसायटी (न् य ू यॉर् क ) की अध् य क् ष


कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

इस दे श पर आधारित कु छ गोष् ठ ियाँ भारत के व् य क् त ित् व ों पर के ं द ् र ित थीं (“अनीश कपू र : कलात् म क कार् य व सौन् द र् य बोधी विचार ”, आमादोर वे ग ा के द् व ारा), आध् य ात् म किता (“हिं द ु मिस् ट िसिज़म: द एक् स पीरिये ं स ऑफ द हिं द ु मिस् ट िक् स कं प े अ र् ड टु क् र िस् ट ियन मिसटिक् स ” ) काला आचार् य के द् व ारा, “भारत मे ं पवित् र स् थ ल”, आगु स ् त िन पानिक् क र के द् व ारा) या फिर भारतीय उप-महाद् व ीप का सामाजिक-राजनै त िक सं द र् भ (“Muslims and minorities India: the challenge of secularism”), रु स ् त म भरू च ा के द् व ारा; “द एनवायरनमे ं ट इन इं ड िया”, रामचं द ् र गु ह ा; “इं ड िया, पाकिस् त ान ऐं ड कश् म ीर: पर् स पे क ् ट िव् स फॉर पीस”, वै ज ू नरावाने । व जै स े कलावन सं स ् थ ा द् व ारा आयोजित श् र ं ख लाये ं या फिर “भारतीय सोमवार” श् र ं ख ला (यू न े स ् क ो के मित् र सं स ् थ ा के साथ-साथ सह-आयोजित), जिनसे भारत दे श के कई पहलु य ों को समीप से दे ख सकने का अवसर मिला है । दू स री ओर, कासा एशिया की शै क ् ष िक पे श कश मे ं हिं द ी व सं स ् क ृ त पाठ् य क् र म है ं , व अयं ग ार योग व भरतनाट् य म नृ त ् य के आरम् भ िक कोर् स व अन् य शै क ् ष िक कोर् स जै स े “भारतीय आध् य ातमिक गु र ु य ों की शिक् ष ा”, “भारत के बिं ब : समाज, सिने म ा, नृ त ् य व साहित् य ”, “आर.के . नारायण, सलमान रु श ् द ी व विक् र म से ठ ” या फिर समकालीन भारतीय साहित् य कोर् स “भारतीय स् त ् र ियाँ : परं प रा व आधु न िकता के मध् य ”। भारतीय ले ख क विक् र म से ठ

रु स ् त म भरु च ा, मु क ् त ले ख क, नाटक निदे श क व सां स ् क ृ त िक आलोचक

अं त करते हु य े बताये ं कि कासा एशिया ने अपनी शै क ् ष िक पे श कशों मे ं “बां स विद् य ालय” (Escuela de Bambú) शै क ् ष िक कार् य क् र म को भी सम् म िलित किया है । इसका ध् य े य है एशियाई सं स ् क ृ त ि को विद् य ालयों के समीप लाना व अं त र-सं स ् क ृ त ि को बढ़ावा दे न ा। इस कार् य के लिये बहु त सी कार् य शालाये ं है ं जो एशियाई तौर-तरीकों , प् र चलित रीतियों , शहरों व त् य ौहारों से सं ब ं ध ित है ं ताकि सभी आयु के छात् र विविधता को एक सकरात् म क सच् च ाई के रू प मे ं अनु भ व करना सीख सके ं । कु छ उदाहरण है ं “साड़ी मे ं दिन-प् र तिदिन जीवन”, “आओ भं ग ड़ा नाचे ं ” , “हिं द ु दर् श न” या “भारतीय अर् थ व् य वस् थ ा”।

हमारे समाजों के आदान-प् र दान की एक जगह सं स ् थ ा के ध् य े य ों मे ं सम् म िलित है स् प े न व भारत के बीच सं ब ं ध ों के विकास व आगे करने मे ं सहयोग दे न े वाली गतिविधियों व परियोजनायों को बढ़ावा दे न ा, साथ ही साथ दोनों समाजों के बीच जानकारी का आदान-प् र दान करना। यह कार् य नयी शताब् द ी के समाज पर नज़र बिठाकर सं स ् थ ागत, आर् थ िक, सां स ् क ृ त िक व शै क ् ष िक स् त र पर किया जाता है । इस कारण से , www.casaasia.eu एक डिजिटल वे ब पे ज मं च बनाया गया है जो एशिया व पै स िफिक से सं ब ं ध ित विश् व व् य ापी सं द र् भ प् र दान करता है , जिस मे ं औसतन 500,000 पृ ष ् ठ हर महीने मे ं दे ख े जाते है ं । इसके अलावा, यह सामग् र ी तीन भाषायों मे ं प् र काशित की जाती है : स् प े न ी, कातालान व अं ग ् र े ज़ ी मे ं । अन् य से व ायों मे ं यह से व ा भी दी जाती है : 100 से अधिक अनु भ ागों का दै न िक नवीनीकरण, हमारे अपने सृ ज न के समारोहों के 30,000 रिकार् ड , 10,000 से अधिक पं ज ीकरणों के साथ एशिया पर नये बु ल े ट िन (गतिविधियाँ , वर् त मान मु द ् द े व अर् थ -व् य वस् थ ा), विशे ष ज् ञ ों , छात् र वृ त ् त ियों , नौकरियों , व् य ापारिक सं स ाधनों वगै र ह से सं ब ं ध ित 15,000 से अधिक कड़ियाँ लिये डे ट ाबे स । बार् स े ल ोना मे ं कासा एशिया का मु ख ् य ालय, आधु न िक बारो दे क् य ाद् र ास महल, शहर की जीवं त ता का मानक बन चु क ा है । एक साल मे ं 800 से अधिक गतिविधियों के साथ, कासा एशिया मे ं हर दिन औसतन 500 लोग आते है ं जो इसकी से व ायों का आनं द ले त े है ं । इन से व ायों मे ं एक सं च ार माध् य मों की सं ग ् र हालय है , व 10,000 से अधिक शीर् ष क लिये एशिया व पै स िफिक पर के ं द ् र ित मलटीमीडिया दस् त ावे ज ी के ं द ् र है : जिनमे ं से 6,000 कागज़ पर है ं -विविध भाषायों मे ं , सारी शै ल ियों मे ं , उपन् य ास, यात् र ा-गाइड, कॉमिक या बाल-साहित् य मिलाकर-, एक विडियो लाइब् र े र ी है जिसमे 2000 डीवीडी है ं , साथ मे ं एक समाचार-पत् र लाइब् र े र ी व एक श् र व् य लाइब् र े र ी जिसमे ं 2,000 सं ग ीत सीडी है ं (ऐले न दानिएलु लाइब् र े र ी को मिलाकर), यह के ं द ् र सारे एशियाई महाद् व ीप के दे श ों का प् र तिनिधित् व करता है । एशियाई कला के लिये एक प् र दर् श न कक् ष भी है ; टे ग ौर ऑडिटोरियम, जहाँ से म िनार व गोष् ठ ियाँ आयोजित की जाती है ं ; साथ है ं इनफोएशिया (InfoAsia) जानकारी के ं द ् र ; सार् व जनिक व निजी समारोहों का आयोजन करने के लिये समारोह कक् ष , कार् य शालायों के लिये ले क ् च र-कमरे व हॉल; व एक बार-रै स ् ट ोरे ं ट ।

माद् र िद मे ं कासा एशिया कासा एशिया ने माद् र िद मे ं अपनी गतिविधि 2005 के अं त मे ं प् र ारं भ की कों द े दु क े बै र े क ् स मे ं कु छ अस् थ ायी दफ् त रों मे ं । इस प् र स् त ावना का रू प माद् र िद नगर निगम व प् र ोमोमाद् र िद के साथ एक समझौते पर हस् त ाक् ष र करने से बना, जिसमे ं इन सं स ् थ ानों के साथ एक सहयोग ढां च ा स् थ ापित किया गया, जिनका स् प े न व एशियाई व पै स िफिक दे श ों के मध् य राजधानी मे ं बे ह तर आपसी समझ व रिश् त े बढ़ाने के लिये रत परियोजनायों व गतिविधियों आयोजित करने का सहभागी ध् य े य है ।

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कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

2007 मे ं जब माद् र िद नगर निगम कासा एशिया को प् र शासित करने वाले सार् व जनिक सं क ाय का हिस् स ा बना, तब कासा एशिया का स् प े न ी राजधानी मे ं अपना स् थ ायी स् थ ान बनाया गया: मीराफ् ल ोरे स महल के अं द र स् थ ित कासा एशिया-माद् र िद के ं द ् र । उस समय से शहर मे ं इसकी गतिविधियों मे ं बढ़ावा हु आ : उसके ले क ् च र कमरों मे ं कनफ् य ू श ियस इन् स टिट् य ू ट स् थ ापित करने के करार पर हस् त ाक् ष र हु य े , साथ ही साथ हिं द ी भाषा व बॉलीवु ड व भरतनाट् य म नृ त ् य कक् ष ाये ं , गोष् ठ ियाँ पु स ् त क-विमोचन, एशियाई फिल् म की श् र ं ख लाये ं , इमै ज िन इं ड िया फिल् म प् र दर् श न हु य े , एक 110 वर् ग मीटर के प् र दर् श नी-कक् ष स् थ ापित हु आ व “स् प े न ी व् य ापारों के भारत मे ं अनु भ व” जै स े कार् य -नाश् त े के आयोजन हु ए । के ं द ् र मे ं एक सं च ार-माध् य म लाइब् र े र ी भी है , जो बार् स े ल ोना मे ं स् थ ित सं च ार माध् य म लाइब् र े र ी को पू र ् ण करती है । मीराफ् ल ोरे स महल के बाहर कासा एशिया बहु त से सं स ् थ ानों के साथ सहयोग मे ं व सह-आयोजन मे ं गतिविधियाँ करता रहा है । उदाहरण के लिये : इसने एशियन डवे ल पमे ं ट बै ं क के 41वे ं मिलन मे ं भाग लिया, जो माद् र िद मे ं प् र थम बार किया गया, एशिया मे ं मौजू द स् प े न ी कं प नियों के कॉरपोरे ट सामाजिक उत् त रदायित् व पर एक से म िनार के द् व ारा या अं त र-राष् ट ् र ीय गोष् ठ ियों जै स े “विकास के लिये सू क ् ष ् म उधार: एशिया व अफ् र ीका” के द् व ारा।

स् प े न मे ं कासा एशिया

कासा एशिया,बार् स े ल ोना

अधिकतर स् व ायत् त समु द ायों मे ं कासा एशिया गतिविधियों के एक कार् य क् र म के रू प मे ं उपस् थ ित है । इससे उन स् प े न ी शहरों मे ं अधिक उपस् थ िति को बढ़ावा मिला है जिन् ह ों न े एशिया व पै स िफिक सं ब ं ध ी शै क ् ष िक या जानकारी से जु ड़ ी गतिविधियों को आयोजित करने मे ं या उनमे ं सहयोग दिया है । इसी प् र कार, कासा एशिया को सां स ् क ृ त िक कू ट नीति के प् र तिपादक के रू प मे ं बढ़ावा दे न े का एक ध् य े य है । कासा एशिया-माद् र िद का शिक् ष ा व दस् त ावे ज सं ब ं ध ी के ं द ् र के रू प मे ं खु ल ना एशिया के बाकि स् प े न मे ं प् र दर् श न की ज़रू र त को दर् श ाता है , जो कि भविष् य मे ं वाले ं स िया, बास् क दे श या गालिसिया मे ं भी किया जा सकता है । वाले ं स ियाई समु द ाय की एक एशिया-पै स िफिक सं स ् थ ा बनाने की योजना है , बास् क दे श मे ं गिपु ज़ कोआ व् य ापार सं घ ने एशिया से जु ड़ ी गतिविधियों का एक क् र म आरं भ किया है ।

2. भारतीय गणराज् य के लिये स् प े न मे ं आकर् ष ण स् प े न , ठोस अर् थ -व् य वस् थ ा

कासा एशिया-माद् र िद के ं द ् र

कासा एशिया,बार् स े ल ोना

वाला दे श

स् प े न ी अर् थ -व् य वस् थ ा, जो यू र ोपीय सं घ से पू र ् ण रू प से मिली हु ई है , ठोस आधार पर बनी है , व इसका राष् ट ् र ीय सकल उत् प ाद (GDP) विकास दर पिछले कु छ सालों से यू र ोपीय औसत से ऊपर ही है । इस कारण से स् प े न को ऊपर चढ़ने का अवसर मिला है व यह सं स ार की आठवीं सबसे महत् त ् व पू र ् ण अर् थ -व् य वस् थ ा बन गया है व छठा सबसे महत् त ् व पू र ् ण निवे श क (दक् ष िण अमरीका मे ं दू स रा)। पर् य टन (यह फ् र ां स के बाद दु न िया का दू स रा सबसे बड़ा गं त व् य स् थ ान है ) स् प े न के शक् त िशाली व् य ापार क् ष े त ् र ों मे ं से एक है । 2007 मे ं इस दे श मे ं अं त र-राष् ट ् र ीय पर् य टन से कु ल 51,1 बिलियन यू र ो की आमदनी हु ई व लगभग 60 मिलियन विदे श ी पर् य टक यहाँ आये । इसके अलावा अन् य क् ष े त ् र भी है ं जै स े बै ं क , दू र सं च ार व सामान् य तौर पर से व ा क् ष े त ् र । जहाँ तक ऊर् ज ा क् ष े त ् र का सं ब ं ध है , तो दे श ने हाल ही मे ं नवीकरणीय ऊर् ज ा उपयोग मे ं प् र तिबद् ध ता दिखाई है , सं स ार मे ं उन तीन दे श ों मे ं सम् म िलित होकर जो सबसे अधिक वायु - ऊर् ज ा बनाते है । स् प े न ी अर् थ -व् य वस् थ ा सं स ार मे ं सबसे मु क ् त अर् थ -व् य वस् थ ायों मे ं से एक है , व दू स रे दे श ों से इसका बहु त शक् त िशाली आदान-प् र दान चलता है व दक् ष िण अमरीका व यू र ोप मे ं स् प े न ी कं प नियों की मु ख ् य उपस् थ िति भी है , व सं य ु क ् त राज् य अमरीका व एशिया मे ं भी यह उपस् थ िति बढ़ रही है । रामा वे ल ामू र ी

कासा एशिया-माद् र िद के ं द ् र

आ.इ.एस.इ. बिज़ने स स् क ू ल मे ं उद् य मवाद के प् र ाध् य ापक

स् प े न सं स ार के सबसे अग् र गामी औद् य ोगिकृ त दे श ों मे ं से एक है जहाँ बहु त से उद् य ोगों मे ं नवीनतम तकनीके ं व श् र े ष ् ठ प् र तियोगितात् म कता है । मे र े 1983 मे ं यहाँ आने के बाद पिछले 25 सालों मे ं दे श का रू प बदल चु क ा है । 1980 के दशक के आरं भ मे ं पीछे रहने वाले दे श से अब यह सारे यू र ोप की सबसे आधु न िक व उत् फ ु ल ् ल अर् थ व् य वस् थ ायों मे ं से एक बन चु क ा है ।

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कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

बार् स े ल ोना बं द रगाह व डब् ल ् य ू . टी.सी.(WTC)

वायु ऊर् ज ा

आवे (AVE), उच् च रफ् त ार ट् र े न

स् प े न ी मदिरा (वाइन)

फल बाज़ार

पाएल् य ा

ज़ारा (Zara)

गोल् फ कोर् स

Aeropuerto -

गगनहाइम सं ग ् र हालय, बिलबाओ

कला व विज् ञ ान नगर, वाले ं स िया

बार् स े ल ोना फै श न सप् त ाह

वर् ज िन जै त ू न ते ल

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कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

八 12

स् प े न यू र ोप का तृ त ीय सबसे महत् त ् व पू र ् ण कार बनाने वाला दे श है , जर् म नी व फ् र ां स के बाद। स् प े न ी फै श न परिधान (जै स े कु स ् त ो, ज़ारा, मै ं ग ो, उदाहरण के लिये ) , व खाद् य -उत् प ाद कं प नियों (फ् र े श े न े त , पास् क ु आ ल या तोर् र े स ) ने पिछले कु छ सालों मे ं अपने आकार बड़े कर लिये है ं व इनकी उपस् थ िति अं त र-राष् ट ् र ीय बाज़ारों तक फै ल गई है । इसके अलावा, स् प े न दु न िया का सबसे उच् च जै त ू न ते ल निर् म ाता है व वाइन का एक महत् त ् व पू र ् ण निर् म ाता भी, अं त र-राष् ट ् र ीय रू प से प् र ख् य ात गु ण वत् त ा को हासिल करते हु य े ।

एक निश् च ित निवे श भारतीय सू च ना तकनीक कं प नियाँ , जै स े इनफोसिस, टीसीएस, सत् य म या विप् र ो, जिन् ह ों न े अब तक अपनी गतिविधियाँ अग् र े ं ज़ ी बोलने वाले बाज़ारों तक चलाई है ं , स् प े न मे ं काफ़ी बहु त रोचक मं च पा सकती है अपनी से व ाये ं स् प े न ी कं प नियों या फिर दक् ष िण अमरीकी बाज़ार तक पहु ँ च ाने के लिये । इसी तरह से , स् प े न सारे क् ष े त ् र ों की उन भारतीय कं प नियों के लिये अच् छ ा प् र वे श द् व ार है जो दक् ष िण अमरीका व अफ् र ीका मे ं प् र वे श करना चाहती है ं । दक् ष िण अमरीका के मामले मे ं , स् प े न मे ं बै ं क , दू र सं च ार व ऊर् ज ा कं प नियों का एक जाल है जिन् ह े ं भारतीय निवे श क उपयोग मे ं ला सकते है ं । इसके अलावा, स् प े न उन बड़े भारतीय उद् य ोग दलों के लिये एक अच् छ ा व् य ापारिक बिं द ु बन सकता है जो यू र ोपीय बाज़ार मे ं विस् त ार करना चाहते है ं । वास् त व मे ं , स् प े न ी औद् य ोगिक क् ष े त ् र मे ं पहले भारतीय निवे श आरं भ हो चु क े है ं , हालां क ि इनके आकार अभी इतने विशाल नहीं है ं ।

स् प े न : विविध

आलाम् ब ् र ा, ग् र ानादा

फ् ल ामे ं क ो

लोगों की एक पच् च ीकारी , सं स ार मे ं अनु प म

स् प े न मे ं आने वाले आगं त ु क ों को अं त र-राष् ट ् र ीत ख् य ाति प् र ाप् त स् थ ानों , जगहों या कलात् म क व ऐतिहासिक भवन जै स े सां त ियागो गिरजाघर, ग् र ानादा मे ं आलां ब ् र ा या फिर सालामां क ा व तोले द ो शहर दे ख कर आनं द ले न े का अवसर मिलता है । वास् त व मे ं स् प े न वह दे श है जिसमे ं सं स ार मे ं सबसे अधिक स् थ ान यू न े स ् क ो द् व ारा ‘विश् व धरोहर स् थ ल’ (World Heritage Sites) नामकरण पा चु क े है ं (2007 मे ं 40 सां स ् क ृ त िक व प् र ाकृ त िक जगहे ं ) । पर सां स ् क ृ त िक खज़ानों के अलावा, जो आगं त ु क ों को समय मे ं पीछे व स् प े न के इतिहास मे ं ले जाते है ं , यहाँ समकालीन कलात् म क प् र दर् श न भी दे ख े जा सकते है ं , अधिक समीप से व अधिक जीवटता से । इस सं द र् भ मे ं , एक मु ख ् य उदाहरण है वास् त ु - कला मे ं एक विश् व -व् य ापी व् य क् त ित् व की प् र ाकृ त िक व मू ल भू त श् र े ष ् ठ ता, आन् त ोनियो गाउदी, जो कातालानी आधु न िकवाद के एक महान गु र ु थे । उनका अं द ाज़ निजी था व कल् प ना से भरपू र , और जब उन् ह ों न े शु र ु आ त की, तो पू र ् व ी कला से प् र भावित होकर की, एक ऐसी वास् त ु भाषा की तलाश मे ं जो उनके काम मे ं वे रू प ले सके जिन् ह े ं वे प् र कृ त ि मे ं दे ख ते थे । सनी सिं ह

उपन् य ासकार व पत् र कार तोले द ो

“भारतीय व स् प े न ी जन दोनों को अपनी अनु प मता व विश् व सं स ् क ृ त ि के इतिहास व विकास मे ं दिये गये अं श दानों का दृ ढ़ भान है , व दोनों की अं त र-राष् ट ् र ीय मु द ् द ों मे ं एक बड़ी व आनु प ातिक भू म िका दे न े की अभिलाषा भी है । ”

सु ज ाता मे ह ता

कासा आमे त ् ल ् य े र व कासा बात् ल ् य ो, बार् स े ल ोना

कादाके स

स् प े न मे ं भारत की राजदू त

जीवन के हर पक् ष का मान करने का स् प े न ी तरीका व जीवन मे ं पू र ् ण रू प से आनं द ले न े का प् र यास करना जीने मे ं चार चां द लगा दे त ा है । यहाँ के जीवन मे ं शां त ि व स् थ िरता, मज़बू त पारिवारिक सं ब ं ध , बच् च ों , माता-पितायों व दादा-नानों से भरे उद् य ान, नागरीय जीवन की उच् च गु ण वत् त ा, – ये स् प े न मे ं रहने के अनगिनत आनं द ों मे ं से कु छ थोड़े से ही है ं ।

पर स् प े न ी शहर के व ल ऐतिहासिक सौं द र् य ों पर ही नहीं जीते , वे जीते है ं समकालीन प् र तिभायों के सृ ज न कार् य ों पर भी। गाउदी ने बार् स े ल ोना नगर को 19 वीं सदी के अं त से 20 वीं सदी के पहले कु छ दशकों तक सजाया। पिछली सदी का अं त होते - होते बाकि कलाकारों व पे श े व रों ने वह भार सं भ ाला व अपनी सृ ज नात् म कता व प् र तिभा से वे भविष् य के स् प े न ी शहरों को सजाने मे ं सहयोग कर रहे है । बिलबाओ मे ं फ् र ै ं क गे ह री द् व ारा बनाया गगनहाइम सग् र हालय, बार् स े ल ोना मे ं ज् य ाँ नू व े ल द् व ारा एगबार भवन या वाले ं स िया मे ं सां त ियागो कालात् र ावा द् व ारा सिटी ऑफ आर् ट स ऐं ड सां इ स जै स ी परियोजनाये ं आधु न िक वास् त ु - कला के उत् त म उदाहरण है ं ।

एगबार मीनार, बार् स े ल ोना

सां त ियागो कालात् र ावा का पु ल

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कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

स् प े न व कला, परं प रा वादियों

व अग् र गामियों

का

सं ग म

स् प े न ी शास् त ् र ीय कला के महान सं द र् भ िक कलाकार, जै स े गोया, वे ल ाज़के ज़ , एल ग् र े क ो या सोरोल् य ा के कार् य ों से उत् प न् न रु च ि काफ़ी प् र ख् य ात है । इसका एक लक् ष ण है उन सं ग ् र हालयों मे ं उच् च सं ख ् य ा मे ं आगं त ु क ों का आना जिनमे ं इन कलाकारों के कार् य सं र क् ष ित है ं , जै स े माद् र िद मे ं प् र ादो सं ग ् र हालय, रे इ ना सोफिया राष् ट ् र ीय कला सं ग ् र हालय या फिर थिसे न -बोर् न े म िज़ा सं ग ् र हालय। फिर भी, स् प े न मे ऐसे कलात् म क प् र दर् श न होते रहे है ं जो आधु न िक व समकालीन कला मे ं सं द र् भ बन गये है ं । हरे क कलात् म क विशे ष ता मे ं हमे ं एक उतकृ ष ् ट उदाहरण मिलता है : चिल् ल यिदा की मू र ् त िकला, पिकासो, दाली या तापिअस के चित् र या फिर मारिस् क ाल के प् र ारू प , सब स् प े न ी कलाकारों की नवीनतायों व सृ ज नात् म कता के नमू न े है ं । काज़ी अब् द ु र रहीम

इमै ज िनइं ड िया उत् स व के निर् द े श क

मै ं स् प े न के सं ग ् र हालय व यहाँ के फिल् म प् र शं स कों के गु ं ज ायमान परिदृ श ् य की सिफारिश करू ं ग ा; इस परिदृ श ् य मे ं बड़े , नये निर् द े श क है ं , जो झु क ाव के विपरीत जोखिम भरी फिल् म े ं बना रहे है ं । व साहि् त ् य , बे श क, दक् ष िण अमरीका के साहित् य के साथ-साथ। राफा नादाल

रघु राय

आलबे र ् त ो कोन् त ादोर

छायाचित् र कार

स् प े न ी कला से जु ड़ े एक भावनात् म क व कल् प ना से भरे कलात् म क प् र दर् श न फ् ल ामे ं क ो मे ं अं त रराष् ट ् र ीय सार् व जनिक रु च ि भी काफ़ी प् र ख् य ात है । यह भी कहा गया है कि कां त े खों द ो की विषाद भरी ध् व नि व फ् ल ामे ं क ो नृ त ् य सं च ालन के रू प कु छ एशियाई दे श ों की लोक-कलायों के कु छ भाव बां ट ते है ं । फ् ल ामे ं क ो का स् र ोत भारत तक जाता है , फारस से होते हु य े व उत् त र अफ् र ीका के अरबीमु स ् ल िम दे श ों से प् र भाव ग् र हण करता है ।

स् प े न , एक विश् व व् य ापी

भाषा

वाला

दे श

स् प े न ी मै न ् ड रिन चीनी के बाद सं स ार की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है व अं ग ् र े ज़ ी के बाद दू स री सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली। स् प े न ी साहित् य मे ं व् य ापक ले ख क व कार् य है ं जै स े से र ् व ान् त े स की रचना दोन किखोते या फे द े र िको गार् स िया लोर् क ा की कविताये ं व नाटक।

Danza coreana Salmunari

“स् प े न मे ं कला उनके शहरों की गलियों मे ं मनाई जाती है , जहाँ हर कोई कला के सु ं द र कार् य ों की बगल मे ं सै र करने का आनं द ले त ा है । ”

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फे र ् न ान् द ो आलोन् स ो

स् प े न ी राष् ट ् र ीय फु ट बाल दल

स् प े न ी भाषा चार भारतीय विश् व विद् य ालयों मे ं पढ़ाई जाती है : अं ग ् र े ज़ ी व विदे श ी भाषा विश् व विद् य ालय, है द राबाद, जवाहरलाल ने ह रू विश् व विद् य ालय, पु ण े विश् व विद् य ालय व राजस् थ ान विश् व विद् य ालय। हालां क ि भारत मे ं के व ल एक दर् ज न ही हिस् प ानी-शास् त ् र ी है ं , अधिक से अधिक सं ख ् य ा मे ं ऐसे छात् र है ं जो स् प े न ी भाषा से आकर् ष ित वहाँ यात् र ा करने जाते है ं । स् प े न ी की जानकारी दक् ष िण अमरीकी दे श ों के साथ सं ब ं ध बनाने के लिये भी मू ल ् य वान समझी जाती है । दू स री ओर, भारत मे ं हमारी भाषा के अध् य यन के कारण के व ल अर् थ -व् य वस् थ ा या शोध से ही नहीं जु ड़ े बल् क ि स् प े न ी बोलने वाले दे श ों के सं ग ीत, कलायों या वास् त ु - शास् त ् र पर जानकारी प् र ाप् त करने से भी जु ड़ े है ं । 2007 के अं त मे ं या 2008 की शु र ु आ त मे ं नई दिल् ल ी मे ं ऑस् क ार पु ज ोल, कासा एशिया मे ं शै क ् ष िक कार् य क् र मों के पू र ् व निदे श क, द् व ारा निर् द े श ित किये जाने वाले इन् स ् त ितु त ो से र वान् त े स का खु ल ना मु ख ् य तौर पर स् प े न ी भाषा मे ं इसी रु च ि का उत् त र दे त ा है । इसके अलावा स् प े न मे ं अन् य भाषाये ं भी पाई जाती है ं जै स े कातालान, गालसियाई, बास् क , व इनके भिन् न प् र कार (बाबले , आरानी, वाले ं स ियाई या फिर बास् क भाषा की भिन् न उपभाषाये ं ) भी।

भू म ध् य सागरीय

खान-पान का दे श स् प े न

स् प े न उन दे श ों मे ं से एक है जो प् र शं स नीय भू म ध् य सागरीय खान-पान के प् र ति निष् ठ ावान होने का गौरव कर सकते है : यह से ह तमं द है व भारतीय स् व ाद के लिये बहु त आकर् ष क है । अन् य कारणों के अलावा, मछली, घों घ े , चावल व सब् ज़ ियों की मु ख ् य भू म िका होने के कारण से । विशे ष आकर् ष ण है ं तापास , जो कम राशि मे ं खान-पान की पे श कश होते है ं , वे मिले - जु ल े उत् प ाद जो आम तौर मे ज़ पर बै ठ े लोग आपस मे ं मिल-बां ट कर खाते है । जै त ू न ते ल व वाइन की बात करना भी उचित होगा,

पाउ गासोल

स् प े न ी राष् ट ् र ीय बास् क े ट बाल दल

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कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

विश् व नाथन आनं द

आनं द , शतरं ज मास् ट र

स् प े न एक ऐसा दे श है जहाँ खाना गं भ ीर मामला है । भारत की तरह यहाँ खान-पान प् र ां त से प् र ां त मे ं बदलता है । मु झ े यहाँ के ठे ठ खाने जै स े गाज़पाचो व तोर् त िल् य ा एसपान् य ोला आनं द दे त े है ं । मु झ े बढ़िया सागरीय खाना पाएल् य ा या आर् र ोज़ कोन बोगावां त े से प् य ार है । पर जो मु झ े पसं द है वो है इनके शोरबे , जो मे र े अनु स ार एक बरतन मे ं सिमटा पू र ् ण खाना है ं ।

खास तौर पर वह वाइन जिसका स् र ोत ला रियोखा व रिबे र ा दे दु ए रो मे ं निश् च ित बताया जाता है । दू स री ओर, स् प े न ी रसोइयों ने योग् य होने के कारण अपना नाम सारी दु न िया मे ं प् र ख् य ात कर रखा है , दोनों अग् र गामी (फे र ् र ान आद् र िया, खोसे आन् द ् र े स ) व कु छ आधु न िक भाव के साथ अधिक पारं प रिक (खु आ न मारिया आरज़ाक या कार् म ा रु स काल् य े द ा) ने भी।

स् प े न , विश् व खे ल – कू द मे ं अग् र णी स् प े न ी खे ल -कू द , जो सं स ार मे ं प् र ख् य ात है ं , अपने यशस् व ी काल से गु ज़ र रहे है ं : सभी टे न िस खिलाड़ी राफाएल नादाल, एनबीए बास् क े ट बॉल खिलाड़ी पाउ गासोल, साइकिल खिलाड़ी आलबे र ् त ो कोन् त ादोर या फोरमू ल ा वन चालक फे र ् न ान् द ो आलोन् स ो के नामों से परिचित है ं । हमारे फु ट बाल क् ल बों का अं त र-राष् ट ् र ीय प् र दर् श न इसका एक प् र मु ख कारण है , विशे ष तौर पर रे आ ल माद् र िद या एफ सी बार् स े ल ोना, व हमारा बास् क े ट बॉल दल भी, जिसने हाल ही मे ं ही विश् व प् र तियोगिता जीती है । स् प े न ी राष् ट ् र ीय फु ट बाल दल की विशे ष तौर से बात करना उचित रहे ग ा, जिन् ह ों न े यू र ो कप जीता है । विश् व नाथन आनं द

आनं द , शतरं ज मास् ट र

स् प े न खे ल -कू द के अपने सबसे महत् त ् व पू र ् ण सालों मे ं से एक जी रहा है । राफाएल नादाल का अं क 1 बनना, स् प े न का फु ट बाल मे ं विजयी होना। पाउ गासोल के साथ ओलं प िक मे ं । इनकी खे ल -कू द मे ं रु च ि सामान् य तौर पर बहु त ऊं च ी है , और इस वर् ष लगता है कि इन् ह ों न े वास् त व मे ं ही काफ़ी खे ल ों मे ं बहु त अच् छ ा प् र दर् श न किया है ।

स् प े न , एक ऐसा दे श जो भविष् य की ओर दे ख ता है आधु न िकीकरण के प् र ति एक स् प ष् ट प् र तिबद् ध ता रखते हु य े स् प े न मे ं तकनीकी शोध, विकास व नवीकरण को बढ़ावा दे न े के लिये लक् ष ित आर् थ िक सं स ाधन काफ़ी बढ़ चु क े है ं । विज् ञ ान व नवीकरण मं त ् र ालय की रिपोर् ट ों के अनु स ार वर् ष 2004 से 2008 तक तकनीक शोध व विकास व नवीकरण बजट 164% से अधिक बढ़ा व इससे एक नयी राष् ट ् र ीय तकनीकी शोध, विकास व नवीकरण योजना 2008-2011 बनाई गई ताकि सार् व जनिक कं प नियों व के ं द ् र ों के बीच व भिन् न -भिन् न प् र शासनिक विभागों के मध् य नीतियों के सहयोग को बढ़ावा मिले , स् व ास् थ ् य , बायोतकनीक, मौसमी बदलाव, तकनीक, ऊर् ज ा, दू र सं च ार, जानकारी समाज, नै न ोविज् ञ ान व नै न ोतकनीक जै स े क् ष े त ् र ों मे ं के ं द ् र ित करके । यह असाधारण आर् थ िक कोशिश उस इच् छ ा के साथ जोड़ी गई है जो शोध की गु ण वत् त ा मे ं गु ण ात् म क छलां ग लगानी चाहती है व शोध दलों की प् र भावी सं ख ् य ा बड़ाना चाहती है । समाज की आर् थ िक उन् न ति व विकास ने परिवहन की आधारभू त सं र चना मे ं बे ह तरी की भी मां ग रख दी है । उच् च -रफ़् त ार रे ल मार् ग ों से जु ड़ ा उच् च -क् ष मता रे ल -जाल विस् त ार करता जा रहा है । दू स री ओर, स् प े न अं त र-राष् ट ् र ीय जल-मार् ग परिवहन मे ं एक प् र मु ख स् थ ान है व इसकी बं द रगाह व् य वस् थ ा माल-असबाब के आयात व निर् य ात का मु ख ् य मार् ग है । इसी कारण से , व बं द रगाहों मे ं अधिक आवागमन की वजह से इनमे ं से मु ख ् य बं द रगाहों का आधु न िकीकरण किया जा चु क ा है और वे अधिक से व ाये ं दे त े है ं । इसी तरह से , माद् र िद, बार् स े ल ोना व वाले ं स िया के हवाई अड् ड ों का विस् त ार यात् र ी उड़ानों की अधिक सं ख ् य ा के कारण किया गया है । वै स े तो घरे ल ू परिवहन जाल मे ं बे ह तरी की गई है पर विशे ष तौर पर अं त र-राष् ट ् र ीय परिवहन से सं ब ं ध ित आधारभू त सु व िधायों को सु ध ारा गया है । आज स् प े न सं स ार से अधिक व बे ह तर तरीके से जु ड़ ा है , अपने सारे इतिहास की तु ल ना मे ं । स् प े न व भारत के बीच निश् च य ही बहु त से पक् ष एक समान है ं । यह एक मिली-जु ल ी समझ व पारस् प रिक सां स ् क ृ त िक सं म ोहन पर आधारित रिश् त ा है जो खिलता रहा है व दृ ढ़ हो गया है । भारत व स् प े न एक ऐसे समाज का प् र तिरू प बां ट ते है ं जो मज़बू त ी से नवीनीकरण के पथ पर भविष् य की

कासा एशिया व भारतीय गणराज् य

ओर जा रहा है , अपने इतिहास पर से नज़र बिना हटाये । दोनों समाज अपने इतिहास व वर् त मान , परं प रा व अग् र गामी-भाव को सम् म िलित करने के महत् त ् व को जानते है ं ताकि भविष् य की नयी चु न ौतियों का सामना किया जा सके ।

स् प े न , रहने व काम करने के लिये एक सु र क् ष ित दे श , आधु न िक, परं त ु अपनी परं प रा पर गर् व ित, सर् व दे श ीय व स् व ागत करता हु आ : जीने की कला

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कासा एशिया

उच्च-स्तरीय सरं क ्षक 2008

भारत में स्पेनी राजदूत विदेश व सहयोग मंत्रालय स्पेन (MAEC)

12, Prithviraj Road

Torres Agora Building

110 011 Delhi

26, Serrano Galvache, St.

embespin@mail.mae.es

28071 Madrid

प्रोमोमाद्रिद (PromoMaDrid)

www.maec.es

34, Suero de Quiñones, St.

विदेश व्यापार संस्थान, स्पेन (ICEX)

28002 Madrid

14, Paseo de la Castellana

www.promomadrid.com

28046 Madrid

तूरएस्पान्या (TurEspaña)

www.icex.es

6, José Lázaro Galdiano, St. 28701 Madrid

कासा एशिया

मुख्यालय

कासा एशिया-माद्रिद केंद्र

Palau Baró de Quadras

371, Diagonal, Ave.

Palacio Miraflores

373, Diagonal, Ave.

08008 Barcelona

15, San Jerónimo, St.

08008 Barcelona

T: 93 368 03 20

28014 Madrid

T: 93 238 73 37

F: 93 368 03 33

T: 93 368 03 20 F: 93 368 03 33

www.casaasia.eu

casaasia@casaasia.es

Diseño y Maquetación: IngoGroup

www.tourspain.es


Casa Asia and the Republic of India

CASA ASIA AND THE REPUBLIC OF INDIA

1. CASA ASIA Casa Asia is a public consortium formed by the Ministry of Foreign Affairs, the Generalitat de Cataluña, Barcelona City Council and since February 2006, Madrid City Council. This institution was founded in Barcelona, 9 th November 2001, and is part of the framework of objectives established within the “Plan Marco Asia-Pacífico 2000-2002” (“Asia-Pacific Framework Plan”) and the EU’s strategy for Asia. This plan lays the foundation for a State policy that seeks to strengthen Spain’s presence in the region, as Asia and the Pacific are strategic objectives of Spain’s overseas activities. The main aim of the consortium is to carry out programs and activities that may contribute to a better understanding and to more fluid relations between Spain and the Asian and Pacific countries regarding institutional, economic, academic and cultural matters. Casa Asia exists as an instrument for the promotion and coordination of projects and activities that seek to fulfil this goal, involving the business world, universities and civil society.

DILIP LAHIRI

Former Ambassador of India in Spain

“Spain has not had a significant profile in Asia for historical reasons including, inter alia, the Treaty of Tordesillas. With the Spanish economic miracle, and its expanding international presence, there is a clear need to raise the level of Spain’s interaction with Asia where three of the largest economies of the world are located. Casa Asia has made an outstanding start in this direction under the leadership of its dynamic first Director, Ion de la Riva, the current Spanish Ambassador in India. Its establishment was most timely, and its mission deserves all support.”

On 16 th June 2003, Casa Asia opened its headquarters, located at the Baró de Quadras Palace in Barcelona, during an event presided by H.R.M. The Prince of Asturias. Since 20 th June 2007 Casa Asia has its own premises in the Spanish capital, the Casa Asia-Madrid Centre, located at the Miraflores Palace.

Casa Asia dedicates a year to India With the aim of strengthening ties and encouraging knowledge between the Republic of India and Spain, and within the guidelines of the Asia Pacific Action Plan 2005-2008, Casa Asia has named the year 2008 as the Year of India. This initiative is in addition to those already carried out until now to strengthen relations between both countries.


Casa Asia and the Republic of India

On an institutional level, Prime Minister José Luís Rodríguez Zapatero was in 2006 the first Government leader to visit India in 13 years, hoping to promote the economic, political and cultural presence of Spain in that country. Travelling with him were some fifty Spanish companies which along with a further eighty Indian companies participated in a number of bilateral meetings in New Delhi, with the aim of encouraging Spanish investment in India. As part of its visit, Casa Asia also presented in Bombay its program entitled “India in Spain: Culture and Education”, in order publicise the activities and cultural events related to India that are organised in Spain.

SUJATA MEHTA Anand Sharma, Indian State Minister of Foreign Affairs, with the current Spanish ambassador to India Ion de la Riva

Ambassador of India in Spain

The strongest bridge between countries is culture as that brings peoples together. Institutions that promote cultural bonds such as Casa Asia and Casa de la India in Spain, and the Indian Council for Cultural Relations play a crucial role. Both Casa Asia and Casa de la India are innovative platforms which act as a point for fostering contact and a forum for dialogue between two great cultures. Hosting various public activities, they bring together citizens and institutions in our two countries.

On the other hand, Anand Sharma, Indian State Minister for Foreign Affairs, participated at the “India-EU relations” round table, held at Casa Asia in 2006. Sharma highlighted the work done by Casa Asia encouraging awareness of Asian countries in Spain, and called for renewed political, economic and cultural relations between his country and the European Union.

Sujata Mehta, Indian ambassador to Spain. On her left, the general director of Casa Asia, Jesús Sanz

In order to encourage cultural exchange, the Plan contemplates a wide range of activities such as thematic exhibitions, courses, publications, film viewings and conferences which have taken place all over the Spanish geography, particularly in Madrid and Barcelona. For example, the Asia Festival, like other cultural events (LOOP 2008, ImagineIndia Festival, among others), has India as its guest country in 2008. Likewise, India is the country invited to the International Contemporary Art Fair-ARCO 2009. Included among the actions promoted within the Asia-Pacific Action Plan, it is also worth mentioning that the Instituto Cervantes strengthens its presence in India with the creation of a new office in New Delhi. On the other hand, the University of Barcelona, in collaboration with Casa Asia, created a postgraduate course on South Asian studies, with a special focus on India in 2005.

Filmmaker Shekhar Kapur

Novelist Vikram Chandra

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As a last example, in October 2008 the 4 th Spain India Tribune was held in Delhi, a mechanism for bilateral cooperation between Spain and India on a civil society level, particularly focused on economic, environmental, cultural, educational and technological issues.

Casa Asia and the presence of Indian culture in Spain The Year of India in Casa Asia started with the exhibition “Raghu Rai. Pasajes de la India” (“Raghu Rai. Passages from India”), the most extensive retrospective exhibition carried out to date by Magnum agency photojournalist Raghu Rai. 93 images in large format were exhibited, in black and white and colour, showing the internationally most well-known photographer’s India, his multi-level India, his “entire world, his model”. The exhibition, which covered a crucial period of history of the country -from 1964 to 2007- and with series dedicated to personalities such as Indira Gandhi, Mother Teresa or the Bhopal disaster, was shown in two locations: Casa Asia in Barcelona and at the Casa Asia-Madrid Centre.


Casa Asia and the Republic of India

Indian dance exhibition at the Asia Festival

Windy rain at Taj Mahal, Agra - 1984. Raghu Rai / Magnum Photos

1st Spain-India Tribune, 2005

Writer Shobhaa De

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Raimon Panikkar

Indian Punjabi Group in Barcelona


Casa Asia and the Republic of India

Cinema was also one of the main instruments for relating to and bringing closer Indian culture and society during the year 2008. The Casa Asia-Madrid Centre was included for the first time in the ImagineIndia festival circuit, which held its seventh edition at a number of venues in Madrid between 23 rd May and 2 nd June 2008. This festival also travelled for the first time to Barcelona, and was held at the Casa Asia headquarters. In 2008, the theme focused on the role of women in film making: their viewpoint as directors and their influence as a driving force for change in Indian society. There were screenings of Indian films that offered enjoyment beyond Bollywood, such as independent films or the Tamil and Telegu cinematographies.

Guru Rajendra

Photographic exhibition by Tarun Chopra

The usual screenings of films on Saturdays at Casa Asia also continued to dedicate special sessions to Indian cinema, such as “Panorama India: más allá de Bombay” (“Panorama India: beyond Bombay”), “Pasaje al sur de la India: cine tamil” (Passage to southern India: Tamil films”) or Indian animated films for children. In addition to being one of the most demanded and scheduled cinematographies at the Asian Film Festival in Barcelona (BAFF) -where Casa Asia awards the DURIÁN DE ORO prize of 6.000 euro to the best film-, India was the guest country at the BAFF 2006. It is also worth mentioning the “Un paseo por la India” (“A walk through India”) film cycle, as part of the International Contemporary Art Fair (ARCO 2008). During this edition of ARCO, Casa Asia dedicated the regular “Mapas asiáticos” (“Asian maps”) seminar to India. Entitled “India: conflictos de la identidad en un mundo global cada vez más glocal” (“India: conflicts of identity in a global world becoming more evermore glocal”), the session brought together Indian artists and curators such as Nancy Adajania, Ranjit Hoskote, Alka Pande, Sunil Gupta, Shilpa Gupta, Rishi Singhal and Chaitanya V. Sambrani. As for the more contemporary artistic manifestations, in Barcelona Casa Asia revealed the most representative Indian artists of video art to the public during the sixth edition of the LOOP Fair, an annual meeting point for professionals of this artistic discipline. The 2008 Asia Festival, the main cultural event held by Casa Asia and the most important festival held in Spain dedicated to Asian culture, had India as its protagonist. Furthermore, for the first time, the festival was included as part of the Fiestas de la Mercé (Barcelona’s Fiesta Mayor) with a schedule filled with spectacular events and activities which revealed some of the less well-known aspects of India, such as the original dance by Akram Khan, considered one of the greatest choreographers and contemporary dance directors in India, the ancient music and dance from the Rajasthan region or the musical tradition of the descendents from the Indian communities of African and Muslim origin, the Sidi, or the combination of Catalonian and Indian castells (human towers). All this seasoned with screenings of films and typical Indian cuisine.

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Raghu Rai

Dj Vee at the Asia Festival’07

India has been present in the cultural programming of Casa Asia since the beginning. Proof of this were the exhibitions “Presencia divina: arte de la India y los Himalayas” (“Divine presence: Indian art and the Himalayas”, an art exhibition which officially opened the Casa Asia offices at the Baró de Quadras Palace in Barcelona), “India-México: vientos paralelos” (India-Mexico: parallel winds”), “Arte sagrado de las tradiciones índicas: hinduismo, budismo y animismo” (Sacred art of Indian traditions: Hinduism, Buddhism and “India: fotografías de Tarun Chopra” (“India: Photographs by Tarun Chopra”).

Spain-India Tribune, the forum to encourage bilateral relations The Spain-India Tribune is a forum for dialogue which Casa Asia, Casa de la India (Valladolid), the Instituto Cervantes in New Delhi and the Indian Council of World Affairs (New Delhi) open to the civil societies of India and


Casa Asia and the Republic of India

Spain, in close collaboration with the Spanish and Indian Ministries of Foreign Affairs, the Spanish Embassy in India and the Indian Embassy in Spain. With this initiative, which started in 2005, the aim is to cover the gap existing in relations between Spain and India, offering a platform for dialogue and cooperation between both countries. The Tribune is a meeting place that gathers diplomats, entrepreneurs, economists, academics, journalists, cooperation workers, cultural managers and other social agents who meet to discuss a variety of issues.

DILIP LAHIRI

Former Ambassador of India in Spain

“The Indian and Spanish people both have a strong sense of their uniqueness and contributions to the history and development of world civilization, and an aspiration to play a greater and commensurate role in international affairs.”

The 3rd Spain-India Tribune, held the 16 th and 17 th October 2007 in Valladolid (Spain), included the presence of 144 participants and representatives of 80 public and private institutions from Spain and India. Ashok Kumar, acting as general director of the Indian Council of World Affairs (ICWA) and general director of the Indian Foreign Affairs Ministry; Prakash G. Apte, director of the Indian Institute of Management (IIM), Bangalore; S.J. Khaitan, member of the Management Committee of the Associated Chamber of Commerce and Industry (ASSOCHAM); or Panjab Singh, Chancellor of the Banaras Hindu University, are just a few of the personalities who took part. Among the conclusions reached during the meeting, the highlight was the importance of creating mechanisms that may rouse the interest in India of Spanish companies, and vice versa, the need for direct flights between India and Spain, the encouragement of educational exchanges between both countries or support for Indian and Spanish film festivals in both countries (as was the case with the Spanish film Festival held in India, celebrated in March 2008 in Delhi, Bombay and Trivandrum), among many other issues. Furthermore, the Tribune also hosted the presentation of the report La empresa española ante el reto de la India (Spanish companies faced with the Indian challenge), a document elaborated in collaboration between Indian and Spanish experts which offers a complete analysis of six successful cases of investment by Spanish companies in India.

Vardhana Singh, assistant director of the WTO

Indira Nath during the Asia Innov@ 2008 conferences

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Pankaj Ghemawat

Laxman Prasad at Asia Innov@ 2007

Casa Asia’s Economic and Cooperation Programs At a n e c o n o m i c l e ve l , a n d t h r o u g h its department of Economic and Coop e ra t i o n P r o g ra m s , C a s a A s i a h a s developed since it foundation an activ i ty w h o s e m a i n a i m i s t o o f f e r t h e Spanish business sector adequate know l e d g e o f t h e e c o n o m i c s i t u a t i o n , c h allenges and opportunities present in th e i r b u s i n e s s r e l a t i o n s a n d s t ra t e g i e s concerning Asian countries, among whic h I n d i a i s p r o m i n e n t . To t h i s e n d , i t organises seminars, courses, talks and c o n fe r e n c e s t h r o u g h o u t t h e ye a r. Just to mention a few examples, the d e p ar t m e n t h a s o r g a n i s e d i n f o r m ative and work sessions such as “Opo r t u n i d ad e s d e i nve r s i ó n e n I n d i a ” (“Opportunities for investment in India ” ) , “ E x p e r i e n c i a s e m p r e s ar i a l e s : l a India y la innovación” (“Business expe r i e n c e s : I n d i a an d i n n ova t i o n ” ) , “ E l futuro de las energías renovables en I n d i a : o p o r t u n i d a d e s p a ra l a e m presa española” (“The future of rene wa b l e e n e r g i e s i n I n d i a : o p p o r t u nities for Spanish businesses”) or “Ind i a y l a r e vo l u c i ó n d e l a s Te c n o l o g í as de la Información” (“India and the I n f o r m a t i o n Te c h n o l o g y r e vo l u t i o n ” ) . It has also developed, along with “la C a i x a ”, a s c h o l ar s h i p p r o g ra m t o s t udy an MBA at the Indian School of Busi n e s s i n H yd e ra b ad .

Joseph Prabhu, Professor at California State University (EE UU)

Raj Kumar Prasad, executive advisor for the Commonwealth Centre for e-governance of India


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Casa Asia and the Republic of India

Casa Asia and the Republic of India

Likewise, the department of Economic Programs and Cooperation at Casa Asia organises periodic events related to current economic affairs in Asia. Since its first edition in 2004, India has been present at the annual Asia Innov@ conferences, with subjects such as “The success of new technologies in India: reality and opportunities”, “India and the Information Technology revolution”, “R+D policies in Japan, China, South Korea and India” or the more recent “Asia and innovation: science and technology from a female perspective”. Sharing their experiences were Kavil Ramachandran, Professor at the Indian School of Business in Hyderabad; Ganesh Prabhu, Business Development director at WiPro Technologies; Prakash Chellam, Business Development director, Infosys Technologies; Indira Nath, director of LEPRA Society-Blue Peter Research Centre and member of the Scientific Advisory Committee of the Council of Ministers of the Government of the Republic of India; and Surbhi Sharma, director of ITSMA-Interactive Technology Software and Media Association and founder of the NGO Anchorage, among others.

PANKAJ GHEMAWAT

Professor of Global Strategy at IESE Business School and Business Administration at Harvard Business School’s

Casa Asia has a very valuable role to be played because the level of mutual knwoledge is not high. I am sure that the success of programmes that take Spanish businessman under guided visits to India or vice versa is the sort of process that once East-West Dialogue Opening

it reaches a certain level can take on its own momentum and be self-sustaining. However there is a critical catalytic role for institutions like Casa Asia to help to get the process of becoming more familiar going as it works.

Lastly, every year Casa Asia organises Forum Asia, an annual economic meeting whose goal is the analysis of the economic situation in Asia and which includes the attendance of important Asian and European analysts. This Forum has included the participation of Indian experts such as Gurachan Das, honorary president of Citibank in India and ex-vice president worldwide of Procter & Gamble; Deepak Nayyar, ex-chief economist of the Indian Government and permanent secretary of the Finance Ministry; Yogendara Kumar, president of the FICCI; Vardhana Singh, assistant director of the WTO; B.B. Bhattacharya, vice-chancellor of Jawaharial Nehru University; the IESE and Harvard Business School Professor Pankaj Ghemawat; and Arun Maira, president of the Boston Consulting Group India.

East-West Dialogue Starting with the first edition of the East-West Dialogue, celebrated within the Universal Forum of Cultures in Barcelona in 2004, Casa Asia offered to hold a permanent forum in Barcelona so that personalities from the political, academic and cultural sectors could freely and independently exchange ideas

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The program covering governance and governability in Asia, GovernAsia, dedicated its second bulletin to India and included a speech by Raj Kumar Prasad, executive advisor of the Commonwealth Centre for e-governance of India, during his annual conference dedicated to digital cities and egovernance. In addition, Casa Asia organised the international conferences “Microcredits for development: Asia and Africa”, inaugurated by Her Majesty the Queen and Muhammad Yunus, director of Grameer Bank. During the course of these conferences, M. R. Rao, operative director of SKS Microfinance, and Sara D’Mello, executive director of Committed Communities Development Trust, gave their points of view on economic development and the eradication of poverty in Asia and Africa.

Shashi Tharoor signing the Casa Asia’s book of honour

Arquería y claraboya -

Òscar Pujol with his Sanskrit-Catalonian dictionary

Vishakha N. Desai, president of the Asia Society (New York)

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and points of view concerning the importance of relations between East and West. Throughout the four editions held, the objective has remained unchanged: to be an intellectual tool to encourage dialogue between cultures and to support the Alliance of Civilizations, offering Asia greater participation in the debate concerning key issues such as international security, world peace and development. Among the personalities from India who attended the dialogue were film director Shekhar Kapur, Joseph Prabhu, Professor at the California State University (USA), Vishakha N. Desai, president of the Asia Society (New York), Shashi Taroor, writer and ex- general subsecretary of Communication and Information at the United Nations, and novelist Vikram Chandra.

Courses, seminars and conferences

Indian writer Vikram Seth

Rustom Bharucha, independent writer, theatre director and cultural critic

The regular programs of Casa Asia include a series of seminars and conferences through which it seeks to educate and inform on the history and culture of the Asian and Pacific region, and to approach the issues that appear in the media headlines in a deeper and more analytic manner. These sessions are given by experts from Asia, Spain and the rest of Europe. India has had a prominent role within these ongoing programs and has been the subject of a number of seminars throughout the history of Casa Asia, particularly during the year dedicated to India, the year 2008. The highlights were the presentations of the books Bollywood Nights, by Shobbha Dé and Orissa: templos y tribus, by Ana García Arroyo. Other writers who have passed through the institution are Vikram Chandra, presenting his last novel, Sacred Games, Vikram Seth (Two Lives); Raimon Panniker, winner of the Casa Asia prize 2004 and author of Espiritualidad Hindú and De la mística. Experiencia plena de la vida; Rafael Argullol and Vidya Nivas Mishra, presenting Del Ganges al Mediterráneo or the authors Suniti Namjoshi (Feminist Fables), Sunny Singh (El libro de suicidios de la abuelita), Eva Borreguero (Hindú. Nacionalismo religioso y política en la India contemporánea) or Anna María Briongos (¡Esto es Calcuta!). Another important presentation was that of the first Sanskrit-Catalan dictionary, published by Enciclopèdia Catalana and the work of Sanskritist and indologist Óscar Pujol, ex-director of Educational Programs at Casa Asia and current director of the Instituto Cervantes in New Delhi. Some of the conferences dedicated to this country were centered around personalities from India (“Anish Kapoor: artistic work and aesthetic thought”, by Amador Vega), spirituality (“Hindu mysticism: the experiences of the Hindu mystics compared to the Cristian mystics”, by Kala Acharya, “Sacred spaces in India”, by Agustín Pániker) or the sociopolitical context of the Indian subcontinent (“Muslims and minorities India: the challenge of secularism”, by Rustom Barucha; “The environment in India”, by Ramachandra Guha; “India, Pakistan and Kashmir: perspectives for peace”, by Vaiju Naravane). Series like the one organised by the Asociación Kalavā n a or “Los lunes de la India” (“The India Mondays”, organised along with Amics de la UNESCO) have offered a closer look at many other aspects of this country. On the other hand, Casa Asia’s educational offerings include Hindi and Sanskrit language courses and an introductory course to Iyengar yoga and Bharatantyam dance and other educational courses such as “The teachings of India’s spiritual masters”, “Images of India: society, cinema, dance and literature”, “R. K. Narayan, Salman Rushdie and Virkam Seth” or the contemporary Indian literature course “Indian women: between tradition and modernity”. Last of all, Casa Asia includes in its offerings the “Escuela de Bambú” (“The Bamboo School”) educational program. Its aim is to bring asian culture closer to schools and to encourage interculturality. To this end, there are a wide

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Casa Asia and the Republic of India

range of workshops dealing with Asian customs, popular traditions, cities and festivals so that students of all ages can learn to experience diversity as a positive reality. Some examples are “Everyday life through a sari”, “Let’s dance Banghra”, “Hindu philosophy” or “Indian economy”.

A place of exchange for our societies Among the objectives of the institution is the promotion of actions and projects that contribute to the enhancement and development of relations between Spain and India, as well as the exchange of knowledge between both societies. Work is done at institutional, economic, cultural and educational levels, with their sights set on the society of the new century. For this reason, there is a digital platform www.casaasia.eu which is a worldwide reference in Spanish concerning Asia and the Pacific, with an average of 500.000 pages visited every month. In addition, the content is published in three languages: Spanish, Catalan and English. Among other services, it offers: daily updating of over 100 sections, 30.000 records of events of our own creation, new bulletins on Asia with over 10.000 subscribers (activities, current affairs and economy), a database with over 15.000 links related to experts, scholarships, employment, business resources, etc.

Casa Asia, Barcelona

The Casa Asia headquarters in Barcelona, within the modernist Baró de Quadras Palace, is already a reference of the city’s vitality. With over 800 activities a year, Casa Asia is visited by an average 500 people a day who come to enjoy its services. Among these, there is a Media library, a multimedia documentation centre focused on Asia and the Pacific containing over 10.000 titles: 6.000 on paper -including all genres in a number of languages, from novels, travel guides, comics or children’s literature-, a Video library with 2000 DVD’s, a Newspaper library and an Audio library with 2.000 music CD’s (including the Alain Daniélou Library), representing all countries from the Asian continent. There is also an exhibition hall for Asian art; the Tagore auditorium, which hosts seminars and conferences; InfoAsia, an information centre; function rooms for the celebration of public and private events, lecture rooms and halls for workshops; and a bar-restaurant.

Casa Asia in Madrid Casa Asia, Barcelona

Casa Asia - Madrid Centre

Casa Asia - Madrid Centre

Casa Asia started its activity in Madrid at the end of 2005 with a few provisional offices at the Conde Duque barracks. The initiative took form thanks to the signing of an agreement with Madrid City Council and PromoMadrid, establishing a collaboration framework with these institutions which share the common goal of carrying out projects and activities that contribute to better mutual knowledge and encourage relations between Spain and Asian and Pacific countries in the capital. After Madrid City Council adhered in 2007 to the public consortium governing Casa Asia, the institution went on to have its own permanent location in the Spanish capital: the Casa Asia-Madrid Centre, located within the Miraflores Palace. From that moment on, the city saw an increase in activity: an agreement was signed to establish the headquarters of the Instituto Confucio in its lecture rooms, in addition to Hindi language and Bollywood and Bharattantyam dance classes, conferences, book presentations, Asian film seasons, ImagineIndia Festival projections, a 110 m² exhibition hall and work breakfasts such as “Experiencias de la empresa española en la India” (“Experiences of Spanish business in India”). The centre also has a media library, which completes the collection of the media library in Barcelona. Outside the Miraflores Palace, Casa Asia has continued to collaborate and co-

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Casa Asia and the Republic of India

Casa Asia and the Republic of India

organise activities with a number of institutions. For example: it participated in the 41 st Meeting of the Asian Development Bank, held for the first time in Madrid, through a seminar on Corporate Social Responsibility of Spanish companies in Asia or the international conferences “Microcréditos para el Desarrollo: Asia y África” (“Microcredits for Development: Asia and Africa”).

Casa Asia in Spain Casa Asia is present through an agenda of activities in most autonomous communities. This has encouraged a greater presence in Spanish cities which have helped organise or have collaborated in educational or informative activities concerning Asia and the Pacific. Likewise, the aim is to promote Casa Asia as an exponent of cultural diplomacy. The opening of Casa Asia-Madrid as a centre for education and documentation is a response to the need for a projection of Asia throughout the rest of Spain, as could be the case in the future in Valencia, the Basque Country or Galicia. The Valencian Community has plans for an Asia-Pacific Institute, in the Basque Country the Guipúzcoa chamber of commerce has launched a series of activities related to Asia.

2. The attraction of Spain for the Republic of India Spain, a country with a solid economy The Spanish economy, totally integrated within the European Union, presents solid foundations, with a higher Gross Domestic Product (GDP) growth rate than the average in Europe over the past few years. This has given Spain the chance to climb positions and become the world’s eighth most important economy and the sixth most important investor (second in Latin America). Tourism (it is the second tourist destination worldwide, behind France) is one of its strongest sectors. In 2007 the country cashed in a total of 51.1 billion euro from international tourism and received close to 60 million foreign tourists. However, there are other prominent sectors such as banking, telecommunications and the service sector in general. As for the energy sector, the country has recently made a strong commitment to the use of renewable energies, becoming one of the three countries that produce the greatest amount of wind power in the world. The Spanish economy is one of the world’s most open, with a strong flow of exchanges with other countries and an important presence of Spanish companies in Latin America, Europe and, increasingly, in the the United States and Asia.

RAMA VELAMURI

Associate Professor of CEIBS (Shanghai) and Professor of Entepreneurship at IESE Business School on leave

Spain is one of the leading industrialized nations of the world with cutting edge technologies and competitiveness in many industries. In the 25 years since I arrived in 1983, the country has undergone a transformation. From being a laggard in Europe in the early 1980s, it is now one of the most modern and buoyant economies in Europe.

Spain is Europe’s third most important car manufacturer, behind Germany and France. Spanish fashion wear (such as Custo, Zara, Mango, for example), and food companies (Freixenet, Pascual or Torres) have increased their size over the last few years and their presence has extended across the international markets. In addition, Spain is the world’s top olive oil producer and one of the main producers of wine, with internationally recognised standards of quality.

A sure investment Indian information technology companies, such as Infosys, TCS, Satyam or Wipro, which until now have led their activity in the English-speaking market, can find in Spain a very interesting platform to offer their services to Spanish companies or the Latin American market. Similarly, Spain is a good entrance gate for Indian companies from all sectors wishing to enter Latin America and Africa. In the case of the Latin American market, Spain has a network of banks, telecommunications and energy companies which can be used by Indian investors. Furthermore, Spain could be a good business starting point for the large Indian industrial conglomerates who wish to expand in the European market. In fact, the first Indian investments in the Spanish industrial sector have already started, though the volume is not yet large.

Spain: a mosaic of diverse people, unique in the world Visitors arriving in Spain have the opportunity of enjoying internationally renowned spaces, locations or artistic and historical monuments such as the Santiago Cathedral, the Alhambra in Granada or the cities of Salamanca and Toledo. In fact, Spain is the country with the most number of locations declared World Heritage Sites by the UNESCO (40 cultural and natural locations in 2007). But beyond the cultural treasures that take the visitor back in time and to Spain’s history, they can also enjoy contemporary artistic manifestations, closer and more vividly. In this context, a prominent example is the natural and organic quality of a universal figure in architecture, Antonio Gaudí, the great master of Catalonian modernism. His style is personal and imaginative, and when he first started, he drew from the influence of oriental art in search of an architectural language that could capture in his work the forms he saw in nature.

SUNNY SINGH

Novelist and journalist

I enjoy the emphasis on family and friends and I enjoy Barcelona’s seaside lifestyle especially. Of course I have friends in other parts of Spain who are also warm and welcoming people

SUJATA MEHTA

Ambassador of India in Spain

The Spanish way of appreciating all aspects of life and of trying to enjoy life to the full adds joy to living. Peace and calm of life here, the strong family bonds, the parks filled with children, parents and grandparents, the high quality of civic life, – these are only a few among the countless pleasures of living in Spain

But Spanish cities not only live on their past beauty, but also on the creations by current geniuses. Gaudí embellished the city of Barcelona between the end of the 19 th century and the first few decades of the 20 th century. Since this process slowed down over the previous century, other artists and professionals have taken over from there and with their creativity and talent they contribute to the embellishment of Spanish cities of the future. Projects such as the Guggenheim museum in Bilbao, by Frank Gehry, the Agbar Tower in Barcelona, by Jean Nouvel, or the City of Arts and Science in Valencia, by Santiago Calatrava, are fine examples of modern architecture.

Spain and art, a combination of tradition and vanguard The interest stirred by the works of great referential artists of Spanish classical art such as Goya, Velázquez, El Greco or Sorolla is well known. An indication of this is

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Port of Barcelona and WTC

Wind power

Ave,high-speed train

Spanish wine

Paella

Fruit market

Zara

Golf course

Aeropuerto -

Guggenheim Museum, Bilbao

City of Arts and Science, Valencia

Barcelona Faishon Week

Virgin olive oil


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Casa Asia and the Republic of India

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the great number of visitors to the museums that exhibit them, such as the Prado Museum, the Reina Sofía National Art Museum or the Thyssen-Bornemiza Museum in Madrid. However, Spain has continued to produce artistic manifestations which have become a reference in the world of modern and contemporary art. In each of the artistic specialities we find an outstanding example: the sculptures by Chillida, the paintings by Picasso, Dalí, Miró or Tapiés or the designs by Mariscal are just a sample of the innovation and creativity of Spanish artists.

QAZI ABDUR RAHIM

Director of ImagineIndia Festival

I would recommend the museums of Spain, its vibrant film buff scenario, with big new directors making risky movies against the tide. And Literature, of course, including the one from South America.

RAGHU RAI

Photographer

“In Spain art is celebrated in the streets of their cities, where everybody enjoys strolling next to beautiful works of art”

Flamenco

The Alhambra, Granada

Also well known is the international interest in one of the more passionate and imaginative artistic expressions associated with Spanish art: flamenco. It has even been stated that the melancholic tone of the cante jondo and the figures in the flamenco choreography share some expressions with the folklore art of some Asian countries. The origins of flamenco go back to India, passing through Persia and collecting influences from the Arabic-Muslim countries in the north of Africa.

Spain, a country with a universal language Spanish is the most widely spoken language in the world behind Mandarin Chinese and the second most studied in the world behind English. Spanish literature has universal writers and titles such as The Quixote by Cervantes or the poetry and theatre plays by Federico García Lorca.

Cadaqués

Spanish language is studied at four Indian universities: the English and Foreign Languages University in Hyderabad, Jawaharlal Nehru University, University of Delhi, University of Pune and University of Rajasthan. Though there are only a dozen hispanists in India, there is an increasing number of students who travel to Spain attracted by the language. Knowledge of Spanish is also valued as a means to build ties with Latin American countries. On the other hand, the reasons that lead to the study of our language in India are not only related to economy or investigation, but also to gain greater knowledge of the music, arts or architecture of Spanish speaking countries.

Casa Ametller and Casa Batlló, Barcelona

Toledo

The opening at the end of 2007 early 2008 of the Instituto Cervantes in New Delhi, which will be directed by Óscar Pujol, former director of Educational Programs at Casa Asia, responds mainly to this interest in the Spanish language. However, there are other languages to be found in Spain such as Catalan, Galician, Basque, and their variations (Bable, Alguerés, Valencian, or the different dialects of the Basque language, for example).

Spain, the country with the Mediterranean diet Spain is one of the countries that can boast of being loyal to the praised Mediterranean diet: it is healthy and very attractive to the Indian taste. Among many other reasons, due to the predominant role of fish, shellfish, rice and vegetables. A highlight are the tapas, a gastronomic expression in small rations

Agbar Tower, Barcelona

Santiago Calatrava’s bridge


Casa Asia and the Republic of India

VISWANTHAN ANAND

Chess Master

Spain is a country where food is serious business. Like India the cuisine varies from province to province. I enjoy their typical dishes like gazpacho and tortilla española. I love a good sea food paella or arroz con bogavante. But what I like are their soups, which are my version of one pot meals.

and assorted products that are usually shared between those at the table. Also worth mentioning are the olive oil and the wine, particularly those with a guarantee of origin from La Rioja and Ribera del Duero. On the other hand, Spanish chefs have deservedly made a name for themselves around the world, both the more avant-garde (Ferran Adrià, José Andrés) and the more traditional, with a modern touch (Juan María Arzak or Carme Ruscalleda).

Spain, among the elite of world sport

VISWANTHAN ANAND

Chess Master

Spain is having one of its best years in sports. Rafa Nadal becoming No.1 , Spain winning in football. The Olympics with Pau Gasol. They have generally a very high level of sport interest, and this year they seem to have really done well in many sports.

Spain, a country that looks to the future

Rafa Nadal

Spain national football team

Danza coreana Salmunari

Spanish sport, known worldwide, is going through a glorious moment: everyone is familiar with the names of tennis player Rafael Nadal, NBA basketball player Pau Gasol, cyclist Alberto Contador or Formula 1 driver Fernando Alonso. The international projection of our football clubs is also a key factor, particularly that of Real Madrid or FC Barcelona, and our basketball team, recent winner of the world championship. A special mention goes to the Spanish national football team, which won the Euro Cup.

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Fernando Alonso

Alberto Contador

In a clear commitment to modernisation, the economic resources destined in Spain to the promotion of technological investigation, development and innovation have increased considerably. According to reports by the Ministry of Science and innovation, the budget for R&D/innovation from 2004 to 2008 increased by over 164% and has established a new National R&D/innovation Plan 2008-2011 with which it intends to promote collaboration between public companies and centres and collaboration between the policies of the different administration departments, focusing on the areas of health, biotechnology, climatic change, technology, energy, telecommunications, information society, nanoscience and nanotechnology. This noteworthy economic effort has been complimented with the will to encourage a qualitative leap as regards quality of investigation and favour an increase of the investigation teams’ critical mass. Economic growth and evolution of society has called for an improvement of the transport infrastructure. The high-performance railway network integrated by high-speed lines continues to expand. On the other hand, Spain is in a key location regarding international maritime transport and its system of ports is the main route for importation and exportation of goods. For this reason, and in response to increased traffic at the ports, the most important of them have been modernised and there are more services on offer. Similarly, the expansion of the airports at Madrid, Barcelona and Valencia respond to the increase of passenger flights. In general, the domestic

Pau Gasol

Spain national basketball team


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Casa Asia and the Republic of India

transport network has been improved, but mainly the infrastructures related to international transport. Today, Spain is more and better connected to the rest of the world than ever before. Spain and India undoubtedly have many aspects in common. It is a relationship based on a shared understanding and mutual cultural fascination which has progressively flourished and become stronger. India and Spain share a model of society which firmly advances along the path of innovation towards the future, though without losing sight of the heritage of their History. Both societies are aware of the importance of combining past and present, tradition and vanguard, in order to face the new challenges the future holds.

Spain, a safe country to live and work in, modern but proud of its tradition, cosmopolitan and welcoming: the art of living

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CASA ASIA

HIGH BOARD OF TRUSTEES 2008

Ministry of Foreign Affairs and

Embassy of Spain in India

Cooperation (MAEC)

12, Prithviraj Road

Torres Agora Building

110 011 Delhi

26, Serrano Galvache, St.

embespin@mail.mae.es

28071 Madrid PromoMadrid

www.maec.es

34, Suero de Quiñones, St. Spanish Institute of Foreign Trade (ICEX)

28002 Madrid

14, Paseo de la Castellana

www.promomadrid.com

28046 Madrid TurEspaña

www.icex.es

6, José Lázaro Galdiano, St. 28701 Madrid

Casa Asia

Headquarters

Casa Asia Madrid-Centre

Palau Baró de Quadras

371, Diagonal, Ave.

Palacio Miraflores

373, Diagonal, Ave.

08008 Barcelona

15, San Jerónimo, St.

08008 Barcelona

T: 93 368 03 20

28014 Madrid

T: 93 238 73 37

F: 93 368 03 33

T: 93 368 03 20 F: 93 368 03 33

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