Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies, Online ISSN 2278-8808, SJIF 2021 = 7.380, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, MAY-JUNE, 2021, VOL- 8/65 https://doi.org/10.21922/srjis.v8i65.1341 विद्यालय ों में क ल जनजातीय बच् ों के अिधारण की चुनौवतयााँ विन्स कुमार1 & ि ० विरीष पाल व ोंह2
शोधार्थी (पी-एच.डी.शशक्षाशास्त्र, शशक्षा शिभाग), महात्मा गााँ धी अन्तरराष्ट्रीय शहिं दी शिश्वशिद्यालय, िधाा
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महाराष्ट्र -442001, Email- anshprincekumar27@gmail.com प्रोफेसर, शशक्षा शिभाग, महात्मा गााँ धी अन्तरराष्ट्रीय शहिं दी शिश्वशिद्यालय, िधाा महाराष्ट्र -442001
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Email- shireeshsingh1982@gmail.com
Paper Received On: 21 JUNE 2021 Peer Reviewed On: 30 JUNE 2021 Published On: 1 JULY 2021
प्रस्तु त शोध-पत्र “शिद्यालयोिं में कोल जनजातीय बच्ोिं के अिधारण की चुनौशतयााँ ” से सम्बन्धित है । अध्ययन का मुख्य उद्दे श्य कोल जनजाशत के छात्रोिं की िता मान शैशक्षक न्धथर्थशत का अध्ययन करना है । जनसिं ख्या के रूप में उत्तर प्रदे श प्रयागराज (इलाहबाद) शजले के शिंकरगढ़ ब्लाक में न्धथर्थत शिद्यालयोिं में कक्षा प्रर्थम से कक्षा अष्ट्म में अध्ययनरत कोल जनजाशत के समस्त छात्रोिं को जनसिं ख्या के रूप में सन्धिशलत शकया गया । न्यादशा के रूप में शोध की िणा नात्मक प्रकृशत के अनुरूप उद्दे श्यपूणा प्रशतदशान शिशध का प्रयोग शकया गया शजसमें कुल 100 छात्र-छात्राओिं को सन्धिशलत शकया गया । शोधउपकरण के रूप में शैशक्षक न्धथर्थशत को ज्ञात करने के शलए शोधार्थी द्वारा स्व:शनशमात उपकरण प्रश्नािली एििं साक्षात्कार अनुसूची का प्रयोग शकया गया । शनष्कर्ा के रूप में यह पाया गया िता मान शशक्षा पद्धशत में शशक्षण एििं पाठ्यक्रम का प्रारूप कुछ इस प्रकार से शनधाा ररत शकया गया है शक आप जनमानस के शलए प्रार्थशमक शशक्षा प्राप्त करने के उद्दे श्य ही स्पष्ट् नहीिं हो पाते हैं । प्रचशलत शशक्षा जन-मानस के दै शनक-जीिन में अनुपयोगी प्रतीत होती है । अशधकतर शिद्यार्थी शैशक्षक समस्याओिं का कारण शिद्यालय जाने का कोई साधन न होना तर्था घर से शिद्यालय का दू र होना मानते हैं । कोल जनजाशत के लोगोिं को शशक्षा के प्रशत नकारात्मक सोच र्थी क्ोिंशक उनको लगता र्था शक उनके बच्े पढ़-शलख कर भी एक अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते । कोल जनजाशत के अशधकािं श लोग अशशशक्षत र्थे शजसके कारण िे शशक्षा के महत्त्व को नहीिं समझते र्थे । कोल जनजाशत के लोग शदन भर की मजदू री से अपने बच्ोिं का पेट भरते हैं । उन शिद्याशर्थायोिं का कहना र्था शक कक्षा में शशक्षक द्वारा पढ़ाई जाने िाली शशक्षा अच्छे से समझ में नहीिं आती है । शशक्षक द्वारा ब्लैकबोडा होने के बाद भी बोलकर पढ़ाना समझ से बाहर चला जाता है । कक्षा के दौरान सहायक-सामग्री का भी अभाि है शजसके कारण शशक्षण के दौरान बाधा उत्पन्न होती है । शिद्यालय में दे री से पहाँ चने पर शशक्षक द्वारा उन्हें दिं शडत शकया जाता है । अशधकािं श शिद्याशर्थायोिं का कहना र्था शक उनके शिद्यालय में पानी पीने के शलए है ण्डपम्प तर्था िाटरकूलर की सु शिधा है और लड़कोिं एििं लड़शकयोिं के शलए अलग से शौचालय की व्यिथर्था है । अशधकािं श शिद्याशर्थायोिं के घर के आस-पास का िातािरण अच्छा नहीिं है शजसके चलते उसका प्रभाि उनके पररिारोिं पर पड़ता है । घर के आस-पास के लोग शशक्षा के महत्त्व को नहीिं समझते हैं । पररिार में यशद कोई नशा करके घर में आता है तो घर का माहौल शबगड़ जाता है और उनके पररिार में आये शदन लड़ाई ि झगड़े होते हैं । इस सम्बि में शिद्याशर्थायोिं ने कहा शक शशक्षक जब मातृ भार्ा या थर्थानीय भार्ा में शशक्षण काया करते हैं तो िह कक्षा में अशधक जुड़ाि महसू स करते हैं जबशक शिद्याशर्थायोिं ने कहा शक उन्हें शशक्षक द्वारा प्रयुक्त की जाने िाली भार्ा पूणारूप से समझ में आती है । मु ख्य िब्द: अनुसूशचत जाशत/जनजाशत, कोल जनजाशत, आशदिासी, शैशक्षक न्धथर्थशत,अपव्यय एििं अिरोधन आशद ।
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