PRAGAITIHASIK KALA EVAM SANSKRUTI: EK VISHLESHANATMAK DRUSHTIKON

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साधि उपलब्ध िहीिं

प्रागैतिहातसककालकहलािाहै। इतिहास का उस काल को ऐतिहातसक काल की सिंज्ञा द़ेि़े हैं। इस काल में मािि का अखित्व िो था, परिंिु ल़ेखि कला का अतिष्कार िहीिंहुआ था। इस काल में मािि इतिहास की कई महत्वपूर्ण घटिाएिं हुई तिसमें व्यखि तहमयुग स़े तिकलकर आग पर स्वातमत्व पािा, कृति का अतिष्कार करिा इत्यातद शातमल है। इस काल में कला एििं सिंस्कृति का भी पयाणप्त तिकास शुरु हो चुका था। तिसका प्रभाि भीमब़ेटका मध्य प्रद़ेश

औरतिसमें

Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language, Online ISSN 2348 3083, SJ IMPACT FACTOR 2021: 7.278, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, AUG SEPT, 2022, VOL 10/53 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language प्रागैतिहातिककलाएवंिंस्कृति:एकतवश्लेषणात्मकदृतिकोण िानीमातप्रया1 &अखिलेशरजक2 ,Ph.D. 1शोधछात्राइतिहासतिभागराधागोतििंदति .ति .रामगढ़ , 2शोधतिदेशक,सहायकप्रोफ़ेसर(इतिहासतिभाग)राधागोतििंदिीिीरामगढ़ ,झारखिंड Paper Received On: 25 SEPTEMBER 2022 Peer Reviewed On: 30 SEPTEMBER 2022 Published On: 1 OCTOBER 2022 Scholarly Research Journal's is licensed Based on a work at www.srjis.com प्रस्तावना भारिीय इतिहास क़े कालक्रम का िह काल तिसक़े तलए कोई तलखखि
है,
मिुष्यकािीििअप़ेक्षाकृिपूर्णिाशब्दिहीिंथाउस़े
की रािधािी भोपाल स़े ४५ तकमी. पूरब िथा 10 तकमी. क़े क्ष़ेत्र में 800 शैलाश्रम (श़ेल्टर) मौिूद आि भी तमलि़े है। िैसलम़ेर स़े 500 सौ शैलाश्रयो में उच्च कोतट क़े तचत्र पाए िाि़े हैं। भारिमें 1000 ईसापूिण में बिाईगईतचत्रकलाकोअकीबाल्डी कारल़ेलीऔरिािकॉकिािण ि़े कैमूर, (तमिाणपुर) पहाडी पेंतटिंग क़े आकार को द़ेश को अिगि कराया, िथा उस़े अपिी पुिकोिं म़े ितर्णि तकया। प्रागैतिहातसक शब्द प्राग+इतिहास स़े तमल कर बिा है। तिसका अथण है पूिण युग क़े हिारोिंििण पूिण मािि गुफाओिं में रहिा था। िह िह िाििरोिं का तशकार कर िा क़ेिल अपिी भूख तमटािा था,बखिइन्ीिंगुफाकीदीिारोिंपरमाििि़े अपिीकलाएििं सिंस्कृतिकोकलाकौशलकापररचयखुद दीिारोिंपर कुऱेदकर या ऱेखाओिं को सहििा क़े साथ अिंतकि का तदया था l िही आि हमाऱे पूिणिोिंक़े िीिि की िाितिकिा स़े पररतचि करि़े का आधार प्राप्त हो रहा है। भारि में प्रागैतिहातसक गुफाएिं

तितमणि इसमें स़े एक है। मध्य प्रद़ेश क़े ग्वातलयर क़े पास तििंध्य श्ऱेर्ी क़े पिणि पर खस्थि बाघ की गुफा क़े बरामद़े की दीिारोिं पर तचतत्रि हातथयोिं क़े तचत्र प्राचीि भारिीय तचत्रकलाकीउत्कृष्टिाकीअतिपराकाष्ठाहै। भारि में प्रागैतिहातसक काल की तचत्रकला की खोि सिणप्रथम अिंग्ऱेिोिंि़े की थी िो यहािं शासि करि़े क़े तलए आए थ़े। इसका श्ऱेय आचीबाल्ड कालाणइल िथा िॉि कॉक ििण को तदया िा सकिा है। तिियगढ़दुगण क़े पासतघरमिंगरिामकस्थािक़े पास कास्थािपरशैलाश्रयमें गेंड़े कातशकारकातचत्र तमला है। यह तचत्र एक बड़े पत्थर क़े बड़े भाग में अिंतकि है। िो शीला क़े पथरील़े भाग क़े तकिाऱे का खिंतडि भाग प्रिीिहोिा है इसमें गेंड़े को छह पुरुि मारि़े

िािीमातप्रया& डॉअखखल़ेशरिक (Pg. 13487 13491) 13488 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language तििकीचट्टािोिंपरकलाकारीबिीहुईहैं, औरआदमरि़ेिकागुफा, महाद़ेिगुफा, उत्तरीकिाणटकािथा आिंध्र प्रद़ेश क़े कुछ क्ष़ेत्रोिं में द़ेखि़े को तमलिी है। िहािं हाथी, तचिा, गेंडा और ििंगली सूअर क़े तचत्र तमलि़े हैं। इसमें लाल एििं भूऱे रिंगोिंका प्रयोगतकया गया है। कुछ तचत्रोिंको चट्टािोिंको कुऱेद कर बिाया गयाहै।इसकालमेंअतधकिरतचत्रपशुओिंकीआकृतिएििं तशकारकरि़े हुएतदखायागयाहै यद्यतपप्रागैतिहातसककालस़े प्राचीिभारिीयतचत्रकलाक़े अिश़ेिबहुिद़ेशोिंमें है।िथातपिह उसकी महाििा को प्रदतशणि करि़े क़े तलए पयाणप्त है। ि़े उि कुछ गुफा मिंतदरोिंमें पूतिि तचत्रोिंमें तचत्रोिं क़े रूपमें है। इसमें कोई सिंद़ेह िहीिंहै तक, अतधकािंश को मिंतदर तकस रुप मैं तचतत्रि तकए िाि़े थ़े, और मूतिण स्थापिाकास्थािम़े चमकील़े रिंगोिंमें रिंगािािाथा।िैसातकप्रायःतहिंदू मिंतदरोिं में आिभीहोिाहै औरयत्रित्रतभतत्ततचत्रोिंमें भीतिश़ेिकायण योििारहिीहै।धातमणकउद्द़ेश्ोिंक़े तलएअतपणिकुछकृतत्रम गुफाएिं तचत्रकला अत्यतधक तिकतसि शैतलयो क़े उदाहरर् प्रिुि करिी है। तितिणिाद रूप स़े कहा िा सकिा है तक अििंिा क़े तचत्र
हुए का तचत्र तमला हुआ हैं। इलाहाबाद तिल़े क़े खैरागढ़ क़े दतक्षर् भाग में भी तचतत्रि गुफाएिं तमली है l १९११ तमिाणपुर गि़ेतटयर में सोि, घाटी की तचतत्रिगुफाओिंकासबस़े प्राचीिमािितििासस्थािबिायागयाहै। भीमब़ेटकाकीगुफाओिंस़े बडीमात्रामें पुरािाखत्वकअिश़ेिप्राप्तहुएहैं अतधकिरगुफाएिं मध्य पािार् काल की है। यह खस्थति ६०० स़े अतधक गुफाओिं में स़े ४७५ मैं शीला तचत्र प्राप्त हुए हैं। यहािं क़े अतधकिर तचत्र लाल िथा सफ़ेद रिंग क़े हैं। कुछ हऱे और पील़े रिंगोिंमें है। इसमें गेंडा, चीिा, गाय बैल, िीलगाय, भैंस, भालू, बिंदर, सािंबर, तहरर्, आतदपशुओिंकाकलात्मकअिंकितकया गयाहै।एकतचत्रमें तकसी िुलूस का तचत्रर् तकया गया है। तिसमें अश्वरोही मिुष्य तदखाए गए हैं। भीमब़ेटका क़े तशलाल़ेख शैली िथा तििय की दृतष्टस़े ित्कालीि मािि िीििकी सुिंदर झािंसी प्रिुि करि़े हैं। इसक़े मुख्य तििय है िन्य िीिोिं का आख़ेट परस्पर युद्ध करिें हुए मिुष्य या उसक़े धातमणक अिुष्ठाि पूिा आकृतियािं इत्यातदकािर्णितमलिाहैं

आि़े हैं। इसमें

तचतत्रि तकया गया है। िैस़े िहा पर कुछ व्यखि पशुओिंपरआक्रमर्करि़े हुएतदखाईद़ेि़े हैं।यहािं परक्ष़ेत्रािंकिप्रकारक़े भीतचत्रतमल़ेहैं। पंचमतदक्षेत्र यह स्थल महाद़ेि पिणि श्ऱेर्ी में खस्थि है। सबस़े अतधक सिंख्या में तचत्र यहीिंपर तमलि़े हैं। यहािं पर पशु तशकार क़े अतिररि दैतिक िीिि स़े सिंबिंतधि तचत्रकारी स़े सिंबिंतधि तचत्रकारी की गई है। स्त्री पुरुिझडबिाकरिाचि़े हुएतदखाय़े गएहैं।

िािीमातप्रया& डॉअखखल़ेशरिक (Pg. 13487 13491) 13489 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language बांदाके क्षेत्र यहािं पर सरिह मलिा, कररयाकुिंड, किरा पहाड, ििागढ़, कोिालडा एििं खरतसया आि़े हैं। तसिंहिपुर क़े तचत्र सबस़े अच्छ़े होि़े हैं। तचत्रकला क़े उत्कृष्ट िमूि़े पाए िाि़े हैं। मातिकपुर क़े तशलाल़ेख मेंिीर, कमािधारीघुडसिारिथापतहयाधारीलकरागाडीमेंबैठ़े व्यखिकातचत्रर्तकयागयाहै। तमजाापुरक्षेत्र इसक़े अिंिगणि लखतिया दरी,कोहिर, पभोसा,लोहरी, रोप, किंडाकोट, सोरहो घाट, तिियगढ़, चुिारआतदक्ष़ेत्रमेंइसिरहक़े तचत्रतमलि़े है।लखतियादरीक़े एकतचत्रमें कुछघुडसिारपालिू हाथी कीसहायिास़े ििंगलीहाथीकोपकडि़े हुएतदखायागयाहै।एकअन्यतचत्रघायलसूअरकाहै िोमुिंह खोलकरअपिीपीडाकोप्रदतशणिकरि़े हुएतदखायाहै। रामगढ़क्षेत्र इसक़े अिंिगणि तसिंहपुर किरा पहाड, ििागढ़, िोिा लडा िह खरतसया क़े क्ष़ेत्र
भैंस, सूअर मुिंह उठाए सूअर, भैंस इत्यातद पशुओिं को
होसंगावादक्षेत्र यहपिंचमढ़ी स़े लगभग ४५ मीलकी दूरी पर िमणदा िदी क़े रमर्ीय िट पर खस्थि है। तचत्रकला िथास्थापत्यकलाकायहब़ेिोडिमूिाहै। प्रागैतिहातसककालीिसिंस्कृतिकातिश्ल़ेिर्करि़े परयह स्पष्टहोिाहै तकयहािं इसकालमेंतिम्नतलखखिसिंस्कृतिअपिीतिकासक़े पथपरअग्रसरहुईहै थी l मालवािंस्कृति यह सिंस्कृति उत्कृष्ट प्रकार क़े मृदभािंडो क़े तलए िािी िािी है। यहािं स़े दूतधयारिंग िाल़े अिश़ेि पाएगएहैं।इसक़े अलािाकाल़ेिथालालरिंगक़े बिणिभीप्राप्तहुएहैं। वुजाहोमिंस्कृति िुिणहोम श्रीिगर क़े पुरािाखत्वक महत्व िाला कश्मीर का प्रमुख ऐतिहातसक स्थल है। यहािं पर कई प्रकार क़े भूतमगि गड्ढ़े पाए गए हैं। ि़े लोग इस गड्ढोिंको अिंदर स़े ढक कर उसमें रहि़े थ़े। यहािं क़े घरोिंकातिमाणर्िमीिक़े िरस़े ऊपरईटिथागाऱे स़े तकयािािाथा।यहािं क़े लोगख़ेिीभीकरि़े थ़े l

फ्ल़ेक्स पद्धति क़े द्वारा बिाए गए तचत्रोिंका िर्णि द़ेखि़े को तमलिा है मद्रास िथा च़ेन्नई स़े प्राप्त कला क़े तचत्र तसिंगरौली घाटी तमिाणपुर इलाहाबाद कीब़ेलि घाटी में इससभ्यिाका प्रमार्तमला है तिसमें कलाएििं सिंस्कृति कोएकआधार प्रदाितकया है इसयुगकीभारिीयसिंस्कृतिकीउपरोितिरूपर्द्वारायहतिष्किण प्राप्तहोिाहै, तकइसधरिीपर प्रकट होि़े िाल़े आतदमािि क़े उत्तरोत्तर प्रगति की अतिष्कारो िथा ििीि खोिो की तिज्ञासा स़े ओिप्रोि मािि ि़े सभ्यिा और सिंस्कृति क़े तिकास को अपूिण शखि प्रदाि तकया। समय बीििा रहा, तिकास ि़े उन्नति तकया और । मािि िीिि म़े कालािंिर म़े काफी

िािीमातप्रया& डॉअखखल़ेशरिक (Pg. 13487 13491) 13490 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language िुिणहोम म़े मातलक क़े मर िाि़े पर बकरी िथा अन्य िाििरोिं को उसक़े साथ ही दफिाया िािा था। यहािं स़े हड्डी क़े तितशष्ट औिार, आयिाकार तचतत्रि चाकू क़े औिार, पशु िथा पत्थर क़े उपकरर् प्राप्त हुए हैं। इसी िरह कश्मीर क़े गुफाओिंमें भी पशुपालि िथा कृति करि़े क़े प्रमार् तमल़े हैं। इस काल में माििोिं का समातिकिा का िािािरर् काफी अलग था। अक्सर मािि छोट़े छोट़े कबीलोिं में रहि़े थ़े ,िथाउिकोििंगलीिाििरोिंस़े िूझि़े हुएतशकारी फॉमणरिीििकोव्यिीिकरिापडिाथा। प्रागैतिहातिककालीनकलाएवंिंस्कृतिकीतवशेषिाएं पूिण, मध्यकालिथाउत्तरपूिण पािार्युगकोसामूतहकरूपस़े प्रागैतिहातसककालकीसिंज्ञादी िािीहै, िबमाििि़े प्रगतिकीतदशामेंकदमबढ़ायािबएकसमयऐसाआयािबउस़े मात्रपत्थरक़े प्रयोगस़े तिरखिहोि़े लगीिंl पररर्ामस्वरूपअबधािु युगका प्रादुभाणिहुआ ,तिस़े धािु युगक़े िामस़े िािा िािा है। इस काल की सभ्यिा स़े अि़ेक प्रकार क़े तलखखि प्रमार् सिंस्कृि भािा में आि भी प्राप्त हुए हैं इस काल को आख़ेट काल या खाद्य सिंग्रहर् काल क़े िाम स़े भी िािा िा सकिा है महाराष्ट क़े "बोरी" िामक स्थाि पर खुदाई स़े प्राप्त अिश़ेिोिंमें मािि की हिारोिंलाखोिंििण पूिण की उपखस्थति का भी प्रमार् तमला है lउस समय सामान्य पत्थरोिं को पूिण िथा
पररििणि द़ेखि़े को तमला l िो समय क़े तहसाब स़े काफी रोचक रहा मध्य काल िक इिंसाि म़े ि़ेदिा, घृर्ा और िीिि इच्छा क़े प्रति िो पररििणि हुआ िह धीऱे धीऱे बहुरूपी हो गया। इस प्रकार प्रागैतिहातसक समरूपिा सिंस्कृति कला समृखद्ध की तिरिंिरिा एक का व्यापक आधार सिंस्कृति क़े अि़ेक रूप और गुर् म़े कालािंिर म़े तदखि़े लगा lइसकालक़े बादही मािििीििमें एकििीििातिकासकीभाििाकासिंचारहुआ l िथालोगोिं म़े सामातिक सोच का दायरा बढ़िा शुरू हो गया। आग़े िैस़े िैस़े अध्ययि होिा िाएगा प्रागैतिहातसक काल की कला एििं सिंस्कृति का एक िया अध्याय िुडिा िाएगा िो भतिष्य में अध्ययि करि़े िाल़े इतिहास ि़ेत्ताओ क़े तलए इतिहास को िािि़े समझि़े और अपिी गौरि पूर्ण सिंस्कृति को एक िया आयामतमल़ेगा l

(Pg. 13487 13491)

िािीमातप्रया& डॉअखखल़ेशरिक
13491 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language संदर्भग्रंथसूची मुखिी , रतिन्द्रिाथ, सामातिकमाििशास्त्रकीरूपऱेखाआगराप्रकाशिचिुथणभाग बोस ,एिक़े कल्चरएिंडसोसाइटीइिइिंतडया , 1962, मुिंबईl लुतिया,िीएस., प्राचीिभारिीयसिंस्कृतिआगरा1966, 1977 l इतलयट , टीएसदड़ेतफि़ेशिऑफकल्चर1948, इिंग्लैंडl म़ेिखरिंगरऑफतसतिलाइि़ेशि,न्यूयॉकण 1945 l रूथब़ेि़ेतडक्ट , पैटिणऑफकल्चरबोस्टि1934 l रामधारीतसिंहतदिकरसिंस्कृतिक़ेचारअध्याय,1956 l पिंि , तिि़ेतदिा,अथिणि़ेदकापुरार्अध्ययि , ईस्टिणबुकतडपोआगरा2013 l किंबोि , डॉतियालालऋग्व़ेदसिंतहिातिद्यातितधप्रकाशितदल्ली2004

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