Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language, Online ISSN 2348-3083, SJ IMPACT FACTOR 2021: 7.278, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, FEB-MAR, 2022, VOL-10/50
हिन्दी आलोचना के आधार शुक्ल: एक पररशीलन सौ. सररता मनोिरराव डोोंगरे
सहशिशिका सौ. मंजुळाबाई हायस्कूल खतगाव.
Paper Received On: 25 MAR 2022 Peer Reviewed On: 31 MAR 2022 Published On: 1 APR 2022 Scholarly Research Journal's is licensed Based on a work at www.srjis.com
शहं दी साशहत्य के इशतहास में रामचंद्र िुक्लजी का नाम अग्रणी हैं । इन्हंने सपूणण जीवन साशहत्य के प्रशत समशपणत शकया। शहन्दी साशहत्य कह शवश्व स्तरीय पहचान शदलाई। - उन्हंने अपना आरं शिक साशहत्य जीवन काव्य रचना से प्रारम्भ शकया, तत्पश्चात गद्य शवधा के िेत्र में आयाशधक कायण कर अपनी पहचान बनाई। संपादक, आलहचक, शनबंधकार तथा अनुवादक के रूप में ख्याशत प्राप्त की। िुक्ल जी शहं दी साशहत्य के युग प्रवतणक आलहचक के रूप में शवख्यात हैं । आचार्य शुक्ल की समीक्षा पद्धहत शहन्दी समीिा के िेत्र में आचायण पं . रामचन्द्र िुक्ल सवणश्रेष्ठ रसग्राही आलहचक के रूप में हमारे सामने आते हैं । इस िेत्र में हमें उनके शितीय व्यक्तित्व के दिणन हहते हैं उन्हंने सैद्धाक्तिक आलहचना के मापदं ड क्तथथर शकये और महत्त्वपूणण एवं श्रेष्ठ व्यावहाररक आलहचनाएँ प्रस्तुत की। इस प्रकार उन्हंने सैद्धाक्तिक िहर व्यावहाररक दहनहं प्रकार की समालहचना के िेत्र में मौशलक यहगदान शदया। प्राचायण िुक्ल वस्तुतः वतणमान यु ग के उन िारतीय समीिकहं में अग्रणी हैं , शजन्हंने शहन्दी समीिा कह व्यापक, वैज्ञाशनक एवं सवाां गीण रूप प्रदान शकया। िुक्लजी की समीिा पद्धशत पर शवचार करते समय हम दह बातहं पर शवचार करें गे (क) िुक्लजी की आलहचना िैली । (ख) िुक्लजी की समीिा पद्धशत की शविेषताएँ । (क) शुक्लजी की आलोचना शैली – िुक्लजी ने मुख्यता व्याख्यात्मक आलहचना प्रणाली का व्यवहार शकया है । व्याख्या-शववेचन के अिगणत ऐशतहाशसक श्रहर तुलनात्मक पद्धशतयाँ िी आ गई है । कहीं-कहीं शनणणयात्मक आलहचना का िी प्रयहग शमल जाता है ।
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