SAMAJIK SAMAVESHAN : BUNIYADI VIDYALAY KE VISHESH SANDARBH ME

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Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language, Online ISSN 2348 3083, SJ IMPACT FACTOR 2021: 7.278, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, AUG SEPT, 2022, VOL 10/53 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language सामाजिकसमावेशन : बुजनयादीजवद्यालयके जवशेषसंदर्भमें गणेशशुक्ल1 &आचार्यआशीषश्रीवास्तव2 1शोधछात्र ,शैक्षिकअध्ययनक्षिभाग 2संकायाध्यि एिं क्षिभागाध्यि , शैक्षिक अध्ययन क्षिभाग , महात्मा गााँधी केन्द्रीय क्षिश्वक्षिद्यालय ,पूिीचंपारण ,क्षिहार Paper Received On: 25 SEPTEMBER 2022 Peer Reviewed On: 30 SEPTEMBER 2022 Published On: 1 OCTOBER 2022 क्षशिाक्षकसीभीसमाजमेंचलनेिालीसामाक्षजकप्रक्षियाहै|क्षजसमेमनुष्यकीआंतररकशक्तियों काक्षिकासएिंव्यिहारपररस्कृतहोताहै|गुणित्तापूणणक्षशिासामाक्षजकएकताऔरसामाक्षजकसमानता केक्षलएएकमहत्वपूणणउपकरणहै|क्षशिाएकस्थायीसमाजकेक्षनमाणणमेंमहत्वपूणणभूक्षमकाकाक्षनिणहन करतीहै|क्षशिासक्षहष्णुताकोप्रोत्साक्षहतकरनेकेसाथ साथक्षिद्याक्षथणयोंकोआत्मक्षनभणरिनानेकेक्षिशा मेंमहत्वपूणणकायणकरतीहै|गााँधीकीिुक्षनयािीक्षशिाक्षिद्याक्षथणयोंकोइसप्रकारसेतैयारकरतीहैक्षक अपनेजीिनमेंआनेिालेचुनौक्षतयोंकासामनाकरसके|क्षजसमेमनुष्यमेंमानिता ,जड़ोसेजुडाि , अतीतसेआधुक्षनकताकीतरफलेजाकरभारतीयछात्रोंकोिैक्षश्वकपटलपरस्थाक्षपतकरना|िस्तुत क्षिद्यालयिहस्थानहोताहैजहाक्षिक्षभन्नधमण ,िणण , रंग , रूपअथिायहकहाजासकताहैक्षककई संस्कृक्षतयोंकाक्षमलापहोताहै|अतएकक्षशिककोभीक्षिक्षभन्नसंस्कृक्षतयोंकािपणणहोनाचाक्षहएतभी िहआिशणरूपमेंिहुसांस्कृक्षतककिाकिकोतैयारकरनेमेंसफलहोगा|इसशोधपत्रमेंिुक्षनयािी क्षिद्यालयक्षिक्षभन्नसामाक्षजकसंस्कृक्षतयोंएिंमूल्ोंकोएकक्षिद्यालयके रूपमेंउसके संरिणएि सामाक्षजकसमािेशनमेंकैसेितणमानसमयमेंप्रासंक्षगकहोसकताहै ,इसतथ्यपरप्रकाशडालागयाहै| मुख्यशब्द:िुक्षनयािीक्षिद्यालय,सामाक्षजकसमािेशन , Abstract

तर्ा ननगात व्यवहार में नदखाई पड़ता है | यही उसके आदतोंके ननमाार् की प्रनिया का वाहक है | नजसके द्वारा बालक के ज्ञान, चररत्र तर्ाव्यवहारकोएकनवशेिसांचे में ढालाजाताहै

गणेशशुक्ल& आचायणआशीषश्रीिास्ति (Pg. 13356 13367) 13357 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language Scholarly Research Journal's is licensed Based on a work at www.srjis.com प्रस्तावना राष्ट्ीय पाठ्यचयाा की रुपरेखा 2005 के अनुसार समावेशन शब्द का अपने आप में कुछ खास अर्ा नही होता है समावेशन के चारो ओर जो वैचाररक, दाशाननक, सामानजक औरशैनिक ढाचाहोता है, वहीसमावेशन कोपररभानितकरता है समावेशन कीप्रनियामें बच्चोकोनकेवललोकतंत्रमे भागीदारीके नलएसिमबनाताहै अंतनिाया करना भी समान रूप से महत्वपूर्ा है | मानवीय मूल्ोंके नवकास के महत्त्व के संदभा में ऐसेमूल्ोंकोप्रार्नमकतानमलनीचानहएनजसमेसमाजऔरदेशकाकल्ार्नननहतहो | महात्मागााँधीजीसमाजोपयोगीमानवमूल्ोंके महानसमर्ाकर्े, उनकाइसमतमेंगहरा नवश्वासर्ानकसच्चीनशिाके माध्यमसेमानवीयमूल्ोंकोनवकनसतनकयाजासकताहै | गााँधी जी के दृनष्ट् में सच्ची नशिा वह है जो मनुष्य के भौनतक एवं आध्यात्मत्मक पिों का अभ्युदय करने में समानरूप से सहायक है | नशिा एक ऐसा माध्यम है नजसका प्रभाव बालक के बौत्मिक नचंतन,साम्यदृनष्ट्कोर्
| गााँधीजीके शब्दोंमें “तुम्हारी नशिा सवार्ा बेकार है यनद उसका ननमाार् सत्य और पनवत्रता के नीव पर नही हुआ | यनद तुम अपनेजीवनके पनवत्रताके बारे मेंसजगनहीहुएतोसबव्यर्ाहैभलेहीतुममहान नवद्वान् हीक्ोंनहोजाओ” ( महात्मागााँधी टू दस्टूडेंट, पृष्ट्संख्या२३० ) समस्त भारत विा में नवद्यालयोंकी कमी नही है कमी है तो नसर्ा ऐसे नवद्या स्र्लों की जहां बालक को सामानजक मूल्ों को जीने का अवसर नमलता हो और सावाभौनमक करर् का संप्रत्यय वहाके वातावरर् में जीवनदायानी वायु की भााँती घुला हो बहुसंस्कृनत नशिा समान अवसरोंको सीखने और जीने के नलए एक ऐसा ही नाम है नजसका उद्देश्य नबनानकसीआयु, धमा, जानत,नलंग सीमाओंऔरसंस्कृनतयोंके परवाहके ,प्रत्येककोनशिा कासमानअवसरप्रदानकरताहै | जबएकनवजातबालकइसदुननयामेंकदमरखताहै
गणेशशुक्ल& आचायणआशीषश्रीिास्ति (Pg. 13356 13367) 13358 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language तोवहपूर्ातःअसामानजकहोताहै वहनशब्दोंकीभािाजनताहै औरनतोसंवेदनाओं की अनभव्यत्मि जो अभी नमत्रता और शत्रुता से परे है | उसे रीनत ररवाज और परम्पराओं काभीआभासनहीहोताहै , औरनहीउसमेनकसीआदशातर्ामूल्कोप्राप्तकरनेकी नजज्ञासापाईजातीहै समावेशीनशिावतामानसमाजकीएकअपररहायाआवश्यकताबन गयीहै,महात्मागााँधीमानतेर्ेनकयहवैयत्मिक,पाररवाररकसामानजकएवंराष्ट्ीयनवकास के दृनष्ट्सेअत्यंत्रमहत्वपूर्ाहै \ उनकामाननार्ानकबुननयादीनवद्यालयनवनवधप्रकारका नवभेदनएवंअसमनताओके कारर् हुयीररत्मियोंकोभरनेमेंसहायकहै | बुजनयादी जवद्यालय की ऐजिहाजसक पृजिर्ूजम महात्मा गााँधी का भारत में नशिा के िेत्र में पहला शैनिक प्रयोगशाला चंपारर् (नबहार) र्ा | ननलहे साहबों के अत्याचार के नवरुध्दमहात्मागााँधीचंपारर्सत्याग्रह (1917) के नलएआयेर्े, उन्ोंनेयहअनुभवनकया नक नशिा के अभाव में अनेक तरह के बुराइयोंसे जजार समाज में राष्ट्ीय पुनजाागरर् या सामानजक तर्ा आनर्ाक नवकास का सपना अधुरा रह जायेगा | उनकी दृनष्ट् में यह प्रतीत हुआनकसमाजके उन्नयन में स्र्ायीतरहकाकामसहीढंगसे ग्रामीर्नशिाके आभाव मेंअसंभवहोगा | इसतथ्यकोध्यानमेंरखतेहुएमहात्मागााँधीजीनेग्रामीर्नवद्यालयोंकी स्र्ापनासम्बन्धीयोजनाओंकोमूता रूपदेने में संलग्नहोगएउनकीअपेिार्ीनक , गााँव वाले स्कूल के नलए स्र्ान तर्ा नशिकोंके आवास और भोजन की नजम्मेदारी ननभाएंगे | उनकीअपेिाएसर्लीभूतभीहुयी| सुयोग्यएवंसमनपातनशिकोकीसेवाके नलएउनका ध्यानबम्बईप्रान्तमेंप्रार्ानासमाज, सवेंटआर्इंनडयासोसाइटीतर्ाडेक्कानएजुकेशन सोसाइटी के समनपात स्वयं सेवकों की तरर् गया | गााँधी जी 8 नवम्बर 1917 को बम्बई प्रान्त ( वतामान महाराष्ट् तर्ा गुजरात ) से नशिा प्रेमी एवं सुसंस्कृत कुछ मनहलाओं एवं पुरुिस्वयंसेवीनशिकोके सार्महात्मागााँधीजीचंपारर्लौटे | पूवी चंपारर् में ढाका के ननकट बरहरवा लखनसेन के उदार दानदाता श्री नशवगुलामनेअपनामकानप्रार्नमकनवद्यालयके संचालनके नलएसौपनदए | र्लस्वरूप गााँधी जी ने 14 नवम्बर 1917 को बरहरवा लखनसेन में प्रर्म प्रार्नमक नवद्यालय का
गणेशशुक्ल& आचायणआशीषश्रीिास्ति (Pg. 13356 13367) 13359 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language शुभारम्भकराये | इसनवद्यालयके देखरेखके नलएयूरोनपयनप्रनशिर्प्राप्तइंनजननयरश्री बबन गोखले एवं उनकी पत्नी श्रीमती अवत्मन्तका बाई गोखले जो सुनशनित नशनिका एवं प्रनशनित नसा र्ी, की सेवाए नशिर् काया के नलए उपलब्ध करायी गयी | गााँधी जी को संबोनधत नवद्यालय की प्रगनत सम्बत्मन्धत अपने प्रनतवेदन में श्री ववन गोखले ने 6 नदसम्बर 1917 कोसूनचतनकयानकछात्रछात्राओंकीसंख्या 75 होगयींहै | यहनवद्यालयकाया के सार्स्वच्छताग्रामीर्स्वास्र्कीसमस्याओंके समाधानतर्ासामानजकसंस्कृनतमेंसुधार की ओर समान अनभरुनच रखते र्े, अर्ाात यह नवद्यालय ग्रामीर् पुनजाागरर् कायािमों कोसर्लबनानेमेंअनमोलसहायकहुआ | पनिमचंपारर्नजलाके मुख्यालयबेनतयासेलगभग 40 मीलउत्तर पनिममेंत्मस्र्त नभतहरवा गााँव में गााँधी जी ने 20 नवम्बर 1917 को दुसरे प्रार्नमक नवद्यालय की स्र्ापना की | इसनवद्यालयके संचालनके नलएसामानजककायाकताा श्रीसदानशवलक्ष्मर्अनुभवी नचनकत्सक तर्ा डॉ० देव , श्री मनत कस्तूरबा गााँधी तर्ा तीन अन्य स्वयं सेवकोंकी सेवाएाँ उपलब्धकरायीगयी | इसनवद्यालयके सर्लसंचालनके दौरानडॉ०मेररमेंदेवनेउत्कृष्ट् समाज सेवी के उदहारर् पेश नकये | प्रर्म राष्ट्पनत डॉ० राजेंन्द्र प्रसाद के शब्दों में “नभनतहरवाकास्कूलभवनडॉ0 देवके प्रशंसनीयकायास्मारकर्ा” | सेठघनश्यामदासके सहयोगसे 17 जनवरी 1918 कोगााँधीजीनेमधुबनमेंतीसरे प्रार्नमकनवद्यालयकीस्र्ापनाकी|इसनवद्यालयकाप्रभारश्रीनरहरीद्वाररकादासपाररख और उनकी पत्नी श्री मनत मनर्बाई पाररख, महादेव देसाई पत्नी दुगाा बाई देसाई , श्रीमती आनंदीबाईकोसौपागया | महात्मागााँधीके ये तीनोंनवद्यालयआश्रमकीतरह संचानलत नकयेजारहेर्े | गााँधीद्वारास्र्ानपतइननवद्यालयोंकाव्यापकशैनिकप्रभावआसपासके गांवोंपरभीपड़ाऔरसामानजकपुनजाागरर्कीभावनाकाजागरर्हुआ| इसप्रयोगकी दूरगामी चचाा करते हुए डॉ० राजेन्द्र प्रसाद (प्रर्म राष्ट्पनत भारत ) ने अपनी पुस्तक ‘ चम्पारर्मेंमहात्मागांधी’ मेंस्पष्ट्नकयानकबुननयादीनवद्यालयोंकाप्रभावकेवलछात्रोंपर
गणेशशुक्ल& आचायणआशीषश्रीिास्ति (Pg. 13356 13367) 13360 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language हीनहीपड़ाबत्मिवहां के आसपासमें रहने वाले गांवोंपरभीपडा,यनदयहकामकुछ नदनोंतकऔरचलतातोनबहारकीहालतसुधरजाती | गांधी जी ने नशिा सम्बन्धी अपने नवचारोंसे चम्पारर् के तात्कानलक नजलानधकारी से अवगतकराये| गााँधीजीअपने शैनिकप्रयोगके िममें चम्पारर्नजलाके तात्कानलक नजलानधकारी जे० एल० मेररमेन को संबोनधत 19 नवम्बर 1917 को अपने पत्र में गााँधी ने नलखा नक ‘मै आपकी वतामान नशिा प्रर्ाली से घबराता हु उसमे बच्चों के नैनतक एवं मानवीय नवकास करने के बदले उन्ें कुंनठत नकया जाता है | वतामान प्रर्ाली की नवशेिताओंको ग्रहर् करके उसकी जो बुराइयां है उनसे बचने का प्रयत्न करूंगा’ गााँधी जीकीमान्यतार्ीनकऔपननवेनशक नशिाप्रर्ालीकाजीवनके वास्तनवकताओंसे कोई सम्बन्ध नही है | बुननयादी नशिा नीनत के महत्त्व को ध्यान में रखकर नबहार में बुननयादी नशिाके प्रचार प्रसारकीओरसमुनचतप्रार्नमकतायेदीगयी | दानदाताओंके सहयोगसे लगभग 300 बुननयादीनवद्यालयोंकीस्र्ापनानबहारतर्ाझारखण्डमेंकीगयी | चंपारर्में पंनडत प्रजापनत नमश्रके नेतृत्व मे 25 30 बुननयादी नवद्यालय 1939 के पहले स्र्ानपत नकये गए, बेनतयाके ननकटकुमारबाग, बुननयादीनवद्यालयोंकाकेंद्रर्ा | जहागााँधीके नेतृत्वमें मई 1939 मेंकांग्रेसकीओरसेएकनवशेिसम्मलेनकाआयोजननकयागयार्ा | महात्मा गांधी के कुशल नेतृत्व से उत्सानहत व्यत्मियों ने बुननयादी नवद्यालयों के प्रचार प्रसार में सराहनीयोगदाननदया | गााँधीजीनेअपनेनशिाकानामबुननयादीतालीमरखार्ा| परन्तु बुननयादीकासहीमायनेमेंअर्ाक्ाहैयहहमसबआजभीवास्तनवकअर्ोमेंसमझनही पाए | बुननयादी के अर्ा में हम केवल इतना समझते है नक बच्चे को आरम्भ में देने वाली नशिापरन्तुमहात्मागााँधीके अर्ोमेंइसकाइतनाहीअर्ानहीहैइसके मूलमेंउनकीजो मंशारहीर्ीनकदेशमें प्रार्नमकस्तर, माध्यनमकस्तरअर्वाउच्चस्तरपरजोभीनशिा दीजायवहसमस्तनशिाइसीबुननयादपरखड़ीहोगी | सामानजकसमावेशन के रूपमें गााँधी यह चाहते र्े नक नशिा के नशिर् अनधगम प्रनिया में ग्रामीर् एव शहर का कोई अन्तर न हो | गााँधी जी अपने नशिा का प्रयोग एक पिनत के रूप में नही नकये र्े | इसे
गणेशशुक्ल& आचायणआशीषश्रीिास्ति (Pg. 13356 13367) 13361 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language उन्ोंने एकनवचारके रूपमें प्रस्तुतनकये र्े | नवनोवाभावे अपनीपुस्तकपुस्तक ‘नशिर् नवचार’ मेंनलखतेहैनककईनशिर्पिनतयााँपहलेहोचुकीहैवैसेहीयहएकनयीनशिर् पिनतआईहैऐसासोचनागलतहैयहएकनवचारहैनजसप्रकारभारतकोप्राचीनजमाने से ब्रह्म नवचार है उसी ब्रह्म नवचार से द्वैत, अद्वैत, नवनशष्ट्ा द्वैत आनद वैसे ही यह व्यापक नशिर् नवचार है | सामानजक समावेशन में बुननयादी नवद्यालय के शैनिक दशान के मुख्य तत्वननम्नहै | बालकेन्द्रििजशक्षा बुननयादीनवद्यालयके शैनिकदशानकाएकमात्रनवियबालकहै , नशिाबालककोप्राप्तकरनीहै अतःउसे सर्लऔरसार्ाकबनाने के नलएयहअत्यंत आवश्यक है नक नवद्यालय के प्रत्येक नियाकलाप में नवद्यार्ी अपने पुरे मनोयोग से सहभानगताकरे | नवद्यालयकाहरनदनकाकायािमक्ाहो, उसमे नकनबातोंकोमहत्त्व नदयाजाय, पाठ्यिमके नकनपहलुओंपरजोरनदयाजायनवनभन्ननवियोंऔरकामोंको नकतनासमयनमलेइसकाननर्ायबालकोकीआवश्यकताओंऔरनदलचत्मस्पयोंकोसामने रखकर करना होगा | बुननयादी नवद्यालय बालक को ग्राहक की दृनष्ट् से देखती है नजसमे उसके रुनचयोंपसंदोंनापसंदोंआवश्यकताओं को समझती है और हर संभव पूरी करने कीकोनशश करती है | बुननयादी नवद्यालय कासमूचा प्रयास बालकोंके सवाांगींर् नहत के नलएनकयाजाताहै, नवद्यानर्ायोंके मांगोप्रनवनत्तयोंझकावोऔररूनचके आधारपरस्कु ल कासाराकायािमबनायाचलायाजाताहै | प्रत्येकबालकएकअनूठाप्रार्ीहै , वैयत्मिक नभन्नता बालकोंमें उतनी ही पायी जाती है जीतनी वयस्कोंमें | यह प्रचनलत धारर्ा है नक जन्म पर सब बच्चे एक जैसे होते है, छोड़ देना चानहए , इसका यह तात्पया नही नक बच्चों के परस्परभेदकोसमानताकाअभावहै, बत्मियहनकबच्चोंके भेदकोमानाजायऔर उन्ें एक प्रकार की नशिा देने अर्वा इनके सार् एक ही प्रकार का व्यवहार करने की कोनशशनकीजाय | बालकएकजीताजगतानियाशीलजीवहैजोनकसीननकसीउद्देश्य कीनसत्मिमेंहमेशालगारहताहै | बुननयादीनवद्यालयोंमेंननम्ननलत्मखतशतोंपरनवशेिध्यान नदयाजाताहै |
गणेशशुक्ल& आचायणआशीषश्रीिास्ति (Pg. 13356 13367) 13362 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language  नवद्यानर्ायोंके व्यत्मित्वकोप्रार्नमकताके आधारपरमान्यतादेना  बच्चों कोनवद्यालयपररवेशमेंउसके मयाादापिकोनवकनसतकरतेहुएस्नेहप्रदान करना |  सभी नवद्यानर्ायों को सामान रूप से अपना समझते हुए उत्सानहत, प्रेररत करना पररत्मस्र्नतयोंके अनुसारउन्ें अपनेआपकोनवकनसतकरनेकीरचनात्मकिमता प्रदानकरअच्छे औरबुरे कोभेदसमझनेकीिमताकानवकासकरना | जशक्षा का माध्यम मािृर्ाषा अपने मन के भावोंकी अनभव्यत्मि के साधनोंमें भािा सवाानधक महत्वपूर्ा है| उसमे भी मातृभािा का महत्व सवोच्च है| क्ोनक नजस भािा का ज्ञानहमेमाताके दूधके सार्उपलब्धहोताहैउसकीतुलनाअन्यभािाओाँसेनहीकीजा सकतीहै | इसीनलएगााँधीजीनेप्रार्नमकनशिाकामाध्यममातृभािाहीमानाहै |बुननयादी नवद्यालय में नशिा का माध्यम मातृभािा होता है ,मातृभािा में बालक नकसी भी चीज की सहजता, सरलता, स्पष्ट्ता, से नसखता है | इस तथ्य को वैज्ञाननक भी स्वीकार करते है, बालक जब अपनी भािा में भावनाओं की अनभव्यत्मि करता है तो उसे बड़ी आसानी से कर लेता है| मातृभािा में पुरवोंके नचंतन की सररता प्रवानहत होती है | जो युगोंयुगोंतक मानवके अन्तःकरर्कोपनवत्रकरतीरहतीहै| मातृभािामेंमनुष्यकीं संस्कृनतएवंउसकी जानतगतसारीप्रवृनत्तयां घुलीनमलीरहतीहै | अतएवकहाजासकताहै नकमातृभािाकी समुनचतनशिाहीसारीनशिाकीनीवहै | बुननयादीनशिाके पाठ्यिमके अनुसारबच्चों मेंभािाईज्ञानकास्तरननम्ननलत्मखतरूपसेहोताहै  नवद्यानर्ायोंको इस योग्य हो जाना चानहए की वह अपने आसपास की चीजोंलोंगों औरघटनाओंके बारे मेंस्वाभानवकरूपसेखुलकरऔरनवश्ववासके सार्बातचीत करसके |  वहदैननककामकीनकसीभीबातपरसार् सार्औरठीक ठीकबोलसके |

नकसीएकनशल्पसेउनकासम्बन्धजरुाँरजोड़ाजायेगा | यहइसकरर्नकयाजायेगानशल्प

गणेशशुक्ल& आचायणआशीषश्रीिास्ति (Pg. 13356 13367) 13363 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language  गघऔरपघदोनोंको अर्ा समझते हुएआनंदपूवाकपढ़सके | नवद्यानर्ायोंकोइस योग्य होना चानहए नक वे पढ़ाते वि ननजीव और र्कान देने वाली बातोंको छोड़ दे|  उसकी नलखावट आसानी से पढ़ी जाए | उसकी नलखने की गनत अच्छो हो और लेखनशुिहो|  रात नदन की घटनाओं और बातों पर सार् सार् स्पष्ट् रूप से भािर् कर सके , प्रनतवेदनप्रस्तुतकरसके | जशल्पअथवाउत्पादककायभ के द्वाराजशक्षा नशल्प एक अलग नविय के रूप में नही होता है जो वतामान पाठयिम में जोड़ा जाए नजससे हमारे नशिा सम्बत्मन्धत नवचारों में पररवतान आये | सवाल यह नही है नक नशल्प को परम्परागत प्रर्ाली के अंतगात शानमल नकयाजाय | बत्मिनशिाके समूचेकायािमकोनशल्पसेओतप्रोतहोनाचानहये, बुननयादी नवद्यालयमेंनशल्पअध्यापनकामाध्यमहोगा | परन्तुसनदरहेनकइसकायहअर्ानहीनक इनतहास, नवज्ञान,भािा, गनर्तऔरअन्यनवियोंकाअध्ययनबंदहोजायेगा| इननवियोंका बड़ासास्कृनतकमूल्हैनजनकीअवहेलनानहीकीजासकतीपरउन्ेंपढ़तेपढ़ातेसमय
के काम में ज्ञानेत्मन्द्रयों और कमेत्मन्द्रयों को एक सार् कम करने का मौका नमलेगा और बालकईमानदारीसेमेहनतकरनेकामूल्समझनेलगेगाऔरसार्हीसार्व्यवहाररक बुत्मिऔरकुशलताकानवकासकरेगा| बुननयादीनवद्यालयके ननम्ननलत्मखतनवियहै  मातृभािा  समाजशास्त्र  गनर्त  समाजनवज्ञानं  कला ( नचत्रकारी , संगीतआनद )  नहंदी ( जहााँ यहमातृभािानहीहै |)

काकामश्रेष्ट्समझाजाताहै | हार्काकामकरनाऔरहस्तश्रमयामजदूरीकरके

गणेशशुक्ल& आचायणआशीषश्रीिास्ति (Pg. 13356 13367) 13364 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language  खेलऔरशारीररकव्यायाम उपयुािनवियननम्ननशल्पोंके माध्यमसेपढायेजायेंगे  कताईऔरबुनाई  बागवानीऔरबादमेंखेती  नजल्स्दाजी नजसमे कागज और गत्ते का कम शानमल है | और बाद में लकड़ी और लोहे काकाम |  चमड़े काकाम  नमट्टीके बतानबनाना  मछलीपकड़ना  घरकाकामलड़नकयोंके नलए | जवद्याजथभय में श्रमके महत्त्वकाज्ञान हमारे देश में सामानजक व्यवस्र्ा हमेशा जात पााँतके भेदभावसे ओतप्रोतरहीहै छोटे बड़े व् उंचनीचकाभेदजीवनऔरकाया के हर िेत्र में पैदा होता है और स्वीकार नकया जाता | ऊाँची जानतयोंके लोग हार् से कम नही करतेऔरनीचीजानतयोंके लोगहमेशाकरतेहैइसनलएहार्काकमननकृष्ट्औरनदमाग
रोजी कमानासम्माननतव्शानदारनहीख्यालनकयाजाताहै | चमार, दजी, नाई, लुहारधोबीव् सुनारकासमाजमें वहसम्माननहींहै जोअध्यापकऔरक्लका काहै | चाहे उनके काम में कमाई अनधक हो नकन्तु ऊाँची जाती के लोग यह काया नही करते | परन्तु बुननयादी नवद्यालयउत्पादककायाके द्वाराऐसासमाजपैदाकरताहैनजसमेजानतसम्प्रदायऔररंग से संकुनचत भेदभाव न रहे, जहा सब को बराबर सुनवधाए नमले और नजसमे सब लोगो से यह आशा की जाए नक वे राष्ट् और देश की उन्ननत और कल्ार् के नलए प्रयत्नशील रहे | कोईभीव्यत्मिदेशकीसेवाकरसकताउसकीसामानजकस्र्नतपरनहीबत्मिमाननसक और शारीररक समर्ा पर भी ननभार रहता है| बुननयादी नवद्यालय में मनुष्य की रचनात्मक प्रेंरर्ाओं को नवकास पाने का अवसर नमलता है और हार् से कुछ काम करना पड़ता है
गणेशशुक्ल& आचायणआशीषश्रीिास्ति (Pg. 13356 13367) 13365 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language नजससे यंत्रवत ननत्यिम की नीरसता दूर हो जाती है और और नवद्यानर्ायोंकी कुछ करने बनाने और रचने की प्रेरर्ा नमलती है | बुननयादी नवद्यालय में नवद्यार्ी अपनी रूनच के अनुसार छोटीमोटीचीजे तैयार करते है| इस प्रकार हम देखते है नकबुननयादी नवद्यालय मेंनवद्यार्ीश्रमकरताहै औरश्रमके महत्त्वकोभीसमझताहै | बुजनयादीजवद्यालयजवश्वशांजिमेंसहायक- ऐसीदुननयामें जहानवनभन्नराष्ट्ोकीशत्मि सामूनहक नवध्वंस के भीिर् यंत्रोंके अनवष्कार पर अवलंनबत हो शांनत की बात तकाहीन नजरआतीहै| नकसीभीराष्ट्कीनीनतयोंएवंप्रगनतयोंकीसर्लताव्यत्मियोंके माननसक और नैनतक स्वभाव पर ननभार रहती है| वतामान नशिा पद्दनत में जोर व्यत्मिगत सर्लता पर है| प्रनतयोनगता की अंधाधुंध दौड़ में हर नवद्यार्ी को इस बात की ज्यादा नचंता है नक उसका सार्ी उससे आगे न बढ़ जाएं| परन्तु बुननयादी नवद्यालय में नशल्प का काया करते हुए छात्र एक दुसरे से मदद मागते है और वे सहज भाव में उनकीआपस में मदद करते है| चाहेवेअलगअलगकिाओंवजानतयोंके होचाहेउनकीरूनचऔरसहानुभूनतनवनभन्न नदशामें हीक्ोंनहोपरन्तु सारे नवद्यार्ीपरस्परसहायताएवं सहयोगकापर्सीखते है | नशल्पके काममेंपरस्परसहयोगसहयोगजरुरीऔरस्वभानवकहैऔरइसकायाके द्वारा जोपरस्परसहयोगएवंसहानुभूनतकीभावनाउदयहोगीवहऐसेआदशासहकारीसमाज काबीजबोयेगानजसमेआिमर्प्रनतस्पधाा, शोिर्, औरदूसरोंके अनधकारोंकाअपहरर् असंभव होंगे| एक मौन सामानजक िांनत के नलए बुननयादी नशिा की पिनत एक प्रभाव डालेगी| वस्तुत यह नशिा पद्दनत सत्य और अनहंसा पर अवलंनबत है| महात्मा गााँधी की बुननयादी नशिा से अनभप्राय यह र्ा नक सच्ची नशिा और नहंसा में परस्पर मुलभूत नवरोध है, इसनशिापद्दनतद्वाराइतनाप्रभानवतनकयाजासकताहै नकनवद्यार्ीनहंसाऔरलड़ाई से घृर्ा करने लगेंगे, अनधकार अपहरर् अस्वस्र् प्रनतस्पधाा और उनके पररर्ाम स्वरूप घृर्ाकाबनहस्कारहोजायेगा, लड़ाईअनधकदूरऔरअसम्भवहोनेलगेगी|

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गणेशशुक्ल& आचायणआशीषश्रीिास्ति (Pg. 13356 13367) 13366 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language जनष्कषभ- ननष्किा रूप में यह कहा जा सकता है नक भारतीय समाज की सबसे बड़ी नवशेिता परस्पर ननभारता और सह अत्मस्तत्व की रही है| और यह नवशेिता भारतीय ज्ञान परम्पराकानहस्सा भीरहा है | महात्मागााँधी बुननयादी नशिा कायािमसे एक सामानजक िांनतकासपनादेखार्ा| उनके नशिाकाउद्देश्यगांवके बच्चोकोआधुननकग्रामीर्ोंमें बदलनार्ा,इससेभीमहत्वपूर्ाबातयहर्ीनकबुननयादीनशिाकाउद्देश्यकेवलब्यत्मियों को रोजगार के नलए तैयार करना नही र्ा बत्मि व्यत्मि को आत्म ननभार बनाना र्ा| बुननयादीनवद्यालयके द्वारानवद्यानर्ायोंमेंसार्ाकश्रमतर्ाश्रमकामहत्त्वकोनवद्यानर्ायोंके मन मत्मस्तष्क में आदर की भावना का नवकास हो एवं इस नशिा के द्वारा समाज में और जानत में बड़े वांछनीय संपका और सम्बन्ध पैदा करे सार् में प्रजातात्मिक उदेश्यों और आदतोंकोसमझानेऔरअपनानेके नलएहमेशातत्पररहे | इसप्रकारकहाजासकताहै नकबुननयादीनवद्यालयसामानजकसमावेशनमेंमहत्वपूर्ा भुननकाननभासकताहै| Reference

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,शोभाकांत(2006),हमारीक्षशिा ,क्षिहार

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,शोभाकांत

प्रजापक्षत

गणेशशुक्ल& आचायणआशीषश्रीिास्ति (Pg. 13356 13367) 13367 Copyright © 2022, Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language
झा
:प्रजापक्षतशैक्षिकक्षिकासएिंसमाजउन्नयनसंस्थाजय प्रकाशनगरिेक्षतया
झा
(1996),प्राथक्षमकक्षशिा:एकअधययन(पक्षिमचंपारणकेसन्दभणमें)क्षिहार:
शैक्षिकक्षिकासएिंसमाजउन्नयनसंस्थाजयप्रकाशनगरिेक्षतया|

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