Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies, Online ISSN 2278-8808, SJIF 2021 = 7.380, www.srjis.com PEER REVIEWED & REFEREED JOURNAL, SEPT-OCT, 2021, VOL- 9/67
स्कूल इं टर्न शिप कार्नक्रम के प्रशि शिश्वशिद्यालर् ं के एम. एड. शिद्याशथनर् ं के दृशिक ण का अध्यर्र् चन्द्र प्रकाि श ंह
शोध विद्यार्थी, वशक्षा विद्यापीठ, महात्मा गााँ धी अंतररास्ट्रीय वहंदी विश्वविद्यालय Chandraprakashbhu@gmail.com
Paper Received On: 21 OCT 2021 Peer Reviewed On: 31 OCT 2021 Published On: 1 NOV 2021 Abstract विविन्न शोधों, आयोगों एिं सवमवतयों ने वशक्षक-वशक्षा के छे त्र में गु णित्ता पूणण व्याव्सावयक वशक्षक-वशक्षकों के वनमाण ण के वलए ितण मान वशक्षक-वशक्षा कायण क्रम में सु धार के सु झाि वदए गए है । इन्ीं सु झािों एिं ितण मान समय की मां ग को ध्यान में रखते हुए रास्ट्रीय अध्यापक वशक्षा पररषद ने कररकुलम फ्रेमिकण 2014 के अध्यादे श द्वारा एम.एड.पाठ्यक्रम में इं टनणवशप कायण क्रम को अवनिायण कर वदया गया है । इस शोध पत्र में यह जानने का प्रयास वकया गया है वक-इं टनणवशप कायण क्रम क्या है ?,इसकी आिश्यकता क्यों पड़ी ?,इसके प्रवत विश्वविद्यालयों के एम.एड. छात्रों का दृष्टीकोण क्या है ?, यह कायण क्रम वकस प्रकार उनके िृ वत्तगत विकास में मदत कर रहा है ?, वशक्षक-वशक्षकों ने बताया वक िे वकस प्रकार इस कायण क्रम में सवक्रय सहिाग कर अपने अनुििों को समृद्ध वकए एिं वकस प्रकार वक बाधाएं आयी इत्यावद । इस पेपर में विश्वविद्यालयों के एम.एड. चतु र्थण से मेस्ट्र के विद्यावर्थणयों का चयन वकया गया है ,एिं स्कूल इं टनणवशप कायण क्रम पर उनके दृष्टीकोण को जानने का प्रयास वकया गया है ,आकड़ों के सं ग्रहण के वलए स्व वनवमणत दृष्टीकोण मापनी का प्रयोग वकया गया एिं काई िगण परीक्षण एिं प्रवतशत विश्लेषण का प्रयोग करके आकड़ों का विश्लेषण वकया गया है । मु ख्य िब्द- इं टनणवशप, दृवष्टकोण ।
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वशक्षा मानि जीिन का अविन्न अंग है यह मानि जीिन को श्रे ष्ठ बनाने का महत्वपूणण साधन है । इसके द्वारा मानि की योग्यताओं का अवधकतम विकास सिाण वधक सरल,सुव्यिस्थर्थत एिं प्रिािी ढं ग से वकया जा सकता है यह एक ऐसा साधन है वजसके द्वारा एक समू चा समाज अपनी महत्वाकां क्षाओं की पूवतण करता है । वकसी िी व्यिथर्था में श्रे ष्ठता प्राप्त करना मु ख्य उद्दे श्य होता है और जब बात वशक्षा के क्षे त्र में हो रही हो तो ज्यादा महत्वपूणण हो जाता है । यवद हमारी वशक्षा िह हमारे प्रयासों की गुणित्ता उच्चतम स्तर की नहीं होगी तो हम सुव्यिस्थर्थत सुयोग्य नागररकों का वनमाण ण नहीं कर पायेंगे । गुणित्ता एिं श्रे ष्ठता को ध्यान में रखते हुए वशक्षा के क्षे त्र में इं टनण वशप की संकल्पना को वनरूवपत वकया गया है , इसकी उत्पवत्त उन्नीसिीं सदी के प्रारं ि में संयुक्त राज्य अमेररका में हुई वजसका मु ख्य उद्दे श्य सैद्धां वतक ज्ञान का िास्तविक धरातल पर कायाण नुिि के द्वारा िास्तविकता को समझना र्था एिं वकसी विशेष रोजगार, पद, व्यिसाय से संबंवधत कायण आधाररत शै वक्षक अनु िि प्राप्त करना र्था । आज समाज में ज्ञान एिं वशक्षा के क्षे त्र में मु ख्य समस्या यह है वक सैद्धां वतक ज्ञान एिं व्यािहाररक पररस्थर्थवतयों में बड़ा अंतर है इसका मु ख्य कारण दोनों को स्वतंत्र समझने के कारण है । िारत में थर्थावपत विविन्न वशक्षा आयोगों ने
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