जल- वशेषांक “आज भी खरे ह तालाब”
दुधवा लाइव (व व य जीवन एवं कृ ष पर आधा रत अं तरा
य मा सक
प का)
वष: 6, अंक -5-6, मई-जून 2016
अंतरा
य ह द /अं ेजी प का
दुधवा लाइव Wildlife
Agriculture
Environment
Dudhwa Live ISSN 2395-5791 (Online)
International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 Dudhwa Live Magazine Editor-in in-Chief Krishna Kumar Mishra Website-- www.dudhwalive.com email-editor.dudhwalive@gmail.com
Dudhwa Live
International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016
एडीटो रअल बोड -दुधवा लाइव ई-प का
प ाचार कृ ण कुमार म
एडीटर-इन-चीफ*
77, कैनाल रोड, शव कालोनी, लखीमपु र खीर , उ र दे श-262701
कृ ण कुमार म (जन ल ट एवं व य जीव वशेष )
भारत
लखीमपु र खीर मोबाइल- +91-9451925997
काशक
सलाहकार*
दुधवा लाइव क यु नट आगनाइजेशन
सु शांत झा (जन ल ट एवं लेखक)
लखीमपुर खीर , उ र दे श, भारत गणरा य
नई द ल नोट- प का म का शत आलेख व ् शोध प
मोबाइल-+91-9350712414
के वचार से स पादक क
सहम त अ नवाय नह ं है
ल गल एडवाइज़र* सोमेश अि नहो ी (एडवोकेट सु ीम कोट ऑफ़ इं डया) नई द ल मोबाइल-+91-9560486600 संपादक मंडल कमलजीत (कृ ष वशेष य, रोहतक-ह रयाणा)* मोबाइल +91-9992220655 आशीष सागर (समाजसेवी, आर ट आई ए ट व ट, बांदा-बु ंदेलखंड)* मोबाइल- +91-9621287464
*सभी पद अवैत नक है
कवर फोटो-
Brachythemis contaminata अजीत कु मार शाह
दुधवा लाइव अ तरा
य ह द /अं ेजी प का म अपने लेख, त वीर व ्
प
editor.dudhwalive@gmail.com
हम
अथवा
dudhwalive@live.com पर े षत कर.
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International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 और जंगल जीव से सामज य बनाकर जीवन यापन कया, ये सच है, दु नया का इ तहास उठा कर दे ख ले , मजदूर के अलावा
ाि त
कभी कसान ने नह क , और कसान को अभी भी नह सू झ रहा है, क खेती सरकार और मल मा लक के हवाले है अ
य
कसी कसान के घर म पाव भर भी असल बीज नह हाइ ड बीज और नकल पेि टसाइड पर
प से, नकलेगा,
नभर ये वग अभी भी
बाज़ार का खेल नह समझ पाया, अफ़सोस, आज अकाल पड़ जाए तो कैश
ाप के नाम पर खेती करने वाला
कसान भू ख से मरे गा,
य क अनाज के नाम पर उसके घर म कुछ नह , कसान होने के बावजू द ये लोग अनाज के
लए बाज़ार पर
नभर है, ब खा रयां
नदारद है , बस ग ना जैसी यवसा यक खेती वाले फसल बोयगे, और ऐसे हालात म य द एक कसान चना अरहर या अ य अनाज बोता संपादक क कलम से...
है तो जा हर है क हजारो हे टे यर ग ने क फसल के म य एक
पानी सफ धरती से नदारद नह ं हो रहा है बि क इंसानी आँख
अनाज को न ट करने के लए काफ है, फर बताएं दोष कसका,
नीलगाय ह
य बकर और भैस भी कुछ बीघे उस दलहन या
म भी सू ख रहा है ...
चेतना और वचार जैसी मानवीय वृ य को
नीलगाय बनाम क़ृ षनी त
गाँव के हालत बदल चु के है, य द ऐसा नह होता तो तालाब भरे ,
गोवा म रा
चलते कसान को अपने मोहपाश म बाँध लया और नतीजतन अब
य प ी मोर, बंगाल म गजराज, हमाचल म ब दर
और बहार म नीलगाय को मारने के सरकार फ़रमान ज़ार करने वाले ये लोग
वयं को भारतीय सं कृ त के सरमायेदार बताते है
बावजू द इसके इनक हु क़ू मत म कृ ण का सू चक गजराज, हनु मान का
य रा
इस
य प ी मोर, गणेश
तीक बानर और नीलगाय जैसे
जीव क ह या कराई जा रह है, धा मक द तब भी
तीक को दर कनार कर
या वािजब है.. ये कृ य? सरकार महकम के लोग भी
हंसक कृ य को अंजाम दे ने से मना
कए तो हैदराबाद से
शकार बु लवाकर ख़ू नी खेल खेला जा रहा है, हमारे
धानम
ी जी
बहु त बु ध क बात कहते रहे ह दे श वदे श म, अब जब बु ध क धरती पर यह हंसक खेल खेला जा रहा है तो उसक जवाब दे ह तो बनती ह है?, भारतीय सं कृ त को कौन से च म से दे खते ह ज़रा उस
ांड क
यापा रक लालच के
ां डंग भी कर दे ता क दे श क जनता को हज़ार
जानवर के खू न से लतपथ नज़ारा न दखाई दे । धरती पर जो भी उपजता है उसका उपयोग है, उसे लूटने क इजाजत या न ट करने क , कसी को नह , इकोलॉजी म असंतु लन
य है इसपर काय कर
चारागाह हरे , और ख लहान आबाद होते आज, बाज़ार और सरकार क नी तय के मु ता बक़ सर झु काकर सब वग यू ँ द र
वीकार करने वाला यह
न होता, और वो लोग मज़े न कर रहे होते जो अ न
के नाम पर एक दाना नह उपजा सकते, अ नदाता क यह हालत वचारणीय
है...
नील गाय तो कुछ नह , लोग के मोटे पेट भरने के लए जो कसान
कर रहा है, उसे ये नह मालुम क ये बहु रा
य कंप नय
ने इसे भखमंगा बना दया है, इसके पास न असल बीज बचे और न ह उवरा मटट सभी कुछ खा गयी ये पेि टसाइड, संकर बीज और उवरक बनाने वाल कंपनी, इस वग ने वशाल आम के वृ जगह प द
प द भर के सं द ध-संकर
ट बर के नाम पर यु के ल
स, जैसे पौधे लगाए, इनक स त यां
फल, अ न सब के लए नह तरसेगी तो कसक तरसगी! ग ना ने जमीन पर अ धकार कया सो खेती और गाँव क पा रि थ तक ह त द ल हो गयी, पशु प ी सब ख़ म हो रहे है , अनाज के दाने नह ह गे तो आदमी
या पशु प ी सब नदारद हो जाएंगे , और और यह
हु आ, गाँव बदल गए ग ने के घास के मैदान म! ग ना िजसे
त सीम करने क है सयत हो तो, य क आप (हम-सब)अकेले इस
सो अभी व त है कसान आँख मूँद कर क थत ह रत
यादा है इस वसु ंधरा पर, अगर
धरती के एक ह से पर भी िज दा रहने क कूबत नह रखते बना इन
जीव
जंतु ओं
और
वन प त
के।
आज नीलगाय ब दर, मोर और जंगल सू अर क सामू हक ह या क इज़ाजत और शु
हो चु के ख़ू नी खेल के लए िज मेदार सरकार के
वन एवं पयावरण मं ालय के मं ी महोदय और इस मु दे पर यवसाई
कसान जो वकालत कर रहे ह जीव ह या क .. उ ह
बताना चाहू ँगा क रह क
कसान कभी अस ह णु नह ं होता और यह वजह
बहार और उ र
क
न ल के आम उगाये,
सरकार, या फर त सीम कर दे ये जमीन उनके लए िजनका हक़ आदमी से पहले और आदमी से
हणत
ाप
कहा
गया
क प नयो के झू ठे स ज़बाग म न आये, नीलगाय तो
यासी है...
ाि त, और सफ एक
बहम है। और हाँ सामु दा यक भावना भी नदारद हो गयी है हमारे गाँव से... पानी का अकाल महज़ तालाब , द रयाओं और कुओं म ह नह ं आया है बि क इंसानी आँख म भी अकाल आ चु का है पानी का... जय
कसान-जय
अ नदाता
कृ ण कु मार म
दे श के कसान ने एक सव म यह बात
कह क वह नीलगाय को मारना नह चाहते बस उनके नु सान क भरपाई हो और इस जीव को कृ ष कभी
ाि त नह कर सकता,
वाला भी...स दय से उसने
े
से दूर कया जाए..
कसान
य क वह स ह णु है और धीरज
बना उफ़
कए अपने प रवार समाज Page 3
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तु तजल- वशेषांक 1- अकेले नह ं आता अकाल- अनुपम म 2- अकाल अ छे काम का भी- चतर संह जाम
3- तराई म खीर जनपद के तालाब क यथा-कथा- अशोक नगम 4- संकट म सु हेल जो सरयू क सहायक नद है- महबू ब आलम 5- पानी िजसम वयं नारायण नवास करते ह- अंज ल द
त
6- राज व तालाब क क जा मु ि त- सजग हु ई उ र दे श सरकार तालाब के लए- अ ण तवार
7- यहां पाई जाती ह पृ वी और उसके लोग क कहा नयां-
पल अजबे
8- तालाब जीवन ऊजा के पावर हाउस ह।– कृ ण कुमार म
9- पानी रे पानी तेरा रं ग कैसा..........! – जीनेश जैन 10- महान श ा वद और कृ त के असाधारण च कार- रबीं नाथ ठाकुरफरदौस खान
11- न दयां हमार सं कृ तय क धरोहर ह – कृ ण कु मार म 12- ी ी- यमु ना ववाद : चोर और सीनाजोर – अ ण तवार 13- तालाब बचगे तो धरती क गाढ़ ह रयल ह रयाल भी आबाद रहे गी – दुधवा लाइव डे क
14- जल सरं ण के लए आयोिजत क गयी कायशाला – दुधवा लाइव डे क
15- खंड-खंड होता बु ंदेलखंड – आशीष सागर 16- कोयला पर नभरता बढ़ा रहा जलसंकट, भारत के पावर लांट नगल रहे 251 म लयन लोग के ह से का पानीः ीनपीस – अ वनाश कु मार 17- ‘भू वा
य य द अ छा है तो मानव सब कुछ कर सकता है। - डॉ
सु हेल
18- बांदा से लखनऊ- एक या ा पानी के लए – दुधवा लाइव डे क 19- तापगढ़ का पानी और शासन – अ ण तवार 20- बरखा तु म कब आओगी? – ववेक सगर
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International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 खबर यहां राजा के बेटे को राजा बना दे ने क खबर से ढं क गई ह। कह ं अकाल के बीच लग रह प थर क मू तयां हमारे नेत ृ व का प थर- दल
अकेले नह ं आता अकाल
बता रह ह।
on June 17, 2016
कई बात बार-बार कहनी पड़ती ह। इ ह ं म एक बात यह भी है क अकाल कभी अकेले नह ं आता। उससे बहु त पहले अ छे वचार का अकाल पड़ने लगता है। अ छे वचार का अथ है , अ छ योजनाएं, अ छे काम। अ छ योजनाओं का अकाल और बु र योजनाओं क बाढ़। पछले दौर म ऐसा ह कुछ हु आ है। दे श को
वग बना दे ने क तम ना म तमाम नेताओं ने
पेशल इकोना◌ॅ मक जोन, संगू र, नंद ाम और ऐसी ह न जाने कतनी बड़ी-बड़ी योजनाओं पर पू रा यान दया। इस बीच यह भी सु ना गया
क इतने सारे लोग
वारा खेती करना ज र नह ं है। एक
िज मेदार नेता क तरफ से यह भी बयान आया क भारत को गांव का दे श कहना ज र नह ं है। गांव म रहने वाले शहर म आकर रहने लगगे, तो हम उ ह बेहतर च क सा, बेहतर श ा और बेहतर जीवन के लए तमाम सु वधाएं आसानी से दे सकगे। इ ह लगता होगा क शहर म रहने वाले सभी लोग को ये सभी सु वधाएं मल ह चु क ह। इसका उ र तो शहर वाले ह दगे। अकाल क पदचाप साफ सुनाई दे रह है। सारा दे श चं तत है। यह सच है क अकाल कोई पहल बार नह ं आ रहा है, ले कन इस अकाल म ऐसा कुछ होने वाला है, जो पहले कभी नह ं हु आ। दे श म सबसे स ती कार का वादा पू रा कया जा चु का है। कार के साथ ऐसे अ य यं ा-उपकरण के दाम भी घटे ह, जो 10 साल पहले बहु त सारे लोग क पहु ंच से दूर होते थे। इस दौर म सबसे स ती कार के साथ सबसे महंगी दाल भी मलने वाल है- यह इस अकाल क सबसे भयावह त वीर होगी। यह बात औ यो गक वकास के व
ध नह ं कह जा रह है। ले कन इस महादे श के बारे म जो लोग सोच
रहे ह, उ ह इसक खेती, इसके पानी, अकाल, बाढ़ सबके बारे म सोचना होगा।
हमारे यहां एक कहावत है , ‘आग लगने पर कुआं खोदना’। कई बार आग लगी होगी और कई बार कुएं खोदे गए ह गे, तब अनु भव क मथानी से मथकर ह ऐसी कहावत म खन क तरह ऊपर आई ह गी। ले कन कहावत को लोग या नेत ृ व ज द भू ल जाते ह। मानसू न अपने रहे -सहे बादल समेटकर लौट चु का है। यह साफ हो चु का है क गु जरात जैसे अपवाद को छोड़ द तो इस बार पू रे दे श म औसत से बहु त कम पानी गरा है।
अकाल क आग लग चु क है और अब कुआं खोदने क तैयार चल रह है। ले कन दे श के नेत ृ व का-स ा ढ़ और वप
का भी पू रा यान, लगता
नह ं क कुआं खोदने क तरफ है। अपने-अपने घर-प रवार के चार-चार आना क मत के झगड़ म शीष नेत ृ व िजस ढं ग से उलझा पड़ा है, उसे दे ख उन सबको बड़ी शम आती होगी, िज ह ने अभी कुछ ह मह ने पहले इनके या उनके प
म मत डाला था। के
क पा टय म चार आने के झगड़े ह,
पतंग कट रह ह, मांजा लपटा जा रहा है तो उधर रा य क पा टय म भी दो आने के झगड़े-टं टे चल रहे ह। अकाल के कारण हो रह आ मह याओं क
ले कन इस बात को यह ं छोड़ द िजए। अब हमारे सामने मु य चु नौती है खर फ क फसल को बचाना और आने वाल रबी क फसल क ठ कठ क तैयार । दुभा य से इसका कोई बना-बनाया ढांचा सरकार के हाथ फलहाल नह ं दखता। दे श के बहु त बड़े ह से म कुछ साल पहले तक कसान को इस बात क खू ब समझ थी क मानसू न के आसार अ छे न दख तो पानी क कम मांग करने वाल फसल बो ल जाएं। इस तरह के बीज पी ढ़य से सु र
त रखे गए थे। कम यास वाल फसल अकाल का
दौर पार कर जाती थी ।
पछले दन कृ ष वै ा नक और मं ालय से जु ड़े अ धका रय व नेताओं ने इस बात पर जोर दया है क कृ ष अनु संधान सं थाओं म, कृ ष व व व यालय म अब कम पानी क मांग करने वाल फसल पर शोध होना चा हए। उ ह इतनी जानकार तो होनी चा हए थी क ऐसे बीज समाज के पास बराबर रहे ह। समाज
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ने इस फसल पर, बीज पर
और बेहतर जीवन के लए
बहु त पहले से काम कया था।
तमाम सु वधाएं आसानी से दे सकगे।“ इ ह लगता होगा
ले कन आधु नक वकास के दौर ने, नई नी तय
ने
कसान के
इस वावलंबन को अनजाने म ह सह , पर तोड़ा ज र है। लगभग हर म धान, गेहू ं,
े ा
वार, बाजरा के हर खेत म पानी को दे खकर बीज बोने क
पू र
लोग को ये सभी सु वधाएं मल ह चु क ह। इसका उ र
तैयार रहती थी। अकाल के अलावा बाढ़ तक को दे खकर बीज का चयन कया जाता था। पर 30-40 साल के आधु नक कृ ष वकास ने इस बार क समझ को आमतौर पर तोड़ डाला है। पी ढ़य से एक जगह रहकर वहां क म ट , पानी, हवा, बीज, खाद- सब कुछ जानने वाला कसान अब छह-आठ मह न म
क शहर म रहने वाले सभी
ांसफर होकर आने -जाने वाले कृ ष अ धकार क
सलाह पर नभर बना डाला गया है। कसान के सामने एक दूसर मजबू र उ ह संचाई के अपने साधन से काट दे ने क भी है। पहले िजतना पानी मु हैया होता था, उसके अनु कूल फसल ल
जाती थी। अब
नई योजनाओं का आ ह रहता है क राज थान म भी गेह,ू ं धान, ग ना, मू ंगफल जैसी फसल पैदा होनी चा हए। कम पानी के इलाके म यादा पानी मांगने वाल फसल को बोने का रवाज बढ़ता ह जा रहा है। इनम बहु त पानी लगता है। सरकार को लगता है क बहु त पानी दे ने को ह तो हम बैठे ह। ऐसे इलाक म अरब
पय क लागत से इं दरा नहर,
नमदा नहर जैसी योजनाओं के ज रए सैकड़ कलोमीटर दूर का पानी सू खे बताए गए इलाके म लाकर पटक दया गया है। ले कन यह आपू त लंबे समय तक के लए नबाध नह ं चल पाएगी। इस साल, हर जगह िजतना कम पानी बरसा है, उतने म हमारे वनामध य बांध भी पू रे नह ं भरे ह। और अब उनसे नकलने वाल नहर म सब खेत तक पहु ंचाने वाला पानी नह ं बहने वाला है। कृ ष मं ा◌ी ने यह भी घोषणा क है क कसान को भू जल का इ तेमाल कर फसल बचाने के लए 10 हजार करोड़ पए क डीजल सि सडी द जाएगी। यह योजना एक तो ईमानदार से लागू नह ं हो पाएगी और अगर ईमानदार से लागू हो भी गई तो अगले अकाल के समय दोहर मार पड़ सकती है - मानसू न का पानी नह ं मला है और जमीन के नीचे का पानी भी फसल को बचाने के मोह म खींचकर ख म कर दया जाएगा। तब तो अगले बरस म आने वाले अकाल और भी भयंकर ह गे।
एक िज मेदार नेता क तरफ से यह भी बयान आया क ”भारत को गांव का दे श कहना ज र नह ं है। गांव म रहने वाले शहर म आकर रहने लगगे, तो हम उ ह बेहतर च क सा, बेहतर श ा
तो शहर वाले ह दगे। इस समय सरकार को अपने-अपने कम पानी दखती, बाक
े
म ऐसे इलाके खोजने चा हए, जहां
गरने के बाद भी अकाल क उतनी काल छाया नह ं े
म जैसा अंदेशा है। पू रे दे श के बारे म बताना तो क ठन
है पर राज थान म अलवर ऐसा इलाका है, जहां साल म 25-26 इंच पानी गरता है। इस बार तो उसका आधा ह
गरा है। फर भी वहां के एक
बड़े ह से म पछले कुछ साल म हु ए काम क बदौलत अकाल क छाया उतनी बु र नह ं है। कुछ ह स म तो अकाल को सु ंदर भर चु के तालाब क पाल पर बठा दया गया है! जयपु र और नागौर म भी ऐसी मसाल ह। जयपु र के
ामीण इलाक म भी बड़ी आसानी से ऐसे गांव मल जाएंग,े
जहां कहा जा सकता है क अकाल क प रि थ तय के बावजू द फसल और पीने के लए पानी सु र
त रखा गया है। जैसलमेर और रामगढ़ जैसे और
भी सू खे इलाक क ओर चल, जहां चार इंच से भी कम पानी गरा होगा और अब आगे गरने वाला नह ं है। ले कन वहां भी कुछ गांव लोग क 10-20 साल क तप या के बू ते पर आज इतना कह सकते ह क हमारे यहां पीने के पानी क कमी नह ं है। उधर महारा
के भंडारा म तो उ राखंड के पौड़ी
िजले म भी कुछ ह से ऐसे मल जाएंगे। हरे क रा य म ऐसी मसाल खोजनी चा हए और उनसे अकाल के लए सबक लेने चा हए। सरकार के पास बु रे काम को खोजने का एक खु फया वभाग है ह । नेत ृ व को अकाल के बीच भी इन अ छे काम क सु गंध न आए तो वे इनक खोज म अपने खु फया वभाग को भी लगा ह सकते ह!
कृ ष मं ी ने यह भी घोषणा क है क कसान को भू जल का इ तेमाल कर फसल बचाने के लए 10 हजार करोड़ पए क डीजल सि सडी द जाएगी। यह योजना एक तो ईमानदार से लागू नह ं हो पाएगी और अगर ईमानदार से लागू हो भी गई तो अगले अकाल के समय दोहर मार Page 6
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पड़ सकती है- मानसू न का पानी नह ं मला है और जमीन के नीचे का पानी भी फसल को बचाने के मोह म खींचकर ख म कर दया जाएगा। तब तो अगले बरस म आने वाले अकाल और भी भयंकर ह गे। पछले दन कृ ष वै ा नक और मं ालय से जु ड़े अ धका रय व नेताओं ने इस बात पर जोर
दया है
क कृ ष अनु सध ं ान सं थाओं म,
कृ ष व व व यालय म अब कम पानी क मांग करने वाल फसल पर शोध होना चा हए। उ ह इतनी जानकार तो होनी चा हए थी क ऐसे बीज समाज के पास बराबर रहे ह। समाज ने इन फसल पर, बीज पर बहु त पहले से काम कया था। उनके लए आधु नक संचाई क ज रत ह नह ं है। इ ह बारानी खेती के इलाके कहा जाता है। 20-30 साल म बारानी खेती के इलाक को आधु नक कृ ष क दासी बनाने क को शश हु ई ह। ऐसे
े
को पछड़ा बताया गया, ऐसे बीज को और उ ह बोने वाल को पछड़ा बताया गया। उ ह पंजाब-ह रयाणा जैसी आधु नक खेती करके दखाने के लए कहा जाता रहा है। आज हम बहु त दुख के साथ दे ख रहे ह क अकाल का संकट पंजाब-ह रयाणा पर भी छा रहा है। एक समय था जब बारानी इलाके दे श का सबसे वा द ट अ न पैदा करते थे। द ल -मु ंबई के बाजार म आज भी सबसे महंगा गेहू ं म य दे श के बारानी खेती वाले इलाक से आता है। अब तो चेत। बारानी क इ जत बढ़ाएं। इस लए, इस बार जब अकाल आया है तो हम सब मलकर सीख क अकाल अकेले नह ं आता है। अगल बार जब अकाल पड़े तो उससे पहले अ छ योजनाओं का अकाल न आने द। उन इलाक , लोग और परं पराओं से कुछ सीख जो इस अकाल के बीच म भी सु जलाम,् सु फलाम ् बने हु ए थे।
अनु पम म (
यात लेखक, पयावरण वद, जन ल ट, जल सरं ण के
लए भारतीय पार प रक प ध तय का महान अ ययन व ् सार, गांधी शाि त
त ठान
नई
द ल
से
जु ड़े
हु ए
ह,
इनसे anupam.mishra47@gmail.com पर संपक कर सकते ह। )
नोट- यह लेख सव थम गांधीमाग 2004 के एक अंक म का शत हु आ था और आज भी उतना ह
ासं गक है। Page 7
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अकाल अ छे काम का भी
तालाब म ऊपर भरा पानी कुछ माह तो गांव के काम आता है। इसे हम
on June 17, 2016
पालर पानी कहते ह। उस पू रे व ान म अभी नह ं जाएंगे पर तालाब ऊपर से सू ख जाने के बाद रे त म समा गई इस नमी को हमारे पु रखे न जाने कब से बेर , कुं ई नाम का एक सु ंदर ढांचा बना कर उपयोग म ले आते ह। अब अ ेल के तीसरे ह ते म भी हमारे तालाब म ऊपर पानी भरा है। जब यह सू खेगा तब रे जवानी पानी इसक बे रय म आ जाएगा और हम अगल बरसात तक पानी के मामले म एकदम वावलंबी बने रहगे। इस वषेष तालाब व ासर क तरह ह हमारे जैसलमेर खेत भी ह। य तो अकाल का ह
े म कुछ वषेष
े है यह सारा। पानी गरे तो एक फसल
हाथ लगती है। पर कह -ं कह ं ख ड़या या िज सम क प ट खेत म भी मलती है। समाज ने स दय से इन वषेष खेत को नजी या कसी एक प रवार के हाथ म नह ं जाने दया। इन वशेष खेत को समाज ने सबका बना दया। जो बात आप लोग शायद नार म सु नते ह, वे बात, स धांत हमारे यहां जमीन पर उतार दए गए हं◌ै हमारे समझदार पु रख
वारा। इन
वशेष खेत म आज के इस गलाकाट जमाने म भी सामू हक खेती होती है। इन वषेष खेत म अकाल के बीच भी सु ंदर फसल पैदा क जाती है।
चतर संह जाम टे ल वज़न कहां नह ं है ? हमारे यहां भी है। हमारे यहां यानी जैसलमेर से कोई सौ कलोमीटर पि चम म पा क तान क सीमा पर भी। यह भी बता द क हमारे यहां दे श का सबसे कम पानी गरता है। कभी-कभी तो गरता ह नह ं। आबाद कम ज र है, पर पानी तो कम लोग को भी ज रत के मु ता बक चा हए। फर यहां खेती कम, पशुपालन
यादा है। लाख भेड़,
बकर , गाय और ऊंट के लए भी पानी चा हए।
रा य म फैल रहे अकाल क भयानक खबर दे ख रहे ह। अब पछले दन केट का भी नया ववाद जु ड़ गया है और आज या कल म
ववेकवान यायाधीष कोई न कोई अ छा फैसला भी सुना दगे। आपके यहां कतना पानी गरता है, आप ह जान। हमारे यहां पछले दो साल म कुल हु ई बरसात क जानकार हम आप तक पहु ंचाना चाहते ह। सन ् 2014 म जु लाई म 4 एम.एम. और फर अग त म 7 एम.एम. यानी कुल 11 एम.एम. पानी गरा था। तब भी हमारा यह रामगढ़
े अकाल क
खबर म नह ं आया। हमने खबर म आने क नौबत ह नह ं आने द । फर पछले साल सन ् 2015 म 23 जु लाई को 35 एम.एम., 11 अग त को 7 एम.एम. और फर 21 सतंबर को 6 एम.एम. बरसात हु ई। इतनी कम बरसात म भी हमने हमारे पांच सौ बरस पु राने व ासर नाम के तालाब को भर लया था। यह बहु त वशेष तालाब है। लाख वष पहले कृ त म हु ई भार उथल-पु थल के कारण इस तालाब के नीचे ख ड़या म ट क , मेट क या िज सम क एक तह जम गई थी। इस प ट के कारण वषा जल रस कर रे ग तान म नीचे बह रहे खारे पानी म मल नह ं पाता। वह रे त म नमी क तरह सु र रहता है। इस नमी को हम रे जवानी पानी कहते ह।
उनको सामने रख कर इस वषाल दे ष के कसी भी कृ ष वषेष
से पू छ ल
क दो-चार सट मीटर क बरसात म या गेहू ं, सरस , तारामीरा, चना जैसी फसल पैदा हो सकती ह। उन सभी वशेष
का प का उ र ‘ना’ म होगा।
पर अभी आप रामगढ़ आएं तो हमारे यहां के खड़ीन म ये सब फसल इतने कम पानी म खू ब अ छे -से पैदा हु ई ह और अब यह फसल सब सद य के ख लयान म रखी जा रह है। तो धु रे ग तान म, सबसे कम वषा के
इस टे ल वज़न के कारण हम पछले न जाने कतने दन से दे ष के कुछ इसम
पछले साल के कुल गरे पानी के आंकड़े तो आपने ऊपर दे खे ह ह। अब
त
े
म आज भी भरपू र पानी है, अनाज है और पशुओं के लए खू ब मा ा म चारा है। यह बताते हु ए भी बहु त संकोच हो रहा है क इतने कम पानी के बीच पैदा क गई यह फसल न सफ हमारे काम आ रह है, बि क दूर -दूर से इसे काटने के लए दूसरे लोग भी आ जु टे ह। इनम बहार, पंजाब, म य दे श के मालवा से भी लोग पहल बार आए ह- यानी जहां हमसे बहु त यादा वषा होती है , वहां के लोग को भी यहां काम मला है। इसके बीच मराठवाड़ा, लातू र क खबर ट .वी. पर दे ख मन बहु त दुखी होता है। कले टर ने धारा 144 लगाई है जल ोत पर। पानी को लेकर झगड़ते ह लोग। और यहां हमारे गांव म इतनी कम मा ा म वषा होने के बाद भी पानी को लेकर समाज म पर पर ेम का र ता बना हु आ है। आपने भोजन म मनु हार सुना है, आपके यहां भी मेहमान आ जाए तो उसे वशेष आ ह से भोजन परोसा जाता है। हमारे यहां तालाब, कुं ए और कुं ई पर आज भी पानी नकालने को लेकर ‘मनु हार’ चलती है- पहले आप पानी ल, पीछे हम लगे। पानी ने सामािजक संबंध जोड़ कर रखे ह हमारे यहां। इस लए जब पानी के कारण सामािजक संबंध टू टते दखते ह दे ष के अ य भाग म तो हम बहु त ह बु रा लगता है। इसके पीछे एक बड़ा कारण तो है अपनी चादर दे ख पैर तानना। मराठवाड़ा ने कुदरत से पानी थोड़ा कम पाया पर ग ने क खेती अपना कर भू जल का बहु त सारा दोहन कर लया। अब एक ह कुं ए म तल पर चपका पानी और
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उसम सैकड़ बाि टयां ऊपर से लटक मलती ह। ऐसी आपाधापी म पड़ गया है वह इलाका। कभी पू रे दे श म पानी को लेकर समाज के मन म एक-सा भाव रहा था। आज नई खेती, नई-नई यास वाल फसल, कारखान , तालाब को पू र कर बने और बढ़ते जा रहे षहर म वह संयम का भाव कब का ख म हो चु का है। तभी हम या तो चे नै जैसी भयानक बाढ़ दखती है या लातू र जैसा भयानक अकाल। चे नै का हवाई अ डा डू ब जाता है बाढ़ म और लातू र म रे ल से पानी बहकर आता है। पानी कहां कतना बरसता है, यह कृ त ने हजार साल से तय कर रखा है। क कण म, चेरापू ंजी म खू ब यादा तो हमारे गांव म, जैसलमेर म खू ब ह कम। पर जो जहां है, वहां कृ त का वभाव दे ख कर उसने य द समाज चलाने क योजना बनाई है और फर उसम उसने सरकार क बात सु नी नह ं है, लालच नह ं कया है तो वह समाज पानी कम हो या यादा, रमा रहता है। यह रमना हमने छोड़ा नह ं है। कुछ गांव म हमारे यहां भी वातावरण बगड़ा था पर अब पछले 10-15 वष से फर सु धरने भी लगा है। इस दौर म हमारे समाज ने कोई 200 नई बे रयां, 100 नए खड़ीन, 5 कुएं पाताल मीठे पानी के, कोई 200-150 तलाई, ना ड़यां, टोपे अपनी ह मत से, अपने साधन से बनाए ह। इन पर सरकार या कसी वयंसेवी सं था का नाम, बोड, पटरा टं गा नह ं मलेगा। ये हम लोग ने अपने लए बनाए ह। इस लए ये सब पानी से लबालब भरे ह। दे ष म कोई भी इलाका ऐसा नह ं है, जहां जैसलमेर से कम पानी गरता हो। इस लए वहां पानी का क ट दे ख हम बहु त क ट होता है। हमारा क ट तभी कम होगा जब हम अपना इलाका ठ क कर लेने के साथ-साथ दे श के इन इलाक म भी ऐसी बात, ऐसे काम पहु ंचा सक। हमारे एक म कहते ह क अकाल अकेले नह ं आता। उससे पहले अ छे काम का, अ छे वचार का भी अकाल आता है। लेखक- चतर संह जामए पो ट रामगढ़, िजला जैसलमेर (राज थान) 09672140359
फेसबु क
ोफ़ाइल-
https://www.facebook.com/chatar.jam
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तराई म खीर जनपद के तालाब क यथा-कथा on June 18, 2016
ाकृ तक वेटलड..............................४९३ इनम नद नाल क सं या...................१८८ झील..............................................१२ छोटे तालाब.....................................१६७३ सीपेज ए रया....................................४३ ---------------------------------लाकवार भू गभ जल तर क मौजूदा ि थ त और मानसू न से पहले और बाद म जल तर म गरावट मीटर म लाक प लया,
मौजू दा मई २०१५
ीमानसू न पो ट मानसून
४.५-५.० ४.०-४.५ -०.१५
-०.४८
अब तराई म भी पानी का संकट, सू ख गए ताल तलैया
नघासन... ४.५-५.० ४.०-४.५ +०.४८
-०.१६
साल दर साल नीचे खसकता जा रहा भूगभ जल तर
ईसानगर.. ३.०-४.० २.५-३.० +०.५३
-०.१
इस साल भू जल तर म औसतन ५० सट मीटर गरावट
र मयाबेहड़ ५.०-५.५ ४.०-४.५ +०.८५
+०.१२
अशोक नगम
धौरहरा.... ५.०-५.५ ४.०-४.५ +०.६७
+०.५८
लखीमपु र खीर । हमेशा पानी और प रंद से भर रहने वाल नग रया झील
मोह मद
५.५-६.० ५.०-५.५ +०.२६
-०.४
मतौल ,
५.५-६.० ५.०-५.५ -०.३८
सू ख कर पशुओं का चरागाह बन गई है। मैनहन गांव के कबु लहा ताल क सू खी तलहट म दरार पड़ गई ह। र मयाबेहड़ क झील म पानी क जगह क चड़ दख रहा है। मनरे गा के तहत खोदे गए आदश तालाब सू ख कर ब च का खेल मैदान बन गए ह। सरकार रकाड म भले ह िजले म २२२३ वेटलड ह ले कन इस बार तराई क धरती से तरावट गायब है। तराई के खीर िजले म भी पानी का संकट गहराने लगा है। यह तब है जब
पसगवां......५.५-६.० ५.०-५.५ -०.५६ बेहजम,
५.०-५.५
बांकेगंज, ५.०-५.५
४.५-५.० -०.६५
-०.९ -०.३३ -१.०५
४.५-५.० +०.२४ -०.२५
इस िजले म १८८ नद नाले ह। दो हजार से अ धक छोटे बड़े जलाशय ह।
लखीमपु र ५.०-५.५ ४.५-५.० -०.७
-०.६४
पछले साल बरसात और सद के मौसम म बरसात न होने के कारण ऐसी
फूलबेहड़ ५.०-५.५ ४.५-५.० +०.०६
+०.५
ि थ त आई है। इस बार समय से पहले कड़ी धू प और भीषण गम शु होने से अ ल ै माह के अंत तक अ धकांश जलाशय सू ख गए ह। कई लाक म भू गभ जल तर काफ नीचे खसक गया है। िजले के तालाब पोखर सू ख जाने और न दय का जल तर कम हो जाने से पशु प
य के लए पानी का संकट पैदा हो गया है। भू गभ जल तर नीचे
चले जाने से हडपंप और यू बवेल क बो रंग फेल हो रह ह। फसल क
कुं भी
५.०-५.५ ४.५-५.० +०.०५
-०.९५
बजु आ.......५.०-४.५ ४.५-५.० +०.४४ +०.०१ नकहा........४.५-४.५
४.०-४.५ +०.४२ -०.१५
(-) जल तर म वृ ध (+) जल तर म कमी
संचाई के लए कसान को गहरा ग ढा खोदकर उसम इंजन रखना पड़
अ ैल माह से खीर िजले के भू जल तर म काफ गरावट दज क है। भूगभ
रहा है। इसके बावजू द इंजन पानी नह ं दे रहे ह। कई लाक म तो
जल के अंधाधु ंध दोहन और जल सरं ण के यास न होने से ि थ त बगड़
खतरनाक ि थ त तक भू जल तर घट गया है। िजले म भू जल तर तीन से
रह है।
चार मीटर नीचे होना चा हए जब क यहां जल तर सामा य से काफ नीचे चला गया है जो खतरे का संकेत है। िजले म वेटलड क ि थ त िजले म कुल वेटलड.........................२२२३ िजले म वेटलड का
े फल................३८११९ है टे यर
र वकांत संह, अ धशासी अ भयंता, भू जल लोबल वा मग, भू गभ जल के दोहन से तराई के इस िजले म भी पानी का संकट शु हो गया है। भू गभ जल तर के लगातार नीचे खसकने से यह संकट और भी
यादा गहरा सकता है। भू जल सरं ण के
यास से इस
संकट को टाला जा सकता है।
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डॉ. अ नल संह, पयावरण व सम वयक िजला व ान लब लखीमपु र खीर । अशोक नगम (व र ठ प कार, ह दु तान लखनऊ ए डशन के िजला खीर के यू रो मु ख रह चु के ह, इंटैक सं था के लखीमपु र खीर के सहसम यवक, मौजू दा व त म अमर उजाला बरे ल से जु ड़े हु ए ह. इनसे ashoknigamau@gmail.com संपक कर सकते ह.)
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संकट म सु हेल जो सरयू क सहायक नद है
नद म िजतने इलाके म पानी नह ं है वहां के समीपवत जंगल म रहने वाले
on June 18, 2016
जीव पानी क तलाश म बाहर आते ह और फर बाहर ह रह जाते ह। उनका यहां रहना व यजीव मानव संघष को बढ़ा रहा है। बाघ के हमले भी हो चु के ह तो उन पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे ह। चीतलए पाढ़े आ द तो बाहर आना आम बात हो चु क है।
शमशार कर रहे शासन और शासन को कसान के हौसले गु हार लगाते लगाते थके तो करने लगे नद क सफाई के लए आपस म चंदा . सात लाख पए कए इ ठठाए ले कन इतने म तो नह ं हो पाएगा काम प लयाकलां। सु हेल नद को लेकर चु पी साधे शासन और शासन को अब कसान के हौसले शमशार कर रहे ह। नद क सफाई व उसके ख को मोड़कर अपने खेत और नद को उसके व प म लाने के लए गु हारे कर दुधवा के जंगल से गु जरती यह नद जो अब सू ख चु क है इस नद म रा
य नद पशु गगे टक डॉि फन का है नवास
प लयाकलां-दुधवा नेशनल पाक। िज मेदार के गैर िज मेदाराना रवैए के चलते दुधवा नेशनल पाक क लाइफ लाइन कह जाने वाल सु हेल नद अब अपना वजू द खो चु क है। स ट सफाई न होने से सु हेल पुल से पव तया घाट तक कर ब दस कलोमीटर म नद ने रे त का ट ला बना दया है और ख मोड़ कर नकउवा नाले को चल गई है। इससे नेशनल पाक के जीव को कर ब 50
तशत पानी क पू त नह ं हो पा रह है तो वह ं उसके
नकउवा क ओर ख कर लेने से कई गांव के खेतीहर इलाके बंजर होने क कगार पर आ गए ह वह यहां भयानक स ट फक रह है।सैकड़ साल से बह रह सु हेल नद को दुधवा क लाइफ लाइन कहा जाता है। बात लािजमी भी है य क नद पू र तरह से इस नेशनल पाक को छूती हु ई गु जरती है और इसका पानी दुधवा जंगल के कर ब 50
तशत जीव पीते थे। ले कन
अब वह हालात नह ं रहे । प लया दुधवा माग पर बने पु ल से कर ब पांच कलोमीटर पहले नद ने मु य धारा म सि टं ग शु कर उसे पाट दया और एक मोड़ लेकर नकउवा नाले म जा पहु ंची। नाले का इतना बड़ा व प नह ं है क वह अपने ऊपर से एक नद को गु जार सके। आलम यह हु आ क नद ने अपनी जगह बनाते हु ए कई गांव के खेतीहर इलाके को अपनी बालू से पाटना शु
कर दया है। इससे हजारो एकड़ कृ ष भू म बंजर होने के
थक चु के कसान अब खु द आपस म चंदा कर रहे ह। उ ह ने कर ब सात लाख पए जोड़े भी ह ले कन इतनी सी रकम म यह काम होता नह ं दखाई दे रहा है। फर भी वह ह मत नह ं हार रहे ह और बरसात से पहले काम शु
करने क तैया रय म जु टे हु ए ह। सु हेल नद के मटते वजू द को
बचाकर उनके खेत को भी बचाने क गु हार कसान ने एक बार नह ं लगाई है बि क दजन बार वह कई साल से यह गु हार लगा रहे ह ले कन न तो शासन ह सुन रहा है और न ह
शासन। दोन क तंग दल को दे ख अब
बेचार ने खु द ह आपस म चंदा करना शु कर दया है। उ ह ने अब तक कर ब सात लाख पए जोड़ भी लए ह ले कन इतने म काम पू रा होता नह ं दखाई दे रहा है। फर भी वह सब ह मत नह ं हार रहे ह उनक मान तो काम शु
करना ज र है और आगे कमी को आगे दे खा जाएगा। उनका
कहना है क कसी काम को ह मत के साथ शु आत द जाए तो फर भगवान भी उसे पू रा करा दे ता है। सलाम है ऐसे कसानो को जो शासन और शासन के बराबार काम करने का हौसला तो कर रहे ह। वह ं एक ओर यह हौसला शासनए
शासन और जन त न धय के लए आइना भी है जो
वोट क दरकार म आते ह और फर नदारद हो जाते ह।
नद क
स ट सफाई के लए कर ब चार पांच साल पहले ऐर गेशन
डपाटमट को एक नह ं हो पाया।
ताव भेजा गया था ले कन क ह कारण वश यह
थानीय लोग यहां खुद काय शु
करना चाहते ह तो
शांसनीय है और जंगल म काय करने क परमीशन
या क जा रह है।
कागार पर आ खड़ी हु ई है। जहां कसान इससे भू म ह न हो रहे ह वह ं एक
दुधवा म जीव को पानी क कमी न होने इसके लए बेहतर यव थाएं क
नेशनल पाक के जीव क
ग ह ले कन नद तो नद ह है।
यास पर भी
हण लग गया है। सु हेल ने यह
सब कुछ अचानक नह ं कया है बि क साल से वह यह कर रह थी ले कन िज मेदार खामोश रहे और कुछ भी नह ं कया। बताना लािजमी होगा क इसके लए साल पहले बजट भी मला था ले कन कागज पर काम कर िज मेदार ने राम राम कर ल । एक नेशलन पाक जहां न जाने कतने ह दुलभ जीव के संर ण को करोड़ो पया बहाया जा रहा हो वहां वह यास से याकुल ह यह दे श और दे श क सरकार के लए का बले गौर वषय है। नद के समीपवत पाक के इलाक से बाहर भाग रहे दुलभ जीव सकंट
महावीर कौजल ग ड ट डायरे टर दुधवा नेशनल पाक शासन शासन जब सु न ह नह ं रहा और जन त न ध भी चु पी साधे बैठ गए । तब यह खु द पया एक कर उससे काय कराने का सभी ने फैसला लया और कर ब सात लाख पए जोड़े गए ह ले कन यह काफ नह ं है फर भी ह मत नह ं
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हारगे। मामला कसान के भू मह न होने और जंगल के जीव क यास का है हर को शश क जाएगी क कोई कसान बबाद न हो और जंगल के जीव यासे न रह। नह ं सरकार तो जन त न ध अपनी न ध से यह काय करा सकते थे। वकास कपू र व क , चेयरमैन केन सोसाएट प लया
महबू ब आलम (प लया- खीर से एक स मा नत प म प का रता, व य जीवन पर वशेष लेखन, इनसे m.alamreporter@gmail.com पर संपक कर सकते ह.)
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पानी िजसम वयं नारायण नवास करते ह
तरह है , और न दयाँ, झील, वायु मंडल, जल तर और महासागर इस ह के
on June 21, 2016
प रसंचरण त न शेर, न इ
क तरह। जल न होता तो जीवन कहाँ होता। न वन होते, धनु ष, न घा टयाँ, न सरकार होतीं न अथ यव था। पानी ने
ह हमार भू म क
परे खा खींची है, और उस पर गू ढ जीवनजाल के रं ग भरे
ह, एक सू म स तु लन बरकरार रखते हु ए। इस
ह पर जीवन को वतमान
प म बनाए रखना है तो हम पानी क बहु त इ ज़त करनी चा हए। कतनी ह
ाचीन सं कृ तय म पानी को प व व तु का दजा दया गया है। उन
लोग ने इस क मह ा जानी, िजसे हमारा उ योगीकृ त समाज नह ं जानता। हम आए दन, बना सोचे समझे, पानी को ऐसे अप व करते ह, जैसे क ऐसा करना हमारे यवसाय का एक वीकृ त मू य हो। पछल दोएक शताि दय म, जो क पृ वी के इ तहास म एक
ण भर था, मानव ने
इस ह के जलाशय को इस सीमा तक वषा त कर दया है व छ जल के अभाव म करोड़ लोग का जीवन खतरे म पड़ गया है।
अंज ल भर जल क यास
जल एक रा
भू जल तर म लगातार गरावट आने, शहर का व तार होने के बावजू द
म का सीकर, दु:ख का आँसू
बु नयाद सु वधाओं क कमी, जलवायु प रवतन, दे श के 20 रा य म जल
हँसती आँख म सपने, जल !...
वषा तता के बीच जल के समु चत उपयोग एवं संर ण को लेकर एक
आपो नारा इ त ो ता आपो वै नरसू नवः।
सम , यापक रा
अथात जल, नर से कट हु आ है, इस लए इसका नाम ’नार’ है। भगवान इसम अयन करते ह यानी सोते ह, इस लए उ हे नारायण कहा गया। भारतीय जलदशन कहता है क पहले जल क रचना हु ई; फर जल से ह म हु ए।
म वारा र चत वगलोक, भू लोक, आकाश, व यु त,
मेघम डल, न दयां, पहाङ और नाना कार क वन प तयां.. सभी जल से ह
कट हु ए| इस लए ह मं दर म आरती के बाद, शंख म भर जल के
छडके हु ए प व छ ंटे या आचमन म तुलसी दल के साथ भु का महा साद मान लया जाता है| कलश के जल म पान के प े क छ टो से हम नानम ् समपया म कह कर भगवान को नान करवा दे ते है| अंज ल भर जल भी महान बना दे ता है, अंज ल भर जल से ह महान संक प कये जाते है, राजा ब ल ने संक प लेकर तीनोलोक दान म दे दए और राजा ह र चचं ने भी अंज ल भर जल क
त ा से कतने क ट उठाये| इस प व जल क आज
ये दुदशा है क न दयाँ जो बष भर इस जल से आ छा दत रहती थी आज ट हो गयी है, अपने म ह समट गयी है| तालाब और झीले, झरने सब मौन है अब| बादलो ने भी अपना ख बदल लया है.
जब वयोवृ ध स धाथ नद के कनारे बैठ कर यानम न हो सुनने लगे, तो उ ह पानी के वाह म “या चत के वलाप,
ा नय के हास, घृणा के
दन और मरते हु ओं क आह” के वर सु नाई दए। “यह सब वर पर पर प म एक दूसरे के साथ लपटे हु ए। सारे वर,
सारे येय, सार याचनाएँ, सारे
पानी पर वा म व है या वह सफ क ठ क से दे खभाल न करे , तो
ट है? य द
ट , स पी गई स प
या हम हक है क हम
ट बदल द?
पानी क हकदार को लेकर उठे सवाल के बीच जल संसाधन स ब धी संसद क एक थायी स म त ने अपनी रपोट म पानी को समवत सू ची म शा मल करने क बात को आगे बढ़ाया है। इसके अलावा कई वग का भी मत है क य द पानी पर रा य के बदले, के
का अ धकार हो, तो बाढ़-
सु खाड़ जैसी ि थ तय से बेहतर ढं ग से नपटना स भव होगा। हम जल को समवत सू ची के अंतगत ले लेना चा हये ता क क
के हाथ म कुछ
संवैधा नक शि त आ जाय। इससे दे श म जल से जु ड़ी सम याओं से नपटने म मदद मलेगी। साथ ह रा
य संसाधन का रा
उपयोग नि चत ह लाभकार रहे गा। यह य
न है क बाढ़ और सू खे से
नपटने म रा य या वाकई बाधक ह? पानी के बंधन का वकेि अ छा है या के
य हत म त होना
करण होना? समवत सू ची म आने से पानी पर
एका धकार, तानाशाह बढ़े गी या घटे गी? बाजार का रा ता आसान हो जाएगा या क ठन? वतमान संवैधा नक ि थ त के अनुसार जमीन के नीचे का पानी उसका है, िजसक जमीन है। सतह जल के मामले म अलगअलग रा य म थोड़ी भ नता ज र है, क तु सामा य नयम है क नजी
जल है धरती क धमनी का र त
बु ने हु ए, जकड़े हु ए थे, सह
य नी त बनाने क मांग के साथ ह जल को सं वधान
क समवत सू ची म रखने के वचार पर बहस शु हो गई है। ? सरकार का
तासू शेते स य मा च तेन नारायणः मृतः।।
सू य,
य मु दा: समवत सू ची या रा य सू ंची
ोभ, आन द, सारा पु य, पाप, सब मल
कर जैसे संसार का नमाण कर रहे थे। ये सब घटनाओं क धारा क तरह, जीवन के संगीत क तरह थे।” जल धरती क धम नय म बहते र त क
भू म पर बनी जल संरचना का मा लक, नजी भू मधर होता है। आज क संवैधा नक ि थ त म पानी, रा य का वषय है। के
सरकार, पानी को
लेकर रा य को मागदशन नदश जार कर सकती है और पानी को लेकर के
य जलनी त व के
य जल कानू न बना सकती है, ले कन उसे पू र
तरह मानने के लये रा य सरकार को बा य नह ं कर सकती। रा य अपनी थानीय प रि थ तय और ज रत के मु ता बक बदलाव करने के लये संवैधा नक प से वतं ह।
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सरकार वारा जल रोकथाम एवं नयं ण कानून -1974 क धारा 58
के तहत के
य दूषण नयं ण बोड, के
य भू जल बोड और के
जल आयोग का गठन कया गया । इसक धारा 61 के
य
को के
य
को नयं त करने के अ धकार नह ं होते और सामा यतः उ ह अपने ाकृ तक संसाधन तथा समािजक सेवाओं को नीलाम करने पर ववश होना पड़ता है। यह आम लोग के लये नु कसान का सबब ह नह ं जनतं
भू जल बोड आ द के पु नगठन का अ धकार दे ती है और धारा 63 जल
का सरसर अपमान है। नजी
स ब धी ऐसे के
य बोड के लये नयम-कायदे बनाने का अ धकार
संभावनाओं को बहु त पहले ह भांप लया था। पानी का यवसाय दु नया
के
त करती है।पानी के समवत सू ची म आने से बदलाव
भर म सबसे तेजी से बढ़ने वाले यवसाय म से एक है िजसका अनुमानतः
, पानी स ब धी जो भी कानू न बनाएगा, उ ह मानना
100 अरब डॉलर का बाजार है। कई दे श म कायशील मु ठ भर वशाल
के पास सु र
यह होगा क के
रा य सरकार के लए ज र होगा। के
े
ने पानी म न हत
यापार क
य जलनी त हो या जल कानू न, वे
काप रे शन को अब यह यह अ धकार और िजमंमेवार स पी जा रह है क वे
पू रे दे श म एक समान लागू ह गे। पानी के समवत सू ची म आने के बाद
वैि वक शु ध जल संकट का हमारे लये “हल” नकाल। 90 के दशक के
के
उ राध म तीन गैर सरकार सं थाओं को बनाया गया ताक पानी पर बड़ी
न
वारा बनाए जल कानू न के सम , रा य के स बि धत कानू न भावी हो जायेगा। ऐसे म वशेष
का कहना है क जल को समवत
सू ची म रखने से जल बंटवारा ववाद म के
का नणय अि तम होगा।
नद जोड़ो प रयोजना के स ब ध म अपनी आप अ धकार समा त हो जाएगा। के
को लेकर अड़ जाने से
सरकार, नद जोड़ो प रयोजना को
कंप नय के अजंडे क सावज नक छ व को नम का मुल मा चढ़ा कर पेश कया जा सके, ये थे लोबल वॉटर पाटनर शप, व ड वॉटर काउं सल तथा व ड कमीशन ओन वॉटर। ये तीन समू ह वैि वक जल नी त नधारण के क बंद ु ह और उनका
व व बक, अंतरा
य मॉनेटर
फंड और
बेरोक-टोक पू रा कर सकेगी। जल संर ण के बना जीवन नह ं है इस लये
डब यू.ट .ओ से नज़द क संबंध है और परदे के पीछे काप रे शन को अपना
हमालय से नकलने वाल व भ न ाकृ तक जल धाराओं व जल ोत का
असर डालने का अवसर दे ते ह। इस अ नयं त “जल बाजार” से असी मत
संर ण करना अ नवाय है। पानी के सवाल पर सरकार और समाज को
मु नाफे ह। नजी
एक साथ आना होगा। ाकृ तक संसाधन के संर ण बाबत वै ा नक शोध
जाने नह ं दे गा और पानी को “मानवा धकार” क बजाय “आ थक साम ी”
एवं अनुसंधान हु ए ह । इ ह समा हत करते हु ए मू ल नवा सय क ज रत
क जगह बनाये रखने के लये कसी भी हद तक जा सकता है। अभी तक
के अनु प जल-जंगल-ज़मीन के संर ण के लये काययोजना बननी
यह अ भयान लगभग पू ण प से नजीकरण और साम ीकरण से लड़ने
चा हए। हमालयी रा य म जल संर ण के लोक
पर ह केि
ान को समा हत करने
क भी ज रत है। जल एक अ तररा
े इस बाजार को कसी भी हालत म अपने शकंजे से
त रहा है। इस अ भयान का यह काय अ य त मह वपू ण है,
पर इस के साथ साथ पानी क चौक दार पर श ा होनी चा हए और द घकाल न उपाय के बारे म तकनीक और यावहा रक जानकार होनी
य मु दा : सरकार या गैर सरकार
वष 2000 म संप न संयु त रा
सह
ाि द शखर स मेलन तथा 2002
म संप न स टे नेबल डेवेलपमट पर व व शखर स मेलन म दु नया म ऐसे लोग क आनु पा तक सं या, िजन तक शु ध पेयजल तथा वा
य
चा हए िजसे व भ न समुदाय योग कर सक।
न कष
र ा क पया त पहु ँच नह ं है, सन ् 2015 तक आधी करने का ल य नधा रत गया। वतमान म लगभग 110 करोड़ लोग के पास पया त पीने यो य पानी और तकर बन 240 करोड़ लोग के पास पया त वा
यर ा
क सु वधा उपल ध नह ं है। यह कैसे पू ण कया जा सकता है इस बात पर चंड बहस हु ई है। दु नया भर क महापा लकाओं और यापार, वकास तथा आ थक एज सय क दल ल है क यह क र मा कर दखा पाने के आ थक साधन जु टा पाने का मा दा केवल ग़ैर सरकार या नजी पास ह है। आ थक वैि वकरण क
े के
या म यह सामा य वषय है और
वकास के वा शंगटन मतै य मॉडल (वा शंगटन कंसे सस मॉडल आफ डे हलेपमट) के नाम से जाना जाता है। शीत यु ध के उ र यु ग म पूँजी, साम ी और सेवाओं के मु त यापार पर इसी ज़ोर ने वह दु नया गढ़ है िजस म हम रह रहे ह। व व बक क संरचनागत समायोजन ( एडज टमट) प ध त ॠण
वारा लागू, अंतरा
चरल
य मॉनीटर फंड के वकास
य द लोग और समु दाय, सह सू चना ोत से सशक् त हो कर, अपने आस पास के जल क ि थ त सु धारने का दा य व अपने ऊपर ल, तो बड़ी कंप नय , वकास सं थाओं और के बहु त कुछ हा सल हो सकता है।
कृ त सरकार क मदद के बना ह थानीय जल संसाधन से इस नजी
स ब ध के रहते, हम भ व य म भी उन क च ता करने पर मजबू र ह गे और उन का अप व ीकरण नह ं होने दगे। इस भावी संकट का हम केवल सरकार, नजी
े , या गैर सरकार संगठन
सकते। फर भी, अपने
त
वारा मु काबला नह ं कर
त जलाशय पर अपना असर कम करने
और उन को सु धारने के सरल और कारगर तर के मू ल तर पर लागू कर के और जल क सु र ा और संचय क सं कृ त के पु न दय को बढ़ावा दे ने से हम जल क कमी के कसाव को काफ कम कर सकते ह।
वारा तय तथा व व यापार संघटन (डब यू.ट .ओ) के कानू नी ढांचे
तले संर
त, यापार, नवेश तथा आ थक यव था म सरकार बारा द
जा रह नयम म छूट से एक ऐसी प ध त क
थापना हो गई है िजसम
यासी सु ख धरती को अब रवानी चा हए, बादलो को अब मचल कर बरसना चा हए,
काप रे ट के हत क संर ा के लये मानवीय अ धकार को कुचल दया जाता है। जनता वारा चु नी रा
य सरकार के पास भी कई दफा यापार Page 15
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समय का बोझ ढोती ससकती नद ताल है, इस बष बरखा क इनमे रवानी चा हए
अंज ल द
त (ले खका कानपु र शहर के एस बी एस लॉ कालेज क
कायवाहक
ाचाया ह, इनसे anjalidixitlexamicus@gmail.com पर
संपक कर सकते ह. )
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राज व तालाब क क जा मु ि त- सजग हु ई उ र दे श सरकार तालाब के लए
इस मामले म तालाब क सावज नक उपयोग क भू म के समतल करण कर यह करार दया गया था क वह अब तालाब के प म उपयोग म नह ं है। इसी बना पर तालाब क ऐसी भू म का आवासीय योजन हे तु आवंटन
on June 22, 2016
कर दया गया था। इस मामले म दनांक-25.07.2001 को पा रत हु ए आदे श हु ए कोट ने जंगल, तालाब, पोखर, पठार तथा पहाड. आ द को समाज क बहु मू यमानते हु ए इनके अनु र ण को पयावरणीय संतु लन हे तु ज र बताया है। नदश है क तालाब को यान दे कर तालाब के प म ह बनाये रखना चा हए। उनका वकास एवम ् सौ दया◌ीकरण कया जाना चा हए, िजससे जनता उसका उपयोग कर सके। आदे श है क तालाब के समतल करण के प रणाम व प कए गए आवासीय प ट को नर त कए जाय। आवंट
वयं न मत भवन को 6 माह के भीतर व त कर
तालाब क भू म का क जा ामसभा को लौटाय। य द वे वयं ऐसा न कर, तो शासन इस आदे श का अनु पालन सु नि चत कराये। यू ं तालाब/ पोखर के अनु र ण के◌े संबंध म उ र दे श राज व प रषद का पू व म भी एक आदे श था। कं तु सु ीम कोट के उ त आदे श का सं ान लेते हु ए प रषद ने नये सरे से 08 अ तू बर को एक मह वपू ण शासनादे श जार कया। िजसक याद दलाते हु ए प रषद के अ य ने 24 जनवर .2002 को पु नः प जो जमीन राज व क है... पंचायती है; जो कसी एक क नजी नह , उस पर अपना हक जमाना एक जमाने से जबर का ज म स ध अ धकार रहा है। इन जबर म सरकार द तर भी शा मल रहे ह। उ र दे श के मायने म यह बात कुछ यादा ह लागू होती है। इस ज म स ध अ धकार के चलते शहर क लाल डि गय पर आज इमारत खडी ह। सीताकु ड कोई कु ड नह ,ं मकान का झु ड है। लालबाग क जमीन पर को ठयां ह। गांव म चारागाह नाम क कोई जगह नह ं है। िजस जगह पर कभी गांव का ख लहान लगता था, उस पर कसी दबंग का अ डा चलता है। दो लाठे के चकरोड सकुडकर दो फुट हो गये ह। कागज पर दज 60 बीघे रकबे का तालाब मौके पर 6 बीघे भी नह ं है। तालाब क क जा हु ई जमीन पर बाग है, खेत है, मकान है, ले कन तालाब नह ं है। ’’अब यह उपयोग म नह ं है’’ - यह कहकर अ य उपयोग हे तु तालाब , चारागाह आ द सावज नक उपयोग क भू म के प टे करने म उ र दे श के ाम धान ने खूब उदारता दखाई है। सरकार योजनाओं, लेखपाल और चकबंद
वभाग ने भी इसम खू ब
भू मका नभाई है। रकाड खंगाले जाय, तो इतने क बे, सरकार द तर और उ योग उ र दे श के झील-तालाब के ह से क जमीन मारकर बैठे दखाई दगे, क गनती मुि कल हो जायेगी। नजी तालाब भी इसी अ धकार के शकार होते रहे ह।
ऐसे ह शकार हु ए तालाब के एक मामले म सु ीम कोट के आदे श ने रा ता दखाया। उस आदे श को आधार बनाकर उ र दे श क राज व प रषद ने जो शासनादे श जार कया, वह ऐ तहा सक भी है, और ेरक भी। मामला है - स वल अपील सं या- 4787/2001, हंचलाल तवार बनाम कमलादे वी, .
ाम उगापु र, तालु का आसगांव, िजला - संतर वदास नगर, उ.
योजन के लए आर योजन क आर
जार
आ द य कुमार र तोगी
कया। त नु सार आवासीय
त भू म को छोडकर कसी अ य सावज नक
त भू म को आवासीय योजन हे तु आबाद म प रव तत
कया जाना अ य त आप जनक है। शासनादे श शीतकाल न
मण के दौरान ऐसे मामले क जानकार खु द
करने, उनक सु र ा सु नि चत करने तथा सु ीम कोट नणयानुसार कायवाह करने हे तु राज व वभाग के अ धकार यानी लेखपाल, कानू नगो, तहसीलदार व उपिजला धक रय को िज मेदार दे ता है।ऐसी भू म क सु र ा के लए प रषद राहत काय तथा पंचायतीराज वभाग क योजनाओं के तहत ् सावज नक भू म पर वृ ारोपरण, तालाब क मेडबंद और उ हे गहरा करने क िज मेदार भी राज व वभाग को दे ता है। िजला धका रय व मंडलायु त से वयंमेव नगरानी क भू मका म आने क अपे ा करते हु ए प रषद कहता है क राज व वभाग के जो अ धकार ऐसा न कर, भू राज व अ ध नयम क धारा 218 के तहत ् उनके व
ध
कायवाई क जा सकती है अथवा डी जी सी राज व के मा यम से नगरानी का ाथना क जा सकती है। मंडयायु त क यह िज मेदार है क वे समय - समय पर इस बाबत ् संबं धत िजला धका रय से सू चना एक कर अपनी आ या के साथ राज व प रषद को एफ डी ओ म शा मल कर भेजते रह। पंचायतीराज सं थान , िजला प रषद स म तय , िजला एज सय , अ धव ता संघ आ द सभी प
ामीण वकास
को सु ीम कोट तथा प रषद के
संबं धत आदे श से अवगत कराने... चा रत करने क अपे ा शासनादे श म क गई है। प ट है क उ र दे श राज व प रषद का उ त शासनादे श सावज नक उपयोग क भू म को क जामु त कर सफ सु र ा सु नि चत करने क िज मेदार
शासन पर नह ं डालता, उसे उसके◌े मू ल व प म लौटाने का
दा य व भी सु नि चत करता है। इस आदे श का उपयोग कर
तापगढ. Page 17
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िजले के एक िजला धकार ने तालाब क क जामु ि त का बडी मु हम छे डी थी। िजला धकार के हटने पर वे फर क जा होने शु
हो गये।
य ?
य क शासन उसे मू ल व प म लौटाने के बजट आधा रत काय कराने से चू क गया। जनता तालाब के बचाने से यादा अपने लालच को बचाने म फंसी रह । उ र दे श के िजला बागपत के गांव डौला क तज पर कई थान पर नजी यास के ज रए क जा मु ि त क अ छ को शश हु ई ज र, कं तु यादातर जगह
शासन आज भी अपे ा करता है
क क जामु ि त के इस
शास नक दा य व क याद दलाने कोई उसके पास न आये। क जा मु ि त के नजी यास करने वाल को सहयोग करना या ो सा हत करना तो दूर, शासन न
सा हत ह
यादा करता है। अ छा बस! इतना ह है क अब
तालाब क सू ची तथा रकबा आ द संबं धत जानका रयां क पयू टर कृ त क जा चु क ह। आर ट आई का मा यम हमारे पास है। को शश कर, तो शासन कारवाई को बा य होगा ह ।
अ ण तवार संपक: 9868793799/amethiarun@gmail.com
उ र दे श के हाईकोट ने भी कई बार शासन को इस बाबत ् तलब कया है। रपोट मांगी है। कं तु कागज पर द गई जानका रयां जमीनी हक कत से आज भी मेल नह ं खाती ह। चू ं क जमीनी जानकार दे ने से पहले उस क जामु त कराने क िज मेदार भी जानकार दे ने वाले अ धकार क है और उसने वह िज मेदार नह ं नभाई है।
शासन इस िज मेदार को
नभाने को तब तक बा य नह ं होगा, जब तक क समाज अपनी सावज नक भू म को क जामु त कराने क िज मेदार नभाने आगे नह ं आयेगा। शासन ने रा ता दया है।
शासन को कारवाई करनी है।
समाजसेवक का काम उसे बा य करना है। समाजसेवक आगे आय। समाज उनक ताकत बढ़ाएं। कम से कम जो तालाब और िजतना रकबा मौके पर बचा है, उसे तो बचाय। उ र दे श ह नह ,ं दे श को भी पानीदार बनाने का यह रा ता है। ................................................................................................... ........................................................................... ववरण के लए दे ख: उ चतम यायालय मामले-2001 क पु तक: 6 एस एस सी, पेज 496 -501. राज व प रषद, उ र दे श के शासनादे श के लए दे ख: ( प रषदादे श सं या -2751/जी-5711 डी/98 दनांक 13 जू न.2001 ) (शासनादे श सं या 3135/1-2-2001-रा-2, दनांक 08 अ तू बर, 2001) तथा (प
सं या-
जी- 865/5-9 आर/2001, दनांक-24 जनवर , 2002) ................................................................................................... ................................................
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International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 इसी तरह क कई
यहां पाई जाती ह पृ वी और उसके लोग क कहा नयां
ां तय और
तेजपु र म ‘ ीन हब’ को
on June 26, 2016
ढ़य को हटाने के लए असम के
ति ठत कया गया था, यह अपनी ह तरह का
एक सं थान है, जो उ र-पू व के लोग क जा हर कहा नयां सु नाता है. हर साल उ र-पू व के इन आठ रा य म से 20 यु वक को एक नराल अ येतावृ
के लए ‘ ीन हब’ वारा चु ना जाता है – व डयो लेखीकरण
श ण के लए, जो
क वशेष
प से व यजीवन, पयावरण व
जैव व वधता पर क त होता है. इस ीन हब उ सव क पू र सोच व यजीव फ म नमाता र ता बनज क है. बनज कहतीं ह, ” ीन हब का वचार दो ाथ मक चीज को दशाने के लए था – पहला, उ र-पू व के यु वाओं को नराशा और हंसा से दूर करके उनके लए नया रा ता खोलने का; और
कृ त के
त उनके ेम और
आदर को पु नज वत करने का, जो उनके उ चत भ व य का एक
बल
आ वासन है. वे आशा करती ह क इस क पर एक साल बताने के बाद, सभी यु वक े रत व ऐसे तकनीक जो उ ह संर ण के
ान से सि जत होकर अपने समु दाय म लौटगे,
त कदम बढ़ाने के लए बलता से े रत करे गा!!...
कुछ समय पू व बनज ने बनाई थी िजसने उ ह कहतीं ह, उनक भारत के उ र-पू व के वनवासी उनक अपनी पारं प रक प ध तय ‘झू म स यता’ या शकार के कारण बहु त समय से कृ त के क थत वरोधी माने जाते ह. व यजीव-वै ा नक और मी डया दोन ने अनजाने ह इस ढ़वा दता म अपना भरपू र योगदान दया है. जैसा हम जानते ह ह क सच कह ं इसी के बीच है. उदाहरण व प, हम जानते ह ‘झू म’ या खेती को काटने-जलाने क प ध त हा नकारक नह ं है, परं तु लगातार ज़मीन के एक टु कड़े से दूसरे पर थानांतरण या ‘झू म’ का घटता च
पा रि थ तक के वनाश क ओर ले जाता है. इसी तरह
व यजीव संर ण को कुछ बड़े खतरे उनके ाकृ तक वास को सड़क और बड़े बांध नमाण के लए उजाड़ने से ह. जब क शकार करना उस बड़े वनाश का कुछ ह अंश होगा. और तब भी जैव व वधता संबंधी बड़ी वकास प रयोजनाएं िजनक संर ण सा ह य म चचाएं होतीं ह, उनका भाव
हम
कम
ह
पाते
ह.
वा तव म ‘ शकार’ वषय ने हमेशा ह वाद- ववाद खड़ा कया है. उदाहरण बतौर भारतीय व यजीव सं थान के शोधा थय
वारा बं धत 2013 क
शोध ल िजए, शीषक था: वनाश के संकट तथा शकार हे तु असामा य व यजीवन जीरो वैल म, अ णाचल दे श, भारत, जो दावा करता है क, अपतनी जनजा त वारा अ धकृ त रहा और यह अपतनी
े म शकार करना हमेशा से ह
जा त के जीवन को लंबे समय से
धान
भा वत कर रहा था.
जा त के सामु दा यक संगठन ने कई असहम त जता
और
उनके समु दाय को इस जा त के वनाश के लए िज मेवार ठहराया, इसके लए.
े क शकार क प ध तय पर फ म
े म लंबे समय के अनु बंध के लए े रत कया. वे
फ म “द वाइ ड मीट
े ल” “ने हम
ज टलता को समझने म मदद द , समु दाय और उनके जु ड़ाव, खा य सु र ा क
े
म या त
ाकृ तक संसाधन से
ि ट से इसके ऊपर नभरता, चाहे कृ ष-
जैव व वधता हो, जंगल मांस या जंगल पौधे, और वकास के मानक तमान के साथ दे शी तं पर ती
ग त से होने वाले उसके भाव को.
समु दाय के साथ उनके गांव और जंगल म समय बताने ने हम समझने म मदद द जो
ान उनम सि न हत है, और इसके साथ ह यह दखाया
जंगल शकार का व तार इन जंगल को खामोश करता जा रहा था.” उनक इस प रक पना को आगे बढ़ाने म सामािजक कायकता मो नषा बहल ने मदद क , जो क उ र-पू व समू ह क सहसं थापक ह, उ ह ने बनज को इस कोस के लए तेजपु र, असम का अपना पैत ृक घर कया.
तु त
ीन हब के वा षको सव म िजन व या थय ने कोस पू रा कया
उनका अ भनंदन करने, म
शी जनजा त क सीतल से मल , िजसने
बेहतर न फ म म से एक फ म बनाई, धनेश पर, अ णाचल दे श के टे लो अंथोनी और हि कया संगमा ने हर शाम अपनी गायक का शानदार दशन इस समू ह म कया. िजतने व या थय से म मल वे सभी व वध पृ ठभू मय से थे, पर इक ठा थे
य मा यम और
ाकृ तक संसार के
त उनके लगाव क वजह से. मु य मी डया वारा
े के च ण से उ र-पू व भारत ने हमेशा ह
अपकृ त महसू स कया है. आ खरकार
े के लोग को उनक ह कहानी
सु नाकर लहर का ख मोड़ने का यह एक यास है. पू रे
े म संर ण पर
बहु त ह अभू तपू व काम कया जा रहा है – व यजीव बचाव और पु न से पारं प रक पु न
धार
थान और दे शी सं कृ त को पु नज वत करके. शायद
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‘ ीन हब’ क सबसे बड़ी ताकत है उसका भौगो लक थान. यहां पाई जाती ह पृ वी और उसके लोग क कहा नयां, जो बताई जाना ज़ र है.
- बहार द (‘ ाकृ तक संर ण’ जीव व ानी ह. तेजपु र, असम म आयोिजत ‘ ीन हब वा षको सव’ म वशेष आमं त).
अनु वाद: पल अजबे (सामािजक कायकता, गांधी वचार से े रत, गांधी शाि त
त ठान
नई
द ल
से
स ब ध,
इनसे
आप rupalajbe@gmail.com पर संपक कर सकते ह )
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कबु लहा- एक तालाब क कहानी
लगता है, मशान के स नाट म त द ल हो गया यह पा रि थ तक तं
on May 11, 2016
जहाँ हज़ार क म क वन प त व ् जंतु जगत क
जा तयां नवास करती
थी, गौरतलब बात यह है क खु दाई के उपरा त इसके चारो तरफ म ट के ढे र लगा दए गए िजससे जल संचयन क
यव था ह ख़ म हो गयी।
कृ त कैसे ढालती है चीज को अपने अनु प य द मानव उससे छे ड़छाड़ न करे , कभी मैनहन गाँव के इस तालाब के उ र म बहने वाल परई नद इस तालाब से जु ड़ जाती थी बरसात के मह न म, य द नद म उफान आता तो उसका जल इस तालाब म आकर सं चत हो जाता, और जब तालाब म पानी अ धक हो जाता तो नद क जल धारा म मलकर बाह जाता और तालाब का जल तर उसक सरहद म सी मत हो जाता, इस तरह बाढ़ क सम या भी नह उ प न होती। ले कन अब नद सकुड़ गयी, मैदान खेत म बदल गए, खेत क चौ ह दय पर ऊँची ऊँची मेढे बाँध द गयी और रह सह तालाब
क
तालाब एक
जीवन तालाब
क
यथा-कथा
ऊजा
के
कहानी-
मैनहन
पावर गाँव
का
हाउस कबु लहा
ह। ताल
कहा नयाँ तो हमेशा हमारा अतीत कहती ह, वतमान दखलाती है, और भ व य का संकेत भी दे ती है, कहां नयां सफ इ तहास नह कहती! इस
कसर समतल चकरोड क पटाई कर उ ह इतना ऊंची सड़क म त द ल कर दया गया क पानी का मुसलसल बहना ह बंद हो गया, अब बा रश का पानी इन खेत क मेढ़ और चकरोड क चारद वार म ह कैद हो जाता नतीजतन जल भराव क सम या के साथ साथ पानी अपने उ चत संचयन थल यानी तालाब तक नह आ पाता और न ह पो षत
कर
पाता
ता क
वह
थानीय न दय को
सदानीरा
हो
सके।
तालाब को दे ख रह है न, कभी यह वाकई ाकृ तक तालाब था, कबु लहा
कबु लहा ताल के कर ब मु खया बाबा क आम क बाग़, फर ठे केदार बाबा
कहते ह इसे शायद इंडो-अफगानी र त से उपजा है ये श द, कोइ भी
क बाग़ और उसके बाद मुनीम बाबा क बाग़, इस बेहतर न ाकृ तक थल
बेहतर न, लंबी चौड़ी व तु को काबुल क बाज़ार से जोड़ दया जाता था,
के कारण ह गाँव के कसी भी कुँ ए और नल का जल तर नह घटता था,
फर
वह
चाहे
चने
ह
या
फर
काबु ल
घोड़ा।
दरअसल भारत पर आ मण करने वाले गोर च टे लंब,े खू बसू रत नाक न श वाले वे लोग सु ंदर व ् फुत ले बेहतर न न ल के घोड़ से उ र भारत क जमीन र द रहे थे, वजेता, वजातीय और वदे शी सदै व आकषण, और कौतु हल का कारण होते ह! सो ह दु ता नय के लए भी हर बेहतर व तु काबु ल हो गयी, बाद म इं लै ड क स ा के कारण भी हमारे यहाँ उ कृ ट बहु त चीज को वलायती क सं ा द , और अब कुछ कुछ चीज चाइनीज हो रह ह। खैर बात कबु लहा ताल क हो रह है , िजसक वशालता और सु ंदरता ने उसे काबु ल बना दया। इस तालाब क वशालता से इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है क मैनहन गाँव से ओदारा गाँव तक इसक सीमाएं ह, तालाब के म य म एक आइलड था, जो तमाम
जा तय क ल डंग का
सु र य थल था, और तालाब आगे चलकर छछला होकर झाबर क श ल ले लेता था िजसम व भ न क म क घास उगती थी और बा रश के बाद यह दोन गाँव के पशुओं का चारागाह हु आ करता था साथ ह गाँव के ब च का ले- ाउं ड तथा बु जु ग क वमश थल , और नठ ल क नंदारस व ् ठठोल क महान कम थल , पर अब न वह आइलड बचा, न ह झाबर, य क इन जैव वव धता वाले थल को पंचायती राज के अ नयोिजत व ् ट वकास ने नगल लया, नरे गा ने तालाब म क अ नयोिजत खु दाई से उसके ाकृ तक व प को बदल डाला, झाबर प टे और कृ ष भू म के तौर पर अ त
मत कर लया गया, अब न इस तालाब म प ी चहचहात है, न
ह तमाम तरह क मछ लय क उछल कूद है, न ह बेहया जलकु भी के रं ग बरं गे पु प खलते ह, और न ह मवेशी व ् उनके रखवाल का मेला
और 25 फुट पर ह धरती से रसधार फूट पड़ती, गाँव म कहावत है ऐसे जल तर वाले कुँए के ताजे मीठे पानी को डाल से तोड़ा हु आ पानी कहना, पर तु कबु लहा क दुदशा ने अब डाल के टू टे पानी अथात ताज़ा मीठे पानी वाले कथन को खा रज कर दया, अब जल तर भी 100 फुट पर हो गया और पानी क मठास भी जाती रह , वकास क आंधी ने सं कार तोड़ दए तो अब इस गाँव का सारा गंदा पानी इस तालाब म गरता है, और नाबदान वलु त हो गए, या यू ँ कह ले क वकास क ना लय ने नाबदान को नगल लया, पेि टसाइड और रासाय नक खाद के योग से खेत का जहर ला पानी भी अब कबु लहा म ह गरता है, सो जल य जल य जैव व व धता क दुग त भी हो गयी, तालाब भी यापा रय के हवाले हो गए, सहका रता के नाम पर कसी एक ठे केदार से रकम लेकर उसे उसके हवाले कर दया जाता मछल व ् संघाड़े पालन के लए, और गाँव के वे समुदाय वं चत रह जाते उस
ाकृ तक लाभ से िजसम वतं ता से वह मछल आ द व तु ओं को
भोजन के तौर पर योग करते आएं, वे सारे समु दाय जो म ट , मछल कमल ग टा, नार , और अ य जल य खा य व तु ओं के साथ साथ औषधीय वन प तय पर स दय से इन तालाब पर नभर थे अब वकास के इस त
म मह म है उन सब चीज से, जा हर है बाज़ार क
बढ़ती जा रह है और
ासं गकता
ाकृ तक संसाधन पर नभरता ख़ म। बस यह
हालात आने वाले समय म घातक ह गे, जब बाज़ार हमारे घर खेतो और ख लहान तालाब पर तांडव कर रहा होगा और हम अपना सब कुछ उसके हवाले कर चु के ह गे, और तब मानवता कसी कोने म बैठकर बेसा ता आँसू बहायेगी और राजनी त तथा सरकार बेबश और लाचार ह गी।
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अभी भी व त है हो सके तो कुँ ए तालाब बाग बीज और अपनी जमीन जे साथ साथ अपनी इस सं कृ त को भी बचा ले िजसम न दयां तालाब खेत वृ
अ न जल अि न पृ वी और आकाश के अ त र त स पू ण जगत के
चराचर
क
व दना
होती
तालाब अब भी खरे ह, कबु लहा तो
आई
है।
सफ एक बानगी है !
कृ ण कुमार म krishna.manhan@gmail.com
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प ी
पानी रे पानी तेरा रं ग कैसा..........! on February 23, 2010 ( वशेष लेख जो स म लत
कया गया है दुधवा
लाइव के जल- वशेषांक म)
सेवा
भी
नाथू बाबा तालाब के लए सहयोग रा श लेने पहु ंचते है, ले कन कई लोग नगद क बजाय धान उनक झोल म डाल दे ते ह। इस धान का भ डार प ी सेवा म काम आ रहा है। यागी बताते ह क रोजाना कर ब एक बोर अनाज कबू तर व प इन
पर
गांव
पू रे
य के लए वे घर के पास ह बने चबू तरे पर डालते ह। दन
वाल
लगा ने
रहता कया
है
प
य
काम
का
जमघट।
का
मान
नाथू बा को न तो आज तक सरकार और शासन ने कोई स मान दया और न ह कभी बाबा ने स मान क आशा क । ले कन
ामीण ने उनके
यास का स मान करते हु ए उनके वारा बनाए गए सबसे बड़े तालाब का नामकरण उनके नाम पर नाथू सागर कर ज र उनके काम का मान कया। इंजी नयर जीनेश जैन* जल के लए जंग, व व यु ध के दौरान ईरान, इराक और इटल म सै नक सेवाएं दे चु के नाथू बा उफ यागीजी मारवाड़ क धोरां धरती मे जल के लए जंग लड़ रहे ह। जोधपु र िजले क भोपालगढ़ तहसील के रतकु डय़ा गांव के इस श स ने जल संर ण के लए ऐसी अनू ठ मसाल पेश क है क इनके यास के आगे सरकार योजनाएं भी बौनी पड़ जाती ह। नौकर से रटायर होने के बाद कर ब ४५ वष से इनके जीवन का एक ह ल य है-जल संर ण। इसके लए इ ह ने अपना घर-बार तक छोड़
पोता-बहू
अमर का
म
नाथू बा यागी दखने म तो बहु त ह साधारण से नजर आते ह, ले कन उनके ये ठ पु कंवराराम नौसेना से सेवा नवृ होने के बाद मु बई म रह रहे ह। यागीजी का पोता राम कशोर और उसक प नी दोन ह पेशे से इंजी नयर है और अभी अमे रका म सेवारत ह। हालां क नाबू बा अब बीमार रहने लगे ह और उनका मशन भी धीमे पडऩे लगा है, ले कन उनके ह सल म आज भी पहले िजतने ह बुलंद ह। वे कहते ह क टांके और तालाब ह उनके प रवार ह। अं तम सांस तक वे इनक र ा करते रहगे।
दया और तालाब के कनारे ह बना ल कु टया। यह कु टया ह आज उनका सब कुछ है। इस लए ह लोग उ ह यागीजी के नाम से पहचानते ह। कसी के भी शाद हो या कोई और सामािजक समारोह अथवा गांव का मेला। हाथ म एक डायर लए कसाय सी काया वाला, ह क सफेद दाढ़ बढ़ाए कंधे पर गमछा डाले जल संर ण के लए
ामीण से सहयोग मांगते दखाई दे ते
ह। तीन
तालाब
और
दजन
जीनेश जैन (लेखक राज थान प का म मु य उप-संपादक ह, इससे पू व यू०एन०आई० म जन ल ट के तौर पर वष का कायानु भव, पयावरण व जमीनी
मसायल
पर
बेहतर न
लेखन,
इनसे
jinesh.jain@epatrika.com पर संपक कर सकते ह।)
टांके
नाथू बा जब फौज क नौकर छोड़कर आए तो रतकु डया गांव भीषण पेयजल संकट का सामना कर रहा था। सरकार पाइप लाइन थी नह ।ं बा रश का पानी यादा नह टकता। इस पर उ ह ने गांव वाल से मलकर कुछ करने को कहा। कुछ ने साथ दया, कुछ ने अनसु ना कर दया। नाथू बा ने हार नह ं मानी। पहले एक टांका खुदवाया और फर तालाब। उ ह ने रतकु डय़ा के रे तीले धोर के बीच तीन प के तालाब और कर ब दो दजन से अ धक टांक का नमाण करवाया है। यह नह ं उ ह ने इन तालाब के तल म सीमट क फश और चार ओर प क द वार बनवा द , ता क पानी ल बे समय तक रह सके। बरसात का पानी सं ह त करने के लए उ ह ने आसपास क पहा डय़ से बहकर आने वाले नाल को नहर का
प भी दे
दया। अकाल
म
भी
भरपू र
पानी
नाथू बाबा क मेहनत अकाल म भी रं ग ला रह है। रतकू डय़ां से कर ब दो कलोमीटर दूर ि थत नाथू सागर पर आस पास क ढा णयां ह नह ं
े के
कई प रवार नभर है। मवे शय के लए भी इसम साल भर पानी रहता है। इसके लए तालाब के पास ह अलग हौद बना हु आ है। अकाल के व त आसपास के खेत क फसल भी नाथू सागर व अ य तालाब से सींच ल जाती
है। Page 23
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International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 गौरतलब है क रबी
नाथ ठाकुर ने बहु त कम उ
दया था. उ ह ने पहल क वता आठ साल क उ म महज़ सोलह साल क उ
म लखना शु
कर
म लखी थी और 1877
म उनक लघु कथा का शत हु ई थी. उनक
शु आती रचनाओं म बनफूल और क व का हनी उ लेखनीय ह. कड़ओ कोमल, भात संगीत, छ ब ओ गान, मानसी म उनक का य शैल का वकास साफ़़ झलकता है. इसी तरह सोनार तर नामक का य सं ह म व व जीवन क आनंद चेतना का पहला वर फूटता है, जो च ा म बुलंद तक पहु ंचता है. उसी व त नैवे य का य सं ह म भि त के
त उनक
याकुलता नज़र आती है , जो बाद म गीतांज ल म और भी ती हो उठती है. टश सरकार ने 1913 म उ ह नाइटहु ड क उपा ध से स मा नत कया था, ले कन ज लयांवाला बाग़ के नरसंहार से ममाहत होकर उ ह ने यह उपा ध वापस कर द . 1916 म उनका का य सं ह लाका का शत हु आ. इसके
बाद
पलातक, पू रबी, वा हनी, शशु
भोलानाथ, महु आ, वनवाणी, प रशेष, पु न च, वी थका, प पु ट, आरो य, शेषलेखा आ द का य सं ह रबी
का शत हु ए और ख़ू ब सराहे भी गए.
नाथ ठाकुर पारं प रक बंधन से मु त होकर सृजन करने म व वास
करते थे. उ ह ने प य क तरह ग य क रचना भी बचपन से ह शु कर द थी. उनके नबंध उनके श प काय केबेहतर न उदाहरण ह. इनम वचार क गंभीरता के साथ भाषा शैल भी उ कृ ट है. उनका
े ठ ग य
ंथ
जीवन मृ त है, िजसम जीवन के अनेक च अं कत ह. उ ह ने 1888 म महान श ा वद और कृ त के असाधारण च कार- रबीं नाथ ठाकुर
आधु नक बां ला सा ह य म छोट कहानी का सृजन करके एक नई वधा
on May 07, 2016
क शु आत क , िजसे बाद म कई सा ह यकार ने अपनाया.
- फ़रदौस ख़ान रबी
नाथ ठाकुर को आधु नक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार
माना
जाता
है.
वे
बां ला
क व, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, नबंधकार
और
च कार थे. वे ए शया के पहले नोबेल पु र कार वजेता ह, िज ह 1913 म सा ह य के नोबेल पु र कार से स मा नत कया गया. इतना ह नह ,ं वे एकमा ऐसे क व ह, िजनक दो रचनाएं दो दे श का रा का रा
गान जन गण मन और बां लादे श का रा
गान बनीं. भारत
य गान आमार सोनार
1884 म उनका पहला उप यास क णा नाटक के
े म भी उ ह ने बेहतर न काम कया. बा मी क
च ांगदा म उनक उ कृ ट ना य नाटक र तकरबी उनक
तभा के दशन होते ह. उनका सांके तक
े ठ कृ तय म से एक है. का य, वर, ना य
और नृ य से सजा उनका नाटक नट र पू जा, यामा आ द भी उनक
को कोलकाता के जोडासां ़ को ठाकुरबाडी़ म हु आ था. उनक शु आती श ा
और फा गु नी भी उनके
सट ज़े वयर कूल म हु ई. इसके बाद 1878 म उ ह ने इं लड के
2230 गीत क भी रचना क , जो रबी
कूल म दा ख़ला ले
लया.
फर उ ह ने लंदन कॉलेज
व व व यालय म क़ानू न का अ ययन कया, ले कन 1880 म बना ड ी हा सल कए ह वापस आ गए. दरअसल, बहु मु खी रबी
नाथ का बचपन से ह कला के
त झान था और क वताएं और
ठाकुर यह चाहते थे क उनका बेटा पढ़- लखकर वक ल बने, ले कन नाथ का मन कला और सा ह य को कब का सम पत हो चु का था.
आ ख़रकार पता को बेटे क िज़द के आगे झु कना ह पड़ा और उ ह ने रबी
नाथ पर घर-प रवार क िज़ मेदा रयां डाल द .ं 1883 म मृणा लनी
दे वी से उनका ववाह हु आ.
तभा के उ कृ ट उदाहरण ह. शारदो सव, राजा, अचलायतन
हंद ु तानी शा
स ध नाटक म शा मल ह. उ ह ने तक़र बन संगीत के नाम से जाने जाते ह.
ीय संगीत क ठु मर शैल से
भा वत उनके ये गीत
िज़ंदगी के व भ न रं ग को अपने म समेटे हु ए ह.
तभा के धनी
कहा नयां लखना उ ह बेहद पसंद था. हालां क उनके पता दे ब नाथ रबी
तभा और
मायेर खेला उनके शु आती गी तना य ह. राजा ओ रानी, वसजन और
बहु मु खी
पि लक
स ध
उप यास म चोखेर बाल , नौका डू बी, गोरा, घरे -बाइरे आ द उ लेखनीय ह.
बां ला गु दे व क ह रचनाएं ह. ग़ौरतलब है क उनका ज म 7 मई, 1861 जटोन
का शत हु आ. उनके
रबी
नाथ ठाकुर सयालदह और शजादपु र ि थत अपनी पैत ृक संप
क
दे खभाल के लए 1891 म पू व बंगाल (बां लादे श) आ गए और तक़र बन दस साल तक यह ं रहे . उ ह ने यहां के जनमानस के सुख -दुख को बेहद क़र ब से दे खा और अपनी रचनाओं म उसका मा मक वणन भी कया, िजसे उनक कहना नय द न-ह न और छोटे -मोटे दुख म महसू स कया जा सकता है. वे कृ त ेमी थे, इस लए वे चाहते थे क व याथ कृ त के बीच रहकर अ ययन कर. इसी मक़सद से 1901 म उ ह ने
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सयालदह छोड़ दया और उसी साल शां त नकेतन नामक एक व यालय क
थापना क , जो 1921 म व व भारतीय व व व यालय बन गया.
उनक
रचनाओं
म
आसमान, सू रज, चांद, सतारे , बरसात, बलखाती
न दयां, पेड़ और लहलहाते खेत का मनोहार
च ण मलता है. उनक
रचनाओं का अं ेजी म अनु वाद भी हु आ और वे दे श- वदे श म मशहू र हो गए. रबी
नाथ के जीवन म कई उतार-चढ़ाव आए. 1902 और 1907 के
बीच उनक प नी और उनके दो ब च क मौत हो गई. इस दुख से उबरने के लए उ ह ने अपना सारा व त काम म लगा दया. एक व त ऐसा भी आया, जब शां त नकेतन क आ थक ि थ त बहु त ख़राब हो गई. धन सं ह के लए गु दे व ने नाटक का मंचन शु कर दया. उस व त महा मा गांधी ने उ ह साठ हज़ार रबी
पये का चेक दया था. कहा जाता है क
नाथ ठाकुर ने ह गांधी जी को महा मा का वशेषण दया था. िज़ंदगी
के आ ख़र व त म उ ह ने च बनाना शु
कया. यहां भी उ ह ने िज़ंदगी
के तमाम रं ग को कैनवास पर उकेरा. उनके च भी उनक अ य कृ तय क तरह दु नया भर म सराहे गए. हालां क उ ह ने च कला क कोई औपचा रक श ा नह ं ल थी, बावजू द इसके उ ह ने ु श, ई और अपनी उं ग लय को रं ग म डु बोकर कैनवास पर मन के भाव को उकेर दया.
रबी
नाथ ठाकुर क मौत 7 अग त, 1941 को कलक ा म हु ई. भले ह
आज यह महान कलाकार हमारे बीच नह ं है, ले कन अपनी महान रचनाओं के कारण वे हमेशा याद कए जाते रहगे. वे कहा करते थे, व वास वह प ी है, जो भात के पू व अंधकार म ह
काश का अनुभव करता है और गाने
लगता है.
फ़रदौस ख़ान ( टार यू ज़ एजसी) newsdesk.starnewsagency@gmail.com
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अं ेज ने इस नद पर बनवाये ए तहा सक वशाल पुल
अं ेज ने इस नद पर वशाल ए तहा सक पु ल भी बनवाये, हालां क पू व म मु गल के दौर म भी इस पर गोला मोह मद , मु ह मद -लखीमपु र, औरं गाबाद- मतौल आ द के म य म इस जलधारा पर भी लकड़ी के पु ल बने जो अब नदारद है,
टश हु कूमत म इस नद पर कुछ ए तहा सक पुल
बने िजसमे मोह मद से गोला माग पर बना पुल योरो पयन वा तु कला का अ भु त नमू ना है.
न दयां हमार सं कृ तय क धरोहर ह
छ पी खान के आतंक के साए म क ना
on May 17, 2016
कठना नद -
मोह मद
न दयां हमार सं कृ तय क धरोहर ह
े
म ए तहा सक बड़खर म बा छल का सा ा य रहा, इन
राजपू त ने वयं को राजा वेना अथात राजा वराट के पु राजा वेना का वशंज बताया है , और क ना-गोमती से क ना-शारदा के भू भाग पर बहु त
अवध क तमाम कहा नय को संजोएँ है कठना नद
समय तक राज कया, औरं गजेब के समय बा छल राजा छ पी खान जो
गू गल मैप कठना नद को बता रहा है गोमती नद
क मु ि लम बन गया था, बागी हो गया, िजसका आतंक पू रे क ना के जंगल और रहाइशी इलाक म बसने वाले लोग म या त था, कहते है
क ना जहां औरं गजेब के व त छ पी खान का था आतंक
यु ध म इसने इतनी मारकाट क इसके पू रे व तराई क जलधाराएं जो पू र दु नया म अ भु त और ासं गक ह,
य क
खून से सरोबार थे सो
द ल के बादशाह औरं गजेब ने इसे छ पी खान का खताब दया.
इ ह जलधाराओं से यहाँ के जंगल हरे भरे और जैव व व धता अतु लनीय रह , यहाँ हमालय से उतर कर शारदा घाघरा जैसी वशाल न दयां तराई
डाकू भगवंत संह और क ना
क भू म को सरोबार करती है अपने जल अमृत से, तो गोमती, परई, चौका, सरायन, जमु हार , सु हेल और कठना जैसी जंगल न दयाँ जंगल और कृ ष
े म जीवन धाराओं के तौर पर बहती रह ह, सबसे ख़ास बात है
क ये न दयाँ गोमती गंगा जैसी वशाल न दय को पो षत करती है ता क गंगा बंगाल क खाडी तक अपना सफ़र पू रा कर सके.
छ पी खान के बाद राजपू त भगवंत संह का आतंक भी क ना क सरहद ने झेला, उसके घोड़े क टाप से क ना के
े दहशतजदा रहे , इसक मौत
के बाद अटवा- पप रया क सार जागीर इसक प नी ने करमु त कर द जो बाद म ई ट इं डया क पनी सरकार के वारा एने शेसन के बाद लगान आ द कर म स म लत हु ई, बाद म यह जागीर १८५७ के बाद अं ेज ने
शाखू के जंगल से गु जरते हु ए यह जलधारा बन गयी कठना
खर द ल या उ ह रवाड के तौर पर दे द गयी.
आज हम बात कर रहे ह काठ के जंगल से नकले वाल क ना क , एक
उपरहर और भू ड़ क जमीन को करती रह सं चत
खतरनाक कौतु हल पैदा करने वाल जंगल नद , शाहजहांपु र के खु टार के नज़द क ि थत मोतीझील से नकलती है, और 10 मील का सफ़र तय करने के बाद खीर जनपद म पहु ँचती है, मैलानी, फर द जंगल से गु जरते हु ए मोह मद
ण खीर के
मतौल के आस पास से गु जरती हु ई
लगभग १०० मील का रा ता तय करने के बाद सीतापु र जनपद म आ द गंगा गोमती म वल न हो जाती है, इसके १०० मील क ल बी जलधारा जो घने जंगल से गु जरते हु ए कई क से कहती है, शाखू आ द के बड़े वृ
क
वजह से इस जल धारा म लकड़ी का यापार भी हु आ मु गल के व त और काठ के जंगल से गु जरने के कारण यह जलधारा क ना बन गयी.
दरअसल कठना चूँ क घने जंगल से गु जरती है, और बा रश म लाखो हे टे यर जंगल
े
का पानी इस नद म गरता था, और जमीन म ढलान
के कारण इसक जलधारा का वेग बहु त अ धक रहा, सो खेती क जमीन को सं चत करने का कोइ औ च य नह था, पर
टश भारत म जंगल के
अ य धक कटान से नद के आस पास गाँव बसने लगे, बाद म आजाद भारत म तो यह जंगल
े उडती धूल के मैदान बने और इंसान बसता
चला गया, आज क ना के कनारे सैकड़ गाँव और हज़ारो हे टे यर कृ ष भू म आबाद हो गयी. Page 26
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एक और बात कठना एक तरह से तराई और उपरह र के भू
े को अलग
करती है, कठना के उ र भूभाग हमालय क तराई क तरफ फैले हु ए है और द
णी भू भाग गंगा के मैदानी भू
े
क तरफ.
एक तेज र तार, पानी से लबालब भर नद अब एक पतल
वखं डत
जलधारा के व प म है, वजह कठना के आसपास घने जंगल को काटकर कृ ष भू म म त द ल कर दे ना, जगह जगह औ यो गक कचरे को कठना म
१८५७ क
डालना, खेत क रासाय नक उवरक, क टनाशक का बहकर नद म
ाि त क कहानी भी कहती है यह नद
गरना, इसके जल य पा रि थ तक तं को बगाड़ दया है, िजस कारण न जाने कतनी जा तयाँ यहाँ से न ट हो गयी, और नद के कनार के
क ना के कनार के घने जंगल ने जहां डाकुओं को छपने क जगह द ,
वृ
वह १८५७ के व ोह म
बरसात के अलावा सफ सूखे नाले के तौर पर धरती पर एक सू खी लक र
ां तका रय को रहने क जगह द , ये
ां तकार
क ना क जलधारा म ट बर यवसाय के कारण लकड़ी के चलायमान
क कटाई ने भी इसके सौ दय को बगाड़ दया है, अब यह नद
बन जाती है.
टटर पर एक जगह से दूसर जगह तक चले जाते, इसक सरहद पर अं ेज क सेनाओं से जंगल म छुप कर रहते, एक और कहानी जु डी है इस क ना के मतौल के पास बने हु ए पुल के समीप क , कहते है क जब १८५७ म राजा लोने संह आफ़ मतौल ने अवध क बेगम हज़रत महल के साथ मल कर क पनी सरकार के व
ध
कभी बाघ और तदुओं का बसेरा थे क ना नद के कनार द
ण खीर के घने जंगल के म य बहती इस जलधारा म बाघ और तदुओं
ाि त का बगु ल फूं का तो पू रे इलाके
क अ छ तादाद थी, और यह बात सा बत करती है, राजाओं और अं ेज
ध, और यह मतौल रा य और
क शकार क कहा नयां, क ना नद के प र े म कभी राजा महमूदाबाद
क ना के जंगल क पनी सरकार से मु त हो गए तकर बन एक वष से
ने मैनहन गाँव म एक वशाल बाघ का शकार कया था वह जगह आज
अ धक समय के लए, क तु अं ेज क फौजे कानपु र और लखनऊ से
बघमर बोल जाती है, मतौल गढ़ पु तक म राजा लोने संह के भाई के
चलकर शाहजहांपु र होते हु ए नव बर १९५८ म सर कॉ लन कै पबेल और
नाम से बसे खंजन नगर म अं ेज क शकारगाह थी जहां अं ेज मेमे और
मेजर टा ब क कमान म मतौल पहु ँची तो राजा लोने संह ने अपने
उनके अ त थ इन बाघ तदुओं का शकार करते थे, दुधवा नेशनल पाक के
म आग सी लग गयी अं ेज के व
मतौल गढ़ से अपनी तोप से एक रात और एक दन तक अं ेज क
सं थापक डाइरे टर राम लखन संह ने भी क ना क बा घन का िज
फौज से लोहा लेते रहे , फर कवदं ती कहती है क राजा क मु य तोप
कया है अपनी कताब म, आज भी कभी कभी ये बाघ तदुओं अपने पू वज
लछम नया ने जवाब दे दया और वह कठना नद म जा गर , लोग म
क इस न ट हो चु क वरासत म आ जाते है , इस तरह क ना क इस दुदशा
आज भी यह कवदं ती जीवंत है क राजा क तोप आज भी होल दवाल
ने जंगल और जंगल जीव क दुलभ जा तय को भी न ट कर दया यहाँ
कठना से नकलकर दगती है िजसक आवाज आसपास के ामीण इलाक
से.
म सु नाई दे ती है. खैर जो भी हो उस व त जब रा य पर ख़तरा मडराता था तो रा य क धन संप
असलहे तोपे आ द न दय कुओं और जंगल म
छुपा दए जाते थे, राजा लोने संह ने भी यह कया होगा, कुछ बु जु ग बताते है क हा थय और बैलगा ड़य पर रानी सा हबा के साथ बहु त सा खजाना मतौल गढ़ से क ना नद के जंगल म भेजा गया और िजन लोग के साथ यह खजाना गया उ ह ने क ना के कनारे कई संप न गाँव बसा लए य क मतौल रा य अं ेज सेनाओं ने व त कर दया था और राजा को
कृ ण कुमार म krishna.manhan@gmail.com (लेखक जीव व ानी, वतं प कार, व ् दुधवा लाइव अ तरा
य प का
के सं थापक संपादक है )
गर तार.
गू गल मैप कठना नद को बता रहा है गोमती नद
अवध क इस ए तहा सक नद को गू गल अपने मैप म दखा रहा है गोमती, इस स दभ म अभी तक शासन और शासन ने कोइ सुध नह ल , भारत के भू भाग और जंगल न दय आ द क सह सैटेलाईट मै पंग न होना दुभा यपू ण है, और जनमानस को
मत करने वाल भी.
दूषण और कृ ष ने कठना के व प को बगाड़ा
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International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 याद क िजए क व व सां कृ तक उ सव मामले म रा
य ह रत पंचाट ने
नौ माच, 2016 को एक आदे श जार कया था। आदे श म अ य के अलावा तीन बात मु य थी : पहला, ह रत पंचाट ने हु ए प रि थ तक य नु कसान के लए आयोजक और उसे आयोजन क अनु म त दे ने वाले द ल वकास ा धकरण..दोनो को दोषी माना था। कहा था क आयोजक, आयोजन शु होने से पहले यानी 11 माच, 2016 क शाम से पहले पांच करोङ क रा श पये द ल वकास ा धकरण के पास जमा करे । ह रत पंचाट ने यह रा श, यमु ना को हु ए पा रि थ तक य नु कसान क भरपाई क अ म रा श के तौर तय क थी।
Photo Courtsey: http://eco-turizm.net/ ी ी- यमु ना ववाद : चोर और सीनाजोर
दूसरा, ह रत पंचाट क
चार स ताह के भीतर कुल नु कसान के आ थक आकलन क रपोट पंचाट
on June 02, 2016
ी ी-यमु ना ववाद : ह रत पंचाट के इ तहास म ऐसी दबंगई पहल बार रा
धान स म त आयोजन के मौके का मु आइना कर
य ह रत पंचाट के इ तहास म चोर और सीनाजोर क ऐसी दबंग
मसाल शायद ह कोई और हो। शासन, शासन से लेकर नजी कंपनी तक
के सम
पेश करे । इस पर पंचाट तय करे गा क उसम से कतना भु गतान
उ सव के आयोजक को करना है और कतना द ल वकास ा धकरण को।
कई ऐसे ह, िज होने ह रत पंचाट के आदे श को मानने म ह ला-हवाल दखाई है। पंचाट के कई आदे श ह, िजनक अनदे खी आज भी जार है; कं तु
तीसरे त य के तौर पर पंचाट पीठ ने कहा था क नद शु धकरण के लए
इससे पहले शायद ह कोई ऐसा आरोपी होगा, िजसने आदे श क अवमानना
लाये गये एंजाइम क कोई मा णकता नह ं है, लहाजा उसे यमुना म न
करने पर दि डत करने क ह रत पंचाट क शि त को चु नौती दे ने क
डाला जाये।
हमाकत क हो। व व सां कृ तक उ सव ( 11-13 माच, 2016 ) के आयोजक ने क है। हालां क ह रत पंचाट ने यह प ट कया क आदे श क अवमानना होने पर दि डत करने के ह रत पंचाट को भी वह अ धकार ा त ह, जैसे कसी दूसरे स वल कोट हो, कतु चु नौती दे कर आयोजक के वक ल ने यह संदेश दे ने क को शश तो क ह क वह आदे श क अवमानना करे भी तो ह रत पंचाट उसका कुछ नह ं बगाङ सकता।
इसने मु झे फर मजबू र कया है क म यमु ना नद पर व व सां कृ तक उ सव के आयोजक क कारगु जा रयां फर पाठक के सामने रखू ं।
मुख
ी
ी र वशंकर जी क अगु वई म द ल क
थान चयन और उससे यमु ना नद पा रि थ तक को हु ए नु कसान पर यमु ना िजये अ भयान के मनोज म
वारा मामले को ह रत पंचाट म ले
जाने क याद भी आपको होगी। ’ यि त वकास के
’, आट ऑफ ल वंग
फाउ डेशन क सहयोगी सं था है। व व सां कृ तक उ सव के लए यमु ना भू म का उपयोग करने क अनु म त का आवेदन ’ यि त वकास के
’ ने
कया था। इस नाते वह उ सव का औपचा रक आयोजक ’ यि त वकास
तीन आदे श
1. काय म संप न होते ह आयोजक ने एंजाइम के म वह ं यमु ना म
2. आयोजक- यि त वकास के
ने कहा क उसके पास इतनी बङ
धनरा श नकद नह ं है। उसने आयोजन से पू व तय पांच करोङ म से मा 25 लाख पये जमा कए और शेष को जमा करने के लए व त मांगा। वीकारनामा दया, कं तु समय समाि त क अं तम तार ख (एक अ ैल,
यमु ना पर हु ए व व सां कृ तक उ सव क याद आपको होगी ह । उ सव के
’ ह था।
उ त तीन मु य आदे श क पालना न होने पाये। जा नए क कैसे ?
पंचाट ने तीन स ताह का और व त दया और आयोजक ने ऐसा करने का
यमु ना बनाम ी ी
के
यह सीनाजोर नह ,ं तो और या है क आयोजक ने सु नि चत कया क
उङे ल दए। मी डया म उसक तसवीर छपी।
ह रत पंचाट के इ तहास म यह पहला ऐसा मामला है। ढाई मह ने ने बाद
आट ऑफ ल वंग
तीन अवमानना
2016) को वह पलट गया। एक अ ल ै को पंचाट को दए आवेदन म आयोजक ने कहा क नकद क जगह उसे 4.75 करोङ बक गारं ट जमा करने क अनु म त द जाये। पंचाट ने इससे इंकार कया। इस इंकार को भी लगभग दो मह ने होने को ह, कं तु व व सां कृ तक उ सव के आयोजक ने अभी तक एक धेला नह ं जमा कया है।यह ह रत पंचाट के आदे श क अवमानना है। आयोजक वारा आदे श क अवनमानना को लेकर याची ने पंचाट म दो शकायत दज क । आयोजक ने कोई ल खत जवाब पेश नह ं कया। वक ल ने टालू रवैया अपनाया। उसने कहा क दो शकायत म एक का जवाब तैयार है; एक का अभी तैयार करना है।
गौर क िजए क
त
या म ह रत पंचाट ने कहा ज र क ’अपनी बक
गारं ट अपने पास रखो’; 25 मई क सु नवाई के बाद उसने तीन दन के भीतर जवाब जमा करने को भी कहा; ले कन मालूम नह ं कस दबाव म Page 28
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पंचाट अपनी अवमाना सहती रह ? पंचाट क इस सहनशि त को उसक
जमीन न लौटाने के पीछे पेच यह भी हो सकता है क बा रश आने के बाद
कमजोर समझ कर ह आयोजक के वक ल ने ह रत पंचाट पीठ से सवाल
नु कसान का सह आकलन करना मु ि कल हो जायेगा। गम म छु ट यां हो
कया क या उसके आदे श क आवमानना पर कारवाई करने का उसे कोई
जायगी। मामला अग त तक खसक जायेगा। स य आगे पता चलेगा। 25
अ धकार है ?
मई क आदे शानु सार, जलसंसाधन स चव
31 मई का समाचार है क ह रत पंचाट ने बक गांरट तथा जगह को जैव व वधता पाक के प म वक सत करने क अनु म त आयोजक को दे ने से पु नः इंकार कर दया है। बक गारं ट क अनु म त क अज दे ने क एवज म पये पांच हजार का जु माना लगाया है और एक स ताह के भीतर अ
म
फलहाल ह रत पंचाट ने भारत सरकार के ी श शशेखर क अ य ता वाल अपनी
स म त को कहा है क वह अगले दो स ताह के भीतर (सात जू न, 2016) यमु ना पा रि थ तक को हु ए नु कसान क आ थक आकलन रपोट जमा करे । गम क छु टय म पंचाट बंद रहता है; लहाजा, सु नवाई क अगल तार ख चार जु लाई, 2016 तय क गई है।
मु आवजा रा श का बकाया जमा करने को कहा है।
नकद चु काने म अ मता के सच क जांच
उ राख ड क कोसी नद म गंदगी नपटान क काययोजना नह ं स पे जाने
इस
से नाराज रा
य ह रत पंचाट के अ य
बयान दया - ’’ पंचाट के आदे श को
ी वतं कुमार क पीठ ने एक याि वत करना पयावरण याय का
त व है और लोग, खासकर अ धकार , जो नदश का पालन नह ं करत, वे न सफ अव ा के िज मेदार है, बि क
दूषण करने और
े
के
पयावरण और पा रि थ तक क गरावट के लए भी िज मेदार ह।’’ यह बयान एक आईना ज र है, ले कन आदे श क अवमानना करने वाले य द अवमानना को दं डत करने क शि त को ह चु नौती दे ने लग जाय, तो यह आईना कतना कारगर होगा ? वयं पंचाट के लए वचारणीय
न आज
यह है।
करण का सबसे बङा सच वह झू ठ है, जो आयोजक ने इतनी बङ
रकम नकद दे ने म असमथता के
प म ह रत पंचाट के सम
रखा। ’द
कारवां’ वारा क गई एक जांच इस झू ठ का सच सामने रखती है। आट ऑफ ल वंग फाउ डेशन, दु नया के 155 दे श म अपनी शाखाय बताता है। ’द कारवां’ के मु ता बक, संयु त रा य अमे रका, यू के और नीदरलड...इन तीन दे श म ह संप
ी
ीक
मु खता म 234 करोङ पये क
तथा 81 करोङ पये आय का पता चला है। आय के मु य
ोत
मशः पा य म व आयोजन म ल जाने वाल फ स तथा नकद व गैर नकद
प म ा त सहयोग रा श दशाई गई है। ’द कारवां’ क उ त रपोट
आट ऑफ ल वंग (अमे रका), आट ऑफ ल वंग (यू के ), वेद व ान महा
3. नौ माच के आदे श के अनु सार, ह रत पंचाट क
धान स म त को
आयोजन से चार स ताह के भीतर उ सव से यमुना क प रि थ तक को हु ए नु कसान का आकलन पेश करना था। एक अपैल, 2016 को दए आवेदन म आयोजक ने पंचाट से अनु रोध कया नुकसान का आकलन करने वाल स म त का सहयोग करने क उसे भी अनुम त द जाये। उसके बाद आयोजक
वारा पंचाट क
धान स म त को यह कहकर मौका
मु आइना करने से रोका गया क उसने आयोजन थल को अ धका रक तौर पर द ल
वकास
ा धकरण को नह ं स पा है। आयोजक के वक ल ने
अपने ताजा बयान म कहा है क उ होने यमु ना का कोई नु कसान नह ं कया। उलटा उ होने तो ज़मीन को पहले से बेहतर ि थ त म जमीन नह ं लौटाने का पेच द ल वकास ा धकरण वारा यि त वकास के
को
दए अनु म त प के अनु सार भू म का आवंटन कया गया है। यह आंवटन कतनी अव ध का है ? इसक अ प टता म आयोजन के ढाई मह ने बाद भी आयोजन थल को औपचा रक तौर पर द ल वकास ा धकरण को स पने का पेच छपा है। य द जमीन अब तक नह ं लौटाई, तो द ल वकास
धान
ा धकरण ने कारवाई
य नह ं क ? वह
य चु प रहा ?
या
इसम उसक भी कुछ शह है ? या वह आगे चलकर रखरखाव के नाम पर वह यह ज़मीन लंबी ल ज अव ध के लए आयोजक को आवं टत करने के फेर म है ? आयोजक ने अदालत से जमीन को जैव व वधता पाक के प म वक सत करने क अनुम त चाह थी। आगे वह उसके रखरखाव क िज मेदार लेने के नाम पर अपना क जा बनाये रखने क जु गत लगाती। आयोजक का यवहार ह रत पंचाट को व वसनीय नह ं लगा। उसने मना कर दखा।
व यापीठ (अमे रका), शंकर यू रोप होि डंग बी वी (नीदरलड), शंकर यू रोप बी वी (नीदरलड) तथा आट ऑफ ल वंग हे थ ए ड एजु केशन
ट
के वष 2013 अथवा 2014 के खात पर आधा रत ह। एक अ य जानकार के मु ता बक पछले नौ वष म आट ऑफ ल वंग के चार मु ख के
प म
ट को 331.55 करोङ पये क धनरा श वदे श से सहयोग ा त हु ई है। बकौल ’द कारवां’, 5.54 करोङ
सहयोग रा श तो
ी
ी से संब ध
ी
पये क वदे शी
ी स ब ध अकेले इंटरनेशनल
एसो सएशन फॉर यूमन वै यू ज़ को माच 31,2016 क पहल तमाह म ह
ा त हु ई .माच 31,2016 क पहल तमाह म ह
ा त हु ए ह।
’द कारवां’ वारा जार जांच रपोट म कहा गया है क ि वस यावसा यक रिज
ार ने ि वस म
ी
ी र वशंकर से संब ध दो सं थाओं और एक
कंपनी के खात के संबंध म ’द कारवां’ का आवेदन वीकार नह ं कया। जा हर है क जब कभी
ी
ी से संब ध सम त संगठन /कंप नय का
लेखा-जोखा सामने आयेगा, तो संप
और आय का आंकङा कम नह ं
होगा। यह मजहबी आकाओं के यावसायीकरण का दौर ह। इस दौर म
ी
ी समू ह क आय का अ धक होना कोई बु र बात नह ं है, ले कन आय होते हु ए भी असमथता का रोना रोना पयावरणीय नै तकता क
याय और
यि तगत
ि ट से या सचमु च अ छ बात है ?
सीनाजोर का दूसरा नमू ना ’नॉलेज ऑफ टे पल’ व व सां कृ तक उ सव के आयोजक का यह रवैया प ट करता है क पयावरण और पयावरण को याय दे ने के लए
था पत रा
य ह रत
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पंचाट को लेकर उनक मंशा
या है ? आट ऑफ ल वंग क मंशा क
प टता कोलकोता के दलदल
े म मनाह के बावजू द बनाई ’टै पल
ऑफ नॉलेज’ नामक 8,000 वग फ ट 60 फ ट ऊंची नई इमारत से भी प ट होती है। हालां क मनाह के बावजूद वहां बनी यह अकेल इमारत नह ं है, ले कन अपने आकार और पयावरण क चंता करने के
ी
ी के
दावे के कारण यह इमारत एक मसाल ज र है।
गौर क िजए क कर मपु र म यह इमारत आट ऑफ ल वंग से संब ध ’वेद धम सं थान
ट’ क है। इमारत से संब ध सद य इसे पु राना बताते ह।
थानीय जानकार के मु ता बक इमारत का नमाण जुलाई-अग त, 2015 के म य शु हु आ। ’काबन डे टंग’ क जांच स य बताती है। ई ट कलक ा वेटलड मैनेजमट अथॉ रट ने अग त और सत बर, 2015 म
ट को
मशः ’कारण बताओ’ और फर ’ नमाण बंद करो’ नो टस भी जार कए।
थानीय पयावरण संगठन ’पि लक’ क बोनानी क कङ कहती ह क नमाण उसके बावजू द जार रहा और पू रा हु आ। बोनानी वेटलड अथॉ रट क सद य भी ह; कहती ह क वष 1993 म पि चम बंगाल हाईकोट के नदश तथा वेटलड अथॉ रट क वष 2005 क अ धसू चना के मु ता बक वेटलड का न तो भू-उपयोग बदला जा सकता है और न ह उसम कोई नया नमाण कया जा सकता है। उ होने इस आधार पर गत ् चार माच को अथॉ रट म ’टै पल ऑफ नॉलेज’ इमारत का मामला उठाने क को शश भी क , ले कन नमाण रोकने के लए अथॉ रट क पहल नो टस के आगे नह ं बढ़ । यह याय यता है या िज द यता ? कारण कुछ भी हो, ले कन चोर पर सीनाजोर के उ त
त ब ब शां त,
ेम और भारतीय सं कृ त के उस ब ब से तो कतई मेल नह ं खाते, िजसके लए आज तक दु नया
ी ी र वशंकर जी और आट ऑफ ल वंग
फाउ डेशन को जानती रह है। यद
ी
ी लातू र जाकर एक नद क पुनज वन के लए जनता के यास
पर अपना नाम लखाने के लए एक करोङ पये का सहयोग दे सकते ह, तो फर यमु ना को खुद कए नु कसान के लए पांच करोङ य नह ं ? यह ी
ी क पयावरण
याय यता है या दखाव यता या फर
िज द यता ? पाठक तय कर।
अ ण तवार 146, सु ंदर लॉक, शकरपु र, द ल -92 amethiarun@gmail.com
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International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 व त म वह एक आदश तालाब था िजसक तार फ़ िजले के सभी आला अफसर ने क , साथ ह उ ह ने तालाब सरं ण क मु हम को आगे बढ़ाने
तालाब बचगे तो धरती क गाढ़ ह रयल ह रयाल भी आबाद रहे गी
म पू ण सहयोग दे ने क बात कह ।
on May 31, 2016
पू व लॉक मु ख कु भी राजे ३१
मई
तालाब सरं ण क मु हम के तहत सक
२०१६ ाबाद म क गयी तालाब क
खु दाई।
काय म के सह आयोजक और व य जीव वशेष
केके म
ने तराई के
ाकृ तक व प को बनाये रखने क सलाह दे ते हु ए कहा क ये तालाब
िजला अ पसं यक क याण वभाग वारा मदरस को तालाब गोद लेने क सफा रश
सफ जल को सरं
त ह नह करते वरन
ामीण जीवन के तमाम
समु दाय को रोजगार व ् भोजन भी उपल ध कराते ह, तालाब लबालब भरे ह गे तो प रंद और जानवर को पानी मलता रहे गा, पयावरण म तालाब
सक दराबाद-खीर , िजला अ पसं यक क याण वभाग एवं दुधवा लाइव डॉट कॉम के सहयोग से तालाब बचाओ जन अ भयान के तहत े
के
ाम सक दराबाद म एक वशाल जन सभा का
आयोजन हु आ, िजसमे ामीण के अलावा मदरसा हु सै नया ग़र ब नवाज़ के छा छा ाओं ने ह सा लया। काय म क अ य ता वधान प रषद सद य शशांक यादव ने क , व श ठ अ त थ के तौर पर
वधान सभा गोला के वधायक वनय
तवार , व ् वधान सभा क ता के वधायक सु नील कुमार लाला मौजू द रहे और
सरं ण के लए जनता आ वाहन कया, ता क धरती हर भर रह सके।
गरते भू गभ जल पर चंता य त क , साथ ह उ ह ने तालाब के
जल सरं ण पर दुधवा लाइव वारा आयोिजत क गयी गो ठ
कु भी वकास
भदौ रया ने अपने स बोधन म तालाब के
ामीण का जल सरं ण के लए उ साहवधन कया, काय म म
िजला अ पसं यक क याण अ धकार डॉ
यंका अव थी ने ब च से
शपथ ल क पानी का बेजा इ तेमाल न करे ।
एक मह व पू ण थान रखते ह। काय म के आयोजन म डल के सद य एडवोकेट व ् धानप त क पल वेद ने तालाब सरं ण क मु हम म अपना योगदान सु नि चत कया तथा दो तालाब क खु दाई व ् उनके स दय करण का न चय कया। अ य ीय स बोधन म एम ् एल सी शशांक यादव ने
ामीण को हदायत
द क खेती म वे फसले यादा उगाये िजनमे पानी कम खच होता है, साथ ह इज़राइल क तकनीक
प ए रगेशन के लए ामीण को े रत कया.
काय म का संचालन इक़बाल अकरम वारसी ने कया, और ये शेर पढ़ा। ह रयाल अगर आपको जीवन म चा हए, धरती ये कह रह है क पानी चा हए।
मोह मद नगरपा लका के पू व चेयरमैन मोबीन खान ने कहा क पानी बु नयाद ज रत है और खीर जनपद म हम लोग को जल सरं ण के लए तैयार करना होगा, ता क हम दु नया के लए मशाल बन सक।
गो ठ के उपरा त दो तालाब क खु दाई और उसके सौ दय कण का थल य नर
ण कया गया िजसम सभी ने मदान दया।
जल सरं ण के इस काय म म सलमान रजा,
धान अमीर नगर
इरफ़ान खान, शा रक खान, सु धाकर म ा वमल म ा, आयु ष वधायक वनय तवार ने तराई म भी जल संकट क आहट का िज़ और
कया
ाम सभाओं म तालाब के उ धार के लए पू ण सहयोग दे ने क बात
कह ।
ीवा तव, अवनीश अव थी, संजय ग र और सैकड़
ामीण ने
ह सा लया। @Dudhwalive Desk
वधायक क ता सुनील कुमार लाला ने अपनी वधान सभा म तालाब क दशा सु धारने का न चय लया साथ मतौल
ामसभा म उनके धान पद
के कायकाल म बनवाये गए वशाल तालाब का िज़
करते हु ए कहा क उस Page 31
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International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 करने क हदायत क साथ गौरै या के लए ब च से पानी रखने का संक प भी लया। जल सरं ण क कायशाला म सईद हु सैन, मदरसा क श
काएं इशरतु न,
सु जु ह खानम के अलावा कसबे के लोग और मदरसा बंध कमेट के लोग मौजू द
रहे ।
तालाब बचे रहे तो धरती के गभ म जीवन का यह पावन आधार बचा रहे गा। www.DudhwaLive.com
जल सरं ण के लए आयोिजत क गयी कायशाला मई 26, 2016
दुधवा लाइव डे क
खीर टाउन। मदरसा कैसर पहलवान मेमो रयल दशगाह म िजला अ पसं यक अ धकार डॉ
यंका अव थी क अ य ता म जल सरं ण
के लए एक जाग कता काय म का आयोजन कया गया, िजसम खीर के जनमानस और मदरसे के छा छा ाओं ने ह सा लया। काय म के शै
क सहयोगी के तौर पर पयावरण व ् कृ ष पर आधा रत
प का दुधवा लाइव डॉट काम रह , काय म के संयोजक शा रक खान ने खीर के तालाब क दुदशा पर चंता य त क और तालाब के जीण धार के लए एक मु ह म चलाने क भी बात कह । काय म का संचालन इकबाल अकरम वारसी ने कया, उ ह ने पयावरण से स बं धत शेर पढ़े जो ब च के मन को आनं दत कर गए। काय म म मु य अ त थ के तौर पर व य जीव वशेष
व ् दुधवा लाइव के
स पादक केके म ने प व कुरआन म पानी के मह व और उसे कफायत से खच करने वाल मह वपू ण बात का िज़
कया, साथ ह उ ह ने हज़रत
इ माइल क ए डय के जमीन से रगड़ने से आब ए जम जम के नकलने क दा तान ब च को बताई, और सयु ं त रा
वारा 22 माच को
जल दवस मनाये जाने के वषय पर चचा क । केके म
ने बताया क सं
2016 के जल दवस क थीम है पानी और नौक रयां, वैि वक तर पर हो रहे यास पर भी वमश कया। म ने कहा क पानी जीवन का आधार है साथ ह सभी धम म प व ता के लए पानी का इ तेमाल ह कया जाता है फर चाहे ह दू के लए नान, मु ि लम के लए उजू व ् ग़ु ल, सख के लए अमृत सं कार और ईसाई के लए बैि ट म। काय म क आयोिजका उ मी ख़ातू न ने ब च को पानी न बबाद करने क ताक़ द क और साथ पयावरण व ् प ी सरं ण के लए उ ह पु
कृ त कर
ो सा हत भी कया। काय म म अ य ीय स बोधन म डॉ
यंका अव थी ने बु ंदेलखंड और
लातू र क ि थ तय पर चंता य त करते हु ए ब च से पानी कम खच
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International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 चु क है िजसमे अब तक सैकड़ मजदूर अपांग और मौत के मु ंह म जा चु के है ! इस प थर से टे लकम पाउडर और मू तयाँ बनती है ! गाँव के लोग ह अपनी स म त बनाकर लघु उ योग के नाम पर मानक को धता बतलाकर यह पताल तोड़ खनन उसी तज पर करते है जैसे महोबा क अ य बड़ी प थर मंडी म यह खेल चलता है ! गौरहार म गाँव ह मा फया है जब क बा क ह से म नेता, वधायक सब एक पाले म है ! मै बीते दन महोबा क धरती से यह सब दे ख रहा था ! या है मानक- मानक के मु ता बक रे लवे
ै क से 500 मीटर क दूर पर
े शर जैसी
ग त व ध मा य है ! - कसी भी ऐतहा सक, पु रात व थल के 100 मी0 तक खनन ् काय विजत है तथा 200 मी0 तक खनन ् व नमाण काय के लये पु रात व वभाग से एन0ओ0सी0लेना अ नवाय है जो क नह ल जाती है। -खदान म
लाि टं ग का समय दोपहर 2 से 12 बजे के अ तराल है
ले कन 24 घ टे होते है धमाके। -एक
शर उ योग से क चेमाल के
प म टोन बो डर का
योग कर
लगभग 10,000 सी0एफ0ट क दर से ेनाइट का उ पादन कया जाये। - शर ला ट म आकि मक वा थ /ऐ बु लस / डा टर क
यव था हो
खंड-खंड होता बु ंदेलखंड
जो क कसी भी ला ट म बु दे लख ड मे नह ं है।
on June 02, 2016
- शर ला ट म मजदूर को प थर, गटट तोडने, लाि टं ग करते समय
गौरहार म अवैध खनन से 5
मक क मौत,कई घायल'
आगामी 31 मई को बु ंदेलखंड आने वाले योगे
यादव,राजे
मा क, हे लमेट उपल ध हो जो क नह ं दये जाते है। संह राणा
-नेशनल हाइवे, कृ ष भू म, ह रत प ट का से 1.0 कलो मी0 दूर था पत
और मेधा पाटे कर को इसके लए आ दोलन करना चा हए ! इस डजा टर
हो
को रोकना बु ंदेलखंड जल संकट का मूल हल है !
मगर यहाँ लगे है नेशनल हाइवे, कृ ष भू म पद सैकड़ो ला ट।
बु ंदेलखंड- चरखार ( गौरहार गाँव ), महोबा म गत 27 मई को दोपहर गौरा प थर क खदान म कये जा रहे अवैध खनन से 5 मजदूर क दबकर मौत हो गई ! दो सौ फट गहर अवैध प थर खदान को थानीय ठे केदार दे वे संह के नाम से प टा था िजसको गाँव के मू ंगालाल संचा लत करते थे ! प टे का नवीनीकरण कई साल से नह हु आ है
यो क आव यकता से
शर उ योग, बालू खदान नद से 500 मी0 क दूर पर लगाई जाय
या होता है इस खनन के खेल म अमो नयम नाइ े ट और िजलेट क छड़ से हैवी 6 इंच का होल करके
लंग
मशीन से लाि टं ग होती है ! नेचु रल डजा टर क तरफ है बु ंदेलखंड का यह इलाका !
अ धक प थर खनन कया जा चू का था ! बाजजू द इसके िजला ख नज
- दन - रात अथ मू वंग मशीन मसलन पोकलड,जेसीबी लगाकर दो सौ
अ धकार बीपी यादव,िजला धकार क चु पी के यह लाल प थर का खू नी
मीटर पहाड़ को पताल तक खोदा जाता है जब तक पानी न नकले !
आतंक चरम पर है ! उ र दे श का ख नज मं ी गाय ी साद जाप त से लेकर िजला धकार वीरे वर संह तक शा मल रहते है इस अवैध खनन म जो अ धकार महोबा आता है वो जाने का नाम नह लेता है ! यह सू रत बाँदा और च कूट क है ! सू खा भा वत
े म यह त वीर लोकतं के
सरकार क है ! इस हादसे के बाद आला अ धकार गौरहार पहु ंचे और दे र रात तक रे
यू आपरे शन करते रहे ले कन भार च टान म दबे अ य
मक अभी तक नकाले नह जा सके है ! मु आवजे के
प म मृतक
प रवार को दो लाख पये दे ने का नदश मु यमं ी ने ख नज अ धकार को नलं बत करके कये है ! गौरतलब है पछले तीन दशक से यह गाँव गौरा प थर के खनन से पू र तरह खोखला हो गया है,गाँव म आंत रक सु रंगे बन
- सू खे बु द ं े लखंड म पानी क तबाह का नंगा नाच समाजवाद सरकार और बसपा सरकार ने हमेशा कया है,मा फया को सरकार का संर ण ा त है ! जब कोई बड़ा हादसा हु आ तो नलंबन से होती है खानापू त ! ख नज राय ट एमएम 11 प
क चोर करके तीन घनमीटर म 100 फट
दखलाते है जब क यह ओवेल डंग सैकड़ो टन म है !
आशीष सागर (प कार, सामािजक कायकता) बांदा, बु ंदेलखंड ashishdixit01@gmail.com Page 33
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International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 पावर लांट के लये पानी के बीच म कसी को चु नना हो तो नि चत प से आधारभू त ज रत के लये पानी को चु नना ह होगा। सू खा भा वत
े
म पावर लांट को पानी दे ने क बजाय ज रतमंद लोग को पानी मु हैया कराया जाना चा हए।”
ीनपीस के व वलेषण के अनु सार अगर सभी सात रा य म
ता वत
पावर लांट म खपत होने वाले जल को जोड़े तो लांट म पानी क कुल खपत म तीगु ना वृ ध हो जायेगी।[6] जयकृ णा कहते ह, “यह वृ ध अगल बार कम बा रश होने पर घी म तेल डालने का काम कर सकता है और जल-संकट बढ़ाने वाला सा बत हो सकता है।”
कोयला पर नभरता बढ़ा रहा जलसंकट, भारत के पावर लांट नगल रहे
पावर लांट नवेशक के लये घाटे का सौदा सा बत ह गे। इस साल
on June 03, 2016
नई द ल । 3 जू न 2016। भले ह भारत दशक बाद सबसे भयानक जलसंकट से जूझ रहा है, 11 रा य [1] के 266 िजले इसक चपेट म ह, ले कन हु ई है।
ोत का बंधन करने म अदूरदश बनी
ीनपीस इं डया ने आज सात रा य : महारा
दे श, कनाटक, आं
त करने के
लये पावर लांट को अ सर बंद करने का भी खतरा बना रहे गा। इससे नये
251 म लयन लोग के ह से का पानीः ीनपीस
इसके बावजू द सरकार दे श के जल
अगर यह जल संकट बढ़ता है तो पानी क आपू त को संर
एनट पीसी, अडानी पावर, जीएमआई, महागस , कनाटक पावर कॉप जैसी कंप नय को जल संकट क वजह से अपने पावर लांट बंद करने पड़े ह, िजससे उनके यापार को भी नु कसान पहु ंचा है।
, म य दे श, उ र-
दे श, तेलगांना, व छ ीसगढ़ म पावर
लांट के
वारा कये जा रहे पानी के इ तेमाल पर आंकड़े जार कये ह। सफ इन सात रा य म थमल पावर लांट इतना पानी इ तेमाल कर लेते ह, िजतना एक साल म 50 म लयन लोग क मूलभू त ज रत के लये काफ है।[2]
2016 म जार जल-संकट ने भारत को मौका दया है जब वो कोयला आधा रत ऊजा पर अपनी नभरता कम करके अ य ऊजा के दूसरे व छ ोत क तरफ यान दे । कोयला क तु लना म सोलर और वायु ऊजा म पानी क खपत न के बराबर है। सरकार अ य ऊजा से 175 गीगावाट बजल उ पादन का ल य म तवाकां ी है, ले कन इसके साथ ह दूसरे नये
माच म ीनपीस इं डया वारा जार एक व लेषण [3] म यह त य सामने आया था क
येक साल कोयला पावर लांट भारत म 4.6 अरब घन
मीटर जल का इ तेमाल
त वष करते ह। जल क यह मा ा 25.1 करोड़
लोग के मूलभू त पानी क ज रत को पू रा करने म स म है। अगर सभी
कोयला पावर लांट और वह भी सू खा भा वत
े म बनाने का
ताव
खतरनाक सा बत होगा। जयकृ णा अंत म कहते ह, “हम ऊजा नी त म सकारा मक बदलाव करने क ज रत है, िजससे हमारे नल म पानी और तार म बजल आती रहे ।”
ता वत पावर लांट को बनाया जाता है, तो diverted? पानी क यह मा ा कई गुना अ धक हो सकती है।[4]
Notes to Editors: [1]
कोयला पावर लांट पानी का सबसे यादा औ यो गक उपयोगकताओं म है।(5) दे श म इस साल सू खे के बावजू द, कोयला पावर लांट के वारा
13 मई 2016 को
रा यसभा
म
पूछे
सवाल
का
जवाब http://164.100.47.234/question/annex/239/Au2279.docx (कनाटक, महारा
, तेलंगाना, आं
दे श, म य दे शस
इ तेमाल हो रहे पानी पर दे श क सरकार और नी त नमाताओं क नज़र
छ ीसगढ़, ओ डशा,उ र दे श, झारखंड, राज थान और गु जरात)
नह ं गयी है।
[2] सभी रा य के लये, सफ जल भा वत
े म ि थत लोग क जल
ज रत क गणना क गई। ीनपीस कपेनर जयकृ णा कहते ह, “हमारे दे श के यादातर िजले सू खे से भा वत ह और लाख लोग का जीवन इसक चपेट म है। इसके बावजू द भी हम कोयला पावर से टर के वारा खपत कये जा रहे पानी क बड़ी मा ा को नजरअंदाज कर रहे ह। यहां तक क सरकार सू खा
भा वत
[3]
ीनपीस
क
रपोट https://secured-
static.greenpeace.org/india/Global/india/cleanairnation/Report s/Waterdemandsofcoalpowerplantsindroughtaffectedregionsof IndiaFINAL.pdf
इलाक म भी कोयला पावर लांट को बढ़ाने क योजना बना रह है। अगर लोग क जी वका और आधारभू त ज रत के लये पानी और कोयला Page 34
Dudhwa Live [4] यह
आकड़े
International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 व व
त दन 50 ल टर पानी व
य
वा
य
संगठन
वारा
अनु मा नत
त यि त के आधार पर है जो लोग के मू लभू त के
लये
ज र
है। http://www.who.int/water_sanitation_health/diseases/WSH0 3.02.pdf (page 22)
[5]
कोयला पावर लांट को चलाने के लेय,े उसे ठं डा करने के लये और
कोयला क राख म बड़ी मा ा म पानी क आव यकता होती है। [6] यह आकलन कोयला व यु त संयं
के लए पानी क खपत के मानक
आंकड़ के आधार पर कर रहे है। साथ ह , बजल संयं
को ठं डा करने म
शा मल पानी भी इसी अनुमान पर आधा रत है। अ धक जानकार के लये व लेषण संल न कया गया है।
For further information Contact: Jai Krishna R: 9845591992; jaikrishna.r@greenpeace.org Avinash Kumaravinash.kumar@greenpeace.org
8882153664
+ 91
-
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International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 19 फरवर 2015 को धानमं ी ने पू रे दे श म कृ ष म ट क सेहत पर यान दे ने का आहवान राज थान के सू रतगढ़ से दे श यापी मृदा वा काड योजना का शुभारं भ कया। धानम
य
ी वारा व दे मातरम ् क चचा
करते हु ए कहा क भू म को सु जलम-सु फलम बनाने के लए म ट का पर
ण आव यक है। मृदा
वा
य काड योजना भारत सरकार के कृ ष
मं ालय के अ तगत कृ ष एवं सहका रता वभाग वारा इस दशा म लाई गई है। इस लए उ ह ने कहा क बेट और धरती माँ दोन को बचाना आव यक है। मृदा
वा
य काड के स ब ध म सभी रा य अपने-अपने
यहां क कृ ष योजनाएं नी त आयोग को
तु त कर। अगले तीन वष म
2.53 करोड मृदा नमू ने से 14 करोड़ मृदा वा
य काड जार करने के लए
0 568.54 करोड क धनरा श के साथ ल य नधा रत कया है। दे श के येक कृ ष सं थान , वा
ादे शक कृ ष वभाग को मृदा नमू न,े मृदा
य काड क जानकार कृ षक को
सहायता करनी चा हए। मृदा पर डा0 मो0 सु हेल, डा0 पी0के0 बसेन, डा0 एन0के0
पाठ , डा0 एस0के0
व वकमा
दान करने के लए तन-मन से
ण एवं मृदा काड काय हे तु कौशल
वकास काय म म इस योजना को सि म लत कया जाये ता क कृ षकां को सु गमता से मृदा पर
ण प रणाम एवं काड व यु वक को रोजगार ा त
हो सके।
on June 03, 2016
‘‘भू वा
य य द अ छा है तो मानव सब कुछ कर सकता है।
मृदा वा
य काड या है?
मृदा पर
ण के उपरा त छपा हु आ काड िजस पर 12 ब दुओं पर यथा
अगर चेतना यह न जागी तो भू से जा सकता है।।’’
पी0एच0 मान, ई0सी0, काब नक पदाथ, न जन, फासफोरस, पोटाश,
आजाद के उपरा त हमारे दे श म खा यान क अ त कमी थी िजससे दे श
िजंक, लोहा, कापर, बोरान, मै नी शयम अं कत कर कृ षक को उपल ध
हर
यि त बखू बी वा कफ है। क तु पछले कुछ दशक से हमारे
कराया जाता है। िजससे कृ षक अपनी फसलानु सार,
वै ा नक , कृ षक ,
सारकताओं, राजनेताओं आ द के संयु त यास से
उवरक का योग कर अ छा उ पादन ा त कर सक।
अभू तपू व सफलता
ा त हु ई िजससे हम खा यान को नयात करने क
काड कस कार कृ षक क सहायता करता है?
ि थ त म आ गये है। इस ल य को ा त करने म हमने अ धक उपज दे ने वाल
जा तय , असंतु लत उवरक का योग एवं अ य कृ ष
भरपू र योग कया।
याओं का
य क वह उस समय क हमार आव यकता थी,
जो क मृदा उवरता का
स का मु य कारण है। पौध के वकास एवं
उ पादन हे तु 16 पोषक त व क आव यकता होती है। वष 1950 म भू म म मा एक त व न जन क कमी पायी जाती थी, जो 1970, 1980, 1990, 2000 म
येक दशक 1960,
मशः दो, पाँच, सात, नौ, दस पोषक
त व क कमी एवं 2020 म यारह पोषक त व क कमी स भा वत है।
मृदा वा
े ानु सार संतु लत
य के अनु सार फसल एवं जा त के चु नाव करने म।
समय-समय पर पोषक त व के योग म। वशेष
से स पक करके भू म सु धारने, अ धक समय तथा उवरा
शि त बनाये रखने, फसल च
े ीय एवं मृदा के
आद
याओं म।
कार के आधार पर फसलवार त व क सं तु त
दान करने म। योजना क सफलता
यह भी अ त आव यक है क बढ़ती हु ई आबाद के साथ उ पादन को भी बढ़ाना होगा, जो सं तु तत संतु लत उवरक , कृ ष
जा तय , फसल सु र ा,
याए◌े◌ं आ द के संयु त योग से ह स भव है। अतः ल य ाि त
के लए सभी को संयु त उपरा त ा त मृदा
वा
वारा आर भ क गई।
प से
यास करना होगा। मृदा पर
ण के
य काड एक मह वपू ण योजना भारत सरकार
इस योजना का
या वयन फरवर 2016 म 84 लाख काड वत रत
करके कया गया। अब तक आ वा गत
दे श म सबसे
यादा कृ षकां को मृदा
य काड का वतरण कया गया। उ र दे श म भी यह काय काफ त कये है। इस काय के लए भारत सरकार वारा मृदा
वा
य
पोटल को भी आर भ कया गया। िजसका मु य उ दे य यह है क भ व य म दे श के लए कृ ष स बि धत
े ानुसार नवीन शोध एवं योजनाय तैयार
क जा सक। इस योजना के वारा भारत सरकार क यह मंशा है क मृदा पर
ण कर कृ षक को मृदा
वा
य काड उपल ध कराये जाय िजन के
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आधार पर फसलवार संतु लत पोषक त व क मा ा का योग कया जा सके य क भारत म 20-30 100
तशत यू रया, 90
तशत डी0ए0पी0 एवं
तशत यू रेट आफ पोटाश का आयात कया जाता है, क नभरता
को कम कया जा सके। अतः मृदा वा
य जानने के लए मृदा पर
ण,
मृदा नमू ना लेना अ त आव यक पहलू है।
10 हे 0
े
से 2.5 हे 0 एवं अ सं चत
े से
ऽ ऊसर तथा अ ल य भू म के सु धार तथा उसे उपजाऊ बनाने का सह ढं ग जानने के लए।
येक नमू ने को एक , पर
करने व कृ षक से वत रत करने हे तु पये 190
ण एवं मृदा काड तैयार त नमू हा भारत सरकार
वारा दे य है।
ात करने एवं आव यकतानु सार,
1. नशानदे ह थान से ऊपर सतह से घास-फूस, कंकड़-प थर आ द साफ कर ल।
न करके उनक बचत करना।
कार खेत के बाक
थान से भी म ट नमू न को एक जगह
इक ठा करके आपस म अ छ तरह मला ल। म ट से घास-फूस, जड, कंकड़-प थर आ द
अ धकतम उपज
ा त करने के
लये उनक
आव यकतानु सार उवरक तथा सु धारक योग करने हेतु । मता म वृ ध करना।
ऽ जै वक उवरक का योग करना।
7. इस
या को तब तक दोहराएं जब तक म ट का कुल नमू ना ाम न रह जाए। इस नमूने को
त न ध नमू ना कहते
ह। (ख) ऊसर भू म से
त न ध नमू नाः- ऊसर भू म म
ार व नमक क
मा ा मौसम के अनु सार भू म क सतह पर घटती-बढ़ती रहती है। ऐसे सम या
त खेत से म ट का नमू ना 0-15, 15-30, 30-60 और 60-
100 सेमी0 गहराई से अलग-अलग चार नमू ने ले लेना चा हए। नमू ना लेने के लए भू म क सतह पर जीम लवण क पपड़ी को खुरच कर अलग नमू ने के तौर पर रख ल।
ण का मह व
कसान वष के अनु भव के बावजू द भी अपने खेत क उपजाऊ शि त का सह -सह अ दाजा नह ं लगा सकते। अ सर कसी पोषक त व क कमी भू म म धीरे -धीरे पनपती है और पौध म जब कमी के ल ण कट होते ह तो काफ दे र हो चु क होती है और फसल क पैदावार पर वपर त भाव पड़ चु का होता है। दूसर ओर हो सकता है क भू म म कसी एक त व या त व क मा ा अ य त पया त हो पर तु उस त व या त व का नर तर योग करते रहते ह। ऐसा करना न केवल आ थक ि ट से हा नकारक होता है अ पतु त व के आपसी अस तु लन क ि थ त भी उ प न हो जाती है। िजससे उ पादन पर वपर त
6. फैलाई हु ई म ट को चार बराबर भाग म बांट ल। आमने-सामने के दो
लगभग 250-300
के लये मृदा उवरता मान च तैयार करने के लये।
ऽ उवरक क उपयोग
4. इसी
भाग क म ट को रखकर बाक फक द।
ऽ ऐसी भू म जहां उवरक क आव यकता नह ं है वहां पर उवरक का योग
म ट पर
त न ध नमू ना कैसे ल?
नकाल ल। नमू ने को तसले या बोर पर मोट तह म फैला ल।
फसलानु सार योग मा ा जानने के लए।
क
म ट का
5. मले हु ए नमू ने क
ण य?
ऽ म ट क पोषक त वां क उपल धता
फसल
ण कराकर काड
3. इस म ट को साफ-सु थरे तसले, े या बोर पर रख ल।
ऽ रा य सरकार को
ऽ
वारा मृदा पर
दे शीय कृ ष
गोलाकार या वगाकार गहरा ग ढा बनाते ह।
ण शु क
े
कृ ष व व व यालय , भारत सरकार के कृ ष सं थान ,
2. नधा रत 8 से 10 नशानदे ह थान से खु रपी या फावड़े से 15 सेमी0
ऽ सम त फसल क अनु कूलता तय करने के लए।
ऽ वभ न
ण कहाँ कराय?
(क) सामा य फसल के लएः-
ऽ फसल म खाद क सह मा ा का नधारण करने के लए।
म ट पर
म ट पर
ण के आधार पर ह संभव है।
ा त कये जा सकते ह।
े फल मानक पर एक मृदा नमूना लया जायेगा।
मृदा पर
मा ा म डालना चा हए। ऐसा म ट पर
वभाग, इफको, कृ भको आ द सं थान
नमू ना लेने का उ दे य एवं मानक ऽ जी0पी0एस0 आधार पर सं चत
नर तर अ छा उ पादन पाने हे तु खेत म कौन-कौन सा उवरक कतनी
भाव पड़ता ह इस लए खेत क उपजाऊ
शि त का अंदाजा लगाना आव यक है ता क यह जाना जा सके क
(ग) बाग व अ य वृ
लगाने के लए नमू नाः- बागवानी के लए नमू ना 0-
15, 15-30, 30-60, 60-90, 90-120, 120-150 और 150-200 से0मी0 गहराई से अलग-अलग 7 थान से ल। म ट का नमू ना कब ल?
फसल क कटाई के बाद खाल खेत से रबी (अ तू बर-नव बर) क बु आई से पहले, खर फ (अ ैल-मई) म नमू ना लेना बेहतर रहता है। खड़ी फसल म म ट का नमू ना लेना आसान रहता है। य द खड़ी फसल से म ट का नमू ना लेना हो तो कतार के बीच से नमूना ल। पर तु यान रख क खेत म
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उवरक या कोई जै वक खाद कम से कम 20-30 दन पूव योग कया गया हो अ यथा प रणाम गलत हो सकता है। नोटः- कम से कम 3 या 5 साल के अ तराल पर अपनी भू म क मृदा का पर
ण एक बार अव य करवा ल। एक पू र फसल-च
पर
ण हो जाना अ छा है।
के बाद मृदा का
नमू ना लेने म या सावधा नयां बरत? 1. खेत म उगे कसी पेड़ के जड़ वाले
े से नमू ना न ल। 2. उस थान से
नमू ना न ल जहां पर खाद, उवरक, चू ना, िज सम आ द को इक ठा कया गया हो। 3. ऊसर आ द क सम या से
त खेत या उसे कसी भाग का
नमू ना अलग से ल। 4 .जहां तक स भव हो गील म ट का नमू ना न ल अ यथा उसे छाया म सुखाकर ह
योगशाला को भेज। 5. नमू ने को खाद
के बोर , ै टर आ द क बैटर या अ य कसी रसायन आ द से दूर रख। 6.नमू ना लेने से पू व खेत क संचाई न कर। 7. ऐसे
े जहां अ धकतर
समय पानी भरा रहता हो वहां से नमू ने एक न कर। 8.मृदा अपरदन के कारण िजस
े
क ऊपर सतह कटकर बह गई हो तो उसके नमू ने से
अलग लेने चा हए। 9.य द सघन कृ ष क जा रह हो तो नमू ने एक फसल च
के पू रा होने पर
तवष लेने चा हए।
10.य द खेत अ धक ढालू है तो नमू ने कई थान से लेना चा हए। मृदा नमू ने पर
ण हे तु योगशाला भेजना
येक नमू ने को साफ कपड़े क थैल म रखकर उसम न नां कत सू चनाऐं लख कर योगशाला म पर
ण हे तु भेजना चा हए। 1. खेत का
न बर या नाम 2. अपना पता 3. बोई गई फसल एवं बोई जाने वाल फसल का नाम 4. संचाई साधन आ द।
Corresponding Author Dr. Suhail Scientist Horticulture Krishi Vigyan Kendra Lakhimpur Kheri Uttar Pradesh drsuhail.lmp@gmail.com
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International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 नरै नी,यशवंत पटे ल,सु मनलता पटे ल ( उपा य
नरैनी
धान संघ,बाँदा
)आ द.
DudhwaLive Desk
बांदा से लखनऊ- एक या ा पानी के लए १४ जू न २०१६ (आज भी खरे है तालाब, पर आदमी से डरे है तालाब ) -------------------------------------------------------------------------आदरणीय स मा नत गाँधीवाद म
वचारक और पयावरण वद
ी अनु पम
जी / उनक कताब ' आज भी खरे है तालाब ' को सम पत है यह
साइ कल या ा ! बु ंदेलखंड के जनपद बाँदा से एक जुलाई को छाबी तालाब मैदान म एक जनसंवाद काय म के बाद लखनऊ तक साइ कल या ा का थान होगा ! इस महती और यु नव सट के रसच हौसल से
ासं गक यु वा सहभा गता ( इलाहाबाद
कालर छा - छा ा / सामािजक कायकता ) के
े रत या ा का मूल उ दे य दे श भर म फैले / वलु त हो रहे
ाचीन ,बु ंदेलखंड के चंदेलकाल न तालाब और भू दान आ दोलन के बाद दे श भर म सावज नक चारागाह क जमीन पर कये गए अवैध क जे प टे को रे खां कत करना है ! हमार या ा म माननीय उ च यायलय / सु ीम कोट के उन आदे श का भी वतरण कया जायेगा जो इस वषयक ' तालाब / क
तान / पोखर / कुं ए / चारागाह के लए हु ए है ले कन वे अमल
म नह लाये गए है ! या ा का समापन 8 जु लाई 2016 को
ेस
लब
लखनऊ अपरा ह बारह बजे से तीन बजे तक एक जनसंवाद / प रचचा और मु यमं ी जी को मांग प / वेत प के साथ होगा ! आप सबसे इस हे तु शरकत करने / नेह दान करने का अनु रोध कर रहा हू ँ ! बु ंदेलखंड के सु खाड़ / जलसंकट / अ ना पशुओं के भोजन - पानी - कसानी के पु न
थान के लए जन हत म यह अप रहाय एवं समसाम यक है !
अ भयान
संर क
-
ी
कृ ण
कुमार
म ा,संपादक
www.dhuwalive.com
या ा कोर सहभागी ट म - रामबाबू तवार छा कायकता जल बचाओ आ दोलन ),न लनी यु नव सट , ो. योगे (घाना साउथ आ
पीएचडी ( सामािजक म ा छा ा इलाहाबाद
यादव गांधीवाद ,लेखक सव दय / अ त थ व ता
का) , ने हल संह नदे शक यू इनवायरमट वेलफेयर
सोसाइट ,डा टर मेराज अहमद स दक ( पंजाब) , णव नदे शक पथ
व ता एलपीयू जालंधर -
दशक सोसाइट इलाहाबाद ,नीरज संह
कछवाह,अनु राज कुमार गोपाल,अटल पटे ल
े
पंचायत सद य-
Page 39
Dudhwa Live
International Journal of Environment & Agriculture Vol.6, no.5-6, May-June 2016 अंगङाई लेती भी दखाई दे रह ह, क तु उनके कारण थानीय शासन कुछ चेता हो; ऐसा दखाई नह ं दे रहा। सई नद के दूषण को लेकर कई सजग कायकताओं ने चेतना या ाय क । लोर सस भा वत गांव क सू ची िज़लाधीश को स पी। समाज शेखर क पहल पर ’बकुलाह नद पु नरो धार अ भयान’ और ’तालाब बचाओ अ भयान’ चलाया गया। तालाब के रकबे का राज व रका◌ॅड और मौजू द रकबे का अंतर शासन के सामने रखा गया। या शासन चेता ? ि थ त दे खए। चैत य समाज: श थल शासन
तापगढ़ का पानी और शासन
बदर बीर बाबा तालाब: कु डा तहसील का गांव शेखपु र चैरासी म एक तालाब है -बदर बीर बाबा तालाब। बदर बीर का रकबा राज व रका◌ॅड म
on June 14, 2016
बु ंदेलख ड का सूखा, एक नजीर बन चु का है। सो,
थानीय संगठन क
भी कम पाया गया और मौके पर भी। बदर बीर बाबा तालाब का वतमान
दे श का शासन कुछ नजीर पेश करने के मू ड म आता
राज व रका◌ॅड नौ बीघे है, जब क पू व रका◌ॅड म रकबा 18 बीघे है।
दखाई दे रहा है। उसने वहां 100 परं परागत तालाब के पु नज वन क
तहसील दवस पर आशुतोष शु ला के आवेदन से चेते उप िजला धकार
घोषणा क है; 50 तालाब महोबा म और 50 उ र दे श के ह से वाले शेष
(कु डा) जे पी म ने तालाब को पु नः 18 बीघे के रकबे पर कायम करने का
बु ंदेलख ड म। खेत-तालाब को लेकर एक घोषणा वह पहले कर ह चु का है।
आदे श दया भी, तो बदले म आवेदक को
मनरे गा के तहत ् बु ंदेलख ड म 4,000 हजार अ य तालाब के पु नज वन क
तालाब पर क जा करने वाल पर रासु का तक लगाने क मांग क गई,
भी घोषणा मु यमं ी अ खलेश यादव कर आये ह। कहा जा रहा है क
ले कन कोई कारवाई नह ं हु ई। धमक और रकबा... दोनो जस के तस ह◌ै।
पहल पर उ र
मानसू न आने से पू व यह काम पू रा कर लया जायेगा। इन घोषणाओं को लेकर थानीय वयंसेवी संगठन भी अपनी पीठ ठोक रहे ह और उ र दे श शासन भी। घोषणा य द बना
टाचार और समय पर ज़मीन पर उतरती
है, तो यह पीठ ठोकने का काम है भी।
चनौरा तालाब: दे हू पु रबाजार से सट
ामसभा खरवई 20 बीघा रकबे वाले
ाचीन चनौरा तालाब क गाद नकासी का काम समाज ने तो शु कर दया, ले कन अपील के बावजू द शासन सहयोग को आगे नह ं आया। राज व रका◌ॅड म इसका रकबा 55 बीघा है। मौके पर मा 22 बीघा ह बचा है; शेष पर दबंग का क जा है।
ये यास, यह आभास दे सकते ह क उ र दे श शासन ने नी तगत तौर पर मान लया है क वषा जल संचयन ढांचे ह बु ंदेलख ड जल सम या का मू ल समाधान ह। कं तु केन-बेतवा नद जोङ को लेकर जो सहम त उ र दे श शासन ने कट क है, उसे दे खकर आप यह नह ं कह सकते। उ र दे श के िज़ला
तापगढ़ म जो रवैया रा य शासन और
थानीय
शासन ने
अि तयार कया है, उसे दे खकर तो शायद आप तालाब और न दय के त उनक समझ पर ह सवाल खङा कर द।
िजले के कु डा, बाबागंज और बहार वकास ख ड के कई इलाके जल लावन से हलकान रहता है, तो सदर तहसील का इलाका भू जल तर के लगातार नीचे जाने के खतरे से । शवगढ़ वकास ख ड, भू जल म बढ़ते लोराइड और इसके कारण लोर सस बीमार से भा वत गांव क बढ़ती सं या वाला वकास ख ड है। िज़ला तापगढ़ के कई गांव के भू जल
ोत
खारे हो चु के ह। कई म भार धातु त व सीमा लांघ गया है। तापगढ से ोत जलाभाव के संकट से
’मु यमं ी जल बचाओ स म त’ के सद य समाज शेखर कहते ह क तहसील रानीगंज के
थानीय अ धका रय से लेकर म डलायु त को
इसक जानकार द गई है। चनौरा तालाब से संबं धत आराजी सं या 1129, 1302, 1372 और 1872 दखाई गई है। गत ् दो वष म कई बार चनौरा तालाब क पैमाइश कराकर सीमांकन कराने का अनु रोध कया गया है, कं तु शासन चु प है। य ? ाम पू रे
वै णव म ि थत भयहरणनाथ धाम क धा मक मा यता यापक है। इससे
गौरतलब है क तापगढ़, पानी क वषम प रि थ तय वाला िज़ला है।
मू ल
थानीय पानी कायकता और
शवगंगा तालाब: तहसील सदर के गांव पू रे तोरई के राज व
वषम जल प रि थ तयां
गु जरने वाल मु य नद -सई,
धानप त क धमक मल ।
दूषण से जूझ रह है। बकुलाह नद का त है। इस यापक जल वषमता के
बीच तापगढ़ के पौ ष को भीतर से जी वत करने क सामािजक को शश
सटे शवगंगा तालाब का रकबा दस एकङ है। खाता सं या 226 म खसरा सं या 493 ड पर दज रकबा 0120 हे टे यर है। इस दज रकबे पर अ त मण क आशंका से भयहरणनाथ धाम क
वकास स म त ने
शासन को अवगत कराया है। या कोई कारवाई हु ई ? नह ं, धाम पर शीश नवाने और
साद खाने तो कई
शास नक अ धकार आये, ले कन
शवगंगा तालाब क ि थ त यथावत है। आयु त क भी नह ं सु नता िजला शासन गौरा गांव के तालाब: तहसील सदर के ह गौरा गांव के राज व रका◌ॅड म 10 तालाब के होने क जानकार
शासन को द ; बताया क वतमान
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राज व रका◌ॅड म भले ह पांच तालाब ह , ले कन 1359 फसल वष के
2006 म त काल न मु यमं ी ी मु लायम संह यादव ने 16 करोङ क एक
रका◌ॅड म 10 तालाब दज थे। बाक तालाब कहां गये ? इस बाबत ्
प रयोजना को मंजू र भी दे द थी। प रयोजना के तहत ् 80 लाख पये खच
थानीय पानी कायकता समाज शेखर ने िजला धकार व आयु त को कई
करके भयहरणनाथ धाम से कमा सन धाम क 13 कलोमीटर लंबाई म
प
लखे। बताया क इससे बकुलाह नद के पुनरो धार म भी मदद
मलेगी। गांव के लोग ने िजला धकार को
ापन भी स पा। इस पर जांच व
नयमानुसार कायवाह का पहला आदे श दे ते हु ए आयु त महोदय ने िजला धकार , लखी। दूसर
तापगढ़ के नाम पहल
च ठ नौ सत बर, 2015 को
च ठ , एक जनवर , 2016 को भेजी। 20 मई, 2016 को
अ धव ता ी बाल कृ ण पा डेय ने िजला धकार को इसे बारे म बाकायदा व वध नो टस भी दया। इसका सं ान लेते हु ए आयु त ी राजन शु ला ने 25 मई, 2016 को िजला धकार के नाम पु नः तीसर च ठ रवाना क , ले कन िजला धकार ने कोई तेजी नह ं दखाई।
तकूल मानते
हु ए खु दाई पर प रयोजना पर रोक लगा द थी। मायावती शासन काल म इस रोक क पालना क गई। उलट समझ दे खए क गंगा बाढ़ आयोग
वारा रोक के आधार को
नजरअंदाज करके उ र दे श शासन ने कई हजार लाख के नये बजट के साथ यह प रयोजना अब पु नः शु
कर द है। सु नते ह क मु यमं ी
अ खलेश यादव पयावरण के छा रहे ह। ता जु ब है क उनके शासन काल म तीन
थानीय वकास ख ड के जल लावन के समाधान पू र 114
कलोमीटर लंबी बकुलाह को 12 मीटर क चैङाई म खोदने क योजना के तौर पर मंजू र कया गया है ! खबर है क बीती नौ मई को इस प रयोजना
नेताओं क समझ न दय पर समाज
नद खोद भी द गई थी। फर गंगा बाढ़ आयोग (पटना) ने
वारा जगाई संवेदना का हाल दे खए। सई आज भी
दूषणयु त है। सई कनारे के नवासी आज भी दू षत भू जल पीने को अ भश त ह। सई नद क
दूषण मु ि त क गु हार आज भी कायम है।
क प टका का शला यास भी कर दया गया है। नमू ल नह ं आशंका थानीय राजनेता दावा कर रहे ह क इससे 10 लाख लोग को लाभ होगा। नद समट जायेगी, तो बची जमीन लोग क खेती के काम आयेगी। मेरा
थानीय लोग को याद है क पू व सांसद कायकाल म लए
व. राजा
ी दनेश संह के
तापगढ़ म भयानक बाढ़ आई थी। उस बाढ़ से नजात के
थानीय तालाब का पानी काटकर नद म बहाने के लए उनम
नकास नाले बना दए गये थे। गांव को बाढ़ से बचाने के लए बकुलाह नद का लू प संपक काटकर सीधे बहा द गई थी। बाढ़ तो चल गई, ले कन तालाब के नकास नाले आज भी कायम है। इन नकास नाल के चलते तालाब
म
मता के अनु प पानी आगे कभी नह ं
क पाया;
प रणाम व प, अ धकांश तालाब फरवर आते-आते सू खने लगे। इस सूख का फायदा उठाकर कई तालाब पर थानीय दबंग ने क जा कर लया। उ र
दे श राज व वभाग क अ धसू चना और उ र
दे श हाईकोट के
यास के बावजू द क जे आज भी बरकरार ह। एक समय आये िजला धकार ने कुछ क जे हटवाये भी, इससे पहले क क जामु त भू म का पु नरो धार होता, उ हे हटा दया गया। उनके जाने के बाद क जामु त तालाब का फर कोई पु रसाहाल नह ं बचा; लहाजा, उनके जाने के बाद क जामु त ज़मीन मे से काफ पर फर क जा हो गया।
न है क या इससे नद को लाभ होगा ? इस नद पु नरो धार अ भयान
न के उ र म बकुलाह
मु ख समाज शेखर ने आशंका जताई है क
गहर करण के इस काम के कारण कह ं हमारे गांव का पानी नद म बहकर न चला जाये। यह आशंका स य है। बगल के िजला अमेठ क मालती नद म खु दाई का नतीजा थानीय भू जल म गरावट के प म सामने आया है। लोग सू खते कुएं और नकाम होते यु बवैल से परे शान ह। आगे चलकर बकुलाह कनारे के लोग भी ह गे। गौर क िजए क नदान के प म मालती नद पर फर ठे के हु ए। नद म ’ टा◌ॅप डैम’ बनाने के ठे के दए गये। यह नद पु नज वन का तर का है या नद के नाम पर बजट, भू जल गरावट और भू म हङपने का तर का ? समाजशेखर मानते ह क य द गहर करण का अप रहाय ह हो, तो नद के गहर करण सपाट न करके तरं गाकार म हो। पाठकगण सोच क उ चत या है और अनु चत या ? या मु यमं ी जी गौर करगे ? मेरा मानना है क थानीय नेताओं को समझना च हए क नद जल के
तापगढ़ के नद कायकता जानते ह क नद , नहर या नाले म फक होता है। यह बात गंगा बाढ़ आयोग भी जानता है, पर उ र दे श शासन थानीय शासन और थानीय नेता नह ं जानते। वे एक बार फर राजा दनेश संह जी जैसी ह गलती दोहराने जा रहे ह।
और टकाऊपन। असल म तो बाढ़ खेत को उवरा बनाती है। य द कु डा म मच और गोभी क खेती अ छ रह , तो इसम कुछ योगदान इस नद का भी है। फर भी य द जल लावन य द एक थाई सम या ह बन गई है , तो समझना चा हए क जल नकासी माग को बाधार हत बनाना, छोट
बकुलाह को 12 मीटर म समेटने क तैयार
वन प त वाले
ताजा संदभ पर गौर क िजए। िजला तापगढ़ के वकास ख ड - कु डा, बाबागंज और बहार म जल लावन क ि थ त रहती है। नदान के प म थानीय राजनी त
कारण आई बाढ़ नु कसान नह ं करती। नु कसान करती है बाढ़ क ती ता
े
का वकास तथा जल संचयन ढांच के प म तालाब
का पु नज वन करना जल वालन का भी समाधान ह और जलाभाव का भी। नद गहर करण, उ चत समाधान नह ं है।
राजा भैया और अ य ताप संह को थानीय नद
बकुलाह क खु दाई का वक प समझ म आया। इनके
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उ हे याद रखना चा हए क हर नद का गहर करण उ चत नह ं होता। इसका उ चत-अनु चत नद के ए यु फर क बनावट पर नभर करता है। उ हे यह भी समझना चा हए क नद के तल क रे त एक ऐसे पंज क तरह होती है , िजसम पानी सोखकर रखने क बङ क वह रे त नकाल बाहर क जाये, तो नद यह क इस
मता होती है। य द तल मता खो बैठती। या नद
मता का खो जाना कसी भी नद कनारे के वा सय को मंजू र
करना चा हए ?? मु यमं ी अ खलेश यादव बं◌ुदेलख ड म च
ावल और लखेर नद के
पु नज वन के काम म तेजी लाने क बात कर रहे ह, ले कन तापगढ़ क बकुलाह गहर करण क यह प रयोजना तो नद को नाला बनाने का काम है। या मु यमं ी जी गौर करगे ?
अ ण तवार amethiarun@gmail.com
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मानसू न ए स ेस : 2 मु झे तुमसे फर शकायत हो गई है... तेरा यू ं आना, कतई अ छा नह ं था, आंधी क तरह आए, तू फान क तरह चले गए, ऐसा य करते हो, चाहत तु हे गले लगाने क थी, पर तु मक छू भी न सके, धू ल लेकर आए, आंख भी नह ं खु ल पा , क तु हे कायदे से दे ख पाता, यह कोई 22 कलोमीटर क र तार थी तु हार , दरवाजे के पीछे खड़े थे हम, शीशे के पार दे खने क को शश कर रहे थे, लोग आंख मच मचया रहे थे, बीच म लगा क तुम धू ल को शांत कर दोगे, वह दो-चार-पांच बू ंद से या भला होता है। सु ना है तु मने खु दागंज म बड़ा गदर काटा। पहले आंधी भेजी, उस कारण द वार गर , दो गर ब मर गए, उनके घर क म हलाओं क रोने क आवाज आंधी के साथ बह कर शाहजहांपु र तक मेरे कान म पड़ गई थी, मु झे पता है क तु हार सार हरकत, हमेशा यह करते हो, जब
बरखा तु म कब आओगी?
ज रत होती है तो आते नह ं, अगर आ गए तो तबाह मचा दे ते हो, तु मने
on June 16, 2016
वापर म भी यह कया था, जब नंदगांव के लोग तु हार राह दे ख रहे थे,
मानसू न ए स ेस : 1
ले कन तब का हा ने ब ढ़या सबक सखाया था, तु हार सार ऐंठ नकल गई थी, हाथ जोड़ कर माफ मांगनी पड़ी थी, अब तु म फर से ढ ठ हो गए
उनक खु शी दे ख तु म रो ज र दोगे पल-पल..हर-पल..हर
ण..इंतजार
हो, तु हे मालू म है क अब क लयुग म कोई का हा नह ं आने वाला, कंस क ं गा..तेरे
आने
का... वागत
यादा दखते ह, इस लए हर जगह लोग पेड़ काटे जा रहे ह, रोकना वन
क ं गा... मलू ंगा भी... पश क ं गा..महसू स क ं गा..भीग जाऊंगा, बात
वभाग को चा हए, ठे केदार बने फरते ह पु लस वाले, पेड़ लगाने वाले कम
क ं गा... शकवे क ं गा..नह ं सुनू ंगा..सुनाऊंगा मजबू रयां .. बखर चु के सपने
ह, इस लए तु म आते ह चले जाते हो, वैसे म इंतजाम कर रहा हू ं, पौधे
भी दखाऊंगा..रोऊंगा..उनके दद कह दूं गा..तुझे सु नना होगा..म बोलता
रोपने क तैयार कर रहा हू ं, बहु त लोग को लगाऊंगा, फर आज से दस
रहू ंगा...कतई नह ं कूं गा.. य क तु मने दे र कर द ..बहाने कसी और को
साल बाद दे खू ंगा, तु म कैसे आते ह जाओगे, मेरे लगाए पौधे पेड़ बन चु के
बताना..जो तु हार सु न ले..म तु ह बोलते नह ं दे खना चाहता हू ं। पता नह ं
ह गे, तब तो तु ह कना ह होगा....वैसे आज िजस तरह से तु म आए थे
तु ह या हु आ..तु म तो उ मीद थे, कैसे टू ट गए, ले कन उनक उ मीद
उस तर के से मुझे शकायत है।
अभी तु मसे ह..जब तु म आओगे तो दे खना उनक खु शी, तु म रो दोगे, हम पता है तु हारे आने क द तक आठ जू न क रात से होगी। मेरे म डा. राजीव ने बताया है। वह मौसम व ानी ह। तु हार हर हरकत क खबर रखते ह, ले कन कभी-कभी तु म उ ह भी ग चा दे जाते हो। पछले साल भी तु म दे र से आए, तब मने कुछ नह ं कहा, इस बार जब ट वी दे खता हू ं तो बपाशा गाना गाते हु ए चढ़ाती सी लगती है, वह पानी म पू र तरह से भीगी हु ई नाचती है, गाती है, कहती है क मोह बत कर लेना तू...सावन आया...। तु हार दे र के कारण मने तालाब को मरते दे खा है, ससकते दे खा है, तल- तल कर तालाब को छोटा होते दे खा है, इस लए म नकला था पछले मह ने, गांव म गया, अ भयान चलाया, कुछ लोग ने तालाब भरवा दए, शासन भी लग गया, 150 तालाब का स दय करण करा दया गया, पानी भर दया गया, ले कन शुकून अब भी नह ं है, नहर सू खी ह, ग ने क फसल ऐंठ रह है, ब चे तु हारे बगैर परे शान ह, बु जु ग आसमान दे ख रहे ह..उसी रा ते आते हो न...तो आ जाओ... मलकर खेलगे, सड़क पर, छत पर, भीग कर, जु खाम और बु खार भी हो जाएगा तो कोई बात नह .ं ..बस आ
ववेक सगर ह दु तान दै नक म शाहजहांपु र जनपद के
मुख , खोजी प कार,
इनसे viveksainger1@gmail.com पर संपक कया जा सकता है.
जाओ...इंतजार कर रहा हू ं तु हारा...बेस ी के साथ। ध यवाद
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