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THOUGHT-SCAPE Siddharth Korat
कभी न मान्गा कु छ, हे मानवी फिर भी इतना तुच्छ; इतना सहा सब कु छ, फिर भी न दे पाया तु मुजे कु छ; अब तो अपनी आत्मा से पुछ, थोड़ी सी चला ले अपनी सुज; न चाहिये ज्यादा मुजे कु छ, अब तो अपना ले तुच्छ ।। "वेदना"
PUBLISHED BY:
- सिद्धार्थ Send in your feedback & articles to newsletter@ipsarajkot.org