5 ■स जयशंकर साद किवताएं | jaishankar prasad poems collectionsvs.com/जयशंकर- साद-किवताएं /
जयशंकर साद किवताएं : अगर आप जयशं कर साद किवताएं jaishankar prasad poems) ढूढ ँ रहे ह। तो हमारे पास है 5 िस जयशं कर साद किवताएं । ये सभी किवताएं सं ग सिहत ह। ये िविभ न भाव आधिरत किवताएं ह। जयशंकर साद
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जय शं कर साद िहं दी सािह य के छायावाद यु गीन मु ख 4 त भ किवय म से एक है । इनका ज म सूँ घनी साहु नामक पिरवार म हुआ। इनकी ज म ितिथ 1888 ई. तथा ज म तथा ज म थल काशी माने जाते ह। इनका िनधन 1937 ई. म हुआ। 1. जयशंकर साद किवताएं – िहमाि तुगं ंग से
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संग – तु त किवता ‘िहमािद तु ं ग शृं ग से ’ िह दी सािह य के छायावाद यु गीन मु ख 4 त भ किवय म से एक ‘जय शं कर साद’ ारा रिचत ह।
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िहमािद तु ंग शृ ंग से बु वयं भा समु
शु भारती
वला वतं ता पु कारती
‘अम य वीर पु हो, दृढ़- ित सोच लो, श त पु य पंथ है , बढ़े चलो, बढ़े चलो!’ असं य कीित-रि मयाँ िवकीण िद य दाह-सी सपूत मातृ भिू म के- को न शूर साहसी! अराित सै य िसंधु म, सु वाड़वाि न से जलो, वीर हो जयी बनो – बढ़े चलो, बढ़े चलो! 2. जयशंकर साद किवताएं – अ ण यह मधुमय देश हमारा
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संग – तु त किवता ‘अ ण यह मधु मय दे श हमारा’ िह दी सािह य के छायावाद यु गीन मु ख 4 त भ किवय म से एक ‘जय शं कर साद’ ारा रिचत ह। अ ण यह मधु मय दे श हमारा। जहाँ पहुँच अनजान ि ितज को िमलता एक सहारा।। सरल तामरस गभ िवभा पर, नाच रही त िशखा मनोहर। िछटका जीवन हिरयाली पर, मंगल कुंकुम सारा।। लघु सु रधनु से पंख पसारे , शीतल मलय समीर सहारे । उड़ते खग िजस ओर मु ह ँ िकए, समझ नीड़ िनज यारा।। बरसाती आँखों के बादल, बनते जहाँ भरे क णा जल। लहर टकरातीं अन त की, पाकर जहाँ िकनारा।। हे म कु भ ले उषा सवे रे, भरती ढु लकाती सु ख मे रे। मंिदर ऊँ घते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा।। 3. जयशंकर साद किवताएं – बीती िवभावरी जाग री!
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संग – तु त किवता ‘बीती िवभावरी जाग री’ िह दी सािह य के छायावाद यु गीन मु ख 4 त भ किवय म से एक ‘जय शं कर साद’ ारा रिचत ह।
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अ बर पनघट म डुबो रही तारा-घट ऊषा नागरी! खग-कुल कुल-कुल-सा बोल रहा िकसलय का अंचल डोल रहा लो यह लितका भी भर लाईमधु मुकुल नवल रस गागरी अधरों म राग अमंद िपए अलकों म मलयज बंद िकए तू अब तक सोई है आली आँखों म भरे िवहाग री! 4. जयशंकर साद किवताएं – िहमालय के आँ गन
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संग – तु त किवता ‘िहमालय के आँ गन’ िह दी सािह य के छायावाद यु गीन मु ख 4 त भ किवय म से एक ‘जय शं कर साद’ ारा रिचत ह।
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िहमालय के आँगन म उसे , थम िकरणों का दे उपहार उषा ने हँस अिभनंदन िकया और पहनाया हीरक-हार जगे हम, लगे जगाने िव व, लोक म फैला िफर आलोक योम-तम पु ज ँ हुआ तब न ट, अिखल संसृित हो उठी अशोक िवमल वाणी ने वीणा ली, कमल कोमल कर म स ीत स त वर स तिसंधु म उठे , िछड़ा तब मधु र साम-संगीत बचाकर बीज
प से सृ ि ट, नाव पर झे ल लय का शीत
अ ण-केतन ले कर िनज हाथ, व ण-पथ पर हम बढ़े अभीत सु ना है वह दधीिच का याग, हमारी जातीयता िवकास पु रंदर ने पिव से है िलखा, अि थ-यु ग का मे रा इितहास िसंधु-सा िव तृ त और अथाह, एक िनवािसत का उ साह दे रही अभी िदखाई भ न, म न र नाकर म वह राह धम का ले ले कर जो नाम, हुआ करती बिल कर दी बंद हमीं ने िदया शांित-संदेश, सु खी होते दे कर आनंद िवजय केवल लोहे की नहीं, धम की रही धरा पर धूम िभ ु होकर रहते समाट, दया िदखलाते घर-घर घूम
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यवन को िदया दया का दान, चीन को िमली धम की दृि ट िमला था वण-भूिम को र न, शील की िसंहल को भी सृ ि ट िकसी का हमने छीना नहीं, कृित का रहा पालना यहीं हमारी ज मभूिम थी यहीं, कहीं से हम आए थे नहीं जाितयों का उ थान-पतन, आँिधयाँ, झड़ी, चंड समीर खड़े दे खा, झे ला हँसते , लय म पले हुए हम वीर चिरत थे पूत, भु जा म शि त, नमता रही सदा संप न दय के गौरव म था गव, िकसी को दे ख न सके िवप न हमारे संचय म था दान, अितिथ थे सदा हमारे देव वचन म स य, दय म ते ज, ित ा मे रहती थी टे व वही है र त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ान वही है शांित, वही है शि त, वही हम िद य आय-संतान िजय तो सदा इसी के िलए, यही अिभमान रहे यह हष िनछावर कर द हम सव व, हमारा यारा भारतवष 5. जयशंकर साद किवताएं – आह! वेदना िमली िवदाई
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संग – तु त किवता ‘आह! वे दना िमली िवदाई’ िह दी सािह य के छायावाद यु गीन मु ख 4 त भ किवय म से एक ‘जय शं कर साद’ ारा रिचत ह।
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आह! वे दना िमली िवदाई मने भमवश जीवन संिचत, मधु किरयों की भीख लु टाई छलछल थे सं या के
मकण
आँस-ू से िगरते थे ित ण मेरी या ा पर ले ती थी नीरवता अनंत अँगड़ाई िमत व न की मधुमाया म गहन-िविपन की त छाया म पिथक उनींदी ु ित म िकसने यह िवहाग की तान उठाई लगी सतृ ण दीठ थी सबकी रही बचाए िफरती कब की मे री आशा आह! बावली तूने खो दी सकल कमाई चढ़कर मे रे जीवन-रथ पर लय चल रहा अपने पथ पर मने िनज दु बल पद-बल पर उससे हारी-होड़ लगाई लौटा लो यह अपनी थाती मे री क णा हा-हा खाती िव व! न सँभले गी यह मु झसे इसने मन की लाज गँवाई Thank you so much ❤️ sir / ma’am I hope you enjoy it. For more you may visit our other blogs we have lots of shayari, poems, Jokes, thoughts and quotes 12/13
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