The Aryanist # 01 (Journal)

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नभस्ते! सबी ऩाठक वगग खासकय कॉमभक्स प्रेमभमों के मरए ऩेश है फ्रीराॊस टै रेंटस के सौजन्म से आमगन क्रिएशन्स का 'द आमगननस्ट' (The Aryanist) जनगर। आमगन टीभ जो ऩहरे 2-3 सदस्मों की फात-चीत से शरू ु हुमी अफ फढती जा यही है औय साथ ही फढ़ते जा यहे आगाभी प्रोजेक्​्स जजन ऩय टीभ क सदस्म कामगयत है । कॉमभक फनाना एक सप्राई चेन गनतववधध की तयह है जजसभे यचनात्भक उजाग रगती है जजस वजह से क्रकसी प्रोजेक्ट के ऩहरे ववऻाऩन से रेकय कॉमभक के आने तक कापी सभम रग जाता है खासकय तफ जफ उस से जड़ ु े रोगो का भख् ु म काभ मह ना हो। इसमरए ऩाठक वगग से जड़ ु ने के मरए औय इश्तेहाय-कॉमभक के फीच का अॊतयार कभ कयने के मरए इस जनगर की आवश्मकता ऩड़ी। मह एक प्रमोग बय है जजसभे चनु नॊदा यचनाओॊ को ही जोड़ा गमा है, आगे आऩ के सझ ु ावों, टटप्ऩणणमों अनस ु ाय फदराव क्रकमे जामेंगे। हभें आशा है क्रक आऩको मह प्रमास ऩसॊद आमेगा।

आमगन क्रिएशन्स सदस्म एवभ सहमोगी - आशीष खये , दे वेन ऩाण्डेम, सयु े श कुभाय, अथवग ठाकुय, भोटहत शभाग, तदभ ग्माध,ु मद्ध ु वीय मसॊह, हुसैन ज़ामभन, अववजीत मभश्रा, भानफेंद्र, आमष ु ।

© सवागधधकाय सुयक्षऺत: 'द आमगननस्ट' भें प्रकामशत सबी यचनाओॊ एवॊ करा-वस्तु के सवागधधकाय प्रकाशक, यचनाकायों एवॊ कराकायों के ऩास सुयक्षऺत हैं।

सह-प्रस्तत ु कताग: फ्रीराॊस टै रेंटस (Freelance Talents)


आर्यन क्रिएशन - ऩरयचम (दे वेन) कुछ अयसे ऩहरे भै अऩने कॉमभक्स के शौक से फपय रूफरू हुवा ! मह सफ हुवा सोशर साईट्स की भेहयफानी से ! भैंने कॉमभक्स ऩढ़ना तेयह सार ऩहरे ही छोड़ ददमा था. रेफकन दफ ु ाया जड़ ु ने ऩय ईस इॊडस्ट्री भें तेजी हुमे फदरावों के दे ख कय भै हैयान यह गमा , जहा कई फड़ी फड़ी नाभी गगयाभी ऩब्लरकेशन अऩना फाजाय सभेट चुके थे , तो कही कुछ नमे ऩब्लरकेशन बी छाने की फपयाक भें थे. सोशर साईट्स भै कुछ ग्रुप्स से जुड़ा जो कॉमभक्स पैन्स ने फनामे थे , उनके साथ यह कय भैंने कापी कुछ जाना , आमे ददन महाॉ कोई ना कोई कॉमभक्स पैन अऩने द्वाया फनामे गमे आट्​्स ,पैन भेड कॉमभक्स ,स्ट्केच ,इत्मादद शेमय कयता ,ब्जन्हें दे ख कय भेया भन बी भचरने रगता कुछ ऩेब्न्सर की कायगज ु ारयमा कयने के मरमे . दयअसर भै फचऩन से गचत्रकायी भें रुगच यखता था , जी हाॊ कॉमभक्स की भहयफानी थी सफ . भै फचऩन भें अऩने ऩसॊदीदा ऩात्र ‘सुऩय कभाॊडो ध्रुव ‘ औय ‘ नागयाज ‘ की कॉमभक्स फनामा कयता था ! मह छोटी छोटी कॉमभक्स होती थी अभूभन आठ मा दस ऩेजेस की . गचत्रकायी बी खुद कयता औय यॊ गसाजी बी , रेफकन फचऩन के शौक फचऩन के साथ ही कही छूट गमे , औय मु ही फातो फातो भें हभने अऩनी फचऩन की ईस फात का ब्जक्र हभायी ‘मभत्र ‘ से कय ददमा ( जो अफ हभायी धभ्ऩत्नी है ) तो उन्होंने हभसे ब्जद की भेये द्वाया फनामे हुमे ऐसे कुछ कॉमभक्स को दे खने की , हभने उन्हें सभझामा के अफ भेये ऩास वह सफ नहीॊ है औय ना ही भै अफ फना सकता हु ! रेफकन ब्जद के आगे भुझे घुटने टे कने ऩड़े ,औय आखखयकाय भैंने ऑफपस के खारी सभम भें कगज औय ऩेब्न्सर रेकय कुछ ऩेजेस फनाने शरू ु कय ददमे ,कोई कहानी नहीॊ मरखी ,फस गचत्र फनते गमे कहानी चरती गई औय फना डारी भेयी ऩहरी पैन भेड कॉमभक्स ‘एजेंट नाईन ‘ जो तीस ऩेजेस की फनी ,ब्जसे भैंने ग्रऩ ु ऩय अऩरोड कय ददमा , मभत्रो ने तायीफ़ भें कुछ शलद क्मा कहे के फस जी हभने भजाक भजाक भें उस कॉमभक्स का दस ु या बाग बी फना ही ददमा. इसी फीच रेखन का कीड़ा कही से जाग गमा औय हभने छोटे भोटे रेख वगैयह बी मरखने शरू ु कय ददमे, औय इसी फीच एक नमे ऩब्लरकेशन ने जो के कॉमभक्स इॊडस्ट्री भें उतयने की तैय्मायी भें थी ,उन्होंने भेया काभ नोदटस फकमा औय भुझे अऩने मरमे कुछ मरखने का भौक़ा ददमा !


भै ईस ख्मार भात्र से ही अमबबूत हो गमा के भेयी कोई कहानी ऩब्लरश होगी ! ईस ख्मार ने इतना योभाॊगचत कय ददमा के भैंने आनन पानन भें चाय ददनों के अॊदय ऩहरी ब्स्ट्क्रप्ट मरख कय सफमभट कय दी , औय कहानी के अनुसाय फनते ऩेजेस को दे ख कय जो ख़ुशी उस वक्त भुझे हुमी वह भै रफ्जों भें फमान नहीॊ कय सकता . रेफकन कुछ तकननकी कायणों से वह कॉमभक्स ऩब्लरश नहीॊ हुई,रेफकन भेये मरमे इतना ही कापी था के फकसी ने उसे आधाय फना कय काभ तो शरू ु फकमा . इसी फीच भै मह सभझ गमा के गचत्रकायी हभाये फस की नहीॊ है , औय इन्ही सफ के दयु ान भेयी भुराकात हुई ‘ आशीष खये ‘ से जो फदढ़मा आदट् स्ट्ट बी है ,फस जी हभने आऩस भें मह पैसरा मरमा के हभें कबी भौक़ा मभरा तो दोनों साथ काभ कयें गे, आशीष जी ने कहा ‘दे वेन जी आऩ फस एक फदढ़मा ब्स्ट्क्रप्ट फनाईमे ,फाकी सफ भुझऩय छोड़ दीब्जमे ,हभ एक पैन भेड कॉमभक्स फनामेंगे जो अफ तक की सबी पैन भेड कॉमभक्स से ऊॉचे रेवर की होगी ‘ फस फपय भैंने अऩने सऩ ु यहीयो की तराश भें घोड़े दौडाने शरू ु कय ददमे, एक सऩ ु यहीयो ददभाग भें आमा बी तो ‘आशीष ‘ जी मह कह ददमा के ऐसे हीयोज तो आजकर कॉभन हो गमे है ! आऩ कुछ हटके फनाईमे . फस वही सोचते सोचते एक फाय कही जा यहा था के यास्ट्ते भें एक ‘याभ भॊददय ‘ ददखाई ददमा . फस जी भैंने सोच मरमा के भै याभामण के ही फकसी फकयदाय को आधुननक स्ट्वरूऩ भें ऩेश करूॊगा ,जफ भैंने याभामण की घटनाओॊ ऩय नजय दौडाई तो भुझे ‘वानययाज फारी ‘का फकयदाय कापी शब्क्तशारी नजय आमा उसभे नामको वारे साये गण ु थे ,रेफकन मसप् यावण से दोस्ट्ती ,औय बाईमो के बफच उऩजे अववश्वास ने उस ऩात्र को खरनामक फना ददमा . भैंने कही सुन यखा था के ‘फारी ‘ अऩने प्रनतद्वॊदी की आधी शब्क्त सोख रेता है ब्जस वजह से उसके साभने कोई बी नहीॊ दटक सकता , फस जी फारी पाईनर हो गमा ,रेफकन भैंने याभामण के फारी का मसप् सन्दब् मरमा,वैसे बी ऩौयाखणक ऩात्रो के ऊऩय कॉमभक्स फनाने का प्रचरन जोयो ऩय चरा है आजकर तो भै याभामण के फारी को नहीॊ रा सकता ,क्मा हो के ऐसी ही शब्क्तमों वारा कोई व्मब्क्त कमरमग ु भें जन्भ रे ? फस इसी को आधाय फना कय कहानी का खाका खखॊच मरमा औय आशीष जी को फतामा ! उन्हें मह काॊसेप्ट ऩसॊद आमा औय उन्होंने इसऩय तुयॊत काभ कयने को कह ददमा !


चमरमे अफ आदट् स्ट्ट की सभस्ट्मा हर हो गई ,अफ सभस्ट्मा थी फकस करय स्ट्ऩेशमरस्ट्ट की ,जो ईस चरयत्र के साथ न्माम कये औय इसे पैन भेड के रेवर से ऊॉचा उठामे . औय ‘ईश खान उफ़् नमरनाऺ ईशु ‘ जी ने ईस प्रोजेक्ट भें कररयस्ट्ट के तौय ऩय जुड़ने की इच्छा जताई ब्जसे भै तुयॊत भान गमा . तो महाॉ बी साथ ददमा ‘सुयेश कुभाय ‘ जी ने जो ग्रुऩ ऩय ‘सीधी फात नो फकवास ‘ नाभ से ज्मादा जाने जाते है . उन्होंने ईस काॊसेप्ट भें इपेक्ट्स दे ने का वामदा फकमा ,जो फाद भें इपेक्ट्स तक ही मसमभत नहीॊ यहा वयन उन्होंने कररयॊग का ब्जम्भा बी अऩने हाथ भें रे मरमा . मूध्धवीय मसॊग जी से तो ईस ग्रुऩ ऩय ऩुयानी ऩहचान फन चुकी थी सो उन्हें ईस प्रोजेक्ट ऩय कैमरगापी कयने के मरमे ज्मादा भनाना नहीॊ ऩड़ा . औय टीभ फनते ही काभ शरू ु हो गमा , भैंने सोशर साईट ऩय ‘हयीश अथव् ठाकुय ‘ जी के फनामे आट्​्स दे खे जो भुझे कापी ऩसॊद आमे औय भैंने उनसे बी अऩने ‘फारी ‘ के मरमे कुछ प्रोभोज फनाने की गज ु रयश की ब्जसे उन्होंने तयु ॊ त भान मरमा औय ईस तयह से वे बी ईस प्रोजेक्ट ऩय साथ हो मरमे ! फारी के आधे ऩेजेस उनके ही फनामे हुमे है ( जो अबी बी फन यहे है ) सफ कुछ हो गमा टीभ फन गई .फस अफ अऩने ईस ओनराईन छोटे से ऩब्लरकेशन के मरमे नाभ ढूॊढना यह गमा तो हभने इसे नाभ ददमा ‘आम्न फक्रएशन ‘ हो सकता है नाभ आगे चर कय फदर जामे ! ऩब्लरकेशन हो गमा ( फहरे ही सॉफ्ट कॉऩी हो ) तो अफ ऩब्लरकेशन कोई एक ‘फकयदाय ‘ के बयोसे तो चरेगा नहीॊ तो भैंने अऩने ही पैन भेड चरयत्र ‘एजेंट नाईन ‘ औय ‘धुयॊधय ऩाण्डेम’ को यीफट ू कयने की मोजना फनामी ! औय मह दोनों बी ईस का दहस्ट्सा फन गमे ‘फारी ‘ जहा एक एॊटी हीयो है ,तो ‘एजेंट नाईन ‘ एक एजेंट है औय ‘धुयॊधय ऩाण्डेम ‘ फहादयु ऩुमरस भैन. हाॊ महाॉ एक फात साफ़ कयना चाहूॉगा ‘धुयॊधय ऩाण्डेम ‘ को कई रोगो ने ‘ चुरफुर ऩाण्डेम ‘ के तौय ऩय दे खा है ! रेफकन असर भें ऐसा बफरकुर नहीॊ है ,मह ऩात्र एक रयमर राईप चरयत्र से भैंने गढ़ा है , जो के भेये दयू के रयश्तेदाय है ,वे ऩुमरस भें है ,ननडय है ,खतयनाक बी है , हॊसभुख है , उनकी कॉमभक टाईमभॊग गजफ की है औय उनकी ऩस्नामरटी तो क्मा कहने , वैसे बी उत्तय प्रदे श के रगबग हय नगय भें आऩको भॊछ ू ो वारे ,कारे चश्भे के शौक़ीन दफॊग थानेदाय मभर जामेंगे जो शामद ‘दफॊग ‘ फपल्भ के आने के जभाने ऩहरे से है ! भेयी ऩूयी कोमशश यहे गी के ईस चरयत्र को ऩढ़ते वक्त आऩके ददभाग भें मसप् ‘धुयॊधय ‘ ही यहे .


फाकी बववष्म की मोजनाओॊ के फाये कहे तो बववष्म के गब् भें क्मा छूऩा है मह कोई नहीॊ जानता इसमरए भै ऐसा कोई दावा फपरहार तो नहीॊ कय सकता ब्जसे भै ऩूया ना कय सकू ! वैसे मह ऩब्लरश हो मह तो हय रेखक की तयह भेया बी सऩना है !औय सऩना दे खना कोई फुयी फात नहीॊ है, ’भोदहत शभा् ‘ जी ,सच कहू तो भैंने मरखने की प्रेयणा भोदहत जी से ही री है ,उन्होंने कापी सहमोग ददमा है अफ तक ! औय भेये ‘आम्न फक्रएशन ‘ की टीभ का वे बी दहस्ट्सा है ,अऩनन व्मस्ट्त ददनचमा् भें से वे अऩना फहुभल् ू म सभम हभाये ईस प्रोजेक्ट के मरमे दे यहे है ,ब्जनका भै कापी शक्र ु गुजाय हु ,आखखय नैयेशन इनके ही ब्जम्भे जो है, वह अफ साइकोदे वी क्रकयदाय ऩय बी मरख यहे है. अबी तो ऩहरा प्रमास मही के हभ अऩने प्रोजेक्ट को पैन्स तक ऩहुॊचामे,आखखय पैसरा तो उन्ही को कयना है के हभ काभ जायी यखे मा जम याभ जी की कहे !

दे वेन ऩाण्डेम एवॊ सभस्ट्त आम्न फक्रएशन टीभ


*) - Interview with Mohit Sharma (Trendy Baba / Trendster) - Atharv Thakur

Atharv – Aajkal aap kya kar rahe hai? Mohit – Dehradun k Petroleum University se MBA k baad mey apne shehar Meerut mey hi ek niji shikshan sansthan mey padha raha hun. Kuch behtar job hone tak to yahin rahunga. Atharv - School me aapko subse jyada kya pasnd tha? Mohit - Meri schooling 2 jaagah huyi. Class 5 tak Agra mey aur uske baad Lucknow mey. To Agra mey to khel kood aur toli banakar bade bade plans banane mey maza aata tha, jinme se sakaar bahut kum hi hote the. Naam, jagah, raaste sab yaad hai aur hamesha yaad rahenge. Atharv - Lekhan ko le kr aapki ichha aakhir kya h? Mohit - Lekhan agar prabhavi ho to kai muddo par logo ko jagruk karne k saath-saath unhe is disha mey kuch yogdaan dene ko bhi prerit kar sakta hai. Mai dil se likhne ki kosish karta hun aur chahta hun ki zyada se zyada logo tak meri rachnayen pahunche. Atharv – Aap khud ko better author maante hai ya better poet? Mohit – Ye readers zyada behtar bata sakte hai. Waise comparison mey meri poems ko better reviews milte hai par stories se aur mai poetry mujhe sehaj lagti hai par kahaniyon par mai zyada mehnat karta hun. Poetry ka impact-effect shayad isliye adhik hai tulna mey kyoki wo kabhi-kabhi likhta hun, aur poori rachna kuch shabdo mey jhalakti hai jabki kahani mey binduo ka vistaar ho jata hai jis se padhne waale ko sabhi bindu eksaath hit nahi kar paate.


Atharv – Aur kya hobbies h aapki? Mohit – Sports mey ruchi hai jo ab khelne se sirf dekhne mey badalta jaa raha hai, statistics, politics, environment, photography, singing….par baaki hobbies par samay kum hi deta hun. Atharv - Aap kisi lekhak se prerit hain? Agr ha to kyu? Mohit - Unfortunately, maine bahut kum sahitya padha hai, ab pata nahi ye achchhi baat hai ye kharab par kisi lekhak se prerit nahi hun. Haan, vyaktitva aur rachnao k maamle mey Bharat Kumar Negi ji mere pasandida hai kyoki unke kaam mey vividhta hai aur wo prayogatmak kaam pesh karte rehte the. Atharv – Aapki apni best rachnayen aur books kaunsi lagte hai? Mohit – 2006-2007 mey kahani jaisi poems likha karta tha pehle tabhi ye idea dimaag mey aaya aur kuch hi der mey saakaar ho gaya “Amara Last Wish Poora Ho Gaya!” Isko likhne k baad jab dobara padha to unparallel feeling thi…rongte khade ho gaye the. Uske baad bahut poems, stories likhi par mere scale par uske barabar abhi tak kuch nahi aaya. Kahaniyon mey Maro Mere Saath!, Naritva, Bacha Lo! Par kaafi dimaag khapaya tha. Books mey Desi-Pun, PoeticKavya Comics, Bonsai Kathayen, 84 Tears. Abhi lekin ek kaam mey poori kasar nahi nikli kuch dream projects hai jo agar ho jaaye to ye list badal jaaye.

Atharv - So aap jyadatar kya likhtey hain? books, novels, short stories, blogs ityadi... Mohit - Zyadatar mai kahaniyan aur articles hi likhta hun. Koshish karta hun beech beech mey kavitayen aur research based matter likhun. Atharv - Aapki rachnayein hum kahan se le sktey hain? Mohit - Mai kaafi free ebooks k roop mey apne works rakhta hun. Jo works free nahi hai wo Goodreads, Pothi.com, Writers.net, Instamojo, Readwhere, Roobaru Duniya, Amazon.com aadi websites par listed hai. Atharv – Aap samaj seva se bhi jude hai?


Mohit – Lucknow mey College time mey zyada active tha aur lagataar 4-5 saal kuch sansthaon k liye kaam kiya. Ab samay k abhaav mey pehle ki tarah to karyarat nahi hun par samay milne par events mey jata hun ya apne lekh, kahani aadi unhe bhejta rehta hun. Atharv - Apni kinhi ek ya do book "name btayein" k mukhya patr ki bhumika me kis abhinetaabhinetri ko dekhna pasnd krenge? Mohit - Mai “Desi-Pun!” aur “Bonsai Kathayen” ki kuch short stories mey Arjun Rampal, Dharemdra Sahab, Isha Koppikar aur Deepika Padukone ko dekhna chahunga.

Atharv - Writer bnne ka nirnay kb liya? Kya aap full time likhte hai ya part time? Mohit - Likh to bachpan se raha hun par School time k baad college mey lekhan ko theek se samay dene ka mauka mila. Mai part time likhta hun. Atharv - Writing k liye ideas kahan se latey hain? Mohit - Events, behavior, social issues k naye samikaran sochta hun ek alag parivesh k saath jo pehle kabhi na hua ho. Ideas k baad shabdo ka sahi chunav bhi zaroori hai. Atharv - Likhne me subse jyada mushkl aur aasan kya hai, Kuch apne anubhav batayen? Mohit - Ye baat har lekhak par alag baithti hai. Mai Comedy, Adventure, Horror, Social, Tragedy themes par khud ko zyada sehej pata hun wahin Suspense, Thriller, Romantic genres par maine kum likha hai. Lekhan mey sabse mushkil apni ideology se upar uthkar nishpaksh tareeke se likhna. Aesa consistently bahut kum log kar paate hai. Idea sochna aasaan hai exam se pehle, nahate waqt aur uske baad khaali samay mey usko kahin likh lena mushkil…..he he… Atharv – Lekhan se juda sabse priy moment? Mohit – Jab aapke kaam ko saraha jata hai to achchha lagta hai. Kai logo ne mujhse kaha hai ki mera lekhan unhe inspire karta hai jo mere liye bahut bada compliment hai. Sabse khaas moment ek budhe Sikh dampatti ki call thi UK se jinhone 84 Tears padhi thi, ab mujhe pata nahi unhone mera number kaise dhunda (mai puchhna bhi bhool gaya), par kuch minutes mey itni


shabashi pehle kabhi nahi mili. Baaki chhote chhote gestures jo log apna samay nikal kar khaas mere liye karte hai wo dekhna bhi sukhad anubhav hai. Atharv - Ebook, traditional paper, hard back... aap kis format me padhna pasand krtey hain? Mohit - Traditional paperback ki hai par Computers, Laptop k alawa handheld devices badh jaane se e-books ka market bahut badh gaya hai. Atharv - Aajkal kya padh rhe hain? Mohit - Mujhe ek dost ne Windmills of the Gods (Sidney Sheldon) ki gift kit hi, beech mey latki huyi hai kaafi time se, Novels badi mushkil se khatm hoti hai mujhse isliye ab tak bahut kum padhi hai. Comics mey Holy Cow Entertainment ki Ravanyan Finale # 1 hai mere saamne. Atharv - Aap apni books ki marketing kiss tarah krtey hain ? Kya aapne kabhi PR agency ka use kiya h? Mohit – Mai Social Media k saath-saath bahut si websites, communities mey active hun aur wahan apni Books ya Works se related info share karta hun, saath hi achchhi SEO websites par apni Books ki listing add karta hun. College time mey kuch NGOs se juda tha to unke events, seminars ko bhi as a platform isteymaal karta tha, jis se meri mailing list mey kai naam jude aur kuch sites par achchhi sankhya mey regular followers mile. Aage aur bade level par promotion karne ki ichchha hai. Naye authors, artists ko mera yahi suggestion hai ki unitary approach apnaye aur kaam karte chale. Dheere dheere aapko aur aapke kaam ko sarahne waale logo ka daayra badhta chala jaayega. Ekdum se success paane ki sochna kadam kadam par khud ko nirash karna hoga. Atharv - Aapki favorite book? Mohit – Meri favorite book hai Shantaram (Gregory David Roberts) jo 1980 mey Australia se Bharat bhaage apradhi ki zindagi par aadharit hai. The God of Small Things (Arundhati Roy) ka style bhi mujhe kaafi pasand aaya tha.

Atharv - Favorite movies and why? Mohit - Schindler’s List, Shawshank Redemption aur Hindi movies mey kids movie Halo (1996), in movies ki themes touching hai aur ek tagda impact chhodti hai ye dekhne waale par. In movies k actors ko dekhkar khud acting karne ka mann karne lagta hai. Athrav - Kin prasidhh vyaktiyon se milne ki ichha rakhtey hain? Mohit - Kuch bhale Sadhu-Santo se mil chuka hun, Events mey kai Comic artists-writers se bhi mil chuka hun. Ek to mujhe Singer Dana Glover se milna hai, ek Childhood hero Shawn Michaels…baaki sports, movies mey to list to lambi hai… Atharv - Readers aapke work k barey me aur jyada kaha jann sktey hain? Mohit - Google aur doosre search engines par mere naam k saath mere pseudonyms (Trendy Baba, Trendster) aur books, works k search suggestions hai jahan bahut se works mil jaayenge.


Website: http://about.me/trendster Official FB Page: https://www.facebook.com/Mohitness Goodreads Profile: https://www.goodreads.com/author/show/5900854.Mohit_Sharma Writers.net : http://www.writers.net/writers/98387


Baali Teasers


प्रकृति बी अऩने तनमभो भें खद ु को फ ॉधे यखिी है । वो अऩन प्र रूऩ फदरिी है ऩय भ नव की ियह अऩने स्व र्थ स धने के लरमे नह ॊ जजसको र ब ददख ई दे ने ऩय नैतिकि ददखनी फॊद हो


ज िी है , जो अऩने लभत्र, सॊफॊधी को स्व र्थ के िय ज़ू भें िोरि है औय उनसे र ब न ददखने ऩय तनकटि सभ प्ि कय दे ि है अर्व तनकटि क न टक कयि है । जह ॉ िक ऐस भ नव दे ख ऩ ि है म सोचि है स्व र्थ प्रेरयि कभथ उसको अऩने जीवन के लरए र बक य प्रिीि होिे है ऩय मह भ्रलभि होकय ऩर्भ्रष्ट होने क प्र र्लभक चयण है ।

धभथऩय मण जनि ईश्वय से त्र ह भ भ कयिी कहिी है की धभथ, सत्म की य ह इिनी ववकट क्मों है ? इसक उत्िय सीध स है ईश्वय सत्म की य ह ऩय चरने व रे अनेको भें कुछ व्मजक्िमों की ऩय ऺ रेिे है की वो इिने सऺभ है जो कलरमग ु भे हय औय पैरे अधभथ से मद्ध ु कय उसे हय ऩ में ....अगय कुछ ऩय ऺ ओ फ द बी व्मजक्ि सपर नह ॊ होि िो ईश्वय उसको म िो भूक जनि क सदस्म फन दे िे है जो चऩ ु सफ दे खिी है म वो सभम के स र् अऩन चरयत्र खोकय अधभथ क अॊग फन ज ि है ।

जफ फ र अधभथ के स र् र् िो वो शजक्िश र र् औय अॊतिभ सभम िक उसको अधधक सॊघषथ नह ॊ कयन ऩड़ । ऩय इस मुग भें जफ वो धभथ औय सत्म के स र् है िो बगव न ने उसकी औय उसके चरयत्र की ऩय ऺ के लरमे उसको कई सीभ ओ भें फ ॉध ददम ....फ र प्रबु की हय ऩय ऺ दे ग ....सीभ न्ि िक सॊघषथ कये ग ।


Baali (Vali) was king of Kishkindha, a son of Indra and the elder brother of Sugriva. He was killed by Rama, an Avatar of Vishnu. Vali was famous for the boon that he had received, according to which anyone who fought him in single-combat lost half his strength to Vali, thereby making Vali invulnerable to any enemy. Once Ravana called Vali for a fight when Vali was doing his regular Sandhyavandanam. He took Ravana in his tail and took him around all the world. Humbled, Ravana called for a truce [agreement to stop war tempararly]. It is said in the Ramayana that Vali was very brave and courageous. Before dawn he used to go from the Eastern coast of sea to the Western coast and from the Northern coast of the sea to the Southern coast to pay his homage to Surya - the sun-god. He was so brave and powerful that on his way to pay homage to Surya, he used to toss the mountain peaks upward and catch them as if they were play balls. Also after completing the tedious task of paying homage to the sun god in all the four directions, when he used to return to Kishkindha he does not feel any tiredness. Vali was the husband of Tara. As one myth goes, fourteen types of gems or treasures were produced from the churning of ocean. One gem is that various Apsaras (divine nymphs) were produced and Tara was an Apsara produced from the churning of ocean. Vali who was with the devas, helping them in the churning of ocean, took Tara and married her. Vali was very courageous this can be understood from the fact that, when Tara tried to stop him and begged him to not to go to fight Sugriva, by saying that it is God (Rama) who is helping Sugriva and has come to Sugriva’s rescue; Vali replied to Tara that even if he is fighting against God he can’t


ignore a challenge for a fight and remain quiet. He adds that even if the caller for the fight had been his own son Angada he would still go to fight. Vali had been known as a good and pious vanara-king, but had been too outraged to heed his brother Sugriva after his brother had sealed the entrance to a cave in which Vali was fighting a rakshasa named Mayavi. Sugriva had mistaken the blood flowing out of the cave to be his brother's, blocked the entrance to the cave with a boulder and left for Kishkindha, assuming that his brother was dead. When Vali had emerged victorious over the rakshasa, he had found that the entrance to the cave was blocked. He journeyed back to kingdom to find Sugriva ruling in his place. Sugriva tried to explain the situation to Vali, but Vali, enraged, would not listen. Vali then nearly kills Sugriva, except that Sugriva was able to escape Vali's grasp. Sugriva barely escaped from the kingdom. When Vali chased Sugriva out of his kingdom, he also claimed Sugriva's main wife, Rumā. Sugriva fled into the forest where he eventually meets Rama and Lakshmana. "यावण के वध से ऩूवग बगवान याभ ने फारी को भुजक्त दी थी इसमरए उस दृश्म के भत्ृ मुरोक से दशगन नहीॊ हुए। कहते है श्री याभ औय यावण एक ही याशी के थे क्रपय कभो ने ववशार अॊतय कय टदमा। त्रेता भें जैसे यावण ने साया ऩाऩ अऩने सय रे मरमा तबी कोई फारी के अॊत ऩय उत्सव नहीॊ भनाता। ऩयन्तु ऩाऩ तो तफ बी ववद्मभान था प्रजा के भन भें फसा क्रकसी अवसय की घात भें ...जो बक्त जनता ने भाता सीता ऩय राॊछन रगा मसद्ध कय टदमा। याभ जी के तेज से ऩाऩ स्वछन्द कैसे यहता ऩय यावण की भुजक्त के फाद बी छदभ ऩाऩ तो था। कहते तो मह बी है की भेये बाई सुग्रीव की सूयत औय कभग भुझ जैसे थे। ऩय भेये अॊतयभन भें कहीॊ सुप्तावस्था भें नछऩा ऩाऩ जाग गमा औय फारी की सुग्रीव से सबी सभानताएॉ मभट्टी हो गमी। धभग औय नीयीह की यऺा भें अनैनतकता को अनैनतकता से काटने के मरए सबी ववधाओॊ भें ननऩुण बगवान ् श्री कृष्ण का भहाबायत भें क्रकमे आचयण उदाहयण टदमा जाता है , ऩय उस मुग से ऩहरे बगवान याभ ने फारी को साभने ना आकय भुजक्त दी औय ऩाऩी को अऩने ऩुरुषोत्तभ आचयण से हटकय सभाप्त क्रकमा। भै धन्म हूॉ जो श्री याभ ने भझ ु े भजु क्त दे कय उस मग ु का दस ू या यावण उदम होने से ऩहरे ही अस्त कय टदमा। तफ ऐसा कयने की आवश्मकता कभ ऩड़ती थी ऩय अफ जफ हय ओय ऩाऩ की ऩयत जभी है तफ ऩाऩ से ऩाऩ को नष्ट कयने क्रपय आमा है फारी। भै उन श्री अवतायों के सभान तो नहीॊ फन सकता ऩय उनका अनुसयण करूॉगा जफ तक बगवान, कजकक अवताय रेकय स्वमॊ भुझे दोफाया भुजक्त दे ने नहीॊ आते। जम श्री याभ!" करा - भहे श नाजबफमाय, सॊककऩना - भोटहत शभाग


Art: Atharv Thakur Colors-Effects: Raj Kumar


*) – Mr. Ashish Khare


*) - Baali Progress till Now


*) – PsychoDevi


आज शननवाय को भीट-भच्छी नहीॊ खामेगा, ऩय कुत्ते की दभ ु रड़क्रकमों को बफना टदन दे खे योज़ सतामेगा ... अफ तो भेये आगे नहीॊ जाएगा तेया यास्ता .... ददग नहीॊ होगा, अच्छे से भारूॉगी ....सच्ची! ज्मादा टहर-डुर भत ... .तझ ु े तेयी आॉखों से टऩकती दरयॊदगी का वास्ता !!!


*) - Dhurandhar Pandey Art by Tadam Gyadu & Deven Pandey



*) - फोगी नॊफय 1407 (Sazaa Main Doongi) (One Shot Webcomic in Progress by Mr. Husain Zamin & Mr. Deven Pandey)

‘ट्रे न की फोगी खन ू से सनी थी , हय दीवाय हय जयाग सूख के कारा ऩड चक ू े खन ू से सना हूवा था , इॊस्ऩेक्टय सज ु ीत भआ ु इना कय यहा था , ‘’अम रड्की वही रूक जा , कौन है तू ? औय महा क्मा हूवा था , मे राशे क्रकसकी है ‘’ सुजीत ने अचानक टदखी रड्की को दे ख के कहा , ‘ ऩीछे भूड ,चेहया क्मो नछऩामा है , भूड ? ’ आवाज भे ऩूमरमसमा यौफ झरक ऩड़ा था॰ ‘ भेया चेहया नहीॊ दे ख ऩाओगे इॊस्ऩेक्टय , मे राशे भैंने ही धगयाई है , रड्की की आवाज भानो सुजीत के टदभाग भे गूॊजी हो , आवाज भे ऩता नहीॊ क्मा था के सुजीत के फदन भे मसहयन दौड़ गई


, सज ू ीत ने यीवाकवय तान टदमा... ‘ ऩीछे भूड ,गोरी चरा दॊ ग ू ा , कौन है तू ‘’ ‘ हा हा हा इॊस्ऩेक्टय भेया नाभ भनीषा वभाग है ,’ आवाज ऐसी थी की अच्छे अच्छों को ऩसीना आ जामे , ‘ फकवास भत कय रड्की क क कौन भनीषा ? ‘ टदर जोयों का धडक उठा था सुजीत का ॰ ‘ बूर गए ? वही जजसकी राश एक भहीने ऩहरे मही से फयाभद की थी , भै वही भनीषा हु ‘’ कहने के साथ एक झटके के साथ रड्की घूभ गई , उफ़्फ़ चेहये का ननचरा जफड़ा गामफ था , आॊखे कटोरयमो से फाहय ननकरने को फेताफ , गाढ़ा जभा हूवा कारा खन ू ऩूये चेहये से रयस यहा था , ‘ आ क न न नहीॊ हो सकता मे … त त तभ ु भय चक ु ी हो ….. ‘’ आगे के शब्द कहने के ऩहरे ही सज ु ीत डय की अधधकता से फेहोश हो चक ु ा था.

एक भहीने ऩहरे , टदसॊफय की एक सदग यात , दे वग्राभ एक्सप्रेस ने स्टे शन ऩीछे छोड़ टदमा था . यात के सन्नाटे को चीयती ट्रे न फढ़े चरी जा यही थी , फोगी नॊफय 1407 के अधधकतय मात्री वऩछरे स्टे शन ऩय उतय चक ु े थे , याजेश औय भनीषा नववववाटहत जोड़ा था , भनीषा : तब ु हें बी ना याजेश क्मा जरूयत थी मशभरा जाने की ? इस भौसभ भे मशभरा भे तो कुकपी जभ जाएगी हभायी , याजेश : अये जानेभन ऐसे भौसभ भे ही तो प्माय का भजा है , ‘’धत्त फदभाश ‘’ भनीषा शभाग गई , वे दोनों भशगूर थे के उनके साभने से एक व्मजक्त गुजया फाथरूभ की ओय ‘ अये फब्फन जकदी आईमो माय , क्मा माय अबी तो ऩीना शुरू ही क्रकमा है के तभ ु फाथरूभ बी जा यहे हो , अये इतना तो हभ सुफह चाम के सभम ऩी रेते है , ऩीछे वारे कबऩाटग भेंट से आवाज आई ,जो सॊबवत उसके साधथमो भे से क्रकसी एक की थी.


फब्फन ने कहा ‘’ चर पेंक भत अफ , एक राजग फना फे भै अबी आमा’ शयाफ की तीव्र दग ं फ़ेर गई , ु ध भनीषा : ओपपो याजेश कैसे रोग है महा , उन्हे इतनी बी तभीज नहीॊ है के ट्रे न भे शयाफ नहीॊ ऩीनी चाटहए ,रपॊगे कही के औय सोने ऩे सह ु ागा मे के कफ से शोय भचा यहे है , बद्दे बद्दे गाने गा यहे है , गॊदी फाते कय यहे है , भुझ से तो फदागश्त नहीॊ हो यहा . याजेश : अये नजयॊ दाज कय दो भनीषा , जाने दो कुछ ही दे य की तो फात है स्टे शन आ जाएगा हभाया . तबी फब्फन वाऩस आमा , नजय भनीषा ऩय ऩड़ी , कुटटर भस् ु कान उबय आई उसके चेहये ऩय एक मसटी गूॊज उठी भुह से उसके . भनीषा बफपय उठी .’ दे खो बाई साहफ हद होती फदतभीजी की कफ से हभ चऩ ू फैठे है , औय आऩ हो की ...’ ‘’ अये चऩ ू यह भनीषा , भाप कीजजएगा बाई साहफ आऩ जाइए भै इन्हे सभझा दॊ ग ू ा ‘’ याजेश ने सभझाते हुमे कहा , ‘ अफे मसटी ही तो भायी है भैंने कोण सा छे ड़ यहा हु , इतना ही खरता है तो प्रेन से जाओ ट्रे न से नहीॊ , क्मो फे ऩप्ऩू सही कहा ना हहहे ‘ फब्फन ने फेशभी दीखाते हुमे कहा , ‘ अफे है कौन श्रीदे वी हभ बी दे खे जया ‘’ कहते हुमे एक उठ खड़ा हुआ हाथ भे शयाफ का ग्रास मरए हुमे , ‘ ओ तेयी, रॊगयू के हाथ भे हूय , भार तो फड़ा ऩटाखा है , अफे गड् ु डू , सनतशे ,कुन्दन ,शकीर इधय आओ फे हयाभखोयों! शयाफ छोड़ो महा तो उस से फड़ा नशा है ‘ ऩप्ऩू के फूराते ही चायो फदभाश टाईऩ टदखने वारे मुवक वही आ धभके , ‘ वाह बाई भजा आ गमा , कसभ से , आजा मही साभनेवारी सीट ऩय फैठते है सपय अच्छा कटे गा ‘ कुन्दन ने जीब रऩरऩाते हुमे कहा . कहने की दे य थी की सबी साभनेवारी सीट ऩय ऩसय गए , याजेश से यहा नहीॊ गमा कसभसाते हुमे भनीषा से कहा ‘ चरो हभ क्रकसी औय कबऩाटग भेंट भे चरते है ‘


‘ चरो ‘ भनीषा तैमाय हुमी के ‘शकीर’ ने हाथ ऩकड़ मरमा , ‘ कहा चरी जानेभन रूक महा , तू जा फे धचकने जहा जाना है इसे यहने दे ‘ याजेश की आॊखो भे खन ू उतय आमा ‘ हाथ छोड़ हयाभखोय ‘ खनाक क क क क .... एक ज़ोय की आवाज के साथ एक फदभाश ने फोतर याजेश के मसय ऩे पोड़ दी , ‘आहह ‘ चीख के साथ याजेश के होश गूभ होते चरे गए औय वो पशग ऩे औॊधे भुह धगय ऩड़ा , ‘’ याजेश ‘’ भनीषा ज़ोय से चीखी उसका करेजा भुह को आ गमा , ‘अफे यो भत भया नहीॊ है फेहोश हुआ है , चर तू इधय आजा ,’ कॊु दन की आवाज नशे के कायण रड़खड़ा यही थी . ‘ भै तब ु हाये हाथ जोड़ती हु हभे जाने दीजजमे , ईनका खन ू फह यहा है , जाने दीजजमे ‘ रेक्रकन उन जानवयो ऩय नशा सवाय हो गमा था , वे कहा सुनते , ‘ ऩकड़ ये ऩप्ऩू इसे ‘ शकीर की आवाज फभ की तयह भनीषा के कानो भे गूॊजी , भनीषा वहा से उठ के बागी भदद की उबभीद भे, रेक्रकन फोगी खारी थी , कहा तक बागती ? दयवाजे ऩय आके टठठक जाना ऩड़ा , गड् ु डू ने ऩीछे भनीषा को दयवाजे के फाहय धकेर टदमा , इस से ऩहरे की भनीषा फाहय ऩटरयमो ऩय धगय के खीर खीर हो जाती , गुड्डू ने उसका हाथ ऩकड़ मरमा , उसी तयह उसे दयवाजे ऩे रटकाए हुमे गड् ु डू ने कहा ‘ जानेभन फाहय कूदने जा यही थी ? रे अफ भहसस ू कय, अफ कूदे गी ? भान जा प्माय से कह यहा हु वनाग अबी हाथ छोड़ दॊ ग ू ा‘ भनीषा की आवाज कॊू द हो चक ू ी थी , बम से चेहया ऩीरा ऩड चक ु ा था , मसय जभीन की तयप होने की वजह से वो जभीन की सयसयाहट को औय हवा के तीव्र झौंको को भहसूस कय सकती थी , हाथ छूटने का भतरफ ददग नाक भौत , ‘अफे गूडु , ऩगरा गमा है क्मा ? उसे अॊदय खीॊच, धगय जाएगी , बीड़ जाएगी क्रकसी खॊफे से क्रपय वो हभाये क्रकस काभ की यह जाएगी ?’ कुन्दन ने कहा , ‘ ठीक है माय अबी खीॊचता हु हाहाहाहा ‘’ बड़ाकक


एक जोयदाय आवाज के साथ ही भनीषा एक झटके से गड् ु डू की फाहो भे आ धगरय ! ‘’ अफे गुड्डू व व व वो ‘’ कुन्दन की आवाज को भानो रकवा भाय गमा ! गुड्डू ने भनीषा का चेहया दे खा ! एक चीख उसके कॊठ से ननकर गई, औय उसने झट से भनीषा को छोड़ टदमा , भनीषा पशग ऩय धगरय ,,,वो भय चक ू ी थी . ये रवे राईन के खॊफे ने उसके चेहये से टकया कय आधा चेहया धचथड़े भे तब्दीर कय टदमा था , जफड़ा टूट कय कही गामफ हो चक ू ा था , वीबत्स दृश्म! खन ू का पव्वाया छूट गमा उसके चेहये से , आॊखे कटोरयमो से फाहय आ चक ु ी थी , सबी के होश पाख्ता हो गए , इतनी ठॊ ड भे बी ऩसीने की फूॊदों ने भाथे ऩय अऩनी भौजूदगी दजग कयवा ही दी . ‘ अफे मे क्मा हो गमा , चर बाग महा से ‘ कुन्दन ने चीखते हूए कहा , गुड्डू : रेकीन इसका ऩनत हभाये फाये भे जानता है , वो सफ फता दे गा ऩूमरस को , शकीर ; ऐसा कूछ नहीॊ होगा इसे बी टठकाने रगा दो , उसकी आॊखो भे खन ू उतय आमा था! ऩप्ऩू ने फोतर उठाई , आव दे खा ना ताव ... खनाक क एक तेज आवाज के साथ फोतर याजीव के मसय ऩय शहीद हो चक ू ी थी , फब्फन जो के अबी तक होश भे था उसने कहा ; भै महा से साये फोतर के टूकड़े ,काॉच धगरास , हभाये उॉ गमरमो के ननशान मभटा दे ता हु , कहने के साथ ही फब्फन ने पुती टदखाते हुमे साया काभ सपाई से ननऩटा टदमा , औय इसी के साथ चेन खीॊच के सबी पयाय हो गमे अऩनी दरयॊदगी औय फेयहभी ननशानी छोड़ कय ..इॊसान के अॊदय का शैतान हावी हो चक ू ा था उन सफकी आत्भा ऩय ! अगरे दीन हरयदासऩूय स्टे शन ऩय हड़कॊऩ भचा हूवा था , फोगी भे मुवती की वीबत्स राश औय मूवक गॊबीय रूऩ से जख्भी फेहोश अवस्था भे मभरे थे , भाभरे की जाॊच इॊस्ऩेक्टय सुजीत के जजबभे थी ,


सज ु ीत झॊझ ु रामा हूवा था ‘ डेभ ईट , कोई बी सफ ू त ू नहीॊ की मे है वाननमत क्रकसने टदखाई , दरयॊदे खर े ाय है ‘ ू े घूभ यहे होंगे , अफ तो रड़के के होश भे आने का इॊतज क्रपय सज ु ीत हवरदाय की तयप भख ु ातीफ हूवा ‘ ऩॊचनाभा हो चक ू ा है राश ऩोस्टभॉटग भ को बेज दो , औय रड़के को ओब्जेवेशन भे यखो उसकी हय हारत का स्टे टस दे ते यहना ‘ रेक्रकन अपसोस डॉक्टय वभाग की आवाज ने जैसे सुजीत की उबभीदों ऩय ऩानी पेय टदमा! वभाग : रड़के की हारत गॊबीय है ,कोभा भे जा चक ु ा है , होश कफ आमेगा कह नहीॊ सकते सुजीत झॉ झ ु रा उठा ‘ क्मा हत्माये फच जाएॉगे ? क्मा इॊसाप मभर ऩाएगा उस रड्की को ? जवाफ जकद ही मभरनेवारा था , क्मोक्रक इस दनु नमा का कानन ू सफ ू त ू ों का भोहताज है , रेक्रकन उस दनु नमा से कुछ बी नहीॊ नछऩा है , एक भहीने फाद , जनवयी की सदग यात , स्टे शन सुनसान था , सन्नाटे को चीयती हुमी व्हीसर की आवाज के साथ ट्रे न स्टे शन ऩय रूकी , ‘गुड्डू चर फे जकदी , सारे भना क्रकमा था ईतना भत ऩी के चरने का होश ना यहे ‘ ऩप्ऩू की आवाज़ भे डाॊटने का ऩुट था , शकीर : जाने दे माय आज नहीॊ वऩएगा तो कफ वऩमेगा ? इतना फड़ा दाॊव जो जीता है ऩट्ठे ने ,हीहीही , कुन्दन : ओ बाई जकदी ट्रे न भे चढ़ सीट ऩकड़ , घय बी ऩहुॉचना है सबी छह के छह है वान फोगी भे प्रवेश कय चक ु े थे , झक ू झक ू झक ू ! की आवाज के साथ ट्रे न ने स्टे शन छोड़ टदमा , ट्रे न कोहये को चीयती हुमी आगे फढ़ते जा यही थी , स्माह अॊधेयी यात भे चॊद्रभा की णझरमभर योशनी भे फोगी का एक टहस्सा चभक उठा जहा मरखा था ‘ दे वग्राभ एक्सप्रेस , फोगी नॊफय 1407, ‘इॊतज े ाय खत्भ हूवा ‘


रूह भे सनसनी दौड़ जानेवारी आवाज गॊज ू ी , जो के व्हीसर की आवाज भे दभ तोड़ गई . फोगी के अॊदय . ‘ अफे कुन्दन तझ ु े तो उकटी आ यही है फे इधय भत करयमों जा दयवाजे ऩे जा बाग ‘ कुन्दन भह ु दफाते हुमे रड़खड़ाते हुमे दयवाजे ऩय बागा . ‘ वेक्क्क ‘ साया खामा वऩमा एक कय टदमा कुन्दन ने , ‘ आह क्मा ठॊ डी ठॊ डी हवा चर यही है ‘ कुन्दन ने चेहये ऩय हवा के सदग झौंको को भहसूस क्रकमा , ‘ कुन्दन ‘ कुन्दन चौंक उठा ,उसे ऐसा रगा जैसे क्रकसी ने उसे ऩूकाया हो ट्रे न के फाहय से , उसने मसय फाहय ननकारा , औय अॊधेये भे एक वीबत्स चेहया ठीक उसके चेहये के साभने टदखाई टदमा , आधा चेहया काटा हूवा था , जफड़ा गामफ , आॊखो से खन ू की धारयमा पूट यही थी , कुन्दन की फोरती फॊद हो गई , जड़ हो गमा , डय की अधधकता हावी हो गई , आॊखे खौप से फाहय उफर ऩड़ने को फेताफ , ‘ आओ कुन्दन भेये ऩास आओ ‘’ औय एक झटके के साथ कुन्दन को उस चेहये ने खीॊच मरमा ऩटरयमो ऩय , ‘’आहहह फचाओ....‘’ भभांतक धचॊखे गूॊज उठी रेक्रकन आवाज फगर से गुजयने वारी ट्रे न की आवाज भे दफ गई , कुन्दन ट्रे न से अटके हुमे खीॊचता चरा गमा ऩटहमो के साथ ,जफ तक की उसके शयीय का एक एक टूकड़ा ना बफखय गमा ... फोगी के अॊदय ... शकीर : अफे मे कुन्दन कहा चरा गमा आमा नहीॊ अबी तक ,अफे दे ख गुड्डू एक फाय कही फाथरूभ भे धगय ना गमा हो हाहाहा ‘ गुड्डू के कदभ आगे फढ़े , दयवाजे की तयप फढ़ा , ‘ अफे कहा भय गमा फे कुन्दन ? दे ख भै फाथरूभ का दयवाजा खोर यहा हु ‘ दयवाजा खर ू ा रेक्रकन कुन्दन हो तफ ना मभरे ?


‘ कहा भय गमा मे फेवड़ा ‘ अचानक उसकी नजय दयवाजे ऩय ऩड़ी ,पूटफोडग ऩय एक कऩड़ा नजय आ यहा था , ‘ अफे मे तो कुन्दन की शटग है ‘ हाथ आगे फढ़ा के कऩड़े को खीॊचा तो एक झटके के साथ कऩड़े भे फॊधा हूवा हाथ बी फोगी भे आ धगया ....’’ कटा हूवा हाथ ‘’ ‘अफे शकीर , ऩप्ऩू महा आओ ‘’ कट ते हुमे फकये के जैसे ही चीखा था गुड्डू , ‘ क्रकसे फूरा यहा है गुड्डू ?’ सदग आवाज गूॊजी , गुड्डू झटके से ऩीछे भूडा ‘’ कौन है ? रेक्रकन वहा कोई नहीॊ था , तफ तक फाकी के साथी बी आ गमे, ‘ मे क क क्मा है ?’ कटा हूवा हाथ दे ख कय उनकी धगग्घी फाॊध गई थी ,


‘ मे तो कुन्दन का हाथ है ,भ भ भतरफ वो भय गमा ट्रे न से धगयकय ‘ शकीर चीखा , सन्न ..... वातवयन अचानक स्तब्ध हो गमा , ‘ हयाभखोय को भना क्रकमा था भत ऩी इतनी , दे खा आज शयाफ रे डूफी उसे ‘ शकीर टहबभत जुटाते हुमे फोरा , ‘ हाथ ट्रे न से नीचे पेंक दे , अगरे स्टे शन ऩय हभ सफ उतय जाएॉगे ‘ ऩप्ऩू ने कहा . ‘ ट्रे न से तब ु हायी मसपग राशे जाएॊगी ‘ सदग आवाज गूॊजी ... ऩाॊचों की हड्डडमों तक भे मसहयन दौड़ गई , आवाज सन ु कय , ‘ मे मे जो बी कोई है इसी ने कुन्दन को धक्का टदमा है , भैंने इसकी आवाज सुनी थी कुछ दे य ऩहरे ‘ गुड्डू घफयाते हुमे फोरा . शकीर के हाथ भे उसका दे सी कट्टा आ चक ू ा था ‘ हो ना हो सारी फाथरूभ भे छूऩी है , जजॊदा नहीॊ जाएगी’’ झटके के साथ फाथरूभ खोरा , रेक्रकन अॊदय कोई नहीॊ, शकीर : महा कोई नहीॊ है , तभ ु ऩाॊचों फोगी छान भायो ,होगी मही कही, हभसे ऩॊगा रेने का अॊजाभ उसे ऩता चरना ही चाटहए ‘ ‘’ जैसे उस रड्की को ऩता चरा था एक भहीने ऩहरे जजसे तभ ु ने इसी फोगी भे भाया था है ना ? ‘’ वही आवाज क्रपय शकीर के कानो भे गॊज ू ी, औय झटके के साथ कभोड भे से एक चेहया फाहय आमा शतववऺत ,खन ू से सयाफोय , शकीर अवाक यह गमा ,फदन को जैसे रकवा भाय गमा मह दे ख कय , कुछ कय ऩाता इस से ऩहरे उस सामे ने उसके ऩैयो को खीॊच मरमा , , ‘ फचाओ फचाओ ऩप्ऩू फचा भझ ु े ‘ शकीर हरार होते फकये की तयह चीखता यहा ,रेक्रकन सामे ने एक झटके भे उसे कभोड भे खीॊच मरमा , आहह,,,,,,,,,,,शकीर की आखयी चीख औय बमानक दृश्म , शकीर का गदग न तक का टहस्सा कभोड भे जा चक ु ा था , जो के नीचे ऩटरयमो से टकया के बफखय चक ु ा था ,कभोड के भह ु ाने ऩय मसपग उसका मसय था ,जो के कभोड के ऩाय नहीॊ जा ऩामा था ,धड़ से


मसय टूट के अरग हो गमा था , सबी बागते हुमे वहा ऩहुॊचे औय नजाया दे ख के काॊऩ उठे , आॊखो भे भौत का खौप नजय आने रगा. ‘’ जो कोई बी है भै उसके टूकड़े कय दॊ ग ू ा ‘ ऩप्ऩू आवेश भे धचॊख उठा , ‘ऩप्ऩू मे काभ कोई साधायण रड्की नहीॊ कय सकती , ‘ गुड्डू ने अऩनी आवाज औय होशोहवास ऩय काफू कयते हुमे कहा , ‘क्मा भतरफ है तेया ? मे कोई बूत है क्मा ? ‘ ‘ ऩप्ऩू मे वही ट्रे न है ना जजसभे हभने उस रड्की को भाया था ?’ ‘ तू कहना क्मा चाहता है गुड्डू क मे काभ उस रड्की का है ? बूत का ? सतीश ने फीच भे ऩड़ते हुमे कहा : अफे मे क्मा फॅक यहा है ,बूत वूत कुछ नहीॊ होता , कुन्दन नशे भे धगय ऩड़ा , औय शकीर कभोड ऩय था कभोड शामद जजगय हो चक ु ा था सो उसका वजन सॊबार नहीॊ ऩामा इसमरए ........ आहह सतीश की फात ऩूयी होने के ऩहरे ही , उसका मसय धड़ से अरग हो चक ू ा था , खन ू का पव्वाया तीनों को मबगोता चरा गमा . साभने हौरनाक दृश्म था , सतीश का धड़ खन ू से सना हूवा तड़ऩ यहा था , औय उसका मसय उस रड्की के हाथ भे था , जजसका चेहया नहीॊ था ,टूटे हुमे जफड़े टहर यहे थे आॊखो भे खन ू था ,उसकी एक नजय ने ही तीनों के होश उड़ा टदमे थे , उसके हाथ खन ू से सने थे , जजस से अबी अबी उसने सतीश की गदग न गाजय की तयह काटी थी , ‘’ सफ भयोगे तभ े ाय कय यही थी भै कफ से हा हा हा हा ‘’ इस आवाज के ु सफ , कफ से तब ु हाया इॊतज साथ ही वो बमानक सामा अॊधेये भे गामफ हो गमा , ‘ अफे तभॊचा चरा ‘ धाॉम, धाॉम, धाॉम, धाॉम , रेक्रकन फेकाय , ‘भै उस शैतान के हाथो नहीॊ भयना चाहता बफरकुर बी नहीॊ ‘ कहते हुमे याजन ने चरती ट्रे न से छराॊग रगा दी , रेक्रकन वो फाहय नहीॊ जा ऩामा ,उसके ऩहरे ही वो उन बमानक ऩॊजो भे था जो


ट्रे न के ऊऩय खड़ी थी , ‘ इतनी आसान भौत नहीॊ ‘ टूटे हुमे जफड़े से मह शब्द फड़े बमानक रग यहे थे , अफ याजन का चेहया उसके बफरकुर नजदीक था , ‘ भेयी तयप दे खो , क्मा मे चेहया खफ ू सयू त नहीॊ है ? अफ क्मो बाग यहे हो ? आ जाओ भेये ऩास ,कहते हुमे उस टूटे हुमे जफड़े ने अऩने दाॉत याजन की गदग न भे जभा टदमे , ‘ ऩप्ऩू , गुड्डू ,भुझे फचा रो , भुझे गोरी भाय दो ,’ ऩप्ऩू औय गुड्डू दयवाजे की तयप रऩके रेक्रकन उफ़्फ़ ...छत से खन ू की नदी फह यही थी कुछ दे य तक चीखे गॊज ू ी औय क्रपय सफ शाॊत हो गमा , याजन की मसय कटी राश फोगी भे आ धगरय , दोनों ऩीछे हट गए धाॉम धाॉम ऩप्ऩू ऩागरो की तयह गोमरमा छत ऩय चराने रगा , जक्रक जक्रक ... गोमरमा खत्भ हुमी , ‘गुड्डू अऩनी फॊदक ू रा ‘ ऩप्ऩू ऩीछे भूडा ही था के चेहया साभने आ गमा जफड़ा टूटा हूवा , ‘ गमा काभ से ‘ फस ऩप्ऩू के भुह से इतना ही ननकरा , औय अगरे ही ऩर उसकी गयदन कड़ाक की आवाज के साथ घभ ू गई , औय वो नीचे धगय गमा , सामे के खन ू से सने हाथ ऩप्ऩू की तयप फढ़े , ‘ भ भ भ भुझे भाप कय दो , भुझे जाने दो ‘ रेकीन उस सामे ने उसके ऩैयो को ऩकड़ा , क्रपय एक हाथ से से गदग न को ,अफ दृश्म था , उस सामे के एक हाथ भे ऩप्ऩू की गदग न थी तो एक हाथ भे ऩैय ,औय उसकी बमानक आॊखे अफ गुड्डू की ओय दे ख यही थी , गुड्डू बम की अधधकता से जड़वत हो गमा था के ....... कड़ाक्क ..... आहह की आवाज के साथ सामे ने ऩप्ऩू को फयु ी तयह तोड़ टदमा , औय गुड्डू फेहोश हो चक ु ा था आॊखो के आगे अॊधेया छा गमा था . धीये धीये गुड्डू ने आॊखे खोरी , उसने अऩने हाथ ऩाॉव भे णखॊचाव भहसूस क्रकमा , जफ ठीक से दे खा तो भहसू हूवा की उसका हाथ औय ऩाॉव ववऩयीत टदशा भे दो खफ्ॊ ो भे फॊधे हुमे है है , औय फदन झूर


यहा था फीच हवा भे , आसऩास दे खते ही वो काॊऩ गमा , वो ऩटयी के फीचोफीच फॊधा था दो खफ्ॊ ो के साथ , साभने वही सामा , ‘ दे खो भझ ु े छोड़ दो जाने , दो ,भाप कय दो भै दफ ू ाया ऐसा नहीॊ करूॊगा ‘ गड् ु डू धगड़धगड़ाते हुमे फोरा , ‘ तब ु हें छोड़ द ु ? ताक्रक तभ ु औय क्रकसी भनीषा को अऩनी हवस का मशकाय फनाओ ,? तब ु हायी जगह महा नहीॊ है , उस जगह है जजसे सफ नकग कहते है ,तो जाओ ‘ इतना कह के सामा गमफ हो गमा , औय गामफ होते ही साभने से ट्रे न टदखी , गुड्डू की आॊखे पटी , वो कस भसामा चीखा गरा पाड़ के... ‘’ ट्रे न योको , कोई भुझे फचाओ , बगवान के मरए भुझे फचाओ ,ट्रे न योको ‘’ रेक्रकन ट्रे न नहीॊ रूकी , औय …. बाड़ाक्ककेके की आवाज के साथ गुड्डू के धचथड़े हवा भे बफखय गए , …… दो टदन फाद, स्थान हॉजस्ऩटर , डॉक्टय : अये सुजीत जी आऩको होश आ गमा ? आऩ कैसे है , आऩको क्मा हो गमा था ,आऩ तपतीश कयते वक्त फोगी भे फेहोश ऩामे गए थे , सज ु ीत : कुछ नहीॊ डॉक्टय कभजोयी थी थोड़ी , ऩमू रस की नौकयी है खाने ऩीने का टठकाना नहीॊ होता ,फस उसी का असय था औय कुछ नहीॊ , डॉक्टय : अऩना ख्मार यखा कये । सुजीत भन ही भन सोच यहा था ‘ जो भैंने दे खा था उस ऩय मकीन कयना भुजश्कर है रेक्रकन वो सच था , भनीषा भडगय केस क्रोस ... हवरदाय : साफ जी वो ट्रे न वारे रड़के को होश आ गमा है चमरमे , ‘’हा हा चरो ‘ ट्रे न की फोगी, दे वग्राभ एक्सप्रेस … 1407


दो व्मजक्त बीतय दाणखर हुमे ,’अफे वाटहद वो दे ख छप्ऩन छुयी ,क्मा आइटभ है माय ‘ ‘ आजा यॊ जन आॊखे सेंकते है , अये जानेभन हभे बी तो एक नजय दे ख रो ‘रड़की सहभ गई थी उन्हे दे ख कय , ‘ भझ ु े बी एक फाय दे ख रो ‘’ सदग आवाज गॊज ू ी, कौन है फे ? यॊ जन ऩरटा ,औय ऩरटते ही ,बफना जफड़ो का चेहया साभने ..... आहह ....... औय एक चीख क्रपज़ाओ भे तैय गई ..... सभाप्त


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