Russia and India Business Report

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WEDNESDAY OCTOBER 28, 2015

Business Report RUSSIA&INDIA NAVBHARAT TIMES IN ASSOCIATION WITH ROSSIYSKAYA GAZETA, RUSSIA

राजनीित : सुषमा वराज की ूस या ा मोदी और पुितन की िदसंबर में होने वाली िशखर वाता् की िदशा तय करेगी

घूमता आईना

भारत-ूस आिथ्क संबध ं मजबूत होंगे

मनोहर पिरकर अगले महीने ूस की या ा करगे

भारत और ूस पार पिरक यापार और िनवेश को बढ़ाने के िलए ूपया-ूबल णाली अपनाने पर सहमत। दो देश कृिष, औषधिनमा्ण, बुिनयादी ढांचा जैसे कुछ नए ्े ों में सहयोग करेंग।े ददन उपाध्याय आरआईबीआर

िपछले हफ्ते भारत की िवदेश मं ी सुषमा वराज ने मा को की तीन िदवसीय या ा की। िवदेश मं ी के ूप में यह ूस की उनकी पहली या ा थी और इसका उ‍े य ूस के िवदेशमं ी िसगे्य लवरोफ और ूस के उप धानमं ी दिम ी रगोिजन के साथ भारत-ूस अंतस्रकारी सहयोग संबधं ी आयोग की 21वीं वािष्क बैठक में भाग लेना था। बैठक में दोनों प्ों के उ सरकारी अिधकािरयों ने भाग िलया। वराज और रगोिजन ने आयोग की बैठक के अंत में िद्वप्ीय वाता् के पिरणामों के बारे में एक ोटोकॉल पर ह ता्र िकए। दोनों प्ों ने ूस के रा£पित लदीिमर पुितन और भारत के धानमं ी नर मोदी के संय‍ ु ‘ ु बादो ती’ ल य पर अमल करने हेतु एक रणनीित तैयार करने का फैसला िकया है। अगले दशक में इस रणनीित के तहत िद्वप्ीय यापािरक व आिथ्क सहयोग के इस ल य को अमली जामा पहनाया जाएगा। इसका उ‍े य दोनों देशों के बीच ‘िविश‍ रणनीितक भागीदारी’ को अिधकािधक मजबूत बनाना है। इस ोटोकॉल के महत्व का उ‍ेख करते ुए िवदेश मं ालय के व‍ा िवकास वूप ने कहा िक यह द तावेज ‘ ु बा-दो ती’ ल य के काया्न्वयन की िदशा में एक महत्वपूण् कदम है। उ‍ेखनीय है िक पुितन और मोदी ने िपछले िदसंबर में नई िद‍ी में वािष्क भारत-ूस िशखर-वाता् के अंत में ‘ ु बा-दो ती’ संय‍ ु व‍ य पर ह ता्र िकए थे।

इस वाता् के दौरान दोनों ितिनिधमंडलों ने यापार, िनवेश और आिथ्क संबधं ों के िविभ्‍ ्े ों में उत्प्‍ सम या पर िवचार-िविनमय िकया। आयोग की बैठक से पहले कई संय‍ ु काय्कारी समूहों ने सहयोग के िविभ्‍ मु‍ों पर अपनी िरपोटे्ं तैयार कर ली थीं, िजससे सम या पर िनण्य लेना आसान हो गया। बातचीत के दौरान, दोनों देशों ने परमाणु ऊजा् सिहत ऊजा् के ्े ों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान िदया। भारत

और ूस के बीच यापार, िनवेश और आिथ्क सहयोग के िवकास को ाथिमकता दी गई। मरणीय है िक भारत और ूस ने 2025 तक िद्वप्ीय यापार को 30 अरब डॉलर तक बढ़ाने का ल य रखा है, जबिक 2014 में दोनों देशों के बीच यापार 10 अरब डॉलर था। दोनों प्ों ने इन ल यों को ा‍ करने के िलए कृिष, औषध-िनमा्ण, बुिनयादी ढांचा जैसे कुछ ्े ों की पहचान की है। इन ्े ों में पार पिरक सहयोग संबधं ों को गित दी जाएगी।

भारत और ूस पार पिरक यापार और िनवेश को बढ़ाने के िलए ूपयाूबल णाली अपनाने पर पहले ही सहमत हो चुके ह। इस िवषय पर दोनों देशों ने एक संय‍ ु काय्कारी समूह का गठन भी िकया है। बैठक में एक समयसीमा के अंदर ूपया-ूबल णाली पर समझौता करने की संभावना पर मुखता से िवचार-िवमश् िकया गया। बैठक में रगोिजन ने कहा िक ूस परमाणु ऊजा्, ताप िबजलीघरों, धातु और मशीन-िनमा्ण उद्योगों के िवकास,

वराज के आगमन से लवरोफ को दोनों देशों के बीच के संबध ं और मजबूत होने की उम्मीद

खिनज-पदाथो्ं की खोज, गैस व िवद्युतलाइनें िबछाने, रेलमाग्, बुिनयादी ढांचे थािपत करने, िवमान तथा हेलीकाप्टर िनमा्ण, अंतिर् अनुसधं ान, संचार के आधुिनक साधनों को िवकिसत करने व ‘चु त शहरों’ का िनमा्ण करने में भारत की सहायता करेगा। सुषमा वराज ने कहा िक ूस ने भारतीय अथ् यव था के िवकास में हमेशा सहयोग िकया है। उन्होंने जोर देकर कहा - ूस त्येक भारतीय के िदल में एक खास थान रखता है।

ूस के साथ हमारी अनोखी रणनीितक भागीदारी समय की कसौटी पर खरी उतरी है। मुझे िव‍ास है िक जैस-े जैसे हमारा सहयोग बढ़ेगा भारत और ूस के बीच यह िवशेष बंधन मजबूत होता जाएगा। उन्होंने कहा िक भारत यूरिे शयाई आिथ्क समुदाय के साथ अपने सहयोग के िव तार तथा ूस-नीत सीमाशु क संघ के देशों के साथ मु‍ यापार समझौते को काफी महत्व देता है, क्योंिक इससे ूस के साथ भारत के यापार और िनवेश को बढ़ाने में मदद िमलेगी। वराज ने आशा य‍ की िक इस पर एक समझौता शीघ्र ही होगा। वराज की या ा का एक मुख्य उ‍े य मोदी-पुितन िशखर-वाता् के एजेंडे को भी अंितम ूप देना था। इस संबधं में उन्होंने ूस के िवदेश मं ी सेगईे् लवरोफ से भी मुलाकात की। सुषमा वराज का वागत करते ुए लवरोफ ने आशा य‍ की िक उनकी इस या ा से दोनों देशों के बीच बुआयामी मै ीपूण् संबधं और मजबूत होंग।े लवरोफ ने कहा - मा को में आपसे िमलकर हम बुत खुश ह। ूस और भारत के बीच िवशेषािधकार- ा‍ रणनीितक भागीदारी हमारे रा£ों की अनोखी उपलिब्ध है। सुषमा वराज ने कहा िक ूस भारत का एक जांचा-परखा दो त है। यिद हम िद्वप्ीय संबधं ों की बात कर तो ूस हमारा एक स ा िम है। दो देशों में दो ती का यह भाव न केवल सरकारी तर पर, बि क आम लोगों के तर पर भी िदखाई देता है। यापार, िनवेश और आिथ्क संबधं ों के तर को और ऊंचा उठाने के यासों को तेज करने के िलए दिम ी रगोिजन ने सुषमा वराज को अगले वष् ूस के येकातेिरनबुग् में होनेवाली अंतरा्£ीय औद्योिगक दश्नी ‘इ्‍ो ोम 2016’ में भाग लेने के िलए िनमंि त िकया, िजसे उन्होंने साभार वीकार कर िलया।

िसगे्य

कमेरसान्त

ोकन, येलन े ा चेरनेन्का

ूस द्वारा सीिरया में आतंकवादी िगरोह आईएस यानी ’इ लामी राज्य’ (इरा) के िखलाफ शुू की गई सैन्य-कार्वाई के पहले तीन स‍ाह में ही सीिरया में ि थित काफी बदल गई है। जैसािक सीिरयाई सेना के व‍ा जनरल अली मयूब ने बताया - सीिरया की सरकारी सेना ने बुत से नगरों और बि तयों पर िफर से अपना िनयं ण थािपत कर िलया है और ’इ लामी राज्य’ के घुटने तोड़ िदए ह। मा को ि थत सीिरयाई राजदूत िरयाद ह‍ाद ने बताया िक 30 िसतंबर को ूस द्वारा शुू की गई सैन्य कार्वाई से ’इ लामी राज्य’ का 40 ितशत ढांचा चरमरा गया है। उसी समय वािशंगटन से यह

खबर िमली है िक वािशंगटन सीिरयाई िव ोिहयों को अपना समथ्न बंद कर रहा है। अमरीका के रा£पित बराक ओबामा को यह मानना पड़ा - मैं शुू से ही सीिरया में इस समानांतर-सेना के गठन करने के िवचार को लेकर उलझन में था। 9 अ‍ूबर को अमरीकी र्ा मं ी एशटन काट्र ने अमरीकी सरकार के इस िनण्य की जानकारी दी िक वह 50 करोड़ डॉलर खच् करके सीिरया में िव ोिहयों की सेना खड़ी करने के िवचार को ितलांजिल दे रही है। हालांिक िपछले समय में सीिरया में सबका ध्यान आतंकवादी िगरोह ’इ लामी राज्य’ के िठकानों पर ूस द्वारा िकए जा रहे हमलों पर ही केंि त है, लेिकन सीिरयाई आजाद सेना की कमर पूरी तरह से टट जाने और उसके द्वारा दिम क के िखलाफ कार्वाइयां बंद कर देने का तथ्य इस बात का सबूत है िक िपछले चार सालों में पहली बार सीिरया की पिरि थित में बड़ा बदलाव सामने आया है। इस इलाके में सामने आई नई

पिरि थित को ध्यान में रखते ुए 12 अ‍ूबर को ूस के िवदेशमं ी िसगे्य लवरोफ ने अमरीका और उसके सहयोगी देशों के सामने ’काम को बांटने’ का सुझाव रखा। मा को का कहना है िक अमरीकी गठबंधन इराक में ’इ लामी राज्य’ के िवुद्ध लड़े क्योंिक इराक की सरकार ने वािशंगटन से सहायता का अनुरोध िकया है, जबिक उसी समय ूसी सेना सीिरया में ’इ लामी राज्य’ के िठकानों पर हमले करेगी। ूस के िवदेशमं ी ने यह भी बताया िक मा को सीिरयाई िव ोिहयों को सीिरया में राजनीितक िक्रया में शािमल करने के िलए पार पिरक सहयोग करने को तैयार है। रा£पित लदीिमर पुितन ने कहा - सीिरया संबधं ी ूसी नीितयों का उ‍े य सीिरया की वैध सरकार को ि थरता दान करना और वहां राजनीितक समझौते के रा ते ढढ़ना है। सीिरयाई सम या पर मा को के नजिरए का अब तक िवरोध कर रहे अंतररा£ीय िवरोिधयों ने भी अचानक सीिरया में राजनीितक समझौते के िलए

रा ता ढढ़ने की बातें शुू कर दीं। 13 अक्टबर को नाटो के महासिचव येन्स टॉलटेनबग् ने कहा - इस संकट में भाग ले रहे और िविभ्‍ गुटों का समथ्न कर रहे सभी देशों को, िजनमें ूस और ईरान भी शािमल ह, यापक तर पर बातचीत करनी चािहए। तुकी् के धानमं ी अहमेत दवुतोगलु ने ’सीिरया की पिरि थित के िनयमन के सवाल पर ूस और ईरान के साथ बातचीत करने’ की तैयारी कट की। और सऊदी अरब के िवदेशमं ी मुहम्मद बेन सलमान अस-सऊद ने कहा िक ’वत्मान सीिरयाई सरकार और सीिरयाई िवप् के ितिनिधयों को धीरेधीरे संक्रमणकालीन दौर की ओर बढ़ना चािहए’। ूस के पि‍मी एिशया अध्ययन सं थान के अध्य् िय गेनी सतानोव की ने कहा - अगर आज सीिरया में आतंकवादी नहीं होते तो जनता अपने ितिनिधयों के माध्यम से बातचीत कर सकती थी। यहां मुख्य सवाल यह है िक क्या सीिरयाइयों को आजादी के साथ बातचीत करने की संभावना िमलेगी।

बजाज ूस को करेगा मोटरसाइिकलों का िनया्त

भारत में दोपिहया वाहनों की सबसे बड़ी िनमा्ता कंपनी बजाज ऑटो ने अपना िनया्त बढ़ाने के िलए ूसी बाजार में वेश िकया है। कंपनी ूस को प सर बाइकों का िनया्त कर रही है। बजाज पहली ऐसी भारतीय कंपनी है, जो ूस को मोटरसाइिकलों का िनया्त करेगी। बजाज ने हाल ही में ूस को प सर बाइक के कुछ कंटने र भेजे ह। बजाज ऑटो के अध्य् एस. रिवकुमार ने कहा - हमने पाया है िक ूसी बाजार में अच्छी संभावनाएं ह और वहां पूरे देश में िवतरण के िलए हमें एक अच्छा थानीय साझेदार िमल गया है। आंकड़ों के मुतािबक बजाज ऑटो ने िव् वष् 2015 में अभी तक 15.2 लाख दोपिहया वाहनों का िनया्त िकया है, जो िपछले साल के मुकाबले 15 फीसदी अिधक है।

सीिरया में अब ूस की िनणा्यक भूिमका आईएस के िखलाफ ूस की जबरद त सैन्य कार्वाई ने बदला माहौल - अब होगी पिश्चमी देशों से अथ्पण ू ् बातचीत। वहां िफर से राजनीितक िक्रया की संभावना।

र्ामं ी मनोहर पिर्कर अगले महीने ूस की या ा करगे और मा को में आयोिजत संय‍ ु सैन्य आयोग की सहअध्य्ता करगे। मनोहर पिर्कर मा को में ूस के र्ा मं ी सेगईे् शोइगू के साथ दोनों देशों के आपसी सैन्य संबधं ों की समी्ा करगे और उन्ह मजबूत बनाने के तरीकों पर चचा् करगे। पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू िवमान के िवकास के सवाल पर चचा् के अलावा बुउ‍ेशीय मालवाहक िवमान, हवाई र्ा िमसाइल णाली एस– 400 और चालक रिहत टोही िवमान (चारिव) को लेकर अहम बातचीत होगी। दो देशों के र्ामं ी कामोव 226 टी ूसी हेलीकॉप्टर के भारत में संय‍ ु िनमा्ण को लेकर भी बातचीत करगे।

भारतीय पनडुब्बी िसंधक ु स े री का आधुिनकीकरण ूस में

िपछले सप्ताह सीिरया के रा£पित बशर असद रा£पित लदीिमर पुितन से िमलने के िलए मा को आए

अभी तक तो उनके पास इस तरह की कोई संभावना नहीं है। लेिकन सीिरया में सिक्रय बुत से इ लामी आतंकवादी िगरोहों पर ूसी वायुसने ा के हमलों ने वहां िफर से राजनीितक िक्रया शुू करने की संभावना पैदा की है। एक अन्य िवशेष् िसगे्य मरिकदोनफ़ िय गेनी सतानोव की की बात से सहमत ह। िसगे्य मरिकदोनफ़ ने कहा - मा को शुू से ही यह कह रहा है िक रा£पित असद की सरकार

को िसफ् इसिलए िगराने की कोई जूरत नहीं है क्योंिक उसे िगराना है, जब तक िक इस सवाल का जवाब नहीं हो िक आगे क्या होगा। आज मा को यह कोिशश कर रहा है िक पि‍मी देश सीिरया की सरकार से सीिरया पर बराबर का सहयोगी मानकर बातचीत कर और उसके तको्ं को गंभीरता से लें। दुिनया की कूटनीित का इितहास िदखाता है िक इस तरह की वाता् में सैन्य तुूप का प्ा एक वजनी तक् माना जाता है।

ूस के पोत मरम्मत कें ‘ यो दच्का’ और भारतीय नौसेना द्वारा एक अनुबधं पर ह ता्र िकए गए ह िजसके अंतग्त भारत की डीज़ल और िबजली से चलनेवाली पनडुब्बी “िसंधक ु स े री” का आधुिनकीकरण ूसी नगर िसिवराद्वीन् क में िकया जाएगा। इस अनुबधं के अंतग्त यह काम 27 महीनों में पूरा कर िलया जाएगा। उम्मीद है िक यह पनडुब्बी सन् 2016 की गिम्यों में िसिवराद्वीन् क पुच जाएगी। भारत अपनी तीन अन्य पनडुिब्बयों िसंधु वु , िसंधरु ाज और िसंधरु ा£ की भी मरम्मत कराना चाहता है। भारत चाहता है िक इन पनडुिब्बयों का आधुिनकीकरण भारत में ही िकया जाए। लेिकन ूस ने कम से कम एक पनडुब्बी की मरम्मत ूस में ही करने का ताव रखा है।

िवचार

भारत के आकष्ण ने ूिसयों को िफर घेरा अजय कमलाकरन

आरआईबीआर

ूस की ख़बर

121 * 107 mm

ूस-भारत संबधं ों पर िवशेष्ों की िटप्पिणयाँ और िव्‍ेषणात्मक रपट

ूस की त वीर, वीिडयो, िफ़ में और दूसरी म टीमीिडया सामग्री और भी बुत कुछ। अब ’ूस भारत संवाद’ वेबसाइट पर पिढ़ए।

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hindi.rbth.com काशन के िलए अंक 27 अक्तूबर 2015 को भारतीय समय के अनुसार 18:00 बजे तैयार।

िपछले हफ्ते वराब्योवी गोरी पर म ‍ा नदी के िकनारे मैं अपना योगासन समा‍ करके उठा ही था िक एक युवा जोड़ा मेरे नजदीक आया। थोड़ा संकोच करते ुए उन्होंने पूछा िक क्या वे मुझसे बात कर सकते ह। नवयुवक की िदलच पी भारत में थी और वह कुछ भारतीय जाितयों के नाम याद करने की कोिशश कर रहा था। उस समय उसे बस, ा‍ण और ्ि य शब्द ही याद आए। मैंने उसे ोत्सािहत करते ुए बाकी नाम भी बताए। तब उसने अगला सवाल पूछा - क्या यह वण् यव था भारत में अब भी चिलत है? िव तार से इस बारे में बात करने की जगह मैंने उसे समझाया िक िकसी भी यि‍ से िमलने पर मैंने आज तक कभी िकसी से उसकी जाित नहीं पूछी है और न ही िकसी भी यि‍ की जाित के बारे

में कभी कोई परवाह की है। वह युवा जोड़ा पास की ही मॉ को यूिनविस्टी में पढ़ता था और भारत के बारे में िव तार से जानने को उत्सुक था। िसतंबर के महीने में ूस की राजधानी में हर जगह मैंने भारत से जुड़े बुत से िचन्ह देख।े टेलीिवजन पर एक िव्ापन में मैंने भारतीय िफ म अिभनेता अजुन् रामपाल को देखा। मैंने यह भी नोट िकया िक मेरे ऐसे दो तों और पिरिचतों की संख्या बढ़ती जा रही है जो िहमालय कंपनी के शैम्पू और टथपे ट जैसे उत्पादों का इ तेमाल करने लगे ह। साफ है िक ूस में भारत के ित आकष्ण बढ़ता जा रहा है। यह कोई बुत पु रानी बात नहीं है, जब मा को के बुिद्धजीिवयों और अिभजात वग् के बीच बातचीत में भारत भी एक मु‍ा ुआ करता था। लेिकन िपछले कुछ सालों में ि थित पूरी तरह से बदल गई है। भारत की कोमल आकष्ण शि‍ ूस भर में बड़ी तेजी से फैलती जा रही है। मुख्य तौर पर योग और आयुवदे्

की लोकि यता इसके िलए िजम्मेदार है। और इसके अलावा गोवा के ित आकष्ण भी ूिसयों को भारत की तरफ खींचता है। जहां सिद्यों में आराम करने के िलए जाया जा सकता है। इससे आगे बुत से लोग हम्पी मारकों के खजाने की खोज करने के िलए दि्णी भारत में भी जाने लगे ह। टर ऑपरेटरों का तो यह

में से एक बन गया, जहां के सवा्िधक पय्टकों ने ूस की या ा की। इन सभी भारतीय पय्टकों ने म ‍ा (मॉ को) और सां‍ िपतेरबुग् (सेंट पीटस्बग्) के पैकज े टर िलए थे। ूस के बड़े शहरों में अक्सर मुबं ई और बंगलुू से आए भारतीय युवक-युवितयां िदखाई देने लगे ह, िजनके हाथों में आईफोन

मंिदरों के ित आकष्ण ूिसयों को भारत लाता है।

ूसी यापारी चाहते ह भारत के साथ यापार करना।

भी कहना है िक ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो समु िकनारे धूप सेंकने और तैराकी करने के साथ-साथ दि्ण भारत के िसद्ध मंिदरों को देखने की योजना लेकर उनके पास आते ह। भारतीय पय्टकों के बीच ूस भी बड़ी तेजी से लोकि य होता जा रहा है। सन् 2014 में भारत उन दस देशों

और कैमरे होते ह। दो देशों के बीच युवा वग् का लगातार बढ़ता ुआ यह आदान- दान एक सकारात्मक संकते है। ूसी अिधकािरयों का कहना है िक वे भारतीय पय्टकों के िलए वीजा णाली को आसान बना देंग।े आम ूसी नागिरकों के बीच भारत की िफर से बढ़ती ुई लोकि यता का

एक कारण उसकी बढ़ती ुई आिथ्क ताकत भी है। ऐसे ूसी यापािरयों की संख्या बढ़ रही है जो भारत के साथ यापार करना चाहते ह। भारत और ूस के बीच राजनीितक और राजनियक संबधं ों में काफी लंबे समय तक मीिडया ने नकारात्मक भूिमका िनभाई। दोनों देशों के राजनियकों के साथ ुई बातचीत से मुझे पता लगा िक मीिडया की क पना के घोड़े बुत तेज दौड़ते ह और वह अपनी लोकि यता को बढ़ाने के िलए सनसनी फैलाने से बाज नहीं आता। बढ़ते ुए सां कृितक और यापािरक संबधं ों के साथ-साथ दो देशों की जनता के बीच िवकिसत हो रहे आपसी िर ते राजनियक और भू-राजनीितक समीकरणों से भारत-ूस संबधं ों को अलग करने में कामयाब रहे ह। महान् ूसी िच कार िनकलाय रेिरख ने अपने िच ों और अपनी पु तकों में कहा है िक ूसी जनता और भारतीय जनता के बीच मजबूत आित्मक और बौिद्धक संपक् ह। अब ऐसा लगता है िक हमारे दो देशों के बीच इसी आधार पर संबधं ों का िवकास होगा। शायद ही ूस-भारत संबधं ों के िवकास के िलए इससे बेहतर समय आए।


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यापार

र्ा : भारत की सुर्ा को और पुख्ता करेगी ूसी वायु सुर्ा णाली एस-400 ‘ि ऊम्फ’

भारत भी एस-400 िमसाइल की सुर्ा-छतरी के नीचे भारत को िमसाइल णाली एस-400 की जूरत है क्योंिक आकाशीय हमलों के संभािवत खतरे पास आ चुके हैं। इसका उपयोग आकाश में उड़ते ल्​्यों को िनशाना बनाने के िलए िकया जाता है। िवकेन्ती वेिक्शन आरआईबीआर

समाचारप टाइम्स ऑफ इिडया के अनुसार भारत का र्ा मं ालय ूस से एस-400 नामक 10 वायु सुर्ा णािलयां खरीदने की योजना बना रहा है। एक वतं िवशेष् अलेग िझ तानो का का मानना है िक भारत को इस समय एक आधुिनकतम भावशाली वायु सुर्ा णाली की बेहद जूरत है और एस-400 णाली भारत की सुर्ा यव था को पूरी तरह से बदल देगी। िमसाइल णाली - एस-400 का उपयोग आकाश में उड़ते ल यों को िनशाना बनाने के िलए िकया जाता है। इनमें टै स तकनीक से लैस सामिरक और रणनीितक िवमान, ’अवाक्स’ जैसे िवमान और 400 िकलोमीटर की दूरी तक उड़ान भर रहे बैिलि टक िमसाइल, सुपरसोिनक िमसाइल और िवमान तथा आकाश से हमला करने वाले सभी तरह के आधुिनक साधन शािमल ह। यह िमसाइल णाली इन सभी हमलावर ल यों को बीच में ही भेद सकती है। एस-400 िमसाइल णाली की युद्ध्मता आम तौर पर उसके ऊपर तैनात िकए जा सकने वाले िविभ्‍ िक म के िमसाइलों की ्मता पर िनभ्र करती है। इनमें सबसे भयानक िमसाइल है 40एच6ई िमसाइल, िजसे ’अजान बाु’ भी कहा जाता है क्योंिक यह िमसाइल 400 िकलोमीटर की दूरी पर और 185 िकलोमीटर की ऊंचाई पर अपने ल य को भेद सकता है। एस-400 णाली में अगर यह िमसाइल लगा ुआ हो तो

यह भी िदखाएगा िक भारत ूसी र्ा उपकरणों की उपयोिगता में पूरा-पूरा िव‍ास रखता है और इससे दो पुराने िम -देशों के बीच आपसी गलतफहिमयां भी दूर हो जाएंगी। आब्जव्र िरसच् फाउडेशन की िवशेष् डॉ० राजी राजगोपालन का मानना है िक भारत की वायु सुर्ा के िलए मुख्य खतरा चीन से नहीं बि क पािक तान से है और एस-400 नामक यह वायु सुर्ा णाली पािक तानी वायुसने ा के पास उपि थत एस-16 लड़ाकू िवमानों का भावशाली ढग से सामना कर सकेगी। एस-400 खरीदकर भारत मुख्य ूप से बैिलि टक िमसाइल णाली का सामना करना चाहता है। इसिलए मेरा यह मानना है िक एस-400 की जूरत चीन के मुकाबले भारत पर पािक तान से होने वाले संभािवत िमसाइल हमले के िलए ही ज्यादा हो सकती है। चीन के पास लंबी दूरी के अंतरमहा दीपीय बैिलि टक िमसाइल ह, इसिलए चीनी िमसाइल भारत पर हमला करने के िलए नहीं ह। उन्होंने कहा िक ्े ीय सुर्ा की अगर बात की जाए तो भारत को पािक तान की तरफ से ही छोटी और मध्यम दूरी के िमसाइल हमले का खतरा ज्यादा है और इस तरह के िकसी भी हमले से बचने के िलए एस-400 वायु सुर्ा णाली एक बेहतरीन सुर्ा णाली है। यह णाली पािक तान के पास उपि थत पुराने लेिकन स्म एफ-16 लड़ाकू िवमानों का सामना करने में पूरी तरह से समथ् है।

आिथ्क लाभ से ज्यादा जूरी

यह णाली िमसाइल ितर्ा यव था में बदल जाती है। लेिकन िनया्त की जाने वाली एस-400 णािलयों के िलए इस तरह का िमसाइल अभी तक नहीं है। परतु िवशेष् अलेग िझ तानो का को िव‍ास है िक ’अजान बाु’ िमसाइल के उपलब्ध न होने के बावजूद एस-400 णाली तैनात करके न िसफ् उस िदशा में वायु सुर्ा सुिनि‍त की जा सकती है, जहां से आम तौर पर खतरा सामने

आ सकता है, बि क सारे देश के ऊपर ही सुर्ा छतरी बनाई जा सकती है। हालांिक इसके िलए भारत को कम से कम 10-12 वायु सुर्ा णािलयां एस400 खरीदनी होंगी। (एक िडवीजन में 8 िमसाइल लांचर तथा ल य खोजी राडार और संचालन यव था शािमल होती है।) िवशेष् ने कहा - भारत िफलहाल इस तर की वदेशी वायु सुर्ा णािलयां खुद नहीं बना सकता है। लेिकन भारत

को अभी इस तरह की णािलयों की जूरत है क्योंिक आकाशीय हमलों के संभािवत खतरे बुत पास आ चुके ह। सुर्ा अध्ययन और िव्‍ेषण सं थान (इ टीट्यूट ऑफ िडफेंस टडीज एंड एनािलिसस) के िवशेष् अिमत कौिशश ने कहा - चीन ने पहले ही ूस के साथ एस-400 वायु सुर्ा णाली खरीदने का एक समझौता कर रखा है, िजससे चीन आकाश में हमारे

ऊपर हावी हो जाएगा। दूसरी तरफ, भारतीय वायु सुर्ा यव था बड़ी तेजी से अपनी सामिरक आव यकता को पूरा करने के िलए अपया्‍ होती जा रही है। अिमत कौिशश ने कहा - भारत और ूस के बीच इस िसलिसले में संभािवत सौदे से इस इलाके में शि‍ संतल ु न िबगड़ने की जगह शि‍-संतल ु न पैदा होगा। मेरे खयाल में यह तािवत सौदा

िवशेष् अलेग िझ तानो का का मानना है िक भारत और चीन जैसे बड़े देशों द्वारा एस-400 की खरीद से मा को को बड़ा सैन्य-राजनीितक लाभ भी होगा। इन देशों द्वारा ’ि ऊम्फ’ की खरीद से वायु सुर्ा णािलयों और िमसाइल ितर्ा णािलयों के िलए यूरोपीय और महाद्वीपीय तर पर ूसी मानकों की थापना करने की भी संभावना िमलेगी। उन्होंने कहा - इससे न िसफ् चीन और भारत को बि क दूसरे देशों को भी कम दूरी की और मध्यम दूरी की ूसी वायु सुर्ा णािलयों से जोड़ने में सहायता िमलेगी। भारत द्वारा एस-400 वायु सुर्ा णाली की खरीद की यह पिरयोजना अभी अपने शुूआती दौर में है, इसिलए ज दी ही अनुबधं होने की बात नहीं की जा सकती है।

भारतीय चाय की चुि कयों में डबा ूस चाय के ित ूिसयों के गहरे अनुराग को देखकर ही भारतीय चाय उत्पादकों ने मा को की िवश्व खाद्य- दश्नी में भारतीय चाय की िविभ् िक में दिश्त कीं। ददन उपाध्याय आरआईबीआर

िवगत 14 से 17 िसतंबर तक मा को में संप्‍ िव‍ खाद्य दश्नी-2015 में भाग लेने के िलए भारत के 11 मुख चाय उत्पादकों और चाय िवतरकों का एक ितिनिधमंडल मा को आया ुआ था। िपछले फरवरी माह में संप्‍ खाद्य दश्नी ’ ोदएक्सपो-2015’ में भी भारत के चाय उत्पादकों ने िह सेदारी की थी। इस तरह इस साल यह उनकी दूसरी ूस या ा थी। िपछली बार की या ा में जहां उनका उ‍े य मा खाद्य दश्नी में भाग लेना था, वहीं इस या ा में यह ितिनिधमंडल चाय बाजार में भारतीय चाय के भाव और पकड़ को

ूस दुिनया में चाय का चौथा बड़ा उपभोक्ता देश है। मजबूत बनाना चाहता था। इिडयन टी एसोिसएशन के अितिर‍ सिचव सुिजत पा ा ने इस ितिनिधमंडल का नेतृ व िकया। उन्होंने जोर िदया िक बाजार में आम तौर पर मशीनों द्वारा तैयार की गई सीटीसी चाय की ही ज्यादा मांग होती है, लेिकन आथो्डॉक्स िक म की चाय भारत की िवशेषता है जो हाथों से तैयार की जाती है। ूस के चाय बाजार में अभी तक भारत की आथो्डॉक्स चाय ही ज्यादा चलती है, लेिकन अब सीटीसी चाय की मांग भी बड़ी मा ा में होने लगी है। भारत ितवष् 20 करोड़ 80 लाख िकलोग्राम चाय का िनया्त करता है, िजसका एक चौथाई िह सा ूस खरीदता है। हाल के वषो्ं में ूस को भारतीय चाय का िनया्त िगरकर 4 करोड़ िकलोग्राम रह गया है। भारतीय चाय िनया्तकों का मानना है िक भारत ूसी चाय बाजार में िफर से अपनी पैठ दुबारा बना सकता है और

कम से कम अपने पूव् तर यानी 5 करोड़ िकलोग्राम तक के िनया्त- तर तक तो पुच ही सकता है। जबिक ूस द्वारा ितवष् कुल 16 करोड़ िकलोग्राम चाय का आयात िकया जाता है। ूस दुिनया में चाय का चौथा बड़ा उपभो‍ा देश है और भारत दस वष् के अंतराल के बाद इस िवशाल चाय बाजार में िफर से अपनी पैठ बनाने के िलए बड़े तर पर यास कर रहा है। सुिमत पा ा ने कहा िक उन्ह िव‍ास है िक भारत उस खाई को पाटने में सफल रहेगा जो ूस में चाय की मांग और भारतीय िनया्तकों द्वारा उसकी आपूित् के बीच आज पैदा हो गई है। उन्होंने कहा - मेरा खयाल है िक ूसी चाय आयातकों के साथ ुई बातचीत में हमने जो कदम तय िकए ह, उनसे िसद्ध भारतीय चाय की िक मों की ‍ािलटी को बनाए रखने और ज दी ही ूस को भारतीय चाय के िनया्त में वृिद्ध करने में मदद िमलेगी। भारतीय ितिनिधमंडल के सद यों के अनुसार ूस पर पि‍मी ितबंधों के कारण और अंतररा£ीय बाजार में तेल की कीमतें िगरने के बाद ूसी ूबल के मू य में भी लगातार िगरावट आई है। इसीिलए भारतीय चाय-िनया्तकों को भी ूसी आयातकों की तरफ से चाय की कीमत कम करने के िलए लगातार दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जबिक जो मू य ूसी खरीददार देना चाहते ह उसमें तो चाय उत्पादन का लागत खच् भी नहीं िनकलता है। ूबल के मू य में आ रही लगातार िगरावट के कुपिरणामों से बचने और ूस को अपनी चाय का िनया्त बढ़ाने के िलए भारतीय चाय उद्योग भी भुगतान की िवशेष यव था तय करने की संभावनाएं तलाश रहा है। एक संभावना दो देशों के बीच ूबल और ुपए में यापार करने की भी हो सकती है। इिडयन टी एसोिसयेशन इिडयन टी बोड् से यह अनुरोध करेगी िक भुगतान यव था के िसलिसले में ज दी ही कोई समाधान तलाश िकया जाए। आगामी िदसंबर में वािष्क भारत-ूस िशखर सम्मेलन के दौरान धानमं ी नर मोदी और रा£पित लदीिमर पुितन की मा को में होने वाली मुलाकात में भी इस िसलिसले में एक समझौते पर ह ता्र िकए जा सकते ह।

एिशयाई शांत ्े : ऊजा् जूरतें और ूस भिव य में एिशयाई शांत ्े के देशों में तेल की मांग बढ़ती चली जाएगी और ूस उन कुछ देशों में से एक है, जो इस मांग को पूरा कर सकता है।

नई ‍ािलटी, नया मानक

अिनल जनिवजय आरआईबीआर

िवगत 7 िसतंबर को िसंगापुर में संप्‍ ’एफ टी कमोिडटीज - द िर ीट’ कान् न्े स में बोलते ुए ूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी ’रोसने त’ के मुख ईगर सेिचन ने कहा - चीन में तेल की मांग घटने के बावजूद सन् 2015 के पूवा्द्ध् में दुिनया भर में तेल की मांग बढ़ गई है और अभी भी बढ़ती जा रही है। चीन के अलावा तेल की बुत ज्यादा खपत करने वाले देशों में तेजी से िवकिसत होते ुए भारत, िवयतनाम तथा दि्णी अमरीका व पि‍मी एिशयाई देश तथा अमरीका जैसे िवकिसत देश का नाम आता है, जहां लंबे समय बाद तेल की खपत िफर बढ़ रही है। लेिकन तेल भंडारों की हालत िदनब-िदन खराब हो रही है। दुिनया के परपरागत तेल और गैस भंडार िपछले 20 सालों में घटकर सबसे कम रह गए ह। नए तेल और गैस भंडार उन इलाकों में उपि थत ह, जहां से उनका दोहन मुि कल काम होगा। ये भंडार गहरे समु में डबे ुए ह। इनमें तेल काफी भारी है। तेल तक पुचने के िलए बुत गहरे कुएं खोदने होंगे तथा इन भंडारों में ग्रीन गैसें भी बुत ज्यादा ह। ’रोसने त’ के मुख ईगर सेिचन ने अपनी िरपोट् में बताया िक तेल और गैस की िनकासी बुत ज्यादा बढ़ाने की संभावना दुिनया में बुत कम देशों के पास है। ईगर सेिचन ने बताया - यिद िनकट भिव य में या उसके बाद आने वाले समय में फारस की खाड़ी के देश, अ ीका के कुछ देश और शायद अमरीका तेल और गैस की िनकासी करगे तो दीघ्कालीन भिव य में िसफ् ूस, वेनज े एु ला और ईरान ही तेल और गैस की दुिनया की मांग को पूरा करने में स्म होंग।े अंतररा£ीय ऊजा् एजेंसी के अनुसधं ानों में भी ऐसे ही पिरणाम सामने आए ह। अंतररा£ीय ऊजा् एजेंसी के अनुसार सन् 2020 तक भारत तेल का सबसे बड़ा उपभो‍ा बन जाएगा और चीन सन् 2030 तक इस ’काले सोने’ की खपत के ्े में अमरीका को पीछे छोड़ देगा। तेल की मांग इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी िक भौगोिलक ूप से उसकी आपूित् का इलाका भी पि‍मी एिशया और ूस से बढ़कर काि पयन ्े , अ ीका, लाितनी अमरीका और कनाडा

ूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी ’रोसने त’ के बंध िनदेशक ईगर सेिचन

रोसने त - ूसी तेल उद्योग की मुख कंपनी और दुिनया की सबसे बड़ी साव्जिनक तेल और गैस कंपनी है। यह कंपनी ूस में और उसके बाहर पूरी दुिनया में तेल और गैस भंडारों की खोज करती है और उनकी िनकासी करती है। वह समु के भीतर तटवती् इलाकों में गैस और तेल के कुएं बनाती हैं, क े तेल और गैस को शोिधत करती है तथा देश और िवदेश में उनके पिर कृत

उत्पादों की िबक्री करती है। रोसने त कंपनी ूस के सामिरक उद्यमों की सूची में शािमल है। इसके 69.50 ितशत शेयर सौ ितशत सरकारी कंपनी ’रोसने तगाज़’ के पास हैं। 19.75 ितशत शेयर बी० पी० कंपनी के पास हैं और 10.75 ितशत शेयर खुले शेयर बाजार में हैं। रोसने त कंपनी ूस के उन सभी इलाकों में काम कर रही है, जहां तेल व गैस की िनकासी

की जाती है। इसके अलावा कंपनी बेलाूस, उक्राइना, कजाख तान, तुकम े् िे न तान, चीन, िवयतनाम, मंगोिलया, जम्नी, इटली, नावे्, अ जीिरया, ाजील, वेनज े ए ु ला, संयक्त ु अरब अमीरात, कनाडा और अमरीका में मैिक्सको की खाड़ी में भी काम करती है। 8 जुलाई को रोसने त कंपनी ने ए सार के साथ एक अनुबध ं पर ह ता्र िकए, िजसमें यह तय िकया गया िक रोसने त आने वाले दस सालों में भारत को दस करोड़ टन क े तेल की आपूित् करेगी।

ईगर सेिचन ने कहा िक ूस एिशयाशांत ्े के ऊजा् बाजार में अपनी िह सेदारी को काफी बढ़ा देगा।

तक हो जाएगा। क े तेल और गैस के सबसे बड़े भंडार दुिनया में िसफ् ूस के पास ह। उदाहरण के िलए ूस में गैस के कुल भंडार 900 खरब घन मीटर से लेकर 2200 खरब घन मीटर तक ह, जो अमरीकी भंडारों से (400 से 620 खरब घन मीटर) दुगनु े से भी ज्यादा ह। ूस में ितवष् गैस की िनकासी बढ़ाकर 70 करोड़ टन और इससे भी ज्यादा की जा सकती है। इसके साथ-साथ ईगर सेिचन ने कहा - ’रोसने त’ की दीघ्कालीन योजना यह है िक तेल और गैस की

िनकासी बढ़ाई जाएं। ूस द्वारा एिशयाईशांत ्े के देशों को गैस का संभािवत िनया्त कम से कम 30 खरब घनमीटर ितवष् हो जाएगा। कान् न्े स में बोलते ुए ईगर सेिचन ने इस बात की ओर भी ध्यान आकिष्त िकया िक एिशयाई- शांत ्े में ऊजा् संसाधनों की खपत की उ अनुमािनत दर के बावजूद ूस न केवल अपनी िह सेदारी को वत्मान तर पर बनाए रखेगा, बि क वह एिशया- शांत ्े के ऊजा् बाजार में अपनी िह सेदारी को काफी बढ़ा भी देगा।

ूसी तेल उद्योग की मुख कंपनी रोसने त

िव्ापन

कमिश्यल ांसपोट् मोिबल ऑयल

अमरीकी और यूरोपीय कमिश्यल वाहनों के उत्पादकों द्वारा अनुमोिदत उत्पादों की िव तृत ख ं ला भारी लोड के िलए िवशेष ूप से िनिम्त हाई स फ़र ईंधन (0.5% तक) का इ तेमाल करने पर भी इजन अच्छी तरह काम करेगा

मोटर ऑयल ांसिमशन ऑयल

अग्रणी योजक उत्पादकों के घटकों और त‍ोलौजी का उपयोग नए आधुिनक इजनों और लंबे समय तक काम कर चुके पुराने इजनों के िलए उपयोगी इ तेमाल में बेहद भावशाली पिरणाम देने वाला


WEDNESDAY OCTOBER 28, 2015 In association with Rossiyskaya gazeta, Russia

समाज लाइफ टाइल : फैशन से कहीं ज्यादा जूरी है राजनियक िश ाचार और रा£पित पद की गिरमा को बनाए रखना

रा£पित पुितन की पोशाकें और रग-ढग पिश्चमी मीिडया अक्सर काले सूट पहनने के कारण रा£पित पुितन को ’मैन इन ब्लैक’ कहकर पुकारता है, लेिकन इसके बावजूद लदीिमर पुितन रग-िबरगी पोशाकों में िदखाई देते हैं। अिलक्सेय पन्तीिकन आरआईबीआर

ूस के रा£पित के िलए पोशाकों का चुनाव करना एक चुनौती ही है। देश का संचालन करना तो एक भारी चुनौती है ही, लेिकन िकस अवसर पर कैसे कपड़े पहने जाएं, यह भी कम बड़ी चुनौती नहीं है। हर आदमी जेम्स बाण्ड की तरह िदखना चाहता है, लेिकन िसफ् चाहने से ही कुछ नहीं होता। ऐसा लगता है िक लंबे समय तक स्ा में रहकर लदीिमर पुितन जेम्स बांड 007 के सारे रग-ढग सीख गए ह और उसी की तरह हमेशा हीरो जैसे िदखना चाहते ह। इतना तो सब समझते ह िक रा£पित के िलए िवशेष तौर पर पोशाकें िसली जाती ह। िकतोन और ि योनी उनके मनपसंद ांड ह। इस तरह से देखें तो पुितन और जेम्स बाण्ड की पसंद िमलती-जुलती है। इस तरह के सूट आम तौर पर शुू से आिखर तक एक ही दजी् िसलता है और इस सूट की कीमत 5000 यूरो तक होती है। िपछले दौर में रा£पित पुितन के सूटों का रग बुत कम बदलता है। वे वही काले, नेवी-ब् यू या सलेटी रग के सूट पहने नजर आते ह। गिम्यों में हलका सलेटी रग वे ज्यादा पहनते ह। इन सूटों के साथ पहनी जाने वाली कमीजों और टाइयों के रग भी करीबकरीब एक जैसे ही होते ह। सलेटी सूट

के साथ वे आसमानी रग की कमीज पहनते ह और नीले रग की टाई बांधते ह। गिम्यों में अगर सूट हलके सलेटी रग का होता है तो कमीज नीले रग की हो सकती है। अगर सूट काले रग का होता है तो उनकी कमीज सफेद होती है और उसके साथ वे काली या महून टाई पहनते ह। शायद अपनी उ और अपने पद को देखते ुए रा£पित आम तौर

पर वलेन्तीनो ांड की चमकदार टाइयां पहनते ह, िजनपर छोटी-छोटी िबंिदयां या चैकदार खाने बने होते ह। उनके जूते आम तौर पर जॉन लोब या स वाटोर फेरा्गामो ांड के होते ह। रा£पित हालांिक मशूर ांडों को पसंद करते ह, लेिकन देश के थम नागिरक के कपड़ों पर ये ांड झलकने नहीं चािहए। इसिलए िपछले दस सालों

से उनकी पोशाकों की देखभाल करने वाला टाइिल ट उनके कपड़ों पर से सभी तरह के लेबल पहले ही उतार देता है तािक उन पर प कारों की नजर न पड़े। इसी तरह ूस के सभी उ तरीय अिधकािरयों और नेता के कपड़ों पर से लेबल पहले ही हटा िदए जाते ह। अनौपचािरक तौर पर रा£पित वी शेप का पुलोवर पहनना पसंद करते

ह, जबिक पहले वे बंद गले का वेटर और जैकटे पहना करते थे। कभी-कभी वे ूसी ओलंिपक िखलािड़यों की स े यानी कनाडा गूज़ या ि ओन ांड की जैकटे भी पहनते ह। मीिडया पुितन की घिड़यों की तरफ बुत ध्यान देता है। एक बार तो प कारों ने उनकी घिड़यों की संख्या तक िगन डाली थी। पता लगा िक उनके पास कुल

लैंिगक समानता की ओर ूस के लगातार बढ़ते कदम ूस में 450 से ज्यादा पेशे ऐसे हैं, जहां ि यों को काम नहीं करने िदया जाता। ूस में ि यां कौनकौन से काम नहीं कर सकती हैं और क्यों? मरीया िफ़दोिरिशना आरआईबीआर

ूस के संिवधान के अनुसार ि यों और पु​ुषों को बराबर के अिधकार िमले ुए ह और एक जैसे काम के िलए ी और पु​ुष को एक जैसा वेतन िदया जाना चािहए। लेिकन अंतररा£ीय म संगठन के अनुसार ि यों को पु​ुषों के वेतन का िसफ् 63 ितशत वेतन िमलता है और रोजगार देने वाले पु​ुषों की िनयुि‍ को ही ाथिमकता देते ह। सन् 2000 में ूस सरकार ने उन पेशों की एक सूची जारी की थी, जो पेशे ि यों के िलए नहीं ह। ये पेशे कठोर म और हािनकारक व खतरनाक मि थितयों से संबधं रखते ह। इस सूची में कुल 456 पेशे ह। ’मिहला एकता’ नामक जनअिभयान की अध्य् वेरा प्लोतिनकवा का कहना है - यह उिचत है िक सरकार ि यों की सेहत और वा थ्य की िचंता करती है और उन्ह खतरनाक और हािनकारक काम नहीं करने देती।

इस तरह ूस में इलैिक् क ने ों और ि िलंग मशीनों पर औरतें काम करती नहीं िदखाई देंगी। क चालन, क्ै टर चालन, गोताखोरी, छाताधारी सैिनक, कुली, एिवएशन मैकिे नक, फायरमैन, कोयला झोंकने जैसे बुत से पेशों में ि यां नहीं िदखाई देंगी। सेना में काम करना भी ि यों के िलए किठन माना जाता है। लेिकन िपछले समय में इस ्े में औरतों को कुछ िरयायतें दी गई ह। वेरा प्लोतिनकवा ने बताया - जैसे पहले औरतें फेडरल िसक्योिरटी ब्यूरो (एफ० एस० बी०) के सीमा-सुर्ा कालेज में या िवमानन कालेज में दािखला नहीं ले सकती थीं। अब औरतें आसानी से ऐसा कर सकती है। सेना से जुड़े कई पेशों में भी अब लड़िकयों के िलए राह खुल गई है। इसका मतलब यह है िक कोई हठधिम्ता नहीं है, ि थित बदल रही है और कल औरतें टक भी चलाएंगी। दुिनया के बुत से देशों में ऐसी ि थित िदखाई दे रही है। कानूनन चाहे ऐसा न भी हो, लेिकन यावहािरक ि थित ऐसी ही है। अमरीका में तो पत्थर तोड़ने वाले, बसों और कों के मैकिे नक, िबजली िम ी और उ -वो टेज लाइनों और घरेलू यं -उपकरणों की मरम्मत करने वाले काम 99 ितशत पु​ुष ही करते ह।

ने हीन ने ने हीनों के िलए बनाया माट्फोन ूस के ने हीन यवसायी अंतररा£ीय बाजार में अपना बनाया ुआ माट्फोन उतारने जा रहे हैं। सबसे पहले इस माट्फोन की िबक्री िवदेश में की जाएगी। िवक्तोिरया ज़िवयालवा आरआईबीआर

ने हीनों के िलए बनाया गया ’ईआईमाट्’ नामक यह िवशेष माट्फोन एक हाइ ीड गजेट है, िजसमें मोबाइल फोन के साथ-साथ ऑिडयो पु तकें सुनने और जीपीएस की भी सुिवधा है। इस गजेट की सहायता से

बैंकनोटों की पहचान की जा सकती है, व तु की पहचान की जा सकती है और रोशनी के तर का पता लगाया जा सकता है। जब हमने अपना काम शुू िकया तो हमें माट्फोन बनाना नहीं आता था। हमें क्या पता था िक हम कहां फंसने जा रहे ह, शायद पता होता तो हम यह काम शुू ही नहीं करते - इस माट्फोन को बनाने वाले ’एलीता ग्रुप’ के िनदेशक अनातोली पप्को ने कहा - लेिकन इस पिरयोजना से ूस के िविभ्‍ देशों के सव् ‍ े ृि‍हीन ोग्रामर जुड़े ुए थे, इसिलए हम यह काम पूरा कर पाए।

ूस में अब ि यां सीमा-सुर्ा बल और सेना में भी काम करती हैं ऐसे बुत से पद ह, िजन पर ि यों की िनयुि‍ नहीं की जाती है। जैसे ूस में आज तक कोई ी रा£पित या धानमं ी नहीं बनी है। ूस की कें सरकार में 22 मंि यों में से िसफ् एक मं ी ी है। ूस की संसद के िनचले सदन राजकीय दूमा में भी िसफ् 7.7 ितशत ही ि यां ह। ूसी सामािजक-लोकतांि क मिहला संघ के अध्य्मंडल की सद य मरीना िमलावानवा ने कहा - स्ा सं था में तो यह िसद्धांत काम कर रहा है - स्ा

ज्यादा से ज्यादा हो, औरतें कम से कम हों। लेिकन लैंिगक समानता के पालन से समाज को िसफ् फायदा ही होता है। अगर सरकार में कम से कम 30 ितशत ि यां हों तो वह सरकार समाजोन्मुख नीितयां ही बनाएगी और बजट से सामािजक मु‍ों पर खच् बढ़गे। पु​ुष सेना पर, सुर्ा संबधं ी मामलों पर बजट का पैसा ज्यादा खच् करते ह। एक अध्ययन के अनुसार - सन् 2015 में ूस की साव्जिनक कंपिनयों के बंध मंडलों में ि यों की सहभािगता

बटनों वाला एं ॉयड

अनातोली पप्को के अनुसार, शुू से ही यह योजना थी िक ’ईआई- माट्’ फोन अंग्रज े ी इटरफेस के साथ होगा तािक उसे अंतररा£ीय बाजार में उतारा जा सके। आजकल ूस में इस नए माट्फोन के परी्ण िकए जा रहे ह। बटनों वाले इस माट्फोन की कीमत बाजार में करीब 450 डॉलर या 31 हजार ुपए के लगभग होगी। कंपनी अपनी सहयोगी कंपिनयों की सहायता से ’ईआई- माट्’ फोन को बाजार में उतारेगी। तकनीकी ृि‍ से ’ईआईमाट्’ फोन एकदम नई तरह का फोन है, िजसमें ृि‍हीनों के िलए जूरी सभी तरह की बेहतरीन तकनीकी उपलब्ध है। ’िमलन’ नामक वनहीन और ने हीन कोष के तकनीकी संभावना िवभाग के मुख पािवल ओिसपफ़ ने बताया - ’ईआई- माट्’ फोन वह सब काम कर सकता है, जो कोई भी सामान्य माट्फोन करता है। लेिकन उसे ने हीनों के उपयोग लायक बनाने में हमें बुत पिर म करना पड़ा। अब ’ईआई- माट्’ की सहायता से ने हीन भी एं ॉयड की

कुछ साल पहले तक बटनों वाले फोन िमला करते थे, लेिकन अब उनकी जगह सेंसर फोनों ने ले ली है। ’एलीता ग्रुप’ के िवशेष् तभी से यह सोच रहे थे िक ऐसा क्या िकया जाए, िजससे ने हीन भी नई िक म के इन टेिलफोनों का इ तेमाल कर सकें। अनातोली पप्को ने कहा ’एपल’ कंपनी ने ’इटरफेस’ बनाया, िजसकी सहायता से ने हीन ’एपल’ कंपनी के फोनों का इ तेमाल कर सकते ह। लेिकन बुत से लोग बटनों वाले फोनों के ही आदी हो गए ह। ने हीन युवा आईफोनों और एं ॉयड का इ तेमाल करना आसानी से सीख लेते ह। लेिकन अधेड़ और विर‍ ने हीनों को उनका इ तेमाल करने में बड़ी परेशानी होती है। दुिनया में फैले आिथ्क संकट और ूबल की कीमत िगरने की वजह से ूस में िवदेशी माट्फोनों की कीमतें बढ़कर दोगुनी हो गईं। इससे भी ूसी ृि‍हीनों को अपने नए फोन का आिव कार करने के िलए बड़ा ोत्साहन िमला।

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िसफ् 5.7 ितशत है। जबिक नावे् में 36.7 ितशत और ां स में 29.9 ितशत है। ूसी कंपिनयों में बंध मंडल की अध्य् एक भी ी नहीं है, जबिक इटली में सवा्िधक 22.2 ितशत कंपिनयों में बंध मंडल की अध्य् ि यां ही ह। यह पारदशी् सीमा हर जगह बनी ुई है - मरीना िमलावानवा ने कहा - ि यों को संचालक का पद एक िनि‍त तर तक ही िदया जाता है, उसके बाद उ बंध मंडल तक ि यों को नहीं पुचने िदया जाता। पि‍मी यूरोप में इस लैंिगक असमानता से लड़ने के िलए संचालक पदों पर ि यों का कोटा सुिनि‍त कर िदया गया है। हम भी इस नीित का समथ्न करते ह, लेिकन ूस में अभी तक यह नीित नहीं अपनाई गई है। लगभग हर पांचवे ूसी नागिरक का यानी 19 ितशत लोगों का कहना है िक पेशवे र गितिविधयों में पुूषों को ज्यादा अिधकार ह और 20 ितशत लोगों का कहना है िक उन्ह ज्यादा वेतन िमलता है। 19 ितशत लोग यह मानते ह िक सामािजक और राजनीितक जीवन में पु​ुष ज्यादा सिक्रय ह। िवशेष्ों का मानना है िक समाज में चिलत मान्यताएं ूस में लैंिगक असमानता को दूर करने में बाधा डालती ह।

सभी सुिवधा का आसानी से इ तेमाल कर पाएंग।े

अवैध सॉफ्टवेयर बंद पप्को ने कहा - यही कारण था िक थानीय आिव कारक हमेशा घिटया ‍ािलटी की स ती चीजें बनाया करते थे और ने हीनों को उन्हीं चीजों का इ तेमाल करना पड़ता था, जो बाजार में उपलब्ध होती थीं। ’एलीता ग्रुप’ ने अच्छी ‍ािलटी की आयाितत तकनीक बेचनी शुू की और ज दी ही वह ने हीनों के िलए उपकरणों के बाजार में एक बड़ी कंपनी बन गई। अनातोली पप्को ने बताया - कंपनी ने सबसे पहला काम यह िकया था िक उसने अमरीकी कंपनी ीडम साइिटिफक द्वारा उत्पािदत क्रीन-रीडर ’जॉज’ ूस के ने हीनों को उपलब्ध कराया और ूस के ने हीन नागिरकों ने अवैध सॉफ्टवेयरों का इ तेमाल बंद कर िदया। आज ीडम साइिटिफ़क कंपनी ’एलीता ग्रुप’ की रणनीितक साझेदार है।

11 घिड़यां ह। लेिकन उनकी हर तरह की जासूसी के बावजूद उनकी घिड़यों को िगन पाना अब प कारों के िलए संभव नहीं रहा है। िफर भी उनकी घिड़यों में सबसे महगी घड़ी ’अ.लांग एंड ज़ोने तूबो्ग्राफ़ पूर िलओ िमरीत’ ांड की मानी जाती है। यह घड़ी करीब 5 लाख डॉलर की आती है। लेिकन उन्ह सबसे ज्यादा पसंद है -

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घड़ी उन्ह नी ी बुरये की पनिबजलीघर की नींव रखते ुए परपरा के अनुसार उस नींव में डालनी पड़ गई थी। िपछले कुछ सालों से रा£पित पुितन अपने मनपसंद ांड ’ब्लानपेन’ की घड़ी समय-समय पर पहनते ह। बाकी िदनों में उनकी घड़ी या तो उनकी कमीज के कफ के नीचे छुपी रहती है या िफर वे कोई भी घड़ी नहीं पहनते ह।

सा्ात्कार योग गु​ु डॉ. सुरश े बाबू

योग जीवनशैली के रोगों और मन के रोगों को घटाता है आरआईबीआर ने मा को ि थत जवाहरलाल नेहू सां कृितक कें में योग गु​ु और हठयोग के साधक सुरश े बाबू से बात की। योग के ये ख्यात साधक आजकल पूरे ूस में पारपिरक योगासनों के चार- सार के िलए योग के िविभ्‍ पहलु से जुड़ी काय्शाला का आयोजन कर रहे ह। आप ूस कब आए थे और आपने ूस में योगासन िसखाने कब शुू िकए? मैं सन् 2008 में भारत के सं कृित मं ालय और भारतीय सां कृितक संबधं पिरषद के अनुरोध पर पहली बार तीन वष् के अनुबधं पर ूस आया था। उसके योग जीवन में सद्भाव, शांित, सिह णुता और अनुशासन लाता है बाद मैं दो साल तक मा को में एक वतं योग- िश्क के ूप में काम छुटकारा िमल जाता है। और योग मन लोगों के िलए योग करना इसिलए मुि कल है क्योंिक उनकी जीवनकरता रहा। इसके बाद मुझे िफर से तीन को मजबूत बनाता है। शैली दूसरे ढग की है? साल के िलए अनुबिं धत कर िलया गया। क्या योग िसफ् बड़े शहरों में ही योग जीवन में स‍ाव और अनुशासन आप योग कैसे िसखाते ह? लोकि य है या छोटे शहरों में भी लाता है। इससे कोई फक् नहीं पड़ता िक आप ूसी ह या भारतीय ह या आप मैंने कई तरह के योग-ग्रुप बना रखे ह। लोकि य है? जैसे योग का ारिभक ्ान, योग का इन िदनों ूस के ज्यादातर बड़े नगरों शाकाहारी ह या मांसाहारी ह। योग कोई माध्यिमक ्ान और योग का उ्‍त में योग लोगों की िदनचया् का िह सा भी कर सकता है। योग आपको िकसी ्ान रखने वाले ग्रुप ह। आम तौर पर बन गया है। मैंने भारतीय दूतावास की भी हालत में रहने का आदी बना देता एक ग्रुप में 15 से 20 लोग शािमल होते सहायता से कज़ान, उफ़ा, क्र‍ादार है। जैसे मैं भारतीय ू और योग ने मुझे ू खुद को ह। िविभ्‍ उ ों के लोग मुझसे योग और तूला जैसे नगरों में योग काय्शालाएं ूसी जलवायु के अनुकल सीखने आते है। अगर िकसी यि‍ की आयोिजत की ह। आपको एक बार योग ढालने में सहायता की है। मांसपेिशयों में दद् होता है तो मैं उससे का च का लग जाए तो िफर आप योग कहता ू िक पहले योग-िचिकत्सा की से नहीं बच सकते। योग का मनु य पर क्ा में आया कर। िफर दो-तीन बड़ा शांत भाव पड़ता है। महीने बाद जब उनकी मांसपेिशयों में दद् होना बंद हो जाता है तो मैं उन्ह क्या आपको ऐसा लगता है िक िनयिमत योग क्ा में आने के िलए ूसी योग िश्कों और भारतीय डॉ सुरश े बाबू की एक िश या कह देता ू। मेरे पास योग सीखने आने योग िश्कों में कोई अंतर है? वाले लोगों की भरमार रहती है। कम ूसी योग िश्क हठ योग पर जोर े बाबू को छह साल से जानती से कम दो-ढाई सौ लोग तो होते ही ह। देते ह और ज्यादा से ज्यादा आसन मैं सुरश कराते ह। उसमें अिधक लचीलेपन ू। योग क्लास के बाद जब मैं घर योग की सहायता से िकन रोगों से और अिधक शि‍ की जूरत होती लौटती ू तो मुझे ऐसा लगता है, जैसे है। भारतीय योग िश्क के ूप में मैं मैं हवा में उड़ रही ू। मैं 50 साल की छुटकारा पाया जा सकता है? जीवनशैली से जुड़ी बीमािरयों से योग ‍ास तकनीक और िव ाम तकनीक हो गई ू, लेिकन िफर भी खुद को मु‍ कर देता है। मसलन कमर दद् से में ज्यादा िव‍ास रखता ू। हम आसन जवान महसूस करती ू। इसका कारण े बाबू। छुटकारा िदला देता है। वे रोग जो घंटों भी करते ह, और यह योग से जुड़ा एक है योग और डॉ सुरश ू ् नजिरया है। एक ही मु ा में बैठे रहने या खड़े रहने संपण येलन े ा क्रोि वदी से होते ह, जैसे गिठया, मांसपेिशयों की आरआईबीआर जकड़न, जोड़ों की जकड़न आिद से क्या आपको लगता है िक ूसी

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Russia Direct Report: ‘Russia’s New Strategy in the Middle East’ This new RD report takes a closer look at why Russia got involved in Syria, elaborates on the characteristics of a more proactive Russian foreign policy in the Middle East, and weighs the potential risks and rewards of Russian involvement in Syria.

पुराने ि वस ांड ’ब्लानपेन’ की घड़ी। ऐसी उनके पास कुल पांच घिड़यां थीं। एक घड़ी उन्होंने सन् 2009 में तीवा देश के एक चरवाहे के बेटे को उपहार में दे दी थी और वह उसे पाकर बुत खुश ुआ था। दूसरी घड़ी तूला देश के एक खरािदए ने अपने कारखाने के सभी मजदूरों के सामने उनसे जबद् ती मांग ली थी। ’ब्लानपेन’ ांड की ही तीसरी

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ितिक्रया

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WEDNESDAY OCTOBER 28, 2015 In association with Rossiyskaya gazeta, Russia

सं कृित

नृत्य : ूस की पेशवे र नत्िकयां अब ब ों को बैले नृत्य में मािहर होने की कला िसखाएंगी

िद‍ी में ूसी बैले कूल में दािखले है। योदर रजोव की ने यूिलया के बारे में आगे बताया - मेिरट के साथ यूिलया ने उ िश्ा समा‍ की है। हमें उनका नाम बताते ुए इनके एक नृत्य-गु​ु ने इन्ह अपनी सबसे अच्छी िश य बताया था। इस तरह सोिवयत संघ के िवघटन के बाद भारत में पहली बार बैले नृत्य िसखाने की िजम्मेदारी ऐसी नृत्य- िश्क उठाने जा रही ह, िजनके पास नृत्य की िडग्री है। भारत के िकसी भी बैल-े नृत्य कूल में ऐसी कोई िश्क नहीं है।

आरआईबीआर ने ूसी सां कृितक कें के िनदेशक योदर रज़ोव की और नृत्य िश्क यूिलया िपिरिविदन्त्सेवा से बैले कूल की योजना के बारे में जानकारी ली। अले सां ो बेल्ली आरआईबीआर

नई िद‍ी ि थत ूसी सां कृितक कें द्वारा चलाए जा रहे इस ूसी क्लािसक बैले नृत्य कूल में दािखले शुू होते ही पहले ही हफ्ते में भारत, ूस, जापान और कजाख तान के 20 से ज्यादा ब ों ने अपने नाम िलखाए ह। ूसी सां कृितक कें के िनदेशक योदर रज़ोव की का कहना है - हम इस साल 70 से ज्यादा ब े नहीं लेंग।े उन्होंने माना िक ऐसा करना आसान नहीं होगा क्योंिक िद‍ी और मुबं ई जैसे भारत के महानगरों में बैले कूल के बाहर हमेशा बैले सीखने के इच्छुक ब ों की लाईन लगी रहती है। यूिलया िपिरिविदन्त्सेवा ने बताया िक दािखला देने से पहले ब ों की ितयोिगता कराई जाती है और िफर उन्हीं ब ों को दािखला िदया जाता है, िजनमें बैले नृत्य सीखने की संभावना है। उन्होंने बताया - “हमारे यहां तीन ग्रुप ह - नन्हे ब ों का ग्रुप, िजसमें छह-सात साल तक के ब े ह, बीच की उ के ब ों का ग्रुप, िजसमें 10 साल तक की उ के ब े ह और बड़े ब ों का ग्रुप, िजसमें 14 साल तक की उ के ब े ह। बाकी ब ों को भी इन्हीं ग्रुपों में शािमल िकया जाएगा। यूिलया िपिरिविदन्त्सेवा ने कहा िक बैले नृत्य सीखने के िलए अनुशासन का बुत महत्व है। हम उन ब ों से बुत खुश रहते ह, जो मेहनती होते ह। िबना पिर म िकए बैले नृत्य सीख पाना संभव नहीं है। जब उनसे यह पूछा गया िक क्या बैले

एक वष् में नृत्य िसखलाना है

ूसी बि यां आम तौर पर अ्र्ान होने से पहले ही और पढ़ना सीखने से पहले ही नृत्य की भंिगमाएं सीख जाती हैं सीखने के िलए आने वाले भारतीय ब ों और ूसी ब ों में कोई फक् होता है तो उन्होंने इस सवाल का नकारात्मक जवाब िदया। यूिलया ने कहा - सारी दुिनया के ब े एक जैसे ह। ब ों को खेल-खेल में िकसी भी काम की ओर आकिष्त िकया जा सकता है। बड़े लोग तो खुद ही यह जानते ह िक वे क्या चाहते ह। ऐसा नहीं है िक भारत बैले नृत्य के िलए

अजनबी है या यहां सब कुछ िब कुल या और थोड़ा बड़ा होने पर ब ों को बैले कूल में दािखल करा देते ह। ूसी दूसरे ढग से होता है। बि यां आम तौर पर अ्र्ान होने से पहले ही और पढ़ना सीखने से पहले बैले सीखने का इितहास मुझे चार साल की उ में ही नाच ही नृत्य की मु ाएं शली सीख जाती ह। सीखने के िलए भेज िदया गया था 11 साल की उ में यूिलया को ईगर अपने बारे में बताते ुए यूिलया कहती मोइिसयेफ लोकनृत्य मंडली राजकीय ह - ूस में सचमुच बैले िसखाने के अकादमी के नृत्य कूल में दािखला िलए या िजमनाि टक िसखाने के िलए िमल गया था। इस पेशवे र नृत्य-मंडली मां-बाप तीन-चार साल की उ में ही का उ‍े य दुिनया भर के लोकनृत्यों

का चार करना है। यह मंडली िविभ्‍ देशों की जाितयों और जनजाितयों के नृत्य िसखाती है। बाद में यूिलया ने ूस के एक सव् ‍ े िश्ा सं थान मा को सां कृितक सं थान से उ िश्ा ा‍ की। ूस में इस िश्ा सं थान को एक िवशेष दजा् ा‍ है और यहां ूसी क्लािसक बैले नृत्य िसखाने वाले िश्कों को दुिनया के सव् ‍ े िश्क माना जाता

इस साल नृत्य कूल ने एक नया उ‍े य उठाया है िक ब ों को एक ही साल में बैले में पारगत कर देंग।े यूिलया ने कहा - अगर ब ा पांच साल की उ में बैले सीखना शुू करता है तो ज दी ही वह उसमें पारगत हो जाता है और छह महीने बाद तो वह अपना नृत्य भी तुत करने लगता है। हां, यह जूर है िक खूब अच्छी तरह से बैले सीखने के िलए कम से कम एक साल का समय चािहए। योदर रज़ोव की ने कहा - ूसी सां कृितक कें इन ब ों का नृत्य तुत करने के िलए एक सां कृितक संध्या का भी आयोजन करेगा। यूिलया िपिरिविदन्त्सेवा ने भी वायदा िकया िक वे ब ों को ूसी लोक-नृत्यों के साथसाथ मॉडन् जाज़ और अन्य आधुिनक नृत्य भी िसखाएंगी। लेिकन मुख्य जोर ूसी बैले नृत्य पर ही रहेगा क्योंिक ब े ूसी बैले नृत्य सीखने के िलए ही हमारे कूल में आ रहे ह। योदर रज़ोव की ने कहा - हमारे यहां ूसी भाषा सीखने वाले सभी लोगों को हम लोकनृत्य िनःशु क िसखाएंगे और स‍ाह में दो बार आधुिनक नृत्य सीखने के िलए कोई भी आ सकता है।

ूसी भारतिव् इवान िमनाएफ की लोककथाएं भारत में कािशत नई िदल्ली की एक िस‍ िकताबों की दुकान में ूसी भारतिव् इवान िमनाएफ की िवनोदपूण् लोककथा की पु तक का िवमोचन और िबक्री शुू ुई। अत्यो्म संिझएफ़ आरआईबीआर

कुमाऊनी मूल की भारतीय लेिखका निमता गोखले ने अपनी इस पिरयोजना के बारे में सं्पे में बताते ुए कहा - इवान िमनाएफ़ की कथाएं अनुवाद करने का िवचार चायपान के समय एक बातचीत के दौरान सामने आया था। मैं ूसी सािहत्य से बुत अच्छी तरह पिरिचत ू और मैं खुद िकसी ऐसी रचना का अनुवाद करना चाहती ू जो िदलच प हो और िजसका महत्व हो। इवान िमनाएफ़ की ये कथाएं भी अनूठी ह क्योंिक इनमें कुमाऊनी लोक की रचनात्मकता अिभ य‍ ुई है। भारतीय उपमहाद्वीप के उ्र में इवान िमनाएफ़ ‍ारा संग्रिहत लोककथा

की अंग्रज े ी में कािशत पु तक

बसी कुमाऊनी जाित की ये कथाएं िसद्ध ूसी शोधकता् और भारतिव् इवान िमनाएफ़ ने उ्‍ीसवीं शताब्दी के उ्राध् में अपनी भारत-या ा के दौरान इक‍ी की थीं और िफर 1874-76 में इन्ह ूसी भाषा में कािशत कराया था। िफर सोिवयत स्ा काल में 1956 में इनका पुन क ् ाशन ुआ था। बाद में इनका ूसी से िहदी में अनुवाद ुआ। लेिकन िहदी में कािशत उस पु तक की बुत कम ितयां छपी थीं और उस पु तक में कुछ ही कथा को शािमल िकया गया था। अब अंग्रज े ी में अनुवाद होकर जो िकताब सामने आई है, उसमें िमनाएफ़ की ज्यादातर कथाएं शािमल ह, इसिलए पाठक इस पु तक में ज्यादा िदलच पी लेंग।े इन कथा की अनुवादक बुलबुल शमा् ने बताया - यह पहली िकताब है, िजसका मैंने अनुवाद िकया है। लेिकन यह िकताब मुझे सौ-डेढ़ सौ साल पुरानी उस दुिनया में वािपस ले गई, िजसका

मेरे मन पर अिमट भाव पड़ा है। िकताब में आम लोगों के जीवन के बारे में कई दज्न छोटी-छोटी िवनोदपूण् कथाएं ह। हर कथा की अपनी एक सीख है। लेिकन ये कथाएं अपनी इस सीख या िश्ा के कारण ही महत्वपूण् नहीं ह। बुलबुल शमा् की सहयोगी मधु मिलक के अनुसार, िमनाएफ ने इन कथा

ये कथाएं िमनाएफ ने अपनी भारत-या ा के दौरान इकट्ठी की थीं में कुमाऊनी सं कृित और परपरा का िच ण है और इनमें बौद्ध धम् का इितहास भी है। समकालीन िवद्वानों के िलए ये जानकािरयां लाभ द हो सकती ह। उन्होंने कहा - िमनाएव बौद्ध धम् पर शोध कर रहे थे। उन्होंने बौद्ध रचना

मा को में और मा को अंचल में यूने को की धरोहर क्रेमिलन और लाल चौक, मा को क्रेमिलन ूस की सबसे िसद्ध धरोहर है, िजसके राजसी दरवाजे, िवशाल गुबं द, अनूठे घंटाघर अपने अलंकतृ तीकों के साथ दश्क को बरबस बांध लेते ह। म ‍ा (मा को) का क्रेमिलन 13 वीं शताब्दी से लेकर सन् 1700 तक यानी सां‍ िपतेरबुग् (सेंट पीटस्बग्) नगर की थापना के समय तक ूस में स्ा का कें रहा। क्रेमिलन तब ूस का एक मुख धािम्क कें था और ूसी राजा महाराजा का िनवास थान भी था।

लाल चौक के एक कोने पर बना संत वसीली महािगरजा (सेंट बेिसल कैथिे ल) ूस का एक ऐसा तीक है, िजसे सारी दुिनया में लोग खूब अच्छी तरह से जानतेपहचानते ह। आकाश में चमकते उसके रगिबरगे गोल गुबं द मन मोह लेते ह। लाल चौक मा को का मुख्य चौक है, जहां से नगर की सभी मुख सड़कें शुू होती ह।

के पाठों का संग्रह िकया। इसके साथसाथ उन्होंने कुमाऊनी की लोककथाएं भी िलख लीं क्योंिक वे भारत की सं कृित, इितहास और परपरा में भी गहरी ुिच रखते थे। यहां यह बात उ‍ेखनीय है िक िमनाएफ़ के द्वारा िकए गए शोधकायो्ं के बाद ही ूस में बौद्ध धम् के अध्ययन का काम यापक तर पर शुू ुआ। कुछ उत्साही लोगों के काम की बदौलत ही 140 साल बाद भारत को िफर से उसकी सं कृित का एक अंश लौटाना संभव ुआ है। इस पिरयोजना के पहलकता् का कहना है िक वे ायोजकों के सहयोग से अपना यह काम आगे भी जारी रखेंग।े नई िद‍ी ि थत ूसी दूतावास के विर‍ सिचव िसगे्य करमालीता ने इस अवसर पर बोलते ुए कहा - मुझे आशा है िक भिव य में इस तरह की बुत सी पिरयोजना पर काम होगा, जो हमारे दो देशों के बीच सां कृितक संबधं ों को मजबूत बनाती ह।

धानमं ी नरें मोदी से िमलने आए नेताजी के पिरजन

क्या नेताजी सुभाष चं बोस की मृत्यु का रह य खुलगे ा? नरें मोदी िदसंबर में ूस-या ा के दौरान लदीिमर पुितन से यह अनुरोध करेंगे िक ूस नेताजी सुभाष चं बोस से जुड़ी गोपनीय फाइलों को साव्जिनक कर दे। िनलोवा रॉय चौधरी आरआईबीआर

यह भारत की आजादी के उन िदनों का एक ऐसा रह य है, जो शायद ज दी ही हल हो जाएगा िक 18 अग त 1945 को िवमान दु घ् ट ना में सु भाष चं बोस की मृत्यु ुई थी या नहीं? ूसी अिभलेखों में शायद उस रह य की चाभी छुपी है िक बोस के साथ क्या ुआ था? भारत के धानमं ी ने कहा िक वे खुद िदसंबर में रा£पित पुितन के सामने यह सवाल उठाएंग।े 14 अ‍ूबर को नेताजी के पिरजनों से मुलाकात करने के बाद ट्वीटर में अपने कुछ संदश े ों में मोदी ने िलखा िक उनकी सरकार उन फाइलों को साव्जिनक कर देगी, जो गोपनीय ह। 23 जनवरी 2016 को मनाई जाने वाली नेताजी की जयंती के िदन से भारत सरकार इन फाइलों को साव्जिनक करना शुू कर देगी। मोदी ने कहा िक उनकी सरकार ूस, ि टेन, जम्नी, जापान और अन्य सभी देशों की सरकारों से नेता जी से जुड़ी फाइलों को साव्जिनक करने का अनुरोध करेगी। धानमं ी का यह िनण्य सीधे-सीधे उन बातों के िखलाफ है, जो उनकी सरकार ने छह स‍ाह पहले ही 28 अग त 2015 को कें ीय सूचना आयोग में ुई सुनवाई के दौरान कही थीं। धानमं ी काया्लय ने तब यह वीकार िकया था िक उसके पास नेताजी से जुड़ी फाइलें ह और दूसरे देशों के साथ संबधं ों को देखते ुए उन्ह साव्जिनक नहीं िकया जा सकता है। भारत सरकार के पास सुभाष बोस से जुड़ी 87 गोपनीय फाइलें ह। गोपनीय फाइलों को साव्जिनक करने के इस िनण्य का भारत की जनता ने हािद्क वागत िकया है। इसमें पि‍मी बंगाल सरकार की भी भूिमका रही, िजसने िसतंबर में राज्य सरकार के पास उपि थत 64 फाइलों को साव्जिनक कर कें सरकार पर दबाव बढ़ा िदया था। पि‍मी बंगाल की मुख्यमं ी ममता बनजी् द्वारा िपछले महीने साव्जिनक की

T R AV E L 2 M O S C O W. C O M

िसिग्यफ़ े पसाद मंे िसिग्यफ़ े िगरजा और ूसी वा तुकला

कलोिमन् कए में यीशु वगा्रोहण िगरजा

मा को से कुछ ही दूर ि थत िसिग्यफ़ े पसाद नगर अपने ोइत् क मठ और उसमें बने िसिग्यफ़ े िगरजे के िलए िसद्ध है, िजसका िनमा्ण 14 वीं शताब्दी में सनातन ईसाई िभ्ु िसगे्य रदानेझ की ने िकया था। कुिलकोफ़ मैदान में ुए भयानक युद्ध से पहले राजा िदिम ी दन कोय यहां म्‍त मांगने आया था। 1744 में इस मठ को महामठ का दजा् दे िदया गया। दैविच बनाने वाले िसद्ध ूसी िच कार आन् ये ुब् योफ़ ने इस मठ की दीवारों पर अनेक अनूठे दैविच बनाए थे, जो आज भी सुरि्त ह।

1532 में म ‍ा (मा को) के िनकट इस िगरजे की थापना राजपिरवार में उस राजकुमार के जन्म के अवसर पर की गई थी, जो बाद में ूस के इितहास में राजा इवान ‘भयानक’ के नाम से िसद्ध ुआ। यह पत्थर का बना ऐसा पहला िगरजा था, िजसकी मीनार का ऊपरी िह सा ढलुवां आकार का था। बाद में इस िगरजे ने ूसी सनातन ईसाई वा तुकला पर गहरा भाव डाला।

गई 64 फाइलों में इस बात का कोई आिधकािरक माण नहीं िमला िक 1945 में ताइपेय िवमान दुघट् ना में नेताजी की मृत्यु हो गई थी। यह माना जाता है िक सोिवयत संघ द्वारा िनयंि त मंचिू रया में घुसने और सोिवयत संघ से शरण मांगने के िलए सुभाष चं बोस ने अपनी मृत्यु का नाटक रचा था। यह बात साफ नहीं ुई है िक वा तव में क्या ुआ था। लेिकन यह माना जाता है िक सोिवयत संघ ने उन्ह बंदी बनाकर साइबेिरया की याकूत् क जेल में रखा था। भारत सरकार द्वारा िनयु‍ दो जांच आयोगों ने यह वीकार िकया िक 1945 में सुभाष चं बोस की मृत्यु हो गई थी। लेिकन 1998 में िनयु‍ जांच आयोग ने कहा िक बोस की मौत िवमान-दुघट् ना में नहीं ुई थी। वे सोिवयत संघ भाग गए थे, जहां कुछ शोधकता् को उनकी उपि थित के माण भी िमले। नर मोदी ने नेताजी सुभाष चं बोस के 35 िर तेदारों वाले एक दल के साथ नई िद‍ी में अपने सरकारी आवास पर बात करते ुए फाइलों को साव्जिनक करने का िनण्य िलया। नेताजी की सुपु ी डॉ० अिनता बोस फाफ, जो जम्नी में रहती ह, इस दल में शािमल नहीं थीं। बोस पिरवार के सभी सद यों ने नेताजी से संबिं धत गोपनीय फाइलों को साव्जिनक करने की धानमं ी की घोषणा का वागत िकया और यह आशा य‍ की िक इस ‘ऐितहािसक’ िनण्य की बदौलत आिखरकार उस रह य पर से परदा उठ जाएगा। जबिक उनके पिरवार के कुछ सद य यह मानते ह िक वा तव में नेताजी की मृत्यु 1945 में ही हो चुकी है। नेताजी के भतीजे अिभजीत रे ने कहा - धानमं ी ने नेताजी और आजाद िहद फौज से जुड़ी फाइलों और कागजात को साव्जिनक करने की आव यकता पर सहमित य‍ की। उन्होंने कहा िक तुम्हारी तरह मैं भी िदल से यह चाहता ू िक इन कागजात को साव्जिनक कर देना चािहए। लेिकन अभी तक यह नहीं मालूम है िक अन्य देशों की सरकार धानमं ी के इस अनुरोध का क्या जवाब देंगी। इस मामले में भारत सरकार द्वारा अपनी सभी गोपनीय फाइलें खोलने का िनण्य आिखरकार 70 साल पुराने उस रह य का अंत कर देगा।

welcome.mos

नवादेिवची मठ की इमारतें इस मठ की थापना 1520 में महान् ूसी राजा वसीली तृतीय द्वारा की गई थी। यह मठ अपने खूबसूरत िभि्िच ों के कारण दश्कों के बीच लोकि य है। ये िभि्िच म ‍ा (मा को) में सव् ‍ े माने जाते ह। यहां अनेक िगरजे बने ुए ह, िजनके बीच पांच गुबं दोंवाला मालेन् की िगरजा सबसे ज्यादा िसद्ध है। इस िगरजे का िनमा्ण 1524-1525 में िकया गया था। इस मठ से जुड़े कि तान में ूसी सं कृित और इितहास में िसद्ध अन्तोन चेख़फ़, िसगे्य एयिज़न तेन और बरीस येि त्सन जैसे अनेक लोगों की क ें ह।


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