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बुधवार, 20 अ ल ै 2016
और Russia Beyond The Headlines की संयक्त ु पिरयोजना
राजनीित : ूस और भारत की दो ती तोड़ने की अमरीकी कोिशशें कभी सफ़ल नहीं होंगी, यह कहना है ूसी िवशेष्ों का
घूमता आईना
भारत और ूस की दो ती बुत पक्की
ि क्स िवकास बैंक के साथ सहयोग भारत की ाथिमकता
अब अमरीका यह कोिशश कर रहा है िक वह भारत को फुसला ले और भारत व ूस की परम्परागत दो ती को तोड़कर ुद भारत के साथ सैन्य-राजनीितक गठबन्धन कर ले। अिनल जनिवजय ूस-भारत संवाद
िपछले साह अमरीकी र्ा मन् ी ए टन काट्र ने भारत की या ा की। उन्होंने भारत के र्ा मं ी मनोहर पिर्कर से मुलाकात की। इस मुलाकात में जो सहमितयाँ ुई ह, उनके अनुसार दोनों देशों की सेनाएँ अब एक दूसरे के सैन्य साजो सामान और अों का इ तेमाल कर सकेंगी। अब भारत और अमरीका ज द ही लॉिजि टक सपोट् एग्रीमेंट पर ह ता्र करगे। अमरीकी र्ा मं ी ए टन काट्र ने इस बारे में िव तृत जानकारी देते ुए बताया िक समझौता हो जाने के बाद दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे की सैन्य आपूित्, मरम्मत सुिवधा , जंगी जहाजों और ईंधन भरने के िलए प्लेटफॉम् को उपयोग में ला सकेंगी। इसका मतलब ये होगा िक दोनों देश एक दूसरे के सैन्य िठकानों का इ तेमाल कर सकेंग।े इस समझौते का एक दूसरा प् ये भी है िक अमरीका की भारत के सैन्य िठकानों पर आवाजाही बढ़ जाएगी। इसके बाद भारत की बुत सी खुिफया चीजें अमरीका के िलए खुिफया नहीं रह जाएंगी। भारत में ुई सारी वाता् में अमरीका का मुख्य ध्यान इसी बात की ओर लगा ुआ है िक कैसे भारत के हिथयारों के बाज़ार में घुसा जाए और ूसी र्ा
उद्योग के साथ भारत के परम्परागत ूप से चले आ रहे सम्पको्ं को तोड़ा जाए। अब हम देख रहे ह िक न केवल ौद्योिगकी के ्े में भारत-अमरीकी सहयोग तेज़ी से बढ़ रहा है, बि क सैन्य-राजनीितक ्े में भी दोनों देश आपस में सहयोग कर रहे ह। जैस-े जैसे चीन के साथ भारत के िर ते ख़राब हो रहे ह, भारत अमरीका के साथ सहयोग बढ़ाने की तैयारी दिश्त कर रहा है।
उदाहरण के िलए िपछले साल अमरीका, भारत और जापान ने ’मालाबार’ नामक सँयु नौसैिनक अभ्यास िकया, िजससे चीन बुत नाराज़ ुआ। यह नौसैिनक अभ्यास सन् 2007 के बाद पहली बार िकया गया था। अभ्यास ख़त्म होने के बाद भारत ने घोषणा की िक अब ये अभ्यास ितवष् ुआ करगे। िपछले आठ साल से चीन के िवरोध
के कारण ये सैन्याभ्यास नहीं िकए जा रहे थे, लेिकन अब अमरीका के नेतत्ृ व में ्े ीय ताक़तें चीन की नाराज़गी मोल लेने के िलए तैयार ह। िवशेष्ों के अनुसार, दि्णी-पूवी् एिशया में तनाव बढ़ने का कारण यह है िक चीन की ्े ीय महत्वाकां्ाएँ बढ़ती जा रही ह और वह िव तारवादी नीित चला रहा है। िपछले समय में भारत और चीन के बीच भी दि्णी चीन सागर पर िनयन् ण
करने के िलए आपसी ितयोिगता बढ़ती जा रही है। हालाँिक औपचािरक ूप से देखा जाए तो इस इलाके को लेकर पेइिचंग और वािशंगटन के बीच जो ज़ोरा-ज़ोरी हो रही है, उससे भारत को कोई लेनादेना नहीं है। भारत का इस इलाके से बस, इतना ही िर ता है िक उसका 50 ितशत यापार दि्णी चीन सागर के रा ते होता है। इसके अलावा भारत के राजनेता यह सोचते ह िक अपनी िव तारवादी नीित पर अमल करते ुए चीन िसफ़् दि्णी चीन सागर तक ही सीिमत नहीं रहेगा, बि क भिव य में वह िहन्द महासागर में भी अपने पैर फैलाने की कोिशश करेगा। भारत ूस के र्ा उद्योग के िलए एक महत्वपूण् सहयोगी देश है। सन् 2013 में ूस ने अपने हिथयारों के कुल िनया्त का 35 ितशत िह सा भारत को िनया्त िकया था, िजसकी क़ीमत 4 अरब 70 करोड़ डॉलर थी। ऐसा लग रहा था िक ि थित ऐसी ही बनी रहेगी और भारत ूसी हिथयारों का मुख ख़रीददार बना रहेगा। लेिकन आशा के िवपरीत िदसम्बर 2015 में धानमन् ी नरेन् मोदी की ूस की या ा के दौरान भारत ने ूसी सैन्यतकनीक की ख़रीद के बड़े समझौते नहीं िकए। नरेन् मोदी ने इस िदशा में भारत के ज दबाज़ी न करने का िनण्य िलया धानमन् ी और यादातर अनुबन्धों को अिनित नरेन् मोदी काल के िलए ठण्डे ब ते में डाल िदया। की मा को मा को भारत को अपने ही राजनीितक या ा के बाद दोनो देशों के वु में बनाए रखना चाहता है। नरेन् नेता के बीच मोदी से मुलाक़ात करते ुए लदीिमर आपसी भरोसा पूितन ने बताया िक मा को चाहता है बढ़ा है। िक भारत सँय ु रा£ सुर्ा पिरषद का थाई सद य बन जाए क्योंिक भारत
सन्तुिलत और िज़म्मेदार िवदेश नीित चलाने वाली एक बड़ी महाशि है। हालाँिक ूस के ाच्य अध्ययन सं थान के िवशेष् लदीिमर सोतिनकफ़ का कहना है िक भारत और अमरीका की िनकटता से ूसभारत िर तों के िलए कोई बड़ा ख़तरा नहीं है। भारत िपछली सदी के सातवें दशक की तरह गुटिनरपे्ता की अपनी नीित पर कायम रहते ुए बु वु ीय सम्बन्ध बना सकता है। उन्होंने कहा — यह नहीं मानना चािहए िक यिद भारत अमरीका से िनकटता बढ़ाने की नीित चलाएगा तो इसका यह मतलब है िक वह ूस से या ि क्स-दल से दूर जा रहा है। धानमन् ी मोदी का उे य सभी महाशियों के साथ एक जैसे िर ते बनाए रखना भी हो सकता है। भारत के साथ हमारा रणनीितक सहयोग जारी है। भारत द्वारा अमरीका के साथ गहरे िर ते बनाने से मा को और िदी के बीच आपसी सहयोग पर कोई असर नहीं पड़ा है। अब सवाल यह उठता है िक क्या भारत ूस, अमरीका और चीन जैसी महाशियों के साथ अपने िर ते बनाते ुए इनके बीच सन्तुलन को सुरि्त रख पाएगा क्योंिक ये सभी महाशियाँ भारत को अपनी-अपनी तरफ़ खींचने की कोिशश करगी। कुछ िवशष्ों के अनुसार, वािशंगटन इस बात की भरपूर कोिशश करेगा िक भारत-ूसी सहयोग को भंग कर िदया जाए। अब तो यही आशा की जा सकती है िक भारतीय नेता ठण्डे िदमाग से काम लेंगे और अमरीका के साथ ज़ूरी दूरी को बनाए रखते ुए पिम और ूस के बीच चल रहे टकराव की िबसात पर भारत को मोहरा नहीं बनने देंग।े
ूस सीिरयाई पालमीरा से बाूदी सुरगों को हटाने में मदद कर रहा है आतंकवािदयों से पालमीरा को छुड़ाने के बाद यह ज़ूरी है िक वहाँ िबछी बाूदी सुरगों को साफ़ िकया जाए। इसके िलए ूसी िव फोट िवशेष् सीिरया पुच चुके हैं। िसगे्य िफ़दोतफ़ ूस-भारत संवाद
ूसी सेना सीिरयाई सरकार के अनुरोध पर सीिरया पुची थी। ूसी सैिनकों ने सीिरया पुचकर सबसे पहले सीिरया की जनता को मानवीय सहायता पुचानी शुू की। इसके बाद वे यह कोिशश करने लगे िक सीिरया में युद्धिवराम लागू िकया जाए। अब जैस-े जैसे सीिरया की सरकारी सेना और सीिरयाई जनसेना आतंकवािदयों के िख़लाफ़ अपनी सिक्रयता बढ़ा रही ह, ूसी सेना दूसरी िदशा में काम कर रही है। आजकल ूसी सैिनक ूसी वायुसने ा की सहायता से मु कराए गए ाचीन पालमीरा नगर में आतंकवािदयों द्वारा लगाई गई बाुदी
सुरगों को हटाने का काम कर रहे ह। पालमीरा पर ’इ लामी राज्य’ (इरा) के आतंकवािदयों ने मई 2015 में कब्ज़ा िकया था, उसके बाद उन्होंने पूरे नगर में जगह-जगह बाूदी सुरगें िबछा दीं। अब ूसी िव फोट िवशेष् इन सुरगों को नाकाम कर रहे ह। जैसािक ूस के र्ा मन् ालय से ूस-भारत संवाद के संवाददाता को जानकारी िमली है, ूसी िव फोट िवशेष्ों ने अभी तक पालमीरा में लगे 150 से यादा बमों और बाूदी सुरगों का पता लगाकर उन्ह न कर िदया है और क़रीब सवा िकलोमीटर लम्बी सड़क को पूरी तरह से िव फोट मु कर िदया है। यह एक बेहद मुि कल और बेहद जिटल काम है। ूसी सेना के िव फोट िवशेष्ों को क़रीब 180 हैक्टर के इलाके की जाँच करके उसे बम-मु करना है। जब यह काम पूरा हो जाएगा तो ूसी जीणो्द्धार िवशेष् िव के अन्य िसद्ध जीणो्द्धार िवशेष्ों के साथ िमलकर पालमीरा की
ऐितहािसक इमारतों के पुनुद्धार का काम शुू करगे। िवशेष् अभी तक एकमत से यह तय नहीं कर पाए ह िक आतंकवािदयों ने पालमीरा को कुल िकतना नुक़सान पुचाया है और पालमीरा का िफर से पुनुद्धार करने में िकतना समय लगेगा। ूस के िसद्ध हेरिमताज संग्रहालय के महािनदेशक िमख़ाइल िपआतरोव की ने कहा िक ूसी िवशेष् जीणो्द्धार का काम शुू करने की तैयारी कर रहे ह। आज ज़ूरत इस बात की है िक सारी दुिनया हमारे इस काम का समथ्न करे और जीणो्द्धार का यह काम यूने को के नेतत्ृ व में एक बड़े अन्तररा£ीय अिभयान में बदल जाए। िमख़ाइल िपआतरे की ने कहा — हेरिमताज इस काम में सिक्रय ूप से हाथ बँटाएगा और एक मुख सहभागी रहेगा। उन्होंने कहा — मेरा मानना है िक पालमीरा में इस तरह से काम िकया जाए िक हम िसफ़् एक पय्टक केन् के ूप में ही पालमीरा का जीणो्द्धार
ि क्स िबजनेस एसोिसएशन के भारतीय भाग के अध्य् कार िसंह कंवर का कहना है िक ि क्स-दल की अध्य्ता के काल में ि क्स िवकास बैंक के साथ सहयोग थािपत करना और पिरयोजना के िलए िव् जुटाना भारत की ाथिमकता होगी। उन्होंने कहा िक इस नए बैंक के साथ सहयोग को आगे बढ़ाने और सिक्रय करने की ज़ूरत है। अब हम पिरयोजनाएँ तैयार करने और उन पर अमल करने के िलए ि क्स बैंक का सहयोग लेने की ओर िवशेष ध्यान देंग।े भारत ि क्स-दल में और ि क्स िबजनेस एसोिसएशन में अपनी अध्य्ता की अविध में एक समग्र ृिकोण सुिनित करने और एसोिसएशन के भीतर सभी काय्कारी दलों के साथ काम करने की कोिशश करेगा। उन्होंने कहा िक यावसाियक वग् हमारे देशों को एकदूसरे के िनकट लाने में बड़ी भूिमका िनभाएगा।
अगली छमाही में भारत में ूसी कमाज़ कों की जुड़ाई और िबक्री िफर शुू होगी
ूस के कमाज़ क कारख़ाने के महािनदेशक िसगे्य कगोिगन ने बताया िक सन् 2016 की दूसरी छमाही में भारत में कमाज़ कों की जुड़ाई और िबक्री का काम िफर से शुू हो जाएगा। कमाज़ ने इसके िलए एक थानीय कम्पनी के साथ अनुबन्ध िकया है। िसगे्य कगोिगन ने बताया — िफ़लहाल भारत में काम बन्द है। इसका कारण यह है िक हम भारत के िमकिनयमों से अच्छी तरह पिरिचत नहीं ह। भारत में मज़दूरी के िनयम ऐसे ह िक हमारे सामने कई मुसीबतें खड़ी हो गईं और हम किठनाइयों में फँस गए। हमें अपना उत्पादन बन्द करना पड़ा। हमने सारे तैयार क बेच िदए और अब एक थानीय कम्पनी के साथ कों की जुड़ाई का अनुबन्ध िकया है, जो भारतीय बाज़ार में अगली छमाही में हमारे िलए काम करेगी।
मुिक्तदाता ूस
बाघ संर्ण सम्मेलन में मोदी ने की पूितन की शंसा
ूस की वायुसन े ा ारा िवगत 30 िसतम्बर 2015 को आतंकवादी िगरोह ’इ लामी राज्य’ के िख़लाफ़ सैन्य अिभयान शुू िकया गया था। ूसी वायुसन े ा ारा की गई सैन्य-कार्वाई की सहायता से अभी तक सीिरयाई सेना ने 400 से अिधक नगरों, बि तयों और गाँवों को आतंकवािदयों से मुक्त करा िलया है। सीिरयाई भूिम का क़रीब 10 हज़ार वग् िकलोमीटर इलाका आतंकवािदयों से वािपस छीन िलया गया है। सीिरया में क़रीब दो हज़ार ऐसे आतंकवािदयों को भी ख़त्म कर िदया गया, जो ूस के रहने वाले थे।
भारत के धानमन् ी नरेन् मोदी ने नई िदी में तीसरे एिशयाई बाघ संर्ण सम्मेलन में ूस के रा£पित लदीिमर पूितन के यासों की शंसा करते ुए कहा िक 2010 में बाघों की सुर्ा और संर्ण के सवाल पर पहला सम्मेलन रा£पित पूितन ने ही आयोिजत िकया था। साँ िपतेरबुग् (सेण्ट पीटस्बग्) में ुए इस सम्मेलन में बाघों की सुर्ा करने तथा बाघों की जाित को पृथ्वी पर से गायब न होने देने के िलए 33 करोड़ डॉलर इके िकए गए थे। मोदी ने कहा - बाघों को बचाकर दरअसल हम अपनी कृित और पया्वरण को ही बचा रहे ह। वन्यजीवों के िबना वन की क पना नहीं की जा सकती और दोनों एक दूसरे के पूरक ह। वनों का और वनजीवों का खात्मा मानव की सुर्ा के िलए भी खतरे की घण्टी है। इस िसलिसले में मैं बताना चाहता ू िक ूस के रा£पित लदीिमर पूितन ने 2010 में ूस में बाघ संर्ण सम्मेलन का आयोजन िकया था, जो मील का पत्थर सािबत ुआ। नरेन् मोदी ने कहा बाघों की सुर्ा करके हम अपने और अपनी आने वाली पीिढ़यों के भिव य को भी सुरि्त कर रहे ह।
न कर, जहाँ ढेर सारे पय्टक आएँग,े बि क पालमीरा को बदी के िख़लाफ़ संघष् का तीक बना दें, जहाँ लोगों को एक बदी के ूप में आतंकवाद की याद आए। वह एक ऐसा मारक हो, जहाँ सचमुच मृितयाँ सुरि्त रह। एक और काम जो पूरा करना होगा, वह यह है िक पालमीरा से चुराए गए ऐितहािसक मारकों को ढढ़ढढ़कर वािपस लाना होगा। पालमीरा के ऐितहािसक मारकों में से बुत से मारकों को चुराकर उनकी िवदेशों को त करी कर दी गई है। लेिकन अभी
भी यह सम्भावना है िक उन्ह वािपस लौटाया जा सकता है। िमख़ाइल िपआतरे की ने कहा — वैसे तो चुराए गए मारकों के यापार और त करी का एक पूरा तन् ही बना ुआ है, जो सारी दुिनया में काम करता है। इराक में बग़दाद के संग्रहालय से जो चीज़ें चुराई गई थीं, उनमें से 40 ितशत चीज़ें वािपस आ चुकी ह। इसिलए यहाँ भी मेरा ख़याल है िक यादातर मारक वािपस लौट आएँग।े मुझे लगता है िक पालमीरा में जो कुछ भी चोरी ुआ है, वह सब िमल जाएगा।
पालमीरा में आतंकवािदयों ारा लगाई गई बाूदी सुरगों को ूँढकर उनकी सफाई करते ुए ूसी िव फोट िवशेष्।
मुम्बई और िपतेरबुग् को जोड़ेगा एक नया गिलयारा ूस, अज़रबैजान और ईरान िमलकर एक पिरवहन पिरयोजना शुू करने जा रहे हैं। यह नया माग् वेज नहर के िलए चुनौती बन जाएगा। ओ गा समफ़ालवा व ग् याद
हाल ही में ूस के िवदेशमन् ी िसगे्य लवरोफ़ ने बताया िक ’उ्रदि्ण’ नामक नया पिरवहन गिलयारा काि पयन सागर के पिमी तटवती् इलाके से होकर अज़रबैजान के रा ते ूस से ईरान तक जाएगा। ूस, अज़रबैजान और ईरान के िवदेशमिन् यों के बीच ुई वाता् में इस पिरयोजना पर अमल करने के बारे में सहमित हो गई है। ूस के िवदेशमन् ी िसगे्य लवरोफ़ ने कहा – इस पिरयोजना में तीनों देशों के पिरवहन मन् ालयों को यह िज़म्मेदारी लेनी होगी िक वे इस पिरयोजना के तकनीकी और िव्ीय प्ों पर नज़र रखेंग।े तीनों देशों के सीमाकर (क टम) िवभागों और कौन्सुल िवभागों को भी आपस में सहयोग करना होगा। ईरान के िवदेशमन् ी मौहम्मद जवाद
ज़रीफ़ ने कहा – इस पिरयोजना पर अमल करने के बाद मालों की आवाजाही काफ़ी तेज़ हो जाएगी। ’उ्र-दि्ण’ पिरवहन गिलयारे का एक महत्वपूण् िह सा अज़रबैजान होकर ूस से ईरान तक जाने वाला रा ता ईरान पर लगे अन्तररा£ीय ितबन्धों के कारण अभी तक अधूरा पड़ा ुआ था। अब ईरान पर से ितबन्ध हटने के बाद गिलयारे के इस िह से पर भी काम शुू हो जाएगा और ज दी ही ूसी नगर साँ िपतेरबुग् (सेण्ट पीटस्बग्) से भारतीय बन्दरगाह मुम्बई तक जाने वाला 7.2 हज़ार िकलोमीटर लम्बा ’उ्र-दि्ण’ गिलयारा बनकर तैयार हो जाएगा। इस गिलयारे के रा ते भारत, ईरान और फ़ारस की खाड़ी के दूसरे देशों से माल ूस और यूरोप के दूसरे देशों तक जाया करेगा। अभी तक भारत और ूस के यूरोपीय िह से के बीच मालों की ढुलाई के िलए िजस रा ते का इ तेमाल िकया जाता है, वह साँ िपतेरबुग् से शुू होकर सारे यूरोप को पार कर वेज नहर के रा ते मुम्बई तक पुचता है। मुम्बई से साँ िपतेरबुग् माल पुचने में 40 िदन का समय लगता है। लेिकन नए पिरवहन
गिलयारे से िसफ़् 14 िदन लगा करगे। यह नया रा ता साँ िपतेरबुग् से शुू होकर म ा और अ ाख़न (ूस) से बाकू (अज़रबैजान) और बेन्देर अब्बास (ईरान) होकर मुम्बई तक जाएगा। इस नए रा ते से माल की ढुलाई बेहद
इस रा ते को पूरी तरह से चालू करने के िलए काि पयन सागर के पिमी तट पर कज़िवन – अ तारा (ईरान) – अ तारा (अज़रबैजान) के बीच नई रेलवे लाईन िबछानी पड़ेगी। यह रेलवे लाईन अज़रबैजानी अ तारा को ईरानी
उ्र-दि्ण गिलयारा टोल-टैक्स के कारण 2017 तक बनकर वेज नहर से गुज़रना तैयार हो जाएगा महगा पड़ता है स ती पड़ेगी क्योंिक अभी वेज नहर से गुज़रना बुत महगा पड़ता है। वेज नहर का टोल-टैक्स बुत यादा है। ’उ्र-दि्ण’ पिरवहन गिलयारा 2017 तक बनकर तैयार हो जाएगा। इस गिलयारे के िनमा्ण के बारे में ूस, भारत और ईरान ने सन् 2000 में एक समझौते पर ह ता्र िकए थे। िवगत फ़रवरी में ूसी रेलवे तथा अज़रबैजानी रेलवे के बीच इस बात पर सहमित हो गई थी िक भारत – ईरान – अज़रबैजान – ूस माग् पर अज़रबैजानी और ूसी रेलवे मालों की ढुलाई िकया करगी।
अ तारा, रे त और कज़िवन नगरों से जोड़ेगी। सन् 2015 में कज़िवन और रे त के बीच रेलवे माग् शुू हो गया है। अब रे त से अ तारा के बीच रेलवे लाईन िबछाने की योजना बनाई जा रही है। िविभ् सू ों के अनुसार इस नई रेलवे लाईन पर शुू में 40 लाख से एक करोड़ टन तक मालों की ढुलाई की जा सकेगी, जो बाद में बढ़कर डेढ़ से दो करोड़ टन ितवष् हो जाएगी। इन् ान्यूज एजेन्सी के महािनदेशक अिलक्सेय िबज़बरोदफ़ ने कहा – आिथ्क ृि से देखा जाए तो इस
पिरयोजना पर िबना कोई भारी खच् िकए तुरन्त अमल िकया जा सकता है क्योंिक इस पिरवहन गिलयारे का आधारभूत ढाँचा क़रीब-क़रीब तैयार है। हाँ, ईरान में रेलवे लाईन अभी तक नहीं िबछाई गई है। लेिकन जब तक रेलवे लाईन नहीं बन जाती तब तक उस रा ते पर कों से मालों की ढुलाई की जा सकती है। अज़रबैजान में पूरा ढाँचा तैयार है। िपछले पन् ह साल में इस ढाँचे के िनमा्ण पर भारी िनवेश िकया गया है। अब इस नए रा ते को शुू करने तथा इस रा ते पर माल ढुलाई का िकराया तय करने तथा क टम औपचािरकता को तय करने की ज़ूरत है। तीन देशों के िवशेष् आजकल इसी काम में लगे ुए ह। भारत और ूस को अपना यापार बढ़ाने के िलए इस नए पिरवहन कारीडोर की बेहद ज़ूरत है। भारत ूस से नए माल ख़रीदना चाहता है, लेिकन इसके साथ-साथ भारतीय मालों की भी सप्लाई बढ़ाना चाहता है। परमाणु पिरयोजना सिहत नई पिरयोजनाएँ शुू होने की बदौलत यह गिलयारा बड़ा उपयोगी िसद्ध होगा और इस पर बड़ी मा ा में मालों की ढुलाई की जाएगी।
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