Russia and India Business Report

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hindi.rbth.com

WEDNESDAY NOVEMBER 25, 2015

Business Report RUSSIA&INDIA NAVBHARAT TIMES IN ASSOCIATION WITH ROSSIYSKAYA GAZETA, RUSSIA

राजनीित : रणनीितक सहयोग को बल बनाने एवं वैिश्वक सम या

को भावी ढग से सुलझाने का यास

पुितन-मोदी िशखरवाता् : ूस व भारत के बीच बढ़ती नजदीिकयां िदसंबर में होने वाली भावी िशखर वाता् के दौरान भारत और ूस के बीच आपसी रणनीितक सहयोग के लगभग एक दज्न से ज्यादा समझौतों पर ह ता्र िकए जा सकते हैं। ददन उपाध्याय आरआईबीआर

मा को में िदसंबर में ूस और भारत के बीच होनेवाली 16वीं वािष्क िशखरवाता् पर दुिनया की नजर अभी से िटकी ुई ह। ूस के रा£पित लदीिमर पुितन के साथ भारत के धानमं ी नर मोदी की यह िशखरवाता् आपसी रणनीितक भागीदारी को बल बनाने एवं वैि‍क ‍लंत सम या को भावी तरीके से सुलझाने के िलए बुत अहम है। बारी-बारी से दोनों देशों में होनेवाली भारत-ूस सालाना िशखरवाता् की शुूआत अ‍ूबर 2000 में रा£पित पुितन के भारत दौरे से ुई थी। उस व‍ धानमं ी अटल िबहारी वाजपेयी और पुितन ने भारत और ूस के बीच रणनीितक भागीदारी की घोषणा पर ह ता्र िकए थे और ूस भारत का पहला रणनीितक साझेदार बन गया था। आगे चलकर इस वजह से पार पिरक िर तों में आए गुणात्मक पिरवत्नों के फल वूप दोनों देशों ने 2010 में िद्वप्ीय संबधं ों को ‘िवशेषािधकार ा‍ रणनीितक साझेदारी’ का दजा् िदया। तब से आज तक िमले पार पिरक लाभ द नतीजे यह िदखाते ह िक उ तम तर पर भारत-ूस संबधं ों का जायजा लेने और उन्ह िदशा व गित देने के िलए यह एक अत्यंत कारगर क्रम िसद्ध ुआ है। इससे पहले िपछले साल भी मोदी और पुितन ने नई िद‍ी में िशखरमुलाकात की थी। तब दोनों नेता ने ‘ ुज्बा-दो ती’ नामक एक रणनीितक द तावेज पर भी ह ता्र िकए थे, जो अगले दशक में िद्वप्ीय र्ा, परमाणु

ऊजा्, तेल और ाकृितक गैस तथा सुर्ा के ्े ों में ूस और भारत के बीच घिन‍ तथा यापक सहयोग के िवकास को बड़ा महत्व देता है। भावी मा को िशखरवाता् से पहले इस साल करीब आधा दज्न िविभ्‍ अंतररा£ीय सम्मेलनों में पुितन और मोदी की मुलाकातें हो चुकी ह। िनि‍त ूप से इन मुलाकातों में दोनों नेता के बीच िनजी िर ते िनरतर िवकिसत होते चले गए, िजसकी वजह से भारत और ूस के बीच परपरागत मै ी संबधं ों और

िविवध ्े ों में आपसी लाभ द सहयोग को बढ़ाना और भी सहज बन गया। क्रेमिलन में िशखरवाता् के दौरान इस बात पर िव तृत ूप से चचा् की जाएगी िक भारत सरकार की ‘मेक इन इिडया’ की नीित को ृि‍ में रखते ुए दोनों देशों के बीच आिथ्क, यापािरक सहयोग, िनवेश और परमाणु ऊजा्, तेल और ाकृितक गैस तथा सैिनक-तकनीकी सहयोग की संभावना को तलाशा जाए और उन्ह काया्िन्वत िकया जाए। वाता् के अंत में लगभग एक दज्न

से ज्यादा समझौतों पर ह ता्र िकए जा सकते ह। र्ा के ्े में कई समझौते संप्‍ हो सकते ह। भारत-ूस सैिनकतकनीकी सहयोग िपछले पांच दशक से अिधक समय से िवकिसत हो रहा है। आज दोनों देशों के बीच यह िर ता क्रेतािवक्रेता संबधं से ऊपर उठकर संय‍ ु अनुसधं ान, िवकास, िडजाइन और उत्पादन के ्े में सहयोग का ूप ले चुका है। आज भारत में टी-90 टकों और एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू िवमानों का िनमा्ण िकया जाता है। ‍ोस

आगामी िदसंबर में धानमं ी नरें मोदी रा£पित लदीिमर पुितन से िमलेंगे

सुपरसोिनक क्रूज िमसाइल, ‘मेक इन इिडया’ का एक बेहतरीन उदाहरण है। दोनों देशों के र्ा सहयोग में िनरतरता के म‍ेनजर िदसंबर, 2014 में पुितन की भारत-या ा के दौरान मोदी ने कहा था - भारत के िवक पों में चाहे आज वृिद्ध ुई है, िफर भी ूस हमारा सबसे महत्वपूण् र्ा भागीदार रहेगा। भावी िशखरवाता् के दौरान ूसी एस-400 वायु र्ा ्ेपा णाली की आपूित् के बारे में एक समझौते पर ह ता्र हो सकते ह। ‘मेक इन इिडया’

घूमता आईना पिरयोजना के तहत कामोव-226 और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों का भारत में िनमा्ण करने के बारे में और एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू िवमानों के कल-पुजो्ं के भारत में लाइसेंसशुदा उत्पादन पर भी समझौते संप्‍ हो सकते ह। भारत द्वारा ूस से दूसरी परमाणु पनडुब्बी प‍े पर लेने के बारे में भी समझौता हो सकता है। दोनों प् दो ूसी िकलो-क्लास डीजल-चािलत पनडुिब्बयों की खरीद पर भी बातचीत कर रहे ह। इस तरह मोदी की मा को या ा के दौरान भारत को कुल 3 अरब डालर के ूसी हिथयारों और सैिनक उपकरणों की सप्लाई के बारे में समझौते हो सकते ह। आिथ्क और यापािरक ्े ों में ऐसे कई समझौतों की आशा जताई जा रही है, िजनके माध्यम से भारत और ूस के बीच यापार, िनवेश और आिथ्क सहयोग को ाथिमकता िमले और आज का 10 अरब डालर का िद्वप्ीय यापार 2025 तक 30 अरब डालर के िनधा्िरत ल य को ा‍ कर ले। इन संभािवत समझौतों में ूस से भारत को ाकृितक गैस के िनया्त और ूस के उ्र वु ीय तटवती् ्े में तेल और ाकृितक गैस की खोज में भारतीय कंपनी ओएनजीसी की भागीदारी शािमल है। भारत और ूस परमाणु ऊजा् सहयोग के ्े में एक नयी ऊंचाई की ओर अग्रसर ह। िपछले िदसंबर में पुितन की भारत या ा के दौरान दोनों देशों ने अगले दो दशकों में 12 नए परमाणु िबजलीघरों की थापना को लेकर एक द तावेज पर ह ता्र िकए थे। पुितन ने तब कहा था िक ूस भारत में 20 िबजलीघर बनाएगा। ूस एक नए ूसी िडजाइन के िबजलीघर के िनमा्ण के िलए कुडनकुलम के अलावा भी कोई दूसरी जगह आबंिटत करने के िलए भारत के िनण्य का इतजार कर रहा है। यह मु‍ा भी दोनों नेता की बातचीत में उठेगा। भारत ूस की अलरोसा हीरा खनन कंपनी के साथ सीधे यापार करने का इच्छुक है। िपछले वष् िद‍ी िशखरवाता् के दौरान मोदी ने पुितन से इस ्े में िद्वप्ीय यापार बढ़ाने हेतु िनयमों को उदार बनाने और अलरोसा जैसी कंपिनयों और भारतीय कंपिनयों के बीच दीघ्कािलक समझौते करने की अपील की थी। इस िदशा में भी दोनों देश समझौतों की ओर आगे बढ़े ह।

राज थान में आतंकवािदयों का सफाया ूस और भारत के 500 से ज्यादा सैिनकों ने दो सप्ताह तक आतंकवादी हिथयारबंद िगरोहों के खतरे का िमलकर मुकाबला करने का अभ्यास िकया। िसगे्य िफ़दोतफ़ आरआईबीआर

िवगत 20 नवंबर को भारत में ूसीभारतीय सैन्य-अभ्यास ’इ -2015’ समा‍ हो गए। थार रेिग तान में दोनों देशों के 500 से ज्यादा सैिनकों ने दो स‍ाह तक आतंकवादी खतरे का िमलकर मुकाबला करने का अभ्यास िकया। िपछले कई वषो्ं से ूस और भारत की सेनाएं इस तरह के संय‍ ु सैन्य-अभ्यास कर रही ह और दुिनया में लगातार बढ़ते जा रहे आतंकवादी खतरे की पिरि थितयों में ये अभ्यास सामियक बन गए ह। ’इ -2015’ नामक ये सैन्य अभ्यास 7 से 20 नवं ब र को राज थान के बीकानेर नगर के पास ि थत महाजन

परी्ण मैदान में िकए गए। अभ्यासों में भाग लेने के िलए 250 सैिनकों का ूसी द ता 7 नवंबर को बीकानेर पुच गया था। इस साल सैन्य-अभ्यास का िवषय था - संय‍ ु रा£ संघ के ताव के अनुसार रेिग तान में ’शांित के िलए बाध्य करने हेतु संय‍ ु कार्वाइयां’। इसिलए इस संय‍ ु अभ्यास के दौरान िकसी ब ती पर अिधकार कर लेने वाले आतंकवािदयों के संभािवत िगरोह की गितिविधयों को रोककर उस िगरोह को न‍ कर देने की आतंकवाद िवरोधी सैन्य-कार्वाई की गई। यह कार्वाई तीन िदन तक जारी रही। महाजन परी्ण मैदान, जहां ये संय‍ ु सैन्य अभ्यास आयोिजत िकए गए थे, पािक तान की सीमा से करीब 100 िकलोमीटर दूर है और यहां अक्सर भारतीय सीमा-र्कों का सामना हिथयारबंद िगरोहों से होता रहता है। ’आतंकवािदयों का सफाया’ करने से पहले दो देशों के सैिनकों ने एकदूसरे के हिथयार चलाने सीखे और और

एक-दूसरे के उन सामिरक तरीकों का पिरचय पाया जो वे लोग सैन्य-कार्वाई के समय इ तेमाल करते ह। भारतीय सैिनकों ने कंधे पर रखकर चलाई जाने वाली ह की टकरोधी ूसी मोटा्र गन आरपीजी-7, मशीनगनें, िनशानाबाज बंदक ू ें और कलाशिनकफ रायफलें चलाने का अभ्यास िकया। बाद में भारतीय सैिनकों ने कहा िक ये ूसी आग्नेय-अ बुत ही िव‍सनीय ह और इनका बड़ी आसानी से उपयोग िकया जा सकता है। सबसे बड़ी बात तो यह है िक उनकी सफाई करना और सिव्िसंग करना बेहद सरल है। भारत ने इन सैन्य अभ्यासों का सकारात्मक मू यांकन िकया। भारतीय र्ा मं ालय द्वारा जारी की गई सूचना में कहा गया है - दोनों देशों के सैन्यद तों ने िमलकर आतंकवािदयों का सफाया करने से संबिं धत इस अभ्यास में भाग िलया। युद्धाभ्यास के दौरान श ु को घेरकर उसकी खोज करने और उसे न‍ करने तथा उसके कब्जे से इमारतों

को छुड़ाने का अभ्यास िकया गया। सातवें अंतररा£ीय ’इ ’ सैन्याभ्यास ूसी और भारतीय सैिनक-बैंडों की तुितयों के साथ समा‍ हो गए। अभ्यासों के दौरान िवशेष काय्​्मता िदखाने वाले ूसी सैिनकों और भारतीय ग्रेनिे डयरों को मृित-िचन्ह और पदक दान िकए गए। ूस और भारत के इन सैन्याभ्यासों ने एक बार िफर इस बात को मािणत िकया िक अंतररा£ीय आतंकवाद का मुकाबला िसफ् सभी की कोिशशों को एकजुट करके ही िकया जा सकता है। आगामी 7 से 12 िदसंबर तक बंगाल की खाड़ी में ूसी भारतीय संय‍ ु नौसैिनक अभ्यास ’इ -नेवी-2015’ भी होने जा रहे ह। ूसी पूवी् सैन्य ्े और भारत के शांत महासागरीय नौसैिनक बेड़े के अिधकािरयों ने इन अभ्यासों की योजना भी तैयार कर ली है। जहाजरानी की सुर्ा करने के िलए दो देशों की नौसेना द्वार िमलकर कार्वाइयां करने का अभ्यास िकया जाएगा। इन अभ्यासों

दि्ण-पूवीर् एिशया के देश ह्मोस िमसाइल खरीदेंगे

थाईलैंड, िवयतनाम और इडोनेिशया सिहत दि्ण पूव् एिशया के कुछ देशों ने ूस और भारत द्वारा संय‍ ु ूप से बनाए जा रहे ‍ोस िमसाइल की खरीद में िदलच पी िदखाई है। ‍ोस एयरो पेस कंपनी के व‍ा ने र्ा और सुर्ा-2015 नामक दश्नी में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा - इस दश्नी के दौरान थाईलैंड, मलेिशया, इडोनेिशया, िवयतनाम और िफलीपीन के र्ा मं ालयों के उ ािधकारी हमारे मंडप में आ चुके ह। इस बात की बड़ी संभावना है िक वे हमसे िमसाइल खरीदेंग।े उन्होंने बताया - हमें यह नहीं मालूम िक हमें िकस तरह के िकतने िमसाइलों के आड्र िमलेंग,े लेिकन हम औपचािरक अनुरोधों का इतजार कर रहे ह।

िनकीता िमख़ कोफ़ को भारत का िसनेमा-पुर कार

िसद्ध ूसी िफ म-िनदे्शक और अिभनेता िनिकता िमख़ कोफ़ को िव‍ िसनेमा में उनके महत्वपूण् योगदान के िलए गोवा के अंतररा£ीय भारतीय िफ म महोत्सव में िवशेष पुर कार से सम्मािनत िकया गया है। अंतररा£ीय िफ म महोत्सव के दौरान उनकी िफ में भी दिश्त की जा रही ह। सन् 2013 में िव‍ िसनेमा में योगदान के िलए यह पुर कार चेक िफ म-िनदे्शक इरझी िमन्ज़ेल को और 2014 में यह पुर कार िसद्ध चीनी िफ म-िनदे्शक वोंग कार वाय को िदया गया था। गोवा का अंतररा£ीय भारतीय िफ म महोत्सव भारत का सबसे बड़ा िफ म महोत्सव है, जो इस वष् 20 से 30 नवंबर तक हो रहा है।

अब भारत में बनेगी एके-47 ‘कलाशिनकफ़’ रायफल

िवगत 20 नवंबर को भारत में बीकानेर के पास महाजन परी्ण मैदान में ूसीभारतीय सैन्यअभ्यास ’इ 2015’ समाप्त हो गए

में भाग लेने के िलए ूसी रॉकेट क्रूजर युद्धपोत ’वया्ग’, िवध्वंसक युद्धपोत ’बी ी’, टकर ’बरीस बुतोमा’ और जीवनर्क टगबोट ’अलाताऊ’ भारत के िवशाखाप्नम बंदरगाह की तरफ रवाना हो गए ह। सैन्य-तकनीकी सहयोग के ्े में ूस और भारत एक-दूसरे के सबसे बड़े सहयोगी ह। भारतीय सेना, वायुसने ा और नौसेना द्वारा इ तेमाल िकए जाने वाले 70 ितशत से ज्यादा हिथयार और

सैन्य साजो-सामान ूस के ही बने ुए है। िपछले कई दशकों से दो देशों के बीच िर ते ाथिमकता के आधार पर िवशेष सामिरक सहयोग के िसद्धांत के अनुसार और दो देशों की जनता के बीच पार पिरक समझ की अवधारणा के आधार पर िवकिसत हो रहे ह। िव‍ मंच पर ूस और भारत की एकीकृत नीितयां तथा भारत के शंघाई सहयोग संगठन के साथ जुड़ने की संभावनाएं अंतररा£ीय पिरि थित को ि थर करती ह।

ूसी कंपनी ’कलाशिनकफ़’ भारत में आग्नेय-अ ों का िमलकर उत्पादन करने के िलए बातचीत कर रही है। कंपनी के महािनदेशक अिलक्सेय िक्रवाूच्का ने कहा - हम भारत की कुछ सरकारी और िनजी कंपिनयों के साथ बातचीत कर रहे ह। बातचीत अभी खत्म नहीं ुई है, इसिलए िकसी कंपनी का नाम बताना अभी ठीक नहीं होगा। उन्होंने बताया िक भारतीय कंपिनयां सन् 2008 से ही कलाशिनकफ़ रायफल का उत्पादन करने में अपनी िदलच पी िदखा रही ह। अिलक्सेय िक्रवाूच्का ने कहा - रायफल का उत्पादन शुू करने के िलए हमारी साझेदार कंपनी को इस पिरयोजना में करीब 10 करोड़ डॉलर का िनवेश करना होगा। हमें आशा है िक शुू में 50 हजार रायफलों का उत्पादन ितवष् िकया जाएगा। उन्होंने बताया िक भारतीय कंपिनयां 5.56 और 7.62 िमलीमीटर कैिलबर की रायफलों का उत्पादन करना चाहती ह।

िवचार

आज पूरी दुिनया के िसर पर मंडरा रहा है - ‘इ लामी राज्य’ के आतंकवाद का खतरा िगओगी् बो त

आरआईबीआर

ांस में की गई आतंकवादी कार्वाइयों के बाद ूस और पि‍म को यह मानना पड़ा िक हमारा दु मन एक ही है, और वह दु मन है अंतररा£ीय आतंकवाद, जो आतंकवादी िगरोह ’इ लामी राज्य’ के ूप में हमारे सामने खड़ा ुआ है। इस दु मन का हमें सफाया करना है और इसके िलए अपने सभी मतभेद भूलकर हमें अपनी कोिशशों को एकजुट करना है। िम में ुई ूसी िवमान दुघट् ना को आतंकवादी कार्वाई घोिषत करने के बाद पि‍मी देशों ने भी लदीिमर पुितन को सीिरया में आतंकवाद िवरोधी सैन्य कार्वाई में सहयोग करने की मंजरू ी दे दी और यह कहते ुए उसका अनुमोदन िकया िक सीिरया में

ूसी कार्वाइयां उिचत ह। ूसी िवमान में सवार 224 याि यों की मौत का बदला लेना अब ूस के िलए सैद्धांितक ूप से एक रा£ीय सवाल बन गया है। लदीिमर पुितन ने कहा - िम में इतनी बड़ी संख्या में ूसी लोगों की हत्या एक बड़ी आतंकवादी कार्वाई है। हमारे ये आंसू कभी नहीं सूखगें ।े इन लोगों की याद में हमारी आंखें हमेशा नम रहगी। लेिकन यह नमी अपरािधयों को ढढ़ कर उनको सजा देने में कभी बाधा नहीं बनेगी। पुितन ने संय‍ ु रा£ संघ के चाट्र की 51 वीं धारा का हवाला िदया, िजसमें कहा गया है िक िकसी भी देश को अपनी सुर्ा करने का अिधकार है। ूस ने आतंकवािदयों के बारे में सूचना देने वाले को 5 करोड़ डॉलर का इनाम देने की घोषणा की है। हालांिक पुितन ने आतंकवािदयों के बारे में ितशोध, दंड और सजा जैसे

शब्दों का इ तेमाल करते ुए बड़ी सावधानी बरती थी, लेिकन उनके स े सिचव ने खुलआ े म यह घोषणा की िक ूस की खुिफया एजेंिसयों को यह

नागिरक उड्डयन ्े आतंकवाद से सवा्िधक भािवत। आदेश िदया गया है िक िम में ूसी िवमान िगराने से जुड़े सभी िगरोहों और यि‍यों का पूरी तरह से सफाया कर िदया जाए। यानी िबना िकसी अदालती कार्वाई के उन्ह न‍ कर िदया जाए। वैसे भी रा£पित पुितन द्वारा संय‍ ु रा£ के चाट्र की 51 वीं धारा का हवाला सुनकर ूसी समाज यह समझ गया था

िक अब आतंकवािदयों की खैर नहीं है। अब उनको वैसे ही सजा दी जाएगी, जैसे इजरायली खुिफया िवभाग ने कभी सारी दुिनया में ढढ़-ढढ़ कर उन िफिल तीनी आतंकवािदयों का सफाया कर िदया था, िजन्होंने 1972 में म्यूिनख ओलंिपक खेलों के दौरान इजरायली िखलािड़यों की गोली मार कर हत्या कर दी थी। मा को द्वारा िम में ुई िवमान दुघट् ना को आिधकािरक तौर पर आतंकवादी कार्वाई मान िलए जाने के अब क्या पिरणाम होंग?े शायद ही इसकी वजह से अब िम की तरह दुिनया के अन्य देशों के साथ भी हवाई यातायात को बंद िकया जाएगा। हालांिक सबसे अिधक आतंकवाद का खतरा नागिरक उ‍यन के ्े में ही है। ूसी उ‍यन मं ालय ने अमरीका और यूरोप के साथसाथ 47 देशों के साथ नागिरक उ‍यन के ्े में बड़ी सावधानी, सुर्ा और

सतक्ता बरतने की चेतावनी दी है। जहां तक सीिरया की बात है, पुितन ने आतंकवादी िठकानों पर ूसी वायुसने ा के हमले बढ़ाकर दुगनु े कर देने का आदेश िदया है। इसका मतलब यह है िक ूसी सेना सीिरया में जमीनी हमले नहीं करेगी और िसफ् हवाई हमले करके ही आतंकवािदयों को िठकाने लगा देगी। आतंकवाद िवरोधी एकजुट मोचा् भी िफलहाल बनता िदखाई नहीं दे रहा है। लेिकन पेिरस में ुए आतंकवादी हमलों के बाद और तुकी् में जी-20 के िशखरसम्मेलन में नए संदभो्ं में आतंकवाद पर चचा् के बाद मा को की कार्वाइयों के साथ तालमेल काफी बढ़ जाएगा। साफ िदखाई दे रहा है िक आतंकवादी खतरे की नई समझ पैदा होने के बाद मा को और पि‍मी देशों के बीच संबधं एक वष् पहले के मुकाबले आज कहीं बेहतर हो गए ह।

यह प‍ हो गया है िक ूसी वायुसने ा आतंकवादी िगरोह आईएस यानी ’इ लामी राज्य’ (इरा) के िठकानों पर अपने हमले काफी बढ़ा देगी, लेिकन

मा को और पिश्चमी देशों के बीच संबध ं आज पहले से बेहतर। ’सीिरयाई आजाद सेना’ जैसे उन संगठनों पर हमले करने से बचेगी, िजन्ह पि‍मी देश ’संयिमत सीिरयाई िवप्’ के नाम से पुकारते ह। िन‍य ही यह इस बात का सबूत है िक प्ों के बीच आपसी िव‍ास बुत कम है, लेिकन िजन लोगों पर हमले करने चािहए, उन्ह लेकर दोनों प्ों के बीच गहरा तालमेल अब शुू

हो रहा है। पुितन की घोषणा के तुरत बाद ूसी वायुसने ा ने सीिरया के राक्का नगर में ’इरा’ के िठकानों पर जो हमले िकए, वे इस तालमेल का पहला सबूत ह। जहां तक जमीनी कार्वाई की बात है, िजसके िबना कुछ िवशेष्ों के अनुसार ’इरा’ पर पूरी तरह से िवजय हािसल करना संभव नहीं है और िजसके िलए बशार असद की सेना और कुद् सेना के पास पूरी ताकत नहीं है, तो इस मामले में ि थित कुछ जिटल है, बि क कहना चािहए िक ि थित अशुभ ही है। ’इ लामी राज्य’ अपने चार और अपनी िवचारधारा के चार में हालांिक इ लामी ’सूरा ’ को काफी महत्व देता है, लेिकन वह ’ईसाई ताकतों’ के साथ आिखरी जमीनी लड़ाई लड़ने के िलए भी प्यासा है तािक पि‍म को और दुिनया के सारे ईसाई समाज को सबक िसखा सके। भिव यवािणयों के अनुसार

यह लड़ाई ’इ लामी राज्य’ द्वारा िनयंि त सीिरया के दािबक नगर के पास होगी। यह दािबक नगर राक्का नगर के एकदम पास है। अगर इस लड़ाई के बारे में ’इरा’ की यह भिव यवाणी सच है तो कहा जाना चािहए िक पेिरस में की गई आतंकवादी कार्वाइयां और ूसी िवमान में धमाका क‍रपंिथयों की तरफ से दी जा रही चुनौितयां ह। वे लड़ाई करने के िलए उकसा रहे ह। अगर उनकी इस चुनौती को वीकार नहीं िकया जाएगा तो वे नई आतंकवादी कार्वाइयां करके नई चुनौितयां देंग।े इससे इसी बात की पुि‍ होती है िक क‍रपंिथयों और हैवानों की तरफ से वत्मान सभ्यता को आज गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। िफलहाल इस चुनौती का जवाब देने में वे गौण चीजें ही बाधा डाल रही ह, िजन्ह लेकर आज हमारे बीच मतभेद िदखाई दे रहे ह।


WEDNESDAY NOVEMBER 25, 2015 In association with Rossiyskaya gazeta, Russia

अथ् यव था

अथ् यव था : ूसी अथ् यव था में िगरावट का दौर खत्म एवं िवकास का दौर शुू

ूसी अथ् यव था की बहाली कें ीय सांिख्यकी िवभाग के अनुसार ूसी उद्योगों में उत्पादन सूचकांक की गितशीलता इस बात की सूचक है िक ूस की अथ् यव था के कुछ मुख ्े ों में िगरावट बंद हो गई है। अिलकेय लो सान आरआईबीआर

हाल ही में िविभ्‍ िव्‍ेषक इस पिरणाम पर पुचे िक ूसी अथ् यव था में िदखाई दे रही िगरावट बंद हो गई है और ूसी अथ् यव था िफर से िवकास की ओर अग्रसर है। शोध रेिटग एजेंसी एस० एंड पी० के अनुसार, वष् 2015 की तीसरी ितमाही में ूसी अथ् यव था इससे पहले एक वष् तक चली िगरावट के बाद 0.5 ितशत िवकिसत ुई है। यही नहीं, जैसािक ूसी समाचारप ’वे दाम ती’ को एस० एं ड पी० की मुख अथ्शा ी तितयाना िलसेन्का ने बताया - 2015 की चौथी ितमाही में भी ूसी अथ् यव था िवकिसत होती रहेगी और अब यह कहा जा सकता है िक अथ् यव था ि थर हो रही है।

अथ् यव था की बहाली ूस के रा£पित के अंतग्त सिक्रय रा£ीय अथ् यव था और लोक शासन अकादमी द्वारा हर महीने देश की आिथ्क यव था के बारे में तुत की जाने वाली िरपोट् में बताया गया है िक उद्योगों में उत्पादन सूचकांक की गितशीलता इस बात की सूचक है िक ूस की अथ् यव था के कुछ मुख ्े ों में िगरावट बंद हो गई है। यही नहीं, ूस के कें ीय सांिख्यकी िवभाग ने िवगत 19 अ‍ूबर को इस साल के िसतंबर महीने के बारे में जो सूचनाएं कािशत की ह, उनमें बताया गया है िक औद्योिगक उत्पादन अपने सबसे न्यूनतम तर पर पुचकर िफर

ूसी अथ् यव था में मंदी को रोकने में सवा्िधक योगदान ऊजा्, कृिष और रसायन जैसे उन ्े ों का रहा है जो िनया्त से संबध ं रखते हैं से बढ़ना शुू हो गया है। आकलन के पिरणाम यह िसद्ध करते ह िक खनन और सं करण के ्े में उत्पादन में िगरावट ुक चुकी है। रा£ीय अथ् यव था और लोक शासन अकादमी के िवशेष् कं तािन्तन करीशेन्का ने कहा - 2015 में ूसी अथ् यव था में मंदी को रोकने में सबसे अिधक योगदान ऊजा्, कृिष और रसायन उद्योग जैसे उन ्े ों का रहा है, जो िनया्त से संबधं रखते ह। ूबल का अवमू यन होने के कारण

इन ्े ों को भारी ोत्साहन िमला और दुिनया भर में क े मालों की कीमत िगरने के बावजूद ये ्े लाभ में रहे। उन्होंने बताया िक उन कुछ ्े ों के सामने तो िव‍ बाजारों में नई संभावना के द्वार भी खुल गए, जो अपने उत्पादन में आयाितत घटकों का इ तेमाल नहीं करते ह। इसका कारण यह रहा िक ूबल का अवमू यन होने की वजह से इन उत्पादों की लागत कीमत घट कर करीब-करीब आधी रह गई और उत्पादकों ने िव‍ बाजार में

भी अपने उत्पादों का मू य घटा िदया। देश में उत्पादन में होने वाली िगरावट को माना जा सकता है। जनवरी से अ‍ूबर 2015 का उत्पादन सूचकांक जनवरी से मुख्य खतरे िवशेष्ों का मानना है िक बड़े पैमाने अक्टबर 2014 के उत्पादन सूचकांक पर मु ा फीित अभी भी ूस की के 96.7 ितशत के लगभग है यानी अथ् यव था के िलए एक मुख खतरा ूसी उद्योगों में िपछले साल की इसी बनी ुई है। कं तािन्तन करीशेन्का का अविध के मुकाबले 3.3 ितशत की कहना है िक 2015-2016 में उ िगरावट आई है। िनवेश की कमी एक मु ा फीित के कारण ूसी कंपिनयों और सम या है। वेदाम ती समाचारप को ित पधा् का लाभ िमलना बंद हो से बात करते ुए एस० एन्ड पी० की जाएगा। 17 नवंबर 2015 को कािशत मुख अथ्शा ी तितयाना िलसेन्का ने िरपोट् के अनुसार, एक और खतरा पूरे बताया - यापक आिथ्क नजिरए से

ि क्स देशों में जारी होगी 5जी तकनीक

देखें तो िनवेश बढ़ने की ि थितयां ह। लेिकन िसफ् पैसा होना ही तो काफी नहीं है। इसके िलए यह भी जूरी है िक बाजार में उत्पादों की मांग बढ़े। लेिकन मु ा की िविनमय-दर में होने वाला उतार-चढ़ाव और अिनि‍तता ि क्स-दल के पांच सद य देशों में का उ तर इसमें बाधा बने ुए ह। बुत तेजी से काम करने वाली 5 जी मोबाइल इटरनेट तकनीक िनवेश के उदाहरण यव था लागू करने की योजना हालांिक आम तौर पर िनवेशक बुत बनाई जा रही है। सतक्ता और सावधानी से काम ले रहे ह, लेिकन ूस में नए कारखाने सामने िसगे्य िफ़दोतफ़ आने लगे ह। इनमें ऐसे कारखाने भी आरआईबीआर ह, िजनमें िवदेशी िनवेशकों ने पूज ं ी िवगत िसतंबर के अंत में मा को में लगाई है। ि क्स देशों के संचार मंि यों का 2015 के अंत में मक् जैसी एक सम्मेलन ुआ, िजसमें सूचना तकनीक बड़ी जम्न औषध और रसायन उद्योग में पि‍म के एकािधकार को कंपनी अपना कारखाना शुू करने खत्म करने और इस िदशा में पार पिरक जा रही है, िजसमें वह मधुमहे यानी सहयोग से जुड़े सवालों पर चचा् की डायिबटीज और हृदयरोगों के इलाज गई। इसके साथ-साथ इटरनेट के के िलए दवाइयों का उत्पादन करेगी। बुिनयादी ढांचे के अंतररा£ीय बंधन मक् कंपनी की बंध िनदेशक और तं के िवकास पर भी बात की गई। चीन के उद्योग और सूचना ौद्योिगकी उपाध्य् मक् एलिचन एरगून ने कहा - हमारे िलए िवकासशील बाजारों के बीच ूस एक मुख देश है। हम यहां अपने पैर जमाना चाहते ह, इसिलए ि क्स के देश आपस हमने दीघ्कालीन रणनीित बनाते ुए में ऑिप्टक फाइबर ारिभक दौर में ही यहां उन दवाइयों का उत्पादन शुू करने का फैसला िकया, केबल से जुड़गे। िजनकी ूस के बाजार में बड़ी मांग है। उन्होंने कहा - सन् 2016 के अंत तक मं ी िमयाओ वेय ने ताव रखा िक मक् ूस में दवाइयों के उत्पादन में एक ि क्स के देश अपने यहां 5जी इटरनेट, करोड़ यूरो का िनवेश करेगी। व तु इटरनेट (इटरनेट ऑफ़ िथंग्स) इसके साथ-साथ िवशेष् िनवेशकों और मेघ तकनोलौिजयों (क्लाउड को यह सलाह भी दे रहे ह िक वे नए सिव्िसज) को लागू करने के िलए बाजारों पर भी नजर रखें। ूसी शेयर आपस में सहयोग कर। उन्होंने बताया बाजार में काम करने वाली एक िनवेश िक सन् 2014 में ि क्स देशों में इटरनेट कंपनी ’ ीडम िफनान्स’ के ऑपरेशन उपयोगकता् की संख्या बढ़कर 1 मुख िगओगी् वाशेन्का ने कहा - हम अरब 20 करोड़ तक पुच गई है यानी सिक्रय ूप से यानी करीब 25 ितशत सारी दुिनया के 40 ितशत इटरनेट वािष्क िवकास दर के िहसाब से ई० उपयोगकता् ि क्स के पांच सद य कामस् का िवकास कर रहे ह। खुदरा देशों में रहते ह। लेिकन इस सफलता ्े और सूचना तकनीक के ्े अन्य के बावजूद ि क्स देशों में आपसी ्े ों की अपे्ा खुद को बेहतर महसूस संपक् और इटरनेट का बुिनयादा ढांचा कर रहे ह। िवकिसत देशों के मुकाबले अभी भी उन्होंने बताया िक मोटर-कार िनमा्ण काफी िपछड़ा ुआ है। इस ्े में ि क्स-देशों के बीच उद्योग की हालत बेहद खराब है क्योंिक कारों की िबक्री 25 से 35 ितशत तक सहयोग को यापक बनाने के िलए उन्होंने ताव रखा िक ि क्स देशों िगर गई है।

द्वारा बनाए गए नए िवकास बैंक का सिक्रयता से उपयोग िकया जाए। ूस के जनसूचना और संचार मं ी िनकलाय िनिकफ़ोरफ़ ने ि क्स देशों में 5जी मोबाइल इटरनेट के िवकास के ्े में सहयोग करने के इस िवचार का समथ्न िकया। उन्होंने कहा - मुझे यह बात पसंद आई िक हम 5जी टे‍ोलॉजी का िवकास करने की िदशा में सहयोग कर क्योंिक यिद हम ि क्स के अंतग्त यह काम ज दी से पूरा कर लेंगे तो इसका मतलब होगा िक दुिनया की आधी जनसंख्या को हमने यह सुिवधा उपलब्ध का दी है और वह इस ृि‍ से काफी सुृढ़ हो गई है। हम एक-दूसरे को बुत कम जानते ह। हमारी सूचना त‍ोलौजी कंपिनयां भी एक-दूसरी से बुत कम पिरिचत ह। यहां तक िक सीधा आपसी संपक् थािपत करके भी हम बड़ी तेजी से आगे बढ़ने लगेंग।े सम्मेलन में एक ऐसे केबल का िनमा्ण करने की संभावना पर भी चचा् की गई, जो ि क्स देशों को आपस में सीधा जोड़ दे। यह िवचार करीब दो साल पहले सामने आया था। ाजील ने तो अपने यहां केबल िबछाना भी शुू कर िदया गया है। उसे आशा है िक उसकी यह संचार लाइन ि क्स देशों के वैकि पक संपक् नेटवक् का एक िह सा बन जाएगी। िवशेष्ों ने िहसाब लगाया िक अतलांितक महासागर, िहद महासागर और शांत महासागर के तल में िबछाए जाने वाले इस ऑिप्टक फाइबर केबल की लंबाई 33 हजार िकलोमीटर से ज्यादा होगी। यह केबल लदीव तोक से चीनी नगर शािनतू व भारतीय नगरों, चे्‍ई और कोलकाता से होकर दि्णी अ ीका के रा ते ाजील के फ़ोता्लू े नगर तक जाएगा। िनकलाय िनिकफ़ोरफ़ के अनुसार ज दी से ज दी इस योजना पर अमल करना चािहए। चीन ने इसके िलए कंपिनयों की एसोिसएशन बनाने का सुझाव रखा है।

ि क्स देशों के बाजारों में भारतीय औषिधयों की मांग बढ़ती जा रही है ूस में सिक्रय भारत के दवाउत्पादकों को आशा है िक ि क्स और शंघाई सहयोग संगठन में सहयोग बढ़ने पर उनकी दवाइयों की िबक्री बढ़ जाएगी। अिलक्सान् ा कात्स आरआईबीआर

दुिनया भर में दवाइयों के आधे से ज्यादा उपभो‍ा ि क्स के पांच सद य देशों यानी ाजील, ूस, भारत, चीन और दि्णी अ ीका में रहते ह। इसके अलावा िवकासशील देशों में दवाइयों का बाजार भी बड़ी तेजी से िवकिसत हो रहा है। एन०टी०सी० फ़ामा् के िवशेष्ों के अनुसार, वष् 2018 तक चीन में औषध बाजार 170 अरब डॉलर का होगा, जबिक ाजील में 41 अरब डॉलर से ज्यादा की दवाइयां िबकने लगेंगी तथा भारत और ूस में भी

दवाइयों की िबक्री हर देश में 26 अरब डॉलर से ज्यादा की होगी। िपछले एक दशक में जेनिे रक दवाइयों के सबसे बड़े उत्पादकों के एक देश के ूप में भारतीय दवाइयों की अमरीका और यूरोप के देशों के अलावा ि क्स के देशों में भी बड़ी मांग ह। जेनिे रक दवाइयों का मतलब उन ांडड े दवाइयों से है, िजनके पेटट की अविध पूरी हो चुकी है और िजनका उत्पादन अब दुिनया में कोई भी कर सकता है। भारत इन दवाइयों के िलए नए बाजार खोज रहा है। एम०सी० िकंसे एंड कंपनी के अनुसार सन् 2012 से 2020 के बीच भारतीय कंपिनयों का औषिध बाजार 12.1 ितशत बढ़कर 45 अरब डॉलर का हो जाएगा। िवशेष्ों के अनुसार, ि क्स देशों में भारतीय दवा कंपिनयों के िलए सबसे अिधक तेजी से िवकिसत होने वाला

बाजार ूस का होगा। ूस के औषिध बाजार में भारत पहले ही छाया ुआ है। भारतीय कंपिनयों ने ूसी दवा बाजार के 3 ितशत से 15 ितशत िह से पर कब्जा कर रखा है। अभी तक ूस में भारत की 800 से ज्यादा दवाइयों का पंजीकरण िकया जा चुका है। आर०एन०सी० फामा् नामक कंपनी के िवकास िव्‍ेषण िनदेशक िनकलाय िबसपालफ़ के अनुसार, ूसी बाजार में भारतीय कंपिनयां इसिलए बड़ी तेजी से िवकिसत नहीं हो रही ह क्योंिक ूस में ूसी दवा उद्योग के िवकास की नीित - फामा्-2020 चलाई जा रही है। यह नीित थानीय औषिध उत्पादन के िवकास की ओर केंि त है। उसी समय इस नीित के अनुसार, भारतीय कंपिनयां ूस में ही अपनी दवा का उत्पादन करके ूसी बाजार में बड़े पैमाने पर अपनी उपि थित बढ़ा सकती ह।

िनकलाय िबसपालफ़ ने बताया िक इस रणनीित के अनुसार िवदेशी कंपिनया बड़े पैमाने पर ूस में िनवेश कर रही ह। आिथ्क संकट से ग्र त 2014 के िसफ् एक वष् में ही करीब 20 कंपिनयों ने ूस के सां‍ िपतेरबुग,्

ूस चाहता है िक ूस में ही दवा का उत्पादन िकया जाए। कलूगा और यरा ला ल देशों में अपनी दवा-फैिक् यां लगाई ह। हर कंपनी ने 10 करोड़ डॉलर से 20 करोड़ डॉलर तक इन फैिक् यों में िनवेश िकया है। जहां तक भारतीय िनवेशकों की बात है तो ि थित इतनी आशाजनक नहीं है हालांिक िपछले पांच सालों में ूस और

भारत की मुख कंपिनयों ने औषधउत्पादन के ्े में दज्नों समझौतों पर ह ता्र िकए ह, िजनके अनुसार अब तक ढेरों संय‍ ु पिरयोजनाएं शुू हो जानी चािहए थीं, पर िसफ् एक-दो पिरयोजना पर ही काम चल रहा है। इनमें यरा ला ल देश में डॉ० रे‍ीज लेबारेटरीज और ूसी कंपनी आर० फामा् द्वारा संय‍ ु ूप से बनाया जा रहा दवा का वै्ािनक उत्पादन पिरसर भी है। एक बड़ी औषिध िनमा्ता कंपनी सन फामा् के मुख िदलीप शांगवी ने ूस में थानीय दवा उत्पादन पिरयोजना में िनवेश करने की बात कही है। उ‍ेखनीय है िक माच् 2015 में सन फामा् और रेनबाक्सी लेबारेटरीज का िवलय ुआ है और रेनबाक्सी की दवाइयां ूस में खूब िबकती ह। 1997 में िवक्रम पूिनया द्वारा थािपत

मुब ं ई में नई-पुरानी ूसी िफ मों का महोत्सव मुबं ई में ुए इस िसनेमा महोत्सव से ूसी और भारतीय िफ म उद्योग को िफर से आपस में सहयोग करने और संयक्त ु ूप से नई िफ में बनाने की रे णा िमली। अिलक्सां ा कात्स आरआईबीआर

मुबं ई में ूसी िफ म-िनमा्ता संघ ने दो देशों के िफ मकारों के बीच पुराने िर तों को िफर से पुनजी्िवत करने के िलए ूसी िफ म महोत्सव का आयोजन िकया। ’द हॉलीवुड िरपोट्स् रिशया’ पि का की मुख संपादक मरीया लेिमिशव के नेतत्ृ व में ूसी िफ मकारों के एक ितिनिधमंडल ने इस महोत्सव में भाग िलया और आशा य‍ की िक मुबं ई में यह महोत्सव एक वािष्क आयोजन बन जाएगा। इस महोत्सव में कुल 15 ूसी िफ में दिश्त की गई, िजनमें नई-पुरानी सभी तरह की िफ में थीं। महोत्सव के दौरान ही मुबं ई पुचे ूसी सं कृित मं ालय के अिधकारी, ूसी िफ म-िनदे्शक, िफ म- ोड्यूसर और अिभनेता भारतीय िफ म-िनमा्ता और िफ मिनदे्शकों के साथ मुलाकात करके आपसी सहयोग की संभावना पर िवचार कर रहे थे। ूसी ितिनिधमंडल के सद यों ने िफ मिसटी की या ा की, किपल के

कॉमेडी ोग्राम की शूिटग देखी और रणबीर कपूर व दीिपका पादुकोने के साथ त वीर िखंचवाईं। दीिपका पादुकोने और रणबीर कपूर की इिम्तयाज अली द्वारा िनदे्िशत भारत में इस साल की सबसे बु तीि्त िफ मों में से एक ’तमाशा’ की माके्िटग में य त मोिहत चौधरी का कहना था िक रणबीर भी ूसी िफ मों में काम करने को उत्सुक ह। मोिहत चौधरी ने आरआईबीआर से कहा - हम ूस में भी ’तमाशा’ को िरलीज करना चाहते ह। रणबीर और दीिपका के साथ हम जूर वहां आएंग।े मेरा खयाल है िक हमारे िलए यह समझना भी जूरी है िक िफ मों के ्े में हमारे दो देशों के िर ते राज कपूर के साथ ही खत्म क्यों हो गए। नई पीिढ़यों के साथ उनका आगे िवकास क्यों नहीं ुआ। ूस में भारतीय िफ म महोत्सवों के आयोजक सरफराज आलम का कहना है िक ूम में ’तमाशा’ की िरलीज इस बात का पहला उदाहरण होगा िक बालीवुड ूस को िफ मों का िनया्त करने लगा है। ूस और भूतपूव् सोिवयत संघ से अलग ुए देशों के तथा बाि टक देशों के 300 से अिधक िसनेमाघरों में एक साथ ’तमाशा’ िफ म को िरलीज िकया जाएगा। मेरा यह सपना है िक ूस में

भारतीय कंपिनयां ूस में अपनी दवा फ़ामा्िसन्तेज़ नामक कंपनी आज ूस में टी०बी० की दवाइयां बनाने वाली एक सबसे बड़ी कंपनी है और वह सां‍ िपतेरबुग् (सेंट पीटस्बग्) में ट्यूमररोधी दवाइयों के वै्ािनक उत्पादन

का उत्पादन कर रही हैं

पिरसर तथा इकूत्​् क में दवाइयों के उत्पादन की एक फैक् ी के साथ-साथ अनेक नई पिरयोजना में िनवेश कर रही है। इकूत्​् क में फ़ामा्िसन्तेज़ की एक दवा-फैक् ी पहले से ही काम कर

रही है। ूस में दवा की एक बड़ी िवतरक कंपनी ’एडवान्स िे डग’ ूस के बेलगोरद देश में अपने भारतीय साझेदार के सहयोग से ढाई करोड़ डॉलर की एक िनवेश पिरयोजना पर काम कर रही है। कंपनी के कमिश्यल डायरेक्टर अंशमु ान शमा् का कहना है िक उनकी यह फ़ैक् ी सन् 2017 से दवाइयों का उत्पादन करने लगेगी। िव्‍ेषकों का कहना है िक ूस में दवाइयों का उत्पादन करने की ूस द्वारा सिक्रय ूप से चलाई जा रही नीित के बावजूद ूस के औषिध बाजार में िवदेशी दवाइयों की बड़ी मांग है। डेलॉयट कंपनी के मा को आिफस का कहना है िक 2014 से िदखाई देने वाली िवकास की धीमी गित के बावजूद ूस एक ऐसा बड़ा यूरोपीय बाजार है, िजसमें िवदेशी िनवेशकों के िलए भारी संभावनाएं उपि थत ह।

ूस-भारत संवाद अब िहन्दी में अब आप ूस के बारे में सीधे िहदी में जानकारी पा सकते ह। वेबसाइट पर नज़र रिखए और ूस की ख़बर रिखए। ूस-भारत संबधं ों पर िवशेष्ों की िटप्पिणयां और िव्‍ेषणात्मक रपट।

ूस की त वीर, वीिडयो, िफ में और दूसरी म टीमीिडया सामग्री। और भी बुत कुछ। सब ’ूस भारत संवाद’ वेबसाइट पर पिढ़ए : hindi.rbth.com

मुब ं ई ूसी िफ म महोत्सव के उद्घाटन समारोह में ूसी िफ म अिभनेि यां बालीवुड िफ मों का बाजार िफर से बना िदया जाए और इसकी शुूआत यूरिे शयाई ’ऑ कर’ के िलए हमने िसद्ध अिभनेता राजकपूर के पौ रणबीर कपूर की िफ म को चुना है। मुब ं ई में चल रहे ’ूसी िफ म िफ म-िनदे्शकों और ोड्यूसरों ने महोत्सव’ में भाग ले रहे ूस इस बात पर जोर िदया िक ूस और के सं कृित मं ालय के िफ म भारत के बीच िफ म िनमा्ण के ्े िवभाग के मुख अिधकारी में िफर से सहयोग शुू करने के िलए िविच लाफ़ ितिलनोफ़ ने बताया िक ूस, भारत और चीन िमलकर िसफ् उनके िनजी यासों से ही कुछ नहीं होगा। इसके िलए दो देशों की यूरिे शयाई िफ म अकादमी का िनमा्ण कर रहे हैं, जो 2017 से एक सरकारों का समथ्न भी जूरी है। ूस के सं कृित मं ालय में िसनेमा अंतररा£ीय पुर कार भी िदया करेगी। यूरिे शयाई िफ म अकादमी िवभाग के मुख िविच लाफ़ ितिलनोफ़ सन् 2017 से काम करना शुू कर ने कहा - इसमें कोई शक नहीं है िक देगी। 2016 में मा को अंतररा£ीय दो देशों के बीच आपसी सहयोग की बड़ी संभावनाएं ह। हमें बार-बार इसपर िफ म महोत्सव में यूरिे शयाई चचा् करनी चािहए। संय‍ ु ूप से िफ म अकादमी को तुत िकया िफ मों का िनमा्ण करके हम बड़ी और जाएगा। खची्ली िफ मों के िलए अितिर‍ पैसा

जुटा सकेंगे और िफ मों का िवतरण भी अिधक बड़े तर पर होगा। ितिलनोफ ने कहा - यापािरक, आिथ्क, वै्ािनक और सां कृितक सहयोग संबधं ी भारतीय ूसी अंतरसरकारी आयोग में एक िवशेष कामकाजी दल की थापना की गई है जो दो देशों द्वारा िमलकर िफ में बनाने के बारे में एक अनुबधं तैयार करेगा। एक बार इस अनुबधं पर ह ता्र हो जाएंगे तो हमारे दो देशों के िफ मकार आपस में सहयोग कर सकेंग।े िफ म एंड टेलीिवजन ोड्यूसस् िग ड ऑफ इिडया के बंध िनदेशक कुलदीप मक्कड़ ने कहा - अगर इस तरह का अनुबधं हो जाता है तो िफ म उद्योग के िलए यह एक बड़ा समथ्न होगा। उन्होंने िव‍ास कट िकया िक ूस में भारतीय िफ मों को एक बड़ा बाजार िमलेगा।

ूस-भारत संवाद

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WEDNESDAY NOVEMBER 25, 2015 In association with Rossiyskaya gazeta, Russia

हाई-टैक हाई-टैक : ूसी वै्ािनकों ‍ारा खोजे गए स ते और उपयोगी नवीनतम यं -उपकरण और ौद्योिगकी

अिभनव ौद्योिगकी के पांच सबसे महत्वपूण् आिव कार

सीधी उड़ान भरने वाला चारिव

नए भौितकी िस‍ांतों के आधार पर बनाए जाने वाले उन भावी खतरनाक हिथयारों की सूची िजनका भिव य में लड़ाइयों में इ तेमाल िकया जा सकता है।

नई पूज ं ीिवहीन ’एयरक्सो’ कंपनी के कमिश्यल डायरेक्टर लदीिमर ि लन्को ने बताया - यह पहला कन्वट्प्लेन एरा100 है, जो आम चालक रिहत िवमानों (चारिव) से बीस गुना ज्यादा अच्छा है। यह चारिव एक हजार िकलोमीटर तक उड़ान भर सकता है, तरह-तरह के पैंतरे भर सकता है और इ तेमाल में बुत स ता पड़ता है। इस कंपनी की थापना 2014 में की गई थी और ग्लोबल वेंचस् कोष ने कंपनी में 5 लाख डॉलर का िनवेश िकया है। इस कन्वट्प्लेन का इ तेमाल कृिष ्े में खेतों की िनगरानी करने या बुिनयादी ढांचागत ्े में िनमा्णकायो्ं पर नजर रखने और अन्य अनेक कामों में िकया जा सकता है। ि लन्को ने बताया िक अरब देशों के खरीदारों ने उनके इस आिव कार में िदलच पी िदखाई है।

मा को में हाल ही में ुए अिभनव ौद्योिगकी सम्मेलन में तुत नए आिव कारों में से 5 महत्वपूण् आिव कारों को चुनकर आरआईबीआर आपको उनके बारे में बता रहा है। िवक्तोिरया ज़िवयालवा आरआईबीआर

सोशल वेबसाइटों से जुड़ा अकलमंद खटोला

सू म जल-वन पितयों के संग्रह से बना ितऑक्सीकारक कोलकवा िव्ान और ौद्योिगकी सं थान द्वारा बनाया गया यह अक्लमंद बाल-खटोला युवा माता-िपता को बुत पसंद आया। अक्लमंद अंतिर् रोबोट योगशाला ’ कोलतेख’ के संचालक िदिम ी तेतये क ू् फ ने बताया - अक्सर ऐसा होता है िक युवा मातािपता यह नहीं समझ पाते िक उनके ब े का मूड कैसा है और वह क्या चाहता है। वे सब लोगों से इस बारे में पूछताछ करने लगते ह। यह बालखटोला बाल-िचिकत्सकों की तरह ’ब े के मन की भाषा’ समझकर उसका िव्‍ेषण करके माता-िपता को सलाह देता है। खटोला अपने आप ही माता-िपता को टेिलफ़ोन पर ब े की मनोदशा और उसकी शारीिरक ि थित के बारे में सूचनाएं देगा। खटोले में लगा कैमरा ब े की त वीर खींचकर उनमें से अच्छी त वीर छांट सकता है। इस कैमरे को वाट्स-अप, इ टाग्राम, फेसबुक और अन्य सोशल वेबसाइटों से भी जोड़ा जा सकता है।

िवमान की सुरि्त उतराई के िलए स ता उपकरण नई पीढ़ी का यह उपकरण िवशेष ूप से खतरनाक ि थितयों में िवमान की

मा को में हाल ही में ुए अिभनव ौद्योिगकी सम्मेलन में युवा ूसी वै्ािनकों ‍ारा

उड़न-प‍ी (रनवे) की ि थित का आकलन करता है। सां‍ िपतेरबुग् (सेंट पीटस्बग्) के राजकीय िवद्युत-यांि की िव‍िवद्यालय के आिव कारकों ने यह उपकरण बनाया है। उनका कहना है िक ूस में आजकल या तो इस तरह के बेहद पुराने उपकरणों का इ तेमाल िकया जाता है अथवा 92 लाख ुपए की कीमत वाले बेहद महगे उपकरणों का।

इस उपकरण की एक आिव कारक अन तसीया तोत् कया ने बताया जबिक हमारे इस उपकरण की कीमत बुत कम है, िसफ् 27 लाख ुपए। इसमें हमने अनोखी तकनीक का इ तेमाल िकया है, जो पूरी तरह से वचािलत है और िजसमें िवमान को रोकने के िलए िवद्युत-यांि की ेक यव था बनी ुई है। आिव कारक इस उपकरण को िव‍-बाजार में बेचने की इच्छा रखते ह। लेिकन अन तसीया तोत् कया का कहना है िक पहले हम ूस में इस त‍ोलौजी का अच्छी तरह से इ तेमाल करके देख लें। ज दी ही हम ूस के हवाईअ‍ों पर अपना यह उपकरण तैनात कर देंगे।

तुत नए आिव कार

िरएक्टर के िलए गोली

ूस के उ यानव देश की ’एटमते ख सिव् स ’ कं प नी ने एटमी िरएक्टरों की सुर्ा के िलए एक नई तरह की गोली का आिव कार िकया है। चीन ने इस गोली में िदलच पी िदखाई है। बोरान काबा्इड की यह गोली पहले भी बनाई जाती थी, लेिकन ’एटमतेख़सिव्स’

कंपनी के ूसी वै्ािनकों ने अपनी नई प्लाज्मा-गाद त‍ोलौजी की बदौलत गोली की काय्​्मता बढ़ाकर दोगुनी कर दी है। िदिम ोफ़ग्राद में परमाणु क्ल टर के कें के िनदेशक अ बेत् गताउि‍न ने बताया - इस तरह की गोिलयां िरएक्टर में डाल दी जाती ह। उसके बाद ये िरएक्टर की ताकत को िनयंि त करती ह तथा िरएक्टर में होने वाले न्यू ॉन िविकरण को चूस लेती ह। जब ये गोिलयां बेकार हो जाती ह तो इन्ह बदलना पड़ता है और इसके िलए िरएक्टर को रोकना पड़ता है। बोरान काबा्इड की सामान्य गोिलयां यिद एक साल तक काम करती ह तो जो गोिलयां हमने बनाई ह, वे ढाई साल तक काम कर सकती ह।

हिथयार, जो शांित के िलए खतरनाक होंगे

आिव कारकों ने अमरीकी तकनीक और माइक्रो जल-वन पितयों का उपयोग करके एक नए ितऑक्सीकारक का आिव कार िकया है। आिव कारक कंपनी सोिलक्स के महािनदेशक िदनीस कुिज़िमन ने बताया िक उनके द्वारा बनाए गए इस नए रसायन में दवा-उद्योग द्वारा इ तेमाल िकया जाने वाला सबसे शि‍शाली और मू यवान एण्टीऑक्सीडट -ए टेक्सएन्टीन है। दुिनया में आज ए टेक्सएन्टीन की इतनी ज्यादा मांग है िक इसका बाजार अरबों डॉलर का है। उन्होंने कहा िक ज्यादातर कंपिनयां िसन्थेिटक ए टेक्सएन्टीन बनाती ह। जबिक उनकी कंपनी ने जलवन पितयों से ाकृितक ए टेक्सएन्टीन िनकाला है। दुिनया में आज इस तरह के सू मजीवों की खोज की जा रही है, जो बड़ी तेजी से िवकिसत होते ह और िजनमें ए टेक्सएन्टीन नामक रसायन बड़ी मा ा में होता है। कुिज़िमन ने बताया इस ित पधा् में हम दूसरों से आगे ह। हम सू मजीवों के दुिनया के सबसे बड़े संग्रह पर काम कर रहे ह। सू म जल वन पितयों का यह संग्रह सोिवयत सता काल में जमा िकया गया था और लंबे समय तक उपकरणों के अभाव में उन पर कोई शोध नहीं िकया गया।

वदीम मात् येफ़ आरआईबीआर

लेज़र हिथयार इस तरह के हिथयारों के िनमा्ण में ऑिप्टकल रज की िवद्युत चुबं कीय ऊजा् के िविकरण के िसद्धांतों का इ तेमाल िकया जाता है। हालांिक लेज़र का इ तेमाल लंबे समय से िकया जा रहा है, लेिकन लेज़र का उपयोग करके िकसी भावशाली हिथयार का िनमा्ण करने की ओर वै्ािनकों ने हाल ही में कदम बढ़ाए ह। इस साल अमरीका ने समु में इ तेमाल करने के िलए एक लेज़र तोप का परी्ण िकया है। ूस भी लेज़र हिथयार बना रहा है और सैन्यसू ों के अनुसार इस काम में अमरीका से पीछे नहीं है। साव्जिनक तौर पर उपलब्ध सूचना से यह पता लगा है िक नई लेज़र तोप के साथ एक ऐसी वायु श णाली ए-60 के परी्ण िफर से शुू कर िदए गए ह, जो हवा में उड़ने वाले ल यों और अंतिर् में तैनात ल यों को अपना िनशाना बना सकती है।

माइक्रोवेव हिथयार इस तरह के हिथयारों की मुख्य मारक शि‍ 3 से 30 गीगा माइक्रोवेव रज का भारी िवद्युत चुबं कीय िविकरण है। इस तरह के हिथयारों का इ तेमाल दु मन की सैन्य कमान और राज्य संचालन के िठकानों तथा दु मन के इलेक् ॉिनक्स िठकानों के िखलाफ तथा िविभ्‍ कार की नवीनतम श - णािलयों के िखलाफ बड़े भावशाली ढग से िकया जा सकता है। 2015 की गिम्यों में पता लगा है िक ूस में एक ऐसा नया हिथयार बनाया गया है जो श ु के िवमानों, चालक रिहत िवमानों (चारिव) और क्रूज िमसाइलों जैसे सटीक मार करने वाले हिथयारों को िनि क्रय कर सकता है। इस नए हिथयार को िफलहाल माइक्रोवेव तोप कहकर पुकारा जा रहा है क्योंिक यह तोप माइक्रोवेव िविकरण के िसद्धांतों के आधार पर ही काम करती है। इस तोप से दस िकलोमीटर से ज्यादा दूर उड़ रहे ल यों को भी िनशाना बनाया जा सकता है।

आनुवांिशक िक्रया के संचालन की ौद्योिगिकयों का इ तेमाल करके यह हिथयार बनाया जा सकता है। जेनिे टक इजीिनयिरग में यह संभव है िक कृित के िलए अ्ात जीनों को संयोिजत करके जीवों पर ऐसा आनुवांिशक भाव डाला जाए िक वे न‍ होने शुू हो जाएं। यहां मुख्य खतरा िकसी िवशेष आनुविं शक कोड वाले जीवों को न‍ करने के िलए ऐसा ’ माट् हिथयार’ बनाकर पैदा िकया जा सकता है, जो चुन-चुन कर उन्हीं जीवों को खत्म करेगा, िजन्ह न‍ करने के िलए वह हिथयार बनाया गया है। ूसी वै्ािनकों के अनुसार, अभी तक बड़ी संख्या में ऐसी हमलावर जीनें बना ली गई ह, जो घातक हिथयार के ूप में सिक्रय हो सकती ह। चूिं क अंतररा£ीय संिध के अनुसार जैिवक हिथयारों के आिव कार पर ितबंध लगा ुआ है, इसिलए ूस में आनुवांिशक हिथयारों का िनमा्ण करने की िदशा में कोई काम नहीं िकया जा रहा है।

िकरण-पुंज हिथयार संकिें त िविकरण धारा या उ ऊजा् वाले इलेक् ॉन, ोटॉन और तट थ हाइ ोजन परमाणु जैसे तट थ कणों का उपयोग करके िकरण-पुज ं या बीम हिथयार बनाया जा सकता है। इस कार के हिथयारों का इ तेमाल श ु पर गु‍ ूप से या अचानक िकया जाता है। इसके उपयोग में मुख सम या बस, यही आती है िक वायुमड ं लीय गैसों के कणों के कारण िनशाना दूर होने पर इसकी ऊजा् और भाव घट जाता है। सोिवयत स्ा काल में ूस में अनेक वै्ािनक सं थान इन बीम हिथयारों के िवकास के िलए सिक्रय थे, लेिकन यह हिथयार कभी अपने वा तिवक ूप में सामने नहीं आया।

भू-भौितकीय हिथयार

इस हिथयार का उपयोग कृि म ूप से िबजली िगराने, भूकपं पैदा करने या सुनामी लाने जैसी ाकृितक आपदा को पैदा करने के िलए िकया जाता है। हालांिक इस तरह के हिथयारों के िविभ्‍ परी्णों के बुत से सबूत िमले ह जैसे अमरीका ने िवयतनाम में इसका परी्ण िकया था। लेिकन िफर भी ज्यादातर िवशेष् इस तरह के हिथयारों के होने या उनका इ तेमाल िकए जाने की बात को संिदग्ध मानते ह। उनका कहना है िक पृथ्वी के िकसी ्े -िवशेष या िकसी भूभागिवशेष में भूकपं और सुनामी पैदा करना आनुवांिशक हिथयार जीवों में होने वाले बदलावों और संभव नहीं है।

अब ूस भी िमि त सामग्री के िव‍ बाजार में लौटने की कोिशश करेगा सामग्री का उपयोग ूस में अिधकतर तेल उत्पादक ्े ों में िकया जाता है। उन्होंने बताया िक एटमी िबजलीघरों के िनमा्ण के िलए भी अनेक दुलभ् िमि त सामिग्रयों का इ तेमाल िकया जाता है, िजनकी त‍ोलौजी का दुिनया में कोई सानी नहीं है। अन् य े रेितन्गर िमि त सामिग्रयों के िव‍ बाजार में आरआईबीआर 20 वीं शताब्दी के मध्य में ूस को ूस की वापसी के िलए ूस की सरकार िमि त सामग्री के एक मुख्य पदाथ् ने िमि त सामग्री उद्योग के िवकास का काब्न फाइबर की त‍ोलौजी की खोज और उसके इ तेमाल के ्े में दुिनया का एक अग्रणी देश माना जाता था। िमि त सामग्री धातु काब्न फाइबर और अन्य पदाथो्ं को िमलाकर बनाई गई सामिग्रयां अनोखी से दस गुना मजबूत होती ह। वे धातु से चार गुना ह की होती ह। होती ह और दस गुना मजबूत होती ह। इसी वजह से मोटर-कार िनमा्ण एक सुिनि‍त काय्क्रम तैयार िकया है। और िवमान-िनमा्ण उद्योगों में हर साल इस काय्क्रम के अनुसार सन् 2020 िमि त सामिग्रयों की मांग में 10 से 15 तक िमि त सामिग्रयों का उत्पादन बढ़कर ूस में 1.9 अरब डॉलर का ितशत की वृिद्ध होती है। कुल िमलाकर दुिनया में आज 1 हो जाएगा। उनका ित यि‍ उपभोग करोड़ 20 लाख टन िमि त सामग्री की बढ़कर डेढ़ िकलो ितवष् हो जाएगा मांग है, िजसका कुल मू य 483 अरब तथा उनके िनया्त में 10 ितशत की 50 करोड़ डॉलर होता है। ूस में आज वृिद्ध की जाएगी। हजारों टन िमि त सामग्री का उत्पादन िकया जाता है, लेिकन वह पूरे िव‍ सरकारी काय्क्रम बाजार के िसफ् 0.3 ितशत से 0.5 ’एटम-इन्फो’ के मुख अलेक्सान्दर ितशत के लगभग है। उवारफ ने बताया - ऐितहािसक ूप से िमि त सामग्री उत्पादक संघ के ूस में िमि त सामग्री उद्योग परमाणु काय्कारी िनदेशक िसगे्य िवतोिख़न ने उद्योग के साथ गहराई से जुड़ा ुआ रहा बताया िक ूस के पास इस ्े में है। ूस में काब्न फाइबर बनाने की अनेक अनोखी त‍ोलौिजयां ह, जैसे त‍ोलौजी 1980 के दशक में एटमी सचल सड़क-िनमा्ण सामग्री, िजसपर उद्योग से जुड़े िठकानों में ही खोजी से दलदल जैसे दुगम् ्े ों में भी भारी गई थी। इस समय राजकीय िनगम वाहन गुजर सकते ह। इस सड़क िनमा्ण ’रोसएटम’ ूस में काब्न फाइबर का

कभी ूस िमि त सामग्री बाजार का िसरमौर था। अब वह िफर से िमि त सामग्री उद्योग में अपने खोए ुए नेतत्ृ व को हािसल करने की कोिशश करेगा।

बाजार थािपत करने और दूसरे देशों को उसका िनया्त करने की कोिशश कर रहा है। ’रोसएटम’ और ’कम्पोिजत’ नामक कंपनी िमलकर िव‍ तर के स ते काब्न फाइबर का उत्पादन करना चाहते ह, लेिकन इसके िलए जो ढांचा बनाना होगा, वह बुत महगा पड़ेगा। 2015 के वसंत में ूस में ’अलाबूगा वलकनो’ नामक कारखाने में काम शुू हो गया। ’रोसएटम’ के िलए इस कारखाने का िनमा्ण ’कम्पोिजत’ नामक कंपनी ने िकया है। इस कारखाने को बनाने के िलए 5 करोड़ 32 लाख डॉलर (करीब 3 अरब 30 करोड़ ुपए) खच् करने पड़े ह। इस नए कारखाने के िनमा्ण के बाद िमि त सामिग्रयों का उत्पादन बढ़कर करीब चार गुना हो जाएगा। इसका मतलब यह है िक क े माल का मू य कम हो जाएगा और िमि त सामिग्रयों के इ तेमाल की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी। ’िरसएटम’ के थम उपमहािनदेशक अलेक्सान्दर लकशीन ने कहा - इसीिलए हमें आशा है िक ’अलाबूगा वलकनो’ हमें िमि त सामिग्रयों के आयात से मुि‍ िदला देगा। िफलहाल दो तरह के काब्न फाइबर का उत्पादन करने की योजना बनाई गई है। पहली िक म के काब्न फाइबर उमाटेक्स यू०एम०टी०42-12 के० का उपयोग ज्यादातर मोटर-कारों, िवमानों और पोतों के िनमा्ण में िकया जाता है और दूसरे उमाटेक्स यू०एम०टी०42-24 के० का इ तेमाल उन उद्योगों में िकया जाता है, जहां उत्पादन में बेहद मजबूत िमि त सामग्री की जूरत पड़ती है।

ूसी पनडुब्बी ’कशालोत’ भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाएगी HINDI.RBTH.COM/DEFENSE

आंकड़े

िवमानन उद्योग में िमि त सामग्री

1,9 10% 7%

अरब डॉलर का हो जाएगा 2020 तक ूस में िमि त सामिग्रयों का उत्पादन।

ितशत की वृि‍ ूस ‍ारा िमि त सामिग्रयों के िनया्त में की जाएगी। ितशत काब्न फाइबर का िवश्व बाज़ार ूस के अिधकार में होगा सन् 2020 तक।

िमि त सामग्री धातु से दस गुना मजबूत होती ह।

2015 के वसंत में ूस में ’अलाबूगा वलकनो’ नामक कारखाने में काम शुू हो गया ूसी परमाणु िवशेष्ों की मांग पर एटमी िबजलीघरों के िलए िमि त सामग्री के उत्पादन की तकनीक भी सोच ली गई है। एटमी िबजलीघर के कंक्रीट से बनाए जाने वाले ढांचों की मजबूती के िलए तथा िबजलीघरों के कूिलंग टॉवरों में िमि त पाइपों के िनमा्ण के िलए इस िमि त सामग्री का इ तेमाल िकया जाएगा। यह माना जा रहा है िक िमि त सामग्री का उपयोग करने से एटमी िबजलीघर की ‍ािलटी काफी बेहतर हो जाएगी। इ पात की जगह िमि त

सामग्री का इ तेमाल करने का िनण्य इसिलए िलया गया क्योंिक इ पात में जंग लग जाता है और िफर िबजलीघरों में उनकी लगातार मरम्मत करनी पड़ती है। इसके िवपरीत िमि त सामग्री में जंग िब कुल नहीं लगता और वह इ पात के मुकाबले कहीं अिधक मजबूत भी होती है। इसिलए ज दी ही ऐसे एटमी िबजलीघर सामने आएंग,े िजनमें िमि त सामिग्रयों का भरपूर इ तेमाल िकया गया होगा। आजकल ’अलाबूगा’ कारखाने को चलाकर उसका परी्ण िकया जा रहा

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ूस से सीधे आपके इनबॉक्स में सम-सामाियक लेख HINDI.RBTH.COM/SUBSCRIBE

काशन के िलए अंक 24 नवंबर 2015 को भारतीय समय के अनुसार 18:00 बजे तैयार।

है। इस कारखाने का सारा उत्पादन संभािवत ग्राहकों को भेजा जा रहा है। इस साल दुिनया के कई देशों को अलाबूगा कारखाने के उत्पादों का िनया्त करने के अनुबधं कर िलए जाएँग।े राजकीय िनगम ’रोसएटम’ इस कारखाने के दूसरे चरण के िनमा्ण की योजना बना रहा है, िजसके पूरा होने के बाद सन् 2020 तक िमि त सामिग्रयों का उत्पादन 10 हजार टन ितवष् तक िकया जाने लगेगा यानी काब्न फाइबर के 7 ितशत िव‍ बाजार पर अिधकार करना संभव हो जाएगा।

काब्न फाइबर के आधार पर िमि त सामग्री के उत्पादन ने िवमान उद्योग के ्े में क्रांित कर दी। िपछली सदी के सातवें दशक में ही िवमान िनमा्ता कोई ऐसी मजबूत वैकाि पक सामग्री ढढ़ रहे थे, िजसका उपयोग भारी धातु की जगह िकया जा सके। 1990 के दशक में टीयू-204 िवमान के 25 ितशत कल-पुजे् िमि त सामग्री से बने ुए थे। सन् 2011 में पहली बार साव्जिनक ूप से दिश्त पाँचवी पीढ़ी के ूसी लड़ाकू िवमान टी-50 के िनमा्ण में भी िमि त सामग्री का उपयोग िकया गया है और उसका एक-चौथाई िह सा िमि त सामिग्रयों से ही बना ुआ है। िवमान के भीतर लगाया गया अ तर 70 ितशत तक काब्न प्लाि टक का बना ुआ है। इसके अलावा यिद पूरी तरह से धातु िनिम्त एस०यू०-27 नामक लड़ाकू िवमान से टी-50 िवमान की तुलना की जाए तो एस०यू०-27 िवमान में टी-50 के मुकाबले चार गुना ज्यादा कल-पुजो्ं का इ तेमाल िकया गया है, िजसका असर िवमान उत्पादन की गित पर भी पड़ता है।

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WEDNESDAY NOVEMBER 25, 2015

पय्टन

In association with Rossiyskaya gazeta, Russia

पय्टन : ूस आइए, बौ‍ मठ में जाइए और बौ‍ धम् के ूसी अनुयािययों की अनूठी परपरा

और र मों को जािनए

साइबेिरया में बौद्ध धम् के बारे में 7 िदलच प तथ्य

साइबेिरया का सबसे बड़ा बौ‍-मठ और बौ‍ िवश्विवद्यालय — बुया्ितया का इवो गा दत्सान

िक्र मस और नववष् की छुि‍यों के िदनों में ूस की राजधानी मा को एक बड़े जादुई नगर में बदल जाता है। 18 िदसंबर से 10 जनवरी तक यहां खूब मौज-म ती का माहौल रहता है। इस बार सिद्यों में यहां िक्र मस महोत्सव खूब धूमधाम से मनाया जाएगा। पूरे शहर में 36 जगहों पर िक्र मस मेले लगाए जा रहे ह। इन मेलों में आने वाले लोग अिभनेता और कलाकारों की नाटकीय तुितयां देखकर दांतों तले उगली दबा लेंग।े मेलों में हसी-खुशी के माहौल के साथ-साथ लजीज खाने और वािद‍ पकवानों का भी इतजाम िकया गया है। मा को के एकदम कें में बने मनेझनया प्लोशद (अ‍ारोहण चौक), अख़ोतनी िरयाद (िशकारी बाजार) और प्लोशद िरवा यूत्सी (क्रांित चौक) नामक जगहों पर लगे मेले सबसे सुदं र और अनूठे होंगे।

सबसे बड़ी िक्र मस बॉल। 17 मीटर यास के इस िवशाल फरवृ् िखलौने के भीतर म टीमीिडया शो आयोिजत िकया जाएगा।

ूस के अंचलों को समिप्त मेला, िजसमें पुचकर लोग ूस के कोने-कोने से आए कारीगरों की िक्र मस-कारीगरी का आनंद उठा सकेंगे और तरह-तरह के अ‍ु् उपहार, ूस के नक्शे के आकार का मेला, िजसके िमठाइयां और अनूठी चीजें खरीद सकेंग।े बीचोबीच 17 मीटर ऊंचा, िबजली की िटमिटमाती मजेदार लिड़यों से सजा नववष् िहडोला। फरवृ् लगा होगा।

T R AV E L 2 M O S C O W. C O M

मीठा जीवन मरीया शरापवा न िसफ् टेिनस-कोट् की एक जानी-मानी ह ती ह, बि क सामािजक जीवन में भी उन्ह टार का दजा् िमला ुआ है। इसीिलए लक्जरी ांडों ने भी उनकी तरफ ध्यान िदया। आज शरापवा टैग हॉयर जैसी महगी ि वस घिड़यों और अमेिरकी ‍ैलरी हाउस िट्‍ी एंड कंपनी के िव्ापन करती ह। िट्‍ी एंड कंपनी ने तो

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शरापवा कलेक्शन के नाम से आभूषणों की िवशेष रज भी बाजार में उतारी है। िट्‍ी के अनुबधं के अनुसार शरापवा को अपने सभी महत्वपूण् मैचों में िट्‍ी के आभूषण पहनने पड़ते ह। लैंड रोवर और पोशे् जैसी लक्जरी कार बनाने वाली कंपिनयां भी अपनी कार बेचने के िलए मरीया शरापवा की सहायता लेती ह। सन् 2006 से शरापवा लैंड रोवर के साथ काम कर रही ह और सन् 2013 में उन्होंने पोशे् के साथ एक अनुबधं िकया है। वष् 2012 में टटगाट् में पोश् टेिनस ग्रां ी जीतने के बाद दी गई पाटी् में इस जम्न कंपनी ने मरीया शरापवा के सामने सहयोग करने का ताव रखा था।

िपछले दस साल में मरीया ने 25 करोड़ डॉलर कमाए ह।

ोश

वह छिविच होता था। ि वता लाव रेिरख ने ढेरों छिविच बनाए थे। उनमें से दो पो टे् - भारत के थम धानमं ी पंिडत जवाहरलाल नेहू और इिदरा गांधी के पो टे् नई िद‍ी में भारत के संसद भवन के ऐितहािसक कें ीय हॉल में लगे ुए ह।

मरीया शरापवा ूस की िवश्व िस‍ टेिनस िखलाड़ी

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उ‍ेखनीय है िक ि वता लाव रेिरख िव‍- िसद्ध िच कार और िसद्ध िव‍-या ी िनकलाय रेिरख के पु थे। िच कार के ूप में शुू में उन्होंने शबीह या छिविच (पो टे् ) बनाए थे। उनके द्वारा बनाए गए पो टे् ों में उस यि‍ का पूरा यि‍त्व उतर आता था, िजसका

सन् 2004 में, मरीया शरापवा ने िसफ् 17 साल की उ में िवंब डन टना्मटें जीता था। इस टना्मटें में ा‍ ुई िवजय ने ही उनके सामने ’काूं के खजाने’ के दरवाजे खोल िदए। िवंब डन में जीत हािसल करने के िसफ् एक महीने बाद ही उन्होंने ’मोटोरोला’ कं प नी के साथ एक अनुबधं िकया, िजसके अनुसार उन्ह, अनौपचािरक जानकारी के अनुसार, ितवष् दस लाख डॉलर िमलने लगे। आज ’मोटोरोला’ कंपनी का यवसाय उतना अच्छा नहीं है, िजतना तब था, लेिकन शरापवा पहले की तरह हवा के घोड़े पर सवार है। सन् 2008 में उन्होंने मोटोरोला की जगह ’सोनी एिरक्सन’ कंपनी से अनुबधं िकया और िफर सन् 2012 में उनका चेहरा माट्फ़ोनों के बाज़ार में सैमसंग की पहचान बन गया।

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बने ुए हैं और िविभ् कार की दुलभ ् सुगिं धत वृ् लगे ुए हैं। तातागुनी का पूरा इलाका 468 हेक्टर में फैला ुआ है।

िवंब डन का असर

भारत की िस‍ िफ म अिभने ी देिवका-रानी ि वता लाव रेिरख की पत्नी थीं। ि वता लाव रेिरख और देिवका रानी ने तातागुनी की यह जागीर 1948 में खरीदी थी और उन्होंने अपने जीवन के करीब 50 वष् यहीं पर िबताए। तातागुनी में ही उन दोनों की समािधयां बनी ुई हैं। 1996 में यह जागीर सरकार की संपि् बन गई। जागीर-पिरसर में दो तालाब

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तातागुनी जागीर

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ि वता लाव रेिरख और उनकी पत्नी िफ म-अिभने ी देिवका रानी

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ूसी टेिनस िखलािड़न मरीया शरापवा (िजन्ह भारतीय खेल- मे ी और शंसक मािरया शरापोवा के नाम से पुकारते ह) िपछले एक दशक में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले दुिनया के 20 िखलािड़यों में शािमल हो गई ह। लोकि य अमरीकी पि का ’फोब्स्’ द्वारा ऐसे िखलािड़यों की एक वरीयता सूची बनाई गई है, िजन्होंने िपछले एक दशक में सबसे ज्यादा कमाई की है। इस सूची में अमरीकी गो फ िखलाड़ी टाइगर वुड्स का नाम सबसे ऊपर है और 18 वें नंबर पर ह ूसी टेिनस िखलाड़ी मरीया शरापवा। िपछले दस साल में मरीया ने 25 करोड़ डॉलर कमाए ह। इस वरीयता सूची में मरीया शरापवा अकेली मिहला ह। यहां तक िक उन्होंने फ़ामूल ् ा-1 के ि िटश काररेसर लुइस हैिमलटन और अमरीकी फुटबाल टीम ’डेनवर ॉन्कोस’ के ‍ाट्र-बैक िखलाड़ी पैटन मेिनंग को भी पछाड़ िदया है। मरीया शरापवा को ज्यादातर आय िव्ापनों से होती है। पि का ’फ़ोब्स्’ के अनुसार टेिनस-कोट् में उन्होंने िपछले एक साल में िसफ् 67 लाख डॉलर कमाए ह। इस बीच ायोजकों ने भी उन्ह 2 करोड़ 30 लाख डॉलर िदए है।

मरीया शरापवा ने अपना पहला िव्ापन अनुबधं 11 साल पहले िकया था। 1998 में मरीया जब अमरीका में रहने लगीं तो नाइकी कंपनी उनकी पहली तकनीकी ायोजक बनी थी। बस, तभी से यह बड़ी खेल उत्पाद अमरीकी कंपनी शरापवा की ायोजक है। सन् 2010 में इस कंपनी ने मरीया शरापवा के साथ एक बड़ा अनुबधं िकया था, िजसने मिहला टेिनस के ्े में एक नया िरकाड् कायम िकया। इस अनुबधं के अनुसार नाइकी कंपनी मरीया को 8 साल के भीतर 7 करोड़ डॉलर देगी।

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भारत में वष् 2018 में ूसी िच कार ि वता लाव रेिरख की पेंिटगों की कलादीघा् काम करने लगेगी। हाल ही में कना्टक राज्य की सरकार ने इस कलादीघा् की थापना करने के िलए 25 करोड़ ूपए का अनुदान िदया है। यह संग्रहालय बंगलु​ु के िनकट तातागुनी में ि वता लाव रेिरख और उनकी पत्नी िसद्ध भारतीय िफ मअिभने ी देिवका रानी की जागीर में बनाया जाएगा। ि वता लाव रेिरख का यह सपना था िक उनकी इस जागीर पर एक सां कृितक और शैि्क कें बना िदया जाए। अब उनके देहांत के बीस साल बाद शायद उनका यह सपना पूरा हो जाएगा। इस कलादीघा् के पिरसर में ही तातागुनी आने वाले िच कारों के ठहरने के िलए कमरे भी बने होंग।े तातागुनी की यह जागीर 25 एकड़ में फैली ुई है।

अिलक्सेय म को

सबसे ज्यादा कमाई नाइकी से

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आरआईबीआर

मरीया शरापवा खेलों के मुकाबले िव्ापनों से कई गुना ज्यादा कमाई करती हैं। लैंड रोवर और पोशे् जैसी लक्जरी कारें बेचने के िलए भी शरापवा की सहायता ली जाती हैं।

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अत्यो्म संिझएफ़

कना्टक सरकार के पुरातत्व, संग्रहालय और धरोहर िवभाग के मुख रगैयाह गोपाल ने बताया - यहां बनाए जाने वाले संग्रहालय में ि वता लाव रेिरख के 240 िच ों की एक थाई दश्नी लगी होगी। ये सभी िच और उनकी ितिलिपयां यहीं इसी जागीर में रखे ुए थे। आजकल वे मैसरू की कलादीघा् में लगे ुए ह। इसके साथ-साथ इस नई कलादीघा् में समकालीन िच कारों की पेंिटगें भी दिश्त की जाएंगी। उन्होंने बताया िक इस आधुिनक कलादीघा् की थापना करते ुए हालैंड में बनी िवंसटें वॉन गॉग की कलादीघा् के अनुभवों का इ तेमाल िकया जाएगा। रगैयाह गोपाल ने बताया - शुू में हमने यहां अंतररा£ीय तर का एक संग्रहालय बनाने की योजना तैयार की थी, लेिकन िव्ीय सम या के कारण हमें अपनी योजना में कटौती करनी पड़ी। कना्टक की राज्य सरकार ने हाल ही में इस पिरयोजना के िलए 25 करोड़ ूपए का अनुदान िदया है, िजन्ह कई चरणों में खच् िकया जाएगा। आजकल हम संग्रहालय के िनमा्ण की तैयािरयां कर रहे ह। तैयािरयां खत्म होते ही काम शुू कर देंग।े हमारा खयाल है िक तीन साल में यह संग्रहालय बनकर तैयार हो जाएगा।

शरापवा को िव्ापनों से होने वाली कमाई

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उनके ‍ारा बनाए गए पंिडत जवाहरलाल नेहू और इिदरा गांधी के पो टे् नई िदल्ली में भारत के संसद भवन के ऐितहािसक कें ीय हॉल में लगे ुए हैं।

लेिकन उनका शरीर आज भी वैसा का वैसा सुरि्त है। इक्कीसवीं शताब्दी के शुू में ूसी वै्ािनकों ने उनके शरीर का जैिवक और िचिकत्सीय अनुसधं ान भी िकया था। 7. यिद आप इस बौद्ध मठ की या ा करगे तो आपको कुछ चीजें याद रखनी होंगी। मंिदर की पिरक्रमा िसफ् सीधे हाथ पर ही करनी चािहए। इस पिरक्रमा को बौद्ध लोग ’गोरो’ कहते ह और यह शुिद्ध-अनु‍ान का तीक है। पिरक्रमा के दौरान ही आपको ुदे् नामक ढोल िदखाई देंग,े िजनमें ाथ्ना के पाठ रखे ुए ह। आप इन ढोलों को घुमाइए। बौद्धों के अनुसार यही आपकी ाथ्ना होगी। बौद्ध मंिदरों में कोई भी जा सकता है। जो लोग बौद्ध धम् के अनुयायी नहीं ह, वे भी ाथ्ना में उपि थत रह सकते है। मंिदर के भीतर बस, एक ही बात याद रखने वाली है िक कभी भी भगवान बुद्ध की मूित् की तरफ़ पीठ करके खड़े नहीं हों और बेंच पर बैठकर या दीवारों से टेक लगाकर बैठते ुए कभी भी आलतीपालथी मारकर या एक पैर के ऊपर दूसरा पैर रखकर नहीं बैठ और आपके हाथ छाती पर बंधे या आपस में गुथं े ुए नहीं हों।

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कना्टक में ूसी िच कार ि वता लाव रेिरख की कलादीघा्

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ुआ करते थे और उनकी इमारतें पत्थर की नहीं बि क िहरणों और बारहिसंघों की खालों से बनी होती थीं यानी लंबे समय तक वे दत्सान साइबेिरयाई घुम्मकड़ जाितयों के तंबनू मु ा घरों में, िजन्ह युता् कहा जाता है, काम करते रहे। बाद में ये दत्सान लकड़ी से बनाए जाने लगे और उसके बाद पत्थर की पक्की इमारतों में दत्सान बनाए गए। सिदयां बीतने के साथ-साथ साइबेिरयाई दत्सानों के िनमा्ण में बुया्त, बौद्ध, ूसी और चीनी वा तुकला की अनोखी परपरा

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सोिवयत स्ा काल में अनेक बौ‍-मठ न कर िदए गए।

संपदा को म ‍ा (मा को), सां‍ िपतेरबुग् (सेंट पीटस्बग्) और उलानउदे के संग्रहालयों को सौंप िदया गया। 5. साइबेिरया का सबसे बड़ा बौद्धमठ और बौद्ध िव‍िवद्यालय — बुया्ितया का इवो गा दत्सान है, जो उलान-उदे शहर के पास ि थत है। इस दत्सान का िनमा्ण िद्वतीय िव‍युद्ध के तुरत बाद शुू िकया गया था। सरकार ने वेखन्​् याया इवो गा गांव के पास जमीन का एक छोटा-सा टुकड़ा दत्सान बनाने के िलए िदया था। िफर एक धनी बुया्त पिरवार ने भी बौद्ध मंिदर को अपना घर दान में दे िदया। आज यह बौद्धमठ बुया्ितया का एक िसद्ध सां कृितक कें और वा तुकला का िति‍त मारक माना जाता है। 6. इवो गा दत्सान को ही न िसफ् साइबेिरया में बि क पूरे ूस में बौद्धों का सवा्िधक पिव तीथ् थान माना जाता है क्योंिक वहीं पर बौद्ध लामा और तप वी दाशी-दोरजो इितगेलोव का पािथ्व शरीर रखा ुआ है, िजन्ह बीसवीं शताब्दी के शुू में बौद्धधम् का महान संत माना जाता था। कमल आसन की मु ा में तप वी दाशी-दोरजो इितगेलोव को 1927 में िनवा्ण ा‍ ुआ था,

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आरआईबीआर

ूस में बौद्ध धम् के अनुयािययों की संख्या बुत कम है। ूस की िसफ् 1 ितशत जनसं ख्या खु द को बौद्ध धम् का अनुयायी मानती है। बौद्ध धम् के अनुयायी ज्यादातर साइबेिरया के तूवा देश में, बायकाल झील के उस पार, बुया्ितया में और इकूत्​् क देश में रहते ह। हालांिक म ‍ा (मा को) और सां‍ िपतेरबुग् (सेंट पीटस्बग्) में बौद्ध समाज और बौद्ध मंिदर ह, लेिकन यिद आप ूस में बौद्ध धम् की परपरा , इितहास और बौद्ध अध्यात्म का गहराई से अध्ययन करना चाहते ह तो आपको साइबेिरया जाना होगा। 1. साइबेिरया में बौद्ध धम् 17 वीं शताब्दी में मंगोिलया से आया और मंगोिलया में ितब्बत से। िदलच प बात यह है िक ितब्बती परपरा के अनुसार दत्सान िसफ् िव‍िवद्यालय के िकसी

और र मों का समावेश होता चला गया। 3. बायकाल झील के उस पार के देश तथा तूवा और बुया्ितया देशों की सं कृित में सिदयों से ओझा और तांि कों को बड़ा महत्व िदया जाता रहा है। इसिलए साइबेिरया में बौद्धधम् का सार बुत पीड़ादायक रहा। बौद्ध लामा ओझा और तांि कों का हर जगह पीछा करते थे। वे उनकी धािम्क अनु‍ानों से जुड़ी व तुएं जला देते थे और उनसे भेिड़यों के नुकीले नाखून, बारहिसंघों के सींग और प्ी के पंख आिद चीजें छीन लेते थे। 4. साइबेिरया में लामा का जीवन भी कोई सरल नहीं रहा। सोिवयत स्ा काल में बुत से बौद्ध-मठों को न‍ कर िदया गया। यहां सनातन ईसाई पादिरयों ने लामा का पीछा नहीं छोड़ा। उदाहरण के िलए 1930 के वषो्ं में बायकाल पार के देश के एक सबसे पुराने और सुदं र अगीन् क दत्सान में सोिवयत क्रांित िवरोधी गितिविधयों का आरोप लगाकर बुत से लामा को गोली मार दी गई। अगीन् क दत्सान को बंद कर िदया गया। उसकी इमारत को न‍ कर िदया गया और बौद्ध-मठ की सभी आनु‍ािनक व तु और कला-

ोत्न

आ्ा ग्रुज़देवा

एक संकाय (फैक टी) को कहते ह, लेिकन साइबेिरया में दूसरे देशों से कटे होने के कारण दत्सान का मतलब न िसफ् िव‍िवद्यालय हो गया, बि क बौद्ध मठ का पूरा पिरसर ही दत्सान कहलाने लगा। 2. 1740 के वषो्ं में बुया्ितया और तूवा के दत्सान (िश्ा-मठ) घुम्मकड़

अख़

तंबु में ितब्बती दत्सान, लामा का उत्पीड़न तथा तपि वयों के पािथ्व शरीर - उराल पव्तमाला के उस पार से बौ‍ समुदाय के बारे में 7 िदलच प जानकािरयां।

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मै ो प्लोशद रेवा यूत्सी (क्रािन्त चौक)

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खुले आकाश के नीचे केिटग िरग। कोई िटकट नहीं। हर शाम यहां आइए और ’हस-सरोवर’ िहम बैले नृत्य का आनंद लीिजए। ूस की सबसे ऊंची बफी्ली ढलान। 7 मीटर ऊंची यह ढलान 100 मीटर लंबी है। लेज पर बैठकर इस ढलान से िफसलने का मजा इस पर िफसलकर ही आएगा।

कें ीय बाल पाकशाला। ब ों के िलए रे टोरट।

केिटग िरग के चारों तरफ खाने-पीने की लजीज चीजों की गुमिटयां होंगी, िजसमें तरह-तरह के ूसी और देसी-िवदेशी पकवानों का मजा िलया जा सकेगा। देश की मुख िक्र मस-शॉप। यहां िक्र मस की खरीदारी कीिजए।


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