ू यजवु द के बारे म मह वपण जानकारी '
- 'य '। यजुवे द मूलतः कमका ड ग्र थ है । इसकी रचना है । यजुव द म आयो की धािमक एवं सामािजक जीवन की थ से पता चलता है िक आय ' स त सधव ' से आगे बढ़ गए थे प्र ित उदासीन होने लगे थे । यजुवे द के मं त ्रों का उ चारण 'अ वुय' नामक पुरोिहत करता था।
यजुष श द का अथ है कु े त ्र म मानी जाती झां की िमलती है । इस ग्र और वे प्राकृ ितक पूजा के
इस वेद म अनेक प्रकार के य ों को स प न करने की िविधयों का उ लेख है। यह ग तथा प दोनों म िलखा गया है। ग को यजुष कहा गया है। यजुवद का अि तम अ याय ईशावा य उपिनषयद है िजसका स ब ध आ याि मक िच तन से है। उपिनषदों म यह लघु उपिनषद आिदम माना जाता है योंिक इसे छोड़कर कोई भी अ य उपिनषद संिहता का भाग नही ं है। यजुवद के दो मु य भाग है शु ल यजुवद कृ ण यजुवद
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यजुवद ग और प दोंनों प म िलखा गया हैै! मु य प से यजुवद के दो भाग ह कृ ण यजुवद और शु ल यजुवद !कृ ण यजुवद म मंतर् और उनकी या या है !शु ल यजुवद की संिहताओं को वाजसनेय भी कहा जाता है !इसम उ तर वैैिदक युग की राजनीितक, सामािजक तथा धािमक जीवन की जानकारी िमलती है!
ये िह दू धम के चारों पिवत्र प्रमुख ग्र थों म से एक है!यजुवद िह दू धम का एक ू श् ित धमग्र थ और चार वेदों म से एक है!इसम य की असल मह वपण प्रिक्रया के िलये ग और प म त्र ह!
यजुवद के प ा मक म त्र ॠ वेद या अथववेद से िलये गये है!यजुवद म य ों और हवनों के िनयम और िवधान ह !इसम 40 अ याय, 1875 कि डकाएँ तथा 3988 म त्र ह!िव विव यात गायत्री मंतर् तथा महाम ृ यु जय म त्र इसम भी है