अथर्ववेद

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अथववेद के बारे म ू जानकारी मह वपण

अथववेद म परीि त को कु ओं का राजा कहा गया है तथा इसम कु देश की समिृ का अ छा िववरण िमलता है। इस वेद म आय एवं अनाय िवचार-धाराओं का सम वय है। उ र वैिदक काल म इस वेद का िवशेष मह व है। ऋ वेद के दाशिनक िवचारों का पर् ौढ़ प इसी वेद से पर् ा त हुआ है। शाि त और पौि टक कमा का स पादन भी इसी वेद म िमलता है

इस वेद की दो अ य शाखाय ह1 िप पलाद 2 शौनक अथववेद के रिचयता शर् ी ऋिष अथव ह और उनके इस वेद को पर् मािणकता वंम महादेव िशव की है, ऋिष अथव िपछले ज म म एक असरु हिर य थे और उ होंने पर् लय काल म जब बर् ा ु से वेद िनद्रा म थे तो उनके मख िनकल रहे थे तो असरु हिर य ने बर् ह लोक जाकर वेदपान कर िलया था, यह देखकर देवताओं ने हिर य की ह या करने की सोची|

हिर य ने डरकर भगवान ् महादेव की शरण ली, भगवन महादेव ने उसे अगले अगले ज म म ऋिष अथव बनकर एक नए वेद िलखने का वरदान िदया था इसी कारण अथववेद के रिचयता शर् ी ऋिष अथव हुए। य य रा ो जनपदे अथवा शाि तपारगः। ् । िनवस यिप तद्रारा ट्रं वधतेिन पद्रवम।


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