सामवेद से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य - सूतगद्दी

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ससामववेद सवे ससंबसंधधित महत्वपर प र्ण तथ्य - सत प गदद


ससामववेद सवे ससंबसंधधित महत्वपर प र्ण तथ्य - सपतगद ्​्दद

‘ससाम‘ शब्द कसा अरर्ण हहै ‘गसान‘। ससामववेद मम ससंकललित मसंतत्रों कको दवे वतसाओसं ककी स्तततत कवे समय गसायसा जसातसा रसा। ससामववेद मम कतलि 1875 ऋचसायम हह। जजनमम 75 सवे अततररिक्त शवेष ऋग्ववेद सवे लिद गययी हह। इन ऋचसाओसं कसा गसान सकोमयज्ञ कवे समय ‘उदगसातसा‘ करितवे रवे। ससामदवे व ककी तयीन महत्त्वपर प र्ण शसाखसायम हह•

ककौरम त यीय,

जहैलमनयीय एवसं

रिसारसायनयीय।


ससामववेद सवे ससंबसंधधित महत्वपर प र्ण तथ्य - सत प गद ्​्दद •

दवे वतसा ववषयक ववववेचन ककी दृजषष्ठि सवे ससामववेद कसा प्रमतख दवे वतसा ‘सववतसा‘ यसा ‘सपय‘र्ण हहै , इसमम मतख्यततः सय प र्ण ककी स्ततत त कवे मसंत हह ककन्तत इसंद्र सकोम कसा भयी इसमम पयसार्णप्त वरर्णन हहै । भसारितयीय ससंगयीत कवे इततहसास कवे कवेत मम ससामववेद कसा महत्त्वपर प र्ण यकोगदसान रिहसा हहै । इसवे भसारितयीय ससंगयीत कसा मपलि कहसा जसा सकतसा हहै । ससामववेद कसा प्ररम द्रषटसा ववेदव्यसास कवे लशषय जहैलमतन कको मसानसा जसातसा हहै ।


ससामववेद सवे ससंबसंधधित महत्वपर प र्ण तथ्य - सत प गद ्​्दद •

ससामववेद सवे तसात्पयर्ण हहै कक वह ग्रन्र जजसकवे मन्त गसायवे जसा सकतवे हह औरि जको ससंगयीतमय हत्रों।

यज्ञ, अनषत ष्ठिसान औरि हवन कवे समय यवे मन्त गसायवे जसातवे हह।

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ससामववेद मम मलि प रूप सवे 99 मन्त हह औरि शवेष ऋग्ववेद सवे ललियवे गयवे हह। इसमम यज्ञसानतषष्ठिसान कवे उद्गसातव त गर्ण कवे उपयकोगयी मन्तत्रों कसा ससंकलिन हहै ।

इसकसा नसाम ससामववेद इसललियवे पडसा हहै कक इसमम गसायन-पद्धतत कवे तनजशचत मन्त हद हह।


ससामववेद सवे ससंबसंधधित महत्वपर प र्ण तथ्य - सत प गद ्​्दद • • •

इसकवे अधधिकसासंश मन्त ऋग्ववेद मम उपलिब्धि हकोतवे हह, कतछ मन्त स्वतन्त भयी हह। ससामववेद मम ऋग्ववेद ककी कतछ ॠचसाएसं आकललित हहै ।

ववेद कवे उद्गसातसा, गसायन करिनवे वसालिवे जको कक ससामग (ससाम गसान करिनवे वसालिवे) कहलिसातवे रवे। उन्हत्रोंनवे ववेदगसान मम कवेवलि तयीन स्वरित्रों कवे प्रयकोग कसा उल्लिवेख ककयसा हहै जको उदसात्त, अनद त सात्त तरसा स्वररित कहलिसातवे हह। ससामगसान व्यसावहसाररिक ससंगयीत रसा। उसकसा ववस्तत त वववरिर उपलिब्धि नहदसं हह।


ससामववेद सवे ससंबसंधधित महत्वपर प र्ण तथ्य सपतगदयी, Sutgaddi • • • • •

वहैददक कसालि मम बहतववधि वसाद्य यसंतत्रों कसा उल्लिवेख लमलितसा हहै जजनमम सवे तसंतत वसाद्यत्रों मम कन्नड वयीरसा, ककर्णरिद औरि वयीरसा, घन वसाद्य यसंत कवे असंतगर्णत दसं द त लत भ, आडसंबरि,

वनस्पतत तरसा सतवषरि यसंत कवे असंतगर्णततः ततरिभ, नसादद तरसा बसंकतरिसा आदद यसंत ववशवेष उल्लिवेखनयीय हह।


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