BIHAAREEGANJ KEE STHAANEEY SANSKRITI EVAN SAAMAAJIK PRSHTHABHOOMI KA EK ADHYAYAN

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Research Paper

Political Science

E-ISSN No : 2454-9916 | Volume : 6 | Issue : 7 | July 2020

BIHAAREEGANJ KEE STHAANEEY SANSKRITI EVAN SAAMAAJIK PRSHTHABHOOMI KA EK ADHYAYAN

िबहारीगजं क थानीय सं कित ृ एवं सामािजक पृ भिम ू का एक अ ययन Shriya Suman Research Scholar, Ph. D., Department of Political Science, B. N. Mandal University, Madhepura, Bihar, India. ABSTRACT

वै ीकरण थानीय सं कितय े ी सं कित ृ क उपे ा करता है ये सविविदत है और यह वै ीकरण ि या उ ह और अिधक फै लती िवदश ृ को आ मसात करने के िलए मजबरू करती ह।ै लोग अपनी पहचान खो रहे ह, अपनी परपरा ू रहे ह य िक उ ह आधिनक ु दिनया ं और अपनी उ पि के बारे म भल ु क ज रत के अनकल े ी सं कितय के िलए सभी समाज के सपक ृ उ पाद म यापार का िव तार िवदश ृ ु ू होना होता ह।ै सां कितक ं को बढ़ा रहा ह।ै हालाँिक रा ीय सं कितय पर वै ीकरण के प रणाम पर कोई सहमित नह ह।ै पर तु प त: दख े ा जा रहा है िक िवदश े ी सं कित ृ ृ के ित लोग का सपक ृ ं अपनी सां कितक पहचान को कम करता जा रहा ह।ै इसका जीता जागता उदाहरण हमारे भारत के कई ातं म वै ीकरण यगु के प ात वत: ही प रलि त होने लगा। सकें त श द: सां कितक ृ सं मण, थानीय िवशषेता, अिभला िणक पहल,ू पारपं रकता, बाजारीकरण तावना: िनि त प से वै ीकरण, िवदश े ी उ पाद क उपल धता को बढ़ाने और पारपं रक उ पादक को बािधत करना ही तो ह।ै यह सां कितक ृ उ पाद और सेवाओ,ं जैसे िफ म , सगीत ं और काशन म अतरा ं ीय यापार भी बढ़ा रहा ह।ै सां कितक े ी सं कितय ृ उ पाद म यापार का िव तार िवदश ृ के िलए सभी समाज के सपक े ी सां कितक ृ व तओ ु ं के ं को बढ़ा रहा है और िवदश सपक ृ , मू य , और परपराओ ं ं म बदलाव ं म अ सर थानीय सं कितय आता रहा ह।ै हालाँिक व तओ ु ं और सेवाओ ं के उ पादन और िवतरण का वै ीकरण कई मायन म एक वागत यो य िवकास है िजसम यह उन उ पाद तक पहचं दान करता है जो उनके पास अ यथा नह होते। िचता ं का िवषय ये है िक वै ीकरण ारा लाए गए प रवतन से थानीय प से िनिमत उ पाद और उ ह बनाने वाले लोग क यवहायता को खतरा ह।ै उदाहरण के िलए, बाजार म िवदश े ी खा पदाथ क नई उपल धता अ सर स ती क मत पर थानीय िकसान को िव थािपत कर सकती है जो थािनयता पे खतरा ही ह।ै िबहारीगजं के थानीय सं कित ृ व समाज पर वै ीकरण का भाव: तणमल ृ ू तर पर चचा कर तो यहां के ीय िवषय व तु के प म अपने शोध अ ययन के े का उ लेख क ं गी, मरेा शोध बधं िबहार के मधपेराु िजलातगत एक छोटे से लॉक िबहारीगजं के सामािजक आिथक ं सां कितक पहलओ ृ ु ं के े अ ययन पर ह।ै िबहारीगजं खडं िजसे कलक ा के त कालीन जम दार िबहारीलाल िम ा ने बसाया था, जो वतमान म िबहार के मधपेराु िजला के अ तगत आता ह।ै पवू म कोशी क मु य धारा 'हा-हा धार' का िनजन े हआ करता था। हालािक ं िबहारीगजं को पवू मरब ु ला नाम से जाना जाता था। लेिकन बाद के िदन म जब बगाल ं िबहारी लाल िम ा के हाथ म जम दारी चली आयी तो मरब ला का नाम ु बदल कर िबहारीगजं रखा गया। लेिकन तभी भी इसे िनशखपर ु परगना ं ु करहा

कहा जाता था। कालातर ृ का िवकास ं म यहां सनै: सनै: िश ा और सं कित हआ और आज यह एक सघन आबादी वाला ससाधनधनी े ह।ै 19व ं सदी के वै ीकरण के यगु से होता हआ आज़ादी के बाद अब तक इस े म कई आमलचल ू ू प रवतन हए। 22 जनू 1994 ई से िबहारीगजं को खडं का दजा िदया गया था। इसका उ ाटन त कालीन मु यमं ी लालू साद ने िकया था। पवू म यह अिधसिचत े भी रहा ह।ै समय के साथ कई बार ू अप ेड और िड ेड हआ। वतमान म िबहारीगजं नगर पचायत बनने क ं सभी अहता परीू करता ह।ै पहले जहां नगर पचायत बनने के िलए 75 ं ितशत जनसं या किष ृ काय म लगी होनी चािहए। जबिक िनयम म बदलाव कर अब 50 ितशत किष ृ काय म लगे हए जगह को भी नगर पचयात का दजा िमलेगा। िबहारीगजं इस मानक पर परीू तरह से खरा ं उतरता ह।ै यहां बस टड, रे लवे टेशन, जेनरल हाट, गदड़ी ु बाजार, मोबाइल के आधा दजन से अिधक टावर, शहरी आधार पर िबजली िवप , भारतीय जटू िनगम, िब कोमान, किष ृ उ पादन बाजार सिमित, सरस तेल िमल, छह रा ीय कत ृ बक क शाखा, पो ट ऑिफस, दो कॉलेज, चार उ च िव ालय, दो गैस एजसी, दो िसनेमा हॉल, आवासीय होटल, धमशाला, मिदर, क अहता परीू कर ं मि जद एवं अ य ह, जो नगर पचायत ं रही ह।ै नगर पचायत का े ताव के अनसार ु िबहारीगज ं नगर पचायत ं ं का े फल 2248.74 एकड़ म होगा। इसम िबहारीगजं के 620.31 एकड़, िवशनपरु के 647.38 एकड़, कु थन के 771.93 एकड़, बढ़ैया के 191.72 एकड़ और हिथऔधा ू शािमल िकया गया ह।ै ं का मा 18 एकड़ भिम िबहारीगजं नगर पचायत के उ र राजगजं और ल मीपर,ु दि ण गमल ै और ं गोरपार, परब ु ू हिथऔधा ं और पि म मोहनपरु िन फ और मोहनपरु चौमख होगा। 1992.56 वग िकलोमीटर, जनसं या का घन व िबहारीगजं नगर पचायत क जनसं या 2011 के जनगणना के अनसार ु 23134 होगी। इसम ं िबहारीगजं के 12157, िबशनपरु के 1357, कु थन के 7408, बढ़ैया के 1477 एवं हिथऔधा ं के मा 735 लोग शािमल िकये गये ह। तािवत

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E-ISSN No : 2454-9916 | Volume : 6 | Issue : 7 | July 2020

नगर पचायत क जनसं या का घन व 2532.87 वग िकमी होगा। इस ं भौगोिलक िव तार के साथ यहां का सामािजक प रवेश अपने थानीय िवशषेताओ ं के अिभला िणक पहलओ ु ं को भी समािहत करता ह।ै जो कालातर ं म वै ीकरण के प र े य म पा ा य सं मण के साथ वाभािवक प से भािवत भी हआ। लघु व कटीर ु उ ोग, थानीय िवपणन उ म, े ीय तर पर उपजने वाले फसल यथा जट, ू म का, मखाना, धान क खतेी व िनयात का भािवत होना, थानीय कामगार का बड़े शहरी क ओर पलायन इ यािद। शहरी प रवेश म सनातन धम और भारतीय सं कित ृ पर पा ा य अं ेजी शल ै ी कछ ु यादा हावी हई ह,ै लेिकन अ छी बात यह है िक दश े के ामीण प रवेश वाले े म अब भी ाचीन भारतीय सं कित ृ का बोलबाला है उसक न व मजबतू ह।ै लेिकन बाजारवाद के भाव से वो भी अछती ू नह रही ह। िन कष: इस तरह यह कहा जा सकता है िक भमडलीकरण ने भारतीय समाज को कई ू ं प म भािवत िकया है िजसका भाव भारतीय समाज म प प से दख े ने को िमल रहा ह।ै वै ीकरण के सामािजक भाव सबसे अिधक भावी एवं थायी ह। इसने सं कित ृ को भी काफ गहरे प म भािवत िकया ह।ै इसके भाव से भारत भर म थानीय प रवतन के साथ वेश-भषा, ू खान-पान, सगीत, े ने को िमलते ह। ं भाषा, िवचार आिद े म कई प रवतन दख सझाव: ु बाजारीकरण, वै ीकरण व नई तकनीक क ताकत को दख े कर यवाओ ु ंम उसके ित आकिषत होने क भगदड़ मची हई ह।ै लेिकन उस भगदड़ म भी हमक यान रखना होगा िक हम सामजं य बनाकर अपनी जड से मजबती ू से जड़ेु रह और इन जड को मजबतू रखने के िलए हम सभी को समयानसार ु ठोस कारगर यास करते रहना होगा। वतमान म आ मिनभर भारत अिभयान के तहत लघ,ु कटीर ु एवं म यम उप म पर िवशषे बल, भारत सरकार के पहल कारागार प से वै ीकरण के भाव ज य ि थितय का उपचार मक हल ह गे। सदभ: ं I.

Bihar Tourism: Retrospect and Prospect Archived, Udai Prakash Sinha and Swargesh Kumar, Concept Publishing Company, 2012,

II. Revenue Administration in India: A Case Study of Bihar, G. P. Singh, Mittal Publications, 1993, III. Prabhat Khabar Digital Desk, Oct 27, 2015 IV. Dainik Jagran Digital Desk, Jagran Prakashan Limited, 2020

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