Unseen Poem Class 11 in Hindi | Latest Unseen poem

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Unseen Poem for Class 11 in Hindi Unseen poem class 11 covers a significant bit of the Hindi paper. It contains around 24% imprints weightage in the test. Along these lines, students who need to score good grades in Class 11 Hindi should rehearse the understanding entry preceding the test. To help them in their planning, we have given the CBSE Unseen poems to Class 11 Hindi.Students should go through them and tackle the inquiries dependent on these appreciation sections.

Read the Unseen Poem Class 11 in Hindi 01. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें : शांति नहीं तब तक, जब तक सख ु - भाग न नर का सम हो, नहीं किसी को बहुत अधिक हो, नहीं किसी को कम हो| ऐसी शांति राज्य करती है तन पर नहीं, ह्रदय पर, नर के ऊंचे विश्वासों पर


श्रद्धा, भक्ति, प्रणय पर | न्याय शांति का प्रथम न्यास है जब तक न्याय न आता | जैसा भी हो महल शांति का | सदृ ु ढ़ नहीं रह पता | कृत्रिम शांति शशंक आप अपने से ही डरती है , खड्ग छोड़ विश्वास किसी का कभी नहीं करती है | और जिन्हे इस शांति - व्यवस्था में सख ु - भोग सल ु भ है , उनके लिए शांति ही जीवन, सार, सिद्धि दर्ल ु भ है | उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए(क) सामाजिक जीवन में अशांति का क्या कारण बताया गया है ? उत्तर- सामाजिक जीवन में आर्थिक विषमता के कारण सभी को सख ु - भोग का समान अवसर न मिलना तथा न्याय का व्यवहार न होना अशन्ति का मल ू कारण बताया गया है | (ख) कृत्रिम शांति से क्या हानि संभव है ? उत्तर- कृत्रिम शांति स्थापना से वह शांति स्थायी नहीं रहती है , क्योंकि उसमे आशंका, भय एवं विद्वेष बना रहता है , उसमे विश्वास की कमी रहती है | ऐसी शांति से यह हानि होती है की समाज का वातावरण खश ु हाल नहीं रहता है | (ग) प्रस्तत ु काव्यांश से क्या प्रेरणादायी सन्दे श दिया गया है ? उत्तर- प्रस्तत ु कविता में यह सन्दे श दिया गया है की मानव समज के समक्ष यद् ु ध और शांति की जो चिर समस्या है , उसका समाधान समता, न्याय एवं परस्पर विश्वास रखने से ही हो सकता है | हमे समाज एवं राष्ट्र में शांति स्थापना के लिए समता एवं न्याय का पक्ष - पोषण करना चाहिए| (घ) कवि किस प्रकार की शांति को महत्वपर्ण ू मानता है ? उत्तर- कवि समाज में शांति - व्यवस्था को पसंद करता है | शांति दो प्रकार से स्थापित होती है | एक तो तलवार या शक्ति के बल पर स्थापित की जाती है और दस ू री समाज में आर्थिक समानता लाकर स्थापित की जा सकती है | कवि समाज में न्याय और आर्थिक समानता लाकर स्थापित की जाने वाली शांति के पक्षधर है |


(ड़) दे श - समाज में शांति - स्थापना का प्रथम न्यास किसे बताया गया है ? उत्तर- दे श - समाज में शांति - स्थापना का प्रथम न्याय सभी को समतामल ू क न्याय मिलना बताया गया है , अर्थात समाज में सभी को न्याय मिलने से ही शन्ति स्थपित हो सकती है |

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02. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें : प्रभु ने तम ु को कर दान किये, सब वांछित वस्तु विधान किये | तम ु प्राप्त करो उनको न अहो, फिर है किसका वह दोष कहो? समझो न अलभ्य किसी धन को, नर हो न निराश करो मन को | किस गौरव के तम ु योग्य नहीं, कब कौन तम् ु हे सख ु भोग्य नहीं? जन हो तम ु भी जगदीश्वर के, सब है जिसके अपने घर के| फिर दर्ल ु भ क्या उसके मन को? नर हो, न निराश करो मन को | करके विधि - वाद न खेद करो, निज लक्ष्य निरं तर भेद करो | बनता बस उद्धम ही विधि है , मिलती जिससे सख ु की निधि है | समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को, नर हो, न निराशा करो मन को | उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए(क) वांछित वस्तओ ु ं को प्राप्त न क्र सकने में किसका दोष है और क्यों ?


उत्तर- ईश्वर ने इस धरती पर अनेक प्रकार की वस्तओ ु ं का निर्माण किया है और उन सभी वस्तओ ु ं का उपभोग करने के लिए मनष्ु य को दो हाथ दिए है | अतएव अपने हाथों का उचित उपयोग करके मनष्ु य वांछित वस्तओ ु ं का प्राप्त कर सकता है | यदि वह ऐसा नहीं करता है , तो दोष उसी का है ; क्योंकि उचित कर्म और श्रम न करने का दोष मनष्ु य का ही है | (ख) विधि - वाद का खेद कौन व्यक्त करते है ? उत्तर- इस संसार में कुछ लोग उचित परिश्रम नहीं करते है और छोटी - छोटी बात पर भी कहते रहते है कि यह सब भाग्य का खेल है , अर्थात भाग्यवादी बनकर निराश हो जाते है | इस कारण वे लक्ष्य को प्राप्त करने का उचित प्रयास भी नहीं करते है | ऐसे लोग ही विधि - वाद का खेद व्यक्त करते है | (ग) इस काव्यांश से क्या प्रेरणा दी गयी है ? उत्तर- इस काव्यांश से कवि ने सभी मनष्ु यों को अथवा सभी भारतीयों को यह प्रेरणा दी है कि वे निराश न हो, लक्ष्य प्राप्ति का उचित प्रयास करें | इसलिए वे कर्मनिष्ठ एवं साहसी बने तथा सभी प्राणियों में श्रेष्ठ प्राणी होने के नाते जीवन - मार्ग पर सफलता से बढ़ते जावे | वे कुछ न कुछ काम करते रहे | (घ) काव्यांश से कवि के कौनसे विचारों का परिचय मिलता है ? उत्तर- काव्यांश को पढ़कर कवि के विचारों के बारे में अनम ु ान लगाया जा सकता है | इस काव्यांश से ज्ञान होता है कि कवि मानव को भाग्य को कोसते रहने कि अपेक्षा परिश्रम करके जीवन को उन्नत और सख ु मय बनाने कि प्रेरणा दे ना चाहता है | कवि मानवीय संवेदना एवं आद्यात्मिक दृटिकोण रखता है और परहित को धर्म मानता है | वह कार्य पर विश्वास करने वाला एवं भाग्य भरोसे रहने वाला नहीं है | (ड़) उन पंक्तियों को पहचानिए जिनसे पता चलता है कि कवि आस्तिक है , ईश्वर को मानता है | उत्तर- कवि परिश्रम को महत्वपर्ण ू मानता है और ईश्वर के प्रति भी आस्था रखता है वह ईश्वर को मनाता है इस कि द्योतक पंक्तियाँ ये है जन हो तम ु भी जगदीश्वर के, सब है जिसके अपने घर के|

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03. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें : छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाये मत झक ु ो अनय पर, भले व्योम फट जाये, दो बार नही यमराज कंठ धरता है , मरता है जो, एक ही बार मरता है | तम ु स्वयं मरण के मख ु पर चरण धरो रे |


जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे || उपशम को ही जाति धर्म करती है , शम, दम, विराग को श्रेष्ठ कर्म कहती है , धति ृ को प्रहार, शांति को वर्म कहती है , अक्रोध, विनय को विजय मर्म कहती है , अपमान कौन, वह जिसको नहीं सहे गी? सबको असीम सबका बन दास कहे गी || दो उन्हें राम, तो मात्र नाम वे लेंगी, विक्रमी शरासन से न काम वे लेंगी, नवनीत बना दे ती भट अवतारी को, मोहन मरु लीधर पांचजन्य - धारी को| पावक को बझ ु ा तष ु ार बना दे ती है , गाँधी को शीतल श्रर बना दे ती है | उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए(क) प्रस्तत ु कविता का केंद्रीय भाव क्या है ? उत्तर- प्रस्तत ु कविता का केंद्रीय भाव यह है कि पराक्रम, परु ु षार्थ एवं सक्रियता अपनाये बिना केवल विनय एवं अहिंसा से राष्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता | इसलिए सदा जागति ृ रखने को जरुरत है | (ख) इस संसार में किस व्यक्ति को अपमान सहना पड़ता है ? उत्तर- जो व्यक्ति आन- बान की चिंता न करके चप ु चाप अन्याय सहता है , केवल शांति को ही श्रेष्ठ कर्तव्य मानता है तथा परु ु षार्थ नहीं दिखाता है , ऐसे व्यक्ति को अपमान सहना पड़ता है | (ग) कवि किस बात पर अंडे रहने के लिए कहता है ? उत्तर- कवि कहता है कि अन्याय पर भी मत झक ु ो और हर हालत में न्यायपर्ण ू बात पर अंडे रहो | (घ) कवि ने क्या अपनानें कि बात कही है ? उत्तर- प्रस्तत ु कवितांश में कवि ने अहिंसा, सहनशीलता और भीरुता को छोड़कर वीरता, ओजस्विता तथा निर्भयता अपनाने की बात कही है | (ड़) 'नवनीत बना दे ती बात अवतारी को - ऐसा किसके लिए और क्यों कहाँ गया है ? उत्तर- ऐसा कोरी अहिंसावादी नीति के लिए कहा गया है | अहिंसा से भले ही बड़े - से बड़े पराक्रमी को कोमल-ह्रदय बनाया जा सकता है , परन्तु इससे अन्याय उत्पीड़न को रोका नहीं जा सकता |


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04. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें : अरे वर्ष के हर्ष बरस तू बरस-बरस रसधार ! पार ले चल तू मझ ु को बह, दिखा मझ ु को भी निज गर्जन-भैरव संसार ! उथल-पथ ु ल कर हृदय मचा हलचल चल रे चल मेरे पागल बादल ! धंसता दलदल, हँसता है नद खल ्-खल ् बहता, कहती कुलकुल कलकल कलकल। दे ख-दे ख नाचता हृदय बहने को महा विकल-बेकल, इस मरोर से-इसी शोर से— सधन घोर गरु ु गहन रोर से मझ ु े मगन का दिखा सघन वह छोर ! राग अमर ! अम्बर में भर निज रोर ! उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए(क) बादल को ‘अरे वर्ष के हर्ष’ क्यों कहा गया है ? उत्तर- बादल वर्षाकाल में अर्थात ् साल में एक ऋतु में बरस कर सभी प्राणियों को शान्ति एवं किसानों को खश ु हाली दे ते हैं। इसीलिए बादलों को वर्ष के हर्ष कहा गया है । (ख) बादल को पागल क्यों एवं किस कारण कहा गया है ? उत्तर- बादल आकाश में खब ू उमड़-घम ु ड़ मचाते हैं, पागलों की तरह अनियन्त्रित रहकर कभी कम और कभी अत्यधिक वर्षा करते हैं। इसी कारण बादल को पागल कहा गया है ।


(ग) बादल से अम्बर में क्या भरने को कहा गया है ? उत्तर- बादल को अम्बर अर्थात ् आकाश में अपनी घोर गर्जना का भयानक शब्द (गड़गड़ाहट) भरने को कहा गया है । (घ) “पार ले चल तू मझ ु को’ इसका क्या आशय है ? उत्तर- बादलों के वर्षण से कृषकों का जीवन खश ु हाल होगा, इसलिए किसान या कवि स्वयं को पार ले चलने के लिए कहता है । (ड़) प्रस्तत ु काव्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए। उत्तर- प्रस्तत ु काव्यांश में कवि ने बादलों से आत्मीयता दिखाते हुए उन्हें खब ू बरसने के लिए कही है । साथ ही बादलों को प्राणियों का हितैषी बताया है ।

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05. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें : यह धरती है उस किसान की जो बैलों के कन्धों पर। बरसात घाम में , जआ ु भाग्य का रख दे ता है , खन ू चाटती हुई वायु में , पैनी कुसी खेत के भीतर, दरू कलेजे तक ले जाकर, जोत डालती है मिट्टी को, पाँस डालकर,। और बीज बो दे ता है नये वर्ष में नयी फसल के, ढे र अन्न का लग जाता है । यह धरती है उस किसान की। नहीं कृष्ण की, नहीं राम की, नहीं भीम, सहदे व, नकुल की, नहीं पार्थ की, नहीं राव की,


नहीं रं क की, नहीं तेग, तलवार, धर्म की, नहीं किसी की, नहीं किसी की, धरती है केवल किसान की। उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए(क) कवि ने धरती का असली स्वामी किसे और क्यों बताया है ? उत्तर- कवि ने धरती का असली स्वामी किसान को बताया है , क्योंकि वही परिश्रम करके, धरती को उर्वरा करके अन्न उगाता है । (ख) ‘जआ ु भाग्य का रख दे ता है ’ कथन से क्या आशय है ? उत्तर- किसान यद्यपि खेती पर रात-दिन परिश्रम करता है , तथापि वह खेती की पैदावार को अपने भाग्य का प्रतिफल मानता है । (ग) किसान को भाग्यवादी बताने वाली पंक्ति को छाँटकर लिखिए। उत्तर- किसान भाग्यवादी होता है , उसकी यह विशेषता इस पंक्ति से व्यक्त हुई। है —’जआ ु भाग्य का रख दे ता है ।’ (घ) प्रस्तत ु कविता का मल ू भाव लिखिए। उत्तर- प्रस्तत ु कविता का मल ू भाव यह है कि किसान रात-दिन परिश्रम करके खेतों को उपजाऊ बनाता है । धरती का असली स्वामी वही है । राव, सामन्त या जमींदार तो उसका शोषण ही करते हैं। (ड़) काव्यांश का उचित शीर्षक दीजिए। उत्तर- प्रस्तत ु काव्यांश का शीर्षक ‘किसान की धरती’ हो सकता है ।

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