Unseen Poem Class 8 in Hindi | Latest Unseen poem

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Unseen Poem for Class 8 in Hindi Unseen poem class 8 covers a significant bit of the Hindi paper. It contains around 24% imprints weightage in the test. Along these lines, students who need to score good grades in Class 8 Hindi should rehearse the understanding entry preceding the test. To help them in their planning, we have given the CBSE Unseen poems to Class 8 Hindi.Students should go through them and tackle the inquiries dependent on these appreciation sections.

Read the Unseen Poem Class 8 in Hindi 01 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें : केवल कोरे कागज रं गना कविता कैसे हो सकती है ? जहां कहीं खख ंू ार अंधेरा सरू ज वहां उगाना है कौर छिन रहा जिनके मह ंु से उनको कौर दिलाना है


शंखनाद को सन ु -सन ु करके जनता कैसे सो सकती है ? पल-पल बदल रही दनि ु या की धड़कन सन ु ना बहुत जरूरी उग्रवाद बाजारवाद की चालें गन ु ना बहुत जरूरी बम-बारूद बिछी घर-आंगन सवि ु धा कैसे हो सकती है ? कल-कल, कल-कल, गाते-गाते पग-पग पल-पल, आगे बढ़ना दरू -दरू पलि ु नो का रहकर योग साधना में रत रहना यग ु -यग ु ने सौंपी सौगातें सरिता कैसे खो सकती है | छीज रही शब्दों की वीणा फटे बांस की मरु ली जैसी जड़ जमीन से उखड़ी भाषा पकी-अधपकी खिचड़ी जैसी भानम ु ती का कुनबा हो तो गीत गजल क्या हो सकती है ? उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पछ ू े गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए | (क) ‘केवल कोरे कागज रं गना कविता कैसे हो सकती है ?’ पंक्ति से कवि का क्या आशय है तथा कवि का क्या कर्तव्य है ? पहले पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए| उत्तर- जो कवी समाज में परिवर्तन लाने वाली कविताएं एवं गीत नहीं लिखता तो ऐसे कवियों का कविता कार्य मात्र कागज काले करने से अधिक कुछ नहीं है | कवि का कर्तव्य है कि जहां भी निराशा, अन्याय, अत्याचार का अंधेरा है उसे अपनी लेखनी रूपी सर्य ू से हटाए| जो लोग दस ू रों का शोषण कर रहे हैं, दस ू रों का हक छीन रहे हैं उन्हें उनका हक दिलाए| उसका कार्य है कि वह अपनी कविता के शंखनाद से जनता को जागत ृ करें | (ख) किन स्थितियों के कारण गीत गजल नहीं हो सकते? अंतिम पद के आधार पर उत्तर दीजिए|


उत्तर- आज के कवि ऐसी निरर्थक कविता का सज ु े हैं| कवी के सरु फटे बांस ृ न कर रहे हैं जिसके शब्द छीज चक की मरु ली से निकलने वाले सरु ों जैसे हो गए हैं| कवियों की भाषा शक्तिहीन हो चक ु ी है क्योंकि वह जड़-जमीन से कटी हुई है | उसकी भाषा अधपकी की खिचड़ी जैसी प्रभावहीन है | कवी यहां- वहाँ से चीजें उठाकर जो काव्य रचना कर रहे हैं वह भानम ु ति के कुनबे के समान है | (ग) कवी का कर्तव्य क्या है ? उत्तर- कवी का कर्तव्य है अत्याचारों एवं शासकों से आम दख ु ी जन का हक वापस दिलाना| (घ) कविता की कौन-सी पंक्ति बढ़ते हुए आतंकवाद की ओर संकेत कर रही है | उत्तर- ‘बम बारूद विधि घर आंगन सवि ु धा कैसे हो सकती है |’ (ड) प्रस्तत ु कविता का उपयक् ु त शीर्षक लिखिए| उत्तर- कवि का कर्तव्य

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02 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें : छाया मत दन ू ा मन, होगा दख ु दन ू ा। जीवन में हैं, सरु ं ग सधि ु याँ सह ु ावनी छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी, तन-सग ं शेष रही, बीत गई यामिनी, ु ध कंु तल के फूलों की याद बनी चाँदनी । भल ू ी-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षणछाया मत छूना मन, होगा दख ु दन ू ा। उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पछ ू े गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए | (क) “छाया मत छूना'- कवि ने ऐसा क्यों कहा? उत्तर- कवि गिरिजा कुमार माथरु के अनस ु ार ‘छाया' से तात्पर्य भत ू काल के सख ु ी समय से है । कवि उसे छूने से इसलिए मना करता है क्योंकि वर्तमान समय में बीते सख ु ों को याद करने से कोई लाभ नहीं होता है । बीता अच्छा समय वर्तमान के दख ु ी बनाने के ु ों को को दरू करने में असमर्थ होता है । अतः हमें अपने वर्तमान को सख


लिए बीते अच्छे दिनों को याद नहीं करना चाहिए। विगत लौटकर वापस नहीं आता और न ही वह वर्तमान परिस्थितियाँ बदल सकता है । (ख) “छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी' का क्या तात्पर्य है ? उत्तर- कवि गिरिजा कुमार माथरु द्वारा रचित कविता 'छाया मत छूना' की इस पंक्ति का तात्पर्य है कि जीवन में बीते समय की सग ं फैली रहती है । विगत में प्रिय मिलन की यादें मन को लभ ु ध ु ाती हैं और उसकी दे ह की गंध ही वर्तमान में शेष रह जाती है । (ग) “कंु तल के फूलों की याद बनी चाँदनी' में कवि को कौन-सी यादें कचोटती हैं? उत्तर- “कंु तल के फूलों की याद बनी चाँदनी' में कवि को अपनी प्रेयसी के बालों में लगे सम ु न-गच् ु छ याद आते हैं, यही यादें चाँदनी बनकर उसके मन को उलझा कर रखती हैं।

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03 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें : दे खकर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं। रह भरोसे भाग के दख ु भोग पछताते नहीं। काम कितना ही कठिन हो किंतु उकताते नहीं। भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।। हो गए एक आन में उनके बरु े दिन भी भले। सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले-फले।। आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही। सोचते-कहते हैं जो कुछ, कर दिखाते हैं वही।। मानते जी की हैं, सन ु ते हैं सदा सबकी कही। जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही।। भल ू कर वे दस ु कभी तकते नहीं। ू रों का मँह कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।। उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पछ ू े गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए | (क) कवि ने इस पद्यांश में किनकी प्रशंसा की है ? उत्तर- इस पद्यांश में कवि ने कर्मवीरों की प्रशंसा की है ।


(ख) भाग्य के भरोसे रहने वालों को पछताना क्यों पड़ता है ? उत्तर- भाग्य के भरोसे रहने वाले को पछताना पड़ता है क्योंकि वह कभी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता। (ग) कैसे लोग सब जगह और सभी कालों में फलते-फूलते हैं? उत्तर- जो लोग अपने लक्ष्य प्राप्ति हे तु केवल कर्म करते हैं। कभी किसी कार्य का दिखावा नहीं करते। (घ) कर्मवीर सबकी सन ु कर भी केवल अपने जी की क्यों मानते हैं? उत्तर- कर्मवीर सबकी सन ु कर भी केवल अपने जी को मानते हैं क्योंकि वे किसी को नाराज भी नहीं करते और अपने बल-पौरुष से अपना लक्ष्य प्राप्त करते हैं। (ड) पद्यांश हे तु उचित शीर्षक दीजिए। उत्तर- कर्मवीर।

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04 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें : आज जीत की रात पहरुए, सावधान रहना। खल ु े दे श के द्वार अचल दीपक समान रहना प्रथम चरण है नये स्वर्ग का है मंजिले का छोर इस जन-मंथन से उठ आई पहली रतन हिलोर अभी शेष है परू ी होना जीवन मक् ु ता डोर क्योंकि नहीं मिट पाई दख ु की विगत साँवली कोर ले यग ु की पतवार बने अंबधि ु समान रहना


पहरुए, सावधान रहना ऊँची हुई मशाल हमारी आगे कठिन डगर है । शत्रु हट गया, लेकिन उसकी छायाओं का डर है , शोषण से मत ृ है समाज , कमज़ोर हमारा घर है । किंतु आ रही नई जिंदगी यह विश्वास अमर है । उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पछ ू े गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए | (क) कविता दे श की कौन-सी सख ु द घटना की ओर संकेत करती है ? (i) यद् ु ध में जीत (ii) 15 अगस्त की सख ु द घटना (iii) गणतंत्र दिवस की सख ु द घटना (iv) विपत्तियों से छुटकारे की रात उत्तर- (ii) (ख) ‘पहरुए’ की ‘दीपक’ और ‘अंबधि ु ’ के समान बने रहने को क्यों कहा गया है ? (i) क्योंकि दीपक ही प्रकाश दे ता है और अपनी गहराई से सबको प्रेरणा दे ता है । (ii) दीपक और सागर के समान परोपकारी बनने की प्रेरणा (iii) दीपक और सागर के समान अटल बनने की प्रेरणा (iv) दीपक और सागर की तरह महान बनने की प्रेरणा उत्तर- (i) (ग) शोषण से मत ृ है समाज कमज़ोर हमारा घर है – पंक्ति का अर्थ क्या है ? (i) दे श की हालत खास्ता है । (ii) दे श की आर्थिक स्थिति दयनीय है । (iii) दे श की सामाजिक स्थिति ठीक नहीं है ।


(iv) दे श की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था कमजोर है । उत्तर- (iv) (घ) ‘ले यग ु की पतवार बने अंबधि ु समान रहना’ पंक्ति में अलंकार है ? (i) उत्प्रेक्षा (ii) रूपक (iii) उपमा (iv) मानवीकरण उत्तर- (iii)

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05 निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें : ओ महमद ू ा मेरी दिल जिगरी तेरे साथ मैं भी छत पर खड़ी हूँ तम् ु हारी रसोई तम् ु हारी बैठक और गाय-घर में पानी घस ु आया उसमें तैर रहा है घर का सामान तेरे बाहर के बाग का सेब का दरख्त टूट कर पानी के साथ बह रहा है । अगले साल इसमें पहली बार सेब लगने थे तेरी बल खाकर जाती कश्मीरी कढ़ाई वाली चप्पल हुसन ै की पेशावरी जत ू ी बह रहे हैं गंदले पानी के साथ तेरी ढलवाँ छत पर बैठा है । घर के पिंजरे का तोता वह फिर पिंजरे में आना चाहता है । महमद ू ा मेरी बहन


इसी पानी में बह रही है तेरी लाडली गऊ इसका बछड़ा पता नहीं कहाँ है । तेरी गऊ के दध ू भरे थन । अकड़ कर लोहा हो गए हैं। जम गया है दध ू सब तरफ पानी ही पानी परू ा शहर डल झील हो गया है । महमद ू ा, मेरी महमद ू ा मैं तेरे साथ खड़ी हूँ। मझ ु े यकीन है छत पर जरूर कोई पानी की बोतल गिरे गी कोई खाने का सामान या दध ू की थैली मैं कुरबान उन बच्चों की माँओं पर जो बाढ़ में से निकलकर । बच्चों की तरह पीड़ितों को सरु क्षित स्थान पर पहुँचा रही हैं। महमद ू ा हम दोनों फिर खड़े होंगे मैं तम् ु हारी कमलिनी अपनी धरती पर… उसे चम ू लेंगे अपने सख ू े होठों से पानी की इसे तबाही से फिर निकल आएगा मेरा चाँद जैसा जम्मू मेरा फूल जैसा कश्मीर। उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पछ ू े गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए | (क) घर में पानी घस ु ने का कारण है (i) नल और नाली की खराबी (ii) बाँध का टूटना


(iii) प्राकृतिक आपदा (iv) नदी में रुकावट उत्तर- (iii) (ख) महमद ू ा की बहन को विश्वास नहीं है (i) छत पर पानी की बोतल गिरे गी (ii) कुछ खाने-पीने की सहायता पहुँचेगी (iii) कोई है लीकॉप्टर उन्हें बचाने छत पर आएगा (iv) इस मस ु ीबत से निकल जाएँगे उत्तर- (iv) (ग) “मेरा चाँद जैसा जम्मू मेरा फूल जैसा कश्मीर’ का भावार्थ है (i) जम्मू और कश्मीर में फिर से चाँद दिखने लगेगा, (ii) जम्मू और कश्मीर का सौंदर्य वापिस लौटे गा, (iii) जम्मू और कश्मीर स्वर्ग है , (iv) जम्मू और कश्मीर चाँद और फूल जैसा सद ंु र है , उत्तर- (ii) (घ) कवयित्री माताओं पर क्यों न्यौछावर होना चाहती है ? (i) दस ु ी हैं।। ू रों को बचाने के कार्य में जट (ii) बच्चों को सरु क्षित स्थान पर पहुँचा रही हैं। (iii) स्वयं भख ू ी रहकर बच्चों की दे खभाल करती हैं। (iv) रसद पहुँचाने का कार्य कर रही हैं। उत्तर- (ii) (ङ) परू ा शहर डल झील जैसा लग रहा है , क्योंकि (i) डल झील का फैलाव बढ़ गया है । (ii) परू े शहर में पानी भर गया है । (iii) परू े शहर में शिकारे चलने लगे हैं।


(iv) झील में नगर का प्रतिबिंब झलक रहा है । उत्तर- (ii)

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