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pasaayadana (&aanaoEvarI AQyaaya 18 AaovaI 1794 tao 1802) आतां िव ा मक दे व| येण वा य

तोषोिन मज

तोषाव|

ाव| पसायदान ह ||1||

जे खळांची यंकट

सांडो| तयां स कम रती वाढो|

भूतां परःपर पडो| मैऽ जीवाच ||2||

द ु रताच ितिमर जावो| िव

ःवधमसूय पाहो|

जो ज वांछ ल तो त लाहो| ूा णजात ||3|| वषत सकळमंगळ ं| ई र िन ांची मां दयाळ |

अनवरत भूमंडळ ं| भेटतु या भूतां ||4||

चलां क पत ं चे अaरव| चेतना िचंतामणीच गांव|

बोलते जे अणव| पीयूषाचे ||5||

चंिमे जे अलांछन| मातड जे तापह न|

ते सवाह सदा स जन| सोयरे होतु ||6|| कंबहना ु

सवसुखीं| पूण होऊिन ितह ं लोक ं|

भ जजो आ दपु खीं| अखं डत ||7||

आ ण मंथोपजीिवये| िवशेषीं लोक ं इय| ा

तेथ

िवजय| होआव जी ||8||

हणे ौीिव ेशरावो| हा होईल दानपसावो|

येण वर

ानदे वो| सु खया झाला ||9||


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