बातें कितनी बातें करते हो! कभी घंटे कभी कुछ लम्हे चलते चलते बातें, रुकते रुकते बातें। बिखरती छूटती सिसकती कसकती बातें। खमोशी में कही जाने वाली बातें अंगुलियों में रह जाने वाली बातें बाँहों में बह जाने वाली बातें बातों की बातें, बातों के बीच की बातें, हर समय बातें लेकिन सिर्फ उनकी बातें। फिर हम खो जाते हैं इतनी सारी बातों के बाद की खमोशी, तन्हाई और यादहाल में गुज़रे माज़ी कीचुप्पी में और आप कहते हैं - सिर्फ करो हमसे बातें नहीं तो तन्हाई में गुज़रेंगी ये अकेली रातें।