The Journey (Hindi)

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सफ़र मंिज़ल पाने क आरज़ू, वीरान राह का स ाटा, औ' ख़ौफ़ से लड़ती याद तेरी; बस सफ़र इसी को जाना है | उस सफ़र के ह गे या कहने ! जब मंिज़ल हमसफर होगी || जब सुबह उठकर दपण म, बेखौफ़ म खुद को देखग ूँ ा; जाने अंजाने चेहर से, अपनी आवाज़ म बोलूँगा; िबन सोचे घर से िनकलूंगा, हर सड़क ही महबूबा होगी | उस सफ़र के ह गे या कहने ! जब मंिज़ल हमसफर होगी || िजस सागर को बस देखा है, जब उसम गोते खाऊंगा; िजन लहर को कभी सुना नह , जब उनको गले लगाऊँगा; सूरज चमके गा रात भर, उस रात क रं गत या होगी | उस सफ़र के ह गे या कहने ! जब मंिज़ल हमसफर होगी || ज़दा तो जाने कब से ,ँ जीना पर उस दन सीखूंगा;


इं धनुष के सात रं ग, हवा म भरकर चूमूंगा; खुद-ब-खुद मुझ तक प च ँ ेगी, उस साँस क राहत या होगी | उस सफ़र के ह गे या कहने ! जब मंिज़ल हमसफर होगी ||


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