Maithili - Poverty

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जँ अह ँ हमर लोक मे सँ कोनो गरीब केँ प इ उध र दे ब तँ ओकर लेल सूदखोर नहह बनब आ ने ओकर पर सूद दे ब। हनगगमन 22:25 आ ने गरीबक मँह मे ओकर मँह दे खब। हनगगमन 23:3 अह ँ अपन गरीबक न् य य ओकर क ज मे नहह तोड़ब। मद स तम वर्ग ओकर आर म करऽ हदयौक आ स्थिर रहय हदयौक। ज हह सँ अह ँक लोकक गरीब सभ ख य, आ जे हकछ छोहड़ ज यत से खेतक पश सभ ख ज यत।” तहहन अह ँ अपन अंगूरक बगीच आ अपन जैतूनक बगीच क संग व्यवह र करब। हनगगमन 23:6,11 अह ँ अपन अंगूरक बगीच नहह तोड़ब आ ने अपन अंगूरक बगीच मे सँ एक-एकट अंगूर जम करब। अह ँ ओकर सभ केँ गरीब आ परदे शी लेल छोहड़ दे ब। अह ँ सभ न् य य मे कोनो अधमग नहह करब, गरीबक आदर नहह करब आ ने पर क्रमी केँ आदर करब, बल् हक ध हमगकत मे अपन पड़ोसीक न् य य करब। लेवीय 19:10,15 जखन अह ँ सभ अपन दे शक फसल क हट लेब तखन क हट कऽ अपन खेतक कोन-कोन सभ केँ स फ-सिर नहह हनक लब आ ने अपन फसलक कोनो फसल जम करब हम अह ँ सभक परमेश् वर परमेश् वर छी। लेवीय 23:22 जँ अह ँ क भ य गरीब भऽ गेल अहछ आ अपन हकछ सम्पहि बेहच कऽ चहल गे ल अहछ आ जँ ओकर कोनो पररजन ओकर छटक र दे बऽ आओत तँ ओ अपन भ य जे बेचने छल, ओकर मोहड़ लेत।” जँ तोहर भ य गरीब भऽ कऽ तोर संग सहड़ कऽ खहस पड़ै त अहछ। तखन अह ँ ओकर मस्ि दे ब। ज हह सँ ओ अह ँ क संग रहहि। जँ तोहर भ य जे अह ँ क लग मे रहै त छहि, ओ गरीब भ’ गेल ह आ अह ँ केँ बेहच दे ल गेल ह। अह ँ ओकर द सक सेव करब क लेल ब ध्य नहह करब, मद भ ड़ क नोकर आ प्रव सी जक ँ ओ अह ँ क संग रहत आ जयन्ती वर्ग धरर अह ँ क सेव करत संत न-संत न ओकर संग आहब कऽ अपन घरपररव र मे व पस आहब जेत ह, आ अपन पू वगजक सम्पहि मे घरर जेत ह। जँ कोनो प्रव सी व परदे शी अह ँक संग धहनक भऽ ज इत अहछ, आ अह ँ क भ य जे हुनक लग रहै त अहछ, गरीब भ’ ज इत अहछ आ अह ँ केँ ओहह परदे शी व परदे शी केँ व परदे शी पररव रक भं ड र मे बेहच दै त अहछ दोब र ; ओकर कोनो भ य ओकर मि क' सकैत अहछ: ओकर क क , व ओकर म म क बेट , ओकर मि क' सकैत अहछ, व ओकर पररव रक कोनो ररश्तेद र ओकर मि क' सकैत अहछ। व जँ सम्भव हो तँ अपन केँ मि कऽ सकैत अहछ। लेवीय 25:25,35,39-41,47 हर स त वर्गक अंत मे अह ँ एकट ररह ई करब। आ छोड़ब क तरीक ई अहछ जे जे कोनो लेनद र अपन पड़ोसी केँ कजग दै त अहछ से ओकर छोहड़ दे त। ओ अपन पड़ोसी आ भ य सँ नहह लेत। क रण, एकर प्रभक मस्ि कहल ज इत छै क। परदे शी सँ अह ँ फेर सँ वसूली कऽ सकैत छी, मद जे हकछ अह ँ क भ य सँ अहछ से अह ँ क ह ि छोहड़ दे ब। जखन अह ँ सभक बीच कोनो गरीब नहह होयत तखन छोड़ू। हकएक तँ परमे श् वर अह ँ केँ ओहह दे श मे बहुत आशीव ग द दे त ह, ज हह दे श केँ अह ँ सभक परमेश् वर अह ँ केँ उिर हधक रक रूप मे दे हिन हदन. क रण, तोहर परमेश् वर परमेश् वर अह ँ केँ आशीर् दै त छहि, जेन ओ अह ँ केँ प्रहतज्ञ केने छल ह। अह ँ बहुत र स ज हत पर र ज करब, मद ओ सभ अह ँ पर र ज नहह करत।” 7जँ तोहर भ य मे सँ कोनो गरीब आदमी अह ँ क कोनो फ टक भीतर अह ँक परमेश् वर परमेश् वर अह ँ केँ दै त छहि, तँ अह ँ अपन हृदय कठोर नहह करब आ ने अपन गरीब भ य सँ ह ि बन्न करब ओकर ह ि चौड़ कऽ हदयौक, आ ओकर जे हकछ च ही से ओकर आवश्यकत क ले ल पय ग प्त उध र दे तैक।” स वध न रहू जे अह ँ क दष्ट हृदय मे ई हवच र नहह हो जे स तम स ल, मस्िक वर्ग लग आहब गेल अहछ। अह ँ क गरीब भ य पर अह ँ क नजरर खर ब हो, आ अह ँ ओकर हकछ नहह दै त छी। ओ अह ँ क हवरुद्ध परमेश् वर सँ पक रै त अहछ आ ई अह ँ क लेल प प होयत। अह ँ ओकर अवश्य दे ब, आ अह ँ क मोन दखी नहह होयत जखन अह ँ ओकर दे बौक, हकएक तँ एहह क जक लेल तोहर परमेश् वर तोर सभ क ज मे आ सभ क ज मे

आशीर् दे हिन।” एहह लेल हम अह ँ केँ ई आज्ञ दै त छी जे, अह ँ अपन दे श मे अपन भ य, अपन गरीब आ गरीब लोक सभक ले ल अपन ह ि चौड़ क’ क’ खोलब।” व्यवथि 15:1-11 जँ ओ आदमी गरीब अहछ तँ अह ँ ओकर प्रहतज्ञ क संग नहह सतब तोर तोहर परमेश् वर परमेश् वरक समक्ष। अह ँ कोनो भ ड़ क नौकर जे गरीब आ गरीब अहछ, ओकर पर अत्य च र नहह करू, च हे ओ अह ँक भ इ मे सँ हो व अह ँ क फ टक भीतर अह ँ क दे श मे रहय बल परदे शी मे सँ, ओकर हदन मे अह ँ ओकर ओकर भ ड़ दे बौक आ ने सूय ग स्त ई; हकएक तँ ओ गरीब अहछ आ एहह पर अपन मोन र स्ख लैत अहछ, ज हह सँ ओ अह ँ क हवरुद्ध परमेश् वरक समक्ष नहह हचहचय बय आ ई अह ँक लेल प प नहह भऽ ज य।” व्यवथि २४:१२-१५ प्रभ गरीब बनबैत छहि आ धहनक बनबैत छहि, ओ नीच ँ उत रै त छहि आ ऊपर उठबैत छहि। ओ गरीब सभ केँ धूर सँ उठबैत अहछ आ हभख री केँ गोबर मे सँ उठ लैत अहछ, ज हह सँ ओकर सभ केँ र जपत्र सभक बीच मे र खल ज सकय आ ओकर सभ केँ महहम केर हसंह सनक उिर हधक री बन ओल ज य, हकएक तँ पृ थ्वीक खंभ सभ परमेश् वरक अहछ आ ओ सभ ठ ढ़ कयलहन अहछ दहनय ँ हुनक सभ पर। 1 शमूएल 2:7-8 जहहन यहूदी सभ अपन शत्र सभ सँ हवश्र म करै त छल आ ओ म स हुनक सभक लेल शोक सँ आनन्द मे बदहल गेल छल आ शोक सँ नीक हदन मे बदहल गेल छल, ज हह सँ ओ सभ ओकर सभ केँ भोज-भ त आ आनन्दक हदन बन बय आ एक-दोसर केँ भ ग पठे ब क हदन बन बय , आ गरीबकेँ उपह र। एस्तेर 9:22 मद ओ गरीब सभ केँ तलव र सँ, ओकर मँह सँ आ पर क्रमी सभक ह ि सँ बच बैत अहछ। ते ँ गरीब केँ आश होइत छै क आ अधमग ओकर मँह रोकैत छै क। दे खू, ओ धन्य अहछ जकर परमेश् वर सध रै त छहि, ते ँ सवगशस्िम न परमेश् वरक दं ड केँ हतरस् क र नहह करू, हकएक तँ ओ चोट करै त अहछ आ ब स्ि दै त अहछ, घ यल करै त अहछ आ ओकर ह ि ठीक करै त अहछ। अय्यूब 5:15-18 हकएक तँ ओ गरीब सभकेँ अत्य च र केलक आ ओकर छोहड़ दे लक। हकएक तँ ओ ओहह घर केँ जोर-जोर सँ छीहन लेलक जे ओ नहह बनौने छल। हनश्चय ओकर पे ट मे श स्न्त नहह ल गत, जे इच्छ छलैक से नहह छोड़त। अय्यूब २०:१९-२० क न जखन सनलक तखन हमर आशीव ग द दे लक। जखन आँ स्ख हमर दे खलक तँ हमर गव ही दे लक जे, हम ओहह गरीब सभ केँ बच लेलहुँ जे क नैत छल, आ अन ि सभ केँ आ जकर सभक सह यत करब क लेल हकयो नहह छल। जे न श होबय लेल तैय र छल ओकर आशीव ग द हमर पर आहब गेल। हम ध हमगकत पहहरने छलहुँ आ ओ हमर कपड़ पहहर दे लक, हमर न्य य वस्त्र आ मकट जक ँ छल। हम आिरक लेल आँ स्ख छलहुँ आ पएर लं गड़ सभक लेल। हम गरीबक हपत छलहुँ , आ जे क ज हमर नहह बझल छल, तकर हम खोजलहुँ । हम दष्टक जबड़ तोहड़ दे हलयैक आ ओकर द ँ त मे सँ लूट केँ उख हड़ लेहलयैक। अय्यूब 29:1117 दे खू, परमेश् वर पर क्रमी छहि आ ककरो हतरस् क र नहह करै त छहि। ओ दष्टक ज न नहह बच बैत अहछ, बल् हक गरीब केँ अहधक र दै त अहछ। ओ धमी लोक सभ सँ अपन नजरर नहह हहट लैत छहि, मद ओ सभ र ज सभक संग हसंह सन पर बैसल छहि। हँ , ओ ओकर सभ केँ अनन्त क ल धरर थि हपत करै त छहि, आ ओ सभ ऊँच कयल ज इत छहि। जँ ओ सभ बेड़ी मे ब स्ि कऽ कष्टक डोरी मे ब िल रहत। तखन ओ ओकर सभ केँ ओकर सभक क ज आ ओकर सभक अपर ध सभ केँ दे खबैत छहि जे ओ सभ बेसी कयल गेल अहछ। ओ हुनक सभक क न सेहो अनश सनक लेल खोलै त छहि आ आज्ञ दै त छहिन जे ओ सभ अधमग सँ घरर ज हि। जँ हुनकर आज्ञ म नैत छहि आ हुनकर सेव करत ह तँ अपन हदन समृस्द्ध मे हबत ओत आ वर्ग भोग मे। मद जँ ओ सभ आज्ञ


नहह म नत तँ तलव र सँ नष्ट भऽ ज यत आ अनज न मे मरर ज यत। मद हृदय मे प खंडी सभ क्रोधक ढे र लग दै त अहछ, जखन ओ ओकर सभ केँ ब स्ि दै त अहछ तखन ओ सभ नहह क नैत अहछ। जव नी मे मरर ज इत छहि, आ हुनकर जीवन अशद्ध लोक मे अहछ। ओ गरीब सभ केँ अपन कष्ट मे उद्ध र करै त अहछ आ ओकर सभक क न खोलैत अहछ। अय्यूब 36:5-15 हकएक तँ जरूरतमंद सभ सहदखन हबसरल नहह ज यत, गरीबक आश सद क लेल नष्ट नहह होयत। भजन 9:18 हे प्रभ, दू र हकएक ठ ढ़ छी? हवपहिक समय मे अह ँ हकएक नक ज इत छी? दष्ट अपन घमंड मे गरीब केँ सत बैत अहछ, ओकर ओहह र्ड्यं त्र मे पकड़ल ज य जे ओ कल्पन केने छल। हकएक तँ दष्ट अपन हृदयक इच्छ क घमंड करै त अहछ आ लोभी केँ आशीर् दै त अहछ, जकर परमेश् वर घृण करै त छहि। दष्ट, अपन चेहर क घमंड सँ, परमेश् वरक खोज नहह करत, परमेश् वर ओकर सभ हवच र मे नहह छहि। ओकर ब ट सहदखन दखद होइत छै क; तोहर न् य य ओकर नजरर सँ बहुत ऊपर अहछ। ओ मोने-मोन कहने छहि, “हम नहह हहलब, हकएक तँ हम कहहयो हवपहि मे नहह पड़ब।” ओकर मँह ग रर-गरौबहल आ धोख आ धोख धड़ी सँ भरल छै क, जीहक नीच ँ बदम शी आ आडं बर छै क। ग मक लक यल जगह पर बैसल अहछ, गप्त थि न पर हनदोर्क हत्य करै त अहछ, ओकर नजरर गप्त रूप सँ गरीब पर रहै त छै क। ओ अपन म ं द मे शेर जक ँ गप्त रूपे ँ पड़ल रहै त अहछ, गरीब केँ पकड़ब क लेल ओड़ल रहै त अहछ, गरीब केँ पकड़ै त अहछ जखन ओ ओकर अपन ज ल मे खींचैत अहछ। ओ कबड़ कऽ अपन केँ नम्र बन लैत अहछ, ज हह सँ गरीब सभ अपन बलव न सभक संग खहस पड़य। ओ मन मे कहने छहि, “परमेश् वर हबसरर गेल छहि। ओ कहहयो नहह दे खत। हे प्रभ, उठू। हे परमेश् वर, ह ि उठ उ, हवनम्र लोक केँ नहह हबसरर ज उ। दष्ट परमेश् वर केँ हकएक हतरस्कृत करै त अहछ? ओ मोने-मोन कहने छहि, “अह ँ एकर म ँ ग नहह करब।” अह ँ दे खलहुँ अहछ। हकएक तँ अह ँ अपन ह ि सँ ओकर बदल लेबऽ ले ल दर्​् टत आ घृण दे खैत छी। अह ँ हपत हीनक सह यक छी। दष्ट आ दष्टक ब ँ हह तोहड़ हदयौक, ज बत तक अह ँ केँ कोनो नहह भे टत त बत धरर ओकर दष्टत केँ त बत रहू। परमेश् वर अनन्त क ल धरर र ज छहि। प्रभ, अह ँ हवनम्र लोकक इच्छ सनलहुँ , अह ँ हुनक सभक हृदय केँ तैय र करब, अह ँ अपन क न केँ सनब, जे अन ि आ दबल-कचलल लोकक न्य य करब, ज हह सँ पृ थ्वीक आदमी आब अत्य च र नहह करय। भजन 10 गरीबक अत्य च र आ गरीबक आहक लेल आब हम उठब, परमेश् वर कहै त छहि। जे ओकर पर फफक रै त अहछ, ओकर सँ हम ओकर सरहक्षत र स्ख दे ब। भजन 12:5 अह ँ सभ गरीबक सल ह केँ लस्ित कऽ दे लहुँ , हकएक तँ परमेश् वर हुनकर शरण छहि। भजन 14:6 ई गरीब आदमी हचहचय उठल आ परमेश् वर ओकर ब त सहन ओकर ओकर सभ हवपहि सँ बच लेलकै। भजन 34:6 हमर सभ हड्डी कहत जे, “प्रभ, अह ँ क सम न के अहछ जे गरीब केँ ओहह सँ बेसी बलव न सँ, हँ , गरीब आ गरीब केँ लूटयवल सँ बच बै त अहछ?” भजन 35:10 दष्ट सभ तलव र हनक हल कऽ धनर् मोहड़ कऽ गरीब आ गरीब सभ केँ नीच ँ खस दे लक आ सोझ ब टबल लोक सभ केँ म रर दे लक। भजन 37:14 मद हम गरीब आ जरूरतमंद छी; तैयो प्रभ हमर पर सोचैत छहि, अह ँ हमर सह यक आ उद्ध रकत ग छी। हे हमर भगव न, दे री नहह करू। भजन 40:17 धन्य अहछ जे गरीबक हवच र करै त अहछ। भजन 41:1 तोहर मंडली ओहह मे रहह गेल अहछ। भजन 68:10

मद हम गरीब आ दखी छी, हे परमेश् वर, अह ँ क उद्ध र हमर ऊँच पर ठ ढ़ करय। हकएक तँ परमेश् वर गरीबक ब त सनैत छहि आ अपन कैदी सभ केँ हतरस्क र नहह करै त छहि। भजन 69:29,33 मद हम गरीब आ गरीब छी, हे परमेश् वर, हमर लग जल्दब जी करू, अह ँ हमर सह यक आ उद्ध रकत ग छी। हे प्रभ, दे री नहह करू। भजन 70:5 ओ तोहर लोक सभक न्य य ध हमगकत सँ करत आ तोहर गरीब सभक न्य य सँ। भजन 72:2 ओ लोकक गरीबक न्य य करत, गरीबक संत न केँ उद्ध र करत आ अत्य च री केँ टकड़-टकड़ करत। हकएक तँ ओ जरुरत केँ क नैत क ल उद्ध र करत। गरीब सभ सेहो, आ जकर कोनो सह यक नहह अहछ। ओ गरीब आ गरीब केँ बख्शत ह आ गरीबक प्र ण केँ बच ओत। भजन 72:4,12-13 हे अपन कबूतरक प्र ण दष्टक भीड़ मे नहह सौंपब, अपन गरीबक मंडली केँ सद क ले ल नहह हबसरर ज उ। हे उत्पीहड़त लोक लस्ित भ' क' नहह घरर ज य, गरीब आ जरूरतमंद अह ँ क न मक स्तहत करय। भजन 74:19,21 गरीब आ हपत महक रक्ष करू, पीहड़त आ गरीबक संग न्य य करू। गरीब आ जरूरतमं द केँ उद्ध र करू, ओकर दष्टक ह ि सँ मि करू। भजन 82:3-4 हे प्रभ, क न झक उ, हमर ब त सनू, हकएक तँ हम गरीब आ गरीब छी। भजन 86:1 तइयो ओ गरीब सभ केँ कष्ट सँ ऊँच कऽ दै त छहिन आ ओकर झंड जक ँ कल बन दै त छहिन। भजन 107:41 हम गरीब आ गरीब छी, आ हमर मोन हमर भीतर घ यल अहछ। हम छ य जक ँ चहल गे ल छी जखन ओ नीच ँ खसैत अहछ, हम हटड्डी जक ँ ऊपर-नीच ँ उछ हल ज इत छी। उपव सक क रणे ँ हमर ठे हुन कमजोर भ’ गेल अहछ; हमर शरीर मोट ई सँ क्षीण भ’ गेल अहछ। हम हुनक सभक लेल सेहो हनन्द बहन गेलहुँ , जखन ओ सभ हमर हदस तकलक तँ ओ सभ म ि हहल दे लक। हे हमर परमेश् वर, हमर सह यत करू, अपन दय क अनस र हमर बच उ, ज हह सँ ओ सभ ई ज हन सकहि जे ई अह ँ क ह ि अहछ। हक अह ँ , प्रभ, ई क ज केलहुँ ।” ओ सभ ग रर पढ़य, मद अह ँ आशीर् हदअ। मद अह ँ क सेवक आनस्न्दत होअय।” हमर हवरोधी सभ ल जक वस्त्र पहहरर कऽ अपन केँ अपन भ्रम सँ झ ँ पय, जेन वस्त्र पहहरने रहय। हम अपन मँह सँ परमेश् वरक बहुत स्तहत करब। हँ , हम भीड़क बीच हुनकर प्रशंस करब। हकएक तँ ओ गरीबक दहहन क त ठ ढ़ भऽ ज यत, जे ओकर अपन प्र णक दोर्ी ठहर बऽ वल लोक सभ सँ बच बय। भजन 109:22-31 ओ हततर-हबतर भ' गे ल अहछ, गरीब केँ द' दे लक। ओकर ध हमग कत अनन्त क ल धरर हटकैत छै क। ओकर सींग आदरक संग ऊँच कयल ज यत। भजन 112:9 गरीब सभ केँ धूर सँ उठबैत अहछ आ गरीब केँ गोबर मे सँ उठ लैत अहछ। भजन 113:7 हम ओकर भरण-पोर्णक आशीव ग द दे ब, ओकर गरीब केँ रोटी सँ तृप्त करब। भजन 132:15 हम जनैत छी जे परमेश् वर दुः खी सभक क ज आ गरीबक अहधक रक हनव ग ह करत ह। भजन 140:12 हे सस्त, चींटी लग ज उ; ओकर ब ट पर हवच र करू आ बस्द्धम न बनू। हे सस्त, अह ँ कतेक हदन धरर सतब? अह ँ अपन नींद सँ कहहय उठब?


तइयो कहन नींद, कहन नींद, कहन ह ि जोहड़ सतब, तहहन अह ँ क गरीबी य त्र करयवल जक ँ आओत आ अह ँ क अभ व हहिय रबंद आदमी जक ँ आओत। नीहतवचन 6:6-11 ओ गरीब भऽ ज इत अहछ जे सस्त ह िक व्यवह र करै त अहछ, मद मेहनतीक ह ि धनव न बनबैत अहछ। सेठक धन ओकर मजबूत नगर हिक: गरीबक हवन श ओकर गरीबी हिक। नीहतवचन 10:4,15 ओतय अहछ जे हछहड़य बैत अहछ, मद बढ़ै त अहछ। आ एहन अहछ जे उहचत सँ बेसी रोकैत अहछ, मद गरीबी हदस बढ़ै त अहछ। नीहतवचन 11:24 एहन अहछ जे अपन केँ धहनक बनबैत अहछ, मद ओकर हकछ नहह छै क। मनर्​्यक प्र णक हफरौती ओकर धन होइत छै क, मद गरीब ड ँ टफटक र नहह सनैत छै क। जे हशक्ष सँ अस्वीक र करै त अहछ, तकर गरीबी आ ल ज होयत, मद जे ड ँट पर ध्य न दै त अहछ, तकर आदर कयल ज यत। गरीबक खेती मे बहुत र स भोजन होइत छै क, मद एहन अहछ जे न्य यक अभ व मे नष्ट भ' ज इत छै क। नीहतवचन १३:७-८,१८,२३ गरीब केँ अपन पड़ोसी सँ घृण होइत छै क, मद धहनक केँ बहुत र स हमत्र होइत छै क। जे अपन पड़ोसी केँ हतरस्क र करै त अहछ, ओ प प करै त अहछ, मद जे गरीब पर दय करै त अहछ, से धन्य अहछ। जे गरीब पर अत्य च र करै त अहछ, से अपन हनम ग त केँ हनन्द करै त अहछ, मद जे ओकर आदर करै त अहछ, से गरीब पर दय करै त अहछ। नीहतवचन 14:20-21,31 जे गरीबक उपह स करै त अहछ, से अपन हनम ग त क हनन्द करै त अहछ। नीहतवचन 17:5 गरीब लोक संहधक प्रयोग करै त अहछ; मद धनी लोक मोट -मोटी जव ब दै त अहछ। नीहतवचन 18:23 जे गरीब अपन हनष्ठ मे चलैत अहछ, से नीक अहछ जे अपन ठोर पर हवकृत आ मूखग अहछ। धन कतेको हमत्र बनबैत अहछ; मद गरीब अपन पड़ोसीसँ अलग भ’ ज इत अहछ। गरीबक सभ भ य ओकर सँ घृण करै त अहछ, ओकर संगी ओकर सँ कतेक बेसी दू र भ’ ज इत छै क? ओ ओकर सभक प छ ँ -प छ ँ गप्प-सप्प करै त अहछ, तइयो ओ सभ ओकर अभ व मे अहछ। जे गरीब पर दय करै त अहछ, से परमेश् वर केँ उध र दै त अहछ। आ जे हकछ दे लक से ओकर फेर सँ चक दे तैक।” मनष्यक इच्छ ओकर दय होइत छै क, आ गरीब आदमी झूठ ब जहनह र सँ नीक होइत छै क। नीहतवचन 19:1,4,7,17,22 नींद सँ प्रे म नहह करू, कहीं अह ँ गरीबी मे नहह आहब ज यब। आँ स्ख खोहल कऽ रोटी सँ तृप्त भऽ ज यब।” नीहतवचन 20:13 जे गरीबक चीत्क र पर क न रोकत, से स्वयं क नत, मद सनल नहह ज यत। जे भोग-हवल सक प्रे म करै त अहछ, से गरीब होयत, जे महदर आ तेल सँ प्रे म करै त अहछ, से धहनक नहह होयत। नीहतवचन 21:13,17 धहनक-गरीब एक सं ग हमलै त अहछ, ओकर सभक हनम ग त परमेश् वर छहि। धहनक गरीब पर र ज करै त अहछ, आ उध र लेहनह र उध र दे हनह रक सेवक होइत अहछ। जेकर आँ स्ख प्रचर अहछ, ओकर धन्य होयत। हकएक तँ ओ अपन रोटी गरीब सभ केँ दै त अहछ।” जे गरीब केँ अपन धन बढ़े ब क लेल अत्य च र करै त अहछ, आ जे धहनक केँ द न दै त अहछ, से अवश्य अभ व मे आहब ज यत। गरीब केँ नहह लटब, हकएक तँ ओ गरीब अहछ, आ ने दरबि मे पीहड़त केँ अत्य च र करू: नीहतवचन 22:2,7,9,16,22 शर ब पीबय व ल मे नहह रहू। उग्र म ं सभक्षक मे, हकएक तँ शर बी आ पे टू गरीबी मे पहड़ ज यत, आ नींद आदमी केँ चीर-फ ड़ पहहर दे त। नीहतवचन 23:20-21

हम आलसी लोकक खेत आ बस्द्धहीन लोकक अंगूरक ब ग लग गेलहुँ । दे खू, ओ सभ क ँ ट-क ँ टसँ उगने छल आ ओकर मँह पर हबछआ झ ँ हप दे ने छल आ प िरक दे ब ल टू हट गेल छल। तखन हम दे खलहुँ आ नीक जक ँ बझलहुँ , ओकर दे खलहुँ आ हशक्ष भे टल। तइयो कहन नींद, कहन नींद, कहन ह ि मोहड़ कऽ सतब। आ हहिय रबंद आदमीक रूप मे तोहर अभ व। नीहतवचन 24:30-34 गरीब पर अत्य च र करय बल गरीब बरख जक ँ होइत अहछ जे अन्न नहह छोड़ै त अहछ। जे गरीब अपन सोझत मे चलै त अहछ, से नीक अहछ जे ओ धहनक रहहतो अपन ब ट मे हवकृत होबय बल अहछ। जे सू द आ अन्य यक ल भ सँ अपन सम्पहि बढ़बैत अहछ, से गरीब पर दय करयवल लेल जम करत। धहनक लोक अपन अहभम न मे बस्द्धम न होइत अहछ; मद बस्द्धम न गरीब ओकर खोहज लैत अहछ। जेन गजैत हसंह, आ दू र-दू र धरर चलैत भ लू; तहहन गरीब लोक पर दष्ट श सक सेहो होइत अहछ। जे अपन जमीनक खेती करत ओकर रोटी भरपूर भे टतैक, मद जे व्यिगक प छ ँ चलत ओकर गरीबी भरर पड़तैक। जे धनव न बनय मे जल्दब जी करै त अहछ, ओकर नजरर खर ब होइत छै क, मद ओकर ई नहह बझल छै क जे ओकर पर गरीबी आहब ज यत। जे गरीब केँ द न दै त अहछ, तकर कमी नहह होयत, मद जे अपन आँ स्ख नक बैत अहछ, ओकर बहुत र स अहभश प होयत। नीहतवचन 28:3,6,8,11,15,19,22,27 धमी गरीबक क ज पर हवच र करै त अहछ, मद दष्ट ओकर नहह ज हन लैत अहछ। गरीब आ धोखेब ज एक संग हमलैत अहछ, परमेश् वर हुनक दनूक आँ स्ख केँ हल्लक करै त छहि। जे र ज हनष्ठ पू वगक गरीबक न्य य करत, ओकर हसंह सन अनन्त क ल धरर थि हपत होयत। नीहतवचन 29:7,13-14 हम अह ँ सँ दू ट ब त म ँ गलहुँ । मरब सँ पहहने हमर ओकर सभसँ इनक र नहह करू, हमर सँ आडं बर आ झूठ दू र करू, हमर ने गरीबी हदअ आ ने धन। हमर लेल अनकूल भोजन हमर खआउ, ज हह सँ हम पे ट नहह भरर कऽ अह ँ केँ अस्वीक र कऽ कऽ कहब जे, “प्रभ के छहि?” कहीं हम गरीब नहह भ’ क’ चोरी क’ क’ अपन परमेश् वरक न म व्यिग नहह ली।” एकट एहन पीढ़ी अहछ, जकर द ँ त तलव र जक ँ अहछ आ जबड़ क द ँ त च कू जक ँ अहछ, जे धरती पर सँ गरीब आ मनक्ख मे सँ गरीब केँ ख ज यत। नीहतवचन 30:7-9,14 मँह खोलू, ध हमगक न्य य करू, आ गरीब आ गरीबक मद्द पर गह र लग उ। गरीबक हदस ह ि पस रर लैत छहि। हँ , ओ जरूरतमंद लोकक ह ि बढ़बैत छहि। नीहतवचन 31:9,20 बूढ़ आ मूखग र ज सँ नीक गरीब आ बस्द्धम न बच्च , जकर आब कोनो उपदे श नहह भे टतैक। हकएक तँ ओ जेलसँ र ज करऽ अबैत छहि। जखन हक अपन र ज्य मे जन्म लेहनह र सेहो गरीब भ’ ज इत अहछ। उपदे शक 4:13-14 जँ अह ँ कोनो प्र ं त मे गरीब सभक अत्य च र आ न्य य आ न्य य केँ हहं सक रूप सँ हवकृत करब दे खैत छी तँ एहह ब त पर आश्चयग नहह करू। आ हुनक सभसँ ऊँच सेहो होहि। उपदे शक 5:8 हकएक तँ मूखगसँ बेसी ज्ञ नीकेँ की होइत छै क? गरीबक की अहछ जे जीहवत लोकक आगू चलब जनैत अहछ? उपदे शक 6:8 ई बस्द्ध हम रौदक नीच ँ सेहो दे खलहुँ आ हमर ई बहुत पै घ ल गल। एकट पै घ र ज ओकर पर आहब कऽ ओकर घेर बंदी कऽ लेलक आ ओकर पर पैघ-पै घ हकल बनौलक। तइयो ओहह गरीब आदमी केँ कोनो आदमी मोन नहह प ड़लक। तखन हम कहहलयहन, “बल सँ बस्द्ध नीक होइत छै क, तइयो गरीबक बस्द्ध तच्छ बझल ज इत छै क आ ओकर ब त नहह सनल ज इत छै क।” मूखग सभक बीच र ज करयवल के चीत्क र सँ बेसी बस्द्धम नक वचन चपच प सनल ज इत अहछ। यद्धक हहिय र सँ बस्द्ध नीक होइत छै क, मद एकट प पी बहुत नीक केँ नष्ट करै त अहछ। उपदे शक 9:13-18


परमेश् वर अपन प्रज क प्र चीन लोक आ ओकर मस्खय सभक संग न् य य करत ह, हकएक तँ अह ँ सभ अंगूरक बगीच ख गेलहुँ । गरीबक लूट अह ँ क घर मे अहछ। अह ँ सभक की मतलब अहछ जे अह ँ सभ हमर लोक सभ केँ टकड़ -टकड़ कऽ कऽ गरीब सभक मँह पीसब? सेन सभक परमेश् वर प्रभ कहै त छहि। यश य ह 3:14-15 हधक्क र अहछ जे सभ अधमगक हनयम बनबै त अहछ आ जे सभ अपन हनध ग ररत दुः ख हलखैत अहछ। जरूरतमंद सभ केँ न्य य सँ दू र करब क लेल आ हमर लोकक गरीब सभ सँ अहधक र छीनब क लेल, ज हह सँ हवधव सभ ओकर हशक र बहन ज य आ अन ि सभ केँ लूहट सकय! यश य ह १०:२ मद ओ गरीबक न् य य ध हमगकत क संग करत आ पृ ि् वीक नम्र लोकक लेल न्य यपू वगक ड ँ टत। यश य ह ११:४ गरीबक जेठक बच्च सभ भोजन करत आ गरीब लोक सभ सरहक्षत पड़ल रहत, आ हम अह ँ क जहड़ केँ अक ल मे म रर दे ब आ ओ अह ँ क शेर् लोक केँ म रर दे त। तखन र ष्टरक दू त सभ केँ की उिर दे ल ज यत? हक परमेश् वर हसयोनक नींव रखलहन आ ओकर प्रज क गरीब सभ ओकर पर भरोस करत। यश य ह १४:३०,३२ हे प्रभ, अह ँ हमर परमेश् वर छी। हम तोहर ऊँच करब, तोहर न मक स्तहत करब। क रण, अह ँ अद् भत क ज केलहुँ । अह ँ क पर न सल ह सभ हवश् व स आ सत् य अहछ। हकएक तँ अह ँ कोनो नगरक ढे र बनौने छी। रहक्षत शहरक खंडहर: पर य लोकक महल जे कोनो शहर नहह; कहहयो नहह बनत। ते ँ बलव न लोक अह ँ क महहम करत, भय वह ज हत सभक नगर अह ँ सँ डरत। हकएक तँ अह ँ गरीबक लेल बल बहन गेलहुँ , गरीबक हवपहि मे बल, आं धी-तू फ न सँ शरण, गमी सँ छ य , जखन भय वह लोकक धम क दे ब ल पर तूफ न जक ँ होइत अहछ। यश य ह 25:1-4 अह ँ सभ सहदखन परमेश् वर पर भरोस करू, हकएक तँ परमेश् वर परमेश् वर मे अनन्त स मि्ग य अहछ। ऊँच नगर केँ ओ नीच ँ र स्ख दै त छहि। ओकर जमीन धरर नीच ँ र स्ख दै त अहछ। ओ ओकर धूर धरर पहुँ च दै त छहि। पएर ओकर नीच ँ खहस पड़तैक, गरीबक पएर आ जरूरतमंदक सीढ़ी। यश य ह 26:4-6 नम्र लोक सभ सेहो परमेश् वर पर अपन आनन्द बढ़ ओत, आ मनर्​् य मे गरीब सभ इस्र एलक पहवत्र परमेश् वर मे आनस्न्दत होयत। यश य ह 29:19 चरलक व द्ययंत्र सेहो अधल ह होइत छै क, जखन जरूरतमंद सही ब जैत छै क तखनो ओ झूठ ब जब सँ गरीब केँ नष्ट करब क लेल दष्ट र्ड्यं त्र बन लैत अहछ। यश य ह 32:7

तोहर स्कटग मे गरीब हनदोर् सभक आत्म क खून सेहो भे टैत अहछ। हयमगय ह 2:34 ते ँ हम कहहलयहन, “ई सभ गरीब अहछ। ओ सभ मूखग अहछ, हकएक तँ ओ सभ परमेश् वरक ब ट आ ने अपन परमेश् वरक न् य य नहह जनैत अहछ। हयमगय ह 5:4 परमेश् वरक स्तहत करू, परमे श् वरक स्तहत करू, हकएक तँ ओ गरीबक प्र ण केँ दर्​् ट करहनह र सभक ह ि सँ बच लेलहन। हयमगय ह 20:13 ओ गरीब आ गरीबक क जक न्य य करै त छल ह; तखन हुनक नीक ल गलहन: की ई हमर हचिब क लेल नहह छल? प्रभ कहै त छहि। हयमगय ह 22:16 तखन पहरे द रक सेन पहत नबूजरद न नगर मे रहह गेल लोकक शेर् लोक सभ केँ, जे सभ हुनकर ह ि मे खसल छल, आ शेर् लोक सभ केँ बंदी बन कऽ ब हबलोन मे लऽ गेल ह। मद पहरे द रक सेन पहत नबूजरद न यहूद दे श मे ओहह लोकक गरीब सभ केँ छोहड़ दे लहिन, हजनक लग हकछ नहह छलहन। हयमगय ह 39:9-10 दे खू, तोहर बहहन सदोमक ई अपर ध छलहन, घमंड, रोटीक भरम र आ आलस्यक प्रचरत हुनक आ हुनकर बेटी सभ मे छलहन, आ ने ओ गरीब आ गरीबक ह ि केँ मजबूत केलहन। इजहकएल 16:49 जँ ओ एहन बेट पै द करै त अहछ जे डकैत अहछ, खून बह बय बल हो, आ जे एहह मे सँ कोनो क जक सम न क ज करै त अहछ, आ जे ओहह मे सँ कोनो क ज नहह करै त अहछ, बल् हक पह ड़ पर भोजन क' क' अपन पड़ोसीक पत्नी केँ अशद्ध क' दे ने अहछ। गरीब आ गरीब पर अत्य च र केलक, हहं स द्व र लूटने, बंधक व पस नहह केलक, मूहतग पर नजरर उठौलक, घृहणत क ज केलक, सूद पर छटक र दे लक आ बढ़ल, तखन की ओ जीहवत रहत? ओ जीहवत नहह रहत। ओ अवश्य मरत। ओकर खून ओकर पर रहतैक। आब दे खू, जँ ओ एकट एहन पत्रक जन्म दै त अहछ जे अपन हपत क सभ प प केँ दे स्ख कऽ हवच र करै त अहछ आ एहन नहह करै त अहछ जे पह ड़ पर नहह भोजन केने हो आ ने घरक मूहतग सभ हदस नजरर उठौने हो।” इस्र एलक, अपन पड़ोसीक पत्नी केँ अशद्ध नहह केलक, आ ने ककरो पर अत्य च र केलक, नहहये बंधन रोकलक, आ ने हहं स सँ लूटलक, बल् हक अपन रोटी भू खल केँ दऽ दे लक, आ नंगटे केँ एकट वस्त्र सँ झ ँ हप दे लक, जे ओकर उत रने अहछ गरीबक ह ि जे सूद नहह भे टल अहछ आ ने बढ़ोिरी, हमर हनणग य केँ पू र केलक आ हमर हनयम मे चलैत अहछ। ओ अपन हपत क अधमगक क रणे ँ नहह मरत, ओ अवश्य जीहवत रहत। इजहकएल 18:10-17 दे शक लोक सभ अत्य च र केलक, डकैती केलक आ गरीब आ गरीब सभ केँ परे श न केलक। इजहकएल 22:29

जखन गरीब आ गरीब प हन त कत, मद प हन नहह रहत, आ ओकर जीह प्य स सँ क्षीण भ’ ज यत, तखन हम प्रभ हुनक सभक ब त सनब, हम इस्र एलक परमेश् वर हुनक सभ केँ नहह छोड़ब। यश य ह 41:17

ते ँ हे र ज , हमर सल ह अह ँ केँ स्वीक यग हो, आ ध हमगकत सँ अपन प प केँ तोहड़ हदयौक आ गरीब पर दय कऽ अपन अधमग केँ तोहड़ हदयौक। जँ अह ँ क श स्न्तक लम्ब इ भ' सकैत अहछ। द हनयल 4:27

की ई ओ व्रत नहह अहछ जे हम चनने छी? दष्टत क पट्टी खोलब, भ री बोझ उत रब, आ दबल-कचलल लोक केँ मि करब, आ अह ँ सभ हर जआ तोड़ब? की ई नहह जे अह ँ अपन रोटी भू खल केँ ब ँ हट दे ब आ जे गरीब केँ ब हर फेकल गेल अहछ ओकर अपन घर मे अनब? जखन अह ँ नंगटे दे खब तखन ओकर झ ँ हप दै त छी। आ हक अह ँ अपन शरीर सँ अपन केँ नहह नक सकैत छी? तखन तोहर इजोत भोर जक ँ फँहस ज यत आ तोहर स्व स्थ्य जल्दी-जल्दी उगत। परमेश् वरक महहम अह ँ क प्रहतफल होयत। यश य ह 58:6-8

परमेश् वर ई कहै त छहि। इस्र एलक तीन अपर धक क रणे ँ आ च ररट अपर धक क रणे ँ हम ओकर सज केँ नहह मोड़ब। क रण ओ सभ धमी केँ च नी मे बेहच दै त छल आ गरीब केँ एक जोड़ी जूत मे बेहच दै त छल। ओ गरीबक म ि पर धरतीक धूर प छ ँ हँ सैत रहू आ नम्र लोकक ब ट मोहड़ हलअ, आ एकट आदमी आ ओकर हपत ओही द सी लग ज क’ हमर पहवत्र न म केँ अपहवत्र करय लेल ज यत: आमोस 2:6-7

परमेश् वर कहै त छहि जे, ओ सभ हकछ हमर ह ि सँ बनौने अहछ आ सभ हकछ बनल अहछ, मद हम एहह आदमी हदस तकब, जे गरीब आ पश्च त प करयवल आत् म क अहछ आ हमर वचन पर क ँ हप रहल अहछ। यश य ह 66:2

हे ब श नक ग छी सभ, जे स मररय पह ड़ पर छी, जे गरीब सभ पर अत्य च र करै त छी, जे गरीब सभ केँ कचलैत अहछ, जे अपन म हलक सभ केँ कहै त अहछ जे, “आहन कऽ पीबऽ ज उ।” प्रभ परमेश् वर अपन पहवत्रत क शपि लेने छहि जे दे खू, अह ँ सभ पर एहन हदन आओत जे ओ अह ँ सभ केँ हुं क र सँ आ अह ँक वंशज केँ म छक हड़ू सँ ल' जेत ह। आमोस ४:१-२


ते ँ अह ँ सभ गरीब पर रौदै त छी आ ओकर सँ गहूमक भ र छीहन लैत छी। अह ँ सभ सखद रोपने छी अंगूरक बगीच , मद अह ँ सभ ओहह मे सँ महदर नहह पीब। हम अह ँ क अनेक अपर ध आ अह ँ क पर क्रमी प प केँ जनैत छी, ओ सभ धमी लोक केँ कष्ट दै त अहछ, घूस लैत अहछ आ दरबि मे गरीब केँ अपन दहहन हदस सँ भग दै त अहछ। आमोस 5:1112

एकट गरीब हवधव आहब गेलीह, आ ओ दू ट कटहर फेहक दे लहन, ज हह सँ एक फ रहिंग भे टैत अहछ। ओ अपन हशर्​् य सभ केँ बज कऽ कहलहिन, “हम अह ँ सभ केँ सत् य कहै त छी जे ई गरीब हवधव सभ जे सभ खज न मे फेकने छहि, त हह सँ बेसी पै स दे लकहन। मद ओ अपन अभ व मे सँ अपन सभ हकछ आ अपन सभट जीवन-य पन केँ फेहक दे लक। मरकस 12:42-44

हे जे गरीब केँ हनगलैत छी, दे शक गरीब केँ हवफल करब क ले ल ई ब त सनू, ई कहै त जे अम वस्य कहहय खतम भ’ ज यत, ज हह सँ हम सभ मकई बेहच सकब? आ हवश्र म-हदन, ज हह सँ हम सभ गहूम हनक हल सकब, ज हह सँ एफ छोट आ शेकेल पै घ भऽ ज य आ धोख सँ तर जू केँ झूठ बन बी? ज हह सँ गरीब केँ च नी मे कीहन सकब, आ जरूरतमंद केँ एक जोड़ी जूत मे कीहन सकब। हँ , आ गहूमक कचर बेचब? आमोस 8:4-6

प्रभक आत् म हमर पर अहछ, हकएक तँ ओ हमर गरीब सभ केँ ससम च र प्रच र करब क लेल अहभर्ेक कयलहन। ओ हमर ठीक करब क लेल पठौने छहि टू टल-फूटल, बंदी सभ केँ उद्ध र करब क प्रच र करब क लेल, आ आिर सभ केँ दृहष्ट ठीक करब क प्रच र करब क लेल, जे चोट ख गेल अहछ ओकर सभ केँ मि करब क लेल, लूक 4:18

अह ँ ओकर ग मक म ि केँ अपन ल ठी सँ म रर दे हलयैक, ओ सभ हमर हछहड़य बय लेल बवंडर जक ँ हनकलल, ओकर सभक आनन्द ओहहन छल जेन गरीब सभ केँ गप्त रूप सँ ख ज इत अहछ। हबक्कूक 3:14 हम अह ँ क बीच एकट पीहड़त आ गरीब लोक केँ सेहो छोहड़ दे ब, आ ओ सभ परमेश् वरक न म पर भरोस करत। सफहनय 3:12 आ हवधव , आ ने हपत , परदे शी आ ने गरीब पर अत्य च र नहह करू। आ अह ँ सभ मे सँ हकयो अपन भ य पर अधल हक कल्पन अपन मोन मे नहह करहि। जकरय ह 7:10 आ हम वधक झंड केँ पोसब, अह ँ केँ, हे झंडक गरीब। हम दू ट ल ठी अपन लग ल’ ले लहुँ । एकट के हम ब्यूटी कहने रही, आ दोसर के बैंड कहने रही; आ हम भे ड़ ँ केँ खआबै त छलहुँ । ओहह हदन ओ टू हट गेल, आ हमर प्रतीक्ष मे बैसल भेड़ ँ क गरीब सभ बहझ गेल जे ई परमेश् वरक वचन अहछ। जकरय ह ११:७,११ धन्य अहछ आत् म क गरीब, हकएक तँ स् वगगक र ज् य हुनक सभक अहछ। मिी 5:3 आिर सभ दे स्ख सकैत अहछ, लंगड़ सभ चलैत अहछ, कोढ़ी सभ शद्ध भ' ज इत अहछ, आ बहीर सभ सनैत अहछ, मृतक सभ जीहब उठै त अहछ, आ गरीब सभ केँ ससम च र प्रच र कयल ज इत अहछ। मिी ११:५ यीश हुनक कहलहिन, “जँ अह ँ हसद्ध बनय च है त छी तँ ज उ, जे हकछ अहछ से बेहच कऽ गरीब सभ केँ दऽ हदयौक, तखन अह ँ लग स् वगग मे धन-सम् पहि भे टत। मिी 19:21 यीश जखन कोढ़ी हसमोनक घर मे बेतहनय मे छल ह तखन हुनक लग एकट स् त्री बहुत कीमती मरहमक अलब स्टरक हडब्ब लऽ कऽ हुनक लग आहब गेल ह आ ओ भोजनक समय मे बैसल हुनक म ि पर ढ रर दे लहन। मद जखन हुनकर हशर्​् य सभ ई दे स्ख कऽ आक्रोहशत भऽ कऽ कहलहिन, “ई कोन क जक लेल उज ड़ल ज रहल अहछ?” हकएक तँ ई मरहम बेसी द म मे बेहच कऽ गरीब सभ केँ दे ल ज सकैत छल। यीश ई ब त बहझ हुनक सभ केँ कहलहिन, “अह ँ सभ स् त्री केँ हकएक परे श न करै त छी?” हकएक तँ ओ हमर पर नीक क ज केने छहि। हकएक तँ अह ँ सभक संग गरीब सभ सहदखन रहै त अहछ। मद हमर अह ँ सभ सहदखन नहह छी। हकएक तँ ई मरहम हमर दे ह पर ढ रर दे लहन आ हमर दफन करब क लेल कयलहन। हम अह ँ सभ केँ सत् य कहै त छी जे, जतए-जतय ई ससम च र सम् पू णग संस र मे प्रच ररत होयत, ओतहह एहह स् त्री द्व र कयल गेल ब त सेहो कहल ज यत। मिी २६:६-१३ तखन यीश हुनक दे स्ख हुनक सँ प्रे म कयलहन आ कहलहिन, “अह ँ मे एकट ब तक कमी अहछ: ज उ, जे हकछ अहछ से बेहच कऽ गरीब सभ केँ दऽ हदयौक, तखन अह ँ केँ स् वगग मे धन भे टत हम. मरकस १०:२१

ओ अपन हशर्​् य सभ पर नजरर उठ कऽ कहलहिन, “धन्य होउ गरीब सभ, हकएक तँ परमेश् वरक र ज् य अह ँ सभक अहछ।” लूक 6:20 तखन यीश हुनक सभ केँ उिर दे लहिन, “ज उ, अह ँ सभ जे हकछ दे खलहुँ आ सनलहुँ से यूहन् न केँ कहह हदअ। कोन आिर दे खैत अहछ, लंगड़ चलैत अहछ, कोढ़ी सभ शद्ध भ' ज इत अहछ, बहीर सनैत अहछ, मृतक जीहब उठै त अहछ, गरीब सभ केँ ससम च र प्रच र कयल ज इत अहछ। लूक 7:22 मद जखन अह ँ भोज करब तखन गरीब, अपं ग, लंगड़ , आिर केँ बज उ। हकएक तँ ओ सभ तोहर प्रहतफल नहह दऽ सकैत अहछ, हकएक तँ धमी लोकक जीहब उठल पर तोहर प्रहतफल भे टतौक।” तखन ओ नोकर आहब कऽ अपन म हलक केँ ई सभ ब त दे खौलहन। तखन घरक म हलक तमस क’ अपन नोकर केँ कहलहिन, “जल्दी सँ शहरक गलीगली आ गली मे ज उ, आ गरीब, अपं ग, रुकल आ आिर केँ एतय आहन हदयौक।” लूक 14:13,21 यीश ई ब त सहन कऽ कहलहिन, “अह ँ मे एकट चीजक अभ व अहछ, जे हकछ अहछ से बेहच कऽ गरीब सभ मे ब ँ हट हदअ, तखन अह ँ लग स् वगग मे धन भऽ ज यत। लू क 18:22 जकरय ह ठ ढ़ भऽ प्रभ केँ कहलहिन। दे खू, प्रभ, हमर आध सम्पहि हम गरीब केँ दै त छी। जँ हम ककरो सँ कोनो ब त झूठ आरोप लग कऽ लेने छी तँ ओकर च रर गन व पस कऽ दै त छी। लूक 19:8 ओ एकट गरीब हवधव केँ सेहो ओहह मे दू ट कटहर फेकैत दे खलहन। ओ कहलहिन, “हम अह ँ सभ केँ सत् य कहै त छी जे ई गरीब हवधव सभ सँ बेसी आद न-प्रद न कयलहन अहछ जे हुनक लग छलहन। लूक 21:24 हकएक तँ गरीब सभ सहदखन अह ँ सभक संग रहै त अहछ। मद हमर अह ँ सभ सहदखन नहह छी। यूहन्न 12:8 हकएक तँ महकदहनय आ अख य क लोक सभ यरूशलेम मे रहहनह र गरीब पहवत्र लोक सभक लेल हकछ योगद न दे बऽ च है त छहि। रोहमयो 15:26 जँ हम अपन सभट सम् पहि गरीब सभक पे ट भरब क लेल दऽ दै त छी आ अपन शरीर केँ जरे ब क लेल दऽ दै त छी आ प्रे म नहह करै त छी तँ हमर हकछओ ल भ नहह होइत अहछ। 1 कोररन्थी 13:3 जेन दखी, तइयो सहदखन आनस्न्दत; गरीब जक ँ , तैयो बहुतो केँ धहनक बन रहल अहछ। जेन हकछ नहह अहछ, आ तैयो सभ वस्तक म हलक अहछ। 2 कोररन्थी 6:10 एतबे नहह, भ इ लोकहन, हम सभ अह ँ सभ केँ परमेश् वरक कृप जे महकदहनय क मण् डली सभ पर कयल गे ल अहछ, तकर सभक ज नक री दै त छी। कोन कष्टक पै घ परीक्ष मे हुनक लोकहनक


आनन्दक प्रचरत आ गहींर गरीबी हुनक लोकहनक उद रत क धनक प्रचरत बहढ़ गेलहन। अह ँ सभ हमर सभक प्रभ यीश मसीहक कृप केँ जनैत छी जे ओ धहनक छल ह, मद अह ँ सभक लेल ओ गरीब भ’ गेल ह ज हह सँ अह ँ सभ हुनकर गरीबी सँ धहनक भ’ सकब। 2 कोररन्थी 8:1-2,9 (जेन हक धमगश स् त्र मे हलखल अहछ, ओ हततर-हबतर भ’ गेल छहि, गरीब केँ दे लहन। हुनकर ध हमगकत अनन्त क ल धरर रहत। 2 कररस्न्थयों 9:9 केवल ओ सभ च है त छल ह जे हम सभ गरीब सभक स्मरण करी; वैह जे हमहूँ करब लेल आगू छलहुँ । गल ती 2:10 हमर भ इ लोकहन, हमर सभक प्रभ यीश मसीह, जे महहम क प्रभ छहि, पर हवश् व स नहह करू। जँ अह ँ सभक सभ मे सोन क अंगूठी ल' क' नीक वस्त्र पहहरने कोनो गरीब आदमी सेहो आहब ज यत। अह ँ सभ ओहह समलैंहगक वस्त्र पहहरहनह र केँ आदर करै त छी आ ओकर कहै त छी जे, “अह ँ एतय नीक जगह पर बैसू।” आ गरीब सभ केँ कहह हदयौक जे, “अह ँ ठ ढ़ रहू व एतय हमर पै रक ठे हुनक नीच बैहस ज उ। हे हमर हप्रय भ इ लोकहन, सनू, की परमेश् वर एहह संस रक गरीब सभ केँ हवश् व स मे धहनक आ ओहह र ज् यक उिर हधक री नहह चनने छहि जे ओ हुनक सँ प्रे म करयवल सभ केँ प्रहतज्ञ केने छहि? य कूब 2:2-5 लौदीहकय क मण् डलीक स् वगगदूत केँ हलखू। ई ब त सभ कहै त छहि जे आमेन, जे हवश् व सपू णग आ सत् य गव ह छहि, जे परमेश् वरक सृहष्टक प्र रं भ अहछ। हम अह ँ क क ज केँ जनैत छी जे अह ँ ने ठं ढ छी आ ने गरम। तखन अह ँ गनगन छी आ ने ठं ढ आ ने गरम, ते ँ हम अह ँ केँ मँह सँ उगलब। हकएक तँ अह ँ कहै त छी जे, “हम धहनक छी, सम्पहि सँ बढ़ल छी, आ हमर हकछक आवश्यकत नहह अहछ।” आ ई नहह जनैत छी जे अह ँ दयनीय, दयनीय, गरीब, आिर आ नंगटे छी। आ उिर वस्त्र पहहरू, ज हह सँ अह ँ कपड़ पहहरर सकब आ अह ँ क नंगटे पनक ल ज नहह दे ख ब। आ आँ स्ख पर दव क अहभर्ेक करू ज हह सँ अह ँ दे स्ख सकब।” हम जतेक प्रे म करै त छी, तकर सभ केँ ड ँटैत छी आ त ड़ब दै त छी, ते ँ उत्स ही रहू आ पश्च त प करू। दे खू, हम दरबि पर ठ ढ़ भ’ क’ खटखटबैत छी, जँ केओ हमर आव ज सहन क’ दरबि खोलब त’ हम ओकर लग आहब क’ ओकर संग भोजन करब आ ओ हमर संग। जे जीतत ओकर हम अपन हसंह सन पर अपन संग बैसय दे ब, जेन हमहूँ हवजयी भे लहुँ आ अपन हपत क संग हुनकर हसंह सन पर बैसल छी। जे क न रखैत अहछ, ओ सनय जे आत् म मण् डली सभ केँ की कहै त अहछ। प्रक हशतव क्य 3:14-22

हे बौआ, एहह ब त सँ नहह डे र उ जे हम सभ गरीब भ’ गेलहुँ , हकएक तँ अह ँ परमेश् वर सँ डे र कऽ सभ प प सँ हहट कऽ हुनकर नजरर मे जे नीक लगैत अहछ से करब तँ अह ँ लग बहुत सम् पहत अहछ। टोहबट ४:२१ जखन अह ँ गरीब छी तखन प्रभक भय पर अहवश्व स नहह करू। उपदे शक 1:28 हमर बेट , गरीबक जीवन-य पन मे धोख नहह करू, आ जरूरतमंद आँ स्ख केँ बेसी क ल प्रतीक्ष नहह करू। पीहड़त लोकहनक हवनती केँ अस्वीक र नहह करू। आ ने कोनो गरीब आदमीसँ मँह मोड़ू। गरीबक क न झक कऽ ओकर नम्रत पू वगक हमत्रवत उिर दे ब अह ँ केँ दख नहह होउ। उपदे शक 4:1,4,8 गरीब सभक ह ि मे ह ि बढ़ उ, ज हह सँ अह ँ क आशीव ग द हसद्ध हो।” उपदे शक 7:32 धहनक होहि, कलीन होहि, गरीब होहि, हुनक लोकहनक महहम प्रभक भय अहछ। जे गरीब आदमी के समझ छै , ओकर हतरस्क र करन उहचत नै छै ; आ ने प पी के महहम करब सहवध जनक अहछ। उपदे शक 10:2223 गरीबक लूररक आदर-सत्क र होइत छै क, आ धहनक धन-दौलतक लेल सम्म हनत होइत छै क। जे गरीबी मे सम्म हनत होइत अहछ, से धन मे कतेक बेसी? जे धन-दौलत मे अपम हनत अहछ, से गरीबी मे कतेक बेसी? एक्लेहसस्स्टकस 10:30-31 एकट एहन अहछ जे मेहनत करै त अहछ, कष्ट लैत अहछ, जल्दब जी करै त अहछ, आ एतेक प छू अहछ। पनुः एकट आओर एहन अहछ जे मंद अहछ, आ ओकर मदहदक आवश्यकत अहछ, क्षमत क अभ व अहछ, आ गरीबी सँ भरल अहछ; तइयो प्रभक नजरर ओकर नीक जक ँ तकलक आ ओकर अपन नीच ँ सँ ठ ढ़ क' दे लकैक, आ ददग श सँ ओकर म ि उठौलकैक। जे दे खहनह र बहुतो लोक हुनक दे स्ख आश्चयगचहकत भ' गे ल ह। समृस्द्ध आ हवपहि, जीवन-मरण, गरीबी आ धन, प्रभक आओ। बस्द्ध, ज्ञ न आ धमग-हनयमक समझ प्रभक अहछ, प्रे म आ नीक क जक ब ट हुनक सँ अहछ। प पी सभक क ज पर आश्चयगचहकत नहह होउ। मद प्रभ पर भरोस र खू आ अपन पररश्रम मे बनल रहू, हकएक तँ गरीब केँ अमीर बन बय मे प्रभक नजरर मे अच नक सहज क ज होइत छै क। उपदे शक 11:11-15,21

जखन हम प्रचर म त्र मे भोजन दे खलहुँ तँ हम अपन बेट केँ कहहलयहन, “ज उ, हमर सभक भ इ सभ मे जे गरीब आदमी भे टत, जे प्रभक प्रहत हचंतन करै त अहछ, तकर आहन हदयौक। आ दे खू, हम अह ँ क लेल हटकैत छी। टोहबट २:२

धहनक लोक अन्य य केलकै, तइयो ओ धमकी दै त अहछ, गरीब पर अन्य य होइत छै क, आ ओकर सेहो हवनती करय पड़तैक। ह इन आ ककरक बीच की समझौत अहछ ? आ धहनक आ गरीबक बीच कोन श ं हत? जहहन जंगल मे जंगली गदह हसंहक हशक र होइत अहछ, तहहन धहनक लोक गरीब केँ ख ज इत अहछ। जेन घमंडी लोक हवनम्रत सँ घृण करै त अहछ, तहहन धहनक लोक गरीब सँ घृण करै त अहछ। खसय ल गल धनी केँ ओकर संगी सभक ह ि सँ ऊपर उठ ओल ज इत छै क, मद नीच ँ पड़ल गरीब केँ ओकर संगी सभ धकेहल दै त छै क। जखन कोनो धनी खहस पड़ै त अहछ तखन ओकर बहुत र स सह यक होइत छै क, ओ एहन ब त बजै त छै क जे नहह कहब क च ही, तइयो लोक ओकर धमी ठहरबैत छै क। ओ बस्द्धम नी सँ बजैत छल ह, आ हुनक कोनो थि न नहह छलहन। जखन कोनो धनी बजैत अहछ तँ सभ अपन जीह पकहड़ लैत अहछ आ दे खू, जे कहै त अहछ, तकर मेघ धरर बढ़बैत अहछ। आ जँ ठोकर ख एत तँ ओकर उख ड़ब मे मदहत करत। जे कर प प नै छै ओकर लेल धन-दौलत नीक छै आ अभिक मँह मे गरीबी अधल ह छै । उपदे शक 13:3,18-24

अपन सम्पहि सँ हभक्ष हदयौक। जखन अह ँ हभक्ष दे ब तखन अह ँ क नजरर मे ईष्य ग नहह हो आ ने कोनो गरीब सँ मँह घम उ आ परमेश् वरक मँह अह ँ सँ नहह भं ग होयत। टोहबट 4:7

जखन अह ँ क प स पय ग प्त होयत तखन भू खक समय मोन र खू, आ जखन अह ँ धहनक होयब तखन गरीबी आ आवश्यकत पर हवच र करू। उपदे शक 18:25

ओ एहह तरहे ँ कहलहिन, “हे लोक सभ, महदर कतेक प्रबल होइत अहछ! एकर पीबै व ल सब आदमी के गलती करै छै , ई र ज आरो अन ि बच्च के सब के मन एक बन बै छै । द स आ स्वतंत्र लोकक, गरीब आ धहनकक: 1 एथर 3:18-19 हवधव के सही करू, अन ि के लेल न्य य करू, गरीब के हदयौ, अन ि के बच व करू, नंगटे के कपड़ पहहर उ, टू टल-फूटल आ कमजोर के ठीक करू, लंगड़ के हतरस्क र करय ले ल नहह हं सू, अपं ग के बच व करू, आ आिर के भीतर आबय हदयौ हमर स्पष्टत क दशगन। २ एथर २:२०-२१

गरीबक मँह सँ हनकलल प्र िगन परमेश् वरक क न धरर पहुँ हच ज इत अहछ आ ओकर न् य य जल्दी अबै त अहछ। उपदे शक 21:5


ओकर गरीबी मे अपन पड़ोसीक प्रहत वफ द र रहू, ज हह सँ अह ँ ओकर समृस्द्ध मे आनस्न्दत रहब, ओकर कष्टक समय मे ओकर संग अहडग रहू, ज हह सँ ओकर संग ओकर उिर हधक र मे उिर हधक री बनब। आ ने धहनक जे प्रशंस मे भे टब मूखग अहछ। उपदे शक 22:23 हमर प्र ण तीन तरहक आदमी सँ घृण करै त अहछ, आ ओकर जीवन पर हमर बहुत आहत होइत अहछ: एकट गरीब जे घमंडी अहछ, एकट धहनक जे झूठ ब जैत अहछ आ एकट बूढ़ व्यहभच री जे क ज करै त अहछ। उपदे शक 25:2

लेहकन हत्रफीन गरीबऽ के र हत के ले लऽ पौलस के प स भ री रकम भे जने छे लै, आरो िेक्ल के ह िऽ सें कपड़ भी भे जने छे लै। पौलसक क ज आ िेक्ल 10:5

धहनक हो व गरीब, जँ प्रभक प्रहत नीक मोन हो तँ ओ हरदम प्रसन्न मँ हसँ आनस्न्दत रहत। दू ट ब त अहछ जे हमर मोन केँ दखी करै त अहछ। तेसर हमर क्रोहधत करै त अहछ। आ बस्द्धम न लोक जे सेट नहह होइत अहछ। आ जे ध हमगकत सँ प प हदस घरर ज इत अहछ। प्रभ एहन केँ तलव रक लेल तै य र करै त छहि। उपदे शक 26:4,28

पहवत्र द ऊद एन कहै त छहि, “हम प्रभक समक्ष स्वीक र करब, आ ई हुनक सींग आ खर बल बैलक बच्च सँ बेसी नीक ल गत।” गरीब दे खय आ प्रसन्न होबय। क्लेमेंट के पहहल पत्र कोररस्न्थयों 22:8

तइयो अह ँ गरीब सम्पहि मे धैयग र खू, आ ओकर पर दय करब मे दे री नहह करू। आज्ञ क ले ल गरीबक सह यत करू, आ ओकर गरीबीक क रणे ँ ओकर मँह नहह घम उ। नीच कटी मे गरीबक जीवन नीक, दोसरक घर मे न जक हकर य सँ नीक। उपदे शक 29:8-9,22 गरीब, संहवध न मे सदृढ़ आ मजबू त होइत, ओहह धहनक आदमी सँ नीक जे अपन शरीर मे पीहड़त अहछ। उपदे शक 30:14 गरीब अपन गरीब सम्पहि मे मेहनत करै त अहछ। आ जखन छोहड़ दै त छहि तखनो जरूरतमं द छहि। उपदे शक 31:4 जे गरीबक सम्पहिक चढ़ौत अनैत अहछ, ओ ओहहन करै त अहछ जेन अपन हपत क नजरर मे बेट केँ म रर दै त अहछ। उपदे शक 34:20 गरीबक हवरुद्ध कोनो व्यस्ि केँ स्वीक र नहह करत, मद उत्पीहड़तक प्र िगन सनत। उपदे शक 35:13 दुः ख मे सेहो दुः ख रहै त छै क, आ गरीबक जीवन हृदयक अहभश प होइत छै क। उपदे शक 38:19 सदोम नगर सभक एहह आ सभ क ज पर प्रभ क्रोहधत भऽ गेल ह, हकएक तँ हुनक सभ लग भोजनक प्रचरत छलहन आ हुनक सभक बीच श ं हत छलहन, आ एखनो गरीब आ जरूरतमंद लोक सभ केँ, आ ओहह समय मे हुनकर सभक दष्कमग आ प प प्रभक समक्ष पै घ भ’ गेल। परमेश् वर अब्र हमक घर मे आयल दू ट स् वगगदूत केँ बज कऽ पठौलहन जे सदोम आ ओकर नगर सभ केँ नष्ट करहि। य शेर 19:44-45 घोड़ पर बैसल यूसफ अपन नजरर स् वगग हदस उठौलहन आ कहलहिन, “ओ गरीब केँ धूर सँ उठबैत छहि, गरीब केँ गोबर मे सँ उठबैत छहि।” हे सेन पहत, सखी अहछ जे मनष्य अह ँ पर भरोस करै त अहछ। जशेर 49:30 बजे द ऊद केरऽ र ज ज हत आरू पररव र स॑ हनकललऽ धन्य आरू सद गौरवश ली कम री मररयम केरऽ जन्म न सरत शहर म॑ भे लऽ छे लै, आरू यरूशले म म॑, प्रभ केरऽ मंहदर म॑ पढ़लऽ-हलखलऽ छे ली । ओकर हपत क न म जोआहचम छलैक, आ म यक अन्न । ओकर हपत क पररव र गलील आ न सरत नगरक छल। हुनकर म यक पररव र बेतलेहेमक छलहन। हुनक लोकहनक जीवन प्रभक दृहष्ट मे स द आ सही छल, मनष्यक समक्ष पण्य आ हनदोर् छल | क रण, ओ सभ अपन सभ सम्पहि तीन भ ग मे ब ँ हट लेलक: ज हह मे सँ एक भ ग मस्न्दर आ मस्न्दरक अहधक री सभ केँ समहपग त कयलहन। दोसर पर य , आ गरीब पररस्थिहत मे बहन गेल व्यस्ि मे ब ँ हट दै त छल ह; आ तेसर अपन आ अपन पररव रक उपयोगक लेल सरहक्षत र स्ख लेलहन। मररयम के जन्म के ससम च र 1:1-4

धहनक लोक गरीबक आवश्यकत क अनस र ब ँ टय, आ गरीब परमेश् वर केँ आशीर् दे य जे ओ ओकर एकट द' दे लक, जकर द्व र ओकर च हत आपू हतग भ सकैत अहछ। कोररस्न्थयों के क्लेमेंट के पहहल पत्र 17:35

मद हमर सभ केँ ओ एहह तरहे ँ कहै त छहि। की ई ओ व्रत नहह अहछ जे हम दष्टत क पट्टी खोलब क लेल, भ री बोझ केँ उत रब क लेल आ दबल-कचलल लोक केँ मि करब क लेल चनने छी। आ की अह ँ सभ हर जआ तोहड़ दै त छी? की ई नहह जे अह ँ अपन रोटी भू खल केँ ब ँ हट दे ब आ जे गरीब केँ ब हर फेकल गेल अहछ ओकर अपन घर मे अनब? जखन अह ँ नंगटे दे खब जे ओकर झ ँ हप दै त छी आ अपन शरीर सँ अपन केँ नहह नक लैत छी। तखन अह ँ क इजोत भोर जक ँ फूटत आ अह ँ क स्व स्थ्य जल्दी-जल्दी उगै त रहत। तोहर ध हमगकत तोहर आगू बढ़त, प्रभक महहम तोहर इन म होयत। बरनब स के स म न्य पत्र 2:1618 गरीब सभ केँ दे ब क लेल सेहो ह ि सँ पररश्रम करू ज हह सँ अह ँ क प प क्षम भ' ज य। अह ँ ई हवच र नहह करू जे दे ब व नहह, आ ने दऽ कऽ एहह पर गनगन ह। बरनब स के स म न्य पत्र 14:20 आ फेर, धन्य अहछ गरीब आ ध हमगकत क लेल सत ओल गेल लोक। हकएक तँ परमेश् वरक र ज् य हुनक सभक अहछ। हफहलस्प्पयों के हलये पॉलीक पग के पत्र 1:11 आ बजगग सभ सभक प्रहत दय ल आ दय ल रहहि। हुनक सभ केँ अपन गलती सँ मोहड़ क'; जे कमजोर अहछ तकर तकैत छी। हवधव , अन ि आ गरीब केँ नहह हबसरब। मद सहदखन परमेश् वर आ मनर्​् य दनू क दृहष्ट मे जे नीक अहछ तकर उपलब्ध कर बैत रहू। हफहलस्प्पयों के हलये पॉलीक पग के पत्र 2:15 जखन हकयो बूढ़ भ' ज इत अहछ त' अपन दबगलत आ गरीबीक क रणे ँ अपन सँ हनर श भ' ज इत अहछ, आ जीवनक अंहतम हदनक अहतररि हकछ नहह आश करै त अहछ । हरम स के चरव ह 3:124 मनष्यक जीवन मे एहह सब सँ नीक हकछ नहह; जे ई सभ क ज अपन जीवन मे र खत आ करत। अहगल बेर सनू जे एहह सभक ब द की अहछ। हवधव सभक सेव करब; अन ि आ गरीब केँ हतरस्क र नहह करब। परमेश् वरक सेवक सभ केँ आवश्यकत सँ मि करब क लेल। अहतहि सत्क र करब; (हकएक तँ सत्क र मे कखनो क ल पै घ फल भे टैत अहछ) हवव द नहह करू, बल् हक चप रहू। हरम स 8:9-10 के दोसर हकत ब जखन हम खेत मे ज रहल छलहुँ आ एल्म आ बे ल पर हवच र करै त छलहुँ आ ओकर फल के ब रे मे मने-मन सोचै त छलहुँ तखन एकट स् वगगदूत हमर प्रकट भे ल ह आ हमर कहलहिन। एतेक हदन धरर अह ँ अपन भीतर की सोचैत छी? हम हुनक कहहलयहन, “मह र ज, हम एहह बेल आ एहह एल्म के ब रे मे सोचैत छी, क रण एकर फल सन्दर होइत छै क।” ओ हमर कहलहिन। ई दनू ग छ परमेश् वरक सेवक सभक लेल एकट नमून क रूप मे र खल गेल अहछ। हम हुनक कहहलयहन, “मह र ज, हम ई ज हन च है त छी जे अह ँ जे ग छ-वृक्षक हजक्र क’ रहल छी, ओकर प्रहतरूप की अहछ।” सनू, ओ कहै त छहि। अह ँ ई बेल आ ई एल्म दे खैत छी। सर, हम कहहलयहन, हम हुनक सभ केँ दे खैत छी, ई बेल, कहै त छहि, फलद र अहछ, मद एल्म एकट हबन फलक ग छ अहछ। तइयो ई बे ल ज बत धरर एहह एल्म द्व र सेट नहह कयल ज यत, आ एहह सँ सह र नहह दे ल ज यत, त धरर बेसी फल नहह दे त।


मद जमीन पर संग-संग पड़ल रहल पर अधल ह फल भे टैत छलैक, क रण ओ एल्म पर नहह लटकल छलैक; जखन हक एल्म पर सह र लेल सँ ई अपन लेल आ त हह लेल दनू तरहे ँ फल दै त अहछ । ते ँ दे खू जे एल्म कोन बेल सँ कम नहह, बस्ि बे सी फल दै त अहछ। कोन सर, हम कहहलयहन, बेल सँ बेसी फल दै त अहछ? क रण, ओ कहलहन, बेल एल्म पर सह र दे ल गेल अहछ बहुत आ नीक दनू फल दै त अहछ; जखन हक जँ जमीन पर संग-संग पड़ल रहै त त' कम सहन होइत, आ से सेहो बहुत बीम र। अतुः ई उपम परमेश् वरक सेवक सभक लेल र खल गे ल अहछ; आ ई धहनक आ गरीबक प्रहतहनहधत्व करै त अहछ। हम उिर दे हलयैक, “मह र ज, ई ब त हमर प्रकट करू।” सनू, ओ कहलहन; धहनक आदमी के धन छै ; ति हप प्रभक प्रहत ओ गरीब छहि। क रण, ओ 1 अपन धनक हवर्य मे उठ ओल गे ल अहछ, आ प्रभ सँ कम प्र िगन करै त अहछ। आ जे प्र िगन ओ करै त छहि से आलसी आ हबन बल के होइत अहछ | ते ँ जखन धनी लोक गरीबक लग जे चीज च है त अहछ तकर ह ि बढ़बैत अहछ तखन गरीब धहनक लोकक लेल प्रभ सँ प्र िगन करै त अहछ। परमेश् वर धहनक केँ सभ नीक चीज दै त छहिन, हकएक तँ गरीब लोक प्र िगन मे धनी होइत छहि। आ ओकर आग्रह पर प्रभक बहुत स मर्थ्ग छै क। तखन धहनक आदमी गरीबक सभ हकछ सेव करै त अहछ, हकएक तँ ओकर बझन ज इत छै क जे ओकर ब त प्रभ द्व र सनल ज इत छै क, आ ओ ततेक बेसी स्वेच्छ सँ आ हबन कोनो संदेहक, ओकर जे च ही से उपलब्ध कर दै त छै क, आ ध्य न रखैत छै क जे ओकर कोनो चीजक कमी नहह हो। आ गरीब आदमी धहनक लोकक ले ल प्रभ केँ धन्यव द दै त अहछ। क रण ओ सभ अपन दनू क ज प्रभ सँ करै त छहि। ते ँ मनक्खक संग एल्म कोनो फल दे बयवल नहह म नल ज इत अहछ; आ ने ओ सभ ई नहह जनैत अहछ आ ने बझैत अहछ जे ओकर संगहत बेल मे जोहड़ गेल क ब द बेल मे दगन वृस्द्ध होइत छै क, अपन लेल आ एल्म दनू लेल। तहहन गरीब लोक सभ धहनक लोकक ले ल प्रभ सँ प्र िगन करै त छहि, हुनक सनल ज इत छहन। आ ओकर धन बहढ़ ज इत छै क, हकएक तँ ओ सभ अपन धन-दौलत गरीब सभक सेव करै त अहछ। ते ँ दनू गोटे एक दोसर क नीक क जक भ गीद र बन ओल ज इत छहि | ते ँ जे केओ ई सभ क ज करत, ओकर प्रभ द्व र नहह छोड़ल ज यत, बल् हक जीवनक पस्तक मे हलखल ज यत। धन्य अहछ जे धहनक अहछ आ अपन केँ बढ़ल बझैत अहछ, हकएक तँ जे एहह ब तक समझद र अहछ से दोसरक हकछ सेव कऽ सकैत अहछ। हरम स के तीसरी पस्तक 2 एहह तरहे ँ ते ँ करू। पहहने जे हलखल गे ल अहछ से पू र कऽ कऽ जे हदन अह ँ उपव स करब त हह हदन रोटी-प हन छोहड़ हकछ नहह चखब। आन हदन जे भोजन करब क आदहत अहछ ओकर गणन कए ओहह हदन जे खचग करब क च ही छल से एक क त र स्ख हवधव , अन ि आ गरीब केँ दऽ दे ब। हरम स के तेसर हकत ब 5:30 सर, हम कहहलयहन, हमर बझल रहै त, ई सब केहन पीड़ होइत छै क जे सब केँ होइत छै क? सनू, ओ कहलहन; कतेको पीड़ आ य तन ओ अहछ जे परुर् अपन वतगम न जीवन मे रोज गजरै त अहछ । हकछ गोटे केँ नकस न होइत छहन; दोसर गरीबी; दोसर गोत खोर बीम री। हकछ गोटे अश ं त छहि; दोसरोॅ केॅ जे अयोग्य छै , ओकर सें चोट लगै छै ; दोसर कतेको आन परीक्ष आ असहवध मे पड़ै त अहछ। हरम स के तेसर हकत ब 6:22 तखन एहन जे नीच मंत्र लय पर सेट कयल गेल अहछ; आ गरीब आ हवधव सभक रक्ष केने छहि। आ सहदखन पहतव्रत गप्प-सप्प करै त रहल ह, ते ँ हुनक सभक रक्ष प्रभ द्व र सेहो कयल ज इत छहन। हरम स के तेसर हकत ब 9:231 अपन शस्िक अनस र गरीबक ह ि पस रर हदयौक। अपन च नी धरती मे नहह नक उ। हवश् व सी मनर्​् य केँ कर्​् ट मे सह यत करू, तखन अह ँ केँ कष्टक समय मे कष्ट नहह भे टत। हनोक के रहस्य के हकत ब 51:1-3 जखन मनष्य नंगटे के कपड़ पहहर क भू खल के भरत तखन ओकर भगव न स इन म भे टत। मद जँ ओकर मोन गनगन इत अहछ तँ ओ

दोगन अधल ह करै त अहछ : अपन आ जे हकछ दै त अहछ ओकर बब ग दी। आ ओकर लेल तकर क रणे ँ कोनो इन म नहह भे टतैक। आ जँ ओकर अपन मोन अपन भोजन सँ आ अपन म ं स अपन वस्त्र सँ भरल रहत तऽ ओ हतरस्क र करै त अहछ, आ गरीबीक समस्त सहनशस्ि केँ गम लैत अहछ, आ अपन नीक क जक फल नहह भे टतैक। हर घमंडी आ उद ि आदमी प्रभ सँ घृण करै त अहछ, आ हर झूठ भ र्ण सँ। असत्यक वस्त्र पहहरने; मृत् यक तलव रक पट्टी सँ क हट कऽ आहग मे फेहक दे ल ज यत आ सभ हदनक लेल जरर ज यत। हनोक के रहस्यों की पस्तक 63 हे प्रभ परमेश् वर, हम तोहर न मक स्तहत हर्ोल्ल स सँ करब, जे अह ँ क ध हमगक न्य य केँ जनैत अहछ, ओकर बीच मे। क रण, अह ँ नीक आ दय ल छी, गरीबक शरण छी। जखन हम अह ँ लग क नब तखन चपच प हमर अवहे लन नहह करू। हकएक तँ केओ पर क्रमी सँ लूट नहह लैत अहछ। तखन जे अह ँ बनौने छी त हह मे सँ के ल' सकैत अहछ, हसव य अह ँ स्वयं दे ब? क रण, मनष्य आ ओकर भ ग तोर सोझ ँ तर जू मे पड़ल अहछ। ओ अह ँ क द्व र हनध ग ररत ब त केँ बढ़ ब' ले ल नहह जोहड़ सकैत अहछ... हचड़ै -चनमनी आ म छ केँ अह ँ पोसैत छी, एहह मे जे अह ँ मैद न मे बरख दै त छी ज हह सँ हररयर घ स उगय, ज हह सँ हर जीवक ले ल मैद न मे च र तैय र कयल ज य ; आ जँ भू खल छहि तँ अह ँ हदस मँह उठबैत छहि। र ज आ श सक आ लोकक पोर्ण अह ँ करै त छी, हे परमेश् वर; आ गरीब आ गरीबक के सह यक अहछ, जँ अह ँ नहह, हे प्रभ? आ अह ँ सनब--हकएक तँ अह ँ छोहड़ के नीक आ कोमल अहछ? दय मे अपन ह ि खोहल हवनम्र लोकक आत्म केँ प्रसन्न करब... सलेम नक भजन 5 ...आ पण्य त्म लोकक सभ मे धन्यव द दे त; इस्र एलक आनन्द मे परमेश् वर गरीब सभ पर दय करत ह। क रण परमेश् वर सद क लेल नीक आ दय ल छहि, आ इस्र एलक सभ सभ प्रभक न मक महहम करत... सलेम नक भजन 10 जखन हम हवपहि मे छलहुँ तखन हम प्रभक न म पक रलहुँ , य कूबक परमेश् वरक सह यत क आश कयल आ उद्ध र भे ल। क रण, गरीबक आश आ शरण अह ँ छी, हे परमेश् वर... सलेम नक भजन 15 ...हकएक तँ जँ अह ँ बल नहह दे ब तँ गरीबीक संग दं ड के सहन करत? जखन मनष्य केँ ओकर भ्रष्टत क क रणे ँ ड ँ टल ज इत छै क, तखन ओकर परीक्ष ओकर शरीर मे आ गरीबीक दुः ख मे होइत छै क... सलेम नक भजन 16 प्रभ, तोहर दय तोहर ह िक क ज पर सद क लेल अहछ; तोहर भल ई इस्र एल पर एकट समृद्ध वरद नक संग अहछ। तोहर आँ स्ख ओकर सभ हदस तकैत अहछ जे ओकर सभ मे सँ ककरो अभ व नहह होइत छै क। तोहर क न गरीब सभक आश जनक प्र िगन सनैत अहछ... सलेम नक भजन 18 हे हमर बेट ! जँ सेठ स ँप ख इत अहछ तँ कहै त अहछ,--"ओकर बस्द्धसँ अहछ," आ जँ गरीब स ँ प ख इत अहछ तँ लोक कहै त अहछ, "ओकर भू खसँ।" हे हमर बेट ! अपन सम्पहि ओकर सभ केँ सौंपब सँ पहहने अपन पत्र आ नोकरक परीक्ष करू, ज हह सँ ओ सभ ओकर सभ केँ नहह छोहड़ सकैत अहछ। हकएक तँ जकर ह ि भरल छै क, ओकर बस्द्धम न कहल ज इत छै क, भले ओ मूखग आ अज्ञ नी हो, आ जकर ह ि ख ली छै क, ओकर गरीब, अज्ञ नी कहल ज इत छै क, भले ओ ऋहर्महन सभक र जकम र हो। हे हमर बेट ! हम एकट कोलोहसन्थ ख लेने छी, आ मसब्बर हनगलने छी, आ गरीबी आ कमी सँ बेसी कट हकछ नहह भे टल अहछ। हे हमर बेट ! अपन बेट केँ हमतव्यहयत आ भू ख हसख उ, ज हह सँ ओ अपन घरक प्रबंधन मे नीक क ज करहि। हे हमर बच्च ! ह ि मे बेंगक ज ँ घ पड़ोसीक घैल मे हं स सँ नीक अहछ। आ अह ँ क लगक बरद दू रक बै लसँ नीक होइत अहछ। आ अह ँ क ह ि मे एकट गौरै य उड़ै त हज र गौरै य सँ नीक अहछ। आ जे गरीबी जम होइत अहछ, से बहुत र स भरण-पोर्णक हततर-हबतर सँ नीक होइत छै क। आ जीहवत लोमड़ी मृत हसंहसँ नीक होइत अहछ। आ एक प उं ड धन सँ एक प उं ड


ऊन नीक, हमर मतलब सोन -च नी सँ अहछ; क रण, सोन आ च नी धरती मे नक यल आ झ ँ पल अहछ, मद नहह दे ख इत अहछ। मद ऊन बज र मे रहै त अहछ आ दे खल ज इत अहछ, आ जे पहहरै त अहछ ओकर लेल ई एकट सौन्दयग होइत छै क। हे हमर बेट ! हछहड़य एल भ ग्यसँ छोट भ ग्य नीक होइत छै क। हे हमर बेट ! जीहवत ककर मृ त गरीबसँ नीक। हे हमर बेट ! जे गरीब नीक क ज करै त अहछ, से प प मे मरर गेल धनी सँ नीक होइत अहछ। हे हमर बेट ! में गरीब के दौर ओकर दुः ख, आ सल्त नक स हन्नध्य मे ओकर ब त करू, आ ओकर शेरक मँह सँ बच बय ले ल अपन लगन करू। च रर ट एहन ब त छै क ज हह मे ने र ज सरहक्षत भ' सकैत छै क आ ने ओकर सेन : वजीर द्व र अत्य च र, आ खर ब सरक र, आ इच्छ शस्िक हवकृहत, आ हवर्य पर अत्य च र; आ च ररट ब त जे नक यल नहह ज सकैत अहछ: बस्द्धम न, मूखग, आ धहनक आ गरीब। अहहकर के कह नी 2:17,39-41,49-52,57,67 हकएक तँ व्यहभच र बहुतो केँ नष्ट कऽ दे लक। क रण, जँ केओ बूढ़ हो व कलीन हो, व धहनक हो व गरीब हो, मद ओ मनष्यक बेट सभक संग अपन केँ अपम हनत करै त अहछ आ बेहलय रक संग उपह स करै त अहछ। रूबेन 2:8 के हनयम आ परमेश् वरक स् वगगदूत हमर दे ख दे लहिन जे स्त्रीगण र ज आ हभख री पर एक सम न श सन करै त छहि। र ज सँ ओकर महहम , वीर आदमी सँ ओकर पर क्रम, आ हभख री सँ ओ छोट जे ओकर गरीबी पर रोकल ज इत छै क से छीन लै त छै क। यहूद के हनयम 3:22-23 जे सभ दख मे मरर गेल अहछ, ओ सभ आनन्द मे उठत, आ जे प्रभक लेल गरीब छल, से धहनक बन ओल ज यत, आ जे प्रभक लेल म रल गेल अहछ, से जीहवत भ' ज यत। यहूद के हनयम 4:31 क रण, सभ गरीब आ दबल-कचलल लोक केँ हम अपन हृदयक एकलत मे पृ थ्वीक नीक वस्त द न कयलहन। ते ँ हमर बच्च सभ, परमेश् वरक हनयमक प लन करू, आ अहवव हहत रहू, आ बेशमी मे चलू, अपन पड़ोसीक धंध मे व्यस्तत क संग नहह खेलू, बस्ि प्रभ आ अपन पड़ोसी सँ प्रे म करू, गरीब आ कमजोर पर दय करू। यश कर 1:31,38 के हनयम जँ कोनो आदमी हवपहि मे छल तऽ हम अपन आह ओकर आह मे जोहड़ दै त छलहुँ , आ गरीब सभक संग अपन रोटी ब ँ हट लैत छलहुँ । यश कर 2:11-12 के हनयम हकएक तँ गरीब आदमी जँ ईष्य ग सँ मि अहछ तँ सभ ब तमे प्रभकेँ प्रसन्न करै त अहछ तँ सभ मनर्​् यसँ बेसी धन्य होइत अहछ , हकएक तँ ओकर व्यिगक कष्ट नहह होइत छै क। ते ँ अपन प्र ण सँ ईष्य ग दू र करू आ एकदोसर सँ सोझ हृदय सँ प्रे म करू। ग द 2:15-16 के हनयम दोसर चोर बैत अहछ, अन्य य करै त अहछ, लूटैत अहछ, ठकैत अहछ आ गरीब पर दय करै त अहछ। जे अपन पड़ोसी केँ धोख दै त अहछ, ओ परमेश् वर केँ क्रोहधत करै त अहछ, परमेश् वर पर झूठक कसम ख इत अहछ, मद गरीब पर दय करै त अहछ। आशेर 1:14-15 के हनयम जँ हमर म हलक घरसँ दू र रहहतहि तँ हम महदर नहह पीबैत छलहुँ । आ ने तीन हदन धरर अपन भोजन लेलहुँ , बल् हक गरीब आ बीम र सभ केँ दऽ दे हलयैक। यूसफ के हनयम 1:30 जँ ककरो महहम होइत छै क तँ ओकर सँ ईष्य ग नहह होइत छै क। जँ केओ समृद्ध होइत अहछ तँ ओकर ईष्य ग नहह होइत छै क। जँ केओ वीर अहछ तँ ओकर प्रशंस करै त अहछ। सद् गणी आदमी के प्रशंस करै छै । गरीब पर ओ दय करै त अहछ। कमजोर पर ओकर दय होइत छै क। परमेश् वरक स्तहत ग बैत छहि। हबन्य मीन के हनयम 1:26


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