अनहद नाद meditationwithlife.blogspot.com/2022/08/anhadsound.html
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अनहद नाद की सम्पूर्ण जानकारी नमस्कार दोस्तों - आज मैं आपको अनहद नाद के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने की कोशिश करुगा। सबसे पहला प्रश्न हमारे मन में उठता है। अनहद नाद क्या है। अनहद नाद समस्त सृष्टि का आधार है। जिससे यह समस्त सृष्टि गति पाकर आकर ले रही है। आसान शब्दों में खा जाये ऐसी ध्वनि जो किसी आहत या चोट की ना होकर अनादि है।
अनहद नाद कै से बनता है। इसका उत्तर है। कि सब कु छ शून्य से ही आता है। जब आप ध्यान की अवस्था में इतना डू ब जाते है। कि आपको बाहरी दुनिया का आभास ही नही रहता उस अवस्था में आप शून्य में डू बे होते है। और आप धारणा या संकल्प करने लगते है। यह योग की पहली अवस्था होती है। अनहद नाद महसूस करने के बाद वह अग्नि की मदद से आहद बन जाता है। शून्य और अनहद नाद एक ही स्थिति पर नहीं है। अनहद भी शून्य के बाद आता है। महसूस करने से पहले भी कु छ होता है। और वो शून्य है। हमारे दिमाग की पहली अवस्था है। ( शून्य )अनहद शून्य से आता है। और उसी वक्त आहत भी। आहद एक सोची गई बात है। जिसे आप अनहद से आहद का रूप देते है। इसी की इच्छा से बने है। यम , आयाम , नियम , धरना ,सिद्धि , समाधि और प्राणायाम इत्यादि।
शरीर में आवाज के पांच खंड।
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व्यक्ति के शरीर में आवाज के पांच खंड कहे गये है। पहला नाभि , दूसरा हृदय , तीसरा वृक्ष , चौथा कं ठ ,पांचवा मुर्दा कहा जाता है। ( नाद ) सभी खंडो से एक ही वक़्त में गूंजता है। जीवात्मा इन पांच खंडो में से किसी एक घड़ी किसी एक खंड में रहती है। हालांकि आवाज नाद साधना के दौरान बाकि खंडो से महसूस की जाती है। जीवात्मा वही है। जहां नाद का ध्यान बना हुआ है।
आनंद या परम आनंद की खोज। योग में आठ अवस्थाये है। यम , आयाम , नियम , धारणा , प्रत्याहार इत्यादि। नाद सिद्धि के लिए प्रयास करने पर अच्छे परिणाम मिल सकते है। आज के समय जब हर आयु वर्ग के व्यक्तियों में शारीरिक मानसिक शांति के लिये , पढ़ाई में एकाग्रता के लिये आपसी संबंध ठीक रखने के लिये यदि हम निरंतर ध्यान करते है। तभी हम परमात्मा की प्राप्ति कर सकते है। और परम आंनद की खोज कर सकते है।
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